#दुनिया भर में विक्रम
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👁️ कैटरैक्ट सर्जरी: कुछ महत्वपूर्ण तथ्य 👁️
क्या आप कैटरैक्ट सर्जरी के बारे में जानना चाहते हैं? यहां कुछ रोचक तथ्य हैं!
कैटरैक्ट सामान्य होता है: क्या आप जानते हैं कि कैटरैक्ट विश्वभर में दृष्टि की कमी के प्रमुख कारणों में से एक हैं? यह आमतौर पर उम्र के साथ विकसित होते हैं, लेकिन किसी को भी प्रभावित कर सकते हैं।
उम्र के साथ होते हैं: जबकि उम्र एक महत्वपूर्ण कारक है, कैटरैक्ट कारणों के रूप में ट्रौमा, दवाओं का उपयोग, या अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थितियों से भी हो सकते हैं।
सर्जरी सुरक्षित और प्रभावी होती है: जब कैटरैक्ट आपके दैनिक जीवन और दृष्टि में बाधा डालने लगते हैं, तो सर्जरी एक वैकल्पिक विकल्प बन जाता है। यह दुनिया भर में किया जाने वाले सबसे सुरक्षित और सफल सर्जरी में से एक है!
तेज़ प्रक्रिया, टिकाऊ परिणाम: प्रौद्योगिकी में उन्नति के शुक्रिया, कैटरैक्ट सर्जरी आमतौर पर एक त्वचाकीय प्रक्रिया होती है। रोगी अक्सर तुरंत सुधारी दृष्टि का अनुभव करते हैं!
व्यक्तिगत उपचार योजनाएँ: हर रोगी अद्वितीय है, और उनकी आंखें भी। डॉ. विक्रम भल्ला, भल्ला आई हॉस्पिटल के प्रसिद्ध नेता, प्रत्येक रोगी की आवश्यकताओं के अनुसार व्यक्तिगत उपचार योजनाओं में विश्वास रखते हैं।
स्थानीय विशेषज्ञता: रांची के हवाई नगर में स्थित, भल्ला आई हॉस्पिटल आपके स्थानीय आँखों के संपूर्ण देखभाल के लिए आपका स्थान है। डॉ. भल्ला, MBBS, DNB (आई डेः) के रूप में, कैटरैक्ट सर्जरी में दोस्ताना देखभाल और विशेषज्ञता प्रदान करने के लिए समर्पित हैं।
क्या कैटरैक्ट के बारे में कोई सवाल हैं? रांची, झारखंड में भल्ला आई हॉस्पिटल के Dr. Vikram Bhalla, MBBS, DNB (Ophthalmology) से संपर्क करें। हमें 7061015823 या 8969749533 पर कॉल करें और विशेषज्ञ मार्गदर्शन और समर्थन प्राप्त करें।
आओ जागरूकता फैलाएं और सुनिश्चित करें कि सभी को स्पष्ट दृष्टि का आनंद मिले!
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*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः 🔱🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल (तृतीया तिथि)*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
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※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिना��क :-14-जनवरी-2023
वार :-------रविवार
तिथी :---03तृतीया:-08:00/ 04चतुर्थी:-28:59
पक्ष:------शुक्लपक्ष
माह:------पौषमास
नक्षत्र:------धनिष्ठा:-10:23
योग:-----व्यतिपात:-26:40
करण:-----गर:-08:00
चन्द्रमा:-----कुम्भ
सूर्योदय:----07:31
सूर्यास्त:-----18:02
दिशा शूल-----पश्चिम
निवारण उपाय:---पान का सेवन
ऋतु :----- शिशिर ऋतु
गुलीक काल:-15:18से 16:40
राहू काल:-16:40से18:02
अभीजित---11:55से12:45
विक्रम सम्वंत .........2080
शक सम्वंत ............1945
युगाब्द ..................5125
सम्वंत सर नाम:------पिंगल
🌗चोघङिया दिन🌓
चंचल:-08:49से10:07तक
लाभ:-10:07से11:25तक
अमृत:-11:25से12:44तक
शुभ:-14:02से15:20तक
🌞चोघङिया रात🌞
शुभ:-18:02से19:44तक
अमृत:-19:44से21:26तक
चंचल:-21:26से23:06तक
लाभ :-02:30से04:12तक
शुभ :-05:50से07:31तक
🍁आज के विशेष योग🍁
वर्ष का 297वाँ दिन, भद्रा प्रारंभ 18:28 से 28:59 तक पृथ्वी-लोक अशुभ दिशा पश्चिम, सूर्य मकर पर 26:44, मंगल पूषा.पर 21:58 बं. माध मास प्रा. विनायक चतुर्थी, राजयोग 07:28 से08:00 तक, रवियोग 10:23 से, भोगी (दक्षिण भारत), व्यतिपात पुण्य,
🌺 👉 टिप्स 👈🌺
पौष मास में पिले रगं कि वस्तुओं का दान करे।
*सुविचार*
सफलता तुम्हारा परिचय दुनिया से करवाती है और असफलता तुम्हें दुनिया का परिचय करव���ती है।
👍🏻 राधे राधे...
*💊💉आरोग्य उपाय🌿🍃*
*बाल बढ़ाने के घरेलू उपाय -*
*एलोवेरा -*
एलोवेरा में मौजूद पोषक तत्व बालों के विकास बहुत ही सहायता करता है। इसके अलावा यह चमक को बरकरार रखने में मदद करता है। इसके लिए आप एलोवेरा को काटकर उसके अंदर का जेल निकाल लें और उसे अपने बालों में लगाएं। जेल लगाने के एक घंटे बाद अपने बालों को शैम्पू से धो लें। इस बात का ध्यान दीजिए कि अगर बालों पर एलोवेरा लगाने के बाद आपको खुजली महसूस हो, तो तुरंत अपने बाल धो लें।
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
☀️ मेष राशि :- आज किसी विशेष व्यक्ति का प्रवेश जीवन में ��ौर-तरीके बदल देगा। आकस्मिक धन लाभ होगा। विरोधी आप को नीचा दिखाने के हर संभव प्रयास करेंगे। मन की बात अपनों को बता दें रास्ता मिल जायगा।
☀️ वृषभ राशि :- आज जरूरत से ज्यादा किसी की घनिष्ठता संबंधों को कमजोर कर देगी। आप सहने की शक्ति रखें। जल्द ही आप क्रोध से भर जाते हैं। स्वयं पर काबू रखें। व्यवसाय स्थल पर विवाद हो सकता है। उधार दिया पैसा न आने से मुश्किलें बढ़ेगी।
☀️ मिथुन राशि :- आज समय के साथ स्वयं को भी बदलें। अपने व्यवहार में नम्रता लाएं। कारोबार विस्तार के लिए धन एकत्रित करने में लगे रहेंगे। भूमि संबंधित विवाद के चलते चिंता रहेगी।
☀️ कर्क राशि :- आज अपने विवेक से हर कार्य सफल कर लेंगे। निजी जीवन में दूसरों को प्रवेश न दें। मित्रों के साथ यात्रा आनंदप्रद रहेगी। आजीविका के लिए भटकना पड़ेगा। माता-पिता के स्वास्थ्य में सुधार होगा। किसी विशेष जन से संबंध बनेंगे।
☀️ सिंह राशि :- आज व्यवसाय में नई योजना लाभदायक रहेगी। जीवन-साथी का साथ आपको आगे बढ़ने में मदद करेगा। संतान के विवाह संबंधित समस्या से परेशान रहेंगे। भवन परिवर्तन के योग है। वाहन का प्रयोग सावधानी से करें।
☀️ कन्या राशि :- आज अपनों से धोखा मिलेगा। राजनीति से जुड़े लोगों को पद मिल सकता है। पारिवारिक जनों की सहायता करनी होगी। आजीविका के श्रोत में वृद्धि होगी। पिता के साथ ताल मेल स्थापित न होने से तनाव हो सकता है।
☀️ तुला राशि :- आज भविष्य के प्रति चिंतित होंगे। मन में बुरे विचारों को न आने दें। स्वयं पर नियंत्रण रखें, नकारात्मक सोच के कारण ही आप पीछे हैं। पारिवारिक माहौल सामान्य रहेगा। मित्रों के साथ समय व्यतीत होगा। नौकरी में स्थान परिवर्तन संभव है।
☀️ वृश्चिक राशि :- आज कार्यस्थल पर सहकर्मियों से मन मुटाव होगा। क्रोध की अधिकता रहेगी। आय के नए श्रोत स्थापित होंगे। अपने कर्मचारियों के कारण परेशान होंगे। आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। धार्मिक कार्यों में धन लगेगा।
☀️ धनु राशि :- आज स्वास्थ्य में सुधार होगा। अपने आगामी भविष्य को लेकर चिंतित रहेंगे। मन में कई विचार आएंगे। व्यवसाय में उन्नति होगी। भूमि भवन संबंधित मामले पक्ष में हल होंगे। प्रशासन से जुड़े कार्य सहज हो जाएंगे। यात्रा संभव है।
☀️ मकर राशि :- आज अपनी संतान से विवाद हो सकता है। आजीविका को लेकर आप चिंतित हैं। विवाह योग्य जातकों के लिए समय उपयुक्त है। कारोबार विस्तार करने का मन होगा। वाहन सुख की प्राप्ति संभव है।
☀️ कुंभ राशि :- आज अपने मन की बात हर किसी को बताने से नुकसान आपका ही है। सुख सुविधा की व��्तुओं पर धन खर्च होगा। आपकी उन्नति से विरोधी नाखुश होंगे। अपके वाक् चातुर्य से अधिकारी प्रभावित होंगे। बाहर जाने के योग बन रहे हैं।
☀️ मीन राशि :- आज मित्रों के सहयोग से कोई जरूरी कार्य पूर्ण होगा। अपनों से संबंधों में मजबूती आएगी। आलस की अधिकता से कार्य में रूचि नहीं रहेगी। आर्थिक मामले आज पक्ष में हल होंगे। राजनीति से जुड़े लोग सम्मान प्राप्त करेंगे।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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🎉कबीर परमेश्वर जी का प्रकट दिवस🎉
कबीर साहेब जी कलयुग में भारत के काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे।
नीरू नीमा को मिले कबीर परमात्मा :-
प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में नीरू, नीमा नामक पति-पत्नी लहरतारा तालाब पर स्नान करने जाते थे। एक बार नीरू, नीमा जिनके कोई संतान नहीं थी स्नान करने जा रहे थे और नीमा रास्ते में भगवान शंकर से प्रार्थना कर रही थी कि हे दीनानाथ! आप अपने दासों को भी एक बच्चा दें दें। आप के घर में क्या कमी है। प्रभु! हमारा भी जीवन सफल हो जाएगा। दुनिया के व्यंग्य सुन-सुन कर आत्मा दुखी हो जाती है। मुझ पापिन से ऐसी कौन सी गलती किस जन्म में हुई है जिस कारण मुझे बच्चे का मुख देखने को तरसना पड़ रहा है। हमारे पापों को क्षमा करो प्रभु! हमें भी एक बालक दे दो।
यह कह कर नीमा फूट-फूट कर रोने लगी तब नीरू ने धैर्य दिलाते हुए कहा हे नीमा! हमारे भाग्य में संतान नहीं है यदि भाग्य में संतान होती तो प्रभु शिव अवश्य प्रदान कर देते। आप रो-रो कर आंखें खराब कर लोगी। आप का बार-बार रोना मेरे से देखा नहीं जाता। यह कह कर नीरू की आंखें भर आईं। इसी तरह प्रभु की चर्चा व बालक प्राप्ति की याचना करते हुए लहरतारा तालाब पर पहुंच गए। ��्रथम नीमा ने स्नान किया, उसके पश्चात नीरू ने स्नान करने को तालाब में प्रवेश किया। सुबह का अंधेरा शीघ्र ही उजाले में बदल जाता है। जिस समय नीमा ने स्नान किया था। उस समय तक तो अंधेरा था।
कमल के फूल पर बालक
जब नीमा कपड़े बदल कर पुनः तालाब पर कपड़ो को धोने के लिए गई, जिसे पहन कर स्नान किया था, उस समय नीरू तालाब में प्रवेश करके गोते लगा-लगा कर मल-मल कर स्नान कर रहा था। नीमा की दृष्टि एक कमल के फूल पर पड़ी जिस पर कोई वस्तु हिल रही थी। प्रथम नीमा ने जाना कोई सर्प हैं। उसने सोचा कहीं यह सर्प मेरे पति को न डस ले लेकिन जब नीमा ने उसे ध्यानपूर्वक देखा तो वह सर्प नहीं कोई बालक था। जिसने एक पैर अपने मुख में ले रखा था तथा दूसरे को हिला रहा था।
कबीर साहेब जी के प्रकट होने का प्रमाण :-
वेदों में प्रमाण है कि परमात्मा सबका जनक है वह माँ से जन्म नही लेता बल्कि सशरीर प्रकट होता है । जो माँ से जन्म लेकर आता है वह अविनाशी परमात्मा नहीं होता ।
साहिब होकर उतरे , बेटा किसी का नाहीं ।
जो बेटा होकर उतरे , वो साहिब भी नाही ।।
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी का माँ के गर्भ से जन्म नही होता । परमात्मा सशरीर आते हैं और सशरीर चले जाते हैं,
कबीर साहेब जी अपनी वाणी में कहा है कि :-
हम है सतलोक के वासी, दास कहाये प्रकट भये काशी।
सर्व मानव समाज से निवेदन है अभी वर्तमान में कबीर साहेब जी के अवतार संत रामपाल जी महाराज हैं, संत जी का सत्संग शाम को 7:30 बजे साधना टीवी पर रोजाना देखें ।
#KabirPrakatDiwas
#SantRampalJiMaharaj
#परमेश्वरकबीर_प्रकट दिवस2023
#AppearanceOfGodKabirInKalyug
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संत रामपाल जी महाराज ���ी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
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पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
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कबीर साहेब जी कलयुग में भारत के काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे।🎉कबीर परमेश्वर जी का प्रकट दिवस🎉
कबीर साहेब जी कलयुग में भारत के काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे।
नीरू नीमा को मिले कबीर परमात्मा :-
प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में नीरू, नीमा नामक पति-पत्नी लहरतारा तालाब पर स्नान करने जाते थे। एक बार नीरू, नीमा जिनके कोई संतान नहीं थी स्नान करने जा रहे थे और नीमा रास्ते में भगवान शंकर से प्रार्थना कर रही थी कि हे दीनानाथ! आप अपने दासों को भी एक बच्चा दें दें। आप के घर में क्या कमी है। प्रभु! हमारा भी जीवन सफल हो जाएगा। दुनिया के व्यंग्य सुन-सुन कर आत्मा दुखी हो जाती है। मुझ पापिन से ऐसी कौन सी गलती किस जन्म में हुई है जिस कारण मुझे बच्चे का मुख देखने को तरसना पड़ रहा है। हमारे पापों को क्षमा करो प्रभु! हमें भी एक बालक दे दो।
यह कह कर नीमा फूट-फूट कर रोने लगी तब नीरू ने धैर्य दिलाते हुए कहा हे नीमा! हमारे भाग्य में संतान नहीं है यदि भाग्य में संतान होती तो प्रभु शिव अवश्य प्रदान कर देते। आप रो-रो कर आंखें खराब कर लोगी। आप का बार-बार रोना मेरे से देखा नहीं जाता। यह कह कर नीरू की आंखें भर आईं। इसी तरह प्रभु की चर्चा व बालक प्राप्ति की याचना करते हुए लहरतारा तालाब पर पहुंच गए। प्रथम नीमा ने स्नान किया, उसके पश्चात नीरू ने स्नान करने को तालाब में प्रवेश किया। सुबह का अंधेरा शीघ्र ही उजाले में बदल जाता है। जिस समय नीमा ने स्नान किया था। उस समय तक तो अंधेरा था।
कमल के फूल पर बालक
जब नीमा कपड़े बदल कर पुनः तालाब पर कपड़ो को धोने के लिए गई, जिसे पहन कर स्नान किया था, उस समय नीरू तालाब में प्रवेश करके गोते लगा-लगा कर मल-मल कर स्नान कर रहा था। नीमा की दृष्टि एक कमल के फूल पर पड़ी जिस पर कोई वस्तु हिल रही थी। प्रथम नीमा ने जाना कोई सर्प हैं। उसने सोचा कहीं यह सर्प मेरे पति को न डस ले लेकिन जब नीमा ने उसे ध्यानपूर्वक देखा तो वह सर्प नहीं कोई बालक था। जिसने एक पैर अपने मुख में ले रखा था तथा दूसरे को हिला रहा था।
कबीर साहेब जी के प्रकट होने का प्रमाण :-
वेदों में प्रमाण है कि परमात्मा सबका जनक है वह माँ से जन्म नही लेता बल्कि सशरीर प्रकट होता है । जो माँ से जन्म लेकर आता है वह अविनाशी परमात्मा नहीं होता ।
साहिब होकर उतरे , बेटा किसी का नाहीं ।
जो बेटा होकर उतरे , वो साहिब भी नाही ।।
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी का माँ के गर्भ से जन्म नही होता । परमात्मा सशरीर आते हैं और सशरीर चले जाते हैं,
कबीर साहेब जी अपनी वाणी में कहा है कि :-
हम है सतलोक के वासी, दास कहाये प्रकट भये काशी।
सर्व मानव समाज से निवेदन है अभी वर्तमान में कबीर साहेब जी के अवतार संत रामपाल जी महाराज हैं, संत जी का सत्संग शाम को 7:30 बजे साधना टीवी पर रोजाना देखें ।
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कबीर परमेश्वर जी का प्रकट दिवस🔮
समाज में तत्वज्ञान के अभाव में लोग शंका करते हैं कि कबीर साहेब जी काशी वाला जुलाहा धाणक पूर्ण परमात्मा कैसे हो सकता है? लेकिन सच्चाई तो यही है कि वेदों में कविर्देव काशी वाला जुलाहा पूर्ण परमात्मा है।
आप जी से निवेदन है सच्चाई को समझने की कोशिश करें दंत कथा पर विश्वास न करें हम हम आपको प्रमाण सहित बता रहे हैं पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही सृष्टि का मालिक है
कबीर परमेश्वर जी आज से लगभग 600 साल पहले काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे।
नीमा नामक पति-पत्नी जो हिदू से जबरन मुसलमान बना दिए थे परंतु उनकी आस्था भगवान शिव में ही थी वे प्रतिदिन लहरतारा तालाब पर स्नान करने जाते थे। उनकी कोई संतान नहीं थी l एक बार नीरू नीमा स्नान करने जा रहे थे और नीमा रास्ते में भगवान शिव से प्रार्थना कर रही थी कि हे भगवान शिव आप अपने दासों को भी एक बच्चा दें दें। आप के घर में क्या कमी है भगवान हमारा भी जीवन सफल हो जाएगा। दुनिया के ताने सुन-सुन कर आत्मा बहुत दुखी हो रही है । हम से ऐसी कौन सी गलती हो गई जिस कारण मुझे बच्चे का मुख देखने को तरसना पड़ रहा है। यह
कह कर नीमा फूट-फूट कर रोने लगी तब नीरू ने धैर्य दिलाते हुए कहा हे नीमा हमारे भाग्य में संतान नहीं है यदि भाग्य में संतान होती तो भगवान शिव अवश्य संतान देते। आप रो-रो कर आंखें खराब कर लोगी। आप का बार-बार रोना मेरे से देखा नहीं जाता। यह कह कर नीरू की भी आंखें भर आईं।
जब लहरतारा तालाब पर पहुंचे तो पहले स्नान ��ीमा ने किया फिर नीरू स्नान करने लगे तो नीमा ने देखा कमल के फूल पर एक बच्चा लेट रहा है और अपने एक पैर के अंगूठे को मुंह में चूस रहा है नीरू से कहने लगी देखो जी बच्चा है डूब जाएगा नीरू ने जैसे ही देखा कमल के फूल सहित बच्चे को उठा लिया l
जब उसको घर लेकर आए तो देखने वाले भी हैरान रह गए
काशी उमटी गुल भया, मोमन का घर घेर l
कोई कहे ब्रह्मा विष्णु है कोई कहे इंद्र कुबेर ll
जब नीरू नीमा बालक रूप मैं परमात्मा को घर लेकर आए थे उस समय मुल्ला और काजी लड़के का नाम रखने के लिए कुरान शरीफ लेकर नीरू के घर गए l
काजी ने क़ुरान शरीफ़ पुस्तक को कही से खोला। उस पेज पर पहली लाइ��� में कबीरन् लिखा था। काजियों ने सोचा “कबीर” नाम का अर्थ बड़ा होता है। इस छोटे जाति (जुलाहे अर्थात धाणक) के बालक का नाम कबीर रखना शोभा नहीं देगा। यह तो ऊंचे घरानों के बच्चों के रखने योग्य है। शिशु रूपधारी परमेश्वर, काजियों के मन के दोष को जानते थे।
काजियों ने फिर कुरान शरीफ को नाम रखने के उद्देश्य से खोला। उन दोनों पृष्ठों पर कबीर-कबीर-कबीर अक्षर लिखे थे उसके अलावा कुछ नहीं था। काजियों ने फिर कुरान शरीफ को खोला उन पृष्ठों पर भी कबीर-कबीर-कबीर अक्षर ही लिखा था। काजियों ने पूरी कुरान खोल डाली जिस भी पेज को खोलते उसी मैं कबीर-कबीर-कबीर-कबीर हो गए। काजी बोले इस बालक ने कोई जादू मंत्र करके हमारी कुरान शरीफ को ही बदल डाला। तब कबीर परमेश्वर शिशु रूप में बोले हे काशी के काजियों। मैं कबीर अल्लाह अर्थात अल्लाहु अकबर हूं। मेरा नाम “कबीर” ही रखो। काजियों ने अपने साथ लाई कुरान को वहीं पटक दिया तथा चले गए।
परमेश्वर की परवरिश कुंवारी गाय के दूध से हुई
जैसा वेदों मैं प्रमाण है l
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 में लिखा है कि जब पूर्ण परमात्मा शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर आता है तो उसका पालन पोषण कुंवारी गाय से होता है।
अवधु अविगत से चल आया, कोई मेरा भेद मर्म नहीं पाया।।टेक।।
ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक ह्नै दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।।
माता-पिता मेरे कछु नहीं, ना मेरे घर दासी।
जुलहा को सुत आन कहाया, जगत करे मेरी हांसी।।
पांच तत्व का धड़ नहीं मेरा, जानूं ज्ञान अपारा।
सत्य स्वरूपी नाम साहिब का, सो है नाम हमारा।।
अधर दीप (सतलोक) गगन गुफा में, तहां निज वस्तु सारा।
ज्योति स्वरूपी अलख निरंजन (ब्रह्म) भी, धरता ध्यान हमारा।।
हाड च��म लोहू नहीं मोरे, जाने सत्यनाम उपासी।
तारन तरन अभै पद दाता, मैं हूं कबीर अविनासी।।
5 वर्ष की आयु में ही कबीर जी ने अपने लीलामय शरीर से वहां के जाने-माने संतों के साथ आध्यात्मिक विचार-विमर्श करना शुरू कर दिया था। कोई भी संत या ऋषि उनके आध्यात्मिक ज्ञान का उत्तर कभी नहीं दे सके।
कबीर परमेश्वर के अवतार संत रामपाल जी महाराज इस धरती पर अवतरित हुए हैं आपसे निवेदन है संत रामपाल जी महाराज की शरण में आकर अपना कल्याण कराएं।
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🎉कबीर परमेश्वर जी का प्रकट दिवस🎉
कबीर साहेब जी कलयुग में भारत के काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे।
नीरू नीमा को मिले कबीर परमात्मा :-
प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में नीरू, नीमा नामक पति-पत्नी लहरतारा तालाब पर स्नान करने जाते थे। एक बार नीरू, नीमा जिनके कोई संतान नहीं थी स्नान करने जा रहे थे और नीमा रास्ते में भगवान शंकर से प्रार्थना कर रही थी कि हे दीनानाथ! आप अपने दासों को भी एक बच्चा दें दें। आप के घर में क्या कमी है। प्रभु! हमारा भी जीवन सफल हो जाएगा। दुनिया के व्यंग्य सुन-सुन कर आत्मा दुखी हो जाती है। मुझ पापिन से ऐसी कौन सी गलती किस जन्म में हुई है जिस कारण मुझे बच्चे का मुख देखने को तरसना पड़ रहा है। हमारे पापों को क्षमा करो प्रभु! हमें भी एक बालक दे दो।
यह कह कर नीमा फूट-फूट कर रोने लगी तब नीरू ने धैर्य दिलाते हुए कहा हे नीमा! हमारे भाग्य में संतान नहीं है यदि भाग्य में संतान होती तो प्रभु शिव अवश्य प्रदान कर देते। आप रो-रो कर आंखें खराब कर लोगी। आप का बार-बार रोना मेरे से देखा नहीं जाता। यह कह कर नीरू की आंखें भर आईं। इसी तरह प्रभु की चर्चा व बालक प्राप्ति की याचना करते हुए लहरतारा तालाब पर पहुंच गए। प्रथम नीमा ने स्नान किया, उसके पश्चात नीरू ने स्नान करने को तालाब में प्रवेश किया। सुबह का अंधेरा शीघ्र ही उजाले में बदल जाता है। जिस समय नीमा ने स्नान किया था। उस समय तक तो अंधेरा था।
कमल के फूल पर बालक
जब नीमा कपड़े बदल कर पुनः तालाब पर कपड़ो को धोने के लिए गई, जिसे पहन कर स्नान किया था, उस समय नीरू तालाब में प्रवेश करके गोते लगा-लगा कर मल-मल कर स्नान कर रहा था। नीमा की दृष्टि एक कमल के फूल पर पड़ी जिस पर कोई वस्तु हिल रही थी। प्रथम नीमा ने जाना कोई सर्प हैं। उसने सोचा कहीं यह सर्प मेरे पति को न डस ले लेकिन जब नीमा ने उसे ध्यानपूर्वक देखा तो वह सर्प नहीं कोई बालक था। जिसने एक पैर अपने मुख में ले रखा था तथा दूसरे को हिला रहा था।
कबीर साहेब जी के प्रकट होने का प्रमाण :-
वेदों में प्रमाण है कि परमात्मा सबका जनक है वह माँ से जन्म नही लेता बल्कि सशरीर प्रकट होता है । जो माँ से जन्म लेकर आता है वह अविनाशी परमात्मा नहीं होता ।
साहिब होकर उतरे , बेटा किसी का नाहीं ।
जो बेटा होकर उतरे , वो साहिब भी नाही ।।
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी का माँ के गर्भ से जन्म नही होता । परमात्मा सशरीर आते हैं और सशरीर चले जाते हैं,
कबीर साहेब जी अपनी वाणी में कहा है कि :-
हम है सतलोक के वासी, दास कहाये प्रकट भये काशी।
सर्व मानव समाज से निवेदन है अभी वर्तमान में कबीर साहेब जी के अवतार संत रामपाल जी महाराज हैं, संत जी का सत्संग शाम को 7:30 बजे साधना टीवी पर रोजाना देखें ।
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🔮कबीर परमेश्वर जी का प्रकट दिवस🔮
समाज में तत्वज्ञान के अभाव में लोग शंका करते हैं कि कबीर साहेब जी काशी वाला जुलाहा धाणक पूर्ण परमात्मा कैसे हो सकता है? लेकिन सच्चाई तो यही है कि वेदों में कविर्देव काशी वाला जुलाहा पूर्ण परमात्मा है।
आप जी से निवेदन है सच्चाई को समझने की कोशिश करें दंत कथा पर विश्वास न करें हम हम आपको प्रमाण सहित बता रहे हैं पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही सृष्टि का मालिक है
कबीर परमेश्वर जी आज से लगभग 600 साल पहले काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे।
नीमा नामक पति-पत्नी जो हिदू से जबरन मुसलमान बना दिए थे परंतु उनकी आस्था भगवान शिव में ही थी वे प्रतिदिन लहरतारा तालाब पर स्नान करने जाते थे। उनकी कोई संतान नहीं थी l एक बार नीरू नीमा स्नान करने जा रहे थे और नीमा रास्ते में भगवान शिव से प्रार्थना कर रही थी कि हे भगवान शिव आप अपने दासों को भी एक बच्चा दें दें। आप के घर में क्या कमी है भगवान हमारा भी जीवन सफल हो जाएगा। दुनिया के ताने सुन-सुन कर आत्मा बहुत दुखी हो रही है । हम से ऐसी कौन सी गलती हो गई जिस कारण मुझे बच्चे का मुख देखने को तरसना पड़ रहा है। यह
कह कर नीमा फूट-फूट कर रोने लगी तब नीरू ने धैर्य दिलाते हुए कहा हे नीमा हमारे भाग्य में संतान नहीं है यदि भाग्य में संतान होती तो भगवान शिव अवश्य संतान देते। आप रो-रो कर आंखें खराब कर लोगी। आप का बार-बार रोना मेरे से देखा नहीं जाता। यह कह कर नीरू की भी आंखें भर आईं।
जब लहरतारा तालाब पर पहुंचे तो पहले स्नान नीमा ने किया फिर नीरू स्नान करने लगे तो नीमा ने देखा कमल के फूल पर एक बच्चा लेट रहा है और अपने एक पैर के अंगूठे को मुंह में चूस रहा है नीरू से कहने लगी देखो जी बच्चा है डूब जाएगा नीरू ने जैसे ही देखा कमल के फूल सहित बच्चे को उठा लिया l
जब उसको घर लेकर आए तो देखने वाले भी हैरान रह गए
काशी उमटी गुल भया, मोमन का घर घेर l
कोई कहे ब्रह्मा विष्णु है कोई कहे इंद्र कुबेर ll
जब नीरू नीमा बालक रूप मैं परमात्मा को घर लेकर आए थे उस समय मुल्ला और काजी लड़के का नाम रखने के लिए कुरान शरीफ लेकर नीरू के घर गए l
काजी ने क़ुरान शरीफ़ पुस्तक को कही से खोला। उस पेज पर पहली लाइन में कबीरन् लिखा था। काजियों ने सोचा “कबीर” नाम का अर्थ बड़ा होता है। इस छोटे जाति (जुलाहे अर्थात धाणक) के बालक का नाम कबीर रखना शोभा नहीं देगा। यह तो ऊंचे घरानों के बच्चों के रखने योग्य है। शिशु रूपधारी परमेश्वर, काजियों के मन के दोष को जानते थे।
काजियों ने फिर कुरान शरीफ को नाम रखने के उद्देश्य से खोला। उन दोनों पृष्ठों पर कबीर-कबीर-कबीर अक्षर लिखे थे उसके अलावा कुछ नहीं था। काजियों ने फिर कुरान शरीफ को खोला उन पृष्ठों पर भी कबीर-कबीर-कबीर अक्षर ही लिखा था। काजियों ने पूरी कुरान खोल डाली जिस भी पेज को खोलते उसी मैं कबीर-कबीर-कबीर-कबीर हो गए। काजी बोले इस बालक ने कोई जादू मंत्र करके हमारी कुरान शरीफ को ही बदल डाला। तब कबीर परमेश्वर शिशु रूप में बोले हे काशी के काजियों। मैं कबीर अल्लाह अर्थात अल्लाहु अकबर हूं। मेरा नाम “कबीर” ही रखो। काजियों ने अपने साथ लाई कुरान को वहीं पटक दिया तथा चले गए।
परमेश्वर की परवरिश कुंवारी गाय के दूध से हुई
जैसा वेदों मैं प्रमाण है l
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 में लिखा है कि जब पूर्ण परमात्मा शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर आता है तो उसका पालन पोषण कुंवारी गाय से होता है।
अवधु अविगत से चल आया, कोई मेरा भेद मर्म नहीं पाया।।टेक।।
ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक ह्नै दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।।
माता-पिता मेरे कछु नहीं, ना मेरे घर दासी।
जुलहा को सुत आन कहाया, जगत करे मेरी हांसी।।
पांच तत्व का धड़ नहीं मेरा, जानूं ज्ञान अपारा।
सत्य स्वरूपी नाम साहिब का, सो है नाम हमारा।।
अधर दीप (सतलोक) गगन गुफा में, तहां निज वस्तु सारा।
ज्योति स्वरूपी अलख निरंजन (ब्रह्म) भी, धरता ध्यान हमारा।।
हाड चाम लोहू नहीं मोरे, जाने सत्यनाम उपासी।
तारन तरन अभै पद दाता, मैं हूं कबीर अविनासी।।
5 वर्ष की आयु में ही कबीर जी ने अपने लीलामय शरीर से वहां के जाने-माने संतों के साथ आध्यात्मिक विचार-विमर्श करना शुरू कर दिया था। कोई भी संत या ऋषि उनके आध्यात्मिक ज्ञान का उत्तर कभी नहीं दे सके।
कबीर परमेश्वर के अवतार संत रामपाल जी महाराज इस धरती पर अवतरित हुए हैं आपसे निवेदन है संत रामपाल जी महाराज की शरण में आकर अपना कल्याण कराएं।
#KabirPrakatDiwas
#SantRampalJiMaharaj
#परमेश्वरकबीर_प्रकट दिवस2023
#AppearanceOfGodKabirInKalyug
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संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
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पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
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🎉कबीर परमेश्वर जी का प्रकट दिवस🎉
कबीर साहेब जी कलयुग में भारत के काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे।
नीरू नीमा को मिले कबीर परमात्मा :-
प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में नीरू, नीमा नामक पति-पत्नी लहरतारा तालाब पर स्नान करने जाते थे। एक बार नीरू, नीमा जिनके कोई संतान नहीं थी स्नान करने जा रहे थे और नीमा रास्ते में भगवान शंकर से प्रार्थना कर रही थी कि हे दीनानाथ! आप अपने दासों को भी एक बच्चा दें दें। आप के घर में क्या कमी है। प्रभु! हमारा भी जीवन सफल हो जाएगा। दुनिया के व्यंग्य सुन-सुन कर आत्मा दुखी हो जाती है। मुझ पापिन से ऐसी कौन सी गलती किस जन्म में हुई है जिस कारण मुझे बच्चे का मुख देखने को तरसना पड़ रहा है। हमारे पापों को क्षमा करो प्रभु! हमें भी एक बालक दे दो।
यह कह कर नीमा फूट-फूट कर रोने लगी तब नीरू ने धैर्य दिलाते हुए कहा हे नीमा! हमारे भाग्य में संतान नहीं है यदि भाग्य में संतान होती तो प्रभु शिव अवश्य प्रदान कर देते। आप रो-रो कर आंखें खराब कर लोगी। आप का बार-बार रोना मेरे से देखा नहीं जाता। यह कह कर नीरू की आंखें भर आईं। इसी तरह प्रभु की चर्चा व बालक प्राप्ति की याचना करते हुए लहरतारा तालाब पर पहुंच गए। प्रथम नीमा ने स्नान किया, उसके पश्चात नीरू ने स्नान करने को तालाब में प्रवेश किया। सुबह का अंधेरा शीघ्र ही उजाले में बदल जाता है। जिस समय नीमा ने स्नान किया था। उस समय तक तो अंधेरा था।
कमल के फूल पर बालक
जब नीमा कपड़े बदल कर पुनः तालाब पर कपड़ो को धोने के लिए गई, जिसे पहन कर स्नान किया था, उस समय नीरू तालाब में प्रवेश करके गोते लगा-लगा कर मल-मल कर स्नान कर रहा था। नीमा की दृष्टि एक कमल के फूल पर पड़ी जिस पर कोई वस्तु हिल रही थी। प्रथम नीमा ने जाना कोई सर्प हैं। उसने सोचा कहीं यह सर्प मेरे पति को न डस ले लेकिन जब नीमा ने उसे ध्यानपूर्वक देखा तो वह सर्प नहीं कोई बालक था। जिसने एक पैर अपने मुख में ले रखा था तथा दूसरे को हिला रहा था।
कबीर साहेब जी के प्रकट होने का प्रमाण :-
वेदों में प्रमाण है कि परमात्मा सबका जनक है वह माँ से जन्म नही लेता बल्कि सशरीर प्रकट होता है । जो माँ से जन्म लेकर आता है वह अविनाशी परमात्मा नहीं होता ।
साहिब होकर उतरे , बेटा किसी का नाहीं ।
जो बेटा होकर उतरे , वो साहिब भी नाही ।।
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी का माँ के गर्भ से जन्म नही होता । परमात्मा सशरीर आते हैं और सशरीर चले जाते हैं,
कबीर साहेब जी अपनी वाणी में कहा है कि :-
हम है सतलोक के वासी, दास कहाये प्रकट भये काशी।
सर्व मानव समाज से निवेदन है अभी वर्तमान में कबीर साहेब जी के अवतार संत रामपाल जी महाराज हैं, संत जी का सत्संग शाम को 7:30 बजे साधना टीवी पर रोजाना देखें ।
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🍁अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढ़ें *"ज्ञान गंगा"*
संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित ये पुस्तक फ्री में प्राप्त करने के लिए लिंक पर जाकर अपनी पूरी जानकारी दें.....⤵️⤵️
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🔮कबीर परमेश्वर जी का प्रकट दिवस🔮
समाज में तत्वज्ञान के अभाव में लोग शंका करते हैं कि कबीर साहेब जी काशी वाला जुलाहा धाणक पूर्ण परमात्मा कैसे हो सकता है? लेकिन सच्चाई तो यही है कि वेदों में कविर्देव काशी वाला जुलाहा पूर्ण परमात्मा है।
आप जी से निवेदन है सच्चाई को समझने की कोशिश करें दंत कथा पर विश्वास न करें हम हम आपको प्रमाण सहित बता रहे हैं पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही सृष्टि का मालिक है
कबीर परमेश्वर जी आज से लगभग 600 साल पहले काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे।
नीमा नामक पति-पत्नी जो हिदू से जबरन मुसलमान बना दिए थे परंतु उनकी आस्था भगवान शिव में ही थी वे प्रतिदिन लहरतारा तालाब पर स्नान करने जाते थे। उनकी कोई संतान नहीं थी l एक बार नीरू नीमा स्नान करने जा रहे थे और नीमा रास्ते में भगवान शिव से प्रार्थना कर रही थी कि हे भगवान शिव आप अपने दासों को भी एक बच्चा दें दें। आप के घर में क्या कमी है भगवान हमारा भी जीवन सफल हो जाएगा। दुनिया के ताने सुन-सुन कर आत्मा बहुत दुखी हो रही है । हम से ऐसी कौन सी गलती हो गई जिस कारण मुझे बच्चे का मुख देखने को तरसना पड़ रहा है। यह
कह कर नीमा फूट-फूट कर रोने लगी तब नीरू ने धैर्य दिलाते हुए कहा हे नीमा हमारे भाग्य में संतान नहीं है यदि भाग्य में संतान होती तो भगवान शिव अवश्य संतान देते। आप रो-रो कर आंखें खराब कर लोगी। आप का बार-बार रोना मेरे से देखा नहीं जाता। यह कह कर नीरू की भी आंखें भर आईं।
जब लहरतारा तालाब पर पहुंचे तो पहले स्नान नीमा ने किया फिर नीरू स्नान करने लगे तो नीमा ने देखा कमल के फूल पर एक बच्चा लेट रहा है और अपने एक पैर के अंगूठे को मुंह में चूस रहा है नीरू से कहने लगी देखो जी बच्चा है डूब जाएगा नीरू ने जैसे ही देखा कमल के फूल सहित बच्चे को उठा लिया l
जब उसको घर लेकर आए तो देखने वाले भी हैरान रह गए
काशी उमटी गुल भया, मोमन का घर घेर l
कोई कहे ब्रह्मा विष्णु है कोई कहे इंद्र कुबेर ll
जब नीरू नीमा बालक रूप मैं परमात्मा को घर लेकर आए थे उस समय मुल्ला और काजी लड़के का नाम रखने के लिए कुरान शरीफ लेकर नीरू के घर गए l
काजी ने क़ुरान शरीफ़ पुस्तक को कही से खोला। उस पेज पर पहली लाइन में कबीरन् लिखा था। काजियों ने सोचा “कबीर” नाम का अर्थ बड़ा होता है। इस छोटे जाति (जुलाहे अर्थात धाणक) के बालक का नाम कबीर रखना शोभा नहीं देगा। यह तो ऊंचे घरानों के बच्चों के रखने योग्य है। शिशु रूपधारी परमेश्वर, काजियों के मन के दोष को जानते थे।
काजियों ने फिर कुरान शरीफ को नाम रखने के उद्देश्य से खोला। उन दोनों पृष्ठों पर कबीर-कबीर-कबीर अक्षर लिखे थे उसके अलावा कुछ नहीं था। काजियों ने फिर कुरान शरीफ को खोला उन पृष्ठों पर भी कबीर-कबीर-कबीर अक्षर ही लिखा था। काजियों ने पूरी कुरान खोल डाली जिस भी पेज को खोलते उसी मैं कबीर-कबीर-कबीर-कबीर हो गए। काजी बोले इस बालक ने कोई जादू मंत्र करके हमारी कुरान शरीफ को ही बदल डाला। तब कबीर परमेश्वर शिशु रूप में बोले हे काशी के काजियों। मैं कबीर अल्लाह अर्थात अल्लाहु अकबर हूं। मेरा नाम “कबीर” ही रखो। काजियों ने अपने साथ लाई कुरान को वहीं पटक दिया तथा चले गए।
परमेश्वर की परवरिश कुंवारी गाय के दूध से हुई
जैसा वेदों मैं प्रमाण है l
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 में लिखा है कि जब पूर्ण परमात्मा शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर आता है तो उसका पालन पोषण कुंवारी गाय से होता है।
अवधु अविगत से चल आया, कोई मेरा भेद मर्म नहीं पाया।।टेक।।
ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक ह्नै दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।।
माता-पिता मेरे कछु नहीं, ना मेरे घर दासी।
जुलहा को सुत आन कहाया, जगत करे मेरी हांसी।।
पांच तत्व का धड़ नहीं मेरा, जानूं ज्ञान अपारा।
सत्य स्वरूपी नाम साहिब का, सो है नाम हमारा।।
अधर दीप (सतलोक) गगन गुफा में, तहां निज वस्तु सारा।
ज्योति स्वरूपी अलख निरंजन (ब्रह्म) भी, धरता ध्यान हमारा।।
हाड चाम लोहू नहीं मोरे, जाने सत्यनाम उपासी।
तारन तरन अभै पद दाता, मैं हूं कबीर अविनासी।।
5 वर्ष की आयु में ही कबीर जी ने अपने लीलामय शरीर से वहां के जाने-माने संतों के साथ आध्यात्मिक विचार-विमर्श करना शुरू कर दिया था। कोई भी संत या ऋषि उनके आध्यात्मिक ज्ञान का उत्तर कभी नहीं दे सके।
कबीर परमेश्वर के अवतार संत रामपाल जी महाराज इस धरती पर अवतरित हुए हैं आपसे निवेदन है संत रामपाल जी महाराज की शरण में आकर अपना कल्याण कराएं।
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*🌸कबीर प्रकट दिवस के उपलक्ष पर होने वाले समागम में विश्व को निमंत्रण🌸*
कबीर साहेब जी कलयुग में भारत के काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे। कबीर साहब जी का जन्म किसी मां के गर्भ से नहीं हुआ यही कारण है कि हम कभी साहिब जी का प्रकट दिवस मनाते हैं।
कबीर साहब जी के प्रकट दिवस के उपलक्ष में 2, 3 व 4 जून को संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में तीन दिवसीय अखंड पाठ का आयोजन किया जा रहा है। इस समागम में तीन दिवसीय विशाल सत्संग एवं विशाल भंडारे की भी व्यवस्था की गई है। देश-विदेश भर के कुल 10 सतलोक आश्रमों में इस समागम को मनाया जा रहा है। दुनिया भर के लोगों को इस समागम में सहपरिवार आमंत्रित भी किया जा रहा है।
इस समागम में विशेष कार्यक्रम जैसे दहेज मुक्त शादियां, रक्तदान शिविर का आयोजन, नशा मुक्ति अभियान एवं निशुल्क नाम दीक्षा की व्यवस्था भी की जा रही है। इस भव्य समागम के माध्यम से समाज में व्याप्त बुराइयों को भी समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। समाज में दहेज, नशा, चोरी–जारी, रिश्वतखोरी अपनी चरम सीमा पर है जिसके उन्मूलन के लिए संत रामपाल जी महाराज जी के द्वारा समय-समय पर समागम का आयोजन किया जाता है जिसके माध्यम से समाज में व्याप्त बुराइयां समाप्त हो सके।
इस भव्य समागम में शामिल होकर इस समागम की शोभा बढ़ाएं। इस समागम का लाइव प्रसारण साधना TV पर सुबह 9:15 बजे किया जायेगा तथा
Sant Rampal Ji Maharaj YouTube चैनल
@SaintRampalJiM Twitter पर
और Spiritual Leader Saint Rampal Ji Maharaj फेसबुक पेज पर भी इस प्र���ग्राम को लाइव देख सकते हैं।
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🎉कबीर परमेश्वर जी का प्रकट दिवस🎉
कबीर साहेब जी कलयुग में भारत के काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे।
नीरू नीमा को मिले कबीर परमात्मा :-
प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में नीरू, नीमा नामक पति-पत्नी लहरतारा तालाब पर स्नान करने जाते थे। एक बार नीरू, नीमा जिनके कोई संतान नहीं थी स्नान करने जा रहे थे और नीमा रास्ते में भगवान शंकर से प्रार्थना कर रही थी कि हे दीनानाथ! आप अपने दासों को भी एक बच्चा दें दें। आप के घर में क्या कमी है। प्र���ु! हमारा भी जीवन सफल हो जाएगा। दुनिया के व्यंग्य सुन-सुन कर आत्मा दुखी हो जाती है। मुझ पापिन से ऐसी कौन सी गलती किस जन्म में हुई है जिस कारण मुझे बच्चे का मुख देखने को तरसना पड़ रहा है। हमारे पापों को क्षमा करो प्रभु! हमें भी एक बालक दे दो।
यह कह कर नीमा फूट-फूट कर रोने लगी तब नीरू ने धैर्य दिलाते हुए कहा हे नीमा! हमारे भाग्य में संतान नहीं है यदि भाग्य में संतान होती तो प्रभु शिव अवश्य प्रदान कर देते। आप रो-रो कर आंखें खराब कर लोगी। आप का बार-बार रोना मेरे से देखा नहीं जाता। यह कह कर नीरू की आंखें भर आईं। इसी तरह प्रभु की चर्चा व बालक प्राप्ति की याचना करते हुए लहरतारा तालाब पर पहुंच गए। प्रथम नीमा ने स्नान किया, उसके पश्चात नीरू ने स्नान करने को तालाब में प्रवेश किया। सुबह का अंधेरा शीघ्र ही उजाले में बदल जाता है। जिस समय नीमा ने स्नान किया था। उस समय तक तो अंधेरा था।
कमल के फूल पर बालक
जब नीमा कपड़े बदल कर पुनः तालाब पर कपड़ो को धोने के लिए गई, जिसे पहन कर स्नान किया था, उस समय नीरू तालाब में प्रवेश करके गोते लगा-लगा कर मल-मल कर स्नान कर रहा था। नीमा की दृष्टि एक कमल के फूल पर पड़ी जिस पर कोई वस्तु हिल रही थी। प्रथम नीमा ने जाना कोई सर्प हैं। उसने सोचा कहीं यह सर्प मेरे पति को न डस ले लेकिन जब नीमा ने उसे ध्यानपूर्वक देखा तो वह सर्प नहीं कोई बालक था। जिसने एक पैर अपने मुख में ले रखा था तथा दूसरे को हिला रहा था।
कबीर साहेब जी के प्रकट होने का प्रमाण :-
वेदों में प्रमाण है कि परमात्मा सबका जनक है वह माँ से जन्म नही लेता बल्कि सशरीर प्रकट होता है । जो माँ से जन्म लेकर आता है वह अविनाशी परमात्मा नहीं होता ।
साहिब होकर उतरे , बेटा किसी का नाहीं ।
जो बेटा होकर उतरे , वो साहिब भी नाही ।।
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी का माँ के गर्भ से जन्म नही होता । परमात्मा सशरीर आते हैं और सशरीर चले जाते हैं,
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हम है सतलोक के वासी, दास कहाये प्रकट भये काशी।
सर्व मानव समाज से निवेदन है अभी वर्तमान में कबीर साहेब जी के अवतार संत रामपाल जी महाराज हैं, संत जी का सत्संग शाम को 7:30 बजे साधना टीवी पर रोजाना देखें ।
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कबीर साहब जी के प्रकट दिवस के उपलक्ष में 2, 3 व 4 जून को संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में तीन दिवसीय अखंड पाठ का आयोजन किया जा रहा है। इस समागम में तीन दिवसीय विशाल सत्संग एवं विशाल भंडारे की भी व्यवस्था की गई है। देश-विदेश भर के कुल 10 सतलोक आश्रमों में इस समागम को मनाया जा रहा है। दुनिया भर के लोगों को इस समागम में सहपरिवार आमंत्रित भी किया जा रहा है।
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कबीर साहेब जी कलयुग में भारत के काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे। कबीर साहब जी का जन्म किसी मां के गर्भ से नहीं हुआ यही कारण है कि हम कभी साहिब जी का प्रकट दिवस मनाते हैं।
कबीर साहब जी के प्रकट दिवस के उपलक्ष में 2, 3 व 4 जून को संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में तीन दिवसीय अखंड पाठ का आयोजन किया जा रहा है। इस समागम में तीन दिवसीय विशाल सत्संग एवं विशाल भंडारे की भी व्यवस्था की गई है। देश-विदेश भर के कुल 10 सतलोक आश्रमों में इस समागम को मनाया जा रहा है। दुनिया भर के लोगों को इस समागम में सहपरिवार आमंत्रित भी किया जा रहा है।
इस समागम में विशेष कार्यक्रम जैसे दहेज मुक्त शादियां, रक्तदान शिविर का आयोजन, नशा मुक्ति अभियान एवं निशुल्क नाम दीक्षा की व्यवस्था भी की जा रही है। इस भव्य समागम के माध्यम से समाज में व्याप्त बुराइयों को भी समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। समाज में दहेज, नशा, चोरी–जारी, रिश्वतखोरी अपनी चरम सीमा पर है जिसके उन्मूलन के लिए संत रामपाल जी महाराज जी के द्वारा समय-समय पर समागम का आयोजन किया जाता है जिसके माध्यम से समाज में व्याप्त बुराइयां समाप्त हो सके।
इस भव्य समागम में शामिल होकर इस समागम की शोभा बढ़ाएं। इस समागम का लाइव प्रसारण साधना TV पर सुबह 9:15 बजे किया जायेगा तथा
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#परमेश्वरकबीर_प्रकट दिवस2023
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पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
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*🌸कबीर प्रकट दिवस के उपलक्ष पर होने वाले समागम में विश्व को निमंत्रण🌸*
कबीर साहेब जी कलयुग में भारत के काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे। कबीर साहब जी का जन्म किसी मां के गर्भ से नहीं हुआ यही कारण है कि हम कभी साहिब जी का प्रकट दिवस मनाते हैं।
कबीर साहब जी के प्रकट दिवस के उपलक्ष में 2, 3 व 4 जून को संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में तीन दिवसीय अखंड पाठ का आयोजन किया जा रहा है। इस समागम में तीन दिवसीय विशाल सत्संग एवं विशाल भंडारे की भी व्यवस्था की गई है। देश-विदेश भर के कुल 10 सतलोक आश्रमों में इस समागम को मनाया जा रहा है। दुनिया भर के लोगों को इस समागम में सहपरिवार आमंत्रित भी किया जा रहा है।
इस समागम में विशेष कार्यक्रम जैसे दहेज मुक्त शादियां, रक्तदान शिविर का आयोजन, नशा मुक्ति अभियान एवं निशुल्क नाम दीक्षा की व्यवस्था भी की जा रही है। इस भव्य समागम के माध्यम से समाज में व्याप्त बुराइयों को भी समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। समाज में दहेज, नशा, चोरी–जारी, रिश्वतखोरी अपनी चरम सीमा पर है जिसके उन्मूलन के लिए संत रामपाल जी महाराज जी के द्वारा समय-समय पर समागम का आयोजन किया जाता है जिसके माध्यम से समाज में व्याप्त बुराइयां समाप्त हो सके।
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*🌸कबीर प्रकट दिवस के उपलक्ष पर होने वाले समागम में विश्व को निमंत्रण🌸*
कबीर साहेब जी कलयुग में भारत के काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे। कबीर साहब जी का जन्म किसी मां के गर्भ से नहीं हुआ यही कारण है कि हम कभी साहिब जी का प्रकट दिवस मनाते हैं।
कबीर साहब जी के प्रकट दिवस के उपलक्ष में 2, 3 व 4 जून को संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में तीन दिवसीय अखंड पाठ का आयोजन किया जा रहा है। इस समागम में तीन दिवसीय विशाल सत्संग एवं विशाल भंडारे की भी व्यवस्था की गई है। देश-विदेश भर के कुल 10 सतलोक आश्रमों में इस समागम को मनाया जा रहा है। दुनिया भर के लोगों को इस समागम में सहपरिवार आमंत्रित भी किया जा रहा है।
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पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
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🍁अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढ़ें *"ज्ञान गंगा"*
संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित ये पुस्तक फ्री में प्राप्त करने के लिए लिंक पर जाकर अपनी पूरी जानकारी दें.....⤵️⤵️
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"𝙂𝙮𝙖𝙣 𝙂𝙖𝙣𝙜𝙖"!!
https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSfe79DAPzrGy8x0rE-SzpCWm8KT2GYrY1-YCrq7k5o0vnCZhQ/viewform?usp=sf_linkin
☑️📚पुस्तक और डिलीवरी चार्ज नि: शुल्क (फ्री) है!
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#कबीरपरमेश्वर_निर्वाणदिवस 1 फरवरी 2023
जैसा कि हमारे सद्ग्रंथ प्रमाण देते हैं कि परमात्मा सह शरीर पृथ्वी पर प्रकट होते हैं तथा सह शरीर अपने निज धाम सतलोक को प्रस्थान करते हैं यही लीला 600 साल पूर्व कबीर साहेब जी ने की थी। आज तक जिन्हें पूरी दुनिया कवि मान रही थी वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा सारी सृष्टि के रचनहार हम सभी आत्माओं के पिता हैं। वर्ष 1398 (विक्रम संवत 1455) को ज्येष्ठ की पूर्णिमा के दिन कबीर साहेब कमल के पुष्प पर प्रकट हुए तथा 120 साल इस पृथ्वी पर लीला करने के बाद सन् 1515 विक्रम संवत 1575 में परमात्मा कबीर साहेब जी सह शरीर सतलोक को प्रस्थान कर गए परंतु सबसे बड़ी विडंबना यह है आज तक किसी भी संत महंत या गुरु ने यह जानकारी भक्त समाज को नहीं दी क्योंकि वह सब खुद भी परमात्मा की लीलाओं से अनजान थे।
वर्तमान में तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज अपने सत्संगों के माध्यम से भक्त समाज को पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी तथा वेदों तथा अन्य सद्ग्रंथों में वर्णित परमात्मा की अद्भुत लीलाओं की सत्य जानकारी दे रहे हैं इसके साथ परमात्मा को प्राप्त करने की शास्त्र अनुकूल साधना बता रहे हैं।
'कबीर साहेब द्वारा पाखंड का पर्दाफाश:-'
कबीर साहेब का नाम सर्व विदित है। कबीर साहेब का नाम सभी जानते हैं और यह भी जानते हैं कि वे भारतीय इतिहास के मध्यकाल में भक्ति के कितने बड़े पुरोधा थे। कबीर साहेब पहले थे जिन्होंने रंग, लिंग, धर्म, जाति के परे भक्ति के द्वार सभी मनुष्यों के लिए खोले। कबीर साहेब ने हिंदू व मुस्लिम दोनों धर्मों के लोगों की कुरीतियों एवं अंध विश्वासों के लिए कड़ी फटकार जन सामान्य को लगाई। कबीर साहेब ने न केव�� रूढ़ियों का खण्डन किया बल्कि जन सामान्य के लिए एक भक्ति का मार्ग प्रशस्त किया। यह सदैव ध्यान रहे कि वह युग नकली एवं दंभी ब्राह्मणों द्वारा धार्मिक रूप से जनता को गुमराह करने का था। काशी का करौंत, मगहर और काशी के संबंध में भ्रामक जानकारी, केवल संस्कृत पठन को अध्यात्म मानना, जाति बंधन और केवल उच्च जाति को भगवान की भक्ति का अधिकार इस प्रकार की भ्रांतियां इसका प्रमाण हैं।
कबीर, पत्थर पूजें हरी मिले तो मैं पूजूं पहाड़ |
तातें तो चक्की भली, पीस खाए संसार ||
'कबीर साहेब का प्राकट्य:-'
कबीर साहेब आज से 600 वर्ष पहले काशी के लहरतारा तालाब पर उपस्थित कमल के फूल पर प्रकट हुए थे। इस दृश्य के गवाह थे रामानंद जी के शिष्य ऋषि अष्टानंद जो उस समय तालाब के किनारे ही साधना कर रहे थे। नीरू और नीमा नामक ब्राह्मण दंपत्ति (जबरन मुस्लिम धर्म परिवर्तन किया गया था) को कबीर साहेब प्राप्त हुए। वेदों में वर्णित परमात्मा के लक्षणों के अनुसार उन्होंने अपना पोषण कुंवारी गायों के दूध से किया (ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मन्त्र 9 में)। कबीर साहेब ने स्वामी रामानंद जी को स्वयं अपनी लीला से गुरु चुना और उन्हें सत्यलोक की स्थिति एवं अपने परमेश्वर रूप से परिचित करवाया।
'कबीर साहेब की लीलाएं:-'
आज से 600 वर्ष पहले जब आबादी नाम मात्र हुआ करती थी, कबीर साहेब के 64 लाख शिष्य बन गए थे। कबीर साहेब की क्षमता, लोकप्रियता और ज्ञान से सिकंदर लोदी का पीर शेख तकी, कबीर साहेब का दुश्मन बन बैठा। सिकंदर लोदी कबीर साहेब के समक्ष नतमस्तक रहता था क्योंकि कबीर साहेब ने सिकंदर लोदी को ऐसा स्वास्थ्य लाभ दिया था जिसे अनेकों वैद्य, ज्योतिष और तंत्र मंत्र साधक ठीक नहीं कर सके थे। शेख तकी इस ईर्ष्या भाव से कबीर साहेब को जान से मारने की योजना बनाता लेकिन हर बार असफल होता क्योंकि परमेश्वर अजर, अमर और सर्वशक्तिमान है। शेख तकी की बदमाशियों में कबीर साहेब को आरे से काटना, गंगा में डुबाने का प्रयास करना, खूनी हाथी से कुचलव��ना आदि सम्मिलित हैं
किंतु प्रत्येक बार कबीर साहेब ने सभी को क्षमा किया था। शेख तकी ने एक बार कबीर साहेब के नाम से पूरे देश भर में भंडारे के आमंत्रण की झूठी चिट्ठियां फैला दीं। कबीर साहेब ने केशव रूप बनाकर 18 लाख साधु संतों को विशाल भंडारा करवाया और आमंत्रण में कहे अनुसार स्वादिष्ट भोजन, एक दोहर और एक स्वर्ण मोहर दान में दी। परमेश्वर के लिए कुछ भी असंभव नहीं है इस बात का प्रमाण कबीर साहेब ने दिया। साथ ही यह प्रमाणित किया कि जो भी इस प्रकार के आदर्श जीवन को अपनाएगा, परमेश्वर में पूर्ण आस्था रखेगा और भक्ति करेगा उस भक्त की आवश्यकता पड़ने पर कबीर साहेब सहायता करेंगे। इस प्रकार कबीर साहेब ने सदैव अपनी समर्थता का परिचय दिया।
कबीर साहेब का संपूर्ण जीवन अपनी आत्माओं के प्रति समर्पित रहा, उन्होंने सही तत्वज्ञान सुनाया और जनता को जगाया। उन्होंने पूर्ण परमेश्वर और उसके लक्षणों से जनता को परिचित करवाया। कबीर साहेब ने अनेकों चमत्कार भी किए। आम जनमानस के लिए यह चमत्कार थे। कमाल और कमाली जिन्हें परमेश्वर कबीर की संतानें कहा जाता है वे मुर्दे थे जिन्हे अनेकों की भीड़ के समक्ष कबीर साहेब ने जीवित किया और पूरे जीवन अपना बेटा बेटी मानकर पोषण किया।
'सबसे बड़े समाज सुधारक, कबीर साहेब:-'
कबीर साहेब ने अनेकों भ्रांतियां तोड़ीं। उन्होंने अपनी वाणियों के माध्यम से अंधविश्वास, जाति प्रथा, अनुचित मान्यताओं के लिए आवाज उठाई। कबीर साहेब वास्तव में परमात्मा थे। कबीर साहेब ने दोनों धर्मों को प्रेम से रहने का संदेश दिया। स्वयं एक जुलाहे की भूमिका निभाते हुए एक आदर्श जीवन कैसा होना चाहिए इसका परिचय दिया। स्वयं निरक्षर होने की भूमिका की किंतु सृष्टि रचना से जुड़े अनेकों रहस्यमय उद्घाटन उन्होंने जनता के समक्ष किए। सभी धर्मों और शास्त्रों के आधार पर एक सर्वोपरि आध्यात्मिक ज्ञान को तर्क सहित बताना और सबके समक्ष प्रमाण सहित पेश करना निश्चित ही स्वयं परमेश्वर कर सकते हैं। वेदों में प्रमाण भी है कि परमात्मा स्वयं इस संसार में आते हैं और अप��ा तत्वज्ञान अपनी प्रिय आत्माओं को सुनाते हैं। कबीर साहेब ने आडंबरों एवं गलत प्रथाओं जैसे मूंड मुड़ाना, मांसाहार करना, बलि चढ़ाना, मंदिरों एवं मस्जिदों में पूजा, हिंदू मुस्लिम भेदभाव का पुरजोर विरोध किया।
अपने लला के बाल उतरवावैं, कह कैंची न लग जइयाँ |
एक बकरी का बच्चा लेकर, उसका गला कटाईयाँ ||
'काशी करौंत के पाखंड का उजागर करना:-'
हिंदू धर्म में तत्कालीन समय के ब्राह्मणों ने अतिशय लालच के कारण एक योजना बनाई कि शिव जी का आदेश हुआ है कि काशी में मरने वाला बिना रोक टोक स्वर्ग जाता है एवं मगहर में मरने वाला नरक जाता है। धर्मगुरुओं की आज्ञानुसार लोगों ने अपने वृद्ध माता पिता को काशी में ही छोड़ना शुरू कर दिया। काशी के पंडितों ने आज की तरह ही काशी में अलग अलग क्षेत्र बांट रखा था। जब उन्होंने देखा कि काशी में भीड़ बढ़ रही है तो उन्होंने एक अमानवीय उपाय अपनाया। गंगा के किनारे एकांत स्थान पर एक करौंत (एक प्रकार का बहुत बड़ा आरा) दो तरफ से लगा��ा और यह झूठ फैला दिया कि गंगा के किनारे परमात्मा ने एक करौंत भेजा है, जो अपनी मुक्ति चाहता है वह करौंत से सीधा मुक्ति पा सकता है। इसकी उन्होंने दक्षिणा भी बताई। वृद्ध भी अपने जीवन से तंग आकर कह देते कि हमारा जल्दी उद्धार करवा दो। इस प्रकार का यह आडम्बर उस समय बहुत प्रसिद्ध हुआ। लोग अपनी मुक्ति करवाने लगे। काशी के करौंत के विषय में कबीर साहेब ने समझाया कि यदि बिना भक्ति किए मोक्ष पाना इतना सरल होता तो वनों में जाकर तपस्या क्यों करते। राजा अपना राजपाट तक केवल मोक्ष की आशा में त्याग देते हैं। इस निंदनीय कृत्य के फलस्वरूप यह धारणा पक्की हो गई कि काशी में मरने वाला स्वर्ग जाता है और मगहर में मरने वाला नर्क। इस रूढ़ी को तोड़ने के लिए कबीर साहेब ने मगहर लीला की।
गरीब बिना भगति क्या होत है, भावैं कासी करौंत लेह।
मिटे नहीं मन बासना, बहुविधि भर्म संदेह ।।
'कबीर साहेब का मगहर प्रस्थान:-'
कबीर साहेब के प्राकट्य के साक्षी ऋषि अष्टानंद थे किंतु उनके सशरीर सतलोक गमन के समय हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे। उस समय ब्राह्मणों ने यह भ्रांति फैला रखी थी कि काशी में मरने वाला स्वर्ग जाता है और मगहर में मरने वाला गधा बनता है। कबीर साहेब ने अपने शरीर त्याग के समय काशी में एलान किया कि मैं मगहर से सतलोक जाऊंगा। सभी काशी के पंडित और ज्योतिषों से भी कहा कि वे अपने पोथी पत्र लेकर चलें और बांच लें कि कबीर साहेब कहां गए हैं। कबीर साहेब के सभी शिष्य भी साथ चले उन शिष्यों में मगहर रियासत के स्वामी बिजली खान पठान और काशी नरेश वीर सिंह बघेल भी सम्मिलित थे। कबीर साहेब के साथ पूरा काफिला मगहर चल पड़ा। मगहर पहुंचते ही कबीर साहेब ने स्नान की इच्छा जताई। मगहर रियासत के स्वामी बिजली खान पठान ने बताया कि इतना जल उपलब्ध नहीं है कि हजारों लोग स्नान कर पाएं किंतु शिव जी के श्राप से सूखी पड़ी एक आमी नाम की नदी है। तब परमेश्वर कबीर के पूछने पर वह नदी उन्हें दिखाई गई जिसे कबीर साहिब ने अपने आशीर्वाद से पुनः जलमग्न कर दिया।
'हिंदू मुस्लिम के बीच विशाल गृहयुद्ध को टालना:-'
कबीर साहेब के शिष्यों में हिंदू और मुसलमान दोनों ही धर्मों के लोग थे और दोनों धर्मों के लोग अपनी अपनी रीति से उनका अंतिम संस्कार करना चाहते थे। उन्होंने पूरी तैयारी कर रखी थी कि कबीर साहब के शरीर त्यागने के पश्चात वे आपस में युद्ध करके साहिब का शरीर हासिल करेंगे। एक चादर बिछाई गई और उसके ऊपर फूलों की तह बिछाई गई। परमात्मा से कुछ नहीं छिपा है। कबीर साहब ने दोनों धर्मों के लोगों को एक साथ रहने और आपस में लड़ाई झगड़ा ना करने की शिक्षा दी थी। अंत समय भी उन्होंने कहा कि कोई भी आपस में झगड़ा नहीं करेगा, चादर के नीचे जो भी मिले उसे आप दोनों ही धर्मों के लोग आपस में आधा-आधा बांट ले। चादर पर परमेश्वर कबीर जी दूसरी चादर ओढ़कर लेटे। कुछ समय में आकाशवाणी हुई कि चादर उठाकर देख ली जाए इसके नीचे कुछ भी नहीं है और जब चादर हटाई गई तो वास्तव में उसके नीचे केवल सुगंधित पुष्प मिले। इस दृश्य के गवाह हजारों लोग थे। आज भी इतिहास की किसी पुस्तक में यह उल्लेख नहीं मिलता कि कबीर साहेब का कोई शरीर पाया गया था। चादर के नीचे मिले उन पुष्पों को आपस में बांटकर हिन्दुओं और मुसलमानों ने अपनी- अपनी यादगार बनाई। कुछ पुष्प काशी ले जाए गए और एक चबूतरा बनाया गया जो कबीर चौरा के नाम से प्रसिद्ध है। यह कबीर साहेब की मगहर लीला थी।
कीन्हाँ मघर पियाँना हो, दोन्यूं दीन चले संगि जाकै, हिंदू मुसलमाना हो ||
मुक्ति खेत कूं छाडि चले है, तजि काशी अस्थाँना हो |
शाह सिकन्दर कदम लेत है, पातिशाह सुलताँना हो ||
'कबीर परमात्मा का 505वां निर्वाण दिवस:-'
जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में "परमेश्वर कबीर बंदी छोड़ जी के 505वें निर्वाण दिवस" के उपलक्ष्य में अमरग्रन्थ साहेब के 3 दिवसीय अखंड पाठ का 30-31 जनवरी 2022 से 01 फ़रवरी 2023 तक सतलोक आश्रम, रोहतक (हरियाणा) से सीधा प्रसारण होगा। आप समापन समारोह को साधना चैनल और पॉपकॉर्न मूवी चैनल पर 1 फरवरी को सुबह 9:15 बजे देख सकते है। आज से लगभग 505 वर्ष पूर्व (महीना माघ, शुक्ल पक्ष, तिथि एकादशी वि. स. 1575 सन् 1518 को) परमेश्वर कबीर बंदी छोड़ जी उत्तरप्रदेश के मगहर कस्बे से लाखों लोगों के सामने सशरीर सतलोक (ऋतधाम) को प्रस्थान किए थे, उसी दिन की याद में 9 सतलोक आश्रमों में विशाल महाभंडारे का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें निःशुल्क नामदीक्षा, रक्तदान शिविर, दहेज व आडंबर रहित आदर्श विवाह आदि का भी आयोजन किया जा रहा है। इस विशाल महा-भंडारे में आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
संत रामपाल जी से निःशुल्क नामदीक्षा लेने के लिए या अपने नजदीकी नामदीक्षा सेंटर का पता करने के लिए संपर्क करें :- 8222880541... संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित पवित्र पुस्तकें (ज्ञान गंगा और जीने की राह) निःशुल्क मंगवाने के लिए अपना पूरा नाम, पूरा पता, पिन कोड और मोबाइल नम्बर हमारे WhatsApp नम्बर पर Message करें :- 7496801823... और भी अनेकों पुस्तकें PDF में Download करने के लिए हमारी वेबसाइट JagatguruRampalJi.org के Publications पेज पर Visit करें।
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