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पिता को किडनी दान देना चाहता है ड्रग्स केस में बंद आरोपी, सुप्रीम कोर्ट ने दिया यह निर्देश
पिता को किडनी दान देना चाहता है ड्रग्स केस में बंद आरोपी, सुप्रीम कोर्ट ने दिया यह निर्देश
नई दिल्लीसुप्रीम कोर्ट ने अपने बीमार पिता को किडनी दान करने की इच्छा जताने वाले ड्रग केस के एक आरोपी को जरूरत पड़ने पर जरूरी चिकित्सा जांच के लिए जेल से अस्पताल ले जाने की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने कहा कि आरोपी अगर किडनी दान करने के योग्य पाया जाता है और संबंधित सरकारी मेडिकल कॉलेज की समिति ट्रांसप्लांट की मंजूरी दे देती है तो वह मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में अंतरिम जमानत के लिए अर्जी दे सकता है।…
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क्या आप जानते है भारत की पहला कोराना पॉजिटीज मरीज कौन थी
क्या आप जानते है भारत की पहला कोराना पॉजिटीज मरीज कौन थी… और कहां से थी… तो बता दें कि… भारत की पहली कोरोना पॉजिटीज मरीज... दक्षिण भारतीय राज्य केरल में मेडिकल की पढ़ाई करने वाली 20 साल की एक लड़की थी जो भारत में कोरोनावायरस से पॉजिटीव पाई गई थी। और वे 30 जनवरी 2020 को चीन के वुहान से लौटी थी… दोस्तों ये वहीं वुहान शहर है जहां कोरोना का पहला केस सामने आया था।
क्या आप भारत की सबसे youngest अंग दान करने वाली लड़की के बारे में जानते हैं… अगर नहीं तो आपको बता दें कि, धनिष्ठा नाम की लड़की जो सिर्फ 20 महीने की थी… जो दिल्ली के रोहिणी स्थित अपने घर से खेलते-खेलते बालकनी से नीचे गिर गई थी तब दो दिन बाद डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। तब धनिष्ठा के माता-पिता ने जरूरतमंदो को अंगदान करने का फैसला किया। जिसमें से दिल्ली के ही इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में धनिष्ठा के ह्रदय को बच्चे के शरीर में सफलतापूर्वक प्रतिरोपण कर दिया गया। इसी तरह धनिष्ठा के कलेजे को एक नौ महीने के बच्चे के शरीर में प्रतिरोपित किया गया, उसकी किडनी को एक 34-वर्षीय व्यक्ति के शरीर में प्रतिरोपित किया गया और उसकी आंखों के कॉर्निया के टिशू को भी भविष्य में इस्तेमाल के लिए संभाल कर रख लिया गया है।
किसिंग किसी भी रिश्ते का प्यार भरा पहलू होता है लेकिन क्या आपने सोचा है... एक प्यारभरी किसिंग से कितने फायदे हो सकते हैं… खासकर, पार्टनर को जब आप प्यार से किस करते हैं, तो शारीरिक और मानसिक रूप से कई फायदे होते हैं…
इसके अलावा शरीर का रक्त संचार ठीक होता है।
सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और खुशी मिलती है।
एक अच्छी किस से शरीर में 2-10 कैलोरी कम होती है, जो वजन कम करने के लिए का��ी है।
कई अध्ययन में यह बात भी कही गई है कि किस करने से चेहरे, गर्दन, जॉलाइन की मसल्स टोन होती है। किस करते समय कई मांसपेशियां काम करती हैं, जिससे चेहरा शेप में आता है।
आपने ऐसे बहुत से लोगों को कहते सुना होगा कि, चेहरे पर चमक लानी है तो बर्फ लगाएं… लेकिन कम ही लोगों को पता होगा कि, चेहरे पर बर्फ लगाने से डार्क सर्कल दूर होते हैं, ग्लोइंग स्किन करने में मदद करता है, मुहांसे दूर करने के लिए, बेदाग त्वचा के लिए भी बर्फ का इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन ध्यान रहे कि बर्फ को सीधा फेस पर नहीं लगाएं, उसे एक कपड़े में लपेटकर अपने फेस पर लगाएं… नहीं तो आपका फेस लाल पड़ सकता है।
सर्दियों में कुछ चीजों का सेवन करना किसी जड़ी-बूटी के सेवन करने से कम नहीं है। जिसमें से एक है तिल… तिल हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है। कई रिसर्च में ये बात सामने आई है कि, तिल में पाया जाने वाला तेल हाई ब्लड प्रेशर को कम करता है…. और दिल पर ज्यादा भार नहीं पड़ने देता यानी दिल की बीमारी दूर करने में भी तिल मददगार है… इसके अलावा… शरीर में खून की मात्रा को सही बनाए रखता है। -बाल और त्वचा को मजबूत और सेहतमंद रखने के लिए रोजाना तिल का सेवन बहुत ही लाभकारी माना जाता है। -तिल में मौजूद प्रोटीन पूरे शरीर को भरपूर ताकत और एनर्जी से भर देता है। इससे मेटाबोलिज्म भी अच्छी तरह काम करता है। लेकिन तिल को ज्यादा नहीं खाना चाहिए क्योंकि यह गर्म होते हैं इसलिए आपको तिल का सेवन करने में सावधानी रखनी चाहिए। खासतौर पर महिलाओं और छोटे बच्चों को…
साउथ दिल्ली के अरबिंदो मार्ग पर एक तरफ एम्स है, तो दूसरी तरफ देश का दूसरा सबसे बड़ा केंद्र का अस्पताल सफदरजंग है। आजादी से पहले इस अस्पताल का निर्माण किया गया और द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान सफदरजंग एयरपोर्ट के पास एक मिलिट्री बेस अस्पताल बनाया गया था, जिसे अमेरिकन हॉस्पिटल भी कहा जाता था। सफदरजंग में एयरपोर्ट होने की वजह से यहां पर अमेरिकी सेना के इलाज के ये अस्पताल बनाया गया था। यह दिल्ली के सबसे पुराने अस्पतालों में से एक है। 1954 में इसे भारत सरकार ने स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन किया। 204 बेड्स की क्षमता के साथ शुरू हुए इस अस्पताल में अब 3000 से भी अधिक बेड्स हैं।आजादी के 75 साल बाद ये अस्पताल देशभर के गरीब मरीजों के लिए सबसे बड़ी उम्मीद बन चुका है।
क्या आपने ��भी पिंक झील के बारे में सुना है… अगर नहीं तो बता दें कि…
पिंक झील पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में समुंदर के किनारे पर स्थित है और ये झील इसलिए फेमस है क्योंकि इसका पानी गुलाबी दिखाई देता है और कहा जाता है कि उसके अंदर सूक्ष्म जीवाणु है जिससे वे पानी को गुलाबी बनाते हैं और लोग ऊपर से हेलीकॉप्टर के द्वारा झील का नजारा लेते हैं। इस झील का पानी बिल्कुल खारा है... लेकिन जहरीला नहीं है जिसे लोग यहां इसके अंदर तैरते भी है और इसे देखने बहुत सारे पर्यटक आते हैं यह भी एक आकर्षण का केंद्र बना हुआ है|
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इस हॉस्पिटल में मरीजों को खुद अपने हाथों से खाना खिलाती हैं नर्सें, बढ़ाती रहती हैं हौसला Divya Sandesh
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इस हॉस्पिटल में मरीजों को खुद अपने हाथों से खाना खिलाती हैं नर्सें, बढ़ाती रहती हैं हौसला
चाहे शाहीन हों, शबनम या कोई और, सब के सब फ्लोरेंस नाइटेंगल का रूप नजर आती हैं। मरीज को अपने हाथ से खाना खिलाती हैं। अस्पताल सच में बेमिसाल है…। आरएसएस के एक पदाधिकारी जब लखनऊ के एरा अस्पताल से ठीक होकर गए तो उन्होंने ये बातें लोगों को बताई। ट्विटर पर भी इसका खूब जिक्र हो रहा है। बाकी अस्पतालों से इतर एरा मेडिकल कॉलेज ने कोरोना मैनेजमेंट का अपना अलग ही निजाम बनाया है। पर्सनल केयर से लेकर डाइट मैनेजमेंट तक पर खूब रिसर्च कर प्रोटोकॉल तैयार किए गए हैं। हर मरीज की कैमरे से निगरानी हो रही है। एरा के इसी कोविड मैनेजमेंट पर एक रिपोर्ट :पॉजिटिव सोच के सहारे कोई भी जंग जीतना मुश्किल नहीं है। एनबीटी ने लोगों के कोरोना से जुड़ी कहानियों और इससे लड़ने का तरीका शेयर करने के लिए कहा था। यहां लोगों ने खुलकर बताया कि कैसे उन्होंने डबल मास्क लगाकर, दूरी बनाकर, लगातार काम कर इस अनदेखे दुश्मन से जंग जीती। देखें ऐसी ही हौसले वालीं कुछ कहानियां।चाहे शाहीन हों, शबनम या कोई और, सब के सब फ्लोरेंस नाइटेंगल का रूप नजर आती हैं। मरीज को अपने हाथ से खाना खिलाती हैं। अस्पताल सच में बेमिसाल है…। आरएसएस के एक पदाधिकारी जब लखनऊ के एरा अस्पताल से ठीक होकर गए तो उन्होंने ये बातें लोगों को बताई। ट्विटर पर भी इसका खूब जिक्र हो रहा है। बाकी अस्पतालों से इतर एरा मेडिकल कॉलेज ने कोरोना मैनेजमेंट का अपना अलग ही निजाम बनाया है। पर्सनल केयर से लेकर डाइट मैनेजमेंट तक पर खूब रिसर्च कर प्रोटोकॉल तैयार किए गए हैं। हर मरीज की कैमरे से निगरानी हो रही है। एरा के इसी कोविड मैनेजमेंट पर एक रिपोर्ट :नर्सों को दी गई खास ट्रेनिंगएरा में पर्सनल केयर को खास तरजीह दी गई है। इसी के चलते नर्सों के लिए विशेष ट्रेनिंग प्रोग्राम तैयार किया गया है। इसके तहत क्रिटिकल मरीज जो ढंग से खाना-पीना नहीं करते या निराशा के कारण खाना छोड़ देते हैं, उन्हें ये नर्स खुद खाना खिलाती हैं। साथ ही, उनका मनोबल बढ़ाने के लिए उनकी काउंसलिंग भी की जाती है। उन्हें बताया जाता है कि खाना पेट भरने के लिए नहीं दिया जाता, बल्कि आपकी दवा का एक हिस्सा है। इस पर्सनल केयर को पुख्ता करने के लिए हर वॉर्ड में एचडी कैमरे भी लगाए गए हैं। इससे मरीज अगर सो भी रहा है तो भी कंट्रोल रूम में टीम निगरानी करती है। अगर सोते हुए किसी मरीज का ऑक्सिजन मास्क हट जाता है तो तुरंत कैमरे में देखकर उस वॉर्ड की टीम को इसकी जानकारी दी जाती है और मरीज तक पर पहुंचकर मास्क ठीक किया जाता है। इससे काफी हद तक लापरवाही से होने वाली मौतों को बचा लिया जा रहा है।150 तरह की डाइट की गई तैयारयहां के अडिशनल डायरेक्टर जॉ अली खान ने बताया कि हमारी एक रिसर्च टीम है जो हर दि�� कोविड से जुड़े दुनियाभर के शोध पत्रों को पढ़ती है। उसके आधार पर हम डाइट और मेडिसिन में बदलाव करते हैं। शोध के आधार पर हमने 150 तरह की डाइट तैयार की है। यानी कोविड के साथ बीपी है तो उसकी अलग डाइट होगी, अगर शुगर है तो अलग, किडनी की दिक्कत है तो अलग डाइट दी जाएगी। इसी तरह एक सप्लिमेंट चार्ट भी तैयार किया गया है। ये सप्लिमेंट वह है जो आयुर्वेद और अन्य शोधों के माध्यम से पुष्ट किए जा चुके हैं। जैसे हल्दी में करक्यूमिन, ग्रीन टी में ईजीसीजी, अदरक में जिंजरॉल और कलौंजी में थाईमोक्विनोन होता है। ये सभी आईएलसिक्स कंपाउंड को नियंत्रित करते हैं। इससे इम्यून सिस्टम बेहतर होता है। ऐसे ही कंपाउंड का हमने पूरा सप्लिमेंट चार्ट कोविड मरीजों के लिए बनाया है कि कब कितना और क्या लेना है। अस्पताल के लिंक https://erauniversity.in/covid19 पर जाकर इसे सामान्य लोग भी अपना सकते हैं।डैशबोर्ड पर दिखती है मरीजों की हालतजॉ अली खान ने बताया कि कोविड मैनेजमेंट के लिए हमने अस्पताल में हमने एक डैशबोर्ड तैयार किया है। इस डैशबोर्ड पर सारे मरीजों की लिस्ट है, रंगों के माध्यम से इस पर हम दर्शाते हैं कि किसे क्या बीमारी है, और उसका डायग्नोसिस भी इसी डैशबोर्ड पर रहता है। इसे सभी डॉक्टर देखते हैं। डायटीशियन इसी को देखकर उस मरीज का डाइट प्लान तैयार करता है। उसके बाद एक पूरा मैकेनिज्म है जिससे मरीज तक सारी दवाएं और प्रस्तावित डाइट उस तक पहुंचती हैं, जिसकी मॉनिटरिंग के लिए अलग-अलग लोग तैनात किए गए हैं। (रिपोर्टः जीशान रायिनी)ड्यूटी के दौरान पॉजिटिव हुए पति, पत्नी ने रोजा रखते हुए की सेवाड्यूटी के दौरान पति कोरोना पॉजिटिव हो गए, तो वह पत्नी सेवा में लग गईं जो खुद रमजान के पवित्र महीने में रोजा रखती थीं। उनपर अहम जिम्मेदारियां भी थीं, क्योंकि खुद को भी सुरक्षित रखना था और जॉइंट फैमिली के बाकी म��ंबर्स को भी। हालांकि उन्होंने यह भूमिका बखूबी निभाई और तब तक पति की सेवा की जब तब वह ठीक नहीं हो गए। हम बात कर रहे हैं ईस्ट दिल्ली के त्रिलोकपुरी इलाके में रहने वाले मोहम्मद अकरम की, जो ईस्ट दिल्ली डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ऑफिस की डिजास्टर मैनेजमेंट टीम का हिस्सा हैं। वह कहते हैं कि ड्यूटी के दौरान ही उन्हें कोरोना पॉजिटिव होने की बात पता चली, मगर अधिकारियों की सलाह और सहकर्मियों से मिली मदद ने उन्हें कमजोर नहीं पड़ने दिया। डॉक्टरों की सलाह लेकर घर पर ही इलाज किया और अब ठीक होकर फिर से ड्यूटी पर तैनात होने के तैयार हैं। वह कहते हैं कि एक बार उन्हें जरूर डर लगा कि घर में बुजुर्ग माता-पिता हैं और भाई के छोटे-छोटे बच्चे भी। मगर उन्होंने खुद को आइसोलेट कर लिया।34 वर्षीय ��करम बताते हैं कि वह डिजास्टर मैनेजमेंट की क्विक रिस्पॉन्स टीम का हिस्सा हैं। 18 अप्रैल को जिस दिन उन्हें कोरोना के सिमटम फील हुए, तब भी वह ड्यूटी पर थे। दो इमरजेंसी कॉल अटेंड करने के बाद मौके पर टीम के साथ पहुंचे थे। इसमें एक कोंडली नहर में किसी के डूबने की कॉल थी और दूसरी खिचड़ीपुर गांव में आगजनी की घटना। उन्हें पता नहीं चला कि कब किसके संपर्क में आए मगर बुखार, शरीर में जकड़न और चक्कर आने जैसे सिमटम थे, तो जांच कराई और रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। मगर वह कहते हैं कि ऑफिस से पूरा सपोर्ट मिला, जिसके बाद वह छुट्टी लेकर घर गए और आइसोलेट हो गए। पत्नी साबरा ने उनकी पूरी केयर की जिम्मेदारी संभाल ली। वह कहते हैं कि रमजान का महीना था, तो इसे ऊपरवाले की कृपा ही मानेंगे कि वह पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं। उन्होंने फेसबुक पर भी पोस्ट शेयर करते हुए साथियों से अपने लिए दुआ करने की अपील की। जिस तरह से लोगों का सपोर्ट मिला, उन्हें बहुत हिम्मत मिली। डिस्पेंसरी से दवाएं और सलाह ली। साथी विनोद कुमार, जो पहले पॉजिटिव रह चुके थे, उन्होंने डॉक्टर से दवाएं लिखाकर ट्रीटमेंट दिलाया। एक फोन कॉल पर सहकर्मी सैनिटाइजर, दवाएं और फल आदि पहुंचा रहे थे। कभी उन्होंने नेगेटिव बात नहीं की, हमेशा मनोबल बढ़ाया। उनकी सीनियर डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट ऑफिसर अंजलि दिवाकर और प्रोजेक्ट ऑफिसर श्रीवृद्धि शर्मा ने पूरा सपोर्ट किया। (रिपोर्टः सचिन त्रिवेदी)खुद हुए संक्रमित, पर युवाओं की टीम ने नहीं खींचे मदद के हाथआउटर दिल्ली के घोघा गांव के रहने वाले युवाओं की एक टोली पिछले कई दिनों से जरूरतमंद लोगों तक मदद पहुंचाने में दिन-रात जुटी है। होम आइसोलेशन के मरीजों के लिए ऑक्सिजन की सप्लाई हो या फिर दवाइयां और खाने की व्यवस्था। ये लोग फौरन उन तक पहुंचकर मदद मुहैया कराते हैं। घोघा गांव के रवीश भारद्वाज अपने भाई लोकेश भारद्वाज और दोस्त रवि स्वामी, नवीन भारद्वाज के साथ आउटर दिल्ली के जिन गांवों से मदद की कॉल आती है, फौरन उन तक पहुंच जाते हैं। चाहे किसी को ऑक्सिजन सिलिंडर की जरूरत हो या अस्पताल में एडमिट कराने की। रवीश बताते हैं कि उन्होंने इसकी शुरुआत अपने आसपास के एक-दो गांव के लिए की थी, क्योंकि अस्पतालों की भारी कमी है। वायरस की चपेट में आए ज्यादातर लोग होम आइसोलेट ही हैं। उन्हें ऑक्सिजन मुहैया नहीं हो पाता। रवीश ने अपने करीब 50 दोस्तों का एक वॉट्सऐप ग्रुप तैयार किया हुआ है, जिसका नाम उन्होंने ‘रैपिड एक्शन भाईचारा’ रखा है। इसमें 20 सदस्य हमेशा एक्टिव रहते हैं। कुछ लोग सरकारी नौकरियों में ��ैं, ऐसे में वे खुलकर तो लोगों की मदद नहीं करते, लेकिन वे हमें ऑक्सिजन मुहैया करवाने से लेकर अस्पतालों में एडमिट करवाने तक में मदद करते हैं। उनकी मदद से हम क्रिटिकल मरीजों को फौरन अस्पताल में एडमिट करवाते हैं।उन्होंने बताया कि वह संत गंगाराम कॉन्वेंट नाम से एक स्कूल चलाते हैं। नरेला के सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अस्पताल में उन्हें एंबुलेंस की कमी महसूस हुई, लोग एंबुलेंस के लिए इधर-उधर भटकते थे। इसे देखते हुए उन्होंने अपने स्कूल वैन को ही एंबुलेंस में कन्वर्ट करके हॉस्पिटल प्रशासन को दान कर दिया है। रवीश पिछले साल भी जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए आगे बढ़कर आए थे। इस दौरान वह और उनके बड़े भाई लोकेश कोरोना संक्रमित हो गए थे। लेकिन उन्होंने लोगों की मदद नहीं छोड़ी। प्रतिदिन उनकी टीम आउटर दिल्ली के इलाकों में रहने वाले मरीजों के लिए 50 से अधिक ऑक्सिजन सिलिंडर व जरूरतमंद मरीजों को प्लाज्मा मुहैया कराते हैं। वे कहते हैं कि अगर अस्पतालों में एंबुलेंस की कमी है तो मैं स्कूल चला रहे लोगों से अपील करता हूं कि वे अपनी स्कूल वैन को एंबुलेंस में कन्वर्ट कर दें तो दिल्ली के अस्पतालों से एंबुलेंस की किल्लत भी खत्म हो जाएगी। हम सबको इस महामारी में साथ मिलकर लड़ाई लड़नी होगी। (रिपोर्टः राजेश पोद्दार)’ऐसा लगता है कोरोना मरीज को मेरी मां ने ऑक्सिजन देकर जिंदगी दी है’ऐसे लगता है, जैसे यह ऑक्सिजन सिलिंडर नहीं बल्कि ‘मेरी मां है’। मेरी मां ही उखड़ती सांसों को ऑक्सिजन दे रही हैं। यह शब्द हैं जयवीर कसाना के। मूलरूप से गाजियाबाद के सकलपुरा के रहने वाले जयवीर दिल्ली के संगम विहार में पिछले 15 साल से परिवार के साथ रह रहे हैं। उनका बिल्डिंग मटीरियल का कारोबार है। गांव में तीन भाई रहते हैं। खेती बाड़ी संभालते हैं। जयवीर के मुताबिक, मेरी मां रोशनी देवी को अस्थमा की बीमारी थी। काफी समय इधर उधर इलाज कराया। चूंकि मौसम जब भी खराब होता तो मां को ऑक्सिनज की जरूरत पड़ती थी। मां उन दिनों गांव में ही रहती थीं। तबीयत खराब होने पर आसपास के अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता था। उस दिक्कत की वजह से जयवीर ने 2012 में सबसे बड़ा ऑक्सिजन सिलिंडर खरीद लिया। उस सिलिंडर को तुगलकाबाद एक्सटेंशन से भरवा लिया करते थे। इस ऑक्सिजन सिलिंडर के दम पर मां 2014 तक सांस लेती रहीं। उसी साल उनका निधन हो गया। मां के जाने के बाद सिलिंडर घर के एक कोने में कई साल तक रखा रहा। कमरे में रखा सिलिंडर अक्सर मां के होने का अहसास कराता था।जयवीर के मुताबिक, कभी सोचा ही नहीं था कि यह जो सिलिंडर रखा है, आने वाले वक्त में न जाने कितनों की उखड़ती सांसों को ऑक्सिजन देगा। इसके बाद वह ऑक्सिजन चाचा के काम आया। उन्हें कैंसर की बीमारी थी। अब आकर कोरोना महामारी ने जैसे हर तरफ हाहाकार मचाया। ऑक्सिजन के लिए लोगों को तड़पते देखा। जयवीर ने सोशल मीड��या और जानकारों को बताया कि अगर किसी को अर्जेंट जरूरत है तो फुल साइज का सबसे बड़ा सिलेंडर उनके पास उपलब्ध है। इसके बाद कई लोगों ने उनसे संपर्क किया। इधर एक पेशेंट का ऑक्सिजन लेवल 65 पर चला गया। जयवीर को पता चला। वह तुरंत अपनी कार से गांव गए और जगह जगह चेकिंग के बावजूद उस सिलिंडर को दिल्ली लाकर भरवाया फिर पेशेंट को दिया। एक बार में भरा हुआ सिलेंडर तीन चार दिन तक पेशेंट को राहत देता है। अनजान फरिश्ता बनकर जयवीर उसी सिलिंडर को जरूरतमंदों तक पहुंचाने लगे। जयवीर कहते हैं, दिल को सुकून है। यह ऑक्सिजन सिलिंडर से आज भी अपनी मां के होने का अहसास बना रहता है। ऐसा लगता है कि उस पेशेंट को मेरी मां ने ऑक्सिजन देकर जिंदगी दी है। अभी तक हमने अनजान लोगों को ही मदद की है। अब भी जारी है। (रिपोर्टः विशाल शर्मा)कोविड टेस्ट में मददगार बनी वकीलों की संस्था, फ्री में कर रहे सेवाकोविड-19 की टेस्ट रिपोर्ट के लिए इन दिनों लंबी वेटिंग है। लोगों को 10-12 दिन तक इंतजार करना पड़ रहा है। इस दिक्कत को वकीलों की एक कानूनी संस्था ‘न्याय शासनम’ ने आसान बनाने की कोशिश की है। यह संस्था रैपिड एंटीजन रिपोर्ट महज 60 मिनट में उपलब्ध करा रही है, जबकि आरटीपीसीआर रिपोर्ट 48-72 घंटे के भीतर उपलब्ध करा रही है। यह सुविधा बिल्कुल फ्री है। जांच रिपोर्ट का पूरा खर्च संस्था उठा रही है। दर्जनों लोग इसका लाभ उठा चुके हैं। न्याय शासनम की टीम के ईशा जैन, शैंकी जैन, अजय गौड़, विकास गोयल, मनीष जैन और विकास वर्मा सहित अन्य सदस्य संकट की इस स्थिति में लोगों को जितनी जल्दी हो सके, जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराने में जुटे हुए हैं। इसके लिए संस्था ने लोनी रोड एमआईजी फ्लैट नंबर बी-753 को कोविड टेस्ट और सैंपल कलेक्शन सेंटर के रूप में तब्दील कर दिया है। अभी तक इस ऑफिस में लोगों को कानूनी सलाह देने का काम किया जा रहा था।संस्था के सदस्य एडवोकेट शैंकी जैन ने बताया कि हर दिन वे देख रहे थे कि लोगों को जांच रिपोर्ट के लिए कितना लंबा इतजार करना पड़ रहा है। इसलिए उन्होंने लोगों को जल्द से जल्द टेस्ट रिपोर्ट उपलब्ध कराने की दिशा में काम करना शुरू किया। इस काम में उन्हें टीम के बाकी साथियों की भी भरपूर मदद मिल रही है। इसके लिए ऑफिस को ही कोरोना सैंपल और टेस्ट रिपोर्ट सेंटर में तब्दील किया गया। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति हमारी सेवाएं ले सकता है। एंटीजन रिपोर्ट एक घंटे में और आरटीपीसीआर रिपोर्ट 48-72 घंटे में बिल्कुल फ्री उपलब्ध कराई जा रही है। आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति के पास अगर उनके ऑफिस आने का किराया नहीं है तो उनकी संस्था ऐसे जरूरतमंद लोगों को आने-जाने का किराया भी देती है। साथ ही, जिन लोगों के पास ऑक्सिजन सिलिंडर रखा हुआ है, उनसे भी सहयोग लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कोई भी जरूरतमंद व्यक्ति उन्हें 9312869696 पर कॉल भी कर सकता है। (रिपोर्टः राजेश सरोहा)
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रिश्तों का यह भी है सच: दिल में दर्द उठता है तो बस बेटियों तक क्यों पहुंचता है?
Delhi: Rohini Yadav donates kidney to father Lalu: दिल में जब भी दर्द उठता है तो बेटियां महसूस करती हैं। वाकई किस्मत वाले हैं वो जिनकी बेटियां होती हैं। अपनों पर जब भी संकट आए तो सबसे आगे बेटी ही आती है। रोहिणी आचार्य पिता लालू यादव को अपना एक किडनी दान कर देती हैं। किडनी ट्रांसप्लांट के मामलों में डोनर 80% महिलाएं ही होती हैं। http://dlvr.it/Sdw8P2
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लालू यादव के किडनी ट्रांसप्लांट की प्रकिया जारी,परिवार ने की मार्मिक अपील
लालू यादव के किडनी ट्रांसप्लांट की प्रकिया जारी,परिवार ने की मार्मिक अपील
पटना:बिहार के पूर्व मुख्यमंत्र�� और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का किडनी का ट्रांसप्लांट जारी है। सिंगापुर में एक अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया है जहां उनका किडनी ट्रांसप्लांट हो रहा है। यह किडनी लालू प्रसाद यादव को उनकी बेटी रोहिणी आचार्य ने दी है। लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य सिंगापुर में ही रहती हैं और उन्होंने अपनी किडनी अपने पिता लालू प्रसाद यादव को दान देने की घोषणा की थी। आज यानी…
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पटना /रोहिणी आचार्य ने अपने पिता लालू प्रसाद को किडनी दान करने की प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बीजेपी प्रवक्ता प्रेमचंद्र पटेल ने उठाया सवाल - दोनों पुत्र क्यों नहीं दे रहे हैं अपना किडनी
पटना /रोहिणी आचार्य ने अपने पिता लालू प्रसाद को किडनी दान करने की प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बीजेपी प्रवक्ता प्रेमचंद्र पटेल ने उठाया सवाल – दोनों पुत्र क्यों नहीं दे रहे हैं अपना किडनी
प्रियंका भारद्वाज की रिपोर्ट /राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद इन दिनों अस्वस्थ चल रहे हैं। उन्हें किडनी में इन्फेक्शन की समस्या है जिसको लेकर उनका इलाज सिंगापुर में चल रहा है इस बीच लालू प्रसाद के सुपुत्र रोहिणी आचार्य ने अपने पिता लालू प्रसाद को किडनी दान करने की बात कही है। जिसकी चौतरफा प्रशंसा हो रही है वही भाजपा ने रोहिणी के इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह दायित्व…
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"ये तो बस एक छोटा सा मांस का टुकड़ा है": गुर्दा दान कर रही लालू की बेटी ने कहा
“ये तो बस एक छोटा सा मांस का टुकड़ा है”: गुर्दा दान कर रही लालू की बेटी ने कहा
रोहिणी आचार्य ने कहा कि पापा के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं. (फाइल) पटना: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने अपने बीमार पिता को गुर्दा दान करने के अपने फैसले के बारे में कहा, ‘‘यह तो सिर्फ मांस का एक छोटा सा टुकड़ा है.” बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की 40 वर्षीय बड़ी बहन रोहिणी सिंगापुर में रहती हैं. पिता लालू यादव को किडनी दान करने के उनके फैसले…
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Lalu Prasad Yadav daughter: पिता की जान बचाने के लिए बेटी रोहिणी दान करेगी किडनी
Lalu Prasad Yadav daughter: पिता की जान बचाने के लिए बेटी रोहिणी दान करेगी किडनी
Lalu Prasad Yadav daughter: कई सालों से किडनी और अन्य बीमारियों से जूझ रहे लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी द्वारा किडनी डोनेट करने पर उनकी तारीफ हो रही है. लोग कह रहे हैं कि रोहिणी सच्ची बेटी साबित हुई है। सिंगापुर में रहने वाली रोहिणी आचार्य ने अपने पिता की जान बचाने के लिए अपनी एक किडनी दान करने का फैसला किया है। अक्टूबर में जब लालू को सिंगापुर ले जाया गया तो डॉक्टरों ने उन्हें किडनी…
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पिता को किडनी दान करेंगी लालू की बेटी रोशनी
पिता को किडनी दान करेंगी लालू की बेटी रोशनी
द्वारा पीटीआई नई दिल्ली: बीमार राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के संरक्षक लालू यादव की सिंगापुर में रहने वाली बेटी अपने पिता को एक किडनी दान करेगी, परिवार के एक करीबी सदस्य ने कहा। 74 वर्षीय यादव पिछले महीने सिंगापुर से लौटे थे जहां वह अपनी किडनी की समस्या के इलाज के लिए गए थे। कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे राजद अध्यक्ष को गुर्दा प्रत्यारोपण की सलाह दी गई। परिवार के एक सदस्य ने पीटीआई को बताया कि…
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वो तो अमर हो गई 🙏 फरीदाबाद.. ब्रेन डेड हुई 32 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर नैंसी शर्मा की वजह से 9 लोगों को नई जिंदगी मिली। नैंसी के ब्रेन डेड घोषित होने पर उनके पिता अशोक शर्मा ने अपनी बेटी के अंगदान करने का निर्णय लिया। नैंसी का हार्ट, किडनी, आंख, लीवर 9 लोगों को लगे। - नैंसी के भाई डॉ. सौरभ शर्मा ने बताया कि 12 मार्च को उनकी बहन अम्बाला अपने पिता से मिलने गई थी। वहां कुछ तकलीफ हुई। - नैंसी को एक निजी अस्पताल में उसे भर्ती कराया। डॉक्टरों ने बताया कि नैंसी का ब्रेन डेड हो गया है। इसके बाद नैंसी को पीजीआई चंडीगढ़ ले जाया गया। कई दिन इलाज चला। - डॉक्टरों ने कहा कि नैंसी की बचने की उम्मीद ��हीं है, हालांकि ब्रेन डेड के बावजूद बाकी अंग काम कर रहे थे। - डॉक्टरों ने कहा अगर उनके बाकी अंग दान कर दिए जाते हैं तो कई लोगों को नई जिन्दगी मिल सकती है। पिता बोले-बेटी कहती थी, ऐसा काम करूंगी कि लोग याद रखेंगे - नैंसी अक्सर कहती थी-पापा देखना एक दिन में ऐसा काम करूंगी की दुनिया मुझे हमेशा याद रहेगी। - वो ऐसा कर भी गई। बेटी का चले जाने का दुख हमेशा रहेगा, लेकिन सुकून है कि उसका दिल दुनिया में धड़क रहा है। उसकी आंखें आज दुनिया को देख रही हैं। - नैंसी पेशे से सॉफ्टेवयर इंजीनियर थी। पति अनुदीप शर्मा भी गुड़गांव में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। सात साल का बेटा है। बेटी ब्रेन डेड हुई तो दामाद से बात की। - 6 अप्रैल को परिवार की सहमति से बेटी के अंग दान करने के लिए निर्णय लिया, लेकिन जब पेपर पर सिग्नेचर करने का समय आया तो हाथ कांपने लगे। - नैंसी का हार्ट 13 साल की बच्ची को प्रत्यारोपित किया गया। किडनी भी दो लोगों को दी गई। लीवर के चार पार्ट भी चार लोगों को डोनेट किए गए। - आंखों से दो लोगों को रोशनी मिली। इससे पहले शायद ही किसी के इतने अंग दान हुए हों। इसमें डॉक्टरों का योगदान भी सराहनीय रहा। - मोहाली एयरपोर्ट तक ग्रीन कॉरिडोर बनाकर इन अंगों को हवाई जहाज से नोएडा, दिल्ली और चंडीगढ़ जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाकर ट्रांसप्लांट कराया। - बेटी जाते-जाते समाज को भी यह संदेश दे गई कि बेटियां वरदान हैं। नैंसी ने बेटी होने का वह फर्ज अदा किया है, जो शायद बेटे भी पूरा न कर सकें। - परिजनों ने फरीदाबाद पहुंचकर नैंसी की तेरहवीं मनाई। इसमें हर शख्स ने नैंसी को सलाम किया। पिता अशोक शर्मा की जुबानी.. ऐसी बेटी ऐसे पिता ऐसे पति को दिल से प्रणाम 🙏 पुनः नैंसी को सादर नमन व श्रद्धांजलि 🙏 🙏 https://www.instagram.com/p/CPCZVfFpB38/?utm_medium=tumblr
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20 महीने की इस मासूम-सी बच्ची ने बचाई 5 लोगों की जिंदगी, बनी सबसे युवा कैडेवर डोनर
चैतन्य भारत न्यूज कहते हैं खुशियां बांटनी चाहिए... और बच्चे तो खुशियां बांटने के लिए आते हैं। ऐसी ही एक प्यारी सी बच्ची ने अपनी मुस्कान पांच अलग-अलग लोगों में बांट दी है। जिस बच्ची के बारे में हम आपको बता रहे हैं उसने दुनिया को अलविदा कहने से पहले कई लोगों को जिंदगी दे दी। बच्ची ने अपने शरीर के पांच अंगों को दान किया। इसी के सा�� ये बच्ची ये सबसे कम उम्र की कैडेवर डोनर भी बन गई है।
दिल्ली के रोहिणी इलाके में 8 जनवरी को 20 महीने की धनिष्ठा खेलते-खेलते घर की पहली मंजिल से नीचे गिर गई थी। इसके बाद वह बेहोश हो गई। फिर बच्ची के माता-पिता उसे तुरंत सर गंगाराम अस्पताल लेकर गए। डॉक्टरों ने उस�� होश में लाने की बहुत कोशिश की लेकिन सब बेकार साबित हुआ। 11 जनवरी को बच्ची का ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। धनिष्ठा के दिमाग के काम करना बंद कर दिया था, इसके अलावा उसके सारे अंग सही से काम कर रहे थे। तब उसके पिता अशीष कुमार और मां बबिता ने अंग दान करने का फैसला किया।
धनिष्ठा का दिल, लिवर, दोनों किडनी और कॉर्निया सर गंगाराम अस्पताल ने निकाल कर पांच रोगियों में प्रत्यारोपित कर दिया। इस मासूम सी बच्ची ने जाते-जाते 5 लोगों को नया जीवन दे दिया। धनिष्ठा के पिता आशीष ने बताया कि, हमने अस्पताल में रहते हुए कई ऐसे मरीज़ देखे जिन्हे अंगों की सख्त आवश्यकता थी। हांलाकि हम अपनी धनिष्ठा को खो चुके थे लेकिन हमने सोचा की अंगदान से उसके अंग न ही सिर्फ मरीज़ों में जिन्दा रहेंगे, बल्कि उनकी जान बचाने में भी मददगार साबित होंगे। क्या होता है कैडेवर डोनर? बता दें कैडेवर डोनर (Cadaver Donor) उसे कहते हैं जो शरीर के पांच जरूरी अंगों का दान करता है। ये अंग हैं- दिल, लिवर, दोनों किडनी और आंखों की कॉर्निया। कैडेवर डोनर बनने के लिए जरूरी है कि मरीज का ब्रेन डेड हो। इसके लिए परिजनों की अनुमति चाहिए होती है। आमतौर पर दानदाता और रिसीवर का नाम गोपनीय रखा जाता है लेकिन परिजन चाहे तो दानदाता का नाम उजागर कर सकता है। Read the full article
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Lifestyle News In Hindi : Two sisters donated kidneys on deceased father's birthday, motivating youth for organ donation | दो बहनों ने मृत पिता के जन्मदिन पर दान की किडनी, अब युवाओं को अंग दान के लिए कर रहीं हैं प्रेरित
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वाजिद खान को भाभी लुबना ने दी थी अपनी किडनी, भाई साजिद खान ने किया है खुलासा Divya Sandesh
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वाजिद खान को भाभी लुबना ने दी थी अपनी किडनी, भाई साजिद खान ने किया है खुलासा
बॉलिवुड के मशहूर म्यूज़िक डायरेक्टर साजिद-वाजिद की जोड़ी अब टूट गई है लेकिन भाई वाजिद खान की मौत के दुख से साजिद खान आज भी उबर नहीं पाए हैं। हाल ही में जी टीवी की खास पेशकश इंडियन प्रो म्यूजिक लीग () में वाजिद खान की बीमारी को लेकर साजिद ने कई खुलासे किया। लेकिन पूरा माहौल तब पूरा गम में तबदील हो गया जब उन्होंने यह बताया कि मेरे भाई वाजिद () की किडनी फेल हो गई थी तब मेरी पत्नी लुबना ने उसे अपनी किडनी दी। मैं और मेरे बच्चे काफी डरे हुए थे।
आपको बता दें कि इंडियन प्रो म्यूजिक लीग के इस खास एपिसोड में साजिद की पत्नी लुबना और उनकी मां रज़िना भी शामिल हुई थी। शो के दौरान वाजिद की मां ने बताया की दिवंगत संगीतकार वाजिद को किडनी की सख्त जरूरत थी। लेकिन मधुमेह रोगी होने के कारण मैं अपना किडनी नहीं दे सकती थी और हम सभी कोशिश कर रहे थे कि कैसे भी मैच का किडनी मिल जा��। वहीं दूसरी तरफ जैसे-जैसे समय बीत रहा था। हम सभी निराशा के बादल में खो रहे थे, कुछ लोगों ने हमारे इस मुश्किल समय का खूब फायदा भी उठाया, उन्होंने कहा कि वह वाजिद को किडनी देंगे लेकिन मौके पर मुकर जाते थे। तभी साजिद की पत्नी लुबना आगे बढ़ी और वाजिद को अपनी किडनी दी।
साजिद- वाजिद की मां रज़िना आगे कहती है, “हमने अपने सभी रिश्तेदारों से पूछा था, हालांकि, कोई भी आगे नहीं आया, लेकिन उस दौरान, लुबना ने चुपके से अपने सारे टेस्ट करवाए और वाजिद को अपनी किडनी दी। आज के समय में माता-पिता भी अपने बच्चे को किडनी नहीं देते हैं। लेकिन लुबना ने बिना दोबारा सोचे अपना किडनी देवर को दिया।
लुबना ने इस बारे में बात करते हुए कहती है, ‘जब मैंने सुना कि कोई भी उसे किडनी दान कर सकता है, तो मैंने किसी से भी नहीं पूछा, बस सभी टेस्ट करवाए। लास्ट टेस्ट से पहले मैंने वाजिद को सब कुछ बताया और उससे कहा कि यदि हम एक मैच हैं, तो तुम्हें ट्रांसप्लांट के लिए ले जाएंगे। यह बात सुनते ही वह बहुत परेशान हो गया था, लेकिन मैंने उससे बस एक बात कही कि तुम मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण हो और वह हैरान हो गया। वह एक ऐसा व्यक्ति था जो हमेशा हर किसी के साथ खड़ा रहता था, अगर ऐसी स्थिती में उसका परिवार उसकी सहायता नहीं करता तो यह बहुत शर्मनाक होता। शुक्र है कि हम एक मैच थे। ��ाजिद, मेरी मां और मेरे बच्चे ने मेरा बहुत सपोर्ट किया और मुझे खुशी है कि मैं उसके लिए ऐसा कर सकी।
दिल्ली जैमर्स के कप्तान साजिद ने आगे बताते है कि वाजिद दो साल से अस्वस्थ था और मेरी मां उसकी पूरी देखभाल करती थी। मैं अपनी पत्नी को हमेशा कहता था घर जाओ और आराम करो, लेकिन उसने उस कमरे को कभी नहीं छोड़ा जहां वाजिद रहता था। जब मेरी पत्नी अस्पताल गई, तो सारी कागजी कार्रवाई पूरी हो गई, और वाजिद को अपनी किडनी देने के लिए तैयार थी। मैं डर गया था, यहां तक कि मेरे बच्चे भी चिंतित थे, लेकिन उसने जो किया, मुझे उस पर गर्व है।
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दो बहनों ने मृत पिता के जन्मदिन पर दान की किडनी, अब युवाओं को अंग दान के लिए कर रहीं हैं प्रेरित https://ift.tt/2B1lKYU
आज के जमाने में लोग दूसरों को तो दूर अपनों को भी किडनी दान करने में संकोच करते हैं। वहीं, अमेरिका की दो बहनों ने हाल ही में दो अनजान लोगों को किडनी दान कर अपने पिता को श्रद्धांजलि दी है। पिता को वे कितना चाहती थीं, इसका अंदाजापिता के साथ उनके बचपन के फोटो देखकर लगाया जा सकता है।
अमेरिका के इलिनोइस निवासी मार्क गोराल्स्की किडनी संबंधी बीमारी से जूझ रहे थे। 2018 में उनका निधन हो गया। डॉक्टर्स का कहना था समय रहते उनकी किडनी बदल दी जाती तो वे बच सकते थे। उनकी बेटी बेथानी गोराल्स्की उन्हें किडनी देने के लिए तैयार थीं। पर डॉक्टर्स का कहना था उस वक्त उनके पिता ट्रांसप्लांट के लिए स्वस्थ नहीं थे।
पिता की मृत्यु के बाद दोनों बहनों बेथानी और हन्नाह ने पिता को श्रद्धांजलि स्वरूप अपनी किडनी दान करने का फैसला लिया। पिता के जन्मदिन पर किडनी दान करनेके बाद हन्नाह ने अपनेइंस्टाग्राम @Hannacures अकाउंट से पोस्ट कियाकि यदि आज आप होते तो 59 वर्ष के होते, जन्मदिन की बधाई हो पापा।
हन्नाह कहती हैं जब कोई आपकाअपना इस दुनिया से जाता है तो मनमें हर वक्त यही बात आती है कि हम उनके लिए ऐसा क्या करें जिससे उन्हें खुशी मिले। मैंने अपने पिता की खातिर किडनी दान की। मेरे पिता हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहते थे। मुझे लगता है कि उन्हें सम्मान देने का इससे अच्छा तरीका नहीं हो सकता था।
बेथानी और हन्नाह को इस बात की खुशी है कि उनके इस प्रयास से किसी को नया जीवन मिला है। वे कहती हैं हमहर रोज उस अंजान व्यक्ति के लिए प्रेयर करते हैंजिसे किडनी ट्रांसप्लांट की गई है। अगर आज पापाहोते तो दूसरों की मदद के लिए वे भी यही करते। वो ज��ां भी होंगे, हमारे इस काम से बेहद खुश होंगे।
हन्नाह के अनुसार अंग दान के लिए यंग एज आदर्श है क्योंकि इस उम्र में सर्जरी के बाद रिकवरी जल्दी हो जाती है। अगर आपके आसपास कोई शारीरिक रूप से तकलीफ में है तो उसकी तकलीफ दूर करने के लिए आपको मदद करना ही चाहिए। मैंने भी यही किया।
ये दोनों बहनें युवाओं को अंगदान के लिए प्रेरित करती हैं। वे इंस्टाग्राम पर अंगदान को बढ़ावा देने वाले पोस्ट अपलोड कर जागरुकता अभियान चला रही हैं। किडनी दान करने के बाद दोनों बहनें स्वस्थ हैं। वे कहती हैं कि उन्होंने सर्जरी के बाद मात्र 10 दिन में रिकवरी कर ली। बहनों ने कहा कि वे नहीं चाहतीं कि जो तकलीफ पिता ने झेली है, वह कोई और झेले।
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Two sisters donated kidneys on deceased father's birthday, motivating youth for organ donation
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Kidney Awareness Week- 2018 : किडनी खराब होने पर बढ़ता है यूरिया व क्रेटनीन का स्तर
शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स (सोडियम,पोटैशियम व अन्य मिनरल्स) का संतुलन बनाने का काम किडनी करती है। किडनी में दो हॉर्मोन होते हैं जो ब्लड प्रेशर नियंत्रित करते हैं जबकि एक हॉर्मोन बोन मैरो में जाकर रेड ब्लड सेल्स (आरबीसी) बनाता है। इससे खून बनता है।
किडनी कैल्शियम बनाने का भी काम करती है। के्रटनीन के बढऩे का मतलब है कि किडनी फंक्शन 50 प्रतिशत ही काम कर रहा है। 60 की उम्र में यदि के्रटनीन लेवल ८ मिग्रा. से ज्यादा है तो किडनी 5 फीसदी ही काम करती है। किडनी संबंधी परेशानी होने पर शरीर, आंखों और पलकों के नीचे सूजन, शाम होते- होते ये सूजन पैरों तक आ जाती है। भूख न लगना, जी मिचलाना, थकावट, रात के समय दो से तीन बार यूरिन के लिए उठना, थकावट और खून की कमी भी प्रमुख लक्षण हैं।
दो तरह की परेशानी : पहली एक्यूट किडनी डिजीज जो अचानक होती है जिसमें किडनी की कार्यक्षमता तेजी से कम हो जाती है। इसके कई कारण होते हैं जिसमें शरीर में किसी तरह का संक्रमण (सेप्सिस), उल्टी दस्त, मलेरिया, अत्यधिक दर्दनिवारक दवा से और ब्लड प्रेशर लगातार कम होना शामिल है।
एक्यूट किडनी डिजीज का समय पर इलाज कराया जाए तो यह पूरी तरह ठीक हो सकती है। क्रॉनिक किडनी डिजिज में किडनी की कार्यक्षमता धीरे-धीरे कम होती है। इसमें ब्लड यूरिया, सीरम क्रेटनीन बढऩे लगता है। किडनी रोग से बचाव के लिए डॉक्टरी सलाह पर हीमोग्लोबिन, ब्लड यूरिया, सीरम क्रेटनीन, सीरम इलेक्ट्रोलाइट और किडनी फंक्शन टैस्ट करा सकते हैं। किडनी का आकार जानने के लिए सोनोग्राफी जांच करवाते हैं। गंभीर स्थिति में रीनल बायोप्सी जांच कराई जाती है।
मरीज को वजन के हिसाब से प्रोटीन किडनी रोग का बड़ा कारण हाई ब्लड प्रेशर ��र डायबिटीज है। सामान्यत: दोनों किडनी खराब होती हैं लेकिन कभी कभी एक किडनी में भी तकलीफ ��ो सकती है जिसे समय पर इलाज से इसे ठीक कर सकते हैं। किडनी अगर थोड़ी भी ठीक है तो काम करेगी। क्रॉनिक किडनी डिजीज में वजन के हिसाब से रोगी को ०.८ ग्राम प्रोटीन प्रति किलोग्राम देते हैं। स्वस्थ व्यक्ति को प्रति किलो एक ग्राम प्रोटीन लेना चाहिए।
हिसाब से पीएं पानी किडनी के मरीज में यूरिन कम बनता है। पानी अधिक पीने से शरीर में सूजन आएगी। इससे ब्लड प्रेशर असंतुलित होगा। सांस फूलना शुरू हो सकती है।
डायलिसिस की जरूरत क्रॉनिक किडनी डिजीज के मरीजों की होती है जो एडवांस स्टेज में होते हैं। डायलिसिस से खून में मौजूद हानिकारक और विषैले तत्त्वों को साफ करने के बाद साफ खून शरीर में वापस चला जाता है।
किडनी प्रत्यारोपण क्रॉनिक किडनी डिजिज के गंभीर होने पर किडनी ट्रांसप्लांट बेहतर विकल्प है। माता-पिता, भाई-बहन या अन्य करीबी रिश्तेदार ज�� नियम के दायरे में आते हैं वे किडनी दान कर सकते हैं। किडनी प्रत्यारोपण के बाद समय पर दवा लेने के साथ खानपान और दिनचर्या का खास खयाल रखना चाहिए। १८ से ६० साल की उम्र का स्वस्थ व्यक्ति किडनी दान कर सकता है।
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The Hindi News Kidney Awareness Week- 2018 : किडनी खराब होने पर बढ़ता है यूरिया व क्रेटनीन का स्तर appeared first on Hindi News.
source http://hindi-news.krantibhaskar.com/latest-news/hindi-news/health-news/15761/
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दो बहनों ने मृत पिता के जन्मदिन पर दान की किडनी, अब युवाओं को अंग दान के लिए कर रहीं हैं प्रेरित
दो बहनों ने मृत पिता के जन्मदिन पर दान की किडनी, अब युवाओं को अंग दान के लिए कर रहीं हैं प्रेरित
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दैनिक भास्कर
Jun 23, 2020, 04:04 PM IST
आज के जमाने में लोग दूसरों को तो दूर अपनों को भी किडनी दान करने में संकोच करते हैं। वहीं, अमेरिका की दो बहनों ने हाल ही में दो अनजान लोगों को किडनी दान कर अपने पिता को श्रद्धांजलि दी है। पिता को वे कितना चाहती थीं, इसका अंदाजा पिता के साथ उनके बचपन के फोटो देखकर लगाया जा सकता है।
अमेरिका के इलिनोइस निवासी मार्क गोराल्स्की किडनी संबंधी बीमारी से…
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