#बांझपन क्या है?
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gaudiumivf · 9 months ago
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Infertility Meaning in Hindi: बांझपन क्या है? प्रजनन तंत्र की एक स्थिति है जिसके कारण महिलाएं गर्भ धारण करने में असमर्थ हो जाती हैं। यदि आपकी उम्र 35 वर्ष से कम है, तो आपका डॉक्टर गर्भधारण करने की कोशिश के एक वर्ष (12 महीने) के बाद बांझपन का निदान कर सकता है।
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drritabakshiivf · 24 days ago
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drsunildubeyclinic · 3 days ago
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Best Sexologist Patna Bihar Pitta Dosha Sexual Problems Treatment
क्या आप पित्त दोष के असंतुलन या इसकी अधिकता होने के कारण अपनी यौन समस्याओं से जूझ रहे हैं? वास्तव में, पित्त हमारे शरीर में गर्मी, परिवर्तन और चयापचय से जुड़ा हुआ तत्व है। यह हमारे शरीर में सभी यौन हार्मोन (टेस्टोस्टेरोन व एंड्रोजन) को भी नियंत्रित करता है। जब व्यक्ति के शरीर में पित्त असंतुलित या अधिक मात्रा में एकत्रित हो जाता है, तो यह शरीर में सूजन, जलन और संवेदनशी��ता के उच्च स्तर को जन्म दे सकता है।
पित्त दोष के असंतुलन के बारे में, बहुत सारे लोगो का अपनी-अपनी राय है। हमारे विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य डॉ. सुनील दुबे, जो पटना में सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर हैं, का कहना हैं कि पित्त दोष का उच्च स्तर किसी व्यक्ति के उसके यौन स्वास्थ्य को पूरी तरह से प्रभावित करता है, जिससे वह अपने जीवन गर्मी और चुभन का अनुभव कर सकता है। पित्त की अधिकता व्यक्ति के प्रजनन ऊतकों के नाजुक संतुलन को बाधित कर सकता है। यह शरीर में व्यक्ति के हार्मोनल फ़ंक्शन और भावनात्मक भलाई को भी प्रभावित कर सकता है। जैसा कि हम जानते हैं कि एक संरचनात्मक व सफल यौन गतिविधि में हार्मोनल संतुलन और भावनात्मक कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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भारत का यह सीनियर सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर कामुकता, गुप्त व यौन रोग, शरीर रचना विज्ञान, यौन व्यवहार, यौन इच्छा और लिंग-पहचान के अध्ययन में विशेषज्ञ हैं। वे सेक्सोलॉजी मेडिसिन और सेक्सोलॉजिस्ट पेशे में विशेषज्ञता रखने वाले एक उच्च व योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक हैं। वह दुबे क्लिनिक में आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति के समग्र दृष्टिकोण के तहत सभी तरह के गुप्त व यौन रोग का पूर्णकालिक उपचार प्रदान करते हैं। उनका कहना है कि कुछ सामान्य यौन रोग हैं जो शरीर में असंतुलित पित्त से जुड़े हैं, वे निम्नलिखित है:
शरीर में असंतुलित पित्त होने के कारण सामान्य यौन समस्याए��:
शीघ्रपतन का होना।
यौन हार्मोन का असंतुलन।
बांझपन की समस्याएँ।
यौन प्रदर्शन की चिंता।
जननांगों में सूजन।
यौन इच्छा में निराशा या असंतोष।
यौन क्रिया में जलन व चुभन।
शरीर में पित्त दोष को संतुलित करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार:
बिहार के सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर में से एक, आयुर्वेदाचार्य डॉ सुनील दुबे, कहते हैं कि आयुर्वेद व इसकी प्राकृतिक श्रोत संभवतः गुप्त व यौन समस्याओं की एक पूरी श्रृंखला से निपटने के लिए सबसे सुरक्षित और पूर्णकालिक प्रभावी चिकित्सा व उपचार की प्रणाली है। यह यौन समस्याओं को सुधारने और समग्र स्वास्थ्य चिंताओं का ख्याल रखने के लिए प्राकृतिक स्रोत प्रदान करता है। वे दुबे क्लिनिक में नित्य-दिन अभ्यास करते हैं और वात, पित्त या कफ दोष से प्रभावित हर तरह के गुप्त व यौन रोगी को अपना व्यापक चिकित्सकीय रूप से सिद्ध आयुर्वेदिक उपचार प्रदान करते हैं।
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अपने उपचार, शोध, व अनुभव के आधार पर; उनका मानना है कि आयुर्वेदिक उपचार का उद्देश्य शरीर के सभी दोषों को शांत कर सम्पूर्ण शरीर में सामंजस्य स्थापित करना होता है। यहाँ, असंतुलित पित्त दोष के मामले में, वे व्यक्ति के संपूर्ण यौन समस्याओं से निपटने के लिए चिकित्सकीय रूप से सिद्ध आयुर्वेदिक दवा, आहार परिवर्तन सलाह, जीवनशैली मार्गदर्शन और महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश प्रदान करते हैं। चूंकि वे 35 वर्षों से इस आयुर्वेदिक सेक्सोलॉजिस्ट पेशे से जुड़े हुए हैं, इसलिए उनका अनुभव और उपचार की सटीकता लगभग हर प्रकार के गुप्त व यौन रोगी को एक सुरक्षित और पूर्णकालिक विश्वसनीय उपचार प्रदान करती है। निश्चित रूप से, उनकी आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार रामबाण का काम करती है।
अगर आप अपने किसी भी गुप्त व यौन समस्या के निदान हेतु दुबे क्लिनिक से जुड़ना चाहते हैं तो फोन पर अपॉइंटमेंट बुक करें और समय पर क्लिनिक जाएँ। हर दिन, लगभग सौ से अधिक लोग परामर्श लेने के लिए दुबे क्लिनिक से फोन पर संपर्क करते हैं। दरअसल, वे इस क्लिनिक में लगभग पैतीस से चालीस लोगों का इलाज करते हैं और उन्हें परेशानी मुक्त वातावरण, गोपनीय उपचार और परामर्श प्रदान करते हैं। सही सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर का चुनाव, व स्व-जागरूकता आपको इस यौन समस्या से निजात दिलाता है।
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दुबे क्लिनिक
भारत का प्रमाणित आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी क्लिनिक
डॉ. सुनील दुबे, विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य व सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर
बी.ए.एम.एस. (रांची), एम.आर.एस.एच. (लंदन), आयुर्वेद में पी.एच.डी. (यू.एस.ए.)
भारत गौरव और अंतर्राष्ट्रीय आयुर्वेद रत्न अवार्ड से सम्मानित
सेक्सोलॉजिस्ट पेशे में 35 वर्षों का अनुभव
दुबे क्लिनिक में पूर्णकालिक कार्य (08:00 पूर्वाह्न से 08:00 अपराह्न तक)
!!!हेल्पलाइन: +91-98350-92586!!!
वेन्यू: दुबे मार्केट, लंगर टोली, चौराहा, पटना-04
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livetimesnewschannel · 1 month ago
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Surrogacy Trends: Answers To All Your Questions About The Process
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Introduction
सरोगेसी एक ऐसी व्यवस्था है, जिसके तहत एक महिला किसी अन्य व्यक्ति या परिवार के लिए गर्भधारण करती है और बच्चे को जन्म देती है. जन्म के बाद बच्चे को कानूनी रूप से अपनाया जाता है. लोग कई वजहों से सरोगेसी का सहारा लेते हैं, जैसे कि बांझपन, गर्भावस्था में खतरा या गर्भधारण ना कर पाना. इसके बाद किसी ऐसी महिला को चुना जाता है जो उनके बच्चे को जन्म दे सके. बच्चे को जन्म देने वाली महिला को सरोगेट मदर कहा जाता है. बच्चे की कस्टडी लेने वाले व्यक्ति को कमीशनिंग माता-पिता कहा जाता है. सरोगेट माताओं को आमतौर पर एजेंसियों के जरिए बच्चे की इच्छा रखने वाले माता-पिता से मिलवाया जाता है. सेरोगेट मदर के मिल जाने से लेकर बच्चा होने तक की सभी प्रक्रियाओं में ये कपल पूरी तरह से शामिल होता है.
Table Of Content
कई वजह से लोग अपनाते हैं सरोगेसी
क्या है सरोगेसी ?
कितने तरीके की होती है सरोगेसी ?
वेबएमडी की रिपोर्ट ने किया खुलासा
जेस्टेशनल सरोगेसी की प्रक्रिया है कठिन
कौन सी महिला बन सकती है सरोगेट मां
सरोगेसी की प्रक्रिया
क्या भीरत में लीगल है सरोगेसी?
क्या है भारत में सरोगेसी के अधिनियम ?
सरोगेसी बिल 2019
सरोगेसी की अनुमति कब दी जाती है?
क्या है सरोगेट बनने के लिए योग्यता?
सरोगेसी कानून की कुछ अन्य बारीकियां
कितना होता है खर्च?
बॉलीवुड के इन कपल्स ने उठाई सरोगेसी की सुविधा
सरोगेसी पर बॉलीवुड में बनी हैं कई फिल्में
कई वजह से लोग अपनाते हैं सरोगेसी
सरोगेसी व्यवस्था में पैसों का मुआवजा भी शामिल हो सकता है और नहीं भी. व्यवस्था के लिए पैसे प्राप्त करना कमर्शियल सरोगेसी कहलाती है. आपको बता दें कि हमारे देश में भी कई जानी-मानी हस्तियों ने सरोगेसी के जरिए अपना माता-पिता बनने का सपना पूरा किया है.
क्या है सरोगेसी ?
पिछले कुछ सालों में सरोगेसी शब्द महिलाओं और आम लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है या कहें कि खूब सुनने को मिल रहा है. इस कड़ी में साल 2022 में इस शब्द को सबसे ज्यादा गूगल भी किया गया. देश में कुछ लोगों को सरोगेसी के बारे में जानकारी है, लेकिन अब भी ज्यादाकर लोग इस शब्द से अनजान हैं. सरोगेसी शब्द अचानक उस समय लोकप्रिय हो गया जब एक के बाद एक बॉलीवुड के कई सितारे इसके जरिए मां-बाप बने. सरोगेसी के जरिए प्रियंका चोपड़ा, शाहरुख खान, आमिर खान, करण जोहर, शिल्पा शेट्टी, प्रीति जिंटा जैसे कई बड़े स्टार्स माता-पिता बन चुके हैं. सरल शब्दों में अगर इसे समझाएं तो अपनी पत्नी के अलावा किसी दूसरी महिला की कोख में अपने बच्चे को पालना सरोगेसी कहलाता है.
कितने तरीके की होती है सरोगेसी ?
आमतौर पर सरोगेसी दो प्रकार की होती है. इसमें ट्रेडिशनल सरोगेसी और जेस्टेशनल सरोगेसी शामिल है. आइए जानतें हैं दोनों के बीच में क्या अंतर हैं.
ट्रेडिशनल सरोगेसी: ट्रेडिशनल सरोगेसी में डोनर या पिता के शुक्राणु को सेरोगेट मदर के अंडाणु से मैच कराया जाता है. इसके बाद डॉक्टर कृत्रिम तरीके से सरोगेट महिला के कर्विक्स, फैलोपियन ट्यूब्स या यूटेरस में स्पर्म को सीधे प्रवेश कराते हैं. इससे प्रक्रिया के दौरान स्पर्म बिना किसी परेशानी के महिला के यूटेरस में पहुंच जाता है. इस प्रक्रिया में बच्चे की बायोलॉजिकल मदर सरोगेट मदर ही होती है. यानी जिसकी कोख किराए पर ली गई है. अगर होने वाले पिता का स्पर्म इस्तेमाल नहीं किया जाता तो किसी डोनर के स्पर्म का भी इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इस स्थिति में पिता का बच्चे के साथ जेनेटिकली रिलेशन नहीं होता है. इस टर्म को ट्रेडिशनल या पारंपरिक सरोगेसी कहा जाता है. 
जेस्टेशनल सरोगेसी: भारत में जेस्टेशनल सरोगेसी ज्यादा प्रचलन में है. इसमें माता-पिता के शुक्राणु और अंडाणु को मिलाकर सेरोगेट मदर की कोख में रखा जाता है. इस प्रक्रिया में सरोगेट मदर केवल बच्चे को जन्म देती है, उसका बच्चे से जेनेटिकली रिलेशन नहीं होता है. बच्चे की मां सरोगेसी कराने वाली महिला ही होती है. बता दें कि इसमें पिता के स्पर्म और माता के ��ग्स का मेल डोनर के स्पर्म और एग्स का मेल टेस्ट ट्यूब कराने के बाद इसे सरोगेट मदर के यूटेरस में ट्रांसप्लांट किया जाता है.
वेबएमडी की रिपोर्ट ने किया खुलासा
अमेरिका में स्थापित वेबएमडी के मुताबिक जेस्टेशनल सरोगेसी कानूनी रूप से कम कठिन है, क्योंकि इसमे माता-पिता दोनों के बच्चे के साथ जेनेटिकली रिलेशन होते हैं. पारंपरिक सरोगेसी की तुलना में जेस्टेशनल सरोगेसी अधिक आम हो गई है. इसकी सबसे बड़ी वजह है जेनेटिकली रिलेशन. जेस्टेशनल सरोगेसी का उपयोग करके अमेरिका में हर साल करीब 750 बच्चे पैदा होते हैं.
जेस्टेशनल सरोगेसी की प्रक्रिया है कठिन
यहां बता दें कि जेस्टेशनल सरोगेसी की मेडिकल प्रक्रिया थोड़ी कठिन होती है. इसमें आईवीएफ का तरीका अपनाकर भ्रूण बनाया जाता है और फिर उसे सरोगेट महिला में ट्रांसफर किया जाता है. हालांकि, आईवीएफ का यूज ट्रेडिशनल सरोगेसी में भी हो सकता है लेकिन ज्यादातर मामलों में आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन ही अपनाया जाता है. इस प्रक्रिया में ज्यादा परेशानी नहीं होती. इसमें सरोगेट महिला को अलग-अलग तरहों की जांच से छुटकारा मिल जाता है और ट्रीटमेंट भी नहीं कराना पड़ता.
कौन सी महिला बन सकती है सरोगेट मां
सरोगेसी में रुचि रखने वाले अधिकांश कपल प्रक्रिया और इलाज की लागत पर चर्चा करने के लिए सरोगेसी एजेंसी से मिलते हैं. एजेंसी उन्हें जेस्टेशनल कैरियर से मिलाने में मदद करती है. होने वाले माता-पिता और कैरियर के बीच कानूनी समझौते स्थापित करने में भी मदद करती हैं. कुछ कपल अपनी जनरेशन को आगे बढ़ाने के लिए अपने परिवार के सदस्यों या दोस्तों को कैरियर के रूप में चुनते हैं. सरोगेट मदर वह महिला बन सकती है जो विवाहित हो या तलाकशुदा हो. कुंवारी महिलाओं इसके लिए वैध्य नहीं हैं. इसके साथ ही चुनी गई महिला का कम से कम एक बच्चा पहले से ही हो. भारतीय अधिनियमों के तहत सरोगेट मदर बनने वाली महिला भारत की नागरिक होनी चाहिए और उस महिला की उम्र 25 से 35 वर्ष के अंदर होनी चाहिए. इसके साथ ही डॉक्टरों ने उस महिला को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ बताया हो.
सरोगेसी की प्रक्रिया
सरोगेसी की प्रक्रिया थोड़ी कठिन होती है. इस प्रक्रिया से गुजरने के लिए सबसे पहले लीगल एग्रीमेंट से गुजरना होता है. सबसे पहले सरोगेट चाइल्ड की इच्छा रखने वाले माता-पिता और सरोगेट मदर के बीच एक लीगल एग्रीमेंट बनवाया जाता है. इसमें सरोगेसी से जुड़ी सारी शर्तें लिखी जाती हैं, जैसे कि सरोगेट मदर सिर्फ बच्चे को अपने गर्भ में रखेगी और उसके जन्म के बाद उसे उनके लीगल पेरेंट को सौंपना होगा. इस एग्रीमेंट में सरोगेट मदर की फीस भी लिखी होती है.
एंब्रियो ट्रांसफर
इस चरण में अंडे और स्पर्म को साथ लेकर फर्टिलाइज कराया जाता है. जब वह एंब्रियो में परिवर्तित हो जाता है, तो उसे सरोगेट मदर के गर्भ में ट्रांसफर कर दिया जाता है.
गर्भावस्था और प्रसव
एंब्रियो ट्रांसफर के कुछ समय के बाद महिलाएं गर्भ धारण कर लेती हैं और इसके कुछ समय के बाद वह प्राकृतिक रूप से एक बच्चे को जन्म भी देती है. बच्चे की इच्छा रखने वाले माता-पिता हमेशा एक स्वस्थ सरोगेट मदर की खोज में ��ोते हैं, क्योंकि वह स्वस्थ संतान की इच्छा रखते हैं.
पेरेंट को बच्चे को सौंपना
एग्रीमेंट की तर्ज पर बच्चे के जन्म के बाद उसे इंटेंडेड पेरेंट को सौंप दिया जाता है और उसी दौरान सरोगेट मदर की पूरी फीस भी दे दी जाती है.
क्या भीरत में लीगल है सरोगेसी?
गौरतलब है कि कई देशों में सरोगेसी को अवैध माना जाता है. हालांकि, भारत की बात करें तो, यहां सरोगेसी मान्य है. लेकिन इसे लेकर कुछ नियम कानून भी हैं, जिनका पालन करना बेहद जरूरी है. इसे लेकर नियम कानून हाल ही में लाए गए हैं, वो भी इसलिए क्योंकि सरोगेसी को लोग व्यवसायिक रूप न दे सकें और इसका यूज जरूरतमंद कपल ही उठा सकें. भारत सरकार ने सरोगेसी के नियम कानून में बदलाव किए और इसे सख्त बनाया.
क्या है भारत में सरोगेसी के अधिनियम ?
सरोगेसी बिल 2019
सरोगेसी को अवैध रूप से रोकने के लिए सरोगेसी बिल का प्रस्ताव साल 2019 में रखा गया था. उस दौरान लोकसभा में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने इस बिल को पेश किया था. इस बिल में नेशनल सरोगेसी बोर्ड, स्टेट सरोगेसी बोर्ड के गठन की बात कही गई है. वहीं, इस बिल में सरोगेसी की निगरानी करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की नियुक्ति करने का भी प्रावधान है. सरोगेसी की अनुमति सिर्फ उन कपल्स को दी जाती है जो विवाहित हैं. इन सुविधाओं को लेने के लिए कई शर्तें पूरी करनी होती है. जैसे जो महिला सरोगेट मदर बनने के लिए तैयार होगी, उसकी सेहत और सुरक्षा का ध्यान सरोगेसी की सुविधा लेने वाले को रखना होगा. सरोगेसी बिल 2019 व्यावसायिक सरोगेसी पर रोक लगाता है, लेकिन स्वार्थहीन सरोगेसी की अनुमति देता है. निस्वार्थ सरोगेसी में गर्भावस्था के दौरान चिकित्सा में खर्चे और बीमा कवरेज के अलावा सरोगेट मां को किसी तरह का पैसा या मुआवजा नहीं दिया जाता. वहीं, कमर्शियल सरोगेसी में, चिकित्सा पर आए खर्च और बीमा कवरेज के साथ पैसा या फिर दूसरी तरह की सुविधाएं दी जाती.
सरोगेसी की अनुमति कब दी जाती है?
सरोगेसी की अनुमति उन कपल्स को दी जाती है जो जो इन्फर्टिलिटी से जूझ रहे हों. इसके अलावा जिन कपल्स का इससे कोई स्वार्थ न जुड़ा हो. इसके अलावा बच्चों को बेचने, देह व्यापार या अन्य प्रकार के शोषण के लिए सरोगेसी न की जा रही हो और जब कोई किसी गंभीर बीमारी से गुजर रहा हो, जिसकी वजह से गर्भधारण करना मुश्किल हो रहा हो.
क्या है सरोगेट बनने के लिए योग्यता?
सरोगेट बनने के लिए एलिजिबल होती है. इसके लिए महिला की उम्र 25 से 35 साल के बीच होनी चाहिए. वह शादीशुदा होनी चाहिए और उसके पास अपने खुद के बच्चे भी होने चाहिए. इसके अलावा वो पहली बार सरोगेट होनी चाहिए. भारत में सरोगेट बस एक बार ही बन सकती है. इन सबके के अलावा महिला मानसिक रूप से फिट होनी चाहिए. एक बार दंपति और सरोगेट ने अपना प्रमाण पत्र प्राप्त कर लिया, तो वे भ्रूण स्थानांतरण के लिए सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी केंद्र से संपर्क कर सकते हैं. कानून की मानें तो सरोगेट मां और दंपति को अपने आधार कार्ड को लिंक करना होता है. यह व्‍यवस्‍था में शामिल व्‍यक्तियों के बायोमेट्रिक्‍स का पता लगाने में मदद करेगा, जिससे धोखाधड़ी की गुंजाइश कम हो जाएगी.
सरोगेसी कानून की कुछ अन्य बारीकियां
भारतीय विवाह अधिनियम गे कपल्स की शादी को मान्यता नहीं देता है. इसलिए, समलैंगिक जोड़े बच्चे पैदा करने के लिए सरोगेसी का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. एक बार कॉन्ट्रैक्ट होने के बाद महिला इससे इन्कार नहीं कर सकती है और न ही अपनी मर्जी से गर्भ को खत्म कर सकती है. कानून कहता है कि सरोगेसी प्रोसेस में भ्रूण से मां बाप का रिश्ता होना जरूरी है, या तो पिता से हो मां से हो या फिर दोनों से.
यहां बता दें कि अगर भारतीय कपल्स देश के बाहर सरोगेसी की सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं तो, इससे पैदा होने वाले बच्चे को भारतीय नागरिक के रूप में मान्यता नहीं दी जाएगी.
सरोगेसी से जन्मे बच्चे 18 वर्ष के होने पर यह जानने के अधिकार का दावा कर सकते हैं कि वे सरोगेसी से पैदा हुए हैं. वे सरोगेट मां की पहचान का पता लगाने का भी अधिकार रखते हैं.
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कितना होता है खर्च?
सरोगेसी करवाने का कोई फिक्स अमाउंट नहीं होता. कपल अपने बच्चे को जितना स्वस्थ चाहते हैं उस हिसाब से वह सरोगेट मदर की अच्छी देखभाल और रेगुलर चेकअप पर होने वाले खर्चे के हिसाब से इस प्रक्रिया पर खर्चा होता है. सरोगेट मदर के खानपान, रेगुलर चेकअप से लेकर बच्चे के पैदा होने तक जो भी खर्चा आता है वो सब इस प्रक्रिया में शामिल होता है. इसमे सरोगेसी मदर को भी पैसा दिया जाता है. सरोगेसी के लिए एक कॉन्ट्रैक्ट होता है जिसमें खर्चे से संबंधित सभी बातें लिखी हुई होती हैं.
बॉलीवुड के इन कपल्स ने उठाई सरोगेसी की सुविधा
एक्ट्रेस सनी ल्योनी तीन बच्चों की मां हैं. उन्होंने सबसे पहले एक बच्ची को गोद लिया था, जिसे अक्सर सनी के साथ देखा जाता है. इसके अलावा सनी सेरोगेसी की मदद से दो जुड़ावा बच्चों की मां बनी हैं, जिनके नाम अशर सिंह वेबर और नोहा सिंह वेवर हैं. सनी और उनके पति डेनियल साल 2018 में इन बच्चों के पेरेंट्स बने थे.
बॉलीवुड के किंग शाहरुख खान भी 3 बच्चों के पिता हैं. उनके बड़े बेटे का नाम आर्यन है और बेटी का नाम सुहाना. बता दें कि शाहरुख के तीसरे बेटे अबराम का जन्म सरोगेसी के जरिए हुआ है. साल 2013 में शाहरुख अबराम के पिता बने थे.
बालाजी प्रोड्क्शन की मालकिन एकता कपूर भी सेरोगेसी की मदद से मां बनीं. एकता एक सिंगल पेरेंट हैं. एकता के बच्चे का नाम रवि है.
आमिर खान और उनकी पत्नि किरण राव साल 2011 में सेरेगेसी की मदद से एक बच्चे के ��ाता-पिता बने. आमिर ने अपने छोटे बेटे का नाम आजाद राव खान रखा है.
इस लिस्ट में ��्रीति जिंटा का नाम भी शामिल है. प्रीति सेरेगेसी की मदद से जुड़वा बच्चों की मां बन चुकी हैं. उन्होंने दोनों बच्चों के नाम जय और जिया रखे हैं.
बॉलीवुड की देसी गर्ल प्रियंका चोपड़ा हिंदी सिनेमा के साथ हॉलीवुड में भी अपने अभिनय से खूब नाम कमा रही हैं. यहां बता दें कि प्रियंका चोपड़ा और उनके पति निक जोनस सरोगेसी की मदद से पेरेंट्स बने हैं. अभिनेत्री ने 21 जनवरी, 2022 को सोशल मीडिया पर इस बात की आधिकारिक घोषणा की थी.
सरोगेसी पर बॉलीवुड में बनी हैं कई फिल्में
सरोगेसी एक ऐसा विषय है, जिस पर अक्सर चर्चा होती है. सरोगेसी पर बॉलीवुड में कई फिल्में बनी हैं. इनमें साल 1983 में आई ‘दूसरी दुल्हन’ से लेकर कृति सेनन की फिल्म ‘मिमी’ तक का नाम शामिल है. इन फिल्‍मों ने मनोरंज के साथ-साथ समाज को हमेशा एक नई सोच देने की कोश‍िश की है. बदलते समाज में सरोगेसी एक ऐसी जरूरत बन गई है, जिसे लेकर सरकार ने भी कई कदम उठाए हैं.
‘दूसरी दुल्हन’
‘दूसरी दुल्हन’ साल 1983 में रिलीज हुई थी. इस फिल्म में विक्टर बनर्जी और शर्मिला टैगोर मुख्य भूमिका में थे. फिल्म में शबाना आजमी ने कमाठीपुरा की एक वेश्या का किरदार निभाया था. इस फिल्म में शबाना आजमी सरोगेट मां का किरदार निभाया था.
‘चोरी चोरी चुपके चुपके’
फिल्म ‘चोरी चोरी चुपके चुपके’ में सलमान खान और रानी मुखर्जी एक कपल के रूप में नजर आए थे. इस फिल्म में प्रीति जिंटा ने सरोगेट मां का किरदार निभाया है. इस फिल्‍म का डायरेक्‍शन अब्‍बास-मुस्‍तान ने किया था. फिल्‍म 9 मार्च, 2001 को रिलीज हुई थी.
‘फिलहाल’
साल 2002 में रिलीज हुई फिल्‍म ‘फिलहाल’ भी सरोगेसी पर आधारित है. इस फिल्‍म में सुष्‍म‍िता सेन ने सरोगेट मां का किरदार निभाया है.
‘गुड न्यूज’
करीना कपूर, अक्षय कुमार, कियारा आडवाणी, दिलजीत दोसांझ की फिल्म ‘गुड न्यूज’ वैसे तो आईवीएफ पर है, लेकिन कहानी में हालात ऐसे बनते हैं कि दोनों महिलाएं सेरोगेट मदर बन जाती हैं.
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‘मिमी’
बॉलिवुड एक्ट्रेस कृति सेनन की फिल्म ‘मिमी’ भी सरोगेट मदर की कहानी दिखाती है. फिल्‍म में कृति के साथ पंकज त्र‍िपाठी भी अहम भूमिका में हैं.
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fertilityvins · 2 months ago
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प्रोलैक्टिन क्या है? जानें इसके लक्षण, कारण और उपचार
प्रोलैक्टिन एक हार्मोन है जिसे पिट्यूटरी ग्रंथि (मस्तिष्क के आधार पर स्थित) द्वारा स्रावित किया ��ाता है। यह मुख्य रूप से स्त्रियों में दूध उत्पादन को नियंत्रित करता है और गर्भावस्था व स्तनपान के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पुरुषों में भी यह हार्मोन पाया जाता है, जहां इसका स्तर कम रहता है। प्रोलैक्टिन का असामान्य स्तर शरीर में कई समस्याएं उत्पन्न कर सकता है, जैसे अनियमित मासिक धर्म, बांझपन, या पुरुषों में यौन समस्याएं।
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theenduvascularexpert · 3 months ago
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जयपुर में इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी और वैरिकोसेले उपचार
इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी (आईआर) चिकित्सा का एक अग्रणी क्षेत्र है जो विभिन्न स्थितियों के लिए न्यूनतम आक्रामक समाधान पेश करता है। जयपुर में, डॉ. निखिल बंसल, एक प्रसिद्ध इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट, वैरिकोसेले और वैरिकोज़ वेन्स जैसे उन्नत उपचारों में अपनी विशेषज्ञता के लिए जाने जाते हैं। यह लेख उनके नवीन दृष्टिकोणों और उनसे मिलने वाले लाभों पर प्रकाश डालता है।
जयपुर में इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी को समझना  ( Understanding Interventional Radiology in Jaipur)
इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी शरीर के अंदर छोटे उपकरणों का मार्गदर्शन करने के लिए ( अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे और सीटी स्कैन ) जैसी इमेजिंग तकनीकों का उपयोग करती है, जो न्यूनतम डाउनटाइम के साथ सटीक उपचार प्रदान करती है। यह वैरिकोसेले और वैरिकोज़ नसों जैसी संवहनी स्थितियों के लिए विशेष रूप से प्रभावी है, जिससे रोगियों के लिए वैयक्तिकृत समाधान सक्षम होते हैं। जयपुर स्थित डॉ. निखिल बंसल ने आधुनिक प्रौद्योगिकियों और दयालु उपचार प्रोटोकॉल के साथ इस क्षेत्र में उन्नत देखभाल की पेशकश के लिए प्रतिष्ठा स्थापित की है।
वैरिकोसेले क्या है? ( What Is Varicocele? ) 
वैरिकोसेले एक ऐसी स्थिति है जो अंडकोश में बढ़ी हुई नसों द्वारा चिह्नित होती है, जो खराब वाल्व के कारण होती है जो रक्त प्रवाह में बाधा डालती है। इसके परिणामस्वरूप अक्सर निम्नलिखित लक्षण उत्पन्न होते हैं:
अंडकोश में दर्द
वीर्य की गुणवत्ता में कमी
गंभीर मामलों में बांझपन
15-40 वर्ष की आयु के पुरुष सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। जयपुर में कई मरीज़ डॉ. बंसल से विशेषज्ञ देखभाल चाहते हैं, जो ��ैरिकोसेले के लिए गैर-सर्जिकल और न्यूनतम इनवेसिव उपचार पर जोर देते हैं।
गैर-सर्जिकल वैरिकोसेले उपचार (Non-Surgical Varicocele Treatment) पारंपरिक उपचार अक्सर खुली सर्जरी पर निर्भर होते हैं, लेकिन इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी एक कम आक्रामक विकल्प प्रदान करती है। एम्बोलिज़ेशन जैसी प्रक्रियाओं के माध्यम से, डॉ. बंसल समस्याग्रस्त नसों में रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध करके वैरिकोसेले का प्रभावी ढंग से इलाज करते हैं। यह तकनीक महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करती है:
कोई बड़ा चीरा नहीं
कम पुनर्प्राप्ति समय
लक्षणों से राहत और प्रजनन क्षमता में सुधार में उच्च सफलता दर
 वैरिकाज़ नसों का उपचार  ( Varicose Veins Treatments )
वैरिकाज़ नसें, इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी का एक अन्य केंद्र, मुड़ी हुई और सूजी हुई नसें हैं जो आमतौर पर पैरों में पाई जाती हैं। इनसे असुविधा, दर्द और यहां तक ​​कि अल्सर जैसी जटिलताएं भी हो सकती हैं। डॉ. निखिल बंसल स्थिति की गंभीरता के अनुरूप उपचार की एक श्रृंखला प्रदान करते हैं।
उन्नत उपचार विकल्प  ( Advanced Treatment Options )
स्क्लेरोथेरेपी: एक न्यूनतम आक्रामक प्रक्रिया जिसमें छोटी नसों को ढहाने और फीका करने के लिए इंजेक्शन का उपयोग किया जाता है।
एंडोवेनस लेजर एब्लेशन (ईवीएलए): बड़ी नसों को सील करने के लिए लेजर ऊर्जा का उपयोग करना, ईवीएलए एक त्वरित, प्रभावी और सुरक्षित विकल्प है।
रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन (आरएफए): ईवीएलए के समान, आरएफए वैरिकाज़ नसों के इलाज के लिए रेडियो तरंगों द्वारा उत्पन्न गर्मी का उपयोग करता है। यह तेजी से ठीक होने वाली बड़ी नसों के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है।
जीवनशैली में बदलाव: जीवनशैली में बदलाव जैसे वजन प्रबंधन, व्यायाम और कंप्रेशन स्टॉकिंग्स का संयोजन प्रगति को रोकने के लिए चिकित्सा उपचारों का पूरक है।
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prime-ivf-centres · 3 months ago
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drcare4u · 3 months ago
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बच्चा होने के बाद भी हो सकती है बांझपन की समस्या, क्या है सेकेंडरी इनफर्टिलिटी
क्या होती है सेंकेंड्री इन्फर्टिलिटीImage Credit source: Daniel de la Hoz/Moment/Getty Images बच्चे का कंसीव न होना बांझपन की समस्या है, लेकिन अगर बच्चा हो जाता है तो मान लिया जाता है की कपल को बांझपन नहीं है, हालांकि ऐसा जरूरी नहीं है. कुछ केस ऐसे भी देखे जाते हैं जहां पहला बच्चा होने के बाद महिला या पुरुष बांझपन का शिकार हो जाते हैं. यानी, एक बच्चा तो हो जाता है, लेकिन दूसरी संतान नहीं हो पाती…
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aasha-ayurveda · 4 months ago
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महिलाओं में तेजी से बढ़ रही PCOD की समस्या हो सकती आपके भविष्य के लिए खतरनाक - डॉ चंचल शर्मा 
यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में पीसीओडी और पीसीओएस की समस्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। ऐसा नहीं है कि यह आंकड़ा भारत के किसी एक भाग में बढ़ रहा है बल्कि पुरे देश में लगभग 22 % महिलाएं पीसीओडी से ग्रसित हैं। यह वो आंकड़े हैं जिनके बारे में हमें पता है लेकिन बहुत सी महिलाएं ऐसी हैं जिन्हे इसके बारे में कोई जानकारी ही नहीं है। 
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आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर तथा स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा इस विषय में बताते हुए कहती हैं कि भारतीय समाज में जहाँ महिलाएं पर्दा और घूँघट की आड़ में रहा करती थी वहां महिलाओं से जुडी बीमारी के बारे में बात करना, विकास की एक लम्बी यात्रा का परिणाम है। लेकिन आज भी हमारे देश के कुछ हिस्से ऐसे हैं जहाँ लोगों को पीसीओडी के बारे में जानकारी नहीं है। जबकि यह समस्या किसी भी उम्र की महिला को हो सकता है और समय पर ध्यान न देने की वजह से बांझपन का कारण भी बन जाता है। भारत सरकार द्वारा कई ऐसे अभियान चलाये जाते हैं जिससे लोग जागरूक हो और पीसीओडी जैसी बिमारी के लक्षण, कारण और उपचार को समझ सकें। अक्सर इससे प्रभावित महिलाओं में फेसिअल हेयर और वजन बढ़ने जैसी समस्या देखी जाती है। 
पीसीओडी क्या है?   
पीसीओडी हार्मोनल असंतुलन से जुडी एक स्वास्थ्य समस्या है जो महिलाओं के अंडाशय (ovaries) को प्रभावित करता है। सामन्यतः किसी भी महिला के दोनों अंडाशय से बारी बारी हर महीने पीरियड्स के दौरान एग रिलीज किया जाता है लेकिन जिन महिलाओं को पीसीओडी की समस्या होती है उन्हें periods (पीरियड्स) में काफी परेशानी होती है। ऐसी महिलाओं के अंडाशय से प्रायः इमैच्योर अंडे छोड़े जाते हैं जिसके कारण उन्हें सिस्ट जैसी समस्या भी हो सकती है। इससे ग्रसित महिलाओं में पुरुष हॉर्मोन की मात्रा सामान्य से अधिक बढ़ जाती है। जिस वजह से इनके पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं और भविष्य ��ें माँ बनने में भी परेशानी होती है। 
इंडिया में बढ़ते जा रहे है पीसीओडी के मामले 
वैसे तो पीसीओडी एक वैश्विक समस्या बनकर उभरी है लेकिन भारत में इसके आंकड़े बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं जो खासतौर पर रिप्रोडक्टिव एज ग्रुप की महिलाओं को प्रभावित कर रही है। भारत में करीब 20% महिलाएं इससे ग्रसित हैं। अगर ध्यान से देखें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन के रिपोर्ट के अनुसार 20 साल से 35 साल के बीच की महिलाओं में यह बिमारी ज्यादा पायी जाती है। 
पीसीओडी के लक्षण क्या हैं? 
पीसीओडी की समस्या अगर लम्बे समय तक बनी रहती है और आप इसका कोई इलाज नहीं करवाते हैं तो यह बांझपन का कारण बन सकता है। इससे प्रभावित महिलाओं के चेहरे पर अनचाहे बाल, कील, मुहांसे आदि देखे जा सकते हैं। उनका वजन तेजी से बढ़ने लगता है, दिल की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर की समस्या, डायबिटीज आदि जैसी बिमारियों का खतरा बना रहता है। 
भारत में बढ़ते पीसीओडी के मामलों का कारण क्या है? 
भारत में बढ़ती हुयी इस समस्या के पीछे कई कारण हो सकते हैं जिनमे मुख्य रूप से जानकारी का अभाव है। ज्यादातर महिलाओं को तो पता भी नहीं होता है कि उन्हें ऐसी कोई समस्या है। आजकल लोगों की जीवनशैली, खानपान का तरीका, तनाव, अकेलापन, फिजिकली एक्टिव ना होना, प्रोसेस्ड और जंक फ़ूड का सेवन करना, ये सभी कारक पीसीओडी को बढ़ावा देने वाले कारक है। सितम्बर को एक ऐसे महीने के रूप में मनाया जाता है जिसमे पीसीओएस को लेकर जाकरूकता फैलाई जा सके। 
पीसीओडी का इलाज क्या है? 
आशा आयुर्वेदा की डॉ चंचल शर्मा इसके उपचार के बारे में बताते हुए कहती हैं कि इस बीमारी को पूर्णतः सही करने के लिए आपको अपने जीवनशैली में बदलाव लाना होगा। आयुर्विक उपचार द्वारा इसे पूर्णतः ठीक किया जा सकता है लेकिन आपको अपने खान पान का विशेष ध्यान देना होगा। आप बाहर का अनहेल्दी खाना अवॉयड करें और नियमित रूप से एक्सरसाइज करें तो इससे छुटकारा पा सकती हैं। आप अपने भोजन में फाइबर और प्रोटीन से भरपूर आहार को शामिल करें। आप खुद अपनी फ़ूड हैबिट्स पर जितना नियंत्रण बनाये रखेंगे आपके लिए उतना फायदेमंद होगा और साथ ही आपका वजन भी कम हो पायेगा।
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allaboutivf · 4 months ago
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पुरुष बांझपन और निःसंतानता का इलाज: मेलाटोनिन हार्मोन का रोल
आजकल की व्यस्त जीवनशैली और बदलते खान-पान के कारण निःसंतानता की समस्या तेजी से बढ़ रही है। पुरुषों में बांझपन एक आम समस्या बन चुकी है, और इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे खराब जीवनशैली, तनाव, और हार्मोनल असंतुलन। इस लेख में, हम पुरुष बांझपन के पीछे छिपे कारणों और पुरुष बांझपन का इलाज में मेलाटोनिन हार्मोन की भूमिका पर चर्चा करेंगे।
मेलाटोनिन हार्मोन क्या है?
मेलाटोनिन हार्मोन को अक्सर "स्लीप हार्मोन" के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह नींद को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन हाल के शोधों में पता चला है कि मे��ाटोनिन न केवल नींद के लिए जरूरी है, बल्कि यह पुरुषों की प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में भी सहायक होता है। मेलाटोनिन एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है जो शुक्राणुओं को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाता है, जिससे शुक्राणुओं की गुणवत्ता और संख्या में सुधार होता है।
पुरुष बांझपन और मेलाटोनिन का रोल
पुरुष बांझपन का एक प्रमुख कारण शुक्राणुओं की गुणवत्ता में कमी है। यहां मेलाटोनिन हार्मोन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मेलाटोनिन शरीर में मौजूद फ्री रेडिकल्स को कम करता है जो शुक्राणुओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इससे शुक्राणुओं की गतिशीलता (मोबिलिटी) और जीवन क्षमता बढ़ती है, जिससे गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।
पुरुष बांझपन का इलाज
पुरुष बांझपन का इलाज के लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं, जिनमें लाइफस्टाइल में बदलाव, स्वस्थ आहार, और दवाएं शामिल होती हैं। मेलाटोनिन सप्लीमेंट्स को इनफर्टिलिटी के उपचार में शामिल किया जा सकता है क्योंकि यह हार्मोनल संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है और शुक्राणुओं की गुणवत्ता में सुधार करता है।
इसके अलावा, नियमित व्यायाम और तनाव प्रबंधन तकनीकों को भी बांझपन के इलाज के रूप में प्रभावी माना जाता है। मेलाटोनिन का स्तर बढ़ाने के लिए नींद का सही शेड्यूल बनाए रखना जरूरी है, क्योंकि यह हार्मोन रात के समय सबसे ज्यादा उत्पन्न होता है।
निःसंतानता का इलाज और मेलाटोनिन
महिलाओं और पुरुषों दोनों में निःसंतानता का कारण हार्मोनल असंतुलन हो सकता है। मेलाटोनिन हार्मोन को सही स्तर पर बनाए रखने से प्रजनन प्रणाली पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। निःसंतानता का इलाज के रूप में मेलाटोनिन सप्लीमेंट्स का उपयोग प्रजनन उपचारों में किया जा सकता है, क्योंकि यह न केवल शुक्राणुओं की गुणवत्ता को बढ़ाता है बल्कि शरीर में तनाव के स्तर को भी कम करता है, जो निःसंतानता का एक प्रमुख कारण हो सकता है।
मेलाटोनिन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस, शरीर में फ्री रेडिकल्स के अत्यधिक बनने से होता है और यह शुक्राणुओं को नुकसान पहुंचा सकता है। मेलाटोनिन इस स्ट्रेस को कम करने में एक प्रमुख भूमिका निभाता है, जिससे शुक्राणुओं की डीएनए संरचना सुरक्षित रहती है और गर्भधारण की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसलिए, मेलाटोनिन को पुरुष प्रजनन क्षमता को सुधारने के एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में देखा जा रहा है।
निष्कर्ष
मेलाटोनिन हार्मोन का पुरुष बांझपन और निःसंतानता के इलाज में महत्वपूर्ण योगदान है। यह न केवल नींद में सुधार करता है बल्कि शुक्राणुओं की गुणवत्ता और संख्या को भी बढ़ाता है। आज के युग में, जब बांझपन के कारणों का पता लगाना और उनका समाधान खोजना जरूरी हो गया है, मेलाटोनिन हार्मोन एक प्रभावी उपाय साबित हो सकता है। निःसंतानता का इलाज में इसका सही उपयोग करने से प्रजनन स्वास्थ्य को बेहतर किया जा सकता है, जिससे दंपत्तियों के लिए माता-पिता बनने का सपना साकार हो सकता है।
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yashodaivffertilitycentre · 7 months ago
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HSG टेस्ट: जानें कैसे यह जांच बढ़ा सकती है आपकी गर्भधारण की संभावना (HSG test in hindi)
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आज हम एक महत्वपूर्ण मेडिकल परीक्षण, HSG टेस्ट के बारे में जानेंगे। HSG का पूरा नाम ह्यूस्टेरोसल्पिंगोग्राफी है। यह एक एक्स-रे परीक्षण है जो महिलाओं के गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब की स्थिति और स्वास्थ्य की जांच करता है। इस ब्लॉग में, हम HSG टेस्ट के बारे में विस्तार से जानेंगे, जैसे कि यह क्या होता है, कैसे होता है, और इसके लाभ और जोखिम क्या हैं।
HSG टेस्ट क्या होता है? What is HSG test?
HSG टेस्ट, यानी ह्यूस्टेरोसल्पिंगोग्राफी, एक प्रकार की एक्स-रे प्रक्रिया है जो महिलाओं के गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब की जांच के लिए की जाती है। इस टेस्ट की मदद से डॉक्टर यह पता लगा सकते हैं कि क्या फैलोपियन ट्यूब में कोई रुकावट है या गर्भाशय में कोई असामान्यता है, जो बांझपन का कारण बन सकती है।
HSG टेस्ट क्यों किया जाता है? Why is HSG test done?
HSG टेस्ट का मुख्य उद्देश्य बांझपन (infertility) के कारणों का पता लगाना है। यह टेस्ट डॉक्टर को यह जानने में मदद करता है कि फैलोपियन ट्यूब और गर्भाशय स्वस्थ हैं या नहीं। इसके अलावा, यह टेस्ट अन्य समस्याओं का भी पता लगा सकता है जैसे कि गर्भाशय में फाइब्रॉएड, पॉलीप्स, या आसंजन।
HSG टेस्ट कैसे होता है? How is HSG test done?
HSG टेस्ट के दौरान, डॉक्टर एक पतली कैथेटर का उपयोग करते हैं जो गर्भाशय ग्रीवा (cervix) के माध्यम से गर्भाशय में डाला जाता है। इसके बाद एक रंगीन डाई (dye) गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब में डाली जाती है। फिर एक्स-रे लिया जाता है जो दिखाता है कि डाई कैसे फैलोपियन ट्यूब और गर्भाशय में प्रवाहित हो रही है। अगर ट्यूब में कोई रुकावट है, तो डाई वहां नहीं पहुंचेगी और यह एक्स-रे में दिखाई देगी।
HSG टेस्ट की प्रक्रिया HSG test procedure
तैयारी: परीक्षण से पहले, डॉक्टर आपको परीक्षण की प्रक्रिया के बारे में बताएंगे और किसी भी सवाल का जवाब देंगे। आपको मासिक धर्म चक्र के 5-10 दिन के बीच परीक्षण के लिए बुलाया जाएगा।
प्रक्रिया का आरंभ: परीक्षण के दौरान, आपको एक्स-रे टेबल पर लेटाया जाएगा। डॉक्टर आपके गर्भाशय ग्रीवा में एक स्पेकुलम (speculum) डालेंगे ताकि कैथेटर को आसानी से डाला जा सके।
डाई का प्रवाह: कैथेटर के माध्यम से डॉक्टर गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब में डाई डालेंगे। यह डाई एक्स-रे में दिखाई देती है।
एक्स-रे: डाई ��े प्रवाह के बाद, एक्स-रे लिया जाएगा जो गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब की स्थिति को दिखाएगा।
प्रक्रिया का अंत: प्रक्रिया के बाद, स्पेकुलम और कैथेटर को हटा दिया जाएगा और आपको आराम करने के लिए कहा जाएगा।
HSG टेस्ट के दौरान दर्द Pain during HSG test
HSG टेस्ट के दौरान थोड़ा असुविधा और हल्का दर्द हो सकता है। यह दर्द मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द की तरह हो सकता है। परीक्षण के बाद कुछ महिलाओं को पेट में हल्का दर्द या ऐंठन महसूस हो सकता है, लेकिन यह आमतौर पर सहनीय होता है। डॉक्टर आपकी सुविधा के लिए प्रक्रिया से पहले पेनकिलर लेने की सलाह दे सकते हैं।
HSG टेस्ट के लाभ Benefits of HSG test
HSG टेस्ट के कई लाभ हैं जो इसे बांझपन के निदान के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षण बनाते हैं:
फैलोपियन ट्यूब की जांच: HSG टेस्ट फैलोपियन ट्यूब में किसी भी रुकावट का पता लगाने में मदद करता है। अगर ट्यूब में कोई रुकावट है, तो डाई वहां नहीं पहुंचेगी और यह एक्स-रे में दिखाई देगी।
गर्भाशय की जांच: HSG टेस्ट गर्भाशय में किसी भी असामान्यता का पता लगाने में भी मदद करता है, जैसे कि फाइब्रॉएड, पॉलीप्स, या आसंजन।
त्वरित परिणाम: HSG टेस्ट के परिणाम जल्दी मिल जाते हैं, जिससे डॉक्टर तुरंत निदान कर सकते हैं और उचित उपचार की योजना बना सकते हैं।
नॉन-इनवेसिव: यह परीक्षण नॉन-इनवेसिव है और इसमें ज्यादा समय नहीं लगता। परीक्षण के बाद आप तुरंत घर जा सकते हैं।
बांझपन का निदान: HSG टेस्ट बांझपन के निदान के लिए पहला कदम है और यह कई महिलाओं के लिए गर्भधारण की समस्या को समझने में मदद करता है।
HSG टेस्ट के बाद क्या उम्मीद करें? What to expect after HSG test?
HSG टेस्ट के बाद कुछ दिनों तक हल्की ऐंठन या असुविधा महसूस हो सकती है। योनि से हल्का रक्तस्राव या चिपचिपा स्राव भी हो सकता है। ये लक्षण कुछ दिनों के भीतर ठीक हो जाते हैं। अगर दर्द या असुविधा बनी रहती है, तो डॉक्टर से परामर्श करें।
HSG टेस्ट के बाद की सावधानियाँ
आराम करें: परीक्षण के बाद कुछ घंटे आराम करें और भारी कामों से बचें।
दर्द निवारक: अगर दर्द हो रहा है, तो डॉक्टर द्वारा सुझाए गए दर्द निवारक दवाओं का उपयोग करें।
संक्रमण से बचाव: योनि से असामान्य स्राव, बुखार, या तेज दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
यौन संबंध: परीक्षण के बाद कुछ दिनों तक यौन संबंध बनाने से बचें ताकि संक्रमण का खतरा कम हो सके।
HSG टेस्ट के जोखिम Risks of HSG test
HSG टेस्ट आमतौर पर सुरक्षित होता है, लेकिन कुछ दुर्लभ जटिलताएं हो सकती हैं:
कंट्रास्ट डाई से एलर्जी: कुछ महिलाओं को कंट्रास्ट डाई से एलर्जी हो सकती है। अगर आपको एलर्जी है, तो डॉक्टर को पहले से सूचित करें।
संक्रमण: गर्भाशय या फैलोपियन ट्यूब में संक्रमण हो सकता है। अगर बुखार, ठंड लगना, या तेज दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
गर्भाशय का छिद्र: यह एक बहुत ही दुर्लभ जटिलता है, लेकिन कैथेटर गर्भाशय की दीवार को छिद्र कर सकता है।
असामान्य रक्तस्राव: परीक्षण के बाद हल्का रक्तस्राव सामान्य है, लेकिन अगर यह कुछ घंटों से अधिक समय तक रहता है और मासिक धर्म से अधि��� भारी है, तो डॉक्टर से परामर्श लें।
HSG टेस्ट के परिणाम HSG test results
HSG टेस्ट के परिणामों की व्याख्या डॉक्टर द्वारा की जाती है। सामान्य परिणाम बताते हैं कि फैलोपियन ट्यूब और गर्भाशय सामान्य हैं और कोई रुकावट नहीं है। अगर परिणाम असामान्य हैं, तो आगे के परीक्षणों की आवश्यकता हो सकती है।
सामान्य परिणाम
सामान्य HSG टेस्ट रिपोर्ट यह दिखाती है कि फैलोपियन ट्यूब में कोई रुकावट नहीं है और गर्भाशय में कोई असामान्यता नहीं है। डाई आसानी से फैलोपियन ट्यूब और गर्भाशय में प्रवाहित हो जाती है और एक्स-रे में यह स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
असामान्य परिणाम
असामान्य HSG टेस्ट रिपोर्ट यह संकेत देती है कि फैलोपियन ट्यूब में रुकावट है या गर्भाशय में कोई असामान्यता है। अगर ट्यूब में रुकावट है, तो डाई वहां नहीं पहुंचेगी और यह एक्स-रे में दिखाई देगी। गर्भाशय में असामान्यता जैसे कि फाइब्रॉएड, पॉलीप्स, या आसंजन भी एक्स-रे में दिखाई दे सकते हैं।
HSG टेस्ट से गर्भधारण की संभावना Possibility of pregnancy through HSG test
कुछ मामलों में, HSG टेस्ट अप्रत्यक्ष रूप से गर्भधारण की संभावना को बढ़ा सकता है। ऐसा माना जाता है कि प्रक्रिया के दौरान उपयोग की जाने वाली कंट्रास्ट डाई (आयोडीन) श्लेष्म या अन्य कोशिका मलबे को साफ करने में मदद कर सकती है जो फैलोपियन ट्यूब को अवरुद्ध कर सकती है और गर्भधारण को रोक सकती है। यह प्रक्रिया के बाद लगभग 3 महीने तक गर्भधारण की संभावना को बढ़ा सकती है।
HSG टेस्ट के विकल्प HSG test options
HSG टेस्ट के अलावा अन्य प्रक्रियाएं भी हैं जो गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब की जांच के लिए की जा सकती हैं:
लैप्रोस्कोपी (Laparoscopy): यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें पेट में एक छोटा सा चीरा लगाकर एक कैमरा डाला जाता है। इससे डॉक्टर सीधे फैलोपियन ट्यूब और गर्भाशय को देख सकते हैं।
हिस्टेरोस्कोपी (Hysteroscopy): इस प्रक्रिया में एक पतला कैमरा गर्भाशय ग्रीवा के माध्यम से गर्भाशय में डाला जाता है। इससे गर्भाशय की आंतरिक दीवार को देखा जा सकता है और किसी भी असामान्यता का पता लगाया जा सकता है।
निष्कर्ष
HSG टेस्ट महिलाओं के गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब की जांच के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षण है जो बांझपन के कारणों की पहचान करने में मदद करता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर सुरक्षित और सहनीय होती है, लेकिन इसमें कुछ असुविधा और जोखिम हो सकते हैं। HSG टेस्ट के बाद, आपको कुछ दिनों तक हल्की ऐंठन या असुविधा महसूस हो सकती है, लेकिन यह सामान्य है।
हमने इस ब्लॉग में HSG टेस्ट के बारे में विस्तार से जानकारी दी है, जो आपके लिए समझने में आसान है। यदि आपके मन में कोई सवाल हो या आपको अधिक जानकारी चाहिए, तो कृपया Yashoda IVF Centre, मुंबई से संपर्क करें। यह केंद्र बांझपन के इलाज में विशेषज्ञता रखता है और आपकी स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को समझने और सही समाधान देने में मदद कर सकता है।
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drsunildubeyclinic · 4 months ago
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MI Treatment: Best Sexologist in Patna, Bihar | Dr. Sunil Dubey
क्या आप शादीशुदा कपल हैं और शादी के कुछ वर्षो बाद भी आप पेरेंट्स बनने से वंचित हैं? यह वाकई में चिंता का विषय है जो लोग इस सुख से वंचित है। वर्तमान समय में, आप पटना में रह रहे हैं और प्राकृतिक उपचार और औषधि केंद्र की तलाश कर रहे हैं जहाँ आप अपने समस्या का सही परामर्श कर सकें और अपनी उचित चिकित्सा व उपचार प्राप्त कर सकें।
आयुर्वेद और इसके प्रभावशाली सप्लीमेंट्स हमेशा किसी भी व्यक्ति को उसको अच्छे स्वास्थ्य और सुदृढ़ शरीर प्रदान करते हैं। यही कारण है कि; आप पटना में सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेदिक सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर की तलाश कर रहे हैं। आप प्रकृति और इसके संसाधन में विश्वास करते हैं और आप अपने समस्या के लिए प्राकृतिक चिकित्सा व उपचार चाहते हैं जिसके द्वारा आप प्राकृतिक रूप से अपने समस्या को समाधान पा सके।
पुरुषों में होने वाले बांझपन के लक्षण और संकेत:
विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य डॉ. सुनील दुबे कहते हैं कि पुरुष बांझपन के कई लक्षण होते हैं जिससे व्यक्ति अपने गुप्त व यौन समस्या से बचाव कर सके। यौन क्रियाशीलता से संबंधित समस्याओं के कारण निम्नलिखित हैं:
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स्खलन में कठिनाई होना।
स्खलन में कम मात्रा में तरल पदार्थ आना।
���ौन इच्छा में कमी होना।
इरेक्शन बनाए रखने में कठिनाई होना।
अंडकोष क्षेत्र में दर्द, सूजन या गांठ होना।
मूत्र मार्ग में रुकावट का होना।
व्यक्ति के शुक्राणु के रंग को देखकर यह आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है कि उसका वीर्य स्वस्थ है या नहीं। अगर शुक्राणु का रंग सफेद है तो इसका मतलब यह है कि वह स्वस्थ है। अस्वस्थ शुक्राणु की पहचान उसके भूरे रंग से होती है। जिसका शुक्राणु पीले रंग का है, उसका मतलब यह है कि वीर्य में खून की मात्रा उपलब्ध है।
डॉ. सुनील दुबे कहते हैं कि पुरुष बांझपन के कुछ जोखिम कारक भी हैं, जिसके निम्न प्रकार हैं: -
अस्वस्थ शुक्राणु का होना।
आनुवंशिक समस्याएँ का होना।
जननांग पथ में रुकावट होना।
जननांग संक्रमण से ग्रसित होना।
अंडकोष में चोट का लगना।
समय से पहले/देर से यौवन का होना।
पुरुष में होने वाले बांझपन का प्राकृतिक चिकित्सा व उपचार:
आधुनिक समय में, पुरुष बांझपन के इलाज के बहुत सारे तरीके उपलब्ध हैं। ये तरीके हैं - सर्जरी, कृत्रिम गर्भाधान, इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ), हार्मोनल थेरेपी और इंट्रासाइटोप्लाज़मिक स्पर्म इंजेक्शन। लोग अपने सुविधा के अनुसार इनमें से किसी को भी चुन सकते हैं। दुबे क्लिनिक भारत का एक प्रामाणिक और गुणवत्ता-सिद्ध आयुर्वेदिक क्लिनिक है जो सभी प्रकार के गुप्त व यौन रोगियों को पूर्णकालिक चिकित्सा व उपचार सुविधाएँ प्रदान करता है। यह क्लिनिक आयुर्वेद और इसकी चिकित्सा के माध्यम से रोगियों को संपूर्ण उपचार और दवाएँ प्रदान करता है।
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आयुर्वेदिक चिकित्सा एवं उपचार प्रणाली के माध्यम से किसी भी गुप्त एवं यौन रोग का सम्पूर्ण उपचार संभव है। यह भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली है जो सभी गुप्त एवं यौन रोगों को प्राकृतिक तरीके से ठीक करती है। आयुर्वेदिक उपचार का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह प्राकृतिक तरीके से रोग को ठीक करने के साथ-साथ पूरे शरीर को मजबूत भी बनाता है। इस चिकित्सा उपचार का शरीर पर किसी भी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है।
दुबे क्लिनिक पटना के लंगर टोली, चौराहा में स्थित है जहाँ भारत के कोने-कोने से गुप्त व यौन रोगी अपने-अपने समस्याओं का प्राकृतिक उपचार पाने के लिए इस क्लिनिक से जुड़ते हैं। बिहार राज्य के ज़्यादातर गुप्त व यौन रोगी इस क्लिनिक को पहली प्राथमिकता देते हैं, इसीलिए डॉ. सुनील दुबे को बिहार में सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट के रूप में भी जाना जाता है। वे एक अनुभवी क्लीनिकल सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर हैं, जिन्होंने पुरुष और महिला के विभिन्न प्रकार के गुप्त व यौन रोगों पर शोध किया है। उनका शोध तब सफल हुआ जब लाखों की संख्या में गुप्त व यौन रोगियों ने अपने-अपने यौन समस्याओं को हमेशा के लिए ठीक कर लिया।
आज के समय में, सौ से ज़्यादा गुप्त व यौन रोगी दुबे क्लिनिक से हर रोज फ़ोन पर संपर्क करते हैं, जबकि औसतन पैंतीस से चालीस गुप्त व यौन रोगी इस क्लिनिक में पाने इलाज करवाने आते हैं। डॉ. सुनील दुबे ने अपने आयुर्वेदा व सेक्सोलोजी मेडिसिन करियर में, भारत के चार लाख से ज़्यादा गुप्त व यौन रोगियों का सफलतापूर्वक इलाज किया है। यह उनके अनुभव व विशेषज्ञता की सबसे बड़ी पहचान है।
अपॉइंटमेंट और परामर्श:
यदि आप एक गुप्त या यौन रोगी हैं, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप पुरुष हैं या महिला। दुबे क्लिनिक में अपॉइंटमेंट लें। यह भारत का सबसे भरोसेमंद आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी चिकित्सा विज्ञान क्लिनिक है जो आयुर्वेद के तहत संपूर्ण चिकित्सा और उपचार प्रदान करता है। अपॉइंटमेंट हर दिन सुबह 08:00 बजे से रात्रि 08:00 बजे तक फोन पर उपलब्ध है। बस इसे करें और बिना किसी झिझक के इस क्लिनिक में समय पर जाएँ। अपना इलाज करवाएँ और अपनी समस्त गुप्त व यौन समस्याओं को हमेशा के लिए ठीक करें।
शुभकामनाओं के साथ:
दुबे क्लिनिक
भारत में प्रमाणित आयुर्वेदा व सेक्सोलोजी क्लिनिक
डॉ. सुनील दुबे, गोल्ड मेडलिस्ट सेक्सोलॉजिस्ट
बी.ए.एम.एस. (रांची) | एम.आर.एस.एच. (लंदन) | आयुर्वेद में पी.एच.डी. (यू.एस.ए.)
हेल्पलाइन नंबर: +91 98350 92586
स्थान: दुबे मार्केट, लंगर टोली, चौराहा, पटना - 04
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dradityasharma-1 · 10 months ago
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क्या आप महिला मूत्र संबंधी समस्याओं का सामना कर रही हैं? जानिए महिला मूत्र विज्ञान देखभाल (Women's Urology Care) के बारे में और लखनऊ में सर्वश्रेष्ठ एंडोयूरोलॉजी देखभाल, मूत्रविज्ञान ऑन्कोलॉजी, और डॉ. आदित्य शर्मा के साथ देखभाल के विकल्पों के बारे में।
मूत्र प्रणाली के स्वास्थ्य को बनाए रखना महिलाओं के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है जितना पुरुषों के लिए। हालांकि, महिलाओं की मूत्र संबंधी समस्याएं अक्सर अनदेखी कर दी जाती हैं या गलत समझी जाती हैं। महिला मूत्र विज्ञान (Women's Urology) का क्षेत्र विशेष रूप से महिलाओं के मूत्र प्रणाली के स्वास्थ्य पर केंद्रित है।
महिला मूत्र विज्ञान विशेषज्ञ क्या करते हैं? (What Does a Female Urologist Do?)
महिला मूत्र रोग विशेषज्ञ मूत्र प्रणाली के रोगों का निदान और उपचार करते हैं, जिसमें शामिल हैं:
मूत्र संक्रमण (Urinary Tract Infections - UTIs) असंयमिता (Incontinence) पेल्विक फ्लोर डिसफंक्शन (Pelvic Floor Dysfunction) योनिच्छेद (Vaginal Prolapse) गुर्दे की पथरी (Kidney Stones) मूत्र असдержание (Urinary Retention) मूत्र संबंधी जन्म दोष (Urogenital Anomalies) मूत्रवाहिनी में संक्रमण (Ureteral Stenosis) मूत्राशय अतिसक्रियता (Overactive Bladder) महिलाओं को कब मूत्र विज्ञान विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए? (When to See a Female Urologist)
यदि आप निम्नलिखित में से किसी भी लक्षण का अनुभव कर रही हैं, तो महिला मूत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना उचित है:
बार-बार पेशाब आना (Frequent Urination) पेशाब करने में जलन या कठिनाई (Burning or Difficulty Urinating) रात में प��शाब करने की आवश्यकता (Nocturia) पेशाब पर रक्त (Blood in Urine) पेट के निचले भाग में दर्द (Pelvic Pain) पेशाब का रिसाव (Urinary Leakage) लखनऊ में सर्वश्रेष्ठ महिला मूत्र विज्ञान देखभाल (Best Women's Urology Care in Lucknow)
लखनऊ में कई मूत्र रोग विशेषज्ञ हैं जो महिलाओं की मूत्र संबंधी समस्याओं का इलाज करते हैं। हालांकि, सर्वोत्तम उपचार प्राप्त करने के लिए, एक बोर्ड- प्रमाणित महिला मूत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना महत्वपूर्ण है, जिनके पास महिला मूत्र विज्ञान में विशेषज्ञता है।
कुछ खोजशब्दों को ध्यान में रखते हुए आप इंटरनेट पर खोज कर सकते हैं, जैसे:
लखनऊ में सर्वश्रेष्ठ एंडोयूरोलॉजी देखभाल (Best Endo Urology Care in Lucknow) मूत्रविज्ञान ऑन्कोलॉजी देखभाल (Uro Oncology Care) डॉ. आदित्य शर्मा के साथ महिला मूत्र विज्ञान देखभाल (Women's Urology Care with Dr. Aditya Sharma) अतिरिक्त सेवाएं (Additional Services)
कुछ मूत्र रोग विशेषज्ञ निम्नलिखित जैसी अतिरिक्त सेवाएं भी प्रदान करते हैं:
किडनी प्रत्यारोपण (Kidney Transplant) पुरुष बांझपन का इलाज (Male Infertility Care) बाल मूत्र विज्ञान देखभाल (Pediatric Urology Care) मूत्र संबंधी अस्पताल (Urological Hospital)
Dr Aditya Sharma MCh Urologist (Gold Medalist) Uro-oncology Kidney Transplant Robotic Surgeon
Address: Kanpur - Lucknow Rd, Sector B, Bargawan, LDA Colony, Lucknow, Uttar Pradesh 226012
Phone: 081300 14199
Website: https://dradityaurologist.com/
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babyjoyivffertility · 1 year ago
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कुछ दम्पत्तियों की बांझपन (infertility) की समस्या के इलाज के लिए बहुत प्रकार के समाधान उपलब्ध हैं और यही आधुनिक चिकित्सा विज्ञान (modern medical science) की खूबसूरती है। आइए, हम दिल्ली के सबसे श्रेष्ठ आईवीएफ केंद्र (Best IVF Center in Delhi) की सहायता से भ्रूण विभाजन (embryo splitting) की प्रक्रिया के साथ-साथ इसमें शामिल चरणों को भी सही ढ़ंग से समझें। For more details visit https://www.babyjoyivf.com/top-5-best-ivf-centre-in-delhi-with-high-success-rate/ or call us at 8800001978.
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medtalksblog · 1 year ago
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क्या ट्राइडैक्स प्रोकम्बेन्स पुरुषों में यौन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए प्राकृतिक उपचार के रूप में कारगर है?
यौन स्वास्थ्य समग्र स्वास्थ्य और कल्याण का एक अनिवार्य हिस्सा है, जो आत्म-सम्मान, पारस्परिक और पारिवारिक संबंधों को प्रभावित करता है। यह सामाजिक, शारीरिक, मानसिक और स्वास्थ्य क्षेत्र में अन्य स्वास्थ्य मानकों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
पुरुषों में यौन अक्षमता भारतीय समाज में एक आम और गंभीर मुद्दा है जो पुरुषों और महिलाओं दोनों को समान रूप से प्रभावित करता है। लगभग 43 प्रतिशत महिलाएं और 31 प्रतिशत पुरुष इससे प्रभावित हो सकते हैं। पुरुषों में सबसे सामान्य यौन विकारों में स्तंभन दोष, समय से पहले स्खलन, कम कामेच्छा, और उत्तेजना संबंधी विकार शामिल हैं। इनमें से बहुत स�� यौन योग हृदय रोग, हार्मोनल असंतुलन, मोटापा, चिंता, अवसाद, और अभिघातजन्य अनुभव जैसे कारणों से उत्पन्न हो सकते हैं।
ट्राइडैक्स प्रोकम्बेन्स एक पारंपरिक औषधीय पौधा है जिसमें कई बायोएक्टिव यौगिक होते हैं जो स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं, विशेषकर यौन स्वास्थ्य के क्षेत्र में। इसका उपयोग नाइट्रिक ऑक्साइड उत्पादन बढ़ाने और स्तंभन समारोह में सुधार करने के लिए किया जा सकता है, जिससे स्तंभन समारोह में सुधार होता है। इसके अलावा, यह पुरुष बांझपन और प्रजनन क्षमता में सुधार कर सकता है।
ट्राइडैक्स प्रोकम्बेन्स का उपयोग सदियों से यौन स्वास्थ्य के लिए किया जा रहा है, और इसके संबंधित बीमारियों के इलाज के लिए भी उपयोगी है। इसकी कार्रवाई के तंत्र को वैज्ञानिक अध्ययनों द्वारा समर्थित किया गया है, जो इसे एक सबसे लाभकारी औषधि में से एक बना देते हैं।
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omyafertility25 · 2 years ago
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जाने AMH Test क्या है – AMH Test in Hindi | Omya
एएमएच टेस्ट एक आसान जांच की प्रक्रिया है। AMH Test in Hindi इस जांच के दौरान डॉक्टर शरीर से नस के जरिए खून का सैंपल लेकर उसकी जांच करते हैं। एएमएच टेस्ट करने के लिए कुछ खास मेडिकल उपकरणों की जरूरत होती है। इसलिए इसे डॉक्टर की निगरानी में क्लिनिक या हॉस्पिटल में किया जाता है। एएमएच टेस्ट आपके प्रजनन स्तर की जांच करने और गर्भावस्था की योजना बनाने का एक उपयोगी तरीका है। यह प्रजनन विशेषज्ञ को आपके लिए उपचार के सर्वोत्तम पाठ्यक्रम की योजना बनाने में भी मदद कर सकता है। कम एएमएच उपचार और शमन पर विचार करते समय, आई.वी.एफ उपचार विचार करने का एक अच्छा विकल्प है। AMH Test और गर्भवती होने की संभावनाओं के बारे में अधिक जानने के लिए सबसे विश्वसनीय आईवीएफ केंद्र, Omya IVF Centre in Delhi से जुड़ें। यहां आपको हर तरह के बांझपन का उचित इलाज मिलता है। अधिक जानकारी के लिए अभी कॉल करें 8447748879 और हमारी वेबसाइट पर विजिट करें :- https://omyafertility.com/blog/amh-test-in-hindi/
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