#पूजा भट्टी
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*🕉️🚩🕉️पापांकुशा एकादशी व्रत कथा🕉️🚩🕉️*
धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे कि हे भगवान! आश्विन शुक्ल एकादशी का क्या नाम है? अब आप कृपा करके इसकी विधि तथा फल कहिए। भगवान श्रीकृष्ण कहने लगे कि हे युधिष्ठिर! पापों का नाश करने वाली इस एकादशी का नाम पापांकुशा एकादशी है। हे राजन! इस दिन मनुष्य को विधिपूर्वक भगवान पद्मनाभ की पूजा करनी चाहिए। यह एकादशी मनुष्य को मनवांछित फल देकर स्वर्ग को प्राप्त कराने वाली है।
मनुष्य को बहुत दिनों तक कठोर तपस्या से जो फल मिलता है, वह फल भगवान गरुड़ध्वज को नमस्कार करने से प्राप्त हो जाता है। जो मनुष्य अज्ञानवश अनेक पाप करते हैं परंतु हरि को नमस्कार करते हैं, वे नरक में नहीं जात���। विष्णु के नाम के कीर्तन मात्र से संसार के सब तीर्थों के पुण्य का फल मिल जाता है। जो मनुष्य शार्ङ्ग धनुषधारी भगवान विष्णु की शरण में जाते हैं, उन्हें कभी भी यम यातना भोगनी नहीं पड़ती।
जो मनुष्य वैष्णव होकर शिव की और शैव होकर विष्णु की निंदा करते हैं, वे अवश्य नरकवासी होते हैं। सहस्रों वाजपेय और अश्वमेध यज्ञों से जो फल प्राप्त होता है, वह एकादशी के व्रत के सोलहवें भाग के बराबर भी नहीं होता है। संसार में एकादशी के बराबर कोई पुण्य नहीं। इसके बराबर पवित्र तीनों लोकों में कुछ भी नहीं। इस एकादशी के बराबर कोई व्रत नहीं। जब तक मनुष्य पद्मनाभ की एकादशी का व्रत नहीं करते हैं, तब तक उनकी देह में पाप वास कर सकते हैं।
हे राजेन्द्र! यह एकादशी स्वर्ग, मोक्ष, आरोग्यता, सुंदर स्त्री तथा अन्न और धन की देने वाली है। एकादशी के व्रत के बराबर गंगा, गया, काशी, कुरुक्षेत्र और पुष्कर भी पुण्यवान नहीं हैं। हरिवासर तथा एकादशी का व्रत करने और जागरण करने से सहज ही में मनुष्य विष्णु पद को प्राप्त होता है। हे युधिष्ठिर! इस व्रत के करने वाले दस पीढ़ी मातृ पक्ष, दस पीढ़ी पितृ पक्ष, दस पीढ़ी स्त्री पक्ष तथा दस पीढ़ी मित्र पक्ष का उद्धार कर देते हैं। वे दिव्य देह धारण कर चतुर्भुज रूप हो, पीतांबर पहने और हाथ में माला लेकर गरुड़ पर चढ़कर विष्णुलोक को जाते हैं।
हे नृपोत्तम! बाल्यावस्था, युवावस्था और वृद्धावस्था में इस व्रत को करने से पापी मनुष्य भी दुर्गति को प्राप्त न होकर सद्गति को प्राप्त होता है। आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की इस पापांकुशा एकादशी का व्रत जो मनुष्य करते हैं, वे अंत समय में हरिलोक को प्राप्त होते हैं तथा समस्त पापों से मुक्त हो जाते हैं। सोना, तिल, भूमि, गौ, अन्न, जल, छतरी तथा जूती दान करने से मनुष्य यमराज को नहीं देखता।
जो मनुष्य किसी प्रकार के पुण्य कर्म किए बिना जीवन के दिन व्यतीत करता है, वह लोहार की भट्टी की तरह साँस लेता हुआ निर्जीव के समान ही है। निर्धन मनुष्यों को भी अपनी शक्ति के अनुसार दान करना चाहिए तथा धनवालों को सरोवर, बाग, मकान आदि बनवाकर दान करना चाहिए। ऐसे मनुष्यों को यम का द्वार नहीं देखना पड़ता तथा संसार में दीर्घायु होकर धनाढ्य, कुलीन और रोगरहित रहते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा- हे राजन! जो आपने मुझसे मुझसे पूछा वह सब मैंने आपको बतलाया। अब आपकी और क्या सुनने की इच्छा है?
#motivational motivational jyotishwithakshayg#tumblr milestone#akshayjamdagni#mahakal#panchang#hanumanji#rashifal#nature
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चुप: कलाकार का बदला टीज़र - गुरु दत्त की जयंती पर, दुलकर सलमान की ओर से श्रद्धांजलि
चुप: कलाकार का बदला टीज़र – गुरु दत्त की जयंती पर, दुलकर सलमान की ओर से श्रद्धांजलि
अभी भी से चुप: कलाकार का बदला छेड़ने वाला। (शिष्टाचार: पेन मूवीज) नई दिल्ली: गुरुदत्त की जयंती पर, दुलारे सलमान शेयर किया अपनी आने वाली फिल्म का टीजर, चुप: कलाकार का बदला. आर बाल्की द्वारा निर्देशित, मनोवैज्ञानिक थ्रिलर हिंदी सिनेमा के आइकन गुरु दत्त को एक श्रद्धांजलि है, जिन्हें 1950 और 60 के दशक के दौरान उनकी सिनेमाई कलात्मकता के लिए याद किया जाता है। दुलकर के अलावा, फिल्म सितारे सनी देओल,…
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बेटी आलिया भट्ट को रणबीर कपूर को सौंपने के बाद भावुक हुए महेश भट्ट, दामाद से मिले- बेटी आलिया भट्ट की शादी के बाद
बेटी आलिया भट्ट को रणबीर कपूर को सौंपने के बाद भावुक हुए महेश भट्ट, दामाद से मिले- बेटी आलिया भट्ट की शादी के बाद
https://www.iamgujarat.com/photo/msid-90876539,imgsize-2226891/pic.jpg जब एक बेटी बूढ़ी हो जाती है, तो उसके माता-पिता उससे शादी करने के लिए सबसे ज्यादा उत्साहित और खुश होते हैं। जब एक बेटी यह सोचकर रोती है कि शादी के मंडप में बैठी वह हमेशा के लिए चली जाएगी, तो वह उसका पिता है, चाहे वह सामान्य व्यक्ति हो या सेलिब्रिटी। आलिया भट्ट और रणबीर कपूर ने भी पांच साल तक रिलेशनशिप में रहने के बाद गुरुवार,…
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पूजा भट्ट ने शराब छोड़ने के पांच साल पूरे होने का जश्न मनाया
पूजा भट्ट ने शराब छोड़ने के पांच साल पूरे होने का जश्न मनाया
अभिनेत्री-फिल्म निर्माता पूजा भट्ट ने गुरुवार को संयम के पांच साल पूरे किए और कहा कि वह जीवन के प्रति आभारी महसूस करती हैं। 90 के दशक के लोकप्रिय सितारे, जिन्हें डैडी, दिल है की मानता नहीं, सड़क, तमन्ना और ज़ख्म जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है, ने इस उपलब्धि का जश्न मनाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। “मुझे जन्मदिन मुबारक हो! आज पांच साल शांत। कृतज्ञता। विनम्रता। लिबर्टी, ”उसने लिखा। मुझे…
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Mahesh Bhatt Controversies: महेश भट्ट अपनी बेटी से क्यों करना चाहते थे शादी? किस पर फेंकी थी चप्पल?
Mahesh Bhatt Controversies: महेश भट्ट अपनी बेटी से क्यों करना चाहते थे शादी? किस पर फेंकी थी चप्पल?
ताजी के बाद एक्शन में सीएम चनी: पानी और बिजली माफ़ी, अपना जोड़ा-पर आंच आई तो गल ख़राब . Source link
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jamshedpur-excise-department- उत्पाद विभाग ने बिरसानगर और सीतारामडेरा इलाके में छापामारी कर बरामद की अवैध शराब, एफआईआर दर्ज
jamshedpur-excise-department- उत्पाद विभाग ने बिरसानगर और सीतारामडेरा इलाके में छापामारी कर बरामद की अवैध शराब, एफआईआर दर्ज
जमशेदपुर: उत्पाद विभाग ने दुर्गा पूजा को लेकर अवैध शराब बेचने वालों और बनाने वालों के खिलाफ अभियान चला रखा है. शुक्रवार को विभाग के अधिकारियों के निर्देश पर उत्पाद विभाग की टीम ने बिरसा नगर थाना क्षेत्र के नूतनडीह नाला किनारे जंगल में चल रही दो अवैध महुआ शराब भट्टी को ध्वस्त कर दिया. (नीचे भी पढ़े) इसके बाद सीतारामडेरा थाना क्षेत्र के कल्याण नगर में भी छापामारी की गई और अवैध महुआ शराब जब्त की गई.…
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लोहड़ी पर निबंध - Essay on Lohri in Hindi
Essay on Lohri in Hindi: लोहड़ी का त्यौहार जो हर वर्ष 13 जनवरी को मकर संक्रांति के ठीक एक दिन पहले आता है. यह त्यौहार पंजाबियों के त्यौहारो में से ही एक प्रसिद्ध त्यौहार है. जो पंजाब में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन अब यह त्यौहार देश विदेश में भी प्रचलित है जहां जहां पंजाबी लोग रहते हैं. इस त्यौहार को सिन्धी समाज में भी मकर संक्रांति के ठीक एक दिन पहले "लाल लाही" पर्व के रूप में मनाया जाता है. इस दिन लोग शाम को अग्नि जलाकर उसके चारों तरफ घुमते है और नाचते गाते हैं. लोहड़ी पर निबंध : Essay on Lohri in Hindi लोहड़ी जोकि विशेष तौर पर पंजाबियों का त्यौहार है. इस दिन की तैयारी कुछ दिन पहले से ही शुरु हो जाती है. लोहड़ी वाले दिन फिर लोग एक दूसरे को लोहड़ी की बधाई देते है और रात्रि में लकड़ियों की अग्नि को जलाकर उसके च��र लगाते हैं. उसमे वह रेवड़ी, मुंगफली, मेवे आदि डालते है और फिर उसी को प्रसाद के रूप में लोंगो में वितरित किया जाता है. इस दिन इनमे भागड़ा का अपना ही महत्व है और लोग ढ़ोल बजाते है, फिर ढ़ोल की आवाज पर वो भागड़ा करके नाचते गाते हैं. इस अवसर पर लोग मंगल गीत भी गाते हैं. यहां पर नई शादी शुदा लोगों को इस दिन जिनकी पहली लोहड़ी होती है उन्हें बधाई दी जाती है और या फिर जिनके यहां बच्चा हुआ होता है. उनका अलग ही महत्व होता है और उन्हीं से सबसे पहले पूजा कराई जाती है फिर बाद में बाकी सब करते हैं. लोहड़ी को कहते थे पहले तिलोड़ी : लोहड़ी को पहले के समय में तिलोड़ी कहा जाता था. तिलोड़ी का मतलब था तिल और रोड़ी ( यनि गुड़ की रोड़ी )। अब इन दोनों को मिलाकर लोहड़ी बना दिया गया है. जो काफी प्रसिद्ध हो गया है. लोहड़ी की महत्ता : लोहड़ी की महत्ता काफी प्रसिद्ध हो गई है. यह न ही भारत में प्रसिद्ध हैं बल्कि देश विदेश में निवास कर रहे पंजाबियों की वजह से मकर संक्रांति के एक दिन पहले वहां वहां लोहड़ी की धूम मची रहती है और जितने लोग उनते ही अलग अलग सुप्रचलित लोक कथाएँ और उनका अपना ही महत्व है. जिस कारण लोग इस त्यौहार को बनते हैं जैसे - मकर संक्रांति के ठीक एक दिन पहले कंस ने कृष्ण को मरने के लिए लोहिता नामक राक्षसी को गोकुल भेजा था. कृष्ण ने इस राक्षसी को खेल खेल में मार गिराया था. इस घटना की स्मृति के रूप में लोहिता का पर्व मनाया जाता है. सिन्धी समाज में भी मकर संक्रांति से ठीक एक दिन पहले लाल लाही पर्व के रूप में मनाया जाता है. धार्मिक महत्व : कहा जाता है कि इस दिन सूर्य अपने सुदूर बिंदु की ओर फिर से मुख करना प्रारंभ कर देते हैं. यह पर्व वर्ष के शुरुआती समय में 13 जनवरी को मनाया जाता है. इस समय सर्दियों का मौसम जाने वाला होता है. इस पर्व की धूम धाम ज्यादा दिल्ली पंजाब और हरियाणा में देखने को मिलती है क्योंकि इस समय कॄषक लोगों की फसल पाक कर तैयार हो चुकी होती है. जिसे उन्होंने अपनी मेहनत से बोया और सींचा था. इस पर्व के दिन रात्रि को जब पूजा होती हैं तो वो अपनी नई गेंहू के फसल की बालों को जलाकर करते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार : एक समय की बात है जब दो कन्याए थी. जिनका नाम सुंदरी और मुंदरी था. जो कि अनाथ थी . उनका एक चाचा था वो भी उनकी विधिवत विवाह करने की जगह एक राजा को भेंट करने जा रहा था. उस समय एक दुल्ला भट्टी जो कि पहले एक डाकू हुआ करता था. उसने उन दोनों को उन जालिमों से बचाया और विधिवत उनका विवाह कराया. दुल्ला भट्टी ने एक डाकू होते हुए भी मुसीबत के समय उन लड़कियों की मदद की थी. यहां भी कहा जाता है कि दुल्ले ने शुगन के रूप में दोनों कन्या को एक सेट शक्कर की उनकी झोली में डाल दी थी. इस ने इन दोनों कन्याओ के पिता की भूमिका निभाई थी इसलिए इस दिन को दुल्ला के नाम से भी मनाया जाता है. संत कबीर : कहा यह भी जाता है कि इस पर्व को संत कबीर की पत्नी लोई की याद में मनाया जाता है. इसलिए इस पर्व को लोई भी कहते हैं. इस प्रकार यह पर्व पूरे उत्तर भारत में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. समय के साथ बदलाव : समय के साथ साथ इन पर्व को मानने के तरीके में भी बदलाव आ गया है. जहाँ पंजाब में इस त्यौहार को परंपरागत तरीके से मनाया जाता है तो वही दूसरी तरफ दिल्ली में इस त्यौहार को आधुनिक रूप दे दिया गया है. पंजाब में इस दिन आम बात होती है कि वह की बहुए घर घर जा कर लोक गीत गाते हुए लोहड़ी मांगती है. इस दिन दुल्ला भट्टी की लोकगीत गाते हुए महिलाएं उनका आभार व्यक्त करती है. (ज्योति कुमारी) Read the full article
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लोहड़ी का पर्व मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है. पारंपरिक तौर पर लोहड़ी फसल की बुआई और उसकी कटाई से जुड़ा विशेष त्योहार है. इस दिन अग्नि में तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मूंगफली चढ़ाई जाती हैं. साथ ही दुल्ला-भट्टी की कहानी भी सुनी जाती है. इस बार ये पर्व 13 जनवरी को मनाया जा रहा है. क्यों मनाई जाती है लोहड़ी? लोहड़ी के त्योहार का संबंध फसल की बुआई और उसकी कटाई से जुड़ा है. इस दिन पंजाब और हरियाणा में नई फसल की पूजा करने की परंपरा है. वहीं रात के समय लोहड़ी जलाई जाती है. पुरुष लोहड़ी की आग के पास भांगड़ा करते हैं, वहीं महिलाएं गिद्दा करती हैं. सभी रिश्तेदार एक साथ मिलकर डांस करते हुए बहुत धूम-धाम से लोहड़ी का जश्न मनाते हैं. लोहड़ी पर सुनते हैं दुल्ला भट्टी की कहानी लोहड़ी की आग के पास घेरा ��नाकर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनी जाती है. लोहड़ी पर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनने का खास महत्व होता है. मान्यता है कि मुगल काल में अकबर के समय में दुल्ला भट्टी नाम का एक शख्स पंजाब में रहता था. उस समय कुछ अमीर व्यापारी सामान की जगह शहर की लड़कियों को बेचा करते थे, तब दुल्ला भट्टी ने उन लड़कियों को बचाकर उनकी शादी करवाई थी. तब से हर साल लोहड़ी के पर्व पर दुल्ला भट्टी की याद में उनकी कहानी सुनाने की पंरापरा चली आ रही है. आगे ही बढ़ते जाना है #dhlinfrabulls #dhlinfrabullssamuh #mankiyatra #dhlbharat #aagehibadhtejanahai #आगे_ही_बढ़ते_जाना_है https://www.instagram.com/p/CYpNGlahGah/?utm_medium=tumblr
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Lohri 2021: दुल्ला भट्टी के बिना अधूरी है लोहड़ी, जानें इसके पीछे की कहानी !
Lohri 2021: दुल्ला भट्टी के बिना अधूरी है लोहड़ी, जानें इसके पीछे की कहानी !
नई दिल्ली: मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) के एक दिन पहले हर साल 13 जनवरी को लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है. इस त्योहार को पंजाब और हरियाणा में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. पंजाब और हरियाणा के अलावा अब देश के कई हिस्सों में लोहड़ी (Lohri) का पर्व मनाया जाने लगा है. Pradosh Vrat 2021: साल 2021 का पहला प्रदोष व्रत आज, जानें पूजा विधि और महत्व बहुत खास होती है लोहड़ीपंजाबियों के लिए लोहड़ी उत्सव…
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#Happy Lohri 2021#Legend Of Dulla Bhatti#Lohri 2021#Religion#दुल्ला भट्टी#पंजाब#मकर संक्रान्ति#लोहड़ी#हरियाणा
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बॉलीवुड सीरियल किसर का आलिया भट्ट से है खास कनेक्शन, जानिए क्या है पूरा मामला
बॉलीवुड सीरियल किसर का आलिया भट्ट से है खास कनेक्शन, जानिए क्या है पूरा मामला
https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/03/10/e98df5eb9d417827b45976afd6ae061b_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&imheight=628 बॉलीवुड सीरियल किसर यानी इमरान हाशमी और गंगूबाई काठियावाड़ी एक्ट्रेस आलिया भट्ट का खास कनेक्शन है। बॉलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी की सफलता के बाद से लगातार चर्चा में हैं। आलिया अक्सर अपनी फिल्मों के साथ-साथ अपनी निजी…
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सनी देओल: मैं अक्षय कुमार और अजय देवगन की तरह साल में चार-पांच फिल्में करना चाहता हूं - टाइम्स ऑफ इंडिया
सनी देओल: मैं अक्षय कुमार और अजय देवगन की तरह साल में चार-पांच फिल्में करना चाहता हूं – टाइम्स ऑफ इंडिया
सनी देओल ने हाल ही में निर्देशक अनिल शर्मा और अभिनेत्री अमीषा पटेल के साथ गदर 2 की शूटिंग शुरू की थी। फिल्म हिमाचल प्रदेश की ठंडी जलवायु में फ्लोर पर चली गई। मुहूर्त शॉट के दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। सालों से सोशल मीडिया गदर: एक प्रेम कथा के बारे में अलग-अलग तरीकों से बात कर रहा है। जहां कुछ लोग सदी के मोड़ पर बनी फिल्म की सामग्री की सराहना करते हैं, वहीं कुछ उपयोगकर्ता चुटकुले और मीम्स…
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#अक्षय कुमार#अजय देवगन#अजय देवगन सनी देओल#अनिल शर्मा#अमीषा पटेल#एक प्रेम कथा:#गदरी#पूजा भट्टी#सनी देओल
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दीपिका-विद्या से लेकर अनुष्का तक, शादी के बाद इन अभिनेत्रियों ने नहीं बदला अपना सरनेम
दीपिका-विद्या से लेकर अनुष्का तक, शादी के बाद इन अभिनेत्रियों ने नहीं बदला अपना सरनेम
डिपा-विद्या से नियंत्रक, शापित के बाद इन अभिनेत्रों ने अपना सरनेम . Source link
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#अनुष्का शर्मा#कोंकणा सेन#दीपिका#दीपिका पादुकोने#नेहा कक्कड़ो#पूजा भट्टी#रानी मुखर्जी#रेखा#वैश्य शर्मा
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भीषण गर्मी में आम रस पीने से बीमार हुए भगवान, वैद्य ने दी 15 दिन बेड रेस्ट की सलाह
चैतन्य भारत न्यूज कोटा. भारत के कई राज्यों में गर्मी के कारण हाहाकार मचा हुआ है। राजस्थान भट्टी की तरह तप रहा है। राज्य के चूरू जिले में तो गर्मी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यहां का तापमान 51 डिग्री तक पहुंच चुका है। न सिर्फ इंसान व जीव-जंतु बल्कि अब तो भगवान का भी तपती गर्मी से बुरा हाल हो गया है। जी हां... कोटा जिले के एक मंदिर में विराजे भगवान भी गर्मी के कारण बीमार हो गए हैं। वैद्य ने उन्हें 15 दिन आराम (बेड रेस्ट) क��ने की सलाह दी है।
23 जून तक आराम करेंगे भगवान कोटा के रामपुरा में एक प्राचीन जगदीश मंदिर है। 7 जून को यहां विराजे भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र को 200 किलों के आम रस का भोग लगाया था। इतनी गर्मी में आम रस खाने से भगवान की तबियत खराब हो गई। फिर पंडितों ने वैद्य को बुलाया। वैद्य ने भगवान की नाड़ी की जांच की। इसके बाद उन्होंने लौंग और तुलसी से इलाज शुरू किया। वैद्य ने कहा कि, भगवान की सेहत में सुधार होने में कम से कम 15 दिन लग सकते हैं। भगवान को किसी तरह की परेशानी न हो इसके लिए मंदिर की घंटियों पर कपड़ा बांध दिया गया है। मंदिर के कपाट भी 23 जून तक के लिए बंद कर दिए हैं।
औषधि का लग रहा है भोग वैद्य रोजाना आकर भगवान के स्वास्थ्य की जांच करते हैं। शनिवार से ही भगवान की नियमित देखभाल की जा रही है। रोजाना औषधि के रूप में तुलसी, लौंग और काली मिर्च का भोग भगवान को लगाया जाता है। मंदिर की देखभाल करने वाले एस के चिरंजीवी ने बताया कि, भगवान की सेहत में सुधार होते ही 23 जून की शाम को साढ़े सात बजे मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे। फिर दर्शन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। 24 जून को मंदिर परिसर में हवन होगा। फिर 25 जून की सुबह साढ़े सात बजे से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाएगी। ये भी पढ़े चिलचिलाती गर्मी से पूरा देश बेहाल, बारिश के लिए मंदिरों में पूजा-पाठ कर रहे लोग आज भारत के इन राज्यों को मिल सकती है तपती गर्मी से राहत, तेज बारिश होने की संभावना Read the full article
#aamras#bhagvanbimar#churu#jagdishtemple#kota#mangojuice#rajasthan#rampur#कोटा#चुरू#जगदीशमंदिर#भगवानजगन्नाथ#भगवानबीमार#भगवानसुभद्राऔरबलभद्र#राजस्थान#रामपुर
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यसवर्ष बिस्केट जात्राको रथ दिउँसोमा तानिने
२२ चैत, काठमाडौं । आगामी २७ गतेबाट भक्तपुरबाट शुरु भई नौ दिनसम्म मनाइने भक्तपुरको प्रसिद्ध बिस्केट जात्रालाई शान्तिपूर्ण रुपमा सम्पन्न गर्न सरोकारवाला सहमत भएका छन् ।
हरेक वर्ष ढुङ्गा हानाहान हुने र ज्यानसम्म जाने गरी जात्रा सञ्चालन हुँदा प्रसिद्ध जात्राको नकारात्मक सन्देश गएको भन्दै यसवर्ष जात्रालाई शान्तिपूर्ण र मर्यादित रुपमा सम्पन्न गर्न भक्तपुर नगरपालिकाले कार्यदल समेत गठन गरेको छ ।
भक्तपुर नगरपालिकाका नगर प्रमुख सुनिल प्रजापतिले जात्रालाई शान्तिपूर्ण र मर्यादित रुपमा सम्पन्न गर्न कार्यदल गठन गरेको बताउँदै यसवर्ष रथ दिउँसो तान्ने गरी व्यवस्था मिलाएको बताए ।
गुठी संस्थानले दिने सेवा सुविधा कम भएको र गुठीको प��जा ढिलो आउने गरेको भन्दै जात्रा सञ्चालन गर्ने नाइके एवं पूजारीले मुख्य पूजा ढिलो सञ्चालन गर्दा भैरवको रथ तान्न रातपर्ने र रथ तान्ने क्रममा ढुङ्गा हानाहान हुने गरेको छ ।
यसवर्ष यो समस्यालाई समाधान गर्दै दिउँसो २ बजे नै रथ तान्ने व्यवस्था मिलाएको नगरपालिकाको भनाइ छ । जात्रा सञ्चालन गर्ने दिन २७ गते बिहान ७ बजे भक्तपुर नगरपालिका क्षेत्र परिक्रमा गर्ने गरी प्रचारप्रसार सहितको सद्भाव र्याली तथा जनचेतनासभा आयोजना गरिने भएको छ ।
जात्राको अवधिमा रथ तानिने मूल सडक, जात्रा हुने स्थान र चोकमा राखिएका भूकम्पले भत्काएका घरका भग्नावशेष एवं निर्माण सामग्री र अन्य सामग्री २५ गतेभित्र हटाइसक्ने भएको छ ।
जात्रालाई शान्तिपूर्ण रुपमा सम्पन्न गर्न जात्राको पहिलो दिन २७ गते र अन्तिम वैशाख ५ गते तौमढीबाट भैरवनाथको रथ तानेर पूर्वमा बुलबुल हिटी, सुकुलढोकासम्म र पश्चिममा नासमनासम्म मात्र लैजाने गरी सीमा निर्धारण गरिएको नगर प्रमुख प्रजापतिले जानकारी दिए ।
जात्राको समयावधिमा भक्तपुर नगर क्षेत्रका भट्टी पसल तथा मदिरा पसलमाथि निगरानी एवं नियन्त्रण गर्न प्रहरी परिचालन गरिने भएको छ ।
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संवाद सहयोगी, कादियां : कादियां नगर में विप्र संघ भारत द्वारा नौ दिन की कार्यशाला का समापन हो गया। 25 दिसंबर से आरंभ हुई इस कार्यशाला के समापन कार्यक्रम में दैनिक प्रार्थना सभा बटाला से मुख्य अतिथि के रूप में ज¨तदर नाथ शर्मा तथा उनके सहयोगी सोहन लाल प्रभाकर जी उपस्थित हुए। उनके आने पर विप्र संघ की सभापति विनोद कुमारी शर्मा, अध्यक्ष पूजा तिवारी, उपाध्यक्ष नीरज बाला, मानवधिकार विभाग के सचिव अभिषेक भट्टी, सांस्कृतिक विभाग के सचिव ओमकार शास्त्री, समाजिक सेवा विभाग सचिव ज्योति गुप्ता, राजनीति जागरूकता विभाग से मेघा शर्मा, प्रबंधक साहिल सेठ ने उनको सम्मानित करते हुए भेंट किए फूल।
मुख्य अतिथि ने संस्था की प्रशंसा करते हुए कहा कि आज देश में इस प्रकार की संस्थाओं का होना बहुत आवश्यक है, जो किसी प्रकार की राजनैतिक पार्टी का पक्ष न लेकर निष्पक्ष होकर समाज के लिए हो रहे अच्छे कार्यो को समर्थन करे। उन्होंने आगे कहा कि विप्र संघ के नाम से यह समष्ट होता है की यह बहुत ही बुद्धिजीवी व्यक्तियों का समूह व संगठन है, जो भारत को आगे लाने के लिए सभी वर्ग के व्यक्तियों को साथ जोड़ रहा है। विप्र संघ से ओमकार शास्त्री जी ने कहा कि कुछ लोग इस संगठन को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का हिस्सा समझ रहे हैं, विप्र संघ का अर्थ विवेकी व्यक्तियों का संगठन है, जिसके अपने उद्देश्य तथा विचारधारा है। इसकी बाकी सभी संगठनों से भिन्न कार्यनीति है। मुख्य सचिव विनय पुष्करणा ने कहा कि हम जल्द ही एक नई शिक्षा प्रणाली का गठन करने जा रहे हैं, जिसके माध्यम से हम आने वाले बच्चों को इतना जागरूक एवं सक्षम कर देंगे कि बड़े से बड़े भ्रष्ट नेता भी उनके सामने थर-थर कांपा करेंगे। विप्र संघ की अध्यक्ष पूजा तिवारी ने अधिक से अधिक विवेकी लोगों को इस संस्था से जुड़ने को कहा। अंत में सभी बच्चों एवं सदस्यों ने शांति पाठ कर सबके हित की कामना करते इस कार्यक्रम को पूर्ण किया।
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जीवन मंत्र डेस्क. सकट चौथ का व्रत हिन्दू कैलेण्डर के माघ महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को किया जाता है। सकट चौथ को संकटा चौथ, संकष्टी चतुर्थी, माघी चौथ, तिलकुटा चौथ या वक्रतुंडी चतुर्थी भी कहा जाता है। इस ��ार ये व्रत 13 जनवरी को किया जाएगा।हिन्दू पंचांग के अनुसार एक महीने में 2 बार चतुर्थी तिथि आती है। इनमें अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। वहीं पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्णपक्ष की चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी होती है। दोनों तरह की चतुर्थी पर गणेशजी की पूजा की जाती है। सकट चौथ कब है इस बार सकट चौथ (संकष्टी चतुर्थी) 13 जनवरी को शाम 05.35 पर शुरू हो जाएगी और 14 जनवरी को दोपहर 02.50 तक रहेगी। इसलिए 13 जनवरी सोमवार को सुबह-शाम गणेश जी की पूजा की जाएगी और रात को चंद्रमा के दर्शन और पूजा कर के व्रत खोला जाएगा। इसका महत्व सकट चौथ पूरे साल में पड़ने वाली 4 बड़ी चतुर्थी तिथियों में से एक है। सकट चौथ पर सुहागन स्त्रियां सुबह-शाम गणेशजी की पूजा करती है और रात में चंद्रमा के दर्शन और पूजा करने के बाद पति का आशीर्वाद लेती हैं। इसके बाद व्रत खोला जाता है। इस तरह व्रत करने से संतान की उम्र लंबी होती है और दाम्पत्य जीवन में कभी संकट नहीं आता। शादीशुदा जीवन में प्रेम के साथ सुख भी बना रहता है। इस व्रत को करने से पति के भी सारे संकट दूर हो जाते हैं। व्रत कथा सतयुग में राजा हरिश्चंद्र के राज्य में एक कुम्हार था। एक बार तमाम कोशिशों के बावजूद जब उसके बर्तन कच्चे रह जा रहे थे तो उसने यह बात एक पुजारी को बताई। पुजारी ने बताया कि किसी छोटे बच्चे की बलि से यह समस्या दूर हो सकती है। इसके बाद उस कुम्हार ने एक बच्चे को पकड़कर भट्टी में डाल दिया। वह सकट चौथ का दिन था। काफी खोजने के बाद भी जब उसकी मां को उसका बेटा नहीं मिला तो उसने गणेश जी के समक्ष सच्चे मन से प्रार्थना की। उधर जब कुम्हार ने सुबह उठकर देखा तो भट्टी में उसके बर्तन तो पक गए लेकिन बच्चा भी सुरक्षित था। इस घटना के बाद कुम्हार डर गया और राजा के समक्ष पहुंच पूरी कहानी बताई। इसके पश्चात राजा ने बच्चे और उसकी मां को बुलवाया तो मां ने संकटों को दूर करने वाले सकट चौथ की महिमा का वर्णन किया। तभी से महिलाएं अपनी संतान और परिवार के सौभाग्य और लंबी आयु के लिए व्रत को करने लगीं। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Sakat Chauth is celebrated for the long life of children on 13 January
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