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( #Muktibodh_part159 के आगे पढिए.....)
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#MuktiBodh_Part160
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 307-308
’’सब पंथों के हिन्दुओं को भक्ति-शक्ति में कबीर जी द्वारा पराजित करना‘‘
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 649-702 :-
पंडित सिमटे पुरीके, काजी करी फिलादी।
गरीबदास दहूँ दीन की, जुलहै खोई दादि।।649।।
च्यारि बेद षटशास्त्र, काढे अठारा पुराण।
गरीबदास चर्चा करैं, आ जुलहै सैतान।।650।।
तूं जुलहा सैतान है, मोमन ल्याया सीत।
गरीबदास इस पुरी में, कौन तुम्हारा मीत।।651।।
तूं एकलखोर एकला रहै, दूजा नहीं सुहाय।
गरीबदास काजी पंडित, मारैं तुझै हराय।652।।
सुनि ब्रह्मा के बेद, तूं नीच जाति कुल हीन।
गरीबदास काजी पंडित, सिमटैं दोनौं दीन।।653।।
च्यारि बेद षटशास्त्र, अठारा पुराण की प्रीति।
गरीबदास पंडित कहैं, सुन जुलहे मेरे मीत।।654।।
ज्ञान ध्यान असनान करि, सेवौ सालिग्राम।
गरीबदास पंडित कहैं, सुनि जुलहे बरियाम।।655।।
बोलै जुलहा अगम गति, सुन पंडित प्रबीन।
गरीबदास पत्थर पटकि, हौंना पद ल्यौ लीन।।656।।
अनंत कोटि ब्रह्मा गये, अनंत कोटि गये बेद।
गरीबदास गति अगम है, कोई न जानैं भेद।।657।।
अनंत कोटि सालिग गये, साथै सेवनहार।
गरीबदास वह अगम पंथ, जुलहे कूं दीदार।।658।।
काजी पंडित सब गये, शाह सिकंदर पास।
गरीबदास उस सरे में, सबकी बुद्धि का नाश।।659।।
कबीर और रैदास ने, भक्ति बिगारी समूल।
गरीबदास द्वै नीच हैं, करते भक्ति अदूल।।660।।
हिंदूसैं नहीं राम राम, मुसलमान सलाम।
गरीबदास दहूँ दीन बिच, ये दोनों बे काम।।661।।
उमटी काशी सब गई, षट दर्शन खलील।
गरीबदास द्वै नीच हैं, इन मारत क्या ढील।।662।।
दंडी सन्यासी तहां, सिमटे हैं बैराग। गरीबदास तहां कनफटा, भई सबन सें लाग।।663।।
एक उदासी बनखंडी, फूल पान फल भोग।
गरीबदास मारन चले, सब काशी के लोग।।664।।
बीतराग बहरूपीया, जटा मुक��ट महिमंत।
गरीबदास दश दश पुरुष, भेडौं के से जन्त।।665।।
भस्म रमायें भुस भरैं, भद्र मुंड कचकोल।
गरीबदास ऐसे सजे, हाथौं मुगदर गोल।।666।।
छोटी गर्दन पेट बडे़, नाक मुख शिर ढाल।
गरीबदास ऐसे सजे, काशी उमटी काल।।667।।
काले मुहडे जिनौं के, पग सांकल संकेत।
गरीबदास गलरी बौहत, कूदैं जांनि प्रेत।।668।।
गाल बजावैं बंब बंब, मस्तक तिलक सिंदूर।
गरीबदास कोई भंग भख, कोई उडावैं धूर।।669।।
रत्नाले माथे करैं, जैसैं रापति फील। गरीबदास अंधे बहुत, फेरैं चिसम्यौं लील।।670।।
लीले चिसम्यौं अंधले, मुख बांवै खंजूस।
गरीबदास मारन चले, हाथौं कूंचैं फूस।।671।।
जुलहे और चमार परि, हुई चढाई जोर। गरीबदास पत्थर लिये, मारैं जुलहे तोर।।672।।
तिलक तिलंगी बैल जूं, सौ सौ सालिगराम।
गरीबदास चौकी बौहत, उस काशी के धाम।।673।।
घर घर चौकी पथरपट, काली शिला सुपेद।
गरीबदास उस सौंज पर, धरि दिये चारौं बेद।।674।।
ताल मंजीरे बजत हैं, कूदै दागड़ दुम। गरीबदास खर पीठ हैं, नाक जिन्हौं के सुम।।675।।
पंडित और बैराग सब, हुवा इकठा आंनि।
गरीबदास एक गुल भया, चौकी धरी पषांन।।676।।
एक पत्थर भूरी शिला, एक काली कुलीन।
गरीबदास एक गोल गिरद, एक लाम्बी लम्बीन।।677।।
एक पीतल की मूरती, एक चांदी का चौक।
गरीबदास एक नाम बिन, सूना है त्रिलोक।।678।।
एक सौने का सालिगं, जरीबाब पहिरांन।
गरीबदास इस मनुष्य सैं, अकल बडी अक श्वान।।679।।
काशीपुरी के सालिगं, सबै समटे आय। गरीबदास कुत्ता तहां, मूतैं टांग उठाय।।680।।
कुत्ता मुख में मूति है, कैसै सालिगराम। गरीबदास जुलहा कहै, गई अकल किस गाम।।681।।
धोय धाय नीके किये, फिरि आय मारी धार।
गरीबदास उस पुरी में, हंसें जुलाहा और चमार।।682।।
तीन बार मुख मूतिया, सालिग भये अशुद्ध।
गरीबदास चहूँ बेद में, ना मूर्ति की बुद्धि।।683।।
भृष्ट हुई काशी सबै, ठाकुर कुत्ता मूंति। गरीबदास पतथर चलैं, नागा मिसरी सूंति।।684।।
किलकारैं दुदकारहीं, कूदैं कुतक फिराय।
गरीबदास दरगह तमाम, काशी उमटी आय।।685।।
होम धूप और दीप करि, भेख रह्या शिर पीटि।
गरीबदास बिधि साधि करि, फूकैं बौहत अंगीठ।।686।।
काशीके पंडित लगे, कीना होम हजूंम। गरीबदास उस पुरी में, परी अधिकसी धूम।।687।।
चौकी सालिगराम की, मसकी एक न तिल।
गरीबदास कहै पातशाह, षटदर्शन कि गल।।688।।
धूप दीप मंदे परे, होम सिराये भेख। दास गरीब कबीर ने, राखी भक्ति की टेक।।689।।
सत कबीर रैदासतूं, कहै सिकंदर शाह। गरीबदास तो भक्ति सच, लीजै सौंज बुलाय।।690।।
कहै कबीर सुनि पातशाह, सुनि हमरी अरदास।
गरीबदास कुल नीचकै, क्यौं आवैं हरि पास।।691।।
दीन बचन आधीनवन्त, बोलत मधुरे बैन।
गरीबदास कुण्डल हिरद, चढे गगन गिरद गैंन।।692।।
लीला की पुरूष कबीर ने, सत्यनाम उचार।
गरीबदास गावन लगे, जुलहा और चमार।।693।।
दहनैं तौ रैदास है, बामी भुजा कबीर। गरीबदास सुर बांधि करि, मिल्या राग तसमीर।694।।
रागरंग साहिब गाया लीला कीन्ही ततकाल।
गरीबदास काशीपुरी, सौंज पगौं बिन चाल।।695।।
सौंज चली बिन पगौंसैं, जुलहै लीन्ही गोद।
गरीबदास पंडित पटकि, चले अठारा बोध।।696।।
जुलहे और चमारकै, भक्ति गई किस हेत।
गरीबदास इन पंडितौंका, रहि गया खाली खेत।।697।।
खाली खेत कुहेतसैं, बीज बिना क्या होय।
गरीबदास एक नाम बिन, पैज पिछौड़ी तोय।।698।।
तत्वज्ञान हीन श्वान ज्यों, ह्ना ह्ना करै हमेश।
दासगरीब कबीर हरि का दुर्लभ है वह देश।।699।।
दुर्लभ देश कबीर का, राई ना ठहराय। गरीबदास पत्थर शिला, ब्राह्मण रहे उठाय।।700।।
पत्थर शिलासैं ना भला, मिसर कसर तुझ मांहि।
गरीबदास निज नाम बिन, सब नरक कूं जांहि।।701।।
जटाजूट और भद्र भेख, पैज पिछौड़ी हीन।
गरीबदास जुलहा सिरै, और रैदास कुलीन।।702।।
क्रमशः______________
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल ���नाएं।
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हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 307-308
’’सब पंथों के हिन्दुओं को भक्ति-शक्ति में कबीर जी द्वारा पराजित करना‘‘
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 649-702 :-
पंडित सिमटे पुरीके, काजी करी फिलादी।
गरीबदास दहूँ दीन की, जुलहै खोई दादि।।649।।
च्यारि बेद षटशास्त्र, काढे अठारा पुराण।
गरीबदास चर्चा करैं, आ जुलहै सैतान।।650।।
तूं जुलहा सैतान है, मोमन ल्याया सीत।
गरीबदास इस पुरी में, कौन तुम्हारा मीत।।651।।
तूं एकलखोर एकला रहै, दूजा नहीं सुहाय।
गरीबदास काजी पंडित, मारैं तुझै हराय।652।।
सुनि ब्रह्मा के बेद, तूं नीच जाति कुल हीन।
गरीबदास काजी पंडित, सिमटैं दोनौं दीन।।653।।
च्यारि बेद षटशास्त्र, अठारा पुराण की प्रीति।
गरीबदास पंडित कहैं, सुन जुलहे मेरे मीत।।654।।
ज्ञान ध्यान असनान करि, सेवौ सालिग्राम।
गरीबदास पंडित कहैं, सुनि जुलहे बरियाम।।655।।
बोलै जुलहा अगम गति, सुन पंडित प्रबीन।
गरीबदास पत्थर पटकि, हौंना पद ल्यौ लीन।।656।।
अनंत कोटि ब्रह्मा गये, अनंत कोटि गये बेद।
गरीबदास गति अगम है, कोई न जानैं भेद।।657।।
अनंत कोटि सालिग गये, साथै सेवनहार।
गरीबदास वह अगम पंथ, जुलहे कूं दीदार।।658।।
काजी पंडित सब गये, शाह सिकंदर पास।
गरीबदास उस सरे में, सबकी बुद्धि का नाश।।659।।
कबीर और रैदास ने, भक्ति बिगारी समूल।
गरीबदास द्वै नीच हैं, करते भक्ति अदूल।।660।।
हिंदूसैं नहीं राम राम, मुसलमान सलाम।
गरीबदास दहूँ दीन बिच, ये दोनों बे काम।।661।।
उमटी काशी सब गई, षट दर्शन खलील।
गरीबदास द्वै नीच हैं, इन मारत क्या ढील।।662।।
दंडी सन्यासी तहां, सिमटे हैं बैराग। गरीबदास तहां कनफटा, भई सबन सें लाग।।663।।
एक उदासी बनखंडी, फूल पान फल भोग।
गरीबदास मारन चले, सब काशी के लोग।।664।।
बीतराग बहरूपीया, जटा मुकुट महिमंत।
गरीबदास दश दश पुरुष, भेडौं के से जन्त।।665।।
भस्म रमायें भुस भरैं, भद्र मुंड कचकोल।
गरीबदास ऐसे सजे, हाथौं मुगदर गोल।।666।।
छोटी गर्दन पेट बडे़, नाक मुख शिर ढाल।
गरीबदास ऐसे सजे, काशी उमटी काल।।667।।
काले मुहडे जिनौं के, पग सांकल संकेत।
गरीबदास गलरी बौहत, कूदैं जांनि प्रेत।।668।।
गाल बजावैं बंब बंब, मस्तक तिलक सिंदूर।
गरीबदास कोई भंग भख, कोई उडावैं धूर।।669।।
रत्नाले माथे करैं, जैसैं रापति फील। गरीबदास अंधे बहुत, फेरैं चिसम्यौं लील।।670।।
लीले चिसम्यौं अंधले, मुख बांवै खंजूस।
गरीबदास मारन चले, हाथौं कूंचैं फूस।।671।।
जुलहे और चमार परि, हुई चढाई जोर। गरीबदास पत्थर लिये, मारैं जुलहे तोर।।672।।
तिलक तिलंगी बैल जूं, सौ सौ सालिगराम।
गरीबदास चौकी बौहत, उस काशी के धाम।।673।।
घर घर चौकी पथरपट, काली शिला सुपेद।
गरीबदास उस सौंज पर, धरि दिये चारौं बेद।।674।।
ताल मंजीरे बजत हैं, कूदै दागड़ दुम। गरीबदास खर पीठ हैं, नाक जिन्हौं के सुम।।675।।
पंडित और बैराग सब, हुवा इकठा आंनि।
गरीबदास एक गुल भया, चौकी धरी पषांन।।676।।
एक पत्थर भूरी शिला, एक काली कुलीन।
गरीबदास एक गोल गिरद, एक लाम्बी लम्बीन।।677।।
एक पीतल की मूरती, एक चांदी का चौक।
गरीबदास एक नाम बिन, सूना है त्रिलोक।।678।।
एक सौने का सालिगं, जरीबाब पहिरांन।
गरीबदास इस मनुष्य सैं, अकल बडी अक श्वान।।679।।
काशीपुरी के सालिगं, सबै समटे आय। गरीबदास कुत्ता तहां, मूतैं टांग उठाय।।680।।
कुत्ता मुख में मूति है, कैसै सालिगराम। गरीबदास जुलहा कहै, गई अकल किस गाम।।681।।
धोय धाय नीके किये, फिरि आय मारी धार।
गरीबदास उस पुरी में, हंसें जुलाहा और चमार।।682।।
तीन बार मुख मूतिया, सालिग भये अशुद्ध।
गरीबदास चहूँ बेद में, ना मूर्ति की बुद्धि।।683।।
भृष्ट हुई काशी सबै, ठाकुर कुत्ता मूंति। गरीबदास पतथर चलैं, नागा मिसरी सूंति।।684।।
किलकारैं दुदकारहीं, कूदैं कुतक फिराय।
गरीबदास दरगह तमाम, काशी उमटी आय।।685।।
होम धूप और दीप करि, भेख रह्या शिर पीटि।
गरीबदास बिधि साधि करि, फूकैं बौहत अंगीठ।।686।।
काशीके पंडित लगे, कीना होम हजूंम। गरीबदास उस पुरी में, परी अधिकसी धूम।।687।।
चौकी सालिगराम की, मसकी एक न तिल।
गरीबदास कहै पातशाह, षटदर्शन कि गल।।688।।
धूप दीप मंदे परे, होम सिराये भेख। दास गरीब कबीर ने, राखी भक्ति की टेक।।689।।
सत कबीर रैदासतूं, कहै सिकंदर शाह। गरीबदास तो भक्ति सच, लीजै सौंज बुलाय।।690।।
कहै कबीर सुनि पातशाह, सुनि हमरी अरदास।
गरीबदास कुल नीचकै, क्यौं आवैं हरि पास।।691।।
दीन बचन आधीनवन्त, बोलत मधुरे बैन।
गरीबदास कुण्डल हिरद, चढे गगन गिरद गैंन।।692।।
लीला की पुरूष कबीर ने, सत्यनाम उचार।
गरीबदास गावन लगे, जुलहा और चमार।।693।।
दहनैं तौ रैदास है, बामी भुजा कबीर। गरीबदास सुर बांधि करि, मिल्या राग तसमीर।694।।
रागरंग साहिब गाया लीला कीन्ही ततकाल।
गरीबदास काशीपुरी, सौंज पगौं बिन चाल।।695।।
सौंज चली बिन पगौंसैं, जुलहै लीन्ही गोद।
गरीबदास पंडित पटकि, चले अठारा बोध।।696।।
जुलहे और चमारकै, भक्ति गई किस हेत।
गरीबदास इन पंडितौंका, रहि गया खाली खेत।।697।।
खाली खेत कुहेतसैं, बीज बिना क्या होय।
गरीबदास एक नाम बिन, पैज पिछौड़ी तोय।।698।।
तत्वज्ञान हीन श्वान ज्यों, ह्ना ह्ना करै हमेश।
दासगरीब कबीर हरि का दुर्लभ है वह देश।।699।।
दुर्लभ देश कबीर का, राई ना ठहराय। गरीबदास पत्थर शिला, ब्र��ह्मण रहे उठाय।।700।।
पत्थर शिलासैं ना भला, मिसर कसर तुझ मांहि।
गरीबदास निज नाम बिन, सब नरक कूं जांहि।।701।।
जटाजूट और भद्र भेख, पैज पिछौड़ी हीन।
गरीबदास जुलहा सिरै, और रैदास कुलीन।।702।।
क्रमशः______________
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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मैडम सर ने एक और मील का पत्थर पूरा किया!
मैडम सर ने एक और मील का पत्थर पूरा किया!
सोनी सब के मैडम सर ने हाल ही में दर्शकों को एक्शन, ड्रामा और मनोरंजन की निरंतर खुराक का वादा करते हुए 600 एपिसोड का एक और बड़ा मील का पत्थर पूरा किया। एक सामाजिक संदेश देते हुए, कॉमिक पुलिस ड्रामा सीरीज़ में एसएचओ हसीना मलिक के रूप में गुल्की जोशी, करिश्मा सिंह के रूप में युक्ति कपूर, संतोष के रूप में भाविका शर्मा और पुष्��ा जी के रूप में सोनाली नायक हैं। उत्साहित गुल्की ने कहा, “यह टीम के लिए एक…
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हिमाचल: सड़क किनारे पड़े पत्थर से भिड़ी कार, भाई और मां को गंवाया, पत्नी और खुद अस्पताल में
हिमाचल: सड़क किनारे पड़े पत्थर से भिड़ी कार, भाई और मां को गंवाया, पत्नी और खुद अस्पताल में
कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश में होने वाले सड़क हादसों का दौर कहीं से भी थमता हुआ नजर नहीं आ रहा है। इसी कड़ी में ताजा अपडेट सूबे के कांगड़ा जिले से सामने आई है। जहां पर पेश आए सड़क हादसे में एक ही परिवार के दोनों लोगों की मौत हो गई। जान गंवाने वाले रिश्ते में मां बेटे थे। बताया गया कि यह हादसा राष्ट्रीय राजमार्ग 88 पर रानीताल के पास पेश आया। बताया गया कि सोमवार रात गाडी अनियंत्रित होकर सड़क किनारे रखे…
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#Apna Himachal Apni Shaan#himachal news#Himachal Pradesh#latest news#state news#असपतल#और#क#कनर#कर#खद#गवय#पड़#पतथर#पतन#भई#भड़#म#स#सड़क#हमचल
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CAA: लखनऊ में ईंट पत्थर हटवा रहे अफसर
CAA: लखनऊ में ईंट पत्थर हटवा रहे अफसर
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लखनऊ विरोध-प्रदर्शन की आशंका पर लखनऊ नगर निगम के बहाने सड़क किनारे पड़े ईंट-पत्थर हटवा रहा है। अफसरों के मुताबिक, नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के मद्देनजर पुराने शहर में खास सतर्कता बरती जा रही है। इसके तहत जोन दो, तीन और छह के मोहल्लों में खास चल रहा है। इ�� इलाकों में नगर निगम की कई टीमों ने सड़क किनारे से ईंट-पत्थर का एक-एक टुकड़ा हटाया, ताकि अराजकतत्वों के…
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’’सब पंथों के हिन्दुओं को भक्ति-शक्ति में कबीर जी द्वारा पराजित करना‘‘
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 649-702 :-
पंडित सिमटे पुरीके, काजी करी फिलादी।
गरीबदास दहूँ दीन की, जुलहै खोई दादि।।649।।
च्यारि बेद षटशास्त्र, काढे अठारा पुराण।
गरीबदास चर्चा करैं, आ जुलहै सैतान।।650।।
तूं जुलहा सैतान है, मोमन ल्याया सीत।
गरीबदास इस पुरी में, कौन तुम्हारा मीत।।651।।
तूं एकलखोर एकला रहै, दूजा नहीं सुहाय।
गरीबदास काजी पंडित, मारैं तुझै हराय।652।।
सुनि ब्रह्मा के बेद, तूं नीच जाति कुल हीन।
गरीबदास काजी पंडित, सिमटैं दोनौं दीन।।653।।
च्यारि बेद षटशास्त्र, अठारा पुराण की प्रीति।
गरीबदास पंडित कहैं, सुन जुलहे मेरे मीत।।654।।
ज्ञान ध्यान असनान करि, सेवौ सालिग्राम।
गरीबदास पंडित कहैं, सुनि जुलहे बरियाम।।655।।
बोलै जुलहा अगम गति, सुन पंडित प्रबीन।
गरीबदास पत्थर पटकि, हौंना पद ल्यौ लीन।।656।।
अनंत कोटि ब्रह्मा गये, अनंत कोटि गये बेद।
गरीबदास गति अगम है, कोई न जानैं भेद।।657।।
अनंत कोटि सालिग गये, साथै सेवनहार।
गरीबदास वह अगम पंथ, जुलहे कूं दीदार।।658।।
काजी पंडित सब गये, शाह सिकंदर पास।
गरीबदास उस सरे में, सबकी बुद्धि का नाश।।659।।
कबीर और रैदास ने, भक्ति बिगारी समूल।
गरीबदास द्वै नीच हैं, करते भक्ति अदूल।।660।।
हिंदूसैं नहीं राम राम, मुसलमान सलाम।
गरीबदास दहूँ दीन बिच, ये दोनों बे काम।।661।।
उमटी काशी सब गई, षट दर्शन खलील।
गरीबदास द्वै नीच हैं, इन मारत क्या ढील।।662।।
दंडी सन्यासी तहां, सिमटे हैं बैराग। गरीबदास तहां कनफटा, भई सबन सें लाग।।663।।
एक उदासी बनखंडी, फूल पान फल भोग।
गरीबदास मारन चले, सब काशी के लोग।।664।।
बीतराग बहरूपीया, जटा मुकुट महिमंत।
गरीबदास दश दश पुरुष, भेडौं के से जन्त।।665।।
भस्म रमायें भुस भरैं, भद्र मुंड कचकोल।
गरीबदास ऐसे सजे, हाथौं मुगदर गोल।।666।।
छोटी गर्दन पेट बडे़, नाक मुख शिर ढाल।
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काले मुहडे जिनौं के, पग सांकल संकेत।
गरीबदास गलरी बौहत, कूदैं जांनि प्रेत।।668।।
गाल बजावैं बंब बंब, मस्तक तिलक सिंदूर।
गरीबदास कोई भंग भख, कोई उडावैं धूर।।669।।
रत्नाले माथे करैं, जैसैं रापति फील। गरीबदास अंधे बहुत, फेरैं चिसम्यौं लील।।670।।
लीले चिसम्यौं अंधले, मुख बांवै खंजूस।
गरीबदास मारन चले, हाथौं कूंचैं फूस।।671।।
जुलहे और चमार परि, हुई चढाई जोर। गरीबदास पत्थर लिये, मारैं जुलहे तोर।।672।।
तिलक तिलंगी बैल जूं, सौ सौ सालिगराम।
गरीबदास चौकी बौहत, उस काशी के धाम।।673।।
घर घर चौकी पथरपट, काली शिला सुपेद।
गरीबदास उस सौंज पर, धरि दिये चारौं बेद।।674।।
ताल मंजीरे बजत हैं, कूदै दागड़ दुम। गरीबदास खर पीठ हैं, नाक जिन्हौं के सुम।।675।।
पंडित और बैराग सब, हुवा इकठा आंनि।
गरीबदास एक गुल भया, चौकी धरी पषांन।।676।।
एक पत्थर भूरी शिला, एक काली कुलीन।
गरीबदास एक गोल गिरद, एक लाम्बी लम्बीन।।677।।
एक पीतल की मूरती, एक चांदी का चौक।
गरीबदास एक नाम बिन, सूना है त्रिलोक।।678।।
एक सौने का सालिगं, जरीबाब पहिरांन।
गरीबदास इस मनुष्य सैं, अकल बडी अक श्वान।।679।।
काशीपुरी के सालिगं, सबै समटे आय। गरीबदास कुत्ता तहां, मूतैं टांग उठाय।।680।।
कुत्ता मुख में मूति है, कैसै सालिगराम। गरीबदास जुलहा कहै, गई अकल किस गाम।।681।।
धोय धाय नीके किये, फिरि आय मारी धार।
गरीबदास उस पुरी में, हंसें जुलाहा और चमार।।682।।
तीन बार मुख मूतिया, सालिग भये अशुद्ध।
गरीबदास चहूँ बेद में, ना मूर्ति की बुद्धि।।683।।
भृष्ट हुई काशी सबै, ठाकुर कुत्ता मूंति। गरीबदास पतथर चलैं, नागा मिसरी सूंति।।684।।
किलकारैं दुदकारहीं, कूदैं कुतक फिराय।
गरीबदास दरगह तमाम, काशी उमटी आय।।685।।
होम धूप और दीप करि, भेख रह्या शिर पीटि।
गरीबदास बिधि साधि करि, फूकैं बौहत अंगीठ।।686।।
काशीके पंडित लगे, कीना होम हजूंम। गरीबदास उस पुरी में, परी अधिकसी धूम।।687।।
चौकी सालिगराम की, मसकी एक न तिल।
गरीबदास कहै पातशाह, षटदर्शन कि गल।।688।।
धूप दीप मंदे परे, होम सिराये भेख। दास गरीब कबीर ने, राखी भक्ति की टेक।।689।।
सत कबीर रैदासतूं, कहै सिकंदर शाह। गरीबदास तो भक्ति सच, लीजै सौंज बुलाय।।690।।
कहै कबीर सुनि पातशाह, सुनि हमरी अरदास।
गरीबदास कुल नीचकै, क्यौं आवैं हरि पास।।691।।
दीन बचन आधीनवन्त, बोलत मधुरे बैन।
गरीबदास कुण्डल हिरद, चढे गगन गिरद गैंन।।692।।
लीला की पुरूष कबीर ने, सत्यनाम उचार।
गरीबदास गावन लगे, जुलहा और चमार।।693।।
दहनैं तौ रैदास है, बामी भुजा कबीर। गरीबदास सुर बांधि करि, मिल्या राग तसमीर।694।।
रागरंग साहिब गाया लीला कीन्ही ततकाल।
गरीबदास काशीपुरी, सौंज पगौं बिन चाल।।695।।
सौंज चली बिन पगौंसैं, जुलहै लीन्ही गोद।
गरीबदास पंडित पटकि, चले अठारा बोध।।696।।
जुलहे और चमारकै, भक्ति गई किस हेत।
गरीबदास इन पंडितौंका, रहि गया खाली खेत।।697।।
खाली खेत कुहेतसैं, बीज बिना क्या होय।
गरीबदास एक नाम बिन, पैज पिछौड़ी तोय।।698।।
तत्वज्ञान हीन श्वान ज्यों, ह्ना ह्ना करै हमेश।
दासगरीब कबीर हरि का दुर्लभ है वह देश।।699।।
दुर्लभ देश कबीर का, राई ना ठहराय। गरीबदास पत्थर शिला, ब्राह्मण रहे उठाय।।700।।
पत्थर शिलासैं ना भला, मिसर कसर तुझ मांहि।
गरीबदास निज नाम बिन, सब नरक कूं जांहि।।701।।
जटाजूट और भद्र भेख, पैज पिछौड़ी हीन।
गरीबदास जुलहा सिरै, और रैदास कुलीन।।702।।
क्रमशः______________
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NITIE और IIT (BHU) वाराणसी ने डेटा एनालिटिक्स के माध्यम से आपूर्ति श्रृंखला में सुधार के लिए एक और मील का पत्थर पूरा किया - टाइम्स ऑफ इंडिया
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जैसे-जैसे हम महामारी के दो साल के निशान के करीब पहुंच रहे हैं, कंपनियां बुद्धिमान आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन प्रणालियों को डिजिटल रूप से बदलने और लागू करने के लिए उत्सुक हैं। सभी क्षेत्रों के संगठन महामारी के व्यवधानों के साथ-साथ श्रमिकों की बढ़ती कमी, आपूर्ति की कमी और बढ़ती लागत से निपट रहे हैं। जैसे ही आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान आदर्श बन जाता है, आपूर्ति श्रृंखलाओं को चपलता, लचीलापन और पारदर्शिता…
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हिमाचल: चलती कार पर बरसने लगे पत्थर, ड्राइवर की होशियारी ने बचा ली पूरे परिवार की जिंदगी
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किन्नौर: हिमाचल में जारी बारिश के बीच भूस्खलन के मामले भी सामने आ रहे हैं। ताजा मामला किन्नौर जिले के सांगला-छितुकुल सड़क मार्ग का है। जहां दोपहर बाद पहाड़ी से अचानक भूस्खलन होने लगी। जिसकी चपेट में एक गाड़ी भी आ गया। यह भी पढ़ें: हिमाचल पुलिस का कांस्टेबल बना करोड़पति: वो भी सिर्फ 4 घंटे में- यहां पढ़ें पूरी कहानी बता दें कि चंडीगढ़ के कुछ लोग हिमाचल घूमने आए थे। सांगला-छितुकुल सड़क मार्ग पर…
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घर जाने के लिए तीन बार जाम लगाया, एक बार पत्थर भी बरसाए; इंदौर बाइपास पर गुजरात जाने वाले मजदूर भटके
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सेंधवा काबिजासन मंदिर परिसर। गुरुवार सुबह 8 बजेयहां करीब एक हजार मजदूरों की भीड़ जमा थी।इससे पहले 10 से ज्यादा बसें मजदूरों को लेकर निकल चुकी थीं। इसके बाद बसें आने में देरी हुई तो लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया। लोगों का कहना था रात से रुके हैं, लेकिन यहां पर्याप्त बसें नहीं हैं। एसडीओपी टीएस बघेल, सेंधवा ग्रामीण थाना प्रभारी वीडीएस परिहार औरशहर थाना प्रभारी तुरसिंह डावर पुलिसबल समेत मौके पर…
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फैसले से पहले 8 अस्थायी जेल बनीं, विहिप ने पत्थर तराशने का काम रोका; सुरक्षा के लिए 100 अतिरिक्त कंपनियों की मांग
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अयोध्या/लखनऊ. रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला 17 नवंबर तक आने के आसार हैं। इसके मद्देनजर ��योध्या में 10 दिसंबर तक धारा-144 लागू कर दी गई है। पड़ोसी जिले अंबेडकर नगर में 8 अस्थायी जेल बनाई गई हैं। यह सभी जेल, कॉलेजों में बनाई गई हैं। इधर, विहिप ने राम मंदिर के लिए पत्थर तराशने का काम रोक दिया। 1990 के बाद यह पहला मौका है, जब विहिप ने पत्थर तराशना बंद कराया है। विहिप…
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हिमाचल के BJP नेताओं पर चंडीगढ़ में जानलेवा हमला: गाड़ियों के शीशे तोड़े, डंडे ईंट और पत्थर मारे
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चंडीगढ़/शिमलाः केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ की सड़कों पर दिन दहाड़े हिमाचल प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले भारतीय जनता पार्टी के नेताओं पर जानलेवा हमला होने की खबर सामने आ रही है। इस हमले में हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले से संबंध रखने वाले चंडीगढ़ के मेयर रविकांत शर्मा व हिमाचल भारतीय जनता पार्टी के सह प्रभारी संजय टंडन समेत अन्य नेताओं की गाड़ियों के शीशे तोड़ दिए। यह भी पढ़ें: हिमाचल पुलिस को बड़ी सफलता:…
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covid-19 pandemic: पुलिसकर्मियों और डाक्टरों पर पत्थर फेंकने से दुखी हैं हिमा दास, पीएम मोदी से जताया दुख - i told pm i am sad about people throwing stones at policemen and doctors says hima das
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[ad_1] Nityanand Pathak | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 03 Apr 2020, 07:12:00 PM IST
हिमा दास
नई दिल्ली भारत की स्टार धाविका हिमा दासकोरोना वायरस से जंग लड़ रहे पुलिसकर्मियों और डाक्टरों पर हुए हमलों से दुखी हैं। उन्होंने शुक्रवार को इन घटनाओं पर दुख व्यक्त किया जो कोविड-19 महामारी से निपटने ��े लिए देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान ड्यूटी पर थे। असम पुलिस में डीएसपी हिमा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र…
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अबुधाबी में हिंदू मंदिर का निर्माण शुरू; लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा, पत्थरों को जोड़कर बनेगा
अबुधाबी में हिंदू मंदिर का निर्माण शुरू; लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा, पत्थरों को जोड़कर��बनेगा
अबुहाबीयूएई की राजधानी अबुधाबी में भूमि पूजन के लगभग 2 साल बाद स्वामीनारायण संप्रदाय के हिंदू मंदिर का निर्माण शुरू हो गया है। गुरुवार को इसकी नींव रखी गई। खास बात यह है कि इसमें किसी भी तरह के लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। मंदिर समिति के मुताबिक इसे भारत में पारंपरिक मंदिर वास्तुकला के हिसाब से बनाया जाएगा। इसमें लोहे की बजाय फ्लाई-ऐश कंक्रीट का इस्तेमाल किया जा रहा है।
यह नींव मजबूत…
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फिर दरका पहाड़, महिला की मौत, भरमौर में पुल टूटा #news4
शिमला : हिमाचल में अब तक बारिश-बर्फबारी लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई थी अब प्रदेश में पहाड़ों के दरकने से भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। शुक्रवार को शिमला के नेरवा में एक पहाड़ से पतथर गिरने के कारण एक महिला की मौत हो गई है। वहीं दूसरी ओर चंबा के भरमौर में पहाड़ी दरकने से एक पुल क्षतिग्रस्त हो गया है। शिमला के नेरवा में पहाड़ी से पत्थर महिला के सिर पर लगा था, जिससे वह गंभीर घायल हो गई।…
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