#पंचांग
Explore tagged Tumblr posts
Text
Panchang 20 October; जानिए 20 अक्टूबर का पंचांग, राहुकाल, शुभ मुहूर्त और सूर्योदय-सूर्यास्त का समय
Panchang 20 October; जानिए 20 अक्टूबर का पंचांग, राहुकाल, शुभ मुहूर्त और सूर्योदय-सूर्यास्त का समय #News #NewsUpdate #newsfeed #newsbreakapp
20 October 2024 Ka Panchang: 20 अक्टूबर को कार्तिक कृष्ण पक्ष की उदया तिथि तृतीया और रविवार का दिन है। तृतीया तिथि रविवार सुबह 6 बजकर 47 मिनट पर समाप्त हो चुकी है। 20 अक्टूबर को सुबह 8 बजकर 32 मिनट तक कृत्तिका नक्षत्र रहेगा, उसके बाद रोहिणी नक्षत्र लग जाएगा। रविवार को करवा चौथ का व्रत किया जाएगा। इसके अलावा 20 अक्टूबर को संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी भी है कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को महिलाओं…
0 notes
Text
*🌞~ कल दिनांक 16 जनवरी 2024 मंगलवार का हिन्दू पंचांग ~🌞*
https://youtube.com/shorts/0lczvIw_4WI?si=c0ONZ0njh7gJzWdv
*⛅दिनांक - 16 जनवरी 2024*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - शिशिर*
*⛅मास - पौष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - षष्ठी रात्रि 11:57 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*⛅नक्षत्र - पूर्वभाद्रपद 17 जनवरी प्रातः 04:38 तक तत्पश्चात उत्तरभाद्रपद*
*⛅योग - परिघ रात्रि 08 :01 तक तत्पश्चात शिव*
*⛅राहु काल - शाम 03:33 से 04:54 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:23*
*⛅सूर्यास्त - 06:16*
*⛅दिशा शूल - उत्तर*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:38 से 06:30 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:23 से 01:16 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - मकर संक्रांति, पोंगल*
*⛅विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹तिल के औषधीय प्रयोग🔹*
*🔸काले तिल चबाकर खाने व शीतल जल पीने से शरीर की पर्याप्त पुष्टि हो जाती है। दाँत मृत्युपर्यन्त दृढ़ बने रहते हैं।*
*🔸एक भाग सोंठ चूर्ण में दस भाग तिल का चूर्ण मिलाकर 5 से 10 ग्राम मिश्रण सुबह शाम लेने से जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है।*
*🔸तिल का तेल पीने से अति स्थूल (मोटे) व्यक्तियों का वजन घटने लगता है व कृश (पतले) व्यक्तियों का वजन बढ़ने लगता है। यह कार्य तेल के द्वारा सप्तधातुओं के प्राकृत निर्माण से होता है।*
*🔹तैलपान विधिः सुबह 20 से 50 मि.ली. गुनगुना तेल पीकर,गुनगुना पानी पियें। बाद में जब तक खुलकर भूख न लगे तब तक कुछ न खायें।*
*🔸अत्यन्त प्यास लगती हो तो तिल की खली को सिरके में पीसकर समग्र शरीर पर लेप करें।*
*🔸वार्धक्यजन्य हड्डियों की कमजोरी उससे होने वाले दर्द में दर्दवाले स्थान पर 15 मिनट तक तिल के तेल की धारा करें।*
*🔸पैर में फटने या सूई चुभने जैसी पीड़ा हो तो तिल के तेल से मालिश कर रात को गर्म पानी से सेंक करें।*
*🔸पेट मे वायु के कारण दर्द हो रहा हो तो तिल को पीसकर, गोला बनाकर पेट पर घुमायें।*
*🔹वातजनित रोगों में तिल में ��ुराना गुड़ मिलाकर खायें।**
*🔸एक भाग गोखरू चूर्ण में दस भाग तिल का चूर्ण मिलाके 5 से 10 ग्राम मिश्रण बकरी के दूध में उबाल कर, मिश्री मिला के पीने से षढंता∕नपुंसकता (Impotency) नष्ट होती है।*
*🔸काले तिल के चूर्ण में मक्खन मिलाकर खाने से रक्तार्श (खूनी बवासीर) नष्ट हो जाती है।*
*🔹तिल की मात्राः 10 से 25 ग्राम ।*
*🔹विशेषः देश, काल, ऋतु, प्रकृति, आयु आदि के अनुसार मात्रा बदलती है। उष्ण प्रकृति के व्यक्ति, गर्भिणी स्त्रियाँ तिल का सेवन अल्प मात्रा में करें। अधिक मासिक-स्राव में तिल न खायें।*
*स्रोतः ऋषि प्रसाद, जनवरी 2011*
*🌹 बरकत लाने व सुखमय वातावरण बनाने हेतु🌹*
*🌹 जिस घर में भगवान का, ब्रह्मवेत्ता संत का चित्र नहीं है वह घर स्मशान है । जिस घर में माँ-बाप, बुजुर्ग व बीमार का खयाल नहीं रखा जाता उस घर से लक्ष्मी रूठ जाती है । बिल्ली, बकरी व झाड़ू कि धूलि घर में आने से बरकत चली जाती है । गाय के खुर कि धूलि से, सुह्र्दयता से, ब्रह्मज्ञानी सत्पुरुष के सत्संग से घर का वातावरण स्वर्गमय, सुखमय, मुक्तिमय हो जाता है ।*
*📖 लोक कल्याण सेतु – नवम्बर २०२१ से*
*🔹बच्चे - बच्चियों को गन्दगी से बचाने के लिए🔹*
*🔹अपने बच्चे – बच्चियाँ वहाँ की गंदगी से बचें इसलिए ‘दिव्य प्रेरणा – प्रकाश’ पुस्तक बार – बार पढ़ें । रात्रि को सोने से पूर्व २१ बार ‘ॐ अर्यमायै नम:’ मंत्र का जप करना तथा तकिये पर अपनी माँ का नाम (केवल ऊँगली से ) लिखकर सोना, सुबह स्नान के बाद ललाट पर तिलक करना और पढाई के दिनों में एवं अवसाद (डिप्रेशन) के समय प्राणायाम करने चाहिए ।*
*🔹सर्वांगासन करके गुदाद्वार का जितनी देर सम्भव हो संकोचन करें और ‘वीर्य ऊपर की ओर आ रहा है...’ ऐसा चिंतन करें । देर रात को न खायें, कॉफ़ी-चाय के आदि के व्यसन में न पड़ें और सादा जीवन जियें, जिससे अपनी जीवनीशक्ति की रक्षा हो ।*
*🔹सुबह थोड़ी देर भगवत्प्रार्थना – स्मरण करते हुए शांत हो जाओ । बुद्धि में सत्त्व बढ़ेगा तो बुद्धि निर्मल होगी, गड़बड़ से मन को बचायेगी और मन इन्द्रियों को नियंत्रित रखेगा ।*
*स्त्रोत – 📖 ऋषि प्रसाद – जनवरी – २०१७*
https://t.me/asharamjiashram/6508
*🌞संत श्री आशारामजी बापू आश्रम🌞*
0 notes
Text
#गृह प्रवेश#दिसंबर 2024#खरमास#शुभ कार्यक्रम#गृह प्रवेश मुहूर्त#मलमास#घर में प्रवेश#हिंदू पंचांग#मकर संक्रांति#शुभ मुहूर्त#housegyan#shubh muhurat#shubh muhurat today
0 notes
Text
मार्गशीर्ष अमावस्या 2024: तिथि, शुभ मुहूर्त और दान का महत्व
हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व होता है। यह दिन पितरों को श्रद्धांजलि देने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए समर्पित होता है। मार्गशीर्ष अमावस्या का और भी अधिक महत्व है, क्योंकि यह साल की अंतिम शनिश्चरी अमावस्या होती है। इस दिन पितरों का तर्पण करने से उन्हें विशेष शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मार्गशीर्ष अमावस्या 2024 की तिथि और शुभ मुहूर्त
वर्ष 2024 में मार्गशीर्ष अमावस्या 30 नवंबर को सुबह 10 बजकर 29 मिनट से शुरू होगी और 1 दिसंबर को सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, इस बार मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत 01 दिसंबर 2024 को रखा जाएगा।
स्नान-दान का शुभ मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 5 बजकर 8 मिनट से सुबह 6 बजकर 2 मिनट तक) और अभिजीत मुहूर्त (30 नवंबर को सुबह 11 बजकर 49 मिनट से दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक) स्नान-दान के लिए शुभ माने जाते हैं।
मार्गशीर्ष अमावस्या पर क्या करें:
पितरों का तर्पण: इस दिन ��ितरों का तर्पण करना बहुत शुभ माना जाता है। तिल के तेल का दीपक जलाएं और पितरों को जल अर्पित करें।
दान: इस दिन दान करना बहुत पुण्यदायी होता है। आप अन्न, वस्त्र, धन आदि दान कर सकते हैं।
पूजा: भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा करें।
व्रत: इस दिन व्रत रखना भी शुभ माना जाता है।
मंत्र जाप: इस दिन ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।
मार्गशीर्ष अमावस्या पर क्या न करें:
अशुभ काम: इस दिन अशुभ काम न करें।
झूठ बोलना: झूठ बोलने से बचें।
गुस्सा करना: गुस्सा करने से बचें।
मनमुटाव: किसी से मनमुटाव न करें।
मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व
पितरों को शांति मिलती है।
पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मन शांत होता है।
जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
निष्कर्ष
मार्गशीर्ष अमावस्या एक पवित्र दिन है। इस दिन पितरों को याद करके और उनकी पूजा करके हम उनके आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
#मार्गशीर्ष अमावस्या 2024#मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि 2024#मार्गशीर्ष अमावस्या का दिन है#मार्गशीर्ष अमावस्या 2024 का महत्व#मार्गशीर्ष अमावस्या पूजा विधि#मार्गशीर्ष अमावस्या व्रत कथा#मार्गशीर्ष अमावस्या पर क्या करें#मार्गशीर्ष अमावस्या पर क्या न करें#मार्गशीर्ष अमावस्या का शुभ मुहूर्त#मार्गशीर्ष अमावस्या पर दान#मार्गशीर्ष अमावस्या 2024 पंचांग#मार्गशीर्ष अमावस्या 2024 तारीख#मार्गशीर्ष अमावस्या 2024 का समय#मार्गशीर्ष अमावस्या 2024 में क्या करें#मार्गशीर्ष अमावस्या 2024 में क्या न करें#मार्गशीर्ष अमावस्या 2024 कब है#मार्गशीर्ष अमावस्या 2024 में स्नान#मार्गशीर्ष अमावस्या 2024 में दान#मार्गशीर्ष अमावस्या 2024 में पूजा#मार्गशीर्ष अमावस्या 2024 में व्रत#मार्गशीर्ष अमावस्या 2024 में क्या खाएं#मार्गशीर्ष अमावस्या 2024 में क्या पीएं#मार्गशीर्ष अमावस्या 2024 में क्या पहनें#मार्गशीर्ष अमावस्या 2024 में कहाँ जाएं#मार्गशीर्ष अमावस्या 2024 में क्या पढ़ें#मार्गशीर्ष अमावस्या
0 notes
Text
Aaj Ka Panchang (आज का पंचांग), Hindu Panchang शुभ मुहूर्त तिथि राहुकाल का समयAaj Ka Panchang - Today Panchang In Hindi, जाने आज के पंचांग में आज का शुभ मुहूर्त, आज की तिथि सूर्योदय, चंद्रोदय का समय, चौघड़िया, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, जो आपको आज के महत्वपूर्ण कार्यों को व्यवस्थित करने में काफी सहयोगी होगी।
#Aaj ka panchang#today panchang in hindi#hindu panchang#aaj ki tithi#aaj kaunsi tithi hai#today tithi#aaj ka shubh muhurt#panchang#today panchang#aaj rahukal time#choghadiya#aaj ka karan#aaj konsa war hai#aaj ka suryoday aur suryast#आज की तिथि#आज का पंचांग#हिन्दू कैलेंडर 2024#आज का सूर्योदय और सूर्यास्त
0 notes
Text
जानिए कब शुरू हो रही है शारदीय नवरात्र
जानिए कब शुरू हो रही है शारदीय नवरात्र #navratri #shardiyanavratri #festival #vocaltv #relegiousnews #october
भारत में शारदीय नवरात्रि को बहुत ही खास तरीके से मनाया जाता है, इस त्यौहार में नव दिनों तक लोगो में काफी उत्साह, उमंग और उपासना दिखने को मिलती है. यह पावन त्यौहार हिन्दू पंचांग के अनुसार, अश्विन माह के शु��्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है. इस बार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर से होने जा रही है और समापन 24 अक्टूबर को होगा. हिन्दू वर्ष में नवरात्रि चार बार मनाई जाती है वही अश्विन माह…
View On WordPress
#aaj ki taja khabar#BREAKING NEWS#festival#update#vocal tv news#उपासना#त्यौहार#नवरात्रि#पूजा#भारत#माँ दुर्गा#शारदीय नवरात्रि#हिन्दू पंचांग
0 notes
Text
Hindu Festival: PRATISHTHA DWADASHI (प्रतिष्ठा द्वादशी)
🚩जय श्री राम 🚩
#HinduFestival: Pratishtha Dwadashi (प्रतिष्ठा द्वादशी )
¶ प्रतिष्ठा द्वादशी कब और क्यों मनाया जाता है?
संतों से परामर्श के पश्चात यह तय किया गया कि जिस प्रकार सभी हिंदू उत्सव और पर्व हिंदी तिथि एवं पंचांग के अनुसार मनाए जाते हैं, उसी प्रकार प्रभु श्री रामलला सरकार की प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ को प्रति वर्ष पंचांग अनुसार पौष शुक्ल द्वादशी अर्थात कूर्म द्वादशी को मनाया जाए। इस तिथि को प्रतिष्ठा द्वादशी के रूप में जाना जाएगा।
¶ प्रतिष्ठा द्वादशी पर होने वाले कार्यक्रम:
इस वर्ष(2025), अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में भगवान श्री रामलला सरकार के श्री विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगाँठ 11 जनवरी, 2025 को मनाई जाएगी। जिसमें निम्नलिखित कार्यक्रम होंगे:
1. यज्ञ मण्डप (मंदिर परिसर):
- शुक्ल यजुर्वेद के मंत्रों से अग्निहोत्र (सुबह 8-11 बजे और दोपहर 2-5 बजे)
- 6 लाख श्रीराम मंत्र जाप
- राम रक्षा स्त्रोत, हनुमान चालीसा, आदि का पाठ
2. मंदिर भूतल पर कार्यक्रम:
- राग सेवा (3-5 बजे)
- बधाई गान (6-9 बजे)
3. यात्री सुविधा केंद्र के प्रथम तल पर:
- संगीतमय मानस पाठ
4. अंगद टीला:
- राम कथा (2-3:30 बजे)
- मानस प्रवचन (3:30-5 बजे)
- सांस्कृतिक कार्यक्रम (5:30-7:30 बजे)
- भगवान का प्रसाद वितरण (प्रातःकाल से)
अंगद टीला के आयोजन में सम्पूर्ण समाज आमंत्रित है|
🚩🚩🚩Jai Shree 🚩🚩🚩
¶ WHY IS PRATISHTHA DWADASHI CELEBRATED?
After consultation with the saints, it was decided that just as all Hindu festivals and celebrations are celebrated according to the Hindi date and calendar, similarly the anniversary of the Pran Pratishtha of Lord Shri Ramlala Sarkar should be celebrated every year on Paush Shukla Dwadashi i.e. Kurma Dwadashi according to the calendar. This date will be known as Pratishtha Dwadashi.
¶ EVENTS TO BE CELEBRATED DURING PRATISHTHA DWADASHI:
This year, the first anniversary of the consecration of the idol of Lord Shri Ram Lalla Sarkar at the Shri Ram Janmabhoomi temple in Ayodhya will be celebrated on January 11, 2025. The following events will take place:
1. Yagna Mandap (Temple premises):
- Agnihotra with mantras from Shukla Yajurveda (8-11 am and 2-5 pm)
- Chanting of 6 lakh Shriram Mantras
- Recitation of Ram Raksha Stotra, Hanuman Chalisa, etc.
2. Programs on the temple ground floor:
- Raag Seva (3-5 pm)
- Badhai Gaan (6-9 pm)
3. On the first floor of Yatri Suvidha Kendra:
- Musical Manas Paath
4. Angad Tila:
- Ram Katha (2-3:30 pm)
- Manas Pravachan (3:30-5 pm)
- Cultural program (5:30-7:30 pm)
- Distribution of Bhagwan's Prasad (from morning)
The entire society is invited to the event at Angad Tila.
Jai Shree Ram!!!
#ram#ram mandir#ramayana#ayodhya#ram mandir trust#sriramjanmbhumi#hinduism#jai shri ram#ram mandir news#jai sri ram#hindu gods#hindu myths#hindu festivals#Pratishtha Dwadashi#events on Pratishtha Dwadashi#प्रतिष्ठा द्वादशी कब और क्यों मनाया जाता है#रामलला#कुम्भ#kumbh me ka#prayagraj#ram Mandir news updates
6 notes
·
View notes
Text
लखनऊ, 10.05.2024 | “भगवान परशुराम जी" की जयंती के पावन उपलक्ष्य में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा प्राथमिक विद्यालय, तकरोही, लखनऊ में "श्रद्धापूर्ण पुष्प अर्पण” कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम में ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ० रूपल अग्रवाल एवं प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका श्रीमती सुधा मौर्या द्वारा दीप प्र��्वलित कर भगवान परशुराम जी के चित्र पर पुष्प अर्पित किए गए तथा उन्हें सादर नमन किया गया | सभी छात्र-छात्राओं ने भी भगवान परशुराम जी के चित्र पर पुष्प अर्पित किए |
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने कहा कि, “भगवान परशुराम को भगवान विष्णु और भगवान शिव का संयुक्त अवतार माना जाता है | हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को परशुराम जयंती मनाई जाती है । इसी दिन अक्षय तृतीया का भी त्योहार मनाया जाता है । भगवान परशुराम अत्यंत क्रोधी स्वभाव के थे | जब सीता स्वयंवर में मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने शंकर जी का धनुष तो���़ दिया तब भगवान परशुराम को अत्यधिक क्रोध आ गया और वह गुस्से में महाराज जनक के महल पहुंच गए लेकिन भगवान राम से वार्तालाप करने के बाद उनका क्रोध शांत हो गया | भगवान परशुराम जब शंकर जी से मिलने कैलाश पर्वत पहुंचे थे तब भगवान गणेश ने उनका रास्ता रोक दिया था तथा भगवान परशुराम ने गणेश जी का एक दांत तोड़ दिया था जिसके कारण गणेश जी एकदंत कहलाए | भगवान परशुराम क्रोधी स्वभाव के होने के साथ-साथ धर्म के रक्षक भी थे तथा उनके जीवन का संदेश था कि धर्म की रक्षा के लिए हमें हमेशा तैयार रहना चाहिए । भगवान परशुराम जयंती के इस महान अवसर पर हम सभी को अपने जीवन में उनके उत्कृष्ट गुणों को अपनाने का संकल्प लेना चाहिए, ताकि हम समृद्धि और सफलता की ओर अग्रसर हो सके ।"
प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका श्रीमती सुधा मौर्य ने कहा कि, "भगवान परशुराम बहुत आज्ञाकारी स्वभाव के थे | हमें उनकी तरह बड़ों की आज्ञा माननी चाहिए और अपने जीवन में हमेशा आगे बढ़ने का संकल्प लेना चाहिए |"
अंत में श्री हर्षवर्धन अग्रवाल ने सभी का धन्यवाद करते हुए कहा कि "इस तरह के कार्यक्रम प्रत्येक स्कूल में आयोजित होने चाहिए जिससे विद्यार्थी अपने देश के इतिहास के बारे में और अधिक जान सके |"
कार्यक्रम में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, प्रधानाध्यापिका श्रीमती सुधा मौर्या, छात्र-छात्राओं तथा ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
#ParshuramJyanti2024 #परशुरामजयन्ती2024 #अक्षय_तृतीया #परशुराम_जन्मोत्सव #परशुराम_जयंती #ParshuramJyanti #भगवानपरशुराम #BhagwanParshuram
#जय_श्री_परशुराम #परशुराम #Parshuramji
#PrathamikVidyalayTakrohi #SudhaMaurya
#NarendraModi #PMOIndia
#YogiAdityanath #UPCM
#HelpUTrust #HelpUEducationalandCharitableTrust
#KiranAgarwal #DrRupalAgarwal #HarshVardhanAgarwal
#followers #highlight
www.helputrust.org
@narendramodi @pmoindia
@MYogiAdityanath @cmouttarpradesh
@HelpUEducationalAndCharitableTrust @HelpU.Trust
@KIRANHELPU
@HarshVardhanAgarwal.HVA @HVA.CLRS @HarshVardhanAgarwal.HelpUTrust
@HelpUTrustDrRupalAgarwal @RupalAgarwal.HELPU @drrupalagarwal
@HelpUTrustDrRupal
@followers @highlight
9 notes
·
View notes
Text
हिंदू मान्यताओं के अनुसार गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2024) के विशेष अवसर पर घर में विधि-विधान पूर्वक गणपति जी की स्थापना करने से परिवार में सदैव सुख-समृद्धि का वास बना रहता है। साथ ही इससे व्यक्ति के सभी काम बिना किसी बाधा के पूरे होने लगते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं गणेश जी की मूर्ति स्थापना की पूजा विधि।भारतवर्ष में गणेश उत्सव की भारी धूम देखने को मिलती है। यह पर्व मुख्य रूप से बुद्धि का देवता यानी गणेश जी को समर्पित है। गणेश उत्सव 10 दिनों तक चलता है, जिनकी शुरुआत भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी पर होती है और समापन अन���त चतुर्दशी के दिन किया जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि गणेश चतुर्थी पर आप किस प्रकार घर में गणेश जी की स्थापना (Ganesh Sthapana Vidhi 2024) कर सकते हैं।
गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त (Ganpat Sthapana Muhurat Time) हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि 06 सितंबर, 2024 से दोपहर 03 बजकर 01 मिनट पर शुरू होने जा रही है, जो 07 सितंबर को शाम 05 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, गणेश चतुर्थी का पर्व शनिवार, 07 सितंबर को मनाया जाएगा। इस दिन आप गणेश जी की पूजा इस मुहूर्त में कर सकते हैं । गणेश चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर गणेश जी का ध्यान करें। इसके बाद घर और मंदिर की अच्छे से साफ-सफाई कर लें। गणेश जी की मूर्ति स्थापित करने के लिए एक मंडप सजाएं। इसके लिए आप फूलों, रंगोली और दीपक का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके बाद कलश में गंगाजल, रोली, चावल, कुछ सिक्के और एक आम का पत्ता डालकर इसे मंडप में स्थापित करें। अब एक चौकी रखकर उसपर हरा कपड़ा बिछाएं और गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें।
मूर्ति स्थापना के बाद तीन बार आचमन करें और इसके बाद पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद मूर्ति के समक्ष दीपक जलाएं। साथ ही गणेश जी को वस्त्र, जनेऊ, चंदन, शमी के पत्ते, सुपारी, फल और पीले फूल आदि अर्पित करें। इसके साथ ही भगवान गणेश को 21 दूर्वा चढ़ाएं और उनके प्रिय भोग जैसे मोदक और लड्डू आदि अर्पित करें। पूजा के अंत में सभी सदस्य मिलकर गणेश जी की आरती करें और प्रसाद बांटें।रखें इन बातों का ध्यान गणेश जी की मूर्ति स्थापित करने के लिए घर का उत्तर भाग सबसे उत्तम माना जाता है। इससे आपको बेहतर परिणाम देखने को मिल सकते हैं। पूजा के बाद भगवान गणेश का ध्यान करते हुए घर-परिवार की शुखहाली के लिए प्रार्थना करें। आप स्थापना के दौरान इस मंत्र का जाप भी कर सकते हैं, इससे आपको गणेश जी की विशेष कृपा की प्राप्ति हो��ी है -
गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणमं।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम।
Credit: Suman Saini
2 notes
·
View notes
Text
धन प्राप्ति के लिए शुभ मंत्र:- "ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः" मास: ज्येष्ठ (ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष) तिथि: द्वादशी (शुक्ल पक्ष) वार: शुक्रवार नक्षत्र: आर्द्रा योग: वैधृति करण: बालव
सूर्योदय: 05:30 AM सूर्यास्त: 07:19 PM
व्रत और त्योहार: विवाह पंचमी नील शष्टी व्रत
मुहूर्त: शुभ मुहूर्त: 09:18 AM - 10:50 AM, 04:44 PM - 06:16 PM राहुकाल: 03:01 PM - 04:44 PM यमघंट: 12:05 PM - 01:47 PM गुलिकाकाल: 07:27 AM - 09:10 AM अभिजित मुहूर्त: 12:07 PM - 12:54 PM
Follow for More:- KWE Bhakti
यह जानकारी केवल सामान्य उद्देश्यों के लिए है। पंचांग और शुभ मुहूर्तों की जानकारी के लिए स्थानीय पंडित या ज्योतिषी की सलाह लें।
सुनिये देवी माँ का यह सुन्दर भजन:- youtu.be/Sy4RIja6TVM https://vvlmusic.com/
7 notes
·
View notes
Text
पंचांग
*🌞~ आज दिनांक 13 जनवरी 2024 शनिवार का हिन्दू पंचांग ~🌞*https://youtu.be/oAAXKhpHS7Q?si=Jf3VpDOF5Jkf_29v*⛅दिनांक – 13 जनवरी 2024**⛅दिन – शनिवार**⛅विक्रम संवत् – 2080**⛅अयन – उत्तरायण**⛅ऋतु – शिशिर**⛅मास – पौष**⛅पक्ष – शुक्ल**⛅तिथि – द्वितीया सुबह 11:11 तक तत्पश्चात तृतीया**⛅नक्षत्र – श्रवण दोपहर 12:49 तक तत्पश्चात धनिष्ठा**⛅योग – वज्र सुबह 10:14 तक तत्पश्चात सिद्धि**⛅राहु काल – सुबह 10:06 से 11:27…
View On WordPress
0 notes
Text
साल 2024 में होली कब है, क्या आपको पता है? 24 या 25 मार्च को मानेगी होली
होली कब है 2024 ? यह सवाल लोगो के लिए चर्चा का ��िषय बना हुआ है। पंचांग के अनुसार होली इस वर्ष मार्च महीने के अ��तिम हफ्ते में पड़ रही है। लेकिन अंतिम हफ्ते में होली कब है। इसके पीछे तारीख को लेकर काफी चर्चाएँ हो रही हैं। यहाँ पर आप Holi Kab Hai, होली का शुभ मुहूर्त कब का है, होलिकादहन कब होगा, और इससे जुडी महत्वपूर्ण तारीख को विस्तार से जानेंगे। यहाँ क्लिक करे
2 notes
·
View notes
Text
📜 गीता जयंती - Gita Jayanti
🏷️ गीता जयंती श्रीमद् भगवद् गीता का प्रतीकात्मक जन्म है। यह हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी ( मोक्षदा एकादशी) पर मनाया जाता है।
💡 कुरुक्षेत्र में महाभारत के युद्धक्षेत्र के दौरान भगवान कृष्ण ने अर्जुन को भगवत गीता का ज्ञान दिया था।
गीता पर भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विचार: मेरे पास दुनियाँ को देने के लिए इससे अच्छी कोई गिफ्ट नही है, और न दुनियाँ के पास इससे अच्छी कोई गिफ्ट लेने के लिए है। 📲 https://www.bhaktibharat.com/festival/gita-jayanti
For Quick Access Download Bhakti Bharat APP: 📥 https://play.google.com/store/apps/details?id=com.bhakti.bharat.app
🪔 श्री भगवद् गीता आरती - Aarti Shri Bhagwat Geeta 📲 https://www.bhaktibharat.com/aarti/aarti-shri-bhagwat-geeta
#gitajayanti#gita#bhagavadgita#krishna#harekrishna#iskcon#lordkrishna#mahabharat#radheradhe#haribol#iskcontemple
2 notes
·
View notes
Text
Dev Diwali - Kartik Purnima 2023: देव दिवाली पर शिव योग का होगा निर्माण इसका शिव से है गहरा संबंध होगा हर समस्या का समाधान
Dev Deepawali 2023: कार्तिक पूर्णिमा पर देव दिवाली मनाई जाती है. ये दिवाली देवताओं को समर्पित है, इसका शिव जी से गहरा संबंध है. इस दिन धरती पर आते हैं देवतागण कार्तिक पूर्णिमा का दिन कार्तिक माह का आखिरी दिन होता है. इसी दिन देशभर में देव देवाली भी मनाई जाती है लेकिन इस बार पंचांग के भेद के कारण देव दिवाली 26 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी और कार्तिक पूर्णिमा का व्रत, स्नान 27 नवंबर 2023 को है. देव दिवाली यानी देवता की दीपावली. इस दिन सुबह गंगा स्नान और शाम को घाट पर दीपदान किया जाता है. कार्तिक पूर्णिमा पर 'शिव' योग का हो रहा है निर्माण, हर समस्या का होगा समाधान |
देव दिवाली तिथि और समय
पूर्णिमा तिथि आरंभ - 26 नवंबर 2023 - 03:53
पूर्णिमा तिथि समापन - 27 नवंबर, 2023 - 02:45
देव दीपावली मुहूर्त - शाम 05:08 बजे से शाम 07:47 बजे तक
पूजन अवधि - 02 घण्टे 39 मिनट्स
शिव मंत्र
ॐ नमः शिवाय
ॐ शंकराय नमः
ॐ महादेवाय नमः
ॐ महेश्वराय नमः
ॐ श्री रुद्राय नमः
ॐ नील कंठाय नमः
देव दिवाली का महत्व
देव दिवाली का सनातन धर्म में बेहद महत्व है। इस पर्व को लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप मनाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने इस दिन राक्षस त्रिपुरासुर को हराया था। शिव जी की जीत का जश्न मनाने के लिए सभी देवी-देवता तीर्थ स्थल वाराणसी पहुंचे थे, जहां उन्होंने लाखों मिट्टी के दीपक जलाएं, इसलिए इस त्योहार को रोशनी के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है।
इस शुभ दिन पर, गंगा घाटों पर उत्सव मनाया जाता है और बड़ी संख्या में तीर्थयात्री देव दिवाली मनाने के लिए इस स्थान पर आते हैं और एक दीया जलाकर गंगा नदी में छोड़ देते हैं। इस दिन प्रदोष काल में देव दीपावली मनाई जाती है. इस दिन वाराणसी में गंगा नदी के घाट और मंदिर दीयों की रोशनी से जगमग होते हैं. काशी में देव दिवाली की रौनक खास होती है.
Dev diwali Katha : देव दिवाली की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव बड़े पुत्र कार्तिकेय ने तार���ासुर का वध कर दिया था. पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए तारकासुर के तीनों बेटे तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली ने प्रण लिया. इन तीनों को त्रिपुरासुर के नाम से जाना जाता था. तीनों ने कठोर तप कर ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और उनसे अमरत्व का वरदान मांगा लेकिन ब्रह्म देव ने उन्हें यह वरदान देने से इनकार कर दिया.
ब्रह्मा जी ने त्रिपुरासुर को वरदान दिया कि जब निर्मित तीन पुरियां जब अभिजित नक्षत्र में एक पंक्ति में में होगी और असंभव रथ पर सवार असंभव बाण से मारना चाहे, तब ही उनकी मृत्यु होगी. इसके बाद त्रिपुरासुर का आतंक बढ़ गया. इसके बाद स्वंय शंभू ने त्रिपुरासुर का संहार करने का संकल्प लिया.
काशी से देव दिवाली का संबंध एवं त्रिपुरासुर का वध:
शास्त्रों के अनुसार, एक त्रिपुरासुर नाम के राक्षस ने आतंक मचा रखा था, जिससे ऋषि-मुनियों के साथ देवता भी काफी परेशान हो गए थे। ऐसे में सभी देवतागण भगवान शिव की शरण में पहुंचे और उनसे इस समस्या का हल निकालने के लिए कहा। पृथ्वी को ही भगवान ने रथ बनाया, सूर्य-चंद्रमा पहिए बन गए, सृष्टा सारथी बने, भगवान विष्णु बाण, वासुकी धनुष की डोर और मेरूपर्वत धनुष बने. फिर भगवान शिव उस असंभव रथ पर सवार होकर असंभव धनुष पर बाण चढ़ा लिया त्रिपुरासुर पर आक्रमण कर दिया. इसके बाद भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही त्रिपुरासुर का वध कर दिया था और फिर सभी देवी-देवता खुशी होकर काशी पहुंचे थे। तभी से शिव को त्रिपुरारी भी कहा जाता है. जहां जाकर उन्होंने दीप प्रज्वलित करके खुशी मनाई थी। इसकी प्रसन्नता में सभी देवता भगवान शिव की नगरी काशी पहुंचे. फिर गंगा स्नान के बाद दीप दान कर खुशियां मनाई. इसी दिन से पृथ्वी पर देव दिवाली मनाई जाती है.
पूजन विधि
देव दीपावली की शाम को प्रदोष काल में 5, 11, 21, 51 या फिर 108 दीपकों में घी या फिर सरसों के भर दें। इसके बाद नदी के घाट में जाकर देवी-देवताओं का स्मरण करें। फिर दीपक में सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, हल्दी, फूल, मिठाई आदि चढ़ाने के बाद दीपक जला दें। इसके बाद आप चाहे, तो नदी में भी प्रवाहित कर सकते हैं।
देव दीपावली के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें। हो सके,तो गंगा स्नान करें। अगर आप गंगा स्नान के लिए नहीं जा पा रहे हैं, तो स्नान के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डाल लें। ऐसा करने से गंगा स्नान करने के बराबर फलों की प्राप्ति होगी। इसके बाद सूर्य देव को तांबे के लोटे में जल, सिंदूर, अक्षत, लाल फूल डालकर अर्घ्य दें। फिर भगवान शिव के साथ अन्य देवी देवता पूजा करें। भगवान शिव को फूल, माला, सफेद ��ंदन, धतूरा, आक का फूल, बेलपत्र चढ़ाने के साथ भोग लाएं। अंत में घी का दीपक और धूर जलाकर चालीसा, स्तुत, मंत्र का पाठ करके विधिवत आरती कर लें।
3 notes
·
View notes
Text
Hindu Panchang: June 17, 2023 | Vrat, Tyohar, Muhurat, Choghadiya, and More
देखें जून 17, 2023 के लिए हिंदू पंचांग के व्रत, त्योहार, मुहूर्त, चौघड़िया और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी। यह वीडियो आपको सभी ��ंगठनों और कार्यों के लिए सही समय और मुहूर्त की जानकारी प्रदान करेगी। जीवन को आसान बनाने और अपने धार्मिक अनुष्ठानों को संपन्न करने के लिए इस वीडियो को देखें।
youtube
4 notes
·
View notes
Photo
मकर संक्रांति 2023 शुभ मुहूर्त !! मकर संक्रान्ति भारत का प्रमुख पर्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, ग्रहों के राजा सूर्य 14 जनवरी 2023 की रात 8 बजकर 21 मिनट पर मकर राशि में गोचर करेंगे। उदया तिथि 15 जनवरी को प्राप्त हो रही है। ऐसे में मकर संक्रांति नए साल में 15 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी। www.netmagesystem.com #websitedesign #websitedevelopment #logodesigner #logos #Patna #Gaya #Bihar #designer #design #printingservices #printingpress #Muzaffarpur #Bihar #Siwan #Begusarai #madhubani #chhapra #aurangabad #Samastipur #Katihar #motihari #Sasaram #UttarPradesh #Gorakhpur #Purnea #Lakhisarai #Bhagalpur #Gopalganj #netmagetechsystem #india (at Bihar Patna) https://www.instagram.com/p/Cnb0RtxSp-p/?igshid=NGJjMDIxMWI=
#websitedesign#websitedevelopment#logodesigner#logos#patna#gaya#bihar#designer#design#printingservices#printingpress#muzaffarpur#siwan#begusarai#madhubani#chhapra#aurangabad#samastipur#katihar#motihari#sasaram#uttarpradesh#gorakhpur#purnea#lakhisarai#bhagalpur#gopalganj#netmagetechsystem#india
3 notes
·
View notes