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कुछ तो छिपा रहे हो.. by नीतू टिटाण
किताब के बारे में... कुछ चीजें अनुभव से भी परे होती हैं। कभी-कभी अनुभव की ये पोटली गलत भी साबित हो जाती है। जिन चीजों का अनुभव भी नहीं उन्हीं यादों के अधूरे पन्नो को कविताओं के रूप में लाने का एक प्रयास !
यदि आप इस प��स्तक के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक से इस पुस्तक को पढ़ें या नीचे दिए गए दूसरे लिंक से हमारी वेबसाइट पर जाएँ!
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भारतीय शिक्षा मंच शिक्षकों के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रमाणन कार्यशाला लाता है - टाइम्स ऑफ इंडिया
भारतीय शिक्षा मंच शिक्षकों के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रमाणन कार्यशाला लाता है – टाइम्स ऑफ इंडिया
नई दिल्ली: जब आपके पास दीर्घकालिक भागीदारों का अटूट समर्थन होता है, और शिक्षकों को सक्षम और सशक्त बनाने के आपके दृष्टिकोण में दृढ़ विश्वास होता है, तो जादू होता है! यह जानने के लिए पढ़ें कि कैसे एक भारतीय शिक्षा मंच इसके बारे में जागरूकता फैलाने में मदद कर रहा है आईबीएमफ्यूचरिस्टिक बिजनेस कॉन्सेप्ट को कहा जाता है संज्ञानात्मक उद्यम. ट्रेन-द-ट्रेनर कार्यक्रमों की चल रही श्रृंखला के भाग के रूप में,…
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थाना फूलपुर पुलिस द्वारा दो नफर अभियुक्त गिरफ्तार,कब्जे से अवैध कच्ची शराब,यूरिया व नौशादर बरामद
थाना फूलपुर पुलिस द्वारा दो नफर अभियुक्त गिरफ्तार,कब्जे से अवैध कच्ची शराब,यूरिया व नौशादर बरामद
उदय सिंह यादव वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रयागराज के निर्देशन मे अपराध एवं अपराधियों के विरुद्ध चलाये जा रहे अभियान के क्रम मे पुलिस अधीक्षक गंगापार व क्षेत्राधिकारी फूलपुर के पर्यवेक्षण मे थानाध्यक्ष फूलपुर अमित कुमार राय के नेतृत्व व उ0 नि० जय सिंह नारायण यादव मय पुलिस टीम द्वारा आज दिनांक 01/09/2022 को मुखबिर की सूचना पर अभियुक्त पन्न वासी पुत्र स्व0 विश्वनाथ मुसहरा उम्र 35 वर्ष निवासी कोड़ापुर थाना…
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गणेश चतुर्दशी की शुभकामनाएँ और समस्त कश्मीरी पंडितों को पन्न का मुबारक #pann #mubarak #ganeshchaturthi #ganesh #ganesha #family #familytime #poshte #kashmiri #kashmiripandit #kashur #love #instagood https://www.instagram.com/p/Ch6INFcJXsA/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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#Books_For_InnerPeace
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जिस घर पर पुर्ण परमात्मा की अमर वाणी
तथा भक्ति, आरती, ज्योत जगती है वह
घर स्वर्ग से बढकर होता है ऐसे पवित्र यज्ञ करने से घर में शांति और अपना पन्न एकता पनापती है अधिक जानकारी के लिए संत रामपाल जी महाराज युटुप चैनल पर विजिट ।
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कालीकोटमा पहिरोले पुरिएर ३ जनाको मृत्यु
१४ भदौ, सुर्खेत । कालीकोटमा पहिरोले पाँचवटा घर बगाउँदा तीनजनाको मृत्यु भएको छ । कर्णाली प्रदेश प्रहरी कार्यालय सुर्खेतका अनुसार तिलागुफा नगरपालिका-१, नाग्म बजारमा पहिरोले घर पुर्दा तीनजनाको मृत्यु भएको हो ।
आइतबार बिहान ८ बजे घरमाथिबाट आएको पहिरोले पाँचवटा घर पुरेको डीएसपी लोकनाथ तिम्सिनाले जानकारी दिए ।
डीएसपी तिम्सिनाका अनुसार मृत्यु हुनेमा सुभकालिका गाउँपालिका-७ का ४० वर्षीय प्रयाक शाही, उनकी छोरी हिमा शाही र वडा नं. ५ का पाँच वर्षीय बालक निराजन शाही रहेका छन् ।
तिलागुफा नगरपालिका-३, का ११ वर्षीय अर्जुन हमाल र जुम्लाको हिमा गाउँपालिका ३५ वर्षीय पन्न शाहीको भने जिवितै उद्दार गरिएको प्रहरीले जनाएको छ । उनीहरुको कर्णाली स्वास्थ्य विज्ञान प्रतिष्ठान जुम्लामा उपचारा भैरहेको छ ।
पहिरोले घर पुर्दा कोही बेपत्ता भए नभएको भने खुलेको छैन । १३/१४ जना घरमै पुरिएको अनुमान गरिएको डीएसपी तिम्सिनाले बताए ।
घटनास्थलमा कालीकोट र जुम्लाबाट नेपाल प्रहरी, सशस्त्र प्रहरी र स्थानीयहरु उद्धारमा खटिएका छन् ।
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ख्वाहिश तो हर कोई कर लेता है चांद को पाने के पर उसकी ईशा कोई नहीं पूछता ... और ऐसा ही आम हो गया है सबको अपना प्यार अपना अकेला पन्न नजर आता है , पर सामने वाला क्या चाहता है वो कोई नहीं पूछता , ये समझना भी बहुत जरूरी है कि no means no. कभी सामने वाले की भी मर्ज़ी पूछे और जबर्दस्ती अपनी ईशा किसी पे थोपना भी तो सही नहीं है ना, उन्हें भी समय दो की वो क्या चाहते हैं वो चाहते भी है या नहीं आपसे मिलना या बात करना अगली बार किसी को अपना प्यार बताने या उससे बात करने की इशा हो ना तो एक बार पूछ लेना क्या आप भी ऐसा चाहते हो या नहीं. अपनी भावनाएं व्यक्त करना ग़लत नहीं है. पर उसको किसी पे थोपना गलत है . . . . . Everyone wishes to get the moon but no one asks for his love or do they wants the same… and it has become so common that everyone sees his love as his loneliness, but no one asks what the other person wants. It is also very important that no means no. It's not right to Never ask the wishes of the person in front of you and it is not right to force yourself on someone else, nor give them time to know what they want or want to meet or talk to you . next time if you tell someone your love or Is there a desire to talk, just ask them if they want it too? It's quite easy saying that tell people what you feel about them and it's good thing but remember it's not important that they feel the same about you . And you need to understand this don't force someone to love you back or expect anything from them . . Respect other people's feelings. It might mean nothing to you, but it could mean everything to them. _____Roy T. Bennett . . Please remember it applies for both 😇. I hope you get my point. What you think about this let me know 👇👇 comment below. . . . #shubhchetna #shubh_chetna (at Thoughts) https://www.instagram.com/p/CDGKdxsFq2L/?igshid=96ek6k0vpaou
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taapsee reaction on ahmed comment: अहमद खान ने 'थप्पड़' पर किया था कॉमेंट, अब तापसी पन्नू ने दिया रिऐक्शन - taapsee pannu gave reaction on ahmed khan comment on concept of film thappad
taapsee reaction on ahmed comment: अहमद खान ने ‘थप्पड़’ पर किया था कॉमेंट, अब तापसी पन्नू ने दिया रिऐक्शन – taapsee pannu gave reaction on ahmed khan comment on concept of film thappad
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डायरेक्टर अनुभव सिन्हा की तापसी पन्नू स्टारर ‘थप्पड़’ के कॉन्सेप्ट पर ‘बागी 3’ के डायरेक्टर अहमद खान ने टिप्पणी की थी। वहीं, अब तापसी पन्नू ने अहमद खान की बात पर जवाब दिया है।
Published By Shashikant Mishra | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 08 Mar 2020, 05:04:00 PM IST
तापसी पन्न-अहमद खान
तापसी पन्नूकी फिल्म ‘थप्पड़’ पिछले महीने फरवरी में सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी और फिल्म ने रिलेशनशिप…
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Mahashivratri 2020: Know all about 12 Jyotirlingas
नई दिल्ली:
महाशिवरात्रि (Mahashivratri) को लेकर कई मान्यताएं हैं. इनमें से जो सबसे प्रचलित मान्यता है वो ये है कि इसी दिन भगवान शिव शंकर का प्राकट्य हुआ था, जिसका न आदि था और न अंत. एक अन्य पौराणिक मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही विभन्नि 64 जगहों पर शिवलिंग उत्पन्न हुए थे. हालांकि 64 में से केवल 12 ज्योतिर्लिंगों (Jyotirlinga) के बारे में जानकारी उपलब्ध है. इन्हें 12 ज्योतिर्लिंगों (12 Jyotirlinga) के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से इन ज्योतिर्लिंगों का नाम जपता है उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. कहते हैं कि इन लिंगों के दर्शन मात्र से ही मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और व्यक्ति जन्म-जन्मांतरण के बंधन से मुक्त हो जाता है. संक्षिप्त में जानिए इन सभी 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में:
यह भी पढ़ें: ऐसे करें महादेव की पूजा-अर्चना
1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग पहला ज्योतिर्लिंग गुजरात राज्य के सौराष्ट्र नगर में अरब सागर के तट स्थित है और यह सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है. इस ज्योतिर्लिंग के बारे में कहा जाता है कि यह हर सृष्टि में यहां स्थित रहा है. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के बारे में माना जाता है कि चन्द्रमा यानी सोम को प्रजापति दक्ष ने क्षय रोग होने का शाप दे दिया. इस शाप से मुक्ति के लिए शिव भक्त चन्द्रमा ने अरब सागर के तट पर शिव जी की तपस्या की. इससे प्रसन्न होकर शिव प्रकट हुए और चन्द्रमा को वरदान दिया. चन्द्रमा ने जिस शिवलिंग की स्थापना और पूजा की वह शिव जी के आशीर्वाद से सोमेश्वर यानी सोमनाथ कहलाया.
2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर श्रीमल्लिकार्जुन विराजमान हैं. इसे दक्षिण का कैलाश कहते हैं. मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से अश्वमेध यज्ञ जितना फल प्राप्त होता है और सभी प्रकार के कष्ट मिट जाते हैं.
3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग तीसरा ज्योतिर्लिंग महाकाल मध्य प्रदेश के उज्जैन में है. यह ज्योतिर्लिंग ‘महाकालेश्वर’ के नाम से प्रसिद्ध है. खास बात यह है कि सभी प्रमुख 12 ज्योतिर्लिंगों में एकमात्र महाकालेश्वर ही दक्षिणमुखी हैं अर्थात इनका मुख दक्षिण की ओर है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दक्षिण दिशा के स्वामी स्वयं भगवान यमराज हैं. ऐसे में मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से भगवान महाकालेश्वर के दर्शन और पूजन करता है उसे मृत्यु के बाद यमराज द्वारा दी जाने वाली यातनाओं से मुक्ति मिल जाती है.
4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के साथ ही ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग भी है. इन दोनों शिवलिंगों की गणना एक ही ज्योतिर्लिंग में की गई है. यह मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में स्थित है. मान्यता है कि सभी तीर्थ यात्री सभी तीर्थों का जल लाकर ओंकारेश्वर में अर्पित करते हैं तभी उनके सारे तीर्थ पूरे माने जाते हैं. अन्यथा तीर्थ अधूरे रह जाते हैं.
5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में हिमालय की चोटी पर विराजमान है. श्री केदारनाथ को ‘केदारेश्वर’ भी कहा जाता है. यहां से पूर्वी दिशा में श्री बद्री विशाल का मंदिर है. मान्यता है कि भगवान केदारनाथ के दर्शन किए बिना बद्रीनाथ की यात्रा अधूरी और निष्फल है.
जानिए क्यों मनाई जाती है शिवरात्रि
6. भीमशंकर ज्योतिर्लिंग भीमशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के डाकिनी में स्थित है. डाकिनी मुंबई से पूर्व और पूना से उत्तर की दिशा में पड़ता है. भीमशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटोश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही सभी दुखों से छुटकारा मिल जाता है.
7. विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के काशी नगर में विद्यमान है है. इसे सप्तम ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है. माना जाता है कि भगवान शिव इस ‘ज्योतिर्लिंग’ में स्वयं वास करते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन से मनुष्य परम ज्योति को पा लेता है. कहते हैं कि जितना पुण्य सभी लिंगों के दर्शन पाकर मिलता है उतना केवल एक ही बार ‘विश्वनाथ’ के दर्शन-पूजन से मिल जाता है. माना जाता है कि सैकड़ों जन्मों के पुण्य के ही फल से विश्वनाथजी के दर्शन का अवसर मिलता है.
8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले में पंचवटी से 28 किलोमीटर दूर है. त्र्यंबकेश्वर मंदिर बहुत ही प्राचीन है. मंदिर के अंदर एक छोटे से गड्ढे में तीन छोटे-छोटे शिवलिंग .। ये तीन शिवलिंग ब्रह्मा, विष्णु और शिव के नाम से जाने जाते हैं. शिवपुराण में वर्णन हैं कि गौतम ऋषि तथा गोदावरी और सभी देवताओं की प्रार्थना पर ��गवान शिव ने इस स्थान पर निवास करने निश्चय किया और त्र्यंबकेश्वर नाम से विख्यात हुए.
9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखंड राज्य के संथाल परगना में स्थित है. श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का मंदिर जिस स्थान पर है, उसे ‘वैद्यनाथधाम’ कहा जाता है. इस ज्योतिर्लिंग को मनोकामना लिंग भी कहा जाता है.
10. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के बड़ौदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के समीप है. इस स्थान को दारूकावन भी कहा जाता है. 11. रामेश्वर ज्योतिर्लिंग रामेश्वर ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामेश्वर में विराजमान है. इसे दशम ज्योतिर्लिंग भी कहते हैं.
12. घृश्णेश्वर ज्योतिर्लिंग घृश्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के दौलताबाद से लगभग 18 किलोमीटर दूर बेरूलठ गांव के पास है. इस ज्योतिर्लिंग को घुश्मेश्वर और घृष्णेश्वर भी कहते हैं.
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MAHA SHIVRATRI 2020: आखिर क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि?
MAHA SHIVRATRI 2020: आखिर क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि?
महाशिवरात्रि की तिथि और शुभ मुहूर्त महाशिवरात्रि की तिथि: 21 फरवरी 2020 चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 21 फरवरी 2020 को शाम 5 बजकर 20 मिनट से चतुर्थी तिथि समाप्त: 22 फरवरी 2020 को शाम 7 बजकर 2 मिनट तक रात्रि प्रहर की पूजा का समय: 21 फरवरी 2020 को शाम 6 बजकर 41 मिनट से रात 12 बजकर 52 मिनट तक
क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि? अब सवाल उठता है कि आखिर महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती? दरअसल, महाशिवरात्रि मनाए जाने को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं. शिवरात्रि मनाए जाने को लेकर तीन मान्यताएं जो सर्वाधिक प्रचलित हैं वो इस प्रकार हैं:
- एक पौराणिक मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही शिव जी पहली बार प्रकट हुए थे. मान्यता है कि शिव जी अग्नि ज्योर्तिलिंग के रूप में प्रकट हु थे, जिसका न आदि था और न ही अंत. कहते हैं कि इस शिवलिंग के बारे में जानने के लिए सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा ने हंस का रूप धारण किया और उसके ऊपरी भाग तक जाने की कोशिश करने लगे, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. वहीं, सृष्टि के पालनहार विष्णु ने भी वराह रूप धारण कर उस शिवलिंग का आधार ढूंढना शुरू किया लेकिन वो भी असफल रहे.
- एक अन्य पौराणिक मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही विभन्नि 64 जगहों पर शिवलिंग उत्पन्न हुए थे. हालांकि 64 में से केवल 12 ज्योर्तिलिंगों के बारे में जानकारी उपलब्ध. इन्हें 12 ज्योर्तिलिंग के नाम से जाना जाता है. तीसरी मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि की रात को ही भगवान शिव शंकर और माता शक्ति का विवाह संपन्न हुआ था.
हमारी ओर से आप सभी को शिवरात्रि की शुभकामनाएं.
हिन्दू धर्म में महाशिवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व है। इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 21 फरवरी 2020 दिन शुक्रवार को है। इस बार महाशिवरात्रि के दिन सर्वार्थसिद्धि योग बनने से इसकी महत्ता और बढ़ गई है। हिन्दू कैलेंडर के 12 मास में 12 शिवरात्रि होती हैं, लेकिन महाशिवरात्रि और शिवरात्रि में बड़ा अंतर है। सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? आइए इन प्रश्नों के उत्तर जानते हैं।
महाशिवरात्रि क्यों मनाते हैं?
पौराणिक और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तीन कारणों से महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है, जिसमें शिव-पार्वती का विवाह सबसे ज्यादा प्रचलित है। इस कारण से महाशिवरात्रि को कई स्थानों पर रात्रि में शिव बारात भी निकाली जाती है। महाशिवरात्रि इन तीन वजहों से मनाई जाती है:
1. शिव-पार्वती विवाह
माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह फ���ल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हुई थी। इस तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती के महामिलन के उत्सव के रूप में मनाते हैं। महाशिवरात्रि के दिन शिव-पार्वती का विवाह होने से इसका महत्व ज्यादा है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से वे जल्द प्रसन्न होते हैं। एक मान्यता यह भी है कि महाशिवरात्रि का व्रत रखने से विवाह में आ रही अड़चनें दूर होती हैं, विवाह जल्द होता है।
2. महादेव का शिवलिंग स्वरूप
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन ही महोदव अपने शिवलिंग स्वरूप में प्रकट हुए थे। तब सबसे पहले ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु ने उनकी विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की थी। इस वजह से महाशिवरात्रि के दिन विशेष तौर पर शिवलिंग की पूजा करने का विधान है।
3. विषपान कर संसार को संकट से उबारा
कहा जाता है कि समुद्र मंथन से निकले विष का पान करके भगवान शिव ने इस सृष्टि को संकट से बचाया था, इस वजह से ही महाशिवरात्रि मनाई जाती है। सागर मंथन से निकले विष का पान करने से भगवान शिव का गला नीला पड़ गया था, जिस कारण उनको नीलकंठ भी कहा जाता है।
शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में अंतर
हिन्दू कैलेंडर के प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि कहा जाता है, यह मासिक शिवरात्रि के नाम से प्रचलित है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन ही आधी रात को भगवान शिव निराकार ब्रह्म से साकार स्वरूप यानी रूद्र रूप में अवतरित हुए थे, इसलिए इस तिथि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है।
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जिस घर पर पुर्ण परमात्मा की अमर वाणी
तथा भक्ति, आरती, ज्योत जगती है वह
घर स्वर्ग से बढकर होता है ऐसे पवित्र यज्ञ करने से घर में शांति और अपना पन्न एकता पनापती है अधिक जानकारी के लिए संत रामपाल जी महाराज युटुप चैनल पर विजिट ।
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एक ईवेंट में तापसी से कंगना रनौत पर किए गए 'डबल फिल्टर' वाले बयान को लेकर सवाल पूछा गया । from Latest And Breaking Hindi News Headlines, News In Hindi | अमर उजाला हिंदी न्यूज़ | - Amar Ujala https://ift.tt/2YAmVcf
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आज है उत्पन्ना एकादशी, जानिए इसका महत्व और व्रत की पूजन-विधि
चैतन्य भारत न्यूज हिंदू धर्म में एकादशी का काफी महत्व है। वैसे तो हर महीने में 2 बार एकादशी पड़ती हैं लेकिन मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष में आने वाली उत्पन्ना एकादशी का काफी महत्व माना जाता है। क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु से एकादशी माता की उत्पत्ति हुई थी। इस बार उत्पन्ना एकादशी 22 और 23 नवंबर को मानी जा रही है। आइए जानते हैं उत्पन्ना एकादशी का महत्व और पूजन-विधि। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
उत्पन्ना एकादशी का महत्व देवी उत्पन्ना एकादशी को सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु की ही एक शक्ति माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन मां एकादशी ने उत्पन्न होकर अतिबलशाली और अत्या��ारी राक्षस मुर का वध किया था। मान्यता है कि इस दिन स्वयं भगवान विष्णु ने माता एकादशी को आशीर्वाद देते हुए इस व्रत को पूज्यनीय बताया था।इस एकादशी के व्रत के प्रभाव से सभी पापों का नाश हो जाता है। कहा जाता है कि विष्णुजी के साथ ही देवी लक्ष्मी की पूजा करने से धन संबंधी कामों में आ रही परेशानियां खत्म हो जाती हैं।
उत्पन्ना एकादशी पूजन-विधि इस दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र कपड़े धारण करें। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या तस्वीर सामने रखें। फिर विष्णु जी को धूप-दीप दिखाकर रोली और अक्षत चढ़ाएं। उन्हें पीले फल, पीले फूल, तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करें पूजा पाठ करने के बाद व्रत-कथा सुननी चाहिए। इसके बाद आरती कर प्रसाद बांटें। इस दिन गरीब और जरूरतमंदों को यथाशक्ति दान देना चाहिए। व्रत एकदाशी के अलग दिन सूर्योदय के बाद खोलना चाहिए। उत्पन्ना एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त एकादशी तिथि का आरंभ 22 नवंबर को सुबह 09 बजकर 01 मिनट से है और एकादशी तिथि की समाप्ति 23 नवंबर 2019 को सुबह 10 बजकर 24 मिनट तक है। Read the full article
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प्रधानमन्त्री र मन्त्रीले बुझाए सम्पत्ति, को कति धनी ?
५ असोज, काठमाडौं । प्रधानमन्त्री तथा मन्त्रिपरिषद कार्यालयले मंगलवार सार्वजनिक गरेको सम्पत्ति विवरणमा प्रधानमन्त्री शेरबहादुर देउवाको १० थान असर्फी, चार तोलाका सुनका दुईटा सिक्री, पाँचतोलाको ब्रासलेट,चार तोलाको हीरा, पन्न रुवी
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रोहिणी व्रत उद्यापन विधि- 28 अक्टूबर 2018, इस व्रत को करने से हो जाती आत्मशुद्धि
रोहिणी व्रत को आत्मशुद्धि का सबसे बड़ा उपाय माना जाता हैं ऐसी मान्यता हैं कि इस दिन व्रत रखने से आत्मा के सभी विकारों का नाश हो जाता है । इस रोहिणी व्रत को जैन धर्म में सबसे अधिक माना जाता हैं । यह एक साधारण व्रत होने के बाद भी इसे त्यौहार के रूप में मनाते है । जाने रोहिणी व्रत की कथा एवं उद्यापन विधि और महत्व ।
जैन धर्म में ऐसी मान्यता हैं की कोई व्रत क्यों न रखा जाये वे सभी व्रत आत्मशुद्धि के सबसे अच्छे उपाय होते है । कहा जाता कि रोहिणी व्रत करना आत्मा के विकारों को दूर कर कर्म बंधन से छुटकारा दिलाने में सहायक होता हैं । इसलिए इस रोहिणी व्रत को जैन धर्म में बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है ।
रोहिणी व्रत कथा इस व्रत के बारे में कथा आति हैं कि प्राचीन समय में चंपापुरी नामक नगर में राजा माधवा अपनी रानी लक्ष्मीपति के साथ राज करते थे, उनके सात पुत्र एवं एक रोहिणी नाम की पुत्री थी । एक बार राजा ने निमित्तज्ञानी से पूछा, कि मेरी पुत्री का का विवाह किसे साथ होगा, तो उन्होंने कहा, की हस्तिनापुर के राजकुमार अशोक के साथ इस कन्या का विवाह होगा । कुछ ही समय में कन्या रोहिणी का विवाह राजकुमार अशोक के साथ संपन्न हो गया ।
एक दिन राजा ने रानी से नगर में आये मुनिराज के लिए आहार व्यवस्था करने को कहा, राजा की आज्ञा से रानी चली तो गई, परंतु किसी बात को लेकर क्रोधित थी और इसी स्थिति में रानी ने आहार पर आये मुनिराज को कडुवी तुम्बीका का आहार दे दिया, जिससे मुनिराज को अत्यंत वेदना हुई और तत्काल उन्होंने प्राण त्याग दिये ।
जब राजा को कारण पता चला, तो उन्होंने रानी को नगर में बाहर निकाल दिया और इस पाप से रानी के शरीर में कोढ़ भी हो गया । अत्यधिक वेदना व दुख को भोगते हुए रानी मर के नर्क में गई । वहाँ अनन्त दुखों को भोगने के बाद पशु योनि में उत्पन्न हुई ।
रोहिणी नक्षत्र-उद्यापन अगले जनम में रोहिणी व्रत करने का आदेश एक मुनि ने दिया, और कहा की उस दिन चारों प्रकार के आहार का त्याग करें और श्री जिन चैत्यालय में जाकर धर्मध्यान सहित सोलह प्रहर व्यतीत करें ��र्थात् सामायिक, स्वाध्याय, धर्मचर्चा, ��ूजा, अभिषेक आदि में समय बितावे और स्वशक्ति दान करें । इस प्रकार यह व्रत 5 वर्ष और 5 मास तक करने से आत्मा की शुद्धि हो जायेगी ।
इस जनम में रानी दुर्गंधा ने श्रद्धापूर्वक व्रत धारण किया और आयु के अंत में संयास सहित मरण कर प्रथम स्वर्ग में देवी हुई । जिस प्रकार रोहिणी व्रत के प्रभाव से स्वर्गादि सुख भोगकर ये मोक्ष को प्राप्त हुए । इसी प्रकार अन्य जीव भी श्रद्धासहित यह व्रत पालन करेंगे तो वे भी उत्तमोत्तम सुख पाएंगे । इस व्रत के उद्यापन के लिए छत्र, चमर, ध्वजा, पाटला आदि उपकरण मंदिर में चढ़ाएं, साधुजनों व सधर्मी तथा विद्यार्थियों को शास्त्र दें, वेष्टन दें, चारों प्रकार का दान दें और खर्च करने की शक्ति न हो तो दूना व्रत करें ।
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