#बांझपन क्या है?
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gaudiumivf · 7 months ago
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Infertility Meaning in Hindi: बांझपन क्या है? प्रजनन तंत्र की एक स्थिति है जिसके कारण महिलाएं गर्भ धारण करने में असमर्थ हो जाती हैं। यदि आपकी उम्र 35 वर्ष से कम है, तो आपका डॉक्टर गर्भधारण करने की कोशिश के एक वर्ष (12 महीने) के बाद बांझपन का निदान कर सकता है।
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indlivebulletin · 3 days ago
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बच्चेदानी में इंफेक्शन क्या होता है, कैसे दिखते हैं इसके लक्षण, एक्सपर्ट से जानें
यूट्रस ( बच्चेदानी) में इंफेक्शन महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या है, लेकिन इसके शुरुआती लक्षणों का पता होना चाहिए. क्योंकि अगर समय पर इस बीमारी की पहचान नहीं हो पाती है, तो इससे ये बीमारी गंभीर रूप ले सकती है. यह किसी महिला के माँ बनने के सपने को तोड़ सकताी है. ऐसा इसलिए क्योंकि अगर बच्चेदानी में इंफेक्शन हो जाता है तो यूट्रस में और कई त���ह की समस्या हो सकती है, जो सीधे तौर पर बांझपन का कारण…
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neelkanthivf · 4 days ago
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निःसंतानता क्या है? जानिए निःसंतानता का अर्थ, कारण व उपचार
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निःसंतानता या बांझपन एक ऐसी स्थिति है जिसमें एक दंपत्ति नियमित प्रयासों के बावजूद एक वर्ष या उससे अधिक समय तक गर्भधारण करने में असमर्थ रहते हैं। यह समस्या आजकल तेजी से बढ़ रही है और इसके पीछे कई शारीरिक, मानसिक और पर्यावरणीय कारण हो सकते हैं। इस ब्लॉग में हम निःसंतानता के कारण, लक्षण और उपचार पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
बांझपन (निःसंतानता) के कारण:
निःसंतानता के कई कारण हो सकते हैं, जो महिलाओं और पुरुषों दोनों में हो सकते हैं। इनमें से कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
महिलाओं में बांझपन के कारण:
पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम): हार्मोनल असंतुलन के कारण अंडाणु का ठीक से निर्माण न होना।
एंडोमेट्रियोसिस: गर्भाशय के बाहर ऊतकों की असामान्य वृद्धि।
फैलोपियन ट्यूब ब्लॉकेज: अंडाणु और शुक्राणु के मिलने में बाधा।
हार्मोनल समस्याएं: प्रोजेस्ट्रोन और एस्ट्रोजन के स्तर में गड़बड़ी।
उम्र का बढ़ना: 35 साल की उम्र के बाद प्रजनन क्षमता में कमी।
पुरुषों में बांझपन के कारण:
शुक्राणु की संख्या में कमी: कम शुक्राणु उत्पादन या खराब गुणवत्ता।
हार्मोनल असंतुलन: टेस्टोस्टेरोन की ��मी।
वृषण में चोट: वृषण से जुड़ी चोट या संक्रमण।
जीवनशैली कारक: धूम्रपान, शराब का सेवन और तनाव।
अनुवांशिक कारण: जन्म से जुड़ी समस्याएं।
बांझपन (निःसंतानता) के लक्षण:
निःसंतानता के लक्षण व्यक्ति के स्वास्थ्य और समस्याओं पर निर्भर करते हैं। कुछ सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं:
महिलाओं में:
मासिक धर्म का अनियमित होना।
दर्दनाक पीरियड्स।
बार-बार गर्भपात होना।
अत्यधिक बालों का झड़ना या चेहरे पर अनचाहे बाल।
पुरुषों में:
यौन इच्छा में कमी।
शुक्राणु की गुणवत्ता में गिरावट।
स्खलन में परेशानी।
अंडकोष में दर्द या सूजन।
बांझपन (निःसंतानता) का उपचार:
आज की आधुनिक चिकित्सा में निःसंतानता का उपचार सफलतापूर्वक संभव है। यह उपचार समस्या के कारण और गंभीरता पर निर्भर करता है।
प्राकृतिक उपाय:
स्वस्थ जीवनशैली अपनाना।
संतुलित आहार लेना।
तनाव को कम करना।
नियमित व्यायाम करना।
चिकित्सकीय उपचार:
दवाइयां: हार्मोनल असंतुलन को नियंत्रित करने के लिए।
आईयूआई (इंट्रा यूटेरिन इनसेमिनेशन): शुक्राणु को सीधे गर्भाशय में डालना।
आईवीएफ (इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन): अंडाणु और शुक्राणु को लैब में निषेचित कर भ्रूण को गर्भाशय में स्थापित करना।
सर्जरी: ट्यूब ब्लॉकेज या एंडोमेट्रियोसिस जैसी समस्याओं के लिए।
अन्य वैकल्पिक उपचार:
एक्यूपंक्चर और आयुर्वेद।
मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना।
निष्कर्ष:
निःसंतानता एक गंभीर समस्या हो सकती है, लेकिन इसका समाधान संभव है। आधुनिक तकनीक और चिकित्सा की मदद से आज लाखों दंपत्तियां अपने माता-पिता बनने के सपने को साकार कर रही हैं। यदि आप या आपका कोई जानने वाला इस समस्या से जूझ रहा है, तो घबराएं नहीं। समय पर सही डॉक्टर से परामर्श और उपचार से इस समस्या को दूर किया जा सकता है।
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theenduvascularexpert · 12 days ago
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जयपुर में इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी और वैरिकोसेले उपचार
इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी (आईआर) चिकित्सा का एक अग्रणी क्षेत्र है जो विभिन्न स्थितियों के लिए न्यूनतम आक्रामक समाधान पेश करता है। जयपुर में, डॉ. निखिल बंसल, एक प्रसिद्ध इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट, वैरिकोसेले और वैरिकोज़ वेन्स जैसे उन्नत उपचारों में अपनी विशेषज्ञता के लिए जाने जाते हैं। यह लेख उनके नवीन दृष्टिकोणों और उनसे मिलने वाले लाभों पर प्रकाश डालता है।
जयपुर में इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी को समझना  ( Understanding Interventional Radiology in Jaipur)
इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी शरीर के अंदर छोटे उपकरणों का मार्गदर्शन करने के लिए ( अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे और सीटी स्कैन ) जैसी इमेजिंग तकनीकों का उपयोग करती है, जो न्यूनतम डाउनटाइम के साथ सटीक उपचार प्रदान करती है। यह वैरिकोसेले और वैरिकोज़ नसों जैसी संवहनी स्थितियों के लिए विशेष रूप से प्रभावी है, जिससे रोगियों के लिए वैयक्तिकृत समाधान सक्षम होते हैं। जयपुर स्थित डॉ. निखिल बंसल ने आधुनिक प्रौद्योगिकियों और दयालु उपचार प्रोटोकॉल के साथ इस क्षेत्र में उन्नत देखभाल की पेशकश के लिए प्रतिष्ठा स्थापित की है।
वैरिकोसेले क्या है? ( What Is Varicocele? ) 
वैरिकोसेले एक ऐसी स्थिति है जो अंडकोश में बढ़ी हुई नसों द्वारा चिह्नित होती है, जो खराब वाल्व के कारण होती है जो रक्त प्रवाह में बाधा डालती है। इसके परिणामस्वरूप अक्सर निम्नलिखित लक्षण उत्पन्न होते हैं:
अंडकोश में दर्द
वीर्य की गुणवत्ता में कमी
गंभीर मामलों में बांझपन
15-40 वर्ष की आयु के पुरुष सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। जयपुर में कई मरीज़ डॉ. बंसल से विशेषज्ञ देखभाल चाहते हैं, जो वैरिकोसेले के लिए गैर-सर्जिकल और न्यूनतम इनवेसिव उपचार पर जोर देते हैं।
गैर-सर्जिकल वैरिकोसेले उपचार (Non-Surgical Varicocele Treatment) पारंपरिक उपचार अक्सर खुली सर्जरी पर निर्भर होते हैं, लेकिन इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी एक कम आक्रामक विकल्प प्रदान करती है। एम्बोलिज़ेशन जैसी प्रक्रियाओं के माध्यम से, डॉ. बंसल समस्याग्रस्त नसों में रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध करके वैरिकोसेले का प्रभावी ढंग से इलाज करते हैं। यह तकनीक महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करती है:
कोई बड़ा चीरा नहीं
कम पुनर्प्राप्ति समय
लक्षणों से राहत और प्रजनन क्षमता में सुधार में उच्च सफलता दर
 वैरिकाज़ नसों का उपचार  ( Varicose Veins Treatments )
वैरिकाज़ नसें, इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी का एक अन्य केंद्र, मुड़ी हुई और सूजी हुई नसें हैं जो आमतौर पर पैरों में पाई जाती हैं। इनसे असुविधा, दर्द और यहां तक ​​कि अल्सर जैसी जटिलताएं भी हो सकती हैं। डॉ. निखिल बंसल स्थिति की गंभीरता के अनुरूप उपचार की एक श्रृंखला प्रदान करते हैं।
उन्नत उपचार विकल्प  ( Advanced Treatment Options )
स्क्लेरोथेरेपी: एक न्यूनतम आक्रामक प्रक्रिया जिसमें छोटी नसों को ढहाने और फीका करने के लिए इंजेक्शन का उपयोग किया जाता है।
एंडोवेनस लेजर एब्लेशन (ईवीएलए): बड़ी नसों को सील करने के लिए लेजर ऊर्जा का उपयोग करना, ईवीएलए एक त्वरित, प्रभावी और सुरक्षित विकल्प है।
रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन (आरएफए): ईवीएलए के समान, आरएफए वैरिकाज़ नसों के इलाज के लिए रेडियो तरंगों द्वारा उत्पन्न गर्मी का उपयोग करता है। यह तेजी से ठीक होने वाली बड़ी नसों के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है।
जीवनशैली में बदलाव: जीवनशैली में बदलाव जैसे वजन प्रबंधन, व्यायाम और कंप्रेशन स्टॉकिंग्स का संयोजन प्रगति को रोकने के लिए चिकित्सा उपचारों का पूरक है।
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prime-ivf-centres · 20 days ago
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drcare4u · 1 month ago
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बच्चा होने के बाद भी हो सकती है बांझपन की समस्या, क्या है सेकेंडरी इनफर्टिलिटी
क्या होती है सेंकेंड्री इन्फर्टिलिटीImage Credit source: Daniel de la Hoz/Moment/Getty Images बच्चे का कंसीव न होना बांझपन की समस्या है, लेकिन अगर बच्चा हो जाता है तो मान लिया जाता है की कपल को बांझपन नहीं है, हालांकि ऐसा जरूरी नहीं है. कुछ केस ऐसे भी देखे जाते हैं ज��ां पहला बच्चा होने के बाद महिला या पुरुष बांझपन का शिकार हो जाते हैं. यानी, एक बच्चा तो हो जाता है, लेकिन दूसरी संतान नहीं हो पाती…
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aasha-ayurveda · 2 months ago
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महिलाओं में तेजी से बढ़ रही PCOD की समस्या हो सकती आपके भविष्य के लिए खतरनाक - डॉ चंचल शर्मा 
यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में पीसीओडी और पीसीओएस की समस्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। ऐसा नहीं है कि यह आंकड़ा भारत के किसी एक भाग में बढ़ रहा है बल्कि पुरे देश में लगभग 22 % महिलाएं पीसीओडी से ग्रसित हैं। यह वो आंकड़े हैं जिनके बारे में हमें पता है लेकिन बहुत सी महिलाएं ऐसी हैं जिन्हे इसके बारे में कोई जानकारी ही नहीं है। 
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आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर तथा स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा इस विषय में बताते हुए कहती हैं कि भारतीय समाज में जहाँ महिलाएं पर्दा और घूँघट की आड़ में रहा करती थी वहां महिलाओं से जुडी बीमारी के बारे में बात करना, विकास की एक लम्बी यात्रा का परिणाम है। लेकिन आज भी हमारे देश के कुछ हिस्से ऐसे हैं जहाँ लोगों को पीसीओडी के बारे में जानकारी नहीं है। जबकि यह समस्या किसी भी उम्र की महिला को हो सकता है और समय पर ध्यान न देने की वजह से बांझपन का कारण भी बन जाता है। भारत सरकार द्वारा कई ऐसे अभियान चलाये जाते हैं जिससे लोग जागरूक हो और पीसीओडी जैसी बिमारी के लक्षण, कारण और उपचार को समझ सकें। अक्सर इससे प्रभावित महिलाओं में फेसिअल हेयर और वजन बढ़ने जैसी समस्या देखी जाती है। 
पीसीओडी क्या है?   
पीसीओडी ��ार्मोनल असंतुलन से जुडी एक स्वास्थ्य समस्या है जो महिलाओं के अंडाशय (ovaries) को प्रभावित करता है। सामन्यतः किसी भी महिला के दोनों अंडाशय से बारी बारी हर महीने पीरियड्स के दौरान एग रिलीज किया जाता है लेकिन जिन महिलाओं को पीसीओडी की समस्या होती है उन्हें periods (पीरियड्स) में काफी परेशानी होती है। ऐसी महिलाओं के अंडाशय से प्रायः इमैच्योर अंडे छोड़े जाते हैं जिसके कारण उन्हें सिस्ट जैसी समस्या भी हो सकती है। इससे ग्रसित महिलाओं में पुरुष हॉर्मोन की मात्रा सामान्य से अधिक बढ़ जाती है। जिस वजह से इनके पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं और भविष्य में माँ बनने में भी परेशानी होती है। 
इंडिया में बढ़ते जा रहे है पीसीओडी के मामले 
वैसे तो पीसीओडी एक वैश्विक समस्या बनकर उभरी है लेकिन भारत में इसके आंकड़े बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं जो खासतौर पर रिप्रोडक्टिव एज ग्रुप की महिलाओं को प्रभावित कर रही है। भारत में करीब 20% महिलाएं इससे ग्रसित हैं। अगर ध्यान से देखें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन के रिपोर्ट के अनुसार 20 साल से 35 साल के बीच की महिलाओं में यह बिमारी ज्यादा पायी जाती है। 
पीसीओडी के लक्षण क्या हैं? 
पीसीओडी की समस्या अगर लम्बे समय तक बनी रहती है और आप इसका कोई इलाज नहीं करवाते हैं तो यह बांझपन का कारण बन सकता है। इससे प्रभावित महिलाओं के चेहरे पर अनचाहे बाल, कील, मुहांसे आदि देखे जा सकते हैं। उनका वजन तेजी से बढ़ने लगता है, दिल की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर की समस्या, डायबिटीज आदि जैसी बिमारियों का खतरा बना रहता है। 
भारत में बढ़ते पीसीओडी के मामलों का कारण क्या है? 
भारत में बढ़ती हुयी इस समस्या के पीछे कई कारण हो सकते हैं जिनमे मुख्य रूप से जानकारी का अभाव है। ज्यादातर महिलाओं को तो पता भी नहीं होता है कि उन्हें ऐसी कोई समस्या है। आजकल लोगों की जीवनशैली, खानपान का तरीका, तनाव, अकेलापन, फिजिकली एक्टिव ना होना, प्रोसेस्ड और जंक फ़ूड का सेवन करना, ये सभी कारक पीसीओडी को बढ़ावा देने वाले कारक है। सितम्बर को एक ऐसे महीने के रूप में मनाया जाता है जिसमे पीसीओएस को लेकर जाकरूकता फैलाई जा सके। 
पीसीओडी का इलाज क्या है? 
आशा आयुर्वेदा की डॉ चंचल शर्मा इसके उपचार के बारे में बताते हुए कहती हैं कि इस बीमारी को पूर्णतः सही करने के लिए आपको अपने जीवनशैली में बदलाव लाना होगा। आयुर्विक उपचार द्वारा इसे पूर्णतः ठीक किया जा सकता है लेकिन आपको अपने खान पान का विशेष ध्यान देना होगा। आप बाहर का अनहेल्दी खाना अवॉयड करें और नियमित रूप से एक्सरसाइज करें तो इससे छुटकारा पा सकती हैं। आप अपने भोजन में फाइबर ��र प्रोटीन से भरपूर आहार को शामिल करें। आप खुद अपनी फ़ूड हैबिट्स पर जितना नियंत्रण बनाये रखेंगे आपके लिए उतना फायदेमंद होगा और साथ ही आपका वजन भी कम हो पायेगा।
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allaboutivf · 2 months ago
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पुरुष बांझपन और निःसंतानता का इलाज: मेलाटोनिन हार्मोन का रोल
आजकल की व्यस्त जीवनशैली और बदलते खान-पान के कारण निःसंतानता की समस्या तेजी से बढ़ रही है। पुरुषों में बांझपन एक आम समस्या बन चुकी है, और इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे खराब जीवनशैली, तनाव, और हार्मोनल असंतुलन। इस लेख में, हम पुरुष बांझपन के पीछे छिपे कारणों और पुरुष बांझपन का इलाज में मेलाटोनिन हार्मोन की भूमिका पर चर्चा करेंगे।
मेलाटोनिन हार्मोन क्या है?
मेलाटोनिन हार्मोन को अक्सर "स्लीप हार्मोन" के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह नींद को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन हाल के शोधों में पता चला है कि मेलाटोनिन न केवल नींद के लिए जरूरी है, बल्कि यह पुरुषों की प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में भी सहायक होता है। मेलाटोनिन एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है जो शुक्राणुओं को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाता है, जिससे शुक्राणुओं की गुणवत्ता और संख्या में सुधार होता है।
पुरुष बांझपन और मेलाटोनिन का रोल
पुरुष बांझपन का एक प्रमुख कारण शुक्राणुओं की गुणवत्ता में कमी है। यहां मेलाटोनिन हार्मोन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मेलाटोनिन शरीर में मौजूद फ्री रेडिकल्स को कम करता है जो शुक्राणुओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इससे शुक्राणुओं की गतिशीलता (मोबिलिटी) और जीवन क्षमता बढ़ती है, जिससे गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।
पुरुष बांझपन का इलाज
पुरुष बांझपन का इलाज के लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं, जिनमें लाइफस्टाइल में बदलाव, स्वस्थ आहार, और दवाएं शामिल होती हैं। मेलाटोनिन सप्लीमेंट्स को इनफर्टिलिटी के उपचार में शामिल किया जा सकता है क्योंकि यह हार्मोनल संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है और शुक्राणुओं की गुणवत्ता में सुधार करता है।
इसके अलावा, नियमित व्यायाम और तनाव प्रबंधन तकनीकों को भी बांझपन के इलाज के रूप में प्रभावी माना जाता है। मेलाटोनिन का स्तर बढ़ाने के लिए नींद का सही शेड्यूल बनाए रखना जरूरी है, क्योंकि यह हार्मोन रात के समय सबसे ज्यादा उत्पन्न होता है।
निःसंतानता का इलाज और मेलाटोनिन
महिलाओं और पुरुषों दोनों में निःसंतानता का कारण हार्मोनल असंतुलन हो सकता है। मेलाटोनिन हार्मोन को सही स्तर पर बनाए रखने से प्रजनन प्रणाली पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। निःसंतानता का इलाज के रूप में मेलाटोनिन सप्लीमेंट्स का उपयोग प्रजनन उपचारों में किया जा सकता है, क्योंकि यह न केवल शुक्राणुओं की गुणवत्ता को बढ़ाता है बल्कि शरीर में तनाव के स्तर को भी कम करता है, जो निःसंतानता का एक प्रमुख कारण हो सकता है।
मेलाटोनिन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस, शरीर में फ्री रेडिकल्स के अत्यधिक बनने से होता है और यह शुक्राणुओं को नुकसान पहुंचा सकता है। मेलाटोनिन इस स्ट्रेस को कम करने में एक प्रमुख भूमिका निभाता है, जिससे शुक्राणुओं की डीएनए संरचना ��ुरक्षित रहती है और गर्भधारण की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसलिए, मेलाटोनिन को पुरुष प्रजनन क्षमता को सुधारने के एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में देखा जा रहा है।
निष्कर्ष
मेलाटोनिन हार्मोन का पुरुष बांझपन और निःसंतानता के इलाज में महत्वपूर्ण योगदान है। यह न केवल नींद में सुधार करता है बल्कि शुक्राणुओं की गुणवत्ता और संख्या को भी बढ़ाता है। आज के युग में, जब बांझपन के कारणों का पता लगाना और उनका समाधान खोजना जरूरी हो गया है, मेलाटोनिन हार्मोन एक प्रभावी उपाय साबित हो सकता है। निःसंतानता का इलाज में इसका सही उपयोग करने से प्रजनन स्वास्थ्य को बेहतर किया जा सकता है, जिससे दंपत्तियों के लिए माता-पिता बनने का सपना साकार हो सकता है।
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drsunildubeyclinic · 2 months ago
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MI Treatment: Best Sexologist in Patna, Bihar | Dr. Sunil Dubey
क्या आप शादीशुदा कपल हैं और शादी के कुछ वर्षो बाद भी आप पेरेंट्स बनने से वंचित हैं? यह वाकई में चिंता का विषय है जो लोग इस सुख से वंचित है। वर्तमान समय में, आप पटना में रह रहे हैं और प्राकृतिक उपचार और औषधि केंद्र की तलाश कर रहे हैं जहाँ आप अपने समस्या का सही परामर्श कर सकें और अपनी उचित चिकित्सा व उपचार प्राप्त कर सकें।
आयुर्वेद और इसके प्रभावशाली सप्लीमेंट्स हमेशा किसी भी व्यक्ति को उसको अच्छे स्वास्थ्य और सुदृढ़ शरीर प्रदान करते हैं। यही कारण है कि; आप पटना में सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेदिक सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर की तलाश कर रहे हैं। आप प्रकृति और इसके संसाधन में विश्वास करते हैं और आप अपने समस्या के लिए प्राकृतिक चिकित्सा व उपचार चाहते हैं जिसके द्वारा आप प्राकृतिक रूप से अपने समस्या को समाधान पा सके।
पुरुषों में होने वाले बांझपन के लक्षण और संकेत:
विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य डॉ. सुनील दुबे कहते हैं कि पुरुष बांझपन के कई लक्षण होते हैं जिससे व्यक्ति अपने गुप्त व यौन समस्या से बचाव कर सके। यौन क्रियाशीलता से संबंधित समस्याओं के कारण निम्नलिखित हैं:
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स्खलन में कठिनाई होना।
स्खलन में कम मात्रा में तरल पदार्थ आना।
यौन इच्छा में कमी होना।
इरेक्शन बनाए रखने में कठिनाई होना।
अंडकोष क्षेत्र में दर्द, सूजन या गांठ होना।
मूत्र मार्ग में रुकावट का होना।
��्यक्ति के शुक्राणु के रंग को देखकर यह आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है कि उसका वीर्य स्वस्थ है या नहीं। अगर शुक्राणु का रंग सफेद है तो इसका मतलब यह है कि वह स्वस्थ है। अस्वस्थ शुक्राणु की पहचान उसके भूरे रंग से होती है। जिसका शुक्राणु पीले रंग का है, उसका मतलब यह है कि वीर्य में खून की मात्रा उपलब्ध है।
डॉ. सुनील दुबे कहते हैं कि पुरुष बांझपन के कुछ जोखिम कारक भी हैं, जिसके निम्न प्रकार हैं: -
अस्वस्थ शुक्राणु का होना।
आनुवंशिक समस्याएँ का होना।
जननांग पथ में रुकावट होना।
जननांग संक्रमण से ग्रसित होना।
अंडकोष में चोट का लगना।
समय से पहले/देर से यौवन का होना।
पुरुष में होने वाले बांझपन का प्राकृतिक चिकित्सा व उपचार:
आधुनिक समय में, पुरुष बांझपन के इलाज के बहुत सारे तरीके उपलब्ध हैं। ये तरीके हैं - सर्जरी, कृत्रिम गर्भाधान, इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ), हार्मोनल थेरेपी और इंट्रासाइटोप्लाज़मिक स्पर्म इंजेक्शन। लोग अपने सुविधा के अनुसार इनमें से किसी को भी चुन सकते हैं। दुबे क्लिनिक भारत का एक प्रामाणिक और गुणवत्ता-सिद्ध आयुर्वेदिक क्लिनिक है जो सभी प्रकार के गुप्त व यौन रोगियों को पूर्णकालिक चिकित्सा व उपचार सुविधाएँ प्रदान करता है। यह क्लिनिक आयुर्वेद और इसकी चिकित्सा के माध्यम से रोगियों को संपूर्ण उपचार और दवाएँ प्रदान करता है।
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आयुर्वेदिक चिकित्सा एवं उपचार प्रणाली के माध्यम से किसी भी गुप्त एवं यौन रोग का सम्पूर्ण उपचार संभव है। यह भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली है जो सभी गुप्त एवं यौन रोगों को प्राकृतिक तरीके से ठीक करती है। आयुर्वेदिक उपचार का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह प्राकृतिक तरीके से रोग को ठीक करने के साथ-साथ पूरे शरीर को मजबूत भी बनाता है। इस चिकित्सा उपचार का शरीर पर किसी भी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है।
दुबे क्लिनिक पटना के लंगर टोली, चौराहा में स्थित है जहाँ भारत के कोने-कोने से गुप्त व यौन रोगी अपने-अपने समस्याओं का प्राकृतिक उपचार पाने के लिए इस क्लिनिक से जुड़ते हैं। बिहार राज्य के ज़्यादा��र गुप्त व यौन रोगी इस क्लिनिक को पहली प्राथमिकता देते हैं, इसीलिए डॉ. सुनील दुबे को बिहार में सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट के रूप में भी जाना जाता है। वे एक अनुभवी क्लीनिकल सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर हैं, जिन्होंने पुरुष और महिला के विभिन्न प्रकार के गुप्त व यौन रोगों पर शोध किया है। उनका शोध तब सफल हुआ जब लाखों की संख्या में गुप्त व यौन रोगियों ने अपने-अपने यौन समस्याओं को हमेशा के लिए ठीक कर लिया।
आज के समय में, सौ से ज़्यादा गुप्त व यौन रोगी दुबे क्लिनिक से हर रोज फ़ोन पर संपर्क करते हैं, जबकि औसतन पैंतीस से चालीस गुप्त व यौन रोगी इस क्लिनिक में पाने इलाज करवाने आते हैं। डॉ. सुनील दुबे ने अपने आयुर्वेदा व सेक्सोलोजी मेडिसिन करियर में, भारत के चार लाख से ज़्यादा गुप्त व यौन रोगियों का सफलतापूर्वक इलाज किया है। यह उनके अनुभव व विशेषज्ञता की सबसे बड़ी पहचान है।
अपॉइंटमेंट और परामर्श:
यदि आप एक गुप्त या यौन रोगी हैं, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप पुरुष हैं या महिला। दुबे क्लिनिक में अपॉइंटमेंट लें। यह भारत का सबसे भरोसेमंद आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी चिकित्सा विज्ञान क्लिनिक है जो आयुर्वेद के तहत संपूर्ण चिकित्सा और उपचार प्रदान करता है। अपॉइंटमेंट हर दिन सुबह 08:00 बजे से रात्रि 08:00 बजे तक फोन पर उपलब्ध है। बस इसे करें और बिना किसी झिझक के इस क्लिनिक में समय पर जाएँ। अपना इलाज करवाएँ और अपनी समस्त गुप्त व यौन समस्याओं को हमेशा के लिए ठीक करें।
शुभकामनाओं के साथ:
दुबे क्लिनिक
भारत में प्रमाणित आयुर्वेदा व सेक्सोलोजी क्लिनिक
डॉ. सुनील दुबे, गोल्ड मेडलिस्ट सेक्सोलॉजिस्ट
बी.ए.एम.एस. (रांची) | एम.आर.एस.एच. (लंदन) | आयुर्वेद में पी.एच.डी. (यू.एस.ए.)
हेल्पलाइन नंबर: +91 98350 92586
स्थान: दुबे मार्केट, लंगर टोली, चौराहा, पटना - 04
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yashodaivffertilitycentre · 5 months ago
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HSG टेस्ट: जानें कैसे यह जांच बढ़ा सकती है आपकी गर्भधारण की संभावना (HSG test in hindi)
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आज हम एक महत्वपूर्ण मेडिकल परीक्षण, HSG टेस्ट के बारे में जानेंगे। HSG का पूरा नाम ह्यूस्टेरोसल्पिंगोग्राफी है। यह एक एक्स-रे परीक्षण है जो महिलाओं के गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब की स्थिति और स्वास्थ्य की जांच करता है। इस ब्लॉग में, हम HSG टेस्ट के बारे में विस्तार से जानेंगे, जैसे कि यह क्या होता है, कैसे होता है, और इसके लाभ और जोखिम क्या हैं।
HSG टेस्ट क्या होता है? What is HSG test?
HSG टेस्ट, यानी ह्यूस्टेरोसल्पिंगोग्राफी, एक प्रकार की एक्स-रे प्रक्रिया है जो महिलाओं के गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब की जांच के लिए की जाती है। इस टेस्ट की मदद से डॉक्टर यह पता लगा सकते हैं कि क्या फैलोपियन ट्यूब में कोई रुकावट है या गर्भाशय में कोई असामान्यता है, जो बांझपन का कारण बन सकती है।
HSG टेस्ट क्यों किया जाता है? Why is HSG test done?
HSG टेस्ट का मुख्य उद्देश्य बांझपन (infertility) के कारणों का पता लगाना है। यह टेस्ट डॉक्टर को यह जानने में मदद करता है कि फैलोपियन ट्यूब और गर्भाशय स्वस्थ हैं या नहीं। इसके अलावा, यह टेस्ट अन्य समस्याओं का भी पता लगा सकता है जैसे कि गर्भाशय में फाइब्रॉएड, पॉलीप्स, या आसंजन।
HSG टेस्ट कैसे होता है? How is HSG test done?
HSG टेस्ट के दौरान, डॉक्टर एक पतली कैथेटर का उपयोग करते हैं जो गर्भाशय ग्रीवा (cervix) के माध्यम से गर्भाशय में डाला जाता है। इसके बाद एक रंगीन डाई (dye) गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब में डाली जाती है। फिर एक्स-रे लिया जाता है जो दिखाता है कि डाई कैसे फैलोपियन ट्यूब और गर्भाशय में प्रवाहित हो रही है। अगर ट्यूब में कोई रुकावट है, तो डाई वहां नहीं पहुंचेगी और यह एक्स-रे में दिखाई देगी।
HSG टेस्ट की प्रक्रिया HSG test procedure
तैयारी: परीक्षण से पहले, डॉक्टर आपको परीक्षण की प्रक्रिया के बारे में बताएंगे और किसी भी सवाल का जवाब देंगे। आपको मासिक धर्म चक्र के 5-10 दिन के बीच परीक्षण के लिए बुलाया जाएगा।
प्रक्रिया का आरंभ: परीक्षण के दौरान, आपको एक्स-रे टेबल पर लेटाया जाएगा। डॉक्टर आपके गर्भाशय ग्रीवा में एक स्पेकुलम (speculum) डालेंगे ताकि कैथेटर को आसानी से डाला जा सके।
डाई का प्रवाह: कैथेटर के माध्यम से डॉक्टर गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब में डाई डालेंगे। यह डाई एक्स-रे में दिखाई देती है।
एक्स-रे: डाई के प्रवाह के बाद, एक्स-रे लिया जाएगा जो गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब की स्थिति को दिखाएगा।
प्रक्रिया का अंत: प्रक्रिया के बाद, स्पेकुलम और कैथेटर को हटा दिया जाएगा और आपको आराम करने के लिए कहा जाएगा।
HSG टेस्ट के दौरान दर्द Pain during HSG test
HSG टेस्ट के दौरान थोड़ा असुविधा और हल्का दर्द हो सकता है। यह दर्द मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द की तरह हो सकता है। परीक्षण के बाद कुछ महिलाओं को पेट में हल्का दर्द या ऐंठन महसूस हो सकता है, लेकिन यह आमतौर पर सहनीय होता है। डॉक्टर आपकी सुविधा के लिए प्रक्रिया से पहले पेनकिलर लेने की सलाह दे सकते हैं।
HSG टेस्ट के लाभ Benefits of HSG test
HSG टेस्ट के कई लाभ हैं जो इसे बांझपन के निदान के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षण बनाते हैं:
फैलोपियन ट्यूब की जांच: HSG टेस्ट फैलोपियन ट्यूब में किसी भी रुकावट का पता लगाने में मदद करता है। अगर ट्यूब में कोई रुकावट है, तो डाई वहां नहीं पहुंचेगी और यह एक्स-रे में दिखाई देगी।
गर्भाशय की जांच: HSG टेस्ट गर्भाशय में किसी भी असामान्यता का पता लगाने में भी मदद करता है, जैसे कि फाइब्रॉएड, पॉलीप्स, या आसंजन।
त्वरित परिणाम: HSG टेस्ट के परिणाम जल्दी मिल जाते हैं, जिससे डॉक्टर तुरंत निदान कर सकते हैं और उचित उपचार की योजना बना सकते हैं।
नॉन-इनवेसिव: यह परीक्षण नॉन-इनवेसिव है और इसमें ज्यादा समय नहीं लगता। परीक्षण के बाद आप तुरंत घर जा सकते हैं।
बांझपन का निदान: HSG टेस्ट बांझपन के निदान के लिए पहला कदम है और यह कई महिलाओं के लिए गर्भधारण की समस्या को समझन��� में मदद करता है।
HSG टेस्ट के बाद क्या उम्मीद करें? What to expect after HSG test?
HSG टेस्ट के बाद कुछ दिनों तक हल्की ऐंठन या असुविधा महसूस हो सकती है। योनि से हल्का रक्तस्राव या चिपचिपा स्राव भी हो सकता है। ये लक्षण कुछ दिनों के भीतर ठीक हो जाते हैं। अगर दर्द या असुविधा बनी रहती है, तो डॉक्टर से परामर्श करें।
HSG टेस्ट के बाद की सावधानियाँ
आराम करें: परीक्षण के बाद कुछ घंटे आराम करें और भारी कामों से बचें।
दर्द निवारक: अगर दर्द हो रहा है, तो डॉक्टर द्वारा सुझाए गए दर्द निवारक दवाओं का उपयोग करें।
संक्रमण से बचाव: योनि से असामान्य स्राव, बुखार, या तेज दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
यौन संबंध: परीक्षण के बाद कुछ दिनों तक यौन संबंध बनाने से बचें ताकि संक्रमण का खतरा कम हो सके।
HSG टेस्ट के जोखिम Risks of HSG test
HSG टेस्ट आमतौर पर सुरक्षित होता है, लेकिन कुछ दुर्लभ जटिलताएं हो सकती हैं:
कंट्रास्ट डाई से एलर्जी: कुछ महिलाओं को कंट्रास्ट डाई से एलर्जी हो सकती है। अगर आपको एलर्जी है, तो डॉक्टर को पहले से सूचित करें।
संक्रमण: गर्भाशय या फैलोपियन ट्यूब में संक्रमण हो सकता है। अगर बुखार, ठंड लगना, या तेज दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
गर्भाशय का छिद्र: यह एक बहुत ही दुर्लभ जटिलता है, लेकिन कैथेटर गर्भाशय की दीवार को छिद्र कर सकता है।
असामान्य रक्तस्राव: परीक्षण के बाद हल्का रक्तस्राव सामान्य है, लेकिन अगर यह कुछ घंटों से अधिक समय तक रहता है और मासिक धर्म से अधिक भारी है, तो डॉक्टर से परामर्श लें।
HSG टेस्ट के परिणाम HSG test results
HSG टेस्ट के परिणामों की व्याख्या डॉक्टर द्वारा की जाती है। सामान्य परिणाम बताते हैं कि फैलोपियन ट्यूब और गर्भाशय सामान्य हैं और कोई रुकावट नहीं है। अगर परिणाम असामान्य हैं, तो आगे के परीक्षणों की आवश्यकता हो सकती है।
सामान्य परिणाम
सामान्य HSG टेस्ट रिपोर्ट यह दिखाती है कि फैलोपियन ट्यूब में कोई रुकावट नहीं है और गर्भाशय में कोई असामान्यता नहीं है। डाई आसानी से फैलोपियन ट्यूब और गर्भाशय में प्रवाहित हो जाती है और एक्स-रे में यह स्पष्ट रूप ��े दिखाई देती है।
असामान्य परिणाम
असामान्य HSG टेस्ट रिपोर्ट यह संकेत देती है कि फैलोपियन ट्यूब में रुकावट है या गर्भाशय में कोई असामान्यता है। अगर ट्यूब में रुकावट है, तो डाई वहां नहीं पहुंचेगी और यह एक्स-रे में दिखाई देगी। गर्भाशय में असामान्यता जैसे कि फाइब्रॉएड, पॉलीप्स, या आसंजन भी एक्स-रे में दिखाई दे सकते हैं।
HSG टेस्ट से गर्भधारण की संभावना Possibility of pregnancy through HSG test
कुछ मामलों में, HSG टेस्ट अप्रत्यक्ष रूप से गर्भधारण की संभावना को बढ़ा सकता है। ऐसा माना जाता है कि प्रक्रिया के दौरान उपयोग की जाने वाली कंट्रास्ट डाई (आयोडीन) श्लेष्म या अन्य कोशिका मलबे को साफ करने में मदद कर सकती है जो फैलोपियन ट्यूब को अवरुद्ध कर सकती है और गर्भधारण को रोक सकती है। यह प्रक्रिया के बाद लगभग 3 महीने तक गर्भधारण की संभावना को बढ़ा सकती है।
HSG टेस्ट के विकल्प HSG test options
HSG टेस्ट के अलावा अन्य प्रक्रियाएं भी हैं जो गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब की जांच के लिए की जा सकती हैं:
लैप्रोस्कोपी (Laparoscopy): यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें पेट में एक छोटा सा चीरा लगाकर एक कैमरा डाला जाता है। इससे डॉक्टर सीधे फैलोपियन ट्यूब और गर्भाशय को देख सकते हैं।
हिस्टेरोस्कोपी (Hysteroscopy): इस प्रक्रिया में एक पतला कैमरा गर्भाशय ग्रीवा के माध्यम से गर्भाशय में डाला जाता है। इससे गर्भाशय की आंतरिक दीवार को देखा जा सकता है और किसी भी असामान्यता का पता लगाया जा सकता है।
निष्कर्ष
HSG टेस्ट महिलाओं के गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब की जांच के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षण है जो बांझपन के कारणों की पहचान करने में मदद करता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर सुरक्षित और सहनीय होती है, लेकिन इसमें कुछ असुविधा और जोखिम हो सकते हैं। HSG टेस्ट के बाद, आपको कुछ दिनों तक हल्की ऐंठन या असुविधा महसूस हो सकती है, लेकिन यह सामान्य है।
हमने इस ब्लॉग में HSG टेस्ट के बारे में विस्तार से जानकारी दी है, जो आपके लिए समझने में आसान है। यदि आपके मन में कोई सवाल हो या आपको अधिक जानकारी चाहिए, तो कृपया Yashoda IVF Centre, मुंबई से संपर्क करें। यह केंद्र बांझपन के इलाज में विशेषज्ञता रखता है और आपकी स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को समझने और सही समाधान देने में मदद कर सकता है।
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bestsexologistdoctor · 6 months ago
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Ayurveda Expert Best Sexologist in Patna for MI Treatment | Dr. Sunil Dubey
क्या आप एक निराश विवाहित जोड़े हैं? शादी के चार साल बीत गए और आप एक निःसंतान दंपति की जीवन जी रहे हैं और यही घटना आपको बार-बार परेशान करती रहती है। दरअसल, आपका साथी पुरुष बांझपन की समस्या से पीड़ित है, जहाँ आप दोनों अपने विवाहित जीवन में इस कठिन परिस्थिति का सामना कर रहे हैं।
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डॉ. सुनील दुबे को इस आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी चिकित्सा विज्ञान में 35 से अधिक वर्षों का अनुभव रहा है। वे पहले आयुर्वेदिक सेक्सोलॉजी विशेषज्ञ व डॉक्टर भी हैं, जिन्हें अपने पेशे में उत्कृष्ट कार्य के लिए भारत गौरव पुरस्कार, एशिया फेम आयुर्वेदिक सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर अवार्ड और अंतर्राष्ट्रीय आयुर्वेद रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
वे दुबे क्लिनिक में प्रतिदिन प्रैक्टिस करते हैं, जहाँ भारत के विभिन्न शहरों से गुप्त व यौन रोगी अपने-अपने गुप्त व यौन समस्याओं के समाधान हेतु पटना दुबे क्लिनिक में आते हैं। उन्होंने पुरुषों और महिलाओं के विभिन्न यौन रोगों पर शोध किया है और उसके बाद उन्होंने सबसे विश्वसनीय आयुर्वेदिक दवाओं की सफलतापूर्वक खोज की है। पुरुषों के लिए उनके सबसे सफल आयुर्वेदिक उपचार और दवाएँ ईडी, पीई, एलएसडी, एलएससी, डीएस, एनडी, इत्यादि हैं। पुरुष बाँझपन के मामले में उनका मानना है कि अगर रोगी समय रहते दुबे क्लिनिक आ जाता है।  तो यह 100% सत्य बात है कि वह अपनी समस्या को समय रहते सुधार कर लेगा। अगर इलाज में देर होती है तो समस्या बढ़ जाएगी।
अपने पेशेवर सेक्सोलॉजिस्ट करियर में, उन्होंने भारत के साढ़े चार लाख से अधिक गुप्त व यौन रोगियों का सफलतापूर्वक इलाज किया है। अगर आप उनसे सलाह लेना चाहते हैं, तो फ़ोन पर अपॉइंटमेंट लें और जल्द ही दुबे क्लिनिक जाएँ। हेल्पलाइन नंबर: +91 98350 92586
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dradityasharma-1 · 7 months ago
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क्या आप महिला मूत्र संबंधी समस्याओं का सामना कर रही हैं? जानिए महिला मूत्र विज्ञान देखभाल (Women's Urology Care) के बारे में और लखनऊ में सर्वश्रेष्ठ एंडोयूरोलॉजी देखभाल, मूत्रविज्ञान ऑन्कोलॉजी, और डॉ. आदित्य शर्मा के साथ देखभाल के विकल्पों के बारे में।
मूत्र प्रणाली के स्वास्थ्य को बनाए रखना महिलाओं के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है जितना पुरुषों के लिए। हालांकि, महिलाओं की मूत्र संबंधी समस्याएं अक्सर अनदेखी कर दी जाती हैं या गलत समझी जाती हैं। महिला मूत्र विज्ञान (Women's Urology) का क्षेत्र विशेष रूप से महिलाओं के मूत्र प्रणाली के स्वास्थ्य पर केंद्रित है।
महिला मूत्र विज्ञान विशेषज्ञ क्या करते हैं? (What Does a Female Urologist Do?)
महिला मूत्र रोग विशेषज्ञ मूत्र प्रणाली के रोगों का निदान और उपचार करते हैं, जिसमें शामिल हैं:
मूत्र संक्रमण (Urinary Tract Infections - UTIs) असंयमिता (Incontinence) पेल्विक फ्लोर डिसफंक्शन (Pelvic Floor Dysfunction) योनिच्छेद (Vaginal Prolapse) गुर्दे की पथरी (Kidney Stones) मूत्र असдержание (Urinary Retention) मूत्र संबंधी जन्म दोष (Urogenital Anomalies) मूत्रवाहिनी में संक्रमण (Ureteral Stenosis) मूत्राशय अतिसक्रियता (Overactive Bladder) महिलाओं को कब मूत्र विज्ञान विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए? (When to See a Female Urologist)
यदि आप निम्नलिखित में से किसी भी लक्षण का अनुभव कर रही हैं, तो महिला मूत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना उचित है:
बार-बार पेशाब आना (Frequent Urination) पेशाब करने में जलन या कठिनाई (Burning or Difficulty Urinating) रात में पेशाब करने की आवश्यकता (Nocturia) पेशाब पर रक्त (Blood in Urine) पेट के निचले भाग में दर्द (Pelvic Pain) पेशाब का रिसाव (Urinary Leakage) लखनऊ में सर्वश्रेष्ठ महिला मूत्र विज्ञान देखभाल (Best Women's Urology Care in Lucknow)
लखनऊ में कई मूत्र रोग विशेषज्ञ हैं जो महिलाओं की मूत्र संबंधी समस्याओं का इलाज करते हैं। हालांकि, सर्वोत्तम उपचार प्राप्त करने के लिए, एक बोर्ड- प्रमाणित महिला मूत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना महत्वपूर्ण है, जिनके पास महिला मूत्र विज्ञान में विशेषज्ञता है।
कुछ खोजशब्दों को ध्यान में रखते हुए आप इंटरनेट पर खोज कर सकते हैं, जैसे:
लखनऊ में सर्वश्रेष्ठ एंडोयूरोलॉजी देखभाल (Best Endo Urology Care in Lucknow) मूत्रविज्ञान ऑन्कोलॉजी देखभाल (Uro Oncology Care) डॉ. आदित्य शर्मा के साथ महिला मूत्र विज्ञान देखभाल (Women's Urology Care with Dr. Aditya Sharma) अतिरिक्त सेवाएं (Additional Services)
कुछ मूत्र रोग विशेषज्ञ निम्नलिखित जैसी अतिरिक्त सेवाएं भी प्रदान करते हैं:
किडनी प्रत्यारोपण (Kidney Transplant) पुरुष बांझपन का इलाज (Male Infertility Care) बाल मूत्र विज्ञान देखभाल (Pediatric Urology Care) मूत्र संबंधी अस्पताल (Urological Hospital)
Dr Aditya Sharma MCh Urologist (Gold Medalist) Uro-oncology Kidney Transplant Robotic Surgeon
Address: Kanpur - Lucknow Rd, Sector B, Bargawan, LDA Colony, Lucknow, Uttar Pradesh 226012
Phone: 081300 14199
Website: https://dradityaurologist.com/
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neelkanthivf · 5 days ago
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वेरीकोसील : कारण और लक्षण (Varicocele in Hindi)
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आज के समय में, पुरुषों से संबंधित कई स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं, जिनमें से एक आम समस्या है "वेरीकोसील"। यह समस्या पुरुष प्रजनन तंत्र से जुड़ी होती है और इसके कारण कई बार बांझपन जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है। आइए, वेरीकोसील के बारे में विस्तार से समझें।
वेरीकोसील क्या है? (What is Varicocele in Hindi)
वेरीकोसील पुरुषों की अंडकोष में मौजूद नसों की सूजन है। जब अंडकोष की नसें (वेन्स) फैल जाती हैं और उनका कार्य बाधित होता है, तो इसे वेरीकोसील कहा जाता है। यह समस्या वैरिकोज़ वेन्स (Varicose Veins) के समान होती है, जो पैरों में होती हैं। यह मुख्यतः अंडकोष के ऊपर या बगल में महसूस की जा सकती है और इससे प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
वेरीकोसील के प्रकार (Types of Varicocele in Hindi)
वेरीकोसील को मुख्यतः तीन ग्रेड्स में विभाजित किया गया है:
ग्रेड 1: इसमें नसों की सूजन केवल तब महसूस होती है जब अंडकोष पर दबाव डाला जाता है।
ग्रेड 2: सूजी हुई नसें बिना दबाव डाले भी महसूस की जा सकती हैं।
ग्रेड 3: सूजन स्पष्ट रूप से दिखाई देती है और कभी-कभी दर्द भी होता है।
वेरीकोसील के कारण (Causes of Varicocele in Hindi)
वेरीकोसील के मुख्य कारण निम्नलिखित हो सकते हैं:
खराब रक्त प्रवाह: अंडकोष की नसों में रक्त का सही प्रवाह न होने के कारण वेरीकोसील हो सकता है।
वाल्व फेल्योर: नसों में मौजूद वाल्व के सही तरीके से काम न करने के कारण रक्त उल्टी दिशा में बहने लगता है, जिससे नसें सूज जाती हैं।
जीवनशैली: भारी वजन उठाना, लंबे समय तक खड़े रहना, या मोटापा भी इस समस्या का कारण बन सकते हैं।
वेरीकोसील के कारण के बारे में जागरूकता से इसका समय पर निदान और इलाज किया जा सकता है।
वेरीकोसील के लक्षण (Symptoms of Varicocele in Hindi)
वेरीकोसील के लक्षण हमेशा स्पष्ट नहीं होते, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:
अंडकोष में भारीपन या दर्द: अंडकोष में असहजता या दर्द महसूस होना।
नसों की सूजन: सूजी हुई नसें, जो छूने पर स्पष्ट रूप से महसूस होती हैं।
बांझपन: शुक्राणु उत्पादन में कमी या प्रजनन संबंध�� समस्याएं।
अंडकोष का आकार छोटा होना: एक अंडकोष का दूसरे की तुलना में छोटा दिखना।
दर्द में वृद्धि: लंबे समय तक खड़े रहने या शारीरिक मेहनत करने पर दर्द बढ़ना।
वेरीकोसील के लक्षण पर ध्यान देकर समय पर डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है।
वेरीकोसील के प्रभाव (Effects of Varicocele in Hindi)
वेरीकोसील के कारण निम्नलिखित प्रभाव हो सकते हैं:
प्रजनन क्षमता पर असर: वेरीकोसील से शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता में कमी आ सकती है।
अंडकोष का सिकुड़ना: यह समस्या अंडकोष के आकार को प्रभावित कर सकती है और अंडकोष का सिकुड़ना हो सकता है।
पुरुष बांझपन: वेरीकोसील पुरुष बांझपन के प्रमुख कारणों में से एक है।
वेरीकोसील के प्रभाव को समय पर पहचानकर इसका उपचार कराना बहुत जरूरी है।
वेरीकोसील की जांच कैसे की जाती है? (Diagnosis & Tests of Varicocele in Hindi)
वेरीकोसील की पहचान करने के लिए निम्नलिखित जांच की जाती हैं:
शारीरिक परीक्षण: डॉक्टर अंडकोष की सूजन को महसूस करके प्रारंभिक जांच करते हैं।
अल्ट्रासाउंड: यह परीक्षण नसों की सूजन और रक्त प्रवाह को समझने में मदद करता है।
डॉप्लर अध्ययन: इस जांच के माध्यम से नसों के वाल्व की कार्यक्षमता का विश्लेषण किया जाता है।
समय पर वेरीकोसील की जांच करवाने से इसे पहचानना और सही उपचार शुरू करना संभव हो जाता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
वेरीकोसील एक सामान्य लेकिन गंभीर समस्या हो सकती है, खासकर अगर इसे समय पर न पहचाना जाए। सही समय पर जांच और उपचार से न केवल इस समस्या को दूर किया जा सकता है, बल्कि प्रजनन क्षमता को भी सुरक्षित रखा जा सकता है। यदि आपको वेरीकोसील के लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत किसी विशेषज्ञ से परामर्श लें। याद रखें, स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है।
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dubeyclinic · 10 months ago
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Splendid Sexologist Doctor in Patna, Bihar at Dubey Clinic
पटना, बिहार भारत के विशिष्ट व अनुभवी आयुर्वेदिक सेक्सोलॉजिस्ट डॉ. सुनील दुबे का पुरुष बांझपन का इलाज:
क्या आप शादीशुदा जोड़े हैं और शादी के कुछ सालो के बाद भी माता-पिता का सुख पाने से वंचित हैं? ये वाकई ही चिंता की बात है। अभी, आप पटना में रह रहे हैं और प्राकृतिक उपचार एवं औषधि केंद्र की तलाश में हैं जहां आप वास्तविक और अनुभवी यौन रोग विशेषज्ञ से परामर्श ले सकें और अपनी उचित दवा शुरू कर सकें।
आयुर्वेद और इसके सबसे प्रभावशाली तत्व आपको हमेशा एक स्वस्थ और प्राकृतिक शरीर प्रदान करता है। अतः आप पटना में सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेदिक सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर की तलाश कर रहे हैं। आप प्रकृति में विश्वास करते हैं और प्राकृतिक उपचार चाहते हैं जिसके द्वारा आप प्राकृतिक संसाधन का उत्पादन कर सकें। निश्चित ही आपकी सोच सकारात्मक व सराहनीय है।
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वर्तमान समय में, भारत के गोल्ड मेडलिस्ट व भारत गौरव से सम्मानित सीनियर सेक्सोलॉजिस्ट डॉ सुनील दुबे कहते है कि अगर वास्तविकता को देखा जाए तो पुरुष बांझपन के लिए अन्य कारक उनको ज्यादा परेशान करते है। जहाँ एक पुरुष की गलती बीस से तीस फीसदी होती है वही अन्य कारक चालीस से पचास प्रतिशत की भूमिका निभाते है। पांच से ज्यादा पुरुष बांझपन के मरीज उनसे प्रतिदिन संपर्क करते है। वह उनलोगो की उनकी सही समस्या की पहचान व निदान करते है। वह पटना के सर्वश्रेठ सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर भी है जो सभी प्रकार के यौन रोगियों का इलाज इस क्लिनिक में करते है।
पुरुष बांझपन के लक्षण:
विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य डॉ. सुनील दुबे का कहना है कि पुरुष बांझपन के कई लक्षण होते हैं:-
1. स्खलन में कठिनाई
2. द्रव स्खलन की छोटी मात्रा
3. यौन इच्छा में कमी
4. इरेक्शन बनाए रखने में कठिनाइयाँ
5. अंडकोष क्षेत्र में दर्द, सूजन या गांठ
6. मूत्र मार्ग में रुकावट
स्पर्म का रंग देखकर कोई भी आसानी से यह अंदाजा लगा सकता है कि उसका वीर्य स्वस्थ है या नहीं। अगर शुक्राणु का रंग सफेद है तो इसका मतलब है कि वह स्वस्थ है। अस्वस्थ शुक्राणु की पहचान उसके भूरे रंग से की जाती है। जिसके शुक्राणु का रंग पीला हो तो इसका मतलब है कि वीर्य में खून की मात्रा की अधिकता है।
डॉ. सुनील दुबे का कहना है कि पुरुष बांझपन के होने के कुछ जोखिम हैं, जो निम्नलिखित हैं:-
1. अस्वस्थ शुक्राणु
2. आनुवंशिक समस्याएँ
3. जननांग पथ में रुकावट
4. जननांग संक्रमण
5. अंडकोष में चोट लगना
6. शीघ्र/देर से यौवन
पुरुष बांझपन का प्राकृतिक उपचार कैसे करें:
आधुनिक समय में पुरुष बांझपन के इलाज के कई तरीके मौजूद हैं। ये हैं सर्जरी, कृत्रिम गर्भाधान, इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ), हार्मोनल थेरेपी और इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन। लोग अपनी जेब के अनुसार इनमें से किसी को भी चुन सकते हैं और अपना इलाज करवा सकते है।
दुबे क्लिनिक एक प्रामाणिक आयुर्वेदिक व सेक्सोलॉजी विज्ञान क्लिनिक है जो सभी प्रकार के यौन रोगियों को पूर्णकालिक गुणवत्ता-सिद्ध उपचार और दवा विशेषाधिकार प्रदान करता है। यह क्लिनिक आयुर्वेद और उसके उपचारों में विश्वास करता है और प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली में संपूर्ण उपचार और दवाएँ प्रदान करता है।
यह क्लिनिक दुबे मार्किट, लंगर टोली, चौराहा, पटना में स्थापित है जहां भारत के कोने-कोने से यौन रोगी अपनी यौन समस्याओं का प्राकृतिक इलाज कराने के लिए यहाँ आते हैं। बिहार के अधिकतर यौन रोगी इसी क्लिनिक को पहली प्राथमिकता देते हैं, इसीलिए; डॉ. सुनील दुबे को बिहार में सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट के रूप में जाना जाता है। वह एक अनुभवी सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर हैं जिन्होंने पुरुष और महिला के विभिन्न प्रकार के यौन रोगों पर शोध किया है। उनके सफल आयुर्वेदिक शोध के कारण आज लाखों यौन रोगियों ने अपनी यौन समस्याओं को स्थायी रूप से ठीक कर लिया।
आज के समय में तीन अंको तक अधिक यौन रोगी फोन पर दुबे क्लिनिक से संपर्क करते हैं जबकि प्रतिदिन तीस से अधिक यौन रोगी क्लिनिक में आकर अपना इलाज कराते हैं। डॉ. सुनील दुबे ने भारत के चार लाख से अधिक यौन रोगियों का सफलतापूर्वक इलाज किया है जो कि एक वरिष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर की बड़ी सफलता को दर्शाती है।
नियुक्ति और परामर्श हेतु:
अगर आप एक यौन रोगी हैं तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप पुरुष हैं या महिला। बस दुबे क्लिनिक में अपॉइंटमेंट लें। यह भारत का सबसे भरोसेमंद आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी चिकित्सा विज्ञान क्लिनिक है जो आयुर्वेद के तहत संपूर्ण दवा और उपचार प्रदान करता है। आयुर्वेदा के विशेषज्ञो की टीम सारी दवा दुबे लैब व रिसर्च सेंटर में तैयार करती जो कि शुद्ध, प्राकृतिक, व रामबाण होती है।
अपॉइंटमेंट हर दिन सुबह 08:00 बजे से रात 20:00 बजे तक फोन पर उपलब्ध है। अगर आप भारत में कही भी रहते है तो आप अपॉइंटमेंट ले सकते है, बस ऐसा करें और बिना किसी झिझक के समय पर इस क्लिनिक पर जाएँ। अपना इलाज कराएं और अपनी समस्याओं को हमेशा के लिए ठीक करें।
Regards:
Dubey Clinic
A certified clinic in India
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babyjoyivffertility · 1 year ago
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कुछ दम्पत्तियों की बांझपन (infertility) की समस्या के इलाज के लिए बहुत प्रकार के समाधान उपलब्ध हैं और यही आधुनिक चिकित्सा विज्ञान (modern medical science) की खूबसूरती है। आइए, हम दिल्ली के सबसे श्रेष्ठ आईवीएफ केंद्र (Best IVF Center in Delhi) की सहायता से भ्रूण विभाजन (embryo splitting) की प्रक्रिया के साथ-साथ इसमें शामिल चरणों को भी सही ढ़ंग से समझें। For more details visit https://www.babyjoyivf.com/top-5-best-ivf-centre-in-delhi-with-high-success-rate/ or call us at 8800001978.
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medtalksblog · 1 year ago
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क्या ट्राइडैक्स प्रोकम्बेन्स पुरुषों में यौन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए प्राकृतिक उपचार के रूप में कारगर है?
यौन स्वास्थ्य समग्र स्वास्थ्य और कल्याण का एक अनिवार्य हिस्सा है, जो आत्म-सम्मान, पारस्परिक और पारिवारिक संबंधों को प्रभावित करता है। यह सामाजिक, शारीरिक, मानसिक और स्वास्थ्य क्षेत्र में अन्य स्वास्थ्य मानकों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
पुरुषों में यौन अक्षमता भा��तीय समाज में एक आम और गंभीर मुद्दा है जो पुरुषों और महिलाओं दोनों को समान रूप से प्रभावित करता है। लगभग 43 प्रतिशत महिलाएं और 31 प्रतिशत पुरुष इससे प्रभावित हो सकते हैं। पुरुषों में सबसे सामान्य यौन विकारों में स्तंभन दोष, समय से पहले स्खलन, कम कामेच्छा, और उत्तेजना संबंधी विकार शामिल हैं। इनमें से बहुत से यौन योग हृदय रोग, हार्मोनल असंतुलन, मोटापा, चिंता, अवसाद, और अभिघातजन्य अनुभव जैसे कारणों से उत्पन्न हो सकते हैं।
ट्राइडैक्स प्रोकम्बेन्स एक पारंपरिक औषधीय पौधा है जिसमें कई बायोएक्टिव यौगिक होते हैं जो स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं, विशेषकर यौन स्वास्थ्य के क्षेत्र में। इसका उपयोग नाइट्रिक ऑक्साइड उत्पादन बढ़ाने और स्तंभन समारोह में सुधार करने के लिए किया जा सकता है, जिससे स्तंभन समारोह में सुधार होता है। इसके अलावा, यह पुरुष बांझपन और प्रजनन क्षमता में सुधार कर सकता है।
ट्राइडैक्स प्रोकम्बेन्स का उपयोग सदियों से यौन स्वास्थ्य के लिए किया जा रहा है, और इसके संबंधित बीमारियों के इलाज के लिए भी उपयोगी है। इसकी कार्रवाई के तंत्र को वैज्ञानिक अध्ययनों द्वारा समर्थित किया गया है, जो इसे एक सबसे लाभकारी औषधि में से एक बना देते हैं।
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