#पूरी तरह से ज्योतिष
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राहु की महादशा को शांत करने के उपाय क्या हैं?
राहु की महादशा में शांति के लिए कुछ उपाय हो सकते हैं, लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि ज्योतिष के अनुसार, उपाय केवल उसके परिणामों को कम करने या संवारने में सहायक होते हैं, वे उसे पूरी तरह से समाप्त नहीं कर सकते। यहां कुछ आम उपाय दिए जा रहे हैं जो राहु की महादशा में शांति के लिए किये जा सकते हैं:
ग्रह शांति पूजा: राहु की महादशा में ग्रह शांति पूजा करने से लाभ हो सकता है। इसमें गुरुवार को राहु को ध्यान में रखकर पूजा करना शामिल हो सकता है।
मंत्र जप: "ॐ राहवे नमः" मंत्र का जाप करने से राहु की महादशा में शांति मिल सकती है।
दान और दान विधि: राहु के उपाय में दान भी एक प्रमुख उपाय है। कुछ लोग राहु के उपाय के रूप में काले कपड़े, सरसों का तेल, खिचड़ी, उड़द की दाल, तिल, नीला वस्त्र, विजा दान, अनाज, चना आदि के दान करते हैं।
पथ पूजा: शनिवार को राहु की महादशा में पथ पूजा करना भी उपयोगी हो सकता है।
ध्यान और प्रार्थना: ��च्छे और सकारात्मक भावनाओं के साथ राहु के उपाय करना भी महत्वपूर्ण है। ध्यान और प्रार्थना द्वारा राहु के दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है।
कृपया ध्यान दें कि ये उपाय अनुभव और ग्रहों के स्थितियों के आधार पर व्यक्ति के अनुकूल होने चाहिए। जिसके लिए आप थे theKundli.com का प्रयोग कर सकते है। जो आपको एक सही कुंडली की जानकारी दे सकता है. और अगर आपको इसके उपाए की जानकारी चाहिए। तो आप टोना टोटक सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर सकते है।
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Shaadi mein aa rahi hai Talaak ki naubat? to Teej ke shubh prabhav se door hogi samasya
तीज का पर्व सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद माना जाता है. धर्म शास्त्रों के अनुसार पौराणिक काल से ही दांपत्य जीवन की समस्याओं को दूर करने के लिए तीज व्रत का पालन एवं इस दिन होने वाले अनुष्ठानों को किया जाता रहा है और आज भी इस पर्व की महत्ता विशेष है. जो विवाह जीवन में आने वाली हर प्रकार की समस्याओं से मुक्ति दिलाने वाली होती है. तीज एक ऎसा मांगलिक उत्सव है जो वैवाहिक जीवन में जोड़ों के मध्य रिश्ते को मजबूत करता है.
विवाह एक ऎसा रिश्ता है जिसे सात जन्मों का साथ माना गया है. लेकिन कई बार जीवन में कुछ ऎसे पड़ाव आते चले जाते हैं जिनके कारण वैवाहिक जीवन में लगातार झगड़े और आ��सी अनबन इतनी बढ़ जाती है कि एक छत के नीचे रह पाना दोनों के लिए ही बहुत मुश्किल होता है तब ऎसे में जीवन में आए इस संकट से बचने के लिए अगर कुछ कार्यों को कर लिया जाए तो इस परेशानी से बचाव भी संभव है. इन सभी परेशानियों को दूर करने में तीज का उत्सव सुखद कदमों की आहट को सुनाता है.
कुंडली में तलाक के कारण
समाज में होने वाले बदलावों के साथ हमारे जीवन में भी कई ऎसे बदलाव होते हैं जिसके कारण आज के समय वैवाहिक जीवन में आपसी संबंध भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाए हैं. शादी विवाह में अगर तलाक या अलगाव जैसी परेशानियां जब रिश्ते में आने लगती हैं तो यह एक बेहद ही कठोर और चिंता देने वाला समय बन जाता है. तलाक या शादी में अलगाव की स्थिति किसी भी कारण से उभर सकती है.
इसमें आपसी मतभेद, अपनी-अपनी जीवन शैली, विचार, रहन सहन, परिवार जनों का हस्तक्षेप, पार्ट्नर की गलत आदतें जैसी बातें कई छोटी या बड़ी बातें शामिल हो सकती हैं. यह बातें तलाक और अलगाव के लिए जिम्मेदार हो सकती है. तलाक की वजह चाहे कोई भी हो लेकिन इसका रहस्य जन्म कुंडली में ही छिपा होता है और जिसे सुलझा कर हम इस तरह की समस्या से दूर रहते हुए सुखी वैवाहिक जीवन जी सकते हैं.
वैवाहिक जीवन की समस्याओं को ज्योतिष से पहचानें
विवाह में तलाक जैसी स्थिति आखिर किन कारणों से उभरी इसके लिए जन्म कुंडली की जांच करना जरूरी है. इस के अलावा दोनों लोगों के मध्य एक ऎसे व्यक्ति का होना भी जरुरी है जो निष्पक्ष रूप से दोनों का साथ देने वाला हो, एक योग्य ज्योतिषी इस भूमिका में सबसे अधिक उपयुक्त व्यक्ति होता है क्योंकि वह जानता है कि कुंडली में वो कौन से योग बने, और कौन सी दशा गोचर की स्थिति ऐसी बन रही है की अलगाव तलाक तक पहुंच सकता है.
इन बातों को जान समझ कर तलाक और अलगाव होने को रोक पाना संभव होता है. लेकिन अगर दोनों लोगों की रजामंदी इस तरह से नहीं मिल पाती है तब उस स्थिति में अकेला साथी भी ज्योतिष द्वारा बताई गई सलाह और उपायों से अपने टूटते घर को बचा सकता है. इसी में विशेष भूमिका आती है हमारे द्वारा किए जाने वाले उन खास उपायों की जो हम स्वयं भी अगर कर लेते हैं तो रिश्ते को तलाक और अलगाव जैसी परिस्थिति से अपने जीवन को बचाया जा सकता है.
सावन तीज के दिन पूजा एवं अनुष्ठान रोक सकते हैं वैवाहिक जीवन का तनाव
तीज का पर्व इसी में एक विशेष उपाय है जो जीवन की इन उलझनों को दूर करने में बहुत सहायक होता है. यह न केवल रिश्ते को टूटने से बचाता है बल्कि ऎसे रिश्ते देता है जो जीवन भर साथ निभाते हैं. इसी कारण कुंवारी कन्याएं जब “योग्य वर” की कामना करती हैं तो उनके लिए तीज का दिन बेहद विशेष होता है.
तीज का पर्व है देवी पार्वती और महादेव के प्रेम विवाह का गवाह
शिव पुराण एवं अन्य कथाओं में इस बात का उल्लेख प्राप्त होता है की जब माता पार्वती ने अपने विवाह के लिए योग्य वर के रूप में भगवान शिव को पति बनाने की कामना रखी तब उनकी तपस्या और उनकी कठोर व्रत साथना में तीज व्रत का दिन भी गवाह बना. सावन माह की तृतीया तिथि के दिन ही महादेव ने देवी पार्वती को अपनी जीवन संगिनी बनने का वचन दिया था. इसी कारण से जो भी कन्या अपने लिए मनपसंद वर की इच्छा रखती है वह तीज के दिन यदि देवी पार्वती और महादेव का विधि विधान के साथ पूजन करती हैं तो उनकी कामना जरूर पूरी होती है.
तीज की पूजा का फल व्यक्ति को तभी प्राप्त होता है जब सभी नियमों का पालन करते हुए पूजन किया जाए. सावन तीज पर अगर सही तरह से उचित रूप में एक योग्य ज्योतिषी के सहयोग द्वारा पूजा अनुष्ठानों के कार्यों को किया जाता है तो वैवाहिक जीवन में आने वाली हर प्रकार की संभावित परेशानियों से बचा जा सकता है.
Source Url: https://medium.com/@latemarriage/shaadi-mein-aa-rahi-hai-talaak-ki-naubat-to-teej-ke-shubh-prabhav-se-door-hogi-samasya-a169b338b41a
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कुंडली में आंशिक काल सर्प दोष होने से जीवन में क्या दुष्प्रभाव होते है ?
काल सर्प दोष ज्योतिष में एक ऐसी स्थिति है जब सभी मुख्य ग्रह (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, और शनि) राहु और केतु के बीच में स्थित होते हैं। जब यह स्थिति पूरी तरह से नहीं बन पाती, अर्थात् कुछ ग्रह राहु और केतु के मध्य में होते हैं और कुछ बाहर होते हैं, तो इसे आंशिक काल सर्प दोष कहा जाता है। इसके जीवन पर कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जैसे कि:
अस्थिरता: व्यक्ति को जीवन में आर्थिक, पारिवारिक, और पेशेवर मामलों में अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है।
मानसिक तनाव: आंशिक काल सर्प दोष ��ाले लोग अक्सर उच्च स्तर के तनाव और चिंता का अनुभव कर सकते हैं।
संबंधों में समस्याएं: इस दोष के कारण वैवाहिक और पारिवारिक संबंधों में समस्याएँ आ सकती हैं।
करियर में बाधाएं: पेशेवर जीवन में उन्नति में बाधाएं और अवरोध पैदा हो सकते हैं।
स्वास्थ्य समस्याएं: शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं, खासकर अगर कुंडली में अन्य दोष भी हों।
सामाजिक और वित्तीय चुनौतियां: व्यक्ति को सामाजिक स्तर पर और वित्तीय रूप से चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
इन दुष्प्रभावों का मुकाबला करने के लिए विशेष ज्योतिषीय उपाय किए जा सकते हैं, जैसे कि विशेष पूजा, यज्ञ, मंत्र जाप, रत्न धारण करना, और दान आदि। यह सभी उपाय व्यक्ति की कुंडली के विशेष विश्लेषण पर आधारित होते हैं, इसके लिए आप कुंडली चक्र २०२२ प्रोफेशनल सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर सकते है।
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श्री विपिन खुटैल ने दिल्ली में भारत के शीर्ष गुप्त विज्ञान के उत्साही लोगों को संबोधित किया
श्री विपिन खुटैल ने दिल्ली में भारत के शीर्ष गुप्त विज्ञान के उत्साही लोगों को संबोधित किया
भारत के शीर्ष गुप्त विज्ञान के उत्साही नई दिल्ली में आयोजित अज्ञातOnSearch— पुरस्कार और संगोष्ठी में एकत्रित हुए
28 फरवरी, 2023 को, नई दिल्ली ने संविधान क्लब ऑफ इंडिया में राजेन विजय बब्बुता , अंजली कपूर धमेजा , नेहा भट्ट सूरी द्वारा आयोजित एक अनोखे कार्यक्रम #अज्ञात OnSearch— पुरस्कार और संगोष्ठी की मेजबानी की।
यह संगोष्ठी, जिसका उद्देश्य गुप्त विज्ञान और अध्ययन के विभिन्न पहलुओं को बढ़ावा देना और चर्चा करना था, को भारत के प्रमुख डिजिटल मार्केटिंग विशेषज्ञ और प्रशिक्षक, “बीइंग टॉपर” के संस्थापक विपिन खुटेल द्वारा समर्थित किया गया था।
कार्यक्रम को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर आयोजित किया गया था, जिसे जानबूझकर दुनिया को यह संदेश देने के लिए चुना गया था कि गुप्त अभ्यास पूरी तरह से वैज्ञानिक आधारित हैं, और यह कि सभी पश्चिमी प्रथाओं की जड़ें भारत के वैदिक काल में हैं, जिन्हें पश्चिम द्वारा विपणन किया गया था, जबकि भारतीय प्रथाओं को जानबूझकर झूठे प्रचार द्वारा घृणा के स्तर तक बदनाम किया गया था, जैसा कि श्री विपिन खुटेल ने बताया।
श्री विपिन खुटैल भारत के एक प्रसिद्ध डिजिटल मार्केटर और उद्यमी हैं। सामाजिक कारणों और सकारात्मक बदलाव को बढ़ावा देने के प्रति जुनून के साथ, उन्होंने उद्योग में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में खुद को स्थापित किया है। अपनी पहल और कार्यक्रमों के माध्यम से, श्री विपिन खुटैल सामाजिक सुधार की दिशा में काम करने वाले व्यक्तियों को मान्यता और उत्सव के अवसर बनाना जारी रखते हैं।
भारत का संविधान सभागार तालियों से गूँझ उठा जब एक युवा नेता विपिन खुटेल ने सना��न के पक्ष में हूंकार भरी
“शास्त्रों की शक्तियों पर खोज- अनुसंधान का,
अज्ञात on Search एक विषय है विज्ञान का।
भारतीय ज्ञान-विज्ञान को बदनाम यूँ किया गया, अंधविश्वास, पाखंड, कभी रहस्य नाम दिया गया।
ज्योतिष, अंक शास्त्र, ये सब भारतीय विधाएं हैं,
विज्ञान का अति प्रखर रूप, ये अपने में समाए हैं।
जरूरत है बस, इन्हें फिर से जगाने की,
भारतीय यह ज्ञान, सारी दुनिया में फैलाने की।
आ गया अब समय, प्राचीन ज्ञान को जगाने का, शास्त्रों की अद्भुत शक्तियों से दुनिया को हिलाने का।”
इन शब्दों के साथ श्री विपिन खुटेल के उस एतिहासिक भाषड़ की सुरुआत हुई आइए पढ़ते सम्पूर्ण भाषड़ जिसने युवा पीढ़ी को नयी दिशा दी
उन्होंने कहा : “ मैं, विपिन कुटैल, फाउंडर- बीइंग टॉपर इंस्टिट्यूट, आज कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम, अज्ञानOnSearch-23 में आप सभी गरिमामय एवं गणमान्य अतिथियों का स्वागत करता हूं तथा आप सभी आदरणीयों को यह आश्वस्त करता हूं कि आज का यह कार्यक्रम एक अति विशेष कार्यक्रम होने जा रहा है। आज के इस कार्यक्रम की दर्शक-दीर्घा, कोई आम दर्शक दीर्घा नहीं है। आज, यहाँ सभी अति विशिष्ट व्यक्तित्व इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पधारे हैं। बेहद नामी-गिरामी, उच्च पदों पर आसीन, विलक्षण प्रतिभाएं आज हमारे साथ इस कार्यक्रम का हिस्सा हैं, इसके लिए हम सब स्वयं को गौरवांवित महसूस करते हुए एक बार सभी की विशेष उपस्थिति के लिए करतल ध्वनि से स्वागत करते हैं।
इस कार्यक्रम के शीर्षक में हमने हिंदी को अंग्रेजी से पहले वरीयता दी है, इसके पीछे भी यह विशेष कारण है कि आज का यह कार्यक्रम देश-गर्व का एक कार्यक्रम बन सके। आज के इस विशेष कार्यक्रम में हम जानेंगे कि भारतीय शास्त्रों में छिपे गूढ़ ज्ञान-विज्ञान को पाश्चात्य सभ्यता का अनुकरण करने वालों ने किस प्रकार पाखंड व अंधविश्वास का नाम देकर दरकिनार कर दिया और किस प्रकार वैज्ञानिकता एवं विज्ञान के प्रचार-प्रसार का सारा श्रेय, पश्चिमी देशों ने हमसे छीन लिया। भारत, एक ऐसा देश जो सदा से ही विश्वगुरु कहलाता आया है, एक ऐसा देश जहां सभ्यता सबसे पहले पनपी, एक ऐसा देश जहां रामायण और महाभारत काल में भी विज्ञान अपने सर्वोत्तम शिखर पर था और इस बात के बहुत से साक्ष्य और सबूत हमें आज भी पुरातत्व-विभाग के माध्यम से मिलते रहते हैं। ऐसे में भारत के शास्त्रों में वर्णित गूढ़ ज्ञान-विज्ञान के गहन विषयों जैसे कि ज्योतिष, अंक शास्त्र, नाड़ी विज्ञान, रहस्�� शास्त्र आदि को हम भला किस प्रकार पाखंड का दर्जा दे सकते हैं ??? जबकि यह स्वयं में विज्ञान का चरम रूप हैं। यह भारतीय वैज्ञानिकों की प्रकांडता, उच्चकोटि की उनकी दूरदर्शिता व विलक्षण प्रतिभा का प्रतीक ही है कि भारतीय ज्योतिष विज्ञान एक बालक के जन्म के समय पर या उससे भी कहीं पहले, उसके भावी जीवन में होने वाली समस्त महत्वपूर्ण घटनाओं को पूरे विस्तार के साथ वर्णित करने की क्षमता रखता है, यह विज्ञान का सर्वोत्तम रूप नहीं तो और क्या है? दक्षिण भारत में प्रचलित नाड़ी ज्योतिष विज्ञान केवल किसी व्यक्ति के अंगूठे के चिह्न भर के माध्यम से उसके जीवन से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण घटनाओं का लेखा-जोखा ज्यों का त्यों प्रस्तुत कर देता है, यह भारतीय विज्ञान का अद्भुत रूप नहीं तो और क्या है? पाश्चात्य देशों का विज्ञान यहाँ तक अभी पहुंच ही नहीं पाया है और जिसे वे समझ नहीं पाते, उसे वे पाखंड का नाम दे देते हैं।
तो आज का यह कार्यक्रम इसी शोध की श्रृंखला में एक कदम है ताकि हम भारतीय शास्त्रों में वर्णित ज्ञान- विज्ञान को पूरे विश्व में स्थापित कर सकें और आज ‘राष्ट्रीय विज्ञान दिवस’ पर पूरे विश्व को एक संदेश दे सकें कि भारत बाकी सभी क्षेत्रों की तरह विज्ञान के क्षेत्र में भी दुनिया का एक अग्रणी देश तबसे है, जब दुनिया के बाकी देशों में विज्ञान का सूर्योदय हुआ भी नहीं था।
तो आप सभी से मेरा अनुरोध है कि आज के इस विशेष कार्यक्रम को और अधिक विशेष बनाने के लिए हम सब इस कार्यक्रम एवं विषय की गंभीरता को समझते हुए ही अपने आख्यान यहाँ प्रस्तुत करें और साथ ही यह भी ध्यान रखें कि आज हम सभी के सामने सामान्य दर्शक नहीं हैं, हम सभी को सुनने के लिए सभी बेहद विशिष्ट व्यक्तित्व आज यहां हमारे सामने मौजूद हैं। तो आइए इस ख़ास कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हैं- “
संगोष्ठी में कई गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया, जिनमें श्री राज कुमार गोयल, आत्मनिर्भर भारत फाउंडेशन के मुख्य संरक्षक, सुश्री सुनीता दुग्गल लोकसभा सांसद (सीरसा), श्री प्रदीप गांधी पूर्व सांसद, छत्तीसगढ़ शामिल हैं। इस कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध ज्योतिषी और अभिनेता डॉ. सुदीप कोचर, हिंदू विद्वान ज्योतिषी के रूप में मीडिया चैनलों के साथ काम करने वाली प्रियंका टंडन, न्यूज़ नेशन, इंडिया न्यूज़, ज़ी हिंदुस्तान, गायन सनसनी श्री शंकर सहनी, सेलिब्रिटी ब्यूटी पेजेंट कोच और विश्व रिकॉर्ड धारक लेफ्टिनेंट रीता गंगवानी, और पूरे भारत के कई महान ज्योतिषियों, हीलरों, अंकशास्त्रियों और टैरो कार्ड रीडर्स ने भाग लिया।
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Rahu-Ketu ka Gochar 2024: वैदिक ज्योतिष शास्त्र के ज्योतिष शास्त्र के अनुसार समय समय पर ग्रह राशि परिवर्तन करते रहते हैं. लेकिन साल 2024 में राहु का राशि परिवर्तन नहीं होगा | Rahu-Ketu इन राशि में रहेंगे विराजमान: राहु मीन और केतु कन्या राशि में विराजमान रहने वाले हैं. पर अन्य ग्रह के राशि परिवर्तन से राहु केतु कुछ राशियों को लाभ पहुंचाएंगे.
ज्योतिष में प्रमुख ग्रहों में से एक राहु ग्रह मीन राशि में ही रहेंगे। मीन राशि पर गुरु ग्रह का आधिपत्य है। राहु मीन राशि में रहते हुए अपनी सप्तम द्दष्टि केतु पर डालेंगे। केतु कन्या राशि में हैं। इसके अलावा जब मीन राशि के स्वामी ग्रह गुरु मेष से निकलकर वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे तब राहु और गुरु के बीच त्रिएकादश योग का निर्माण होगा। में Rahu-Ketu ka Gochar Horoscope 2024:कई राशि वालों की किस्मत बदलने वाली है। इस योग को वैदिक ज्योतिष शास्त्र में बहुत ही शुभ माना जाता है। साल 2024 में राहु का मीन राशि में संचरण कुछ राशि के जातकों के लिए अच्छा साबित हो सकता है। राहु ग्रह इन राशि के जातकों पर विशेष कृपा रखने वाले हैं। राहु पूरे वर्ष आकस्मिक धन लाभ के मौके और पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि दिलाएंगे। Rahu-Ketu ka Gochar Horoscope 2024: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार समय समय पर ग्रह में राशि परिवर्तन करते रहते हैं. इस परिवर्तन का असर राशियों पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव के रूप में देखने को मिलता है. नए साल में राहु केतु का किन 4 राशियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने वाला है. 1.मेष राशि - राहु 30 अक्तूबर 2023 से मीन राशि की यात्रा पर हैं। साल 2024 में राहु पूरे वर्ष इसी राशि में ही रहेंगे। साल 2024 में राहु आपको तरक्की के कई मौके दिलाएगा। आपके आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। आकस्मिक धन लाभ के मौके बनेंगे। कार्यो में सफलताएं हासिल होंगी। जो योजनाएं साल 2023 में पूरी नहीं हो सकी हैं और इसका भरपूर लाभ नहीं मिल सका है साल 2024 में जरूर मिलेगा। आपकी सभी तरह की इच्छाओं की पूर्ति होगी। पूरे सालभर तक राहु की कृपा बनी रहेगी और हर एक तरह के भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि होगी।
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क्या जरूरी है कुण्डली मिलान - BHOOMIKA KALAM www.astrobhoomi.com
कुंडली मिलान बहुत जरूरी है--
सनातन संस्कृति की नींव षोडश संस्कारों में निहित है। इन षोडश संस्कारों में 'विवाह' का महत्वपूर्ण स्थान है। बच्चों के युवा होते ही माता-पिता को उनके विवाह की चिंता सताने लगती है। विवाह का विचार मन में आते ही जो सबसे बड़ी चिंता माता-पिता के समक्ष होती है, वह है अपने पुत्र या पुत्री के लिए योग्य जीवनसाथी की तलाश। ��स तलाश के पूरी होते ही एक दूसरी चिंता सामने आ खड़ी होती है, वह है भावी दंपति की कुंडलियों का मिलान जिसे ज्योतिष की भाषा में 'मेलापक' कहा जाता है।
प्राचीन समय में कुंडली मिलान अत्यावश्यक माना जाता था। वर्तमान सूचना और प्रौद्योगिकी के दौर में मेलापक केवल एक रस्म-अदायगी बनकर रह गया है। ज्योतिष शास्त्र ने मेलापक में विलग-विलग आधार पर गुणों की कुल संख्या 36 निर्धारित की गई है जिसमें 18 या अधिक गुणों का मिलान विवाह और दांपत्य सुख के लिए उत्तम माना जाता है।
मेरे देखे गुणों की संख्या के आधार पर दांपत्य सुख का निश्चय कर लेना उचित नहीं है। अधिकतर देखने में आया है कि 18 की अपेक्षा कहीं अधिक गुणों का मिलान होने पर भी दंपतियों के मध्य दांपत्य सुख का अभाव पाया गया है। इसका मुख्य कारण है मेलापक को मात्र गुण आधारित प्रक्रिया समझना, जैसे कोई परीक्षा हो जिसमें न्यूनतम अंक पाने पर विद्यार्थी उत्तीर्ण अथवा 1-2 अंक कम आने से अनुत्तीर्ण घोषित कर दिया जाता है। ज्योतिष इतना सरल व संक्षिप्त नहीं है। गुणों पर आधारित मेलापक की यह विधि पूर्णतया कारगर नहीं है।
हमारे अनुसार विवाह में कुंडलियों का मिलान करते समय गुणों के अतिरिक्त अन्य महत्वपूर्ण बातों का भी विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए, भले ही गुण निर्धारित संख्या की अपेक्षा कम मिले हों। परंतु दांपत्य सुख के अन्य कारकों से यदि दांपत्य सुख की सुनिश्चितता होती है, तो विवाह करने में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। आइए, जानते हैं कि मेलापक (कुंडली मिलान) करते या करवाते समय गुणों के अतिरिक्त किन विशेष बातों का ध्यान रखा जाता आवश्यक है?
मेलापक के समय ध्यान देने योग्य बातें : विवाह का उद्दे��्य गृहस्थ आश्रम में पदार्पण के साथ ही वंशवृद्धि और उत्तम दांपत्य सुख प्राप्त करना होता है। प्रेम व सामंजस्य से परिपूर्ण परिवार ही इस संसार में स्वर्ग के समान होता है। इन उद्देश्यों की पूर्ति की संभावनाओं के ज्ञान के लिए मनुष्य की जन्म कुंडली में कुछ महत्वपूर्ण कारक होते हैं। ये कारक हैं- सप्तम भाव एवं सप्तमेश, द्वादश भाव एवं द्वादशेश, द्वितीय भाव एवं द्वितीयेश, पंचम भाव एवं पंचमेश, अष्टम भाव एवं अष्टमेश के अतिरिक्त दांपत्य का नैसर्गिक कारक ग्रह शुक्र (पुरुषों के लिए) व गुरु (स्त्रियों के लिए)।
सप्तम भाव एवं सप्तमेश : दांपत्य सुख प्राप्ति के लिए सप्तम भाव का विशेष महत्व होता है। सप्तम भाव ही साझेदारी का भी होता है। विवाह में साझेदारी अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। अत: सप्तम भाव पर कोई पाप ग्रह का प्रभाव नहीं होना चाहिए। सप्तम भाव के अधिपति को सप्तमेश कहा जाता है। सप्तम भाव की तरह ही सप्तमेश पर कोई पाप प्रभाव नहीं होना चाहिए और न ही सप्तमेश किसी अशुभ भाव में स्थित होना चाहिए।
द्वादश भाव एवं द्वादशेश : सप्तम भाव के ही सदृश द्वादश भाव भी दांपत्य सुख के लिए अहम माना गया है। द्वादश भाव को शै��ा सुख का अर्थात यौन सुख प्राप्ति का भाव माना गया है। अत: द्वादश भाव एवं इसके अधिपति द्वादशेश पर किसी भी प्रकार के पाप ग्रहों का प्रभाव दांपत्य सुख की हानि कर सकता है।
द्वितीय भाव एवं द्वितीयेश : विवाह का अर्थ है एक नवीन परिवार की शुरुआत। द्वितीय भाव को धन एवं कुटुम्ब भाव कहते हैं। द्वितीय भाव से पारिवारिक सुख का पता चलता है। अत: द्वितीय भाव एवं द्वितीय भाव के स्वामी पर किसी पाप ग्रह का प्रभाव दंपति को पारिवारिक सुख से वंचित करता है।
पंचम भाव एवं पंचमेश : शास्त्रानुसार जब मनुष्य जन्म लेता है, तब जन्म लेने के साथ ही वह ऋणी हो जाता है। इन्हीं जन्मजात ऋणों में से एक है 'पितृ ऋण' जिससे संतानोत्पत्ति के द्वारा मुक्त हुआ जाता है। पंचम भाव से संतान सुख का ज्ञान होता है। पंचम भाव एवं इसके अधिपति पंचमेश पर किसी पाप ग्रह का प्रभाव दंपति को संतान सुख से वंचित करता है।
अष्टम भाव एवं अष्टमेश : विवाहोपरांत विधुर या वैधव्य भोग किसी आपदा के सदृश है। अत: भावी दंपति की आयु का भलीभांति परीक्षण आवश्यक है। अष्टम भाव एवं अष्टमेश से आयु का विचार किया जाता है। अष्टम भाव एवं अष्टमेश पर किसी पाप ग्रह का प्रभाव दंपति की आयु क्षीण करता है।
नैसर्गिक कारक : इन कारकों के अतिरिक्त दांपत्य सुख से नैसर्गिक कारकों, जो वर की कुंडली में शुक्र एवं कन्या की कुंडली में गुरु होता है, पाप प्रभाव नहीं होना चाहिए। यदि वर अथवा कन्या की कुंडली में दांपत्य सुख के नैसर्गिक कारक शुक्र व गुरु पाप प्रभाव से पीड़ित हैं या अशुभ भावों में स्थित है तो दांपत्य सुख की हानि कर सकते हैं।
विंशोत्तरी दशा भी है महत्वपूर्ण : उपरोक्त महत्वपूर्ण कारकों के अतिरिक्त वर अथवा कन्या की महादशा एवं अंतरदशाओं की भी कुंडली मिलान में महत्वपूर्ण भूमिका होती है जिसकी अक्सर ज्योतिषी उपेक्षा कर देते हैं। हमारे अनुसार वर अथवा कन्या दोनों ही पर पाप व अनिष्ट ग्रहों की महादशा/ अंतरदशा का एक ही समय में आना भी दांपत्य सुख के लिए हानिकारक है। अत: उपरोक्त कारकों के मिलान एवं परीक्षण के उपरांत महादशा एवं अंतरदशा का परीक्षण परिणाम में सटीकता लाता है।
जिन लोगों की कुंडली नहीं मिलती और फिर भी शादी कर लेते हैं तो रिश्ते में क्या-क्या समस्याएं हो सकती हैं?
बिना गुण मिलाए शादी करने पर हो सकती हैं ऐसी दिक्कतें हालांकि, प्रेम विवाह के मामलों में लड़का और लड़की गुण मिलान पर ज्यादा भरोसा नहीं करते हैं. वे बिना गुण मिलान कराए ही शादी कर लेते हैं. कुछ मामलों में गुण मिलाए भी जाते हैं लेकिन 18 से कम गुण मिलने पर भी शादी कर लेते हैं. ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक जिन लोगों के 18 गुण से कम मिलते हैं, उनका वैवाहिक जीवन काफी कष्ट में गुजरता है. ऐसे लोगों को अपने वैवाहिक जीवन में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कई बार तो प्रेम विवाह के कुछ समय बाद वर और वधू के बीच मतभेद और मनभेद हो जाते हैं. ऐसे में उनका वैवाहिक जीवन बर्बाद हो जाता है. इतना ही नहीं, कुछ मामलों में तो बात इतनी बिगड़ जाती है कि तलाक तक की नौबत आ जाती है. यही वजह है कि बड़े-बुजुर्ग गुण मिलाने के बाद ही शादी करने की सलाह देते हैं.
गुणों के बेहतर मिलान के बाद भी टूट जाते हैं रिश्ते मान्यताओं के मुताबिक कुंडली मिलान के बिना की गई शादी के बाद वर और वधू का केवल वैवाहिक जीवन ही नहीं बल्कि निजी जीवन भी बुरी तरह से प्रभावित हो जाता है. वर और वधू के बीच छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा होने लगता है. इस झगड़े की वजह से दोनों पक्ष के परिवारों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है. हालांकि, इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता कि गुण मिलने के बाद भी कई लोगों की शादियां बर्बाद हो जाती हैं और रिश्ता टूट जाता है. आज भी हमारे समाज में ऐसी कई शादियां टूटते हुए देखी गई हैं जिनमें वर और वधू की कुंडली में गुणों का बेहतर मिलान किया गया था लेकिन शादी के बाद उनके वैवाहिक जीवन में कलह हावी हो गया. हालांकि, ऐसे मामलों में वर और वधू की कुंडली के ग्रह भी जिम्मेदार हो सकते हैं.
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नवरात्रि में वरदान बनेगा इन मंत्रों का जाप! मनोकामनाएं होंगी पूरी, अयोध्या के ज्योतिष से जानें सब
नवरात्रि के 9 दिनों तक माता रानी को प्रसन्न करने के लिए जातक सुबह और शाम माता रानी की आरती करते हैं. उनके मंत्रों का जाप करते हैं, कहा जाता है की ऐसा करने से माता रानी जल्द प्रसन्न होती है और सभी मनोकामना पूरी करती है. नवरात्रि में कुछ ऐसे चमत्कारी मंत्र है जिसका जाप करने से जीवन में कई तरह ही सफलता भी मिलती है.
अगर आप अपने जीवन में शक्तिशाली बनाना चाहते हैं तो नवरात्रि में इस मंत्र का जाप करना होगा. सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्तिभूते सनातनि। गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोह्यस्तु ते।।
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Astro Parduman's Visit to Srinagar - 27th and 28th June Srinagar में ज्योतिष में रुचि रखने वालों के लिए रोमांचक खबर! प्रसिद्ध ज्योतिषी और आध्यात्मिक मार्गदर्शक एस्ट्रो परदुमन 27 और 28 जून को आपके शहर का दौरा करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। गहन ��ंतर्दृष्टि, मार्गदर्शन और आध्यात्मिक ज्ञान की तलाश करने वालों के लिए यह एक अत्यधिक सम्मानित चिकित्सक से जुड़ने का एक सुनहरा अवसर है।एस्ट्रो परदुमन की यात्रा शहर Srinagar में ज्ञान, अनुभव और सहज ज्ञान का खजाना लाने का वादा करती है। वैदिक ज्योतिष में वर्षों की विशेषज्ञता और व्यक्तियों की मदद ��रने के दयालु दृष्टिकोण के साथ, एस्ट्रो परदुमन दुनिया भर में जीवन बदल रहा है। Stay connected with us @astro_parduman📞📞Book Your Appointment at 78769-99199
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केपी सिस्टम की विसंगतियां"
१) केपी सिस्टम की आधारशिला ही नक्षत्र के 9 असमान भागों को उपपति कहने की है कारण में वे कहते है की जैसे राशी के नौ भाग नवमांश होने से महत्वपूर्ण है वैसे नक्षत्र के नौ भाग से प्राप्त उपापति अधिक सूक्ष्म एवं सटीक है किंतु महाशय यहाँ इन दो बातों का भी सामंजस्य कहा हो रहा है ? पहली बात तो यह है की नवमांश में राशियोंजो 9 भाग है वो 30 अंश के समान 9 भाग हैं और इन तथाकथित केपी सिस्टम के उपपति में नौ आसमान विभाजन है फिर सामंजस्य कहा हुआ ?
2) जब राशि एवं नक्षत्र को भचक्र के समान हिस्सो मे बाटा गया तब तथाकथित केपी नक्षत्र सिस्टम में उपपति के नौ असमान विभाजन क्यों ?
3) एक नक्षत्र के 9 समान विभाजन जब हो ही नहीं सकते तो जबरदस्ती किसी भी तरह से बिठाने की मूर्खतापूर्ण चेष्टा क्यों ?
4) जब केपी पूर्णतः नक्षत्र सिस्टम है तो विषम राशी के अंत में और सम राशि के आरंभ में राशि के अंत में जब उपपति का मान ठीक नहीं बैठा तो राशी चक्र के अनुसार उसके 6 टुकड़े बढ़ाके 243 से 249 तक जाने की क्या जरूरत पड़ गई ? और जब राशि चक्र के अनुसार ही 249 पर गए हो तो उसको नक्षत्र सिस्टम कहने की मूर्खता पूर्ण चेष्टा क्यों ?
5) भाव आरंभ ही सबकुछ है तो आरंभ संधि में आने वाले 12 नक्षत्र को छोड़ बाकी के 15 नक्षत्र का भाव के अनुरूप क्या महत्व रह गया ? क्या वोह भी गलित हो गए ?
6) जब पूरी गणना ही 27 नक्षत्र की की है तो भाव 12 क्यों लेते हो ? पूरा अलग से 27 नक्षत्र को न्याय मिले ऐसे 27 भाग वाला भाव चक्र क्यों नहीं जहां पर सभी नक्षत्र को न्याय पाए । आखिर 15 नक्षत्र के साथ ऐसा अन्याय क्यों ? उन्होंने क्या गुनाह किया ?
7) क्या सचमुच में इस सिस्टम में नक्षत्र के 9 भाग हो रहें है ? यदि हां तो सूर्य के नक्षत्र और गुरु के नक्षत्र के 10 - 10 भाग क्यों ? क्या इसी प्रकार नवमांश से अधिक महत्व दोगे ?
8) क्या कोई राशि में निहित नक्षत्र के उपपति के विस्तार की कोई निश्चित संख्या है भी या नहीं ? अग्नि तत्व में 22, पृथ्वी तत्त्व में 19 वायुतत्त्व एवं जलतत्त्व में 21, भला यह असमानता का भी कोई तुक है क्या ?
9) जिस प्रकार राशियों के उपपती में कोई तुक नहीं बैठता उसी भांति क्या नक्षत्र सिस्टम होने से नक्षत्र के उपपति की भी कोई निश्चित संख्या है क्या ? 21 नक्षत्र के 9 भाग और 6 नक्षत्र को वीआईपी ट्रीटमेंट देकर 10 भाग ? इस प्रकार 6 नक्षत्र को जरासंध बना डाला, भला यह कौनसी बात हुई ?
10) यह सभी विसंगतियों के बावजूद जब तर्क युक्त कारण नहीं मिलेगा तो एक ही बात ��ामने आयेगी की फल तो मिल रहा फिर क्या आपत्ति ? तो महाशय जरा यह भी समझ लो की जब आप फल की बात करते हो तो फल तो तास के पत्तो से, राजा रानी चोर सिपाई की चिट्ठी ओ से और तोते मेना से भी मिलने लगेंगे तो क्या ज्योतिष के नाम पर उसे भी ग्राह्य किया जाए ?
मत भूलिए ज्योतिष वेदांग है ! और तर्क शास्त्र भी एक शास्त्र है जो तर्क को नकार कर उसका अंधानुकरण करते है वह कैसे सैद्धांतिक धरातल पर सही हो सकता है और जिसका कोई सैद्धांतिक धरातल ही नहीं उसका अस्तित्व कैसा ? और कब तक ?
Credit of post :- UK Jha
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कालसर्प दोष पूजा के बाद प्रतिबंध
जैसा की हम सभी जानते है की कालसर्प दोष एक बहुत ही घातक योग है इस दोष मे जातक अपने जीवन मे पूरी तरह से परेशान हो जाता है, और इस दोष के निवारण के लिए कालसर्प दोष निवारण पूजा ही सर्वश्रेष्ठ उपाय है, लेकिन कालसर्प दोष की पूजा कराने के बाद भी आपको कोई फर्क नजर नहीं आ रहा है, तो इसका मतलब है की आपकी कुंडली मे काफी समय से कालसर्प दोष होने के वजह से आपकी कुंडली मे वास्तु दोष भी बन गया है।
इसलिए हम आपको सलाह देंगे की आप किसी अच्छे ज्योतिष को अपनी कुंडली दिखाएँ और उनसे दोनों दोष के बारे मे सम्पूर्ण जानकरी ले, और हो सके तो कालसर्प दोष पूजा के साथ ही वास्तु दोष शांति पूजा भी कराये और इन दोनों दोष से छुटकारा पाये।
कालसर्प दोष पूजा के बाद प्रतिबंध मे जातक को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिये और इन चीजों से उचित दूरी बनाई रखनी चाहिये-
जातक को किसी भी प्रकार के नशे वाली वस्तु का सेवन नहीं करना चाहिये।
जातक को बीड़ी व सिगरेट को नही पीना चाहिये।
मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
घर मे सभी से अच्छा व्यवहार रखना चाहिये।
नागा मंदिर मे साष्टांग प्रणाम नहीं करना चाहिए।
किसी भी नाग देवता के मंदिर में नमस्कार न करें।
व्रत के दिनों में किसी भी पूजा का आयोजन न करें। जैसे एकादशी, शिवरात्रि, अष्टमी, गोकुलाष्टमी।
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Hariyali Teej Banati Hai Jaldi Shadi Hone Ka Yog
तीज का त्यौहार विवाह सुख की कामना के साथ साथ वैवाहिक जीवन को खुशियों से भर देने वाला समय होता है. तीज का उत्सव जीवन की अनेक समस्याओं को समाप्त कर देने वाला दिन होता है. अगर किसी का विवाह नहीं हो पा रहा है, लाख कोशिशों के बाद भी एक अच्छा रिश्ता मिल पाना बेहद ही मुश्किल लग रहा है, या अन्य किसी कारण से विवाह में देरी हो रही है तो इस तरह की समस्या से बाहर आने के लिए तीज का दिन बेहद विशेष माना गया है. तो चलिए जान लेते हैं की आखिर कैसे तीज का पर��व हमारे जीवन में आए इस संकट को दूर करता है और कैसे "विवाह में विलंब के योग" बन जाते हैं शीघ्र विवाह के योग में.
तीज : कुंडली में विवाह भाव को बनाती है मजबूत
तीज का पर्व जन्म कुंडली में उन भावों को मजबूत करता है जो हमें विवाह के सुखों को देने वाले होते हैं. अब मन में यह प्रश्न आना स्वाभाविक है कि आखिर ये कैसे हमारी जन्म कुंडली के उन भावों को शुभ बना सकता है जिसके कारण हमें परेशानी उठानी पड़ रही है तो इसका उत्तर हमारे शास्त्रों में ही छुपा हुआ है जिसे हम यहां आपके साथ साझा करने की कोशिश कर रहे हैं जिससे आप भी अपने विवाह से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या को दूर कर पाएं और वैवाहिक जीवन का वो आनंद ले पाएं जिस पर आपका अधिकार है.
विवाह के लिए जन्म कुंडली में सातवां भाव बेहद अहम होता है. जब विवाह में किसी भी तरह कि देरी हो रही होती है तो उस स्थिति में व्यक्ति की कुंडली का सातवां भाव कहीं न कहीं कमजोर हो रहा होता है. जब ऎसा होता है तो इसका असर विवाह और विवाह से मिलने वाली खुशियों पर पड़ता है. अब विवाह के सप्तम भाव की स्थिति को जब तक हम शुभ या सकारात्मक नहीं बना लेते हैं तब तक हमें शादी विवाह में देरी की समस्या या शादी होने के बाद आने वाली समस्याओं से दो चार होना पड़ेगा. अब इस स्थिति से बचने के लिए तीज का दिन बेहद खास बन जाता है.
महर्षि नारद ने देखी थी देवी पार्वती की कुंडली
शिव पुराण अनुसार जब देवी पार्वती के पिता हिमालय राज ने पार्वती के विवाह में होने वाली देरी की चिंता को महर्षि नारद के सामने रखा तब नारद जी ने उनके विवाह में होने वाली देरी के कारणों को बताया था. तीज की कथा तो हम सभी जानते ही हैं कि कैसे देवी पार्वती ने अपने लिए भगवान शिव को अपने जीवन साथी रूप में पाया. लेकिन इस कथा के पूरा होने से पहले देवी पार्वती ने जो भी तप किया वह सब उनके सातवें भाव को शुभ करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण था क्योंकि बिना "विवाह भाव" के मजबूत एवं शुभ हुए उन्हें अपनी पसंद का वर नहीं मिल पाता है.
कथाओं के अनुसार माता पार्वती के विवाह होने में भी अनेक प्रकार की बाधाओं का उन्होंने सामना किया, वर्षों की तपस्या साधना ने उनके सातवें भाव की नींव को मजबूत किया क्योंकि जब तक यह भाव शुभ नहीं होता है तब तक आपको अपनी पसंद का जीवन साथी भी नहीं मिल पाता है, इसलिए तो जब देवी पार्वती का विवाह श्री विष्णु से होने की बात देवी को पता चली तो उन्होंने घर का त्याग करके अपने मनपसंद वर की कामना के लिए अपने विवाह भाव को शुभ करने का ��्रयास किया जिससे देवी को आखिर में महादेव का साथ प्राप्त हुआ.
विवाह में देरी से बचाव के उपाय और तीज का दिन
महर्षि नारद जी ने देवी पार्वती की जन्म कुंडली देख कर उनके विवाह की भविष्यवाणी और विवाह में होने वाली देरी के कारणों को कुंडली विश्लेषण द्वारा उनके माता-पिता के सामने रखा. इसी तरह से एक योग्य ज्योतिषी जन्म कुंडली का विश्लेषण करके विवाह में होने वाले विलंब, वैवाहिक जीवन के सुख की कमी, योग्य वर की तलाश कब होगी पूरी ? इन सभी बातों को सही तरह से बता सकता है. ज्योतिष समस्याओं को इंगित करके उनसे बचने का मार्ग भी दिखाता है. तीज के दिन की शुभता को अगर पाना है तो जरूरी है की समस्या को पहचान लिया जाए और सटीक उपायों को करते हुए विवाह के शीघ्र होने की संभावनाओं को सुनिश्चित कर लिया जाए.
Source Url: https://medium.com/@latemarriage/hariyali-teej-banati-hai-jaldi-shadi-hone-ka-yog-47129db4e5e4
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वैदिक ज्योतिष में नीचभंग राजयोग क्या होता है, इसका असर और प्रभाव कब, कैसे और क्या होता है, इसके क्या लाभ हैं?
ज्योतिष में, मांगलिक दोष का असर विवाह स्थिति पर पूरी तरह से निर्भर करता है और इस परिस्थिति का मूल्यांकन ज्योतिषाचार्य कर सकता है। मांगलिक दोष का समय, ग्रहों की स्थिति, और दृष्टियों के संबंध में होता है। लेकिन यह भी माना जाता है कि मांगलिक दोष का पूरा अभिग्रहण नहीं करना चाहिए और इसे केवल एक मानक नहीं बनाना चाहिए।
यहां कुछ मुख्य बिंदु हैं जो मांगलिक दोष के बारे में जानकारी प्रदान कर सकते हैं:
दोनों की कुंडलियों में मांगलिक दोष: यदि दोनों जीवनसंगी पार्टनरों की कुंडलियों में मांगलिक दोष है, तो इसका परिणाम और प्रभाव समान हो सकता है। इस स्थिति में ज्योतिषाचार्य सहायक हो सकते हैं और उपायों का सुझाव दे सकते हैं।
दोनों की राशि और गुण मिलान: ज्योतिष में विवाह के लिए गुण मिलान किया जाता है जिसमें राशियों के अनुसार बॉय और गर्ल को गुणों के आधार पर मिलाया जाता है। मांगलिक दोष की स्थिति में गुण मिलान करने का महत्व बढ़ सकता है।
उपायों का पालन: यदि किसी की कुंडली में मांगलिक दोष है, तो ज्योतिषाचार्य उपायों की सिफारिश कर सकते हैं जैसे कि पूजा, दान, यंत्र, या मंत्र का जाप।
सामाजिक और पारिवारिक समर्थन: विचार करें कि कितना सामाजिक और पारिवारिक समर्थन है। कई बार, सामाजिक और परिवारिक दबाव के कारण विवाह को संजीवनी नहीं बना पाता है।
मांगलिक दोष एक महत्वपूर्ण तत्व है, लेकिन यह विवाह के लिए एकमात्र मापदंड नहीं है। यहां बताए गए सुझावों के बावजूद, व्यक्ति और परिवार को स्वयं भी सच्चाई और सामग्री का विश्लेषण करना चाहिए और अगर आवश्यक हो. तो Vivaha Sutram 2 सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर सकते है। जो आपको एक सही मार्गदर्शन हो सकता है।
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Tumblr के लोगों:
मैं बता नहीं सकता कि मैं कितना खुश हूँ, कितना ज़्यादा रोमांचित हूँ. सुनिए, मुझे पता है, शायद आप लोगों के मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि रेगुलर प्रतिक्रियाएँ कब आने वाली हैं? थम्स अप, थम्स डाउन, खुश चेहरा, उदास चेहरा, इसी तरह की चीज़ें?
लेकिन हम लोग यहाँ Tumblr पर रेगुलर चीज़ें तो करते ही नहीं! रेगुलर तो दूसरे वेबसाइट के लिए होता है ना!
अब आप में से कुछ लोग जिनसे मेरी सोच मिलती-जुलती है उन्होंने मेरी तरह ये स��झ लिया होगा कि प्रतिक्रियाएँ पेचीदा होती हैं, उनमें बहुत कुछ छिपा रहता है.
ये सब कुछ पूरी तरह से मेरा आई��िया नहीं था—लगता है कि कोडक्रैब थोड़े से शैतान बन गए और उन्होंने छिपी प्रतिक्रियाएँ अनलॉक करने के लिए हर तरह के अजीब कॉम्बो इनस्टॉल कर दिए.
लेकिन मैं इसका पूरा श्रेय ले रहा हूँ, क्योंकि वो मेरे शानदार आईडिया की सफलता का फ़ायदा उठा रहे थे. असली प्रोडक्ट विकास इसे ही कहते हैं!
आप सभी पोस्ट पर मेरी यानी ब्रिक व्हार्टली की इमोजी से प्रतिक्रिया दे सकते हैं! कम से कम 100 🦀 और 200 🦀 प्रतिक्रियाओं वाली कोई भी पोस्ट नई ब्रिक प्रतिक्रिया को अनलॉक कर देगी. क्योंकि मेरी दो पसंदीदा चीज़ें हैं (क्लिक के अलावा), मेरे दोस्त क्रैब और स्वादिष्ट चीज़ भी.
सुंदर! बेहतरीन! लेकिन रुकिए, अभी और भी है! 500 🐴 प्रतिक्रियाओं वाली पोस्ट 🦄 प्रतिक्रिया को अनलॉक कर देगी. 444 4️⃣ प्रतिक्रियाएँ 🌚 प्रतिक्रिया को अनलॉक कर देगी, इसके पीछे ज्योतिष से जुड़े वो कारण हैं जिनके बारे में मुझे 100% यकीन नहीं है. 🐛 की एक खास संख्या पिकामैन प्रतिक्रिया को अपनी गुफ़ा से बाहर निकलने के लिए ललचाएगी ताकि वो आपकी पोस्ट की शोभा बड़ा सके. और इतना ही नहीं—आपको सारे कॉम्बिनेशन आज़माकर ये पता लगाना होगा कि क्रैब ने कोड में और कौन-कौन से राज छिपा रखे हैं!
बहुत ही शानदार है ना? आप मुझे नहीं देख सकते, लेकिन ये विश्वास रखें कि ये ब्रिक अपनी पूरी ताकत से प्रतिक्रिया दे रहा है!
यार, जीनियस होने का अहसास कितना शानदार होता है!
आपका क्लिकटास्टिकली,
ब्रिक व्हार्टली चीफ़ रिएक्शंस ऑफ़िसर चीफ़ ऑफ़िसर ऑफ़ मर्चेंडाइजिंग एंड फ़िज़िकल इंजीनियरिंग (छुट्टी पर)
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