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#फोर्ब्स एशिया
dainiksamachar · 9 months
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रूस के साथ मिलकर दुनिया का सबसे 'बेकार' हवाई अड्डा खरीदेगा भारत, चीन का क्या है कनेक्‍शन?
कोलंबो: भारत और रूस जल्द ही दुनिया के सबसे बेकार हवाई अड्डे को साथ मिलकर खरीद सकते हैं। यह हवाई अड्डा भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में स्थित है, जिसे चीन के पैसों से बनाया गया है। यह एयरपोर्ट श्रीलंका के मटाला शहर में स्थित है, जो हंबनटोटा बंदरगाह से लगभग 18 किलोमीटर दूर है। इसे मटाला राजपक्षे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (MRIA)या हंबनटोटा हवाई अड्डा के नाम से भी जानते हैं। श्रीलंका ने हंबनटोटा बंदरगाह को चीन को कर्ज के बदले 99 साल की लीज पर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत और रूस हंबनटोटा एयरपोर्ट को खरीदने के लिए एक ज्वाइंट वेंचर बना सकते हैं। इसका एकमात्र कारण हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकना है। निजी कंपनियों के साथ ज्वाइंट वेंचर बनाएंगे भारत-रूस श्रीलंकाई न्यूज वेबसाइट न्यूजफर्स्ट की रिपोर्ट के अनुसार, रूस ने श्रीलंका के मटाला राजपक्षे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा को चलाने के लिए निजी कंपनियों को शामिल करते हुए भारत के साथ एक ज्वाइंट वेंचर में शामिल होने की इच्छा जताई है। श्रीलंका में रूसी राजदूत लेवन एस दझागेरियन ने इस हवाई अड्डे को संचालित करने के लिए भारत के साथ एक ज्वाइंट वेंचर बनाने का संकेत दिया है। उन्होंने कहा, " अलग-अलग विचार थे, अगल-अलग प्रस्ताव थे, और सिर्फ हमारे विचारों को व्यक्त करने के लिए इस पर विचार किया जा सकता है।" रूसी राजदूत ने डील को लेकर क्या कहा रूसी राजदूत ने श्रीलंका आने वाले रूसी पर्यटकों की बढ़ती संख्या का जिक्र करते हुए कहा कि मटाला हवाई अड्डे में उनकी रूचि का एक बड़ा कारण यह भी है। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा रूसी पर्यटक भारत आते हैं और दूसरे पर श्रीलंका का स्थान है। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि 2024 में करीब 12 लाख रूसी नागरिक टूरिस्ट वीजा पर श्रीलंका पहुंचेंगे। इस महीने की शुरुआत में श्रीलंका के बंदरगाह और विमानन मंत्रालय के सचिव केडीएस रूवानचंद ने पुष्टि की कि चर्चा के बाद भारत और रूस के बीच एक निजी संयुक्त उद्यम को एमआरआईए का संचालन सौंपने पर एक समझौता हुआ है। हंबनटोटा के पास स्थित है यह हवाई अड्डा मटाला राजपक्षे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा मटाला शहर में स्थित है, जो हंबनटोटा बंदरगाह के पास है। यह श्रीलंका का पहला ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा है। इसके अलावा एमआरआईए कोलंबो के रतमलाना अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और भंडारनायके अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के बाद श्रीलंका का तीसरा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। मटाला राजपक्षे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा को 2013 में तत्कालीन राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने खोला था। शुरुआत में कई एयरलाइनों ने इस हवाई अड्डे में रूचि दिखाई और उड़ाने शुरू की, लेकिन कम कमाई के कारण धीरे-धीरे उनकी संख्या कम होने लगी। क्यों घाटे में चल रहा मटाला हवाई अड्डा यात्रियों की कम संख्या के कारण 2018 तक लगभग सभी एयरलाइनों ने मटाला राजपक्षे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को छोड़ दिया। कम उड़ानों को देखते हुए श्रीलंका ने शुरुआत में इस हवाई अड्डे पर लंबी अवधि के लिए विमान पार्किंग फैसिलिटी शुरू करने, फ्लाइंग ट्रेनिंग स्कूल खोलने और मेंटीनेंस बेस बनाने का प्लान बनाया, लेकिन यह फेल हो गया। इसके बाद इस एयरपोर्ट की हालत इतनी खराब हो गई कि यह अपनी बिजली बिल को जमा करने भर की कमाई भी नहीं कर सका। इस कारण श्रीलंका ने इस एयरपोर्ट से कॉमर्शियल एक्टिविटी में रूचि रखने वाली कंपनियों से बोलियां आमंत्रित की, जिसका जवाब सिर्फ भारत ने दिया। कोविड महामारी के दौरान बढ़ा इस्तेमाल फोर्ब्स ने मटाला राजपक्षे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा को इसके बड़े आकार और सीमित उड़ान के कारण दुनिया का सबसे खाली हवाई अड्डा करार दिया। 2020 में, नवनिर्वाचित श्रीलंकाई सरकार ने हवाई अड्डे के संचालन के लिए एक संयुक्त उद्यम के लिए भारत के साथ बातचीत खत्म कर दी। इसके बाद कोविड-19 महामारी के बीच इस हवाई अड्डे की उपयोगिता एक बार फिर बढ़ी। महामारी के दौरान इस हवाई अड्डे पर विदेशों से लौटे श्रीलंकाई यात्रियों को ठहराया गया, चार्टर विमानों और समुद्री यात्री उड़ानों में वृद्धि देखी गई। http://dlvr.it/T0sMhk
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new-haryanvi-ragni · 1 year
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मुकेश अंबानी फिर बने एशिया के सबसे धनी व्यक्ति, जानिए फोर्ब्स लिस्ट कहां हैं गौतम अडाणी
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sabkuchgyan · 2 years
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बर्नार्ड अरनॉल्ट को पीछे छोड़ एलन मस्क बने दुनिया के सबसे अमीर शख्स, गौतम अडानी तीसरे नंबर पर
बर्नार्ड अरनॉल्ट को पीछे छोड़ एलन मस्क बने दुनिया के सबसे अमीर शख्स, गौतम अडानी तीसरे नंबर पर
कभी दुनिया के सबसे अमीर शख्स रहे एलन मस्क अब टॉप 10 अरबपतियों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर आ गए हैं। फोर्ब्स के अनुसार, बर्नार्ड अरनॉल्ट ने एलन मस्क को पीछे छोड़ते हुए दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति का तमगा हासिल कर लिया है। बर्नार्ड अरनॉल्ट अब दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति हैं। इस सूची में एशिया और भारत के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडानी हैं। फोर्ब्स के अनुसार, दुनिया के प्रमुख लक्ज़री उत्पाद समूह…
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slnkhabar · 2 years
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गौतम अडानी ने कमाने के अलावा खूब किया परोपकार, अब इस लिस्ट में भी आया नाम, इन भारतीय अरबपतियों ने भी बनाई जगह
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Forbes Asia’s Heroes of Philanthropy: भारतीय अरबपति गौतम अडानी ने हाल ही में देश-विदेश में खूब नाम कमाया। दुनिया के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में वे दूसरे नंबर तक पहुंच गए। इतना ही नहीं उनका नाम अब एक और नई लिस्ट में शामिल हुआ है। इससे यह मालूम पड़ता है कि अडानी ने ना केवल कमाई की बल्कि उनके द्वारा परोपकार के भी कई अवसर उत्पन्न हुए। भारतीय अरबपति गौतम अडानी, शिव नादर और अशोक सूता के साथ-साथ मलेशियाई-भारतीय व्यवसायी ब्रह्मल वासुदेवन और उनकी वकील पत्नी शांति कंडिया का नाम मंगलवार को जारी फोर्ब्स एशिया की ‘हीरोज ऑफ फिलानथ्रॉपी’ लिस्ट के 16वें संस्करण में रखा गया है। फोर्ब्स ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘अनरैंक सूची’ एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अग्रणी परोपकारी लोगों को उजागर करती है जिन्होंने परोपकारी कारणों के लिए एक मजबूत व्यक्तिगत प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया।’ 60 हजार करोड़ रुपये को खर्च करेंगे अडानी अडानी ने इस साल जून में 60 साल के होने पर 60,000 करोड़ रुपये परोपकारी कायों पर खर्चा करने की प्रतिबद्धता जताई है। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि ऐसी योजना उन्हें भारत के सबसे उदार परोपकारी लोगों में से एक बनाती है। दी जाने वाली रकम स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और कौशल विकास पर लगाई जाएगी। पैसा फैमिली अदानी फाउंडेशन के माध्यम से प्रसारित किए जाएंगे, जिसे 1996 में स्थापित किया गया था। अन्य कारोबारियों ने भी खूब खर्चा किया वहीं, स्व-निर्मित अरबपति और परोपकारी शिव नादर भारत में शीर्ष दाताओं में गिने जाते हैं, जिन्होंने कुछ दशकों में अपनी संपत्ति का 1 बिलियन अमरीकी डालर के करीब शिव नादर फाउंडेशन के माध्यम से विभिन्न सामाजिक कारणों से प्रसारित किया है। इस वर्ष उन्होंने शिक्षा के माध्यम से व्यक्तियों को सशक्त बनाकर एक न्यायसंगत, योग्यता आधारित समाज बनाने का इरादा रखते हुए 1994 में स्थापित फाउंडेशन को 11,600 करोड़ रुपये का दान दिया। इसके अलावा टेक टाइकून अशोक सूटा ने उम्र बढ़ने और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के अध्ययन के लिए अप्रैल 2021 में स्थापित मेडिकल रिसर्च ट्रस्ट को 600 करोड़ रुपये देने का वादा किया है। Read the full article
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prabudhajanata · 2 years
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भारतीय स्टार्ट-अप गोक्विक ने FedEx एक्सप्रेस  एएमईए स्मॉल बिजनेस ग्रांट कॉन्टेस्ट-2022 जीता भारत - फेडएक्स कॉर्प. (NYSE: FDX) की सह...
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allgyan · 4 years
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जैक मा और चीनी सरकार की आलोचना-
एशिया के सबसे अमीर समहू में शामिल जैक मा को कौन नहीं जानते है |चीन के सबसे अमीर व्यक्ति हैं एशिया की दूसरी सबसे अमीर व्यक्ति हैं और एक सेवानिवृत्त चीनी व्यापार थैलीशाह, निवेशक, राजनीतिज्ञ और परोपकारी है। वह एक बहुराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी समूह , अलीबाबा ग्रुप के सह-संस्थापक और पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष हैं । मा एक खुली और बाजार संचालित अर्थव्यवस्था का एक मजबूत प्रस्तावक है ।पिछले दो महीनों से वे किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में नहीं देखे गए हैं। दरअसल, जैक मा ने पिछले ��ाल अक्टूबर महीने में किसी मुद्दे पर चीनी सरकार की आलोचना की थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, इसके बाद से ही जैक मा की कोई सार्वजनिक उपस्थिति दर्ज नहीं हुई है।
जैक मा जब न दिखे अपने शो में -
जैक मा के बारे में रहस्य तब और बढ़ गया, जब वे अपने टैलेंट शो के फाइनल एपिसोड में भी नहीं दिखाई दिए। मा की जगह इस एपिसोड में अलीबाबा के एक अधिकारी ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी थी। अलीबाबा के प्रवक्ता के अनुसार, मा अपने व्यस्त कार्यक्रम के चलते इस एपिसोड में भाग नहीं ले पाए थे। हालांकि, कार्यक्रम की वेबसाइट से मा की तस्वीर हटने के बाद रहस्य और गहरा गया। जैक ने अक्टूबर -2020 में चीन की सरकार के कुछ फैसले पर आपत्ति जताया था |उन्होंने शंघाई के बैंको को भी भला -बुरा कहा था |उन्होंने कहा था की ये नवाचार को दबाने का काम कर रहे है |इनके इस अभिभाषण के बाद चीन पर काबिज़ सरकार ने उनकी आलोचना की थी | मा के एंट ग्रुप सहित कई कारोबारों पर असाधारण प्रतिबंध लगाए जाने शुरू हो गए थे।जैक मा के आईपीओ के निलबन के बाद से ही वो किसी भी सार्वजानिक कार्यकम में नहीं दिखे |
चीन में 2016 से 2017 के बीच कई अरबपति गायब हो गये | क्योकि चीन में कुख्यात भ्रष्टाचार विरोधी अभियान चला रखा था | कई तो उसमे से दुबारा नहीं लौटे और जो लौटे भी वो उन्होंने कहा की वो सरकार से बात कर रहे थे | फोर्ब्स पत्रिका की दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोगों में दुनिया में 21 वें स्थान पर है।उनका इस तरह न दिखना भी एक आश्चर्य की बात है और ये खबर एक चिंगारी की तरह फ़ैल रही है |
जैक मा का शुरआती जीवन -
मा का जन्म 10 सितंबर 1964 को हांग्जो , झेजियांग, चीन में हुआ था। उन्होंने हांग्जो इंटरनेशनल होटल में अंग्रेजी बोलने वालों के साथ बातचीत करके कम उम्र में अंग्रेजी का अध्ययन शुरू किया। वह नौ साल तक अपनी अंग्रेजी का अभ्यास करने के लिए क्षेत्र के पर्यटकों को पर्यटन देने के लिए अपनी साइकिल पर 70 मील की दूरी तय करेगा। वह उन विदेशियों में से एक के साथ पेन पल्स बन गए , जिन्होंने उन्हें "जैक" उपनाम दिया क्योंकि उन्हें अपने चीनी नाम का उच्चारण करना कठिन लगता था।जैक मा के अलावा इनका नाम मा युन है|नौकरी न मिलने के बाद जैक मा ने अपना संघर्ष जारी रखा और सन 1998 में अलीबाबा की स्थापना की|
KFC में भी नौकरी की जैक मा-
जैक मा ने करियर की शुरुवात काफी चुनौतीपूर्ण रही | जैक मा ने 30 अलग अलग जगहों पर नौकरी के लिए आवेदन किये लेकिन हर बार उन्हें निराशा ही हाथ लगी | जैक माँ सबसे पहले एक पुलिस की नौकरी के लिए आवेदन किया था लेकिन उनके डील डौल को देखकर उन्हें साफ मना कर दिया | इसके बाद वो एक बार KFC में भी नौकरी के लिए जब KFC पहली बार उनके शहर में आया था | इस नौकरी के लिए 24 लोगो ने आवेदन किया था जिसमे से 23 लोगो को चयन हो गया लेकिन एकमात्र जैक मा का चयन नही हुआ था | इससे पता चलता है कि जैक मा ने अपने करियर की शुरुवात में कितनी ठोकरे खाई थी ||
       1994 में जैक मा ने पहली बार इन्टरनेट का नाम सूना | 1995 की शुरवात में वो अपने दोस्तों की मदद से अमेरिका गये जहा उन्होंने पहली बार इन्टरनेट देखा | जैक मा ने इससे पहले कभी इन्टरनेट नही चलाया था , उन्होंने जब पहली बार इन्टरनेट चलाया तो उन्होंने “beer ” शब्द खोजा | उन्हें Beer से संबधित कई जानकारी अलग अलग देशो से प्राप्त हुयी लेकिन वो ये देखकर चौक गये कि उस सर्च में चीन का नाम कही नही था | अगले बार उन्होंने चीन के बारे में सामान्य जानकारी ढूंढने की कोशिश की लेकिन फिर वो चौक गये कि चीन को कोई जानकारी इन्टनेट पर उपलब्ध नही थी |
अलीबाबा कैसे बना चीन का अमेज़ॉन -
अमेज़न और ईबे की बिक्री को मिला दें तो भी अलीबाबा इन पर भारी पड़ता है और इसके पीछे दिमाग है अलीबाबा के मालिक जैक मा का|चीन में विदेशी कंपनियों को काम नहीं करने दिया गया जिसका फायदा अलीबाबा के साथ साथ बाइदू और टेनसेंट जैसी कंपनियों को हुआ लेकिन अलीबाबा ने बीते पंद्रह सालों में कुछ ख़ास किया हैचीन का गूगल या चीन का अमेज़न बनने के साथ ही जैक मा ने अपनी कंपनी के ज़रिए वो टूल्स बनाए जिससे चीन के लोग सुरक्षित और सस्ती खरीदारी कर सकें|इसके बाद कंपनी ने अपने फ़ायदे के लिए चीन की इंटरनेट राजनीति का भरपूर इस्तेमाल किया.|उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं को विश्वास दिलाया कि कंपनी किसी भी तरह से पार्टी के ख़िलाफ नहीं है|
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sonita0526 · 5 years
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अजीम प्रेमजी एशिया के सबसे उदार समाजसेवी, इस साल 52750 करोड़ रु के शेयर दान किए गए
अजीम प्रेमजी एशिया के सबसे उदार समाजसेवी, इस साल 52750 करोड़ रु के शेयर दान किए गए
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नई दिल्ली।प्रतिष्ठित फोर्ब्स मैग्जीन ने विप्रो के मालिक-चेयरमैन अजीम प्रेमजी (74) को एशिया का सबसे उदार समाजसेवी घोषित किया है। प्रेमजी ने इस साल 760 करोड़ डॉलर (52,750 करोड़ रुपये) के वेल्यू के विप्रो के शेयर दान किए। वे अब तक 2,100 करोड़ डॉलर (1.45 लाख करोड़) की वेल्यू के शेयर समाज सेवा के कामों के लिए दे चुके हैं। फोर्ब्स ने बुधवार को एशिया-पैसिफिक के 30 सबसे बड़े परोपकारियों की लिस्ट…
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khabronmebikaner · 2 years
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2022 ने गरीबों की जेब ही नहीं अमीरों की तिजोरी में भी मारी सेंध !
2022 ने गरीबों की जेब ही नहीं अमीरों की तिजोरी में भी मारी सेंध !
2022 ने गरीबों की जेब पर ही नहीं अमीरों की तिजोरी पर भी डाला डाका ! दुनिया पर महंगाई की मारदो दिनों में RIL के शेयर की कीमतों में उछाल फोर्ब्स की रियलटाइम बिलेनियर्स लिस्ट में भी मुकेश अंबानी आगे अरबपतियों को 10 खरब डॉलर का घाटाअडाणी को पछाड़ अंबानी फिर बने एशिया के सबसे अमीर बिजनेसमैनब्लूमबर्ग की दुनिया के अमीरों की लिस्ट में मुकेश अंबानी 8वें और गौतम अडाणी 9वें नंबर परदेश के अरबपतियों ने अपनी…
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newskey21 · 2 years
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गौतम अडानी की संपत्ति 100 अरब डॉलर से अधिक बढ़ी, दुनिया के छठे सबसे अमीर बने
गौतम अडानी की संपत्ति 100 अरब डॉलर से अधिक बढ़ी, दुनिया के छठे सबसे अमीर बने
नई दिल्ली: अदाणी समूह के अध्यक्ष गौतम अदाणी ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स के अनुसार मंगलवार क��� 118 अरब डॉलर की कुल संपत्ति के साथ दुनिया के छठे सबसे अमीर व्यक्ति बन गए। अदानी ने 4 अप्रैल को 100 अरब डॉलर के वेल्थ क्लब में प्रवेश किया और अब ब्लूमबर्ग की शीर्ष 10 वैश्विक अरबपतियों की सूची में एकमात्र भारतीय हैं। फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, वह एशिया के सबसे अमीर अरबपति भी हैं। 59 वर्षीय, अब एक…
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dainiksamachar · 2 years
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हिडनबर्ग ने दिया झटके पर झटका, 100 अरब डॉलर डूबे, अमीरों की लिस्ट में 'गरीब' हुए अडानी
नई दिल्ली: अडानी ग्रुप (Adani Group) के शेयरों में लगातार छठे दिन भारी गिरावट आई है। ग्रुप की कंपनियों का मार्केट कैप करीब 100 अरब डॉलर गिर चुका है। अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म Hindenburg Research की पिछले हफ्ते आई एक रिपोर्ट में दावा किया था कि अडानी ग्रुप दशकों से खुल्लम-खुल्ला शेयरों में गड़बड़ी और अकाउंट धोखाधड़ी में शामिल रहा है। इसके बाद से ही अडानी ग्रुप के शेयरों को कत्लेआम हो रहा है। फोर्ब्स रियल टाइम बिलिनेयर के मुताबिक गुरुवार को शेयरों में गिरावट से ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी (Gautam Adani) की नेटवर्थ में 27 फीसदी से अधिक गिरावट आई है। उनकी नेटवर्थ 24 अरब डॉलर यानी 20,09,09,92,25,000 रुपये गिरकर 64.7 अरब डॉलर रह गई है। इसके साथ ही वह दुनिया के अमीरों की लिस्ट में 16वें नंबर पर खिसक गए हैं। इस रिपोर्ट के आने से पहले वह इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर थे। लेकिन अब वह एशिया में भी तीसरे नंबर पर खिसक गए हैं।अडानी ग्रुप ने Hindenburg Research की रिपोर्ट को झूठ का पुलिंदा बताते हुए कहा इसे भारत के खिलाफ साजिश करार दिया था। लेकिन अडानी ग्रुप निवेशकों का भरोसा जीतने में नाकाम रहा है। ग्रुप ने अपनी फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज का 20 हजार करोड़ रुपये का एफपीओ भी वापस ले लिया है। अडानी ने खुद बयान जारी कर निवेशकों को ग्रुप में भरोसा बनाए रखने की अपील की है। लेकिन लगता है कि उनकी इस अपील का निवेशकों पर कोई असर नहीं हो रहा है। अडानी एंटरप्राइजेज का शेयर बुधवार को 25 परसेंट गिरा था और आज यह 21 फीसदी की गिरावट के साथ 1678 रुपये पर आ गया है। पिछले पांच साल में इस शेयर में 800 फीसदी तेजी आई थी लेकिन पांच दिन में इसमें 40 फीसदी से अधिक गिरावट आई है। दस में से नौ शेयरों में गिरावट इसी तरह अडानी पावर (Adani Power) में पांच फीसदी, अडानी पोर्ट्स (Adani Ports) में 3.74 फीसदी, अडानी टोटल गैस (Adani Total Gas) में 10 फीसदी, अडानी ग्रीन एनर्जी (Adani Green Energy) में 10 फीसदी, एसीसी लिमिटेड (ACC Ltd) में 0.29 फीसदी, अडानी ट्रांसमिशन (Adani Transmission) में 10 फीसदी, एनडीटीवी (NDTV) में पांच फीसदी और अडानी विल्मर (Adani Wilmar) में पांच फीसदी गिरावट आई। केवल अंबूजा सीमेंट्स (Ambuja Cements) में 3.12 फीसदी तेजी आई है। बुधवार को इन सभी कंपनियों के शेयरों में गिरावट आई थी जबकि मंगलवार को दस में से सात शेयर तेजी के साथ बंद हुए थे।अमीरों की लिस्ट में रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) के मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) दसवें नंबर पर हैं जबकि चीन के झोंग शैनशैन (Zhong Shanshan) 15वें नंबर पर हैं। अंबानी एशिया में पहले और शैनशैन दूसरे नंबर पर हैं। एशियाई अमीरों की लिस्ट में अडानी अब तीसरे नंबर पर खिसक गए हैं। http://dlvr.it/ShqDCN
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new-haryanvi-ragni · 1 year
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मुकेश अंबानी फिर बने एशिया के सबसे धनी व्यक्ति, जानिए फोर्ब्स लिस्ट कहां हैं गौतम अडाणी
अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट के बाद उनकी संपत्ति में तेजी से गिरावट हुई। from India TV Hindi: paisa Feed https://ift.tt/Z8Cpv3E via IFTTT from Blogger https://ift.tt/mU1hoC5 via IFTTT
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sabkuchgyan · 2 years
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कमाई ही नहीं दान में भी अव्वल गौतम अडानी, बनाया नया रिकॉर्ड
कमाई ही नहीं दान में भी अव्वल गौतम अडानी, बनाया नया रिकॉर्ड
फोर्ब्स की एशिया के चैरिटी हीरोज की सूची में भारतीय अरबपति उद्योगपति गौतम अडानी, शिव नादर और अशोक सूटा के साथ-साथ मलेशियाई-भारतीय व्यवसायी ब्रह्मल वासुदेवन और उनकी वकील पत्नी शांति कंडिया शामिल हैं। एशिया चैरिटेबल हीरोज लिस्ट का 16वां संस्करण मंगलवार को यहां जारी किया गया। फोर्ब्स ने एक बयान में कहा कि सूची में बिना किसी रैंकिंग के एशिया-प्रशांत क्षेत्र के प्रमुख परोपकारी शामिल हैं। जून में 60…
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news-trust-india · 3 years
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Richest Person of Asia: भारतीय व्यवसायी गौतम अडानी बने एशिया के सबसे धनी व्‍यक्ति
Richest Person of Asia: भारतीय व्यवसायी गौतम अडानी बने एशिया के सबसे धनी व्‍यक्ति
नई दिल्ली। Richest Person of Asia:  भारतीय व्यवसायी गौतम अडानी 90.1 बिलियन डॉलर के साथ एशिया के सबसे अमीर आदमी बन गए हैं, उन्होंने मुकेश अंबानी को पीछे छोड़ दिया है। साथ ही अडानी दुनिया के 10वें सबसे अमीर व्यक्ति हैं। फोर्ब्स की रियल टाइम बिलियनेयर इंडेक्स के अनुसार, रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख साथी भारतीय अरबपति मुकेश अंबानी का नेटवर्थ 89.4 बिलियन डॉलर है। अंबानी पहले सबसे अमीर एशियाई अरबपति…
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allgyan · 4 years
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जैक मा और चीनी सरकार की आलोचना-
एशिया के सबसे अमीर समहू में शामिल जैक मा को कौन नहीं जानते है |चीन के सबसे अमीर व्यक्ति हैं एशिया की दूसरी सबसे अमीर व्यक्ति हैं और एक सेवानिवृत्त चीनी व्यापार थैलीशाह, निवेशक, राजनीतिज्ञ और परोपकारी है। वह एक बहुराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी समूह , अलीबाबा ग्रुप के सह-संस्थापक और पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष हैं । मा एक खुली और बाजार संचालित अर्थव्यवस्था का एक मजबूत प्रस्तावक है ।पिछले दो महीनों से वे किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में नहीं देखे गए हैं। दरअसल, जैक मा ने पिछले साल अक्टूबर महीने में किसी मुद्दे पर चीनी सरकार की आलोचना की थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, इसके बाद से ही जैक मा की कोई सार्वजनिक उपस्थिति दर्ज नहीं हुई है।
जैक मा जब न दिखे अपने शो में -
जैक मा के बारे में रहस्य तब और बढ़ गया, जब वे अपने टैलेंट शो के फाइनल एपिसोड में भी नहीं दिखाई दिए। मा की जगह इस एपिसोड में अलीबाबा के एक अधिकारी ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी थी। अलीबाबा के प्रवक्ता के अनुसार, मा अपने व्यस्त कार्यक्रम के चलते इस एपिसोड में भाग नहीं ले पाए थे। हालांकि, कार्यक्रम की वेबसाइट से मा की तस्वीर हटने के बाद रहस्य और गहरा गया। जैक ने अक्टूबर -2020 में चीन की सरकार के कुछ फैसले पर आपत्ति जताया था |उन्होंने शंघाई के बैंको को भी भला -बुरा कहा था |उन्होंने कहा था की ये नवाचार को दबाने का काम कर रहे है |इनके इस अभिभाषण के बाद चीन पर काबिज़ सरकार ने उनकी आलोचना की थी | मा के एंट ग्रुप सहित कई कारोबारों पर असाधारण प्रतिबंध लगाए जाने शुरू हो गए थे।जैक मा के आईपीओ के निलबन के बाद से ही वो किसी भी सार्वजानिक कार्यकम में नहीं दिखे |
चीन में 2016 से 2017 के बीच कई अरबपति गायब हो गये | क्योकि चीन में कुख्यात भ्रष्टाचार विरोधी अभियान चला रखा था | कई तो उसमे से दुबारा नहीं लौटे और जो लौटे भी वो उन्होंने कहा की वो सरकार से बात कर रहे थे | फोर्ब्स पत्रिका की दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोगों में दुनिया में 21 वें स्थान पर है।उनका इस तरह न दिखना भी एक आश्चर्य की बात है और ये खबर एक चिंगारी की तरह फ़ैल रही है |
जैक मा का शुरआती जीवन -
मा का जन्म 10 सितंबर 1964 को हांग्जो , झेजियांग, चीन में हुआ था। उन्होंने हांग्जो इंटरनेशनल होटल में अंग्रेजी बोलने वालों के साथ बातचीत करके कम उम्र में अंग्रेजी का अध्ययन शुरू किया। वह नौ साल तक अपनी अंग्रेजी का अभ्यास करने के लिए क्षेत्र के पर्यटकों को पर्यटन देने के लिए अपनी साइकिल पर 70 मील की दूरी तय करेगा। वह उन विदेशियों में से एक के साथ पेन पल्स बन गए , जिन्होंने उन्हें "जैक" उपनाम दिया क्योंकि उन्हें अपने चीनी नाम का उच्चारण करना कठिन लगता था।जैक मा के अलावा इनका नाम मा युन है|नौकरी न मिलने के बाद जैक मा ने अपना संघर्ष जारी रखा और सन 1998 में अलीबाबा की स्थापना की|
KFC में भी नौकरी की जैक मा-
जैक मा ने करियर की शुरुवात काफी चुनौतीपूर्ण रही | जैक मा ने 30 अलग अलग जगहों पर नौकरी के लिए आवेदन किये लेकिन हर बार उ���्हें निराशा ही हाथ लगी | जैक माँ सबसे पहले एक पुलिस की नौकरी के लिए आवेदन किया था लेकिन उनके डील डौल को देखकर उन्हें साफ मना कर दिया | इसके बाद वो एक बार KFC में भी नौकरी के लिए जब KFC पहली बार उनके शहर में आया था | इस नौकरी के लिए 24 लोगो ने आवेदन किया था जिसमे से 23 लोगो को चयन हो गया लेकिन एकमात्र जैक मा का चयन नही हुआ था | इससे पता चलता है कि जैक मा ने अपने करियर की शुरुवात में कितनी ठोकरे खाई थी ||
       1994 में जैक मा ने पहली बार इन्टरनेट का नाम सूना | 1995 की शुरवात में वो अपने दोस्तों की मदद से अमेरिका गये जहा उन्होंने पहली बार इन्टरनेट देखा | जैक मा ने इससे पहले कभी इन्टरनेट नही चलाया था , उन्होंने जब पहली बार इन्टरनेट चलाया तो उन्होंने “beer ” शब्द खोजा | उन्हें Beer से संबधित कई जानकारी अलग अलग देशो से प्राप्त हुयी लेकिन वो ये देखकर चौक गये कि उस सर्च में चीन का नाम कही नही था | अगले बार उन्होंने चीन के बारे में सामान्य जानकारी ढूंढने की कोशिश की लेकिन फिर वो चौक गये कि चीन को कोई जानकारी इन्टनेट पर उपलब्ध नही थी |
अलीबाबा कैसे बना चीन का अमेज़ॉन -
अमेज़न और ईबे की बिक्री को मिला दें तो भी अलीबाबा इन पर भारी पड़ता है और इसके पीछे दिमाग है अलीबाबा के मालिक जैक मा का|चीन में विदेशी कंपनियों को काम नहीं करने दिया गया जिसका फायदा अलीबाबा के साथ साथ बाइदू और टेनसेंट जैसी कंपनियों को हुआ लेकिन अलीबाबा ने बीते पंद्रह सालों में कुछ ख़ास किया हैचीन का गूगल या चीन का अमेज़न बनने के साथ ही जैक मा ने अपनी कंपनी के ज़रिए वो टूल्स बनाए जिससे चीन के लोग सुरक्षित और सस्ती खरीदारी कर सकें|इसके बाद कंपनी ने अपने फ़ायदे के लिए चीन की इंटरनेट राजनीति का भरपूर इस्तेमाल किया.|उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं को विश्वास दिलाया कि कंपनी किसी भी तरह से पार्टी के ख़िलाफ नहीं है|
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bollywoodpapa · 3 years
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एक चपरासी की नौकरी करने वाले ने खड़ी कर दी 1000 करोड़ की कंपनी, और बन गया देश का 'फेविकोल मैन'!
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एक चपरासी की नौकरी करने वाले ने खड़ी कर दी 1000 करोड़ की कंपनी, और बन गया देश का 'फेविकोल मैन'!
दोस्तों किसी भी परिस्थिति हो लेकिन कड़ी मेहनत और लगन से हम किसी भी मुकाम पर पहुंच सकते है। अगर आप सीखना चाहते हैं कि कैसे परेशानियों से लड़ कर सफलता के शिखर को छुआ जाता है तो आपको बलवंत पारेख के बारे में जरूर पढ़ना चाहिए। बलवंत पारेख उन चंद उद्योगपतियों में से थे जिन्होंने आजाद हिंदुस्तान की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में अपना सहयोग दिया। आज उनका परिवार और उनकी कंपनी भले ही अरबों में हो लेकिन बलवंत पारेख के लिए यहां तक पहुंचना आसान नहीं था।
हाल ही में टीवी पर शर्माइन का सोफ़ा बड़ा लोकप्रिय हुआ था. शर्माइन का ये सोफ़ा मिश्राइन का हुआ, कलक्ट्राइन का हुआ और फिर बंगालन का हुआ। मतलब ये सोफ़ा 60 साल तक पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहा और इसका कारण था फेविकॉल। जी हां वही फेविकोल जिसके बारे में कहा जाता है ‘ये फेविकोल का जोड़ है, टूटेगा नहीं।’ वाकई में फेविकोल का जोड़ इतना मजबूत है कि इसके ग्राहक दशकों बाद भी इससे जुड़े हुए हैं। इस मजबूत जोड़ को भारत में स्थापित करने वाले कोई और नहीं बल्कि बलवंत पारेख ही थे। यही कारण है कि उन्हें ‘फेविकोल मैन’ के नाम से भी जाना गया। फेविकोल बलवंत पारेख द्वारा स्थापित पिडिलाइट कंपनी का ही प्रोडक्ट है। फेविकोल के साथ ही यह कंपनी एम-सील, फेवि क्विक तथा डॉ फिक्सइट जैसे प्रोडक्ट बनाती है।
सन 1925 में गुजरात के भावनगर जिले के महुवा नामक कस्बे में जन्में बलवंत पारेख एक सामान्य परिवार से संबंध रखते थे। उनकी प्राथमिक शिक्षा अपने ही कस्बे के एक स्कूल से पूरी हुई। गुजरात के चलन के अनुसार बलवंत पारेख की भी इच्छा एक बिजनेस मैन बनने की ही थी लेकिन घर वाले चाहते थे कि वह वकालत की पढ़ाई करें और वकील बनें। नौजवान बलवंत पारेख को घर की परिस्थितियों और घरवालों के दबाव के आगे झुकना पड़ा और वह वकालत की पढ़ाई के लिए मुंबई चले गए। बलवंत ने यहां के सरकारी लॉ कॉलेज में दाखिला लिया और पढ़ाई शुरू की।  ये बात उस समय की है जब पूरे देश पर महात्मा गांधी के विचारों का रंग चढ़ा हुआ था। उनके द्वारा शुरू किए गए भारत छोड़ो आंदोलन में देश के युवा अपने भविष्य की आहुति देते हुए कूद रहे थे। बलवंत पारेख भी उन्हीं युवाओं में से एक थे। वह भी अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ कर इस आंदोलन का हिस्सा बन गए। अपने गृहनगर में रहते हुए बलवंत पारेख ने कई आंदोलनों में हिस्सा लिया। इस तरह एक साल बीत गए। बाद में बलवंत ने फिर सए वकालत की पढ़ाई शुरू की और इसे पूरा किया।
वकालत की पढ़ाई करने के बाद अब बारी थी लॉ प्रेक्टिस की लेकिन बलवंत पारेख ने इसके लिए मना कर दिया। वह वकील नहीं बनना चाहते थे। दरअसल बलवंत पर महात्मा गांधी के विचारों का रंग चढ़ चुका था। वह अब सबसे ज्यादा सत्य और अहिंसा को महत्व दे रहे थे। उनका मानना था कि वकालत एक झूठ का धंधा है। यहां हर बात पर झूठ बोलना पड़ता है, यही वजह रही कि इन्होंने वकालत नहीं की। भले ही उन्होंने वकालत करने से मना कर दिया था लेकिन मुंबई जैसे शहर में जीवन चलाने के लिए कुछ तो करना जरूरी था। ऊपर से उन्होंने पढ़ाई के दौरान ही शादी भी कर ली थी और अब पत्नी की जिम्मेदारी भी उनके ऊपर ही थी। ऐसे में बलवंत पारेख ने एक डाइंग और प्रिंटिंग प्रेस में नौकरी कर ली। हालांकि नौकरी में बलवंत पारेख का मन नहीं लग रहा था क्योंकि वह खुद का कोई व्यापार करना चाहते थे लेकिन फिलहाल उनकी परिस्थितियां उन्हें इस बात की इजाजत नहीं दे रही थीं।
कुछ समय प्रिंटिंग प्रेस में काम करने के बाद उन्होंने एक लकड़ी व्यापारी के कार्यालय में चपरासी की नौकरी कर ली। आगे चल कर करोड़ों की कंपनी खड़ी करने वाले बलवंत को अपनी चपरासी की नौकरी के दौरान कार्यालय के गोदाम में रहना पड़ाता था। वह यहां अपनी पत्नी के साथ अपनी गृहस्थी चला रहे थे। अच्छी बात यह थी कि प्रिंटिंग प्रेस से लेकर लकड़ी व्यापारी के यहां काम करने तक वह कुछ ना कुछ सीखते रहे। चपरासी की नौकरी के बाद उन्होंने बहुत सी नौकरियां बदलीं तथा इसके साथ ही अपने संपर्क को भी खूब बढ़ाया। इन्हीं संपर्कों के माध्यम से बलवंत को जर्मनी जाने का मौका भी मिला। अपनी इस विदेश यात्रा के दौरान उन्होंने व्यापार से जुड़ी वो खास और नई बातें सीखीं जिससे आगे चल कर इन्हें बहुत फायदा मिला। समय के साथ साथ बलवंत की मेहनत भी रंग लाती रही।
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बलवंत के लिए अब समय आ चुका था अपनी किस्मत बदलने का। इसकी शुरुआत उन्होंने अपने बिजनेस करने के सपने को पूरा करने के साथ की। उन्हें अपने आइडिया के लिए निवेशक मिल गया तथा उन्होंने प��्चिमी देशों से साइकिल, एक्स्ट्रा नट्स, पेपर डाई इत्यादि आयात करने का बिजनेस शुरू किया। इस बिजनेस की शुरुआत के साथ ही उनका बुरा वक्त भी दूर होने लगा। इसके बाद वह किराये के घर से निकल कर अपने परिवार के साथ एक फ्लैट में रहने लगे। उनका व्यापार अच्छा चल रहा था लेकिन उन्हें अच्छा नहीं बल्कि बेहतरीन काम करना था, सफलता की ऊंचाइयों को छूना था। बलवंत को अपने सपने साकार करने का मौका तब मिला जब भारत आजाद हुआ। भारत की आजादी के साथ ही बलवंत जैसे व्यापारियों को उड़ने के लिए पूरा आसमान मिल गया था। आजादी के बाद भारत आर्थिक तंगी से जूझता हुआ अपने पैरों पर खड़े होने की तैयारी कर रहा था। देश के जाने माने व्यवसाइयों ने इस मौके का फायदा उठाया और देश में जो सामान विदेशों से आ रहा था उन्हें खुद से अपने देश में बनाना शुरू किया।
इसी बीच बलवंत को अपने वे दिन याद आए जब वह लकड़ी व्यापारी के यहां चपरासी थे। इस दौरान उन्होंने देखा था कि कैसे कारीगरों को दो लकड़ियों को जोड़ने में कितनी मुश्किल आती थी। लकड़ियों को आपस में जोड़ने के लिए पहले जानवरों की चर्बी से बने गोंद का इस्तेमाल किया जाता था। इसके लिए चर्बी को बहुत देर तक गर्म किया जाता था। गर्म करने के दौरान इसमें से इतनी बदबू आती थी कि कारीगरों का सांस लेना तक मुश्किल हो जाता था। इस बारे में सोचते हुए बलवंत को आइडिया आया कि क्यों ना ऐसी गोंद बनाई जाए जिसमें से ना इतनी बदबू आए और ना उसे बनाने में इतनी मेहनत लगे। वह इस संबंध में जानकारी जुटाने लगे। बहुत तलाशने के बाद उन्हें सिंथेटिक रसायन के प्रयोग से गोंद बनाने का तरीका मिल गया। इस तरह बलवंत पारेख ने अपने भाई सुनील पारेख के साथ मिल कर 1959 में पिडिलाइट ब्रांड की स्थापना की तथा पिडिलाइट ने ही देश को फेविकोल के नाम से सफेद और खुशबूदार गोंद दी।
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फेविकोल में कोल शब्द का मतलब है दो चीजों को जोड़ना। बलवंत पारेख ने यह शब्द जर्मन भाषा से लिया। इसके अलावा जर्मनी में पहले से ही एक मोविकोल नामक कंपनी थी, वहां भी ऐसा ही गोंद बनता था। पारेख ने इस कंपनी के नाम से प्रेरित होकर अपने प्रोडक्ट का नाम फेविकोल रख दिया। फेविकोल ने लोगों की बहुत सी समस्याओं का हाल निकाल दिया था। यही वजह रही कि देखते ही देखते ये प्रोडक्ट पूरे देश भर में प्रचलित हो गया। फेविकोल ने पिडिलाइट कंपनी को वो पंख दिए जिसके दम पर इस कंपनी ने सफलता का पूरा आसमान नाप दिया। बढ़ती मांग के बाद कंपनी ने फेवि क्विक, एम-सील आदि जैसे नए प्रोडक्ट लॉन्च किए। एक चपरासी का काम करने वाले बलवंत पारेख द्वारा स्थापित की गई इस कंपनी का रेवेन्यू आज हजारों करोड़ में है। इसके साथ ही इस कंपनी ने हजारों लोगों को रोजगार भी दिया है।
यह कंपनी अब 200 से ज्यादा प्रोडक्ट्स तैयार करती है लेकिन इसे सबसे ज्यादा फायदा फेविकोल ने ही दिया। फेविकोल की बढ़ती मांग के दो कारण रहे, पहला तो इसकी मजबूती और दूसरा इसके विज्ञापन। 90 के दशक में जब भारत के आम घरों में टीवी का चलन शुरुआती दौर में था तब फेविकोल के विज्ञापन उतने ही लोकप्रिय बन गए थे जितना की दूरदर्शन पर आने वाला कोई धारावाहिक। फेविकोल के विज्ञापनों में लोगों को हंसा कर, उनका मनोरंजन करते हुए इसका प्रचार किया। यही वजह रही कि आज तक भी इस प्रोडक्ट से लोगों का नाता नहीं टूटा है। पिडिलाइट ने 1993 में अपने शेयर लॉन्च किए थे। 1997 तक ‘फेविकॉल’ टॉप 15 ब्रांड्स में शामिल हो गया था। 2000 में एम-सील की शुरुआत हुई और 2001 में ‘डॉ.फिक्सिट’ जैसा प्रोडक्ट मार्केट में आया। 2004 में इस कंपनी का टर्नओवर 1000 करोड़ तक पहुंच चुका था। 2006 में कंपनी ने फैसला किया कि वह पिडिलाइट ब्रांड को अंतराष्ट्रीय स्तर पर उतारेगी। यही कारण रहा कि अमेरिका , थाईलैंड , दुबई , इजिप्ट और बंगलादेश जैसे देशों में इसके कारखाने स्थापित किए गए। इसी के साथ पिडिलाइट ने सिंगापुर में अपना रिसर्च सेंटर भी शुरू किया।
बलवंत पारेख ने केवल कमाने पर ही ध्यान नहीं दिया बल्कि खुद के सक्षम होने के बाद उन्होंने कई नेक काम भी किए। उन्होंने अपने कस्बे में दो स्कूल, एक कॉलेज और एक अस्पताल की स्थापना करवाई। इसके साथ ही गुजरात की सांस्कृतिक विरासत का अध्ययन करने वाले एक गैर सरकारी संगठन “दर्शन फाउंडेशन” की भी शुरुआत की। गुजरात के एक साधारण परिवार से आने वाले बलवंत पारेख, जिन्होंने चपरासी तक की नौकरी की, उन्हें फोर्ब्स कुछ वर्ष पहले एशिया के सबसे धनी लोगों की सूची में 45वां स्थान दे चुकी है। उस समय बलवंत पारेख की निजी संपत्ति 1.36 बिलियन डॉलर थी 25 जनवरी 2013 में बलवंत पारेख 88 वर्ष की आयु में इस दुनिया को अलविदा कह गए लेकिन वह अपने पीछे एक ऐसी कंपनी और फेविकोल के रूप में ऐसा प्रोडक्ट छोड़ गए जो हमेशा उनके नाम को अमर बनाए रखेगा।
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upenews · 3 years
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Shrishti Pandey of Gorakhpur included in Forbes list top 30 list गोरखपुर की श्रीती फोर्ब्स की शीर्ष 30 सूची में शामिल, जानें उपब्धियां
Shrishti Pandey of Gorakhpur included in Forbes list top 30 list गोरखपुर की श्रीती फोर्ब्स की शीर्ष 30 सूची में शामिल, जानें उपब्धियां
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जिले गोरखपुर ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है. गोरखपुर निवासी 29 वर्षीय श्रीती पांडे को अमेरिका की प्रतिष्ठित पत्रिका फोर्ब्स ने एशिया के टॉप 30 मेधावी व्यक्तित्व में शामिल किया है. IANS | Updated on: 22 Apr 2021, 11:43:47 PM गोरखपुर की श्रीती फोर्ब्स की शीर्ष 30 सूची में शामिल, जानें उपब्धियां (Photo Credit: IANS) गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के…
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