#बिहार चुनाव हिंदी में
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dainiksamachar · 8 months ago
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संजय निरुपम की 19 साल बाद होगी ‘घर वापसी’, 3 मई को इस पार्टी में होंगे शामिल, जानें एकनाथ शिंदे क्यों हैं खुश
मुंबई: शिवसेना से राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले की 19 साल के बाद फिर से ‘घर वापसी’ होगी। कांग्रेस की ओर से निष्कासित किए जाने के बाद वह महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे-नीत शिवसेना में शामिल होने जा रहे हैं। संजय निरुपम ने कहा कि बाला साहेब भवन में सीएम शिंदे से मिलने के बाद ये तय किया गया है कि 3 मई को अपने सभी साथियों के साथ शिव सेना (शिंदे गुट) ज्वॉइन करेंगे और जोरदार तरीके से प्रचार किया जाएगा। दरअसल शिवसेना छोड़ने के बाद निरुपम 2005 में कांग्रेस में शामिल हुए थे और उन्हें महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी का महासचिव नियुक्त किया गया था। वह 2009 के लोकसभा चुनाव में मुंबई उत्तर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिग्गज नेता राम नाइक को मामूली अंतर से हराकर सांसद निर्वाचित हुए।कांग्रेस में 19 साल तक किया कामकांग्रेस में 19 साल तक रहने के दौरान उन्होंने कई पदों पर काम किया जिनमें से मुंबई इकाई के प्रमुख पद की जिम्मेदारी भी शामिल थी। कांग्रेस ने पिछले महीने अनुशासनहीनता और पार्टी-विरोधी गतिविधियों के चलते छह साल के लिए उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था। निष्कासन से कुछ दिन पहले ही निरुपम ने मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट पर फैसला करने के लिए पार्टी को एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया था।एकनाथ शिंदे ने क्या कहा?शिवसेना पार्टी पदाधिकारियों की बैठक के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा कि संजय निरुपम जल्द ही शिवसेना में शामिल होंगे। इस मौके पर निरुपम भी उनके साथ थे, लेकिन शिंदे ने इसे शिष्टाचार मुलाकात करार दिया। इस बीच शिंदे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुंबई में दो चुनावी सभाओं को संबोधित करेंगे। मुंबई में 20 मई को मतदान होगा।बिहार के रहने वाले हैं निरुपममूल रूप से बिहार के निवासी निरुपम 1990 के दशक में पत्रकारिता के रास्ते राजनीति में आए। वह मुंबई से प्रकाशित अविभाजित शिवसेना के हिंदी मुखपत्र ‘दोपहर का सामना’ के संपादक बने। उनके कार्य से प्रभावित तत्कालीन शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने उन्हें 1996 में राज्यसभा भेजा। निरुपम शिवसेना के मुखर नेता के रूप में उभरे। 2005 में छोड़ी थी शिवसेना शिवसेना उस वक्त मुंबई में बसे उत्तर भारतीय मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही थी। हालांकि निरुपम को उस वक्त झटका लगा जब शिवसेना ने 2005 में उनसे राज्यसभा की सदस्यता छोड़ने को कहा। शिवसेना से मतभेद होने पर अंतत: 2005 में उन्होंने पार्टी छोड़ दी और उसके बाद कांग्रेस में शामिल हो गए। http://dlvr.it/T6HT56
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dainikkhabarlivesblog · 2 years ago
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क्या समय से पहले होगा लोकसभा चुनाव?, जाने नितीश कुमार के इस बयान के क्या हैं मायने?
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Lok Sabha Election 2024 : साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। सभी पार्टियां चुनावों की तैयारियों में लगी हुई हैं। आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी है। सभी विपक्षी पार्टियां एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ लड़ने की कोशिश में लगी हुई हैं। ऐसे में एक खबर आ रही है कि चुनाव (Lok Sabha Election 2024) के लिए जो समय निर्धारित किया गया है। उससे पहले भी इलेक्शन हो सकते हैं। ये बात हम नहीं बल्कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने कही है।
नितीश कुमार ने दिया अटपटा बयान
नीतीश कुमार का यह बयान उस समय सामने आया है, जब वे भाजपा सरकार के खिलाफ विपक्षी एकता बनाने में जुटे हैं। साल 2019 में हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा गठबंधन (NDA) ने 350 से ज्यादा सीटें जीतकर लगातार दूसरी बार केंद्र की सत्ता में वापसी कर ली थी। वहीं साल 1971 और साल 1984 में समय से पहले लोकसभा चुनाव हुए थे। दोनों बार बनने वाली सरकारों को बंपर जीत मिली थी।
ऐसे में अब नीतीश कुमार का ये मानना है कि साल 1971 और साल 1984 वाला इतिहास एक बार फिर से दोहराया जा सकता है और समय से पहले लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) कराए जा सकते हैं। हालांकि कहा जा रहा है कि समय से पहले लोकसभा चुनाव विधानसभा चुनाव को देखते हुए किए जा सकते हैं।
वन नेशन-वन इलेक्शन की पैरवी कर चुके हैं पीएम मोदी
लोकसभा (Lok Sabha Election 2024) से पहले छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मध्य प्रदेश में मविधानसभा चुनाव होने वाले हैं और समय से पहले लोकसभा चुनाव कराए जाने का सबसे अहम फैक्टर यही माना जा रहा है। 4 में से 3 राज्यों में भाजपा अपनी सरकार लाने की कोशिश कर रही है तो वहीं मध्य प्रदेश में सत्ता को बचाने की ��ोशिश कर रही है।
चारों ही राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की लोकल लीडरशिप काफी कमजोर है। साल 2018 में भारतीय जनता पार्टी चुनाव हार गई थी लेकिन कांग्रेस से ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के कारण भाजपा एक बार फिर सत्ता में वापस आ गई। हालांकि मध्यप्रदेश में 230 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा के पास 130 विधायक हैं लेकिन पार्टी के लिए इस बार सत्ता वापसी आसान नहीं है।
सियासी गलियारों में समय से पहले चुनाव कराए जाने के पीछे वन नेशन वन इलेक्शन को भी वजह माना जा रहा है। भाजपा और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) वन नेशन-वन इलेक्शन की पैरवी कर चुके हैं। आने वाले समय में 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में ये भी चर्चा है कि वन नेशन-वन इलेक्शन की तर्ज पर एक साल में एक चुनाव कराया जा सकता है, जिससे सभी राज्यों के चुनाव एक साथ निपट सके।
इन राज्यों में में भी होने हैं चुनाव
Lok Sabha Election 2024 : इसके अलावा साल 2024 में महाराष्ट्र, हरियाणा, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश में भी चुनाव होने वाले हैं। हिमाचल, महाराष्ट्र और हरियाणा में भाजपा गठबंधन सरकार है। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री के साथ ही 16 विधायकों की कुर्सी पर भी खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में समय से पहले चुनाव कराके यहां के संकटों से भी निपटा जा सकता है। इसके अलावा विपक्षी पार्टियां मिलकर विपक्षी एकता की कोशिश में लगी हुई हैं लेकिन अभी तक इन कोशिशों का कोई नतीजा नहीं निकला है।
इस महीने विपक्ष की पहली मीटिंग पटना में होने वाली है। हालांकि सीट बंटवारे समेत कई मुद्दों पर विपक्ष का पेंच अटका हुआ है। अब देखने वाली बात यह होगी कि विपक्षी एकता से पहले लोकसभा चुनाव हो पाते हैं या नहीं? अगर समय पर चुनाव हुए तो विपक्षी एकता कितनी एक होगी और ये सभी पार्टियां मिलकर भाजपा को हरा पाएंगी या नहीं या एक बार फिर से महागठबंधन की तरह इन पार्टियों के हाथ कुछ नहीं लगेगा?
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sirjitendrayadav · 2 years ago
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hindibits · 2 years ago
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सी.एम. नहीं बनने दूँगा - मनीष कश्यप ने क्यों कहा?
अपनी गिरफ्तारी को लेकर मनीष कश्यप ने बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को लेकर एक बहुत ही बड़ा बात अपने  ट्वीटर  प्रोफाईल से वीडियो डालकर ट्वीट किया है, कि वो तेजस्वी यादव को अगले विधान-सभा चुनाव में तेजस्वी को बिहार का सी.एम. नहीं बनने दूॉगा.
तमिलनाडु हिंसा फेक वीडियो की जांच होने और फैक्ट सामने आने के बाद, शौसल मीडिया पर गलत तरीके से फेक वीडियो और पोस्ट जारी करने के संंबंध में बिहार पुलिस ने कार्यवाई को आगे बढ़ाते हुए कुछ गिर्फतारियाॉं भी की है. इसी क्रम में यूट्यूब पर न्यूज चैनल @sachtaknews चलाने वाले मनीष कश्यप का भी नाम है, जिन्होंने तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों पर जानलेवा हमले और हिंदी भाषियों को जान से मारने का वीडियो अपने…
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newsyatra · 4 years ago
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P Chidambaram Appeal To Voters Of India That Follow Joe Bidens Message Of Unity And Not Divide - बिहार, मध्यप्रदेश के वोटर अमेरिकी राष्ट्रपति उम्मीदवार बिडेन की टिप्पणी को याद रखें: चिदंबरम
P Chidambaram Appeal To Voters Of India That Follow Joe Bidens Message Of Unity And Not Divide – बिहार, मध्यप्रदेश के वोटर अमेरिकी राष्ट्रपति उम्मीदवार बिडेन की टिप्पणी को याद रखें: चिदंबरम
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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Sun, 18 Oct 2020 12:50 PM IST
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newsyaari · 4 years ago
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P Chidambaram Appeal To Voters Of India That Follow Joe Bidens Message Of Unity And Not Divide - बिहार, मध्यप्रदेश के वोटर अमेरिकी राष्ट्रपति उम्मीदवार बिडेन की टिप्पणी को याद रखें: चिदंबरम
P Chidambaram Appeal To Voters Of India That Follow Joe Bidens Message Of Unity And Not Divide – बिहार, मध्यप्रदेश के वोटर अमेरिकी राष्ट्रपति उम्मीदवार बिडेन की टिप्पणी को याद रखें: चिदंबरम
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suryyaskiran · 2 years ago
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क्या नीतीश 2024 में विपक्षी एकता की धुरी बन सकते हैं?
नई दिल्ली, 10 अगस्त (SuryyasKiran)। अगर गांधी परिवार से बाहर संयुक्त विपक्ष के चेहरे तौर पर खड़ा किया जाए तो नीतीश विपक्षी एकता के सूत्रधार के रूप में उभर सकते हैं। बिहार का तख्तापलट सीधे तौर पर नीतीश कुमार की चतुराई से तैयार की गई राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा से जुड़ा हुआ है। यह बात भले ही उनकी ओर से जाहिर न किया गया हो, लेकिन अटकलों का बाजार गर्म है। बिहार में 40 लोकसभा सांसद हैं और संयुक्त विपक्ष को बहुमत मिल सकता है, जिसका असर उत्तर प्रदेश की राजनीति पर भी पड़ सकता है। नीतीश ओबीसी की एक प्रमुख जाति कुर्मी से आते हैं, और यह समुदाय भाजपा की संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि यह समुदाय उत्तर प्रदेश में भाजपा की सफलता की कुंजी रहा है। यदि कुर्मी और यादव समुदाय को साथ मिला लिया जाए तो अल्पसंख्यकों की मदद से एक संयुक्त विपक्षी बल तैयार किया जा सकता है, जो भाजपा से मुकाबला करने में सक्षम होगा।हालांकि 2019 में बिहार में लोकसभा चुनावों के दौरान एनडीए ने बिहार से ज्यादा सीटें हासिल की थीं, लेकिन नीतीश कुमार के भाजपा से दूरी बना लेने का अगले लोकसभा चुनाव पर भारी असर पड़ सकता है।नीतीश कुमार भले ही केंद्र की ओर एक बड़ी छलांग लगाने के लिए चुपचाप काम कर रहे हों, लेकिन कुछ अन्य लोग भी इस दौड़ में शामिल हैं। उनमें से एक हैं शरद पवार। हालांकि, महाराष्ट्र में हुईं हाल की घटनाओं में उनके प्रयास से बना एमवीए सत्ता से बाहर हो गया है, जिससे पवार की राजनीतिक ताकत घट गई है।कांग्रेस के नेता 2024 की स्थिति पर अभी कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते, लेकिन वे इस बात पर जोर देते हैं ��ि किसी भी फॉर्मूलेशन का नेतृत्व कांग्रेस द्वारा किया जाएगा, जो निचले सदन में संख्या के मामले में सबसे बड़ा ब्लॉक है और कांग्रेस यूपीए की तरह किसी भी विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व करेगी।ममता बनर्जी भी इस पीएम की कुर्सी की दावेदार हैं, लेकिन भाजपा उन्हें सिर्फ पश्चिम बंगाल तक सीमित रखने की कोशिश कर रही है, जिससे उनके खेला में बाधा आ सकती है। हिंदी भाषी राज्यों में उनकी कोई जन अपील नहीं है और न ही वह ओबीसी से ताल्लुक रखती हैं।ओबीसी में कोई भी विभाजन केवल उत्तर प्रदेश और बिहार में भाजपा को रोक सकता है, जिसमें 120 सांसदों की संयुक्त ताकत है और भाजपा इस क्षेत्र में काफी मजबूत है।राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अंकगणित की दृष्टि से यह अच्छा लग सकता है, लेकिन हिंदूत्व की राजनीति का झुकाव भाजपा की ओर है। उनका कहना है कि कड़े विरोध के बावजूद भाजपा को ओबीसी वोटों की एक बड़ी संख्या मिलती है और यह कहना कि ओबीसी विपक्ष की ओर जाएगा, यह भविष्यवाणी करना अभी जल्दबाजी होगी।हालांकि भाजपा ने इस तर्क को खारिज कर दिया है। भाजपा नेता सुशील मोदी ने दावा किया है कि नीतीश कुमार 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष के लिए प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने का लक्ष्य बना रहे हैं, लेकिन उनमें वैसी क्षमता नहीं है। नीतीश के साथ उपमुख्यमंत्री रह चुके बिहार के नेता ने कहा, वह नरेंद्र मोदी को चुनौती नहीं दे सकते, उनमें उन्हें चुनौती देने की क्षमता नहीं है।सुशील मोदी ने कहा, नीतीश कुमार के लिए प्रधानमंत्री बनना दूर का सपना है। बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव में फिर प्रचंड बहुमत हासिल करेगी और नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे।भाजपा के राज्यसभा सदस्य मोदी ने भाजपा के खिलाफ जद (यू) के आरोपों को झूठ करार दिया।उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भाजपा पर आरोप लगाया कि यह उनकी पार्टी को तोड़ने में शामिल थी, यह पूरी तरह झूठ है।उन्होंने नीतीश कुमार के इस आरोप का भी खंडन किया कि भाजपा ने तत्कालीन जद (यू) नेता आरसीपी सिंह को उनकी मंजूरी के बिना केंद्रीय मंत्री बनाया।सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार एनडीए से बाहर निकलने के बहाने खोज रहे थे और इसलिए झूठा आरोप लगा रहे हैं। नीतीश कुमार ने ही आरसीपी सिंह को नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री बनने की मंजूरी दी थी। उन्होंने झूठ का सहारा लिया।--SuryyasKiranएसजीके Read the full article
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divyabhashkar · 3 years ago
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Podcast: Podcast: RRB NTPC Protest: Bihar bandh today, know what's up
Podcast: Podcast: RRB NTPC Protest: Bihar bandh today, know what’s up
आप सुनना शुरू कर चुके हैं खबरों से भरा न्यूज18 हिंदी पॉडकास्ट. इस पॉडकास्ट में आपका स्वागत है. स्वीकार करें अनुराग अन्वेषी का नमस्कार. दोस्तो, देश भर में शीतलहर का प्रकोप जारी है और फिलहाल तीन दिन इससे राहत की कोई उम्मीद नहीं. इस ठंड के बावजूद बिहार में सियासी पारा गरम है. छात्रों के बुलाए भारत बंद के ���मर्थन में राजनीतिक पार्टियां सड़क पर उतर चुकी हैं. यूपी वि��ानसभा चुनाव के पहले फेज के चुनाव के…
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khsnews · 3 years ago
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आरसीपी सिंह में चिराग पासवान की टीम नीतीश कुमार जदयू पुल के अंदर लगी आग नहीं बुझाते.
आरसीपी सिंह में चिराग पासवान की टीम नीतीश कुमार जदयू पुल के अंदर लगी आग नहीं बुझाते.
पटना राजनीति कब करवट ले ले, यह कोई नहीं कह सकता। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के नतीजे आने के बाद से चिराग पासवान सीएम नीतीश कुमार के निशाने पर हैं. लेकिन अब इस राजनीति में एक नया मोड़ देखने को मिल रहा है. दरअसल, बीते दिनों केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह के मंत्रालय ने चिराग पासवान को जदयू कोटे से अपना हिंदी सलाहकार नियुक्त किया है. चिराग पासवान सहित बिहार से भारतीय सलाहकार समिति के पांच सदस्यों को…
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countryinsidenews · 3 years ago
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दिल्ली /ऑस्कर फर्नांडीस के निधन से प्रधानमंत्री मोदी दुःखी , सोनिया गांधी , राहुल, प्रियंका गांधी सहित बिहार हिंदी साहित्य सम्मलेन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने दुख जताया
दिल्ली /ऑस्कर फर्नांडीस के निधन से प्रधानमंत्री मोदी दुःखी , सोनिया गांधी , राहुल, प्रियंका गांधी सहित बिहार हिंदी साहित्य सम्मलेन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने दुख जताया
प्रिया सिन्हा की रिपोर्ट / कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ऑस्कर फर्नांडीज गांधी परिवार के बेहद विश्वासपात्र माने जाते थे. चुनाव जीत कर 5 बार लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा की ऑस्कर फर्नांडीस के निधन से मैं दुखी हूं. इस घड़ी में मेरी संवेदना और प्रार्थना उनके परिजनों के साथ है. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें. सोनिया गांधी ने कहा ऑस्कर…
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abhay121996-blog · 3 years ago
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अपनी मौत के 20 साल बाद यूपी की राजनीति में आखिर क्यों 'जिंदा' हो गईं फूलन देवी? Divya Sandesh
#Divyasandesh
अपनी मौत के 20 साल बाद यूपी की राजनीति में आखिर क्यों 'जिंदा' हो गईं फूलन देवी?
लखनऊइसमें कोई शक है ही नहीं कि हिंदी पट्टी में और खास तौर पर यूपी-बिहार में अति पिछड़ा जाति की सूची में आने वाले निषाद समुदाय का बहुत ज्यादा राजनीतिक महत्व है। अगर ऐसा नहीं होता तो 1994 में निषाद जाति से आने वाली ‘बैंडिट क्वीन’ फूलन देवी को देश के सबसे अनुभवी नेताओं में से एक मुलायम सिंह यादव अपनी ��ार्टी में लेने का जोखिम नहीं उठाते।
यह जानते हुए भी कि बेहमई कांड की वजह से क्षत्रियों के बीच फूलन देवी को लेकर जबरदस्त नाराजगी है, उन्होंने इसकी परवाह नहीं की। बेहमई कानपुर देहात का एक गांव है, जहां फूलन देवी ने अपने साथ हुए बलात्कार का बदला लेने के लिए वर्ष 1981 में बीच दोपहर 20 लोगों को गोलियों से भून डाला था। यह सभी एक जाति विशेष के लोग थे।
मुलायम सिंह ने फूलन के खिलाफ सभी केस वापस लिए थे यूपी में अपनी सरकार बनने के बाद साल 1994 में मुलायम सिंह यादव ने न केवल फूलन देवी के खिलाफ दर्ज सभी 55 मुकदमों को वापस ले लिया था बल्कि 1996 के लोकसभा के चुनाव में मीरजापुर से टिकट भी दिया और फूलन देवी सांसद बनीं। फूलन देवी समाजवादी पार्टी से दो बार सांसद हुईं। 2001 में दिल्ली में हत्या होने के वक्त भी वह समाजवादी पार्टी की सांसद ही थीं।
फूलन देवी की हत्या के बाद उनके पति ने भी राजनीति में किस्मत आजमाने की कोशिश की लेकिन वह कामयाब नहीं हुए। एक तरह से फूलन देवी चैप्टर हमेशा के लिए बंद हो गया था लेकिन मौत के 20 साल बाद अचानक फूलन देवी फिर से ‘जिंदा’ हो गई हैं। बिहार एनडीए का हिस्सा ‘विकासशील इंसान पार्टी’ यूपी में फूलन देवी की मूर्ति लगाने का कार्यक्रम करने जा रही है। सवाल यही है कि अपनी मौत के 20 साल बाद फूलन देवी ‘जिंदा’ क्यों हुईं?
फूलन के ‘जिंदा’ होने की वजह दरअसल अब फूलन के नाम पर यूपी-बिहार में एक वोटबैंक तैयार करने की कोशिश हो रही है। राजनीति में अगर किसी जाति विशेष का वोटबैंक तैयार करना होता है तो एक प्रतीक भी खोजना होता है। फूलन देवी को अब निषाद जाति के वोटबैंक के प्रतीक के रूप में स्थापित किया जा रहा है।
बिहार सरकार में मंत्री मुकेश सहनी, जो कि अपने नाम के साथ ‘सन ऑफ मल्लाह’ लिखते भी हैं, ने बहुत साफगोई के साथ स्वीकार किया कि ‘जब पासवान समाज की अपनी पार्टी एलजेपी बन सकती है, कुर्मी बिरादरी का ‘अपना दल’ हो सकता है, यादवों की आरजेडी और दलित समाज की बहुजन समाज पार्टी बन सकती है तो हम निषाद समाज की अलग पार्टी क्यों नहीं बना सकते हैं?’
‘अगर फूलन ऊंची जाति से होगी, तो उनके साथ कुछ नहीं होता’मुकेश साहनी ने आगे कहा, ‘फूलन देवी तो हमारे समाज की हैं, वह राजी-खुशी डाकू नहीं बनी थीं, उन्हें इस रास्ते पर जाने को मजबूर ही इसलिए होना पड़ा था कि वह कमजोर तबके- निषाद समाज से आती थीं। अगर वह उच्च जाति से होतीं तो उनके साथ वह कुछ भी नहीं होता, जिससे उन्हें गुजरना पड़ा और हथियार उठाना उनकी मजबूरी बनी���’
मुकेश सहनी ने बिहार में विकासशील इंसान पार्टी पार्टी बनाई, जिसे बिहार के पि��ले चुनाव में चार सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाबी मिली और वह सरकार का हिस्सा भी बने। यूपी के चुनाव के मद्देनजर वह अपनी पार्टी का विस्तार कर रहे हैं तो उन्हें एक प्रतीक की जरूरत हुई और फूलन देवी को उन्होंने प्रतीक के रूप में चुन लिया।
शुरू हुआ ‘फूलन’-‘फूलन’ का खेल जैसे ही मुकेश सहनी ने फूलन देवी को प्रतीक बनाया, वैसे ही फूलन-फूलन का शोर शुरू हो गया। यूपी के चुनाव के महज छह महीने बचे हैं। निषाद समाज के वोटों पर हक जताने वाले दूसरे राजनीतिक दलों को भी जब लगा कि कहीं फूलन देवी के जरिए मुकेश सहनी कहीं अपने पाले में निषाद समाज को गोलबंद न कर ले जाएं, तो उनके लिए भी फूलन देवी को याद करना मजबूरी हो गई।
यूपी में निषाद वोट और उसके हकदार यूपी में डॉ. संजय निषाद पहले से ही निषाद पार्टी बनाए हुए हैं। 2018 के यूपी के गोरखपुर के उपचुनाव में निषाद पार्टी ने समाजवादी पार्टी को समर्थन दिया था और उसके बदले में समाजवादी पार्टी ने उनके बेटे को टिकट दिया। यह ऐसा समीकरण था जिसके जरिए समाजवादी पार्टी ने योगी आदित्यनाथ के गृह जिले में बीजेपी को हरा दिया था, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में निषाद पार्टी ने बीजेपी को समर्थन दिया और बीजेपी ने उसके बदले उनके बेटे को टिकट दे दिया।
अब यूपी चुनाव से पहले संजय निषाद बीजेपी से अपने लिए डेप्युटी सीएम की पोस्ट मांग रहे हैं। उधर, समाजवादी पार्टी निषाद वोट पर अपना स्वाभाविक हक जता रही है। पार्टी का कहना है कि फूलन देवी तो उसकी अपनी थीं। मुकदमे वापसी से लेकर सांसद तक हमने ही बनवाया था। बीजेपी का दावा है वह तो हमेशा से कमजोर जातियों को उनके अधिकार दिलाने के लिए कटिबद्ध रही है। कांग्रेस का कहना है कि हमने तो फूलन देवी के पति को टिकट तक दिया था।
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dmchandresh · 4 years ago
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बिहार छोड़ बंगाल की ओर दौड़े तेजस्वी यादव, BJP के खिलाफ Mamta Banerjee से मिलाएंगे हाथ
बिहार छोड़ बंगाल की ओर दौड़े तेजस्वी यादव, BJP के खिलाफ Mamta Banerjee से मिलाएंगे हाथ
बंगाल विधान सभा चुनाव में BJP को हराने के लिए आरजेडी TMC से हाथ मिलाना चाहती है. इसके अलावा आरजेडी की नजर बंगाल की उन सीटों पर है जहां हिंदी बोलने वाली आबादी रहती है.
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vilaspatelvlogs · 4 years ago
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बिहार छोड़ बंगाल की ओर दौड़े तेजस्वी यादव, BJP के खिलाफ Mamta Banerjee से मिलाएंगे हाथ
बिहार छोड़ बंगाल की ओर दौड़े तेजस्वी यादव, BJP के खिलाफ Mamta Banerjee से मिलाएंगे हाथ
बंगाल विधान सभा चुनाव में BJP को हराने के लिए आरजेडी TMC से हाथ मिलाना चाहती है. इसके अलावा आरजेडी की नजर बंगाल की उन सीटों पर है जहां हिंदी बोलने वाली आबादी रहती है. Source link
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divyabhashkar · 3 years ago
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बिहार में चुनाव बाद होगी शिक्षकों की बहाली, शिक्षा मंत्री ने की घोषणा after lok sabha election bihar-government-will-recruit-teachers-for-school brvj – News18 हिंदी
बिहार में चुनाव बाद होगी शिक्षकों की बहाली, शिक्षा मंत्री ने की घोषणा after lok sabha election bihar-government-will-recruit-teachers-for-school brvj – News18 हिंदी
बिहार के शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा ने कहा कि नियोजित शिक्षकों के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से शिक्षक बहाली का रास्ता साफ हो गया है. आचार संहिता खत्म होने के बाद बिहार में बड़े पैमाने पर शिक्षकों की बहाली होगी. उन्होंने कहा कि सभी नियोजन इकाईयों से रिक्तियां मंगवाई जाएगी और इन्हीं रिक्तियों के आधार पर वैकेंसी निकाली जाएगी.शिक्षा मंत्री ने जानकारी दी कि वैकेंसी निकलते ही नियोजन इकाईयों…
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khsnews · 3 years ago
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राजनीतिक दल आपराधिक उम्मीदवारों को रिकॉर्ड करते हैं बीजेपी कांग्रेस एसपी बहुजन समाज पार्टी सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों से कहा- उम्मीदवार का चयन करने के 48 घंटे के भीतर आपराधिक रिकॉर्ड जमा करना होगा।
राजनीतिक दल आपराधिक उम्मीदवारों को रिकॉर्ड करते हैं बीजेपी कांग्रेस एसपी बहुजन समाज पार्टी सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों से कहा- उम्मीदवार का चयन करने के 48 घंटे के भीतर आपराधिक रिकॉर्ड जमा करना होगा।
हिंदी समाचार राष्ट्रीय राजनीतिक दलों ने सुप्रीम कोर्ट में आपराधिक उम्मीदवारों को दर्ज किया बीजेपी कांग्रेस एसपी बहुजन समाज पार्टी नई दिल्ली38 मिनट पहले लिंक की प्रतिलिपि करें इस मामले में वकील बृजेश सिंह ने याचिका दायर की थी। उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड का विवरण नहीं देने के लिए पार्टियों के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था। सुप्रीम कोर्ट ने…
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countryinsidenews · 3 years ago
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पटना /बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन की स्वामिनी समिति , ‘स्थाई समिति’ की महत्त्वपूर्ण बैठक आज
पटना /बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन की स्वामिनी समिति , ‘स्थाई समिति’ की महत्त्वपूर्ण बैठक आज
पटना /बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन की स्वामिनी समिति , ‘स्थाई समिति’ की महत्त्वपूर्ण बैठक आज (१२ सितम्बर,२१ को), अपराह्न २ बजे से । नए कार्यकाल के लिए नई कार्यसमिति के गठन समेत अनेक प्रस्तावों पर होगी चर्चा । बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन में कुछ समय पहले ही हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता के निगरानी में अध्यक्ष का चुनाव हुआ था. बिहार के हिंदी साहित्य के विद्वानों के लिए  हिंदी साहित्य सम्मेलन बहुत ही…
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