Tumgik
#पूजा भट्टी
sharpbharat · 2 years
Text
jamshedpur-excise-department- उत्पाद विभाग ने बिरसानगर और सीतारामडेरा इलाके में छापामारी कर बरामद की अवैध शराब, एफआईआर दर्ज
jamshedpur-excise-department- उत्पाद विभाग ने बिरसानगर और सीतारामडेरा इलाके में छापामारी कर बरामद की अवैध शराब, एफआईआर दर्ज
जमशेदपुर: उत्पाद विभाग ने दुर्गा पूजा को लेकर अवैध शराब बेचने वालों और बनाने वालों के खिलाफ अभियान चला रखा है. शुक्रवार को विभाग के अधिकारियों के निर्देश पर उत्पाद विभाग की टीम ने बिरसा नगर थाना क्षेत्र के नूतनडीह नाला किनारे जंगल में चल रही दो अवैध महुआ शराब भट्टी को ध्वस्त कर दिया. (नीचे भी पढ़े) इसके बाद सीतारामडेरा थाना क्षेत्र के कल्याण नगर में भी छापामारी की गई और अवैध महुआ शराब जब्त की गई.…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
trendingwatch · 2 years
Text
चुप: कलाकार का बदला टीज़र - गुरु दत्त की जयंती पर, दुलकर सलमान की ओर से श्रद्धांजलि
चुप: कलाकार का बदला टीज़र – गुरु दत्त की जयंती पर, दुलकर सलमान की ओर से श्रद्धांजलि
अभी भी से चुप: कलाकार का बदला छेड़ने वाला। (शिष्टाचार: पेन मूवीज) नई दिल्ली: गुरुदत्त की जयंती पर, दुलारे सलमान शेयर किया अपनी आने वाली फिल्म का टीजर, चुप: कलाकार का बदला. आर बाल्की द्वारा निर्देशित, मनोवैज्ञानिक थ्रिलर हिंदी सिनेमा के आइकन गुरु दत्त को एक श्रद्धांजलि है, जिन्हें 1950 और 60 के दशक के दौरान उनकी सिनेमाई कलात्मकता के लिए याद किया जाता है। दुलकर के अलावा, फिल्म सितारे सनी देओल,…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
nikhilsangani · 2 years
Text
बेटी आलिया भट्ट को रणबीर कपूर को सौंपने के बाद भावुक हुए महेश भट्ट, दामाद से मिले- बेटी आलिया भट्ट की शादी के बाद
बेटी आलिया भट्ट को रणबीर कपूर को सौंपने के बाद भावुक हुए महेश भट्ट, दामाद से मिले- बेटी आलिया भट्ट की शादी के बाद
https://www.iamgujarat.com/photo/msid-90876539,imgsize-2226891/pic.jpg जब एक बेटी बूढ़ी हो जाती है, तो उसके माता-पिता उससे शादी करने के लिए सबसे ज्यादा उत्साहित और खुश होते हैं। जब एक बेटी यह सोचकर रोती है कि शादी के मंडप में बैठी वह हमेशा के लिए चली जाएगी, तो वह उसका पिता है, चाहे वह सामान्य व्यक्ति हो या सेलिब्रिटी। आलिया भट्ट और रणबीर कपूर ने भी पांच साल तक रिलेशनशिप में रहने के बाद गुरुवार,…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
insolubleworld · 3 years
Text
पूजा भट्ट ने शराब छोड़ने के पांच साल पूरे होने का जश्न मनाया
पूजा भट्ट ने शराब छोड़ने के पांच साल पूरे होने का जश्न मनाया
अभिनेत्री-फिल्म निर्माता पूजा भट्ट ने गुरुवार को संयम के पांच साल पूरे किए और कहा कि वह जीवन के प्रति आभारी महसूस करती हैं। 90 के दशक के लोकप्रिय सितारे, जिन्हें डैडी, दिल है की मानता नहीं, सड़क, तमन्ना और ज़ख्म जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है, ने इस उपलब्धि का जश्न मनाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। “मुझे जन्मदिन मुबारक हो! आज पांच साल शांत। कृतज्ञता। विनम्रता। लिबर्टी, ”उसने लिखा। मुझे…
View On WordPress
1 note · View note
mrdevsu · 3 years
Text
Mahesh Bhatt Controversies: महेश भट्ट अपनी बेटी से क्यों करना चाहते थे शादी? किस पर फेंकी थी चप्पल?
Mahesh Bhatt Controversies: महेश भट्ट अपनी बेटी से क्यों करना चाहते थे शादी? किस पर फेंकी थी चप्पल?
ताजी के बाद एक्शन में सीएम चनी: पानी और बिजली माफ़ी, अपना जोड़ा-पर आंच आई तो गल ख़राब . Source link
View On WordPress
0 notes
lifestylechacha · 3 years
Text
लोहड़ी पर निबंध - Essay on Lohri in Hindi
Tumblr media
Essay on Lohri in Hindi: लोहड़ी का त्यौहार जो हर वर्ष 13 जनवरी को मकर संक्रांति के ठीक एक दिन पहले आता है. यह त्यौहार पंजाबियों के त्यौहारो में से ही एक प्रसिद्ध त्यौहार है. जो पंजाब में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन अब यह त्यौहार देश विदेश में भी प्रचलित है जहां जहां पंजाबी लोग रहते हैं. इस त्यौहार को सिन्धी समाज में भी मकर संक्रांति के ठीक एक दिन पहले "लाल लाही" पर्व के रूप में मनाया जाता है.  इस दिन लोग शाम को अग्नि जलाकर उसके चारों तरफ घुमते है और नाचते गाते हैं. लोहड़ी पर निबंध : Essay on Lohri in Hindi लोहड़ी जोकि विशेष तौर पर पंजाबियों का त्यौहार है. इस दिन की तैयारी कुछ दिन पहले से ही शुरु हो जाती है. लोहड़ी वाले दिन फिर लोग एक दूसरे को लोहड़ी की बधाई देते है और रात्रि में लकड़ियों की अग्नि को जलाकर उसके चकर लगाते हैं. उसमे वह रेवड़ी, मुंगफली, मेवे आदि डालते है और फिर उसी को प्रसाद के रूप में लोंगो में वितरित किया जाता है. इस दिन इनमे भागड़ा का अपना ही महत्व है और लोग ढ़ोल बजाते है, फिर ढ़ोल की आवाज पर वो भागड़ा करके नाचते गाते हैं. इस अवसर पर लोग मंगल गीत भी गाते हैं. यहां पर नई शादी शुदा लोगों को इस दिन जिनकी पहली लोहड़ी होती है उन्हें बधाई दी जाती है और या फिर जिनके यहां बच्चा हुआ होता है. उनका अलग ही महत्व होता है और उन्हीं से सबसे पहले पूजा कराई जाती है फिर बाद में बाकी सब करते हैं.   लोहड़ी को कहते थे पहले तिलोड़ी : लोहड़ी को पहले के समय में तिलोड़ी कहा जाता था. तिलोड़ी का मतलब था तिल और रोड़ी ( यनि गुड़ की रोड़ी )। अब इन दोनों को मिलाकर लोहड़ी बना दिया गया है. जो काफी प्रसिद्ध हो गया है. लोहड़ी की महत्ता : लोहड़ी की महत्ता काफी प्रसिद्ध हो गई है. यह न ही भारत में प्रसिद्ध हैं बल्कि देश विदेश में निवास कर रहे पंजाबियों की वजह से मकर संक्रांति के एक दिन पहले वहां वहां लोहड़ी की धूम मची रहती है और जितने लोग उनते ही अलग अलग सुप्रचलित लोक कथाएँ और उनका अपना ही महत्व है. जिस कारण लोग इस त्यौहार को बनते हैं जैसे - मकर संक्रांति के ठीक एक दिन पहले कंस ने कृष्ण को मरने के लिए लोहिता नामक राक्षसी को गोकुल भेजा था. कृष्ण ने इस राक्षसी को खेल खेल में मार गिराया था. इस घटना की स्मृति के रूप में लोहिता का पर्व मनाया जाता है. सिन्धी समाज में भी मकर संक्रांति से ठीक एक दिन पहले लाल लाही पर्व के रूप में मनाया जाता है. धार्मिक महत्व : कहा जाता है कि इस दिन सूर्य अपने सुदूर बिंदु की ओर फिर से मुख करना प्रारंभ कर देते हैं. यह पर्व वर्ष के शुरुआती समय में 13 जनवरी को मनाया जाता है. इस समय सर्दियों का मौसम जाने वाला होता है. इस पर्व की धूम धाम ज्यादा दिल्ली पंजाब और हरियाणा में देखने को मिलती है क्योंकि इस समय कॄषक लोगों की फसल पाक कर तैयार हो चुकी होती है. जिसे उन्होंने अपनी मेहनत से बोया और सींचा था. इस पर्व के दिन रात्रि को जब पूजा होती हैं तो वो अपनी नई गेंहू के फसल की बालों को जलाकर करते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार : एक समय की बात है जब दो कन्याए थी. जिनका नाम सुंदरी और मुंदरी था. जो कि अनाथ थी . उनका एक चाचा था वो भी उनकी विधिवत विवाह करने की जगह एक राजा को भेंट करने जा रहा था. उस समय एक दुल्ला भट्टी जो कि पहले एक डाकू हुआ करता था. उसने उन दोनों को उन जालिमों से बचाया और विधिवत उनका विवाह कराया. दुल्ला भट्टी ने एक डाकू होते हुए भी मुसीबत के समय उन लड़कियों की मदद की थी. यहां भी कहा जाता है कि दुल्ले ने शुगन के रूप में दोनों कन्या को एक सेट शक्कर की उनकी झोली में डाल दी थी. इस ने इन दोनों कन्याओ के पिता की भूमिका निभाई थी इसलिए इस दिन को दुल्ला के नाम से भी मनाया जाता है.   संत कबीर : कहा यह भी जाता है कि इस पर्व को संत कबीर की पत्नी लोई की याद में मनाया जाता है. इसलिए इस पर्व को लोई भी कहते हैं. इस प्रकार यह पर्व पूरे उत्तर भारत में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है.   समय के साथ बदलाव : समय के साथ साथ इन पर्व को मानने के तरीके में भी बदलाव आ गया है. जहाँ पंजाब में इस त्यौहार को परंपरागत तरीके से मनाया जाता है तो वही दूसरी तरफ दिल्ली में इस त्यौहार को आधुनिक रूप दे दिया गया है. पंजाब में इस दिन आम बात होती है कि वह की बहुए घर घर जा कर लोक गीत गाते हुए लोहड़ी मांगती है. इस दिन दुल्ला भट्टी की लोकगीत गाते हुए महिलाएं उनका आभार व्यक्त करती है. (ज्योति कुमारी) Read the full article
0 notes
santoshclub · 3 years
Photo
Tumblr media
लोहड़ी का पर्व मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है. पारंपरिक तौर पर लोहड़ी फसल की बुआई और उसकी कटाई से जुड़ा विशेष त्योहार है. इस दिन अग्नि में तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मूंगफली चढ़ाई जाती हैं. साथ ही दुल्ला-भट्टी की कहानी भी सुनी जाती है. इस बार ये पर्व 13 जनवरी को मनाया जा रहा है. क्यों मनाई जाती है लोहड़ी? लोहड़ी के त्योहार का संबंध फसल की बुआई और उसकी कटाई से जुड़ा है. इस दिन पंजाब और हरियाणा में नई फसल की पूजा करने की परंपरा है. वहीं रात के समय लोहड़ी जलाई जाती है. पुरुष लोहड़ी की आग के पास भांगड़ा करते हैं, वहीं महिलाएं गिद्दा करती हैं. सभी रिश्तेदार एक साथ मिलकर डांस करते हुए बहुत धूम-धाम से लोहड़ी का जश्न मनाते हैं. लोहड़ी पर सुनते हैं दुल्ला भट्टी की कहानी लोहड़ी की आग के पास घेरा बनाकर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनी जाती है. लोहड़ी पर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनने का खास महत्व होता है. मान्यता है कि मुगल काल में अकबर के समय में दुल्ला भट्टी नाम का एक शख्स पंजाब में रहता था. उस समय कुछ अमीर व्यापारी सामान की जगह शहर की लड़कियों को बेचा करते थे, तब दुल्ला भट्टी ने उन लड़कियों को बचाकर उनकी शादी करवाई थी. तब से हर साल लोहड़ी के पर्व पर दुल्ला भट्टी की याद में उनकी कहानी सुनाने की पंरापरा चली आ रही है. आगे ही बढ़ते जाना है #dhlinfrabulls #dhlinfrabullssamuh #mankiyatra #dhlbharat #aagehibadhtejanahai #आगे_ही_बढ़ते_जाना_है https://www.instagram.com/p/CYpNGlahGah/?utm_medium=tumblr
0 notes
vilaspatelvlogs · 4 years
Text
Lohri 2021: दुल्ला भट्टी के बिना अधूरी है लोहड़ी, जानें इसके पीछे की कहानी !
Lohri 2021: दुल्ला भट्टी के बिना अधूरी है लोहड़ी, जानें इसके पीछे की कहानी !
नई दिल्ली: मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) के एक दिन पहले हर साल 13 जनवरी को लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है. इस त्योहार को पंजाब और हरियाणा में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. पंजाब और हरियाणा के अलावा अब देश के कई हिस्सों में लोहड़ी (Lohri) का पर्व मनाया जाने लगा है. Pradosh Vrat 2021: साल 2021 का पहला प्रदोष व्रत आज, जानें पूजा विधि और महत्व बहुत खास होती है लोहड़ीपंजाबियों के लिए लोहड़ी उत्सव…
View On WordPress
0 notes
nikhilsangani · 3 years
Text
बॉलीवुड सीरियल किसर का आलिया भट्ट से है खास कनेक्शन, जानिए क्या है पूरा मामला
बॉलीवुड सीरियल किसर का आलिया भट्ट से है खास कनेक्शन, जानिए क्या है पूरा मामला
https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/03/10/e98df5eb9d417827b45976afd6ae061b_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&imheight=628 बॉलीवुड सीरियल किसर यानी इमरान हाशमी और गंगूबाई काठियावाड़ी एक्ट्रेस आलिया भट्ट का खास कनेक्शन है। बॉलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी की सफलता के बाद से लगातार चर्चा में हैं। आलिया अक्सर अपनी फिल्मों के साथ-साथ अपनी निजी…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
insolubleworld · 3 years
Text
सनी देओल: मैं अक्षय कुमार और अजय देवगन की तरह साल में चार-पांच फिल्में करना चाहता हूं - टाइम्स ऑफ इंडिया
सनी देओल: मैं अक्षय कुमार और अजय देवगन की तरह साल में चार-पांच फिल्में करना चाहता हूं – टाइम्स ऑफ इंडिया
सनी देओल ने हाल ही में निर्देशक अनिल शर्मा और अभिनेत्री अमीषा पटेल के साथ गदर 2 की शूटिंग शुरू की थी। फिल्म हिमाचल प्रदेश की ठंडी जलवायु में फ्लोर पर चली गई। मुहूर्त शॉट के दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। सालों से सोशल मीडिया गदर: एक प्रेम कथा के बारे में अलग-अलग तरीकों से बात कर रहा है। जहां कुछ लोग सदी के मोड़ पर बनी फिल्म की सामग्री की सराहना करते हैं, वहीं कुछ उपयोगकर्ता चुटकुले और मीम्स…
View On WordPress
0 notes
mrdevsu · 3 years
Text
दीपिका-विद्या से लेकर अनुष्का तक, शादी के बाद इन अभिनेत्रियों ने नहीं बदला अपना सरनेम
दीपिका-विद्या से लेकर अनुष्का तक, शादी के बाद इन अभिनेत्रियों ने ���हीं बदला अपना सरनेम
डिपा-विद्या से नियंत्रक, शापित के बाद इन अभिनेत्रों ने अपना सरनेम . Source link
View On WordPress
0 notes
chaitanyabharatnews · 5 years
Text
भीषण गर्मी में आम रस पीने से बीमार हुए भगवान, वैद्य ने दी 15 दिन बेड रेस्ट की सलाह
Tumblr media
चैतन्य भारत न्यूज कोटा. भारत के कई राज्यों में गर्मी के कारण हाहाकार मचा हुआ है। राजस्थान भट्टी की तरह तप रहा है। राज्य के चूरू जिले में तो गर्मी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यहां का तापमान 51 डिग्री तक पहुंच चुका है। न सिर्फ इंसान व जीव-जंतु बल्कि अब तो भगवान का भी तपती गर्मी से बुरा हाल हो गया है। जी हां... कोटा जिले के एक मंदिर में विराजे भगवान भी गर्मी के कारण बीमार हो गए हैं। वैद्य ने उन्हें 15 दिन आराम (बेड रेस्ट) करने की सलाह दी है।
Tumblr media
23 जून तक आराम करेंगे भगवान कोटा के रामपुरा में एक प्राचीन जगदीश मंदिर है। 7 जून को यहां विराजे भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र को 200 किलों के आम रस का भोग लगाया था। इतनी गर्मी में आम रस खाने से भगवान की तबियत खराब हो गई। फिर पंडितों ने वैद्य को बुलाया। वैद्य ने भगवान की नाड़ी की जांच की। इसके बाद उन्होंने लौंग और तुलसी से इलाज शुरू किया। वैद्य ने कहा कि, भगवान की सेहत में सुधार होने में कम से कम 15 दिन लग सकते हैं। भगवान को किसी तरह की परेशानी न हो इसके लिए मंदिर की घंटियों पर कपड़ा बांध दिया गया है। मंदिर के कपाट भी 23 जून तक के लिए बंद कर दिए हैं।
Tumblr media
औषधि का लग रहा है भोग वैद्य रोजाना आकर भगवान के स्वास्थ्य की जांच करते हैं। शनिवार से ही भगवान की नियमित देखभाल की जा रही है। रोजाना औषधि के रूप में तुलसी, लौंग और काली मिर्च का भोग भगवान को लगाया जाता है। मंदिर की देखभाल करने वाले एस के चिरंजीवी ने बताया कि, भगवान की सेहत में सुधार होते ही 23 जून की शाम को साढ़े सात बजे मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे। फिर दर्शन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। 24 जून को मंदिर परिसर में हवन होगा। फिर 25 जून की सुबह साढ़े सात बजे से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाएगी। ये भी पढ़े चिलचिलाती गर्मी से पूरा देश बेहाल, बारिश के लिए मंदिरों में पूजा-पाठ कर रहे लोग आज भारत के इन राज्यों को मिल सकती है तपती गर्मी से राहत, तेज बारिश होने की संभावना     Read the full article
0 notes
onlinekhabarapp · 5 years
Text
यसवर्ष बिस्केट जात्राको रथ दिउँसोमा तानिने
२२ चैत, काठमाडौं । आगामी २७ गतेबाट भक्तपुरबाट शुरु भई नौ दिनसम्म मनाइने भक्तपुरको प्रसिद्ध बिस्केट जात्रालाई शान्तिपूर्ण रुपमा सम्पन्न गर्न सरोकारवाला सहमत भएका छन् ।
हरेक वर्ष ढुङ्गा हानाहान हुने र ज्यानसम्म जाने गरी जात्रा सञ्चालन हुँदा प्रसिद्ध जात्राको नकारात्मक सन्देश गएको भन्दै यसवर्ष जात्रालाई शान्तिपूर्ण र मर्यादित रुपमा सम्पन्न गर्न भक्तपुर नगरपालिकाले कार्यदल समेत गठन गरेको छ ।
भक्तपुर नगरपालिकाका नगर प्रमुख सुनिल प्रजापतिले जात्रालाई शान्तिपूर्ण र मर्यादित रुपमा सम्पन्न गर्न कार्यदल गठन गरेको बताउँदै यसवर्ष रथ दिउँसो तान्ने गरी व्यवस्था मिलाएको बताए ।
गुठी संस्थानले दिने सेवा सुविधा कम भएको र गुठीको पूजा ढिलो आउने गरेको भन्दै जात्रा सञ्चालन गर्ने नाइके एवं पूजारीले मुख्य पूजा ढिलो सञ्चालन गर्दा भैरवको रथ तान्न रातपर्ने र रथ तान्ने क्रममा ढुङ्गा हानाहान हुने गरेको छ ।
यसवर्ष यो समस्यालाई समाधान गर्दै दिउँसो २ बजे नै रथ तान्ने व्यवस्था मिलाएको नगरपालिकाको भनाइ छ । जात्रा सञ्चालन गर्ने दिन २७ गते बिहान ७ बजे भक्तपुर नगरपालिका क्षेत्र परिक्रमा गर्ने गरी प्रचारप्रसार सहितको सद्भाव र्‍याली तथा जनचेतनासभा आयोजना गरिने भएको छ ।
जात्राको अवधिमा रथ तानिने मूल सडक, जात्रा हुने स्थान र चोकमा राखिएका भूकम्पले भत्काएका घरका भग्नावशेष एवं निर्माण सामग्री र अन्य सामग्री २५ गतेभित्र हटाइसक्ने भएको छ ।
जात्रालाई शान्तिपूर्ण रुपमा सम्पन्न गर्न जात्राको पहिलो दिन २७ गते र अन्तिम वैशाख ५ गते तौमढीबाट भैरवनाथको रथ तानेर पूर्वमा बुलबुल हिटी, सुकुलढोकासम्म र पश्चिममा नासमनासम्म मात्र लैजाने गरी सीमा निर्धारण गरिएको नगर प्रमुख प्रजापतिले जानकारी दिए ।
जात्राको समयावधिमा भक्तपुर नगर क्षेत्रका भट्टी पसल तथा मदिरा पसलमाथि निगरानी एवं नियन्त्रण गर्न प्रहरी परिचालन गरिने भएको छ ।
0 notes
vibudhah · 6 years
Link
संवाद सहयोगी, कादियां : कादियां नगर में विप्र संघ भारत द्वारा नौ दिन की कार्यशाला का समापन हो गया। 25 दिसंबर से आरंभ हुई इस कार्यशाला के समापन कार्यक्रम में दैनिक प्रार्थना सभा बटाला से मुख्य अतिथि के रूप में ज¨तदर नाथ शर्मा तथा उनके सहयोगी सोहन लाल प्रभाकर जी उपस्थित हुए। उनके आने पर विप्र संघ की सभापति विनोद कुमारी शर्मा, अध्यक्ष पूजा तिवारी, उपाध्यक्ष नीरज बाला, मानवधिकार विभाग के सचिव अभिषेक भट्टी, सांस्कृतिक विभाग के सचिव ओमकार शास्त्री, समाजिक सेवा विभाग सचिव ज्योति गुप्ता, राजनीति जागरूकता विभाग से मेघा शर्मा, प्रबंधक साहिल सेठ ने उनको सम्मानित करते हुए भेंट किए फूल।
मुख्य अतिथि ने संस्था की प्रशंसा करते हुए कहा कि आज देश में इस प्रकार की संस्थाओं का होना बहुत आवश्यक है, जो किसी प्रकार की राजनैतिक पार्टी का पक्ष न लेकर निष्पक्ष होकर समाज के लिए हो रहे अच्छे कार्यो को समर्थन करे। उन्होंने आगे कहा कि विप्र संघ के नाम से यह समष्ट होता है की यह बहुत ही बुद्धिजीवी व्यक्तियों का समूह व संगठन है, जो भारत को आगे लाने के लिए सभी वर्ग के व्यक्तियों को साथ जोड़ रहा है। विप्र संघ से ओमकार शास्त्री जी ने कहा कि कुछ लोग इस संगठन को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का हिस्सा समझ रहे हैं, विप्र संघ का अर्थ विवेकी व्यक्तियों का संगठन है, जिसके अपने उद्देश्य तथा विचारधारा है। इसकी बाकी सभी संगठनों से भिन्न कार्यनीति है। मुख्य सचिव विनय पुष्करणा ने कहा कि हम जल्द ही एक नई शिक्षा प्रणाली का गठन करने जा रहे हैं, जिसके माध्यम से हम आने वाले बच्चों को इतना जागरूक एवं सक्षम कर देंगे कि बड़े से बड़े भ्रष्ट नेता भी उनके सामने थर-थर कांपा करेंगे। विप्र संघ की अध्यक्ष पूजा तिवारी ने अधिक से अधिक विवेकी लोगों को इस संस्था से जुड़ने को कहा। अंत में सभी बच्चों एवं सदस्यों ने शांति पाठ कर सबके हित की कामना करते इस कार्यक्रम को पूर्ण किया।
0 notes
moneycontrolnews · 5 years
Quote
जीवन मंत्र डेस्क. सकट चौथ का व्रत हिन्दू कैलेण्डर के माघ महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को किया जाता है। सकट चौथ को संकटा चौथ, संकष्टी चतुर्थी, माघी चौथ, तिलकुटा चौथ या वक्रतुंडी चतुर्थी भी कहा जाता है। इस बार ये व्रत 13 जनवरी को किया जाएगा।हिन्दू पंचांग के अनुसार एक महीने में 2 बार चतुर्थी तिथि आती है। इनमें अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। वहीं पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्णपक्ष की चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी होती है। दोनों तरह की चतुर्थी पर गणेशजी की पूजा की जाती है। सकट चौथ कब है इस बार सकट चौथ (संकष्टी चतुर्थी) 13 जनवरी को शाम 05.35 पर शुरू हो जाएगी और 14 जनवरी को दोपहर 02.50 तक रहेगी। इसलिए 13 जनवरी सोमवार को सुबह-शाम गणेश जी की पूजा की जाएगी और रात को चंद्रमा के दर्शन और पूजा कर के व्रत खोला जाएगा। इसका महत्व सकट चौथ पूरे साल में पड़ने वाली 4 बड़ी चतुर्थी तिथियों में से एक है। सकट चौथ पर सुहागन स्त्रियां सुबह-शाम गणेशजी की पूजा करती है और रात में चंद्रमा के दर्शन और पूजा करने के बाद पति का आशीर्वाद लेती हैं। इसके बाद व्रत खोला जाता है। इस तरह व्रत करने से संतान की उम्र लंबी होती है और दाम्पत्य जीवन में कभी संकट नहीं आता। शादीशुदा जीवन में प्रेम के साथ सुख भी बना रहता है। इस व्रत को करने से पति के भी सारे संकट दूर हो जाते हैं। व्रत कथा सतयुग में राजा हरिश्चंद्र के राज्य में एक कुम्हार था। एक बार तमाम कोशिशों के बावजूद जब उसके बर्तन कच्चे रह जा रहे थे तो उसने यह बात एक पुजारी को बताई। पुजारी ने बताया कि किसी छोटे बच्चे की बलि से यह समस्या दूर हो सकती है। इसके बाद उस कुम्हार ने एक बच्चे को पकड़कर भट्टी में डाल दिया। वह सकट चौथ का दिन था। काफी खोजने के बाद भी जब उसक�� मां को उसका बेटा नहीं मिला तो उसने गणेश जी के समक्ष सच्चे मन से प्रार्थना की। उधर जब कुम्हार ने सुबह उठकर देखा तो भट्टी में उसके बर्तन तो पक गए लेकिन बच्चा भी सुरक्षित था। इस घटना के बाद कुम्हार डर गया और राजा के समक्ष पहुंच पूरी कहानी बताई। इसके पश्चात राजा ने बच्चे और उसकी मां को बुलवाया तो मां ने संकटों को दूर करने वाले सकट चौथ की महिमा का वर्णन किया। तभी से महिलाएं अपनी संतान और परिवार के सौभाग्य और लंबी आयु के लिए व्रत को करने लगीं। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Sakat Chauth is celebrated for the long life of children on 13 January
http://poojakamahatva.blogspot.com/2020/01/13.html
0 notes
jmyusuf · 6 years
Text
जीवन में पैतीस पार का मर्द........
कैसा होता है ? थोड़ी सी सफेदी कनपटियों के पास, खुल रहा हो जैसे आसमां बारिश के बाद, जिम्मेदारियों के बोझ से झुकते हुए कंधे, जिंदगी की भट्टी में खुद को गलाता हुआ, अनुभव की पूंजी हाथ में लिए, परिवार को वो सब देने की जद्दोजहद में, जो उसे नहीं मिल पाया था, बस बहे जा रहा है समय की धारा में, एक खूबसूरत सी बीवी, दो प्यारे से बच्चे, पूरा दिन दुनिया से लड़ कर थका हारा, रात को घर आता है, सुकून की तलाश में, लेकिन क्या मिल पाता है सुकून उसे, दरवाजे पर ही तैयार हैं बच्चे, पापा से ये मंगाया था, वो मंगाया था, नहीं लाए तो क्यों नहीं लाए, लाए तो ये क्यों लाए वो क्यों नहीं लाए, अब वो क्या कहे बच्चों से, कि जेब में पैसे थोड़े कम थे, कभी प्यार से, कभी डांट कर, समझा देता है उनको, एक बूंद आंसू की जमी रह जाती है, आँख के कोने में, लेकिन दिखती नहीं बच्चों को, उस दिन दिखेगी उन्हें, जब वो खुद, बन जाएंगे माँ बाप अपने बच्चों के, खाने की थाली में दो रोटी के साथ, परोस दी हैं पत्नी ने दस चिंताएं, कभी, तुम्हीं नें बच्चों को सर चढ़ा रखा है, कुछ कहते ही नहीं, कभी, हर वक्त डांटते ही रहते हो बच्चों को, कभी प्यार से बात भी कर लिया करो, लड़की सयानी हो रही है, तुम्हें तो कुछ दिखाई ही नहीं देता, लड़का हाथ से निकला जा रहा है, तुम्हें तो कोई फिक्र ही नहीं है, पड़ोसियों के झगड़े, मुहल्ले की बातें, शिकवे शिकायतें दुनिया भर की, सबको पानी के घूंट के साथ, गले के नीचे उतार लेता है, जिसने एक बार हलाहल पान किया, वो सदियों नीलकंठ बन पूजा गया, यहाँ रोज़ थोड़ा थोड़ा विष पीना पड़ता है, जिंदा रहने की चाह में, फिर लेटते ही बिस्तर पर, मर जाता है एक रात के लिए, क्योंकि सुबह फिर जिंदा होना है, काम पर जाना है, कमा कर लाना है, ताकि घर चल सके,....ताकि घर चल सके.....ताकि घर चल सके।।।। सभी पिताऔ को समर्पित,,,,,,,
0 notes