#फसल बीमा
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फसल बीमा हेतु जरुरी सुचना: किसानों के लिए फसलों का बीमा कराने की 31 जुलाई अंतिम तारीख, आवेदन के लिए लगेंगे ये जरूरी दस्तावेज
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (खरीफ 2024): प्रधानमंत्री फसल बीमा (Fasal Bima Yojana) के लिए कृषि विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को पंजीयन कराना जरूरी है। हनुमानगढ़ ज़िले के किसानों के लिए अंतिम तिथि 31 जुलाई 2024 निर्धारित की गई है। किसान मुख्य फसल नरमा, मूंग, मूंगफली, ग्वार, मोठ, बाजरा, धान व तिल आदि फसलों का बीमा (crop insurance) करा सकते हैं। गौरतलब है कि…
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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना | फसली सुरक्षा सुनिश्चित करने में PMFBY का योगदान
भारत में फसल बीमा योजनाओं की आवश्��कता पर अक्सर बहस होती रही है। इसका कार�� किसानों की आय का नुकसान और देश को फसलों या भोजन की कमी होना है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए 1999 में राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना शुरू की गई और बाद में इसमें संशोधन भी किया गया।
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नुक्कड़ नाटक के माध्यम से दी फसल बीमा योजना की जानकारी
नुक्कड़ नाटक के माध्यम से दी फसल बीमा योजना की जानकारी गजा, डीपी उनियाल। गजा बाजार में कृषि विभाग टिहरी गढ़वाल के सहयोग से दिल्ली से आई टीम ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की जानकारी नुक्कड़ नाटक के माध्यम से लोगों को दी। टीम के सदस्य नावेद गौहर, सबीर खान, सौदाब गौहर, बसीर, पुष्पा त्रिपाठी, आदित्य सिंह, श्रीमती सोनिका गुंसाई ने लोगों को जानकारी दी फसल बीमा लेने के लिए कौन कौन दस्तावेज जमा करने…
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Our Vision is to Empower the People of India’s Villages: Col Rajyavardhan Rathore
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हमारा विजन है भारत के गांव के लोग सशक्त बनें: कर्नल राज्यवर्धन राठौड़
भारत गांवों का देश है, जहां देश की आत्मा बसती है। कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़, एक ओलंपिक विजेता, सेना के पूर्व अधिकारी और एक कुशल राजनेता, ने हमेशा भारत के गांवों को सशक्त बनाने के लिए विशेष ध्यान दिया है। उनका सपना है कि हर गांव आत्मनिर्भर बने और देश की प्रगति में बराबरी से भागीदार बने।
गांवों को सशक्त बनाने का विजन
1. गांव क्यों हैं महत्वपूर्ण?
गांवों में देश की 65% आबादी निवास करती है। कर्नल राठौड़ मानते हैं कि:
गांवों का विकास, देश का विकास है।
आत्मनिर्भर गांव, देश को आर्थिक और सामाजिक मजबूती प्रदान करते हैं।
2. गांवों के सशक्तिकरण के प्रमुख क्षेत्र
a. शिक्षा और कौशल विकास
कर्नल राठौड़ का लक्ष्य है कि हर ग्रामीण बच्चा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल विकास का लाभ उठा सके।
गांवों में स्कूल और व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना।
डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना।
b. आधारभूत ढांचे का विकास
गांवों की प्रगति के लिए सुदृढ़ आधारभूत ढांचा अनिवार्य है।
सड़कों, परिवहन और संचार नेटवर्क का विकास।
हर घर में बिजली और स्वच्छ पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करना।
c. आत्मनिर्भरता को बढ़ावा
गांवों में रोजगार के साधन उपलब्ध कराने के लिए:
सूक्ष्म और कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देना।
किसानों को तकनीक, बाजार और ऋण की सुविधाएं प्रदान करना।
कर्नल राठौड़ के प्रमुख प्रयास
1. डिजिटल गांवों का निर्माण
ग्रामीण क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना।
ई-गवर्नेंस सेवाओं को सुलभ और पारदर्शी बनाना।
2. कृषि को सशक्त बनाना
आधुनिक और टिकाऊ खेती के लिए नई तकनीकों का प्रचार।
फसल बीमा और सब्सिडी जैसी योजनाओं से किसानों को सहारा।
3. महिलाओं का सशक्तिकरण
कर्नल राठौड़ का मानना है कि महिलाओं के उत्थान से गांवों का विकास संभव है।
स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा।
स्वास्थ्य, शिक्षा और उद्यमशीलता पर जागरूकता अभियान।
चुनौतियां और समाधान
गांवों के सशक्तिकरण के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:
सांस्कृतिक और तकनीकी अंतर को पाटना।
गरीबी और बेरोजगारी को कम करना।
जागरूकता अभियानों के माध्यम से बदलाव को अपनाने के लिए प्रेरित करना।
सशक्त गांवों का प्रभाव
गांवों को सशक्त बनाने से:
ग्रामीण अर्थव्यवस्था आत्मनिर्भर बनेगी।
शहरों की ओर पलायन कम होगा।
जीवन स्तर में सुधार और शहरी-ग्रामीण असमानता में कमी आएगी।
कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का विजन भारत को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने का है। उनके प्रयास शिक्षा, आधारभूत ढांचे और रोजगार के माध्यम से गांवों को मजबूत बनाने पर केंद्रित हैं। जब गांव सशक्त होंगे, तो भारत सही मायनों में वैश्विक शक्ति ��न सकेगा।
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कृषि मंत्री गणेश जोशी ने फसल बीमा भुगतान में देरी पर जताई नाराजगी, तत्काल मुआवजा जारी करने के निर्देश
देहरादून: उत्तराखंड के कृषि मंत्री गणेश जोशी ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत वर्ष 2023-24 के किसानों को जल्द से जल्द मुआवजा प्रदान करने के निर्देश दिए हैं। मंगलवार को हाथीबड़कला स्थित कैंप कार्यालय में कृषि मंत्री ने विभागीय अधिकारियों और एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी के पदाधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में किसानों को फसल बीमा भुगतान में हो रही देरी को लेकर विस्तार से चर्चा की गई। कृषि…
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*बीमित किसानों को मिलेगी प्रधानमंत्री फसल बीमा पॉलिसी* *'मेरी पॉलिसी मेरे हाथ' कार्यक्रम शुरू - किसानों को वितरित होंगी 5.65 लाख पॉलिसियां*
बीकानेर, 3 फरवरी। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों की फसलों से जुड़े हुए जोखिम की वजह से होने वाले नुकसान की भरपाई करने का माध्यम है। संयुक्त निदेशक क��षि मदन लाल ने बताया कि योजनांतर्गत प्राकृतिक आपदा और मौसमी घटनाओं के चलते फसलों को हुए नुकसान का आंकलन कर, किसानों को मुआवजा दिया जाता है। कृषि अधिकारी मुकेश गहलोत ने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 31 जनवरी तक बैंकों द्वारा ऋणी…
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Farmer Registry 2025: जानिए फार्मर रजिस्ट्री के लाभ और पंजीकरण प्रक्रिया, मिलती रहेगी पीएम किसान की किस्त
आज के डिजिटल समय में जहां सरकार कृषि क्��ेत्र को बढ़ावा देने के लिए नई-नई योजनाएं बना रही है, वहीं किसान पंजीकरण (Farmer Registry) एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है। यह प्रक्रिया किसानों को उनकी डिजिटल पहचान प्रदान करती है, जिससे उन्हें सरकारी योजनाओं का सीधे लाभ मिलता है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, फसल बीमा योजना, और खाद्य सब्सिडी जैसी योजनाओं का लाभ किसानों तक आसानी से पहुंचाने के लिए…
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पीएमएफबीवाई के तहत फसल बीमा भारतीय किसानों के लिए कैसे काम करता है
भारतीय किसानों के लिए, नए साल का आगमन अक्सर भरपूर फसल की आशा और प्रकृति की अप्रत्याशितता पर चिंता का मिश्रण लेकर आता है। अपरिचित मौसम के मिजाज, कीटों का प्रकोप और प्राकृतिक आपदाएँ खेती को अनिश्चितता से भरा पेशा बना देती हैं, जिससे कई लोगों को अपनी जीविका चलाने के लिए करियर बदलने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इससे निपटने के लिए भारत सरकार ने अपने 2025 के नीतिगत निर्णयों में फसल बीमा योजनाओं को सबसे…
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Regional Marathi Text Bulletin, Chhatrapati Sambhajinagar Date – 02 January 2025 Time 7.10 AM to 7.20 AM Language Marathi आकाशवाणी छत्रपती संभाजीनगर प्रादेशिक बातम्या दिनांक ०२ जानेवारी २०२५ सकाळी ७.१० मि.
• पंतप्रधान विमा योजनेच्या आर्थिक तरतुदीत वाढ करण्याचा केंद्रीय मंत्रिमंडळाचा निर्णय • गडचिरोलीला स्टील सिटी ऑफ इंडिया करण्याकडे वाटचाल सुरू - मुख्यमंत्र्यांचं प्रतिपादन • नववर्षाच्या पहिल्या दिवशी दोन वेगवेगळ्या अपघातात मराठवाड्यातल्या आठ भाविकांचा मृत्यू • ज्येष्ठ साहित्यिक सुधीर रसाळ आणि संजय आर्वीकर यांना विदर्भ साहित्य संघाचे राज्यस्तरीय पुरस्कार जाहीर आणि • वाचन संकल्प महाराष्ट्राचा उपक्रमाअंतर्गत हिंगोली आणि नांदेडमध्ये वाचन उपक्रमांचं आयोजन
डीएपी खतांवर प्रतिटन साडे तीन हजार रुपये विशेष अनुदान पुढे चालू ठेवण्याचा निर्णय केंद्रीय मंत्रिमंडळानं घेतला आहे. शेतकऱ्यांना डीएपी खताच्या ५० किलोच्या पोत्यावर एक हजार ३५० रुपये अनुदान मिळेल, त्याकरता केंद्रीय अर्थसंकल्पात तीन हजार ८५० कोटी रुपयांची तरतूद करण्याचा निर्णय मंत्रिमंडळाच्या बैठकीत काल घेण्यात आला. या बैठकीनंतर माहिती आणि प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव यांनी ही माहिती दिली. पंतप्रधान विमा योजना तसंच पुनर्रचित हवामान आधारित पीक विमा योजना सुरू ठेवण्यावर मंत्रिमंडळानं शिक्कामोर्तब केलं. या योजनेसाठीच्या आर्थिक तरतुदीत वाढ करण्यात आल्याचं वैष्णव यांनी सांगितलं. ते म्हणाले… ‘‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना उसका एनहांसमेंट उसके अलोकेशन को एनहान्स किया गया। 69,515 करोड किया गया। और ये जिस तरह का अभी तक का अनुभव आया है, जिस तरह से इस स्कीम मे युटीलायजेशन, जिस तरह से रिस्पॉन्स मिला है, जैसे किसानों के जीवन में जो रियल परिवर्तन आया है इस स्कीम से उसके कारण इस ॲलोकेशन को एनहांस किया गया है।’’
गेल्या आठ वर्षांच्या काळात पीक विमा योजनेत शेतकऱ्यांना एक लाख ७० हजार कोटी रुपये वाटप करण्यात आलं असल्याची माहितीही वैष्णव यांनी दिली. दरम्यान, पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी केंद्रीय मंत्रिमंडळानं नव्या ��र्षातला पहिला निर्णय शेतकरी हिताचा घेतल्याचं नमूद केलं आहे. या निर्णयामुळे शेतकऱ्यांची पीकं अधिक सुरक्षित होतील, आणि नुकसानाची भीती कमी होईल, असं त्यांनी समाज माध्यमावरच्या संदेशात म्हटलं आहे.
गडचिरोलीला स्टील सिटी ऑफ इंडिया करण्याचं स्वप्न साकारण्याकडे वाटचाल सुरू झाल्याचं, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी म्हटलं आहे. ते काल गडचिरोलीत लॉईड्स मेटल कंपनीच्या डी आर आय प्रकल्पाच्या कोनशीलेचं अनावरण तसंच विविध उपक्रमांचं उद्घाटन केल्यानंतर बोलत होते. गडचिरोली जिल्ह्यात सर्वार्थाने मोठं परिवर्तन दिसून येत असल्याचं फडणवीस यांनी नमूद केलं. ते म्हणाले… ‘‘कोणसरीचा हा जो प्रकल्प, ज्याचं भूमिपूजन मुख्यमंत्री असताना मी केलं होतं, आता त्याच्या पहिल्या फेजचं उद्घाटन या ठिकाणी करतोय. अनेक प्रकल्पांचा आज उद्घाटन भूमिपूजन होत आहे. दहा हजार लोकांना रोजगार मिळालाय. पाच हजारांना अजून दहा महिन्यांमध्ये काम पूर्ण झाल्यानंतर रोजगार त्या ठिकाणी मिळणार आहे. त्यामुळे मोठ्या प्रमाणात जे ट्रान्सफॉर्मेशन आहे, ते आपल्याला पाहायला मिळतंय आणि आपलं जे स्वप्न आहे की, गडचिरोलीला स्टील सिटी ऑफ इंडिया करायचं, त्याकडे वाटचाल आपली सुरू झाली आहे.’’
मुख्यमंत्र्यांच्या हस्ते लॉईड्स मेटल कंपनीची शाळा, रुग्णालय, कर्मचारी निवासस्थानं, जिमखाना आणि बालोद्यान आदी उपक्रमांचं उद्घाटन यावेळी करण्यात आलं. दरम्यान, अहेरी ते गर्देवाडा या बस सेवेला मुख्यमंत्र्यांच्या उपस्थितीत प्रारंभ करण्यात आला. स्वातंत्र्याच्या ७५ वर्षांनंतर ही बससेवा सुरू होत असल्याबद्दल त्यांनी समाधान व्यक्त केलं. ‘‘मला अतिशय आनंद आहे कारण हा जो सगळा भाग आहे, या भागांमध्ये वर्षानुवर्ष धुळणवळणाची साधनं नव्हती. रस्ते नव्हते. आणि माओवाद्यांचा डॉमिनन्स असलेला असा हा भाग होता. आपल्या पोलिसांनी अतिशय चांगलं काम करत त्यांचा डॉमिनन्स संपवलाय. आणि आपल्या सगळ्या विभागांनी या ठिकाणी प्रशासनाने चांगलं काम केलं. रस्त्याचे काम असेल पीडब्ल्यूडी ने केलेलं पुलाचं काम असेल याच्यामुळे थेट आता छत्तीसगडला आपण जोडले गेलो आहोत. आणि ७५ वर्षानंतर पहिल्यांदा फर्स्ट सेवा या भागामध्ये सुरू होतेय. लोकांना एक मोठी सुविधा मिळते.’’
नक्षल चळवळीच्या नेत्या ताराक्का आणि त्यांच्या दहा सहकाऱ्यांनी काल आत्मसमर्पण केलं. या सर्वांच्या पुनर्वसनाची ग्वाही मुख्यमंत्र्यांनी दिली. नक्षल चळवळीचा बिमोड करणाऱ्या सी सिक्स्टी जवानांचा यावेळी सत्कार करण्यात आला. गडचिरोली पोलीस दलाला पाच बस, १४ चारचाकी आणि ३० दुचाकींचं वितरण मुख्यमंत्र्यांच्या हस्ते करण्यात आलं. जिल्ह्यातल्या विविध विकास कामांची त्यांनी या��ेळी पाहणी केली.
कृत्रिम बुद्धीमत्ता - आर्टिफिशियल इंटेलिजन्स तंत्रज्ञ���नाच्या जागतिक स्पर्धेत महाराष्ट्राने दिशादर्शक व्हावं, यासाठी राज्याचं पहिलं एआय धोरण तयार करण्याचे निर्देश, माहिती आणि तंत्रज्ञान मंत्री विधीज्ञ आशिष शेलार यांनी दिले आहेत. काल आपल्या विभागाचा आढावा घेतल्यानंतर ते बोलत होते. ए आय तंत्रज्ञानाचा वापर करून अधिक उद्योग, व्यवसाय उभे राहतील, तरुणांना रोजगार मिळतील आणि तंत्रज्ञानाच्या जागतिक स्पर्धेत महाराष्ट्र सक्षमपणे स्पर्धा करु शकेल, असा विश्वास त्यांनी व्यक्त केला.
पेट्रोलियम कंपन्यांनी व्यावसायिक वापराच्या गॅस सिलिंडरच्या किंमतीत १५ रुपयांनी कपात केली आहे. मुंबईत आता १९ किलो वजनाचं एलपीजी सिलिंडर एक हजार ७५६ रुपयांना मिळेल. घरगुती वापराच्या एलपीजी सिलिंडरच्या किंमतीत कोणताही बदल करण्यात आला नाही.
नववर्षाच्या पहिल्या दिवशी देवदर्शनासाठी जातांना झालेल्या दोन वेगवेगळ्या अपघातात मराठवाड्यातल्या आठ भाविकांचा मृत्यू झाला. जालना जिल्ह्यात धुळे - सोलापूर राष्ट्रीय महामार्गावर महाकाळा इथं, नादुरुस्त झाल्यामुळे उभ्या असलेल्या ट्रकला छत्रपती संभाजीनगरकडे जाणारी भरधाव कार मागून धडकल्याने झालेल्या अपघातात एकाच कुटुंबातले चार जण जागीच ठार झाले तर दोन जण गंभीर जखमी झाले. काल दुपारी हा अपघात घडला. मृतांमध्ये दोन महिलांसह एका ११ वर्षीय मुलीचा समावेश आहे. या अपघातातले सर्वजण अक्कलकोटहून छत्रपती संभाजीनगरला परतत होते. जखमींना छत्रपती संभाजीनगर इथं खासगी रुग्णालयात दाखल करण्यात आलं आहे. अन्य एका अपघातात सोलापूर जिल्ह्याच्या अक्कलकोटमधल्या मैंदर्गी इथं भाविकांची चारचाकी गाडी आणि ट्रकची धडक होऊन चार भाविकांचा जागेवरच मृत्यू झाला, तर सात जण जखमी झाले. मृतांमध्ये दोन महिला आणि दोन पुरुषांचा समावेश आहे. नांदेड जिल्ह्यातले हे सर्व भाविक अक्कलकोटहून गाणगापूरला दर्शनासाठी जात होते.
विदर्भ साहित्य संघाच्या राज्यस्तरीय आणि अन्य वाङ्मय पुरस्कारांची घोषणा काल करण्यात आली. यामध्ये कुसुमानिल स्मृती समीक्षा पुरस्कार संजय आर्वीकर यांच्या ‘आत्मप्रकाशया ग्रंथाला, तर स्वर्गीय गोपाळराव मुकुंदराव देशपांडे स्मृती संपादन पुरस्कार सुधीर रसाळ आणि वसंत पाटणकर यांच्या ‘वाङ्मयीन युगांतर आणि श्री. पु. भागवत या ग्रंथास प्राप्त झाला आहे. येत्या १४ जानेवारीला हे पुरस्कार प्रदान केले जाणार आहेत.
मुख्यमंत्री सौर कृषी वाहिनी योजनेत जालना जिल्ह्यातल्या बदनापूर तालुक्यात केळीगव्हाण इथल्या सौर ऊर्जा प्रकल्पाचं, आमदार नारायण कुचे यांच्या हस्ते काल लोकार्पण झालं. पाच मेगावॅट क्षमतेच्या या सौर ऊर्जा प्रकल्पातून परिसरातल्या सहा गावांमधल्या अकराशे कृषिपंपांना दिवसा वीजपुरवठा केला जाणार आहे.
पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होळकर यांच्या ३०० व्या जयंती वर्षानिमित्त छत्रपती संभाजीनगर इथं आजपासून दोन दिवसीय विद्वत परिषदेचं आयोजन करण्यात आलं आहे. या परिषदेत अहिल्याबाईंच्या कार्यावर प्रकाश टाकणारी तज्ज्ञांची व्याख्यानं, तसंच नाट्य प्रयोग सादर केले जाणार आहेत.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषदेच्या देवगिरी प्रदेशाचं एकोणसाठावं प्रदेश अधिवेशन आजपासून लातूर इथं सुरु होत आहे. राजस्थानचे राज्यपाल हरिभाऊ बागडे यांच्या हस्ते या अधिवेशनाचं उद्घाटन होईल. तीन दिवस चालणाऱ्या या अधिवेशनात उद्या शुक्रवारी दुपारी शहरातून शोभायात्रा काढली जाणार आहे. या अधिवेशनात सहभाग घ्यावा, असं आवाहन स्वागत समिती अध्यक्ष प्रमोद मुंदडा यांनी केलं आहे.
“वाचन संकल्प महाराष्ट्राचा” उपक्रमाअंतर्गत हिंगोली इथं शासकीय जिल्हा ग्रंथालयात वाचन कार्यशाळा आणि ग्रंथ प्रदर्शनाचं काल जिल्हा सांख्यिकी उपसंचालक एस. एम. रचावाड यांच्या हस्ते उद्घाटन झालं. हा उपक्रम येत्या १५ जानेवारीपर्यंत वाचन पंधरवाडा म्हणून साजरा करण्यात येणार आहे. या कालावधीत सामूहिक वाचन, वाचन कौशल्य कार्यशाळा, वाचन संवाद, पुस्तक परीक्षण आणि कथन स्पर्धा आयोजित करण्यात येणार आहेत. ‘वाचन संकल्प महाराष्ट्राचा’ या उपक्रमाअंतर्गत नांदेडच्या स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाडा विद्यापीठात आज सामूहिक वाचन करण्यात येणार आहे.
धाराशिव जिल्ह्यात खरीप हंगाम २०२३ मध्ये बनावट पिक विमा भरणाऱ्या किती शेतकऱ्यांवर कारवाई करण्यात आली, याची सविस्तर माहिती देण्याची मागणी आमदार सुरेश धस यांनी जिल्हा पोलीस अधीक्षकांना केली आहे. यासंदर्भात त्यांनी काल एक निवेदन देऊन, गुन्ह्यांची माहिती, अपहाराची रक्कम याविषयी नव्याने माहिती देण्याची मागणी केली.
परभणी इथं जिंतूर मार्गावर तबलिगी इज्तेमा सुरु असल्यामुळे परभणी शहर वाहतूक मार्गात तात्पुरत्या स्वरुपात बदल करण्यात आला आहे. जिल्हा पोलीस अधीक्षक रविंद्रसिंह परदेशी यांनी प्रसिद्धीपत्रकाद्वारे ही माहिती दिली. वाहनधारकांनी पर्यायी वळण मार्गाचा वापर करण्याचं आवाहन त्यांनी केलं आहे.
बीड जिल्हा जात प्रमाणपत्र पडताळणी समिती मार्फत ‘100 दिवसांचे लक्ष्य अंतर्गत’ विद्यार्थ्यांना त्रुटी पुर्ततेसाठी तसंच तयार असलेले जात वैधता प्रमाणपत्र समिती स्तरावरून निर्गमित करण्यासाठी विशेष मोहिम आयोजित करण्यात आली आहे. या विशेष शिबीराचा जास्तीत जास्त अर्जदारांनी लाभ घ्यावा, असं आवाहन जिल्हा जात प्रमाणपत्र पडताळणी समिती कार्यालयानं केलं आहे.
देशाच्या उत्तर भागात दाट धुक्यामुळे दृश्यमानता कमी झाल्याने रेल्वेगाड्या उशीराने धावत आहेत. दिल्लीहून सुटणाऱ्या किंवा तिथे पोहोचणाऱ्या बावीस गाड्या दोन तासांपर्यंत उशीराने धावत आहेत, अशी माहिती रेल्वे व्यवस्थापनाने दिली आहे.
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#PrimeMinisterCropInsuranceScheme#CropInsurance#Farmer#Agriculture#Insurance#Compensation#Vegetable#Farming#Government#News#GNewsPortal
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फसल मुआवजा : जिले के 84 हजार किसानों को 92 करोड़ का मुआवजा जारी
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को खरीफ सीजन 2023 व रबी 2023-24 का फसल मुआवजा (Crop Compensation) जारी कर दिया गया है। बीमा कंपनियों द्वारा सीकर जिले के तकरीबन 84 हजार 251 किसानों के खातों में 92 करोड़ 72 लाख रुपये की राशि भेजी गई है। इस मुआवजे की राशि 92 करोड़ 72 लाख है। इस राशि को जिले के 84 हजार 251 किसानों के खातों में ट्रांसफर कर दिया गया है। इस राशि के ट्रांसफर होने के साथ उन…
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Shrimp Farming: सरकार चला रही है ये योजना, अपनी झींगा फसल का इस तरह कराएं बीमा
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Shrimp Farming: The Government’s Initiative and How to Insure Your Shrimp Crop Shrimp farming has become one of the fastest-growing aquaculture practices in India. With its increasing demand in both domestic and international markets, it plays a crucial role in uplifting rural economies, generating employment, and boosting exports. However, shrimp farming, like any other agricultural activity, is fraught with risks such as disease outbreaks, natural disasters, and fluctuating market conditions. To support farmers and mitigate these risks, the Indian government has introduced various schemes, including insurance plans tailored for shrimp farming.
Why Shrimp Farming is Important Shrimp farming contributes significantly to the livelihood of thousands of farmers, especially in coastal regions. India is one of the largest exporters of shrimp, and this industry adds billions of dollars to the economy each year. With its potential to improve rural prosperity, shrimp farming is not just about producing seafood—it's a pathway to economic growth.
Government’s Support for Shrimp Farmers The government has rolled out various initiatives to encourage shrimp farming and safeguard farmers’ investments. These schemes provide financial aid, technical support, and insurance to protect against unforeseen losses. Subsidies for setting up shrimp farms, access to quality seeds, and training programs are some of the highlights of these initiatives.
What is Shrimp Farming Insurance? Insurance for shrimp farming is designed to protect farmers from financial losses due to risks like natural calamities, disease outbreaks, or other unforeseen events. It ensures that farmers can continue their operations without facing devastating financial setbacks.
Key Benefits of Insuring Your Shrimp Crop Financial Security: Insurance provides a safety net, ensuring that farmers are compensated for their losses. Risk Mitigation: Protects against events like floods, cyclones, or sudden disease outbreaks. Encourages Growth: With reduced financial stress, farmers can focus on expanding their operations. Boosts Confidence: Knowing that their crops are insured motivates farmers to adopt better farming practices. How to Apply for Shrimp Farming Insurance The government has simplified the process to make insurance easily accessible to shrimp farmers. Here’s how you can apply:
Visit the Nearest Fisheries Office: Start by visiting your local fisheries department or a recognized insurance agency. Fill Out the Application Form: Provide details about your farm, production capacity, and the type of shrimp you cultivate. Submit Required Documents: These include proof of ownership or lease agreement of the farm, identification proof, and bank account details. Pay the Premium: Depending on the coverage, you will need to pay a nominal premium, often subsidized by the government. Eligibility for Shrimp Farming Insurance The eligibility criteria are straightforward. Most shrimp farmers, whether operating on a small or large scale, can apply. The primary requirement is that the farm should be registered with the fisheries department.
Claim Process for Insurance In case of a loss, farmers need to follow these steps to file a claim:
Notify the insurance provider immediately after the incident. Provide evidence of the loss, such as photographs or reports from local authorities. Submit a claim form along with supporting documents. The claim will be processed and settled within the stipulated time. Success Stories of Insured Shrimp Farmers Several farmers have benefitted from these insurance schemes. For instance, a shrimp farmer in Andhra Pradesh reported significant losses due to a cyclone but recovered thanks to insurance, allowing him to restart his operations. Such stories highlight the importance of government-backed insurance for the sustainability of shrimp farming.
Challenges Faced by Shrimp Farmers Despite the government’s efforts, many farmers remain unaware of the insurance schemes available to them. Additionally, disease outbreaks, poor quality of water, and inadequate infrastructure continue to pose challenges. Addressing these issues through better outreach and education is essential.
Conclusion Shrimp farming is a promising venture that holds immense potential for India’s economic growth. By insuring their crops, farmers can protect their investments and ensure steady growth. The government’s initiatives, coupled with proactive participation from farmers, can take this industry to new heights. If you are a shrimp farmer, don’t hesitate to explore the insurance options available and secure your future today.
FAQs Why is shrimp farming insurance important? Shrimp farming insurance protects farmers from financial losses due to risks like natural disasters and disease outbreaks, ensuring their operations remain sustainable.
How can I apply for shrimp farming insurance? You can apply through your local fisheries department or an authorized insurance provider by submitting the required documents and paying the premium.
What does shrimp farming insurance cover? It typically covers losses due to natural calamities, disease outbreaks, theft, and other unforeseen events.
Are small-scale shrimp farmers eligible for insurance? Yes, small-scale shrimp farmers are eligible as long as they meet the basic criteria set by the government.
What is the cost of shrimp farming insurance? The cost varies depending on the coverage, but the government often subsidizes the premium to make it affordable for farmers.
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Async Await
Async Await is a feature introduced in Swift 5.5 that allows developers to write asynchronous code in a synchronous style. This means that we can use the async and await keywords to write asynchronous code that looks like synchronous code.
Implementing a Generic Network Request using Async Await
To implement a generic network request using async await on Swift for iOS, we will follow these steps:
Create a Result type that can hold the response of the network request.
enum Result { case success(T) case failure(Error) }
Swift
Create a fetch function that takes a URL and returns a Result type.
Swift
Call the fetch function and handle the Result type.
Swift
Using Combine
We can also implement a generic network request using Combine, which is a framework that provides a declarative Swift API for processing values over time. To implement a generic network request using Combine, we will follow these steps:
Create a fetch function that takes a URL and returns a AnyPublisher type.
Swift
Call the fetch function and handle the AnyPublisher type.
Swift
Using Completion Blocks
We can also implement a generic network request using completion blocks, which is a traditional way of handling asynchronous code in iOS. To implement a generic network request using completion blocks, we will follow these steps:
Create a fetch function that takes a URL and a completion block.
Swift
Call the fetch function and handle the Result type.
Swift
Conclusion
In this tutorial, we learned how to implement a generic network request using async await on Swift for iOS. We also discussed the differences between implementing this using Combine and completion blocks. Depending on the use case, you can choose the best approach that fits your needs.
Source: Implementing a generic network request using async await, Combine and Completion blocks.
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Jamshedpur farmers insurance : जमशेदपुर के किसानों के लिए बेहतर मौका, फसल बीमा करायें, सुरक्षा कवच पायें, 31 दिसंबर तक करें आवेदन
जमशेदपुर : जमशेदपुर के उपायुक्त अनन्य मित्तल द्वारा जिला के किसानों से ‘बिरसा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ का लाभ लेने के लिए 31 दिसंबर तक नामांकन करने की अपील की गई है. उन्होने कहा कि फसलों के नुकसान की स्थिति में किसानों के आर्थिक भरपाई को लेकर रबी मौसम- वर्ष 2024-25 के लिए बिरसा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ लेने हेतु आवेदन के लिए सात दिन शेष रह गए हैं. जिला के वैसे किसान जिन्होने अबतक…
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बदला ढंग, आमदनी बढ़ी तो जिंदगी में छाए रंग
योगी सरकार में यूपी में आधुनिक खेती के तरीके अपना कर किसान दोगुनी आमदनी कर रहे हैं। वहीं किसान कल्याण योजनाओं की वजह से यूपी में कृषि विकास रफ्तार पकड़ रहा है। शायद इसी वजह से पिछले सात वर्षों में उत्तर प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य में लगातार बढ़ोतरी हुई है। परिणामस्वरूप प्रदेश में फसलों की सरकारी खरीद के नए-नए कीर्तमान बन रहे हैं।
किसानों को बदलहाली के दौर से निकालने के लिए मुख्यमंत्री बनते ही योगी आदित्यनाथ ने यूपी में किसान कल्याण की तमाम योजनाएं लागू की। जिसकी वजह से यूपी में कृषि विकास के साथ किसानों की आर्थिक हालात में सुधार हुआ। अपनी पहली कैबिनेट बैठक में वर्ष 2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने किसानों का एक लाख रुपये तक का कर्ज माफी का फैसला लिया था। प्रदेश सरकार के इस फैसले से 86 लाख लघु-सीमांत किसानों को कर्ज माफी का लाभ मिला। वहीं, किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य पाने के लिए प्रयासों का असर भी अब दिखने लगा है। योगी सरकार के इन फैसलों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार होने के साथ ही किसानों ने आत्मनिर्भरता की ओर भी कदम बढ़ाए। इसके पीछे यूपी में किसान कल्याण योजनाएं ज्यादा असरदार साबित हुई।
न्यूनतम समर्थन मूल्य में लगातार वृद्धि की वजह से गेहूं व धान के अलावा मक्का, दलहन व तिलहन की सरकारी खरीद बढ़ी और बाजार में किसानों को बेहतर दाम मिले। सरकारी क्रय केंद्रों पर रजिस्ट्रेशन कराने जैसी औपचारिकताएं तो बढ़ी है, लेकिन इससे किसानों के खातों में विभिन्न योजनाओं के तहत करीब 1803 करोड़ रुपये का अनुदान के रूप में पहुंचा ।कृषि उपज की बिक्री के लिए मंडियों की उपयोगिता और अधिक बढ़ी है।
योगी सरकार ने यूपी में आधुनिक खेती के तरीके के प्रमोशन के लिए तकनीक से कृषि विकास को रफ्तार देने का अभियान चलाया। प्रदेश के किसानों को खेती -किसानी संबंधी नवीनतम जानकारियां व तकनीकी लाभ उनके करीब में उपलब्ध कराने के लिए किसान पाठशालाओं का आयोजन किया गया। किसान पाठशालाओं के माध्यम से प्रदेश के 55 लाख किसानों को प्रशिक्षित किया गया। इसी प्रकार प्रदेश में 20 नए कृषि विज्ञान केंद्रों की स्थापना की गई। कृषि क्षेत्र में सौर ऊर्जा के अधिकतम उपयोग को बढ़ावा देने के लिए 50 हजार से अधिक सोलर पंप लगाने का काम किया।
कुसुम योजना के माध्यम से किसानों को नलकूप के कनेक्शन प्रदान किए गए। जिससे प्रदेश में सिंचित खेती का रकबा बढ़ा। सरकार किसानों को गेहूं और धान की परंपरागत खेती के स्थान पर बहुफसली खेती की पद्धति अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इससे भी किसानों की आमदनी सुधारने में अहम भूमिका निभाई। मृदा स्वास्थ्य कार्ड , प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, कृषि सिंचाई, किसान सम्मान निधि जैसी यूपी में किसान कल्याण योजनाएं भी इसमें बहुत सहायक हुईं। जिसके परिणामस्वरूप कुछ वर्षों में ही किसानों को उनकी लागत का डेढ़ गुना दाम मिलना प्र��रंभ हुआ।
बुंदेलखंड के किसानों के लिए जलवायु की अनुकूलता के मुताबिक औषधीय खेती और बागवानी से भी जोड़ा गया। सीमैप के माध्यम से संगीधय और औषधीय पौधों की खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षित किया गया और उनको प्रशिक्षित भी किया। इसके अलावा उनके हर्बल उत्पादों की मार्केटिंग भी की गई। किसानों को कारोबारी एवं उद्यमशील बनाकर प्रशिक्षित किया गया। इससे उन्हें कृषि उत्पाद का कई गुना दाम मिल रहा है।
बीते वर्ष अगस्त 2023 में पूर्वांचल के वाराणसी एयरपोर्ट से खाड़ी देशों के लिए 91 मीट्रिक टन फल और सब्जियों का निर्यात किया गया। पहली बार पूर्वांचल के गाजीपुर के केले के फल, फूल और पत्ते निर्यात हो रहे हैं जबकि पहले ये दक्षिण भारत से ही निर्यात होता था. इसके अलावाअब पहली बार अमड़ा और करौंदा खाड़ी देशों के लिए निर्यात किया गया ।
सरकार की किसान कल्याण योजनाओं के क्रियान्वयन का परिणाम है कि उत्तरप्रदेश कुल कृषि योग्य भूमि में 24% शेयर अकेले इन औद्यानिक कृषि फसलों के माध्यम से किसानों और प्रदेश को प्राप्त होता है। खाद्यान्न उत्पादन में 20 प्रतिशत का योगदान उत्तर प्रदेश करता है। ऑर्गेनिक खेती में भी उत्तर प्रदेश के किसानों की भागीदारी 24 प्रतिशत हैं।
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PMFBY Registration: रबी फसलों के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का पंजीकरण शुरू, जानिए कैसे करें आवेदन
देश के विभिन्न हिस्सों में रबी फसलों की बुवाई पूरी हो चुकी है। इस सीजन के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत किसानों के लिए फसलों का बीमा पंजीकरण शुरू हो चुका है। इस योजना का उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं से किसानों की फसल को हुए नुकसान की भरपाई करना और उनकी आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करना है। किसान इस योजना के जरिए बेहद कम प्रीमियम पर अपनी फसलों का बीमा करवा सकते हैं और प्राकृतिक आपदाओं से…
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पीएम सूर्य घर योजना: अब लाभार्थी खुद चुनेंगे, सब्सिडी लें या छोड़ें
भारत में फसल बीमा योजनाओं की आवश्यकता पर अक्सर बहस होती रही है। इसका कारण किसानों की आय का नुकसान और देश को फसलों या भोजन की कमी होना है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए 1999 में राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना शुरू की गई और बाद में इसमें संशोधन भी किया गया।
हालांकि, इन योजनाओं ने प्रीमियम के विश्लेषण, निर्धारण और भुगतान में उभरी विभिन्न समस्याओं का पूरी तरह से समाधान नहीं किया। इसी वजह से सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) शुरू करने का फैसला किया।
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