#पूजा_तथा_साधना_में_अंतर
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‘‘#पूजा_तथा_साधना_में_अंतर‘‘ प्रश्न :- काल ब्रह्म की पूजा करनी चाहिए या नहीं? गीता में प्रमाण दिखाऐं। उत्तरः- नहीं करनी चाहिए। पहले आप जी को पूजा तथा साधना का भेद बताते हैं। भक्ति अर्थात् पूजा :- जैसे हमारे को पता है कि पृथ्वी के अन्दर मीठा शीतल जल है। उसको प्राप्त कैसे किया जा सकता है? उसके लिए बोकी के द्वारा जमीन में सुराख किया जाता है, उस सुराख (ठवतम) में लोहे की पाईप डाली जाती है, फिर हैण्डपम्प (नल) की मशीन लगाई जाती है, तब वह शीतल जीवनदाता जल प्राप्त होता है। हमारा पूज्य जल है, उसको प्राप्त करने के लिए प्रयोग किए उपकरण तथा प्रयत्न साधना जानें। यदि हम उपकरणों की पूजा में लगे रहे तो जल प्राप्त नहीं कर सकते, उपकरणों द्वारा पूज्य वस्तु प्राप्त होती है। अन्य उदाहरण :- जैसे पत��व्रता स्त्र परिवार के सर्व सदस्यों का सत्कार करती है, सास-ससुर का माता-पिता के समान, ननंद का बड़ी-छोटी बहन के समान, जेठ-देवर का बड़े-छोटे भाई के समान, जेठानी-देवरानी का बड़ी-छोटी बहनों के समान, परंतु वह पूजा अपने पति की करती है। जब वे अलग होते हैं तो अपने हिस्से की सर्व वस्तुऐं उठाकर अपने पति वाले मकान में ले जाती है। अन्य उदाहरण :- जैसे हमारी इच्छा आम खाने की होती है, हमारे लिए आम का फल पूज्य है। उसे प्राप्त करने के लिए धन की आवश्यकता पड़ती है। धन संग्रह करने के लिए मजदूरी/नौकरी/खेती-बाड़ी करनी पड़ती है, तब आम का फल प्राप्त होता है। इसलिए आम पूज्य है तथा अन्य क्रिया साधना है। साध्य वस्तु को प्राप्त करने के लिए साधना करनी पड़ती है, साधना भिन्न है, पूजा अर्थात्भ क्ति भिन्न है। स्पष्ट हुआ। प्रश्न चल रहा है कि क्या ब्रह्म की पूजा करनी चाहिए। उत्तर में कहा है कि नहीं करनी चाहिए। अब श्रीमद् भगवत गीता में प्रमाण दिखाते हैं। गीता अध्याय 7 श्लोक 12 से 15 में तो गीता ज्ञान दाता ने बता दिया कि तीनों गुणों (रजगुण श्री ब्रह्मा जी, सतगुण श्री विष्णु जी तथा तमगुण श्री शिव जी) की भक्ति व्यर्थ है। फिर गीता अध्याय 7 के श्लोक 16,17,18 में गीता ज्ञान दाता ब्रह्म ने अपनी भक्ति से होने वाली गति अर्थात् मोक्ष को “अनुत्तम” अर्थात् घटिया बताया है। बताया है कि मेरी भक्ति चार प्रकार के व्यक्ति करते हैं। 1. अर्थार्थी :- धन लाभ के लिए वेदों अनुसार अनुष्ठान करने वाले। 2. आर्त :- संकट निवारण के लिए वेदों अनुसार अनुष्ठान करने वाले। 3. जिज्ञासु :- परमात्मा के विषय में जानने के इच्छुक। (ज्ञान ग्रहण करके स्वयं वक्ता बन जाने वाले) इन तीनों प्रकार के ब्रह्म पुजारियों को व्यर्थ बताया है। 4. ज्ञानी :- ज्ञानी को पता चलता है कि https://www.instagram.com/p/B_OwBsgpzty/?igshid=14quferm6p986
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