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Urfi Javed:इस मिस्टी संग रिलेशनशिप में आई है ऊर्फी जावेद, किस करते हुए शेयर
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Urfi Javed:इस मिस्टी संग रिलेशनशिप में आई है ऊर्फी जावेद, किस करते हुए शेयर
Urfi Javed New Photo: टीवी एक्ट्रेस और वर्जन उर्फी जावेद अक्सर सुर्खियों में रहती हैं। उर्फी जावेद अपने स्टाइल से लेकर अपने बयानों के कारण लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी रहती हैं। इस�� बीच उर्फी जावेद ने सोशल मीडिया पर एक ऐसी तस्वी�� शेयर की है, जिसे लेकर उनके बारे में कई तरह की बातें कही जा रही हैं। दरअसल उर्फी जावेद ने लकड़ी की छड़ी के साथ एक तस्वीर शेयर की है। यह तस्वीर ऐसी है कि उर्फी जावेद की रिलेशनशिप लाइफ को लेकर एक बार फिर अटकलें लगने लगीं। आइए जानते हैं कि उर्फी जावेद को लेकर नई मुसीबत क्या है।
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उर्फी जावेद और काजोल का है खास कनेक्शन
उर्फी जावेद ने गुरुवार को अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से स्टोरी से एक तस्वीर शेयर की है। इस तस्वीर में आप देख सकते हैं कि उर्फी जावेद एक छड़ी को लिपकिस करती हुई दिखाई दे रही हैं। इस फोटो में उर्फी जावेद ने काजोल को टैग किया है। इससे पता चलता है कि उर्फी जावेद ने अपनी खास दोस्त काजोल को लिप किस किया है।
इसके बाद लोग कयास लगा रहे हैं कि उर्फी जावेद और काजोल एक-दूसरे को डेट कर रहे हैं। उर्फी जावेद और काजोल अक्सर एक साथ नजर आते हैं और काफी वक्त साथ बिताते हैं। उर्फी जावेद और काजोल की तस्वीरें और फिल्में सोशल मीडिया पर वायरल होती रहती हैं। उर्फी जावेद और काजोल के रिश्ते को लेकर भले ही चर्चाएं होती रहती हैं। लेकिन दोनों ने इस बात का खुलासा नहीं किया है।
उर्फी जावेद ने टीवी से शुरू किया था करियर
बता दें कि उर्फी जावेद हाल ही में ‘बिग बॉस ओटीटी 2’ में गेस्ट बनकर पहुंची थीं। उर्फी जावेद ने ‘बिग बॉस ओटीटी 2” के घर के अंदर प्रतियोगियों के साथ बातचीत की। काम के मोर्चे की बात करें तो उर्फी जावेद ने टीवी इंडस्ट्री में अपने करियर की शुरुआत साल 2016 में शो ‘बड़े भैया की दुल्हनिया’ से की थी। उन्होंने कई टीवी शोज में काम किया है। हालाँकि, उर्फी जावेद को ‘बिग बॉस ओटीटी 1’ में प्रदर्शन करने के बाद शीर्ष पायदान की प्रतिष्ठा मिली। उर्फी जावेद अन्य रियलिटी शो में भी नजर आ चुकी हैं।
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Price: [price_with_discount] (as of [price_update_date] - Details) [ad_1] सिनेमा को हमारे राष्ट्र में सांस्कृतिक धरोहर के रूप में कभी भी सराहा नहीं गया। यही वजह है कि फिल्मों पर लेखन और उसके संग्रहण को पिछली सदी में कभी भी प्राथमिकता नहीं दी गई और इसलिए हमारे पास उन महान् फिल्मकारों और ऐतिहासिक फिल्मों की मेकिंग या उनके व्यक्तिगत अनुभवों को बयान करते बहुत अधिक दस्तावेज नहीं हैं।इस संबंध में उस समय में न तो बहुत अधिक शोध-कार्य किए गए और न ही उनके अनुभवों को पुस्तकाकार रूप में लिखा गया, जो आनेवाली पीढ़ी क�� उस स्वर्णिम दौर से रू-ब-रू कराता।पिछले दो दशकों में सिनेमा पर कई बेहतरीन पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं, जो न केवल फिल्मों के इस नए युग और नए युवा कलाकारों की बात करती हैं, बल्कि हमारे स्वर्णिम दौर को भी फिर याद करने का एक प्रशंसनीय प्रयास करती हैं।नए और युवा सिनेमा-प्रेमियों को केंद्र में रखकर बहुत कम लिखा गया या लिखा जा रहा है और ऐसी बहुत कम पुस्तकें हैं, जो आसान भाषा में युवाओं को हिंदी सिनेमा के सुनहरी दौर के बारे में जानकारी देती हैं। सच पूछें तो मुझे हमेशा हिंदी सिनेमा पर आधारित ऐसी पुस्तकों की कमी बहुत खली, जो न केवल ज्ञानवर्धक हों, बल्कि युवाओं को पुरानी क्लासिक फिल्में देखने की प्रेरणा भी दें।यह पुस्तक इसी दिशा में किया गया एक सच्चा प्रयास है, जो खासतौर से उन युवा दोस्तों के लिए लिखी गई है, जो हमारे हिंदी सिनेमा की यादगार कृतियों, उनके संगीत और उनके निर्माण से संबंधित कम प्रचलित जानकारी और कहानियों के बारे में विस्तारपूर्वक पढ़ना और उन्हें फिर से जीना चाहते हैं। From the Publisher Itna To Yaad Hai Mujhe by Bobby Sing (Author) ऐसी बहुत कम पुस्तकें हैं, जो आसान भाषा में युवाओं को हिंदी सिनेमा के सुनहरी दौर के बारे में जानकारी देती हैं। सिनेमा को हमारे राष्ट्र में सांस्कृतिक धरोहर के रूप में कभी भी सराहा नहीं गया। यही वजह है कि फिल्मों पर लेखन और उसके संग्रहण को पिछली सदी में कभी भी प्राथमिकता नहीं दी गई और इसलिए हमारे पास उन महान् फिल्मकारों और ऐतिहासिक फिल्मों की मेकिंग या उनके व्यक्तिगत अनुभवों को बयान करते बहुत अधिक दस्तावेज नहीं हैं। इस संबंध में उस समय में न तो बहुत अधिक शोध-कार्य किए गए और न ही उनके अनुभवों को पुस्तकाकार रूप में लिखा गया, जो आनेवाली पीढ़ी को उस स्वर्णिम दौर से रू-ब-रू कराता।शुरुआती दौर की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में कलाकारों के स्वलिखित लेख और साक्षात्कार, समर्पित पत्रकारों के विस्तृत लेखन और कुछ सराहनीय पुस्तकें ही हमें उस दौर की अविश्वसनीय कार्यशैली से अवगत कराती हैं और यह एक ऐसी धरोहर है, जिसका कोई भी मूल्य आँका नहीं जा सकता। सौभाग्यव��, नई सदी के इस वर्तमान दौर में हिंदी फिल्मों पर लेखन और उन पर आधारित पुस्तकों का चलन बढ़ा है और इसे प्रकाशकों का जरूरी प्रोत्साहन भी प्राप्त हुआ है। पिछले दो दशकों में सिनेमा पर कई बेहतरीन पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं, जो न केवल फिल्मों के इस नए युग और नए युवा कलाकारों की बात करती हैं, बल्कि हमारे स्वर्णिम दौर को भी फिर याद करने का एक प्रशंसनीय प्रयास करती हैं।हालाँकि मैंने व्यक्तिगत रूप में यही पाया कि ज्यादातर इन पुस्तकों को उन पाठकों को ध्यान में रखकर लिखा गया है, जो पहले से ही हिंदी सिनेमा और उसके संगीत के बारे में काफी जागरूक और ज्ञानपूर्ण हैं। नए और युवा सिनेमा-प्रेमियों को केंद्र में रखकर बहुत कम लिखा गया या लिखा जा रहा है और ऐसी बहुत कम पुस्तकें हैं, जो आसान भाषा में युवाओं को हिंदी सिनेमा के सुनहरी दौर के बारे में जानकारी देती हैं। सच पूछें तो मुझे हमेशा हिंदी सिनेमा पर आधारित ऐसी पुस्तकों की कमी बहुत खली, जो न केवल ज्ञानवर्धक हों, बल्कि युवाओं को पुरानी क्लासिक फिल्में देखने की प्रेरणा भी दें। यह पुस्तक इसी दिशा में किया गया एक सच्चा प्रयास है, जो खासतौर से उन युवा दोस्तों के लिए लिखी गई है, जो हमारे हिंदी सिनेमा की यादगार कृतियों, उनके संगीत और उनके निर्माण से संबंधित कम प्रचलित जानकारी और कहानियों के बारे में विस्तारपूर्वक पढ़ना और उन्हें फिर से जीना चाहते हैं। अनुक्रम आभार भाग-1 1. सत्यजीत रे : एक अद्भुत सृष्टा 2. बिमल रॉय, गुलजार और विलियम शेक्सपियर 3.
चिरकालिक ‘गाइड’ और इसका अंग्रेजी संस्करण 4. ‘कोहिनूर’ में दिलीप कुमार का एक अनोखा पशु मित्र 5. बर्ट्रेंड रसेल और फिल्म ‘अमन’ में उनका दुर्लभ कैमिओ 6. ‘जीवन नैया’ और ‘झूला’ : दो पुरानी फिल्में जिनके गीत थे : ‘कोई हमदम न रहा’ और ‘इक चतुर नार’ 7. फिल्मों में संगीतकार जोड़ी का चलन और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का सहायक से संगीत निर्देशक तक का सफर 8. ‘मुसाफिर’ में दिलीप कुमार का राग-आधारित गीत 9. ‘बंडलबाज’ में राजेश खन्ना और ‘फैंटम’, जिसका निर्देशन शम्मी कपूर ने किया था 10. ‘यादें’ : अपनी तरह की पहली भारतीय फिल्म : एक अद्वितीय और साहसी प्रयास 11. 1970 में देव आनंद : एक हॉलीवुड फिल्म के हीरो 12. ‘शोले’ का प्रसिद्ध वॉटर टैंक सीक्वेंस और एंथोनी क्विन 13. जब लता मंगेशकर, मोहम्मद रफी, किशोर कुमार और मुकेश ने एक साथ गीत गाया 14. 1972 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में बलराज साहनी का एक प्रेरणादायी भाषण 15. ‘बॉबी’ और आर्ची कॉमिक्स 16. एच.एम.वी. के प्रतीक और प्यारे कुत्ते की वास्तविक कहानी 17. ‘डॉन’ और उसका मशहूर गाना ‘खइके पान बनारस वाला’ 18. ‘नीचा नगर’ : कान फिल्म समारोह में सम्मानित होनेवाली पहली भारतीय फिल्म 19. उस्ताद नुसरत फतेह अली खान का हिंदी फिल्मों से परिचय 20. अस्सी के दशक में अमिताभ बच्चन की ‘सुप्रीमो’ कॉमिक बुक सीरीज 21. भारत में अंतिम ज्यूरी ट्रायल और इसके आधार पर बनी तीन हिंदी फिल्में 22. ‘पाकीजा’ और इसका एक प्रसिद्ध गीत मीना कुमारी के बिना 23. सन् 1914 में घटी कोमागाटा मारू ट्रेजेडी और फिल्म ‘जीवन संग्राम’ 24. ‘सिनेमा-सिनेमा’ और ‘फिल्म-ही-फिल्म’ : 90 के दशक से पहले दो अद्वितीय प्रयास 25. फिल्म ‘अमन’ में गजल सम्राट् जगजीत सिंह का कैमिओ Continue..... Bobby Sing फिल्मों से अपना रिश्ता एक स्टेज कलाकार/गायक के रूप में शुरू करते हुए, लेखक एक शिक्षाविद्, कवि व ग्राफिक डिजाइनर भी हैं और फिल्म व संगीत के साथ-साथ इन क्षेत्रों में पिछले 25 साल से कार्यरत हैं। एक क्रिएटिव कंसलटेंट (Creative Consultant) के तौर पर कार्य करते हुए वे सिनेमा, संगीत और जीवन पर अपनी वेबसाइट पर नियमित तौर पर लिखते हैं, जहाँ उनके हजारों पाठक पिछले 15 सालों से उनके साथ जुड़े हुए हैं। सिनेमा, संगीत और कविता (शायरी) को जीते हुए वह हर सप्ताह नई हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं की फिल्मों पर भी अपनी विशेष राय देते हैं और उनका यह समर्पित कार्य नियमित रूप से लगभग दो दशकों से जारी है।उनका वास्तविक नाम हरप्रीत सिंह (Harpreet Singh) है और सिनेमा से उनका संबंध 70 के दशक की शुरुआत में उनके जन्म के साथ ही, उसी दिन से शुरू हो गया, जिस दिन उनके परिवार ने उनका नाम राज कपूर की बहुचर्चित फिल्म से प्रेरित होकर ‘बॉबी’ रख दिया। Add to Cart Add to Cart
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Netflix पर 2025 में धूम मचाएगी ये नई वेब सीरीज और फिल्में, अभी देख लो, नहीं तो पछताओगे
Next on Netflix: यदि आप एक मनोरंजन प्रेमी है, और आपको फिल्में और वेब सीरीज देखना काफी पसंद हैं, तो ये खबर आपके काम की होने वाली है, क्योंकि कल 3 फरवरी को Netflix ने एक इवेंट आयोजित किया था, जिसमें उन सभी फिल्मों और सीरीज की घोषणा की गई, जो इस साल Netflix पर रिलीज होने वाली है। ये धमाकेदार फिल्में और वेब सीरीज आपके इस साल के मनोरंजन को अलग लेवल पर ले जाएगी, आगे Netflix की अपकमिंग फिल्में और सीरीज…
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साल 2025 में ये एक्टर्स-एक्ट्रेसेज़ की ये नई जोड़ियां फिल्मों में आएंगी नज़र
एक दौर था जब फिल्मी पर्दे पर एक्टर्स और एक्ट्रेसेज़ की हिट जोड़ियां राज करती थीं। ये जोड़ियां एक साथ कई फिल्मों में नज़र आईं। उनकी केमिस्ट्री देखने भी दर्शक सिनेमाघरों तक जाते थे। यही न��ीं, ये जोड़ियां हिट फिल्म की गारंटी भी हुआ करती थीं। हालाँकि आज के दौर में ये कमाल देखने को नहीं मिलता है। नई जोड़ियों के साथ फिल्में बनाने का दौर चल रहा है। साल 2025 में कई ऐसे एक्टर्स और एक्ट्रेसेज़ जोड़ी के रूप में फिल्मों में दिखाई देंगे। आइए बताते हैं कुछ ऐसी ही फ्रेश जोड़ियों के बारे में जो पर्दे पर इस साल नज़र आने वाली हैं।
विक्की कौशल और रश्मिका मंदाना
विक्की कौशल की आने वाली फिल्म ‘छावा’ इन दिनों चर्चा में है। फिल्म का टीज़र देखकर जहां एक तरफ फैंस उत्��ाहित हैं, वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग इसका विरोध भी करने लगे हैं। खैर, फिल्मों का विरोध अब कोई नई बात नहीं रही। इस फिल्म में विक्की कौशल और रश्मिका मंदाना की जोड़ी भी दर्शकों का ध्यान खींचने में कामयाब हो रही है। इन दोनों को पहली बार पर्दे पर साथ देखने के लिए दर्शक इंतज़ार कर रहे हैं।
खुशी कपूर और जुनैद खान
आमिर खान के बेटे जुनैद ने अपनी पहली फिल्म ‘महाराज’ में अदाकारी के जरिए दर्शकों को प्रभावित करने में कामयाब रहे हैं। आपको बता दें कि जुनैद जल्द ही...
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अक्षय कुमार का 2024: फ्लॉप फिल्मों और नई उम्मीदों का साल?
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AIN NEWS 1: बॉलीवुड सुपरस्टार अक्षय कुमार के लिए साल 2024 चुनौतियों से भरा रहा। इस साल उनकी तीन फिल्में रिलीज हुईं, लेकिन दुर्भाग्य से तीनों ही बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन करने में नाकाम रहीं। अब अक्षय कुमार अपनी आगामी फिल्म 'स्काई फोर्स' से नई उम्मीदें लगाए बैठे हैं। यह फिल्म 24 जनवरी 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है। फिल्म में उनके साथ वीर पहाड़िया और सारा अली खान लीड रोल में नजर आएंगे। OTT प्लेटफॉर्म्स को बताया फिल्मों के फ्लॉप होने की वजह हाल ही में, एक इंटरव्यू में अक्षय कुमार से इंडियन सिनेमा के मुश्किल दौर और बॉक्स ऑफिस पर फिल्मों के फ्लॉप होने के कारणों के बारे में सवाल किया गया। इस पर अक्षय ने कहा कि OTT प्लेटफॉर्म्स की बढ़ती लोकप्रियता इसके पीछे मुख्य वजह है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों को घर पर फिल्में देखने की आदत हो गई, जिससे थिएटर का आकर्षण कम हो गया। अक्षय कुमार का बयान अक्षय ने इंटरव्यू में कहा, "मैं जब भी लोगों से मिलता हूं, वे यही कहते हैं कि हम इस फिल्म को OTT पर देख लेंगे। थिएटर में द���्शकों की कमी की यह एक बड़ी वजह है। कोविड के समय में लोग घर पर फिल्में देखने के इतने आदी हो गए कि अब वे अपने आराम के हिसाब से ही कंटेंट का लुत्फ उठाना चाहते हैं।" 'स्काई फोर्स' से उम्मीदें अक्षय कुमार को 'स्काई फोर्स' से काफी उम्मीदें हैं। इस फिल्म में वे एक एक्शन और देशभक्ति से भरे रोल में नजर आएंगे। वीर पहाड़िया और सारा अली खान भी अपनी भूमिकाओं को लेकर उत्साहित हैं। बॉलीवुड का बदलता दौर बॉलीवुड पिछले कुछ समय से मुश्किल दौर से गुजर रहा है। बड़े बजट की कई फिल्में बॉक्स ऑफिस पर असफल रही हैं। अक्षय ने इस विषय पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अब मेकर्स को दर्शकों की बदलती प्राथमिकताओं को समझने और बेहतर कंटेंट लाने की जरूरत है। Bollywood actor Akshay Kumar shared his thoughts on the challenges faced by Indian cinema and the growing dominance of OTT platforms. He stated that the convenience of streaming services has shifted audience preferences, leading to box office failures. Akshay’s upcoming film Sky Force, releasing on January 24, 2025, is generating high expectations. Starring Veer Pahariya and Sara Ali Khan alongside Akshay, the film is expected to bring fresh energy to the industry. As OTT platforms gain popularity, Akshay emphasizes the need for better theatrical content to bring audiences back to cinemas. Read the full article
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FREE में कैसे और कहाँ देखे हाल ही रिलीज़ हुई नई Latest फिल्में?
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वॉर फिल्म/मूवी रिव्यु
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एक्शन्स और स्टंट्स का युद्ध
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फिल्म वॉर में रितिक रोशन और टाइगर श्रॉफ प्लॉट: यह फिल्म एक खूंखार आतं��वादी को पकड़ने के मिशन पर आधारित है और उसके चार साथी जो की इंडियन है जो उसकी हर काम में सहायता करते हैं उनका पता लगाने के लिए यह मिशन एक मेजर और उसकी टीम को दिया जाता है और टीम में पांच सदस्य होते हैं जिसमें मुख्य सदस्य खालिद भी है लेकिन फिल्म में एक सस्पेंस भी नज़र आता है जिसका रहस्य अंत में खुलता है और एक रहस्य बीच में भी है| क्या यह टीम उस आतंकवादी और उसके चार साथियों को पकड़ लेगी? क्या मिशन सफल हो पायेगा? वह दो सस्पेंस कोन से है? यही दिखाया गया है इसके लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी| टोन और थीम: फिल्म की टोन एक्शन है और थीम सस्पेंस और मिस्टी पर आधारित है इसको बनाने का उद्देश्य मनोरंजन के साथ-साथ एक खूंखार आतंकवादी और उसके चार साथियों को पकड़ना है| एक्टिंग एंड कैरेक्टर्स: कबीर के रोल में रितिक रोशन का अभिनय लाजवाब और दमदार है उन्होंने बहुत ही परिपक़्व अभिनय किया है ऋतिक के एक्शन और स्टंट्स दृश्य देखने वाले हैं शुरू से लेकर अंत तक फिल्म में रितिक रोशन ही छाए हुए हैं| अपने यूनिक डांसिंग स्टाइल में उन्होंने दो गानों में बहुत जबरदस्त डांस भी किया है| खालिद के रोल में टाइगर श्रॉफ ने रितिक रोशन को अभिनय में कांटे की टक्कर दी है उनके अभिनय में एक स्थिरता है, वह हर तरह के दृश्य में जैसे एक्शंस, डांस में फर्स्ट क्लास नज़र आते है उनका रोल रितिक रोशन के बराबर तो नहीं है पर जितना उनका रोल है उन्होंने रितिक रोशन की बराबरी करने की कोशिश की हैं| कर्नल के रोल में आशुतोष राणा का अभिनय भी औसत दर्जे का है नैना के रोल में वाणी कपूर का अभिनय कुछ खास नहीं है और रोल ज्यादा लंबा भी नहीं है बस एक गाना और चार-पांच दृश्य ही उनके हिस्से में आए सपोर्टिंग कास्ट में सभी ने बहुत अच्छा अभिनय किया है| डायरेक्शन: इस फिल्म के निर्देशक सिद्धार्थ आनंद है इससे पहले उन्होंने सलाम नमस्ते(2005), ता रा रम पम(2007) ,बचना ऐ हसीनों(2008), अंजाना अंजानी2010), बैंग बैंग(2014), जैसी फिल्मों को निर्देशित किया है, इस फिल्म का निर्देशन भी उनका बहुत दमदार और मजबूत है, उनकी पिछली फिल्मों की तरह इस फिल्म के भी हर डिपार्टमेंट में उनका कंट्रोल है इसमें भी उन्होंने कमाल का निर्देशन किया है, फिल्म की कहानी कोई नई नहीं है ऐसी कहानी हम पहले भी देख चुके हैं पर पटकथा बहुत मजबूत और अलग है, डायलॉग भी अच्छे लिखे गए हैं जो सस्पेंस है वह भी कमाल के है दर्शक जानकर हैरान रह जाएंगे| सिनेमैटोग्राफी: फिल्म की सिनेमैटोग्राफी बेंजामिन जैस��पर की बहुत बढ़िया है, एरियल व्यूज और क्लोज अप के दृश्य जबरदस्त फिल्माए हैं, 360 डिग्री एंगल से बहुत अच्छे से दृश्य फिल्माए गए हैं| कोरियोग्राफी: बॉस्को सीजर की कोरियोग्राफी भी अच्छी है जिस प्रकार रितिक और टाइगर श्रॉफ डांस करने में मशहूर और माहिर है| वैसे ही उन्होंने दोनों से डांस करवाया है| दो गीत घुंघरू और जय जय शिवशंकर में बहुत ही धमाल का डांस किया है| म्यूजिक: विशाल शेखर का संगीत सिर्फ दो गीत घुंघरू और जय जय शिवशंकर में है लिरिसिस्ट: कुमार के लिखे हुए दो गीत ठीक-ठाक है| विजुअल इफैक्ट्स: फ��ल्म के बहुत ही दमदार, लाजवाब और शानदार बनाए गए हैं| एडिटिंग: आरिफ शेख की एडिटिंग तेज गति की है| फिल्म शुरू से लेकर अंत तक दर्शकों को बांधे रखती है और कहीं से भी बोर नहीं करती थोड़ी सी फिल्म छोटी हो सकती थी एक्शन: पॉल जेनिंग्स, परवेज शेख, ओ सी यंग, फ्रांज़ स्पिलहॉस के एक्शंस और स्टंट्स हॉलीवुड स्टाइल के है दो एक्टर्स के बीच में जो फाइट दृश्य दिखाए गए हैं वह कमाल के हैं क्लाइमैक्स: फिल्म का अंत बहुत बढ़िया बन पड़ा है| ओपिनियन: एक्शंस, स्टंट्स और मसाला फिल्में पसंद करने वाले और अलग अलग देशों की सुन्दर लोकेशंस जैसे इटली, जॉर्जिया, पुर्तगाल, अबू धाबी और स्वीडन पर फिल्मायी गयी फिल्म को दर्शक इस देख सकते हैं| Flaws: वाणी कपूर के रोल की कुछ खास जरूरत नहीं है पर अब फिल्म में कोई हीरोइन नहीं है तो उनका रोल डाल दिया गया 5 देश की लोकेशंस बहुत ही अच्छी दिखाई गई है 65th फिल्मफेयर अवॉर्ड नॉमिनेशंस: फिल्म को 7 नॉमिनेशंस मिले थे जैसे बेस्ट फिल्म, बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर, बेस्ट कोरियोग्राफी(2), बेस्ट एक्शन और बेस्ट स्पेशल इफेक्ट्सऔर फिल्म 3 अवार्ड जीतने में कामयाब रही बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर शिल्पा राव (घुंघरू), बेस्ट एक्शन और बेस्ट स्पेशल इफेक्ट्स CBFC-U/A Movietime-2h.34 minsGenre-Action Backdrop-Many Locations Release Year-2 October, 2019 फिल्म कास्ट: रितिक रोशन, टाइगर श्रॉफ, आशुतोष राणा, वाणी कपूर,अनुप्रिया गोयंका,आरिफ जकारिया, दीपान्निता शर्मा, मोहित चौहान और संजीव वत्स प्रोडूसर: आदित्य चोपड़ा, डायरेक्टर: सिद्धार्थ आनंद साउंड डिज़ाइन: प्रीतम दास, गणेश गंगाधरण, कास्टूम डिज़ाइन: अनीता श्रॉफ अडाजणिआ निहारिका जोली, म्यूजिक: विशाल शेखर, बैकग्राउंड स्कोर: संचित बल्हारा, अंकित बल्हारा, प्रोडक्शन डिज़ाइन: रजत पोद्दार एडिटर: आरिफ शेख, सिनेमेटोग्राफी: बेंजामिन जैस्पर, कोरियोग्राफी: बॉस्को सीजर, तु���ार कालिया, लिरिक्स: कुमार, डायलॉग्स: अब्बास टायरवाला, स्टोरी: आदित्य चोपड़ा, सिद्धार्थ आनंद, स्क्रीनप्ले: श्रीधर राघवन, सिद्धार्थ आनंद, डायरेक्टर: सिद्धार्थ आनंद, एक्शन: पॉल जेनिंग्स, परवेज शेख, ओ सी यंग, फ्रांज़ स्पिलहॉस, विजुअल इफैक्ट्स: yFX YRF स्टूडियो, कास्टिंग डायरेक्टर: शानू शर्मा Read the full article
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Shyam Benegal Kept Meaningful Cinema Alive
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Introduction
Shyam Benegal: श्याम बेनेगल की फिल्में इंसानियत को अपने मूल स्वरूप में तलाशती हैं. दिग्गज फिल्म निर्माता सत्यजीत रे के निधन के बाद श्याम बेनेगल ने उनकी विरासत को संभाला है. यह शब्द हैं भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के, जिन्होंने श्याम बेनेगल की तारीफ में कही थी. वहीं, हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के एक इंटरव्यू में श्याम बेनेगल ने भी बड़ी कमाल की बात कही थी. इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि मैंने हमेशा महसूस किया है कि भारतीय ग्रामीण इलाकों को भारतीय स्क्रीन पर कभी भी ठीक से प्रस्तुत नहीं किया गया, लेकिन अगर आप वास्तव में भारतीय मानस को समझना चाहते हैं, तो आपको ग्रामीण भारत को देखना होगा. हालांकि, यह सच था और उनकी फिल्मों, डॉक्यूमेंट्री और टेलीविजन शो में यह देखने को मिला भी.
‘भारत एक खोज’ और ‘��ंविधान’ जैसे अहम और ज्वलंत मुद्दों को समेट कर उन्होंने फिल्में, डॉक्यूमेंट्री और टेलीविजन शो बनाए, जिन्होंने भारतीय सिनेमा के इतिहास में नई दिशा को जन्म दिया. श्याम बेनेगल को लेकर एक बात मशहूर है कि वह समानांतर सिनेमा के अग्र��ी थे. उनकी कहानियों ने देश की सिनेमाई पहचान को एक नया आकार दिया. श्याम बेनेगल ने ही शबामा आजमी और स्मिता पाटिल जैसी शानदार एक्ट्रेसेज को बॉलीवुड इंडस्ट्री में एक खास मुकाम दिलाया. श्याम बेनेगल के प्रतिभा की पहचान उनके पहली ही फिल्म से देखने को मिली. उनकी पहली फिल्म ‘अंकुर’ ने रिलीज होने के बाद ही 40 से ज्यादा अवॉर्ड अपने नाम किए. इनमें से 3 राष्ट्रीय पुरस्कार भी शामिल हैं.
Table Of Content
अंकुर (1974)
मंथन (1976)
भूमिका (1977)
कलयुग (1981)
मंडी (1983)
भारत एक खोज (1988)
सूरज का सातवां घोड़ा (1992)
सरदारी बेगम (1996)
जुबैदा (2001)
नेताजी सुभाष चंद्र बोस: द फॉरगॉटन हीरो (2005)
मुजीब: द मेकिंग ऑफ ए नेशन (2023)
अंकुर (1974)
भारतीय सिनेमा में यह दौर था 1970 का दशक का. हिंदी सिनेमा में गीत-संगीत और रोमांटिक कहानियों के एक्टर्स का जमाना अब मारधाड़ और एक्शन की तरफ बढ़ रहा था. एंग्री यंग मैन के नाम से मशहूर अमिताभ बच्चन सिनेमा प्रेमियों के दिलों-दिमाग पर छा चुके थे. इस बीच श्याम बेनेगल ने एक सामान्य सी स्टोरी लिखी. उन्होंने शबाना आजमी और अनंत नाग के साथ ‘अंकुर’ फिल्म को पर्दे पर उतारा. दोनों की यह पहली फिल्म थी. ‘अंकुर’ फिल्म हैदराबाद की एक सच्ची घटना पर आधारित मानी जाती है.
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मंथन (1976)
‘मंथन’ फिल्म बनाने के लिए गुजरात के पांच लाख डेयरी किसानों ने 2-2 रुपये का योगदान दिया. 134 मिनट की यह फिल्म वर्गीस कुरियन के अग्रणी दूध सहकारी आंदोलन से प्रेरित थी. ‘मंथन’ देश की पहली क्राउड-फंडेड फिल्म है और रिलीज के 48 साल बाद इसी साल इसे प्रतिष्ठित कान फिल्म फेस्टिवल में दिखाया भी गया. इस फिल्म को स्टैंडिंग ओवेशन तक मिला. यह उनकी फिल्मों का जादू था, जो अभी भी लोगों के सिर पर चढ़ के ��ोल रहा है.
भूमिका (1977)
70 के दशक में हिंदी सिनेमा में पुरुषों का वर्चस्व अपने पीक पर था, उस समय श्याम बेनेगल महिलाओं की स्थिति पर कहानी लिख रहे थे. उन्होंने मराठी अभिनेत्री हंसा वाडकर के जीवन से प्रेरित एक फिल्म बनाई. इस फिल्म का नाम था ‘भूमिका’. इस फिल्म में मराठी अभिनेत्री के सामाजिक अपेक्षाओं और व्यक्तिगत उथल-पुथल को दिखाया है, जो अपने लिए स्वतंत्रता की खोज करती है. इस फिल्म में स्मिता पाटिल , अमोल पालेकर , अनंत नाग , नसीरुद्दीन शाह और अमरीश पुरी मुख्य किरदार में दिखाए गए हैं. इसमें दिखाया गया है कि कैसे पुरुष उसकी जिंदगी में आते हैं और इस कारण उसकी जिंदगी में किस तरह के बदलाव आते हैं. ‘भूमिका’ को फिल्म समीक्षकों ने खूब सराहा. इसी फिल्म से स्मिता पाटिल के दमदार अभिनय के लिए जाना गया. साथ ही इस फिल्म ने फिल्म और फिल्मफेयर समेत कई अंतराराष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार अपने नाम किए.
कलयुग (1981)
मंडी (1983)
भारत एक खोज (1988)
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सूरज का सातवां घोड़ा (1992)
सरदारी बेगम (1996)
जुबैदा (2001)
‘जुबैदा’ फिल्म एक आजाद ख्यालों से भरी औरत की दुखद कहानी है. इस फिल्म को भी राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया था. यह फिल्म प्यार, त्याग और महत्वाकांक्षा की एक मार्मिक खोज है. इसमें करिश्मा कपूर के अलावा मनोज वाजपेयी, सुरेखा सीकरी, रजत कपूर, लिलेट दुबे, अमरीश पुरी, फरीदा जलाल और शक्ति कपूर ने भी काम किया है. इसी फिल्म के लिए ही करिश्मा कपूर को भी फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस: द फॉरगॉटन हीरो (2005)
श्याम बेनेगल की ओर से निर्देशित इस फिल्म में सचिन खेडेकर, कुलभूषण खरबंदा, राजित कपूर, आरिफ जकारिया और दिव्या दत्ता ने अभिनय किया है. फिल्म की शुरुआत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से शुरुआत बोस के इस्तीफे के बाद शुरू होती है. वह इस दौरान अफगानिस्तान के बीहड़ इलाकों को पार करके यूरोप पहुंच जाते हैं. बर्लिन में एडॉल्फ हिटलर के साथ मुलाकात को बड़े ही जीवंत तरीके से दिखाया गया है.
मुजीब: द मेकिंग ऑफ ए नेशन (2023)
‘वेलकम टू सज्जनपुर’, ‘वेल डन अब्बा’ के बाद श्याम बेनेगल की अंतिम फिल्म थी ‘मुजीब: द मेकिंग ऑफ ए नेशन’, जो साल 2023 में रिलीज हुई थी. इस फिल्म में बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की जीवनी को सटीकता से दर्शाया गया है. बता दें कि सैकड़ों राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजे गए जाने वाले श्याम बेनेगल को भारत सरकार की ओर से पद्म श्री और पद्म भूषण के अलावा साल 2005 में भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.
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Conclusion
श्याम बेनेगल ने अपनी फिल्मों के लेकर बेहद मुखर थे. उनका पूरा नाम श्याम सुंदर बेनेगल था. उनका जन्म 14 दिसंबर 1934 को हैदराबाद के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. श्याम बेनेगल की फिल्मों से ही नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, अमरीश पुरी, अनंत नाग, शबाना आजमी, स्मिता पाटिल और सिनेमेटोग्राफर गोविंद निहलानी जैसे कलाकारों को खास पहचान मिली. श्याम बेनेगल ने अपने करियर में 24 फिल्में, 45 डॉक्यूमेंट्री और 15 एड फिल्मों को निर्माण किया था. दर्जनों बेहतरीन फिल्मों को उन्होंने खुद डायरेक्ट भी किया था. श्याम बेनेगल को अब तक 8 नेशनल अवॉर्ड मिले हैं, जो एक रिकॉर्ड है. वह मशहूर एक्टर और फिल्ममेकर गुरुदत्त के चचेरे भाई हैं. श्याम बेनेगल के निधन पर दुख जताने वाले हस्तियों ने कहा है कि वह भारतीय सिनेमा के इतिहास में हमेशा जिंदा रहेंगे.
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Lonely Planet Movie Review: A unique love story
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पिछले कुछ समय से बॉलीवुड और हॉलीवुड में ‘अधिक उम्र वाली महिला’ को एक नए नजरिये से पेश किया जा रहा है। एक ऐसा दौर जहां उम्र का अंतर होने के बावजूद प्रेम कहानियाँ दर्शकों को आकर्षित कर रही हैं। उदाहरण के लिए, एनी हैथवे का नया रोमांस The Idea of You या कैरोल केन की Between the Temples जैसी फिल्में, जो इस नए प्रवृत्ति को दर्शाती हैं। ऐसे में, नई नेटफ्लिक्स फिल्म Lonely Planet भी इसी श्रेणी में शामिल होती है, जिसमें एक उम्रदराज़ महिला और एक युवा पुरुष ��े बीच के रिश्ते को लेकर एक अनोखी यात्रा की कहानी बुनी गई है।
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Kiran Rao की "Laapataa Ladies" बनी India की Official Entry for Oscars 2025
Kiran Rao Laapataa Ladies is India Official Entry for the Oscars 2025
Film Federation of India (FFI) ने आधिकारिक तौर पर Kiran Rao की Laapataa Ladies को Best Foreign Film category में 97th Academy Awards (Oscars 2025) के लिए India की entry के रूप में घोषित किया है। यह निर्णय सोमवार, 23 सितंबर को लिया गया, जब 29 फिल्मों की सूची में से इसे चुना गया। इन फिल्मों में बहु-प्रतीक्षित Animal (Ranbir Kapoor), National Award-winning Malayalam film Atma, और Cannes विजेता All We Imagine is Light (Jahaan Barwa) जैसी फिल्में भी शामिल थीं। Laapataa Ladies: कहानी की एक झलक Laapataa Ladies का निर्देशन Kiran Rao ने किया है और इसे Bollywood आइकॉन Aamir Khan ने प्रोड्यूस किया है। यह फिल्म दो नवविवाहित दुल्हनों की दिलचस्प और भावनात्मक कहानी बयां करती है, जो अपने पति के घर जाते समय ट्रेन में बदल जाती हैं। यह फिल्म पहचान, लैंगिक भूमिकाओं और ग्रामीण India की सामाजिक अपेक्षाओं की एक गहन परख है। प्रमुख भूमिकाओं में Pratibha Rata, Sparsh Srivastava, और Tansh Goyal नजर आते हैं। यह कथा दर्शकों को एक भावनात्मक यात्रा पर ले जाती है, जहां दुल्हनें भ्रम, भय, और हास्यास्पद परिस्थिति से जूझती हैं, जबकि यह India में नारीत्व की जटिल परतों को भी उजागर करती है। Kiran Rao के निर्देशन में Laapataa Ladies ने submission और dominance के बीच के तनाव को बेहतरीन तरीके से कैप्चर किया है, जो भारतीय महिलाओं की विविधता और शक्ति को दर्शाता है। Laapataa Ladies क्यों चुनी गई? Film Federation of India के अनुसार, Laapataa Ladies को ग्रामीण India में महिलाओं के अनुभवों की अद्वितीय प्रस्तुति के लिए चुना गया। FFI के एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि "Indian women are a strange mixture of submission and dominance, with well-defined, powerful characters." फिल्म का सूक्ष्म हास्य और एक अपूर्ण दुनिया की अर्ध-आदर्शवादी प्रस्तुति इसे Oscars के लिए India की आधिकारिक entry के रूप में एक standout विकल्प बनाती है। यह फिल्म, जो गहराई से Indian culture में निहित है, universal themes को छूती है, जो global audience से resonate करती हैं। लैंगिक भूमिकाओं, पहचान, और सामाजिक दबावों की प्रस्तुति ने इसे cultural boundaries से परे एक उपयुक्त contender बना दिया है, खासकर Oscars की Best Foreign Film category के लिए। India की Oscars तक की यात्रा India लंबे समय से Academy Awards की prestigious Best Foreign Film category में recognition की कोशिश कर रहा है। जबकि Lagaan, Mother India, और Salaam Bombay! जैसी फिल्मों को पहले नामांकित किया जा चुका है, लेकिन अभी तक कोई जीत नहीं मिली है। Laapataa Ladies के चयन के साथ, एक बार फिर उम्मीदें जगी हैं कि शायद इस बार India coveted Oscar जीतने में सफल हो जाए। Laapataa Ladies का चयन Indian society की विविधता और जटिलता को दर्शाने वाली कहानियों के बढ़ते महत्व को दर्शाता है। Kiran Rao के thoughtful direction और फिल्म की compelling narrative ने Oscars 2025 में एक significant impact डालने की क्षमता दिखलाई है। निष्कर्ष India की official entry के रूप में 97th Academy Awards के लिए, Kiran Rao की Laapataa Ladies international stage पर धमाल मचाने को तैयार है। फिल्म की अद्वितीय storyline, शानदार performances, और भारतीय समाज में gender dynamics की सूक्ष्म परख ने इसे Best Foreign Film category के लिए एक योग्य contender बना दिया है। इसके हास्य, भावनाओं, और सामाजिक commentary का blend इसे worldwide audiences से connect करने की क्षमता देता है, जो Indian जीवन और नारीत्व की जटिलताओं की एक झलक प्रदान करता है। अब पूरा देश बेसब्री से इंतजार कर रहा है कि Laapataa Ladies अपनी Oscar journey पर आगे बढ़े, और यह फिल्म एक ऐतिहासिक जीत के साथ देश की उम्मीदों को पूरा करे। Also Read: GOAT Box Office Collection: Thalapathy Vijay की नई फिल्म पर धमाकेदार प्रतिक्रिया Read the full article
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ऑस्कर 2025: किरण राव की 'लापता लेडीज' ने रचा इतिहास, भारत की आधिकारिक एंट्री
नई दिल्ली, 23 सितंबर 2024। भारतीय सिनेमा के लिए गर्व का क्षण तब आता है जब देश की फिल्में ऑस्कर जैसी प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों की दौड़ में शामिल होती हैं। इस बार ऑस्कर 2025 के लिए भारत की आधिकारिक एंट्री के रूप में किरण राव द्वारा निर्देशित फिल्म ‘लापता लेडीज’ का चयन किया गया है। यह घोषणा फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया के सदस्यों द्वारा की गई, जिन्होंने एकेडमी पुरस्कारों के लिए इस फिल्म को…
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🎥 पुरानी हॉलीवुड फिल्मों का जादू (1912-1920) 🎥
क्या आप जानते हैं कि 1912 से 1920 के बीच की हॉलीवुड फिल्में सिनेमा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं? इस दौर में कई महान फिल्में बनीं, जिन्होंने सिनेमा की दिशा और दशा को बदल दिया। आइए, कुछ प्रमुख फिल्मों पर एक नज़र डालते हैं:
द बर्थ ऑफ ए नेशन (1915): डी.डब्ल्यू. ग्रिफ़िथ द्वारा निर्देशित यह फिल्म सिनेमा की तकनीकी और कहानी कहने की कला में एक मील का पत्थर मानी जाती है1. इनटॉलरेंस (1916): एक और महान फिल्म डी.डब्ल्यू. ग्रिफ़िथ की, जो चार अलग-अलग कहानियों के माध्यम से असहिष्णुता के विषय को दर्शाती है।
द किड (1921): चार्ली चैपलिन की यह फिल्म एक अनाथ बच्चे और एक गरीब आदमी की दिल छू लेने वाली कहानी है।
ब्रोकन ब्लॉसम्स (1919): यह फिल्म एक युवा लड़की और एक चीनी व्यक्ति की कहानी है, जो एक हिंसक पिता से बचने की कोशिश करते हैं।
द मार्क ऑफ ज़ोरो (1920): डगलस फेयरबैंक्स द्वारा अभिनीत यह फिल्म एक नकाबपोश नायक की कहानी है, जो अन्याय के खिलाफ लड़ता है।
इन फिल्मों ने न केवल तकनीकी और कहानी कहने की कला में नए मानक स्थापित किए, बल्कि सिनेमा को एक नई दिशा भी दी। इन फिल्मों को देखकर आप सिनेमा के शुरुआती दौर की गहराई और विविधता को समझ सकते हैं।
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Price: [price_with_discount] (as of [price_update_date] - Details) [ad_1] सिनेमा को हमारे राष्ट्र में सांस्कृतिक धरोहर के रूप में कभी भी सराहा नहीं गया। यही वजह है कि फिल्मों पर लेखन और उसके संग्रहण को पिछली सदी में कभी भी प्राथमिकता नहीं दी गई और इसलिए हमारे पास उन महान् फिल्मकारों और ऐतिहासिक फिल्मों की मेकिंग या उनके व्यक्तिगत अनुभवों को बयान करते बहुत अधिक दस्तावेज नहीं हैं।इस संबंध में उस समय में न तो बहुत अधिक शोध-कार्य किए गए और न ही उनके अनुभवों को पुस्तकाकार रूप में लिखा गया, जो आनेवाली पीढ़ी को उस स्वर्णिम दौर से रू-ब-रू कराता।पिछले दो दशकों में सिनेमा पर कई बेहतरीन पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं, जो न केवल फिल्मों के इस नए युग और नए युवा कलाकारों की बात करती हैं, बल्कि हमारे स्वर्णिम दौर को भी फिर याद करने का एक प्रशंसनीय प्रयास करती हैं।नए और युवा सिनेमा-प्रेमियों को केंद्र में रखकर बहुत कम लिखा गया या लिखा जा रहा है और ऐसी बहुत कम पुस्तकें हैं, जो आसान भाषा में युवाओं को हिंदी सिनेमा के सुनहरी दौर के बारे में जानकारी देती हैं। सच पूछें तो मुझे हमेशा हिंदी सिनेमा पर आधारित ऐसी पुस्तकों की कमी बहुत खली, जो न केवल ज्ञानवर्धक हों, बल्कि युवाओं को पुरानी क्लासिक फिल्में देखने की प्रेरणा भी दें।यह पुस्तक इसी दिशा में किया गया एक सच्चा प्रयास है, जो खासतौर से उन युवा दोस्तों के लिए लिखी गई है, जो हमारे हिंदी सिनेमा की यादगार कृतियों, उनके संगीत और उनके निर्माण से संबंधित कम प्रचलित जानकारी और कहानियों के बारे में विस्तारपूर्वक पढ़ना और उन्हें फिर से जीना चाहते हैं। From the Publisher Itna To Yaad Hai Mujhe by Bobby Sing (Author) ऐसी बहुत कम पुस्तकें हैं, जो आसान भाषा में युवाओं को हिंदी सिनेमा के सुनहरी दौर के बारे में जानकारी देती हैं। सिनेमा को हमारे राष्ट्र में सांस्कृतिक धरोहर के रूप में कभी भी सराहा नहीं गया। यही वजह है कि फिल्मों पर लेखन और उसके संग्रहण को पिछली सदी में कभी भी प्राथमिकता नहीं दी गई और इसलिए हमारे पास उन महान् फिल्मकारों और ऐतिहासिक फिल्मों की मेकिंग या उनके व्यक्तिगत अनुभवों को बयान करते बहुत अधिक दस्तावेज नहीं हैं। इस संबंध में उस समय में न तो बहुत अधिक शोध-कार्य किए गए और न ही उनके अनुभवों को पुस्तकाकार रूप में लिखा गया, जो आनेवाली पीढ़ी को उस स्वर्णिम दौर से रू-ब-रू कराता।शुरुआती दौर की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में कलाकारों के स्वलिखित लेख और साक्षात्कार, समर्पित पत्रकारों के विस्तृत लेखन और कुछ सराहनीय पुस्तकें ही हमें उस दौर की अविश्वसनीय कार्यशैली से अवगत कराती हैं और यह एक ऐसी धरोहर है, जिसका कोई भी मूल्य आँका नहीं जा सकता। सौभाग्यवश, नई सदी के इस वर्तमान दौर में हिंदी फिल्मों पर लेखन और उन पर आधारित पुस्तकों का चलन बढ़ा है और इसे प्रकाशकों का जरूरी प्रोत्साहन भी प्राप्त हुआ है। पिछले दो दशकों में सिनेमा पर कई बेहतरीन पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं, जो न केवल फिल्मों के इस नए युग और नए युवा कलाकारों की बात करती हैं, बल्कि हमारे स्वर्णिम दौर को भी फिर याद करने का एक प्रशंसनीय प्रयास करती हैं।हालाँकि मैंने व्यक्तिगत रूप में यही पाया कि ज्यादातर इन पुस्तकों को उन पाठकों को ध्यान में रखकर लिखा गया है, जो पहले से ही हिंदी सिनेमा और उसके संगीत के बारे में काफी जागरूक और ज्ञानपूर्ण हैं। नए और युवा सिनेमा-प्रेमियों को केंद्र में रखकर बहुत कम लिखा गया या लिखा जा रहा है और ऐसी बहुत कम पुस्तकें हैं, जो आसान भाषा में युवाओं को हिंदी सिनेमा के सुनहरी दौर के बारे में जानकारी देती हैं। सच पूछें तो मुझे हमेशा हिंदी सिनेमा पर आधारित ऐसी पुस्तकों की कमी बहुत खली, जो न केवल ज्ञानवर्धक हों, बल्कि युवाओं को पुरानी क्लासिक फिल्में देखने की प्रेरणा भी दें। यह पुस्तक इसी दिशा में किया गया एक सच्चा प्रयास है, जो खासतौर से उन युवा दोस्तों के लिए लिखी गई है, जो हमारे हिंदी सिनेमा की यादगार कृतियों, उनके संगीत और उनके निर्माण से संबंधित कम प्रचलित जानकारी और कहानियों के बारे में विस्तारपूर्वक पढ़ना और उन्हें फिर से जीना चाहते हैं। अनुक्रम आभार भाग-1 1. सत्यजीत रे : एक अद्भुत सृष्टा 2. बिमल रॉय, गुलजार और विलियम शेक्सपियर 3.
चिरकालिक ‘गाइड’ और इसका अंग्रेजी संस्करण 4. ‘कोहिनूर’ में दिलीप कुमार का एक अनोखा पशु मित्र 5. बर्ट्रेंड रसेल और फिल्म ‘अमन’ में उनका दुर्लभ कैमिओ 6. ‘जीवन नैया’ और ‘झूला’ : दो पुरानी फिल्में जिनके गीत थे : ‘कोई हमदम न रहा’ और ‘इक चतुर नार’ 7. फिल्मों में संगीतकार जोड़ी का चलन और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का सहायक से संगीत निर्देशक तक का सफर 8. ‘मुसाफिर’ में द��लीप कुमार का राग-आधारित गीत 9. ‘बंडलबाज’ में राजेश खन्ना और ‘फैंटम’, जिसका निर्देशन शम्मी कपूर ने किया था 10. ‘यादें’ : अपनी तरह की पहली भारतीय फिल्म : एक अद्वितीय और साहसी प्रयास 11. 1970 में देव आनंद : एक हॉलीवुड फिल्म के हीरो 12. ‘शोले’ का प्रसिद्ध वॉटर टैंक सीक्वेंस और एंथोनी क्विन 13. जब लता मंगेशकर, मोहम्मद रफी, किशोर कुमार और मुकेश ने एक साथ गीत गाया 14. 1972 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में बलराज साहनी का एक प्रेरणादायी भाषण 15. ‘बॉबी’ और आर्ची कॉमिक्स 16. एच.एम.वी. के प्रतीक और प्यारे कुत्ते की वास्तविक कहानी 17. ‘डॉन’ और उसका मशहूर गाना ‘खइके पान बनारस वाला’ 18. ‘नीचा नगर’ : कान फिल्म समारोह में सम्मानित होनेवाली पहली भारतीय फिल्म 19. उस्ताद नुसरत फतेह अली खान का हिंदी फिल्मों से परिचय 20. अस्सी के दशक में अमिताभ बच्चन की ‘सुप्रीमो’ कॉमिक बुक सीरीज 21. भारत में अंतिम ज्यूरी ट्रायल और इसके आधार पर बनी तीन हिंदी फिल्में 22. ‘पाकीजा’ और इसका एक प्रसिद्ध गीत मीना कुमारी के बिना 23. सन् 1914 में घटी कोमागाटा मारू ट्रेजेडी और फिल्म ‘जीवन संग्राम’ 24. ‘सिनेमा-सिनेमा’ और ‘फिल्म-ही-फिल्म’ : 90 के दशक से पहले दो अद्वितीय प्रयास 25. फिल्म ‘अमन’ में गजल सम्राट् जगजीत सिंह का कैमिओ Continue..... Bobby Sing फिल्मों से अपना रिश्ता एक स्टेज कलाकार/गायक के रूप में शुरू करते हुए, लेखक एक शिक्षाविद्, कवि व ग्राफिक डिजाइनर भी हैं और फिल्म व संगीत के साथ-साथ इन क्षेत्रों में पिछले 25 साल से कार्यरत हैं। एक क्रिएटिव कंसलटेंट (Creative Consultant) के तौर पर कार्य करते हुए वे सिनेमा, संगीत और जीवन पर अपनी वेबसाइट पर नियमित तौर पर लिखते हैं, जहाँ उनके हजारों पाठक पिछले 15 सालों से उनके साथ जुड़े हुए हैं। सिनेमा, संगीत और कविता (शायरी) को जीते हुए वह हर सप्ताह नई हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं की फिल्मों पर भी अपनी विशेष राय देते हैं और उनका यह समर्पित कार्य नियमित रूप से लगभग दो दशकों से जारी है।उनका वास्तविक नाम हरप्रीत सिंह (Harpreet Singh) है और सिनेमा से उनका संबंध 70 के दशक की शुरुआत में उनके जन्म के साथ ही, उसी दिन से शुरू हो गया, जिस दिन उनके परिवार ने उनका नाम राज कपूर की बहुचर्चित फिल्म से प्रेरित होकर ‘बॉबी’ रख दिया। Add to Cart Add to Cart
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क्या आपने खाई हैं ये अनोखी डिशेज़? सेलिब्रिटीज़ के साथ है इनका खास रिश्ता
खाने के शौकीन अलग-अलग डिशेज़ को ट्राई करते ही रहते हैं और फिल्मों के शौकीन नई फिल्में देखने का मौका नहीं छोड़ते। लेकिन क्या फिल्मी दुनिया की दीवानगी को खाने से जोड़कर कभी देखा है आपने? आज हम आपके पसंदीदा सितारों और खाने के बीच एक ऐसा रिश्ता बताएंगे जिसे सुनकर आप चौंक जाएंगे। हम आपको सितारों के पसंदीदा व्यंजन के बारे में नहीं, बल्कि ऐसे व्यंजन के बारे में बताने वाले हैं जो कलाकारों के नाम पर रेस्टोरेंट्स में परोसी जा रही हैं। हम उन सितारों के बारे में बताएंगे जिनके नामों पर देश में ही नहीं, विदेश में भी डिशेज़ मिलती हैं...
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Sadhna TV Satsang || 27-08-2024 || Episode: 3010 || Sant Rampal Ji Mahar...
*🙏🌼बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय����🙏*
28/08/24, Wednesday/बुधवार
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🎉 संत रामपाल जी 1महाराज ने दहेज प्रथा के खिलाफ आवाज़ उठाई व उसका पूर्णतः अंत किया जिससे लाखों बेटियों को बिना किसी आर्थिक दबाव के सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर मिला है। उनके इस प्रयास से समाज में बेटियों का सम्मान बढ़ा है और विवाह को 17 मिनट की असुर निकंदन रमैणी द्वारा सरल व सादगीपूर्ण बनाया गया है।
2🎉संत रामपाल जी महाराज ने महिलाओं की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए समाज को जागरूक किया है। उनके प्रयासों से महिलाओं के प्रति होने वाले अत्याचारों में कमी आई है और समाज में महिलाओं के लिए एक सुरक्षित वातावरण का निर्माण हुआ है।
संत रामपाल जी महाराज कहते हैं,
पर नारी को देखिए, बहन बेटी के भाव।
कहे कबीर काम नाश का, यही सहज उपाय।।
3🎉 संत रामपाल जी महाराज ने समाज में महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। संत रामपाल जी महाराज अपने सत्संगों में बताते हैं कि बेटा-बेटी में कोई अंतर नहीं है। अंतर हमारी सोच के कारण है।
4🎉संत रामपाल जी महाराज के सत्संगों से लाखों पुरुषों ने नशे का त्याग किया है, जिससे उनके परिवार, विशेषकर उनकी पत्नियों का जीवन सुखमय हुआ है। नशा मुक्त समाज की दिशा में उनके प्रयासों ने महिलाओं के जीवन में नई उम्मीद और खुशियां भरी हैं।
5🎉 स्त्री को उसके असली सम्मान का हक संत रामपाल जी महाराज ने दिया है। कानून संविधान, संस्थाएं तो दशकों से लगे हैं लेकिन स्त्री की स्थिति समाज में आज भी नहीं सुधर सकी है। आज महज संत रामपालजी महाराज के दिए तत्वज्ञान के प्रभाव से ही उनके अनुयायी दहेज का लेन देन नहीं करते, हजारों बेटियां आज प्रसन्नता से सुखी वैवाहिक जीवन व्यतीत कर रही हैं।
6🎉संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में सादगीपूर्ण तरीके से विवाह, असुर निकंदन रमैणी का चलन बढ़ा है, जिससे दहेज और अ���ावश्यक दिखावे से मुक्ति मिली है। इससे न केवल बेटियों का सम्मान बढ़ा है बल्कि समाज में विवाह को एक पवित्र और सरल प्रक्रिया के रूप में स्वीकार किया गया है।
7🎉 संत रामपाल जी महाराज ने भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथा को समाप्त करने के लिए समाज को जागरूक किया है। उनके सत्संगों ने लड़के और लड़की में भेदभाव को समाप्त कर महिलाओं को सम्मान दिलाया है, जिससे समाज में बेटियां अब बोझ नहीं हैं।
8🎉संत रामपाल जी महाराज के दिए ज्ञान को समझ कर उनके शिष्य लड़का या लड़की में अंतर नहीं मानते, क्योंकि संत रामपालजी महाराज ने समझाया है कि दोनों परमात्मा के जीव हैं, स्त्री हो या पुरुष दोनों को परमात्मा पाने का बराबर अधिकार है, इससे परिवार में स्त्रियों व बेटियों का सम्मान सदैव बना रहता है।
9🎉 तथाकथित धर्म के ठेकेदारों ने धर्म अनुसार महिला को देवी का दर्जा तो दिया पर साथ ही वह कब शुद्ध है कब अशुद्ध यह निर्धारित भी कर लिया। स्त्री को उसके असली सम्मान का हक सिर्फ संत संत रामपाल जी महाराज ने दिलाया है, उन्होंने ऐसा तत्वज्ञान दिया है जिसमें पाखंडवाद व छुआछूत की कोई जगह नहीं है।
10🎉नारी के साथ दिन पर दिन बढ़ती बदसलूकी का कारण बॉलीवुड फ़िल्में, गाने आदि है जिनमे बढ़ती फूहड़ता आज समाज में नारी के प्रति बुरा असर डाल रही हैं। लेकिन संत रामपाल जी महाराज के शिष्य इन सब का बहिष्कार करते हैं क्योंकि इन सब का हमारे दिमाग पर गलत असर पढ़ता है। यह बॉलीवुड फिल्में रेप, नशा, चोरी, दहेज प्रथा जैसी बुराइयों को बढ़ावा देती हैं।
11🎉संत रामपाल जी महाराज वह संत हैं, जिन्होंने नारी को खोया हुआ सम्मान दिलाने के लिए दहेज जैसी कुप्रथा को 17 मिनट के रमैनी विवाह(दहेज मुक्त विवाह) पद्धति से ��़त्म किया है।
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