#बिभति
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#GodNightSaturday गीताजी अध्याय 15 श्लोक 17“उत्तमः#पुरुषः#तु#अन्यः#परमात्मा#इति#उदाहृतः#यः#लोकत्रायम् आविश्य#बिभति#अव्ययः#ईश्व
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गीताजी अध्याय 15 श्लोक 17
"उत्तमः, पुरुषः, तु, अन्यः, परमात्मा, इति, उदाहृतः, यः, लोकत्रायम् आविश्य, बिभति, अव्ययः, ईश्वरः ।।
भगवद्ग
चार्य: आंतरराष्ट्रीय कृष्णकृपामुर्ती श्री श्रीमद् ए.सी.
पूर्ण परमात्मा, क्षर पुरुष और अक्षर पुरुष के अलावा कोई और है, जो तीनों लोकों में प्रवेश करके, सभी का भरण-पोषण करता है। उसे शाश्व�� पूर्ण परमात्मा (अविनाशी सर्वोच्च भगवान) कहा जाता है।“
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गीताजी अध्याय 15 श्लोक 17
"उत्तमः, पुरु��ः, तु, अन्यः, परमात्मा, इति, उदाहृतः, यः, लोकत्रायम् आविश्य, बिभति, अव्ययः, ईश्वरः ।।
Tattvadarshi Sant Rampal Ji
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#ये_है_गीता_का_ज्ञान गीताजी अध्याय 15 श्लोक 17
"उत्तमः, पुरुषः, तु, अन्यः, परमात्मा, इति, उदाहृतः, यः, लोकत्रायम् आविश्य, बिभति, अव्ययः, ईश्वरः ।
पूर्ण परमात्मा,क्षर पुरुष और अक्षर पुरुष के अलावा कोई और है, जो तीनों लोकों में प्रवेश करके, सभी का भरण-पोषण करता है।
Tatavdarsi Sant Rampal Ji
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गीताजी अध्याय 15 श्लोक 17
"उत्तमः, पुरुषः, तु, अन्यः, परमात्मा, इति, उदाहृतः,
यः, लोकत्रायम् आविश्य, बिभति, अव्ययः, ईश्वरः।।
पूर्ण परमात्मा, क्षर पुरुष और अक्षर पुरुष के अलावा कोई और है, जो तीनों लोकों में प्रवेश करके, सभी का भरण-पोषण करता है। उसे शाश्वत पूर्ण परमात्मा (अविनाशी सर्वोच्च भगवान) कहा जाता है।“
#गीता_प्रभुदत्त_ज्ञान_है
#Hindu #Hindustan #Hinduism #HinduRashtra #sanatani #sanatandharma
#SantRampalJiMaharaj #SantRampalJiQuotes
#BhagavadGita #scriptures #gita #vedas
💁🏻📚जानने के लिए हिन्दू साहेबान! नहीं समझे गीता, वेद, पुर��ण पुस्तक को Sant Rampal Ji Maharaj App से डाउनलोड करके पढ़ें।
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गीताजी अध्याय 15 श्लोक 17
"उत्तमः, पुरुषः, तु, अन्यः, परमात्मा, इति, उदाहृतः,
यः, लोकत्रायम् आविश्य, बिभति, अव्ययः, ईश्वरः।।
पूर्ण परमात्मा, क्षर पुरुष और अक्षर पुरुष के अलावा कोई और है, जो तीनों लोकों में प्रवेश करके, सभी का भरण-पोषण करता है। उसे शाश्वत पूर्ण परमात्मा (अविनाशी सर्वोच्च भगवान) कहा जाता है।“
#गीता_प्रभुदत्त_ज्ञान_है
#Hindu #Hindustan #Hinduism #HinduRashtra #sanatani #sanatandharma
#SantRampalJiMaharaj #SantRampalJiQuotes
#BhagavadGita #scriptures #gita #vedas
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#GodMorningTuesday
अध्याय 15 श्लोक 17
उत्तमः पुरुषः तु अन्यः परमात्मा इति उदाहृतः
यः लोकत्र्यम् आविश्य बिभति अव्ययः ईश्वरः
हालाँकि,सर्वोत्तम परमात्मा तो कोई और है जो तीनों लोकों में प्रवेश करके
सभी का पालन-पोषण करते हैं और उसे अमर परम ईश्वर कहते है
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अध्याय15श्लोक 17
उत्तमः पुरुषःतु अन्यःपरमात्मा इति उदाहृतः।
यः लोकत्र्यम् आविश्य बिभति अव्ययः ईश्वरः
हालाँकि, सर्वोत्तम परमात्मा तो कोई और है जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सभी का पालन-पोषण करते हैं और उसे अमर परम ईश्वर कहते हैं।
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#GodNightTuesday
#सत_भक्ति_संदेश़
अध्याय 15 श्लोक 17
उत्तमः पुरुषः तु अन्यः परमात्मा इति उदाहृतः । यः लोकत्र्यम् आविश्य बिभति अव्ययः ईश्वरः ।। हालाँकि, सर्वोत्तम परमात्मा तो कोई और है जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सभी का पालन-पोषण करते हैं और उसे अमर परम ईश्वर कहते हैं।
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#GodMorningThursday
गीता ज्ञान दाता
अपने से अन्य किस भगवान को उत्तम पुरुष कह रहा है ?
अध्याय 15, श्लोक 17
उत्तमः, पुरुषः, तु, अन्यः, परमात्मा, इति, उदाहृतः, यः, लोकत्रायम् आविश्य, बिभति, अव्ययः, ईश्वरः ।
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#GodMorningThursday
गीता ज्ञान दाता
अपने से अन्य किस भगवान को उत्तम पुरुष कह रहा है ?
अध्याय 15, श्लोक 17
उत्तमः, पुरुषः, तु, अन्यः, परमात्मा, इति, उदाहृतः, यः, लोकत्रायम् आविश्य, बिभति, अव्ययः, ईश्वरः
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#GodMorningThursday
गीता ज्ञान दाता
अपने से अन्य किस भगवान को उत्तम पुरुष कह रहा है ?
अध्याय 15, श्लोक 17
उत्तमः, पुरुषः, तु, अन्यः, परमात्मा, इति, उदाहृतः, यः, लोकत्रायम् आविश्य, बिभति, अव्ययः, ईश्वरः ।
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#GodMorningThursday
गीता ज्ञान दाता
अपने से अन्य किस भगवान को उत्तम पुरुष कह रहा है ?
अध्याय 15, श्लोक 17
उत्तमः, पुरुषः, तु, अन्यः, परमात्मा, इति, उदाहृतः, यः, लोकत्रायम् आविश्य, बिभति, अव्ययः, ईश्वरः ।
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#GodMorningThursday
गीता ज्ञान दाता
अपने से अन्य किस भगवान को उत्तम पुरुष कह रहा है ?
अध्याय 15, श्लोक 17
उत्तमः, पुरुषः, तु, अन्यः, परमात्मा, इति, उदाहृतः, यः, लोकत्रायम् आविश्य, बिभति, अव्ययः, ईश्वरः ।
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#GodMorningThursday
गीता ज्ञान दाता
अपने से अन्य किस भगवान को उत्तम पुरुष कह रहा है ?
अध्याय 15, श्लोक 17
उत्तमः, पुरुषः, तु, अन्यः, परमात्मा, इति, उदाहृतः, यः, लोकत्रायम् आविश्य, बिभति, अव्ययः, ईश्वरः ।
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#GodMorningThursday
गीता ज्ञान दाता
अपने से अन्य किस भगवान को उत्तम पुरुष कह रहा है ?
अध्याय 15, श्लोक 17
उत्तमः, पुरुषः, तु, अन्यः, परमात्मा, इति, उदाहृतः, यः, लोकत्रायम् आविश्य, बिभति, अव्ययः, ईश्वरः ।
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