भोजन पर कम नमक मिलाना? अध्ययन में कहा गया है कि इससे हृदय रोग का खतरा कम हो सकता है
भोजन पर कम नमक मिलाना? अध्ययन में कहा गया है कि इससे हृदय रोग का खतरा कम हो सकता है
वाशिंगटन: जर्नल ऑफ द अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार, खाद्य पदार्थों में कम नमक खाने से हृदय रोग, हृदय की विफलता और इस्केमिक हृदय रोग का खतरा कम होता है। यहां तक कि उन लोगों में भी जो डीएएसएच (उच्च रक्तचाप को रोकने के लिए आहार संबंधी दृष्टिकोण) के समान आहार का सेवन करते हैं, नमक की खपत को कम करने के लिए व्यवहारिक उपचार हृदय स्वास्थ्य को बढ़ा सकते हैं।…
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एसिडिटी रिलीफ पाउडर: अक्सर लोग गैस की समस्या से परेशान रहते हैं। यह एक बहुत ही सामान्य समस्या है लेकिन आप अधिक सहज महसूस कर सकते हैं। कई लोगों को खाना खाने के बाद गैस और एसिडिटी की समस्या हो जाती है. अगर आप भी इस समस्या से परेशान हैं तो हम आपको एक आजमाया हुआ उपाय बता रहे हैं। दरअसल ये मेरा अपना आजमाया हुआ नुस्खा है. हमारे घर में हमारी दादी हमें गैस की समस्या होने पर चुकंदर, काला नमक और आंवले से…
खांसी एक सामान्य समस्या है, लेकिन अगर इसका सही इलाज न किया जाए, तो यह असुविधाजनक हो सकती है। हालांकि, हमेशा दवाओं की जरूरत नहीं होती। कई प्राकृतिक घरेलू उपाय भी खांसी से राहत प्रदान कर सकते हैं। इस ब्लॉग में हम कुछ आसान, असरदार और सुरक्षित खांसी का घरेलू इलाज पर चर्चा करेंगे।
1. शहद और अदरक
शहद का उपयोग खांसी में बहुत प्रभावी होता है। इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो गले की सूजन को कम करने और संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। अदरक में मौजूद जिंजरॉल और शोगाओल नामक तत्व खांसी को कम करने और गले की खराश से राहत प्रदान करते हैं।
कैसे उपयोग करें:
एक चम्मच शहद में कुछ बूंदें अदरक का रस मिलाएं।
इसे दिन में दो बार लें, विशेष रूप से सोने से पहले।
2. गर्म पानी और नमक का गरारा
गर्म पानी में नमक डालकर गरारा करने से गले की सूजन कम होती है और बलगम को ढीला करने में मदद मिलती है। यह तरीका सर्दी, खांसी और गले में खराश के लिए बेहद प्रभावी है।
कैसे करें:
एक गिलास गर्म पानी में आधा चम्मच नमक मिलाएं।
इस पानी से दिन में 2-3 बार गरारा करें।
3. तुलसी और काली मिर्च का काढ़ा
तुलसी में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो गले ���ी खराश और खांसी से राहत प्रदान करते हैं। काली मिर्च में पिपराइन होता है, जो बलगम को साफ करने में मदद करता है।
कैसे बनाएं:
पानी में 5-6 तुलसी की पत्तियां और आधा चम्मच काली मिर्च मिलाकर उबालें।
इसे छानकर दिन में 2 बार पिएं।
4. भाप लेना
भाप लेने से नाक के मार्ग और फेफड़ों में जमा बलगम को हटाने में मदद मिलती है। यह खांसी के अलावा सर्दी और बंद नाक के लिए भी अच्छा उपाय है।
कैसे करें:
एक बर्तन में गर्म पानी लें और सिर को तौलिए से ढककर भाप लें।
इसमें कुछ बूंदें यूकेलिप्टस तेल की भी डाल सकते हैं।
5. हल्दी वाला दूध
हल्दी में एंटीसेप्टिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो खांसी और गले की सूजन से राहत दिलाने में मदद करते हैं। दूध में हल्दी मिलाने से इसका असर और भी बढ़ जाता है।
कैसे उपयोग करें:
एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी पाउडर मिलाएं।
सोने से पहले इसे पिएं।
6. पुदीना और शहद की चाय
पुदीने की पत्तियां म्यूकोसल झिल्ली को शांत करने में मदद करती हैं और बलगम को साफ करती हैं। शहद इस प्रक्रिया में और भी आराम प्रदान करता है।
कैसे बनाएं:
पानी में 5-6 पुदीने की पत्तियां डालकर उबालें।
इसमें एक चम्मच शहद मिलाएं और इसे गर्म ही पिएं।
7. अंजीर का सेवन
अंजीर में उच्च मात्रा में विटामिन और मिनरल्स होते हैं जो खांसी से राहत प्रदान करने में सहायक होते हैं। यह कफ को बाहर निकालने में मदद करता है।
कैसे उपयोग करें:
2-3 अंजीर को रातभर पानी में भिगोकर सुबह खाएं।
इसका नियमित सेवन खांसी में आराम दिलाता है।
निष्कर्ष
खांसी से राहत पाने के लिए घरेलू उपाय कारगर हो सकते हैं, खासकर तब जब आप दवाइयों से बचना चाहते हैं। ये उपाय सरल हैं और अधिकतर सामग्री आपके घर में ही मिल जाएगी। अगर खांसी लंबे समय तक बनी रहती है या बढ़ती है, तो डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
सावधानी: बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए किसी भी घरेलू नुस्खे का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
*⛅ व्रत पर्व विवरण - सप्तमी श्राद्ध, महालक्ष्मी व्रत पूर्ण, कालाष्टमी, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी, द्विपुष्कर योग (प्रातः 06:29 से दोपहर 12:38 तक)*
*⛅विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ते हैं और शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹तिल के तेल के औषधीय प्रयोग🔹*
*🔸१] तिल का सेवन १०-१५ मिनट तक मुँह में रखकर कुल्ला करने से शरीर पुष्ट होता है, होंठ नहीं फटते, कंठ नहीं सूखता, आवाज सुरीली होती है, जबड़ा व हिलते दाँत मजबूत बनते हैं और पायरिया दूर होता है ।*
*🔸२] ५० ग्राम तिल के तेल में १ चम्मच पीसी हुई सोंठ और मटर के दाने बराबर हींग डालकर गर्म किये हुए तेल की मालिश करने से कमर का दर्द, जोड़ों का दर्द, अंगों की जकड़न, लकवा आदि वायु के रोगों में फायदा होता है ।*
*🔸३] २०-२५ लहसुन की कलियाँ २५० ग्राम तिल के तेल में डालकर उबालें । इस तेल की बूँदे कान में डालने से कान का दर्द दूर होता है ।*
*🔸४] प्रतिदिन सिर में काले तिलों के शुद्ध तेल से मालिश करने से बाल सदैव मुलायम, काले और घने रहते हैं, बाल असमय सफेद नहीं होते ।*
*🔸५] ५० मि.ली. तिल के तेल में ५० मि.ली. अदरक का रस मिला के इतना उबालें कि सिर्फ तेल रह जाय । इस तेल से मालिश करने से वायुजन्य जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है ।*
*🔸६] तिल के तेल में सेंधा नमक मिलाकर कुल्ले करने से दाँतों के हिलने में लाभ होता है ।*
*🔸७] घाव आदि पर तिल का तेल लगाने से वे जल्दी भर जाते हैं ।*
*🔹चार बातों को याद रखो🔹*
*🔸१] ब्रह्मनिष्ठ महापुरुषों व ज्ञानवृद्ध बड़े-बुजुर्गों का आदर करना ।*
*🔸२] छोटों की रक्षा करना और उन पर स्नेह करना ।*
*🔸३] सत्संगी बुद्धिमानों से सलाह लेना और*
*🔸४] मूर्खों के साथ नहीं उलझना ।*
*🔹नम्रता के तीन लक्षण🔹*
*🔸१] कडवी बात का मीठा जवाब देना ।*
*🔸२] क्रोध के अवसर पर भी चुप्पी साधना और*
*🔸३] किसीको दंड देना ही पड़े तो उस समय चित्त को कोमल रखना ।*
4 ताकतवर एनर्जी ड्रिंक्स: शक्ति बढ़ाने और कमजोरी से छुटकारा पाने के लिए रोज़ पीएं
Energy Drinks: अपने ऊर्जा स्तर को उच्च रखने के लिए घर पर बनाएं ये हेल्दी एनर्जी ड्रिंक्स: दिनभर काम के बाद थकान दूर हो जाएगी |
घर, ऑफिस, और व्यस्तताओं से भरे हुए जीवनशैली ने हमारे जीवन को अपार तरीके से प्रभावित कर दिया है। शाम के आने पर हमें अक्सर थकान और कमजोरी का अनुभव होता है। इस संघर्ष को दूर करने के लिए हम एनर्जी ड्रिंक्स की तलाश में निकल पड़ते हैं, जैसे प्रोटीन पाउडर और सप्लीमेंट्स। हालांकि, आप घर पर भी कुछ खास ड्रिंक्स तैयार करके अपनी एनर्जी को बढ़ा सकते हैं। ये एनर्जी ड्रिंक्स आपकी कमजोरी को दूर करने के साथ-साथ आपको ताकतवर बनाने में मदद करेंगे। इन ड्रिंक्स के सेवन से आप हमेशा एक्टिव और उर्जावान रह सकते हैं, इसलिए आप इन्हें अपने दैनिक आहार में शामिल कर सकते हैं।
एनर्जी ड्रिंक के फायदे
आधुनिक जीवनशैली के दौरान हमारे शरीर पर दबाव बढ़ता है और यही कारण है कि हम अक्सर थकान और कमजोरी का अनुभव करते हैं। इस संघर्ष से निजात पाने के लिए, एनर्जी ड्रिंक एक शक्तिशाली सहायक साबित होता है। इसके सेवन से हमें तत्परता, ऊर्जा और प्रफुल्लता की अनुभूति होती है।
घर पर बनाई गई एनर्जी ड्रिंक, जो अन्य विकल्पों के मुकाबले कम शक्कर युक्त होती है, शरीर को कोई हानि नहीं पहुंचाती है। इससे हमारी सेहत और सुरक्षा का ख्याल रखा जाता है। एनर्जी ड्रिंक सेवन से हमें शक्ति प्राप्त होती है और कमजोरी दूर होती है। यह हमें सक्रिय बनाकर संघर्षों के सामने बलवान बनाता है। एनर्जी ड्रिंक थकान को दूर करके हमें ऊर्जावान बनाता है, जिससे हम जीवन के हर क्षेत्र में सशक्त और प्रभावी रह सकते हैं।
घर पर कैसे तैयार करें होममेड एनर्जी ड्रिंक
नारियल पानी और नींबू
कई बार आपके शरीर में पानी की कमी से थकान और कमजोरी का अनुभव होता है। इससे निजात पाने के लिए, नारियल पानी एक उत्कृष्ट नैचुरल एनर्जी ड्रिंक माना जाता है। इसमें पोटैशियम और पानी की मात्रा होने से शरीर को तुरंत ऊर्जा मिलती है।
इसके साथ ही, नारियल पानी में नींबू का रस मिलाने से इसकी शक्तिदायकता बढ़ जाती है। नींबू में विटामिन सी के साथ-साथ अन्य पोषक तत्व भी होते हैं, जो आपको तत्परता और जीवंतता की अनुभूति कराते हैं। यह आपके लिए एक उत्कृष्ट एनर्जी ड्रिंक है, जो थकान और कमजोरी को दूर करने में मदद करता है। घर पर नारियल पानी और नींबू से एनर्जी ड्रिंक बनाने के लिए, निम्न विधि का पालन करें:
सर्वोत्तम मल्टीविटामिन
इसके लिए आप एक कप नारियल पानी लें।
इसमें 1 चम्मच शहद और 4-5 बूंद नींबू का रस मिला लें।
इसके बाद आप स्वादानुसार नमक भी डाल सकते हैं।
फिर इसे थकान और कमजोरी महसूस होने पर पीएं, और नयी ऊर्जा का आनंद लें।
आंवला और शहद
आंवला और शहद से बनी घरेलू एनर्जी ड्रिंक, सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती है। इस ड्रिंक का सेवन न केवल ऊर्जा प्रदान करता है, बल्कि यह आपकी त्वचा और बालों के लिए भी आपके लिए लाभदायक साबित होता है। इसमें मौजूद आंवला और शहद से बनी एनर्जी ड्रिंक आपकी इम्यूनिटी को बढ़ाने के साथ-साथ युवाओं को यौवन शक्ति प्रदान करती है और बूढ़े लोगों को युवा जैसी ताकत देती है।
घर पर आंवला और शहद से एनर्जी ड्रिंक बनाने के लिए, निम्न विधि का पालन करें:
हरे आंवलों को पीसकर कपड़े से छानकर उसका रस निकालें।
अब, 15 ग्राम (तीन छोटे चम्मच) हरे आंवलों के रस में 15 ग्राम शहद को अच्छी तरह मिलाएं।
इस आंवला-शहद मिश्रण को एनर्जी ड्रिंक के रूप में रोजाना प्रात: व्यायाम के बाद सेवन करें।
इसके बाद दो घंटे तक कुछ न खाएं और शारीर को आराम दें।
केला और डार्क चॉकलेट
केला और डार्क चॉकलेट एक स्वास्थ्यवर्धक जोड़ी हैं, जिनमें पोटैशियम और कैलोरी की अच्छी मात्रा मौजूद होती है। इसलिए, इन्हें आप एक एनर्जी ड्रिंक के रूप में आसानी से उपभोग कर सकते हैं। यह ड्रिंक आपको तत्परता और ऊर्जा में तत्पर बनाती है। इसके साथ ही आपकी कमजोरी और थकाना भी दूर होता है।
घर पर केला और डार्क चॉकलेट से एनर्जी ड्रिंक बनाने के लिए, निम्न विधि का पालन करें:
एक केला और एक डार्क चॉकलेट लें।
दोनों को एक गिलास दूध के साथ मैश करें।
एनर्जी ड्रिंक तैयार है!
इस ड्रिंक को पीने से तुरंत ऊर्जा मिलेगी।
चिया सीड्स और तरबूज
चिया सीड्स और तरबूज का जूस एक रिफ्रेशिंग ड्रिंक है, जिसमें विटामिन सी और आयरन की अच्छी मात्रा होती है. आप इसे और भी स्वादिष्ट बना सकते हैं चिया सीड्स को भीगा कर मिलाकर पीने के लिए. चिया सीड्स में ओमेगा-3 फैटी एसिड्स मौजूद होते हैं, जो दिनभर काम करने की ताकत प्रदान करते हैं.
घर पर चिया सीड्स और तरबूज ड्रिंक को बनाने की विधि है:
एक कटोरी तरबूज का रस निकालें।
दूसरी कटोरी में चिया सीड्स को पानी में 15-20 मिनट भीगो दें, ताकि वे गूल जाएं।
भीगे हुए चिया सीड्स को तरबूज के रस में मिलाएं।
अब इस मिश्रण को अच्छी तरह से मिलाएं और तत्परता से पीजिए।
ये एनर्जी ड्रिंक्स आपकी शक्ति को बढ़ाने और कमजोरी से छुटकारा पाने में मदद करेंगे। इन्हें रोज़ पीने से आप ऊर्जावान और स्वस्थ रहेंगे।
बवासीर को कैसे ठीक करें: आय��र्वेदिक और प्राकृतिक उपाय
बवासीर (Piles) एक आम समस्या है, जो आजकल की जीवनशैली और खान-पान के कारण बढ़ती जा रही है। यह बीमारी मुख्य रूप से मलद्वार की नसों में सूजन और दर्द का कारण बनती है। बवासीर को कैसे ठीक करें अगर इसे समय पर ठीक नहीं किया जाए तो यह गंभीर रूप ले सकती है। यहां हम आपको कुछ आयुर्वेदिक और प्राकृतिक उपाय बता रहे हैं, जो बवासीर को ठीक करने में मदद कर सकते हैं।
1. त्रिफला चूर्ण का सेवन
त्रिफला चूर्ण एक आयुर्वेदिक औषधि है जो पेट साफ रखने और पाचन तंत्र को ठीक रखने में मदद करती है। इसे नियमित रूप से गर्म पानी के साथ लेने से बवासीर में राहत मिलती है।
2. जीरा और सौंफ का मिश्रण
जीरा और सौंफ को बराबर मात्रा में लेकर पाउडर बना लें। इस पाउडर को खाने के बाद पानी के साथ लेने से पाचन सुधरता है और बवासीर के लक्षणों में कमी आती है।
3. छाछ का सेवन
छाछ एक प्राकृतिक प्रोबायोटिक है, जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है। बवासीर के रोगी छाछ में अजवाइन और काला नमक मिलाकर सेवन कर सकते हैं।4. एलोवेरा जेल
एलोवेरा जेल को प्रभावित स्थान पर लगाने से सूजन और जलन में राहत मिलती है। बवासीर को कैसे ठीक करें। यह एक प्राकृतिक उपाय है जो बिना किसी साइड इफेक्ट के काम करता है।
5. फाइबर युक्त आहार
बवासीर के उपचार के लिए फाइबर युक्त आहार जैसे फल, सब्जियां, और साबुत अनाज का सेवन बढ़ाएं। यह मल को नरम रखता है और कब्ज से बचाव करता है, जिससे बवासीर के लक्षणों में राहत मिलती है।
6. नियमित व्यायाम
नियमित व्यायाम से शरीर की गतिशीलता बढ़ती है और पाचन तंत्र में सुधार होता है। यह बवासीर को ठीक करने में सहायक हो सकता है।
7. पानी का भरपूर सेवन
दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पिएं। यह शरीर को हाइड्रेटेड रखता है और मल को नरम करता है, जिससे बवासीर में राहत मिलती है।
8. आयुर्वेदिक उपचार
आयुर्वेद में बवासीर के लिए कई उपचार हैं, जैसे कि कचनार गुग्गुल, अरशकु, और पंचतिक्त घृत। यह औषधियां बवासीर के लक्षणों को कम करने में मदद करती हैं।
किडनी हमारे शरीर के सबसे ज्यादा हेल्दी अंगों में से एक है और इसका नियमित रूप से ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। जब भी हम बीमार पड़ते हैं, तो उसके लिए डॉक्टर हमें दवाएं देते हैं। हमारे द्वारा खाई जाने वाली ये दवाएं हमारे शरीर की बीमारी को ठीक करने में तो मदद करती हैं, लेकिन इन दवाओं को फिल्टर हमारी किडनी को करना पड़ता है। खासतौर पर जिन लोगों को पहले से किडनी से जुड़ी कोई पुरानी बीमारी है, तो उनके लिए किसी भी बीमारी से जुड़ी दवाएं लेना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। दवाओं का असर हमारी किडनी पर जरूर पड़ता है, चाहे वे दवाएं किडनी की किसी बीमारी का इलाज करने के लिए ही क्यों न तैयार की गई हों। ऐसे में कई आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का मानना है कि क्रोनिक किडनी रोग में कुछ विशेष प्रकार की आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग करना उपयुक्त हो सकता है, लेकिन सभी ऐसी दवाएं सुरक्षित नहीं होतीं। कुछ आयुर्वेदिक उत्पाद किडनी के लिए सुरक्षित माने जाते हैं।
जिन लोगों को पहले से किडनी संबंधी बीमारी है, उनके लिए दवाओं का चयन करना कठिन होता है। इस समस्या में कुछ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ उपयोगी हो सकती हैं।
पुनर्नवा (Punarnava for kidney) : पुनर्नवा एक प्राचीन और प्रमुख आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जो किडनी के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसका नियमित सेवन किडनी की सुरक्षा में मदद करता है और किडनी संबंधी बीमारियों को नियंत्रित करने में सहायक होता है। यह एंटी-इंफ्लेमेटरी और डायुरेटिक गुणों से भरपूर है, जो संवेदनशीलता को कम करने और बीमारियों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। इसे आयुर्वेद और एलोपैथी दोनों में उपयोगी माना गया है।
गोक्षुरा (Gokhru for kidney) : आयुर्वेद में, गुर्दे संबंधी समस्याओं के उपचार के लिए गोखरू का प्रयोग प्रचलित है। गोखरू चूर्ण के सेवन से किडनी के मरीजों को लाभ होता है। कुछ अध्ययनों में इसमें यूरिक एसिड, क्रिएटिनिन, और किडनी स्टोन को कम करने के गुण पाए गए हैं, जो क्रोनिक किडनी रोग के खतरे को कम कर सकते हैं। गोखरू का नियमित सेवन किडनी की सेहत को बनाए रखने में मदद कर सकता है, इसलिए यह किडनी संबंधी समस्याओं के लिए एक उपयुक्त आयुर्वेदिक औषधि मानी जाती है।
वरुणा (Varuna for kidney) : आयुर्वेद में, किडनी रोगी को उनकी सेहत को बनाए रखने के लिए वरुणा से बनी दवाएं प्रदान की जाती हैं। वरुणा का पाउडर क्रोनिक किडनी रोग के रोगियों को लाभ पहुंचा सकता है, जिससे उनके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। कुछ अध्ययनों में यह सिद्ध हुआ है कि वरुणा किडनी स्टोन को नष्ट करने में और उसके पुनर्जनन के खतरे को कम करने में सहायक हो सकता है। इसलिए, वरुणा को किडनी संबंधी समस्याओं के उपचार में एक महत्वपूर्ण और प्रभावी आयुर्वेदिक दवा माना जाता है।
गिलोय बेल (Giloy bel for kidney) : भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों में, गिलोय एक प्रमुख आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जो व्यापक रूप से प्रयोग की जाती है। इसे बुखार, गठिया, डेंगू जैसी बीमारियों के उपचार में प्रभावी माना जाता है। इसके अलावा, गिलोय का उपयोग किडनी संबंधी समस्याओं और क्रोनिक रोगों के इलाज में भी किया जाता है। इसकी प्राकृतिक गुणधर्मों के कारण, गिलोय को आयुर्वेदिक चिकित्सा में एक महत्वपूर्ण और प्रभावी औषधि माना जाता है जो विभिन्न रोगों के उपचार में सहायक होती है।
चंदन (Sandalwood for kidney) : आयुर्वेद में, चंदन का उपयोग स्किन संबंधी समस्याओं के इलाज में किया जाता है, लेकिन यह आपको शायद ही पता हो कि चंदन का उपयोग किडनी संबंधी बीमारियों के लिए भी फायदेमंद होता है। चंदन डायुरेटिक गुणों के साथ काम करता है और किडनी से संबंधित रोगों को ठीक करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, चंदन के शांतिदायक गुण भी होते हैं जो किडनी के संक्रमण को दूर करने में सहायक होते हैं। इसलिए, चंदन को किडनी संबंधी बीमारियों के इलाज में एक प्रमुख आयुर्वेदिक उपाय माना जाता है।
इन सभी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से मिलकर “SCORTIS HEALTHCARE” के द्वारा बनाया गया, ये CRUSHSTONE SYRUP जो किडनी की किसी भी समस्या से निजात दिलाने में कारगर है।
डॉक्टर द्वारा बताए गए दवाओं का सेवन सही तरीके से करें और बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवा न लें।
किडनी का ख्याल रखना बहुत जरूरी है, किडनी को स्वस्थ रखने के कुछ महत्वपूर्ण उपाय निम्नलिखित हैं:
पानी पीना: प्रतिदिन पर्याप्त मात्रा में पानी पीना बहुत जरूरी है। यह किडनी को साफ रखने और विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।
संतुलित आहार: आहार में ताजे फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज, और कम वसा वाले डेयरी उत्पाद शामिल करें। नमक, चीनी का सेवन कम करें।
व्यायाम: नियमित व्यायाम से न केवल आपका वजन संतुलित रहता है बल्कि यह रक्तचाप और रक्त शर्करा को भी नियंत्रित करता है, जिससे किडनी की सेहत बनी रहती है।
धूम्रपान और शराब का सेवन न करें: धूम्रपान और अधिक मात्रा में शराब पीना किडनी के लिए हानिकारक होता है।
नियमित चेकअप: किडनी की सेहत की नियमित जांच करवाना जरूरी है, खासकर यदि आपके परिवार में किसी को गुर्दे की बीमारी रही हो।
स्ट्रेस को कम करें: तनाव से बचने के लिए योग, ध्यान और गहरी सांस लेने की तकनीकों का अभ्यास करें।
निष्कर्ष
इस लेख में हमने किडनी को स्वस्थ रखने से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण बातों की चर्चा की है। हम आशा करते हैं कि यह लेख आपको गाइड करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। इस लेख से संबंधित सवालों और सुझावों को कॉमेंट बॉक्स में लिखकर हमसे शेयर कर सकते हैं।
उच्च रक्तचाप हृदय रोग के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है। आपके रक्तचाप को सामान्य स्तर पर रखने में मदद करने के लिए यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:
नियमित रूप से टहलें और व्यायाम करें: नियमित शारीरिक गतिविधि आपके हृदय को रक्त पंप करने में अधिक मज़बूत और कुशल बनाती है, जिससे आपकी धमनियों में दबाव कम हो सकता है।
धूम्रपान छोड़ें: धूम्रपान आपके रक्तचाप और हृदय गति को बढ़ाता है। धूम्रपान छोड़ने से आपके हृदय के स्वास्थ्य में काफ़ी सुधार हो सकता है।
सोडियम का सेवन कम करें: कम सोडियम का सेवन रक्तचाप को कम करने में मदद कर सकता है। प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों को सीमित करने का प्रयास करें और अपने आहार में नमक की मात्रा का ध्यान रखें।
ज़्यादा पोटेशियम युक्त भोजन खाएं: पोटेशियम आपकी कोशिकाओं में सोडियम की मात्रा को संतुलित करने में मदद करता है, और इसे केले, संतरे, पालक और शकरकंद जैसे खाद्य पदार्थों में पाया जा सकता है।
तनाव को प्रबंधित करना सीखें: पुराना तनाव उच्च रक्तचाप में योगदान दे सकता है। गहरी साँस लेना, ध्यान और योग जैसी तकनीकें तनाव के स्तर को प्रबंधित करने में मदद कर सकती हैं।
कैफीन का सेवन कम करें: कैफीन रक्तचाप में अल्पकालिक वृद्धि का कारण बन सकता है। कैफीन का सेवन कम करने से रक्तचाप के स्तर को अधिक स्थिर बनाए रखने में मदद मिल सकती है।
अपने रक्तचाप को प्रबंधित करने के लिए व्यक्तिगत सलाह और परामर्श के लिए, आप सुकून हार्ट केयर, सैनिक मार्केट, मेन रोड, रांची, झारखंड: 834001 में Dr. Md. Farhan Shikoh, MBBS, MD (Medicine), DM (Cardiology) से संपर्क कर सकते हैं। फोन: 6200784486। हमारी वेबसाइट drfarhancardiologist.com पर जाएँ।
आयुर्वेद में दिनचर्या को स्वस्थ जीवन शैली के महत्वपूर्ण अंग के रूप में देखा जाता है। सही दिनचर्या का पालन करके व्यक्ति शारीरिक, मानसिक और आ���्मिक स्वास्थ्य को बनाए रख सकता है। यहाँ कुछ प्रमुख तत्व दिए गए हैं:
1. प्रातःकालीन क्रियाएँ (Morning Routine):
- जल नेति: नाक की सफाई के लिए नमक के पानी से नासिका धोना।
- कब्ज़ से बचाव: गुनगुने पानी में नींबू और शहद मिलाकर पीना।
- मल त्याग: स्वाभाविक रूप से मल त्याग करना।
2. दन्तधावन (Oral Hygiene):
- दांतों की सफाई के लिए हर्बल पेस्ट या दातून का उपयोग।
- जिव्हा साफ करने के लिए टंग क्लीनर का उपयोग।
3. आभ्यंग (Oil Massage):
- तिल या नारियल तेल से पूरे शरीर की मालिश करना।
- यह तनाव को कम करता है, त्वचा को पोषण देता है और शरीर को शुद्ध करता है।
4. स्नान (Bathing):
- गर्म पानी से स्नान करना, इससे रक्त संचार बेहतर होता है और शरीर ताजगी महसूस करता है।
5. योग और ध्यान (Yoga and Meditation):
- नियमित योगासन और प्राणायाम करना।
- ध्यान का अभ्यास मानसिक शांति और ध्यान केंद्रित करने के लिए करना।
6. आहार (Diet):
- संतुलित और सात्विक आहार का सेवन।
- मौसम और शारीरिक प्रकृति (वात, पित्त, कफ) के अनुसार आहार का चयन।
- भोजन के पहले और बाद में पानी का सेवन।
आयुर्वेद चिकित्सा (Ayurvedic Treatment)
आयुर्वेद में विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए प्राकृतिक और हर्बल उपचारों का उपयोग किया जाता है। कुछ मुख्य चिकित्सा विधियाँ निम्नलिखित हैं:
1. पंचकर्म (Panchakarma):
- वमन: शरीर से कफ दोष को निकालने के लिए वमन (उल्टी) का उपयोग।
- विरेचन: पित्त दोष को निकालने के लिए जुलाब का उपयोग।
- बस्ती: वात दोष को संतुलित करने के लिए औषधीय एनीमा का उपयोग।
- नस्य: नाक के माध्यम से औषधियों का प्रशासन।
- रक्तमोक्षण: रक्त की शुद्धि के लिए रक्त निकालना।
2. हर्बल औषधियाँ (Herbal Medicines):
- अश्वगंधा (Ashwagandha): तनाव और ऊर्जा को बढ़ाने के लिए।
- त्रिफला: पाचन और शुद्धिकरण के लिए।
- गिलोय (Giloy): इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए।
- शतावरी: महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए।
3. आहार और पोषण (Diet and Nutrition):
- रोगानुसार विशेष आहार और पोषण का परामर्श।
- सात्विक आहार और हर्बल चाय का सेवन।
4. योग और प्राणायाम (Yoga and Pranayama):
- विभिन्न रोगों के लिए विशेष योगासन और श्वास क्रियाएँ।
- मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक लचीलापन को बढ़ाने के लिए।
5. लाइफस्टाइल और दिनचर्या (Lifestyle and Daily Routine):
- दैनिक दिनचर्या का पालन।
- ऋतुचर्या (मौसम के अनुसार दिनचर्या) का पालन।
निष्कर्ष (Conclusion)
आयुर्वेदिक दिनचर्या और चिकित्सा, स्वस्थ जीवन शैली और रोग मुक्त जीवन के लिए एक संपूर्ण और प्राचीन पद्धति है। यह शारीरिक, मानसिक और आत्मिक संतुलन को बढ़ावा देती है और व्यक्ति को समग्र स्वास्थ्य प्रदान करती है। व्यक्तिगत प्रकृति और आवश्यकताओं के अनुसार, एक योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेना उचित होता है।
क्या आप जानते हैं कि नॉन-वेज मसाला असल में वेज मसाला होता है? | साहिबा मसाले
यह एक गलतफ़हमी है कि नॉन-वेज मसाला वास्तव में मांस या अन्य पशु उत्पादों से बनाया जाता है। यह केवल मसालों का मिश्रण होता है, जिसमें कोई पशु उत्पाद नहीं होते। भारतीय व्यंजनों में उपयोग किए जाने वाले ये मसाला मिश्रण आमतौर पर शाकाहारी होते हैं, जिनमें जीरा, धनिया, हल्दी और मिर्च पाउडर जैसे मसाले होते हैं। इसका मतलब है कि ये मसाले शाकाहारी और मांसाहारी दोनों के लिए उपयुक्त हैं। इसलिए, अगली बार जब आप भारतीय खाना बनाएं, तो नॉन-वेज मसाला का उपयोग करने से न डरें!
मसाले हमारे सभी व्यंजनों में एक आवश्यक घटक हैं, जो भोजन के स्वाद को बढ़ाते हैं। मसाला पाउडर में आम तौर पर पिसे हुए मसाले होते हैं और इसमें मांस या अंडे शामिल नहीं होते हैं। एक मांसाहारी व्यंजन में लगभग 15 से 20 सामग्री शाकाहारी होती हैं जैसे मसाले, सब्जियां, तेल, गार्निशिंग प्याज, लहसुन, मेवा आदि। मांस अपने आप में बेस्वाद होता है और अन्य सामग्री ही इसे स्वादिष्ट बनाती है।
मसाले बिना किसी अवांछित या अस्वच्छ पदार्थ के बनाए जाते हैं, ताकि शाकाहारी और मांसाहारी दोनों ही इसका सेवन कर सकें। ताजी जड़ी-बूटियों और उच्च गुणवत्ता वाले साबुत मसालों के उपयोग से मसाले किसी भी प्रकार के भोजन के स्वाद को 100% जैविक और स्वच्छ तरीके से बढ़ाते हैं।
साहिबा मसाला का नॉन-वेज मसाला
साहिबा मसाला का नॉन-वेज मसाला मसालों का एक सही मिश्रण है जो आपके स्वाद को मंत्रमुग्ध कर देगा। यह उन लोगों के लिए एकदम सही है जो नॉन-वेज का स्वाद पसंद करते हैं लेकिन शाकाहारी ट्विस्ट के साथ इसका आनंद लेना चाहते हैं। साहिबा मसाला का नॉन-वेज मसाला वेज है क्योंकि यह मसाले, आयोडीन नमक, सूखा आम, जीरा, काली मिर्च, मिर्च, सूखी अदरक, इलायची के बीज, छोटी इलायची, दालचीनी, लौंग, हिंग, काली इलायची, तेज पत्ता, मेथी के पत्ते, और हल्दी, आदि शामिल हैं। यह मसाला किसी भी व्यंजन में स्वाद जोड़ने के लिए एकदम सही है, चाहे वह करी हो, चावल हो, या एक साधारण सब्जी हो।
बेहतरीन जड़ी-बूटियों और उच्च गुणवत्ता वाले मसालों से बने साहिबा मसाला के उत्पाद आपके भोजन को बिना किसी कृत्रिम विकल्प या संरक्षक के सही स्वाद और रंग देते हैं। साहिबा द्वारा बनाए गए मसाले पूरी तरह से प्रामाणिक हैं और साबुत मसालों का उपयोग करके तैयार किए जाते हैं। हमारा मिशन हर भारतीय रसोई में ‘स्वाद वाली खुशबू’ विकसित करना है और इसे हम सुरक्षात्मक रूप से करते हैं। हमारे मसाले प्राकृतिक और कृत्रिम रंगों और परिरक्षकों से मुक्त होते हैं और FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण) द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार तैयार किए जाते हैं।
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वैज्ञानिकों ने एक ऐसा चम्मच बनाया है जो खाने का स्वाद नमकीन बना देगा, कीमत का एहसास करा देगा
खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए नमक बहुत जरूरी है. दूसरे शब्दों में इसके बिना किसी भी व्यंजन का स्वाद नहीं आ सकता। लेकिन इस बात का ध्यान रखना भी उतना ही जरूरी है कि इसके अधिक सेवन से हमारी सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ता है। इसलिए डॉक्टर हमेशा नमक का इस्तेमाल कम से कम करने की सलाह देते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिकों ने एक ऐसा इलेक्ट्रिक चम्मच बनाया है जो खाने को अपने आप नमकीन बना देगा.…
टाइम ज़ी पशु आहार अपने उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों के लिए प्रसिद्ध है। यह ब्रांड आपके पशुओं के लिए सर्वोत्तम पोषण प्रदान करता है, जिससे उनके स्वास्थ्य और दूध उत्पादन में वृद्धि होती है। टाइम ज़ी पशु आहार के उत्पाद निम्नलिखित हैं:
1. बाय प्रो प्रीमियम पशु आहार (Bi Pro Premium Pashu Aahar)
प्रत्येक बैग में 50 किलोग्राम आहार होता है और इसमें उच्च मात्रा में प्रोटीन और खनिज होते हैं, जो आपके पशुओं को अधिक ताकत देते हैं और दूध उत्पादन को बढ़ाते हैं।
बाय प्रो प्रीमियम पशु आहार (Bi Pro Premium Pashu Aahar)
बाय प्रो प्रीमियम पशु आहार आपके पशुओं के लिए उच्च गुणवत्ता वाले पोषक तत्व प्रदान करता है, जो उनके स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं।
हाई प्रो पेलेट पशु आहार (Hi Pro Pellet Pashu Aahar)
हाई प्रो पेलेट पशु आहार में उच्च प्रोटीन सामग्री होती है, जो आपके पशुओं को अधिक ऊर्जा प्रदान करती है।
संतुलित पेलेट पशु आहार आपके पशुओं के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्वों का सही मिश्रण प्रदान करता है।
सुपर पेलेट पशु आहार (Super Pellet Pashu Aahar)
सुपर पेलेट पशु आहार आपके पशुओं के लिए सर्वोत्तम आहार है, जो उनके स्वास्थ्य और उत्पादन को बढ़ाता है।
टाइम ज़ी पशु आहार से पशुपालकों को क्या फायदे होते हैं?
टाइम ज़ी पशु आहार(Time Zee Pashu Aahar) का उपयोग करने से पशुपालकों को अनेक लाभ होते हैं। इनके उच्च गुणवत्ता वाले पशु आहार उत्पाद न केवल पशुओं की सेहत को बेहतर बनाते हैं बल्कि उनकी उत्पादकता को भी बढ़ाते हैं। आइए जानते हैं कि टाइम ज़ी पशु आहार का उपयोग करने से पशुपालकों को कौन-कौन से लाभ मिलते हैं:
1. दुग्ध उत्पादन में वृद्धि (Increase in Milk production)
टाइम ज़ी पशु आहार सम्पूर्ण संतुलित होने के कारण पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता को बढ़ाता है। इसके उच्च प्रोटीन और खनिज पशुओं को अधिक दूध देने में सहायक होते हैं। इसके अलावा, अन्य पशु आहारों की तुलना में सस्ता होने से दूध की प्रति लीटर लागत को कम करता है।
2. ऋतु चक्र में सुधार
टाइम ज़ी पशु आहार का नियमित सेवन पशुओं के ऋतु चक्र को नियमित करता है, जिससे वे समय पर गाभिन हो जाते हैं। यह पशुपालकों के लिए आर्थिक दृष्टि से भी फायदेमंद होता है।
3. बीमारियों से बचाव
टाइम ज़ी पशु आहार में मौजूद उच्च गुणवत्ता वाले पोषक तत्व पशुओं की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं, जिससे वे बीमारियों से बचे रहते हैं और स्वस्थ रहते हैं।
4. आर्थिक दृष्टि से किफायती
टाइम ज़ी पशु आहार सम्पूर्ण संतुलित होने के कारण आर्थिक दृष्टि से भी सस्ता पड़ता है। इसके उपयोग से पशुपालकों को अलग से अन्य पोषक तत्व देने की आवश्यकता नहीं होती, जिससे उनके खर्चे भी कम होते हैं।
5. नमक की पर्याप्त मात्रा
टाइम ज़ी पशु आहार में नमक पर्याप्त मात्रा में होता है, इसलिए अलग से नमक देने की आवश्यकता नहीं होती। यह पशुपालकों के लिए एक और सुविधा है जो उनके काम को आसान बनाता है।
टाइम ज़ी पशु आहार बाजार में अनेक प्रकार के पैकेट में उपलब्ध हैं और उनकी कीमतें उनकी गुणवत्ता के अनुसार तय की गई हैं।
टाइम ज़ी पशु आहार डिस्ट्रीब्यूटरशिप क्या है | Time Zee Pashu Aahar Dealership
जैसा कि आप जानते हैं, सभी कंपनियां अपना नेटवर्क बढ़ाने के लिए कई प्रकार के प्रोग्राम चलाती हैं। उन्हीं कंपनियों में से एक है टाइम ज़ी पशु आहार कंपनी, जो देश की अन्य कंपनियों की तरह ही अपना नेटवर्क बढ़ाना चाहती है। टाइम ज़ी पशु आहार कंपनी भी डिस्ट्रीब्यूटरशिप प्रदान करती है।
डिस्ट्रीब्यूटरशिप के लाभ
टाइम ज़ी पशु आहार की डिस्ट्रीब्यूटरशिप लेने के बाद, आपको कंपनी के उत्पादों को बेचने का अवसर मिलता है। इस पर कंपनी आपको एक निश्चित कमीशन देती है। जितनी अधिक बिक्री आप करेंगे, आपकी कमाई उतनी ही अधिक होगी। इसका मतलब है कि आप जितना अधिक टाइम ज़ी पशु आहार के उत्पादों को बाजार में बेचेंगे, उतना ही अधिक आपकी आय होगी। यदि आप टाइम ज़ी पशु आहार की डिस्ट्रीब्यूटरशिप लेना चाहते हैं, आज ही हमें कॉल करें: 63930 45488। जल्दी ही हमारी टीम आपसे संपर्क करेगी। अधिक जानकारी के लिए आप हमारी वेबसाइट www.timezee.in पर भी जा सकते हैं।
आज दिनांक - 25 अगस्त 2024 का सटीक गणनाओं के साथ वैदिक हिन्दू पंचांग रविवार विशेष
⛅दिनांक - 25 अगस्त 2024
⛅दिन - रविवार
⛅विक्रम संवत् - 2081
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - शरद
⛅मास - भाद्रपद
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅तिथि - सप्तमी रात्रि 03:39 अगस्त 26 तक तत्पश्चात अष्टमी
⛅नक्षत्र - भरणी शाम 04:45 तक तत्पश्चात कृतिका
⛅योग - ध्रुव रात्रि 12:29 अगस्त 26 तक तत्पश्चात व्याघात
⛅राहु काल - शाम 05:28 से शाम 07:03 तक
⛅सूर्योदय - 06:20
⛅सूर्यास्त - 07:03
⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:50 से 05:35 तक
⛅ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:16 से दोपहर 01:07 तक
⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:19 अगस्त 26 से रात्रि 01:04 अगस्त 26 तक
⛅ व्रत पर्व विवरण - भानु सप्तमी, शीतला सप्तमी, त्रिपुष्कर योग (शाम 04:45 से रात्रि 03:39 अगस्त 26 तक), ज्वालामुखी योग, रविवारी सप्तमी सूर्योदय से रात्रि 03:39 अगस्त 26 तक
⛅विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ते हैं और शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🔹रविवारी सप्तमी : 25 अगस्त 2024🔹
🔸सारे काम छोड़कर जप, ध्यान, मौन रखना चाहिए । सूर्य ग्रहण के समान इसका (रविवारी सप्तमी का) स्नान, दान, पुन्य अक्षय होता है । इस दिन रखा हुआ मौन और किया हुआ जप का फल लाख गुना होता है ।
🔸रविवार सप्तमी के दिन अगर कोई नमक मिर्च बिना का भोजन करे और सूर्य भगवान की पूजा करे, तो घातक बीमारियाँ दूर हो सकती हैं ।
🔹 रविवार विशेष🔹
🔸 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
🔸 रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)
🔸 रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)
🔸 रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।
🔸 रविवार को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।
🔸 स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।
🔸 रविवार के दिन पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।
पाचन समस्याओं से छुटकारा पाएं, इन आहारों को शामिल करें रोजाना डाइट में
पाचन समस्याएं आजकल बहुत सामान्य हो गई हैं, जो आपके खाने के नियंत्रण में बदलाव लाती हैं और आपको पेट की खराबी से गुजरना पड़ता है। इसलिए, अच्छी पाचन शक्ति रखना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। अगर हम बहुत अधिक तैलीय, मसालेदार या जंक फूड खाते हैं, तो हमारा पाचन कम होने लगेगा। इससे सीने में जलन, अपच, भूख न लगना और अपच जैसी समस्याएं हो सकती है���।
पाचन में सुधार करने का एक तरीका अधिक आसानी से पचने योग्य खाद्य पदार्थ खाना है। यह आमतौर पर उन लोगों के लिए मुश्किल होता है जो बहुत अधिक तैलीय, मसालेदार या जंक फूड खाते हैं। हालाँकि, कुछ सरल घरेलू उपचार हैं जो मदद कर सकते हैं। लेकिन कुछ खाद्य पदार्थ इस प्रकार होते हैं जो आपकी पाचन शक्ति को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। आज हम आपको ऐसे खाद्य पदार्थों के बारे में बताएंगे जो आपको अच्छी पाचन शक्ति देने में मदद कर सकते हैं।
दही
दही खाने से आपको पेट संबंधी समस्याओं से निजात मिलती है। दही में प्रोबायोटिक बैक्टीरिया होते हैं, जो आपकी पाचन शक्ति को बढ़ाने में मदद करते हैं। पेट में जलन होने पर दही का सेवन लस्सी या सादी दही के रूप में कर सकते हैं। आप दही के साथ कुछ नमक और काली मिर्च मिलाकर खा सकते हैं। यह पाचन क्रिया को सुचारू कर पेट से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करता है।
अदरक
अदरक एक स्वस्थवर्धक जड़ी बूटी है जिसका उपयोग वजन कम करने, अल्जाइमर रोग को रोकने और आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करने में मदद के लिए किया जा सकता है। यह छोटी और बड़ी आंतों को मजबूत करके आपके पाचन में मदद करता है, जिससे पेट की समस्याओं से बचने में मदद मिलती है और आपका स्वास्थ्य ठीक रहता है। अदरक उन नुकसानदायक बैक्टीरिया को भी नहीं बनने देता, जो एसिड के बनने की वजह होते हैं।
हींग
हींग एक ऐसा मसाला है जो पेट की कई समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो अपच और पेट खराब होने जैसी समस्याओं का इलाज कर सकते हैं। दाल का स्वाद अच्छा करने के लिए और पाचन भी बेहतर करने के लिए आप इसमें हींग मिला सकते हैं।
पपीता
पपीता आपके पाचन के लिए अच्छा है क्योंकि यह विटामिन ए, बी और सी से भरपूर होता है, इसमें ढेर सारा फाइबर और प्रोटीन होता है, और यह आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। नियमित रूप से पपीता खाने से अपच और कब्ज जैसी समस्याओं से बचा जा सकता है।
सौंफ
जब आपका पाचन तंत्र ठीक से काम नहीं कर रहा होता है, तो यह आपके पेट में कब्ज, बेचैनी और भारीपन की भावना जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है। सौंफ चबाने से आपके पाचन तंत्र को बेहतर बनाने और इन समस्याओं से बचने में मदद मिल सकती है।
जीरा
जीरे में एंटीमाइक्रोबियल, एंटी-डायबिटिक और एंटीकार्सिनोजेनिक गुण होते हैं, जो आपकी सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं और जो आपकी पाचन शक्ति को बढ़ाने में मदद करते हैं। आप इसे अपनी सब्जी में मिला सकते हैं या फिर उसे पाउडर के रूप में भी खा सकते हैं।
सेब
सेब एक ऐसा फल है जो आपके पाचन के लिए अच्छा होता है। यह फाइबर, विटामिन और खनिजों से भरपूर होता है, जो प्रक्रिया को बेहतर बनाने में मदद करता है। सेब खाने से अच्छे बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा मिलता है, जिससे पाचन क्रिया सुचारू हो जाती है। आप सेब के रस को अपने आहार के हिस्से के रूप में, या नाश्ते के रूप में ले सकते हैं।
चिया सीड
चिया बीज प्रोटीन और फाइबर का अच्छा स्रोत हैं। इन्हें अपने आहार में शामिल करने से आपके पाचन तंत्र को मजबूत रखने में मदद मिल सकती है। ये वजन कम करने में भी मददगार होते हैं, इसलिए इन्हें अपनी पसंदीदा रेसिपी में ट्राई करें।
इन खाद्य पदार्थों को रोजाना अपनी डाइट में शामिल करने से आपकी पाचन शक्ति बढ़ेगी और आपको पेट संबंधी समस्याओं से निजात मिलेगी। इसके अलावा, आपको अपने शरीर के लिए अन्य प्रकार के भोजन भी शामिल करने की आवश्यकता होती है। इसके लिए, आप फल, सब्जियां, दाल, अंकुरित अनाज जैसे प्राकृतिक आहार को शामिल कर सकते हैं।फल और सब्जियां आपको विटामिन, मिनरल, फाइबर और अन्य न्यूट्रिएंट्स प्रदान करते हैं। ये आपके शरीर को संतुलित रखने में मदद करते हैं और आपको अधिक ऊर्जा प्रदान करते हैं। अपने शरीर को हाइड्रेटेड रखने और भोजन को पचाने में मदद करने के लिए हर दिन ढेर सारा पानी पिएं।