#देवशयनी एकादशी चातुर्मास
Explore tagged Tumblr posts
astrovastukosh · 4 months ago
Text
Tumblr media
*🌞~ आज दिनांक - 26 जुलाई 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - षष्ठी रात्रि 11:30 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*⛅नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद दोपहर 02:30 तक तत्पश्चात रेवती*
*⛅योग - सुकर्मा रात्रि 01:32 जुलाई 27 तक तत्पश्चात धृति*
*⛅राहु काल - प्रातः 11:07 से दोपहर 12:46 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:08*
*⛅सूर्यास्त - 07:24*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम ��िशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:42 से 05:25 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:20 से दोपहर 01:13*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:25 जुलाई 27 से रात्रि 01:08 जुलाई 27 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - सर्वार्थ सिद्धि योग एवं अमृत सिद्धि योग (दोपहर 02:30 जुलाई 26 से प्रातः 06:08 जुलाई 27 तक)*
*⛅विशेष - षष्ठी को नीम-भक्षण (पत्ती फल खाने या दातुन मुंह में डालने) से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹 आध्यात्मिक कोष भरने का काल – चतुर्मास 🌹*
*🔸देवशयनी एकादशी से देवउठी एकादशी तक के ४ महीने भगवान नारायण ध्यानमग्न रहते हैं । अत: ये मास सनातन धर्म के प्रेमी लोगों के बीच आराधना-उपासना के लिए विशेष महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं । चतुर्मास में अन्न, जल, दूध, दही, घी, मट्ठा व गौ का दान तथा वेदपाठ, हवन आदि महान फल देते हैं ।*
*स्कंद पुराण ( ब्राह्म खंड, चातुर्मास्य माहात्म्य : ३.११) में लिखा हैं :*
*सद्धर्म: सत्कथा चैव सत्सेवा दर्शनं सताम ।*
*विष्णुपूजा रतिर्दाने चातुर्मास्यसुदुर्लभा ।।*
*‘सद्धर्म (सत्कर्म), सत्कथा, सत्पुरुषों की सेवा, संतों का दर्शन-सत्संग, भगवान का पूजन और दान में अनुराग – ये सब बातें चौमासे में दुर्लभ बतायी गयी हैं ।’*
*🔹चतुर्मास में करणीय🔹*
*🔸चतुर्मास में प्रतिदिन सुबह नक्षत्र दिखे उसी समय उठ जाय और नक्षत्र-दर्शन करे । इन दिनों २४ घंटे में एक बार भोजन करनेवाले व्यक्ति को अग्निष्टोम यज्ञ का फल मिल जाता है । यज्ञ में जो आहुति दे सकें सात्विक भोजन की, वैसा ही यज्ञोचित भोजन करें । ब्रह्मचर्य का पालन करें । चतुर्मास में पलाश की पत्तल पर भोजन बड़े-बड़े पातकों का नाशक है, ब्रह्मभाव को प्राप्त करनेवाला होता है । वटवृक्ष के पत्तों या पत्तल पर भोजन करना भी पुण्यदायी कहा गया है । पुरे चतुर्मास में पलाश की पत्तल पर भोजन करें तो धनवान, रूपवान और मान योग्य व्यक्ति बन जायेगा ।*
*🔸पंचगव्य का शरीर के सभी रोगों और पापों को मिटाने तथा प्रसन्नता देने में बड़ा प्रभाव है । चातुर्मास में केवल दूध पर रहनेवाले को साधन-भजन में बड़ा बल मिलता है अथवा केवल फल-सेवन बड़े-बड़े पापों को नष्ट कर��ा है ।*
*🔸इस समय पित्त-प्रकोप होता है । गुलकंद या त्रिफला का सेवन, मुलतानी मिट्टी से स्नान, दूध पीना पित्त-शमन करता है । हवन आदि में यदि तिल-चावल की आहुति देते हैं तो आप निरोग हो जाते हैं ।*
*🔹चतुर्मास में त्यागने योग्य🔹*
*🔸चतुर्मास में गुड़ व भोग-सामग्री का त्याग कर देना चाहिए । जो दही का त्याग करता है उसको गोलोक की प्राप्ति होती है । नमक का त्याग कर सकें तो अच्छा है । परनिंदा त्यागने की बहुत प्रशंसा शास्त्रों में लिखी है । चतुर्मास में परनिंदा महापाप है, महाभय को देनेवाली है । इन ४ महीनों में शादी और सकाम यज्ञ, कर्म आदि करना मना है ।*
*🔹आध्यात्मिक कोष अवश्य भरें🔹*
*🔸 चतुर्मास में बादल, बरसात की रिमझिम, प्राकृतिक सौंदर्य का लहलहाना यह सब साधन-भजनवर्धक है, उत्साहवर्धक है । अत: तपस्या, साधन-भजन करने का यह मौका चूकना नहीं चाहिए । अपनी योग्यता के अनुसार व्यक्ति कोई-न-कोई छोटा-बड़ा नियम ले सकता है । इन दिनों ज्यादा भूख नहीं लगती । उपवास, ध्यान, जप, शांति, आनंद, मौन, भगवत्स्मृति,सात्विक खुराक, स्नान-दान ये विशेष हितकारी, पुण्यदायी, साफल्यदायी है । चतुर्मास में संकल्प कर लें कि ८ महीने तो संसार का धंधा-व्यवहार करते हैं, सर्दी में शरीर की तंदुरुस्ती और दिनों में धन का कोष भरा जाता है किंतु इन ४ महीनों में साधना का खजाना, आध्यात्मिक कोष भरेंगे ।’*
Har Har Mahadev #motivation #akshayjamdagni #shorts #ytshorts #youtubeshorts #Youtubeshortsviral
0 notes
jeevanjali · 4 months ago
Text
Rules of Chaturmas 2024: चातुर्मास में मान लिए ये 14 नियम, तो होगी हर मनोकामना पूरीChaturmas vrat 2024: चातुर्मास अर्थात 4 माह की अवधि। देवशयनी एकादशी से चातुर्मास प्रारंभ हो जाता है। इस काल में वर्षा ऋतु रहती है।
0 notes
webmorch-blog · 1 year ago
Text
aaj ka panchang 29 जून 2023: देवशयनी एकादशी से चातुर्मास प्रारंभ, जानें शुभ मुहूर्त, सिद्धि योग, राहुकाल, दिशाशूल
aaj ka panchang आज का पंचांग 29 जून 2023: आज आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि, स्वाति नक्षत्र, सिद्धि योग, करण वणिज और दिन गुरुवार है. देवशयनी एकादशी व्रत है. आज से चातुर्मास का प्रारंभ हुआ है. देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान विष्णु 4 माह योग निद्रा में रहते हैं, इस वजह से उन 4 माह को चातुर्मास कहा जाता है. चातुर्मास में भगवान विष्णु और शिव जी की विशेष पूजा होती है. (aaj ka panchang) इसमें…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
bhaktibharat · 1 year ago
Text
🐚 देवशयनी एकादशी व्रत कथा - Devshayani Ekadashi Vrat Katha
Tumblr media
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही देवशयनी एकादशी कहा जाता है। इसी एकादशी से चातुर्मास का आरंभ माना जाता है। इस अवधि में कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह आदि नहीं किया जाता। मान्यता है कि, इस दिन से भगवान श्री हरि विष्णु क्षीरसागर ��ें शयन करते हैं और फिर चार माह बाद उन्हें उठाया जाता है। उस दिन को देवोत्थानी एकादशी कहा जाता है। इस बीच के अंतराल को ही चातुर्मास कहा गया है।
देवशयनी एकादशी को देव देवशयनी, हरि देवशयनी, पद्मनाभा, शयनी तथा प्रबोधनी एकादशी भी कहा जाता है।
देवशयनी एकादशी व्रत कथा!धर्मराज युधिष्ठिर ने कहा: हे केशव! आषाढ़ शुक्ल एकादशी का क्या नाम है? इस व्रत के करने की विधि क्या है और किस देवता का पूजन किया जाता है? श्रीकृष्ण कहने लगे कि हे ��ुधिष्ठिर! जिस कथा को ब्रह्माजी ने नारदजी से कहा था वही मैं तुमसे कहता हूँ।...
..देवशयनी एकादशी व्रत कथा को पूरा पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें 👇 📲 https://www.bhaktibharat.com/katha/devshayani-ekadashi-vrat kathaYouTube Video: https://www.youtube.com/watch?v=3hKiUSrJIm4
For Quick Access Download Bhakti Bharat APP: 📥 https://play.google.com/store/apps/details?id=com.bhakti.bharat.app
🐚 कृष्ण भजन - Krishna Bhajan 📲 https://www.bhaktibharat.com/bhajan/shri-krishna-ke-bhajan
🐚 एकादशी - Ekadashi 📲 https://www.bhaktibharat.com/festival/ekadashi
#Katha #Ekadashi #EkadashiVrat #VratKatha #DevshayaniEkadashi #ShriHari #DevshayaniEkadashi #PadmnabhaEkadashi #SayaniEkadashi #ISKCONEkadashi #ISKCON
1 note · View note
vinayras-blog · 1 year ago
Text
Today panchang 29 जून: देवशयनी एकादशी आज, शुभ पंचांग से जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त
देवशयनी एकादशी। चातुर्मास व्रत। यम-नियमादि प्रारंभ। सूर्य उत्तरायण। सूर्य उत्तर गोल। ग्रीष्म ऋतु। मध्याह्न 01.30 बजे से 03 बजे तक राहुकालम्। 29 जून, गुरुवार, 08, आषाढ़ (सौर) शक 1945, 15, आषाढ़ मास प्रविष्टे, 2080, 10, जिलहिज सन् हिजरी 1444, आषाढ़ शुक्ल एकादशी रात्रि 02.42 मिनट तक उपरांत द्वादशी, स्वाति नक्षत्र सायं 04.29 बजे तक तदनंतर विशाखा नक्षत्र, शिव योग प्रात 05.15 बजे तक, वणिज करण, चंद्रमा…
View On WordPress
0 notes
ckpcity · 4 years ago
Text
देवशयनी एकादशी व्रत 2020: हरिशयनी एकादशी की तिथि, समय और महत्व के बारे में जानें
देवशयनी एकादशी व्रत 2020: हरिशयनी एकादशी की तिथि, समय और महत्व के बारे में जानें
Tumblr media Tumblr media
प्रतिनिधि छवि (फोटो सौजन्य: रॉयटर्स)
देवशयनी एकादशी हिंदू कैलेंडर में चातुर्मास की शुरुआत का प्रतीक है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में, इसे पद्मा एकादशी, महा एकादशी, देवपद�� एकादशी या आषाढ़ी एकादशी के रूप में भी जाना जाता है।
ट्रेंडिंग डेस्क
आखरी अपडेट: 29 जून, 2020, 10:19 AM IST
प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा के कुछ ही दिनों बाद, हिंदू लोग आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष (चंद्रमा के एपिलेशन चरण) के…
View On WordPress
0 notes
rudrjobdesk · 2 years ago
Text
Devshayani Ekadashi 2022 : जानिए देवशयनी एकादशी का महत्व, शुभ मुहूर्त में करें पूजा पाठ
Devshayani Ekadashi 2022 : जानिए देवशयनी एकादशी का महत्व, शुभ मुहूर्त में करें पूजा पाठ
Image Source : INDIA TV Devshayani Ekadashi 2022 Devshayani Ekadashi 2022: 10 जुलाई रविवार को यानी आज आषाढ़ शुक्‍ल एकादशी है। जिसे देवशयनी या हरिशयनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने से काफी लाभ मिलता है। आज से भगवान विष्णु चार महीने तक क्षीर सागर में योग निद्रा में रहेंगे। जिसके चलते अब किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किए जाएंगे। भगवान विष्णु कार्तिक शुक्ल एकादशी तक आराम करेंगे। इसके बाद…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
mrdevsu · 3 years ago
Text
देवशयनी एकादशी पर हनुमान जी की पूजा का बन रहा है विशेष संयोग
देवशयनी एकादशी पर हनुमान जी की पूजा का बन रहा है विशेष संयोग
देवशयनी एकादशी 2021: पंचांग के हिसाब से 20 नवंबर 2021, कल आषाढ़ मास की कल की तारीख है। इस एकादशी शास्त्र की तिथि समाप्त हो गई है। आषाढ़ शुक्ल की एकादशी को देवशय एकादशी है। इस व्यक्ति को विष्णु की विशेष देखभाल है। देवशयनी एकादशी का महत्वदेवशय एकादशी आषाढ़ मास की आखिरी एकादशी है। एंडोर्समेंट के लिए देवशयनीदाशी से चातुर्मास एक शुरुआत है। देवशयनी एकादशी से विष्णु का शयनकाल प्रभामंडल है। भगवान विष्णु…
View On WordPress
0 notes
vediclyfe · 2 years ago
Text
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी (Devshayni Ekadashi) का व्रत किया जाता है। इस वर्ष यह व्रत 10 जुलाई 2022, रविवार के दिन किया जायेगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवशयनी एकादशी के दिन श्री हरी भगवन विष्णु ४ महीने के लिए योग निंद्रा में चले जाते है। इसी कारण हिन्दू धर्म में इन चार महीनो में सरे मांगलिक कार्य जैसे गृह प्रवेश, विवाह, जनेऊ संस्कार, मुंडन, उपनयन संस्कार, यज्ञोपवीत आदि निषिद्ध बताये गए है। 4 महीने बाद कार्तिक एकादशी को देव उठनी एकादशी के दिन जब देव जागते है तो उसके बाद ही सरे मांगलिक कार्य प्रारम्भ होते है। इन ४ माह को चातुर्मास कहते है।
Tumblr media
2 notes · View notes
studycarewithgsbrar · 2 years ago
Text
इस बार देवतानी एकादशी पर शादी का समय नहीं, जानिए नवंबर में कब बजाई जाएगी शहनाई - पंजाब न्यूज़ लेटेस्ट पंजाबी न्यूज़ अपडेट टुडे
इस बार देवतानी एकादशी पर शादी का समय नहीं, जानिए नवंबर में कब बजाई जाएगी शहनाई – पंजाब न्यूज़ लेटेस्ट पंजाबी न्यूज़ अपडेट टुडे
नवंबर 2022 में शादी की तारीख: देवशयनी एकादशी के दिन भगवा�� विष्णु गहरी नींद में चले जाते हैं। श्री हरि का शयन काल चतुर्मास से प्रारंभ होगा जो कार्तिक मास की देवथनी एकादशी को समाप्त होगा। चातुर्मास 10 जुलाई 2022 (चातुर्मास 2022) से शुरू हुआ है, यह देवउठनी एकादशी यानी 4 नवंबर 2022 (देवउथनी एकादशी 2022 तिथि) को समाप्त होगा। चातुर्मास में मुंडन, विवाह, मार्ग संस्कार, नामकरण जैसे शुभ कार्य वर्जित हैं।…
View On WordPress
0 notes
vishnuelamkulathpalakkad · 2 years ago
Text
, കാമിക ഏകാദശി ||❤🙏
https://youtube.com/channel/UCmj1JCV_h_nqMeaMACR_c1Q
സാവൻ മാസത്തിലെ കൃഷ്ണപക്ഷത്തിലെ ഏകാദശിയിലാണ് കാമിക ഏകാദശി വ്രതം ആചരിക്കുന്നത്. ഈ ഏകാദശി ചാതുർമാസത്തിലും ദേവശയനി ഏകാദശിക്ക് ശേഷവും വരുന്നു.
ഒരു ഗ്രാമത്തിൽ ധീരനായ ഒരു ക്ഷത്രിയൻ താമസിച്ചിരുന്നു. ഒരു ദിവസം ചില കാരണങ്ങളാൽ അദ്ദേഹം ബ്രാഹ്മണനുമായി വഴക്കുണ്ടാക്കുകയും ബ്രാഹ്മണൻ മരിക്കുകയും ചെയ്തു. ആ ക്ഷത്രിയൻ സ്വന്തം കൈകൊണ്ട് മരിച്ച ഒരു ബ്രാഹ്മണന്റെ പ്രവൃത്തി ചെയ്യാൻ ആഗ്രഹിച്ചു. എന്നാൽ ഈ ചടങ്ങിൽ പങ്കെടുക്കുന്നത് പണ്ഡിതന്മാർ വിലക്കി. ബ്രഹ്മാവിനെ കൊന്നതിൽ ന�� കുറ്റക്കാരനാണെന്ന് ബ്രാഹ്മണർ പറഞ്ഞു.
ഈ പാപത്തിൽ നിന്ന് മുക്തി നേടാൻ എന്താണ് വഴിയെന്ന് ക്ഷത്രിയൻ ചോദിച്ചു. അപ്പോൾ ബ്രാഹ്മണർ പറഞ്ഞു, ശ്രാവണമാസത്തിലെ കൃഷ്ണപക്ഷ ഏകാദശിയിൽ വ്രതമനുഷ്ഠിച്ച് ശ്രീധരനെ ഭക്തിപൂർവ്വം ആരാധിക്കുകയും ബ്രാഹ്മണരുടെ അനുഗ്രഹം സദുദ്ദേശ്യത്തോടെ നേടുകയും ചെയ്താൽ ഈ പാപത്തിൽ നിന്ന് മുക്തി ലഭിക്കും. വ്രതാനുഷ്ഠാനത്തിന്റെ രാത്രിയിൽ ശ്രീധരൻ ക്ഷത്രിയർക്ക് പ്രത്യക്ഷപ്പെട്ട് പണ്ഡിതന്മാർ നിർദ്ദേശിച്ച രീതി അനുസരിച്ച് ബ്രഹ്മാവിനെ കൊന്ന പാപത്തിൽ നിന്ന് നിങ്ങൾക്ക് മോചനം ലഭിച്ചുവെന്ന് പറഞ്ഞു.
ഈ വ്രതം അനുഷ്ഠിക്കുന്നതിലൂടെ, ബ്രഹ്മാവിനെ വധിച്ചതിന്റെ എല്ലാ പാപങ്ങളും നശിക്കുകയും ഇഹലോകത്ത് സുഖം അനുഭവിക്കുകയും ചെയ്ത ശേഷം ജീവജാലങ്ങൾ ഒടുവിൽ വിഷ്ണുലോകത്തിലേക്ക് പോകുന്നു. ഈ കാമിക ഏകാദശിയുടെ മഹത്വം ശ്രവിച്ചും പാരായണം ചെയ്തും മനുഷ്യർ സ്വർഗത്തിൽ എത്തുന്നു. ,
കാമിക ഏകാദശി വ്രതം മഹാവിഷ്ണുവിനുള്ളതാണ്. ഈ വ്രതം അനുഷ്ഠിക്കുന്നതിലൂടെ എല്ലാത്തരം പാപങ്ങളിൽ നിന്നും മുക്തി ലഭിക്കും. ഈ അശ്വമേധയാഗവും ഇതേ ഫലത്തോടെയാണ് വരുന്നത്. കാമിക വ്രതത്തിന്റെ കഥ ആയിരം പശു ദാനത്തിന് തുല്യമായ ഫലം നൽകുമെന്ന് വിശ്വസിക്കപ്പെടുന്നു.
#entekeralammyindia
|| कामिका एकादशी ||❤🙏
|| Kamika Ekadashi ||
कामिका एकादशी का व्रत सावन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। यह एकादशी चातुर्मास में आती है और देवशयनी एकादशी के बाद भी।
एक गाँव में एक वीर क्षत्रिय रहता था। एक दिन किसी कारण वश उसकी ब्राह्मण से हाथापाई हो गई और ब्राह्मण की मृत्य हो गई। अपने हाथों मरे गये ब्राह्मण की क्रिया उस क्षत्रिय ने करनी चाही। परन्तु पंडितों ने उसे क्रिया में शामिल होने से मना कर दिया। ब्राह्मणों ने बताया कि तुम पर ब्रह्म-हत्या का दोष है।
इस पर क्षत्रिय ने पूछा कि इस पाप से मुक्त होने के क्या उपाय है। तब ब्राह्मणों ने बताया कि श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को भक्तिभाव से भगवान श्रीधर का व्रत एवं पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन कराके सदश्रिणा के साथ आशीर्वाद प्राप्त करने से इस पाप से मुक्ति मिलेगी। पंडितों के बताये हुए तरीके पर व्रत कराने वाली रात में भगवान श्रीधर ने क्षत्रिय को दर्शन देकर कहा कि तुम्हें ब्रह्म-हत्या के पाप से मुक्ति मिल गई है।
इस व्रत के करने से ब्रह्म-हत्या आदि के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और इहलोक में सुख भोगकर प्राणी अन्त में विष्णुलोक को जाते हैं। इस कामिका एकादशी के माहात्म्य के श्रवण व पठन से मनुष्य ��्वर्गलोक को प्राप्त करते हैं। ॥
कामिका एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस व्रत को करने से हर तरह के पाप से मुक्ति मिलती है। यह अश्वमेध यज्ञ समान फल प्राप्त कर आता है। माना जाता है कि कामिका व्रत की कथा से हजार गोदान के बराबर फल की प्राप्ति होती है।
1 note · View note
jeevanjali · 5 months ago
Text
Chaturmas 2024: चातुर्मास में क्यों नहीं किए जाते विवाह और शुभ कार्य ? जानिएChaturmas 2024: आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी के दिन से चातुर्मास प्रारंभ होता है। इस दिन से भगवान विष्णु का शयन काल प्रारम्भ हो जाता है। देवशयनी एकादशी के चार माह बाद श्री हरि नारायण देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं।
0 notes
humongousdreamerkitten · 2 years ago
Text
चातुर्मास 2022 : क्यों करते हैं इन 4 पवित्र महीनों में व्रत, उपवास, नियम और दान
चातुर्मास 2022 : क्यों करते हैं इन 4 पवित्र महीनों में व्रत, उपवास, नियम और दान
Chaturmas: 10 जुलाई 2022 रविवार को देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इसके बाद से ही चातुर्मास प्रारंभ हो जाएगा। चातुर्मास के 4 पवित्र महीनों में व्रत, उपवास, नियम और दान का महत्व क्यों है? आओ जानते हैं इस संबंध में कुछ खास।     1. व्रत, तप और साधना के माह : चातुर्मास में आषाढ़ माह के 15 और फिर श्रावण, भाद्रपद, आश्‍विन माह के बाद कार्तिक माह के 15 दिन जुड़कर कुल चार माह का समय पूर्ण होता है। इन…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
omtvofficial1 · 2 years ago
Text
On this day Bhagwan Vishnu and Lakshmi are worshipped.
It is believed that Vishnu falls asleep in Ksheersagar - cosmic ocean of milk - on Shesha nāga, the cosmic serpent. That is why the day is also called Dev-Shayani Ekadashi.
हिंदू धर्म में आषाढ़ महीने में आने वाली दोनों एकादशी तिथियों का विशेष महत्व होता है। आषाढ़ महीने की पहली एकादशी को योगिनी और दूसरी या अंतिम एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। इस साल देवशयनी एकादशी के दिन कई शुभ संयोग बन रहे हैं।
जैन धर्म में चातुर्मास सामूहिक वर्षायोग या चौमासा के रूप में भी जाना जाता है। भगवान महावीर ने चातुर्मास को इसिणां पसत्था कहा है। इस साल जैन चातुर्मास 11 जुलाई से प्रारंभ होने जा रहा है। इसी माह की 28 तारीख को रोहिणी व्रत भी पड़ेगा। हम सभी जानते हैं कि जैन साधु-संत जनकल्याण और धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए पूरे वर्ष एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण करते रहते हैं। अहिंसा और जीवों पर दया को ही जैन धर्म का आधार माना गया है। ऐसे में जैन मुनि इस चातुर्मास में एक जगह रुककर लोगों को सत्य, अहिंसा और ब्रम्हचर्य आदि विषयों पर सद्ज्ञान देते हैं।
चातुर्मास की शुरुआत देवशयनी एकादशी से मानी जाती है। इस बार चातुर्मास 10 जुलाई से आरंभ हो रहे हैं, क्योंकि इस दिन देवशयनी एकादशी भी है|
#jains #chaudas #chaumasa#indianfestivals #hinduism #vikramsavant2079#advaitachievers #advaitvidyaniketan #advaitachiever
#india #hinduism
#Vedicphilosophy
#classicalHinduism
#AdvaitaVedantaphilosophy
#devotionalworship
#modernHinduism
#Vedicscriptures
#spiritualrealization
#dharmic
#Ekadashi
#देवशयनी_एकादशी #DevshayaniEkadashi2022
#AshadhiEkadashi2022
#देवशयनी_एकादशी 🌺🚩
#जयश्रीराम 🚩 #एकादशी #DevshayaniEkadashi #DevshayaniEkadashi2022
#AshadhiEkadashi2022
#चातुर्मास_महिमा
#DevshayaniEkadashi
#DevshayaniEkadashi2022
#हरिशयनी_एकादशी
#देवशयनी_एकादशी
#AshadhiEkadashi
#एकादशी
0 notes
bhagyachakra · 2 years ago
Photo
Tumblr media
।। नमो नमः ।। ।।भाग्यचक्र ।। आज का पञ्चाङ्ग :- संवत :- २०७९ दिनांक :- 10 जुलाई 2022 सूर्योदय :- 05:48 सूर्यास्त :- 19:17 सूर्य राशि :- मिथुन चंद्र राशि :- वृश्चिक मास :- आषाढ़ तिथि :- एकादशी ( देवशयनी एकादशी ) वार :- सूर्यवार नक्षत्र :- विशाखा योग :- शुभ करण :- विष्टी अयन:- उत्तरायण पक्ष :- शुक्ल ऋतू :- ग्रीष्म लाभ :- 09:10 -10:51 अमृत:- 10:52 - 12:32 शुभ :- 14:13 - 15:54 राहु काल :- 17:36 - 19:17 जय महाकाल महाराज :- *देवशयनी एकादशी:-* इस बार यह शुभ तिथि आज 10 जुलाई 2022 रविवार को है। आषाढ़ मास की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन से 4 महीने तक भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। मान्यता है कि चातुर्मास में जप, तप, साधना, दान और उपवास रखने से बहुत जल्दी लाभ मिलता है। आज के दिन उपवास रखने व भगवान श्री हरि विष्णु का पूजन करने के पश्चात ब्राह्मण को दान देकर उनका आशीर्वाद लेने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है। देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं तब सृष्टि के संचालन का कार्यभार भगवान शिव को मिल जाता है। आज के दिन निम्नलिखित मंत्र का जप पूरे दिन करना चाहिए। *ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।* नारायण नारायण आज का मंत्र :- ""|| ॐ घृणि सूर्याय नमः॥ ||"" *🙏नारायण नारायण🙏* जय महाकालेश्वर महाराज। माँ महालक्ष्मी की कृपा सदैव आपके परिवार पर बनी रहे। 🙏🌹जय महाकालेश्वर महाराज🌹���� महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग का आज का भस्म आरती श्रृंँगार दर्शन। 10 जुलाई 2022 ( सूर्यवार ) जय महाकालेश्वर महाराज। सभी प्रकार के ज्योतिष समाधान हेतु। Whatsapp@9522222969 https://www.facebook.com/Bhagyachakraujjain शुभम भवतु ! 9522222969 https://www.instagram.com/p/Cf0XLB1jBef/?igshid=NGJjMDIxMWI=
1 note · View note
rudrjobdesk · 2 years ago
Text
Chaturmas 2022 : देवशयनी एकादशी आज, चार माह नहीं होंगे मांगलिक कार्य, जानें विष्णु भगवान को कैसे कराएं शयन
Chaturmas 2022 : देवशयनी एकादशी आज, चार माह नहीं होंगे मांगलिक कार्य, जानें विष्णु भगवान को कैसे कराएं शयन
देवशयनी एकादशी रविवार को श्रद्धा व हर्षोल्लास के साथ मनाई जाएगी। इसी के साथ चातुर्मास का शुभारंभ होगा। जो कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि देवोत्थान एकादशी 4 नवंबर को समाप्त होगी। इस दौरान विवाह, सगाई, जनेऊ, मुंडन आदि मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। लेकिन पूजा पाठ में कोई रोक नहीं होती है। संत महात्मा चार्तुमास में एक ही जगह रुककर भगवान का भजन करते हैं। एकादशी तिथि शनिवार शाम 4:39 से शुरू…
View On WordPress
0 notes