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kisansatta · 4 years ago
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भगवान शिव के ये 10 रुद्रावतार है बहुत खास, जानें कहां हैं इनके मंदिर
रुद्रावतार भगवान शिव (रूद्र ) के अवतारों को कहते है । हिन्दू धर्म मान्तया के अनुसार महादेव के 28 रूप धारण किये थे। जिसमे से 10 मुख्य हैं। वेदों में शिव का नाम रुद्र रूप में आया है। रुद्र का मतलब होता है भयानक। रुद्र संहार के देव हैं। विद्वानों के मत से शिव के सभी मुख्य रूप व्यक्ति को सुख, समृद्धि, भोग, मोक्ष देते है और मनुष्य की रक्षा करने करते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार श्रावण मास से ही व्रत और पर्व शुरू हो जाते है। 6 जुलाई से वर्ष 2020 के सावन मास की प्रारम्भ होते है। हिन्दू धर्म में, श्रावण मास का ��हुत महत्त्व होता है। उस समय और जब भगवान शिव की आराधना और उनकी भक्ति के लिए कई हिन्दू ग्रंथों में भी, इस माह को विशेष महत्व दिया गया है। मान्यता है कि सावन माह अकेला ऐसा महीना होता है, जब शिव भक्त महादेव को खुश कर, बेहद आसानी से उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। आइए जानते हैं भगवान शिव के 10 मुख्य रुद्रावतारों के बारे में-
महाकाल :- शिव के दस प्रमुख अवतारों में पहला अवतार महाकाल को माना जाता है। इस अवतार की शक्ति मां महाकाली मानी जाती हैं। उज्जैन में महाकाल नाम से ज्योतिर्लिंग विख्यात है। उज्जैन में ही गढ़कालिका क्षेत्र में मां कालिका का प्राचीन मंदिर है और महाकाली का मंदिर गुजरात के पावागढ़ में है।
तारा:-  शिव के रुद्रावतार में दूसरा अवतार तारा नाम से फेमस है। इस रूप की शक्ति तारादेवी मानी जाती हैं। पश्चिम बंगाल के वीरभूम में स्थित द्वारका नदी के समीप महाश्मशान में स्थित है तारा पीठ।
बाल भुवनेश :-  देवों के देव महादेव का तीसरा रुद्रावतार बाल भुवनेश है। इस अवतार की शक्ति को बाला भुवनेशी माना गया है। दस महाविद्या में से एक माता भुवनेश्वरी का शक्तिपीठ उत्तराखंड में है। यह मंदिर ग्राम विलखेत व दैसण के मध्य नारद गंगा के तट पर मणिद्वीप (सांगुड़ा) में स्थित है। इस पावन सरिता का संगम गंगाजी से व्यासचट्टी में होता है, जहां भगवान वेदव्यासजी ने श्रुति और स्मृतियों को वेद पुराणों के रूप में लिपिबद्ध किया था।
षोडश श्रीविद्येश:-  भगवान शंकर का चौथा रुद्र अवतार षोडश श्रीविद्येश है। इस अवतार की शक्ति को देवी षोडशी श्रीविद्या माना जाता है। दस महा-विद्याओं में तीसरी महा-विद्या भगवती षोडशी है, अतः इन्हें तृतीया भी कहते हैं. त्रिपुरा के उदरपुर के निकट राधाकिशोरपुर गांव के माताबाढ़ी पर्वत शिखर पर माता का दायां पैर गिरा था। इसकी शक्ति त्रिपुर सुंदरी और भैरव को त्रिपुरेश कहा जाता हैं।
भैरव :-  शिव के पांचवें रुद्रावतार सबसे प्रसिद्ध माने गए हैं जिन्हें भैरव कहा जाता है। इस अवतार की शक्ति भैरवी गिरिजा मानी जाती हैं। उज्जैन के शिप्रा नदी तट स्थित भैरव पर्वत पर मां भैरवी का शक्तिपीठ माना गया है, जहां उनके ओष्ठ गिरे थे। हालांकि कुछ विद्वान गुजरात के गिरनार पर्वत के सन्निकट भैरव पर्वत को वास्तविक शक्तिपीठ मानते हैं। दोनों स्थानों पर शक्तिपीठ की मान्यता है।
छिन्नमस्तक :-  छठा रुद्र अवतार छिन्नमस्तक नाम से प्रसिद्ध है. इस अवतार की शक्ति देवी छिन्नमस्ता मानी जाती हैं। छिन���स्तिका मंदिर प्रख्यात तांत्रिक पीठ है। दस महाविधाओं में से एक मां छिन्नमस्तिका का विख्यात सिद्धपीठ रामगढ़ में है। मां का प्राचीन मंदिर नष्ट हो गया था। उसके बाद नया मंदिर बनाया गया लेकिन प्राचीन प्रतिमा यहां मौजूद है. दामोदर-भैरवी नदी के संगम पर स्थित इस पीठ को शक्तिपीठ माना जाता है।
द्यूमवान:-  शिव के दस प्रमुख रुद्र अवतारों में सातवां अवतार द्यूमवान नाम से विख्यात है। इस अवतार की शक्ति को देवी धूमावती माना जाता है, धूमावती मंदिर मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ ‘पीताम्बरा पीठ’ के प्रांगण में स्थित हैं। पूरे भारत में यह मां धूमावती का एक मात्र मंदिर है जिसकी मान्यता बहुत अधिक है।
बगलामुख:-  शिव का आठवां रुद्र अवतार बगलामुख नाम से जाना जाता है। इस अवतार की शक्ति को देवी बगलामुखी माना जाता है। दस महाविद्याओं में से एक बगलामुखी के तीन प्रसिद्ध शक्तिपीठ हैं पहला हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में स्थित बगलामुखी मंदिर, दूसरा मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित बगलामुखी मंदिर और तीसरा मध्यप्रदेश के शाजापुर में स्थित बगलामुखी मंदिर।
मातंग:-  शिव के दस रुद्रावतारों में नौवां अवतार मातंग है। इस अवतार की शक्ति को देवी मातंगी माना जाता है। मातंगी देवी अर्थात राजमाता दस महाविद्याओं की एक देवी है�� मोहकपुर की मुख्य अधिष्ठाता है. देवी का स्थान झाबुआ के मोढेरा में है।
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