#पूरा अफगानिस्तान
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indlivebulletin · 20 hours ago
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स्ट्राइक के 24 घंटे बाद बदला लेने उतरा तालिबान, घेर लिया पूरा पाकिस्तान!
आपने वो पुरानी कहावत तो खूब सुनी होगी कि जैसा बोओगे वैसा काटोगे। दशकों तक पाकिस्तान ने अपने फायदे के लिए आतंकवाद को हवा दी। लेकिन अब वहीं आग उसके घर तक पहुंच गई है। अफगानिस्तान के साथ उसके रिश्तों में दरार बढ़ती जा रही है। हालिया एयर स्ट्राइक ने इस जंग को और भड़का दिया। दरअसल, हाल ही में पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के अंदर एयरस्ट्राइक की। रिपोर्ट के अनुसार हमले में 40 से अधिक लोग मारे गए। जिनमें…
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saveralivehindi · 2 months ago
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Happy Birthday Glenn Maxwell: ग्लेन मैक्सवेल को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं, जानें उनके रेकाॅर्ड
ग्लेन मैक्सवेल ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम के खिलाड़ी हैं. इन्होंने साल 2023 में अफगानिस्तान के खिलाफ 200 रनों की शानदार और विस्फोटक पारी खेली थी. ग्लेन ने दो साल की मोहब्बत के बाद 26 फरवरी, 2020 को एक भारतीय मूल के मेलबर्न स्थित फार्मासिस्ट विनी रमन से सगाई की. अक्टूबर 2019 में मैक्सवेल ने घोष��ा की कि वह मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के कारण क्रिकेट से ब्रेक लेंगे. व्यक्तिगत जानकारी पूरा नाम ग्लेन…
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finomura · 6 months ago
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IND vs AFG Dream11 Prediction Today Match Hindi
IND vs AFG Dream11 Prediction Today Match Hindi – भारत (IND) और अफगानिस्तान (AFG)  के बीच गुरुवार को ICC Mens T20 World Cup के Super 8 Group 1 मैच Kensington Oval, Bridgetown, Barbados में खेला जायेगा | यह मैच भारतीय समय अनुसार 8 बजे से शुरू होगा | मौसम की बात करे तो बादल छाय रहेंगे | इस मैच में बारिश की संभावना है और मैच के बीच-बीच में बारिश आ सकती है | उम्मीद है मैच पूरा देखने को मिलेगा |
इस मैदान पर पिछले 5 t20 मैचों में पहली पारी में औसत 138 रन और दूसरी पारी में 125 रन बनते है और 10 विकेट भी गिरते है | इस पिच पर औसतन तेज गेंदबाज़ 7 विकेट और स्पिनर 3 लेते है | इसलिए इस मैदान पर तेज गेंदबाजो को ज्यादा मद्द मिल सकते है | आप अपने टीम में एक्स्ट्रा गेंदबाज खिला सकते है | जो भी टॉस जीतेगा वह पहले बैटिंग करना पसंद करेगा और जो भी टीम इस मैदान पर पहले बैटिंग करते है उसकी जितने का संभावना ज्यादा होता है |
दोनों टीमो की बात करे तो इस मैच में भारत का पलड़ा भारी लग रहा है | पिछले 8 मैचों में भारत (IND) ने 7 जबकि  अफगानिस्तान (AFG) ने एक भी मैच नही जीते है| और एक मैच का नतीजा नही निकल पाया है Read More
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pradeeblogs · 10 months ago
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CAA: देश में लागू हो गया CAA, मोदी सरकार का बड़ा ऐलान, नोटिफिकेशन जारी
नई दिल्ली। CAA: मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से अपने एक चुनावी वादे को पूरा कर दिया है। सीएए को लेकर सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्रालय ने सीएए के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इसके तहत तीन पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी।
CAA: सीएए नियम जारी किए जाने के बाद, बगैर दस्तावेज के पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से आए हिंदुओं, सिखों को नागरिकता मिलेगी। इसके लिए इन लोगों को केंद्र सरकार द्वारा तैयार किए गए ऑनलाइन पोर्टल पर अप्लाई करना होगा।
source:- CAA
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rashtriyatime · 11 months ago
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Plane Crashed in Afghanistan: अफगानिस्तान में क्रैश हुआ विमान भारतीय नहीं है, मंत्रालय ने ट्वीट कर दी जानकारी
Plane Crashed in Afghanistan: पूरा देश इस समय रामलला के भव्य स्वागत में जुटा हुआ है। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारियां जोर-शोर से की जा रही हैं। लेकिन इसी बीच 21 जनवरी यानी रविवार की दोपहर एक ऐसी खबर सामने आती है, जिसने सभी को चौंका दिया। ये खबर ऐसी थी कि देशवासियों का उत्साह मातम में बदल सकता था। दरअसल, ये खबर एक विमान हादसे से जुड़ी थी। रविवार दोपहर करीब 1:30 बजे खबर आई कि मॉस्को जा रहा एक…
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sirjitendrayadav · 11 months ago
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wikistudynews · 1 year ago
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आईसीसी ट्वेंटी-20 विश्व कप 2024: पूरा कार्यक्रम, तारीखें और स्थान
भारत और पाकिस्तान के बीच रोमांचक क्रिकेट प्रतिद्वंद्विता 9 जून को दुनिया के सबसे बड़े श��� सिटी न्यूयॉर्क तक पहुंच जाएगी, जब आईसीसी टी20 विश्व कप 2024 के ग्रुप ए मैच में कट्टर प्रतिद्वंद्वी एक-दूसरे के खिलाफ होंगे। शोपीस का शेड्यूल 5 जनवरी को सामने आया था और लीग चरण के खेलों के लिए भारत को ग्रुप ए में पाकिस्तान, आयरलैंड, कनाडा और सह-मेजबान अमेरिका के साथ रखा गया है। भारत अपने विश्व कप अभियान की शुरुआत 5 जून को न्यूयॉर्क में आयरलैंड के खिलाफ मैच से करेगा। पाकिस्तान का सामना करने के बाद, भारत 12 जून को सह-मेजबान देश से मुकाबला करने के लिए न्यूयॉर्क में रुकेगा, और फिर 15 जून को अपने अंतिम ग्रुप असाइनमेंट में कनाडा के खिलाफ खेलने के लिए फ्लोरिडा की यात्रा करेगा।समूहग्रुप ए: भारत, पाकिस्तान, आयरलैंड, कनाडा, अमेरिका।ग्रुप बी: इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, नामीबिया, स्कॉटलैंड, ओमान।ग्रुप सी: न्यूजीलैंड, वेस्टइंडीज, अफगानिस्तान, युगांडा, पापुआ न्यू गिनी।ग्रुप डी: दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, बांग्लादेश, नीदरलैंड, नेपाल। अनुसूची1 जून, 2024 - शनिवार - यूएसए बनाम कनाडा - डलास 2 जून, 2024 - रविवार - वेस्टइंडीज बनाम पापुआ न्यू गिनी - गुयाना 2 जून, 2024 - रविवार - नामीबिया बनाम ओमान - बारबाडोस 3 जून, 2024 - सोमवार - श्रीलंका बनाम दक्षिण अफ्रीका - न्यूयॉर्क 3 जून, 2024 - सोमवार - अफगानिस्तान बनाम युगांडा - गुयाना 4 जून, 2024 - मंगलवार - इंग्लैंड बनाम स्कॉटलैंड - बारबाडोस 4 जून, 2024 - मंगलवार - नीदरलैंड बनाम नेपाल - डलास 5 जून, 2024 - बुधवार - भारत बनाम आयरलैंड - न्यूयॉर्क5 जून, 2024 - बुधवार - पापुआ न्यू गिनी बनाम युगांडा - गुयाना 5 जून, 2024 - बुधवार - ऑस्ट्रेलिया बनाम ओमान - बारबाडोस 6 जून, 2024 - गुरुवार - यूएसए बनाम पाकिस्तान - डलास 6 जून, 2024 - गुरुवार - नामीबिया बनाम स्कॉटलैंड - बारबाडोस 7 जून, 2024 - शुक्रवार - कनाडा बनाम आयरलैंड - न्यूयॉर्क 7 जून, 2024 - शुक्रवार - न्यूजीलैंड बनाम अफगानिस्तान - गुयाना 7 जून, 2024 - शुक्रवार - श्रीलंका बनाम बांग्लादेश - डलास 8 जून, 2024 - शनिवार - नीदरलैंड बनाम दक्षिण अफ्रीका - न्यूयॉर्क 8 जून, 2024 - शनिवार - ऑस्ट्रेलिया बनाम इंग्लैंड - बारबाडोस 8 जून, 2024 - शनिवार - वेस्टइंडीज बनाम युगांडा - गुयाना 9 जून, 2024 - रविवार - भारत बनाम पाकिस्तान - न्यूयॉर्क9 जून, 2024 - रविवार - ओमान बनाम स्कॉटलैंड - एंटीगुआ और बारबुडा 10 जून, 2024 - सोमवार - दक्षिण अफ्रीका बनाम बांग्लादेश - न्यूयॉर्क 11 जून, 2024 - मंगलवार - पाकिस्तान बनाम कनाडा - न्यूयॉर्क 11 जून, 2024 - मंगलवार - श्रीलंका बनाम नेपाल - लॉडरहिल 11 जून, 2024 - मंगलवार - ऑस्ट्रेलिया बनाम नामीबिया - एंटीगुआ और बारबुडा 12 जून, 2024 - बुधवार - यूएसए बनाम भारत - न्यूयॉर्क12 जून, 2024 - बुधवार - वेस्टइंडीज बनाम न्यूजीलैंड - त्रिनिदाद और टोबैगो 13 जून, 2024 - गुरुवार - इंग्लैंड बनाम ओमान - एंटीगुआ और बारबुडा 13 जून, 2024 - गुरुवार - बांग्लादेश बनाम नीदरलैंड - सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस 13 जून, 2024 - गुरुवार - अफगानिस्तान बनाम पापुआ न्यू गिनी - त्रिनिदाद और टोबैगो 14 जून, 2024 - शुक्रवार - यूएसए बनाम आयरलैंड - लॉडरहिल 14 जून, 2024 - शुक्रवार - दक्षिण अफ्रीका बनाम नेपाल - सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस 14 जून, 2024 - शुक्रवार - न्यूजीलैंड बनाम युगांडा - त्रिनिदाद और टोबैगो 15 जून, 2024 - शनिवार - भारत बनाम कनाडा - लॉडरहिल15 जून, 2024 - शनिवार - नामीबिया बनाम इंग्लैंड - एंटीगुआ और बारबुडा 15 जून, 2024 - शनिवार - ऑस्ट्रेलिया बनाम स्कॉटलैंड - सेंट लूसिया 16 जून, 2024 - रविवार - पाकिस्तान बनाम आयरलैंड - लॉडरहिल 16 जून, 2024 - रविवार - बांग्लादेश बनाम नेपाल - सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस 16 जून, 2024 - रविवार - श्रीलंका बनाम नीदरलैंड - सेंट लूसिया 17 जून, 2024 - सोमवार - न्यूजीलैंड बनाम पापुआ न्यू गिनी - त्रिनिदाद और टोबैगो 17 जून, 2024 - सोमवार - वेस्टइंडीज बनाम अफगानिस्तान - सेंट लूसिया 19 जून, 2024 - बुधवार - ए2 बनाम डी1 ग्रुप 2 एंटीगुआ और बारबुडा 19 जून, 2024 - बुधवार - बी1 बनाम सी2 ग्रुप 2 सेंट लूसिया 20 जून, 2024 - गुरुवार - सी1 बनाम ए1 ग्रुप 1 बारबाडोस 20 जून, 2024 - गुरुवार - बी2 बनाम डी2 ग्रुप 1 एंटीगुआ और बारबुडा 21 जून, 2024 - शुक्रवार - बी1 बनाम डी1 ग्रुप 2 सेंट लूसिया 21 जून, 2024 - शुक्रवार - ए2 बनाम सी2 ग्रुप 2 बारबाडोस 22 जून, 2024 - शनिवार - ए1 बनाम डी2 ग्रुप 1 एंटीगुआ और बारबुडा 22 जून, 2024 - शनिवार - सी1 बनाम बी2 ग्रुप 1 सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस 23 जून, 2024 - रविवार - ए2 बनाम बी1 ग्रुप 2 बारबाडोस 23 जून, 2024 - रविवार - सी2 बनाम डी1 ग्रुप 2 एंटीगुआ और बारबुडा 24 जून, 2024 - सोमवार - बी2 बनाम ए1 ग्रुप 1 सेंट लूसिया 24 जून, 2024 - सोमवार - सी1 बनाम डी1 ग्रुप 1 सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस 26 जून, 2024 - बुधवार - टीबीडी सेमीफ़ाइनल 1 गुयाना 27 जून, 2024 - गुरुवार - टीबीडी सेमीफ़ाइनल 2 त्रिनिदाद और टोबैगो 29 जून, 2024 - शनिवार - टीबीडी फाइनल बारबाडोस Read the full article
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deshbandhu · 1 year ago
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भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने अफगानिस्तान के खिलाफ यहां अरुण जेटली स्टेडियम में आतिशी बल्लेबाजी का नजारा पेश करते हुए अंतर्रा���्ट्रीय क्रिकेट में सर्वाधिक छक्के उड़ाने में वेस्ट इंडीज के क्रिस गेल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। रोहित ने मात्र 30 गेंदों में सात चौके और दो छक्के उड़ाते हुए अपना अर्धशतक पूरा किया। रोहित ने नवीन उल हक़ पर तीसरा छक्का उड़ाने के साथ यह रिकॉर्ड अपने नाम किया। रोहित के अब 554 छक्के हो गए हैं और उन होने गेल का 553 छक्कों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट में सर्वाधिक छक्के : 554 - रोहित शर्मा 553 - क्रिस गेल 476 - शाहिद आफरीदी 398 - ब्रेंडन मैकुलम 383 - मार्टिन गुप्तिल
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seemantvyas98260 · 1 year ago
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प्रस्तावना
मे जिस विषय मे लिख रहा हूँ उसके कुछ अंश आचार्य चतुरसेन शास्त्री के उपन्यास वैशाली की नगरवधु, कुछ प्राचीन बौद्ध मत,कुछ राजीव रंजन प्रसाद की पुस्तक प्राचीन भारत से लिए गए है ये उस समय की भारत की राजनैतिक सांस्कृतिक और एताहासिक दृष्टिकोण को दर्शाती है यह दर्शाता है की भारत उस समय कितना उन्नत और समृद्ध था कृप्या इसे पूरा पड़े 🙏
वज्जी जनपद और उसकी राजधानी वैशाली का वर्णनं
मुजफ्फरपुर से पश्चिम की और जो पक्की सड़क जाती है।वहां बैसोठ नाम का छोटा गांव है,वहां कुछ घर भूमिहर ब्राह्मणों के कुछ क्षत्रियों के बचे है।गाँव के चारों और टूटी फूटी मुर्तिया और खंडहर ढेर के ढेर मिलते है। जो याद दिलाते है की कभी यहां एक बडा़ विशाल संम्रद्ध नगर बस रहा था। वास्तव मे आज से 2600 साल पहले वैशाली नाम का नगर बसा था।जिसे आज गंडक कहते है उन दिनो इसका नाम सिही था।आज ये नदी इस गांव से कई कोस दूर उत्तर कि और बह रही है।लेकिन ये उन दिनो विधीवारा के निकट गंगा मे मिल गई थी।इस विशाल नगरी कानाम वैशाली था।
- वैशाली की भव्यता का वर्णन -
यहां 7777 प्रासाद (महल),7777 कूटागार(तहखाना,कोठरी)7777उद्यान,7777 पुष्करणि(तालाब )थे धन जन से परिपूर्ण यह नगरी अपनी शोभा की समता नही रखती थी। ये लिच्छवियो के वज्जी संघ की राजधानी थी।विदेह राज्य (राजा जनक का राज्य नेपाल के उत्तर पश्चिम से बिहार तक) टूट��र वज्जी संघ बना था।इस संघ मे विदेही लिच्छवि ,क्षात्रिक,वज्जी,उग्र ,भोज ,इश्वाकू,और कौरव थे ये आठ कुल अष्टकुल कहलाते थै। इनमे से चार कुल प्रधान थे। विदेह की राजधानी मिथला,लिच्छवियो की राजधानी वैशाली ,क्षात्रिको की राजधानी कुंडपुर और वज्जियो की कोलाक थी। और वैशाली पूरे संघ की राजधानी थी।यह गणतंत्र पूरे भारत का आदर्श और सामर्थ्यवान संघ था। जो प्रतापी मगध साम्राज्य की सबसे बड़ी राजनितिक और सामरिक बाधा थी, नगरी के चारो औऱ काठ का तिहरा कौट था जहाँ स्थान स्थान पर गोपूर (बड़ा किला ) औऱ प्रवेश द्वार बने थे गोपूर बहुत ऊँचे थे, उन पर खड़े होकर मिलो तक देखा जय सकता था, प्रहरीगड़ इन पर पीतल के भाले लिए पहरा दिया करते थे,आवश्यकता पड़ने पर तूर (वाद्य यन्त्र )जो बजाकर नागरिकों को संकेत करते थे प्रतिहार तुरंत नगर के रक्षकों को संकेत करते थे, इसके बाद आनन फानन मे नगर मे सैनिक हलचल दिखती थी भीमकाय योद्धा खड़ग चमकाते हुए नगर के द्वार पर खड़े हो जाते थे, वज्जी संघ का शासन एक राज परिषद करती थी, जिसका चुनाव हर 7वे वर्ष उसी अष्टकुल मे होता था,शिल्पीयो औऱ सेठीयो के अलग संघ थे शिल्पीयो के संघ श्रेणी कहलाते थे जिनका संचालन उसका ज्येष्ठ बड़ा करता था जल ओर थल के नियम बनाने वाली श्रेणीया अलग अलग थी,नगर मे श्रेणीयों के कार्यालय और निवास पृथक पृथक थे क्रय विक्रय भी पृथक पृथक समय मे होता था,पर श्रेणीयों की माल की देखरेख सेठो के हाथ मे होती थी ओर इनके प्रधान सेठ की पद मर्यादा राजनितिक और औद्योगिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होती थी तत्स (प्रयागराज )कौशल (गोरखपुर )काशी मगध से घिरा रहने के कारण यह व्यापारिक और राजनितिक संघर्षो का केंद्र बना हुआ था, देश देश के जौहरी, शिल्पकार, और यात्री लोगो से यह नगर सदा परिपूर्ण रहता था, श्रेष्ठी चतवर मे जो यहाँ प्रधान बाजार था, जौहरीयों की बड़ी बड़ी कोठिया थीजिनकी शाखाएं समस्त उत्तराखंड और दक्षिण तक फैली थी सुदूर महिष्मति( मध्य प्रदेश )गौड़ (छत्तीस गढ़ )विदिशा कौशाम्बी पहाड़ की तराईन के रास्ते बड़े बड़े सेठ वैशाली से व्यापार स्थापित किये थे,राजिस्थान के रास्ते अफगानिस्तान, सोवीर (पेशावर खेबर पखतुन खा,)बबिलोंन की प्राचीन सभ्यता तक व्यापार स्तापित किये हुए थे,चौराहे पर बड़े बड़े व्यापारीयों से लेनदेन कर पान मुँह मे दबाकर हस हस कर बात किया करते थे, रेशम और मलमल की द��कानों पर बबिलोंन ओर फारस के व्यापारी भीड़ की भीड़ किया करते थे,नगर की गालिया तंग ओर सकरी थी, बड़ी बड़ी गगनचुम्बी इमारते थी, जिसमे अतुल धन सम्पदा भरी थी,
-वज्जी गड़राज्य और वैशाली के पतन के कारण -
पहला कारण, आम्रपाली की भूमिका,
आम्रपाली वैशाली की सबसे सुन्दर महिला थी, नगर मे ये मान्यता थी की शहर की सबसे सुन्दर लड़की को वैशाली की नगरवधु बना दिया जाता था, जिसे जनपद कल्याणी का ख़िताब दिया जाता था, यह उपाधि सात वर्ष के लिए दी जाती थी जैसे आज कल miss world, miss universe, होती है, मगध के राजा बिम्बिसार और उसके बाद उनके पुत्र आजातशत्रु का प्रेम सम्बन्ध चला, बाद मे इसका पता संथागर सभा को चला, तब आम्रपाली को जेल मे डाल दिया गया, फलस्वरूप अजातशत्रु ने वैशाली पर आक्रमण कर उसे नष्ट कर दिया
-दूसरा कारण -
वैशाली और वज्जी गणराज्य की प्रतिष्ठा लम्बे समय से मगध को खटक रही थी, तनाव का मुख्य कारण गंगा नदी के दोनों तटो पर और उसके सम्पूर्ण व्यापार पर नियंत्रण करना था गंगा नदी पर एक बंदरगाह दोनों के बीच विवाद का केंद्र था, इस तट पर दोनों का आधा आधा हिस्सा था l बंदरगाह के पास बहुमूल्य रत्नो और पत्थरो की एक खदान प्राप्त हुई, समझौता हुआ की इसे दोनों आधा आधा करेंगे, लेकिन खदान से सम्पूर्ण रत्न निकालने के बाद वैशाली ने मगध को रत्न देने से मना कर दिया कोई भी शक्तिशाली राज्य अपने अस्तित्व को ऐसे दर्शाता है, यही राजनीती है,जो भी व्यापारी व्यापार करने बाहर या विदेशो से आते उनसे कर वसूल लिया जाता पर उसका ���ायज हिस्सा मगध को प्रदान नहीं किया जाता था, यही कारण था अजातशत्रु इन्ही कारणों से वैशाली का विनाश चाहते थे l
-बौद्ध मतों के अनुसार भगवान बुद्ध की भूमिका -
बौद्धमतों के अनुसार आजातशत्रु वैशाली के सबंध मे बुद्ध से मंत्रड़ा करना चाहते थे, अजातशत्रु ने अपने प्रधानमंत्री वत्सकार को बुद्ध के पास भेजा, बुद्ध के सर्वाधिक प्रिय शिष्य आनंद इस विमर्श मे सम्मुख बैठे थे, बुद्ध ने वत्सकार की बजाय आनंद को सम्बोधित किया,
बुद्ध -आनंद क्या यह सत्य है वज्जियों की सभा निरन्तर होती रहती है,ओर उसमे सभासद लोगो की संख्या अपेक्षित रहती है,
आनंद -यह सत्य है. मान्यवर
बुद्ध -जब तक वज्जियों की सभा निरन्तर होती रहेगी और उसमे सभासदो की संख्या रहेगी तब तक वज्जियों की बृद्धि ही अपेक्षित है, नहीं तो कोई अंतर नहीं पड़ता,
बुद्ध -क्या वज्जी सभा मे उपस्थित होते है कोई भी निर्णय सर्वसम्मति से करते है
आनंद -हा मान्यवर मेने ऐसा ही सुना है
बुद्ध -जब तक वज्जी सभाओ मे उपस्थित होते रहेंगे ओर उनके निर्णय सर्वसम्मति से होते रहेंगे तब तक उनकी वृद्धि ही अपेक्षित है नहीं तो कोई अंतर नहीं पड़ता,
बुद्ध -क्या वज्जी पुरान�� नियम की अवेहलना नहीं करते समय पर पुराने नियम की विवेचना करते है,
आनंद -हा यह सच है,
बुद्ध -जब तक पुराने नियम की अवैहलना नहीं होंगी ओर नये नियम की विवेचना होंगी तब तक वज्जियों की वृद्धि ही अपेक्षित है नहीं तो अंतर नहीं पड़ता,
बुद्ध -क्या वज्जी स्त्रियों का सम्मान करते है ओर कुल की स्त्रियों पर जोर जबरदस्ती नहीं करते
आनंद - हा मान्यवर ये सच है
बुद्ध -जब तक कुल की स्त्रियों पर जोर जबरदस्ती नहीं होंगी, ओर स्त्रियों का सम्मान होगा तब तक उनकी वृद्धि ही अपेक्षित है, नहीं तो कोई अंतर नहीं पड़ता,
बुद्ध -क्या वज्जी वृधो का सम्मान करते है ओर उनके अनुभवों का लाभ उठाते है
आनंद -हा भंते मेने यही सुना है,
बुद्ध -जब तक वृधो का सम्मान होता रहेगा तब तक उनकी बृद्धि ही अपेक्षित है नहीं तो कोई अंतर नहीं पड़ता,
बुद्ध -क्या वैशाली मे कोई भी व्यापारी स्वेछा से व्यापार कर सकता है, ओर कही भी घूम सकता है,
आनंद -हा यह सत्य है
बुद्ध -जब तक देश विदेश के व्यापारी व्यापार करते रहेंगे, ओर वैशाली मे निर्भीक होकर कही भी जा सकेंगे तब तक उनकी वृद्धि ही अपेक्षित है नहीं तो कोई अंतर नहीं पड़ता,सम्राट अजातशत्रु के मन मे वज्जियों की बृद्धि ही अपेक्षित है, से गहरी निराशा घर कर गई, चालक वत्सकार ने स्पष्ट किया राजन कथागत तो देवपुरुष है,अगर वह भविष्यवाणी कर रहे है तो मगध का दुर्भाग्य ही होगा,लेकिन अगर वह सब कर दिया जाए जो वज्जियों को नहीं करना चाहिए, अर्थात वज्जियों की सभाए नियमित ना हो, सभासदों की उपस्थिति कम हो जाए, वृद्ध और स्त्रियों का सम्मान ना हो, धार्मिक स्वतंत्रता ना रहे, व्यापारियों पर अविश्वास पनप जाए, सभापति को अपनी तरफ से आदेश जारी करने पड़े तो निश्चित रूप से वज्जी पराजित होंगे, इन सबसे यह असंभव कार्य संभव हो सकता है,
वैशाली का पतन
गहरा षड़यंत्र रचा गया, मगध मे अजातशत्रु के दरबार मे वत्सकार ने वज्जियों के पक्ष मे बयान दिया, अजातशत्रु ने वत्सकार को निकालने का ढोंग किया उसे देश निकाला दे दिया गया ओर उसनें शरण पाई वैशाली मे वज्जी संघ मे जाकर वत्सकार ने वैशाली के मुख्य सेनापति बंधुल को भड़काना शुरू किया, ओर वह अपनी पत्नी को जबरदस्ती मुख्यमंत्रियो के पुष्करनी (तालाब ) मे स्नान कराने ले आया जिससे घमासान गृह युद्ध शुरू हो गया जिसमे 500 सैनिक मारे गए, इस घटना से सभासद एक दूसरे पर आरोप लगाने लगे, वत्सकार के कहने पर व्यापारियों से कर ज्यादा वसूला जाने लगा क्योंकि इस नुकसान की भरपाई करनी थी,सभासदों की एक राय होती थी पर वत्सकार की कूटनीति के चलते पर सब एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने लगे, अजातशत्रु ने मौक़े का फायदा उठाकर वज्जियों के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया, पर वज्जी अपने आपसी मतभेद भुलाकर युद्ध करने नहीं फिर भी घमासान युद्ध हुआ, वैशाली के गणाधिपति चेतक ने निश्चित पराजय जानकर कुए मे कुदकर आत्महत्या कर ली, अब वैशाली पर मगध का ध्वज लहरा रहा था
वैशाली के पतन के बाद की स्थति
वैशाली के पतन के बाद मगध भारत का सबसे बड़ा राज्य हो गया जिसका प्रभाव सम्राट अशोक के समय तक स्थापित रहा, और भारत की राजनीती मे भी ��ाफ़ी प्रभाव पड़ा चीन से होते हुए बौद्ध धर्म विदेशो तक पहुंच गया हालांकि भारत की आंतरिक सुरक्षा को कोई फर्क नहीं पड़ा आप इसे अच्छे और बुरे दोनों परिणामो के रूप मे देख सकते हैl
संग्रहकर्ता लेखक - Dr सीमान्त व्यास
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dainiksamachar · 1 year ago
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भारत के इस शहर का नाम लेने में साउथ अफ्रीकी क्रिकेटरों की हालत खराब, शशि थरूर ने ले ली मौज
नई दिल्ली: साउथ अफ्रीकी क्रिकेट टीम क्रिकेट विश्व कप 2023 के लिए भारत �� चुकी है। टीम के खिलाड़ी फिलहाल केरल के में हैं। दक्षिण अफ्रीका के क्रिकेटरों ने अपना अभ्यास शुरू कर दिया और सोमवार को न्यूजीलैंड के खिलाफ क्रिकेट विश्व कप अभ्यास मैच खेल रहे हैं। हालांकि, यह शहर का नाम है, जिसके कारण कुछ खिलाड़ियों को अपना सिर खुजलाना पड़ा। 'तिरुवनंतपुरम' का उच्चारण करने में उनकी हालत खराब हो गई और इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। ने ले ली मौजकांग्रेस के सीनियर पॉलिटिशियन शशि थरूर की ओर से शेयर किए गए वीडियो में अधिकांश दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेटरों को सही उच्चारण करने के लिए संघर्ष करना पड़ा और माहौल थोड़ा फनी बन गया। केशव महाराज, कागिसो रबाडा और लुंगी एंगिडी नाम सही से बोलने में सफल रहे। कई कोशिशों के बाद हेनरिक क्लासेन रहे फेलहेनरिक क्लासेन कई बार कोशिश करने के बावजूद सही नाम बताने में असफल रहे और अंततः उन्होंने पुराने शहर का नाम जानने का फैसला किया, जो त्रिवेन्द्रम है। इस पर थरूर ने एक्स डॉट कॉम पर लिखा- दक्षिण अफ्रीकी लोग तिरुवनंतपुरम आ गए हैं, लेकिन क्या वे किसी को बता सकते हैं कि वे कहां हैं? तिरुवनंतपुरम में दक्षिण अफ्रीका और अफगानिस्तान के बीच विश्व कप अभ्यास मैच शुक्रवार को एक भी गेंद फेंके बिना रद्द कर दिया गया।भारी बारिश ने दोनों पक्षों को निराश कर दिया है, जिनके पास अब अगले सप्ताह टूर्नामेंट शुरू होने से पहले योजनाओं को पूरा करने के लिए एक और अभ्यास है। साउथ अफ्रीकी कप्तान तेम्बा बावुमा को पारिवारिक कारणों से घर जाना पड़ा है। 7 अक्टूबर को दिल्ली में श्रीलंका के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका के टूर्नामेंट के शुरुआती मैच के लिए बावुमा के टीम में फिर से शामिल होने की उम्मीद है। धर्मशाला में बांग्लादेश के खिलाफ अपने टूर्नामेंट की शुरुआत करने से पहले अफगानिस्तान को मंगलवार को गुवाहाटी में श्रीलंका के खिलाफ अंतिम अभ्यास करना है। http://dlvr.it/SwtRRM
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newsdaynight · 1 year ago
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एक बिहारी को दहेज में मिला था पूरा पाकिस्तान और अफगानिस्तान
Delhi: http://dlvr.it/SrdltN
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prabudhajanata · 2 years ago
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हिंदुस्तान वालो, अब तो मान लो। बेचारे आडवाणी जी तो कब से कह रहे थे कि असली सेकुलर तो उनके संघ परिवार वाले ही हैं। बाकी सब तो नकली पंथनिरपेक्ष यानी स्यूडो सेकुलर हैं। बाबरी मस्जिद को, जो बाबर की तो छोड़ो, मस्जिद तक नहीं थी, बल्कि ढांचा भर थी और वह भी विवादित, जब मंदिर वहीं बनाएंगे का रामलला से, संघ-बंधुओं का जो गैर-चुनावी प्रामिस था, उसे पूरा करने के लिए टुकड़ा-टुकड़ा कर के हटाया गया था, उसके बाद तो अडवाणी जी ने हजारों बार यह बात कही थी। और तो और पाकिस्तान में जिन्ना की मजार पर फूल चढ़ाकर उन्हें भी अपना जैसा असली सेकुलर बताने के बाद भी, बार-बार अडवाणी जी ने यही बात कही थी। हाय! आडवाणी जी भगवाइयों के ‘‘मुख’’ से ‘‘आशीर्वाद-मंडल’’ हो गए, पर तुमने उनकी बात मानकर नहीं दी तो नहीं ही दी। पर अब तो जाग्रत हिंदुओं के भगवान नंबर तीन, भागवत जी ने भी कह दी है कि मुसलमान भी चाहें तो हिंदुस्तान में रह सकते हैं। बस जरा सी नजर नीची रखें, फिर तो चाहे घर वापसी किए बिना, मुसलमान बनकर भी हिंदुस्तान में रह सकते हैं! अब उनके असली सेकुलर होने का तुम्हें और क्या सबूत चाहिए, हिंदुस्तान वालो? बेचारे भगवाइयों की और कितनी परीक्षा लोगे! जाग्रत हिंदुओं धीरज की यूं परीक्षा पर परीक्षा और कब तक; अब तो अडवाणी युग खत्म होकर, अडानी युग भी आ गया!पर पट्ठे छद्म सेकुलर वाले अब भी जाग्रत हिंदुओं के असली सेकुलर होने पर सवाल उठाने से बाज कहां आ रहे हैं? मुसलमानों को हिंदुस्तान में रहने देने के लिए भागवत जी का थैंक यू करना तो दूर, उल्टे उन्हीं से पूछ रहे हैं कि आप होते कौन हैं, हिंदुस्तान में कौन रह सकता है, कौन नहीं रह सकता है, इसका फैसला करने वाले! ये हिंदुस्तान तो कम न ज्यादा, बराबर का यहां रहने वाले सभी का है, वगैरह, वगैरह। अब बताइए, भागवत जी ने हिंदुस्तान में कौन नहीं रह सकता है, इसकी बात कही है क्या? माना कि कभी-कभी भागवत जी के परिवार के गर्म मिजाज सदस्य, कभी किसी लेखक को, तो कभी किसी कलाकार को, कभी किसी पढ़े-लिखे को तो कभी राजनीतिक नेता-कार्यकर्ता को, पाकिस्तान और अब अफगानिस्तान भी जाने का रास्ता दिखा देते हैं, मगर सिर्फ निजी हैसियत से। वर्ना न कभी भागवत जी ने और न मोदी जी ने, आफीशियली किसी से भारत से जाने के लिए नहीं कहा है। फिर नहीं रहने का सवाल क्यों उठाया जा रहा है? हां! कैसे, किन शर्तों पर रह सकते हैं, यह दूसरी बात है!फिर भागवत जी ने हिंदुस्तान में रहने के लिए ऐसी कोई शर्त भी कहां लगायी है। उन बेचारे ने सिर्फ इत्ती सी ही तो मांग की है: जरा नजर नीची रखो! इसमें इन छद्म सेकुलरों को प्रॉब्लम क्या है? नजर नीची रखना तो भारतीय संस्कृति की पहचान है। बड़ों के सामने, छोटों का नजर नीची रखना ही तो भारतीय सभ्यता की शान है। झूठी बराबरी के पश्चिमी चश्मे से हर चीज को देखने वाले, कभी इस बात को समझ ही नहीं सकते हैं कि यह किसी नाबराबरी वगैरह का नहीं, अपने से बड़े को आदर देने का मामला है। बच्चा, बड़े को; औरत, मर्द को; नीची जाति वाला, ऊपर वाली जाति वाले को; चेला, गुरु को; मजदूर, मालिक को; कर्जदार, महाजन को; छोटा बाबू, बड़े बाबू को; सिपाही, दरोगा को; प्रजा, राजा को; बिना मांगे आंखें झुकाकर आदर देता है। यही हमारी संस्कृति का आधार है, उसे जोड़े रखने वाला सीमेंट है। तभी तो, हमारे कुटुंब में दुनिया में सबसे ज्यादा जान है। इसीलिए तो, हमारा कुटुंब महान है और सबसे बड़ा भी। अपनी इसी सभ्यता के बल पर तो हम सारी दुनिया को कुटुंब मान पाते हैं। अब छोटे, बड़ों का सम्मान भी नहीं करेंगे, तब तो मियां-बीबी-बच्चों वाला कुटुंब तक चलना मुश्���िल है, फिर वसुधैव कुटुम्बकम की तो बात ही क्या करना!पर यहीं तो खुद को सेकुलर बताने वालों का छद्म एकदम साफ हो जाता है। ये इल्जाम तो भागवत जी वाले जाग्रत हिंदुओं पर लगाते हैं कि वे मुसलमानों, ईसाइयों, दलितों, आदिवासियों, औरतों वगैरह को राष्ट्रीय कुटुंब का हिस्सा नहीं मानते हैं, उनके साथ परायों जैसा बरताव करते हैं, पर खुद ही उन्हें राष्ट्र कुटुंब के लिए पराया बना रहे हैं। अब जब ये खुद ही कुटुंब की संस्कृति से बाहर रहेंगे, तो कुटुंब का हिस्सा कैसे बन पाएंगे। अब यह तो ये खुद को सेकुलर बताने वाले भी कहते हैं कि मुसलमानों वगैरह की तादाद छोटी है। तादाद ही क्यों, ये तो इसका भी ढोल पीटते हैं कि हिंदुस्तान में मुसलमानों की हालत तो, दलितों से भी बुरी है। मनमोहन सिंह ने तो एक बार इतना तक कह दिया था कि जिनकी हालत इतनी कमजोर है, राष्ट्र के संसाधनों पर सबसे पहले दावा उनका ही बनता है। दूसरे शब्दों में ये सब छोटे हैं, गिनती से ही नहीं, औकात से भी। अब छोटे हैं, तो छोटे की तरह रहना भी तो चाहिए--नजरें झुकाकर! वर्ना राष्ट्र कुटुम्ब का हिस्सा
कैसे माने जाएंगे!सच्ची बात यह है कि भागवत जी और उनके जाग्रत हिंदू ही हैं, जो मुसलमानों वगैरह को, राष्ट्र कुटुंब का हिस्सा बनाने की कोशिशों में लगे हैं। उन्हें राष्ट्र कुटुंब का पक्का और वफादार हिस्सा बनाना चाहते हैं। पर खुद को असली बताने वाले ये छद्म सेकुलर ही नाहक राष्ट्र-धर्म के इस यज्ञ में विघ्र कर रहे हैं। ये मुसलमानों वगैरह को यह कहकर गुमराह कर रहे हैं कि उन्हें किसी के सामने आंखें नीची करने की जरूरत नहीं है, खुद को किसी से छोटा-वोटा मानने की जरूरत नहीं है। तिलक के नारे को बिगाड़ कर प्रचारित कर रहे हैं कि बराबरी, हरेक भारतवासी का जन्मसिद्ध अधिकार है। यह डा. अम्बेडकर के संविधान की गारंटी है, वगैरह। लेकिन, ये मुसलमान वगैरह के हितैषियों के वेश में, उनके दुश्मन हैं। उन्हें राष्ट्र कुटुम्ब का हिस्सा बनाने की जगह, ये तो उनके राष्ट्रीय कुटुम्ब का हिस्सा बनने के रास्ते में दीवार खड़ी कर रहे हैं -- बराबरी की एकदम फालतू जिद की दीवार। दुहाई भारत जोड़ने की और काम कुटुंब तोडऩे के लिए दीवार खड़ी करने का! यह अलगाववादी प्रवृत्ति है। इसी अलगाववादी प्रवृत्ति से भागवत जी के संघ परिवार ब्रांड का जाग्रह हिंदू लड़ रहा है। और आज से नहीं, पूरे हजार साल से लड़ रहा है। और जरूरत हुई तो अगले हजार साल तक लड़ेगा। और कानून हो या तलवार या बुलडोजर या कुछ और, जो हथियार मिल गया, उसी से लड़ेगा। और चूंकि ये युद्ध है, युद्ध में तो सब कुछ जायज होता ही है। भागवत जी ने फाइनल ऑफर दे दिया है। याद रहे, यह ऑफर सावरकर-गोलवलकर के ऑफर से बहुत उदार है। अब यह ऑफर भी नामंजूर कर दिया तो फिर, हमले-वमले की शिकायत कोई मत करना। अब जाग्रत हिंदू तो राष्ट्र कुटुम्ब की रक्षा करने के लिए हर कीमत पर लड़ेगा। और युद्ध में उग्रता तो आती ही है। युद्ध में हिंसा भी होती ही है।
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praveenpradhan254121 · 3 years ago
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तालिबान बलों ने पंजशीर पर कब्जा कर लिया, पूरे अफगानिस्तान के नियंत्रण में: रिपोर्ट
तालिबान बलों ने पंजशीर पर कब्जा कर लिया, पूरे अफगानिस्तान के नियंत्रण में: रिपोर्ट
रिपोर्टों की पुष्टि करना तुरंत संभव नहीं था। (फाइल) तालिबान के तीन सूत्रों ने कहा कि इस्लामिक मिलिशिया ने शुक्रवार को काबुल के उत्तर में पंजशीर घाटी पर कब्जा कर लिया था, अफगानिस्तान का आखिरी हिस्सा इसके खिलाफ था। एक तालिबान कमांडर ने कहा, “सर्वशक्तिमान अल्लाह की कृपा से, हम पूरे अफगानिस्तान के नियंत्रण में हैं। संकटमोचनों को हरा दिया गया है और पंजशीर अब हमारे अधीन है।” रिपोर्टों की पुष्टि करना…
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allgyan · 4 years ago
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भारतीय पासपोर्ट कितना शक्तिशाली है ?
भारतीय पासपोर्ट या पासपोर्ट का माने क्या है -
भारतीय पासपोर्ट हो या किसी भी देश का पासपोर्ट कितना शक्तिशाली आखिर इसका आकलन कैसे करेंगे |सबसे पहले हमे इसके लिए पासपोर्ट को समझना होगा |पासपोर्ट या पारपत्र किसी राष्ट्रीय सरकार द्वारा जारी वह दस्तावेज होता है जो अंतर्राष्ट्रीय यात्रा के लिए उसके धारक की पहचान और राष्ट्रीयता को प्रमाणित करता है।पहचान स्थापित करने के लिए नाम, जन्म तिथि, लिंग और जन्म स्थान के विवरण इसमे प्रस्तुत किये जाते हैं।आमतौर पर एक व्यक्ति की राष्ट्रीयता और नागरिकता समान होती हैं।केवल पासपोर्ट रखने भर से धारक किसी दूसरे देश में प्रवेश का या जब धारक किसी दूसरे देश मे हो तो वाणिज्यिदूतीय संरक्षण का अधिकारी नहीं होता।
किसी विशेष स्थिति मे जिसके निपटान हेतु यदि कोई विशेष समझौता प्रभाव में ना हो तो उस स्थिति मे पासपोर्ट, धारक को किसी अन्य विशेषाधिकार का पात्र भी नहीं बनाता, हालांकि सामान्यत: यह धारक को विदेश यात्रा के पश्चात पासपोर्ट जारी करने वाले देश मे लौटने की अनुमति देता है। वाणिज्यिदूतीय संरक्षण का अधिकार अंतरराष्ट्रीय समझौतों से जबकि वापस लौटने का अधिकार जारी कर्ता देश के कानून से उत्पन्न होता है। एक पासपोर्ट जारी कर्ता देश में धारक के किसी अधिकार या उसके निवास स्थान का प्रतिनिधित्व नहीं करता है।आप जान गये होंगे की पासपोर्ट का आखिर काम क्या है | इसके शक्तिशाली होने का मतलब साफतौर ये दर्शाता है की आप की एंट्री कितने देशों में सरलता से हो जाया | और विवरण को हर साल एक रैंक के आधार पर बताया जाता है |आये जानते है दुनिया का सबसे ताकतवर पासपोर्ट और भारतीय पासपोर्ट की ताकत |
दुनिया का सबसे ताकतवर पासपोर्ट किसका -
हेनले और पार्टनर्स  की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट जापान का है और मुझे इतना यकीं है की जब मैंने दुनिया सबसे ताकतवर पासपोर्ट की बात की होगी तो आपके जेहन में अमेरिका का नाम जरूर आया होगा |लेकिन अमेरिका की गिनती भले ही दुनिया के सबसे ताकतवर देश के तौर पर होती हो, मगर उसका पासपोर्ट इस लिस्ट में 7वें नंबर है|इस रैंकिंग में दूसरे नंबर पर सिंगापुर,तीसरी रैंक पर जर्मनी और साउथ कोरिया है और चौथी रैंक में चार देशों ने जगह पाई है और उनमें हैं फिनलैंड, इटली, स्पेन और लक्जेम्बर्ग |5वें स्थान पर ऑस्ट्रिया और डेनमार्क हैं. छठे नंबर पर 5 देश हैं. इनमें फ्रांस, नीदरलैंड्स स्वीडन और पुर्तगाल शामिल हैं|भारतीय पासपोर्ट को इस रैंकिंग में 85 रैंक मिला है और उसी तरह भारत के दोनों पड़ोसियों की स्थति भी कोई खास नहीं है चीन को इसमें 70 वा स्थान मिला है और पाकिस्तान तो नीचे से चौथे स्थान पर है |सातवीं रैंक पर 6 देशों को शामिल किया गया है |नार्वे, बेल्जियम ,स्विज़रलैंड ,और ब्रिटेन |
रैंकिंग का निर्धारण कैसे किया गया है -
दुनिया के कई ऐसे देश हैं जिन्होंने कुछ देशों के पासपोर्टधारकों को अपने यहां एंट्री नहीं दी हुई हैऔर जिस पासपोर्ट को सबसे ज्यादा देशों ने अपने यहां स्वीकृति दी हुई है, उसी आधार पर पासपोर्ट की रैंक तैयार की जाती है| जैसे जापान के पासपोर्टधारकों को 191 देशों में ऑन अराइवल की सुविधा दी जाती है पासपोर्ट की रैंकिग से पता चलता है कि उस देश के कितने नागरिक बिना वीजा के घूम सकते हैं|इसे आप वीसा ऑन अराइवल कह सकते है इसका सीधा से मतलब है की आपको इतने देशों में बिना वीसा के केवल पासपोर्ट के साथ घूम सकते है जैसी जापान के लोग 191 देश ऐसी सुविधा दे रहे है जिससे उसे इस तालिका में नंबर एक जगह मिली है |भारत के नागरिकों को करीब 58 देशों में ऑन अराइवल की सुविधा दी जाती है और भारत के साथ तजाकिस्तान को भी 85वीं रैंकिंग मिली है| इसका सीधा सा मतलब है की भारत को 58 देशों के लिए वीसा की जरुरत नहीं है |सबसे नीचले पायदान पर अफगानिस्तान है जिसको 110 स्थान मिला है उसके पासपोर्ट धारकों को केवल 28 देश ही वीसा ऑन अराइवल की सुविधा दे रखी है |वही पाकिस्तान को 107 वी रैंक मिली है पाकिस्तानी नागरिकों को दुनिया के 32 देशों में वीजा ऑन अराइवल की सुविधा मिलती है|कुछ देशों के ने आपस में समझौता कर रखा है |
��ीसा ऑन अराइवल का टैग देते समय बहुत कुछ देखते है -
1995 में 26 यूरोपीय देशों ने एक दूसरे के यहां बिना सीमा नियंत्रण के आने-जाने संबंधी समझौता किया था।लेकिन एयरलाइंस कंपनी चाहे तो यात्रियों की पहचान के लिए पासपोर्ट की मांग कर सकती है। मिसाल के तौर पर अमरीकी नागरिक अगर कैरेबियाई देश या बरमूडा जा रहे हैं तो पासपोर्ट की जगह पर केवल पासपोर्ट कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस या मिलिट्री पहचान पत्र से काम चल सकता है।ब्रिटेन और आयरलैंड के नागरिक भी एक दूसरे के यहां केवल फोटो पहचान पत्र के साथ आ जा सकते हैं। ब्रिटेन की महारानी अकेली ऐसी ब्रितानी हैं जिन्हें पासपोर्ट की कोई ज़रूरत नहीं होती है।देशों में पासपोर्ट के रंगों को लेकर कोई सख्त नियम तो नहीं हैं।लेकिन पासपोर्ट के आकार, उसके पन्नों और उसपर लिखी जाने वाली जानकारी के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक हैं। रंगों को लेकर छूट दी गई है।देखिये वैसे कई मानक हो सकता हो छूट गये हो लेकिन सुरक्षा का जो मानक वो हर जगह लागु होता है |किसी भी देश को लगता है की यहाँ के देश के नागरिकों से हमे खतरा नहीं है ये भी मापदंड वीसा ऑन अराइवल का टैग देते समय ध्यान दिया जाता है | हमारा उद्देश्य हमेशा आपतक कुछ अलग हट के चीजें पेश करने का रहता है अगर आप हमे अपना प्यार देने के लायक समझे तो ये हमारा सौभाग्य होगा |
पूरा जानने के लिए-http://bit.ly/39Ibnrr
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namhashivay · 2 years ago
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यह रहा साईं बाबा का कच्चा चिट्ठा
साईं का जन्म 1838 में हुआ था, पर कैसे हुआ और उसके बाद की पूरी कथा बहुत
ही रोचक है, साईं के पिता का असली नाम
था #बहरुद्दीन, जो कि अफगानिस्तान का एक #पिंडारी था, वैसे इस पर एक फिल्म भी आई थी जिसमे पिंडारियो को देशभक्त बताया गया है, ठीक वैसे ही जैसे गाँधी ने मोपला और नोआखली में हिन्दुओ के हत्यारों को स्वतंत्रता सेनानी कहा था.
औरंगजेब की मौत के बाद मुग़ल साम्राज्य ख़तम सा हो गया था केवल दिल्ली उनके अधीन थी, मराठा के वीर सपूतो ने एक तरह से हिन्दू साम्राज्य की नीव रख ही दी थी, ऐसे समय में मराठाओ को बदनाम करके उनके इलाको में लूटपाट करने का काम ये पिंडारी करते थे, इनका एक ही काम था लूटपाट करके जो औरत मिलती उसका बलात्कार करना!! आज एक का
बलात्कार कल दूसरी का, इस तरह से ये
��राठाओ को तंग किया करते थे, पर समय के साथ साथ देश में अंग्रेज आये और उन्होंने इन पिंडारियो को मार मार कर ख़तम करना शुरू किया.
#साईं_का_बाप जो एक पिंडारी ही था, उसका मुख्य काम था अफगानिस्तान से भारत के राज्यों में #लूटपाट करना!! एक बार लूटपाट करते करते वह महाराष्ट्र के अहमदनगर पहुचा जहा वह एक वेश्या के घर रुक गया, उम्र भी जवाब दे रही थी, सो वो उसी के पास रहने लग गया, कुछ समय बाद उस वेश्या से उसे एक लड़का और एक लड़की पैदा हुआ, लड़के का नाम उसने #चाँद_मियां रखा और उसे लेकर लूटपाट
करना सिखाने के लिए उसे अफगानिस्तान ले गया.
उस समय अंग्रेज पिंडारियो की ज़बरदस्त धर पकड़ कर रहे थे, इसलिए बहरुद्दीन भेस बदल कर लूटपाट करता था. उसने अपने सन्देश वाहक के लिए चाँद मिया को रख लिया|
चाँद मिया आज कल के उन मुसलमान
भिखारियों की तरह था जो चादर फैला कर
भीख मांगते थे, जिन्हें अँगरेज़ #blanket_beggar कहते थे, चाँद मिया का काम था लूट के लिए सही वक़्त देखना और सन्देश अपने बाप को देना, वह उस सन्देश को लिख कर उसे चादर के नीचे सिल कर हैदराबाद से अफगानिस्तान तक ले जाता था | पर एक दिन ये चाँद मियां अग्रेजो
के हत्थे लग गया और उसे पकडवाने में झाँसी के लोगो ने अंग्रेजो की मदद की जो अपने इलाके में हो रही लूटपाट से तंग थे.
उसी समय देश में पहली आजादी की क्रांति हुई और पूरा देश क्रांति से गूंज उठा| अंग्रेजो के लिए विकट समय था और इसके लिए उन्हें खूंखार लोगो की जरुरत थी, बहर्दुद्दीन तो था ही धन का लालची, सो उसने अंग्रेजो से हाथ मिला लिया और झाँसी चला गया वह. उसने लोगो से
घुलमिल कर झाँसी के किले में प्रवेश किया और समय आने पर पीछे से दरवाजा खोल कर रानी लक्ष्मी बाई को हराने में अहम् भूमिका अदा की|
यही चाँद मिया आठ साल बाद जेल से छुटकर कुछ दिन बाद शिर्डी पंहुचा और वह के सुलेमानी लोगो से मिला जिनका असली
काम था गैर-मुसलमानों के बीच रह कर
चुपचाप इस्लाम को बढ़ाना. चाँद मियां ने
वही से अल तकिया का ज्ञान लिया और
हिन्दुओ को फ़साने के लिए #साईं नाम रख कर शिर्डी में आसन जमा कर बैठ गया!! मस्जिद को जानबूझ कर एक हिन्दू नाम दिया और उसके वहा ठहराने का पूरा प्रबंध सुलेमानी मुसलमानों ने किया, एक षड्यंत्र के तहत साईं को #भगवान_का_रूप दिखाया गया और पीछे से ही हिन्दू मुस्लिम एकता की बाते करके ��्वाभिमानी मराठाओ को #मुर्दा बनाने के लिए उन्हें उनके ही असली दुश्मनों से एकता निभाने का पाठ पढाया गया. पर पीछे ही पीछे साईं का असली मकसद था लोगो में #इस्लाम_को_बढ़ाना, इसका एक
उदाहरण साईं सत्चरित्र में है कि साईं के पास एक पोलिस वाला आता है जिसे साईं मार मार भगाने की बात कहता है, अब असल में हुआ ये की एक पंडित जी ने अपने पुत्र को शिक्षा दिलवाने के लिए साईं को सोंप दिया पर साईं ने उसका #खतना कर दिया. जब पंडित जी को पता चला तो उन्होंने कोतवाली में रिपोर्ट कर दी! साईं को पकड़ने के लिए एक पुलिस वाला भी आया जिसे साईं ने मार कर भगाने की बात कही थी, ये तभी की फोटो है जब पुलिस वाला साईं को पकड़ने गया था और #साईं_बुरका_पहन_कर_भागा_था.
मेरी साई बाबा से कोई निजी दुष्मनी नही है,
परतुं हिन्दू धर्म को नाश हो रहा है, इसलिए मै कुछ सवाल करना चाहता हूँ -
हिन्दू धर्म एक सनातन धर्म है, लेकिन लोग आज कल लोग इस बात से परिचित नही है क्या? जब भारत मे अंग्रेजी सरकार अत्याचार और सबको मौत के घाट उतार रहे थे तब साई बाबा ने कौन से ब्रिटिश अंग्रेजो के साथ आंदोलन किया ? जिदंगी भीख मांगने मे कट गई? मस्जिद मे रह कर कुरान पढना जरूरी था. बकरे हलाल
करना क्या जरूरी था ? सब पाखंड है, पैसा
कमाने का जरिया है। ऐसा कौन सा दुख है कि उसे भगवान दूर नही कर सकते है. श्रीमद भगवत गीता मे लिखा है कि
श्मशान और समाधि की पुजा करने वाले मनुष्य राक्षस योनी को प्राप्त होते हैं.
साई जैसे #पाखंडी की आज इतनी ज्यादा
मार्केटिंग हो गयी है कि हमारे हिन्दू भाई
बहिन आज अपने मूल धर्म से अलग होकर #साई_मुल्ले कि पूजा करने लगे है। आज लगभग हर मंदिर में इस #जिहादी ने कब्जा कर लिया है।
हनुमान जी ने हमेशा सीता राम कहा और आज के मूर्ख हिन्दू हनुमान जी का अपमान करते हुए #सीता_राम_कि_जगह_साई_राम कहने लग गए ।
बड़ी शर्म कि बात है। आज जिसकी मार्केटिंग ज्यादा उसी कि पूजा हो रही है। इसी लिए कृष्ण भगवान ने कहा था कि कलयुग में इंसान पथ और धर्म दोनों से भ्रष्ट हो जाएगा। 100 मे से 99 को नहीं पता साई कौन था, इसने कौन सी किताब लिखी क्या उपदेश दिये पर फिर भी #भगवान_बनाकर_बैठे_है।
साई के माँ बाप का सही सही पता नहीं पर
मूर्खो को ये पता है कि ये किस किस के
अवतार है। अंग्रेज़ो के जमाने मे मूर्खो के साई भगवान पैदा होकर मर गए पर किसी भी एक महामारी भ��खमरी मे मदद नहीं की। इसके रहते भारत गुलाम बना रहा पर इन महाशय को कोई खबर नहीं रही। शिर्डी से कभी बाहर नहीं निकला पर पूरे देश मे अचानक इनकी मौत के 90-100 साल बाद इसके #मंदिर_कुकरमूतते_की_तरह_बनने_लगे। चालीसा हनुमान जी की हुआ करती
थी आज साई की हो गयी।
#राम_सीता_के_हुआ_करते_थे। आज साई ही राम हो गए।
#श्याम_राधा_के_थे आज वो भी साई बना दिये गए।
#बृहस्पति_दिन_विष्णु_भगवान_का_होता_था आज साई का मनाया जाने लगा। #भगवान_की_मूर्ति_मंदिरो_में_छोटी_हो_गयी और साई विशाल मूर्ति मे हो गए।
#प्राचीन_हनुमान_मंदिर_दान_को_तरस_गए और साई मंदिरो के तहखाने तक भर गए।
#मूर्ख_हिन्दुओ अगर दुनिया मे सच मे
कलयुग के बाद भगवान ने इंसाफ किया तो याद रखना #मुँह_छुपाने_के_लिए_और_अपनी_मूर्ख_बुद्धि_पर_तरस_खाने_के_लिए_कही_शरण_भी_न_मिलेगी।
इसलिए भागवानो की तुलना #मुल्ले_साई_से_करके_पाप_मत_करो।
और इस लेख को पढ़ने के बाद भी न समझ मे आए तो #अपना_खतना_करवा_के_मुसलमान_बन_जाओ।
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dainiksamachar · 2 years ago
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VIDEO: फिर क्यों लड़े विराट कोहली और गौतम गंभीर, समझें झगड़े की पूरी कहानी
लखनऊ: इंडियन प्रीमियर लीग में बीती रात एकाना स्टेडियम में मेजबान लखनऊ सुपरजायंट्स और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के बीच मुकाबला खेला गया। आरसीबी की जान विराट कोहली और भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज यानी लखनऊ टीम के मेंटॉर गौतम गंभीर मैदान पर बुरी तरह भिड़ गए। दोनों दिग्गजों के बीच गरमा-गरम बहस देखने को मिली। कई प्लेयर्स बीच-बचाव करने आए, लेकिन विराट-गौतम पर तो अलग ही धुन सवार थी। धीरे-धीरे घटना के कई वीडियोज इंटरनेट पर सामने आ रहे हैं, चलिए आपको पूरे विवाद की जड़ बताते हैं। समझाते हैं कि आखिर दोनों के बीच लड़ाई शुरू कैसे हुई।तीन हफ्ते पीछे चलते हैंअसल मायनों में देखा जाए तो पूरे विवाद की शुरुआत चंद हफ्ते पहले गौतम गंभीर के उस इशारे से हो गई थी, जो उन्होंने 10 अप्रैल की रात बैंगलोर को उसके घर में हराने के बाद एम.चिन्नास्वामी स्टेडियम में हूटिंग करते दर्शकों की ओर दिखाई थी। अपने फैंस के इस अपमान की टीस कोहली के दिल में कहीं दबी हुई थी, जो वह बीती रात के मैच में बार-बार दिखाते नजर आए। यहां से हुई विवाद की शुरुआत?विराट ने जब चौथे ओवर में लखनऊ के बल्लेबाज क्रुणाल पंड्या का का कैच लॉन्ग ऑफ पर लपका तो उनका जोश देखने लायक था। वह स्टैंड्स की तरफ देखकर अपना सीना ठोक रहे थे फिर फ्लाइंग किस दिया। इसके बाद मुंह पर उंगली रखकर शायद अपना बदला पूरा किया।वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। लखनऊ के डगआउट में बैठे गौतम गंभीर सबकुछ चुपचाप देख रहे थे।हाथ मिलाते वक्त बढ़ी बात लो स्कोरिंग मैच में आरसीबी ने 18 रन से जीत दर्ज करते हुए अपनी पिछली हार का बदला लिया। मैच खत्म होने के बाद दोनों टीमों के खिलाड़ी हाथ मिला रहे थे। इस दौरान अफगानिस्तान के नवीन-उल-हक और विराट कोहली के बीच बहस शुरू हो गई। इसके बाद विराट कोहली को उनके टीममेट्स अलग लेकर चले गए। लखनऊ की पारी के दौरान जब नवीन बल्लेबाजी कर रहे थे, तब भी विराट से उनकी तकरार हुई थी। यहां हुई गौतम गंभीर की एंट्रीविराट कोहली इसके बाद लखनऊ के ऑलराउंडर काइल मेयर्स के साथ बातचीत कर रहे थे। तभी गंभीर गए और मेयर्स को बुलाकर अलग ले गए। दूर जाते हुए गौतम गंभीर लगातार कुछ-कुछ कहते नजर आ रहे हैं, जो दूसरे एंगल से देखने पर ही दिखाई पड़ता है, इसके बाद विराट कोहली ने इशारा करके गौतम गंभीर को बुलाया और फिर दोनों में में कहासुनी शुरू हो गई। अमित मिश्रा और विजय दहिया, केएल राहुल, फाफ डुप्लेसिस जैसे सीनियर प्लेयर्स बीच-बचाव की कोशिश में थे, लेकिन दोनों भिड़ते ही चले गए। इस बीच विराट तो विजय दहिया पर भी झुंझलाते नजर आए। मैच की बात करें तो लखनऊ सुपर जायंट्स का घर पर खराब प्रदर्शन जारी रहा क्योंकि वर्षाबाधित लो स्कोरिंग मैच में टीम 127 रन भी चेज नहीं कर पाई। लखनऊ की शुरुआत खराब रही और उसने सात ओवरों में अपने शीर्ष पांच बल्लेबाज गंवा दिए। कृष्णप्पा गौतम ने कुछ हिम्मत जरूर दिखाई, लेकिन एलएसजी 19.5 ओवर में 108 रन पर आउट हो गई। http://dlvr.it/SnNbPz
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