#पास होना
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मैं बस उसका घर होना चाहती हूं
हां माना थोड़ा ज्यादा चाहती हूं ,
लेकिन उसके साथ हर पल होना चाहती हूं
इतना ज्यादा की जब वो खुद मुझसे दूर हो
तो उसके होने का एहसास और याद मेरे साथ हो ,
की जब भी वो दिन भर सबसे थक जाए
तो वापिस लौट कर मेरे पास आना चाहे,
जहा वो सुकून से रह सके, जी सके, हस सके,
रो सके, लड़ सके, सुख रह सके , मेरे बिना रह न सके
और मुझसे दूर भी रहे तो मेरे पास आने को उसको सोचना ना पड़े ,
बस इतना ही उससे एक वादा चाहती हूं
मैं बस उसका घर होना चाहती हूं।।
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आदिनाम यानि सार शब्द के बिना मोक्ष नहीं हो सकता। वह आडंबर करने वालों के पास नहीं है। सारशब्द प्राप्त करके भक्त को निराभिमानी होना चाहिए। काम (विषय वासना) लोभ, क्रोध आदि से बचे तथा सुका-फीका जैसा भी परमात्मा भोजन दे, उसमें संतोष करे। माँस-मदिरा, नशीली वस्तुओं का सेवन न करे और दिन-रात हमारा नाम यानि आदिनाम का स्मरण करे। #सत_भक्ति_संदेश #सतलोक_आश्रम_सोजत #SatlokAshramSojat #SojatAshram #SatlokAshram #KabirIsGod #SaintRampalJimaharaj
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Sadhna TV Satsang || 08-08-2024 || Episode: 2993|| Sant Rampal Ji Mahara...
#ThursdayMotivation
#ThursdayThoughts
#हिंदूधर्म_की_श्रेष्ठता
#आओ_जाने_भगवान_को
#किस_किस_को_मिले_भगवान
#परमात्मा_दुखी_को_सुखी_करताहै #कबीरपरमात्मा_की_भक्ति_से_लाभ #Waheguru #TrueGuru
#SatGuru #JagatGuru #TatvaDarshiSaint #GuruGranthSahibJi
#GuruNanakJi #Guru #GuruJi
#GuruDawara #Langar #Bhandara
#God #Ram #KabirIsGod
#SantRampalJiMaharaj
#SaintRampalJi
#IndiaAtOlympics #World #HaryaliTeej #Paris2024 #NeerajChopra #INDvsSL
#SATrueStoryYouTubeChannel
SA News Channel
Sant Rampal JiMaharaj On YouTube Channel
🙏वर्तमान में एकमात्र बंदीछोड़ सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी ही तत्वदर्शी संत हैं!
पूर्ण ब्रह्म कबीर अवतार हैं!
हम आत्माओं क��� परम शुभचिंतक परम प्रेमी तारणहार हैं !
भक्ति मुक्ति के दाता नाम दीक्षा देने के अधिकारी तारणहार पुरुष हैं!
हम आत्माओं के उद्धार के लिए उतरे हैं संत रामपाल जी महाराज!
सद्भक्ति के माध्यम से अपने अनुयायियों में सभी अच्छाइयों का प्रवेश कर रहे हैं और बुराइयों का,चिताओं का, दुखों का अंत कर रहे हैं! अपने भक्तों को सुकर्मो और पुण्यों से युक्त कर रहे हैं!
मोक्ष के काबिल कर रहे हैं!
🙏संत रामपाल जी महाराज_ का_पूर्ण संघर्ष हम आत्माओं के लिए ही है! परमहंस पुरुष और पूर्ण संत पूर्ण सतगुरु तत्व सदैव ही सृष्टि के लिए विश्व की आत्माओं के लिए नि:स्वार्थ भाव से पूर्ण रूप से आजीवन प्रयत्नशील रहते हैं!
परमात्मा की आत्माओं को परमात्मा के तुल्य ही प्रेम करते हैं_समदर्शी भाव से!
विश्व की सभी आत्माएं संत रामपाल जी महाराज को यूट्यूब चैनल पर अवश्य सुनें!
🙏अवश्य सुनें!
*फैक्टफुल डिबेट्स*
🙏अवश्य जानें!
*सृष्टि रचना*_*सूक्ष्म वेद* _ यूट्यूब चैनल पर संत रामपाल जी महाराज
*सृष्टि रचना अध्यात्म मार्ग को जानने की मुख्य चाबी है!*
* मानव जन्म अनमोल दुर्लभ है! +
*मोक्ष के लिए मिला है! *
📣⏬
🙏दासी विश्व की सभी आत्माओं से यह कहना चाहती है कि आज तक हम कहते रहे _
*हरि आए हरियाणा नू*
लेकिन जब हरी हरियाणा में आए तो हम उन्हें पहचानना ही नहीं चाहते!
कितनी बड़ी विडंबना है!
शास्त्र विरुद्ध भक्ति करने-कराने वाले गुरुओं को हमने सहज ही स्वीकार कर लिया!
लेकिन आज पढ़ा लिखा युग है!
परमात्मा ने हमारे लिए बहुत साधन बना दिए!
लेकिन हम उनका लाभ नहीं उठा पा रहे! यह भी कठिन विडंबना है !
हमारे पास बुद्धि तो बहुत है, लेकिन हम अपने विवेक का प्रयोग नहीं करना चाहते!
सुख और दुख की झूठी चादर को उड़कर हम निश्चिंत रहना चाहते हैं आंख बंद करके यह भूल जाते हैं इस गंदे लोक में जन्म और मरण का रोग लगा है कठिन रोग जिसका नाश होना अनिवार्य है!
🙏आप सभी जी से प्रार्थना है🙏
अपने अनमोल जन्म का अनमोल मोल लगाएं!
*हरि आए हरियाणा नू*
🙏ज्ञान वाली अंखियों से रूह की गहराइयों से पहचानें!_अपने भगवान को!
भगवान जाने के बाद पहचानना भी अपने आप में विडंबना है!
भगवान हमारे लिए धरती पर उतर आए हैं और हम धरती पर रहकर भी उससे वंचित हों कितनी ही बड़ी विडंबना है!
आशा करती हूं अपने परिवार से प्रेम करने वाले अपने आप से प्रेम करने वाले भगवान की चाहत करने वाले सुखों की चाहत करने वाले सुखसागर परमेश्वर को पहचानने का पूरा जतन करेंगे!
अज्ञान को मिटाने, का अंधकार को मिटाने का, हरियाली को लाने का_ एक मात्र ही रास्ता है सत्संग!
सत्य का संग करें!_संत रामपाल जी महाराज के साथ यू ट्यूब चैनल पर!
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लखनऊ, 25.02.2024 | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा राणा होम्यो क्लीनिक के संयुक्त तत्वावधान में योग्य मान्यता प्राप्त चिकित्सक द्वारा "निःशुल्क होम्योपैथिक परामर्श, निदान एवं दवा वितरण शिविर" का आयोजन राणा होम्यो क्लिनिक, शॉप नं.3, गोपाल नगर कॉलोनी, झंडेवाला चौराहा के पास, जल निगम रोड, बालागंज, लखनऊ में हुआ l शिविर का शुभारंभ ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल, शिविर के परामर्शदाता चिकित्सक डॉ० संजय कुमार राणा एवं उनकी टीम के सदस्यों राहुल राणा, संतोष राणा एवं दिनकर दुबे ने दीप प्रज्वलन व होम्योपैथी के जनक डॉ सैमुएल हैनीमेन के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया |
इस अवसर पर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने बताया कि, होम्योपैथिक शिविर आयोजित करने की प्रेरणा माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मंत्र - सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास से मिली है | श्री हर्षवर्धन अग्रवाल ने कहा कि, "होम्योपैथी एक सुरक्षित और सौम्य चिकित्सीय तरीका ��ै जो कई प्रकार की बीमारियों का प्रभावी उपचार कर सकता है । इसकी आदत नहीं पड़ती है अर्थात रोगी को होम्योपैथिक दवाओं की लत नहीं लगती है । यह गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सभी के लिए सुरक्षित है । एलोपैथी की तुलना में होम्योपैथी बहुत अधिक प्रभावी है, क्योंकि यह केवल लक्षणों का उपचार करने के बजाय बीमारी को जड़ से खत्म करती है । लोगों को अपनी सेहत का ध्यान रखना चाहिए और किसी प्रकार की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या होने पर तत्काल अपने डॉक्टर से सलाह लेकर उपचार करवाना चाहिए l जिससे बीमारी बढे न और जटिलता से बचा जा सके l जनहित में नियमित स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया जाएगा l"
डॉ० संजय कुमार राणा ने कहा कि, "होम्योपैथी चिकित्सा रोगी की शारीरिक शिकायतों, वर्तमान और पिछला चिकित्सा इतिहास, व्यक्तित्व और वरीयताओं सहित विस्तृत इतिहास को ध्यान में रखती है । चिकित्सा की यह प्रणाली व्यक्ति की बीमारी को ही नहीं बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य को ठीक करने पर केंद्रित होती है । होम्योपैथी इस विश्वास पर चलती है कि शरीर खुद को ठीक कर सकता है । इसी सिद्धांत को मानते हुए होम्योपैथिक दवाओं को तैयार किया जाता हैं जो एलोपैथी दवाओं की तरह व्यक्ति की बीमारी को नहीं दबाती बल्कि उसे जड़ से खत्म करने के लिए शरीर की सेल्फ हीलिंग क्षमता को सक्रिय करती हैं ।"
होम्योपैथी शिविर में विभिन्न बीमारियों जैसे कि, सीने में दर्द होना, भूख न लगना, सांस फूलना, ह्रदय व गुर्दे की बीमारी, मधुमेह (Diabetes / Sugar), रक्तचाप (Blood Pressure), उलझन या घबराहट होना, पेट में दर्द होना, गले में दर्द होना, थकावट होना, पीलिया (Jaundice), थाइरोइड (Thyroid), बालों का झड़ना (Hair Fall) आदि से पीड़ित 76 रोगियों का वजन, रक्तचाप (Blood Pressure) तथा मधुमेह (Sugar-Random) की जांच की गयी l डॉ० संजय कुमार राणा ने परामर्श प्रदान किया l सभी को डॉ० संजय कुमार राणा ने निःशुल्क होम्योपैथी दवा प्रदान की l महिलाएं, पुरुष, बुजुर्गों तथा बच्चों सभी उम्र के लोगों ने होम्योपैथी परामर्श लिया l
इस अवसर पर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, ट्रस्ट के स्वयंसेवकों तथा परामर्श चिकित्सक डॉ० संजय कुमार राणा तथा उनकी टीम के सदस्यों राहुल राणा, संतोष राणा, दिनकर दुबे की उपस्थिति रही l
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( #MuktiBodh_Part117 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part118
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 231
◆ वाणी नं. 146 :-
गरीब, बाण लगाया बालिया, प्रभास क्षेत्र कै मांहि।
सुक्ष्म देही स्वर्गहिं गये, यहां कुछ बिछर्या नाहिं।।146।।
◆ सरलार्थ :- श्री कृष्ण जी के पैर में बालिया नामक शिकारी ने तीर मारा। श्री कृष्ण जी की मृत्यु हो गई, परंतु सुक्ष्म शरीर स्वर्ग चला गया।(146)
◆ वाणी नं. 147- 149 :-
गरीब, दुर्बासा कोपे तहां, समझ न आई नीच।
छप्पन कोटि जादौं कटे, मची रुधिर की कीच।।147।।
गरीब, गूदड़ गर्भ बनाय करि, कीन्हीं बहुत मजाक।
डरिये सांई संत सैं, सुखदे बोलै साख।।148।।
गरीब, दश हजार पुत्र कटे, गोपी काब्यौं लूटि।
गनिका चढी बिवान में, भाव भक्ति सें छूटि।।149।।
◆ सरलार्थ :- एक समय दुर्वासा ऋषि द्वारिका नगरी के पास वन में आकर ठहरा। धूना अग्नि लगाकर तपस्या करने लगा। दुर्वासा ऋषि श्री कृष्ण जी के आध्यात्मिक गुरू थे।
{ऋषि संदीपनी श्री कृष्ण के अक्षर ज्ञान करवाने वाले शिक्षक (गुरू) थे।} दुर्वासा जी की ख्याति चारों ओर द्वारका नगरी में फैल गई कि ऐसे पहुँचे हुए ऋषि हैं। भूत, भविष्य तथा वर्तमान की सब जानते हैं। द्वारिका के निवासी श्री कृष्ण से अधिक किसी भी ऋषि व देव को नहीं मानते थे। उनको अभिमान था कि हमारे साथ श्री कृष्ण हैं। कोई भी देव, ऋषि व साधु हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। श्री कृष्ण को सर्वशक्तिमान मान रखा था।
द्वारिका के नौजवानों को शरारत सूझी। आपस में विचार किया कि साधु लोग ढोंगी होते हैं। इनकी पोल खोलनी चाहिए। चलो दुर्वासा ऋषि की परीक्षा लेते हैं। श्री कृष्ण के पुत्र प्रधूमन ने गर्भवती स्त्री का स्वांग धारण किया। पेट के ऊपर छोटा कड़ाहा बाँधा। उसके ऊपर रूई-लोगड़ रखकर वस्त्र बाँधकर स्त्री के कपड़े पहना दिए। उसका एक पति बना लिया। सात-आठ नौजवान यादव उनके साथ दुर्वासा के डेरे में गए और प्रणाम करके
निवेदन किया कि ऋषि जी आपका बहुत नाम सुना है कि आप भूत-भविष्य तथा वर्तमान की जानते हैं। ये पति-पत्नी हैं। इनके विवाह के बारह वर्ष बाद परमात्मा ने संतान की आश पूरी की है। ये यह जानना चाहते हैं कि गर्भ में लड़का होगा या लड़की। ये यह जानने के लिए उतावले हो रहे हैं। कृपया बताने का कष्ट करें। दुर्वासा ऋषि ने ध्यान लगाकर देखा तो सब समझ में आ गया। क्रोध में भरकर बोला, बताऊँ क्या होगा? सबने एक स्वर में कहा कि हाँ! ऋषि जी बताओ। दुर्वासा बोला कि इस गर्भ से यादव कुल का नाश होगा। चले जाओ यहाँ से। सब भाग लिए। गाँव में बुद्धिमान बुजुर्गों को पता चला कि बच्चों ने ऋषि दुर्वासा के साथ मजाक कर दिया। ऋषि ने यादव कुल का नाश होने का शॉप दे दिया है। जुल्म हो गया। सब मरेंगे। अब क्या उपाय किया जाए? सब मिलकर अपने गुरू तथा ��ाजा श्री कृष्ण जी के पास गए तथा सब हाल कह सुनाया। श्री कृष्ण जी से कहा कि इस कहर से आप ही बचा सकते हो। श्री कृष्ण जी ने कहा कि उन सब बच्चों को साथ लेकर ऋषि दुर्वासा के पास जाओ। इनसे क्षमा मँगवाओ। तुम भी बच्चों की ओर से क्षमा माँगो। सब मिलकर ऋषि दुर्वासा के पास गए तथा बच्चों से गलती की क्षमा याचना करवाई। स्वयं भी क्षमा याचना की। ऋषि दुर्वासा बोले कि वचन वापिस नहीं ह��� सकता। सब वापिस श्री कृष्ण के पास आए तथा कहा कि दुर्वासा के शॉप से बचने का उपाय बताऐं। श्री कृष्ण ने कहा कि जो-जो वस्तु गर्भ स्वांग में प्रयोग की थी। उनका नामों-निशान मिटा दो। उन्हीं से अपने कुल का नाश होना कहा है। कपड़े-रूई-लोगड़ को जलाकर उनकी राख को प्रभास क्षेत्रा में नदी में डाल दो। जो लोहे की कड़ाही है, उसे पत्थर पर घिसा-घिसाकर चूरा बनाकर प्रभास क्षेत्र में दरिया में डाल दो। न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी। द्वारिकावासियों ने अपने गुरू श्री कृष्ण जी के आदेश का पालन किया। लोहे की कड़ाही का एक कड़ा एक व्यक्ति को घिसाने के लिए दिया था। उसने कुछ घिसाया, पूरा नहीं घिसा। वैसे ही जमना दरिया में फैंक दिया।
घिसने से उस कड़े में चमक आ गई थी। एक मछली ने उसे खाने की वस्तु समझकर खा लिया। उस मछली को एक बालिया नाम के भील ने पकड़कर काटा तो कड़ा निकला। उसका लोहा पक्का था। बालिया ने उससे अपने तीर का आगे वाला हिस्सा विषाक्त बनवा
लिया। कड़ाहे का जो लोहे का चूर्ण दरिया में डाला था, उसका तेज-तीखे पत्तों वाला घास उग गया। पत्ते तलवार की तरह पैने थे। कपड़ों तथा रूई-लोगड़ (पुरानी रूई) की राख का
भी घास उग गया।
क्रमशः_________________
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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राधे राधे बोलने से स्वर्ग मिले न मिले मुझे मेरी मां के पास होना का एहसास तो होता है
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सूर्य लग्न के 11 में बुध गुरु कितना धन हो सकता हैं?
सूर्य लग्न के 11वें भाव में बुध और गुरु की उपस्थिति का संबंध ज्योतिष और राशिफल से है। यह प्रश्न कुंडली और वैदिक ज्योतिष के संदर्भ में है, जहां 11वां भाव सामान्यतः आय, धन, लाभ, और आकस्मिक अवसरों को दर्शाता है। बुध और गुरु की उपस्थिति इस भाव में कई चीजों को इंगित कर सकती है:
बुध (मर्करी): बुध संचार, व्यापार, और तर्कशीलता का प्रतीक है। यह संकेत करता है कि आप संवाद और नेटवर्किंग के माध्यम से धन अर्जित कर सकते हैं। बुध के 11वें भाव में होने से आपके लिए व्यापार, टेक्नोलॉजी, मीडिया, या संचार के अन्य क्षेत्र में सफलता की संभावना बढ़ जाती है।
गुरु (बृहस्पति): गुरु ज्ञान, शिक्षा, और वृद्धि का प्रतीक है। 11वें भाव में गुरु का होना संकेत करता है कि आपके पास बड़े अवसर आ सकते हैं, और आपके लाभ के स्रोत बढ़ सकते हैं। यह शिक्षा, धर्म, या उच्च विचारों से संबंधित कार्यों से भी धन की प्राप्ति का संकेत देता है।
11वें भाव में बुध और गुरु दोनों के होने से, यह संभावना होती है कि आप विभिन्न स्रोतों से धन अर्जित करेंगे। यह एक प्रकार से सौभाग्य का संकेत हो सकता है, जहां आप नेटवर्किंग और ज्ञान के माध्यम से वित्तीय लाभ प्राप्त करते हैं।
इस बात को ध्यान में रखें कि ज्योतिष में अन्य ग्रहों की स्थिति, उनके आपसी संबंध, और दशाओं का भी प्रभाव होता है। इसलिए, किसी विशेष कुंडली के विश्लेषण के लिए कुंडली चक्र २०२२ प्रोफेशनल सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर सकते है. जो आपको एक बेहतर जानकारी दे सकता है।
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@spdailyquotes There is a story that one fool was sitting on a branch of a tree and he was cutting off. And somebody said, "You'll fall down." "Ha, fall down." But when he fell down he said, "Oh, you are a great astrologer." So who goes to the astrologer? Only fools and rascal. No sane man goes. What is to happen, that will happen. Why shall I go to astrologer? Mayapur, March 14, 1976 एक बार एक मूर्ख एक पेड़ की टहनी पर बैठा था और उसी को काट रहा था। किसी ने उससे कहा, 'अरे, तुम गिर जाओगे।' 'हाह, गिर जाऊँगा?' किन्तु जब वह गिर गया तो उसने कहा, 'अरे आप तो कोई महान् ज्योतिष हैं।' तो ज्योतिष के पास कौन जाता है? केवल मूर्ख लोग। कोई बुद्धिमान व्यक्ति नहीं जायेगा। जो होना है वह तो होकर ही रहेगा। क्यों मैं किसी ज्योतिष के पास जाऊँ? मायापुर, 14 मार्च 1976 #krishna #iskconphotos #motivation #success #love #vaishnav #india #creativity #inspiration #life #spdailyquotes #devotion
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हमारा मुस्लिम समुदाय पूरे रमज़ान माह के रोज़े रखने बाद अल्लाह से दुआ🤲🏻 करते हैं और कुर्बानी देते हैं ...
🤔क्या आप जानते है ????
👉 कुर्बानी की वास्तविक परिभाषा क्या है??
👉🏻मुसलमान धर्म मे कुर्बानी की प्रथा केसे चली??
👉🏻अल्लाह की राह में कुर्बान होना क्या है?
🧐🧐🧐🧐🧐
और भी बहुत से प्रश्नों के जबाव जानना चाहोगे तो पढिये #बाखबर संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा लिखित पुस्तक "मुस्लमान_नहीं_समझे_ज्ञान_क़ुरआन" जिसमे है
हर समस्या का समाधान।
तो देर किस बात की, जल्दी अपना आर्डर कीजिये
"#मुस्लमान_नहीं_समझे_ज्ञान_क़ुरआन....बिल्कुल निशुल्क मंगवाने के लिए अपना👇
Name:- ......
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comment box में दें या हमे whatsapp करे 7496801825
नोट-
👉 30-45 दिन में यह पुस्तक आपके पास पहुंच जाएगी जी।
👉 45 दिन में दोबारा order करने पर order cancel हो जाएगा जी।
।।धन्यवाद।।
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भाभी के साथ हसीन रात
राधिका 35, एक बड़े घराने की घरेलू महिला था, बिलकुल अपने संस्कृति और धर्म को मानने वाली महिला थी, उनका पति एक बैंक के मैनेजर पोस्ट पर काम करते थे, और उनका नया नया सादी हुआ था, और वो अपने मायके और ससुराल से दूर असम आई हुई थी क्योंकि उनके हब्बी विक्रांत का ट्रांसफर वहीं हुआ था
कबीर 23, ग्रेज्यूशन पहला पार्ट में दाखिला करा कर, छोटे मोटे ऑफिस में काम करके अपना पढ़ाई का खर्चा उठा रहा था, परिवार सामर्थ नही था की कबीर को पढ़ा सके या उसके लिए कुछ कर सके, और शायद ये बात कबीर भी कुछ हद्द तक जानता था, समय बीतता गया और कबीर भी सही ट्रैक पर आ गया
बीते दो तीन साल
कबीर शुरू से शर्मिला था और वो उसका लगाव औरतों और लड़कियों में कम था, अब यूं कहे की उसे अपने कैरियर का खतरा लगता या वो ये सब चक्कर में नही फसना चाहता था
कुछ दिन बाद एक कंपनी का कॉल आया, कबीर ने बहुत ही सोच समझ कर उत्तर देते गया और उसकी नौकरी फ्लिपकार्ट में लग गई , अच्छे सैलरी पैकेज के साथ, ये बात उसने पहले अपने मां बाबूजी को बताया फिर अपने दोस्तों के साथ जश्न किया
करीब एक साल बाद वो ऑफिस के लिए रोजमर्रा की तरह निकलता और शाम को लौटता, उसे इतना तक पता नही की कोई उसे लंबे समय से ताड़ रहा है
वो ठहड़ा सीधा साधा, काम पी जाता और शाम को लौटता, एक दिन ऐसा समय आया की भाभी ने जानकर कबीर के तरफ इशारा की, तो कबीर को वहम लगा और उस दिन भी बिना देखे कबीर ऑफिस चला गया
अचानक से राधिका अपना सारी का पल्लू को कमर में बांधे हुए, कबीर के पास पहुंची और बोली बहरा है क्या, सुनाई नही देता है
4 दिन से चिल्ला रही हूं और तुम हो की इग्नोर किए जा रहे हो, किस बात का इतना घमंड है तुझ में, ये पकड़ो तुम्हारा चड्डी उस दिन हवा में उर के हमारे बालकनी में आ गिरा था, मुझे भी कोई शौक नही है तुम्हे बुलाने का पर किसी के मेहनत का मैं फिजूल बर्बाद नही होना देना चाहती
राधिका वही गरम मिजाज में वहां से चली गई और ढेड़ सारा बात कबीर को सुना दी, उसे समझ नही आ रहा था की क्या बोले, वो शांत से उस भाभी को देखे जा रहा था, ऐसे जैसे उसकी शिक्षिका ने कवीर को किसी बात को लेकर ताना मार कर गई हो
अब कबीर को समझ नही आ रहा था की जो चड्डी सामने वाला भाभी से मिला है वो उसका है भी या नहीं उसे समझ नही आ रहा था, क्योंकि कबीर सब अपना सामान बहुत संयोज के रखता है
खैर उसने उठाया और चला गया, क्योंकि वो इतना सुन लिया था की उसे बाहर में रहने की हिम्मत नही हुई, समय उस दिन कैसे काट गया, कुछ भी पता नही चला
अगले दिन सुबह करीब 5 बजे रोज की तरह कबीर निकला और बाहर टहलने लगा, ठीक 5 मिनट बाद भाभी भी बालकनी में खुले बाल के साथ आ गई, बड़े गले का मैक्सी और काजल का अधूरापन जैसे दिखना ये कबीर के जहन में छा गई
कभी ��बीर देखता तो कभी वो, धीरे धीरे दोनो में नजदीकियां आने लगी, और रोज की तरह भाभी समय पर आ जाती, एक दिन रविवार का समय था, राधिका अपने कमरे तक से बाहर नहीं निकली
इधर कबीर पूरा परेशान, समझ नही आ रहा था क्या करे, फिर उसने जैसे तैसे खुद को संभाला और अपने कमरे में बिना कुछ खाए सो गया
शाम करीब 5:15 हो रहा था तभी राधिका उसके कमरे में आई और बोली, आज बाहर क्यूं नही आए
कबीर को तेज गुस्सा आया और वो निगल गया, जान गया था की अभी गुस्सा करना ठीक नहीं, उसने बस एक बात कहा, सुबह से आप कहां थी, बस यही कारण था की हम आपको इग्नोर करते थे और मुझे ये भी पता था, की वो चड्डी हमारा नही था
राधिका मुस्कुराते हुए बोली, मैं जानती हूं पर तुम्हे पता है की मैं 6 महीना से परेशान थी तुम्हारे लिए, किसी का कैसे होने दूं और फाई राधिका बड़े ही बेशर्म होकर गले लगा ली
अब इनबॉक्स में चर्चा कर सकते हैं
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लीडरशिप
जो अर्जुन के संशय का समाधान करें वहीं कृष्ण है । हम किसी न किसी के लिए कृष्ण हैं और कोई हमारा कृष्ण है । मतलब हम किसी को राह दिखा रहें है और कोई हमे राह दिखा रहा है । जितने भी महान लोग है वो सभी अच्छे लीडर भी हैं। एक अच्छा नेतृव समाज का उत्थान ही करता है । चलिए लीडरशिप के महत्व को समझते हैं । आज कल AI का चलन बढ़ गया हैं । लोगो को लगता है AI सारे jobs को सीमित कर देगा । एक नई दुनिया जहां मशीनें वो सभी काम करेंगी जो पहले केवल इन्सान ही कर सकता था । अब लोगो को एक फुल प्रूफ करियर ऑप्शन चाहिए जो सही भी है । चलिए मैं आपको बताता हूं जैसे घोड़ागाड़ी की जगह मोटरगाड़ी ने ले लिया वैसे जाहिर सी बात है AI अभी वर्तमान जॉब को सीमित करेगा और कुछ नए जॉब उत्पन्न करेगा । पर एक क्षेत्र है जहां कोई टेक्नोलॉजी का उपयोग बहुत कम है और वह है लीडरशिप । मनुष्य का लीडर कभी AI या टेक्नोलॉजी तो नहीं हो सकता। मनुष्य का लीडर मनुष्य ही होगा हमेशा यह अखण्ड सत्य है । AI का अर्थ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस होता है लेकिन अब आप समझ गए होंगे की ज्यादा इंटेलिजेंस मनुष्य के पास है तो अब से इस आर्टिकल के लिए AI हमारे लिए ऑल्टरनेटिव इंटेलिजेंस है । एक अच्छा लीडर उसके अंदर के व्यतित्व से बनता है ना की ऑल्टरनेटिव इंटेलिजेंस से ��� Human resource management आज के समय एक कला है और इसके लिए एक विशेष वर्ग के लोग काम कर रहें हैं जिन्हें हम HR कहते है क्या सच में यह इतना जटिल काम जिसके लिए हमे निपुण लोगों को काम पर रखना पड़ता है । लीडरशिप केवल विशेष लोगो की जागीर नहीं है इसको सब को सीखना चाहिए क्यों की " हम किसी न किसी के लिए कृष्ण हैं और कोई हमारा कृष्ण है " , लीडरशिप एक कला है समय के साथ इंसान निपुण होता जाता है पर आज के दुनिया में धैर्य कहा उनको आत्मज्ञान को 30 सेकंड की वीडियो से प्राप्त करना है और लीडरशिप के गुण एक लेख से । इसलिए मुझे इस लेख पर ज्यादा ध्यान देना आवश्यक हो गया है । लेकिन फिर भी एक अच्छा लीडर एक दिन में नही बनता । समय के साथ बनता है और जन्म से कोई लीडर नही होता है । इसलिए कोई भी बन सकता है । मैं इकोनॉमिक्स का विद्यार्थी हूं और अभी तक इकोनॉमिक्स में ज्यादातर शॉर्टेजेस और डिमांड और सप्लाई के बारे में ही बात की जाती है जैसे oil , technology, money इत्यादि । पर मुझे लगता है केवल लीडरशिप के कमी के कारण सभी अधिकांश शॉर्टेज उत्पन्न होते है । कहने का अर्थ है एक अच्छा लीडर अर्थवस्था को स्थिर कर सकता है । एक अच्छा लीडर आजादी दिला सकता है जैसे बापू । अच्छे लीडर के उदाहरण समाज में कई है इसलिए सारे उदाहरण पे ध्यान देने का काम आप पर छोड़ता हूं । मेरे लिए अच्छा लीडर एक दूरदर्शी नागरिक है और देश के उत्थान की नींव है । मेरे बातों से यह ना समझें की लीडर मतलब केवल पॉलिटिकल लीडर । लीडर की जरूरत हर क्षेत्र में है जैसे पॉलिटिकल, एडमिनिस्ट्रेटिव, एजुकेशन , स्पोर्ट्स, लॉ एंड आर्डर इत्यादि | यहां पे मैं एक Palindrome से आपको बताना चाहता हूं " A Man a Plan a Canal Panama " इस लाइन की दो खासियत है 1. आगे और पीछे दोनो तरफ से पढ़ने पर यह एक ही जैसा साउंड करती है । 2. यह एक प्रेरक लाइन है जिसका मतलब है एक मैन था , उसके पास एक प्लान था , ��र वह प्लान एक canal का था । उसका नाम है आज पनामा है । मै अब आप से पूछता हूं वह एक मैन कौन है , एक लीडर । हां एक लीडर उसने दुनिया को पनामा दिया और आज इस नहर का दुनिया में कितना महत्व है मुझे बताने की आवश्यकता नहीं है यह जग जाहिर है । एक अच्छा लीडर मानवता के लिए वरदान है ।
चलिए देखते है लीडरशिप के गुण [ Attributes ]
1. पेशेवर ज्ञान और क्षमता
एक अच्छा नेता बनने के लिए व्यक्ति को अपने क्षेत्र के बारे में ज्ञान होना चाहिए। ज्ञान निरंतर अध्ययन और कड़ी मेहनत से आता है। जितना अधिक आप जानते हैं आप उतने अधिक सक्षम बनते हैं। ज्ञात तथ्यों के आधार पर सही निर्णय लेने के लिए ज्ञान आवश्यक है।
2. निर्णय लेने की क्षमता
एक अच्छे नेता में निर्णय लेने की क्षमता होती है और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि उसने जो निर्णय लिया है उसके लिए पूरी जिम्मेदारी स्वीकार करता है।
3. पूर्ण न्याय और निष्पक्षता
किसी भी व्यक्ति को पदावनत होना पसंद नहीं है और फिर भी यदि निष्पक्ष रूप से किया जाए तो वे इसे स्वीकार करते हैं। एक अच्छा नेता प्रत्येक अधीनस्थ के साथ उचित व्यवहार करता है। एक अच्छा नेता यह सुनिश्चित करता है कि वह न केवल सीखने और विकास के समान अवसर प्रदान करे बल्कि उसी गलती के लिए समान सजा भी प्रदान करे।
4. नैतिक और शारीरिक साहस
नैतिक साहस: यह सही और गलत के बीच अंतर करने की क्षमता है। एक अच्छा नेता दूसरों की परवाह किए बिना अपने विचारों और विश्वासों को सामने रखने में सक्षम होता है।
शारीरिक साहस: डरना और यह दिखाना कि आपको डर है, दो अलग-अलग चीजें हैं। एक अच्छा नेता दिखाता है कि वह सबसे कठिन परिस्थितियों का सामना करने के लिए काफी साहसी है क्योंकि वह जानता है कि वह जो कुछ भी करता है या जैसा व्यवहार करता है उसका उसके अधीनस्थों पर बहुत प्रभाव पड़ता है।
5. निष्ठा
शीर्षक से ही काफी समझ में आता है। यदि आप दूसरों से वफादारी की उम्मीद करते हैं तो आपको पहले उनके प्रति वफादार होना होगा।
6. मानव संसाधन प्रबंधन
अपने अधीनस्थों को संभालना सीखना एक ऐसी कौशल जो नेता होने के लिए सबसे अधिक आवश्यक है। एक नेता दृढ़ होना चाहिए लेकिन उसमें एक अच्छी sence of humor होनी चाहिए ताकि आप अपने लोगों को उनकी निराशा से बाहर निकाल सकें। आप कभी नहीं जानते कि दूसरे किस समस्या से जूझ रहे हैं, इसलिए एक अच्छा नेता हमारें साथी के भावनाओं को समझने में सक्षम होना चाहिए।
चाहे आप नेता हों या नेता बनने जा रहे हों या फिर यदि आप अनुयायी हों, दो सबसे मौलिक पहलू जो अधिकांश लोगों में कमी होती हैं और कोई भी नेतृत्व इसे ठीक नहीं कर सकता हैं वो हैं अनुशासन (समय पर आना महत्वपूर्ण है) और चरित्र (जानना कि आप कौन हो वास्तव में)।
इनके अलावा भी कई गुण हैं लेकिन महत्वपूर्ण गुण यही हैं । एक लीडर को राह कौन दिखाएगा यह सवाल भी आता है उसका जवाब है आपकी अपनी अंतरात्मा जो पवित्र होती है उसको सुनिए साथ में यह 6 गुण को आत्मसात करिए आप अच्छे लीडर अवश्य बनेंगे । किस के लिए लीडर बने , मतलब कोई विशेष कारण। उसका जवाब है "Be the change you wish to see in the world. इस वाक्य को ध्यान में रखें । मुझे उम्मीद है आप अच्छे लीडर बनेंगे और अपना और अपनो के साथ समाज का उत्थान करेगें । जय हो ।
- @divyavisharad
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माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी
के मंत्र
सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास
के अन्तर्गत
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट
एवं
राणा होम्यो क्लीनिक
के संयुक्त तत्वावधान में
"13वा निःशुल्क होम्योपैथिक परामर्श, निदान एवं दवा वितरण शिविर"
का आयोजन किया जा रहा है |
परामर्शदाता चिकित्सक : डॉ० संजय कुमार राणा
बी.एच.एम.एस. (आगरा), रजि०न०: H037334 |
दिनाँक : 25.02.2024 | दिन : रविवार
समय : प्रात 10:30 बजे से अपराह्न 04:00 बजे तक
स्थान : राणा होम्यो क्लिनिक, शॉप नं.3, गोपाल नगर कॉलोनी, झंडेवाला चौराहा के पास, जल निगम रोड, बालागंज, लखनऊ
सीने में दर्द होना, भूख न लगना, सांस फूलना, ह्रदय व गुर्दे की बीमारी, मधुमेह (Diabetes / Sugar), रक्तचाप (Blood Pressure), उलझन या घबराहट होना, पेट में दर्द होना, गले में दर्द होना, थकावट होना, पीलिया (Jaundice), थाइरोइड (Thyroid), बालों का झड़ना (Hair Fall) से पीड़ित रोगी परामर्श हेतु सादर आमंत्रित हैं |
नोट: ट्रस्ट और ट्रस्ट के पदाधिकारीगणों की शिविर में प्रदान किये गए चिकित्सीय परामर्श, निदान एवं दवा आदि के लिए कोई दायित्व व जिम्मेदारी नहीं होगी | जांच में गम्भीर रोग की पहचान होने पर शासकीय / निजी चिकित्सालयों में उचित ढंग से इलाज करवाना श्रेयस्कर होगा | पहले आएं पहले दिखाएं के आधार पर आपका स्वागत है |
*शिविर में आकस्मिक सेवाएँ उपलब्ध नहीं हैं |
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( #MuktiBodh_Part116 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part117
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 229-230
कथा :- शंकर जी का मोहिनी स्त्री के रूप पर मोहित ��ोना
जिसमें दक्ष की बेटी यानि उमा (शंकर जी की पत्नी) ने श्री रामचन्द्र जी की बनवास में सीता रूप बनाकर परीक्षा ली थी। श्री शिव जी ऐसा न करने को कहकर घर से बाहर चले गए थे। सीता जी का अपहरण होने के पश्चात् श्रीराम जी अपनी पत्नी के वियोग में विलाप कर रहे थे तो उनको सामान्य मानव जानकर उमा जी ने शंकर भगवान की उस बात पर विश्वास नहीं हुआ कि ये विष्णु जी ही पृथ्वी पर लीला कर रहे हैं। जब उमा जी सीता जी का रूप बनाकर श्री राम जी के पास गई तो वे बोले, हे दक्ष पुत्र माया! भगवान शंकर को कहाँ छोड़ आई। इस बात को श्री राम जी के मुख से सुनकर उमा जी लज्जित हुई और अपने निवास पर आई। शंकर जी की आत्मा में प्रेरणा हुई कि उमा ने परीक्षा ली है। शंकर जी ने विश्वास के साथ कहा कि परीक्षा ले आई। उमा जी ने कुछ संकोच करके
भय के साथ कहा कि परीक्षा नहीं ली अविनाशी। शंकर जी ने सती जी को हृदय से त्याग दिया था। पत्नी वाला कर्म भी बंद कर दिया। बोलना भी कम कर दिया तो सती जी अपने घर राजा दक्ष के पास चली गई।
राजा दक्ष ने उसका आदर नहीं किया क्योंकि उसने शिव जी के साथ विवाह पिता की इच्छा के विरूद्ध किया था। राजा दक्ष ने हवन कर रखा था। हवन कुण्ड में छलाँग लगाकर सती जी ने प्राणान्त कर दिया था। शंकर जी को पता चला तो अपनी ससुराल आए। राजा दक्ष का सिर काटा, फिर उस पर बकरे का सिर लगाया। अपनी पत्नी के कंकाल को उठाकर दस हजार वर्ष तक उमा-उमा करते हुए पागलों की तरह फिरते रहे। एक दिन भगवान विष्णु जी ने सुदर्शन चक्र से उस कंकाल को टुकड़े-टुकड़े कर दिया। जहाँ पर धड़ गिरा, वहाँ पर वैष्णव देवी मंदिर बना। जहाँ पर आँखें गिरी, वहाँ पर नैना द���वी मंदिर बना।
जहाँ पर जीभ गिरी, वहाँ पर ज्वाला जी का मंदिर बना तथा पर्वत से अग्नि की लपट निकलने लगी। तब शंकर जी सचेत हुए तथा अपनी दुर्गति का कारण कामदेव (sex) को माना। कामदेव वश हो जाए तो न स्त्री की आवश्यकता हो और न ऐसी परेशानी हो। यह विचार करके हजारों वर्ष काम (sex) का दमन करने के उद्देश्य से तप किया। एक दिन कामदेव उनके निकट आया और शंकर जी की दृष्टि से भस्म हो गया। शंकर जी को अपनी सफलता पर असीम प्रसन्नता हुई। जो भी देव उनके पास आता था तो उससे कहते थे कि मैंने कामदेव को भस्म कर दिया है यानि काम विषय पर विजय प्राप्त कर ली है। मैं कभी भी किसी सुंदरी से प्रभावित नहीं हो सकता। अन्य जो विवाह किए हुए हैं, वे ऊपर से सुखी नजर आते हैं, अंदर से महादुःखी रहते हैं। उनको सदा अपनी पत्नी की रखवाली, समय पर घर पर न आने से डाँटें खाना आदि-आदि परेशानियां सदा बनी रहती हैं। मैंने यह दुःख निकट से देखा है। अब न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी।
काल ब्रह्म को चिंता बनी कि यदि सब इस प्रकार स्त्री से घृणा करेंगे तो संसार का अंत हो जाएगा। मेरे लिए एक लाख मानव का आहार कहाँ से आएगा? इस उद्देश्य से नारद जी को प्रेरित किया। एक दिन नारद मुनि जी आए। उनके सामने भी अपनी कामदेव पर विजय की कथा सुनाई। नारद जी ने भगवान विष्णु को यथावत सुनाई। श्री विष्णु जी को काल ब्रह्म ने प्रेरणा की। भाई की परीक्षा करनी चाहिए कि ये कितने खरे हैं। काल ब्रह्म की प्रेरणा से एक दिन शिव जी विष्णु जी के घर के आँगन में आकर बैठ गए। सामने बहुत बड़ा फलदार वृक्षों का बाग था। भिन्न-भिन्न प्रकार के फूल खिले थे। बसंत जैसा मौसम था। श्री विष्णु जी, शिव जी के पास बैठ गए। कुशलमंगल जाना। फिर विष्णु जी ने पूछा, सुना है
कि आपने काम पर विजय प्राप्ति कर ली है। शिव जी बोले, हाँ, मैंने कामदेव का नाश कर दिया है। कुछ देर बाद शिव जी के मन में प्रेरणा हुई कि भगवान मैंने सुना है कि सागर मंथन के समय आप जी ने मोहिनी रूप बनाकर राक्षसों को आकर्षित किया था। आप उस रूप में कैसे लग रहे थे? मैं देखना चाहता हूँ। पहले तो बहुत बार विष्णु जी ने मना किया, परंतु शिव जी के हठ के सामने स्वीकार किया और कहा कि कभी फिर आना। आज मुझे किसी आवश्यक कार्य से कहीं जाना है। यह कहकर विष्णु जी अपने महल में चले गए। शिव जी ने कहा कि जब तक आप वह रूप नहीं दिखाओगे, मैं भी जाने वाला नहीं हूँ। कुछ ही समय के बाद शिव जी की दृष्टि बाग के एक दूर वाले कोने में एक अपसरा पर पड़ी जो सुन्दरता का सूर्य थी। इधर-उधर देखकर शिव जी उसकी ओर चले पड़े, ज्य���ं-ज्यों निकट गए तो वह सुंदरी अधिक सुंदर लगने लगी और वह अर्धनग्न वस्त्र पहने थी। कभी गुप्तांग वस्त्र से ढ़क जाता तो कभी हवा के झोंके से आधा हट जाता। सुंदरी ऐसे भाव दिखा रही थी कि जैसे उसको कोई नहीं देख रहा। जब शिव जी को निकट देखा तो शर्मशार होकर तेज चाल से चल पड़ी। शिव जी ने भी गति बढ़ा दी। बड़े परिश्रम के पश्चात् तथा घने वृक्षों के बीच मोहिनी का हाथ पकड़ पाए। तब तक शिव जी का शुक्रपात हो चुका था। उसी समय सुंदरी वाला स्वरूप श्री विष्णु रूप था। भगवान विष्णु जी शिव जी की दशा देखकर मुस्काए तथा कहा कि ऐसे उन राक्षसों से अमृत छीनकर लाया था। वे राक्षस ऐसे मोहित हुए थे जैसे मेरा छोटा भाई कामजीत अब काम पराजित हो गया। शिव जी ने उसके पश्चात् हिमालय राजा की बेटी पार्वती से अंतिम बार विवाह किया। पार्वती वाली आत्मा वही है जो सती जी थी। पार्वती रूप में अमरनाथ स्थान पर अमर मंत्रा शिव जी से प्राप्त करके अमर हुई है। इस प्रकार वाणी में कहा है कि शंकर जी की समाधि तो अडिग (न डिगने वाली) थी जैसा पौराणिक मानते हैं। वह भी मोहे गए। माया के वश हो गए।
◆ वाणी नं. 140 में बताया है कि भगवान शिव की पत्नी पार्वती तीनों लोकों में सबसे सुंदर स्त्रियां में से एक है। शिव राजा ऐसी सुंदर पत्नी को छोड़ मोहिनी स्त्री के पीछे चल पड़े। पहले अठासी हजार वर्ष तप किया। फिर लाख वर्ष तप किया काम (sex) पर विजय पाने के लिए और भर्म भी था कि मैनें काम जीत लिया। फिर हार गया।
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 145 :-
गरीब, कष्ण गोपिका भोगि करि, फेरि जती कहलाय। याकी गति पाई नहीं, ऐसे त्रिभुवनराय।। 145।।
◆ सरलार्थ :- श्री कृष्ण के विषय में श्रीमद् भागवत (सुधा सागर) में प्रमाण है कि श्री कृष्ण मथुरा वृंदावन की गोपियों (गोपों की स्त्रियों) के साथ संभोग (sex) किया करते थे। वे फिर भी जती कहलाए। (अपनी स्त्री के अतिरिक्त अन्य की स्त्री से कभी संभोग न करने वाला या पूर्ण रूप से ब्रह्मचारी को जती कहते हैं।) उसका भेद ही नहीं पाया। ऐसे ये तीन लोक के मालिक {श्री कृष्ण के अंदर प्रवेश करके काल ब्रह्म गोपियों से सैक्स करता था। स्त्रियों को तो श्री कृष्ण नजर आता था। काल ब्रह्म सब कार्य गुप्त करता है।} हैं।
◆ वाणी नं. 142-144 :-
गरीब, योह बीजक बिस्तार है, मन की झाल किलोल। पुत्र ब्रह्मा देखि करि, हो गये डामांडोल।।142।।
गरीब, देह तजी दुनियां तजी, शिब शिर मारी थाप।
ऐसे ब्रह्मा पिता कै, काम लगाया पाप।।143।।
गरीब, फेरि कल्प करुणा करी, ब्रह्मा पिता सुभान।
स्वर्ग स���ूल जिहांन में, योह मन है शैतान।।144।।
◆ सरलार्थ :- एक समय ब्रह्मा जी देवताओं तथा ऋषियों को वेद ज्ञान समझा रहे थे। मन तथा इंद्रियों पर संयम रखने पर जोर दे रहे थे। ब्रह्मा जी की बेटी सरस्वती पति चुनने के लिए अपने पिता की सभा में गई जिसमें युवा देवता तथा ऋषि विराजमान थे। उनको आकर्षित करने के लिए सब श्रृंगार करके सज-धजकर गई थी। अपनी पुत्र की सुंदरता देखकर काम (sex) के वश होकर संयम खोकर विवेक का नाश करके अपनी बेटी से संभोग (Sex) करने को उतारू हो गया था। ब्रह्मा पाप के भागी बने। मन तो कबीर परमात्मा की भक्ति तथा तत्वज्ञान से काबू में आता है।
क्रमशः__________
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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वो पढ़ाना भूल जाते है, की बड़ा होना कितना मुश्किल होता है।
पानी बॉटल अपने आप नही भरती, चलना पड़ता है, उसे कूलर से भरना पड़ता है, शाम को मच्छर आते है, याद करके खिड़की को बंद करना पड़ता है।
चाहे सोमवार हो, रविवार हो, उठना पड़ता है, खाना टाइम पे लगता है, टाइम पे खाना पड़ता है।
की घर अब घर न रहा, ऊंची आवाज में घर को समझना पड़ता है, नया घर बना लिया है तुमने, कुछ झूठ बोल दिल को सहलाना पड़ता है।
"मेरे कमरे" के सुकून को भूलाना पड़ता है, नए कमरे को अपनाना पड़ता है, एक बड़ी जंग है - पर, देर लेकर ही सही, उसे भी सुकून बनाना पड़ता है।
खुद ही को लोरी गाना पड़ता है, गीली आंखों को सुलाना पड़ता है, सफेद कपड़ों को अलग से धोना पड़ता है, निचोड़ना पड़ता है, उन्हें सुखाना पड़ता है।
कपड़ो को समेटना पड़ता है, कुर्सी से बेड, बेड से कुर्सी और किसी दिन अलमारी में रखना पड़ता है, मां पापा नही आते उठाने, चाहे दस अलार्म बंद कर दो, पर आखिर में, खुद ही खुद को जगाना पड़ता है।
आंसू पीना एक कला है, आंसुओ को पीना पड़ता है, किसी रात चिल्लाकर रोने का मन करे भी तो, बगल वाली बेड पे सोए इंसान की नींद का खयाल करना पड़ता है, तकिए का सहारा लेना पड़ता है, बिना आवाज किए आंसुओ को बहाना पड़ता है।
तुम आंसू पीने के लिए रुक नही सकते, यहां दौड़ना पड़ता है, दौड़ते रहना पड़ता है, कब चलना है, कब रुकना है, कब रेंगना है, कब सोना है, सब कुछ फीर से सीखना पड़ता है।
बेडशीट को भी धोना पड़ता है, मोजों को ठीक से रखना पड़ता है, अलमारी पे, दरवाजे पे, आलस पे, जज्बातों पे, ताला लगाना पड़ता है, चाबी को संभालना पड़ता है।
मोबाइल चार्ज रखना पड़ता है, तस्वीरों से मन भरना पड़ता है, घरपे बात करना पड़ता है, मनगढ़ी रटी दिनचर्या को सुनना पड़ता है, मुस्कुराना पड़ता है, मुस्कुराना सीखना पड़ता है।
लोग बहुत है आस पास, उन्ही लोगो में एक तुम भी हो, ढूंढना पड़ता है, टटोलना पड़ता है, उस भीड़ में खुद ही खुदको खोजना पड़ता है।
शायद सिलेबस कंप्लीट कर नही पाते है, वो पढाना भूल जाते है, की बड़ा होना कितना मुश्किल होता है।
~संस्कृति
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हाथ देखने की कविता / नवारुण भट्टाचार्य
मैं सिर्फ कविता लिखता हूँ
इस बात का कोई मतलब नहीं
कइयों को शायद हँसी आए
पर मैं हाथ देखना जानता हूँ
मैंने हवा का हाथ देखा है
हवा एक दिन तूफ़ान बनकर सबसे ऊँची
अट्टालिकाओं को ढहा देगी
मैंने भिखारी-बच्चों के हाथ देखे हैं
आने वाले दिनों में उनके कष्ट कम होंगे
यह ठीक-ठीक नहीं कहा जा सकता
मैंने बारिश का हाथ देखा है
उसके दिमाग का कोई भरोसा नहीं
इसलिए आप सबके पास ज़रूरी है
एक छाते का होना
स्वप्न का हाथ मैंने देखा है
उसे पकड़ने के लिए तोड़नी पड़ती है नींद
प्रेम का हाथ भी मैंने देखा है
न चाहते हुए भी वह जकड़े रहेगा सबको
क्रांतिकारियों के हाथ देखना बड़े भाग्य की बात है
एक साथ तो वे कभी मिलते नहीं
और कइयों के हाथ तो उड़ गये हैं बम से
बड़े लोगों के विशाल हाथ भी मुझे देखने पड़े हैं
उनका भविष्य अंधकारमय है
मैंने भीषण दुख की रात का हाथ भी देखा है
उसकी भोर हो रही है
मैंने जितनी कविताएँ लिखी हैं
उससे कहीं ज्यादा देखे हैं हाथ
कृपया मेरी बात सुनकर हँसे नहीं
मैंने अपना हाथ भी देखा है
मेरा भविष्य आपके हाथ में है...
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अबकी बार यह पूरब से चलेगा।
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अच्छा या बुरा नही होकर एक वक्त हैं। जो वक्त बेवक्त खाली हो जाता हैं। उस खालीपन के अंदर कई मौसम एक साथ रहा करते हैं।
आज चमकती हुई धूप हैं। सर्द मौसम बहुत पास से गुजर रहा है। धूप निश्चिंत हैं कि अब सर्द मौसम बाधा नहीं बनेंगे, लेकिन बीच बीच में बेमकसद भटकती असंतुष्ट बदली धूप को आशंकित करती हैं। इस आशंका को तब और बल मिलता हैं, जब हवाएं अट्टहास करती पास से गुजर जाती हैं।
शोर करता यह उद्वेलित मालूम पड़ता हैं जैसे बेमतलब का हो।
बेमतलब का होना इसे और जंगली बनाता हैं। उपेक्षा और तिरस्कार से सख्त हो चुका, यह लोगो को दर्द दे कर अपना गुस्सा निकालता है। अपनी पहचान खातिर बार–बार शोर करता अपनी मौजूदगी का अहसास कराता हैं।
लेकिन इन जाड़ों के बाद वाली धूप में तुम्हारा क्या काम?
वेग से गुजरती इन हवाओं को देख धूप थोड़ी देर के लिए ठिठक पड़ती हैं। जानी पहचानी लेकिन पहचान का कोई सिरा नजर नहीं आता। मिलने की खुशबू आ रही , लेकिन कैसे मिले थे याद नही! हवाएं शिकायती और उम्मीद की मिलीजुली नजरों से धूप को ताक रही हैं। जैसे कुछ इशारा करना चाह रही हो। "भूल गए क्या वो तपिश जब मुझे गले लगाएं थे? भूल गए वो शाम जब मेरे आगोश में ताजे हुए थे। या सुकून वाली वो रातें जब तुम मेरे सपनो में सोएं थे? अब मुझे तुम्हारी जरूरत हैं और तुम मुझे निचोड़ रहे हो। सूखा डाल रहे हो। कोई कैसे भूल सकता हैं!"
धूप निःशब्द हैं। थोड़ी देर के लिए सहम जाता हैं। यादें पीछा करती हैं और सुबह ओस बन जाती हैं।
बेउम्मीद मुसाफ़िर बन चुका हवा शुष्क हो चला हैं। धूप का सहारा मिले तो अभी भी बरस सकता हैं, लेकिन इसके आसार नजर नहीं आते। धूप को भी फरवरी का कर्तव्य निभाना हैं। ऐसे कैसे उस आवारगी में वापस मुड़ जाए।
एक दर्द फैल रही हैं हवा के अंदर, एक ऐसा दर्द जिसे दस्तक की कमी खाती हैं। जिधर से गुजरती हैं खामोशी पसरा देती हैं। यह सिर्फ खामोशी नही जादुई खामोशी हैं– जो सर्द हैं रूखा सूखा हैं। सामने पड़ने वाले खुद ब खुद इसमें समा जाते हैं।
यह संक्रमण काल हैं, जिधर ठंडी गर्मी आमने –सामने, नजरे मिलाए एक दूसरे से विदा ले रहे हैं। और अंततः किसी एक को विदा हो जाना हैं। बेदिली से ही सही हर बार इस मौसम में सर्द हवा को ही विदा लेनी पड़ती है। कुछ वक्त गुजार चुकने के बाद भला कौन कही जाना चाहता हैं।
लेकिन कोई आगे बढ़ने के वावजूद भी एकाएक चला तो नही जाता?
ये सर्द हवा भी एकबारगी नही चला जाएगा। जाने कितने प्रेमी जोड़ों को एक दूसरे से वादा करते देख मुस्कुराएगा। ईश्वर से इनके लिए रहम की भीख मांगेगा। फरवरी को मार्च बनाएगा। सुर्ख रंगो में रंगते चला जाएगा। ऐसा जाएगा की पेड़ के सारे पत्ते दूर तक उसका पीछा करेंगे।
सड़क छत खेत तालाब से गुजर कर यह उन गलियों से भी गुजरेगा जिन गलियों में शोर हुआ करता था। अब रात की वीरानगी है।
अतीत को ओढ़े उस जर्जर महल के सूखे रंगो को कुरेदता उसके सीलन को अपने साथ लेता जाएगा।
खंडहर हो चुके उस मकान के गलियारों से भी गुजरेगा और बंद किवाड़ वाली उस कमरे में सपनों को मुस्कुराता छोड़ आगे बढ़ जाएगा।
चलते चलते यह नदी बन जाएगा। समतल पे सरपट दौड़ेगा, खाइयों को भरते थमी थमी चलेगा। सामने पहाड़ आए, किनारे हो लेगा। जंगल को सींचते यात्रा चलता रहेगा।
क्या हैं यह जिंदगी? कभी सब दे देती हैं। कभी एक झटके में सब छीन लेती हैं! लेकिन इस लेन देन में जिंदा रहना जरूरी हैं। इस बात का हवा को पता हैं। रौशनी चौराहे मुहल्ले खेत खलिहान ओझल होने लगे हैं।
यहां से अकेलेपन की यात्रा हैं। वापसी की यात्रा की नियति हमेशा से अकेलेपन की रही हैं। अकेलापन अकेला ही रहता हैं। जिस पल किसी के साथ की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, वह पल प्रायः अकेला गुजरता हैं। कुछ सच्चाईयां भयानक होती हैं। उनके नुकीले दांत होते हैं।
उस जगह से बेदखल हो जाते हैं जहां कुछ वक्त गुजार चुके होते हैं। मन रम जाता हैं। अहंकार अपना घर बना लेता हैं, एक सुंदर महल।
और जब यहां से रवानगी होती है तो सब कुछ बदल जाता हैं।
दिलकश अंदाज की जगह भावशून्यता दिखती हैं। स्वागत करती बांहे अब मजबूरियों में कांप रही होती हैं।
शब्दों में इतनी भी हिम्मत नही कि ढंग से विदा कर सके।
सामने कई रास्ते हैं। जो आगे चल कर एक हो जाते हैं।
वह रास्ता रेगिस्तान को जाता हैं। रेगिस्तान सुना ही था सुना ही रहा।
लोग रास्ते बनाते गए और आंधियां निशान मिटाते गई।
ऐसी पल भर में खो जानें वाली रास्तों में वह होकर भी नही था।
किनारे खड़ा वो पेड़ नजदीक आ रहा हैं।
उमंगों की यात्रा में इसी जगह कुछ वक्त के लिए ठहरा था।
पत्तियां नई–नई सी थी। चिड्डियो की आवाज़ें जैसे महबूब की पुकार हो चले थे।
ढोल बाजे दूर कही गांव में बज रहे थे। शायद कोई दुल्हन धड़कते दिल से अपनी बारात का इंतजार कर रही थी।
अब वो गांव दुल्हन को विदा कर अलसाया सा पड़ा था।
पेड़ भी मौन था।
मुझे पहचानता था मालूम नही। बिना पहचान के कौन कही रुकता हैं।
सामने सपाट आकाश दिख रहा है। मिलों फैली तन्हाईया बांहे फैलाए खड़ी हैं। स्वागत कोई भी करे अच्छा लगता हैं।
शून्य हो चला है समय। समय का शून्य हो जाना वक्त को थाम लेता हैं।
सुख चुकी हवा को लहरे भींगो द���ने खातिर पास बुला रही हैं।
कभी लहरों के ऊपर हवा तो कभी हवा के ऊपर लहरें। जैसे ईश्वर सबको अपने आगोश में ले लेते हैं वैसे सागर भी हवा को अपने आगोश में लेकर भिगो रही हैं।
हवा को नया बना रही हैं।
हवा का नया जन्म हो रहा हैं।
अबकी बार यह पूरब से चलेगा।
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