#पनामा पेपर्स क्या है?
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पनामा पेपर्स: पहचानी गई अघोषित संपत्ति में 20,000 करोड़ रुपये
पनामा पेपर्स: पहचानी गई अघोषित संपत्ति में 20,000 करोड़ रुपये
पनामा पेपर्स, पुलित्जर-विजेता जांच, जिसने उजागर किया कि कैसे अमीर और शक्तिशाली ने अपना पैसा वैश्विक टैक्स हेवन में और बाहर रखा, भारतीय कर अधिकारियों को अब तक 20,000 करोड़ रुपये से अधिक की अघोषित संपत्ति का नेतृत्व किया है – संभवतः एक के लिए उच्चतम मामलों का एकल बैच। द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा दायर सूचना के अधिकार (आरटीआई) अनुरोधों का जवाब देते हुए, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा कि…
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पनामा पेपर्स में नामित भारतीय लोगों की सूची
पनामा पेपर्स में नामित भारतीय लोगों की सूची
पनामा पेपर्स लीक मामले में करीब 500 भारतीय लोगों के नाम है। उनमें से कुछ बड़ी हस्तियों के नाम। 1. रवींद्र किशोर सिन्हा , बिहार के लिए राज्यसभा के भाजपा सदस्य 2. लोक सत्ता पार्टी दिल्ली शाखा के पूर्व अध्यक्ष अनुराग केजरीवाल 3. अनिल वासुदेव सालगांवकर , गोवा विधान सभा के पूर्व सदस्य 4. कर्नाटक के मंत्री शमनरु शिवशंकरप्पा के दामाद और व्यवसायी राजेंद्र पाटिल 5. जहांगीर सोली सोराबजी, पूर्व अटॉर्नी…
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पेंडोरा पेपर्स लीक क्या है, जिसमें छिपे हुए धन के साथ 380 भारतीयों का नाम है?
पेंडोरा पेपर्स लीक क्या है, जिसमें छिपे हुए धन के साथ 380 भारतीयों का नाम है?
पेंडोरा पेपर्स लीक 14 वैश्विक कॉर्पोरेट सेवा फर्मों की 11.9 मिलियन लीक हुई फाइलें हैं जिन्होंने अपनी संपत्ति छिपाने के लिए लगभग 29,000 गुप्त अपतटीय कंपनियों और निजी ट्रस्टों की स्थापना की है। लीक हुए पेंडोरा पेपर दुनिया के कुछ अमीर और शक्तिशाली लोगों द्वारा छिपे हुए धन कर, मनी लॉन्ड्रिंग और कर से बचाव का खुलासा करते हैं। पेंडोरा पेपर्स में भारतीय राष्ट्रीयता के लगभग 380 व्यक्ति शामिल हैं. पेंडोरा…
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ऐश्वर्या राय बच्चन एक ऐसा नाम है जिसे मेरे जैसे लाखों युवा एक आदर्श और उम्मीद के रूप में देखते है. जिनसे आस लगाईं जाती है कि ये हमें ��ेहतर इंसान बनने में मदद करेंगी पर….
वह न्यायपालिकाओं के चक्कर लगाना पसंद कर रही है अन्यथा एक मिसाल कायम हो सकती थी कि वह इस पनामा पेपर्स लीक को फ़ास्टट्रैक पर ले जाती और हम सब की उम्मीदों को जिंदा रखती. पर शक की घड़ी यह कहती है कि हमारी उम्मीदें ऐश्वर्या राय बच्चन के आदर्श को जिंदा नहीं रख पाएंगी.
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जया बच्चन संसद में आपा खो बैठी, जबकि ऐश्वर्या राय बच्चन को ईडी द्वारा पनामा पेपर्स मामले में ग्रिल किया जा रहा है - टाइम्स ऑफ इंडिया
जया बच्चन संसद में आपा खो बैठी, जबकि ऐश्वर्या राय बच्चन को ईडी द्वारा पनामा पेपर्स मामले में ग्रिल किया जा रहा है – टाइम्स ऑफ इंडिया
जया बच्चन राज्यसभा में आज अपना आपा खो दिया और उन्होंने कुर्सी को निष्पक्ष रखने का अनुरोध करते हुए विपक्ष पर निशाना साधा। बॉलीवुड अभिनेत्री से राजनेता बनीं यह तब हुआ जब उन्हें अध्यक्ष द्वारा नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सबस्टेंस (संशोधन) विधेयक, 2021 पर चर्चा में भाग लेने के लिए कहा गया। “हम न्याय चाहते हैं। (हम) वहां से न्याय की उम्मीद मत करो!!! लेकिन क्या हम आपसे इसकी उम्मीद कर सकते हैं? आप…
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पनामा पेपर्स मामले में जया बच्चन संसद में आपा खो बैठीं, जबकि ऐश्वर्या राय बच्चन से ईडी पूछताछ कर रही है - टाइम्स ऑफ इंडिया
पनामा पेपर्स मामले में जया बच्चन संसद में आपा खो बैठीं, जबकि ऐश्वर्या राय बच्चन से ईडी पूछताछ कर रही है – टाइम्स ऑफ इंडिया
जया बच्चन ने आज राज्यसभा में अपना आपा खो दिया और उन्होंने कुर्सी को निष्पक्ष रखने का अनुरोध करते हुए विपक्ष पर निशाना साधा। बॉलीवुड अभिनेत्री से राजनेता का आक्रोश तब हुआ जब उन्हें चेयर द्वारा नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (संशोधन) विधेयक, 2021 पर चर्चा में भाग लेने के लिए कहा गया। “हम न्याय चाहते हैं। (हम) वहां से न्याय की उम्मीद मत करो!!! लेकिन क्या हम आपसे इसकी उम्मीद कर सकते हैं?…
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पत्रिका के वाचन (फलित) करने से पहले जांच के आवश्यक मापदण्ड:-
पत्रिका के वाचन (फलित) करने से पहले जांच के आवश्यक मापदण्ड:- भाग-1
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फलित ज्योतिष में अनेंक राजयोगों का वर्णन है।यह तो अविवादित तथ्य है ही कि अपनी ही राशि में बैठे (स्वराशिस्थ) ग्रह सदा अपने भाव से संबंधित शुभफल ही देते हैं। और स्वराशिस्थ ग्रह की यह स्थिति यदि लग्न से केन्द्रीय भावों में हो तो "पंचमहापुरुष" नामक राजयोगों तक का निर्माण कर देती हैं।
इसी आधार पर कोई सामान्य ज्योतिषी एक ही ग्रह अथवा योग देख कर अन्य जातको के लिए भी वही स्वर्णिम कल्पनाएं कर लेता है जो अब तक उसका अनुभव बना है। किन्तु ज्योतिष के विभिन्न ग्रंथों में स्वर्णाक्षरों में वर्णित तथाकथित ये "राजयोग" किसी "जातक विशेष" को उस मात्रा में नही मिलते जितना हमने भविष्यवाणी कर दी थी।तब ज्योतिषी अथवा जातक के मन में शंका होती है कि ये "राजयोग" क्या मात्र एक कल्पना भर है?तो इसका एक सरल सा उत्तर है, नही! उचित प्रश्न तो यह बनता है कि क्या हमने इस पत्रिका के वाचन (फलित) करने से पहले जांच के आवश्यक मापदण्ड प्रयोग कर लिए थे?
क्या हैं वे आवश्यक मापदण्ड?
1-क्या हमारा वह स्वराशिस्थ अथवा राजयोगकरक ग्रह किसी अन्य नैसर्गिक क्रूर, पापक, शत्रु या त्रिकभाव के स्वामिग्रह से कोई संबंध बना रहा है? (संबंधयोग चार प्रकार से बनता है)
2-क्या हमारे उस स्वराशिस्थ अथवा राजयोगकरक ग्रह से दूसरे, बारहवे, छठे या आठवे भाव में कोई नैसर्गिक क्रूर, शत्रु या पापक ग्रह है?(स्मरण करें कि चंद्र और सूर्य का पूर्ण फल जांचने में हम उपरोक्त सूत्र का उपयोग करते है किन्तु अन्य ग्रहों के बारे में न के बराबर)।
3- यदि हमारा स्वराशिस्थ अथवा राजयोगकरक ग्रह लग्न भाव मे है तो उससे पंचम और नवमभाव में कोई नैसर्गिक क्रूर, शत्रु या पापक ग्रह है?
4-यदि हमारा स्वराशिस्थ अथवा राजयोगकरक ग्रह चतुर्थ भाव मे है तो उससे पंचम और नवमभाव (यहां अष्टम और द्वादसभाव) में कोई नैसर्गिक क्रूर, शत्रु या पापक ग्रह है?
5-यदि हमारा स्वराशिस्थ अथवा राजयोगकरक ग्रह सप्तम भाव मे है तो पंचम और नवमभाव ( यहां एकादश और तृतीयभाव) में कोई नैसर्गिक क्रूर, शत्रु या पापक ग्रह है?
6-यदि हमारा स्वराशिस्थ अथवा राजयोगकरक ग्रह दसमभाव मे है तो पंचम और नवमभाव ( यहां द्वितीय और षष्टमभाव) में कोई नैसर्गिक क्रूर, शत्रु या पापक ग्रह है?
क्रमांक 3,4,5 और 6 के संबंध में व्याख्या इस प्रकार है कि, -जन्मकुंडली में लग्न, पंचम और नवमभाव मिल कर एक त्रिकोण कि निर्माण करते हैं। यह सर्वख्यात है। इस त्रिकोण को हम "धर्म त्रिकोण" कहते हैं। परन्तु मानव जीवन के तीन अन्य पुरूषार्थ अभी ��ने शेष हैं जिन्हें हम अर्थ, काम और मोक्ष " कहते हैं।
भाव संख्या दशम, द्वितीय और षष्ठम से मिलकर " दूसरा त्रिकोण" भी बनता है जिसे हम "अर्थ त्रिकोंण" कहते हैं।
इसी प्रकार भावसंख्या सप्तम, एकादश और तृतीय से मिलकर "तीसरे त्रिकोण" का सृजन होता है, जिसे "काम त्रिकोण" औरभावसंख्या चतुर्थ, अष्टम और द्वादश भाव से मिलकर "चतुर्थ त्रिकोण" का सृजन होता है, जिसे "मोक्ष त्रिकोण" कहते हैं।
यह आवश्यक नही कि हमारा योगकारक ग्रह लग्न के प्रथम,चतुर्थ,सप्तम या दसम भाव में ही हो। यहां पर प्रत्येक त्रिकोण के प्रत्येक भाव का समान महत्व है। जैसे 4,8,12 हो या 8,12 और 4 ।इस प्रकार किसी भी स्वराशिस्थ राजयोगी ग्रह को सन्तुलित रखने के लिए उसके वर्ग के ही किसी एक कोणपति को अपने ही वर्ग के किसी कोण में अनिवार्यत: आना होगा। जैसे 4,8,12 भाव के न्यनतम दो भावों के स्वामि ग्रहों को 8, 12 और 4 भावों में ही आना शुभ होता है।**स्मरण रखलें कि जब उपरोक्त त्रिकोणेश का फलित होगा तब त्रिकादि भावों के गुणा-व-गुण विशेष अर्थ नही रखते। ( हमने अनेंक कुंडलियों में देखा है कि त्रिक में बैठे ग्रह बिना विपरीतराजयोग बनाए भी शुभफल देते हैं।)
आदरणीय अमिताभ बच्चन जी की कुंडली में 4, 8 और 12 भावों "मोक्ष त्रिकोण" के स्वामि शुक्र,बुध और शनि अपने ही कोण में है जो उन्हे आयु के इस दौर में भी प्रतापी बनाए हुए हैं। पनामा पेपर्स हो या me-too के सच्चे-झूठे आरोपों के बावजूद भी *जनता के हृदय सम्राट (4,8,12) बनें हुए हैं।
7-अब योगकारक ग्रह का:-1-पूर्ण��ल षडबल सारणी से, 2-उसकी विशेष कारकता का फल तत्तसंबंधित वर्गकुंडलियों से, और 3-उस भाव का फल भावबल सारणी से देखने के पश्चात एक धारणा बनालें।
8-अन्त में उस "राजयोगकरक" ग्रह के प्राप्त हो सकने वाले शुभफल की अन्तिम मात्रा (विस्तार या सीमा) जानने के लिए उसी भाव को लग्न मानते हुए "भावात्-भावम्" के सिद्धांत का पालन कर ले।9-उपरोक्त मापदण्ड़ स्वयं में कोई योग नही अपितु केवल यंत्र समान हैं। उस पुष्प की खिलती स्वस्थ्य पत्तियां हैं जिनसे भविष्य में फल बनेगा।10-इस सब के पश्चात अब नि:सन्देह हमारी वाणि में भी भगवान "वराह-पाराशर" का अंश अवश्य ही होगा। .........क्रमस:(अगले अंक में त्रिकोणों और भावात्-भावम् पर लघु चर्चा।) पत्रिका के वाचन (फलित) करने से पहले जांच के आवकश्यक मापदण्ड:- भाग-2
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फलितज्योतिष के ग्रंथों में उपलब्ध विभिन्न अध्याय जैसे: -"ग्रहशील��ध्याय:" -हमें क्रमस: ग्रहों के "गुण-धर्म और स्वभाव" से पूर्ण अवगत ��रा कर देते हैं।
इसी क्रम में -"भावफलाध्याय:" -हमें ग्रहों के गुण-धर्म और स्वभाव से आगे ग्रहों की विभिन्न भावों की स्थिति से जन्में सामान्य फलों से अवगत करा देते हैं और -"राजयोगाध्याय:" -हमें ग्रहों की विभिन्न शुभभावों में स्थिति, उनके बलाबल और उनके परस्पर संबंध से जन्म लेने वाले "अति विशेष " फलों से अवगत कराते हुए एक "अद्भुत संसार " में ले जाते हैं।......और तब हम स्वयं को किसी जन्मपत्रिका का फलित करने में सक्षम मान लेते हैं।
किन्तु अनुभव में आता है कि कुछ जन्मपत्रिकाएँ तो ऐसी होती हैं जो किसी ज्योतिषी के हाथ में आते ही " तोते सी वाचाल" हो जाती हैं। ....परन्तु कुछ ऐसी भी होती हैं जिनकी पर्ते खोलने में एक विद्वान ज्योतिषी को भी बहुत सोचना पड़ जाता हैं।उदाहरण के लिए दिशाहीन होकर स्वराशिस्थ ग्रह से बना या शत्रुग्रह के लग्नों में अपनी उच्चराशि से बनने वाले राजयोग। या कुंडली के दृश्यभाग (भावसंख्या 1,12,11,10,9,8) अथवा अदृश्यभाग (भावसंख्या 7,6,5,4,3,2) में बनने वाले शत्रुग्रहों के युति योग।
अब एक विद्वान ज्योतिषी फलित के सैध्दान्तिक मार्ग (theoretical approaches) के साथ-साथ साथ कुछ व्यवहारिक मार्ग को अपनाता है।
इन व्यवहारिक मार्ग (practical approaches) में सर्वप्रथम विधि है "भावात्-भावम् " ।
"भावात्-भावम् " विधि से किसी जन्मपत्रिका के वाचन की कला है। यह एक विद्वान और अनुभवी ज्योतिषी की असीमित और अनन्त उड़ान है, जहां शेष भी अशेष है।...और फिर भी यदि कुछ शेष है तो अन्तिम विधि के रुप में प्रयोग की जाती है -जन्मपत्रिका की " त्रिकोण विस्तार विधि "।त्रिकोण विस्तार विधि :--यह सरल है, छोटी है। किन्तु इतना सटीक है कि किसी जातक के अन्तिम परिणाम की भविष्यवाणी भी सटीक रुप में कर ही देती है।
आज जन्मपत्रिका की " त्रिकोण विस्तार विधि " पर ही चर्चा करते हैं ।
त्रिकोण विस्तार विधि :- न तो जन्म समय पर किसी का नियंत्रण है न मृत्यु की घड़ी पर। फिर किस भाव में कौन राशि शुभ है और कौन नही , यह विचारने से क्या लाभ।
इस विधि में किसी भी लग्न की जन्मकुंडली के बारह भावों को चार त्रिकोणों में ( विन्यास) या विभाजित कर दिया जाता है।
1-प्रथम त्रिकोण:- लग्न, पंचम और नवम।
2-दूसरा त्रिकोण:- द्वितीय, षष्ठम और दशम।
3-तीसरा त्रिकोण:- तृतीय, सप्तम और एकादश।
4-चतुर्थ त्रिकोण:- चतुर्थ, अष्टम और द्वादश भाव।
इन चतुष्कोंणों में प्रत्येक त्रिकोण का पहला कोणभाव साक्षात श्री विष्णु का रुप है। दूसरा कोण साक्षात भगवती लक्ष्मी का और तृतीय कोण साक्षात भगवती श्री का स्वरूप जाने।
कुंडली में चतुष्कोंण:-1. -किसी भी लग्न की जन्मकुंडली के लग्नभाव, पंचमभाव और नवमभाव से बना ये प्रथम त्रिकोण है। इसे "धर्म त्रिकोण" माना जाता है।
-इन भावों में मित्र, स्वराशि या अपनी उच्चराशि में स्थित ग्रहों के कारण अथवा इन भावों के स्वामि ��्रहों का परस्पर कोई संबंध के शुभप्रभाव से जातक के व्यक्तित्व, उसके शील-संस्कार, बुध्दि कौशल और उसकी निर्णय क्षमता पर "सात्विक प्रभाव " पड़ता है। -यह जातक साक्षात प्रज्जवलित अग्नि के समान है जो स्वयं को भी तप्त करता है।
-यह जातक की बालावस्था है, ब्रह्मचर्य आश्रम है, शिक्षा और ज्ञान के विस्तार का भाग है। -जातक अपने जीवन में एक "क्षत्रिय" के समान अपने नैतिकबल के आधार पर अपने जीवन के परम परुषार्थ करता है।
-अपने वंश के पूर्वज और अगामी सन्तति को सम्मान और सुसंस्कृति दे पाने की क्षमता पाता है।
2. -किसी भी लग्न की जन्मकुंडली के द्वितीयभाव, षष्ठभाव और दसमभाव से बना यह दूसरा त्रिकोण है। इसे "अर्थ त्रिकोण " माना जाता है।
-इन भावों में मित्र, स्वराशि या अपनी उच्चराशि में स्थित ग्रहों के कारण अथवा इन भावों के स्वामि ग्रहों का परस्पर कोई संबंध के शुभप्रभाव से जातक के व्यक्तित्व में एक विशेष प्रकार के आकृषण की भावना की जागृति होती है।
-जातक अपने व्यक्तिगत परिवार से बहुत प्रेम करता हैं साथ ही उसके भरण-पोषण और "योग-क्षेयम् " को वहन करने में सक्षम होता है।
-अपने बुध्दि कौशल और साम-दाम-दण्ड़ और भेद आदि सभी नीतियों को अपनाता हुए अपनी निर्णय क्षमता के आधार पर अपने आत्मीय परिजनों की विपत्ति के समय उनकी रक्षा करता है।
-यह जातक की बाह्यमुखी (Extroverted) अवस्था है। यह गृहस्थ आश्रम है।-यह साक्षात वैश्य प्रवृत्ति है। वह धन का सद्उपयोग करना जानता है।
-यह जातक अपने सामाजिक मान, पद, प्रतिष्ठा का महत्व जानता है और उसे बढ़ाते रहने का सतत प्रयास करता है।
3. -किसी भी लग्न की जन्मकुंडली के तृतीयभाव, सप्तमभाव और एकादभाव से बना यह तीसरा त्रिकोण है। इसे "कामना अथवा काम त्रिकोण " माना जाता है।
-इन भावों में मित्र, स्वराशि या अपनी उच्चराशि में स्थित ग्रहों के कारण अथवा इन भावों के स्वामि ग्रहों का परस्पर कोई संबंध के शुभप्रभाव से जातक के व्यक्तित्व में एक विशेष प्रकार के समर्पण के भाव की जागृति होती है।
-यह जातक की अन्तर्मुखी (introverted) अवस्था है। यह वानप्रस्थ आश्रम है।
-यह साक्षात शूद्र प्रवृत्ति है। यह समझौते और समन्वय का त्रिकोण है। यहाँ बात स्वाभिमान पर आ कर नहीं रुकती। यह कामनाओं का त्रिकोण हैं। अनन्त इच्छाओं का त्रिकोण है।
-इसकी पूर्ति केे लिए जातक धन उपार्जन के अतिरिक्त साधन के रुप में अपनी पत्नि अथवा अपने इष्टमित्रों का भी उपयोग लेता है।
4. -किसी भी लग्न की जन्मकुंडली के चतुर्थभाव, अष्टममभाव और द्वादसभाव से बना यह चौथा त्रिकोण है। इसे "मोक्ष त्रिकोण " माना जाता है।
-इन भावों में मित्र, स्वराशि या अपनी उच्चराशि में स्थित ग्रहों के कारण अथवा इन भावों के स्वामि ग्रहों का परस्पर कोई संबंध के शुभप्रभाव से जातक के व्यक्तित्व में एक " विशेष मार्ग " पर चलने की विकृषण रुचि की जागृति होती है।
-यह साक्षात ब्राह्मण प्रवृत्ति है। रावण और विभीषण इस अन्तिम त्रिकोण से ही प्रकट होते है।-यह जातक की निर्णय कर चुकने वाले " राही " का मार्ग है। यहां जो है वह अनायास नही है।
-यह त्रिकोंण संगति के विन्यास (फैलाव) या सन्यास का आश्रम है।-यहाँ जीव का उत्थान हो या पतन ! सब अपनी चरम अवस्थ��� में है।
-इन भावों की जागृति से जातक का अपने परिवार से मोह के बंधन की सीमाएं या वर्जनाएँ टूटने लगती हैं और बाह्य जगत से अनुराग बढ़ जाता है।
-दिशाओं की सब सीमाए समाप्त।-समाज के हृदय में बसा और परमार्थ के पथ ��र चलता-बढता कोई तत्वदृष्टा गाइड; कोई महात्मा।
-जातक का मन! भागीरथ के जल सा निर्मल ! या फिर मन्थन से निकला हलाहल है। -जिससे जहां जा मिला उस जैसा रुप-रंग-आकार पा लिया। दवा बने तो जीवनदान ओर नशा बने तो....।।.....क्रमस:अन्तिम भाग में " भावात्-भावम् " ।। पत्रिका के वाचन (फलित) करने से पहले जांच के आवकश्यक मापदण्ड:- भाग-3
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फलित के सैध्दान्तिक ज्ञान में पारंगत हो जाने पर अब " साधक " एक " वादक " में रुपान्तरित हो जाता है।
"अनागत "(अकल्पनीय भविष्य) के प्रति यह " अनाहत " (ज्ञान का शंखनाद) की घोषणाए अब किसी वीणा के स्वर के समान उसकी वाणि से झंकृत होने लगती हैं।
क्योंकि अब उस ज्योतिषी के हाथों में आई कोई भी जन्मपत्रिका मात्र एक व्यक्ति की ही पत्रिका नही रह गई है। अब वह ज्योतिषी उस व्यष्टि ( एक/ईकाई) से उसकी संपूर्ण सृष्टि का निर्माण कर लेता है।
जन्मपत्रिका वाचन की इसी कला का नाम है "भावात्-भावम् "।
भावात्-भावम् ! संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ है--" भावसे भाव का " परीक्षण करना।
स्मरण करें कि फलितज्योतिष के सर्वाधिक लोकप्रिय ग्रंथ "बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम् " अथवा " फलदीपिका " से हमने समझा है कि;
1) -छठेभाव से छठाभाव अर्थात्त ग्यारहवा भाव भी रोग-ऋण-शत्रु,मामा आदि बड़े संबंधियों का भाव माना जाता है। इसी प्रकार
2) -मारकेश का बल और मृत्यु का तरीका देखने के लिए हम आठवे से आठवा अर्थात्त तीसरे भाव को भी देखते हैं।
यही प्रक्रिया यदि हम अन्य भावों के लिए भी प्रयोग करें तो हमारे फलित का आश्चर्यजनक रुप से विस्तार हो जाता है।
इस विषय को दक्षिणी भारत के विद्वान श्री रामानुज ने अपने एक लघु ग्रंथ " भावार्थ रत्नाकर " में विस्तार से लिख कर पुनः मान्यता दी है।
इस विधि की कुछ विशेषताएँ:-
1-जन्मकुंडली का लग्नभाव स्वयं में दीप समान है। अत: भावात् भावम् विधि में लग्नभाव की पुनर्परीक्षा नही की जाती। क्योकि लग्न का विस्तार तो पहले ही शेष ग्यारह भावों में किया जा चुका है।
2-अब भावात् भावम् में दो विधि आती हैं:
I) -लग्न के अतिरिक्त हम जिस किसी भी भाव का फलित विस्तार करना चाहते हैं उस भाव को ही लग्न मान कर उससे अगामी भावों को धन, पराक्रम,सुख आदि मान कर चलें।
II) -लग्नभाव के अतिरिक्त हम लग्न से क्रमवत जिस भाव का भी पुनर्परीक्षा करना चाहते हैं तो हमें उस भाव की स्वाभाविक क्रमसंख्या से उसी क्रमसंख्या वाले भाव का चयन करना होगा।
अब यह भाव हमारे अभिष्ठभाव (जिस भावका हम परीक्षण कर रहें हैं ) का "सह भाव" (अर्धभाव) है सहयोगीभाव नही।
जैसे धन (02) का धन (03) का धन (04) भाव।। इस उदाहरण में तीसरा और चौथाभाव दोनों धनभाव के सहभाव हैं।
हमें ज्ञात है कि फलितज्योतिष में जन्मकुंडली के पहले भाव से घड़ी की विपरीत गति की ओर चलते हुए भाव संख्या-2, फिर-3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और अन्त में भावसंख्या-12 निर्धारित है।
भावात् भावम् नामक इस विधि में हम जिस भावसंख्या का फलित करना चाहतेे हैं, उस भाव से उतनी ही अगामी क्रमसंख्या के भाव को अपने अभिष्ठ भाव का "सहायक भाव " मानते हुए उसका भी परीक्षण करते चले जाते हैं। यह क्रम दोहराया और तिहराया भी जा सकता हैं।
उदाहरण हेतु: -जन्मकुंडली के भाव संख्या 02 से एक ज्योताषी किसी भी जातक की "चल-अचल धन-संपदा" के संग्रह को देखते हैं।
सामान्य परीक्षण विधि से फलित : 1-भाव संख्या 02 में भावेश स्वयं बैठा हो अथवा लग्नेश स्वयं बैठा हो या उनके नैसर्गिक मित्र का वास हो तो यह शुभयोग है।
2-भावेश या लग्नेश का मित्र ग्रह न हो किन्तु नैसर्गिक शुभग्रह आ बैठे तो भी यह शुभयोग है।
3-अब इस भाव में बैठे: I)-भावेश या लग्नेश पर या II)-इनके मित्र पर या III)-किसी नैसर्गिक शुभग्रह पर अन्य किसी नैसर्गिक मित्रग्रह का कोई भी संबंध, किसी भी भाव से बन जाय तो हम जातक को "चल-अचल धन-संपदावान" घोषित कर देते है।
4-यदि उपरोक्त से विपरीत परिस्थिति बनी है तो जातक की आय चाहे कितनी भी हो वह "चल-अचल-संपदा का संग्रह" कर पाएगा ? इसमें सन्देह बन जाता है।
भावात् भावम् से परीक्षा से प्राप्त फलित:-
1-हमारे अभीष्ठ भाव (जिस भावका हम परीक्षण कर रहें हैं ) का स्वामिग्रह यदि उसके "सहभाव" में ही बैठा हो तो यह सामान्य और सन्तोषजनक स्थिति है।
2-हमारे अभीष्ठ भाव (जिस भावका हम परीक्षण कर रहें हैं ) के स्वामिग्रह के दल का ही कोई ग्रह यदि उसके "सहभाव" में ही बैठा हो तो यह सामान्य और सन्तोषजनक स्थिति है। (दल -1 बृ, मं, चं सू और योगवश केतु । दल-2 शुक्र, बुध, शनि, और राहु )
3-हमारे अभीष्ठ भाव के स्वामिग्रह के दल से विपरीत दल का सौम्य ग्रह यदि उसके "सहभाव" में ही बैठा हो तो यह राजयोग समान शुभ होगा। (वेशी और अनफा योग का स्मरण करें ) और यदि सहभाव में विपरीत दल का क्रूर ग्रह है तो यह अशुभ स्थिति है।
भावात् भावम् की दोनों विधियों में उपरोक्त तीन नियम लागु होंगे।
फलित करते समय भी प्रश्न बन जाता है कि जब आय अच्छी हो रही है ( एकादस से और पुन: एकादस से एकादस अर्थात्त नवम भाव से ) तो फिर उस आय की क्या गति होगी? वह आमदनी "चल-अचल-संपदा" में क्यों संग्रह नही होगी?
तब हमें धनभाव के धनभाव अर्थात्त दूसरे भाव से दूसरे अर्थात्त तृतीय भाव से उत्तर मिलेगा।
1-हम जानते है कि भाव संख्या 3 और 6 में नैसर्गिक क्रूरग्रह अपना श्रेष्ठ फल देते हैं।
2-अत: यदि धनभाव का स्वामि नैसर्गिक क्रूरग्रह है और वह तृतीयभाव में आ बैठते हैं तो यह शुभयोग बन जाता है।
3-इसके विपरीत यदि धनभाव का स्वामि नैसर्गिक सौम्यग्रह है और वहकर तृतीयभाव में आ बैठते हैं तो यह हमारे फलित "चल-अचल-संपदा से हीनता" को ही बल देता है।
"चल-अचल-संपदा से हीनता" के संबंध में यदि यहां पर भी ज्योताषी अथवा यजमान सन्तुष्ठ न हों तो फिर हमारी यात्रा होगी --***धन के धन का धन तक। अर्थात धन के धन (भावसंख्या 03) फिर ...धन का धन अर्थात्त भावसंख्या 04 पर।
-स्मरण रहे कि भावसंख्या 03 तक हम "चल-अचल-संपदा की प्राप्ति" के योग अथवा फलित को अन्तिम रुप दे चुके है। भावसंख्या 04 पर हम "चल-अचल-संपदा से हीनता" के कारण या कारक का योग खोज रहें हैं।
हम जानते हैं कि चौथा भाव सौम्यभाव है। अत: यहां सौम्य ग्रह का होना हमारी "चल-अचल-संपदा से हीनता" का सौम्य कारण बनेगा। अर्थात हमारी प्राथमिकता कुछ और होगी जैसे सन्तान की उच्चशिक्षा आदि। और यदि यहां क्रूरग्रह का वास है तो "चल-अचल-संपदा से हीनता" का कारण हमारी दुखदायक परिस्थिति है। वह सुख और दुखदाई का जिम्मेवार हमारा वह संबंधी होगा जिसका कारक ग्रह इस भाव (04) को प्रभावित कर रहा है।
**स्वाभाविक भी है कि धनभाव के पराक्रम या उसके रुप का ज्ञान हमें सुखभाव से ही होगा।
इस क्रिया से हम अपने फलित को बहुत सटीक और अधिक विस्तार दे सकते हैं। यह विधि किसी विद्वान ज्योतिषी की कल्पना की असीमित और अनन्त उड़ान है । जहां शेष भी अशेष बन जाता है।
अपने इस लेख में हमने " भावार्थ रत्नाकर " ग्रंथ से मात्र उ���का "मूल विचार" ( concept) लिया है। क्योंकि यह स्वयं में मूलग्रंथ नही है अत: इसमें विद्वानों के स्वानुभूत विचारों का समावेश स्वीकार्य रहा है। यह गुरुआज्ञा के प्रति दुराग्रह की श्रेणी में नही आता।
निवेदन है कि इस लेख पर अपनी असहमति या सहमति विस्तार से दें क्योंकि "ज्ञान" पर किसी एक की बपौती नही होनी चाहिए। इतिशुभम्।
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भारत सहित पूरे विश्व में भूचाल लाने वाला पनामा पेपर लीक मामले की एक नई कड़ी सामने आई है। इस नए लीक में करीब 12 लाख से ज्यादा नए दस्तावेज सामने आए हैं जिनमें से कम से कम 12,000 का कनेक्शन भारतीयों से है। इस कागजात में कई भारतीयों के भी नाम हैं जिनमें एक बड़ा नाम है हाइक मेसेंजर के सीईओ कविन भारती मित्तल का। बता दें कि कविन, टेलीकॉम कंपनी भारती एयरटेल के फाउंडर सुनील भारती मित्तल के बेटे हैं।
बता दें कि इससे पहले 2016 में भी इंडियन एक्सप्रेस अंतरराष्ट्रीय खोजी पत्रकारों के संगठन आईसीजे के साथ मिलकर पनामा पेपर्स को लेकर बड़े खुलासे कर देश में भूचाल ला चुका है। जिसमें बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन सहित कई बड़े फिल्मी सितारों, राजनेताओं और व्यापारियों के नाम सामने आए थे। एक बार फिर पनामा पेपर लीक मामले की नई कड़ी सामने आने के बाद अमिताभ बच्चन का नाम चर्चा में आ गया है।
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक अब नए खुलासे में एयरटेल के मालिक सुनील मित्तल के बेटे केविन भारती मित्तल का भी नाम सामने आया है। केविन हाइक मैसेंजर के सीईओ हैं। इसके अलावा एशियन पेंट्स के प्रमोटर अश्विन दानी के बेटे जलज दानी के नाम भी दस्तावेजों में सामने आए हैं। ये वे लोग हैं जिनकी विदेश में कंपनियां होने का ��ता चला है। मोसैक इनके लिए काम कर रही थी।
इसके अलावा अन्य प्रमुख हस्तियों में पीवीआर सिनेमा के मालिक बिजली परिवार का नाम सामने आया है। भारत में मल्टीप्लेक्स सिनेमा के मालिक अजय बिजली, उनकी पत्नी सेलेना और पुत्र आमेर ने ऑफशोर कंपनियां बनाकर यूके में प्रापर्टी का संचालन का खुलासा हुआ है। अप्रैल 2016 में जब पनामा पेपर्स को लेकर खुलासा हुआ था तब भी दस्तावेजों में बिजली परिवार की दो ऑफशोर कंपनियों के नाम सामने आए थे। इसमें दिल्ली की प्रिया एक्जीबिटर्स प्राइवेट लिमिटेड का नाम भी शुमार था।
जांच के घेरे में हैं अमिताभ बच्चन
बता दें कि जिन लोगों की विदेश में कंपनियां हैं उनमें अमिताभ बच्चन का नाम भी शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में जो खुलासा हुआ था उसमें बताया गया था कि अमिताभ बच्चन लेडी शिपिंग लिमिटेड और ट्रेजर शिपिंग लिमिटेड के निदेशक हैं। उन्हें ब्रिटेन की मिनवेरा ट्रस्ट ने 90 दिन का नोटिस भेजा था। वह इन दोनों कंपनियों के एडमिनिस्ट्रेटर के तौर पर काम कर रही थी। इस मामले में एक और कंपनी सी बल्क शिपिंग कंपनी लिमिटेड का भी नाम सामने आया।
बता दें कि अमिताभ बच्चन का नाम पनामा पेपर्स मामले आया था और इस मामले की जांच आयकर विभाग भी कर रहा है। अमिताभ बच्चन के अलावा उनकी बहू और अभिनेत्री ऐश्वर्य राय बच्चन, अभिनेता अजय देवगन का नाम भी उन लोगों में शामिल है, जिन्हें ईडी नोटिस भेजने की तैयारी कर रहा है। हालांकि जांच का सामना कर रहे अमिताभ बच्चन ने इन कंपनियों से कोई ताल्लुक होने से इनकार किया है।
इस मामले में नाम आने पर अमिताभ बच्चन ने कोई भी गलत काम करने से इनकार किया था। अमिताभ ने कहा था कि उन्होंने भारतीय नियमों के तहत ही विदेश में धन भेजा है। उन्होंने पनामा पेपर्स में सामने आयीं कंपनियों से भी किसी तरह का संबंध होने से इनकार किया था।
क्या है पनामा पेपर्स मामला?
पनामा पेपर्स के दस्तावेज पनामा स्थित एक लॉ फर्म- मोसेक फॉन्सेका ने ही लीक किए थे। इस फर्म के 35 देशों में दफ्तर हैं। पनामा पेपर्स में 50 देशों के ऐसे 140 राजनेताओं के नामों का जिक्र है जिनके कथित रूप से विदशी अकाउंट हैं। इसमें 12 मौजूदा व पूर्व राष्ट्राध्यक्षों के नाम भी शामिल हैं।
इसके अलावा खिलाड़ी, प्रशासक और फोर्ब्स की सूची में शामिल 29 अरबपतियों के नाम भी इन पेपर्स में है। पनामा पेपर्स की जांच के लिए भारत वैश्विक टास्क फोर्स का हिस्सा है। यह फोर्स मामले की जांच के लिए जानकारी साझा करेगी और एक दूसरे का सहयोग करेगी।
पनामा पेपर लीक मामले की नई कड़ी सामने आने के बाद एक बार फिर चर्चा में आए अमिताभ बच्चन
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क्या है पनामा पेपर्स लीक, क्यों है सुर्खियों में जानिए
क्या है पनामा पेपर्स लीक, क्यों है सुर्खियों में जानिए
ऐश्वर्या राय बच्चन से पूछताछ के बाद पनामा एक बार फिर सुर्खियों में है। मध्य अमेरिका का यह देश अपने नहरों के कारण प्रसिद्ध है। क्या है पनामा पेपर्स लीक ? उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका के मध्य में स्थित एक छोटा सा देश है पनामा। इसी देश की एक कंपनी मोसेक फोंसेकाजिसकी स्थापना 1977 में हुई थी। इससे दुनियाभर में 3.5 लाख से ज्यादा कंपनियां जुड़ी हुई हैं। मोसेक फोंसेका कम्पनी के ही करोड़ों दस्तावेज लीक…
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पेंडोरा पेपर्स क्या हैं? जानिए पेंडोरा पेपर मामले में कितने भारतीय है
पेंडोरा पेपर्स क्या हैं? जानिए पेंडोरा पेपर मामले में कितने भारतीय है
पेंडोरा पेपर्स लगभग 12 मिलियन दस्तावेजों और फाइलों का रिसाव है, जिसने कई विश्व नेताओं, राजनेताओं और अरबपतियों की गुप्त संपत्ति को उजागर किया है। पेंडोरा पेपर मामलों की जांच करेगा केंद्र केंद्र सरकार ने कथित तौर पर पेंडोरा पेपर्स मामलों की जांच के आदेश दिए हैं, और उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। बहु-एजेंसी जांच में प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, भारतीय रिजर्व बैंक और…
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वैश्विक कर चोरी घोटाले में जयंत सिन्हा सहित 714 भारतीयों के नाम has been published on PRAGATI TIMES
वैश्विक कर चोरी घोटाले में जयंत सिन्हा सहित 714 भारतीयों के नाम
नई दिल्ली,(आईएएनएस)| केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा, भाजपा सांसद रविंद्र किशोर सिन्हा, कांग्रेस नेता सचिन पायलट, पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति सहित सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के नाम वैश्विक कर चोरी घोटाले में सामने आए 714 भारतीयों के नामों की सूची में शामिल है।
‘पैराडाइज पेपर्स’ खुलासे को लेकर सोमवार को आई रपट में राजनीतिक व फिल्मी हस्तियों के अलावा कॉरपोरेट जगत के लोग व कंपनियों के नाम भी विदेशों में धन छिपाने वालों की फेहरिस्त में शामिल है। रपट में गोपनीय ढंग से कर बचाकर सबसे ज्यादा धन विदेशों में जमा करने वाले नागरिकों वाले 180 देशों की सूची में 714 भारतीयों के नामों के साथ भारत का स्थान 19वां है। गुप्त जगहों से प्राप्त एक करोड़ 34 लाख दस्तावेजों से उपर्युक्त आंकड़ों व नामों का खुलासा हुआ है, जिसे पैराडाइज पेपर्स कहा गया है। गौर करने की बात यह है कि पैराडाइज पेपर्स का खुलासा पनामा लीक के दो साल बाद हुआ है, जबकि सरकार दो दिन बाद विमुद्रीकरण की सालगिरह पर कालाधन रोधी दिवस मनाने जा रही है। अंतर्राष्ट्रीय खोजी पत्रकार संघ यानी आईसीजेआईजे द्वारा विश्वस्तर पर की गई जांच का हिस्सा रहे इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, वित्तीय मामलों के इस खुलासे में जो आंकड़े प्रकाश में आए हैं, वे दो कंपनियों से संबंधित हैं-बरमूडा की एप्पलबाय और सिंगापुर की एसिया सिटी। साथ ही, दुनियाभर में 19 कर मुक्त क्षेत्र यानी टैक्स हेवेन के नाम भी शामिल हैं, जोकि अमीर लोगों को अपना धन गुप्त रखने में मददगार हैं। दिल��स्प बात यह है कि नंदलाल खेमका द्वारा स्थापित सन ग्रुप एक भारतीय कंपनी है, जोकि 118 विदेशी संस्थाओं के साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एप्पलबाय का दूसरा सबसे बड़ा ग्राहक है। खुलासे में प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, एप्पलबाय के भारतीय ग्राहकों में कई प्रमुख कॉरपोरेट्स और कंपनियां शामिल हैं, जो बाद में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी जांच एजेंसियों की जांच की जद में भी आई हैं। इनमें सनटीवी-एयरसेल-मैक्सिस मामला, एस्सार-लूप टूजी मामला और एसएनएस-लवलीन, जिसमें केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन का नाम आया था, जिसे बाद में हटा दिया गया, शामिल हैं। इसके साथ-साथ राजस्थान का एंबुलेंस घोटाला, जिसकी जांच हाल ही में सीबीआई को सौंपी गई है और जिसमें जिक्विस्टा हेल्थकेयर (शुरुआत में सचिन पायलट ओर कार्ति चिदंबरम इनमें अवैतनिक व स्वतंत्र निदेशक थे), और ताजा वित्तीय खुलासे में जो लिंक सामने आए हैं, उनमें वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी के खिलाफ सीबीआई का मामला शामिल है। नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा का भी नाम इसमें आया है, क्योंकि वह पहले उमीदयार नेटवर्क से जुड़े थे। वहीं, माल्टा की अपतटीय कंपनियों की सूची में भाजपा के राज्यसभा सदस्य आर.के. सिन्हा का भी नाम शामिल है। एक्सप्रेस की ओर से इस संबंध में पूछे जाने पर सिन्हा ने किसी प्रकार के कदाचार से इनकार किया है। उन्होंने सोमवार को ट्वीट करके कहा कि अधिकारियों को पूरी जानकारी स्पष्टतौर पर दी गई है। कॉरपोरेट के अलावा इसमें कुछ व्यक्तिगत नाम भी हैं। बरमूडा कंपनी में अमिताभ बच्चन की हिस्सेदारी, कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया और फिल्म अभिनेता संजय दत्त की पत्नी, जो अपने पूर्व नाम दिलनशीं से इस सूची में शामिल हैं। जयंत सिन्हा ने सोमवार को इस संबंध में किसी प्रकार की हेराफेरी की बात से इन्कार किया है और कहा कि उनसे संबंधित जो कुछ भी लेन-देन है, उसका पूरा खुलासा संबद्ध प्राधिकारों से किया गया है और वह सब आधिकारिक रूप से हुआ है न कि व्यक्तिगत तौर पर। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि कुछ प्रामाणिक व कानूनी तरीके से उमीदयार नेटवर्क में साझेदार के तौर पर मेरी जिम्मेदारी में विश्व की प्रतिष्ठित व अग्रणी संस्था की ओर से लेन-देन हुई थी। एक्सप्रेस के अनुसार, जयंत सिन्हा ने 2014 में लोकसभा चुनाव के लिए बतौर उम्मीदवार अपने आवेदन में चुनाव आयोग के समक्ष इसकी घोषणा नहीं की थी। इसके बाद 2016 में राज्यमंत्री के तौर पर भी उन्होंने लोकसभा सचिवालय व प्रधानमंत्री कार्यालय को इस आशय की जानकारी नहीं दी थी। कांग्रेस जयंत सिन्हा के इस बचाव से संतुष्ट नहीं है। ��ांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि प्रधानमंत्री की कालाधन व भ्रष्टाचार के खिलाफ तथाकथित लड़ाई पूरी तरह नाकामयाब है। वहीं, सचिन पायलट के संबंध में सुरजेवाला ने कहा कि सीबीआई और ईडी पहले से ही मामले की जांच कर रही हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सरकार सूची में शामिल सबके खिलाफ जांच करवाएगी। उधर, भाजपा के राज्यसभा सदस्य इस संबंध में अभी मौन साधे हुए हैं।
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दिन के सबसे बड़े समाचार, संक्षेप में
अर्थव्यवस्था में उतार के बावजूद मोदी सरकार की विश्वसनीयता बरकरार : सर्वे
अर्थव्यवस्था के कई प्रमुख क्षेत्रों की ख़राब हालत के लिए आलोचना झेल रही केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के लिए एक अच्छी ख़बर आई है. एक सर्वे के मुताबिक़ भारत के 85 प्रतिशत नागरिक अभी भी मोदी सरकार पर भरोसा करते हैं. प्यू रिसर्च सेंटर के सर्वे में पता चला कि साल 2012 के बाद भारत की अर्थव्यवस्था में औसतन 6.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, इसके बावजूद देश के अधिकतर नागरिक (85%) सरकार पर भरोसा रखते हैं. (विस्तार से)
श्रीसंत फिर मुश्किल में, केरल हाईकोर्ट ने आजीवन प्रतिबंध बहाल किया
केरल उच्च न्यायालय ने मंगलवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) द्वारा क्रिकेटर एस श्रीसंत पर लगाए गए आजीवन प्रतिबंध को बहाल कर दिया. बीसीसीआई ने केरल उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर उन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी. बीसीसीआई का कहना था कि श्रीसंत पर प्रतिबंध लगाने का फैसला उनके खिलाफ मिले सबूतों के आधार पर लिया गया है. श्रीसंत ने इसे अब तक का सबसे बुरा फैसला बताया है. ( विस्तार से)
अगर कोई देश अपनी विरासत पर गर्व करना नहीं जानता तो वह आगे नहीं बढ़ सकता : नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में देश के पहले अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) का उद्घाटन किया. इस मौके पर उन्होंने कहा, ‘कोई भी देश विकास करने की तमाम कोशिशों के बावजूद तब तक सफल नहीं हो सकता है, जब तक वह अपने इतिहास और अपनी विरासत पर गर्व करना नहीं जानता है.’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि अपनी विरासत भुलाकर आगे बढ़ने वाले देशों की पहचान खत्म होनी तय होती है. (विस्तार से)
राजस्थान : उपचुनाव जीतने के लिए भाजपा सरकार पर चिकित्सा व्यवस्था को ताक पर रखने का आरोप
राजस्थान में उपचुनावों से ठीक पहले चिकित्सकों के तबादलों को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं. खबरों की मानें तो प्रदेश की भाजपा सरकार ने मतदाताओं को रिझाने के लिए राजधानी जयपुर समेत 12 अन्य जिलों से 68 चिकित्सकों का तबादला उपचुनाव वाले क्षेत्रों में किया है. राजस्थान में जल्द अजमेर और अलवर लोकसभा सीट के अलावा मांडलगढ़ विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव होना है. (विस्तार से)
राष्ट्रीय दलों में भाजपा सबसे अमीर, कांग्रेस भी ज्यादा पीछे नहीं
भाजपा देश की सातों राष्ट्रीय पार्टियों में सबसे अमीर है. ए��ोसिएशन ऑफ़ डेमोक्रेटिक रिफ़ॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा ने 2015-16 में अपनी कुल संपत्ति 894 करोड़ रुपये घोषित की थी. इसके बाद दूसरे नंबर पर कांग्रेस है जिसके पास 759 करोड़ रुपये की संपत्ति की घोषणा की थी. इसमें यह भी सामने आया है कि इस अवधि में भाजपा पर 25 करोड़ रुपये क़र्ज़ था. इस मामले में कांग्रेस भाजपा से आगे है, जिस पर 329 करोड़ रुपये क़र्ज़ था. (विस्तार से)
सपा नेता आज़म खान का मानना है कि राष्ट्रपति भवन ग़ुलामी का प्रतीक है, इसे ढहा देना चाहिए
ताजमहल को लेकर बयानबाजी का सिलसिला जारी है. मंगलवार को सपा नेता आज़म खान ने कहा, ‘मैं पहले ही कह चुका हूं. अब फिर अपनी बात दोहराता हूं. सिर्फ ताज़महल ही नहीं राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, क़ुतुब मीनार, लाल क़िला, ये सब ग़ुलामी के प्रतीक हैं.’ उन्होंने आगे कहा कि इनके साथ और भी जितने ग़ुलामी के प्रतीक हैं उन सभी को ढहा देना चाहिए. (विस्तार से)
पंजाब : लुधियाना में आरएसएस-भाजपा नेता की गोली मारकर हत्या
पंजाब के लुधियाना में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े रविंदर गोहेन की हत्या कर दी गई. रविंदर गोहेन भाजपा से भी जुड़े थे. उनके बेटे दीपक कुमार ने बताया, ‘वे सुबह-सुबह शाखा से लौटकर घर के बाहर बैठे थे. कुछ देर बाद उन्हें दुकान के लिए निकलना था. तभी चेहरा ढंके हुए दो लोग मोटरसाइकिल से घर के बाहर आए. उन्होंने पिता जी को नाम लेकर बुलाया. जब वे उनके पास पहुंचे तो हमलावरों ने उन्हें गोली चला दी, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई.’ (विस्तार से)
राजस्थान : वॉट्सएप पर अफवाह के बाद पुलिसकर्मियों का राजनाथ सिंह को गार्ड ऑफ़ ऑनर देने से इनकार
राजस्थान की सरकार और पुलिस को वॉट्सएप की वजह से शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है. वॉट्सएप पर राज्य सरकार द्वारा पुलिसकर्मियों के वेतनमान में कटौती का मैसेज वायरल होने के बाद पुलिसकर्मी विरोध पर उतर आए. इनमें वे पुलिसकर्मी भी शामिल थे, जिन्हें गृहमंत्री राजनाथ सिंह को जोधपुर में गार्ड ऑफ़ ऑनर देना था. खबरों के मुताबिक सोमवार को जब गृहमंत्री राजनाथ सिंह जोधपुर पहुंचे तो उन्हें गार्ड ऑफ़ ऑनर देने के लिए पुलिसकर्मी ही नहीं थे. (विस्तार से)
कश्मीर में बाढ़ से तबाही हुई थी, पर चुनाव की घोषणा नहीं टाली गई : पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त
गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव एकसाथ न कराने के चुनाव आयोग के फ़ैसले पर एक और पूर्व चुनाव आयुक्त (सीईसी) ने सवाल उठाया है. एसवाई क़ुरैशी के बाद अब पूर्व सीईसी टीएस कृष्णमूर्ति ने कहा है कि यह पूरा विवाद बेहतर प्रबंधन के साथ टाला जा सकता था. उन्होंने आगे कहा, ‘वे एक हफ़्ता पहले या बाद में दोनों राज्यों के चुनाव एकसाथ घोषित कर सकते थे. मैं यह नहीं देख पा रहा कि फ़ैसला प्रभावित था या नहीं. लेकिन मेरा सवाल है कि क्या प्रशासनिक तौर पर कोई हल ढूंढा जा सकता था?’ (विस्तार से)
केंद्र सरकार राजकोषीय घाटा कम करने के अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हटेगी : आर्थिक सलाहकार परिषद
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य और अर्थशास्त्री सुरजीत भल्ला ने मंगलवार को कहा कि केंद्र सरकार राजकोषीय घाटे को कम करने के अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हटेगी. उन्होंने आर्थिक मंदी की आंशकाओं के चलते मोदी सरकार के राजकोषीय सुदृढ़ीकरण के लक्ष्य से पीछे हटने की संभावना को खारिज कर दिया. सोमवार को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी कहा था कि कारोबारियों को आर्थिक पैकेज देने का सरकार का कोई इरादा नहीं है. (विस्तार से)
कोरियाई प्रायद्वीप पर कभी भी परमाणु युद्ध भड़क सकता है : उत्तर कोरिया
उत्तर कोरिया ने कोरियाई प्रायद्वीप के मौजूदा हालात को चिंताजनक बताया है. संयुक्त राष्ट्र में उत्तर कोरिया के उपराजदूत किम इन-रयोंग ने कहा कि यहां पर कभी भी परमाणु युद्ध भड़क सकता है. संयुक्त राष्ट्र आम सभा की निशस्त्रीकरण समिति के सामने उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया दुनिया में अकेला देश है, जिसे 1970 के दशक से अमेरिकी परमाणु हमले के प्रत्यक्ष खतरे का सामना करना पड़ रहा है. (विस्तार से)
माल्टा : पनामा पेपर्स जांच का नेतृत्व करने वाली खोजी पत्रकार की कार बम धमाके में मौत
माल्टा की चर्चित खोजी पत्रकार डैफनी करुआना गलीजिया की एक कार बम धमाके में मौत हो गई. सोमवार को घर से निकलने के बाद उनकी कार में एक जबरदस्त धमाका हुआ, जिससे उनकी मौके पर मौत हो गई. डैफनी करुआना गलीजिया ने पनामा पेपर्स के जरिए अपने देश में विदेशी टैक्स हैवन से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों का खुलासा किया था. (विस्तार से)
अफगानिस्तान : अलग-अलग आतंकी हमलों में 61 लोगों की मौत
अफगानिस्तान में तालिबान के घातक हमलों का सिलसिला जारी है. तालिबान ने मंगलवार को दो प्रांतों में हमला किया, जिसमें कम से कम 61 लोग मारे गए. तालिबान ने पाकतिया प्रांत की राजधानी गारदेज में अफगान पुलिस मुख्यालय को निशाना बनाकर आत्मघाती कार बम धमाका किया. इसमें प्रांत के पुलिस प्रमुख सहित कम से कम 33 लोग मारे गए और 160 से ज्यादा घायल हो गए. (विस्तार स��)
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एक दिन पीएम मोदी कह दे – बीजेपी के साथ आ जाने से ही भ्रष्टाचार दूर हो जाता है रवीश कुमार भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने के लिए धर्मनिरपेक्षता का इस्तमाल नहीं हो सकता है। स्वागत योग्य कथन है। आजकल हर दूसरे राजनीतिक लेख में ये लेक्चर होता है। ऐसा लगता है कि धर्मनिरपेक्षता की वजह से ही भारत में भ्रष्टाचार है। ऐसे बताया जा रहा है कि धर्मनिरपेक्षता न होती तो भारत में कोई राजनीतिक बुराई न होती। सारी बुराई की जड़ धर्मनिरपेक्षता है। मुझे हैरानी है कि कोई सांप्रदायिकता को दोषी नहीं ठहरा रहा है। क्या भारत में सांप्रदायिकता समाप्त हो चुकी है? क्या वाकई नेताओं ने भ्रष्टाचार इसलिए किया कि धर्मनिरपेक्षता बचा लेगी? भ्रष्टाचार से तंत्र बचाता है या धर्मनिरपेक्षता बचाती है ? हमारे नेताओं में राजनीतिक भ्रष्टाचार पर खुलकर बोलने की हिम्मत नहीं बची है। लड़ने की बात छोड़ दीजिए। यह इस समय का सबसे बड़ा झूठ है कि भारत का कोई राजनीतिक दल भ्रष्टाचार से लड़ रहा है। भारत में लोकपाल को लेकर दो साल तक लोगों ने लड़ाई लड़ी। संसद में बहस हुई और 2013 में कानून बन गया। 4 साल हो गए मगर लोकपाल नियुक्त नहीं हुआ है। बग़ैर किसी स्वायत्त संस्था के भ्रष्टाचार से कैसे लड़ा जा रहा है? लड़ाई की विश्वसनीयता क्या है? इसी अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के हर बहाने को खारिज कर दिया और कहा कि लोकपाल नियुक्त होना चाहिए। नेता विपक्ष का नहीं होना लोकपाल की नियुक्ति में रुकावट नहीं है। अप्रैल से अगस्त आ गया, लोकपाल का पता नहीं है। क्या आपने भ्रष्टाचार के लिए धर्मनिरपेक्षता को ज़िम्मेदार ठहराने वाले किसी भी नेता को लोकपाल के लिए संघर्ष करते देखा है? 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने एस आई टी का गठन किया था कि वो भ्रष्टाचार का पता लगाए। 2011 से 2014 तक तो एस आई टी बनी ही नहीं जबकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश था। उसी के आदेश से जब मोदी सरकार ने 27 मई 2014 को एस आई टी का गठन किया तब सरकार ने इसका श्रेय भी लिया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी लड़ाई का प्रमाण यही है कि पहला आदेश इसी से संबंधित था। क्या आप जानते हैं कि इस एस आई टी के काम का क्या नतीजा निकला है? एस आई टी की हालत भी कमेटी जैसी हो गई है। इसके रहते हुए भी भारतीय रिजर्व बैंक उन लोगों के नाम सार्वजनिक करने से रोकता है जिन्होंने बैंकों से हज़ारों करोड़ लोन लेकर नहीं चुकाया है और इस खेल में भ्रष्टाचार के भी आरोप हैं। क्या भ्रष्टाचार से लड़ने वाले नेता नाम ज़ाहिर करने की मांग करेंगे? ऐसा नहीं है कि भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ कुछ नहीं हो रहा है। जितना हो रहा है,उतना तो हर दौर में होता ही रहता है। लेकिन न तो बड़ी लड़ाई लड़ी जा रही है न सीधी लड़ाई। लड़ाई के नाम पर चुनिंदा लड़ाई होती है। बहुत चतुराई से नोटबंदी, जी एस टी और आधार को इस लड़ाई का नायक बना दिया गया है। काला धन निकला नहीं और भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ाई का एलान भी हो गया है। नोटबंदी के दौरान कहा गया था कि पांच सौ और हज़ार के जितने नोट छपे हैं, उससे ज़्यादा ��लन में हैं। जब ये नोट वापस आएंगे तो सरकार को पता चलेगा कि कितना काला धन था। नौ महीने हो गए मगर भारतीय रिज़र्व बैंक नहीं बता पाया कि कितने नोट वापस आए। अब कह रहा है कि नोट गिने जा रहे हैं और उसके लिए गिनने की मशीनें ख़रीदी जाएंगी। क्या बैंकों ने बिना गिने ही नोट रिज़र्व बैंक को दिये होंगे? कम से कम उसी का जोड़ रिजर्व बैंक बता सकता था। तर्क और ताकत के दम पर सवालों को कुचला जा रहा है। सिर्फ विरोधी दलों के ख़िलाफ़ इन्हें मुखर किया जाता है। यही रिज़र्व बैंक सुप्रीम कोर्ट से कहता है कि जिन लोगों ने बैंकों के हज़ारों करोड़ों रुपये के लोन का गबन किया है, डुबोया है, उनके नाम सार्वजनिक नहीं होने चाहिए। भ्रष्टाचार की लड़ाई में जब नेता का नाम आता है तो छापे से पहले ही मीडिया को बता दिया जाता है, जब कारपोरेट का नाम आता है तो सुप्रीम कोर्ट से कहा जाता है कि नाम न बतायें। ये कौन सी लड़ाई है? क्या इसके लिए भी धर्मनिरपेक्षता दोषी है? पिछले साल इंडियन एक्सप्रेस ने पूरे अप्रैल के महीने में पनामा पेपर्स के बारे में रिपोर्ट प्रकाशित किया। 500 से अधिक भारतीयों ने पनामा पेपर्स के ज़रिये अपना पैसा बाहर लगाया है। इसमें अदानी के बड़े भाई, अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्य राय बच्चन, इंडिया बुल्स के समीर गहलोत जैसे कई बड़े नाम हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेटे का भी नाम आया। अभिषेक सिंह तो बीजेपी सांसद हैं। सबने खंडन करके काम चला लिया। सरकार ने दबाव में आकर जांच तो बिठा दी मगर उस जांच को लेकर कोई सक्रियता नहीं दिखती है जितनी विपक्ष के नेताओं के यहां छापे मारने और पूछताछ करने में दिखती है। अदानी के बारे में जब इकनोमिक एंड पोलिटकल वीकली में लेख छपा तो संपादक को ही हटा दिया गया। ठीक है कंपनी ने नोटिस भेजा लेकिन क्या सरकार ने संज्ञान लिया? क्या धर्मनिरपेक्षता को गरियाते हुए भ्रष्टाचार से लड़ने वाले किसी नेता या दल ने जांच की मांग की। A FEAST OF VULTURES एक किताब आई है, इसके लेखक हैं पत्रकार JOSY JOSEPH। इस किताब में बिजनेस घराने किस तरह से भारत के लोकतंत्र का गला घोंट रहे हैं, उसका ब्योरा है। जोसेफ़ ने लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट की बनाई एस आई टी के सामने भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा मामला अदानी ग्रुप का आया है। लेखक को प्रत्यर्पण निदेशालय के सूत्रों ने बताया है कि अगर सही जांच हो जाए तो अदानी समूह को पंद्रह हज़ार करोड़ रुपये का जुर्माना भरना पड़ सकता है। आप सभी जानते ही होंगे कि अदानी ग्रुप किस नेता और सत्ता समूह के करीबी के तौर पर देखा जाता है। क्या इस लड़ाई के ख़िलाफ़ कोई नेता बोल रहा है? सिर्फ दो चार पत्रकार ही क्यों बोलते है? उन्हें तो अपनी नौकरी गँवानी पड़��ी है लेकिन क्या किसी नेता ने बोलकर कुर्सी गँवाने का जोखिम उठाया ? THEWIRE.IN ने जोसी जोसेफ़ की किताब की समीक्षा छापी है। कारपोरेट करप्शन को लेकर वायर की साइट पर कई ख़बरें छपी हैं मगर धर्मनिरपेक्षता को गरियाते हुए भ्रष्टाचार से लड़ने वाले नेताओं और विश्लेषकों के समूह ने नज़रअंदाज़ कर दिया। लालू यादव के परिवार के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार को लेकर लिखने वाले तमाम लेखकों का लेख छान लीजिए, एक भी लेख कारपोरेट भ्रष्टाचार के आरोपों पर नहीं मिलेगा जो मौजूदा सत्ता प्रतिष्ठा से संबंध रखते हैं। इसका मतलब यह नहीं कि लालू यादव के भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ कार्रवाई ग़लत है, ग़लत है यह कहना कि सरकार ने भ्रष्टाचार के ख़िलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान छेड़ रखा है। इसी फरवरी में प्रशांत भूषण,योगेंद्र यादव और कालिखो पुल की पहली पत्नी ने प्रेस कांफ्रेंस की। अरुणालच प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कालिखो पुल ने आत्महत्या कर ली थी। उनके सुसाइड नोट को कोई मीडिया छाप नहीं रहा था। THEWIRE.IN ने छाप दिया। उसमें सुप्रीम कोर्ट के जजों पर रिश्वत मांगने के संगीन आरोप लगाए गए थे। किसी ने उस आरोप का संज्ञान नहीं लिया। इसके बावजूद देश में एलान हो गया कि भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ जंग हो रहा है। मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले से लेकर महाराष्ट्र का सिंचाई घोटाला। सब पर चुप्पी है। ऐसे अनेक उदाहरण दिये जा सकते हैं। आज अगर सारे दल एकतरफ हो जाए, बीजेपी में शामिल हो जाएं तो हो सकता है कि एक दिन प्रधानमंत्री टीवी पर आकर एलान कर दें कि भारत से राजनीतिक भ्रष्टाचार ख़त्म हो गया है क्योंकि सभी मेरे साथ आ गए हैं। कांग्रेस के सारे विधायक आ गए हैं और बाकी सारे दल। लोकपाल की ज़रूरत नहीं है। बीजेपी के साथ आ जाने से ही भ्रष्टाचार दूर हो जाता है। राजनीति में भ्रष्टाचार और परिवारवाद धर्मनिरपेक्षता के कारण है, यह हमारे समय का सबसे बड़ा झूठ है। बीजेपी के भीतर और उसके तमाम सहयोगी दलों में परिवारवाद है। शिवसेना, लोक जनशक्ति पार्टी, अपना दल, अकाली दल में परिवारवाद नहीं तो क्या लोकतंत्र है? क्या वहां परिवारवाद धर्मनिरपेक्षता के कारण फला फूला है। सबका सामाजिक जातिगत आधार भी तो परिवारवाद की जड़ में है। दक्षिण भारत के तमाम दलों में परिवारवाद है। तेलंगाना राष्ट्र समिति के अध्यक्ष के बेटे राज्य चला रहे हैं। तेलगु देशम पार्टी के मुखिया और एन डी ए के सहयोगी चंद्रबाबू नायडू के बेटे भी वारिस बन चुके हैं। क्या बीजेपी नायडू पर परिवारवाद के नाम पर हमला करेगी? क्या नायडू के घर में भी धर्मनिरपेक्षता ने परिवारवाद को पाला है? बिहार के नए मंत्रिमंडल में रामविलास पासवान के भाई मंत्री बने हैं, जो किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं, वो बिहार सरकार में मंत्री बने हैं। क्या इस परिवारवाद के लिए भी धर्मनिरपेक्षता दोषी है? कांग्रेस, राजद और सपा बसपा का परिवारवाद बुरा है। अकाली लोजपा, शिवसेना, टी डी पी, टी आर एस का परिवारवाद बुरा नहीं है। बीजेपी के भीतर नेताओं के अनेक वंशावलियां मिल जाएंगी। बीजेपी के इन वारिसों केलिए कई संसदीय क्षेत्र और विधानसभा क्षेत्र रिज़र्व हो गए हैं। एक ही बड़ा फर्क है। वो यह कि बीजेपी का अध्यक्ष पद कांग्रेस की तरह परिवार के नाम सुरक्षित नहीं है। लेकिन बीजेपी का अध्यक्ष भी उसी परिवारवादी परंपरा से चुना जाता है जिसे हम संघ परिवार के नाम से जानते हैं। वहां भी अध्यक्ष ऊपर से ही थोपे जाते हैं। कोई घनघोर चुनाव नहीं होता है। जिन दलों में परिवारवाद नहीं है, यह मान लेना बेवकूफी होगी कि वहां सबसे अच्छा लोकतंत्र है। ऐसे दलों में व्यक्तिवाद है। व्यक्तिवाद भी परिवारवाद है। कंचन चंद्रा की एक किताब है Dynasties: state, party and family in contemporary Indian Politics । कंचन चंद्रा ने बताया है कि तीन लोकसभा चुनावों के दौरान किस दल में परिवारवाद का कितना प्रतिशत रहा है। अभी 2014 के चुनाव के बाद चुने गए सांसदों के हिसाब से ही यह प्रतिशत देख लेते हैं। आई डी एम के में 16.22 प्रतिशत सांसद परिवारवादी हैं। भारतीय जनता पार्टी में 14.89 प्रतिशत सांसद परिवारवादी हैं। सी पी एम में भी परिवारवाद का प्रतिशत 11 है। सीपीआई में तो 100 फीसदी है। राजद और जदयु के सांसदों में परिवारवाद का प्रतिशत शून्य है। कांग्रेस में सबसे अधिक 47.73 प्रतिशत हैं। एन सी पी में 33.33 प्रतिशत है। अकाली दल में 25 प्रतिशत है। मतलब जितने सांसद चुन कर आए हैं उनमें से कितने ऐसे हैं जिनके परिवार के सदस्य पहले सांसद वगैरह रह चुके हैं। इस किताब के अनुसार 2004 में लोकसभा में 20 प्रतिशत सांसद ऐसे पहुंचे जो परिवारवादी कोटे से थे। 2009 में इनका प्रतिशत बढ़कर 30.07 हो गया और 2014 में घटकर 21.92 प्रतिशत हो गया क्योंकि कई दलों का खाता ही नहीं खुला। बीजेपी जो परिवारवाद से लड़ने का दावा करती है उसमें परिवारवादी सांसदों का प्रतिशत बढ़ गया। 2004 में चुने गए सांसदों में 14.49 प्रतिशत परिवारवादी थे, 2009 में 19.13 प्रतिशत हो गए और 2014 में 14.89 प्रतिशत। परिवारवाद बीजेपी में भी है, सहयोगी दलों में है और कांग्रेस से लेकर तमाम दलों में है। इससे मुक्त कोई दल नहीं है। इसलिए भारतीय राजनीति में परिवारवाद और भ्रष्टाचार के लिए धर्मनिरपेक्षता को दोषी ठहराना ठीक नहीं है। धर्मनिरपेक्षता भारतीय राजनीति की आत्मा है। अब कोई इसे कुचल देना चाहता है तो अलग बात है। परिवारवाद के आंकड़े और भ्रष्टाचार के चंद मामलों से साफ है कि न तो कोई परिवारवाद से लड़ रहा है न ही भ्रष्टाचार से और न ही कोई धर्मनिरपेक्षता के लिए लड़ रहा है। बस परिवारवाद और भ्रष्टाचार को लेकर कोई ठोस सवाल न पूछे इसलिए धर्मनिरपेक्षता को शैतान की तरह पेश किया जा रहा है ताकि लोग उस पर पत्थर मारने लगें। किसी को धोखे में रहना है कि भ्रष्टाचार से लड़ा जा रहा है और कम हो रहा है तो उसका स्वागत है। चुनावी जीत का इस्तमाल हर सवाल के जवाब के रूप में किया जाना ठीक नहीं है। क्या कल यह भी कह दिया जाएगा कि चूंकि बीजेपी पूरे भारत में जीत रही है इसलिए भारत से ग़रीबी ख़त्म हो गई है, बेरोज़गारी ख़त्म हो गई? आज राजनीतिक दलों को पैसा को��पोरेट से आता है। उसके बदले में कोरपोरेट को तरह तरह की छूट दी जाती है। जब भी किसी कारपोरेट का नाम आता है सारे राजनीतिक दल चुप हो जाते हैं। भ्रष्टाचार से लड़ने वाले भी और नहीं लड़ने वाले भी। आप उनके मुंह से इन कंपनियों के नाम नहीं सुनेंगे। इसलिए बहुत चालाकी से दो चार नेताओं के यहां छापे मारकर, उन्हें जेल भेज कर भ्रष्टाचार से लड़ने का महान प्रतीक तैयार किया है ताकि कोरपोरेट करप्शन की तरफ किसी का ध्यान न जाए। वर्ना रेलवे में ख़राब खाना सप्लाई हो रहा है। क्या यह बगैर भ्रष्टाचार के मुमकिन हुआ होगा? सी ए जी ने यह भी कहा गया कि बीमा कंपनियों को बिना शर्तों को पूरा किए ही तीन हज़ार करोड़ रुपये दे दिये गए। सी ए जी इन बीमा कंपनियों को आडिट नहीं कर सक��ी जबकि सरकार उन्हें हज़ारों करोड़ रुपये दे रही है। लिहाज़ा यह जांच ही नहीं हो पाएगा कि बीमा की राशि सही किसान तक पहुंची या नहीं। अब किसी को यह सब नहीं दिख रहा है तो क्या किया जा सकता है। बीजेपी से पूछना चाहिए कि उसने नीतीश कुमार पर भ्रष्टाचार के जो आरोप लगाए थे क्या वे सभी झूठे थे? क्या बीजेपी ने इसके लिए माफी मांग ली है? क्या प्रधानमंत्री चुनावों के दौरान नीतीश कुमार पर झूठे आरोप लगा रहे थे? दरअसल खेल दूसरा है। धर्मनिरेपक्षता की आड़ में बीजेपी को इन सवालों से बचाने की कोशिश हो रही है ताकि उससे कोई सवाल न करे। आज समस्या राष्ट्रवाद की आड़ में सांप्रदायिकता है लेकिन उस पर कोई नहीं बोल रहा है। धर्मनिरपेक्षता सबसे कमज़ोर स्थिति में है तो सब उस पर हमले कर रहे हैं। बीजेपी के साथ जाने में कोई बुराई नहीं है। बहुत से दल शान से गए हैं और साथ हैं। भारत में खेल दूसरा हो रहा है। भ्रष्टाचार से लड़ने के नाम पर व्यापक भ्रष्टाचार को छुपाया जा रहा है। कोरपोरेट करप्शन पर चुप्पी साधी जा रही है। धर्मनिरपेक्षता का इस्तमाल उस व्यापक भ्रष्टाचार पर चुप्पी को ढंकने के लिए हो रहा है। यह सही है कि भारत में न तो कोई राजनीतिक दल धर्मनिरपेक्षता को लेकर कभी ईमानदार रहा है न ही भ्रष्टाचार मिटाने को लेकर। धर्मनिरपेक्षता का इस्तमाल सब करते हैं। जो इसमें यकीन करते हैं वो भी, जो इसमें यकीन नहीं करते हैं वो भी। इसी तरह भ्रष्टाचार का इस्तमाल सब करते हैं। लड़ने वाले भी और नहीं ल़ड़ने वाले भी। नोट: आपको एक जंत्री देता हूं। गांधी जी की तरह। अगर भ्रष्टाचार से लड़ाई हो रही है तो इसका असर देखने के लिए राजनीतिक दलों की रैलियों में जाइये। उनके रोड शो में जाइये। आसमान में उड़ते सैंकड़ों हेलिकाप्टर की तरफ देखिये। उम्मीदवारों के ख़र्चे और विज्ञापनों की तरफ देखिये। आपको कोई दिक्कत न हो इसलिए एक और जंत्री देता हूं। जिस राजनीतिक दल के कार्यक्रमों में ये सब ज़्यादा दिखे, उसे ईमानदार घोषित कर दीजिए। जीवन में आराम रहेगा। टाइम्स आफ इंडिया और डी एन ए को यह जंत्री पहले मिल गई थी तभी दोनों ने अमित शाह की संपत्ति में तीन सौ वृद्धि की ख़बर छापने के बाद हटा ली।
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वैश्विक कर चोरी घोटाले में जयंत सिन्हा सहित 714 भारतीयों के नाम has been published on PRAGATI TIMES
वैश्विक कर चोरी घोटाले में जयंत सिन्हा सहित 714 भारतीयों के नाम
नई दिल्ली,(आईएएनएस)| केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा, भाजपा सांसद रविंद्र किशोर सिन्हा, कांग्रेस नेता सचिन पायलट, पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति सहित सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के नाम वैश्विक कर चोरी घोटाले में सामने आए 714 भारतीयों के नामों की सूची में शामिल है।
‘पैराडाइज पेपर्स’ खुलासे को लेकर सोमवार को आई रपट में राजनीतिक व फिल्मी हस्तियों के अलावा कॉरपोरेट जगत के लोग व कंपनियों के नाम भी विदेशों में धन छिपाने वालों की फेहरिस्त में शामिल है। रपट में गोपनीय ढंग से कर बचाकर सबसे ज्यादा धन विदेशों में जमा करने वाले नागरिकों वाले 180 देशों की सूची में 714 भारतीयों के नामों के साथ भारत का स्थान 19वां है। गुप्त जगहों से प्राप्त एक करोड़ 34 लाख दस्तावेजों से उपर्युक्त आंकड़ों व नामों का खुलासा हुआ है, जिसे पैराडाइज पेपर्स कहा गया है। गौर करने की बात यह है कि पैराडाइज पेपर्स का खुलासा पनामा लीक के दो साल बाद हुआ है, जबकि सरकार दो दिन बाद विमुद्रीकरण की सालगिरह पर कालाधन रोधी दिवस मनाने जा रही है। अंतर्राष्ट्रीय खोजी पत्रकार संघ यानी आईसीजेआईजे द्वारा विश्वस्तर पर की गई जांच का हिस्सा रहे इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, वित्तीय मामलों के इस खुलासे में जो आंकड़े प्रकाश में आए हैं, वे दो कंपनियों से संबंधित हैं-बरमूडा की एप्पलबाय और सिंगापुर की एसिया सिटी। साथ ही, दुनियाभर में 19 कर मुक्त क्षेत्र यानी टैक्स हेवेन के नाम भी शामिल हैं, जोकि अमीर लोगों को अपना धन गुप्त रखने में मददगार हैं। दिलचस्प बात यह है कि नंदलाल खेमका द्वारा स्थापित सन ग्रुप एक भारतीय कंपनी है, जोकि 118 विदेशी संस्थाओं के साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एप्पलबाय का दूसरा सबसे बड़ा ग्राहक है। खुलासे में प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, एप्पलबाय के भारतीय ग्राहकों में कई प्रमुख कॉरपोरेट्स और कंपनियां शामिल हैं, जो बाद में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी जांच एजेंसियों की जांच की जद में भी आई हैं। इनमें सनटीवी-एयरसेल-मैक्सिस मामला, एस्सार-लूप टूजी मामला और एसएनएस-लवलीन, जिसमें केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन का नाम आया था, जिसे बाद में हटा दिया गया, शामिल हैं। इसके साथ-साथ राजस्थान का एंबुलेंस घोटाला, जिसकी जांच हाल ही में सीबीआई को सौंपी गई है और जिसमें जिक्विस्टा हेल्थकेयर (शुरुआत में सचिन पायलट ओर कार्ति चिदंबरम इनमें अवैतनिक व स्वतंत्र निदेशक थे), और ताजा वित्तीय खुलासे में जो लिंक सामने आए हैं, उनमें वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी के खिलाफ सीबीआई का मामला शामिल है। नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा का भी नाम इसमें आया है, क्योंकि वह पहले उमीदयार नेटवर्क से जुड़े थे। वहीं, माल्टा की अपतटीय कंपनियों की सूची में भाजपा के राज्यसभा सदस्य आर.के. सिन्हा का भी नाम शामिल है। एक्सप्रेस की ओर से इस संबंध में पूछे जाने पर सिन्हा ने किसी प्रकार के कदाचार से इनकार किया है। उन्होंने सोमवार को ट्वीट करके कहा कि अधिकारियों को पूरी जानकारी स्पष्टतौर पर दी गई है। कॉरपोरेट के अलावा इसमें कुछ व्यक्तिगत नाम भी हैं। बरमूडा कंपनी में अमिताभ बच्चन की हिस्सेदारी, कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया और फिल्म अभिनेता संजय दत्त की पत्नी, जो अपने पूर्व नाम दिलनशीं से इस सूची में शामिल हैं। जयंत सिन्हा ने सोमवार को इस संबंध में किसी प्रकार की हेराफेरी की बात से इन्कार किया है और कहा कि उनसे संबंधित जो कुछ भी लेन-देन है, उसका पूरा खुलासा संबद्ध प्राधिकारों से किया गया है और वह सब आधिकारिक रूप से हुआ है न कि व्यक्तिगत तौर प���। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि कुछ प्रामाणिक व कानूनी तरीके से उमीदयार नेटवर्क में साझेदार के तौर पर मेरी जिम्मेदारी में विश्व की प्रतिष्ठित व अग्रणी संस्था की ओर से लेन-देन हुई थी। एक्सप्रेस के अनुसार, जयंत सिन्हा ने 2014 में लोकसभा चुनाव के लिए बतौर उम्मीदवार अपने आवेदन में चुनाव आयोग के समक्ष इसकी घोषणा नहीं की थी। इसके बाद 2016 में राज्यमंत्री के तौर पर भी उन्होंने लोकसभा सचिवालय व प्रधानमंत्री कार्यालय को इस आशय की जानकारी नहीं दी थी। कांग्रेस जयंत सिन्हा के इस बचाव से संतुष्ट नहीं है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि प्रधानमंत्री की कालाधन व भ्रष्टाचार के खिलाफ तथाकथित लड़ाई पूरी तरह नाकामयाब है। वहीं, सचिन पायलट के संबंध में सुरजेवाला ने कहा कि सीबीआई और ईडी पहले से ही मामले की जांच कर रही हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सरकार सूची में शामिल सबके खिलाफ जांच करवाएगी। उधर, भाजपा के राज्यसभा सदस्य इस संबंध में अभी मौन साधे हुए हैं।
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वैश्विक कर चोरी घोटाले में जयंत सिन्हा सहित 714 भारतीयों के नाम has been published on PRAGATI TIMES
वैश्विक कर चोरी घोटाले में जयंत सिन्हा सहित 714 भारतीयों के नाम
नई दिल्ली,(आईएएनएस)| केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा, भाजपा सांसद रविंद्र किशोर सिन्हा, कांग्रेस नेता सचिन पायलट, पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति सहित सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के नाम वैश्विक कर चोरी घोटाले में सामने आए 714 भारतीयों के नामों की सूची में शामिल है।
‘पैराडाइज पेपर्स’ खुलासे को लेकर सोमवार को आई रपट में राजनीतिक व फिल्मी हस्तियों के अलावा कॉरपोरेट जगत के लोग व कंपनियों के नाम भी विदेशों में धन छिपाने वालों की फेहरिस्त में शामिल है। रपट में गोपनीय ढंग से कर बचाकर सबसे ज्यादा धन विदेशों में जमा करने वाले नागरिकों वाले 180 देशों की सूची में 714 भारतीयों के नामों के साथ भारत का स्थान 19वां है। गुप्त जगहों से प्राप्त एक करोड़ 34 लाख दस्तावेजों से उपर्युक्त आंकड़ों व नामों का खुलासा हुआ है, जिसे पैराडाइज पेपर्स कहा गया है। गौर करने की बात यह है कि पैराडाइज पेपर्स का खुलासा पनामा लीक के दो साल बाद हुआ है, जबकि सरकार दो दिन बाद विमुद्रीकरण की सालगिरह पर कालाधन रोधी दिवस मनाने जा रही है। अंतर्राष्ट्रीय खोजी पत्रकार संघ यानी आईसीजेआईजे द्वारा विश्वस्तर पर की गई जांच का हिस्सा रहे इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, वित्तीय मामलों के इस खुलासे में जो आंकड़े प्रकाश में आए हैं, वे दो कंपनियों से संबंधित हैं-बरमूडा की एप्पलबाय और सिंगापुर की एसिया सिटी। साथ ही, दुनियाभर में 19 कर मुक्त क्षेत्र यानी टैक्स हेवेन के नाम भी शामिल हैं, जोकि अमीर लोगों को अपना धन गुप्त रखने में मददगार हैं। दिलचस्प बात यह है कि नंदलाल खेमका द्वारा स्थापित सन ग्रुप एक भारतीय कंपनी है, जोकि 118 विदेशी संस्थाओं के साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एप्पलबाय का दूसरा सबसे बड़ा ग्राहक है। खुलासे में प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, एप्पलबाय के भारतीय ग्राहकों में कई प्रमुख कॉरपोरेट्स और कंपनियां शामिल हैं, जो बाद में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी जांच एजेंसियों की जांच की जद में भी आई हैं। इनमें सनटीवी-एयरसेल-मैक्सिस मामला, एस्सार-लूप टूजी मामला और एसएनएस-लवलीन, जिसमें केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन का नाम आया था, जिसे बाद में हटा दिया गया, शामिल हैं। इसके साथ-साथ राजस्थान का एंबुलेंस घोटाला, जिसकी जांच हाल ही में सीबीआई को सौंपी गई है और जिसमें जिक्विस्टा हेल्थकेयर (शुरुआत में सचिन पायलट ओर कार्ति चिदंबरम इनमें अवैतनिक व स्वतंत्र निदेशक थे), और ताजा वित्तीय खुलासे में जो लिंक सामने आए हैं, उनमें वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी के खिलाफ सीबीआई का मामला शामिल है। नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा का भी नाम इसमें आया है, क्योंकि वह पहले उमीदयार नेटवर्क से जुड़े थे। वहीं, माल्टा की अपतटीय कंपनियों की सूची में भाजपा के राज्यसभा सदस्य आर.के. सिन्हा का भी नाम शामिल है। एक्सप्रेस की ओर से इस संबंध में पूछे जाने पर सिन्हा ने किसी प्रकार के कदाचार से इनकार किया है। उन्होंने सोमवार को ट्वीट करके कहा कि अधिकारियों को पूरी जानकारी स्पष्टतौर पर दी गई है। कॉरपोरेट के अलावा इसमें कुछ व्यक्तिगत नाम भी हैं। बरमूडा कंपनी में अमिताभ बच्चन की हिस्सेदारी, कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया और फिल्म अभिनेता संजय दत्त की पत्नी, जो अपने पूर्व नाम दिलनशीं से इस सूची में शामिल हैं। जयंत सिन्हा ने सोमवार को इस संबंध में किसी प्रकार की हेराफेरी की बात से इन्कार किया है और कहा कि उनसे संबंधित जो कुछ भी लेन-देन है, उसका पूरा खुलासा संबद्ध प्राधिकारों से किया गया है और वह सब आधिकारिक रूप से हुआ है न कि व्यक्तिगत तौर पर। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि कुछ प्रामाणिक व कानूनी तरीके से उमीदयार नेटवर्क में साझेदार के तौर पर मेरी जिम्मेदारी में विश्व की प्रतिष्ठित व अग्रणी संस्था की ओर से लेन-देन हुई थी। एक्सप्रेस के अनुसार, जयंत सिन्हा ने 2014 में लोकसभा चुनाव के लिए बतौर उम्मीदवार अपने आवेदन में चुनाव आयोग के समक्ष इसकी घोषणा नहीं की थी। इसके बाद 2016 में राज्यमंत्री के तौर पर भी उन्होंने लोकसभा सचिवालय व प्रधानमंत्री कार्यालय को इस आशय की जानकारी नहीं दी थी। कांग्रेस जयंत सिन्हा के इस बचाव से संतुष्ट नहीं है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि प्रधानमंत्री की कालाधन व भ्रष्टाचार के खिलाफ तथाकथित लड़ाई पूरी तरह नाकामयाब है। वहीं, सचिन पायलट के संबंध में सुरजेवाला ने कहा कि सीबीआई और ईडी पहले से ही मामले की जांच कर रही हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सरकार सूची में शामिल सबके खिलाफ जांच करवाएगी। उधर, भाजपा के राज्यसभा सदस्य इस संबंध में अभी मौन साधे हुए हैं।
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प्रसिद्धि से मुक्ति, शांति चाहता हूं : अमिताभ has been published on PRAGATI TIMES
प्रसिद्धि से मुक्ति, शांति चाहता हूं : अमिताभ
मुंबई,(आईएएनएस)| बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन का कहना है कि 75 साल की उम्र में वह प्रसिद्धि से मुक्ति और शांति चाहते हैं।
उनकी ख्याति के कारण उन पर बोफोर्स घोटाले, पनामा पेपर्स और हाल में अपनी संपत्ति पर ‘अवैध निर्माण’ के मामले में आरोप लगे। अमिताभ ने रविवार को अपने ब्लॉग पर एक पोस्ट में कहा, “इस उम्र में मुझे शोहरत से मुक्ति और शांति चाहिए। अपने जीवन के आखरी कुछ वर्षो में मैं अपने साथ अकेला रहना चाहता हूं..मुझे उपाधि नहीं चाहिए..मैं उससे घृणा करता हूं..मैं सुर्खियों की तलाश नहीं करता, मैं उसके लायक नहीं हूं..मैं प्रशंसा नहीं चाहता..मैं उसके योग्य नहीं हूं।” उनके वकील ने मुंबई के गोरेगांव पूर्व में बृहन्मुंबई नगर निगम(बीएमसी) द्वारा भेजे गए नोटिस के संबंध में अभिनेता की संपत्ति पर किसी भी अवैध निर्माण से इनकार कर दिया, जिसके कुछ दिन बाद अमिताभ ने यह पोस्ट किया है। एक बड़े से पोस्ट में अमिताभ ने लिखा है, “उस नोटिस को मुझे अभी भी देखना है, लेकिन शायद उसके आने का समय आ गया है। कई बार जब मुझ पर आरोप लगते हैं तो मैं उन्हें सही तरीके से हल करने का प्रयास करता हूं, लेकिन कभी-कभी चुप रहना ही बुद्धिमानी होती है।” बीएमसी के आरोप जैसे मुद्दे पर उन्होंने लिखा, “मीडिया के बजाय व्यवस्था को इसका हल निकालना चाहिए।” अमिताभ ने बोफोर्स घोटाले पर लिखा, “कई वर्षो तक हमें परेशान किया गया, गद्दार घोषित किया गया, हमारे साथ दुर्व्यवहार किया गया और हमें अपमानित किया गया।” अमिताभ ने कहा कि इस घोटाले से उनके नाम को हटने में 25 साल लग गए। उन्होंने लिखा, “जब मीडिया यह समाचार भारत लेकर आया, उन्होंने मुझ से पूछा कि मैं इस बारे में क्या करूंगा..क्या मैं यह जानने की कोशिश करूंगा कि यह किसने किया या अपना प्रतिशोध लूंगा।” अमिताभ ने लिखा, “कौन सा प्रतिशोध और जानकारी मैं चाहूंगा? क्या यह उन दुखों और मानसिक यातनाओं को दूर कर सकेगा, जिससे हम वर्षो तक गुजरे हैं। क्या हमारा इलाज कर सकेगा.. क्या यह हमें आराम दे पाएगा? नहीं, यह नहीं होगा.. तो मैंने मीडिया से कहा कि मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता.. यह मामला मेरे लिए खत्म हो गया है।” अमिताभ ने पनामा पेपर्स मामले पर लिखा, “हमसे प्रतिक्रिया मांग�� गई.. इन आरोपों का खंडन करने और नाम का गलत इस्तेमाल करने के कारण हमारी तरफ से दो बार जवाब दिया गया। उन्हें छापा भी गया, लेकिन सवाल बरकार रहे।” अमिताभ ने आगे लिखा, “एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में हमने हमेशा पूरा सहयोग किया और इसके बाद भी अगर और जांच होगी तो हम पूरा सहयोग करेंगे।” अमिताभ बच्चन ने ब्लॉग का अंत यहूदियों के एक चुटकुले से किया है।
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