#नमो: नमो: वैष्णो वरदानी
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माता वैष्णो देवी चालीसा हिंदी अर्थ सहित (Vaishno Devi Chalisa)
श्री वैष्णो देवी चालीसा विडियो श्री वैष्णो देवी चालीसा (Vaishno Devi Chalisa) ।। दोहा ।। गरुड़ वाहिनी वैष्णवी त्रिकूटा पर्वत धाम। काली, लक्ष्मी, सरस्वती शक्ति तुम्हें प्रणाम।। ।। चौपाई ।। नमो: नमोः वैष्णो वरदानी, कलि काल में शुभ कल्याणी। मणि पर्वत पर ज्योति तुम्हारी, पिण्डी रूप में ही अवतारी। देवी देवता अंश दियो है, रत्नाकर घर जन्म लियो है। करी तपस्या राम को पाऊँ, त्रेता की शक्ति कहलाऊँ। कहा राम…
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Vaishno Devi Chalisa : श्री वैष्णो देवी चालीसा, नमो: नमो: वैष्णो वरदानी,
Vaishno Devi Chalisa : श्री वैष्णो देवी चालीसा, नमो: नमो: वैष्णो वरदानी,
माँ वैष्णो देवी का मंदिर जम्मू और कश्मीर में त्रिकुट पर्वत पर स्थित एक शक्तिपीठ स्थल है। इस धार्मिक स्थल की आराध्य देवी माँ वैष्णो देवी का Vaishno Devi Chalisa यहाँ आये हुये सभी भक्त माता रानी वैष्णवी की आराधना में मंदिर में करते हैं ! श्री वैष्णो देवी चालीसा हिंदी में Shri Vaishno Devi Chalisa in Hindi -: अन्य चालीसा संग्रह :– माँ अन्नपूर्णा चालीसा माँ विन्ध्येश्वरी चालीसा कैला देवी…
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सारे सुखों को देने वाली माँ वैष्णो देवी की आरती एवं चालीसा
माँ वैष्णवी देवी को सभी सुखों की जन्मदात्री कहा जाता हैं, माता रानी की यह आरती के मंदिर में यह आरती नियमित रूप से की जाती है |माँ वैष्णो देवी की आरती नियमित करने एवं वैष्णों चालीसा का पाठ करने व्यक्ति को सारे सुख मिलने लगते हैं । नवरात्र के दिनों जो भक्त माता के दरबार नहीं जा सकते वे अपने घर पर भी इनकों करने उसी पुण्य के अधिकारी बन जाते है जो वहां जाने पर प्राप्त होता हैं ।
।। माँ वैष्णों देवी की आरती ।।
जय वैष्णव माता, मैया जय वैष्णव माता । द्वार तुम्हारे जो भी आता, बिन माँगे सब कुछ पा जाता ।। ऊँ जय वैष्णो माता…।।
तू चाहे तो जीवन दे दे, चाहे पल मे खुशियां दे दे । वैष्णो देवी आरती जन्म मरण हाथ तेरे है शक्ति माता ।। ऊँ जय वैष्णो माता…।।
जब जब जिसने तुझको पुकारा तूने दिया है बढ़ के सहारा । भोले राही को मैया तेरा प्यार ही राह दिखाता ।। ऊँ जय वैष्णो माता… ।।
हर साल सहगल आता और तेरे गुण गाता । ऊँ जय वैष्णव माता, मैया जय वैष्णव माता ।। ऊँ जय वैष्णो माता… ।।
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।। माँ वैष्णो देवी चालीसा ।।
गरूड़ वाहिनी वैष्णवी त्रिकुटा पर्वत धाम । काली, लक्ष्मी, सरस्वती शक्ति तुम्हें प्रणाम ।।
चौपाई
नमो नमो वैष्णो वरदानी । कलिकाल में शुभ कल्यानी ।। मणि पर्वत पर ज्योति तुम्हारी । पिंडी रूप में हो अवतारी ।।
देवी-देवता अंष दियो है । रत्नाकर घर जन्म लियो है ।। करी तपस्या राम को पाऊं । त्रेता की शक्ति कहलाऊं ।।
कहा राम मणि पर्वत जाओ । कलियुग की देवी कहलाओ ।। विष्णु रूप से कल्की बनकर । लूंगा शक्ति रूप बदलकर ।।
तब तब त्रिकुटा घाटी जाओ । गुफा अंधेरी जाकर पाओ ।। काली लक्ष्मी सरस्वती मां । करेंगी पोषण पार्वती मां ।।
ब्रह्मा, विष्णु शंकर द्वारे । हनुमत, भैंरो प्रहरी प्यारे ।। रिद्धि, सिद्धि चंवर डुलायें । कलियुग वासी पूजन आवें ।।
पान सुपारी ध्वजा नारियल । चरणामृत चरणों का न��र्मल ।। दिया फलित वर मां मुस्काई । करन तपस्या पर्वत आई ।।
कलि-काल की भड़की ज्वाला । इक दिन अपना रूप निकाला ।। कन्या बन नगरोटा आई । योगी भैरों दिया दिखाई ।।
रूप देख सुन्दर ललचाया । पीछे-पीछे भागा आया ।। कन्याओं के साथ मिली मां । कौल-कंदौली तभी चली मां ।।
देवा माई दर्षन दीना । पवन रूप हो गई प्रवीणा ।। नवरात्रों में लीला रचाई । भक्त श्रीधर के घर आई ।।
योगिन को भण्डारा दीना । सबने रूचिकर भोजन कीना ।। मांस, मदिरा भैरों मांगी । रूप पवन कर इच्छा त्यागी ।।
बाण मारकर गंगा निकाली । पर्वत भागी हो मतवाली ।। चरण रखे आ एक षिला जब । चरण-पादुका नाम पड़ा तब ।।
पीछे भैरों था बलकारी । छोटी गुफा में जाय पधारी ।। नौ माह तक किया निवासा । चली फोड़कर किया प्रकाषा ।।
आद्या शक्ति-ब्रह्म कुमारी । कहलाई मां आदि कुंवारी ।। गुफा द्वार पहुंची मुस्काई । लांगुर वीर ने आज्ञा पाई ।।
भागा-भागा भैरों आया । रखा हित निज शस्त्र चलाया ।। पड़ा शीष जा पर्वत ऊपर । किया क्षमा जा दिया उसे वर ।।
अपने संग में पुजवाऊंगी । भैरों घाटी बनवाऊंगी ।। पहले मेरा दर्षन होगा । पीछे तेरा सुमरन होगा ।।
बैठ गई मां पिण्डी होकर । चरणों में बहता जल झर-झर ।। चौंसठ योगिनी-भैरों बरवन । सप्तऋषि आ करते सुमरन ।।
घंटा ध्वनि पर्वत बाजे । गुफा निराली सुन्दर लांगे ।। भक्त श्रीधर पूजन कीना । भक्ति सेवा का वर लीना ।।
सेवक ध्यानूं तुमको ध्याया । ध्वजा व चोला आन चढ़ाया ।। सिंह सदा दर पहरा देता । पंजा शेर का दुःख हर लेता ।।
जम्बू द्वीप महाराज मनाया । सर सोने का छत्र चढ़ाया ।। हीरे की मूरत संग प्यारी । जगे अखण्ड इक जोत तुम्हारी ।।
आष्विन चैत्र नवराते आऊं । पिण्डी रानी दर्षन पाऊं ।। सेवक ‘षर्मा‘ शरण तिहारी । हरो वैष्णो विपत हमारी ।।
दोहा
कलियुग में तेरी, है मां अपरम्पार । धर्म की हानि हो रही, प्रगट हो अवतार ।।
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