#नागरिकता कानून का विरोध
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Jamshedpur west seat : निर्दलीय प्रत्याशी डॉ ओपी आनंद ने मानगो वासियों को मालिकाना हक दिलाने का किया वादा, डॉ आनंद ने कदमा, सोनारी व मानगो क्षेत्रों का किया तूफानी दौरा, छत्तीसगढ़ी समाज को न्याय दिलाने की भी कही बात
जमशेदपुर : झारखंड विधानसभा जमशेदपुर पश्चिम के प्रत्याशी डॉ ओम प्रकाश आनंद ने आज अपने विधानसभा क्षेत्र के मानगो, कदमा, सोनारी का तूफानी दौरा किया. इस दौरान वे क्षेत्र के मतदाताओं से मिले जहां कई जगह के लोगों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया और 1932 के खतियान आधारित नागरिकता के कानून के विरोध में आवाज उठाने के लिए उनकी प्रशंसा की. इस दौरान डॉक्टर ओमप्रकाश आनंद ने मानगो क्षेत्र के मतदाताओं से बहुत…
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विक्रमादित्य सिंह ने सीएए को बताया राजनीति से प्रेरित, कहा, राजनीतिक लाभ के लिए सीएए को बनाया जा रहा सनसनीखेज
विक्रमादित्य सिंह ने सीएए को बताया राजनीति से प्रेरित, कहा, राजनीतिक लाभ के लिए सीएए को बनाया जा रहा सनसनीखेज
Vikramaditya Singh on CAA: सीएए यानी नागरिकता संशोधन कानून को लागू करने का नोटिफिकेशन जारी हो चुका है. इसके बाद से ही यह देश भर में लागू हो गया. हालांकि, विपक्षी दल लगातार केंद्र सरकार के इस फैसले पर विरोध दर्ज कर रहे हैं. इसी क्रम में हिमाचल प्रदेश के मंत्री और कांग्रेस नेता विक्रमादित्य सिंह का बयान भी सामने आया है. सीएए लागू करने के केंद्र सरकार के फैसले पर विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि सबसे…
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यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध नहीं, लेकिन BJP का तरीका गलत... UCC पर बसपा सुप्रीमो मायावती का बयान
अभय सिंह, लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) यानी समान नागरिकता संहिता कानून को लेकर दिए गए बयान के बाद से इस मुद्दे को लेकर सियासी जं��� छिड़ गई है। इसको लेकर विपक्षी दलों के साथ साथ मुस्लिम धर्म गुरुओं और संगठनों ने बीजेपी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। अब इस मामले पर बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री () ने यूसीसी का विरोध ना करके एक तरह से अपना समर्थन दे दिया है। मायावती ने को लेकर कहा कि हमारी पार्टी बसपा यूसीसी लागू करने के खिलाफ नहीं है, लेकिन जिस तरह से बीजेपी सरकार देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की कोशिश कर रही है, हम उसका समर्थन नहीं करते हैं। यूसीसी को लेकर मायावती ने कहा कि यूसीसी लागू होने से देश मजबूत होगा और भारतीय एकजुट होंगे। इससे लोगों में भाईचारे की भावना भी विकसित होगी। यूसीसी को जब���दस्ती लागू करना ठीक नहीं है। इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने से देश में भेदभाव पैदा होगा। मायावती का कहना है कि भारत देश में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी व बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं। जिनके अपने अपने रहन-सहन, तौर तरीके और रस्म रिवाज़े है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही मायावती का कहना है कि अगर सभी धर्मों के मानने वाले लोगों पर हर मामले में एक समान कानून लागू होता है तो उससे देश कमजोर नहीं, बल्कि मजबूत ही होगा। जिसे ध्यान में रखते हुए भारतीय संविधान की धारा 44 में समान सिविल संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड यूसीसी को बनाने पर वर्णित है। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि उसका जिक्र किया गया है। मायावती ने कहा कि यूसीसी को जबरन थोपने का प्रावधान बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर के संविधान में निहित नहीं है। इसके लिए जागरूकता या आम सहमति को श्रेष्ठ माना गया है। उन्होंने कहा कि इस पर अमल ना करके इसकी आड़ में संकीर्ण स्वार्थ की राजनीति करना देश हित में सही नहीं है, जो इस समय की जा रही है। मायावती ने कहा कि इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए बीजेपी को देश मे यूसीसी लागू करने के लिए कोई कदम उठाना चाहिए था। http://dlvr.it/SrYCJX
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टाइम और शाहीनबाग की दादी-
जैसा की आप जानते है टाइम एक प्रतिष्ठ पत्रिका है और जब भी इसकी लिस्ट निकलती है तो इसकी चर्चा होना आम बात है लेकिन इस बार कुछ नया है क्योकि इस बार टाइम ने दुनिया को प्रभावित करने वालों सौ लोगों की सूची में कई भारतीयों के साथ साहीनबाग की दादी के नाम से मशहूर हुई बिलकिस बानो भी है जो CAA प्रोटेस्ट में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रही थी उनको उम्र 82 साल है उन्होंने कहा था की जब तक शरीर में एक बून्द भी खून होगा हम लड़ते रहेंगे |वो इस प्रोटेस्ट का चेहरा बन गयी थी |
आयुष्मान खुराना और नरेंदर मोदी के साथ जगह मिल��� - सबसे खास बात है ��समें उनको आयुष्मान खुराना और नरेंदर मोदी और डेमोक्रेटिक की उपराष्ट्रपति उम्मीदवार कमला हैरस के साथ जगह दी गयी | ये खबर आते ही वाइरल हो गयी | जब CCA का विरोध प्रदर्शन बहुत पीक पे था | गृह मंत्री अमित शाह के निमत्रण पे इनका नाम अमित शाह से मिलने वाली लिस्ट में भी था | साहीनबाग जो भी प्रोटेस्ट था वो शांतिपूर्वक किया गया था और इसलिए विश्व का ध्यान अपनी ओर खींच सका |शाहीनबाग में नागरिकता कानून को वापस लेने की मांग को लेकर 101 दिनों तक धरना प्रदर्शन चला था और कोरोना संकट के मद्देनजर प्रदर्शन बंद कर दिया गया था|इसके अलावा मैगजीन की सूची में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप , जो बाइडेन (Joe Biden), एंजेला मर्केल (Angela Merkel) और नैन्सी पॉलोसी (Nancy Pelosi) जैसे बड़े-बड़े नेताओं को शामिल किया है|
टाइम मैगज़ीन हर साल ये लिस्ट निकालती है और बताती है उसकी नज़र इस साल कौन ऐसे लोग जो मनोरंजन के क्षेत्र में , नेता , और समाजिक कार्य करने वालों में दुनिया को प्रभावित किया | उन 100 लोगों को लिस्ट निकालती है |इस बार की लिस्ट में सेलना गोम्ज़े को भी जगह मिली है |आयुष्मान खुराना को भी जगह मिली है क्योकि इधर इन्होने बहुत सी ऐसी फिल्मो में काम किया जो समाज पे बहुत ही प्रभाव छोड़ी | चीन के राष्ट्रपति सी जिनपिंग को भी इसमें जगह मिली है |ये अमेरिकन मैगज़ीन है | लेकिन दुनिया भर में पॉपुलर है|
रवींद्र गुप्ता कौन है और क्यों मिली जगह -
अल्फाबेट और गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई और प्रोफेसर रविंद्र गुप्ता का भी नाम है | सूंदर को ज्यादातर जनता जानती है लेकिन रवींद्र गुप्ता एक नया नाम जुड़ा है | रविंद्र गुप्ता को इसलिए जगह मिली क्योकि उनके एक खोज से ही लंदन का एक मरीज HIV से ठीक हुआ |एचआईवी से ठीक होने वाला पृथ्वी का वह दूसरा व्यक्ति था, उन्हें 2019 में कैम्ब्रिज इंस्टीट्यूट ऑफ चिकित्सीय इम्यूनोलॉजी और संक्रामक रोग विभाग में प्रोफेसर नियुक्त किया गया था|उनका कार्य भी बहुत ही सरहानीय था | पुरे विश्व में लोग ऐसे काम कर रहे है जिससे पूरी दुनिया प्रभावित होती है | हर क्षेत्र से जुड़ते है |
#सीईओ सुंदर पिचाई#शाहीनबागकीदादी#राष्ट्रपति डोनाल्डट्रंप#मरीजHIVसेठीकहुआ#बिलकिसबानो#प्रोफेसररविंद्रगुप्ता#टाइमएकप्रतिष्ठपत्रिका#जोबाइडेन#एंजेलामर्केल#एचआईवीसेठीकहोनेवाला#timemagzine#time#ravindragupta#82yearsold a
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नागरिकता कानून की आड़ में संघी एजेंडा लागू करना बंद करो!
देश को हिन्दू राष्ट्र में बदलने कीसाजिश का पुरजोर विरोध करो नागरिकता कानून की आड़ में संघी एजेंडा लागू करना बंद करो! एक तरफ जब देश भर में विवादित नागरिकता कानून पर लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकार की जन विरोधी कार्यवाही का भुगतभोगी बन रहे हैं, वैसे में सरकार ने अब एक और घोषणा की। 2020 की अप्रैल से सितंबर तक वह राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी नेशनल पापुलेशन रजिस्टर (एन पी आर) को अपडेट करेगी। यह कदम वह तब करने जा रही है, ज��कि पहले एन आर सी और फिर कैब के अंतर्गत लाखों लोग भारत की नागरिकता सूची से बाहर हो आज बिना नागरिकता वाले हो चुके हैं। वह भी तब जब एन आर सी अभी केवल उत्तर पूर्व के ही राज्य में शुरू हुआ है। कैब भी एन आर सी हुआ अधिनियम है, एन आर सी जहां लोगों को भारत की नागरिक होने और ना होने की शिनाख्त करता है, वहीं सी.ए.ए विदेशी नागरिकों को के दक्षिण एशिया के देशों से आये शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने के लिए लाया कानून है। सी.ए.ए कानून के बन जाने के बाद भारत की नागरिकता का मख्य आधार व्यक्ति का धर्म हो गया है ना की उसकी कोई और बात। यह बिल भाजपा – आरएसएस की लाइन के मुताबिक बनाया गया है, जिन्हें भारत को एक हिन्दू राष्ट्र के तौर पर पेश करना है।आर्थिक मोर्चे पर बुरी तरह से नाकम सरकार ने मेहनतकश, बेरोजगार युवाओं और अन्य देशवासियों को बहकाने के लिए अब अंध-राष्ट्रवाद और हिन्द-आधिपत्यवाद का न्य शगूफा नागरिकता बिल के माध्यम से छेडा है। हिन्द बहुसंख्यकों के हिस्से को धर्म के नाम पर वः भड़का कर पूंजीपतियों के पीछे रखना चाहती है। साथ ही मुस्लिम बहुल इलाकों में विस्थापित विदेश से आये हिन्दुओं को बसा वो अपने राज को मजबूती प्रदान करवाना चाहती है। मोदी सरकार की यह नीतियां इस बात की भी पुष्टि करती है कि भारत सरकार ने 70 साल बाद दो राष्ट्र सिद्धांत को आखिरकार मान लिया। दो राष्ट्र सिद्धांत या दो क़ौमी सिद्धांत, के मुताबिक हिन्दू और मुसलामन एक राष्ट्र नहीं है बल्कि दो अलग अलग राष्ट्र है, और वे एक साथ नहीं रह सकते। बीएस मुंजे, भाई परमानंद, विनायक दामोदर सावरकर, एमएस गोलवलकर और अन्य हिंदू राष्ट्रवादियों के अनुसार भी दो राष्ट्र सिद्धांत सही था और वे भी हिन्दू मुसलमानों को अपना अलग अलग देश की वकालत कर रहे थे, उन्होंने न केवल इस सिद्धांत की वकालत की बल्कि आक्रामक रूप से यह मांग भी उठाई कि भारत हिन्दू राष्ट्र है जहाँ मुसलमानों का कोई स्थान नहीं है। भारत विभाजन में जितना योगदान लीग का रहा उससे कम आरएसएस और हिन्दू दलों का नहीं था। आज राष्ट्रवाद और अखंड भारत का सर्टिफिकेट बांटने वाले भी देश के बंटवारे में लीग जितना ही शरीक थे, यह बात हमे नहीं भूलनी चाहिए। हिन्द महासभा के संस्थापक राजनारायण बसु ने तो 19वीं शताब्दी में ही हिन्दु राष्ट्र और दो राष्ट्र का सिद्धांत पर अपनी प्रस्थापना रखनी शुरू कर दी थी। हिन्दू राष्ट्र के बारे में उन्होंने कहा था, "सर्वश्रेष्ठ व पराक्रमी हिंदू राष्ट्र नींद से जाग गया है और आध्यात्��िक बल के साथ विकास की ओर बढ़ रहा है। मैं देखता हूं कि फिर से जागृत यह राष्ट्र अपने ज्ञान, आध्यात्मिकता और संस्कृति के आलोक से संसार को दोबारा प्रकाशमान कर रहा है। हिंदू राष्ट्र की प्रभुता एक बार फिर सारे संसार में स्थापित हो रही है।" । बासु के ही साथी नभा गोपाल मित्रा ने राष्ट्रीय हिंदू सोसायटी बनाई और एक अख़बार भी प्रकशित करना शुरू किया था, इसमें उन्होंने लिखा था, “भारत में राष्ट्रीय एकता की बुनियाद ही हिंदू धर्म है। यह हिंदू राष्ट्रवाद स्थानीय स्तर पर व भाषा में अंतर होने के बावजूद भारत के प्रत्येक हिंदू को अपने में समाहित कर लेता है।” दो राष्ट्र का सिद्धांत फिर किस ने दिया इस पर हिंदुत्व कैंप के इतिहासकार कहे जाने वाले आरसी मजुमदार ने लिखा, "नभा गोपाल ने जिन्नाह के दो कौमी नजरिये को आधी सदी से भी पहले प्रस्तुत कर दिया था।" नागरिकता बिल में इस संशोधन से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं के साथ ही सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बगैर वैध दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता हासिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा। भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए देश में 11 साल निवास करने वाले लोग योग्य होते हैं। नागरिकता संशोधन बिल में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थियों के लिए निवास अवधि की बाध्यता को 11 साल से घटाकर 6 साल करने का प्रावधान है। सरकार का मानना है कि इन देशों में हिन्दुओं पर अत्याचार हो रहे हैं और उनको सरकार द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है, ऐसे में भारत का यह दाइत्व बनता है की हिन्दुओं की रक्षा करे। सरकार इस बात से पूरी तरह बेखबर है की भारत के कई पडोसी राज्यों में मुसलमान अल्पसंख्यक है और उनके साथ भी वहाँ के बहुसंख्यक जमात द्वारा जुल्म की खबर समय समय पर आती रहती है। श्री लंका में तो सिंघली और तमिल (हिन्द) के बीच दशकों से लगातार तनाव बना रहा है। तो क्या सभी तमिल जनता अब भारत आ सकती है? वही हाल बांग्लादेश और म्यांमार के गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों का है, तो क्या इन सभी को भारत अपना नागरिक बनाने के लिए तैयार है? और हाँ, तो फिर इन गैर मुस्लिम शरणार्थी और सताए जा रहे मुस्लिम शरणार्थी जैसे रोहिंग्या, पाकिस्तान में शिया, अहमदिया, अफगानिस्तान के हजारा, उज़बेक इत्यादि के साथ यह सौतेला व्यव्हार क्यों? सरकार को इस पर भी जवाब देना होगा। रोहिंग्या के साथ साथ भारत में म्यांमार से चिन शरणार्थी भी बहुसंख्या में भारत में निवास कर रहे हैं, अफगानिस्तान से आये शरणार्थी को भारत ने पनाह दी थी, उस पर सरकार की क्या प्रतिक्रिया होगी? सीएए के लिए आंकडा एन पी आर से आएगा? नेशनल पापुलेशन रजिस्टर की बात कारगिल युद्ध के बाद शुरू हुई। सन 2000 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार द्वारा गठित, कारगिल समीक्षा समिति ने नागरिकों और गैर-नागरिकों के अनिवार्य पंजीकरण की सिफारिश की सिफारिशों को 2001 में स्वीकार किया गया था और 2003 के नागरिकता (पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियम पारित किए गए थे। इससे पहले एनपीआर को 2010 और 2015 में आयोजित किया गया था, 1955 नागरिकता अधिनियम में संशोधन के बाद एनपीआर को पहली बार 2004 में यूपीए सरकार द्वारा अधिकृत किया गया था। संशोधन ने केंद्र को "भारत के प्रत्येक नागरिक को अनिवार्य रूप से पंजीकृत करने और राष्ट्रीय पहचान पत्र" जारी करने की अनुमति दी। 2003 और 2009 के बीच चुनिंदा सीमा क्षेत्रों में एक पायलट परियोजना लागू की गई थी। अगले दो वर्षों (2009-2011) में एनपीआर तटीय क्षेत्रों में भी चलाया गया - इसका उपयोग मुंबई हमलों के बाद सुरक्षा बढ़ाने के लिए किया गया था - और लगभग 66 लाख निवासियों को निवासी पहचान पत्र जारी किए गए थे। इस बार एन पी आर की आंकड़े लेने में सरकार ने कुछ नए कॉलम जोड़ दिए। सरकार द्वारा 24 दिसंबर को घोषित राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में लोगों को पहली बार "माता-पिता की जन्म तिथि और जन्म स्थान" भी बताना पड़ेगा। यह जानकारी, 2010 में एनपीआर के लिए एकत्र नहीं गयी थी। मतलब साफ है, सरकार इस बार ये आंकड़े इसलिए मांग रही है ताकि वो किसी भी व्यक्ति के बारे में तय कर सके कि उसकी नागरिकता प्रामाणिक है या नहीं। फिर उसके ऊपर एनआरसी और सीएए की विभिन्न प्रावधान के तहत कार्यवाही करने में कितना वक्त लगेगा? इस रजिस्टर में दर्ज जानकारी के लिए, सरकार कह रही है कि आपको कोई दस्तावेज़ या प्रमाण नहीं देने की ज़रूरत है। तो फिर सवाल उठता है कि इन जानकारी की ज़रूरत किस लिए है, सरकार इस जानकारी से क्या करने वाली है? अगर वह इसका इस्तेमाल गरीबों की कल्याणकारी योजनाओं के लिए करेगी, तो इसके लिए पहले से ही आधार कार्ड बनवाया गया। सरकार अलग अलग सर्वे करवा योजनाओं की ज़रूरत पर आंकड़े इकट्ठा करती है। किसी की आर्थिक स्थिति जानने के लिए उसके माता पिता का नाम और जन्म स्थान की जानकारी किस लिए चाहिए? इन सवालों पर सरकार मौन है। अगर हम भाजपा के मंत्रियों और प्रधानमंत्री की बातों पर ध्यान दें तो उनके द्वारा झूठा प्रचार किसी खतरनाक साजिश की तरफ इशारा करता है। भाजपा और सरकार ने लगातार गलत सचना और कत्साप्रचार का सहारा ले रही है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने गह मंत्री अमित शाह के विरोधाभासी का विरोध किया है। भाजपा ने दोनों के साथ अलग किया है आधिकारिक सरकार के रिलीज के पास कोई वास्तविक मूल्य नहीं है। यह सही लग रहा है कि इन झठ और गलत बयानी के पीछे एक सोची समझी प्लान है, जिसका मकसद जनता के बीच भ्रम फैला कर असली योजना को कार्यान्वित करने का है। एक क्रम में सरकार कानूनों में बदलाव कर रही है। पहले मज़दूर कानूनों को ख़त्म कर पूँजीपतियों के पक्ष कर दिया गया, फिर आया एन आर सी और सी ए ए और अब एन पी आर, साथ ही सरकार कम्प्यूटर के डेटा सुरक्षा कानून भी लेन वाली है, मीडिया में रिपोर्ट के अनुसार इस कानून में सरकार किसी से भी किसी व्यक्ति के बारे में सूचना मांग सकती है। मतलब अब किसी की निजता नहीं रहेगी। मान लीजिये कि आप हस्पताल में भर्ती होते हैं, अस्पताल आपकी बीमारी और शरीर की सभी जानकारी कम्प्यूटर में दर्ज करती है। ये जानकारी आपकी निजी जानकारी होती है, लेकिन अब सरकार इन जानकारी को मांग सकती है। वो भी बिना आपकी इजाज़त के। इन जानकारियों को वो किसी भी तरह से इस्तेमाल करेगी। चाहे किसी दवा कंपनियों को बेच सकती है, या किसी को सामाजिक रूप से बेइज्जत करने के लिए। आज भी हमारे देश मे कई बीमारियों को सामाजिक रूप से शंका की नज़र से देखा जाता है जैसे एड्स, और अन्य गुप्त रोग वाली बीमारियां। सवाल यह है कि सरकार इन सूचना को इकट्ठा क्यो कर रही है और किसलिये, इस पर वह झूठ क्यों कहा रही है? असल मे सरकार पूरे देश को एक बड़े बाड़े में तब्दील करने पर आमादा है। उसने इसके लिए काम शुरू भी कर दिया है। कई जगहों पर डिटेंशन कैम्प बनाए जा रहे है। जहां लोगों को भेजने की तैयारी शुरू हो चुकी है। याद कीजिये हिटलर का यहूदियों और नाज़ी विरोधियों के लिए बनाया कंसन्ट्रेशन कैम्प। इन कैम्पों के कैदियों को केवल मौत के घाट नहीं उतारा गया बल्कि पहले उनसे गुलामों की तरह कमरतोड़ मेहनत करवा जाता था। उस समय तक पूँजीपतियों की कंपनियों में जानवरों की तरह काम करवाया जाता था जब तक उनकी मौत नहीं हो जाती थी। पूँजीपतियों को मुफ्त के मज़दूर मिले रहते थे, जिनके किसी तरह की कानूनी अधिकार नहीं था, मालिक की मर्जी तक वे काम करते थे और जिस दिन वो काम करने लायक नहीं रह जाते उसी दिन उनकी जिंदगी खत्म कर दी जाती थी। क्या मोदी सरकार, भारत में यही कैम्प बनाने की कवायद शुरू तो नहीं कर रही? अगर ऐसा है तो यह भारत के लिए दुर्दिन की शुरुआत है, मोदी की इन नीतियों की वजह से देश का सामाजिक ताना बाना टूटने वाला है, और फिर क्या हमारे देश की हालत अफ़ग़ानिस्तान, और अन्य देशों की तरह नहीं हो जाएगी जहां लोग एक दूसरे को खत्म करने में लग गए थे। देश गृह युद्ध की तरफ बढ़ जाएगा। इसलिए हम इस हिन्�� बहलतावादी सोच और मस्लिम को दसरे दर्जे का नागरिक बनाने का कड़ा विरोध करते हैं. देश को अंधराष्ट्रवाद की जहरीली खाई में धकेलने की इस कार्यवाही के खिलाफ एकजुट होने की अपील भी करते हैं। हम तमाम साथियों से आह्वान करते हैं की इस खरतनाक साजिश के विरुद्ध एक हो कर मोदी सरकार के इस मंसूबे का विरोध करें। दोस्तों, अब समय आ गया है कि हम आम जनता आने वाले काले दिन के खिलाफ एक होकर संघर्ष करें। साथियों फासीवादी सरकार जनता को धर्म के नाम पर बाँट इस देश पर पूरी तरह से फासीवादी शासन लागू करना चाहती है। आज इसने मुसलमानों को अलग करने का काम शुरू किया है, आगे यह दलितों, आदिवासीयों और सभी दबे कुचलों के साथ ऐसा ही व्यवहार करेगी। ब्राह्मणवादी-फासीवादी शासन की तरफ इसने एक क़दम उठा लिया है, अगर इसका विरोध नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में हमारी देश की जनता उस काले काननों और बर्बर शासन व्यवस्था में जीने को मजबूर हो जाएगी। आज समय है की हम एक साथ पूरे जोर से इस शासन को टक्कर दें और उसे बतला दें कि देश की जनता अब उसकी छद्म देशभक्ति के बहकावों में आने वाली नहीं है। देश का युवा, मेहनतकश जाग रहा है, इस आन्दोलन को अब नये ऊँचाई पर ले जाने का समय आ गया है, एनआरसी, सीएए, एनपीआर की लड़ाई को लम्बी राजनितिक संघर्ष में बदलने का समय आ गया है, आज एक बार फिर हमे सर्वहारा वर्ग की राजनीति को मध्य में लाना होगा और देश में आमूल परिवर्तन की लडाई को तेज़ करना होगा। नाम * तमाम नागरिकता कानून को वापिस लो * देश को धर्म के आधार पर बांटने का पुर जोर विरोध करो * नागरिकता कानून की आड़ में भाषाई, धार्मिक और जातिय आधार पर जनता को बाँटने के खिलाफ संघर्ष तेज़ करो * मोदी साकार द्वारा देश में फ़ासीवाद लाने की कोशिश को जन-एकता से ध्वस्त करो लोकपक्ष Phone: 886030502, Email: [email protected]
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क्या रावत की टिप्पणियां आर्मी रूल्स, 1954 की धारा 21 के उल्लंघन है ?
सेना प्रमु�� जनरल बिपिन रावत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुएकांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सेना प्रमुख पर हमला किया। दिग्विजय सिंह ने ट्विटर पर लिखा, "" आगजनी में जनता का नेतृत्व करने वाले नेता नहीं ": नागरिकता के विरोध पर सेना प्रमुख। मैं साहेब से सहमत हूं, लेकिन नेता वे भी नहीं हैं जो अपने अनुयायियों को सांप्रदायिक हिंसा के नरसंहार में लिप्त होने की अनुमति देते हैं। क्या आप सहमत हैं? मुझे जनरल साहब? " रावत ने कहा था कि यह नेतृत्व नहीं है अगर नेता शहरों में हिंसा और आगजनी करने के लिए जनता का मार्गदर्शन करते हैं।
सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने नए नागरिकता कानून का विरोध करने वाले लोगों की सार्वजनिक रूप से आलोचना करने के बाद कहा था कि नेतृत्व देश में आगजनी और हिंसा करने के लिए जनता का मार्गदर्शन करने के बारे में नहीं है।
उनकी टिप्पणियों ने विपक्षी नेताओं, कार्यकर्ताओं और सैन्य दिग्गजों की तीखी प्रतिक्रियाएँ व्यक्त कीं, जिन्होंने उन पर राजनीतिक टिप्पणी करने का आरोप लगाया
सेना के दिग्गजों से लेकर राजनेताओं तक, कई लोगों ने देखा कि रावत की टिप्पणियां आर्मी रूल्स, 1954 की धारा 21 के उल्लंघन में तर्कपूर्ण थीं।
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काम की बात: क्या बुर्कापोश महिलाओं के आंदोलन से ध्रुवीकरण हो रहा है?
काम की बात: क्या बुर्कापोश महिलाओं के आंदोलन से ध्रुवीकरण हो रहा है?
संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर पर मुस्लिम महिलाओं के आंदोलन के जवाब में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अब तक की सबसे बड़ी मुहिम शुरू कर दी है। उनके कार्यकर्ता गांव-गांव जा कर बता रहे हैं कि पाकिस्तान में जिन हिंदुओं को सत्त किया गया है, वे 75 प्रति दलित और पिछड़े हैं। वे भारत में आए तो मुस्लिम और विरोधी दल उन्हें नागरिकता नहीं दे रहे थे। इस तरह RSS दिल्ली के शाहीन बाग…
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#CAA#CAA Protest#Lucknow#Muslim#NRC#shaheen bagh#आदलन#एनआरसी#क#कम#कय#धरवकरण#नागरिकता कानून#नागरिकता कानून का विरोध#बत#बरकपश#महलओ#रह#लखनऊ#शाहीन बाग#स#ह
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लालू ने अब कविता के जरिए NRC को लेकर केंद्र को घेरा तो भाजपा ने..
लालू ने अब कविता के जरिए NRC को लेकर केंद्र को घेरा तो भाजपा ने..
पटना: नागरिकता संशोधन कानू�� और एनआरसी के विरोध में बिहार बंद के अगले दिन रविवार को राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने सोशल मीडिया के जरिए अपनी भावनाओं का इजहार किया है। उन्होंने ट्वीट करके संकेतों में नागरिकता कानून से संबंधित केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाया है। लालू ने कविता के जरिए अपने विरोधियों से पूछा है कि वतन को पतन के रास्ते पर क्यों ले जा रहे हो। प्रेम, अमन और भाईचारे के जोड़ को क्यों तोड़…
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Fake News: क्या पुलिसकर्मी भी कर रहे हैं CAA और NRC का विरोध ?
देश में इन दिनों नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है। सोशल मीडिया पर कई फर्जी फोटो और वीडियो शेयर किए जा रहे हैं। ऐसी ही एक तस्वीर फेसबुक पर वायरल हो रही है। फोटो में कुछ पुलिस वालें पोस्टर लिए दिखाई दे रहे हैं। जिसमें 'NO CAA, NO NRC' लिखा हुआ है। दावा किया जा रहा है कि पुलिस वाले भी इस नए कानून के विरोध में है।
#Policemen CAA NRC Protest#Policemen Protest#CAA#NRC#CAA Protest#Citizenship Amendment Act#NRC Protest#Tis Hazari Court#Photo Viral On Social Media#Fake News#Fact Check#Bhaskarhindinews
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भारत के एक और भयानक गद्दार की कहानी जिसने एक ही दिन मे दस हजार दलितों को मरवा डाला था।
मित्रों ! जबसे CAA का जन्म हुआ है तबसे एक नाम बहुत तेजी से उभरकर सामने आया, CAA जरुरी क्यों है इसके लिए भाजपा के कई नेताओं ने जोगेन्द्रनाथ_मंडल का उदाहरण दिया, जब सदन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी जोगेन्द्रनाथ मंडल का नाम लिया, भले ही दुसरे परिप्रेक्ष्य में लिया हो, तो मुझे लगा कि अब इस शख्स के बारे में थोड़ा पढ़ना चाहिए कि यह महान आत्मा है कौन हैं?
जोगेन्द्रनाथ मंडल का जन्म 1904 में बंगाल में बरीसल जिले के मइसकड़ी के एक दलित परिवार में हुआ था
मंडल1939-40तक कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के करीब आए,पर कुछ समय बाद कांग्रेस से किनारा करके मुस्लिम लीग पार्टी में चले गये।जोगेन्द्रनाथ मंडल मुस्लिम लीग के खास सदस्यों में गिना जाने लगा कारण यह था मंडल अखण्ड भारत का बहुत बड़ा दलित नेता था इतना बड़ा कि डा. अम्बेडकर जी से भी बड़ा।कहा यह भी जाता है और इसके साक्ष्य भी मौजुद है कि डॉ अम्बेडकर को मंडल ने ही लांच किया था ।*
मित्रों ! आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पाकिस्तान का निर्माण दलित+मुस्लिम के गठजोड़ के कारण हुआ था,* आज जो लोग, दलितों के स्वघोषित नेता जय भीम जय मीम का नारा दे रहे हैं उन को एक बार मंडल को पढ़ना चाहिए जय भीम जय मीम का पहला प्रयोग मंडल ने ही किया था।और वह मंडल दलितों का बहुत बड़ा नेता था आज के नेता तो कुछ नही हैं उसके सामने यह समझ लो कि दलितो में मंडल की तूती बोलती थी।
इसलिए तो जिन्ना ने मंडल को हाथो हाथ लिया क्योंकि जिन्ना को पता था कि बिना दलितो के समर्थन के पाकिस्तान का निर्माण नही हो सकता
मित्रों जोगेन्द्रनाथ मंडल जिन्ना के साथ मिलकर पाकिस्तान के निर्माण की बात करने लगा, और दलितों से यह कहने लगा कि दलित और मुस्लिम के लिए एक अलग देश होगा। जहां हम लोगों का अच्छे से ख्याल किया जायेगा, अपना एक नया देश पाकिस्तान बनने के बाद हम सभी दलित भाई भारत छोड़कर पाकिस्तान चलेंगे और बड़े आराम से वहां रहेंगे।
जोगेन्द्रनाथ मंडल ने अपने ताकत से असम को खंडित कर दिया, बात1947 की है। 3 जून, 1947की घोषणा के बाद असम के आसयलहेट को जनमत संग्रह से यह तय करना था* कि वह पाकिस्तान का हिस्सा बनेगा या हिंदुस्तान का, उस इलाके में हिंदु मुसलमान की संख्या बराबर थी।
हिंदू निर्णायक होता जनमत संग्रह में वह हि��्सा हिंदुस्तान के पास ही रहता पर जिन्ना की कुटिल चाल काम कर गई जिन्ना ने मंडल को असम भेजा और कहा सारे दलितों का वोट पाकिस्तान के पक्ष में डलवाओ,ऐसा ही हुआ मंडल के एक इशारे पर दलितो ने पाकिस्तान के पक्ष में वोट कर दिया क्योंकि वहां दलित हिंदू ही बहुतायत थेऔर इस प्रकार से असम का वह हिस्सा पाकिस्तान का हो गया जो कि आज बांग्लादेश में है*बड़े ही उत्साह के साथ मंडल ने जिन्ना के साथ मिलकर पाकिस्तान का निर्माण किया तथा लाखों दलितो के साथ भारत को अलविदा कहकर पाकिस्तान चला गया।
जोगेन्द्रनाथ मंडल का अब मुसलमानो का कथित सहानुभूति का भ्रम टूट चुका था मंडल को अपने गलती का एहसास तब पुरी तरह से हो गया जब पाकिस्तान में सिर्फ एक दिन में 20 फरवरी, 1950 को 10000 (दश हजार) से उपर दलित मारे गये और यह बात खुद जोगेन्द्रनाथ मंडल ने अपने इस्तीफे में कही।
जिन्ना के मौत के बाद एक लम्बा चौड़ा इस्तीफा लिखा मंडल ने,उसमें दलितो पर हो रहे भयंकर अत्याचार का जिक्र किया और पाकिस्तान सरकार आँख बंद करके सब देखती रही।अंतत: जोगेन्द्रनाथ मंडल 1950 में उसी भारत में आकर शरण लिया जिसे कभी जय भीम जय मीम के लिए तोड़ दिया था।
लाखो दलितों को मौत के मुंह में छोड़कर जोगन्द्रनाथ मंडल एक शरणार्थी बनकर भारत आया और गुमनामी में रहने लगा शायद अपने कृत्य पर वह शर्मिंदा था।
वही दलित हिंदू धीरे धीरे शरणार्थी बनकर भारत आने लगे उन्ही शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने के लिए मोदी सरकार ने नया कानून बनायाCAA पर दु:खद यह कि जो खुद से अपने आपको दलितो का महाहितैषी घोषित किये हैं वो खुद इस कानून का विरोध कर रहे हैं और वह भी मुसलमानो के साथ मुसलमानो ने छल से फिर दलितों को मिला लिया है।
आज फिर जय भीम जय मीम का नारा गुंज रहा है ऐसे लोगों से बस एक बात कहना चाहुंगा कि तुम मंडल के पैरों की धूल भी नही हो, पर मंडल का जो हश्र हुआ एक बार पढ़ लो सारे भ्रम दुर हो जायेंगे।
ये कोई कहानी नहीं है मात्र कुछ दशक पहले का भारतीय इतिहास है।
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Delhi Police Said In High Court That Protest Against The CAA At Shaheen Bagh Was Not An Independent Movement
Delhi Police Said In High Court That Protest Against The CAA At Shaheen Bagh Was Not An Independent Movement
Delhi Police On Shaheen Bagh Protest: दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को हाई कोर्ट (Delhi High Court) में कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के विरोध में शाहीन बाग में हुआ प्रदर्शन स्वभाविक या कोई स्वतंत्र आंदोलन नहीं था. पुलिस ने कहा कि शाहीन बाग प्रकरण के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SPI) थे और स्थानीय लोगों ने विभिन्न स्थानों पर हुए प्रदर्शनों का समर्थन नहीं…
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*Uniform Civil code समान नागरिकता क़ानून क्या है और मुसलमान इसका विरोध क्यों करते है?*
समान नागरिकता कानून Uniform Civil Code का मतलब देश में रहने वाले हर नागरिक के लिए क़ानून समान होना चाहिए, चाहे वो किसी भी धर्म का हो ।
Uniform civil code में शादी, तलाक, जमीन जायदाद के बँटवारे या बच्चा गोद लेने जैसे सामाजिक मामलों पर सभी धर्मो में एक ही कानून लागू होगा। uniform civil code एक निष्पक्ष कानून है जो सभी धर्मों के लिए एक होगा
जबकि भारत में अभी सभी धर्मो के किये अलग अलग कानून है, जमीन, जायदाद, शादी, तलाक जैसे कई मुद्दों के नियम मुस्लिम, पारसी और इसाइयों के अपने अलग अलग लॉ हैं ।
हिंदू सिविल लॉ के अंतर्गत हिंदू, सिख और जैन आते हैं।
Uniform civil code की विस्तृत जानकारी के लिए visit करें
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स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी किया सीएए के विरोध, कानून को बताया केंद्र सरकार का जनविरोधी निर्णय
स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी किया सीएए के विरोध, कानून को बताया केंद्र सरकार का जनविरोधी निर्णय
Swami Prasad Maurya on CAA : अक्सर अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने नागरिकता संसोधन कानून को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। केंद्र सरकार की ओर से सोमवार 11 मार्च 2024 को नोटिफिकेशन जारी कर देश में CAA लागू कर दिया। स्वामी प्रसाद मौर्य ने ट्वीट कर कहा, “नागरिकता संसोधन विधेयक (CAA) कानून लागू करना केंद्र सरकार का जन विरोधी निर्णय है, जो आदिवासी,…
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दिल्ली के शाहीन बाग में बुलडोजर, नागरिकता कानून का विरोध प्रदर्शन
दिल्ली के शाहीन बाग में बुलडोजर, नागरिकता कानून का विरोध प्रदर्शन
नई दिल्ली: विवादास्पद नागरिकता कानून के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध के केंद्र शाहीन बाग में दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) आज अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाने के लिए तैयार है। पहले शुक्रवार को होने वाला यह अभ्यास पर्याप्त सुरक्षा बलों की अनुपलब्धता के कारण रद्द कर दिया गया था। आज सुबह, दिल्ली ��ुलिस ने विध्वंस अभियान के लिए स्थल पर बल उपलब्ध कराया। दृश्यों में भारी पुलिस बल की मौजूदगी के बीच…
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टाइम और शाहीनबाग की दादी-
जैसा की आप जानते है टाइम एक प्रतिष्ठ पत्रिका है और जब भी इसकी लिस्ट निकलती है तो इसकी चर्चा होना आम बात है लेकिन इस बार कुछ नया है क्योकि इस बार टाइम ने दुनिया को प्रभावित करने वालों सौ लोगों की सूची में कई भारतीयों के साथ साहीनबाग की दादी के नाम से मशहूर हुई बिलकिस बानो भी है जो CAA प्रोटेस्ट में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रही थी उनको उम्र 82 साल है उन्होंने कहा था की जब तक शरीर में एक बून्द भी खून होगा हम लड़ते रहेंगे |वो इस प्रोटेस्ट का चेहरा बन गयी थी |
आयुष्मान खुराना और नरेंदर मोदी के साथ जगह मिली - सबसे खास बात है इसमें उनको आयुष्मान खुराना और नरेंदर मोदी और डेमोक्रेटिक की उपराष्ट्रपति उम्मीदवार कमला हैरस के साथ जगह दी गयी | ये खबर आते ही वाइरल हो गयी | जब CCA का विरोध प्रदर्शन बहुत पीक पे था | गृह मंत्री अमित शाह के निमत्रण पे इनका नाम अमित शाह से मिलने वाली लिस्ट में भी था | साहीनबाग जो भी प्रोटेस्ट था वो शांतिपूर्वक किया गया था और इसलिए विश्व का ध्यान अपनी ओर खींच सका |शाहीनबाग में नागरिकता कानून को वापस लेने की मांग को लेकर 101 दिनों तक धरना प्रदर्शन चला था और कोरोना संकट के मद्देनजर प्रदर्शन बंद कर दिया गया था|इसके अलावा मैगजीन की सूची में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप , जो बाइडेन (Joe Biden), एंजेला मर्केल (Angela Merkel) और नैन्सी पॉलोसी (Nancy Pelosi) जैसे बड़े-बड़े नेताओं को शामिल किया है|
टाइम मैगज़ीन हर साल ये लिस्ट निकालती है और बताती है उसकी नज़र इस साल कौन ऐसे लोग जो मनोरंजन के क्षेत्र में , नेता , और समाजिक कार्य करने वालों में दुनिया को प्रभावित किया | उन 100 लोगों को लिस्ट निकालती है |इस बार की लिस्ट में सेलना गोम्ज़े को भी जगह मिली है |आयुष्मान खुराना को भी जगह मिली है क्योकि इधर इन्होने बहुत सी ऐसी फिल्मो में काम किया जो समाज पे बहुत ही प्रभाव छोड़ी | चीन के राष्ट्रपति सी जिनपिंग को भी इसमें जगह मिली है |ये अमेरिकन मैगज़ीन है | लेकिन दुनिया भर में पॉपुलर है|
रवींद्र गुप्ता कौन है और क्यों मिली जगह -
अल्फाबेट और गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई और प्रोफेसर रविंद्र गुप्ता का भी नाम है | सूंदर को ज्यादातर जनता जानती है लेकिन रवींद्र गुप्ता एक नया नाम जुड़ा है | रविंद्र गुप्ता को इसलिए जगह मिली क्योकि उनके एक खोज से ही लंदन का एक मरीज HIV से ठीक हुआ |एचआईवी से ठीक होने वाला पृथ्वी का वह दूसरा व्यक्ति था, उन्हें 2019 में कैम्ब्रिज इंस्टीट्यूट ऑफ चिकित्सीय इम्यूनोलॉजी और संक्रामक रोग विभाग में प्रोफेसर नियुक्त किया गया था|उनका कार्य भी बहुत ही सरहानीय था | पुरे विश्व में लोग ऐसे काम कर रहे है जिससे पूरी दुनिया प्रभावित होती है | हर क्षेत्र से जुड़ते है |
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सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को आदेश दिया है कि 2019 में नागरिकता कानून का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों से जुर्माने के रूप में वसूले गए करोड़ों को तुरन्त वापस करे। सत्ताधीशों को यह बात समझ लेनी चाहिए कि लोकतंत्र में विरोध प्रदर्शन करना नागरिकों का अधिकार है। इसके बिना लोकतंत्र अधूरा है। आज जोगी के पंख कतर दिए हैं सुप्रीम कोर्ट ने। 🙏🙏 (at Supreme Court of India) https://www.instagram.com/p/CaHLHgeJbHq/?utm_medium=tumblr
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