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#बाल बाल बचे पूर्व सांसद
countryinsidenews · 2 years
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पटना /पाटिलपुत्र के सांसद रामकृपाल यादव की गाड़ी दूर्घटना ग्रस्त,सांसद रामकृपाल यादव बाल बाल बचे
पटना /पाटिलपुत्र के सांसद रामकृपाल यादव की गाड़ी दूर्घटना ग्रस्त,सांसद रामकृपाल यादव बाल बाल बचे
विकास कुमार सिंह -सब एडिटर । फुलवारीशरीफ में पाटिलपुत्र के सांसद रामकृपाल यादव की गाड़ी दूर्घटना ग्रस्त हो गई है बताया जाता है की अपने संसदीय क्षेत्र के हरनीचक गाँव में पूर्व प्रमुख विनोद राय के घर गये हुए थे बीते दिनों विनोद राय के बेटे का हार्ट अटेक के दौरान मृत्य नई दिल्ली हो गई थी उसी क्रम में पूर्व सांसद रामकृपाल यादव अपने गाड़ी से विनोद राय के घर पर मिलने गये हुए थे। मिलकर जब लौटने के…
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nayesubah · 2 years
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पूर्व राजद सांसद सरफराज आलम के वाहन पर एक के बाद एक चली गोलियां, बाल बाल बचे पूर्व सांसद
पूर्व राजद सांसद सरफराज आलम के वाहन पर एक के बाद एक चली गोलियां, बाल बाल बचे पूर्व सांसद
Bihar: पूर्व राजद सांसद व वरिष्ठ नेता सरफराज आलम के पटना से अररिया आने के दौरान जिले के नरपतगंज क्षेत्र में उनके वाहन पर एक के बाद एक दो गोली फायर की गई हालांकि इस दौरान वह बाल-बाल बच गए उन्हें किसी तरह की चोट नहीं आई है, बताया जा रहा है कि अपनी गाड़ी से पटना से वापस आ रहे थे इस दौरान पूर्व सांसद आगे की सीट पर ही बैठे थे पूर्व सांसद नरपतगंज चौक पर स्थित एक पेट्रोल पंप पर रुके और वहां से गाड़ी…
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sharpbharat · 3 years
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Bokaro-Attack-on-vehicle-of-former-MP-of-Koderma : कोडरमा के पूर्व सांसद प्रो रवींद्र राय के वाहन पर बोकारो में प्रदर्शनकारियों ने किया हमला, बाल बाल बचे
Bokaro-Attack-on-vehicle-of-former-MP-of-Koderma : कोडरमा के पूर्व सांसद प्रो रवींद्र राय के वाहन पर बोकारो में प्रदर्शनकारियों ने किया हमला, बाल बाल बचे
बोकारो : भोजपुरी, मगही व अंगिका को क्षेत्रीय भाषा में शामिल किये जाने के खिलाफ बोकारो व धनबाद में स्थानीय संगठन विरोध-प्रदर्शन पर उतर आये हैं. इसी कड़ी में रविवार को बोकारो में लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. उसी दौरान कोडरमा के पूर्व सांसद प्रो रवींद्र राय पर बोकारो में प्रदर्शनकारियों ने हमला कर दिया. प्रदर्शनकारियों ने रविंद्र राय के वाहन पर पत्थरबाजी की, जिससे वाहन के शीशे टूट गये. इस दौरान…
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abhay121996-blog · 3 years
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दिल्ली में किसानों का समर्थन तो राजस्थान में वादा कैसे भूल गए राहुल गांधी? कर्जमाफी नहीं मिली तो नीलाम हो रहीं जमीनें Divya Sandesh
#Divyasandesh
दिल्ली में किसानों का समर्थन तो राजस्थान में वादा कैसे भूल गए राहुल गांधी? कर्जमाफी नहीं मिली तो नीलाम हो रहीं जमीनें
नई दिल्ली पूरा विपक्ष तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे किसानों के समर्थन में लंबी-चौड़ी बातें कर रहा है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष भी किसानों के मुद्दे पर काफी मुखर हैं। उनकी पार्टी ने पिछले सप्ताह समाप्त हुए मॉनसून सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों ��ें अन्य मुद्दों सहित किसानों के मुद्दे पर जमकर बवाल काटा था। लेकिन, जब बात कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान की आती है तो ना राहुल और न ही उनकी पार्टी किसानों से किए वादों का हालचाल जानने की जहमत उठा पाते हैं।
10 दिन क्या, तीन साल बीत गए, हुजूर भारतीय राजनीति की फितरत रही है कि विपक्ष में बैठने वाला दल और उनके नेता अचानक गरीब, किसान, दलित, पीड़ित, वंचित वर्गों का हितैषी बन जाता है। लेकिन, विपक्ष से सत्ता में जाते ही उन्हीं नेताओं के दिलो-दिमाग से ये नारे, सारे वादे कैसे काफूर हो जाते हैं, इसका ताजा उदाहरण राजस्थान में देखने को मिल रहा है। कांग्रेस ने विपक्ष रहते हुए अपने चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया था कि राजस्थान में उसकी सरकार बनी तो वो 10 दिनों के अंदर किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा। राजस्थान के किसानों ने कांग्रेस के इस वादे पर भरोसा किया और पार्टी सत्ता में आ गई, अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बन गए लेकिन 10 दिन क्या तीन साल में भी किसी को किसानों का सुध लेने की याद नहीं आई।
किसानों के कलेजे काट रहे हैं बैंकों के इश्तेहार अब बैंकों ने किसानों से वसूली करना शुरू कर दिया है। बैंक अब इश्तेहार छपवा रहे हैं कि फलां-फलां किसानों पर कर्ज की इतनी-इतनी रकम बकाया है जिसकी वसूली के लिए बैंक उनकी जमीनों की कुर्की करने जा रहा है। चूंकि किसानों को उनकी जमीनों को बंधक बनाकर ही बैंक कर्ज देते हैं, इसलिए कर्ज वापसी नहीं हो पाने की सूरत में बैंक के पास उन जमीनों की नीलामी करने का अधिकार होता है। बैंक अब इसी अधिकार का इस्तेमाल किसानों से कर्ज वसूली में कर रहे हैं।
किसानं का दर्द- कहां लौटाएं कर्ज दौसा जिले के उपखंड अधिकारी लालसोट के कार्यालय से ऐसा ही इश्तेहार जारी हुआ है जिसमें 16 किसानों के नाम हैं। अखबारों में छपे ये इश्तेहार कहते हैं कि पंजाब नैशनल बैंक (PNB) की श्योसिंहपुरा शाखा से लिए गए कर्ज का समय पर भुगतान नहीं करने के कारण किसानों की संपत्तियां कुर्क की गई हैं जिनकी नीलामी होनी है। यह इश्तेहार देखकर किसानों को मानो सदमा सा लग गया। समेल गांव के किसानों ने नवभारत टाइम्स के संवाददाता के सामने अपना दुखड़ा सुनाया। किसानों ने कहा, ‘हमने बैंक से कर्ज जरूर लिया था, उसे लेकर झूठ नहीं बोलते हैं। लेकिन कोरोना और लॉकडाउन के चलते अन्य काम धंधे भी बंद रहे और कहीं मजदूरी भी नहीं मिली। ऐसे में बैंक का लोन नहीं चुका पाए।’
राहुल से उनका वादा याद दिला रहे किसान खैर, तीन साल में जो हुआ, सो हुआ। सवाल यह है कि क्या अब भी राहुल गांधी और राजस्थान सरकार को किसानों से किया हुआ अपना वादा याद आएगा? किसान कहते हैं, ‘चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा था कि राजस्थान में यदि कांग्रेस की सरकार आई तो 10 दिन में कर्ज माफी हो जाएगी। 10 दिन तक गिने भी, लेकिन अब तो पूरे पौने 3 साल बीत गए हैं, लेकिन कर्ज माफ नहीं हुए बल्कि आए दिन बैंक अधिकारी आते रहते हैं और कर्ज चुकाने के लिए धमका कर जाते हैं। अब तो जमीन भी कुर्क कर ली है और नीलामी के आदेश की हो गए हैं ऐसे में हम असहाय हो गए हैं।’
किसानों से किया राहुल का वादा पूरा: मंत्री उधर, प्रदेश की महिला और बाल विकास मंत्री ममता भूपेश ताजा गतिविधियों पर टके सा जवाब देती हैं। उनका कहना है कि राहुल गांधी ने जो वादे किए वो पूरे किए जा चुके हैं, बाकी बचे किसानों को कर्ज मुक्त करने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है। उनकी दलील है कि अशोक गहलोत सरकार तो क्षेत्रीय बैंकों से लोन लेने वाले किसानों को राहत दे चुकी है, अब केंद्र सरकार राष्ट्रीय बैंकों के कर्ज माफ करे।
अब होगी बीजेपी-कांग्रेस की नूरा कुश्ती उधर, राजस्थान बीजेपी के बड़े नेता और राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा का कहना है कि वो किसानों के साथ कांग्रेस पार्टी के फरेब का पर्दाफाश करेंगे। उनका दावा है कि कांग्रेस पार्टी ने किसानों से संपूर्ण कर्जमाफी का वादा किया था और अब पार्टी पैंतरेबाजी कर रही है। उन्होंने कहा, ‘हम राज्यभर के इस तरह के आंकड़े जुटाकर गहलोत सरकार से बात करेंगे। राज्य सरकार ने संपूर्ण कर्जमाफी का वादा किया था ऐसे में किसानों की जमीन कुर्क होना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आवश्यकता पड़ी तो आंदोलन किया जाएगा।’
सवालों की जद में राहुल गांधी इन सबके बीच सवाल उठता है कि आखिर नए कृषि कानूनों को काला कानून कहते हुए केंद्र सरकार को किसान विरोधी बताने वाले राहुल गांधी अपनी पार्टी की सरकार को ही निर्देश क्यों नहीं दे रहे हैं? आखिर देशभर के किसानों की आवाज बुलंद करने का दावा कर रहे राहुल गांधी राजस्थान के किसानों की दुर्दशा पर मौन क्यों हैं? किसानों की जिंदगी जमीन पर ही निर्भर होती है। अगर किसानों की जमीनें नीलाम होने से नहीं बचीं तो सवाल सिर्फ राजस्थान सरकार पर नहीं उठेंगे बल्कि इसकी जद में राहुल गांधी भी आएंगे।
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shaileshg · 4 years
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मैंने स्वामी अग्निवेश को पहली बार तब सुना था, जब मैं जिनेवा में शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त के कार्यालय में काम कर रहा था। वे वहां पर दासता के समकालीन तरीकों पर बने कार्यदल के समक्ष संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में गवाही देने आए थे। अब यह कार्यदल और उच्चायोग अस्तित्व में नहीं है।
भगवा कपड़े और पगड़ी पहने अग्निवेश की प्रभावी उपस्थिति और उनके तीखे भाषण के साथ ही उनकी जलती हुई आंखें बिना फ्रेम वाले चश्मे पहने लोगों को बेचैन कर रही थीं। जिन्होंने भी जिनेवा में उन्हें एक्शन में सुना, वे उन्हें भूल नहीं सके। पिछले सप्ताह शुक्रवार को करीब 81 साल की उम्र में उनका निधन हुआ। वह कई लोगों के लिए एक रहस्य थे। जन्म से ब्राह्मण अग्निवेश की परवरिश उनके दादा ने की, जो एक रियासत के दीवान थे। लेकिन, उन्होंने अपनी पहचान सीमांत व दबे-कुचले लोगों के साथ बनाई।
एक हिंदू साधु जिसने 30 साल में संन्यास ले लिया था, उन्हें आखिर तक हिंदुत्व के कुछ स्वयंभू समर्थक निशाना बनाते रहे। वे एक राजनेता रहे, विधायक रहे और प्रदेश में कैबिनेट मंत्री भी रहे। पिछले कई दशकों तक उन्होंने कोई राजनीतिक पद नहीं लिया था। वह एक आर्य समाजी थे, जो उसकी अंतरराष्ट्रीय संस्था के एक दशक तक प्रमुख भी रहे। बाद में खुद की आर्य सभा के गठन के लिए वह उससे अलग हो गए। 2008 में इसकी पितृ संस्था ने उन्हें निष्कासित कर दिया।
वे ऐसे व्यक्ति थे जो भारतीय मुद्दों और चिंताओं के लिए प्रतिबद्ध थे और उनकी एक व्यापक अंतरराष्ट्रीय पहचान भी थी। वे 1994 से 2004 तक दासता के समकालीन प्रकार पर संयुक्त राष्ट्र वॉलेंटरी ट्रस्ट फंड के अध्यक्ष रहे। वे कुल मिलाकर एक ऐसे भारतीय थे, जो जन्म से आंध्र प्रदेश के थे, छत्तीसगढ़ में बड़े हुए, हरियाणा में विधायक बने और जिन्हें पूरा देश जानता था। इस सबसे ऊपर वह एक सामाजिक कार्यकर्ता थे। मंत्री रहते हुए भी बंधुआ मजदूर मुक्ति मोर्चा के माध्यम से बंधुआ मजदूरी के खिलाफ उनके प्रयासों की वजह से काफी सफलता मिली।
81 साल पहले वेपा श्याम राव के रूप में जन्मे स्वामी अग्निवेश तमाम विवादों को समेटे होने के बावजूद भारतीय सार्वजनिक जीवन के सर्वाधिक असाधारण व्यक्तियों में याद किए जाएंगे। यह मेरा सौभाग्य था कि करीब 12 साल पहले राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश के समय से ही मैं उन्हें जानता रहा। उन्होंने 1980 के दशक के बाद कभी परंपरागत चुनावी राजनीति नहीं की और वोट की छद्म लोकप्रियता के लिए कोई पद हासिल नहीं किया। लेकिन, इसके बावजूद वह उस मुद्दे के लिए अथक अभियान चलाते रहे, जिसे वह उचित समझते थे।
वह व्यक्ति जिसके पास कानून और कॉमर्स की डिग्री थी व जिसने कभी उस व्यक्ति के जूनियर के रूप में प्रैक्टिस की थी, जो बाद में देश के मुख्य न्यायाधीश बने, उसने अपनी सारी जिंदगी अन्यायपूर्ण कानूनों को चुनौती देने और उन्हें बदलवाने की कोशिश में लगा दी। कुछ मामलों में उन्हें सफलता भी मिली। जैसे कि बंधुआ मजदूरी निवारण कानून। वे अनेक तरीकों से सती प्रथा पर रोक के लिए बने कानून के भी आध्यात्मिक प्रणेता रहे।
एक धार्मिक और आध्यात्मिक विचारक स्वामी अग्निवेश ने अपने हिंदुत्व का परिणय अपने सामाजिक विश्वासों के साथ कर दिया था और वे इसे वैदिक समाजवाद कहते थे। बाल दासता से लेकर, कन्या भ्रूण हत्या जैसे मुद्दों के खिलाफ उनके अथक आंदोलन देशभर में चलते रहे। इस प्रक्रिया में उन पर हुए हमलों में वे बाल-बाल बचे। झारखंड में तो वह भीड़ का शिकार होते-होते बचे थे।
आंदोलनों की वजह से वे कई बार जेल भी गए। उन्हें अनेक बार गिरफ्तार किया गया, लेकिन न तो कभी आरोपित किया गया, न ही सजा मिली। उन्हें एक बार तो 14 महीने तक जेल में रहना पड़ा। उन्होंने फरवरी 2011 में माओवादियों द्वारा अपहृत पांच पुलिस वालों को छुड़ाने में भी मदद की थी।
हाल के वर्षों में वे धार्मिक सहिष्णुता और अंतर धार्मिक समरसता की प्रशंसनीय आवाज थे। वे अनेक अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस्लाम और मुस्लिम समुदाय को समझने का आह्वान कर चुके थे। उन्होंने आतंकवाद पर होने वाले जनसंवाद में भी दखल दिया था। उनका साफ कहना था कि कुछ लोगों के गलत कामों की वजह से पूरे समुदाय को आरोपित करना गलत है।
कई बार तो वे अपने सिद्धांतों को इतनी चरम भाषा में कहते थे कि मुझ जैसे अनेक उदारवादी भी उनका समर्थन करने में कठिनाई महसूस करते थे। वे कहते थे- ‘मैं अपने, यह कहने के लिए कि अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा आतंकवादी है, शब्दों को बदल नहीं सकता। इस्लाम और कुरान को बदनाम करना आतंकवाद का सबसे खराब रूप है।
अंधविश्वास और कट्टरता के आलोचक रहे अग्निवेश उनके प्रगतिवादी विचारों की वजह से कुछ संगठनों के निशानों पर रहे। इसके बावजूद स्वामी अग्निवेश वह व्यक्ति थे, जिन्होंने अपना जीवन, समय और ऊर्जा अपने सपनों के पीछे लगा दी। मैं उन्हें याद करूंगा। ओम शांति! (ये लेखक के अपने विचार हैं)
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शशि थरूर, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद
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mastereeester · 4 years
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हादसे का शिकार होने से बाल-बाल बचे पप्पू यादव, बाढ़ के पानी में पलटने वाला था ट्रैक्टर Source: Dainik Bhaskar
हादसे का शिकार होने से बाल-बाल बचे पप्पू यादव, बाढ़ के पानी में पलटने वाला था ट्रैक्टर Source: Dainik Bhaskar
जन अधिकार पार्टी के नेता और पूर्व सांसद पप्पू यादव गुरुवार को हादसे का शिकार होने से बाल-बाल बच गए। वह जिस ट्रैक्टर पर सवार होकर बाढ़ पीड़ितों का हाल जानने जा रहे थे वह पलटने लगा। समय रहते ड्राइवर ने ट्रैक्टर को रोक दिया और उसपर सवार पप्पू यादव व अन्य लोग उतर गए।
पानी में डूब गई हैं सड़कें घटना गोपालगंज जिले के बरौली की है। पप्पू यादव बाढ़ प्रभावित इलाके का दौरा करने पहुंचे थे। इस इलाके में गंडक…
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SPORTS STAR: रोड एक्सिडेंट से ऐसे बाल-बाल बचे सुरेश रैना, रेंज रोवर गाड़ी का अचानक टायर फटा
SPORTS STAR: रोड एक्सिडेंट से ऐसे बाल-बाल बचे सुरेश रैना, रेंज रोवर गाड़ी का अचानक टायर फटा
मौसम दिनभर: दिल्ली एनसीआर में तेज धूप और गर्मी रहेगी, रांची में बादल छाए रहेंगे, देहरादून और लखनऊ में हल्की धूंध रहेगी, पटना में शाम को बारिश के आसारसुप्रीम कोर्ट स्कूलों में सुरक्षा को लेकर अभिभावकों की याचिका पर 12.30 बजे सुनवाई करेगा। मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। बिहार के औरंगाबाद की पूर्व सांसद श्यामा सिंह का निधन हो गया। रविवार रात लगभग एक बजे दिल्ली के स्कॉट हॉस्पिटल में…
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shrishri1001 · 7 years
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Yogi Adityanath Biography in Hindi...योगी आदित्यनाथ की जीवनी...Posted on 03.04.2017 By: Deep Singh Yadav उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मूल नाम अजय सिंह बिष्ट है। उनका जन्म 5 जून 1972 को हुआ। योगी जी गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मन्दिर के महन्त एवं  राजनेता हैं तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। इन्होंने 19 मार्च 2017 को प्रदेश के विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की बड़ी जीत के बाद उत्तर प्रदेश के 21वें मुख्यमन्त्री पद की शपथ ली। वे 1998 से लगातार भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं, और 2014 लोकसभा चुनाव में भी यहीं से सांसद चुने गए थे। योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मन्दिर के पूर्व महन्त अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी हैं। ये हिन्दू युवाओं के सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह हिन्दू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं, तथा इनकी छवि कथित तौर पर एक कट्टर हिन्दू नेता की रही है। 5 जून 1972 को उत्तराखण्ड (तत्कालीन उत्तर प्रदेश) के पौड़ी गढ़वाल जिले स्थित यमकेश्वर तहसील के पंचूड़ गाँव के गढ़वाली राजपूत परिवार में योगी आदित्यनाथ का जन्म हुआ। इनके पिता का नाम आनन्द सिंह बिष्ट हैं जो कि एक फॉरेस्ट रेंजर थे, तथा इनकी माँ का नाम सावित्री देवी है। अपनी माता-पिता की सात संतानों में तीन बड़ी बहनों व एक बड़े भाई के बाद ये पाँचवीं संतान हैं एवं इनसे और दो छोटे भाई हैं। इन्होंने 1977 में टिहरी के गजा के स्थानीय स्कूल में पढ़ाई शुरू की व 1987 में यहाँ से दसवीं की परीक्षा पास की। सन् 1989 में ऋषिकेश के श्री भरत मन्दिर इण्टर कॉलेज से इन्होंने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की। 1990 में स्नातक की पढ़ाई करते हुए ये अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े। 1992 में श्रीनगर के हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से इन्होंने गणित में बीएससी की परीक्षा पास की। कोटद्वार में रहने के दौरान इनके कमरे से सामान चोरी हो गया था जिसमें इनके  प्रमाण पत्र भी थे। इस कारण से गोरखपुर से विज्ञान स्नातकोत्तर करने का इनका प्रयास असफल रह गया। इसके बाद इन्होंने ऋषिकेश में पुनः विज्ञान स्नातकोत्तर में प्रवेश तो लिया लेकिन राम मंदिर आंदोलन का प्रभाव और प्रवेश को लेकर परेशानी से उनका ध्यान अन्य ओर बंट गया। 1993 में गणित में एमएससी की पढ़ाई के दौरान गुरु गोरखनाथ पर शोध करने ये गोरखपुर आए और गोरखपुर प्रवास के दौरान ही ये महंत अवैद्यनाथ के संपर्क में आए थे जो इनके पड़ोस के गाँव के निवासी और परिवार के पुराने परिचित थे। अंततः ये महंत की शरण में ही चले गए और दीक्षा ले ली। 1994 में ये पूर्ण संन्यासी बन गए, जिसके बाद इनका नाम अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ हो गया। योगी आदित्यनाथ 12 सितंबर 2014 को गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महन्त अवैद्यनाथ के निधन के बाद  यहाँ के महंत बने। 2 दिन बाद उन्हें नाथ पंथ के पारंपरिक अनुष्ठान के अनुसार मंदिर का पीठाधीश्वर बनाया गया। सबसे पहले 1998 में योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े और जीत गए। तब इनकी उम्र केवल 26 वर्ष थी। वे बारहवीं लोक सभा (1998-99) के सबसे युवा सांसद थे। 1999 में ये गोरखपुर से पुनः सांसद चुने गए। अप्रैल 2002 में इन्होंने हिन्दू युवा वाहिनी बनायी। 2004 में तीसरी बार लोकसभा का चुनाव जीता। 2009 में ये 2 लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर लोकसभा पहुंचे। 2014 में पांचवी बार एक बार फिर से दो लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर ये सांसद चुने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत मिला, इसके बाद उत्तर प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए। इसमें योगी आदित्यनाथ से काफी प्रचार कराया गया, लेकिन परिणाम निराशाजनक रहा। 2017 में विधानसभा चुनाव में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने योगी आदित्यनाथ से पूरे राज्य में प्रचार कराया। इन्हें एक हेलीकॉप्टर भी दिया गया। 19 मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश के बीजेपी विधायक दल की बैठक में योगी आदित्यनाथ को विधायक दल का नेता चुनकर मुख्यमंत्री पद सौंपा गया। योगी आदित्यनाथ के भारतीय जनता पार्टी के साथ रिश्ता एक दशक से ज्यादा पुराना है। वह पूर्वी उत्तर प्रदेश में अच्छा खासा प्रभाव रखते हैं। इससे पहले उनके पूर्वाधिकारी तथा गोरखनाथ मठ के पूर्व महन्त, महन्त अवैद्यनाथ भी भारतीय जनता पार्टी से 1991 तथा 1996 का लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। योगी आदित्यनाथ सबसे पहले 1998 में गोरखपुर से चुनाव भाजपा प्रत्याशी के तौर पर लड़े और तब उन्होंने बहुत ही कम अंतर से जीत दर्ज की। लेकिन उसके बाद हर चुनाव में उनका जीत का अंतर बढ़ता गया और वे 1999, 2004, 2009 तथा 2014 में सांसद चुने गए। इन्होंने अप्रैल 2002 मे हिन्दू युवा वाहिनी बनायी। 7 सितम्बर 2008 को योगी आदित्यनाथ पर आजमगढ़ में जानलेवा हिंसक हमला हुआ था। इस हमले में वे बाल-बाल बचे। यह हमला इतना बड़ा था कि सौ से भी अधिक वाहनों को हमलावरों ने घेर लिया और लोगों को लहूलुहान कर दिया। योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर दंगों के दौरान तब गिरफ्तार किया गया जब मुस्लिम त्यौहार मोहर्रम के दौरान फायरिंग में एक हिन्दू युवा की जान चली गयी। जिलाधिकारी ने बताया कि वह बुरी तरह जख्मी है। तब अधिकारियों ने योगी को उस जगह जाने से मना कर दिया परन्तु योगी आदित्यनाथ उस जगह पर जाने को अड़ गए। तब उन्होंने शहर में लगे कर्फ्यू को हटाने की माँग की थी। अगले दिन उन्होंने शहर के मध्य श्रद्धाञ्जलि सभा का आयोजन करने की घोषणा की लेकिन जिलाधिकारी ने इसकी अनुमति देने से मना कर दिया। आदित्यनाथ ने भी इसकी चिंता नहीं की और हजारों समर्थकों के साथ अपनी गिरफ़्तारी दी। योगी आदित्यनाथ को सीआरपीसी की धारा 151A, 146, 147, 279, 506 के तहत जेल भेज दिया गया। उन पर कार्यवाही का असर हुआ कि मुंबई-गोरखपुर गोदान एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे फूंक दिए गए, जिसका आरोप उनके संगठन हिन्दू युवा वाहिनी पर लगाया गया। यह दंगे पूर्वी उत्तर प्रदेश के छह जिलों और तीन मंडलों में भी फैल गए। उनकी गिरफ़्तारी के अगले दिन जिलाधिकारी हरि ओम और पुलिस प्रमुख राजा श्रीवास्तव का तब���दला हो गया। कथित रूप से योगी आदित्यनाथ के ही दबाव के कारण मुलायम सिंह यादव की उत्तर प्रदेश सरकार को यह कार्यवाही करनी पड़ी। योगी धर्मांतरण के खिलाफ और घर वापसी के लिए काफी चर्चा में रहे। 2005 में योगी आदित्यनाथ ने कथित तौर पर 1800 ईसाइयों का शुद्धीकरण कर हिन्दू धर्म में शामिल कराया। ईसाइयों के इस शुद्धीकरण का काम उत्तर प्रदेश के एटा जिले में किया गया था। योगी आदित्यनाथ ने रविवार, 19 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। शपथ समारोह लखनऊ के कांशीराम स्मृति उपवन में हुआ। इनके साथ दो उप-मुख्यमंत्री भी बनाये गए हैं। उत्तर प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में पहली बार दो उप-मुख्यमंत्री बने हैं। समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और पार्टी के कई वरिष्ठ नेता शामिल हुये। मंच पर अखिलेश यादव और मुलायम सिंह भी मौजूद रहे।
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