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#प्रीति विश्वास
satlokashram · 4 months
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गुरु से शिष्य करै चतुराई। सेवा हीन नर्क में जाई।। शिष्य होय सरबस नहीं वारै। हिये कपट मुख प्रीति उचारे।। जो जिव कैसे लोक सिधाई। बिन गुरु मिले मोहे नहिं पाई।। सरलार्थ:- जो शिष्य गुरु के साथ हेराफेरी (चतुराई) करता है। उसकी सेवा (भक्ति) नष्ट हो जाती है। वह नरक का अधिकारी होता है। जो दीक्षा लेने के पश्चात् भी सतगुरु के प्रति समर्पित नहीं होता और मुख से प्यारा बोलता है और दिल में गुरु के प्रति दोष रखता है। वह भी सतलोक कैसे जा सकता है? क्योंकि गुरु के मिले बिना अर्थात् गुरु के ऊपर पूर्ण विश्वास तथा श्रद्धा लगाए हुए बिना मुझे (परमात्मा को) प्राप्त नहीं हो सकता।
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helputrust · 1 year
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Youtube : https://youtu.be/xlqsus00FAs
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश बनेगा आत्म निर्भर - डॉ० रूपल अग्रवाल
02.06.2023 | गो कैंपेन (अमेरिकी संस्था) के सहयोग से और हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में, सबल केन्द्र फॉर ट्रेनिंग ऑफ़ कलिनरी स्किल्स (Women Empowerment Centre) त्रैमासिक "निःशुल्क पाक कला प्रशिक्षण कार्यशाला" का शुभारंभ कपूर कुक एंड बेक, ए- 20, सेक्टर जे, अलीगंज लखनऊ में हुआ l "निःशुल्क पाक कला प्रशिक्षण कार्यशाला" का शुभारम्भ हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी श्रीमती (डॉ०) रूपल अग्रवाल, व श्रीमती नीलिमा कपूर ने फीता काटकर व दीप प्रज्ज्वलित कर किया l
कार्यशाला के अंतर्गत प्रशिक्षक श्रीमती नीलिमा कपूर द्वारा लाभार्थियों को तीन माह की समय अवधि में कटहल से 25 प्रकार के व्यंजन बनाना सिखाया जायेगा जिसमें  कटहल कुल्फी, कटहल बर्फी, कटहल कॉफी, कटहल हलवा, कटहल जैम, कटहल लड्डू, कटहल पापड़, कटहल अचार, कटहल कबाब, कटहल टैकोज, कटहल अवधी बिरियानी, कटहल कढ़ी, कटहल खीर, कटहल रोल, कटहल क़ीमा, कटहल शेक, कटहल चिप्स, कटहल चाप, कटहल दो प्याजा, कटहल मसाला, कटहल कटलेट, हैदराबादी कटहल बिरियानी प्रमुख है I
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी श्रीमती डॉ० रूपल अग्रवाल ने कहा कि, "हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट अपने स्थापना वर्ष 2012 से महिला सशक्तिकरण एवं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के क्षेत्र में निरंतर अनेक कार्यक्रमों का आयोजन करता आ रहा है जिसके अंतर्गत ट्रस्ट ने जहां एक तरफ कन्या भ्रूण हत्या को रोकने हेतु रैलियों, नुक्कड़ नाटक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया है वहीं दूसरी तरफ सिलाई कौशल प्रशिक्षण कार्यशाला, पाककला कार्यशाला व आत्म रक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला द्वारा बेटियों और महिलाओं को स्वाबलंबी व सशक्त बनाकर उन्हें समाज में एक नई पहचान दिलाने की कोशिश की है | इसी क्रम में आज माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के आत्मनिर्भर भारत तथा महिला सशक्तिकरण के तहत गो कैंपेन संस्था के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में "त्रैमासिक निशुल्क पाक कला कार्यशाला" का शुभारंभ किया जा रहा है, जिसमें कटहल के 25 प्रकार के व्यंजन बनाने सिखाए जाएंगे | मेरा विश्वास है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश आत्म निर्भर बनेगा | जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कटहल को अक्सर स्वास्थ्य लाभों की प्रचुरता के लिए "चमत्कारिक फल" के रूप में जाना जाता है। यह अविश्वसनीय रूप से बहुमुखी भी है। कटहल का हल्का स्वाद और बहुमुखी बनावट इसे मीठे और नमकीन दोनों तरह के व्यंजनों में शामिल करने के लिए एक आदर्श फल बनाती है । कटहल फल की इसी विशेषता को लोगों की थाली तक पहुंचाने हेतु  आज से इस "त्रैमासिक निशुल्क पाककला कार्यशाला" का आयोजन किया जा रहा है जिसमें इच्छुक महिलाएं एवं बालिकाएं पंजीकरण करवा कर अनुभवी प्रशिक्षक द्वारा पाक कला का प्रशिक्षण प्राप्त कर सकती हैं तथा कटहल फल से अनेकों व्यंजन बनाना सीख सकती है | कार्यशाला की समाप्ति पर सभी लाभार्थियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा |"
कार्यशाला में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी श्रीमती डॉ० रूपल अग्रवाल, श्रीमती नीलिमा कपूर के साथ लाभार्थियों में पूजा सेठ, जागृति जालान, गीतांजलि सिंह, सोनिया तयाल, आभा अग्रवाल, नीरजा श्रीवास्तव, तारुलता, कुसुम शर्मा, प्रीति गुप्ता, ज्योति गौतम, कविता गोयल आदि की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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9125294662 · 4 months
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KabirisGod
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गुरु से शिष्य करै चतुराई। सेवा हीन नर्क में जाई।। शिष्य होय सरबस नहीं वारै। हिये कपट मुख प्रीति उचारे ।। जो जिव कैसे लोक सिधाई। बिन गुरु मिले मोहे नहिं पाई ।
सरलार्थ:- जो शिष्य गुरु के साथ हेराफेरी (चतुराई) करता है। उसकी सेवा (भक्ति) नष्ट हो जाती है। वह नरक का अधिकारी होता है। जो दीक्षा लेने के पश्चात् भी सतगुरु के प्रति समर्पित नहीं होता और मुख से प्यारा बोलता है और दिल में गुरु के प्रति दोष रखता है। वह भी सतलोक कैसे जा सकता है? क्योंकि गुरु के मिले बिना अर्थात् गुरु के ऊपर पूर्ण विश्वास तथा श्रद्धा लगाए हुए बिना मुझे (परमात्मा को) प्राप्त नहीं हो सकता।
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pawan-shekhawat · 4 months
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#GodMorningThursday
गुरु से शिष्य करै चतुराई। सेवा हीन नर्क में जाई।।
शिष्य होय सरबस नहीं वारै। हिये कपट मुख प्रीति उचारे।।
जो जिव कैसे लोक सिधाई। बिन गुरु मिले मोहे नहिं पाई।।
सरलार्थ:- जो शिष्य गुरु के साथ हेराफेरी (चतुराई) करता है। उसकी सेवा (भक्ति) नष्ट हो जाती है। वह नरक का अधिकारी होता है। जो दीक्षा लेने के पश्चात् भी सतगुरु के प्रति समर्पित नहीं होता और मुख से प्यारा बोलता है और दिल में गुरु के प्रति दोष रखता है। वह भी सतलोक कैसे जा सकता है? क्योंकि गुरु के मिले बिना अर्थात् गुरु के ऊपर पूर्ण विश्वास तथा श्रद्धा लगाए हुए बिना मुझे (परमात्मा को) प्राप्त नहीं हो सकता।
आध्यात्मिक जानकारी के लिए
𝐏𝐥𝐚𝐲𝐒𝐭𝐨𝐫𝐞 से 𝐈𝐧𝐬𝐭𝐚𝐥𝐥 करें 𝐀𝐩𝐩 :-
"𝐒𝐚𝐧𝐭 𝐑𝐚𝐦𝐩𝐚𝐥 𝐣𝐢 𝐌𝐚𝐡𝐚𝐫𝐚𝐣
𝐯𝐢𝐬𝐢𝐭 :- ↪️ 𝐒𝐚𝐧𝐭 𝐑𝐚𝐦𝐩𝐚𝐥 𝐣𝐢 𝐌𝐚𝐡𝐚𝐫𝐚𝐣 𝐘𝐨𝐮 𝐓𝐮𝐛𝐞 𝐂𝐡𝐚𝐧𝐧𝐞𝐥
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jyotis-things · 7 months
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( #Muktibodh_part200 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part201
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 382-383
◆ज्ञानप्रकाश◆
दोहा - निर्गुण सर्गुण आदिहौ, अविगति अगम अथाह॥
गुप्त भये जग महँ फिरो, को तुव पाये थाह॥
सोरठा - मोहि परचे तुम दीन्ह, ताते चीन्दउँ तोदि प्रभु॥
भये चरण लोलीन, दुचिताई सकलो गयी।।
◆चौपाई
कीट ते भङ्ग मोहि प्रभुकीन्हा। निश्चलरंग आपनो दीन्हा।।
जिमिनिलते जग होय फुलेला। तिमि मोहिं भयोसमर्थपदमेला॥
पारस परसि लोहा जिमिहेमा। तिमि मोहिं भयउनाथव्रतनेमा।।
अगर परसि जिमिभयोसुवासा। जल प्रसंग बसन मल नासा॥
सनपट शुद्ध सूत कहे न कोई। प्रभुगुण लखित शिरनावे लोई॥
हे प्रभु तिमिमाहिं भयउ अनंदा। जिमिचकोरहरहितलखिचंदा॥
जनम मरण भी संशय नाशी। तवपद सुखनिधान सुखराशी॥
हे प्रभु अस शिख दीजै मोही। एको पल न विसारौ तोही॥
◆ सतगुरू वचन
जस मनसा तस आगे आवे। कहै कबीर इजा नहिं पावै॥
धर्मनि गुरुहि दोष देइ प्रानी। आपु करहिनर आपनहानी॥
जो गुरु वचन कहे चित लाई। बयापै नाहिं ताहि दुचिताई।।
जो गुरुचरन शिष्य संयोगा। उपजे ज्ञान न नासै भ्रम रोगा।।
जिमि सौदागर साहु मिलाहीं। पूँजि जोग बहु लाभ बढ़ाहीं॥
सतगुरु साहु सन्त सौदागर। सजीशब्द गुरुयोगा बहुनागर।।
जो गुरु शब्द कहे विश्वासा। गुरु पूरा पुरवहिं आसा।।
बिनु विश्वासा पावे दुखचेला। गहे न निश्चय हृदय गुरुमेला॥
सुत नारी तन मन धन जाई। तन जोरहे न प्रीति हटाई॥
शूरा हंस सोई कहलावै। अग्नि रहे तो शोक न लावे॥
जो विचले तो यम धरि खायी। अड़ा रहे तो निज घर जायी।
भावार्थ :- यह फोटोकॉपी कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान प्रकाश‘‘ के पृष्ठ 60 की है(attach in post)
सत्यलोक तथा परमेश्वर को सत्यलोक में पहचानकर धर्मदास जी ने परमेश्वर कबीर जी का धन्यवाद किया। कहा है कि जैसे पारस पत्थर से स्पर्श होने के पश्चात् लोहा स्वर्ण बन जाता है। ऐसे मेरा जीवन सत्य भक्ति से बहुमूल्य हो गया है। मेरा जन्म-मरण समाप्त हो जाएगा। जैसे भृंग, कीट को अपने समान बना लेता है, ऐसे आप जी ने मेरे को अपना शिष्य बनाया है। गुरू का शब्द (मन्त्र) विश्वास के साथ गहे (ग्रहण) करे तो उस शिष्य की मनोकामना गुरू पूरी करता है। सतगुरू भक्ति धन का शाह (सेठ) यानि धनी होता है। सेठ से धन लेकर
जो अपना व्यापार बढ़ाता है तो धनी हो जाता है यानि शिष्य गुरू से दीक्षा लेकर मर्यादा में रहकर भक्ति करता है तो मोक्ष प्राप्त कर लेता है। कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान प्रकाश‘‘
के पृष्ठ 61 में गुरू की महिमा बताई है। पढ़ने से आसानी से समझ आती है। अधिक सरलार्थ की आवश्यकता नहीं है।
◆ ज्ञानप्रकाश ◆
सोइ हम सोइ तुम सोइ अनन्ता। कहैं कबीर गुरु पारस सन्ता॥
सन्त चेतु चित सतगुरु ध्याना। कहै कबीर सद्गुरु परमाना॥
सतगुरु शब्द ज्ञान गुरु पुजा। कहैं कबीर लखु मोहनकुंजा॥
कुंज मोहि मोहन ठहरावे। कहै कबीर सोइ सन्त कहावे॥
सन्त कहाय जो सोधे आपू। कहैं कबीर तेहि पुण्य न पापू॥
पुण्य पाप नहिं मान गुमाना। कहैं कबीर सो लोक समाना॥
जिन्दा मुरदा चीन्है जीवा। कहैं कबीर सतगुरु निज पीवा॥
मुरदा जग जिन्दा सतनामा। कहैं कबीर सतगुरु निजधामा।।
यक जग जीते यक जग हारे। कहे कबीर गुरु काज सँवारे॥
◆ धर्मदास वचन
कौन जग जीते कौन जग हारे । कहौ कौन विधि काज सवारे॥
◆ सतगुरू वचन
इन्द्रिन जीते साधुन सो हारे। कहैं कबीर सतगुरु निस्तारे॥
सतगुरु सो सत्यनाम लखावे। सतपुर ले हंसन पहुँचावे॥
सत्यनाम सतगुरु तत भाखा। शब्द ग्रन्थ कथि गुप्तहिं राखा॥
सत्य शब्द गुरु गम पहिचाना। विनु जिभ्या करु अमृत पाना॥
सत्य सुरति अम्मर सुख चीरा । अमी अंकका साजहु वीरा॥
सोहं ओमं जावन वीरू। धर्मदास सो कहे कबीरू॥
धरिहौ गोय कहिहौ जिन काहीं । नाद सुशील लखेडो ताहीं॥
प्रथमहि नाद विन्द तब कीन्हा। मुक्ति पन्थसो नाद गहिचीन्हा॥
नाद सो शब्द पुरुष मुख बानी। गुरुमुख शब्द सो नाद बखानी॥
पुरुष नाद सुत पोडश अहई । नाद पुत्र शिष्यशब्द जो लहई।।
शब्द प्रतीति गहै जो हंसा। शब्द चालु जेहिसे मम बशा॥
शब्द चाल नाद दृढ़ गहहै। यम शिर पगु देइ सो निस्तरई॥
सुमिरण दया सेवा चित धरई । सत्यनाम गहि हंसा तरई॥
भावार्थ :- यह फोटोकॉपी कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान प्रकाश‘‘ के पृष्ठ 62 की है। इसमें सत्यनाम भी लिखा है जो धर्मदास को परमेश्वर कबीर जी ने जाप के लिए दिया था।
यह अपभ्रंश किया है :-
सोहं ओहं जानव बीरू। धर्मदास से कहा कबीरू।।
सत्य शब्द (नाम) गुरू गम पहिचाना। बिन जिभ्या करू अमृत पाना।।
विवेचन :- आप जी ने कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान प्रकाश‘‘ की फोटोकॉपी पढ़ी।
ये प्रमाण के लिए लगाई हैं। भले ही इनमें कुछ मिलावट है, परंतु कुछ सच्चाई भी बची है। इस पृष्ठ पर यह भी स्पष्ट किया है कि नाद पुत्र दो प्रकार के हैं। जैसे सतलोक में सतपुरूष ने सोलह वचनों से सोलह सुत उत्पन्न किए थे। वे नाद पुत्र हैं तथा धर्मदास जी ने परमेश्वर कबीर जी से दीक्षा ली थी तो धर्मदास जी भी नाद पुत्र हुए। इसी प्रकार जो गुरू से दीक्षा
लेता है, वह नाद पुत्र होता है। उसे वचन पुत्र भी कहते हैं। अब आप जी को आत्मा (धर्मदास जी) तथा परमात्मा (कबीर बन्दी छोड़ जी) का यथार्थ संवाद अर्थात् धर्मदास जी को शरण में लेने का यथार्थ प्रकरण सुनाता हूँ।
क्रमशः_______________
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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pradeepdasblog · 8 months
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( #Muktibodh_part200 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part201
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 382-383
◆ज्ञानप्रकाश◆
दोहा - निर्गुण सर्गुण आदिहौ, अविगति अगम अथाह॥
गुप्त भये जग महँ फिरो, को तुव पाये थाह॥
सोरठा - मोहि परचे तुम दीन्ह, ताते चीन्दउँ तोदि प्रभु॥
भये चरण लोलीन, दुचिताई सकलो गयी।।
◆चौपाई
कीट ते भङ्ग मोहि प्रभुकीन्हा। निश्चलरंग आपनो दीन्हा।।
जिमिनिलते जग होय फुलेला। तिमि मोहिं भयोसमर्थपदमेला॥
पारस परसि लोहा जिमिहेमा। तिमि मोहिं भयउनाथव्रतनेमा।।
अगर परसि जिमिभयोसुवासा। जल प्रसंग बसन मल नासा॥
सनपट शुद्ध सूत कहे न कोई। प्रभुगुण लखित शिरनावे लोई॥
हे प्रभु तिमिमाहिं भयउ अनंदा। जिमिचकोरहरहितलखिचंदा॥
जनम मरण भी संशय नाशी। तवपद सुखनिधान सुखराशी॥
हे प्रभु अस शिख दीजै मोही। एको पल न विसारौ तोही॥
◆ सतगुरू वचन
जस मनसा तस आगे आवे। कहै कबीर इजा नहिं पावै॥
धर्मनि गुरुहि दोष देइ प्रानी। आपु करहिनर आपनहानी॥
जो गुरु वचन कहे चित लाई। बयापै नाहिं ताहि दुचिताई।।
जो गुरुचरन शिष्य संयोगा। उपजे ज्ञान न नासै भ्रम रोगा।।
जिमि सौदागर साहु मिलाहीं। पूँजि जोग बहु लाभ बढ़ाहीं॥
सतगुरु साहु सन्त सौदागर। सजीशब्द गुरुयोगा बहुनागर।।
जो गुरु शब्द कहे विश्वासा। गुरु पूरा पुरवहिं आसा।।
बिनु विश्वासा पावे दुखचेला। गहे न निश्चय हृदय गुरुमेला॥
सुत नारी तन मन धन जाई। तन जोरहे न प्रीति हटाई॥
शूरा हंस सोई कहलावै। अग्नि रहे तो शोक न लावे॥
जो विचले तो यम धरि खायी। अड़ा रहे तो निज घर जायी।
भावार्थ :- यह फोटोकॉपी कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान प्रकाश‘‘ के पृष्ठ 60 की है(attach in post)
सत्यलोक तथा परमेश्वर को सत्यलोक में पहचानकर धर्मदास जी ने परमेश्वर कबीर जी का धन्यवाद किया। कहा है कि जैसे पारस पत्थर से स्पर्श होने के पश्चात् लोहा स्वर्ण बन जाता है। ऐसे मेरा जीवन सत्य भक्ति से बहुमूल्य हो गया है। मेरा जन्म-मरण समाप्त हो जाएगा। जैसे भृंग, कीट को अपने समान बना लेता है, ऐसे आप जी ने मेरे को अपना शिष्य बनाया है। गुरू का शब्द (मन्त्र) विश्वास के साथ गहे (ग्रहण) करे तो उस शिष्य की मनोकामना गुरू पूरी करता है। सतगुरू भक्ति धन का शाह (सेठ) यानि धनी होता है। सेठ से धन लेकर
जो अपना व्यापार बढ़ाता है तो धनी हो जाता है यानि शिष्य गुरू से दीक्षा लेकर मर्यादा में रहकर भक्ति करता है तो मोक्ष प्राप्त कर लेता है। कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान प्रकाश‘‘
के पृष्ठ 61 में गुरू की महिमा बताई है। पढ़ने से आसानी से समझ आती है। अधिक सरलार्थ की आवश्यकता नहीं है।
◆ ज्ञानप्रकाश ◆
सोइ हम सोइ तुम सोइ अनन्ता। कहैं कबीर गुरु पारस सन्ता॥
सन्त चेतु चित सतगुरु ध्याना। कहै कबीर सद्गुरु परमाना॥
सतगुरु शब्द ज्ञान गुरु पुजा। कहैं कबीर लखु मोहनकुंजा॥
कुंज मोहि मोहन ठहरावे। कहै कबीर सोइ सन्त कहावे॥
सन्त कहाय जो सोधे आपू। कहैं कबीर तेहि पुण्य न पापू॥
पुण्य पाप नहिं मान गुमाना। कहैं कबीर सो लोक समाना॥
जिन्दा मुरदा चीन्है जीवा। कहैं कबीर सतगुरु निज पीवा॥
मुरदा जग जिन्दा सतनामा। कहैं कबीर सतगुरु निजधामा।।
यक जग जीते यक जग हारे। कहे कबीर गुरु काज सँवारे॥
◆ धर्मदास वचन
कौन जग जीते कौन जग हारे । कहौ कौन विधि काज सवारे॥
◆ सतगुरू वचन
इन्द्रिन जीते साधुन सो हारे। कहैं कबीर सतगुरु निस्तारे॥
सतगुरु सो सत्यनाम लखावे। सतपुर ले हंसन पहुँचावे॥
सत्यनाम सतगुरु तत भाखा। शब्द ग्रन्थ कथि गुप्तहिं राखा॥
सत्य शब्द गुरु गम पहिचाना। विनु जिभ्या करु अमृत पाना॥
सत्य सुरति अम्मर सुख चीरा । अमी अंकका साजहु वीरा॥
सोहं ओमं जावन वीरू। धर्मदास सो कहे कबीरू॥
धरिहौ गोय कहिहौ जिन काहीं । नाद सुशील लखेडो ताहीं॥
प्रथमहि नाद विन्द तब कीन्हा। मुक्ति पन्थसो नाद गहिचीन्हा॥
नाद सो शब्द पुरुष मुख बानी। गुरुमुख शब्द सो नाद बखानी॥
पुरुष नाद सुत पोडश अहई । नाद पुत्र शिष्यशब्द जो लहई।।
शब्द प्रतीति गहै जो हंसा। शब्द चालु जेहिसे मम बशा॥
शब्द चाल नाद दृढ़ गहहै। यम शिर पगु देइ सो निस्तरई॥
सुमिरण दया सेवा चित धरई । सत्यनाम गहि हंसा तरई॥
भावार्थ :- यह फोटोकॉपी कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान प्रकाश‘‘ के पृष्ठ 62 की है। इसमें सत्यनाम भी लिखा है जो धर्मदास को परमेश्वर कबीर जी ने जाप के लिए दिया था।
यह अपभ्रंश किया है :-
सोहं ओहं जानव बीरू। धर्मदास से कहा कबीरू।।
सत्य शब्द (नाम) गुरू गम पहिचाना। बिन जिभ्या करू अमृत पाना।।
विवेचन :- आप जी ने कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान प्रकाश‘‘ की फोटोकॉपी पढ़ी।
ये प्रमाण के लिए लगाई हैं। भले ही इनमें कुछ मिलावट है, परंतु कुछ सच्चाई भी बची है। इस पृष्ठ पर यह भी स्पष्ट किया है कि नाद पुत्र दो प्रकार के हैं। जैसे सतलोक में सतपुरूष ने सोलह वचनों से सोलह सुत उत्पन्न किए थे। वे नाद पुत्र हैं तथा धर्मदास जी ने परमेश्वर कबीर जी से दीक्षा ली थी तो धर्मदास जी भी नाद पुत्र हुए। इसी प्रकार जो गुरू से दीक्षा
लेता है, वह नाद पुत्र होता है। उसे वचन पुत्र भी कहते हैं। अब आप जी को आत्मा (धर्मदास जी) तथा परमात्मा (कबीर बन्दी छोड़ जी) का यथार्थ संवाद अर्थात् धर्मदास जी को शरण में लेने का यथार्थ प्रकरण सुनाता हूँ।
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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astrovastukosh · 8 months
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Guru Pushya Nakshatra yog: वर्षो बाद 5 बेहद अद्भुत शुभ योग 25 January को, ये चीजें खरीदने से आएगी सुख-समृद्धि
Guru Pushya Yog 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार, जनवरी माह की 25 तारीख काफी खास है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस दिन पौष पूर्णिमा होने के साथ-साथ कई अद्भुत योग बन रहे हैं। माना जा रहा है कि ऐसे योग सालों के बाद एक साथ बन रहे हैं। 25 जनवरी को पौष पूर्णिमा के साथ सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि, रवि, प्रीति योग के साथ गुरु पुष्य योग बन रहा है। जहां सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन रहने वाला है। इसके साथ ही रवि योग सुबह 07 बजकर 13 मिनट से 08 बजकर 16 मिनट तक है। इसके साथ ही गुरु पुष्य और अमृत सिद्धि योग सुबह 8 बजकर 16 मिनट से 26 जनवरी को सुबह 7 बजकर 12 मिनट तक है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और चंद्र देव की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन कुछ चीजें लेकर आने से कभी भी व्यक्ति को पैसों की तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है। मित्रों जानते हैं 25 जनवरी 2024 को बनने वाले शुभ योग के विषय में ?
इस दिन सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि योग के साथ-साथ गुरु पुष्य योग भी बन रहा है। मित्रों कुछ गुरु पुष्य योग के बनने में पुष्य नक्षत्र का योगदान क्या और क्यों है?
पुष्य नक्षत्र - सबसे पवित्र नक्षत्र हिंदू धर्मग्रंथों में पुष्य नक्षत्र को सबसे शुभ माना गया है। पुष्य का अर्थ है 'पोषण करना' और इसलिए यह नक्षत्र ऊर्जा और शक्ति प्रदान करता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक लोगों की मदद और सेवा के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। ये जीवन में अपनी मेहनत और काबिलियत से आगे बढ़ने में भी विश्वास रखते हैं। ऐसा कहा जाता है कि धन और समृद्धि की देवी - माँ लक्ष्मी का जन्म इसी शुभ दिन पर हुआ था।
पुष्य नक्षत्र को वैदिक ज्योतिष में सबसे लाभकारी और शक्तिशाली नक्षत्रों में से एक माना जाता है । यह सत्ताईस नक्षत्रों में आठवां नक्षत्र है, और यह कर्क राशि में स्थित है । इस नक्षत्र का प्रतीक गाय का थन है, जो प्रचुरता, पोषण और उर्वरता का प्रतिनिधित्व करता है। पुष्य नक्षत्र का स्वामी ग्रह शनि है और माना जाता है कि यह नक्षत्र में जन्म लेने वालों के लिए अपार धन, समृद्धि और सफलता लाता है। पुष्य नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक का स्वभाव और जीवन: पुष्य नक्षत्र के तहत जन्म लेने वाले लोग स्वभाव से बहुत ही पोषण करने वाले, देखभाल करने वाले और सहायक माने जाते हैं। उनमें अपने परिवार और प्रियजनों के प्रति जिम्मेदारी की गहरी भावना होती है और वे हमेशा उन्हें सर्वोत्तम संभव देखभाल और सहायता प्रदान करने का प्रयास करते हैं। ये व्यक्ति अपनी बुद्धिमत्ता, ज्ञान और कठिन परिस्थितियों को आसानी और शालीनता से संभालने की क्षमता के लिए भी जाने जाते हैं। पुष्य नक्षत्र के देवता बृहस्पति हैं, जिन्हें देवताओं का गुरु माना जाता है। बृहस्पति ज्ञान, बुद्धि और आध्यात्मिकता से जुड़े हैं, और माना जाता है कि इस नक्षत्र के तहत पैदा हुए लोगों में ये गुण प्रचुर मात्रा में होते हैं। उनमें ��ध्यात्मिकता के प्रति स्वाभाविक झुकाव होता है और वे अक्सर आत्म-खोज और आत्म-साक्षात्कार के मार्ग की ओर आकर्षित होते हैं। यदि आपका जन्म 03°20′ से 16°40′ के बीच कर्क राशि में हुआ है, तो आपकी जन्म कुंडली में पुष्य नक्षत्र है । ऐसा माना जाता है कि इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्तियों को जीवन भर सौभाग्य, प्रचुरता और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। यह भी माना जाता है कि उनका अपने परिवार और जड़ों से गहरा संबंध होता है, और उनका अक्सर शिक्षा, वित्त या आध्यात्मिकता से संबंधित क्षेत्रों में एक सफल और संतुष्टिदायक करियर होता है। जब यह नक्षत्र कुंडली में मौजूद होता है तो यह व्यक्ति के लिए सौभाग्य, समृद्धि और खुशहाली लाता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग बुद्धिमत्ता, रचनात्मकता और देखभाल करने वाले स्वभाव से संपन्न होते हैं। वे अपने आध्यात्मिक झुकाव और अपनी जड़ों और परिवार के साथ मजबूत संबंध के लिए भी जाने जाते हैं। जब चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में होता है, तो यह नए उद्यम शुरू करने और आध्यात्मिक गतिविधियां करने के लिए बहुत शुभ समय माना जाता है। पुष्य नक्षत्र में चंद्रमा के साथ जन्म लेने वाले लोग अत्यधिक बुद्धिमान, रचनात्मक और कलात्मक होते हैं। उनमें आध्यात्मिकता के प्रति स्वाभाविक झुकाव होता है और वे अक्सर आत्म-खोज और आत्म-साक्षात्कार के मार्ग की ओर आकर्षित होते हैं। पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि है, जो जीवन के प्रति अपने अनुशासित और व्यावहारिक दृष्टिकोण के लिए जाना जाता है। शनि के प्रभाव में पैदा हुए लोग अत्यधिक अनुशासित, संगठित और मेहनती होते हैं। उनमें सत्यनिष्ठा और ईमानदारी की प्रबल भावना होती है, जो उन्हें व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में अलग पहचान दिलाती है। पुष्य नक्षत्र कुंडली में महत्वपूर्ण स्थान रखता है और इसकी उपस्थिति व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डालती है। जब यह नक्षत्र कुंडली में मौजूद होता है तो यह व्यक्ति के लिए सौभाग्य, समृद्धि और खुशहाली लाता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग बुद्धिमत्ता, रचनात्मकता और देखभाल करने वाले स्वभाव से संपन्न होते हैं। वे अपने आध्यात्मिक झुकाव और अपनी जड़ों और परिवार के साथ मजबूत संबंध के लिए भी जाने जाते हैं।
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newstaak · 4 years
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Bhojpuri: खेसारी लाल यादव के रोमांटिक सॉन्ग का यूट्यूब पर धमाल, प्रीति विश्वास संग खूब जमी जोड़ी खेसारी लाल यादव (Khesari Lal Yadav) के गाने ने मचाई धूम नई दिल्ली: भोजपुरी सिनेमा (Bhojpuri Cinema) के सुपरस्टार खेसारी लाल यादव (Khesari Lal Yadav) भोजपुरी दर्शकों के दिलों पर राज करते हैं.
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jayshrisitaram108 · 2 years
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तुलसी प्रीति प्रतीति, सो राम नाम जप जाग
किए होई बिधि दाहिनो, देइ अभागेही भाग
तुलसीदास कहते हैं की प्रेमसे, विश्वास से रामनाम का जपयज्ञ किया तो विधि भी अनुकूल होती है और अभागी मनुष्य भी भाग्यवान बनता है
श्री राम जय राम जय जय राम🚩📿🙏
श्री राम जय राम जय जय राम🚩🏹🙏
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जरा सी देर में बिखर जाते हैं मोती रिश्तों के, नातों के, विश्वास के, आस के अपनों के सपनों के जो टूटे या उलझे हमारा मन 'मैं' के जाल में,...! फिर रह जाता है जीवन सिर्फ और सिर्फ मलाल में, नहीं बनती वैसी ही माला फिर किसी हाल में! हाँ! जरूरी है बचना अहम और वहम से कहीं फंस न जाएं इसके जंजाल में,...! डॉ प्रीति समकित सुराना https://www.instagram.com/p/CGfla-sHmhX/?igshid=ungr4ej7nfcp
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trendingwatch · 2 years
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लिज़ ट्रस के यूके कैबिनेट में सुएला ब्रेवरमैन केवल भारतीय मूल की सांसद हो सकती हैं
लिज़ ट्रस के यूके कैबिनेट में सुएला ब्रेवरमैन केवल भारतीय मूल की सांसद हो सकती हैं
द्वारा पीटीआई लंदन: भारतीय मूल की सुएला ब्रेवरमैन के नए मंत्रिमंडल में भारतीय विरासत की एकमात्र ब्रिटिश राजनेता होने की संभावना है, अगर ब्रिटेन के मीडिया की अटकलों पर विश्वास किया जाए कि विदेश सचिव लिज़ ट्रस, कंजरवेटिव पार्टी के नेता और ब्रिटिश चुने जाने के लिए ऋषि सनक को हराने के लिए निश्चित हैं। सोमवार को प्रधानमंत्री। कहा जाता है कि 47 वर्षीय ट्रस अपनी शीर्ष टीम में शामिल हैं और प्रीति पटेल को…
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श्री वेंक्टेश्वरा विश्वविद्यालय/संस्थान में अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस पर “वृहृद योग शिविर”।
आजादी के 75वें अमृत महोत्सव में सात हजार पाँच सौ (7500) लोगो ने एक साथ योग कर शानदार तरीके से मनाया “योग उत्सव-2022”।
प्राचीनकाल से ही योग भारत की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहर, आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने इसको विश्व पटल पर स्थापित करने का काम किया- डॉ सुधीर गिरि, चेयरमैन, वेंक्टेश्वरा समूह।
विश्व विख्यात हठयोगी स्वामी जीतानन्द महाराज, कृषिमंत्री नरेन्द्र तोमर के पुत्र एवं भारतीय हॉकी फेडरेशन के उपाध्यश श्री देवेन्द्र प्रताप तोमर, अन्तरराष्ट्रीय योगा ट्रेनर यूरोप की फिलिपा गूम्स वियना, वरिष्ठ आईपीएस एवं हरियाणा के डीजी पुलिस कारपोरेशन डॉ आरसी मिश्रा, योग गुरू डॉ एनए शाह, आयुष मंत्रालय के श्री आनन्द वर्धन समेत देश विदेश के तमाम दिग्गज हस्तियो ने संस्थान के ध्यानचन्द खेल परिसर में किया योग शिविर में प्रतिभाग।
शीर्ष आधकारियों एवं विश्वविद्यालय प्रशासन की मौजूदगी में विश्वविद्यालय के योग विभाग की छात्रा “प्रीति पाल” ने 59 मिनट 23 सेकन्ड तक शीर्षासन कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड के लिए ंिकया दावा पेश।
आज राष्ट्रीय राजमार्ग बाईपास स्थित श्री वेंक्टेश्वरा विश्वविद्यालय/संस्थान में अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस पर “वृहृद/विशाल योग शिविर” का अयोजन किया गया, जिसमें देश/विदेश के विख्यात योगाचार्यो/योग गुरूओ प्रशासनिक अधिकारियों राजनयिको के साथ गजरौला एवं मेरठ परिसर के साढे सात हजार छात्र-छात्राओ ने प्रतिभाग कर आजादी के 75वें अमृत महोत्सव को इस शानदार योगउत्सव द्वारा यादगार बना दिया।
श्री वेंक्टेश्वरा विश्वविद्यालय/संस्थान के मेजर ध्यानचन्द मुख्य खेल परिसर में आयोजित अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस पर आयोजित ’’वृहृद योग उत्सव-2022’’ का शुभारम्भ प्रातः 07ः00 बजे समूह चेयरमैन डॉ सुधीर गिरि, मुख्य अतिथि एंव भारतीय हॉकी महासंघ के अध्यश श्री देवेन्द्र प्रताप तोमर, विश्व विख्यात हठयोगी स्वामी जीतानन्द महाराज, प्रतिकुलाधिपति डॉ राजीव त्यागी, कुलपति पीके भारती, यूरोप की विख्यात अन्तरराष्ट्रीय योगा प्रशिक्षिका फिलिपा गूम्स वियना, श्री शिव कुमार गिरि, श्री अमित गिरि, श्री प्रमोद कौशिक, श्री राकेश जैन, बजरंगलाल गुप्ता आदि ने सरस्वती माँ की प्रतिमा के सन्मुख दीप प्रज्जवलित करके किया।
इसके पश्चात विख्यात हठयोगी स्वामी जीतानन्द जी महाराज, योग गुरू डॉ एनए शाह, यूरोप से आयी योग प्रशिक्षिका फिलिपा गूम्स वियना, आयुष मंत्रालय के डॉ आनन्द वर्धन आदि ने ऐसी अद्भुत योग क्रियाओ एवं योग साधनाओ का प्रदर्शन किया तो लोग दांतो तले उंगलिया दबाने को मजबूर हो गये। इसके साथ ही विश्वविद्यालय के योगा विभाग की छात्रा प्रीति पाल ने 59 मिनट 23 सेकेन्ड रिकार्ड शार्षसन कर “गिनीज बुक” के लिए अपना दावा पेश किया।
इस अवसर पर कुलसचिव डॉ पीयूष पाण्डेय, निदेशक एकेडमिक डॉ राकेश यादव, मेरठ परिसर से डॉ प्रभात श्रीवास्तव, डॉ प्रताप सिंह, अलका ंिसंह, अंजलि शर्मा, डॉ राजेश सिंह, डॉ सीपी कुशवाहा, डॉ एना ब्राउन, डॉ मोहित शर्मा, प्रदीप शर्मा, मारूफ चौधरी, डॉ विवेक सचान, अरूण गोस्वामी, एसएस बघेल, गुरूदयाल सिंह, जमुना प्रसाद सिंह, डॉ अनिल जयसवाल, प्रीतपाल, संजीव राजपूत, नीरज गिरि, विश्वास राणा आदि लोग उपस्थित रहे।  बहुत ही शानदार न्यूज़ के लिए टीम मीडिया का हार्दिक आभार। धन्यवाद डॉ राजीव त्यागी प्रति कुलाधिपति श्री वेंकटेश्वरा विश्वविद्यालय मेरठ/ गजरौला उत्तर प्रदेश। 🙏
#InternationalYogaDay2022 #YogaDay #StayHealthy #SVUGajraula #UttarPradesh #India
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jyotis-things · 8 months
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( #Muktibodh_part195 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part196
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 373-374
‘‘धर्मदास जी को प्रथम नाम दीक्षा देना’’
(ज्ञान प्रकाश पृष्ठ 30)
◆धर्मदास वचन
हे साहब मैं तब पग सिर धरऊँ।
तुम्हते कछु दुविधा नहिं करऊँ।।
अब मोहि चिन्हि परी यमबाजी।
तुम्हते भयउ मोरमन राजी।।
मोरे हृदय प्रीति अस आई।
तुम्हते होइहै जिव मुक्ताई।।
तुमहीं सत्यकबीर हौ स्वामी।
कृपा करहु तुम अन्तर्यामी।।
हे प्रभु देहु प्रवाना मोही।
यम तृण तोरि भजौ मैं तोही।।
मोरे नहीं अवर सो कामा।
निसिदिन सुमिरों सद्गुरू नामा।।
पीतर पात्थर देव बहायी।
सद्गुरू भक्ति करूँ चितलायी।।
अरपौं शीस सर्वस सब तोहीं।
हे प्रभु यमते छोड़ावहु मोही।।
सन्तन्ह सेवाप्रीति सों करिहौं।
वचन शिखापन निश्चय धरिहौं।।
जो तुम्ह कहो करब हम सोई।
हे प्रभु दुतिया कबहुँ नहिं होई।।
◆जिन्दा वचन
सुनु धर्मनि अब तोहीं मुक्ताओ।
निश्चय यमसों तोहि बचाओं।।
देइ परवाना हंस उबारों।
जनम मरण दुख दारूण टारों।।
ले प्रवाना जो करै प्रतीती।
जिन्दा कहै चले यम जीती।।
अब मोहि आज्ञा देहु धर्मदासा।
हम गवनहि सद्गुरू के पासा।।
सद्गुरू संग आइब तव पाहीं।
तब परवाना तोहि मिलाहीं।।
◆ धर्मदास वचन
हे प्रभु अब तोहि जाने न दैहौं।
नहिं आवो तो मैं पछितैहौं।।
पछताइ पछताइ बहु दुख पैहौं।
नहिं आवहुतो प्राण गवैहौं।।
हाथ के रतन खोइ कोइ डारै।
सो मूरख निजकाज विगारै।।
विशेष :- कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान प्रकाश‘‘ के पृष्ठ 31 से 35 में भले ही
मिलावट है, परंतु अन्य पृष्ठों पर सच्चाई भी कमाल की है। जो आरती चौंका की सामग्री है, वह मिलावटी है। कुछ शब्दों का भी फेरबदल किया हुआ है। आप जी को सत्य ज्ञान इसी
विषय में इसी पुस्तक के पृष्ठ 384 पर पढ़ने को मिलेगा जिसका शीर्षक (Heading) है।
‘‘किस-किसको मिला परमात्मा‘‘। कबीर सागर के ये पृष्ठ नम्बर पाठकों को विश्वास दिलाने के लिए बताए हैं ताकि आप कबीर सागर में देखकर मुझ दास (लेखक) द्वारा बताए
ज्ञान को सत्य मानें।
विचार करें :- ज्ञान प्रकाश में धर्मदास जी का प्रकरण पृष्ठ 35 के पश्चात् पृष्ठ 50 से जुड़ता (स्पदा होता) है। पृष्ठ 36 से 49 तक सर्वानन्द का प्रकरण गलत लिखा है। उस समय तक तो सर्वानन्द से परमात्मा कबीर जी मिले भी नहीं थे।
विचार :- कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान प्रकाश‘‘ पृष्ठ 31 से 35 तथा 50 से 51 पर परमेश्वर कबीर जी ने धर्मदास जी की परीक्षा लेने के उद्देश्य से कहा कि मैं तेरे को गुरूपद प्रदान करूँगा। आप उसको दीक्षा देना जो आपको सवा लाख रूपये गुरू दक्षिणा के चढ़ाए।
परमेश्वर कबीर जी को पता था कि धर्मदास व्यापारी व्यक्ति है, कहीं नाम दीक्षा को व्यापार न बना ले। परंतु धर्मदास जी विवेकशील थे। भगवान प्राप्त करने के लिए समर्पित थे।
धर्मदास जी ने कहा कि प्रभु! जिसके पास सवा लाख रूपये (वर्तमान के सवा करोड़ रूपये) नहीं होंगे, वह तो काल का आहार ही रहेगा अर्थात् उसकी मुक्ति नहीं हो सकेगी। हे परमेश्वर! कुछ थोड़े करो। करते-कराते अंत में मुफ्त दीक्षा देने का वचन ले लिया। फिर जिसकी जैसी श्रद्धा हो, वैसा दान अवश्य करे। इस प्रकरण में पृष्ठ 51-53 पर कबीर पंथियों ने कुछ अपने मतलब की वाणी बनाकर लिखी हैं जो कहा है कि सवा सेर मिठाई आदि-आदि। यह भावार्थ पृष्ठ 51-53 का है।
क्रमशः_______________
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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pradeepdasblog · 8 months
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हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 373-374
‘‘धर्मदास जी को प्रथम नाम दीक्षा देना’’
(ज्ञान प्रकाश पृष्ठ 30)
◆धर्मदास वचन
हे साहब मैं तब पग सिर धरऊँ।
तुम्हते कछु दुविधा नहिं करऊँ।।
अब मोहि चिन्हि परी यमबाजी।
तुम्हते भयउ मोरमन राजी।।
मोरे हृदय प्रीति अस आई।
तुम्हते होइहै जिव मुक्ताई।।
तुमहीं सत्यकबीर हौ स्वामी।
कृपा करहु तुम अन्तर्यामी।।
हे प्रभु देहु प्रवाना मोही।
यम तृण तोरि भजौ मैं तोही।।
मोरे नहीं अवर सो कामा।
निसिदिन सुमिरों सद्गुरू नामा।।
पीतर पात्थर देव बहायी।
सद्गुरू भक्ति करूँ चितलायी।।
अरपौं शीस सर्वस सब तोहीं।
हे प्रभु यमते छोड़ावहु मोही।।
सन्तन्ह सेवाप्रीति सों करिहौं।
वचन शिखापन निश्चय धरिहौं।।
जो तुम्ह कहो करब हम सोई।
हे प्रभु दुतिया कबहुँ नहिं होई।।
◆जिन्दा वचन
सुनु धर्मनि अब तोहीं मुक्ताओ।
निश्चय यमसों तोहि बचाओं।।
देइ परवाना हंस उबारों।
जनम मरण दुख दारूण टारों।।
ले प्रवाना जो करै प्रतीती।
जिन्दा कहै चले यम जीती।।
अब मोहि आज्ञा देहु धर्मदासा।
हम गवनहि सद्गुरू के पासा।।
सद्गुरू संग आइब तव पाहीं।
तब परवाना तोहि मिलाहीं।।
◆ धर्मदास वचन
हे प्रभु अब तोहि जाने न दैहौं।
नहिं आवो तो मैं पछितैहौं।।
पछताइ पछताइ बहु दुख पैहौं।
नहिं आवहुतो प्राण गवैहौं।।
हाथ के रतन खोइ कोइ डारै।
सो मूरख निजकाज विगारै।।
विशेष :- कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान प्रकाश‘‘ के पृष्ठ 31 से 35 में भले ही
मिलावट है, परंतु अन्य पृष्ठों पर सच्चाई भी कमाल की है। जो आरती चौंका की सामग्री है, वह मिलावटी है। कुछ शब्दों का भी फेरबदल किया हुआ है। आप जी को सत्य ज्ञान इसी
विषय में इसी पुस्तक के पृष्ठ 384 पर पढ़ने को मिलेगा जिसका शीर्षक (Heading) है।
‘‘किस-किसको मिला परमात्मा‘‘। कबीर सागर के ये पृष्ठ नम्बर पाठकों को विश्वास दिलाने के लिए बताए हैं ताकि आप कबीर सागर में देखकर मुझ दास (लेखक) द्वारा बताए
ज्ञान को सत्य मानें।
विचार करें :- ज्ञान प्रकाश में धर्मदास जी का प्रकरण पृष्ठ 35 के पश्चात् पृष्ठ 50 से जुड़ता (स्पदा होता) है। पृष्ठ 36 से 49 तक सर्वानन्द का प्रकरण गलत लिखा है। उस समय तक तो सर्वानन्द से परमात्मा कबीर जी मिले भी नहीं थे।
विचार :- कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान प्रकाश‘‘ पृष्ठ 31 से 35 तथा 50 से 51 पर परमेश्वर कबीर जी ने धर्मदास जी की परीक्षा लेने के उद्देश्य से कहा कि मैं तेरे को गुरूपद प्रदान करूँगा। आप उसको दीक्षा देना जो आपको सवा लाख रूपये गुरू दक्षिणा के चढ़ाए।
परमेश्वर कबीर जी को पता था कि धर्मदास व्यापारी व्यक्ति है, कहीं नाम दीक्षा को व्यापार न बना ले। परंतु धर्मदास जी विवेकशील थे। भगवान प्राप्त करने के लिए समर्पित थे।
धर्मदास जी ने कहा कि प्रभु! जिसके पास सवा लाख रूपये (वर्तमान के सवा करोड़ रूपये) नहीं होंगे, वह तो काल का आहार ही रहेगा अर्थात् उसकी मुक्ति नहीं हो सकेगी। हे परमेश्वर! कुछ थोड़े करो। करते-कराते अंत में मुफ्त दीक्षा देने का वचन ले लिया। फिर जिसकी जैसी श्रद्धा हो, वैसा दान अवश्य करे। इस प्रकरण में पृष्ठ 51-53 पर कबीर पंथियों ने कुछ अपने मतलब की वाणी बनाकर लिखी हैं जो कहा है कि सवा सेर मिठाई आदि-आदि। यह भावार्थ पृष्ठ 51-53 का है।
क्रमशः_______________
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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insolubleworld · 3 years
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प्रीति जिंटा ने 2021 को 'विशेष' कहा क्योंकि यह वह वर्ष है जब वह अपने जुड़वा बच्चों की मां बनी- जय और जिया - टाइम्स ऑफ इंडिया
प्रीति जिंटा ने 2021 को ‘विशेष’ कहा क्योंकि यह वह वर्ष है जब वह अपने जुड़वा बच्चों की मां बनी- जय और जिया – टाइम्स ऑफ इंडिया
प्रीति जिंटा ने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर अपने पति जीन गुडएनफ और उनके दोस्तों के साथ क्रिसमस गेट टूगेदर की कई पुरानी तस्वीरें साझा की हैं। हरे रंग के टर्टल नेक टॉप में प्रीति बेहद खूबसूरत लग रही हैं। वह अपने पति और उनके दोस्तों के साथ नासमझ तस्वीरों के लिए पोज देती हुई देखी जा सकती हैं। पोस्ट को कैप्शन दिया गया, ”विश्वास नहीं हो रहा है कि 2021 लगभग खत्म हो गया है… यह साल कहां गया? मैं…
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jainyupdates · 3 years
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कहा मानले ओ मेरे भैया - Jain Bhajan Lyrics
कहा मानले ओ मेरे भैया – Jain Bhajan Lyrics
कहा मानले ओ मेरे भैया, भव भव डुलने में क्या सार है तू बनजा बने तो परमात्मा,तेरी आत्मा की शक्ति अपार है ॥   भोग बुरे हैं त्याग सजन ये, विपद करें और नरक धरें ध्यान ही है एक नाव सजन जो, इधर तिरें और उधर वरें झूँठी प्रीति में तेरी ही हार है,वाणी गणधरकी ये हितकार है ॥   लोभ पाप का बाप सजन क्यों राग करे दु:खभार भरे ज्ञान कसौटी परख सजन मत छलियों का विश्वास करे ठग आठों की यहाँ भरमार है, इन्हें…
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