#पुस्‍तक समीक्षा
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kavirameshchauhanfan · 2 years ago
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पुस्‍तक समीक्षा: कविताई कैसे करूं
पुस्‍तक समीक्षा: कविताई कैसे करूं
पठनीय काव्य कृति है – “कविताई कैसे करूँ“ समीक्षक: श्लेष चन्द्राकर पुस्‍तक परिचय कृति का नामकविताई कैसे करूंकृतिकार का नामकन्हैया साहू ‘अमित’प्रकाशक बुक रिवर्स प्रकाशन कृति स्वामित्वकृतिकारप्रकाशन वर्ष2020सामान्य मूल्य-200.00विधापद्यशिल्प छंदभाषाहिन्‍दीसमीक्षक श्लेष चन्द्राकरISBN9789388727549कविताई कैसे करूं पठनीय काव्य कृति है – “कविताई कैसे करूँ“ kavitai kaise karun मानव मन में दिन भर…
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janchowk · 2 years ago
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पुस्‍तक समीक्षा: लोकतंत्र के सही मायने बताती कवितायें
पुस्‍तक समीक्षा: लोकतंत्र के सही मायने बताती कवितायें
पंकज चौधरी का कुछ अरसा पहले प्रकाशित काव्य संग्रह ‘किस-किस से लड़ोगे’ समकालीन कविता की महत्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि यह 75 साल के हो चुके लोकतंत्र क��� एक और चेहरा, एक अन्य स्थिति को विश्वसनीय शब्दों में उभारती है। यह डॉ. भीम राव अम्बेडकर के उस प्रसिद्ध कथन का समर्थन भी है जिसमें उन्होंने सामाजिक लोकतंत्र को राजनीतिक लोकतंत्र की सफलता के लिए बेहद जरूरी कारक कहा था। यह संग्रह उन लोगों के इस बयान की…
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kavirameshchauhanfan · 2 years ago
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पुस्तक समीक्षा:"साँची सुरभि" एक शसक्त दोहा संग्रह...
पुस्तक समीक्षा:”साँची सुरभि” एक शसक्त दोहा संग्रह…
पुस्तक समीक्षा:”साँची सुरभि” एक शसक्त दोहा संग्रह… -अजय अमृतांशु पुस्तक समीक्षा:”साँची सुरभि” एक शसक्त दोहा संग्रह कृति का नामसाँची सुरभिकृतिकारइन्द्राणी साहू साँचीप्रकाशकबुक रिवर्स प्रकाशनमूल्य275/-विधाकाव्‍यशिल्‍पदोहा छंदभाषाहिन्‍दीसमीक्षकअजय अमृतांशुपुस्तक समीक्षा:”साँची सुरभि” एक शसक्त दोहा संग्रह… इन्द्राणी साहू “साँची” जी का दोहा संग्रह “साँची सुरभि” मुझे पढ़ने को मिली। 214 पेज के इस…
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kavirameshchauhanfan · 2 years ago
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पुस्‍तक समीक्षा:मछुआरे की लड़की-डॉ. सत्येन्द्र शर्मा
पुस्‍तक समीक्षा:मछुआरे की लड़की-डॉ. सत्येन्द्र शर्मा
पुस्‍तक समीक्षा:जीवट कैशोर्य की उद्दाम गाथा : मछुआरे की लड़की – डॉ. सत्येन्द्र शर्मा पुस्‍तक समीक्षा:जीवट कैशोर्य की उद्दाम गाथा : मछुआरे की लड़की एक दैनिक समाचार पत्र की कथा प्रतियोगिता में वरीयता प्राप्त कर प्रकाश और चर्चा में आई, विनोद कुमार वर्मा की कहानी ‘ मछुआरे की लड़की’ यदि अपने जन्मकाल से ही सामाजिकों और कथा रसिकों के चेतना केन्द्र में है तो यह स्वाभाविक ही है। समाज के एक अचीन्हे और…
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kavirameshchauhanfan · 2 years ago
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पुस्‍तक समीक्षाः जयकारी जनउला
पुस्‍तक समीक्षाः जयकारी जनउला
पुस्‍तक समीक्षाः लोक साहित्य ल सजोर करही जयकारी जनउला समीक्षक-पोखन लाल जायसवाल कृति का नामजयकारी जनउलाकृतिकार का नामकन्‍हैया साहू ‘अमित’प्रकाशकवैभव प्रकाशन रायपुरभाषाछत्‍तीसगढ़ीविधाकाव्‍य (जयकारी छंद)मूल्‍य150 रू.प्रकाशन वर्ष2021स्‍वामीत्‍व अउ उपलब्‍धताकृतिकारसमीक्षकपोखन लाल जायसवालपुस्‍तक समीक्षाः जयकारी जनउला पुस्‍तक समीक्षाः जयकारी जनउला हमर छत्तीसगढ़ ह लोक संस्कृति अउ लोककला के नाँव ले…
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kavirameshchauhanfan · 2 years ago
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पुस्‍तक समीक्षा- बालकविता संग्रह फुरफुन्दी
पुस्‍तक समीक्षा- बालकविता संग्रह फुरफुन्दी
बालमन के हिरदे म नैतिकता अउ सामाजिकता के बीजा बोही फुरफुन्दी -पोखन लाल जायसवाल कृति का नामफुरुुन्‍दीकृतिकार का नामकन्‍हैया साहू ‘अमित’प्रकाशकजी एच पब्लिकेशन प्रयागराजप्रकाशन वर्ष2021पृष्‍ठ64मूल्‍य150 रू.भाषाछत्‍तीसगढ़ीविधाकाव्‍यसमीक्षकपोखन लाल जायसवालपुस्‍तक समीक्षा- फुरुुन्‍दी पुस्‍तक समीक्षा- बालकविता संग्रह फुरफुन्दी साहित्य म जब कभू बाल साहित्य के बात आथे, त कुछ मन ल भरम हो जथे कि बाल…
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kavirameshchauhanfan · 2 years ago
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पुस्‍तक समीक्षा कहानी संग्रह बहुरिया
पुस्‍तक समीक्षा कहानी संग्रह बहुरिया
‘भाव प्रधान अउ मानवीय मूल्य के संग्रह आय बहुरिया’ समीक्षक-पोखन लाल जायसवाल कृति का नामबहुरियाकृतिकारश्री चोवाराम वर्माप्रकाशकआशु प्रकाशन रायपुरभाषाछत्‍तीसगढ़ीविधाकहानीपृष्‍ठ संख्‍या74मूल्‍य150 रू. मात्रस्‍वामित्‍व एवं उपलब्‍धताकृतिकार के पाससमीक्षकपोखन लाल जायसवालपुस्‍तक समीक्षा कहानी संग्रह बहुरिया भाव प्रधान अउ मानवीय मूल्य के संग्रह आय बहुरिया छत्‍तीसगढ़ी कहानी संग्रह बहुरिया आज सो��ल…
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kavirameshchauhanfan · 3 years ago
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पुस्‍तक समीक्षा: काव्‍य संग्रह ''कुछ समय की कुछ घटनाएं इस समय''
पुस्‍तक समीक्षा: काव्‍य संग्रह ”कुछ समय की कुछ घटनाएं इस समय”
सामाजिक सरोकार और प्रगतिशील चेतना को प्रदर्शित करती काव्य संग्रह ’’कुछ समय की कुछ घटनाएं इस समय’’ -डुमन लाल ध्रुव पुस्‍तक समीक्षा: काव्‍य संग्रह ”कुछ समय की कुछ घटनाएं इस समय” साहित्य सृजन की अभिलाषा उन्हीं व्यक्तियों में होती है, जो व्यक्ति और समाज को उत्कृष्ट देखना चाहते हैं और जिनमें प्रबल संवेदनशील आवेग होता है। साहित्यकार का सामाजिक सरोकार जितना अधिक संवेदनशील होगा, उतना ही अधिक निर्भीक…
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kavirameshchauhanfan · 3 years ago
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पुस्तक समीक्षा-"सुरुज बनके चमकौ जग में"
पुस्तक समीक्षा-“सुरुज बनके चमकौ जग में”
पुस्तक समीक्षा-“सुरुज बनके चमकौ जग में” समीक्षक-अजय अमृतांशु कृति का नामसुरुज बन के चमकव जग मेंकृतिकार का नामडॉ. पीसी लाल यादवप्रकाशकवैभव प्रकाशन रायपुरभाषाछत्‍तीसगढ़ीविधाकाव्‍यसमीक्षकअजय अमृतांशु पुस्तक समीक्षा-“सुरुज बनके चमकौ जग में” पुस्तक समीक्षा-“सुरुज बनके चमकौ जग में” पुस्तक समीक्षा-“सुरुज बनके चमकौ जग में” छत्तीसगढ़ी के वरिष्ठ गीतकार डॉ पी.सी.लाल यादव जी के गीत सँघरा “सुरुज बनके चमकौ…
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kavirameshchauhanfan · 3 years ago
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पुस्‍तक समीक्षा: बाल साहित्य समीक्षा-डॉ अलका सिंह
पुस्‍तक समीक्षा: बाल साहित्य समीक्षा-डॉ अलका सिंह
पुस्‍तक समीक्षा: बाल साहित्य समीक्षा -���ॉ अलका सिंह पुस्‍तक का नाम“चैन कहाँ अब नैन हमारे ” और “झलकारी बाई “लेखक का नामरवीन्द्र प्रताप सिंहप्रकाशकसबलाइम पब्लिकेशन्‍स, जयपुरISBN चैन कहाँ अब नैन हमारे -978-81-8192-304-2 झलकारी बाई -978-81-8192-294-6मूल्‍य “चैन कहाँ अब नैन हमारे ” – 75 रूपये“झलकारी बाई ” -200 रूपयेभाषाहिन्‍दीविधानाटकसमीक्षकडॉ अलका सिंह पुस्‍तक समीक्षा: बाल साहित्य समीक्षा पुस्‍तक…
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kavirameshchauhanfan · 3 years ago
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पुस्‍तक समीक्षा: छन्‍द संदेश
पुस्‍तक समीक्षा: छन्‍द संदेश
पुस्‍तक समीक्षा: छन्‍द संदेश कृति का नामछन्‍द संदेशकृतिकार का नामजगदीश”हीरा” साहूभाषा-छत्‍तीसगढ़ीशिल्पछंदमूल्‍य150/-समीक्षकअजय अमृतांशुपुस्‍तक समीक्षा: छन्‍द संदेश पुस्‍तक समीक्षा: छन्‍द संदेश छत्तीसगढ़ी मा सुग्घर संदेश- “छन्द संदेश” अपराधी कुर्सी मा बइठे, खेलत हावय जम के खेल।मजा उड़ावय मार लबारी, सच बोलइया जावय जेल। आल्हा के ये पद युवा छन्दकार जगदीश “हीरा” साहू के कृति “छन्द संदेश ” के आय…
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kavirameshchauhanfan · 3 years ago
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पुस्‍तक समीक्षा: कुण्डलियाँ किल्लोल
पुस्‍तक समीक्षा: कुण्डलियाँ किल्लोल
पुस्‍तक समीक्षा: कुण्डलियाँ किल्लोल कृति का नामकुण्डलियाँ किल्लोलकृतिकार का नामश्री चोवाराम वर्माविधाकाव्‍यशिल्‍पकुण्‍डलियॉं छंदमूल्‍य100/00समीक्षकश्री अजय “अमृतांशु”पुस्‍तक समीक्षा: कुण्डलियाँ किल्लोल पुस्‍तक समीक्षा: कुण्डलियाँ किल्लोल पुस्‍तक समीक्षा: कुण्डलियाँ किल्लोल साहित्य साधना मजाक का विषय नहीं है, चिंतनशील व्यक्ति ही साहित्य की साधना कर सकता है । भाषा शिल्प और शैली की अभिव्यंजना…
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kavirameshchauhanfan · 3 years ago
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पुस्तक समीक्षा: महापरसाद
पुस्तक समीक्षा: महापरसाद समीक्षक-अजय अमृतांशु पुस्तक समीक्षा: महापरसाद कृति (पुस्‍तक) का नाममहापरसादकृतिकारश्री मनी राम साहू ‘मितान’विधाछंदात्‍मक प्रबंध काव्‍यभाषाछत्‍तीसगढ़ीमूल्‍य200/-समीक्षकश्री अजय अमृतांशुपुस्तक समीक्षा: महापरसाद पुस्तक समीक्षा : महापरसाद मनीराम साहू”मितान” जी के “महापरसाद” पढ़े बर मिलिस। ये कृति भक्तिन दाई “करमा” के जीवन उपर लिखे सशक्त प्रबन्ध काव्य आय जेमा करमा दाई के…
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kavirameshchauhanfan · 3 years ago
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समीक्षा की कसौटी में "अर्पण"-कन्हैया लाल बारले
समीक्षा की कसौटी में “अर्पण”-कन्हैया लाल बारले
पुस्‍तक समीक्षा- समीक्षा की कसौटी में “अर्पण” -कन्हैया लाल बारले समीक्षा की कसौटी में “अर्पण” अर्पण शिरोमणि माथुर द्वारा विरचित अर्पण नामक किताब जैसे ही मेरे हाथ में आया ,मैंने एक ही दिन में पूरी रचना पढ़ ली। पढ़कर मेरे नयन सजल हो गए । सचमुच ही श्रीमती शिरोमणी माथुर ने इस किताब में अक्षर नहीं अपितु अपनी आंखों के अश्रुपूर्ण मोती बिखेरी है । इस किताब की कविताओं की हर पंक्तियां ममता की पुकार…
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kavirameshchauhanfan · 3 years ago
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पुस्‍तक समीक्षा: काव्य संग्रह-शब्द गाते हैं
पुस्‍तक समीक्षा: काव्य संग्रह-शब्द गाते हैं
पुस्‍तक समीक्षा: काव्य संग्रह-शब्द गाते हैं गीतात्मक भाव को एक नया आस्वाद देती काव्य संग्रह-शब्द गाते हैं -डुमन लाल ध्रुव पुस्‍तक समीक्षा: काव्य संग्रह-शब्द गाते हैं पुस्‍तक समीक्षा: काव्य संग्रह-शब्द गाते हैं गीत कंठ से निकलती है पूर्व जन्मार��जित संस्कारों से ही । श्रीमती कामिनी कौशिक में शायद बचपन से ही यही संस्कार है । श्रीमती कामिनी कौशिक का जन्म 28 जुलाई 1962 को स्वनामधन्य माता स्वर्गीय…
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kavirameshchauhanfan · 3 years ago
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पुस्‍तक समीक्षा: हाना: जिनगी के गाना -डुमन लाल ध्रुव
पुस्‍तक समीक्षा: हाना: जिनगी के गाना -डुमन लाल ध्रुव
पुस्‍तक समीक्षा: हाना: जिनगी के गाना आनुभविक यथार्थ के आयामों का विस्तार करता लोकोक्तियों का संग्रह हाना: जिनगी के गाना समीक्षक- डुमन लाल ध्रुव आनुभविक यथार्थ के आयामों का विस्तार करता लोकोक्तियों का संग्रह हाना: जिनगी के गाना किसी भी रचनाकार की जीवन-छाया उसकी रचनाओं में उभरती ही है, रचनाकार को उसके हालात मथते हैं, फिर वह वेदना हो या संवेदना वही लोकजीवन का हाना बनकर लोक में सुनाई पड़ते हैं।…
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