#पथरी के घरेलू उपाय
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क्या आपको पित्ताशय की पथरी की समस्या है? चिंता न करें! इस लेख में हमने बताएं हैं 10 आसान तरीके, जिनसे आप पित्ताशय की पथरी से छुटकारा पा सकते हैं। जानिए इन उपायों को अपनाकर स्वस्थ जीवन का आनंद लें।
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Understanding and Dealing with Tonsil Stones In Hindi
टॉन्सिल स्टोन, जिसे वैज्ञानिक रूप से टॉन्सिलोलिथ्स के रूप में जाना जाता है, एक आम लेकिन अक्सर नजरअंदाज की जाने वाली समस्या है जो असुविधा और शर्मिंदगी का कारण बन सकती है। ये छोटे, कठोर द्रव्यमान टॉन्सिल की दरारों में बनते हैं और सांसों की दुर्गंध से लेकर गले में खराश तक के लक्षण पैदा कर सकते हैं। इस व्यापक मार्गदर्शिका में, हम टॉन्सिल पथरी के कारणों, लक्षणों, रोकथाम की रणनीतियों और उपचार के विकल्पों का पता लगाएंगे, जिससे आपको इस सामान्य स्थिति को प्रबंधित करने के लिए बहुमूल्य जानकारी मिलेगी।
टॉन्सिल स्टोन के लक्षण और लक्षण: टॉन्सिल स्टोन हमेशा आसानी से ध्यान देने योग्य नहीं होते हैं, लेकिन वे अक्सर लक्षणों का निशान छोड़ जाते हैं जो हैरान करने वाले और परेशान करने वाले दोनों हो सकते हैं। सबसे आम संकेत लगातार खराब सांस है, जिसे वैज्ञानिक रूप से हेलिटोसिस कहा जाता है। ऐसा तब होता है जब मुंह में बैक्टीरिया टॉन्सिल दरारों में जमा मलबे पर कार्य करते हैं, जिससे दुर्गंधयुक्त गैसें निकलती हैं।
सांसों की दुर्गंध के साथ-साथ, टॉन्सिल स्टोन वाले व्यक्तियों को गले में खराश और निगलने में कठिनाई का अनुभव हो सकता है। इन छोटे, कैल्सीफाइड पिंडों की उपस्थिति से कान में दर्द और सामान्य असुविधा भी हो सकती है। टॉन्सिल स्टोन के इन लक्षणों को पहचानना समझने और प्रबंधित करने की दिशा में पहला कदम है।
2. कारण और जोखिम कारक: टॉन्सिल की पथरी तब बनती है जब मृत कोशिकाएं, बलगम और भोजन के कण जैसे अवशेष टॉन्सिल की छोटी जेबों (क्रिप्ट्स) में जमा हो जाते हैं और शांत हो जाते हैं। खराब मौखिक स्वच्छता एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता है, क्योंकि बैक्टीरिया मुंह में पनपते हैं और इन कणों के टूटने की सुविधा प्रदान करते हैं। इसके अतिरिक्त, टॉन्सिल की पुरानी सूजन वाले व्यक्तियों, जिसे क्रोनिक टॉन्सिलिटिस के रूप में जाना जाता है, में ��ॉन्सिल पथरी विकसित होने का खतरा अधिक होता है।
आहार संबंधी आदतें भी एक भूमिका निभाती हैं। डेयरी उत्पादों में उच्च और पानी में कम मात्रा वाला आहार इन खतरनाक पत्थरों के निर्माण में योगदान कर सकता है। टॉन्सिल स्टोन के कारणों का पता लगाने से व्यक्तियों को निवारक उपाय अपनाने और टॉन्सिल स्टोन की संभावना को कम करने के लिए जीवनशैली में समायोजन करने में मदद मिल सकती है।
3. टॉन्सिल स्टोन से बचाव: टॉन्सिल स्टोन की रोकथाम में अच्छी मौखिक स्वच्छता प्रथाओं को बनाए रखना और जीवनशैली में कुछ समायोजन करना शामिल है। जीभ और गले के पिछले हिस्से सहित नियमित और पूरी तरह से ब्रश करने से बैक्टीरिया और मलबे के संचय को कम करने में मदद मिल सकती है। रोगाणुरोधी माउथवॉश का उपयोग करने से मौखिक वातावरण को टॉन्सिल स्टोन बनने के लिए कम अनुकूल बनाए रखने में मदद मिल सकती है।
पर्याप्त जलयोजन भी ���हत्वपूर्ण है। अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रहने से मुंह को बहुत अधिक शुष्क होने से रोकने में मदद मिलती है, जो टॉन्सिल पत्थरों के विकास में योगदान कर सकता है। इन उपायों के अलावा, आहार में बदलाव पर विचार करना, जैसे कि डेयरी सेवन कम करना और पानी से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ाना, टॉन्सिल स्टोन को बनने से रोकने में फायदेमंद हो सकता है।
4. टॉन्सिल स्टोन के लिए घरेलू उपचार: जबकि टॉन्सिल स्टोन में अक्सर पेशेवर हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है, ऐसे कई घरेलू उपचार हैं जिनका उपयोग व्यक्ति लक्षणों को प्रबंधित करने और पुनरावृत्ति की आवृत्ति को कम करने के लिए कर सकते हैं। नमक के पानी से गरारे करना एक सरल लेकिन प्रभावी तरीका है जो छोटे टॉन्सिल स्टोन को हटाने और गले की परेशानी को कम करने में मदद कर सकता है।
वॉटर फ्लॉसर या ओरल इरिगेटर टॉन्सिल स्टोन को हटाने के लिए उपयोगी उपकरण हो सकते हैं, खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें इसके बनने का खतरा है। हालाँकि, टॉन्सिल के नाजुक ऊतकों को किसी भी तरह की क्षति से बचाने के लिए इन उपकरणों का सावधानी से उपयोग करना आवश्यक है। जो लोग इसके साथ सहज हैं, उनके लिए रुई के फाहे या साफ उंगलियों का उपयोग करके इसे मैन्युअल रूप से हटाना एक अन्य विकल्प है।
5. चिकित्सा उपचार: जब घरेलू उपचार अपर्याप्त साबित हों या टॉन्सिल की पथरी लगातार परेशानी पैदा कर रही हो, तो पेशेवर चिकित्सा सलाह लेने की सलाह दी जाती है। कुछ मामलों में, यदि टॉन्सिल की पथरी किसी संक्रमण से जुड़ी हो तो स्वास्थ्य सेवा प्रदाता एंटीबायोटिक दवाओं की सिफारिश कर सकते हैं। हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एंटीबायोटिक्स हमेशा सबसे प्रभावी समाधान नहीं हो सकते हैं, विशेष रूप से बार-बार होने वाली टॉन्सिल पथरी के लिए।
पुराने या गंभीर लक्षणों का अनुभव करने वाले व्यक्तियों के लिए, टॉन्सिल्लेक्टोमी पर विचार किया जा सकता है। इस सर्जिकल प्रक्रिया में टॉन्सिल को हटाना शामिल है और यह लगातार टॉन्सिल स्टोन से पीड़ित लोगों के लिए एक प्रभावी दीर्घकालिक समाधान हो सकता है। हालाँकि, संभावित जोखिमों और लाभों को ध्यान में रखते हुए, टॉन्सिल्लेक्टोमी से गुजरने का निर्णय सावधानी से लिया जाना चाहिए।
6. जटिलताएँ और संबंधित स्थितियाँ: टॉन्सिल की पथरी, जबकि अक्सर एक सौम्य स्थिति होती है, कभी-कभी जटिलताओं का कारण बन सकती है, खासकर अगर इलाज न किया जाए। क्रोनिक टॉन्सिलिटिस, जिसकी विशेषता टॉन्सिल की लगातार सूजन है, ऐसी ही एक जटिलता हो सकती है। इस स्थिति में अतिरिक्त चिकित्सा हस्तक्षेप की आवश्यकता हो सकती है, जैसे एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग या, गंभीर मामलों में, टॉन्सिल को सर्जिकल हटाने।
इसके अलावा, टॉन्सिल की पथरी सांसों की दुर्गंध को बढ़ा सकती है, जिससे सामाजिक असुविधा और आत्म-चेतना हो सकती है। टॉन्सिल स्टोन से जुड़ी संभावित जटिलताओं को समझना सक्रिय प्रबंधन और जरूरत पड़ने पर पेशेवर सलाह लेने के महत्व को रेखांकित करता है।
7. टॉन्सिल स्टोन के साथ रहना: मुकाबला करना और प्रबंधन: टॉन्सिल स्टोन का प्रबंधन एक सतत प्रक्रिया है जिसमें कॉम्बिनेशन शामिल होता है निवारक उपायों, घरेलू उपचारों और, कुछ मामलों में, चिकित्सा हस्तक्षेप का आयन। टॉन्सिल स्टोन से जूझ रहे व्यक्तियों के लिए, सांसों की दुर्गंध से निपटने की प्रभावी रणनीति ढूंढना और सामाजिक स्थितियों से निपटना महत्वपूर्ण हो सकता है।
दीर्घकालिक प्रबंधन विकल्पों की खोज, जैसे कि आहार समायोजन और लगातार मौखिक स्वच्छता दिनचर्या बनाए रखना, दैनिक जीवन पर टॉन्सिल पत्थरों के प्रभाव को कम करने में योगदान दे सकता है। इसके अतिरिक्त, टॉन्सिल स्टोन अनुसंधान और उपचार विकल्पों में नवीनतम विकास के बारे में सूचित रहने से व्यक्तियों को अपने स्वास्थ्य के बारे में सूचित निर्णय लेने में सशक्त बनाया जा सकता है।
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अंडकोष में सूजन के घरेलू उपाय
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में इंसान अपने शरीर की देखभाल सही से नहीं कर पता है| लगभग सभी इंसान किसी ना किसी परेशानी का सामना कर रहे है| वर्तमान में पुरुषो के अंडकोष में सूजन या दर्द की समस्या भी काफी ज्यादा देखने को मिलती है| हालाँकि पुरुषों में अंडकोष में दर्द होने के कारण हो सकते हैं| चलिए सबसे पहले हम आपको अंडकोष में दर्द होने के कारणों के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है
अंडकोष में चोट लगना - अंडकोष में दर्द होने का कारण अंडकोष में चोट लगना भी होता है| दरसल अगर किसी भी पुरुष का एक्सीडेंट होने पर अंडकोष में किसी भी प्रकार की चोट लग जाती है तो ऐसी स्थिति में भी अंडकोष में दर्द की समस्या देखने को मिलती है|
अंडकोष पर दबाव पड़ना - अंडकोष पर दबाव पढ़ने की वजह से भी दर्द की समस्या देखने को मिलती है| कई बार इंसान के गलत तरीके से बैठने या उठने की वजह से अंडकोष पर दबाव पड़ जाता है, जिसकी वजह से दर्द की समस्या का सामना करना पड़ सकता है|
अंडकोष में दर्द होने का कारण है हर्निया - इंगुइनल हर्निया की परेशानी से पीड़ित इंसान को कई बार अंडकोष में दर्द का सामना करना पड़ सकता है|
मूत्रमार्ग में पथरी होना - जब किसी इंसान के मूत्र मार्ग में पथरी रुक जाती है तो इंसान को काफी ज्यादा दर्द होता है| कुछ मामलो में यह दर्द अंडकोष तक भी पहुंच जाता है|
ऊपर आपने अंडकोष में दर्द होने के कारण के बारे में जाना| जब किसी भी इंसान के अंडकोष में दर्द या सूजन की समस्या होती है तो इंसान अपनी परेशानी को बताने से शर्माता है| हालाँकि अंडकोष में दर्द की समस्या होने पर कभी भी लापरवाही नहीं करनी ��ाहिए तुरंत डॉक्टर से प��ामर्श और इलाज करवाना चाहिए| चलिए अब हम आपको अंडकोष में दर्द के घरेलू उपाय बताते है| नीचे बताए जा रहे उपायों को अपनाकर आप अंडकोष में दर्द की समस्या से आराम प्राप्त कर सकते है|
- अंडकोष में दर्द होने का कारण दबाव भी होता है| अगर आपके अ��डकोषों में दर्द दबाव की वजह से हो रहा है तो आराम दायक कपड़ें पहन कर कुछ समय के लिए लेट जाएं| कोशिश करें की आप केवल सूती अंडरवियर पहन कर रहें| सूती अंडरवियर पहनने से अंडकोषों पर दबाव नहीं पढता है और अंडकोषों को हवा भी लगती है जिससे दर्द और सूजन में आराम मिलता है|
- अंडकोष में दर्द की समस्या से आराम दिलाने में गरम पानी से स्नान भी काफी मददगार होता है| दरसल जब अंडकोषों पर गर्म पानी पड़ता है तो अंडकोष में ब्लड सर्क्युलेशन बेहतर होता है जिसकी वजह से अंडकोष में दर्द और सूजन की परेशानी कम होती है|
- अगर आपके अंडकोष में सूजन और दर्द की समस्या हो रही है तो आपके लिए बर्फ की सिकाई लाभकारी साबित हो सकती है| बर्फ की सिकाई करने के लिए सबसे पहले एक साफ़ टोलिया लेकर उसके अंदर आइस या बर्फ के टुकड़े डाल दें| फिर कपड़ें की पोटली सी बना कर अंडकोष की सिकाई करें| लगभग पाँच से दस मिनट सिकाई करने के बाद आपको सूजन और दर्द से आराम प्राप्त हो सकता है|
- अंडकोष में दर्द की समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप दर्द निवारक दवा का सेवन भी कर सकते है| ब्वाजर में आपको कई तरह की दर्द निवारक दवाएं आसान से मिल जाएंगी लेकिन हम आपको सलाह देंगे की बिना डॉक्टर की सलाह के कभी भी किसी भी दवा का सेवन ना करें| अपनी मर्जी से दवा का सेवन करने की वजह से आपको नुक्सान भी उठाना पड़ सकता है|
- अंडकोष की सूजन और दर्द को कम करने में पानी भी मददगार हो सकता है|
ऊपर हमने आपको अंडकोष में सूजन के घरेलू उपाय के बारे में जानकारी दी है| लेकिन अंत में हम आपको सलाह देंगे की कभी भी किसी भी दवा का सेवन अपनी मर्जी से ना करें| अंडकोष में होने वाले दर्द से छुटकारा प्राप्त करने के लिए वेध की सलाह से घरेलू नुस्खे अपनाएं|
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पथरी तोड़ने की दवा - जबरदस्त रामबाण घरेलू उपाय और पथरी से छुटकारा
पथरी तोड़ने की दवा के बारें में सर्च कर अगर आप यहा आये हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आये हैं। आज की इस खास पोस्ट में मैं आपको पथरी और उससे जुड़ी सभी जानकारी देने जा रही हूँ साथ ही पथरी तोड़ने की दवा के बारें में भी विस्तार से बताउंगी। अत: इस आर्टिकल को पूरा जरुर पढ़ें। पथरी तोड़ने की दवा Kidney Stone क्या हैं? दोस्तों गुर्दे की पथरी को english में Kidney Stone और Nephrolithiaris के नाम से भी जाना…
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10 fabulous dadi Maa ke gharelu nuskhe
dadi Maa ke gharelu nuskhe अचूक भी हैं और सरल भी इसमें हाथों-हाथ रोग निदान होते देखा जाता है डाक्टर, वैध के यहाँ जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती। पढिये और आप आजमाइइये ‘‘दादी माँ के घरेलू नुस्खे‘‘
पथरी का इलाज घरेलू नुस्खे pathri ke gharelu nuskhe
पथरी का इलाज घरेलू नुस्खे से करना हो तो पथरचट्टा का 1 पत्ता और 4 दाने मिश्री पीस कर 1 गिलास पानी के साथ खाली पेट पिए।
2 ग्राम मिश्री, 1 ग्राम सूखा धनिया और 1 ग्राम सरपगंधा पीस कर पानी के साथ लेने से हाई ब्लड प्रेशर कंट्रोल होता है।
dadi maa ke gharelu nuskhe
अगर आप को शूगर बढ़ने की बीमारी है तो सुबह सुबह खाली पेट करेले का जूस पिये। जूस बनाने से पहले करेले के बीज निकाल दे। जूस निकलने के बाद इसमें थोड़ा पानी मिलाये और पिये। इस उपाय को 2 महीने तक लगातार करे आपकी शूगर कंट्रोल में रहेगी......
#dadi Maa ke gharelu nuskhe#पथरी का इलाज#घरेलू नुस्खे#pathri ke gharelu nuskhe#pathri#remedy#health remedy#health & fitness
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इन लोगो के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं आम के पत्ते, फायदे जानने के लिए पढ़े ये खबर Divya Sandesh
#Divyasandesh
इन लोगो के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं आम के पत्ते, फायदे जानने के लिए पढ़े ये खबर
डेस्क। फलों का राजा आम स्वादिष्ट ही नहीं, बल्कि तमाम गुणों से भरपूर भी होता है। लेकिन कम ही लोग जानते हैं की आम की पत्तियों में सेहत का राज छिपा होता है। यह औषधीय गुणों से भरपूर होती है। तो चलिए जानते हैं आम के पत्तों से होने वाले कुछ जबरदस्त स्वास्थ्य लाभों के बारे में…
मधुमेह का इलाज: आम के पत्ते मधुमेह का इलाज प्राकृतिक और बेहतरीन तरीके से करते हैं। दरअसल, आम की पत्तियों में एंथोसाइनिडिन्स नामक टैनिन होता है, जो शुरुआती मधुमेह के इलाज में मदद करता है। मधुमेह के इलाज के लिए आप आम की पत्तियों को रातभर के लिए एक कप पानी में भिगो दें। अगले दिन आप ��ानकर इसका सेवन करें।
कम करे ब्लड प्रेशर: उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों के लिए आम के पत्ते के फायदे किसी औषधी से कम नहीं हैं। जिन लोगों को उच्च रक्तचाप की समस्या रहती है, उनके लिए भी आम की पत्तियां बेहद लाभदायक है। उनमें हाइपोटेंशन गुण होते हैं। वे रक्त वाहिकाओं को मजबूत करने और वैरिकाज नसों की समस्या का इलाज करने में मदद करते हैं।
पित्त और गुर्दे की पथरी का इलाज: गुर्दे के पथरी और पित्त मूत्राशय के पथरी का इलाज के लिए आम के पत्ते बहुत ही प्रभावी होते हैं। इसके लिए आम के पत्तों को छाया में रखकर उसे सूखा लें और फिर उसका बारीक पाउडर बना लें। अब आप पानी में पाउडर डालकर रातभर के लिए रख दें। अगली सुबह उस पानी का सेवन करें।
सांस संबंधी समस्याएं: सभी प्रकार की श्वांस समस्याओं के लिए आम के पत्ते बहुत ही लाभकारी होते हैं। आम के पत्ते उन लोगों के लिए बहुत ही उपयोगी होते हैं जो ब्रोंकाइटिस और अस्थमा से पीड़ित हैं। वह इसका सेवन अवश्य करें। इसके सेवन के लिए आम की पत्तियों को थोड़े से शहद के साथ पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं। इस काढ़े का सेवन करने से खांसी ठीक होती है। यह आवाज की कमी को ठीक करने में भी मदद करता है।
कान में दर्द: कान में दर्द होने पर व्यक्ति काफी परेशान होता है। ऐसे में आप आम के पत्तों को बतौर घरेलू उपाय इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आप आम के पत्तों का रस निकालें और फिर उसे हल्का सा गर्म करें। ध्यान रखें कि रस बहुत अधिक गर्म न हो, आप गुनगुने रस का प्रयोग कर सकते हैं। अब इस रस की दो−तीन बूंदे कान में डालें। इससे आपको काफी राहत मिलेगी।
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जामुन खाने के फायदे और नुकसान | Jamun Benefits and Side Effects
"जामुन की गुठली डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए बेहतरीन औषधि है। जामुन की गुठली को सुखाकर उनका पाउडर बनाया जाता है। इस पाउडर को खाली पेट लेने से डायबिटीज़ की बीमारी और ब्लड शुगर कंट्रोल में मदद मिलती है। "
" Berries kernels are excellent medicine for patients with diabetes. Jam kernels are dried and made into powder. Taking this powder on an empty stomach helps in diabetes disease and blood sugar control. "
जामुन में भरपूर मात्रा में ग्लूकोज और फ्रुक्टोज पाया जाता है। जामुन में लगभग वे सभी तरह के सॉल्ट पाए जाते है��� जिनकी शरीर को आवश्यकता होती है। यहाँ इस आर्टिकल में हम जानेंगे जामुन खाने के फायदे (Jamun Benefits).
जामुन को हम मौसमी फल में शामिल कर सकते है। यह कई औषधीय गुणों से भरपूर होते है। जामुन की प्रकृति अम्लीय होती है लेकिन इसका स्वाद मीठा होता है।
जामुन खाने के फायदे: Jamun Benefits:
पाचन क्रिया के लिए जामुन फायदेमंद होता है। जामुन खाने से पेट से जुड़ी कई तरह की समस्याएं दूर होती हैं।
मधुमेह के रोगियों के लिए जामुन एक रामबाण उपाय है। जामुन के बीज सुखाकर पीसें। इस पाउडर को खाने से मधुमेह (डायबिटीज) में फायदेमंद होता है।
मधुमेह (डायबिटीज) के अलावा इसमें कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो कैंसर से बचाव में मददगार होते हैं। इसके अलावा पथरी की रोकथाम में भी जामुन बहुत फायदेमंद होता है। इसके बीज को बारीक पीसकर पानी या दही के साथ लें।
अगर किसी को दस्त हो रहे है तो हम आपको दस्त का घरेलू इलाज बता रहे है। इसके लिए आप जामुन को सेंधा नमक के साथ खाएं। खूनी दस्त होने पर भी जामुन के बीज बहुत फायदेमंद साबित होते हैं।
दांत और मसूड़ों से जुड़ी कई समस्याओं के समाधान में जामुन फायदेमंद होता है। इसके बीज को पीस लें। इससे दांत साफ करने से दांत और मसूड़े स्वस्थ रहते हैं।
आइये जानते है जामुन की गुठली के डायबिटीज में फायदे।
जामुन की गुठली के डायबिटीज में फायदे:
जामुन को डायबिटीज के मरीज बिना किसी परेशानी के खा सकते हैं। जामुन खून में शुगर की मात्रा नियंत्रित करता है, जामुन के मौसम में इसके नियमित सेवन से डायबटीज के मरीज को फायदा मिलता है। इससे डायबिटीज के मरीज को होने वाली समस्याएं जैसे बार-बार प्यास लगना और बार-बार पेशाब होना आदि में लाभ मिलता है। इसलिए आप प्रतिदिन जामुन का सेवन करें। जामुन की गुठली ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में अच्छी मानी जाती है। जामुन की गुठली लें इसे अच्छी तरह पीसकर पाउडर बनाएं। रोज सुबह-शाम 3 ग्राम गुठली पाउडर का सेवन करें। इससे डायबिटीज जड़ से खत्म हो जाती है।
आइये जानते है और भी कई फायदे।
जामुन की छाल पेट की समस्या दूर करें (Jamun Benefits in Stomach Problems): अगर आपको पेट की समस्या बनी रहती है और आपका खाना भी नही पच पाता तो आप रोज नाश्ते के बाद जामुन का सेवन करें। इससे आपकी पेट की समस्या दूर हो जाएगी। अगर आपके पेट में मरोड़, ऐंठन आदि की समस्या है तो जामुन की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से फायदा मिलता है। जामुन की छाल को घिसकर पानी के साथ दिन में एक दो बार सेवन करने से अपच, पेट ख़राब की समस्या से निजात मिलता है।
जामुन का सिरका डायरिया में फायदेमंद (Jamun Benefits in Diarrhoea): जामुन की छाल महिलाओं मे डायरिया की रोकथाम के लिए काम आता है। ��ह गर्भवती महिलाओं के लिए भी फायदेमंद होता है। इसके लिए जामुन की छाल को पानी में उबालें और जब यह पानी एक चौथाई रह जाए तो इसे छानकर 2 से तीन बार धनिया और जीरे के चूर्ण के साथ सेवन करें।
जामुन की गुठली का चूर्ण पथरी की समस्या दूर करें (Jamun Benefits in Kidney Stone): अगर आप पथरी की समस्या से परेशान है तो जामुन की गुठली के पाउडर को दही के साथ लेने से लाभ मिलता है। जामुन का फल खाने से भी पथरी में फायदा होता है।
जामुन की गुठली का चूर्ण घाव में फायदेमंद (Jamun Benefits in healing wound): कई बार आपके पैरों में छाले पड़ जाते है जो अक्सर नए जूते पहनते समय होता है। ऐसे समय पर जामुन की गुठली पीस कर लगाने से दर्द दूर होता है। घाव होने पर जामुन की गुठली को सुखाकर पीसें, फिर उस पाउडर में पानी डालकर पेस्ट बनाकर घाव पर लगाने से फायदा मिलता है।
जामुन खाने के नुकसान: Jamun Side Effects:
दूध पिलाने वाली महिलाऐं जामुन का सेवन ना करें।
खाली पेट जामुन ना खाएं।
जामुन खाने के तुरंत बाद कभी दूध ना पिएँ।
ज़्यादा मात्रा में जामुन खाने से दर्द और बुखार की समस्या हो सकती है। यह गले और सीने के लिए भी हानिकारक होता है।
बहुत अधिक मात्रा में जामुन खाने से खाँसी हो जाती है और यह फेफड़े के लिए हानिकारक साबित हो सकती है।
#jamun benefits#jamun side effects#जामुन खाने के फायदे#जामुन की गुठली के डायबिटीज में फायदे#जामुन खाने के नुकसान
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अगर आप भी है किडनी की पथरी से परेशान तो अपनाएं ये 5 आसान से घरेलू उपाय
अगर आप भी है किडनी की पथरी से परेशान तो अपनाएं ये 5 आसान से घरेलू उपाय #KidneyStone #HomeMadeRemedy
किडनी में पथरी होना बहुत ही आम समस्या है| यूरिन में यूरिक एसिड, फॉस्फोरस, कैल्शियम और ऑक्जेलिक एसिड होते है| यही सारे रासायनिक तत्व पथरी बनाने के लिए उत्तरदायी होते हैं| बहुत अधिक मात्रा में विटामिन डी के सेवन से, शरीर में लवणों के असंतुलन से, डीहाइड्रेशन से और अनियमित डाइट की वजह से भी किडनी में पथरी हो जाती है| 1. नि3म्बू का रस और ऑलिव ऑयल बरसों से निम्बू का रस और ऑलिव ऑयल को मिलाकर उसका सेवन…
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आम के पत्तों की मदद से कई बीमारियों का इलाज आसानी से किया जा सकता है। तो आइए जानते हैं आम के पत्तों से होने वाले कुछ जबरदस्त स्वास्थ्य लाभों के बारे में− *आम के पत्ते मधुमेह का इलाज प्राकृतिक और बेहतरीन तरीके से करते हैं। दरअसल, आम की पत्तियों में एंथोसाइनिडिन्स नामक टैनिन होता है, जो शुरुआती मधुमेह के इलाज में मदद करता है। मधुमेह के इलाज के लिए आप आम की पत्तियों को रातभर के लिए एक कप पानी में भिगो दें। अगले दिन आप छानकर इसका सेवन करें। इसे भी पढ़ें: गर्मी के मौसम में ��जन कम करने में मददगार है बर्फ, जानिए कैसे *जिन लोगों को उच्च रक्तचाप की समस्या रहती है, उनके लिए भी आम की पत्तियां बेहद लाभदायक है। उनमें हाइपोटेंशन गुण होते हैं। वे रक्त वाहिकाओं को मजबूत करने और वैरिकाज नसों की समस्या का इलाज करने में मदद करते हैं। *आम के पत्ते गुर्दे की पथरी और पित्त पथरी के इलाज में मदद करते हैं। इसके लिए आम के पत्तों को छाया में रखकर उसे सूखा लें और फिर उसका बारीक पाउडर बना लें। अब आप पानी में पाउडर डालकर रातभर के लिए रख दें। अगली सुबह उस पानी का सेवन करें। *सांस संबंधी समस्याएं में आम के पत्ते इलाज में सहायक है। खासतौर से, अगर कोई व्यक्ति कोल्ड, ब्रोंकाइटिस और अस्थमा से पीडि़त है, वह इसका सेवन अवश्य करें। इसके सेवन के लिए आम की पत्तियों को थोड़े से शहद के साथ पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं। इस काढ़े का सेवन करने से खांसी ठीक होती है। यह आवाज की कमी को ठीक करने में भी मदद करता है। इसे भी पढ़ें: बढ़ती तोंद से छुटकारा पाने में यह योगासन कर सकता है आपकी मदद *कान में दर्द होने पर व्यक्ति काफी परेशान होता है। ऐसे में आप आम के पत्तों को बतौर घरेलू उपाय इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आप आम के पत्तों का रस निकालें और फिर उसे हल्का सा गर्म करें। ध्यान रखें कि रस बहुत अधिक गर्म न हो, आप गुनगुने रस का प्रयोग कर सकते हैं। अब इस रस की दो−तीन बूंदे कान में डालें। इससे आपको काफी राहत मिलेगी। बिशेष:- आम के पत्ते हिचकी की समस्या से भी निजात दिलाते हैं। अगर आपको हिचकी आ रही हो और हिचकी बंद होने का नाम नहीं ले रही तो आम की पत्तियां उबालकर उससे गरारे करें। *कई बार किचन में काम करते हुए महिलाओं का हाथ जल जाता है तो इसमें आम का पत्ता आपको फायदा पहुंचाएगा। अगर आप जल गए हैं तो उस पर आम की पत्तियों का राख लगाएं। जलन से राहत मिलेगा। *अस्थमा के मरीजों को आम की पत्तियों का काढ़ा बनाकर पीना चाहिए। इस समस्या से निजात मिलेगा। *आम की पत्तियों को धूप में सुखाकर उसका पाउडर बना लें। रोजाना इसको एक चम्मच खाएं। https://www.instagram.com/p/B_o9s-VDHNf/?igshid=96cdsxjyvpdy
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पेट दर्द - Stomach pain in Hindi
जब पेट दर्द होता है तो समझ नहीं आता क्या करे लेकिन कुछ भी करके दर्द ठीक करने का मन करता है। ऐसा लगता हैं कैसे भी दर्द ठीक हो जाए, यदि रात के समय दर्द होने लगे तो बड़ी ही समस्या हो जाती हैं रात के समय में अधिकतर हॉस्पिटल भी बंद हो जाती हैं ऐसे में घरेलू नुस्खे काम आते हैं। गलत खान-पान और खाना स्किप करने के कारण कई लोगों के पेट में दर्द होता है। आज के दिनों में पेट दर्द होना एक आम समस्या बन चुकी है। पेट दर्द छाती और श्रोणि क्षेत्रों (pelvic region) के बीच होता है। हालाँकि, गलत खान-पान के अलावा पेट दर्द के कारण अन्य भी हो सकते हैं। पेट में अंगों को प्रभावित करने वाली सूजन या बीमारियां पेट दर्द का कारण बन सकती हैं। पेट और आंतों को प्रभावित करने वाले वायरल, बैक्टीरियल या अन्य संक्रमण भी पेट दर्द का कारण हो सकते हैं।
पेट दर्द के बहुत से कारण हो सकते हैं , आईये जानते हैं कुछ करने के बारे में !
वैसे तो पेट दर्द होने के अनेको कारण हो सकता है। हालांकि, मुख्य कारण संक्रमण, असामान्य वृद्धि, सूजन और आंतों के विकार हैं। पेट दर्द के कारण क्या हैं? गले, आंतों या रक्त के संक्रमण से बैक्टीरिया आपके पाचन तंत्र में प्रवेश कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप पेट में दर्द होता है। इन संक्रमणों से दस्त या कब्ज भी हो सकती है। मासिक धर्म से जुड़े ऐंठन भी निचले पेट दर्द का एक संभावित स्रोत है, लेकिन अधिक सामान्यतः ये श्रोणि दर्द (pelvic pain) का कारण होते हैं। पेट दर्द के अन्य सामान्य कारण निम्नलिखित हो सकते हैं:
कब्ज
दस्त
आंत्रशोथ (पेट फ्ल��)
सिड भाटा (acid reflux )
उल्टी
तनाव
इन में से अंगों का फटना जैसे एपेंडिक्स का फटना या एपेंडिसाइटिस (appendicitis), पित्ताशय की पथरी (gallbladder stones), पथरी (kidney stones), गुर्दे में संक्रमण (kidney infection) इत्यादि गंभीर पेट दर्द के कारण हो सकते हैं।
पेट दर्द जल्द ही ठीक करने के घरेलू उपाय
खाना कम खाएं
थोड़ा-सा बेकिंग सोडा लें
नींबू या नींबू के रस का प्रयोग करें
लक्षण से राहत के लिए एक या एक दिन तक केवल केला, चावल, सेब और टोस्ट खाएं
धूम्रपान न करें या शराब न पियें
कुछ स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर अदरक लेने
पुदीने का सेवन करने या कैमोमाइल चाय पीने की भी सलाह देते हैं।
Original Source: Stomach-pain
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किडनी की पथरी निकालने का आयुर्वेदिक इलाज घरेलू उपाय Home Remedies to Flush out Kidney Stone
दोस्तों, इस वीडियो में हमने किडनी की पथरी निकालने का आयुर्वेदिक इलाज एवं घरेलू उपायों के बारे में बताया है।
इस वीडियो में हमने किडनी स्टोन के लिए KID CLEAR CAPSULES (किड क्लिअर कैप्सुल) के बारे में बताया है। किड क्लिअर कैप्सुल जड़ी-बुटियों से निर्मित आयुर्वेदिक हर्बल उपचार है।
KID CLEAR CAPSULE (किड क्लिअर कैप्सुल) के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहाँ जाएँ
https://www.ayushremedies.in/product/remove-kidney-and-gallbladder-stones/
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पथरी की समस्या से छुटकारा पाने के घरेलू उपाय https://www.instagram.com/p/B6tMQ2mJ6_o/?igshid=e6m5nm3s3i5e
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डॉक्टर्स कहते है की, हमारे खाने में कुछ ऐसे पदार्थ शामिल होते है जिनसे पथरी होने होने की सम्भावना बढ़ जाती है। जैसे की दूध और दूधजन्य पदार्थ, टमाटर, खीरा, पालक, बैंगन, चावल आदि।
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#कटेरी_के_फायदे
कटेरी का पौधा झाड़ी के रूप में जमीन पर फैला हुआ होता है। इसको देखने से ऐसा लगता है, जैसे कोई क्रोधित नागिन शरीर पर अनेकों कांटो का वत्र ओढ़ी है, कटेरी की कई प्रजातियां होती है परन्तु मुख्यतया तीन प्रजातियों 1. छोटी कटेरी (Solanum virginiannumLinn.), 2. बड़ी कटेरी (Solanum anguivi Lam.) तथा 3. श्वेत कंटकारी (Solanum lasiocarpum Dunal) का प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है।
👉 अक्सर किसी बीमारी के कारण बाल झड़कर गंजेपन की अवस्था आ गई है तो कटेरी का इलाज फायदेमंद साबित हो सकता है- -20-50 मिली कटेरी पत्ते के रस में थोड़ा शहद मिलाकर सिर में चंपी करने से इन्द्रलुप्त (गंजापन) में लाभ होता है। श्वेत कंटकारी के 5-10 मिली फल के रस में मधु मिलाकर सिर में लगा��े से इन्द्रलुप्त में लाभ होता है।
👉 अगर ज्यादा मसालेदार, तीखा खाने के आदि है तो पाइल्स के बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है। उसमें बवासीर का घरेलू उपाय बहुत ही फायदेमंद साबित होता है। श्वेत कंटकारी के फलों को कोशातकी के काढ़े में पकाकर प्रयोग करने से अर्श या पाइल्स में लाभ होता है।
👉 कटेरी का औषधीय गुण लेबर पेन को कम करने में मदद करती है। 10-20 मिली श्वेत कंटकारी के जड़ का सेवन करने से प्रसव पीड़ा कम होता है। श्वेत कंटकारी के जड़ को पीसकर लेप करने से कण्डू या खुजली, क्षत (कटना या छिलना) तथा अल्सर के घाव में लाभकारी होता है
👉 कटेरी )हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करती है इससे दिल की बीमारी होने की संभावना कम होती है। 1-2 ग्राम श्वेत कंटकारी के जड़ की त्वचा के चूर्ण का सेवन करने से हृदय की बीमारी कम होती है। कटेरी की जड़, सोंठ, बला-मूल, गोखरू तथा गुड़ को समभाग लेकर दूध में पकाकर, 20-40 मिली सुबह-शाम पीने से मल-मूत्र की रुकावट, बुखार और सूजन दूर होती है
👉 मूत्र संबंधी बीमारी में बहुत तरह की समस्याएं आती हैं, जैसे- मूत्र करते वक्त दर्द या जलन होना, मूत्र रुक-रुक कर आना, मूत्र कम होना आदि। कटेरी इस बीमारी में बहुत ही लाभकारी साबित होता है। छोटी कटेरी के जड़ के चूर्ण में समान भाग में बड़ी कटेरी के जड़ का चूर्ण मिलाकर, 2 चम्मच दही के साथ, सात दिन तक खाने से पथरी, मूत्रकृच्छ्र (मूत्र त्याग में कठिनता) तथा जलोदर (पेट में जल की मात्रा अधिक होने के कारण सूजन) में लाभ होता है। कटेरी के 10-20 मिली रस को मट्ठे में मिलाकर, कपड़े से छानकर पिलाने से मूत्रकृच्छ्र (पेशाब की रुकावट) में लाभ होता है।
👉 कटेरी की प्रसिद्धि कफ को नाश करने के सम्बन्ध में बहुत अधिक है। छाती का दर्द इत्यादि रोगों में इसका बहुत प्रयोग होता है। जब छाती में कफ भरा हुआ हो तब इसका 20-30 मिली काढ़ा देने से बहुत लाभ होता है। इसके फलों के 20-30 मिली काढ़े में 500 मिग्रा भुनी हुई हींग और 1 ग्राम सेंधा नमक डालकर पीने से जीर्ण अस्थमा में भी लाभ होता है।
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अगर आप भी हैं पेशाब के समय दर्द और जलन की समस्या से परेशान तो अपनाएं घरेलू उपाय, मिलेगा आराम Divya Sandesh
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अगर आप भी हैं पेशाब के समय दर्द और जलन की समस्या से परेशान तो अपनाएं घरेलू उपाय, मिलेगा आराम
डेस्क। यूरिन में दर्द और जलन होना एक आम समस्या है। यूरिन में जलन की समस्या 50 प्रतिशत महिलाओं को होती है। फीमेल हो या मेल सभी को समस्या का सामना करना पड़ रहा है। कभी-कभी ये समस्या अधिक बढ़ जाती है। जिसके कारण आपको एक मिनट बैठना भी असंभव हो जाता है। इसे मेडिकल भाषा में डिस्यूरिया कहते हैं। पेशाब के समय दर्द और जलन मूत्राशय या मूत्रमार्ग में हो सकती है। महिलाओं और पुरुषों में इसके अलग-अलग कारण हो सकते हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
पेशाब में जलन और दर्द के कारण
पेशाब में जलन क्यों होती है-पेशाब में जलन और दर्द के कई कारण हैं और महिलाओं व पुरुषों में इसके अलग-अलग कारण हो सकते हैं। मुख्यतः इसके कारणों में यूटीआई (पेशाब से जुड़ी समस्या), एसटीआई (यौन संबंधित रोग), प्रोस्टेटाइटिस (प्रोस्टेट ग्रंथि में सूजन), सिस्टाइटिस, किडनी की पथरी, पेल्विक डिजीज, कुछ दवाएं और हाजीन का ख्याल नहीं रखना आदि शामिल हैं।
पेशाब में जलन और दर्द के लक्षण
पेशाब के समय दर्द होना। लगातार पेशाब आना। मूत्राशय पर नियंत्रण नहीं होना। पेशाब में बदबू आना या खून आना। पेशाब करने की तीव्र इच्छा। मूत्राशय या जननांग में दर्द। पेशाब में कठिनाई। उलटी अ��वा मितली और ठंड लगने के साथ बुखार, इसके लक्षण हैं।
पेशाब में जलन का इलाज
खूब पानी पियें: शरीर में पानी की कमी के कारण यह समस्या हो जाती है। जब शरीर में पानी की कमी होती है, तो यूरिन का रंग पीला हो जाता है। जब आप अधिक पानी पीते हैं, तो आपका शरीर विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सक्षम होता है। इससे पेशाब का दर्द कम होता है। हर दिन कम से कम 8 से 10 गिलास पानी पिएं। डिहाइड्रेशन से विषाक्त पदार्थ जमा हो सकते हैं, जिसके कारण आपको पेशाब करते समय दर्द होगा।
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पेशाब में जलन होने पर क्या खाना चाहिए
प्रोबायोटिक्स: यह समस्या कभी-कभी बैक्टीरिया और फंगल संक्रमण का परिणाम होता है। प्रोबायोटिक्स में स्वस्थ बैक्टीरिया होते हैं जो आपके शरीर को ऐसे संक्रमणों से लड़ने में मदद करते हैं। इसके अलावा, यह आपको एंटीबायोटिक दवाओं जैसी दवाओं के दुष्प्रभावों से बचने में भी मदद कर सकता है। इसके लिए अपनी डाइट में दही, केफिर, सौकरकूट और किमची शामिल करें।
पेशाब में जलन उपाय
लौंग का तेल: यह आंतों के परजीवी और कैंडिडा के लिए एक बेहतर घरेलू उपाय है। यह आपके इम्यून सिस्टम को भी बूस्ट करता है। इस तेल में यौगिक यूजेनॉल होता है, जिसमें एंटीमाइक्रोबियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह प्रभावी रूप से आपको फंगल और बैक्टीरियल संक्रमण से छुटकारा पाने में मदद कर सकता है। हालांकि, इसे लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
पेशाब में जलन का घरेलू उपाय
इलायची: यह पाचन में सहायता करता है और परिसंचरण में सुधार करता है। यह एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक है, जो विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है और पानी को बनाए रखता है। इलायची कई बैक्टीरिया जैसे स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटेंट, स्टैफिलोकोकस ऑरियस, कैंडिडा अल्बिकन्स और सैच्रोमाइसेस सेरेविसिया को भी मार सकती है। बस एक कप गर्म दूध में एक चम्मच इलायची पाउडर मिलाएं और रात को सोने से पहले इसे पी लें।
अनार: अनार विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट से भरा होता है, जो मूत्र पथ के संक्रमण के उपचार और रोकथाम में मदद करता है। इम्युनिटी सिस्टम बढ़ाने वाले विटामिन सी से भरपूर ये फल बैक्टीरिया के संक्रमण से लड़ने में मदद करता है और यूटीआई मरीज की जल्दी ठीक होने में मदद करता है।
विटामिन सी: अधिक से अधिक विटामिन सी का सेवन करना चाहिए। इसके लिए ऐसे फल का सेव करना चाहिए। जिसमें भरपूर मात्रा में विटामिन सी हो। यह आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देगा और आपके शरीर को सभी संक्रमणों से लड़ने में मदद करेगा। खट्टे फलों के अलावा, आप अन्य विटामिन सी से भरपूर फलों और सब���जियों को भी अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। स्ट्रॉबेरी, कीवी, पपीता, अमरूद, अनानास, आम, ब्रोकोली, केल और ब्रसेल्स स्प्राउट्स विटमैन सी के अच्छे स्रोत हैं।
नारियल पानी: नारियल के पानी में थोडा सा गुड और धनिया पाउडर को मिक्स करके पीये इससे जलन और दर्द की समस्या में लाभ मिलेगा।
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