#प्रोटीन की कमी कैसे पूरी करें
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tezlivenews · 3 years ago
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न्यूट्रिला 100% व्हे पर्फॉर्मेंस से शरीर होगा मजबूत, मसल्स और बॉडी बनाने में मिलेगी मदद
न्यूट्रिला 100% व्हे पर्फॉर्मेंस से शरीर होगा मजबूत, मसल्स और बॉडी बनाने में मिलेगी मदद
Nutrela 100% Whey Performance: शरीर को स्वस्थ और मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए प्रोटीन जरूरी है, जो लोग बॉडी-बिल्डिंग करते हैं या वजन घटाने के लिए घंटों जिम में पसीना बहाते हैं उनके लिए प्रोटीन बहुत जरूरी है. ऐसे में Whey Protein आपके लिए शाकाहारी और अच्छा प्रोटीन सोर्स है. व्हे प्रोटीन में सभी जरूरी एमिनो एसिड्स पाए जाते हैं. इसके सेवन से मांसपेशियों (Muscles Gain Strength) में ताकत आती है,…
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न्यूट्रिला व्हे परफॉर्मेंस से पूरी करें प्रोटीन की कमी, वजन घटाए और शरीर को मजबूत बनाए
न्यूट्रिला व्हे परफॉर्मेंस से पूरी करें प्रोटीन की कमी, वजन घटाए और शरीर को मजबूत बनाए
Nutrela 100% Whey Performance: शरीर के लिए प्रोटीन बहुत जरूरी है. प्रोटीन से मसल्स को मजबूत बनाने और नई मसल्स बनाने में मदद मिलती है. एक स्वस्थ शरीर के लिए सभी पोषक तत्व जरूरी हैं. Whey Protein शरीर के लिए हेल्दी और सबसे फायदेमंद प्रोटीन है. इससे मांसपेशियों (Muscles gain strength) को रोज के कामों को करने में मदद मिलती है. शरीर में टिशूज को रिपेयर (Repairing tissues) करने में मदद मिलती है. ­थकान…
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trendswire · 2 years ago
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merikheti · 2 years ago
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अरुगुला की खेती की जानकारी
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पिछले कुछ वर्षों से भारतीय कृषि क्षेत्र में भी विविध प्रकार से कृषि पालन किया जा रहा है। इस विविधता के पीछे सरकार की कुछ बेहतरीन नीतियां और युवा किसानों का कृषि क्षेत्र में निरंतर विश्वास, आने वाले समय में भारतीय कृषि को तकनीक और उत्पादन के स्तर पर विश्व में सर्वश्रेष्ठ बनाने में सहायक हो सकता है।
क्या है अरुगुला ?
अरुगुला या आर्गुला (Arugula) एक प्रकार की सलाद होती है, जिसे भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। हालांकि कुछ युवा और संपन्न किसानों को छोड़कर इस सलाद की फसल का उत्पादन बहुत ही कम क्षेत्रों और कम किसानों के द्वारा किया जाता है।
इसे रॉकेट सलाद (Rocket (Eruca vesicaria)), भूमध्यसागरीय सलाद (Mediterranean Salad) और गारघिर (Gargeer) के नाम से भी जाना जाता है। वर्तमान में जिम के माध्यम से बॉडीबिल्डिंग करने वाले युवाओं में इस सलाद का सेवन काफी लोकप्रिय हो रहा है।
अरुगुला सलाद की मदद से शरीर में कई सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी की पूर्ति तो होती ही है, साथ ही इसमें पाए जाने वाले प्रोटीन तथा आयरन के गुण स्वास्थ्य प्रेमियों की शारीरिक आवश्यकताओं की मांग को पूरी करने के लिए पर्याप्त होते है।
भारत के उत्तरी पूर्वी राज्यों में इसका उत्पादन अक्टूबर महीने के अंतिम सप्ताह में शुरू किया जाता है, क्योंकि इस फसल के लिए 10 डिग्री से 25 डिग्री सेंटीग्रेड के मध्य तापमान की आवश्यकता होती है, इसीलिए दक्षिणी और तटीय राज्यों में अरुगुला की उत्पादकता काफी कम देखने को मिलती है।
पिछले कुछ समय से राजस्थान, पंजाब तथा हरियाणा इस सलाद के उत्पादन में सबसे बड़े उत्पादक के रूप में उभर कर सामने आए है। पंजाब में उत्पादित होने वाली अरुगुला सलाद की मांग अमेरिका तथा कनाडा की कई मल्टिनैशनल कम्पनियों में लगातार बढ़ती जा रही है।
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अरुगुला उत्पादन के लिए सर्वश्रेष्ठ मृदा :
वैसे तो इस सलाद का उत्पादन अलग-अलग प्रकार की मृदा में किया जा सकता है, लेकिन दोमट और बलुई दोमट मिट्टी में इसकी उत्पादकता सर्वश्रेष्ठ प्राप्त होती है।
साथ ही किसान भाई ध्यान रखें कि बेहतरीन सिंचाई के साथ तैयार की हुई मिट्टी, इस फसल में लगने वाले रोगों की प्रभाविकता को काफी कम कर सकती है।
अरुगुला की बुवाई करने से पहले किसान सेवा केंद्र के वैज्ञ���निकों की मदद से अपने खेत की मिट्टी की अम्लीयता की जांच जरूर करवाएं, क्योंकि सलाद के उत्पादन के लिए मिट्टी की पीएच का मान 6 से लेकर 7 के बीच में होना चाहिए ,अधिक क्षारीयता वाली मिट्टी इसके उत्पादकता को बहुत ही कम कर सकती है।
इस फसल की एक और खास बात यह है कि यह पाले जैसी स्थिति को आसानी से झेल सकती है, लेकिन अधिक धूप पड़ने पर इसके पत्ते सूख जाते है। कई किसान भाई इस सलाद के उत्पादन के दौरान, उसे ढकने के लिए इस्तेमाल में होने वाले कवर और अधिक गर्मी से बचाने के लिए बेहतरीन सिंचाई की व्यवस्था पर पूरा ध्यान देते है।
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अरुगुला सलाद की अलग-अलग किस्म :
वर्तमान में कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा तैयार की गई अरुगुला सलाद की हाइब्रिड किस्में भारतीय किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है। इन्हीं कुछ किस्मों में से एस्ट्रो (Astro), रेड ड्रैगन (Red Dragon), रॉकेट तथा स्लो बोल्ट(Slow Bolt) और वसाबी जैसी किस्में शंकर विधि से तैयार की गई है।
इसी वजह से ऊपर बताई गई सभी किस्में जलवायु में होने वाले सामान्य परिवर्तन को आसानी से झेल सकती है और मौसम में आने वाले उतार-चढ़ाव के दौरान भी बेहतर उत्पादन कर सकती है।
हरियाणा और पंजाब के क्षेत्रों में रेड ड्रैगन तथा वसाबी किस्म की सलाद का उत्पादन सर्वाधिक किया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय मार्केट में स्लो बोल्ट किस्म की बढ़ती मांग की वजह से जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के कुछ सम्पन्न किसानों के द्वारा इसका उत्पादन भी बड़े स्तर पर शुरू कर दिया गया है।
अरुगुला सलाद की एक खास बात यह भी है कि इसकी लगभग सभी प्रकार की किस्में 40 से 50 दिन में पूरी तरीके से तैयार की जा सकती है।
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कैसे करें बीज उपचार और बुवाई :
अरुगुला सलाद के बीजों में कीटनाशी काफी जल्दी प्रभाव पैदा कर सकते है, इसीलिए इसे इन्हें बोने से पहले बीज उपचार करना आवश्यक हो जाता है।
अपने खेत में इन बीजों को बोने से पहले पूरी तरीके से जर्मिनेट (Germinate) कर लें।
वर्तमान में कई बड़े किसानों के द्वारा इन बीजों को एक मशीन में डालकर इन्हें मोटे दानों के रूप में बदल दिया जाता है, इस विधि को पेलेटाइज़िंग (Pelletizing) कहते है, इसके बाद इन बीजों की बु���ाई करने पर इनमें कीटनाशी और कवक जैसी बीमारी फैलने का खतरा बहुत ही कम ��ो जाता है।
अरुगुला की खेती के लिए मुख्यतया, अंतराल कृषि विधि को अपनाया जाता है, इसे स्टैगर्ड प्लांटिंग (Staggered Planting) भी कहते है।
इस विधि में पौधे के बीजों की एक साथ बुवाई करने के स्थान पर, एक से दो सप्ताह के अंतराल पर लगातार बोया जाता है और इन बीजों को बोते समय दो पंक्तियों के मध्य की दूरी 12 से 15 इंच रखनी होती है, साथ ही दो छोटी पौध के बीच की दूरी कम से कम 6 इंच होनी चाहिए।
पौध के बीच में सीमित दूरी रखने से मृदा कुपोषण और एक पौधे से दूसरे पौधे में फैलने वाली बीमारियों की दर को कम किया जा सकता है।
कौनसे उर्वरकों का करें इस्तेमाल :
किसान भाई यह बात तो जानते ही है कि जैविक उर्वरक किन्हीं भी प्रकार के रासायनिक उर्वरकों से सर्वश्रेष्ठ होते है। यदि आप भी कृषि कार्यों की अतिरिक्त पशुपालन करते है,तो वहां से प्राप्त जैविक खाद का इस्तेमाल उर्वरक के तौर पर कर सकते है।
इसके अलावा कुछ सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए फसल के उगते समय ही नाइट्रोजन का 50 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करना उपयुक्त रहता है। साथ ही फास्फोरस और पोटेशियम जैसे रासायनिक उर्वरकों की मदद से इस फसल की जड़ों में होने वाली बीमारियों को कम करने के साथ ही वृद्धि दर को काफी तेज किया जा सकता है।
अरुगुला की पौध लगने से पहले ही खेत की मिट्टी में वैज्ञानिकों के द्वारा सुझाई गई सल्फर की सीमित मात्रा का छिड़काव मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने में सहायक होता है।
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कैसे करें उपयुक्त सिंचाई :
अरुगुला जैसी सलाद वाली फसल को पानी की नियमित स्तर पर आवश्यकता होती है, क्योंकि इस फसल की जड़े बहुत ही जल्दी पानी को सोख लेती है। अलग अलग मौसम के अनुसार लगभग 8 से 10 इंच पानी की आवश्यकता पौधे के अंकुरित होने से लेकर लगभग 50 दिन तक जरूरी होती है।
हल्की और बलुई मिट्टी और अधिक पानी की मांग भी कर सकती है, इसीलिए आप अपने खेत की मिट्टी की वैरायटी के अनुसार पानी की मात्रा निर्धारित कर सकते है।
अरुगुला सलाद में लगने वाली बीमारियां और उनका उपचार :
वैसे तो एक सलाद की फसल होने की वजह से इस फसल की रोगाणुनासक क्षमता सर्वश्रेष्ठ होती है, परंतु फिर भी भारत की मिट्टियों में कई प्रकार के पोषक तत्वों की कमी की वजह से अरुगुला जैसे सलाद में भी कई रोग लग सकते है जैसे कि :
बेक्टेरिया ब्लाइट ( Bacterial Blight ) :
बैक्टीरिया की वजह से होने वाले इस रोग में पौधे की पत्तियां भूरे रंग की हो जाती है और थोड़े दिन बाद इनका रंग पीला पड़ने लगता है। मुख्यतः यह समस्या तब होती है जब रात और दिन के तापमान में अंतराल काफी अधिक हो जाता है।
इस रोग से बचने के लिए अरुगुला के बीजों का सही तरह से उपचार करके ही बुवाई करनी चाहिए। बीजों को बोने से पहले उन्हें एक दिन तक गर्म पानी में डालकर रखना चाहिए, साथ ही आप अपने खेत में रूपांतरित कृषि विधि का प्रयोग भी कर सकते हैं, इस विधि में एक बार एक जगह पर एक फसल उगाने के बाद अगले सीजन में उस जगह पर दूसरी फसल का उत्पादन किया जाता है।
साथियों बाजार में बिकने वाले कई एंटीबैक्टीरियल रसायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
कोमल फफूंद रोग :
इस रोग में पौधे की पत्तियां फंगस का शिकार हो जाती है और पती के ऊपरी हिस्से तथा उनके तलवे में सफेद रंग का फफूंद लगना शुरू हो जाता है। धीरे-धीरे यह फफूंद पौधे की पतियों को बीच में से काट कर खोखला बना देता है, जिससे फसल की उत्पादकता काफी कम हो जाती है।
इस रोग से बचने के लिए दो पौधों के बीच की जगह पर्याप्त होनी चाहिए, साथ ही निराई गुड़ाई कर पौधे के आसपास उगने वाले खरपतवार को निरंतर समय पर हटाते रहना होगा।
मृदा और मौसम में ज्यादा नमी की वजह से भी यह रोग आसानी से फैलता है, इसलिए नमी को कम करने के लिए खेत को हवादार बनाने के लिए उचित प्रबंधन किया जाना चाहिए।
आशा करते है कि Merikheti.com के द्वारा दी गई इस जानकारी के माध्यम से, किसान भाइयों को एक नई और अच्छा उत्पादन देने वाली फसल के बारे में पता लगा होगा और भविष्य में आप भी अपने खेत में बेहतरीन वैज्ञानिक विधि की मदद से अरुगुला की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा पाएंगे।
Source अरुगुला की खेती की जानकारी
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lifestylechacha · 3 years ago
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पपीता खाने के फायदे - Benefits of eating papaya in Hindi
Benefits of eating papaya in Hindi : दोस्तो आज हम आपको अपने इस लेख में बताने वाले हैं कि पपीता खाने से आपको क्या-क्या फायदे हो सकते है? पपीता एक ऐसा पोषण से भरपूर फल है। जिसमे औषधि वाले गुण भी है। पपीता उन कई फलों में से एक है जिसे खाने की सलाह डॉक्टर भी मरीजों को देते हैं। जो सबसे ज्यादा बीमारियों में मरीजों के लिए फायदेमंद साबित होता है।  खाली पपीता ही नहीं अपितु इसकी पत्तियों भी काफी लाभदायक होती है। पपीता पक्का हो या कच्चा हर तरह का पपीता फायदेमंद ही होता है। फिर चाहे वो पाचन के लिए हो या भूख न लगने की समस्या के लिए या फिर आँखों के लिए हर प्रकार की दृष्टि से पपीता फायदेमंद ही साबित होता है। स्वास्थ्य की दृष्टि के साथ साथ त्वचा के निखार के लिए भी पपीता बहुत ही ज्यादा फायदेमंद है। आइए जानते हैं कैसे ….   * पपीते से मिलने वाले तत्व : पपीते से हमें कई सारे तत्व प्राप्त होते हैं जैसे - विटामिन ए, विटामिन ई, प्रोटीन, फोलेट, पाचन एंजाइम, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, कैलोरी, कैरोटीन, फाइबर, नियासिन, कॉपर और ऐसे कई सारे एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं।
* पक्का पपीता खाने के फायदे
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1. खाली पेट पपीता खाने का फायदा : खाली पेट पपीता खाने से यह हमारे पाचन तंत्र को सुरक्षित रखता है। यह हमारे शरीर के विषाक्त पदार्थ को भी शरीर से बाहर निकलने में मदद करता है। पपीते से प्राप्त होने वाले पाचन एंजाइमों की उपस्थिति से हमारे शरीर के आंत को भी हेल्दी रखने में मदद करता है। यह कई प्रकार की पाचन संबंधी समस्याओं के विकार को भी दूर रखने में सहायक होता है। जैसे - कब्ज, पेट फूलना, पेट खराब होना आदि।   2. पाचन में फायदेमंद : पपीता एक ऐसा फल है जो पाचन तंत्र के लिए काफी लाभदायक होता है क्योंकि पपीते में पपेन, पाचक एंजाइम्स, बीटा कैरोटीन, विटामिन ई, फोलेट और बहुत सारे डायट्री फाइबर्स पाए जाते हैं। जो पाचन तंत्र को उत्तेजित करने का काम करते है और पाचन तंत्र को पूरी तरह से सक्रिय रखता है। इससे हम पेट खराब और कब्ज जैसी समस्याओं से दूर रहते हैं।   3. आँखों के लिए फायदेमंद : पपीता खाने से हमारे आँखों को भी काफी लाभ पहुँचता है क्योंकि इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन ए होता है। जो हमारी आंखों की रक्षा करता है नीली रोशनी से क्योंकि इसमें कैरोटिनॉइड प्यूटिन भी पाया जाता है। जो हमारी रेटिना का बचाव तथा मोतियाबिंद की खिलाफ भी लड़ता है।   4. इम्यूनिटी मजबूत करने में फायदेमंद : पपीते का सेवन करने से हमें कई सारी जरूरी पौष्टिक तत्वों की पूर्ति हो जाती है जैसे - प्रोटीन, विटामिन ए, विटामिन ई आदि। पपीता खाने से हमारे शरीर को विटामिन ए की भरपूर मात्रा में प्राप्ति हो जाती हैं। जो हमारे शरीर के सफेद कोशिकाओं के निर्माण में बहुत सहायक साबित होता है।   5. वजन को नियंत्रित करने में फायदेमंद : प्रायः मध्य आकार का पपीते का सेवन करने से भी आप अपने वजन को नियंत्रित कर सकते हैं क्योंकि एक मध्य आकार के पपीते में केवल 120 कैलोरी होती हैं। साथ ही इसमें पाए जाने वाले ओर भी तत्व जैसे प्रोटीन, फोलेट आदि भी लाभकारी होते हैं। इसमें वसा और कोलेस्ट्रॉल तो होता ही नहीं है। जिससे आप अपना वजन नियंत्रित आराम से कर सकते हैं।  
* कच्चे पपीता खाने का फायदा
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1. मजबूत हड्डियों के लिए फायदेमंद : पपीता खाना तो लाभकारी होता ही है साथ ही यदि कच्चा पपीता का सेवन करें तो वह और भी लाभकारी सिद्ध होती है क्योंकि हमारे शरीर की हड्डियों में दर्द और कमजोरी का एक कारण विटामिन की कमी होती हैं। जो कच्चा पपीते का सेवन कर हम प्राप्त कर सकते हैं। इसका सेवन करने से कई प्रकार के विटामिन्स हमें प्राप्त हो जाते हैं।    2. जॉन्डिस के लिए फायदेमंद : कच्चा पपीते का लाभ ज्यादातर जॉन्डिस से ग्रसित मरीजों को होता है क्योंकि जॉन्डिस से ग्रसित व्यक्ति के लिवर पर ज्यादा असर पड़ता है। इसलिए ऐसे समय में कच्चा पपीता जॉन्डिस और लीवर दोनों के लिए लाभदायक सिद्ध होता है। जॉन्डिस से ग्रसित व्यक्ति को कच्चे पपीते का सेवन करना चाहिए और इसका सेवन जरूरी भी है।  
* पपीते के अन्य फायदे
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- पपीता ही नही अपितु, पपीते का पत्ता भी काफी लाभदायक होता है। इसका कड़ा बना कर पीने से डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है।   - पपीते के पत्ते से हम कंडीशनर बनाकर उसका उपयोग कर सकते हैं। जैसे पत्ते का रस बनाकर उसे बालों पर लगाये और धो लें। यह एक कंडीशनर का काम करने में काफी कारगर साबित हुई है। जो आपके बालों को मुलायम बना देगी।   - वैसे तो पपीते में काफी सारे तत्व मौजूद हैं, किन्तु पपीते में जो पपेन नाम का एक एंजाइम जो होता है। वो हमारे बालों को मजबूती प्रदान करने में बहुत ही लाभकारी होता है और इससे हमारे बाल लंबे और खूबसूर�� रहते हैं।   - त्वचा के निखार के लिए भी पपीता बहुत ही कारगर सिद्ध हुआ है। यदि पके पपीते को हम चेहरे पर उसका पेस्ट बनाकर लगते हैं तो चेहरे पर निखार आता है। इससे त्वचा के दाग धब्बे हट जाते हैं।   निष्कर्ष पपीता के बहुत लाभ होते हैं इ��लिए हम अपनी दिनचर्या में एक समय निश्चित कर पपीते का सेवन रोजाना करना चाहिए। एक छोटा भाग भी पपीते का हमें 60 कैलोरी प्रदान करता है। यह स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद ही साबित होता है। आशा करती हूं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आएगा। तो दोस्तों आपको हमारा ये लेख कैसा लगा। हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बताएं। मैं ज्योति कुमारी, Lifestylechacha.com पर हिंदी ब्लॉग/ लेख लिखती हूँ। मैं दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हूँ और मुझे लिखना बहुत पसंद है।
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(ज्योति कुमारी ) Read the full article
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beautyduniya11 · 3 years ago
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Dark Circle Hatane Ke Gharelu Upay | 10 Amazing ways to Remove Dark Circles At Home
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आजकल की तनावपूर्ण जिंदगी और प्रदूषित माहौल में हमें बहुत सी शारीरिक परेशानियों से जूझना पड़ता है। उसी में से एक है आंखों के काले घेरे (Dark Circle). आंखों के नीचे काले घेरे हमारी सुंदरता को फीका तो करते ही हैं, साथ ही डार्क सर्कल की वजह से हम बीमार भी लगते हैं। Dark Circle Hatane ke Gharelu Upay हमारी सुंदरता को फीका होने से बचाते हैं।
डार्क सर्कल से पीड़ित व्यक्ति के मन में सिर्फ यही बात चलती है कि “आंखों के नीचे कालापन कैसे दूर करें” यानी Dark Circle kaise Hataye? डार्क सर्कल का मतलब है कि आंखें और उसके आसपास की मांसपेशियां कमजोर हो रही हैं। ऐसी समस्या से निजात पाने में Dark Circle Hatane Ke Gharelu Upay रामबाण इलाज सिद्ध होते हैं।
ब्यूटी दुनिया के इस लेख में बताएं जाने वाले आंखों के नीचे डार्क सर्कल हटाने के घरेलू उपाय आपकी समस्या का जरूर समाधान करेंगे। इसी विश्वास के साथ पढ़िए पूरा लेख।
डार्क सर्कल क्यों होते हैं | Causes of Dark Circles in Hindi
आंखों के नीचे कालापन होने के कई कारण हो सकते हैं। नीचे हम आपको कुछ सामान्य कारण बता रहे हैं, जिससे आंखों के नीचे काले घेरे हो सकते हैं।
नींद पूरी न होना
पानी कम पीना
वंशानुगत
थकावट की वजह से
सही डाइट न लेना
शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी के कारण कमजोरी होने से
ज्यादा मेकअप लगाने की वजह से
त्वचा के संक्रमण की वज़ह से
बढ़ती उम्र
नाक की एलर्जी
धूप की वजह से या धूप में सनस्क्रीन न लगाने के वजह से
लैपटॉप, टीवी या मोबाइल का अधिक उपयोग करने के कारण।
Dark Circle Hatane Ke Gharelu Upay | How To Remove Dark Circles At Home
डार्क सर्कल क्यों होते हैं? इस प्रश्न के जवाब को जानने के बाद आइए अब जानते हैं उस प्रश्न के जवाब को, जो आपके दिमाग में हमेशा चलता है। आंखों के नीचे डार्क सर्कल को कैसे हटाए? यहां हम बेहतरीन 10 डार्क सर्कल हटाने के उपाय (Dark Circle Hatane Ke Gharelu Upay) बता रहे हैं। जिनके इस्तेमाल के बाद आपको सकारात्मक परिणाम अवश्य मिलेंगे।
1. आंखों के नीचे कालापन दूर करने के लिए आलू का रस
आलू में पोटेशियम और विटामिन सी पाया जाता है जो हमारी स्किन के लिए बहुत ही जरूरी तत्व है।
आलू को कद्दूकस कर उसका रस निकाल लें।
इस रस को रुई के फोहे की मदद से अपनी आंखों पर तकरीबन 10 मिनट के लिए रखें।
बाद में ठंडे पानी से धो लें।
2. डार्क सर्कल के लिए बादाम का तेल | Dark circle treatment in hindi
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बादाम के तेल में विटामिन ई प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
बादाम का तेल हमारी स्कीन की हर समस्या के लिए एक बहुत ही उम्दा उपाय हैं।
रात को सोने से पहले अपना चेहरा धो लें।
बादाम के तेल को अपनी उंगलियों के टिप्स पर लेकर आंखों के चारों तरफ सर्कुलर मोशन में मसाज करें।
इस तेल से मसाज करने के बाद आपको अपना चेहरा धोने की आवश्यकता नहीं है।
3. आंखों के नीचे काले घेरे हटाने के लिए दूध | Dark circle removal tips in hindi
कच्चे दूध में लैक्टिक एसिड, विटामिन ए,सी, के और प्रोटीन पाया जाता है।
यह हमारी स्किन के लिए बहुत ही बेनिफिशियल है क्योंकि यह एक अद्भुत टोनर का काम करता है।
रात को सोने से पहले कच्चा दूध रुई के फोहे की मदद से आंखों पर 10 मिनट के लिए लगाएं।
आप चाहे तो पानी से वॉश करें अन्यथा ऐसे भी आप सो सकते हैं।
4. डार्क सर्कल हटाने के लिए नींबू और टम��टर का रस | Dark circle home remedy
यह बात सभी जानते हैं कि टमाटर और नींबू विटामिन सी के बेहतरीन स्त्रोत है।
विटामिन सी हमारी स्किन के लिए बहुत जरूरी माना जाता है।
आधा टमाटर व आधा नींबू के रस को मिलाकर दिन में दो से चार बार लगाने से आपको मनचाहा परिणाम मिल सकता है।
इससे निकले रस को आप पूरे दिन के लिए स्टोर करके रख सकते हैं।
इस रस को जब आप आंखों के नीचे लगाएं तो 10 मिनट के बाद ठंडे पानी से आंखों को वॉश कर ले।
5. डार्क सर्कल के उपाय में नारियल का तेल | Face glow tips in hindi for girl
Coco Soul Cold Pressed Virgin Coconut Oil...
Extracted from Freshly Harvested Coconuts....
Cold pressing technology helps preserve the...
नारियल का तेल एक वर्सेटाइल ऑयल माना जाता है।
जो ना सिर्फ आपके बालों के लिए लाभकारी है बल्कि आपकी स्किन को ग्लोइंग बनाने में यह अपना महत्वपूर्ण योगदान भी देता है।
रात को सोने से पहले चेहरा धोकर नारियल के तेल की मसाज अपने चेहरे पर सर्कुलर मोशन में करें।
साथ ही बहुत हल्के फिंगर्टिप्स से आंखों की भी मसाज करें।
याद रहे इस उपाय को करने के बाद आपको अपना चेहरा धोना नहीं है।
6. आंखों के नीचे काले घेरे के लिए नींबू शहद | How to remove dark circles in Hindi
सबसे पहले आपको अपना चेहरा धोकर सुखाना है।
इस उपाय को करने के लिए आपको आधे नींबू के रस में आधा चम्मच शहद मिलाना है।
इस मिक्चर को आप पूरा दिन फ्रीज में स्टोर करके रख सकते हैं।
इसे आपको दिन में दो से तीन बार अपनी आंखों के चारों ओर लगाना है। हल्की हल्की मसाज करनी है।
अप्लाई करने के 10 मिनट के बाद अपने चेहरे को नॉर्मल पानी से वॉश कर लेना है।
7. डार्क सर्कल के उपाय में अरंडी का तेल | How to glow skin at home in hindi
अरंडी का तेल (castor oil) भी नारियल के तेल की तरह वर्सेटाइल माना जाता है।
जो आपके बालों के साथ-साथ आपकी स्किन को भी ग्लोइंग बनाता है और स्किन से रिलेटेड बहुत सी समस्याओं का समाधान भी करता है।
रात को सोने से पहले अरंडी के तेल की मसाज अपने पूरे चेहरे पर आप कर सकते हैं
इसी तेल को फिंगर टिप्स पर लेकर बिल्कुल हल्की हल्की मसाज अपनी आंखों के चारों तरफ भी कर सकते हैं।
8. आंखों के नीचे कालेपन को हटाने में एलोवेरा जेल | Dark circle removal tips
इस उपाय को करने के लिए आप कोई सा भी एलोवेरा जेल इस्तेमाल कर सकते हैं।
फिर चाहे वह प्राकृतिक हो या कृत्रिम।
इसे आप फेस वॉश करने के बाद सुबह शाम डायरेक्ट अपने पूरे फेस पर अप्लाई कर सकते हैं।
और हल्के हाथों से अपने चेहरे के साथ-साथ अपनी आंखों के चारों तरफ मसाज कर सकते हैं।
9. डार्क सर्कल हटाने के लिए टी बैग्स | Eye dark circle remove tips in hindi
पानी को गर्म करने के बाद उसमें एक टीबैग डालें।
2 मिनट तक टी बैग को उसी पानी में पड़ा रहने दे।
बाद में उस पानी को फ्रीजर में आइस क्यूब बनने के लिए रख दें।
तैयार आइस क्यूब को कॉटन के कपड़े में रखकर उसे आप अपनी आंखों पर धीरे-धीरे मसाज करें।
यह उपाय बहुत बढ़िया परिणाम देता है।
10. डार्क सर्कल के उपाय में खीरे का इस्तेमाल | Gharelu nuskhe for dark circle in hindi
खीरे में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं।
इसके साथ ही खीरे में विटामिन सी फोलिक एसिड और एंटीऑक्सीडेंट्स भी पाए जाते हैं।
स्किन से संबंधित किसी भी समस्या के इलाज में खीरे का इस्तेमाल विभिन्न तरीकों से किया जाता है।
एलोवेरा जेल में खीरे का रस मिलाकर अपनी आंखों पर मसाज करें।
कॉफी पाउडर में खीरे का रस मिलाकर भी आप अपने आंखों पर पैक लगा सकते हैं और उसके 10 मिनट के बाद ठंडे पानी से वॉश कर ले।
इसके अलावा खीरे को छीलकर उसकी दो स्लाइस कट करके अपनी आंखों पर 10 मिनट के लिए रखें।
और फिर ठंडे पानी से धोएं।
यह उपाय ना सिर्फ आपके डाक सर्कल को कम करता है। बल्कि आपके स्ट्रेस को भी कम करता है।
इससे आपको मनचाहा परिणाम मिल सकता है।
निष्कर्ष | Conclusion
डार्क सर्कल्स अस्थाई होते हैं और हमारे सही कदम उठाने से ठीक भी हो जाते हैं l लेकिन ज़रूरी यह है कि हम समय रहते ही सही कदम उठाएं l इसके लिए कई तरह के इलाज के साथ ही घरेलू नुस्खों की भी मदद ली जा सकती है l हम अपनी जीवनशैली में कुछ बदलाव लाकर भी आंखों के नीचे होने वाले काले घेरों को कम कर सकते हैंl ऊपर बताए गए डार्क सर्कल हटाने के घरेलू उपायों में से आप कोई भी उपाय फॉलो कर सकते हैं।
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ivfjunction · 3 years ago
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जानिये ! आईवीएफ से पहले आपको किन बातो का ध्यान रखने की आवश्यकता है?
आईवीएफ (IVF) प्रक्रिया  के लिए खुद को तैयार करना किसी भी दंपत्ति के लिए एक बहुत ही बड़ा निर्णय होता है। यह जानते हुए कि हमारा समाज इस प्रक्रिया को ले कर कितना पिछड़ा हुआ ह��� (सबसे पहले आईवीएफ इलाज होने के 40 साल बाद भी), यह एक बहुत बड़ी बात है कि आप इस सब से आगे बड़ कर सही इलाज लेने का कदम उठा रहें हैं। 
पूरा इंटरनेट आईवीएफ की जानकारी से भरा हुआ है परंतु बहुत कम स्त्रोत हैं जो सही तरह से बताते हैं कि आईवीएफ के लिए कैसे तैयारी की जाती है। किसी भी दंपत्ति के लिए बहुत ही मुश्किल होता है कई ऐसे लेख पढ़ना जो आईवीएफ के बारे में बड़ी बड़ी बातें लिखते हैं लेकिन आपको इस बात का उत्तर नहीं देते कि इस प्रक्रिया के लिए तैयार कैसे होते हैं। 
हम आशा करते हैं कि इस लेख से आपको सभी सवालों जैसे – मैं अपने शरीर को आईवीएफ के लिए कैसे तैयार करूं? मानसिक रूप से आईवीएफ के लिए कैसे तैयारी करते हैं? और आईवीएफ प्रिक्रिया के दौरान क्या क्या सवाल पूछने चाहिए? आदि के जवाब मिलेंगे। ये सभी सवाल बहुत महत्वपूर्ण हैं और हम आशा करते हैं कि आपको इन सभी के बारे में पता लग जाएगा, तो आईये जानते हैं हमे आईवीएफ से पहले आपको किन चीजें का ध्यान रखने की आवश्यकता है?
आईवीएफ के लिए खुद को कैसे तैयार करें? 
अगर आप पहले ही समझ गए हैं की आईवीएफ हर शरण पर कैसे काम करता है, तो आप जानते होंगे कि आईवीएफ प्रक्रिया में कई शरण होते हैं जिसमें डॉक्टर से परामर्श, खून जांचें, अंडों की उत्तेजना (ovarian stimulation), अंडों को शरीर से निकालना (Transvaginal Oocyte Retrieval), अंडों और स्पर्म को तैयार करना (Egg and Sperm Preparation), अंडों और स्पर्म को मिलाना (Egg Fertilizations), और इस मेल से बनने वाले एंब्रियो को महिला के गर्भ में रखना (Embryo transfer), आदि शामिल हैं। यह सब होने के दो हफ्ते बाद महिला का प्रेगनेंसी टेस्ट किया जाता है। यह सारे चरण सुनने में बहुत लम्बे और डरावने ��ग सकते हैं परंतु आप निश्चिंत रहिए कि आपके डॉक्टर के लिए यह सभी प्रक्रियाँ उनकी विशेषता हैं और उन्होंने इनमें महारत पाने के लिए कई साल मेहनत की है। 
आईवीएफ में बहुत से चारण होते हैं, इसलिए इसके लिए शारीरिक, मानसिक, और आर्थिक रूप से तैयार होना बहुत जरूरी है। इसके लिए बेहतर है कि आप एक ऐसे प्रदाता चुने जो आपको हर चरण में मदद करे और आपके ऊपर से यह बोझ हटा दे। आईवीएफ जंक्शन यह समझता है की यह प्रक्रिया आपके लिए कितनी डरावनी और मुश्किल हो सकती है और आपको पूरी प्रक्रिया के दौरान मदद करता है। हम आपको बहुत से रूप में मदद करते हैं जैसे – मानसिक तनाव को संभालना, आपके खान पान का ध्यान रखना, आर्थिक रूप में मदद करना और आपको हर चरण पर सही राय देना। इस सबसे आपको इस प्रक्रिया से गुजरने में बहुत सहायता मिलती है। 
पूरी प्रक्रिया होने में कुछ हफ्तों से कुछ महीनें भी लग सकते हैं और इसलिए यह जरूरी है कि आप एक सही आईवीएफ क्लिनिक चुने। इसके साथ साथ यह जानना कि इस प्रक्रिया से आपको क्या उम्मीद करनी चाहिए आपको इसके लिए भी तैयार बनाता है। 
·         आईवीएफ के लिए शारीरिक तैयारी
·         आईवीएफ के लिए आर्थिक तैयारी
·         आईवीएफ के लिए मानसिक तैयारी
·         टेक आवे
आईवीएफ के लिए शारीरिक तैयारी
आईवीएफ की प्रक्रिया के लिए जाने से पहले आप और आपके साथी को कुछ जांचें करवानी पड़ेंगी। यह सब जांचें सुनिश्चित करती हैं कि आपके डॉक्टर आपके लिए सही इलाज ढूंढ सके। इससे यह भी सुनिश्चित होता है कि डॉक्टर आपके बच्चा ना होने के कारण को ढूंढ कर ठीक कर पाए। इनसे यह भी पता चलता है कि आपका खुद का बच्चा हो सकता है या फिर आपको एक डोनर की आवश्यकता है। 
अंडों की संख्या की जांच (ovarian reserve testing) 
आम भाषा में बोलें तो ओवेरियन रिजर्व टेस्टिंग से यह पता चलता है कि महिला के शरीर में कितने अंडे हैं जो एक कामयाब प्रेगनेंसी में बदल सकते हैं। सभी महिलाएं अंडों की एक संख्या ले कर पैदा होती हैं और इन अंडों को संख्या और क्वालिटी बढ़ती उम्र के साथ कम होती जाती है। ओवेरियन रिजर्व टेस्टिंग आपके डॉक्टर को आपका सही इलाज करने में मदद करती है। 
ओवेरियन रिजर्व टेस्टिंग में फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन (Follicle Stimulating Hormone), एंटी मुलेरियन हॉर्मोन (Anti Mullerian Hormone), इनहिबिन बी (Inhibin B), बेसल एस्ट्राडियोल (Basal estradiol) और एंट्रल फॉलिकल काउंट ( Antral follicle count) का टेस्ट किया जाता है। इन जांचों से पता चलता है की क्या आपके अंडे प्रेग्नेंसी में बदल सकते हैं या नही। 
संक्रामक रोगों की जांच
आपके (और अगर कोई डोनर हो तो) खून की जांच की जाती है ताकि किसी संक्रामक बीमारी का पता चल सके। 
गर्भ का परीक्षण
अगर आपके डॉक्टर को लगता है की आपके बांझपन का कारण गर्भ से संबंधित हो सकता है तो वो गर्भ का परीक्षण करने के लिए कुछ जांच कर सकते हैं जैसे – 
·         ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड
·         हिस्टेरोस्कोपी
·         सेलाइन हिस्टेरोसोनोग्राफी
·         और हिस्टेरोसाल्पिंगोग्राफी
यह सारी जांचें कई बीमारियों का पता लगा सकती हैं जैसे – पॉलीप्स (polyps), अंतर्गर्भाशयी आसंजन, एंडोमेट्रियल हाइपरप्लासिया (endometrial hyperplasia), गर्भाशय सेप्टा (septate uterus) और सबम्यूकोसल फाइब्रॉएड (submucosal fibroids)। 
स्पर्म का परीक्षण
इस जांच में पुरुष के शुक्राणु का परीक्षण किया जाता है। इस टेस्ट में स्पर्म की संख्या, आकार, गतिशीलता, आदि का परीक्षण किया जाता है। एक आदर्श सीमिन सैंपल में 15 मिलियन शुक्राणु एक मिली लीटर सैंपल में होते हैं और इनमें से 50 प्रतिशत शुक्राणु की गतिशीलता अच्छी होनी चाहिए और कम से कम 4 प्रतिशत शुक्राणु का आकार सही होना चाहिए। इसके अलावा और कई चीजों की जांच की जाती है जिससे आपके डॉक्टर को पता चलता है की क्या यह स्पर्म प्रेगनेंसी को जन्म दे सकते हैं या नहीं। 
इन सभी जांचों के बाद आपके डॉक्टर को यह पता चल जाता है की आपके अंडे और स्पर्म से एक प्रेगनेंसी बन सकती है या नहीं, या आपको एक डोनर की जरूरत है।
इसके अलावा जरूरी है की आप एक सामान्य डॉक्टर और एक स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श कर लें ताकि अगर बांझपन का कोई और कारण है तो वों भी सामने आ जाएं। पीसीओएस ( PCOS) जैसे कई बीमारियां हैं जिससे महिला को बांझपन हो सकता है। 30 प्रतिशत दंपत्ति में बच्चे नहीं होने का कारण  पीसीओएस हो सकता है इसलिए यह बहुत जरूरी है की यह सारी जांचें की जाएं। 
आईवीएफ जंक्शन आपको सर्वश्रेष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञों, भारत के सबसे अच्छे आईवीएफ डॉक्टरों, आईसीएमआर अनुमोदित केंद्रों, आईवीएफ उपचार परामर्श और उपचार सहायता से विशेषज्ञ परामर्श प्रदान करता है। हम ऐसे केंद्रों के साथ साझेदारी करते हैं जिन्होंने सफलता दर स्थापित की है और सर्वोत्तम विशेषज्ञता, विशेष प्रयोगशालाएं, नैतिक अभ्यास और रोगी-केंद्रित हितों की पेशकश करते हैं।
हमारा फर्टिलिटी लाइफस्टाइल मैनेजमेंट प्रोग्राम आईवीएफ जंक्शन द्वारा विशेष रूप से डिजाइन किया गया एक प्रोग्राम है जो आपको आईवीएफ इलाज शुरू करने से पहले अपनी जीवन शैली को बदलने करने में मदद करता है।
सबसे पहले एक स्वस्थ जीवन शैली का पालन करना शुरू करें –
·         धूम्रपान और शराब का सेवन करना बंद कर दें। 
·         रात को एक अच्छी और पर्याप्त नींद लें।
·         रोजाना कसरत करें।
·         स्वस्थ भोजन ही खाएं। 
·         खूब सारा पानी पीएं।
·         अपनी सभी दवाएं ठीक से लें।
·         अपने वजन का ध्यान रखें।
·         ऐसे पदार्थों से दूर रहें जो आपके हॉरमोन के स्तर को बिगड़ सकते हैं।
धूम्रपान और शराब का सेवन करना बंद कर दें। 
धूम्रपान और शराब का सेवन आईवीएफ प्रक्रिया शुरू करने से पहले बंद कर देना चाहिए। यह आदतें आपके स्वास्थ्य के लिए बुरी होने के साथ साथ आपके अंडों या स्पर्म पर भी बुरा असर करती हैं। अगर आप बहुत समय से धूम्रपान करते हैं तो यह आदत छोड़ने का सही समय अभी है। आपके डॉक्टर धूम्रपान छोड़ने में आपकी मदद करेंगे। 
रात को एक अच्छी और पर्याप्त नींद लें।
नींद की कमी आपके शरीर में बहुत तरह के असंतुलन पैदा कर सकती है जैसे शरीर के सोने जागने की प्रकिया, हार्मोन्स का संतुलन, आपका मन, और आपके शरीर के नॉर्मल काम करने की क्षमता। रोज रात को अच्छी नींद लेना हार्मोन्स का स्तर ठीक रखने के लिए बहुत आवश्यक है। 
रोजाना कसरत करें।
आपको कुछ हल्की फुल्की कसरत जैसे टहलना, रोज करना चाहिए अगर आपके डॉक्टर आपको अनुमति देते हैं तो। आप ऐसी कसरत से शुरू कर सकते हैं जो आपको सक्रिय और प्रेरित रखें। कसरत करना आपके मूड को अच्छा रखता है और मानसिक तनाव को कम करता है। ताज़ी हवा सेहत के लिए अच्छी होती है और थोड़ा टहलना भी आपके मूड को अच्छा कर सकता हैं। लेकिन याद रखें कि अपने डॉक्टर से पूछे बिना कोई नई कसरत न शुरू करें। 
स्वस्थ भोजन ही खाएं। 
अपने डॉक्टर द्वारा बताया गया अच्छा भोजन ही खाएं। कुछ खाद्य पदार्थ आपका स्वस्थ बनाते हैं और आपको सभी जरूरतमंद पोषण देते हैं। आपके शरीर को कभी भी आवश्यक पोषक तत्वों जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट्स, विटामिंस, मिनरल्स और फाइबर की कमी नहीं होनी चाहिए। नियमित रूप से स्वस्थ खाद्य पदार्थ खाना यह निश्चित करेगा की आपको कभी भी किसी पोषक तत्व की कमी न हो। बाहर के पैकेज्ड खाने को कम ही खाएं क्युकी ऐसे खाद्य पदार्थों में ट्रांस – फैट्स की मात्रा ज्यादा होती है। एक नियमित आहार लेना, एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए बहुत आवश्यक है। 
खूब सारा पानी पीएं।
आप जानते हो होंगे की हमारे शरीर का लगभग 60 प्रतिशत भाग पानी से बना हुआ है। नियमित रूप से पानी पीना हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी है ताकि शरीर में पानी की कमी न हो। आपको कोशिश करनी चाहिए की आप केफीन (caffeine) से भरी हुई चीज से दूर रहें और ज्यादा स्वस्थ चीजों को चुने। 
अपनी सभी दवाएं ठीक से लें।
आपके डॉक्टर आपको कुछ सप्लीमेंट्स दे सकते हैं अगर उनको लगता है कि आपको उनसे फायदा होगा। और यह बहुत जरूरी है कि आप उन्हें सही तरह से लेते रहें। दवाएं जैसे जिंक, फोलिक एसिड, कैल्शियम, और मैग्नीशियम आपको दी जा सकती हैं। इस बात का ध्यान रखें की यह बहुत जरूरी है कि आप यह दवाएं बिलकुल वैसे ही लें जैसे आपके डॉक्टर ने बताया है। सप्लीमेंट ओवरडोज (supplement overdose) एक ऐसी स्तिथि है जिसमे इन दवाओं की मात्रा शरीर में बढ़ जाती है और यह बहुत हानिकारक हो सकती है। अपने डॉक्टर के मुताबिक दवाओं को लेना आपको इस स्तिथि से सुरक्षित रखेगा। 
अपने वजन का ध्यान रखें।
सही वजन में रहना बहुत जरूरी हैं। अपने डॉक्टर से बात करिए कि आपके लिए सही वजन कितना है और उसी स्तर में रहने की कोशिश करें। आपके डॉक्टर आपको वजन बढ़ाने या घटाने में मदद कर सकते हैं। 
ऐसे पदार्थों से दूर रहें जो आपके हॉरमोन के स्तर को बिग��ड़ सकते हैं। 
कुछ पदार्थ जैसे बीपीए (BPAs) और थेलेट्स (phthalates) शरीर में हार्मोन्स के स्तर को अंसांतुलित करते हैं। जरूरी है की आप इन पदार्थों के बारे में जाने और इनसे दूर रहें। 
आईवीएफ जंक्शन में नेटवर्क पार्टनर हैं जो आहार प्रबंधन प्रदान करते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि आपको पता है कि आपके स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए वास्तव में क्या खाना चाहिए। आईवीएफ जंक्शन के आहार प्रबंधन भागीदार सुनिश्चित करते हैं कि आपके आहार संबंधी लक्ष्य आपकी आईवीएफ यात्रा के अनुरूप हों।
आईवीएफ के लिए आर्थिक तैयारी
·         आईवीएफ एक महंगी प्रक्रिया है और अकसर इस प्रक्रिया के आर्थिक पहलू के बारे में कोई बात नही करता। अगर आप पहले से इस आर्थिक पहलू के बारे में सोचे तो जब तक आपका बच्चा इस दुनिया में आएगा तब तक आपकी आर्थिक स्तिथि ठीक होगी।
·         आईवीएफ का खर्चा भारत और बाहर के देशों में कुछ चीजों पर निर्भर करता है।
·         आईवीएफ एक बहुत ही विशेषज्ञ प्रक्रिया है और इसमें बहुत सारे विशेषज्ञों की जरूरत होती है, जैसे – सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ विशेषज्ञ, प्रजनन एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, नर्स, भ्रूणविज्ञानी और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की एक टीम। यह सारे बहुत साल बिता देते हैं इन सब में महारत पाने में ताकि वो आईवीएफ कर सकें। 
·         एंड्रोलॉजी लैब को चलाने में बहुत सारे पैसे लगते हैं और इसलिए इनके द्वारा दी जाने वाली प्रक्रियां भी महंगी होती है।
·         आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान कई सारे टेस्ट्स, जैसे – खून की जांच, सोनोग्राफी, स्पर्म का परीक्षण, हिस्टेरोस्कोपी, आदि किए जाते हैं ताकि बच्चा होने की संभावना बढ़ जाए। 
·         आईवीएफ प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों के खर्चे के बारे में भी सोचना होगा। इस भाग में खर्चा कम करना सही नहीं होगा। 
·         जब आप आईवीएफ प्रक्रिया के आर्थिक स्तिथि के बारे में सोचे, तो यह सवाल खुद से जरूर करें कि क्या पैसे कम करने से मेरे स्वास्थ्य को कोई नुकसान तो नही पहुंचेगा? खर्चा कम करने के चक्कर में आपको कभी भी अपने स्वास्थ्य के साथ समझौता नहीं करना चाहिए और हमेशा अच्छे और समर्थ विशेषज्ञों को ही चुनना चाहिए। कोई भी कीमत आपके स्वास्थ्य से ज्यादा नहीं है।
·         आईवीएफ जंक्शन ने एक लागत कैलकुलेटर प्रदान किया है जो आपको शामिल वित्त का अनुमान लगाने में मदद कर सकता है।
·         हांलांकि पैसे के बारे में सोचना जरूरी है, कुछ रास्ते हैं जिससे आप इसका हिसाब लगा सकते हैं। आप कुछ विकल्पों के बारे में सोच सकते हैं जैसे ईएमआई (EMI) और लोन। आईवीएफ जंक्शन फर्टिलिटी  प्रोग्राम और अनुभवी काउंसलर की मदद से आपकी सामर्थ्य के अनुसार ईएमआई योजना का लाभ उठाने में आपकी मदद कर सकता है।
आईवीएफ के लिए मानसिक तैयारी
जब आईवीएफ प्रक्रिया की बात आती है तो सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले दो सवाल हैं कि मैं खुद को आईवीएफ के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से कैसे तैयार करूं? ज्यादातर लोगों ��े आईवीएफ चुनने से पहले सभी घरेलू नुस्खे अपना लिए होते हैं। इसके साथ साथ यह प्रक्रिया बहुत लंबी और कठिन होती है, इसलिए यह आवश्यक है कि आप अपने मानसिकता का भी ध्यान रखें।
·  इसके लिए आपको खुद से कुछ सवाल करने चाहिए, जैसे – 
·  क्या मैं मानसिक रूप में आईवीएफ के लिए तैयार हूं?
·  क्या हम इस प्रक्रिया को पर्याप्त वक्त देने के लिए तैयार हैं?
·  अगर आईवीएफ के दौरान हम अंडे या स्पर्म डोनर की जरूरत पड़ती है तो क्या उस स्तिथि से सहमत हैं?
·  आईवीएफ प्रक्रिया के कई चरणों, जैसे पेग्नेंसी टेस्ट करते समय, के दौरान घबराहट हो सकती हैं क्या हम उसके लिए तैयार हैं?
·   हमें सरोगेट की जरूरत भी ���ढ़ सकती है। क्या हम इस बात से सहमत हैं?
·  आईवीएफ में कई बार एक से ज्यादा प्रेगनेंसी भी हो सकती है। क्या हम ऐसी स्तिथि के लिए तैयार हैं?
·  क्या मेरे पास अपने तनाव को कम करने के लिए कुछ उपाय हैं?
·  आईवीएफ प्रक्रिया में अकसर बहुत समय लग सकता है। क्या हम इतने लंबे समय तक उपचार लेने के लिए तैयार हैं?
इन सब सवालों के जवाब देते वक्त यह बहुत जरूरी है की आप अपने आप से बिलकुल सच बोलें। साथ साथ यह भी ध्यान रहें की इस प्रक्रिया के दौरान आपके डॉक्टर हमेशा आपके साथ हैं। आईवीएफ की सफलता उन पर भी निर्भर करती है और वो हर चरण में आपके साथ होंगें। आईवीएफ डॉक्टरों ने हजारों दंपत्ति को अपना बच्चा पाने में मदद की है और वो समझते हैं की आईवीएफ मानसिक स्तर को कैसे प्रभावित करता है। इसलिए आपकी मदद के लिए कई सारी मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं। इसके साथ साथ आप ऐसे समूह में शामिल हो सकते हैं जिसमे और दंपत्ति हो जो आईवीएफ इलाज ले रहे हो। ऐसे दंपत्तियों से आपको बहुत मदद और टिप्पणी मिल सकती है।
आईवीएफ जंक्शन में नेटवर्क पार्टनर हैं जो तनाव प्रबंधन में मदद करते हैं। आईवीएफ जंक्शन का फर्टिलिटी ग्रुप आपको अपने आईवीएफ प्रश्नों को साझा करने के लिए एक जगह प्रदान करता है, जिसका जवाब विशेषज्ञों द्वारा दिया जाता है। 
निष्कर्ष
हम आशा करते हैं की इस लेख से आपको अपने इस प्रश्न का उत्तर मिल गया हो की – आईवीएफ के लिए कैसे तैयारी करते हैं? आईवीएफ एक ऐसी प्रक्रिया है जो आपको शारीरिक, मानसिक, और आर्थिक तरीके से चुनौती देती है। इसलिए बहुत जरूरी होता है की आप अपने डॉक्टर और इस प्रक्रिया पर भरोसा रखें। 
आप अपनी और मदद करने के लिए इस विषय में किताबें पढ़ सकते हैं। अपने आप को हर चरण पर याद दिलाएं की इतना लंबा और कठिन प्रक्रिया होने के बावजूद उसने सांकड़ों दंपत्ति को मां बाप बनने में मदद की है और विज्ञान में तरक्की की वजह से यह प्रक्रिया और बेहतर भी हुई है। 
इसके अलावा अपने डॉक्टर की सलाह को हमेशा माने। उन्होंने अपने जीवन के कई साल लगाने के बाद इस में महारत हासिल की है। अच्छे से जान बूझ कर ही अपने लिए एक आईवीएफ डॉक्टर को चुने। साथ साथ अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का बहुत ध्यान रखें।
जब आप विश्वास की यह छलांग लगाते हैं, तो हम भारत में उच्च योग्य आईवीएफ विशेषज्ञों की एक टीम के साथ इस प्रक्रिया में आपकी मदद करने के लिए मौजूद हैं।
 Source: https://ivfjunction.com/blog/how-to-prepare-for-ivf-in-hindi/
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abhay121996-blog · 3 years ago
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कोरोना काल: शरीर में ऑक्‍सीजन लेवल मेंटेन रखना है तो करें इन चीजों का सेवन Divya Sandesh
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कोरोना काल: शरीर में ऑक्‍सीजन लेवल मेंटेन रखना है तो करें इन चीजों का सेवन
डेस्क। वर्तमान समय में कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने ज्यादा तबाही मचा दी है। इस बार यह बीमारी ह��� एजग्रुप के लोगों को हो रही है। इसमें मरीजों के शरीर में ऑक्सीजन का लेवल कम होता जा रहा है, जिससे उन्हें सांस लेने में तकलीफ होती है। सही समय पर ऑक्सीजन न मिलने पर उनकी मौत होती जा रही है। ऑक्सीजन को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। तो क्या ऑक्सीजन की कमी को किसी दूसरे तरह से दूर किया जा सकता है, इसका जवाब है हां, खान-पान से भी शरीर में ऑक्सीजन के लेवल को मेंटेन किया जा सकता है। आइए जानते हैं इस महामारी के दौर में अपना ऑक्सीजन लेवल कैसे सामान्य रखें –
ये खबर भी पढ़े: भारत में बन रही नाक से दी जाने वाली वैक्सीन बच्चों के लिए साबित होगी ‘गेम चेंजर’: WHO की चीफ साइंटिस्ट   कीवी: कीवी में एक्टिनिडैन नामक एंजाइम पाए जाते है, जो हमारे शरीर में प्रोटीन को पचाने में मदद करता है।  ​इसमें मौजूद विटामिन सी, ई, पोटेशियम और फोलेट कई बीमारियों से बचाने में मदद करता है। डेंगू जैसी बीमारी में इस फल का सेवन करने के लिए कहा जाता है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होता है जो ऑक्सीजन को सामान्य रखने मदद करता है। साथ ही इसमें मौजूद तत्व संक्रमण जैसी अन्य बीमारियों से बचाने में मदद करता है।
नींबू: नींबू विटामिन सी का सबसे अच्छा सोर्स है। इसके सेवन से इम्युनिटी बूस्ट होती है। वजन कम करने में भी यह बहुत मददगार है। प्रतिदिन सुबह गुनगुने पानी में नींबू डालकर पीना सेहत के लाभदायक है। नींबू ऑक्सीजन लेवल को सामान्य रखने में मदद करता है। यह एक प्राकृतिक एंटीसेप्टिक है। चेहरे पर पनप रही फुंसी, मुंहासे, ब्लैकहेड्स और झुर्रियों को कम करने में मदद करता है। आप नींबू के अचार का सेवन भी कर सकते हैं।   दही: दही का सेवन शरीर की बेहतरी के लिए सबसे अच्छा। इसमें विटामिन, कैल्शियम और प्रोटीन सब मौजूद होता है। आप प्रतिदिन इसका खाने के साथ सेवन कर सकते हैं, इससे ऑक्सीजन की कमी पूरी होती है। साथ ही इसका सेवन पाचन शक्ति को भी मजबूत करता है। हालांकि रात को दही का सेवन नहीं करना चाहिए। यह शरीर के लिए जितना अच्छा दिन में है उतना ही रात में घातक सिद्ध होता है।
ये खबर भी पढ़े: रविवार, 23 मई 2021: जानिए आज का राशिफल
तुलसी: तुलसी के पत्ते में अधिक मात्रा में पोटैशियम, आयरन, क्लोरोफिल  मैग्नीशियम, कैरीटीन और विटामिन-सी पाया जाता है जो फेफड़ों को हेल्दी रखने में मदद करता है। रोजाना सुबह 4-5 पत्तियों को चबाएं। इसके अलावा आप गिलोय और तुलसी का आयुर्वेदिक काढ़ा बनाकर पी सकते हैं। 
लहसुन: लहसुन आयुर्वेदिक औषधियों में गिना जाता है। भारतीय खाने में स्वाद बढ़ाने के लिए इसका अधिक मात्रा में उपयोग किया जाता है। जानकारों के अनुसार इसके सेवन से शरीर में ऑक्सीजन का लेवल सामान्य रखने में मदद करता है। ��तना ही नहीं कोलेस्ट्रॉल की बीमारी होने पर भी इसका सेवन किया जाता है। ताकि खून गाढ़ा नहीं पड़ें।   नियमित रूप से करें एक्सरसाइज
एक्सरसाइज हमेशा से ही सेहत के लिए जरूरी माना गया है लेकिन लोगों को कोरोना महामारी में खासतौर से इसकी अहमियत समझ आई। तो अगर आप ब्लड में ऑक्सीजन लेवल बढ़ना चाहते है तो रोजाना 25-30 मिनट जरूर निकालें एक्सरसाइज के लिए। एक्सरसाइज करने से श्वसन क्षमता बेहतर होती है क्योंकि उस दौरान आप तेज गति से सांंस लेते और छोड़ते हैं। जिसके फेफड़े ज्यादा मात्रा में ऑक्सीजन ले पाते हैं।
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ghareluayurvedicupay · 4 years ago
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घर पर बॉडी बनाने के तरीके
आज के समय में लोग आधुनिकीकरण की ओर बढ़ रहे हैं, जो कहीं ना कहीं सही भी है। हम जितना आधुनिक होंगे उतने ही खुद में भी कुछ बदलाव करने होंगे। आधुनिकीकरण की दौड़ में कोई भी किसी से पीछे नहीं होना चाहता फिर वह बच्चे हो, युवा वर्ग हो, या बुजुर्ग हो।
इस आधुनिक युग में खुद को फिट रखने की जद्दोजहद भी देखी जा सकती है। खासकर युवा वर्ग खुद की बॉडी बनाने या स्लिम ट्रिम करने में अपनी सारी मेहनत लगा देते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि  जब तक फिट नहीं होंगे तो हम पीछे रह जाएंगे। इसमें हम देखेंगे कि युवाओं में बॉडी बनाने की होड़ बनी है वहीं कहीं ना कहीं बॉलीवुड अभिनेताओं को देखकर भी होती है।
बॉडी बनाना है एक नया ट्रेंड
बॉडी बनाना एक ट्रेंड के रूप में सामने आया है। ऐसा देखा जाता है कि बॉडी बना लेने से लोगों  का ध्यान आसानी से ध्यान खींचा जा सकता है लेकिन यह पूर्ण रूप से सत्य नहीं है। बॉडी बनाना ही काफी नहीं होता लेकिन यह भी सत्य है कि लगातार बढ़ते इस  ट्रेंड से नए व्यवसाय जैसे जिम ट्रेनर, पर्सनल ट्रेनर की अवसर बढ़ जाते हैं।
अगर आप चाहे तो घर पर भी आसानी से बॉडी बनाई जा सकती है जो आपके लिए आसान भी है और सुरक्षित भी।
घर पर बॉडी बनाने के तरीके | Ghar Par Body Banane Ke Tarike
अगर आप घर से बाहर नहीं जा सकते और अपनी बॉडी बनाने के लिए उत्साहित हैं, तो ऐसे में आप घर में ही रहकर बॉडी बना सकते हैं। हमारे सुझाए तरीकों से महिला और पुरुष फिट हो सकते हैं। यह सभी तरीके आप सुबह के समय या शाम के समय भी कर सकते हैं इसके माध्यम से खुद को तरोताजा भी कर सकते हैं। सभी की इच्छा खुद को आकर्षित और खूबसूरत बनाने की होती है तो यह हसरत पूरी की जा सकती है घर पर ही।
1) लेग  ड्रॉप करें | Leg Drop Karye
यह सबसे आसान तरीका है, जो आप को फिट रखने में मददगार है। इसके लिए आप मैट पर लेट जाएं। अब अपने दोनों पैरों को धीरे-धीरे उठाते हुए सीधा करें और जैसे ही आप पैरों को ऊपर की ओर लाएं तो थोड़ी देर ऊपर ही छोड़ दें। इसको आप 10/ 15 बार करें शुरू में थोड़ा कम समय लीजिए बाद में समय बढ़ाया भी जा सकता है।
2) पुश अप करें | Push Ups kare
पुश अप से आप अपने व्यायाम की शुरुआत कर सकत�� हैं। इसके लिए पहले आप लेट जाएं वह भी पेट के बल अब दोनों हाथों को सामने जमीन की ओर रखें और हाथों के ही बल ऊपर जाएं उसी क्रम में नीचे भी जाएं। ऐसे हाथों के सहारे ऊपर नीचे करें तो आपके मसल्स को फायदा होगा। इसे आप 10 से 15 बार कर  सकते हैं।
3) क्रंच करें | karanch karen
इसमें आपको एकदम सीधे किसी मैट पर या जमीन पर लेटना होगा। अपने दोनों हाथों को पीछे की ओर कानों के पास रखें। अपने पैरों को मोड़ ले और फिर पीठ को ऊपर की ओर उठाएं। इसके बाद फिर से वापस लौट जाएं बार-बार उठ कर इसे दोहराएं हाथों को पीछे ही रहने दे। यह भी आपकी बाडी के लिए आवश्यक एक्सरसाइज है।
4) लेग लिफ्ट करे | Leg lift kare
यह एक्सरसाइज भी आसान ही है इसमें आपको पीठ के बल लेटना होगा। ऐसा आप एक पैर के साथ करें। पहले बाएं पैर को उठाए फिर दाएं पैर को। ऐसा करने से भी आपको बहुत ही फायदा होगा।
5) साइड प्लैंक करे | side plank kare
एक्सरसाइज को साइड में लेट कर किया जा सकता है। इसमें करवट के बल लेट जाएं अब हाथों को कमर में रखकर पैरों को एक साथ कर ले। अब धीरे-धीरे अपनी बॉडी को हटाएं थोड़ी देर के लिए बॉडी को उठाएं ही रखें।  एक्सरसाइज को कम से कम 10 बार दोहराएं इससे भी अपनी बॉडी को फिट रखा जा सकता है।
अपने खानपान का रखें विशेष ध्यान
आप अपने शरीर और खुद को फिट बनाए रखने के लिए जागरूक हैं यह तो अच्छी बात है। लेकिन इसके लिए अपने आहार पर विशेष ध्यान देना होगा ज्यादा से ज्यादा  ऐसा आहार लेना होगा जो वसायुक्त हो। जिसमे मक्खन ,जैतून का तेल, पनीर, हरी सब्जियां, मछली, मशरूम, दही, सोयाबीन, प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों का उपयोग करें। अगर आप ताजे फल और दूध, दही ले तो भी फायदेमंद है।
1) दही | Dahi
बॉडी बनाने के लिए दही के सेवन को अनिवार्य माना गया है। अगर आप नाश्ते में पराठे खाते हैं खासतौर से आलू के पराठे तो आप साथ मे दही जरूर ले। यह आपकी बॉडी को फिट बनाता है।
2) मूंगफली और गुड़ | mungfali or Gud
इन दोनों आहारों को उर्जा का अच्छा स्त्रोत माना गया है। इसमें आप 40 ग्राम मूंगफली को सेक कर रख ले और साथ में लगभग 20 ग्राम गुड़ मिलाकर उपयोग करें इससे अच्छा परिणाम प्राप्त होगा।
3) पनीर | Paneer
बॉडी बनाते समय आपके लिए दूध या दूध से बनी चीजें फायदेमंद होंगी। अगर आप खाने या नाश्ते में पनीर के साथ बने व्यंजन ले या फिर कच्चा पनीर भी खा ले तो इससे भी आपको बहुत ही ज्यादा फायदा होने वाला है।
4) फल |Fruits
हमेशा कोशिश करें कि ताजे व मौसमी फलों को लिया जाए ताकि शरीर में विटामिन, प्रोटीन या पर्याप्त शर्करा की कमी पूरी हो सके।
5) जंक फूड | Junk Food
अगर आप अपने सही शेप में बॉडी बनाना चाहते हैं, तो जंक फूड से दूरी बना ले। यह आपक�� शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं और बॉडी बनाने में अवरोध पैदा करते हैं।
6) पानी
ऐसा कहा जाता है कि दिन में 8/10 गिलास पानी पीना फायदेमंद है। अगर आप बॉडी बनाने के इच्छुक हैं, तो निश्चित रूप से आपको ज्यादा पानी पीना चाहिए यह शरीर के अंदर की सारी कमियों को दूर करेगा।
घर पर बॉडी बनाने के कारगर टिप्स
कभी-कभी कुछ लोगों को बाहर जाकर बॉडी बनाना आसान नहीं लगता है। ऐसे में हम आसानी से घर पर ही बॉडी बनाने के टिप्स बताने जा रहे हैं।
1) बॉडी बनाने के लिए लटकने वाली एक्सरसाइज भी की जाती है, जिससे स्टेमिना बढ़ता है। ऐसे में आप घर में ही किसी रोड से लटककर अपने शरीर को फिट बनाने का काम कर सकते हैं।
2) अगर आप सुबह-सुबह रनिंग का काम कर करें तो इससे भी आपका स्टेमिना बढ़ेगा। आप शुरुआत में दो-तीन किलोमीटर तक ही रनिंग कर सकते हैं।
3) अगर आप बॉक्सिंग करना चाहते हैं, तो किसी बैग में रेत भर लें और उसमें बॉक्सिंग, पंचिंग करें इससे आप आसानी से खुद को फिट कर पाएंगे।
4) आप घर में बनी सीढ़ियों के माध्यम से भी वर्कआउट कर सकते हैं। बार-बार सीढ़ियों में ऊपर नीचे करके भी शरीर को फिट किया जा सकता है। इससे ज्यादा कैलरी बर्न होती है इसलिए यह आपके लिए फायदेमंद है।
5) आप योग के माध्यम से भी खुद को स्वस्थ और फिट बना सकते हैं इसमें अनुलोम विलोम, कपालभाति, प्राणायाम मुख्य है।
धैर्य रखना भी है जरूरी
अगर आप बॉडी बनाने की सोच रहे हैं, तो एक बात पहले से ही समझ लीजिए कि आपको थोड़ा धैर्य रखना होगा। बॉडी बनाना एक प्रकार से लंबे समय लेने वाली प्रक्रिया है जिसमें आपको लगातार प्रयत्न करते रहना होगा। अपने आहार, अपनी नींद, अपनी आदतों पर नियंत्रण रखना होगा। बुरी आदतों से भी खुद को दूर रखना होगा।
कई बार लोगों को ऐसा लगता है कि कितने दिन हो गए पर फर्क ही नहीं पड़ रहा है, तो ऐसे में बेचैन नहीं बल्कि धैर्य रखने की जरूरत होती है। अगर इंसान दृढ़ निश्चय कर ले तो कुछ भी आसानी से हासिल कर सकता है इसलिए आप ज्यादा सोचने नहीं बल्कि निरंतर रूप से अपना काम करते रहे।
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कम बजट में घर में ही कैसे बनाएं जिम
इस कोरोना काल में बाहर निकलना मुश्किलों भरा है और आप अपनी बॉडी के लिए भी चिंतित हैं, तो ऐसे में आप कम बजट में ही छोटा सा जिम घर में बना सकते हैं।
1) रोप
रस्सी कूदने को सबसे काम की  एक्सरसाइज मानी जाती है जो बॉडी बनाने में सहायक होती है। आप बाजार से ही कम कीमत में इसे खरीद कर सुबह के समय रोपिंग का अभ्यास कर सकते हैं।
2)  रजिस्टेंस बैंड
ऐसा देखा गया है कि शरीर का संतुलन बनाए रखने के लिए रजिस्टेंस बेंड को जरूरी माना जाता है। आप बाजार से 800 से 1200 तक का बैण्ड लेकर इस्तेमाल कर सकते हैं।
3) वेट म��ीन
एक्सरसाइज होने पर इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि वजन पर क्या प्रभाव पड़ा? इसके लिए वेट मशीन का भी उपयोग करें इसे आप सस्ते दामों में ऑनलाइन ही प्राप्त कर सकते है।
4) डम्बल्स
बॉडी बनाने के लिए डंबल्स का भी उपयोग किया जा सकता है। यह आपको सस्ते दामों में लोकल मार्केट से मिल जाता है। धीरे धीरे आप  डंबल का वजन भी बढ़ा सकते हैं और घर में ही आसानी से उपयोग किया जा सकता है।
5) हूप
हुप का उपयोग कमर से कैलोरी को कम करने में भी किया जाता है। इसे चर्बी भी कम की जा सकती है इसे आप अपने साइज के हिसाब से भी ले सकते हैं, जो सस्ते दामों में मिल सकता है।
इन सभी उपकरण से आसानी से ही घर में ही बॉडी बना सकते हैं लेकिन ध्यान रहे कि यह सब नियमित रूप से हो।
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डांस करना भी है फायदेमंद
अगर आप डांस करना पसंद करते हैं, तो सुबह या किसी भी समय इसे भी आजमा सकते हैं। आप इससे आपकी अतिरिक्त कैलोरी बर्न होगी। ऐसे किसी भी गतिविधि को करते समय जब पसीना आता है वह वजन घटाने या बॉडी बनाने में सहायक हो सकता है। आपने देखा होगा कि मशहूर अभिनेत्रियां हेमा मालिनी, माधुरी दीक्षित, श्रीदेवी ने अपने क्लासिकल डांस के माध्यम से अपने आप को संतुलित रखा है। भले ही आप क्लासिकल डांस ना जानते हो पर किसी भी प्रकार का डांस आपके लिए फायदेमंद है। इसे जरूर आजमाएं।
निष्कर्ष
इस प्रकार से आपने देखा कि बॉडी बनाना बहुत मुश्किल काम नहीं और अगर घर से यह काम करना हो तो कोई दिक्कत नहीं है। आप घर के कामों के साथ-साथ भी इस काम को भी अंजाम दे सकते हैं। इसमें आपको थोड़ी मेहनत की आवश्यकता है। अगर आपके अंदर लगन हो, तो कोई भी कार्य आसानी से किया जा सकता है। प्रयत्न करते रहिए और अपने मार्ग में आगे  बढि़ए।
उम्मीद करते हैं हमारा लेख आपको पसंद आएगा।
Source : https://www.ghareluayurvedicupay.com/ghar-par-body-banane-ke-tarike/
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tezlivenews · 3 years ago
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न्यूट्रिला व्हे परफॉर्मेंस से पूरी करें प्रोटीन की कमी, वजन घटाए और शरीर को मजबूत बनाए
न्यूट्रिला व्हे परफॉर्मेंस से पू���ी करें प्रोटीन की कमी, वजन घटाए और शरीर को मजबूत बनाए
Nutrela 100% Whey Performance: शरीर के लिए प्रोटीन बहुत जरूरी है. प्रोटीन से मसल्स को मजबूत बनाने और नई मसल्स बनाने में मदद मिलती है. एक स्वस्थ शरीर के लिए सभी पोषक तत्व जरूरी हैं. Whey Protein शरीर के लिए हेल्दी और सबसे फायदेमंद प्रोटीन है. इससे मांसपेशियों (Muscles gain strength) को रोज के कामों को करने में मदद मिलती है. शरीर में टिशूज को रिपेयर (Repairing tissues) करने में मदद मिलती है. ­थकान…
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neohealthlabs · 4 years ago
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डायलिसिस पर लोगों के लिए महत्वपूर्ण प्रयोगशाला परीक्षण और अपेक्षित मूल्य
डायलिसिस पर लोगों के लिए महत्वपूर्ण प्रयोगशाला परीक्षण और अपेक्षित मूल्य
जब किडनी फेल हो जाती है, तो शरीर में कई कार्य प्रभावित होते हैं। डायलिसिस, आहार संशोधनों और दवाओं के उपयोग के साथ, आपकी मेडिकल टीम आपके शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक उपचार योजना तैयार करती है। आपका चिकित्सक आपके स्वास्थ्य और आपके उपचार योजना की प्रभावशीलता की निगरानी के लिए आपके रक्त पर प्रयोगशाला परीक्षण का आदेश देगा।
नीचे गुर्दे की विफलता से जुड़ी सबसे आम स्थितियों की एक सूची दी गई है, उन स्थितियों की निगरानी के लिए लैब टेस्ट का प्रदर्शन किया गया, लैब टेस्ट का क्या मतलब है, और आप अपनी उपचार योजना का अधिकतम लाभ उठाने के लिए क्या कर सकते हैं।
डायलिसिस पर्याप्तता
डायलिसिस पर्याप्तता आपके डायलिसिस उपचार की प्रभावशीलता को मापता है। अच्छी तरह से महसूस करने और गुर्दे की विफलता के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए पर्याप्त डायलिसिस प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। हम "उपाय" डायलिसिस पर्याप्तता को कई तरीकों से करते हैं:
आप कितना अच्छा महसूस करते हैं आपके पास कितना अतिरिक्त तरल पदार्थ हो सकता है आपका रक्तचाप कितनी अच्छी तरह नियंत्रित है
कुछ प्रयोगशाला मूल्यों के परिणाम (नीचे चर्चा की गई है)
BUN (रक्त यूरिया नाइट्रोजन)
BUN रक्त में अपशिष्ट उत्पादों का एक माप है। गुर्दे की विफलता वाले व्यक्ति के लिए सामान्य मूल्य टॉपरोटिन, सेवन के अनुसार भिन्न होते हैं। जब आपके डायलिसिस उपचार से पहले प्रयोगशाला खींची जाती है, तो आपके मूल्य 20-80 मिलीग्राम / डीएल से हो सकते हैं। इस प्रयोगशाला माप का उपयोग नीचे सूचीबद्ध पर्याप्तता गणनाओं में किया जाता है।
URR (यूरिया न्यूनीकरण अनुपात)
URR की गणना BUN स्तरों से की जाती है, जो पहले डायलिसिस उपचार के बाद तैयार की जाती है। URR आमतौर पर प्रति माह एक बार मापा जाता है। यदि आप अच्छी तरह से डायलिसिस कर रहे हैं, तो आपका URR कम से कम 65% होना चाहिए।
Kt / V
आपके डायलिसिस उपचार की प्रभावशीलता को मापने का एक अन्य तरीका केटी / वी है। यह आपके वजन, यूआरआर, डायलीज़र क्लीयरेंस और डायलिसिस समय सहित कई मूल्यों का उपयोग करके गणना की जाती है। यदि आप अच्छी तरह से डायल कर रहे हैं तो आपका केटी / वी कम से कम 1.2 होना चाहिए।
यदि आपके एचआरआर और केटी / वी को मासिक या अधिक बार जांचा जाएगा, यदि निम्न स्तर, अस्थिर स्तर या आपकी स्थिति में परिवर्तन के द्वारा इंगित किया गया हो।
डायलिसिस पर्याप्तता इससे प्रभावित हो सकती है:
आपके चिकित्सक की लंबाई ने डायलिसिस उपचार का आदेश दिया। निर्धारित समय के लिए डायलिसिस करना जरूरी है। आपके डायलिसिस उपचार की आवृत्ति। किसी भी उपचार को याद नहीं करना महत्वपूर्ण है। आपकी पहुँच कितनी अच्छी है। लगातार आपके संवहनी पहुंच के कार्य की निगरानी करते हैं। यदि समस्याओं या परिवर्तनों को नोट किया जाता है, तो आप एक एक्सेस विशेषज्ञ को देखने के लिए निर्धारित हो सकते हैं। उन नियुक्तियों को रखना महत्वपूर्ण है। उपचार के बीच आपको कितना तरल पदार्थ मिलता है। उपचारों के बीच बड़ी मात्रा में तरल पदार्थ प्राप्त करने से आपका डायलिसिस उपचार कम प्रभावी हो जाएगा और अंततः आपका दिल कमजोर हो जाएगा। अपने द्रव दिशानिर्देशों का पालन करना महत्वपूर्ण है।
रक्ताल्पता (Anemia)
हीमोग्लोबिन
यह रेड ब्लड सेल (RBC) का ऑक्सीजन ले जाने वाला घटक है। गुर्दे की विफलता वाले लोगों में हीमोग्लोबिन अक्सर कम होता है क्योंकि गुर्दे अब हार्मोन एरिथ्रोपोइटिन नहीं बनाते हैं। यह हार्मोन लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने के लिए हड्डियों को उत्त���जित करता है। हम इस हार्मोन को दवाओं के साथ बदलने में सक्षम हैं जो डायलिसिस के दौरान दी जाती हैं। कम हार्मोन स्तर ��े अलावा, रक्त में विषाक्त पदार्थों के ऊंचे स्तर आरबीसी का कारण गुर्दे की विफलता वाले व्यक्ति में छोटा जीवन काल होता है।
कम या अस्थिर स्तरों द्वारा संकेत दिए जाने पर आपके हीमोग्लोबिन की मासिक और अधिक बार निगरानी की जाएगी। आपके हीमोग्लोबिन का आदर्श स्तर लगभग 10g / dl होना चाहिए। हाल के शोध ने दिखाया है कि 13g / dl से ऊपर का स्तर डायलिसिस के रोगियों के लिए हानिकारक हो सकता है।
हीमोग्लोबिन प्रभावित हो सकता है:
आपके शरीर को कितना एरिथ्रोपोइटिन अपने आप बनाना जारी रखता है और हार्मोन को बदलने के लिए आपको कितनी दवा दी जाती है। आपके खून में आयरन की मात्रा। रक्त की हानि अपर्याप्त डायलिसिस
लौह संतृप्ति और फेरिटिन
लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने के लिए शरीर को आयरन की आवश्यकता होती है। अक्सर डायलिसिस से गुजरने वाले लोगों में हेमोडायलिसिस से जुड़े पुराने खून की कमी के परिणामस्वरूप लोहे का स्तर कम होता है।
आपके Iron के स्तर की निगरानी हर 3 महीने या उससे अधिक बार की जाएगी यदि निम्न या अस्थिर स्तरों से संकेत मिलता है। लोहे की संतृप्ति के लिए आदर्श सीमा 20% से अधिक है। फेरिटिन के लिए आदर्श सीमा 100-500 एनजी / एमएल है।
बहुत कम आप अपने Iron और हीमोग्लोबिन के स्तर को विशेष रूप से बदलने के लिए कर सकते हैं। जो दवाएं इन स्तरों को नियंत्रित करती हैं, वे डायलिसिस कर्मचारियों द्वारा आपके डायलिसिस उपचार के दौरान दी जाती हैं। हालांकि, अच्छा समग्र स्वास्थ्य बनाए रखना महत्वपूर्ण है। स्वस्थ रहना आपके शरीर को अधिक सामान्य रूप से कार्य करने में मदद करता है। स्वस्थ रहने के लिए आप जो चीजें कर सकते हैं उनमें शामिल हैं:
संक्रमण से बचें खूब आराम करो नियमित रूप से व्यायाम करें अपने डायलिसिस उपचार और दवाओं के बारे में अपने डॉक्टर के आदेशों का पालन करें
पोषण
एल्बुमिन
एल्बुमिन एक जटिल प्रोटीन है जिसे आप प्रत्येक दिन खाने वाले खाद्य पदार्थों से बनाते हैं। खराब भूख या कम प्रोटीन वाले भोजन विकल्पों के कारण डायलिसिस पर लोगों का अल्बुमिन स्तर कम हो सकता है। संक्रमण या अन्य बीमारियों के कारण एल्बुमिन का स्तर भी कम हो सकता है। एल्ब्यूमिन के निम्न स्तर से स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं जैसे कि संक्रमण से लड़ने में कठिनाई।
आपके एल्बुमिन स्तर की मासिक निगरानी की जाएगी। आदर्श स्तर 4 g / dL से अधिक है। यदि आपका स्तर 4 से कम है, तो आपके आहार विशेषज्ञ आपके आहार में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने के तरीकों की पहचान करने के लिए आपसे बात करेंगे।
पोटैशियम
पोटेशियम आपके रक्त में एक खनिज है जो आपके दिल और मांसपेशियों को ठीक से काम करने में मदद करता है। जब आपके गुर्दे ठीक से काम नहीं करते हैं, तो आपके रक्त में पोटेशियम का निर्माण हो सकता है। पोटेशियम का स्तर जो बहुत अधिक या बहुत कम है, मांसपेशियों को कमजोर कर सकता है और आपके दिल की धड़कन को बदल सकता है। यदि स्तर काफी अधिक हैं, तो यह आपके दिल को पूरी तरह से रोक सकता है। इन समस्याओं से बचने के लिए अपने आहार में पोटेशियम की मात्रा को सीमित करना आवश्यक है।
यदि उच्च या अस्थिर स्तरों से संकेत मिलता है तो आपका पोटेशियम स्तर मासिक या अधिक बार म���पा जाता है। डायलिसिस पर एक व्यक्ति में पोटेशियम के लिए आदर्श सीमा 3.5-5.5 है। यदि आपका पोटेशियम ऊंचा हो जाता है, तो आपका आहार विशेषज्ञ आपके पोटेशियम स्तर को कम करने के तरीकों की पहचान करने के लिए आपसे बात करेगा।
अस्थि और खनिज चयापचय
गुर्दे का एक छोटा ज्ञात कार्य आपके शरीर में खनिजों का प्रबंधन कर रहा है। जब किडनी फेल हो जाती है, तो घटनाओं की एक जटिल श्रृंखला शुरू होती है, जिसके परिणामस्वरूप अंततः आपकी हड्डियों और धमनियों में गंभीर हड्डी रोग और कैल्सीफिकेशन (सख्त) हो सकता है।
जब गुर्दे सामान्य रूप से काम करते हैं, तो वे खनिज कैल्शियम और फास्फोरस के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए हड्डियों, पैराथाइरॉइड ग्रंथि और आंतों के साथ मिलकर काम करते हैं। पैराथायराइड ग्रंथि रक्त कैल्शियम और फास्फोरस की निगरानी करती है। जब फास्फोरस बहुत अधिक होता है या कैल्शियम बहुत कम होता है, तो पैराथाइरॉइड ग्रंथि शरीर को एक हार्मोन संदेश (पैराथायरायड हार्मोन या पीटीएच) भेजती है। यह संदेश गुर्दे को अधिक विटामिन डी को उसके सक्रिय रूप में परिवर्तित करने और मूत्र में उत्सर्जित फास्फोरस की मात्रा को बढ़ाने के लिए कहता है। हार्मोन हड्डियों को रक्त में कुछ कैल्शियम छोड़ने के लिए कहता है। सक्रिय विटामिन डी के बढ़े हुए स्तर से आंत में भोजन से अधिक कैल्शियम अवशोषित होता है। के रूप में कैल्शियम आंत से अवशोषित होता है, यह इसके साथ अतिरिक्त फास्फोरस के साथ सूख जाता है। जब गुर्दे ठीक से काम करते हैं, तो अतिरिक्त फास्फोरस मूत्र में उत्सर्जित होता है। ये सभी गतिविधियाँ तब तक जारी रहती हैं जब तक कि खनिज का स्तर स्थिर नहीं हो जाता।
जब गुर्दे को इस प्रक्रिया से बाहर निकाल दिया जाता है, तो वे अब विटामिन डी को सक्रिय नहीं करते हैं, इसके अलावा अतिरिक्त कैल्शियम आंतों से अवशोषित नहीं होता है। फास्फोरस अब बिगड़ा हुआ गुर्दों द्वारा उत्सर्जित नहीं होता है, जिससे उन स्तर जल्दी से बढ़ते हैं। ऊंचा फास्फोरस और कम कैल्शियम का स्तर पीटीएच जारी करने के लिए शरीर को उत्तेजित करना जारी रखता है। यह एक overworked और बढ़े हुए parathyroid ग्रंथि की ओर जाता है। चूंकि आंतों से कोई अतिरिक्त कैल्शियम अवशोषित नहीं होता है, हड्डियों को रक्त कैल्शियम के स्तर को बनाए रखने के लिए रक्त प्रवाह में कैल्शियम जारी करना होता है। जैसे ही हड्डियों से कैल्शियम हटाया जाता है, वे कमजोर और भंगुर हो जाते हैं। जैसे-जैसे फास्फोरस का बढ़ना जारी रहता है, शरीर शिराओं और धमनियों की दीवारों में अतिरिक्त फास्फोरस को जमा करना शुरू कर देता है, जिसके परिणामस्वरूप उन जहाजों को सख्त किया जाता है। जैसे-जैसे ऊतक कठोर रक्त वाहिकाओं से कम रक्त की आपूर्ति प्राप्त करते हैं, खराब घाव भरने और ऊतक की मृत्यु हो सकती है। ऊतक की मृत्यु के परिणामस्वरूप गंभीर ऊतक अल्सर, विच्छेदन और यहां तक ​​कि कुछ मामलों में मृत्यु भी हो सकती है।
जैसा कि आप देख सकते हैं, यह एक बहुत ही जटिल प्रक्रिया है। इन प्रतिकूल घटनाओं से बचने के लिए आपकी डायलिसिस टीम द्वारा सावधानीपूर्वक प्रबंधन और आपकी उपचार योजना के लिए आपके हिस्से पर सावधानीपूर्वक पालन की आवश्यकता होती है।
उपचार योजना में आमतौर पर निम्नलिखित में से कई का संयोजन शामिल होता है:
लगातार ��वाएं लेना जो फास्फोरस को आपकी आंतों में भोजन से अवशोषित होने से रोकते हैं।
अपने आहार में फास्फोरस की मात्रा को सीमित करना। एक सक्रिय विटामिन डी पूरक लेना।
ये वे विटामिन नहीं हैं जो आप काउंटर पर खरीदते हैं, बल्कि आपके किडनी डॉक्टर द्वारा आपको दिए जाते हैं।
एक बार रोग बढ़ने पर अन्य उपायों में शामिल हो सकते हैं:
ऐसी दवाइयाँ लेना जो पैराथाइरॉइड ग्रंथि को उसके हार्मोन के उत्पादन से दबा देती हैं। पैराथायराइड ग्रंथि की सर्जिकल कमी।
इस बात पर निर्भर करता है कि आपका शरीर कैसे प्रतिक्रिया करता है, आपको इस चक्र को नियंत्रित करने के लिए ऊपर सूचीबद्ध कुछ हस्तक्षेपों की आवश्यकता हो सकती है। उपचार योजना का पालन करने के महत्व को निर्धारित नहीं किया जा सकता है। इस स्थिति में अक्सर कुछ होता है जब तक कि कोई भी लक्षण रोग की प्रगति तक न हो और रोग के परिणाम अपरिवर्तनीय हों।
हड्डी और खनिज चयापचय से जुड़े प्रयोगशाला मूल्य फास्फोरस, कैल्शियम और पैराथायराइड हार्मोन (पीटीएच) हैं। यदि स्तर अस्थिर हैं, तो कैल्शियम और फास्फोरस का स्तर मासिक या अधिक बार खींचा जाता है। यदि स्तर अस्थिर हैं, तो पीटीएच स्तर त्रैमासिक या अधिक बार खींचा जाता है। कैल्शियम के लिए आदर्श रेंज 8-10mg / dl है, फॉस्फोरस के लिए आदर्श रेंज 3-5mg / dl है, और PTH के लिए आदर्श रेंज 150-600pg / ml है। कुछ चिकित्सकों को लगता है कि पीटीएच का एक सख्त नियंत्रण आवश्यक है और अधिकतम स्तर 300pg / ml की सिफारिश कर सकता है।
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sahu4you · 5 years ago
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भांग के बीज के फायदे और नुकसान - Hemp Seeds in Hindi
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भांग के बीज के स्वास्थ्य लाभ (Hemp Seed in Hindi): क्या आप भांग के बीज के लाभों के बारे में देख रहे हैं? जानिए इसके स्वास्थ्य लाभ, इसके उपयोग और इसके लाभों के बारे में विस्तार से।
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Kya Hai Hemp Seeds in Hindi वास्तव में, गांजे के बीज को हिंदी में Flax या Hemp Seed कहा जाता है। इसके बीज छोटे, गहरे भूरे रंग के होते हैं। कई बार इसे Flax Seeds भी कहा जाता है, जिसमें बहुत अच्छा पोषण मूल्य होता है, और इसमें 20 विभिन्न प्रकार के अमीनो एसिड होते हैं, इसके अलावा, इस बीज में सभी 9 आवश्यक Amino Acid मौजूद होते हैं। कुछ आवश्यक अमीनो एसिड प्राकृतिक रूप से शरीर द्वारा उत्पादित नहीं किए जा सकते हैं, जो इन बीजों को शरीर में पूरा करने की क्षमता रखते हैं। इसमें उच्च मात्रा में प्रोटीन होता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करता है, इस प्रकार यह शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है, इसके अलावा बीमारियों के लक्षणों को कम करता है।
भांग का बीज और Hemp Seed क्या है?
भांग के बीज भांग के पौधे से मिलते हैं और इसी बीज से भांग का तेल ताइारा किया जाता है। भांग के बीज और भांग बीज का तेल दोनों ह��� औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। अगर सही तरीके से इनका उपयोग किया जाए, तो उनके कई शारीरिक लाभ हो सकते हैं। भांग के बीज और भांग बीज के तेल में पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड, प्रोटीन, कैनाबिनोइड (कैनबिनोइड्स), विटामिन-ई और कई अन्य पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो उन्हें गुणकारी बनाने में मदद करते हैं। नीचे हम कैनबिस बीज या गांजा बीज तेल के स्वास्थ्य लाभों के बारे में जानकारी देने की कोशिश कर रहे हैं। ध्यान रखें कि यह किसी भी गंभीर बीमारी को पूरी तरह से ठीक करने के लिए नहीं है। यह केवल रोग के लक्षणों या प्रभावों को कम करने का काम कर सकता है। भांग के बीज का उपयोग कई पैक उत्पादों में बीज का उपयोग किया जा रहा है, जो आमतौर पर स्वास्थ्य खाद्य भंडार में पाए जाते हैं। इनमें से कुछ उत्पाद हैं, जैसे गांजा दूध और भांग का आटा जो आमतौर पर घरों में उपयोग किया जाता है। अन्य उत्पादों को इतनी आसानी से दोहराया नहीं जाता है जैसे कि गांजा तेल, आइसक्रीम और प्रोटीन पाउडर। गांजे के बीज का उपयोग बेकिंग और खाना पकाने में भी किया जा सकता है, हालांकि इसकी कच्ची स्थिति में पोषण की मात्रा सबसे अधिक होती है। गांजे के बीज के स्वास्थ्य लाभ आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस बीजों के कितने फायदे हैं और कैसे यह कई बीमारियों को रोकने में मदद करता है: वजन घटाने के लिए चूंकि भांग के बीज में बहुत कम सोडियम और कैलोरी होती है, और यह एक पूर्ण प्रोटीन है, इसलिए इसे बहुत अधिक वजन प्राप्त करने के डर के बिना बड़ी मात्रा में खाया जा सकता है और इस तरह वजन कम करने में मदद मिलती है। इस बीज में मौजूद सभी आवश्यक अमीनो एसिड ग्रेलिन को रोकने और भूख को रोकने में मदद करते हैं, जिससे हम लंबे समय तक भूख महसूस नहीं करते हैं। मजबूत हड्डियों के लिए गांजा के बीजों में कैल्शियम की मात्रा कम होती है, जो हड्डियों के निर्माण और मजबूती में एक आवश्यक तत्व है, और क्षतिग्रस्त हड्डियों की मरम्मत में भी मदद करता है। इसके अलावा, गांजा बीज और गांजा बीज तेल से प्राप्त कैल्शियम का सकारात्मक बढ़ावा आपको ऑस्टियोपोरोसिस जैसी विकासशील स्थितियों की संभावना को कम करने में मदद करेगा। त्वचा विकारों के उपचार के लिए सन के बीजों में मौजूद तेल त्वचा की अंदरून��� परतों की मरम्मत और अधिक त्वचा कोशिकाओं की वृद्धि को बढ़ावा देने, त्वचा में सूखापन और चिकनाई कम करने और स्वस्थ त्वचा के लिए महत्वपूर्ण है। इस बीज में पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड (PUFA), ओमेगा -3 और ओमेगा -6 होता है, जो हमारी त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए फायदेमंद होते हैं। पाचन स्वास्थ्य के लिए सन बीज घुलनशील और अघुलनशील फाइबर का एक उत्कृष्ट स्रोत है, जो बेहतर पाचन स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण घटक है। बीज खोल में घुलनशील फाइबर होता है जो पाचन बैक्टीरिया का एक अच्छा स्रोत है, ये अघुलनशील फाइबर रक्त में शर्करा के स्तर को रोकने में मदद करते हैं। दूसरी ओर, अघुलनशील फाइबर पेट और आंतों के मा��्यम से भोजन और अपशिष्ट को पारित करने में मदद करता है। उच्च रक्तचाप में कमी के लिए उच्च रक्तचाप भी स्ट्रोक या हृदय रोग के लिए एक बड़ा जोखिम हो सकता है। आहार और जीवन शैली में परिवर्तन किसी के रक्तचाप को कम करने में मदद करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। भांग के बीज खाने से हाइड्रोलाइजेट नियंत्रण में रहता है, जिससे रक्तचाप कम रहता है। तनाव कम करने के लिए अन्य समान बीजों की तरह, हेम्प सीड्स में मैग्नीशियम, अमीनो एसिड और बी विटामिन के उच्च स्तर होते हैं, जो उन्हें तनाव के लिए एक प्राकृतिक विरोधी बनाते हैं। तनाव और चिंता को कम करने के लिए मैग्नीशियम मस्तिष्क में एक न्यूरोट्रांसमीटर के रूप में कार्य करता है। बीज में मौजूद अमीनो एसिड प्रोटीन बनाते हैं जो शरीर को मजबूत रखने के लिए ऊर्जा प्रदान करते हैं। महा शिवरात्रि शायरी - Wishes, Status, Quotes Chickweed In Hindi – चिकवीड पौधे के लाभ फूलों के नाम की सूची हिंदी में - Flowers Name in Hindi निष्कर्ष: जी हाँ दोस्तों, आपको आज की पोस्ट कैसी लगी, आज हमने आपको बताया Hemp Seed Benefits and Side Effects और Ganja/Bhaang Kya Hai बहुत आसान शब्दों में, हमने आज की पोस्ट में भी सीखा। आज मैंने इस पोस्ट में Hemp Seed Meaning and Benefits in Hindi सीखा। आपको इस पोस्ट की जानकारी अपने दोस्तों को भी देनी चाहिए। वे और सोशल मीडिया पर भी यह पोस्ट ज़रूर साझा करें। इसके अलावा, कई लोग इस जानकारी तक पहुंच सकते हैं। यदि आप हमारी वेबसाइट के नवीनतम अपडेट प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको हमारी Sahu4You वेबसाइट सब्सक्राइब करना होगा। नई तकनीक के बारे में जानकारी के लिए हमारे दोस्तों, फिर मिलेंगे ऐसे ही नई प्रौद्योगिकी की जानकारी के बारे में, हमारी इस पोस्ट को पढ़ने के लिए धन्यवाद, और अलविदा दोस्तों आपका दिन शुभ हो। Read the full article
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hindijankari · 5 years ago
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कैसे बचें गंजेपन की समस्या से || How to avoid baldness problem
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बाल झड़ने की समस्या न सिर्फ लुक्स को खराब करती है, बल्की आत्मविश्वास को भी ठेस पहुंचाती है। इस लेख को पढ़ें और बालों को झड़ने से रोकने के तरीके जानें। बालों का झड़ना और गंजापन आजकल एक आम समस्या है। पहले 40-45 साल की उम्र के बाद ही बालों के झड़ने की समस्या सामने आती थी, लेकिन अब कम उम्र में ही बाल झड़ने लगते हैं। बालों को पकड़े हुए आदमी बाल झड़ने की एक बड़ी वजह अनियमित जीवनशैली और प्रदूषण है। हालांकि कई बार इसके पीछे अनुवांशिक कारण भी होते हैं। लेकिन समय रहते अगर बालों की सही देखभाल की जाए तो काफी हद तक गंजेपन की समस्या से बचा जा सकता है। अगर आपके बाल बहुत तेजी से झड़ रहे हैं तो आप निम्न कुछ टिप्स आजमा कर देख सकते हैं। गंजेपन के कारण लम्बे रोग जैसे- टायफाइड, जुकाम, साइनस तथा खून की कमी आदि। बालों के प्रति लापरवाह तनाव कब्ज रहना, नींद न आने के कारण हार्मोंस बदलने के कारण गंजेपन की समस्या को दूर करने के टिप्स
अपने भोजन में सब्जियां, सलाद, मौसमी फल, अंकुरित अन्न का सेवन अधिक मात्रा में करना चाहिए। जंक फूड के बजाय घर का पौष्टिक भोजन करें। पानी भरपूर मात्रा में पिएं
बालों को जब भी शैंपू करें, उंगलियों के पोरों से हल्के-हल्के मसाज करें। ऐसा करने से आपके सिर का ब्लड सर्कुलेशन बढ़ेगा।
एंटी डैंड्रफ शैंपू का ज्यादा प्रयोग न करें, क्योंकि इससे सिर की नेचुरल नमी खत्म हो जाती है।
गंदे बालों पर जैल या कोई हेयर स्प्रे न करें। इससे बालों को नुकसान हो सकता है। अगर बाल कमजोर हैं तो उन्हें स्ट्रेट, कर्ली नहीं करवाना चाहिए। उन पर जैल या हेयर कलर भी नहीं करना चाहिए क्योंकि इन उत्पादों में रसायन मिले होते हैं। ये बालों को धीरे-धीरे खराब कर देते हैं।
हर समय कैप न पहनें। इससे पसीना, कीटाणु और गंदगी सिर के किनारों पर जम जाती है। बालों की जड़ों को नुकसान होता है और बाल गिरने शुरू हो जाते हैं।
 गीले बालों में कंघा न करें, दिन में तीन-चार बार कंघा करें। ऐसा करने से बालों में जमीं तेल की चिपचिपाहट दूर होंगी और नए बाल उगने में मदद मिलेगी।
 सिर पर तेल से मसाज करें। आप सरसों और जैतू�� के तेल को बराबर मात्रा में मिला कर बालों में हल्के-हल्के उंगलियों के पोरों से मसाज करें। मसाज करने के बाद तौलिये को गर्म पानी में भिगोएं फिर उसे निचोड़कर सिर को भाप दें। इससे सिर की त्वचा के रोमछिद्र खुल जाते है और तेल बालों की जड़ों के अंदर तक समा जाता है। इससे आपके बाल मजबूत होंगे।
आपको लगे कि गंजेपन की शुरुआत होने लगी है तो बालों को छोटा करवा लें।
इसके अलावा बालों के लिए कुछ घरेलू उबटन भी बना कर लगा सकते है। 
1 अंडे की जर्दी को बालों में लगाएं और आधे घंटे बाद शैंपू से बालों को धो लें। ऐसा सप्ताह में एक बार करें, आपके बाल मजबूत होंगे। अपने सिर को दही से धोएं और थोड़ी देर बाद बथुए के पानी से दोबारा सिर धोएं। ऐसा करने से ��ंजेपन की समस्या दूर होगी। रात में मेथी के बीजों को पानी में भिगो दें और सुबह इन्ह पीसकर लेप बनाकर बालों पर लगा लें। ऐसा कुछ दिनों में नए बाल उगने लगेंगे।
बालों का दोबारा उगना लेकिन, अब पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ता ये जानने की कोशिश में लगे हैं कि जब मनुष्य में गंजेपन की शुरुआत होती है तो कौन सा विशिष्ट जीन उसके लिए उत्तरदायी होता है. शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रोस्टाग्लैंडिन डी सिन्थेज नामक एक खास प्रोटीन कई स्तरों पर गंजे हुए स्थानों पर स्थित बाल पुटिकाओं में इकट्ठा होती हैं. ये प्रोटीन बाल वाली जगहों पर नहीं होती. बिल्कुल हम कह सकते हैं कि जब हमने गंजी खोपड़ी में प्रोस्टाग्लैंडिन प्रोटीन दिया तो बालों के उगने की प्रक्रिया शुरू हो गई. इसी से हमने मानव में गंजेपन के इलाज का लक्ष्य सुनिश्चित किया प्रो. जॉर्ज कोट्सारेलिस, शोधकर्ता चूहों की उन प्रजातियों में जिनमें इस प्रोटीन का उच्च स्तर दिया गया, वे पूरी तरह से गंजे हो गए जबकि उन पर उगाए गए मानव बाल इन प्रोटीन्स को देने पर उगने बंद हो गए. शोध का नेतृत्व कर रहे वैज्ञानिक प्रो. जॉर्ज कोट्सारेलिस बताते हैं, “बिल्कुल हम कह सकते हैं कि जब हमने गंजी खोपड़ी में प्रोस्टाग्लैंडिन प्रोटीन दिया तो बालों के उगने की प्रक्रिया शुरू हो गई. इसी से हमने मानव में गंजेपन के इलाज का लक्ष्य सुनिश्चित किया.” उनके मुताबिक अगला कदम के तहत उन यौगिकों की पहचान की जाएगी कि ये इस प्रक्रिया को कैसे प्रभावित करता है. साथ में ये भी जानने की कोशिश की जाएगी कि यदि इस प्रक्रिया को रोक दिया जाए तो क्या गंजेपन की विपरीत स्थिति भी आ सकती है. यानी अगर ये पता चल जाए तो गंजेपन को रोका जा सकता है. उनका कहना है कि ऐसी तमाम दवाइयों की भी पहचान की गई है जो कि इस चक्र को प्रभावित करती हैं और इनमें से कई का परीक्षण भी हो रहा है. शोधकर्ताओं का कहना है कि इस बात की पूरी संभावना है कि सिर के खाल पर लगाने वाली ऐसी दवा बनाई जा सकती है जिससे गंजेपन को रोका जा सके और झड़े हुए बाल दोबारा उग सकें. समय रहते यदि आप अपने झडते बालों में उपरोक्त बातें ध्यान में रखकर उपाय करेंगें तो आपको कम उम्र में गंजेपन की समस्या का सामना नहीं करना पडेगा और आपके बाल मजबूत, घने और चमकदार रहेंगे। यदि आपको बालो संबंधी कोई समस्या हो तो सबसे पहले हेयर एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
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chaitanyabharatnews · 5 years ago
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आखिर क्या होती है वीगन डाइट? जिसे फॉलो करने का चल रहा है ट्रेंड, जानें इसके फायदे और नुकसान
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चैतन्य भारत न्यूज दुनियाभर में पिछले काफी समय से 'वीगन डाइट ट्रेंड' चल रहा है। भारत में भी कई लोग वीगन डाइट के समर्थन में हैं और इसे अपना रहे हैं। बता दें वीगन डाइट वेजिटेरियन डाइट से भी एक कदम आगे ��ै। यह एक ऐसी शाकाहारी डाइट है जिसमें लोग पशु या उनके उत्पाद को नहीं खाते हैं। वीगन डाइट को फॉलो करने वाले लोग दूध या उससे बने उत्पाद, अंडे, मांस जैसी किसी भी चीज को अपने भोजन में शामिल नहीं करते। यहां तक कि कई लोग शहद का भी सेवन नहीं करते। वीगन डाइट वाले लोग सिर्फ सब्जियां, फल, ड्राय फ्रूट्स और अनाज को ही अपने भोजन में शामिल करते हैं। वीगन डाइट में कहां से मिलता है प्रोटीन? वीगन डाइट फॉलो करने से पहले अक्सर मन में यह सवाल उठता है कि इसमें प्रोटीन कहां से मिलता है? खासतौर से इस डाइट को फॉलो करने वाले लोग अपने शरीर में कैल्शियम और प्रोटीन की कमी कैसे पूरी करते हैं? बता दें वीगन डाइट फॉलो करने वाले लोग प्रोटीन के लिए सोया, टोफू, सोया मिल्क, दालों, पीनट बटर, बादाम आदि पर निर्भर रहते हैं। इसके अलावा इन्हें कैल्शियम हरी पत्तेदार सब्जियों, टोफू और रागी के आटे इत्यादि से मिलता है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); वीगन डाइट से होने वाले फायदे स्वस्थ बनता है दिल रिपोर्ट्स के मुताबिक, वीगन डाइट से शरीर में कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम होता है। दरअसल इसमें अधिकांश फैट हेल्दी सोर्स जैसे नारियल, फलियों, एवोकैडो आदि से हासिल होता है। जानवर और डेयरी प्रोडक्ट से मिलने वाला अधिकांश फैट बैड कोलेस्ट्रॉल उत्पन्न करता है। ऐसे में वीगन डाइट को फॉलो करने वाले लोग बैड कोलेस्ट्रॉल से बचे रहते हैं और उनका दिल भी स्वस्थ बना रहता है। बीपी का ��तरा कम वीगन डाइट पर हुई एक रिसर्च के मुताबिक, इस डाइट को फॉलो करने वाले लोगों में कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम हो जाता है जिससे ब्लड प्रेशर की समस्या भी कम होती है। इसके अलावा टाइप-2 डायबिटीज और किडनी के मरीजों के लिए भी इस डाइट को फॉलो करना बेहतर माना जाता है। वजन घटाने में असरकारक वजन घटाने के लिए वीगन डाइट को फॉलो करना अच्छा विकल्प है। दरअसल वीगन डाइट में आपको ऐसी कई खाने की चीजें अपनी लाइफस्टाइल से हटानी पड़ती हैं जो वजन बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। जैसे कि प्रोसेस्ड फूड, हाई-फैट डेयरी प्रोडक्ट, हाई-फैट प्रोटीन आदि। कैंसर से बचाव अन्य डाइट के मुकाबले वीगन डाइट में एंटीऑक्सीडेंट्स की मात्रा कहीं ज्यादा होती है। बता दें एंटीऑक्सीडेंट्स पर्यावरण में प्रदूषण और गलत खानपान के कारण हमारे शरीर में पैदा होने वाले फ्री-रेडिकल्स से हमारे सेल्स की रक्षा करते हैं। ऐसे में वीगन डाइट फॉलो करने वाले लोगों में प्रोस्टेट कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और कोलोन कैंसर जैसे और भी कई तरह के कैंसर होने की आशंका बहुत कम हो जाती है। वीगन डाइट से होने वाले नुकसान वीगन डाइट फॉलो करने वाले लोगों के लिए सबसे बड़ा नुकसान यह है कि अगर इसे ठीक तरह से फॉलो नहीं जाए तो इससे शरीर को पर्याप्त पोषण मिलने में दिक्कत हो सकती है। इससे खासकर शरीर में कैल्शियम की कमी होने लगती है, क्योंकि इस डाइट में एनिमल बेस्ड फूड का सेवन नहीं किया जाता है। शरीर को विटामिन-B 12 और विटामिन-D भी नहीं मिल पाता है। इसके अलावा वीगन डाइट फॉलो करने वाले लोगों के शरीर में कई बार आयरन और ओमेगा 3 फैटी एसिड की भी कमी पाई जाती है। (विशेष ध्यानार्थः यह आलेख केवल पाठकों की अति सामान्य जागरुकता के लिए है। चैतन्य भारत न्यूज का सुझाव है कि इस आलेख को केवल जानकारी के दृष्टिकोण से लें। इनके आधार पर किसी बीमारी के बारे में धारणा न बनाएं या उसके इलाज का प्रयास न करें। यह भी याद रखें कि स्वास्थ्य से संबंधित उचित सलाह, सुझाव और इलाज प्रशिक्षित डॉक्टर ही कर सकते हैं।) ये भी पढ़े... जानिए कैसे होती है शरीर में मिनरल्स की कमी और क्या हैं इसके लक्षण रोजाना चाय पीने से होता है दिमाग तेज, चाय का सेवन न करने वालों को होते हैं ये नुकसान वजन घटाने के लिए बहुत फायदेमंद है पनीर, जानिए क्या है इसे खाने के फायदे Read the full article
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abhay121996-blog · 4 years ago
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Health Tips : गर्मियों के सीजन में आपके शरीर को स्फूर्ति देगा नारियल पानी, नियंत्रण में रह कर करें इसका इस्तेमाल, ये होंगे फायदे Divya Sandesh
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Health Tips : गर्मियों के सीजन में आपके शरीर को स्फूर्ति देगा नारियल पानी, नियंत्रण में रह कर करें इसका इस्तेमाल, ये होंगे फायदे
इंटरनेट डेस्क। कई दिनों से तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है। माना जा रहा है हि आने वाले दिनों में पारा और बढ़ सकता है। ऐसे में तेज गर्मियां इंसान को झुलसाएगी। गर्मी के दिनों में पानी की कमी भी हमेशा परेशान करती रहती है। बार-बार इच्छा तरल पदार्थ लेने की करती है। जूस, छाछ, दही, शिकंजी, आम पना ये तो आप डाइट में सामान्यतौर पर लेते ही होंगे। लेकिन इन सबसे नारियल पानी का कोई मुकाबला नहीं है। डॉक्टर्स कहते हैं शरीर में स्फूर्ति लाने का सबसे बेहतर स्रोत नारियल का पानी है।
तो आइये जानते हैं आखिर नारियल पानी कैसे हमारे शरीर को एनर्जी प्रदान करता है…
नारियल पानी के फायदे
1. बहुत ही कम फैट वाले नारियल पानी में 94 प्रतिशत पानी होता है। यह पूरी तरह से प्राकृतिक तौर पर तैयार हुआ लिक्विड होता है।
2. एक नारियल को पूरी तरह से तैयार होने में 10 से 12 महीने लग जाते हैं जबकि नारियल पानी पहले ही यानी 5-6 महीने में तैयार हो जाता है। एक कप यानी 240 एमएल नारियल पानी में 46 कैलोरी होती है। इसके अलावा 9 ग्राम कार्ब, 3 ग्राम फाइबर, दो ग्राम प्रोटीन, विटमिन सी, मैग्निशियम, मैग्नीज, पोटैशियम, सोडियम और कैल्शियम भी होता है। हालांकि नियंत्रण में रह कर ही इसका इस्तेमाल होना चाहिए वरना कई बार इसके साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं।
3. पेट खराब होने के दौरान अक्सर चिकित्सक सलाह देते हैं कि नारियल पानी पीया जाए। यह होता भी बहुत अच्छा है। आपको कमजोरी की स्थ���ति में इसके सेवन से अच्छे परिणाम मिलते हैं। हालांकि, इसको लेकर कई तरह के दावे किए जाते हैं लेकिन अभी भी कई सकारात्मक दावों का वैज्ञानिक प्रमाण मिलना बाकी है।
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ghareluayurvedicupay · 4 years ago
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पीरियड के दर्द को कम करने का उपाय
हमारे जीवन में कई प्रकार की समस्याएं देखी जा सकती हैं शारीरिक हो या मानसिक। जीवन का एक दौर ऐसा होता है, जब इन समस्याओं से दो-चार कभी ना कभी होना ही पड़ता है। महिलाओं की बात करें,तो  उनको भगवान ने एक असीम शक्ति दी है जिसके बलबूते सारे दर्द, गम  मे भी मुस्कुरा देती है लेकिन कुछ दर्द ऐसे भी हैं, जो अंदर से तोड़ने का काम करते हैं। उनमें से एक दर्द है पीरियड का दर्द।
क्या है पीरियड | kya hai period
इसे सामान्यतः मासिक धर्म या महावारी के नाम से भी जाना जाता है। यह प्रत्येक महीने होने वाली शारीरिक प्रक्रिया है, जो 10 से 15 साल की लड़कियों में शुरू होती है। पीरियड के दौरान हर महीने अंडाशय से अंडा निकलता है। ऐसे समय में महिला के शरीर में हार्मोनल परिवर्तन देखे गए हैं यह प्रक्रिया ओव्यूलेशन कहलाती है।
इस समय में अंडा का निषेचन ना हो पाए तो गर्भाशय की परत बाहर की ओर आ जाती है जिसे ही पीरियड कहा जाता है। शुरुआत में इसकी अवधि लंबी हो सकती है लेकिन धीरे-धीरे अपने सामान्य समय चार-पांच दिनों का ही रह जाता है। प्रत्येक महिला की शारीरिक संरचना अलग-अलग होती है, जो प्रायः 21 से 35 दिनों बाद पीरियड होने लगते हैं।
पीरियड के लक्षण | period ke lakshan in hindi
पीरियड के आने पर महिलाओं में कई प्रकार के लक्षण देखे गए हैं
1) पेट के निचले भाग में दर्द होना।
2) कमर दर्द होना।
3) मूड बदलना।
4) खाने का मन ना होना।
5)  उल्टी होना।
6) बेचैनी होना।
7)  किसी भी काम में मन ना लगना।
पीरियड के दर्द को कैसे किया जा सकता है दूर
कई बार महिलाएं पीरियड के दर्द को बर्दाश्त नहीं कर पाती उन्हें लगातार दर्द की शिकायत रहती है। यह दर्द कम या ज्यादा होते रहता है। ऐसे समय में कुछ उपायों के माध्यम से भी दर्द से दूर रहा जा सकता है।
1)  अदरक — अदरक कई प्रकार की बीमारियों से लड़ने में मददगार है। ऐसे में अदरक का उपयोग पीरियड के दर्द को कम करने में कर सकते हैं। इसके लिए अदरक को बारीक कूटकर पानी में उबाल लें। जब पानी उबालकर आधा हो जाए तो इसका उपयोग पीने में करें। ऐसा करने पर इस दर्द को दूर किया जा सकता है।
2) अजवाइन — इस दर्द को दूर करने के लिए अजवाइन के पानी को उबालकर पीने से भी दर्द से छुटकारा मिल सकता है।
3) पपीता — ऐसा माना जाता है कि इस दर्द को दूर करने में पपीता भी महत्वपूर्ण होता है। पपीते में पाया जाने वाला एंजाइम पेपेन पेट दर्द से राहत दिलाता है।
4) गरम पानी की थैली — यह ऐसा दर्द है, जो बार-बार होता रहता है कभी कम कभी ज्यादा। ऐसे में कुछ भी करने का मन नहीं होता तो ऐसे में आप गर्म पानी की थैली बाजार से अवश्य लाए। उस थैली से सिकाई करने पर आपको फायदा होने लगेगा।
5) दूध — ऐसे दर्द से बचने के लिए आपको दूध जरूर पीना चाहिए। दूध में कैल्शियम है, जो  इम्यूनिटी को मजबूत कर दर्द से राहत दिलाता है।
6) एलोवेरा — एलोवेरा के औषधीय गुणों की जानकारी हमें हैं। ऐसे में अगर आप एलोवेरा का जूस बनाकर पिए तो निश्चित रूप से इससे फायदा होगा।
7) जैस्मीन — ऐसा भी माना गया है कि जैस्मीन युक्त चाय पी लेने से भी इस दर्द से छुटकारा मिल सकता है।
8) गर्म पानी से नहाना —  ऐसे समय में अगर आप गर्म पानी से नहाती हैं, तो आपको अच्छा महसूस होगा और आप इस दर्द को भूल जाएगी।
पीरियड के दर्द को दूर करने के कुछ गुणकारी टिप्स | period ko dur karne ke liye helpful tips
इसके अलावा आप अगर बहुत ही ज्यादा दर्द से बेहाल रहती हैं, तो आप इन टिप्स से भी फायदा ले सकती हैं। अगर हो सके तो आप इन्हें कुछ दिनों पहले से ही शुरू करें।
1) इस दर्द से निपटने के लिए वॉकिंग पर जाएं इससे आपका शरीर  एक्टिव होगा। आपने देखा होगा कि आप जितना एक्टिव रहते हैं दर्द उतना ही कम होता है।
2) ऐसे समय में आप ज्यादा भारी खाना ना खाएं हल्का खाना ही बेहतर होगा।
3) अगर आप थोड़ा व्यायाम कर ले इससे भी फायदा होगा। ज्यादा नहीं तो आधा घंटा व्यायाम करना ही सही रहता है।
4) बिस्तर पर लेटने के बजाय खुद को एक्टिव बनाए रखें। कुकिंग करना, पुस्तकें पढ़ना, पेड़ पौधों में पानी देना, घर के छोटे-छोटे काम कर सकती हैं।
5) उस दिन अपने काम जैसे स्कूल, कॉलेज, ऑफिस से छुट्टी नहीं ले। आप अपने काम में जाएंगी तो आपका दर्द कम होगा और शरीर भी गतिशील बना रहेगा।
6) दर्द को कम करने के लिए अपना पसंदीदा म्यूजिक सुन सकती हैं यह आपको नई ताजगी और ऊर्जा देगा।
दही का सेवन भी हो सकता है फायदेमंद
पेट का दर्द असहनीय भी हो जाता है। ऐसे में बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता। ऐसे दर्द में आप दही का सेवन जरूर करें। दही में कई प्रकार के पोषक तत्व कैल्शियम, प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होता है।  दही में लैक्टोबैसिलस लेसिली नामक बैक्टीरिया पाया जाता है, जो किसी भी पेट संबंधी विकार को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसे में आप भी पीरियड के दर्द को दूर करने के लिए ठंडी दही का उपयोग करें। इससे जरूर आपको फायदा होगा।
इन आहारो से दूर रहे पीरियड के समय
अगर आप पीरियड के दर्द से बेहाल रहती हैं,तो  इन आहारो से दूर रहने में आपको फायदा होगा और दर्द से भी छुटकारा मिल सकता है।
1). चीनी –– ऐसा माना जाता है कि महिलाओं और लड़कियों को मीठा खाना पसंद होता है। लेकिन जब आपको पीरियड का दर्द ज्यादा हो रहा हो, तो चीनी युक्त  आहारों का सेवन बिलकुल बंद कर दें। ऐसे हार्मोन के साथ साथ  चीनी का लेवल बढ़ता घटता  रहता है और ज्यादा चीनी लेने से मीठे का स्तर बढ़कर परेशानी कर सकता है ऐसे में कुछ दिन चीनी से दूर ही रहे।
2) वसायुक्त आहार — ऐसे समय में ऐसे  आहारो से दूर रहे जिनमें वसा अधिक मात्रा में स्थित हो। वसायुक्त पदार्थ में प्रोस्टाग्लैंडइन पाए जाते हैं, जो मुमकिन है कि इसमें गर्भाशय की दीवारें संकुचित होकर दर्द उत्पन्न करें। ऐसे में आप पौष्टिक आहार लें तो ही बेहतर होगा।
3) नमक —  महिलाएं इस बात का अंदाजा नहीं लगा पाती हैं कि ऐसे में नमक का सेवन बहुत ही हानिकारक होता है। नमक में सोडियम ज्यादा मात्रा में होता है जो कहीं ना कहीं नुकसान करता है ऐसे में कोशिश करें कि नमक ,पापड़, चिप्स से दूर ही रहा जाए।
4) काँफी –– अगर आप कॉफी पीने के शौकीन हैं, तो ऐसे में कुछ दिनों के लिए कॉफी पीना छोड़ दे तो फायदेमंद होगा।  कॉफी में कैफीन होती है, जो गर्भाशय की  दीवारों को संकुचित करके दर्द को बढ़ा देती है। ऐसे में यह पेय पदार्थ नुकसानदायक हो सकता है। ऐसे में पेट में ऐठन की भी समस्या बनी रहती है।
5) प्रोसैस्ड फूड — अगर आप ऐसे समय में प्रोसैस्ड फूड का त्याग कर दें तो आपके लिए सही रहेगा।  यह फूड तेल व वसा युक्त होता है, जो परेशानी को बढ़ाने का भी काम करता है।
प्रेगनेंसी टेस्ट कैसे चेक करें
पीरियड में इन आहारो को लेने से होगा फायदा–
1)  हरी पत्तेदार सब्जियां — ऐसे समय में कई महिलाएं बहुत हेवी फ्लो का शिकार हो जाती हैं। ऐसे में पूरी संभावना होती है कि शरीर में आयरन और विटामिन की कमी हो जाएं।  बहुत अच्छा होगा कि आप हरी पत्तेदार सब्जियां ले जिससे किसी भी प्रकार की कमी शरीर को ना होने पाए।
2) नॉन वेज खाना — अगर आप नॉनवेज खाना पसंद करती हैं, तो यह आपके लिए अच्छा हो सकता है। ऐसे में अगर आप चिकन और मछली का सेवन करें तो फायदेमंद होगा। इसमें भरपूर मात्रा में ओमेगा 3 फैटी एसिड हैं, जो पीरियड में फायदेमंद है।
3) मेवे — अगर आप ऐसे समय में मेवे जैसे — काजू, बादाम ,अखरोट का सेवन करें तो उसमें उपस्थित मैग्नीशियम, आयरन दर्द को सहने की ताकत देता है।
4) गर्म पानी का सेवन — ऐसे समय में गर्म पानी का सेवन करना बहुत ही फायदेमंद होगा। गरम पानी संकुचित दीवारों को सही करने का काम करती हैं।
5) केला —  केला खाना सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। इससे उर्जा भी प्राप्त की जा सकती है, जो मूड को सही रखने क�� काम करता है। जब भी आपको पीरियड का दर्द सताए तो केले का सेवन अवश्य रूप से करें।
गर्भावस्था के दौरान बवासीर का घरेलू इलाज
पहली बार पीरियड होने में ले सावधानी
जब भी कोई लड़की 12 वर्ष या उससे ऊपर होती है तो पीरियड आने शुरू हो जाते हैं।  शुरु शुरु में तो उन्हें कुछ समझ नहीं आता। ऐसे में घर की महिलाओं को भी पूरी सावधानी रखनी चाहिए। इससे संबंधित थोड़ी जानकारी पीरियड के पहले से ही दे दिया जाए तो बेहतर होगा। पहली बार पीरियड होने पर खास ध्यान रखें। ऐसा  आहार दें जिससे  परेशानी से बचा जा सके। पीरियड से संबंधित किसी भी बात को लड़कियों से ना ही छिपाएं।
समय के हिसाब से आया है बदलाव
अगर प्राचीन समय की बात की जाए तो उस समय महिलाओं के साथ पीरियड के समय बहुत ही भेदभाव किया जाता था। उन्हें जमीन में सोना पड़ता था, किचन में जाने की अनुमति नहीं थी, कोई भी खाद्य सामग्री को छूने की मनाही होती थी, उनके कपड़े बर्तन अलग ही रखा रहता था लेकिन आज के समय में बदलाव देखा गया है।  इन सारी दकियानूसी बातों को पीछे कर महिलाएं कहीं आगे निकल चुकी हैं। वे हर दर्द को झेलते हुए निरंतर आगे बढ़ रही हैं और प्रगति कर रही हैं।
निष्कर्ष
इस प्रकार से हमने देखा कि पीरियड का दर्द असहनीय है, जो मुश्किलों भरा समय है। हर महीने इस समस्या को झेलना आसान नहीं है। ऐसे में ��पना ध्यान रखें और सही दिशा में  आहार ले ताकि आप स्वस्थ रह सकें। ऐसे समय में इन उपायों से खुद का ध्यान रखें और आगे बढ़े।
Source : https://www.ghareluayurvedicupay.com/period-ke-dard-ko-kam-karne-ke-gharelu-upay/
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