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मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति की पांच बड़ी बातें • • • Badhtaindia.in • • • • #NewEducationPolicy #नईशिक्षानीति #education #india #academia #school #college #univeristy #highereducation #students #youth #breakingnews #modigovernment #badhtaindia (at Education) https://www.instagram.com/p/CDQoSbDJwbT/?igshid=3u152ufvhsib
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विस्तृत में जानिए नई शिक्षा नीति की 6 खास बातें
चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने आज नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है। ये बहुप्रतीक्षित नीति स्कूल से कॉलेज स्तर तक शिक्षा प्रणाली में कई बदलाव लाएगी। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि, कैबिनेट बैठक में आज नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई है। 34 साल से शिक्षा नीति में परिवर्तन नहीं हुआ था, इसलिए ये बेहद महत्वपूर्ण है। आइए जानते हैं नई शिक्षा नीति की 6 खास बातें... National mission to focus on basic literacy and basic numeracy; major changes in the pedagogical structure of curriculum with no rigid separation between streams; all separations between vocational and academic and curricular and extra-curricular will also be removed pic.twitter.com/O5tQTwaUY9 — ANI (@ANI) July 29, 2020 पहला- नई शिक्षा नीति में भाषा के विकल्प को बढ़ा दिया गया है। छात्र 2 से 8 साल की उम्र में जल्दी भाषाएं सीख जाते हैं। इसलिए उन्हें शुरुआत से ही स्थानीय भाषा के साथ तीन अलग-अलग भाषाओं में शिक्षा देने का प्रावधान रखा गया है। नई शिक्षा नीति के मुताबिक, छात्रों को कक्षा 6वीं से 8वीं के बीच कम से कम दो साल का लैंग्वेज कोर्स करना होगा। दूसरा- नई शिक्षा नीति केंद्र सरकार द्वारा नया पाठ्यक्रम तैयार करने का भी प्रस्ताव रखा गया है। यह नया प्रस्ताव 5+3+3+4 का डिजाइन तय किया गया है। ये पाठ्यक्रम 3 से 18 साल तक के बच्चों यानी न��्सरी से 12वीं कक्षा तक के छात्रों के लिए डिजाइन किया गया है। छात्रों की शुरुआती स्टेज की पढ़ाई के लिए 5 साल का प्रोग्राम तय किया गया है। इनमें 3 साल प्री-प्राइमरी और कक्षा-1 और 2 को जोड़ा गया है। इसके बाद कक्षा-3, 4 और 5 को अगले स्टेज में रखा गया है। इसके अलावा क्लास-6, 7, 8 को तीन साल के प्रोग्राम में बांटा गया है। आखिरी 4 वाले में हाई स्टेज में कक्षा 9वीं, 10वीं, 11वीं, 12वीं को रखा गया है। तीसरा- केंद्र सरकार ने बताया है कि, पुरानी व्यवस्था में 4 साल इंजीनियरिंग पढ़ने के बाद या 6 सेमेस्टर पढ़ने के बाद यदि कोई छात्र आगे नहीं पढ़ सकता है तो उसके पास कोई उपाय नहीं है।फिर छात्र आउट ऑफ द सिस्टम हो जाता है। लेकिन अब नई शिक्षा नीति में थोड़ा सा बदलाव किया गया है। नए सिस्टम में एक साल के बाद सर्टिफिकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा, तीन या चार साल के बाद डिग्री मिल सकेगी। चौथा- मल्टीपल एंट्री थ्रू बैंक ऑफ क्रेडिट के तहत छात्र के फर्स्ट, सेकेंड ईयर के क्रेडिट डिजीलॉकर के माध्यम से क्रेडिट रहेंगे। जिससे कि अगर छात्र को किसी कारण ब्रेक लेना है और एक फिक्स्ड टाइम के अंतर्गत वह वापस आता है तो उसे फर्स्ट और सेकंड ईयर रिपीट करने को नहीं कहा जाएगा। छात्र के क्रेडिट एकेडमिक क्रेडिट बैंक में मौजूद रहेंगे। यानि की स्पष्ट है कि छात्र अपनी आगे की पढ़ाई में भी उसका इस्तेमाल कर सकेंगे। पांचवां- नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत एमफिल पाठ्यक्रमों को बंद किया जाएगा। साथ ही बोर्ड परीक्षाएं जानकारी के अनुप्रयोग पर आधारित होंगी। छठा- नई शिक्षा नीति में स्कूल एजुकेशन से लेकर हायर एजुकेशन तक कई सारे अहम बदलाव किए गए हैं। हायर एजुकेशन के लिए सिंगल रेगुलेटर रहेगा (लॉ और मेडिकल एजुकेशन को छोड़कर)। उच्च शिक्षा में 2035 तक 50 फीसदी GER पहुंचने का लक्ष्य है। Read the full article
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अब कॉलेजों को यूनिवर्सिटी से नहीं लेनी होगी मान्यता, रख सकेंगे अपना सिलेबस और अपनी डिग्री
चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. नई शिक्षा नीति-2020 (National Education Policy 2020) को जनवरी में कैबिनेट बैठक में लाने की तैयारी है। इसके लिए सभी तैयारियां भी पूरी हो चुकी हैं। मानव संसाधन मंत्रालय के अफसरों ने बताया ��ि, यह देश की तीसरी शिक्षा नीति ��ोगी, जो अगले 20 साल तक लागू रहेगी। इसमें 30 देशों की शिक्षा नीति के कुछ अंश शामिल किए गए हैं। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); दैनिक भास्कर अखबार में छपी खबर के मुताबिक, इस नीति को अंतिम रूप देने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि, इस नीति का कैबिनेट नोट अंतिम चरण में है। शिक्षा नीति ड्राफ्ट-2019’ बनने के बाद करीब दो लाख सुझाव मिले थे। उनमें से भी कई बातें नई नीति में शामिल की गई हैं। कॉलेज को यूनिवर्सिटी से नहीं लेनी होगी मान्यता कैबिनेट नोट के मुताबिक, नीति में जो सबसे बड़ा बदलाव है वो कॉलेजों की कार्यप्रणाली को लेकर है। इस नीति के लागू हो जाने के बाद सरकारी और निजी कॉलेजों को किसी यूनिवर्सिटी से मान्यता लेने की जरूरत नहीं होगी। जी हां... इतना ही नहीं बल्कि इसके लागू हो जाने के बाद कॉलेज छात्रों को डिग्री भी खुद ही दे सकेंगे। आने वाले समय में चार संस्थाएं फंडिंग, स्टैंडर्ड सेटिंग, एक्रिडेशन और रेगुलेशन के काम देखेंगी। ये संस्थाएं एक-दूसरे के काम में दखल नहीं दे सकेंगी। ये होंगे बड़े बदलाव खत्म होगा यूनिवर्सिटी से मान्यता का सिस्टम शिक्षा नीति 2020 लागू होने के बाद यूनिवर्सिटी से मान्यता का सिस्टम खत्म हो जाएगा। इसके साथ ही सभी कॉलेज अपना-अपना सिलेबस और करिकुलम खुद ही तय कर सकेंगे। हालांकि, गुणवत्ता बरकरार रखने के लिए नई गाइडलाइन बनाई जाएंगी। कॉलेज छात्रों को खुद ही डिग्री दे सकेंगे। कॉलोजों को अर्थिक मदद सरकार से मिलती रहेगी। मेडिकल और इंजीनियरिंग के छात्र भी पढ़ सकेंगे आर्ट्स नई नीति के लागू होने के बाद मेडिकल और इंजीनियरिंग के छात्र इतिहास और अर्थशास्त्र जैसे विषय भी पढ़ सकेंगे। यह काॅम्बो सिलेबस होगा जिसे 'लिबरल आर्ट' डिग्री कहा जाएगा। हालांकि, यह अनिवार्य नहीं होगा। खास बात यह है कि अन्य विषयों की पढ़ाई को किसी भी साल ड्रॉप किया जा सकता है। यही नहीं बल्कि यदि मेडिकल या इंजीनियरिंग छात्र लिबरल आर्ट की डिग्री पूरी कर लेते हैं, तो वे इनमें पीएचडी भी कर सकते हैं। स्कूलों की फीस तय करने के लिए बनेगी अथॉरिटी नई शिक्षा नीति में न सिर्फ कॉलेज और युनिवर्सिटी बल्कि स्कूली शिक्षा में भी बदलाव का जिक्र है। स्कूलों में फीस बढ़ाने संबंधी अहम फैसले लेने के लिए राज्य स्तरीय अथॉरिटी बनाई जाएगी। इसके अलावा करिकुलर, को-करिकुलर और एक्स्ट्रा करिकुलर में अंतर नहीं रहेगा और इन तीनों चीजों को मर्ज किया जाएगा। करिकुलर यानी पढ़ाना,को-केरिकुलर यानी प्रोजेक्ट आदि बनाना और एक्स्ट्रा करिकुलर यानी खेलना, संगीत सीखना आदि। ग्रेजुएशन के साथ ही कर सकेंगे बीएड नई शिक्षा नीति के अंतर्गत सामान्य कॉलेज से ही बीएड की डिग्री भी दी जाएगी। अब अलग से बीएड कराने वाले कॉलेजों की जरूरत नहीं पड़ेगी। यानी जिन भी छात्रों को शिक्षक बनना है वह पढ़ाई के साथ-साथ बीएड की डिग्री भी ले पाएंगे। अ��� से बीएड का कोर्स चार साल का होगा। Read the full article
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