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MMATIGERS MARTIAL ARTS BOXING ALL PANCH NAME AND Boxing styles and techn...
#youtube#mma#boxing#मुक्कों का प्रयोग करते हैं। यह खेल विशिष्ट नियमों के अधीन होता है जिन्हें खेल की निष्पक्षता और
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#is jesus god#हजरत ईसा से पवित्र ईसाई धर्म की स्थापना हुईईसा मसीह के नियमों पर चलने वाले भक्तआत्मा ईसाई कहला
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#लन मस्क ने जबसे Twitter की कमान संभाली है#तबसे वह लगातार Twitter के नियमों में बदलाव कर रहे है। हाल ही में माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म यानी Twitte#elonmusk#elon_musk#twitter#founderoftwitterelonmusk#twitterbluetick#taliban#talibanbuybluetick#blueticks#Youtube
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DAY 5925
Jalsa, Mumbai May 8/9, 2024 Wed/Thu 9:10 AM
🪔 ,
Belated birthday greetings to Ef Sunanda Yadav from Kolkata .. for May 08 .. 🙏🏻🚩❤️
Change .. the inevitable feature in the life of the Universe and for us that inhabit it .. it has remained a mystery, despite the thousands of intellectual minds and researchers in the fields of science and more in philosophy - darshan shaastra .. दर्शन शास्त्र ..
"दर्शनशास्त्र (Darśanaśāstra) वह ज्ञान है जो परम् सत्य और सिद्धान्तों, और उनके कारणों की विवेचना करता है। दर्शन यथार्थ की परख के लिये एक दृष्टिकोण है। दार्शनिक चिन्तन मूलतः जीवन की अर्थवत्ता की खोज का पर्याय है। वस्तुतः दर्शनशास्त्र स्वत्व, तथा समाज और मानव चिंतन तथा संज्ञान की प्रक्रिया के सामान्य नियमों का विज्ञान है।"
to gain knowledge of the permanent truth, principles of life .. to get a view of the reasons and meanings of so much that is unknown .. the search .. the construct of the way social norms be conducted , the routines and rules of it all .. and more ..
Still a territory that never stops evolving, yet unable to resolve ..
"Darshan Shastra, a profound philosophy, delves into the nature of truth and falsehood. Rooted in ancient Indian wisdom, it scrutinizes the complexities of deception, perception, and reality. Darshan Shastra underscores the interplay between subjective perception and objective truth, exploring the dynamics of dharma (duty) and adharma (immorality). It illuminates the ethical implications of falsehood, advocating for integrity and transparency in thought and action. Through intricate analyses of human cognition and societal norms, it offers insights into the consequences of deceit and the pursuit of truth. Darshan Shastra serves as a guiding beacon, inspiring seekers to navigate the labyrinth of lies towards enlightenment."
And during its intriguing features that we encounter each moment, the debate and argument continue .. some convincing, some evasive, some just glanced by and driven away ..
The boiling point that is now bubbling with the heat of 'change' is the nature of change in each generation .. the past gone, the present, and the future to be .. and its reflections on the conduct of our living .. our existence, our conduct towards 'all things bright and beautiful' ..
For the professionals like us to adapt or to ignore .. what to make what to access what to exhibit , what to give for maximum benefit and gain and deliverance in its quotient of the investment and return, to put it crudely ..
And there are no firm responses ..
Flow with the tide .. or create your own waves for the tides to follow ..
That phase of creation at this stage has long passed for me .. better to flow .. be a part of .. not too dependent on result, but dependent on the involvement of the flow - whichever direction it takes ..
At least you become a part of it .. time, energy, to be procured for created creation, takes an eternity, at this stage .. limitations of life years , the brilliance of youthful exuberance, the screams of vivacity and enthusiasm - all forgone now , and no time to reinvent it - so -
FLOW ..
I flow , you flow , we all flow for flow !!
😀
😀
🤣
With my love for all the Ef .. ❤️
Amitabh Bachchan
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जैन धर्म का दावा: ब्रह्मांड अपने नियमों
से स्वतः चलता है।
संत रामपाल जी का ज्ञन: यह मिथक है।अथर्ववेद कांड 4 अनुवाक 1 मंत्र 7 में प्रमाणहै कि पूर्ण परमात्मा कबीर जी ने ब्रह्मांडों कोमनाया है जिनकी शक्ति से असंख्यों ब्रह्मांडोंका संचालन होता है। उनकी आज्ञा के बिनाएक पत्ता भी नहीं हिल सकता।अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढेंअनमोल पुस्तक ज्ञान गगा।
#जैनधर्म_की_सच्चाई
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लखनऊ, 07.09.2024 | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा "सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान" के अंतर्गत प्रकाश बाल विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, विशाल खंड, गोमती नगर, लखनऊ में जागरूकता कार्यक्रम "सावधानी हटी, दुर्घटना घटी" का आयोजन किया गया |
कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने विद्यालय के लगभग 80 छात्र-छात्राओं को सड़क सुरक्षा के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि, “थोड़ी सी लापरवाही बड़े हादसों का कारण बन सकती है । जब हम सड़क पर होते हैं, चाहे हम वाहन चला रहे हों या पैदल चल रहे हों, सतर्कता और सावधानी सबसे महत्वपूर्ण होती है । हमारी एक छोटी सी गलती किसी बड़े हादसे का रूप ले सकती है । हेलमेट न पहनना, सीट बेल्ट न लगाना, ट्रैफिक सिग्नल का उल्लंघन करना या ओवरस्पीडिंग करना, ये सब दुर्घटनाओं को निमंत्रण देते है । इसलिए, सड़क पर हर कदम ध्यानपूर्वक उठा��ं और यातायात नियमों का पालन करें । याद रखें, एक पल की सावधानी आपको और दूसरों को सुरक्षित रख सकती हैं, जबकि थोड़ी सी असावधानी जीवनभर का पछतावा बन सकती है । सुरक्षित रहें, सतर्क रहें, क्योंकि "सावधानी हटी, दुर्घटना घटी ।"
स्वयंसेवकों ने जोर दिया कि, "सावधानी हटी, दुर्घटना घटी" केवल एक कहावत नहीं, बल्कि एक गहरा संदेश है जो हमें जीवनभर याद रखना चाहिए । सड़क पर हर क्षण सतर्कता ही सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है । जब हम हर कदम सोच-समझकर और सावधानी से उठाते हैं, तो अनचाही दुर्घटनाओं से बच सकते है । इसलिए, हर व्यक्ति को अ��नी सुरक्षा और दूसरों की भलाई के लिए सड़क पर चलते समय पूरी जिम्मेदारी और सतर्कता का पालन करना चाहिए, ताकि हम सभी सुरक्षित रह सकें ।“
जागरूकता कार्यक्रम “सावधानी हटी, दुर्घटना घटी" मे हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों सुश्री आयुषी मिश्रा, श्री सायक सान्याल, श्री सौरभ सिंह, सुश्री श्रेया सिंह (एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी) ने सहभागिता की तथा जागरूकता अभियान को सफल बनाया |
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Aaj Tak के पत्रकार Sudhir Chaudhary की झूठी खबरों का पर्दाफाश | Exposing...
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True Guru Sant Rampal Ji
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👇👇👇
🙏हम भारत के नागरिक मांग करते हैं कि
@abpasmitatv तुरंत गुमराह करने वाले लेख को वापस लें!
और संत रामपाल जी महाराज और उनके अनुयायियों से सार्वजनिक माफी मांगे!
*इस माफी में गलतियों को स्वीकार करना!* +
*हुए नुकसान को स्वीकार करना!*
+
*भविष्य में ऐसी गैरजिम्मेदार पत्रकारिता को रोकने के उपायों का उल्लेख होना चाहिए।*
*पूर्ण संत और पूर्ण सतगुरु है संत रामपाल जी महाराज!*
यदि मीडिया को
संत रामपाल जी महाराज क्षमा कर देंगे तो मीडिया समझ लें!
कि परमेश्वर ने उन्हें बख्श दिया !
लेकिन
*भविष्य में दोबारा ऐसी गलती ना करें!*
अगर मीडिया आम व्यक्ति के लिए भी ऐसी गलती करता है तो परमात्मा रुष्ट होते हैं,क्योंकि आत्मा परमात्मा का अंश है!
लेकिन यह तो सतगुरु रूप में स्वयं कबीर परमेश्वर हैं पूजनीय हैं, संत रामपाल जी महाराज जी तो कोई गलती कर ही नहीं सकते, इस संसार को कैसे समझाया जाए!
ऐसे पूर्ण सतगुरु और संत की तो पूजा होनी चाहिए!
जिन्होंने
एक महान सत्य के लिए के लिए संघर्ष किया है !
आत्मा और परमात्मा को मिलाने वाला पवित्र सत्य जन-जन तक पहुंचाने का पूर्ण रूप से प्रयास किया है!
संत रामपाल जी महाराज जो
समाज का सद्भक्ति के माध्यम से
+
सत्य तत्व ज्ञान के माध्यम से_ पूर्ण रूप से सुधार कर रहे हैं!
संत रामपाल जी महाराज के सभी शिष्य पूरी ईमानदारी से संत रामपाल जी महाराज जी की शिक्षाओं + नियमों + आज्ञाओं
का पालन करते हैं!
क्योंकि
संत रामपाल जी महाराज सभी बुराई से जीवात्मा को दूर कर रहे हैं और उनके कष्टों का भी निवारण कर रहे हैं!
संत रामपाल जी महाराज
की
कथनी और करनी में
किंचित मात्र भी अंतर नहीं है
Article Only For INDIAN Media
👇👇👇
🙏(1) मीडिया को चाहिए संत रामपाल जी महाराज के सत्संग अपने चैनलों पर चलाएं और दुनिया को दिखाएं की संत रामपाल जी महाराज सत्संग के माध्यम से क्या बता रहे हैं!
(2) विश्व में जितने भी गुरु हैं उन सब की एक-एक करके डिबेट संत रामपाल जी से महाराज जी से मीडिया के माध्यम से रखी जाए!
(3) मीडिया से अनुरोध है अपनी ईमानदारी दिखाएं !भारत का नाम ऊंचा क��ें !
फिर से भारत के लोगों में हृदय में अपनी जगह बनाएं!
🙏सत साहेब जी🙏
पूर्ण ब्रह्म कबीर परमेश्वर जी की वाणी में परमेश्वर जी ने कहा है कि
बावले मानव मौत भूल गया है यह बड़ी अचरज की बात है! तन ऐसे मिट्टी में मिल जाएगा,जैसे आटे में नून!!
इसलिए
🙏हे मीडिया वालों सुकर्म कर लो!
संत रामपाल जी महाराज जी से मीडिया के माध्यम से ही माफ़ी मांग लें!
🙏संत रामपाल जी महाराज के पवित्र शास्त्र अनुकूल सत्संग अपने मीडिया पर दिखाएं!
डिबेट रखें अन्य छोटे-बड़े सभी गुरुओं महा मंडलेशवरों के साथ!
जिससे संसार को पूर्ण सत्य रूप से सच्चाई का पता लगे !
आपके कर्म ऊंचे हो !
भगवान की नजरों में उठो !
इंसान की नजर में तो अपने आप उठ जाओगे!
आम जनता धोखे में ना रहने दें!
मनुष्य जन्म सभी के लिए अनमोल है!
बार-बार नहीं मिलता है !
आप इसके साथ खिलवाड़ ना करें!
वरना उस परम शक्ति के अपराधी हो जाएंगे आप !
डरें बुरी वक़्त से!
आशा करती हूं आप दासी की वचनों को हल्के में नहीं लेंगे
और बड़ाई और बधाई का काम करेंगे!
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*🙏मीडिया वालों बोलो *जय बंदी छोड की* आपकी सत्बुद्धि और विवेक दोनों सुचारु रूप से काम कर सकें!
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🙏यही प्रार्थना है हमारी उस परमपिता परमेश्वर से !
क्योंकि
हम सब उसके बच्चे हैं और वह हमारे दुखों से दुखी होता है,हमारी बुराई से भी दुखी होता है!
और
कॉल रूपी राक्षस इसका फायदा उठाता है जिसे हम भगवान समझ रहे हैं वह शैतान का कार्य कर और कर रहा है !
अपनी तीन गुण की माया फैलाकर
हम जीवों को उसने भ्रमित किया हुआ है !
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🙏जागो हे मीडिया वालों !
🙏एक आपके जागने से संसार जाग जाएगा !
🙏क्या आप लोग यह पुण्य कमाना नहीं चाहोगे!
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समाज में परंपराएं और अंधविश्वास: एक सोचने योग्य विषय
हमारा समाज विभिन्न परंपराओं और मान्यताओं से भरा हुआ है। कई बार ऐसा लगता है कि कुछ चीजें केवल इसलिए चली आ रही हैं क्योंकि वे सदियों से चली आ रही हैं। पर क्या हमने कभी गंभीरता से सोचा है कि इनमें से कितनी चीजें वास्तव में आज के दौर में प्रासंगिक हैं? क्या जाति व्यवस्था की अब भी आवश्यकता है? क्या महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग नियम वास्तव में सही हैं? क्या अंधविश्वासों को बिना प्रश्न किए मानते जाना उचित है?
मेरा नाम राजा है, और मेरी उम्र 22 वर्ष है। मैं यह दावा नहीं करूंगा कि मेरे पास ज्ञान का विशाल भंडार है, लेकिन अपने जीवन के इस मोड़ पर इतना जरूर समझ चुका हूं कि कई सामाजिक मान्यताएं केवल परंपराओं का अनुसरण हैं, जिनका तर्क से कोई लेना-देना नहीं है। ये सवाल मैंने खुद से भी पूछे थे, और लंबे समय तक सोचने और पढ़ने के बाद मुझे यह ��हसूस हुआ कि ये परंपराएं और अंधविश्वास सिर्फ सामाजिक नियमों का हिस्सा बन गए हैं जिन्हें हम बिना सोचे-समझे मानते जा रहे हैं।
हम अपने आस-पास के समाज में इन चीजों को होते हुए देखते हैं—बाजारों में, गलियों में, और हमारे सामाजिक ढांचे के हर हिस्से में। फिर भी, हम में से बहुत कम लोग ऐसे हैं जो इन परंपराओं और मान्यताओं पर सवाल उठाते हैं। जब मैं देखता हूं कि आज भी समाज में जाति और लिंग के आधार पर भेदभाव हो रहा है, तो मुझे सच में अचरज होता है कि हम अब भी इन चीजों को क्यों स्वीकार कर रहे हैं। क्या वाकई इनकी अब कोई जरूरत है?
मैं यह समझता हूं कि शायद समाज के कुछ हिस्से मेरी बातों से सहमत न हों। लेकिन फिर भी, मैं आपसे आग्रह करता हूं कि एक बार अपने आप से और अपने समाज से इन सवालों को पूछिए। क्या ये परंपराएं और अंधविश्वास अब भी जरूरी हैं? क्या इनका कोई तार्किक आधार है?
जवाब शायद यही मिलेगा: "हमारे दादा-दादी ने किया, इसलिए हम भी कर रहे हैं।"लेकिन क्या यह पर्याप्त कारण है?
समाज को आगे बढ़ाने के लिए हमें अपनी सोच में बदलाव लाना होगा। अगर हम अतीत के केवल अनुकरण करते रहेंगे, तो विकास कैसे होगा? यह जरूरी है कि हम इन सवालों को खुद से पूछें और उन पर विचार करें, ताकि हम एक ऐसे समाज की ओर बढ़ सकें जो तर्कसंगत, न्यायसंगत और आधुनिक हो।
- राजा
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#is_jesus_god#हजरत ईसा से पवित्र ईसाई धर्म की स्थापना हुईईसा मसीह के नियमों पर चलने वाले भक्तआत्मा ईसाई कहला
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MMATIGERS BOXING ALL PANCH NAME AND Boxing styles and techniques
BOXING ALL PANCH NAME AND Boxing styles and techniques.बॉक्सिंग, जिसे मुक्केबाज़ी भी कहा जाता है, एक प्रतिस्पर्धी खेल है जिसमें दो प्रतिभागी एक दूसरे के खिलाफ मुक्कों का प्रयोग करते हैं। यह खेल विशिष्ट नियमों के अधीन होता है, जिन्हें खेल की निष्पक्षता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है। यहाँ बॉक्सिंग के कुछ प्रमुख नियम दिए गए हैं:बॉक्सिंग, जिसे मुक्केबाज़ी भी कहा जाता है, एक प्रतिस्पर्धी खेल है जिसमें दो प्रतिभागी एक दूसरे के खिलाफ मुक्कों का प्रयोग करते हैं। यह खेल विशिष्ट नियमों के अधीन होता है, जिन्हें खेल की निष्पक्षता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है। यहाँ बॉक्सिंग के कुछ प्रमुख नियम दिए गए हैं:
A straight right demonstrated in Edmund E. Price's The Science of Self Defence: A Treatise on Sparring and Wrestling, 1867 Boxing Styles The Four Main Categories Every boxer falls into one of the four following styles: pressure fighters, out-boxer, brawler, and boxer-puncher.[1] While there are many different sub-categories for these styles, all boxers can be classified by one of the four main styles.
.बॉक्सिंग, जिसे मुक्केबाज़ी भी कहा जाता है,
Swarmer, or Pressure Fighter Also known as swarmers, in-fighters or crowders, pressure fighters fight very aggressively and in close quarters.[1] This style involves bombarding the opponent with attacks to prevent effective counters and wearing down the opponent's defenses by attrition. Notably, a pressure fighter is identified by their forward movement, prioritizing their positioning at the edge of their opponent's range above achieving a favorable position in the ring.[2] Boxers using this style consistently stay within or at the edge of the punching range of their opponent, forcing their opponent to engage 'on the back foot,' either retreating or attempting counterpunches. This tends to require a large investment of energy (cardio) on the part of both fighters, meaning one goal of an effective pressure fighter is to exhaust their opponent. Pressure fighters rely heavily on an understanding of positioning, more commonly referred to as 'footwork,' to continually present a threat to their opponent while simultaneously paying attention to defensive concerns. Pressure fighters typically also rely on head movement and clinching as these forms of defense serve both offensive and defensive purposes from the closer ranges required for the style.
Pressure fighters tend to enter engagements methodically. They prioritize initiating engagements, usually by entering their opponent's punching range using a combination of footwork, feints and straight punches or uppercuts. Once inside of their opponent's range, their objective is to score (land punches), then quickly exit the engagement - ideally at the very edge of their opponent's punching range. A boxer may also exert pressure by initiating a clinch instead of exiting the engagement after punching while fighting in very close quarters. Ideally, the pressure fighter will seek to leverage their weight over their opponent in the clinch, forcing their opponent to expend energy holding the pressure fighter's weight.
#mma#karate#boxing#gymnastics#kickboxing#taekwondo#judo#kungfu#youtube#bjj#selfdefance#motivation#fitness
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केवल वस्त्र बदलने से हमारे अन्दर सुधार नहीं आता, जबतक कि हम भक्ति के नियमों को गम्भीरता से न लें। किन्त कलियुग में वे सोचते हैं, 'क्योंकि मैंने अपने वस्त्र बदल लिये हैं इसलिए मैं बड़ा संन्यासी बन गया हूँ।' या 'क्योंकि मुझे जनेऊ मिल गया है मैं अब ब्राह्मण बन गया हूँ।' नहीं। नियमित प्रशिक्षण की आवश्यकता है। वृन्दावन, 12 मार्च 1974
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Telecom Bill 2023: मोबाइल फोन इस्तेमाल करने के बदल जाएंगे नियम, जानिए फ़ायदे और नुक़सान
लोकसभा में दूरसंचार विधेयक 2023 (Telecom Bill 2023) बिल पास हो चुका है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नए टेलीकॉम विधेयक 2023 (Telecom Bill 2023) को मंजूरी दे दी है। इसके पश्चात्, इस विधेयक को कानून बना दिया गया है। इसी के साथ इस बिल को 138 साल पुराने भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम की जगह मिलने जा रही है। यह बिल कानून बनता है तो बहुत से नियम पहले की तरह नहीं रहेंगे। नए नियमों के साथ कई नए बदलाव देखे जा सकेंगे। नए नियमों के साथ अनचाही कॉल्स पर शिकंजा कसा जा सकेगा। यह विधेयक सरकार को नागरिकों और राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में किसी भी दूरसंचार सेवा या नेटवर्क को प्रबंधित, प्रतिबंधित, या निलंबित करने की अनुमति प्रदान करता है। Read more...
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#Is_Jesus_God
हजरत ईसा से पवित्र ईसाई धर्म की स्थापना हुई
ईसा मसीह के नियमों पर चलने वाले भक्त
आत्मा ईसाई कहलाए तथा पवित्र ईसाई धर्म का उत्थान हुआ।
Kabir Is SupremeGod
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#Is_Jesus_God
हजरत ईसा से पवित्र ईसाई धर्म की स्थापना हुई
ईसा मसीह के नियमों पर चलने वाले भक्त
आत्मा ईसाई कहलाए तथा पवित्र ईसाई धर्म का उत्थान हुआ।
Kabir Is SupremeGod
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