#दीया
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bazmeshayari · 25 days ago
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हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी हो
हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी हो अगर न हो कहीं ऐसा तो एहतिजाज भी हो, रहेगी वादों में कब तक असीर ख़ुशहाली हर एक बार ही कल क्यूँ कभी तो आज भी हो, न करते शोर शराबा तो और क्या करते ? तुम्हारे शहर में कुछ और काम काज भी हो, हुकूमतों को बदलना तो कुछ मुहाल नहीं हुकूमतें जो बदलता है वो समाज भी हो, बदल रहे हैं कई आदमी दरिंदों में मरज़ पुराना है इसका नया इलाज भी हो, अकेले ग़म से नई शाइरी नहीं होती ज़बान…
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writerss-blog · 2 years ago
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उम्मीद का दीया
उम्मीद का दीया कभी बुझने नहीं देना उम्मीद से ही जीवन लड़ी है, हालात कितने भी बुरे हों हर नव प्रभात से नवजीवन की उम्मीद जुड़ी है, इन आशा निराशा की जलती बुझती रोशनी में हमारी हसरतें शामिल, हर पल बदलते वक्त से जीवन डोर जुड़ी है । अगर उम्मीद ना हो तो जीवन बोझ बन जाए, ��न्हीं अंधेरों में कहीं रोशनी की लड़ी छिपी है ।।
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top-leaders-in-india · 29 days ago
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‘Vocal for Local’ is opening the way for a self-reliant India: Colonel Rajyavardhan Rathore
कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने ऑर्गेनिक दीये खरीद कर देशवासियों को दी दीपोत्सव की शुभकामनाएं
कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने स्थानीय दुकानदारों से ऑर्गेनिक दीये खरीदकर यूपीआई से पेमेंट किया, दीपावली पर्व की Vocal for Local अपनाने की अपील
दीपावली की रोशनी में ऑर्गेनिक दीपों की ज्योति से आपणो अग्रणी राजस्थान को समृद्ध बनाएं।
’वोकल फॉर लोकल’ से खुल रही आत्मनिर्भर भारत की राह : कर्नल राज्यवर्धन राठौड़
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राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री और झोटवाड़ा से लोकप्रिय भाजपा विधायक कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ जी ने दीप पर्व के पावन अवसर पर देवतुल्य जनता और कार्यकर्ताओं को शुभकामनाएं देते हुए स्थानीय दुकानदारों से दीपावली पर्व पर ऑर्गेनिक दीये खरीदे, कुशलक्षेम पूछा और यूपीआई से पेमेंट किया। कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने ���हा, माननीय प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में, हम सभी को यह सुनिश्चित करना है कि राजस्थान हर क्षेत्र में विकास की नई ऊंचाइयों को छूए। ‘वोकल फॉर लोकल’ से आत्मनिर्भर भारत की राह खुल रही है।
कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने सभी से अपील की कि वे दीपावली के इस पावन पर्व पर विकसि�� राजस्थान बनाने का संकल्प लें। साथ ही उन्होंने आह्वान किया कि हम सभी दीपावली के इस पावन पर्व पर एक दीया राजस्थान के विकास के नाम जलाएं। कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने कहा कि हम सभी दीपावली की रोशनी में ऑर्गेनिक दीपों की ज्योति से आपणो अग्रणी राजस्थान को समृद्ध बनाएं
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helpukiranagarwal · 10 months ago
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सौम्य-सरल व्यक्तित्व की धनी एवं राजस्थान सरकार में मा0 उपमुख्यमंत्री श्रीमती दीया कुमारी जी, आपको जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।
प्रभु श्रीराम जी से प्रार्थना है कि आप दीर्घायु हों और सदैव स्वस्थ एवं प्रसन्न रहें ।
#KiranAgarwal
#HelpUTrust
#HelpUEducationalandCharitableTrust
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helputrust · 10 months ago
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सौम्य-सरल व्यक्तित्व की धनी एवं राजस्थान सरकार में मा0 उपमुख्यमंत्री श्रीमती दीया कुमारी जी, आपको जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।
प्रभु श्रीराम जी से प्रार्थना है कि आप दीर्घायु हों और सदैव स्वस्थ एवं प्रसन्न रहें ।
#HelpUTrust
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drrupal-helputrust · 10 months ago
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सौम्य-सरल व्यक्तित्व की धनी एवं राजस्थान सरकार में मा0 उपमुख्यमंत्री श्रीमती दीया कुमारी जी, आपको जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।
प्रभु श्रीराम जी से प्रार्थना है कि आप दीर्घायु हों और सदैव स्वस्थ एवं प्रसन्न रहें ।
#DrRupalAgarwal
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helputrust-drrupal · 10 months ago
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सौम्य-सरल व्यक्तित्व की धनी एवं राजस्थान सरकार में मा0 उपमुख्यमंत्री श्रीमती दीया कुमारी जी, आपको जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।
प्रभु श्रीराम जी से प्रार्थना है कि आप दीर्घायु हों और सदैव स्वस्थ एवं प्रसन्न रहें ।
#DrRupalAgarwal
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helputrust-harsh · 10 months ago
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सौम्य-सरल व्यक्तित्व की धनी एवं राजस्थान सरकार में मा0 उपमुख्यमंत्री श्रीमती दीया कुमारी जी, आपको जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।
प्रभु श्रीराम जी से प्रार्थना है कि आप दीर्घायु हों और सदैव स्वस्थ एवं प्रसन्न रहें ।
#HarshVardhanAgarwal
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hinsaa-paramo-dharma · 2 years ago
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कहीं दूर था तूफ़ान...
कहीं दूर था तूफ़ान,
दीये से था बलवान
सारे जग को मसलने मचल रहा
झाड़ हों या पहाड़, दे वो पल में उखाड़
सोच-सोच के ज़मीं पे था उछल रहा
एक नन्हा-सा दीया, उसने हमला किया
अब देखो लीला विधि के विधान की
यह कहानी है दीये की और तूफ़ान की
सर पटक-पटक, पग झटक-झटक
न हटा पाया दीये को अपनी आन से
बार-बार वार कर, अंत में हार कर
तूफ़ान भागा रे मैदान से
अत्याचार से उभर, जली ज्योत अमर
रही अमर निशानी बलिदान की
यह कहानी है दीये की और तूफ़ान की
निर्बल से लड़ाई बलवान की
यह कहानी है दीये की और तूफ़ान की||
-Yeh Kahani Hain Diye Ki Aur Toofan Ki (Manna Dey)
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lavkusdasrajpt · 1 year ago
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#SpiritualMessageOnDussehra
आवत संग न जात संगाती, क्या हुआ दर बांधे हाथी।
इक लख पूत सवा लख नाती, उस रावण के आज दीया न बाती ।।
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astrovastukosh · 1 year ago
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Dev Diwali - Kartik Purnima 2023: देव दिवाली पर शिव योग का होगा निर्माण इसका शिव से है गहरा संबंध होगा हर समस्या का समाधान
Dev Deepawali 2023: कार्तिक पूर्णिमा पर देव दिवाली मनाई जाती है. ये दिवाली देवताओं को समर्पित है, इसका शिव जी से गहरा संबंध है. इस दिन धरती पर आते हैं देवतागण कार्तिक पूर्णिमा का दिन कार्तिक माह का आखिरी दिन होता है. इसी दिन देशभर में देव देवाली भी मनाई जाती है लेकिन इस बार पंचांग के भेद के कारण देव दिवाली 26 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी और कार्तिक पूर्णिमा का व्रत, स्नान 27 नवंबर 2023 को है. देव दिवाली यानी देवता की दीपावली. इस दिन सुबह गंगा स्नान और शाम को घाट पर दीपदान किया जाता है. कार्तिक पूर्णिमा पर 'शिव' योग का हो रहा है निर्माण, हर समस्या का होगा समाधान |
देव दिवाली तिथि और समय
पूर्णिमा तिथि आरंभ - 26 नवंबर 2023 - 03:53
पूर्णिमा तिथि समापन - 27 नवंबर, 2023 - 02:45
देव दीपावली मुहूर्त - शाम 05:08 बजे से शाम 07:47 बजे तक
पूजन अवधि - 02 घण्टे 39 मिनट्स
शिव मंत्र
ॐ नमः शिवाय
ॐ शंकराय नमः
ॐ महादेवाय नमः
ॐ महेश्वराय नमः
ॐ श्री रुद्राय नमः
ॐ नील कंठाय नमः
देव दिवाली का महत्व
देव दिवाली का सनातन धर्म में बेहद महत्व है। इस पर्व को लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप मनाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने इस दिन राक्षस त्रिपुरासुर को हराया था। शिव जी की जीत का जश्न मनाने के लिए सभी देवी-देवता तीर्थ स्थल वाराणसी पहुंचे थे, जहां उन्होंने लाखों मिट्टी के दीपक जलाएं, इसलिए इस त्योहार को रोशनी के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है।
इस शुभ दिन पर, गंगा घाटों पर उत्सव मनाया जाता है और बड़ी संख्या में तीर्थयात्री देव दिवाली मनाने के लिए इस स्थान पर आते हैं और एक दीया जला��र गंगा नदी में छोड़ देते हैं। इस दिन प्रदोष काल में देव दीपावली मनाई जाती है. इस दिन वाराणसी में गंगा नदी के घाट और मंदिर दीयों की रोशनी से जगमग होते हैं. काशी में देव दिवाली की रौनक खास होती है.
Dev diwali Katha : देव दिवाली की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव बड़े पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर दिया था. पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए तारकासुर के तीनों बेटे तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली ने प्रण लिया. इन तीनों को त्रिपुरासुर के नाम से जाना जाता था. तीनों ने कठोर तप कर ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और उनसे अमरत्व का वरदान मांगा लेकिन ब्रह्म देव ने उन्हें यह वरदान देने से इनकार कर दिया.
ब्रह्मा जी ने त्रिपुरासुर को वरदान दिया कि जब निर्मित तीन पुरियां जब अभिजित नक्षत्र में एक पंक्ति में में होगी और असंभव रथ पर सवार असंभव बाण से मारना चाहे, तब ही उनकी मृत्यु होगी. इसके बाद त्रिपुरासुर का आतंक बढ़ गया. इसके बाद स्वंय शंभू ने त्रिपुरासुर का संहार करने का संकल्प लिया.
काशी से देव दिवाली का संबंध एवं त्रिपुरासुर का वध:
शास्त्रों के अनुसार, एक त्रिपुरासुर नाम के राक्षस ने आतंक मचा रखा था, जिससे ऋषि-मुनियों के साथ देवता भी काफी परेशान हो गए थे। ऐसे में सभी देवतागण भगवान शिव की शरण में पहुंचे और उनसे इस समस्या का हल निकालने के लिए कहा। पृथ्वी को ही भगवान ने रथ बनाया, सूर्य-चंद्रमा पहिए बन गए, सृष्टा सारथी बने, भगवान विष्णु बाण, वासुकी धनुष की डोर और मेरूपर्वत धनुष बने. फिर भगवान शिव उस असंभव रथ पर सवार होकर असंभव धनुष पर बाण चढ़ा लिया त्रिपुरासुर पर आक्रमण कर दिया. इसके बाद भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही त्रिपुरासुर का वध कर दिया था और फिर सभी देवी-देवता खुशी होकर काशी पहुंचे थे। तभी से शिव को त्रिपुरारी भी कहा जाता है. जहां जाकर उन्होंने दीप प्रज्वलित करके खुशी मनाई थी। इसकी प्रसन्नता में सभी देवता भगवान शिव की नगरी काशी पहुंचे. फिर गंगा स्नान के बाद दीप दान कर खुशियां मनाई. इसी दिन से पृथ्वी पर देव दिवाली मनाई जाती है.
पूजन विधि
देव दीपावली की शाम को प्रदोष काल में 5, 11, 21, 51 या फिर 108 दीपकों में घी या फिर सरसों के भर दें। इसके बाद नदी के घाट में जाकर देवी-देवताओं का स्मरण करें। फिर दीपक में सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, हल्दी, फूल, मिठाई आदि चढ़ाने के बाद दीपक जला दें। इसके बाद आप चाहे, तो नदी में भी प्रवाहित कर सकते हैं।
देव दीपावली के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें। हो सके,तो गंगा स्नान करें। अगर आप गंगा स्नान के लिए नहीं जा पा रहे हैं, तो स्नान के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डाल लें। ऐसा करने से गंगा स्नान करने के बराबर फलों की प्राप्ति होगी। इसके बाद सूर्य देव को तांबे के लोटे में जल, सिंदूर, अक्षत, लाल फूल डालकर अर्घ्य दें। फिर भगवान शिव के साथ अन्य देवी देवता पूजा करें। भगवान शिव को फूल, माला, सफेद चंदन, धतूरा, आक का फूल, बेलपत्र चढ़ाने के साथ भोग लाएं। अंत में घी का दीपक और धूर जलाकर चालीसा, स्तुत, मंत्र का पाठ करके विधिवत आरती कर लें।
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bazmeshayari · 1 year ago
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एक पल के लिए एक घड़ी के लिए
एक पल के लिए एक घड़ी के लिए वक़्त रुकता ही नहीं किसी के लिए, रात कितनी भी काली हो तारीक़ हो एक दीया ही बहुत है रौशनी के लिए, साज़ ओ आवाज़ और शायरी ही नहीं ख़ून ए दिल भी चाहिए नगमगी के लिए, फ़ितनागर फ़ितनागर ही है चारो तरफ बस कोई मूसा ही नहीं सामरी के लिए, हिचकियाँ सिसकियाँ अश्क आह फुगाँ हम छुपाते ही रहे है आप ही के लिए, ज़िंदगी की हक़ीक़त करे क्या बयां है मुसलसल जहद हर किसी के लिए, हम तो दिल वाले है दिल की…
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vipinjha · 1 year ago
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बाबूजी !! Babu ji Kavita !! Maithili Kavita Babuji !! Vipin Jha #babuj...
बाबूजी:- पेटक खातिर सदिखन बाहर सरकारक नीतिक शिकारल शहरक कारखाना लेल एकटा मजूर मुदा हमरा घर'क खाम छलैथ बाबूजी टिकुली सिनुर  गहना जेवर बरसाइत तीज मधुश्रावणीक तेवर माए माथाक ताज छलैथ बाबूजी हुनकर कोरा छल इन्द्रासन कखनो दुलार कखनो फटकार सन्��ा भात सन छल हुनकर व्य��हार सगर गाम मे नहि छल हुनका सं किनको द्वेष मुसकिक पहिचान छलैथ बाबूजी दीया-बाती छठि पराती दुर्गा-पूजा आकि शिवराति हुनका अबिते हमरा लेल होइ छल सभटा पावनि निसंकोच भ' सभटा गप्प हम कहियैं सँगी आर जिनगीक शान छलैथ बाबूजी :- Vipin Jha
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amaldas1996 · 1 year ago
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#SpiritualMessageOnDussehra
Sant Rampal Ji Maharaj
🎉 हमारे भीतर का रावण कैसे समाप्त होगा?
जानने के लिए अवश्य पढ़िए पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा।
🎉 आवत संग न जात संगाती, क्या हुआ दर बांधे हाथी।
इक लख पूत सवा लख नाती, उस रावण के आज दीया न बाती ।।
रावण का बहुत बड़ा परिवार था। उसके बावजूद भी वह एक पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब की सतभक्ति के बिना अनमोल मनुष्य जीवन की बाज़ी हार कर चला गया।
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munindramisra · 10 months ago
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#SriRamMandir #SriRamTemple #AyodhyaDham #sriram
Jai Sri Ram
Jai Shri Ayodhya Dham
Requesting all to light a 'diya' at 12.20 afternoon today.
सभी से अनुरोध है कि आज दोपहर 12.20 बजे एक दीया जलाएं।
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casualflowerglitter · 1 year ago
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सूफी फकीर हसन जब मरा। उससे किसी ने पूछा कि तेरे गुरु कितने थे? उसने कहाः गिनाना बहुत मुश्किल होगा। क्योंकि इतने-इतने गुरु थे कि मैं तुम्हें कहां गिनाऊंगा! गांव-गांव मेेरे गुरु फैले हैं। जिससे मैंने सीखा, वही मेरा गुरु है। जहां मेरा सिर झुका, वहीं मेरा गुरु।’
फिर भी जिद्द की लोगों ने कि कुछ तो कहो, तो उसने कहा, ‘तुम मानते नहीं, इसलिए सुनो। पहला गुरु था मेरा--एक चोर।’ वे तो लोग बहुत चैंके, उन्होंने कहाः चोर? कहते क्या हो! होश में हो। मरते वक्त कहीं एैसा तो नही��� कि दिमाग गड़बड़ा गया है! चोर और गुरु?’
उसने कहाः हां, चोर और गुरु। मैं एक गांव में आधी रात पहंुचा। रास्ता भटक गया था। सब लोग सो गए थे, एक चोर ही जग रहा था। वह अपनी तैयारी कर रहा था जाने की। वह घर से निकल ही रहा था। मैंने उससे कहाः ‘भाई, अब मैं कहां जाऊं? रात आधी हो गई। दरवाजे सब बंद हैं। धर्मशालाएं भी बंद हो गईं। किसको जगाऊ नींद से? तू मुझे रात ठहरने देगा?’
उसने कहाः ‘स्वागत आपका।’ ‘लेकिन’, उसने कहाः ‘एक बात मैं जाहिर कर दंूः मैं चोर हूं। मैं आदमी अच्छे घर का नहीं हूं। तुम अजनबी मालूम पड़ते हो। इस गांव मंे कोई आदमी मेरे घर में नहीं आना चाहेगा। मैं दूसरों के घर में जाता हूं, तो लोग नहीं घुसने देते। मेेरे घर तो कौन आएगा? मुझे भी रात अंधेरे में जब लोग सो जात हैं, तब उनके घरों में जाना पड़ता हैं। और मेरे घर के पास से लोग बच कर निकलते हैं। मैं जाहिर चोर हूं। इस गांव का जो नवाब है, वह भी मुझसे डरता और कंपता है। पुलिसवाले थक आते हैं। तुम अपने हाथ आ रहे हो! मैं तुम्हंे वचन नहीं देता। रात-बेरात लूट लूं! तो तुम जानो। ’
हसन ने कहा कि मैंने इतना सच्चा और ईमानदार आदमी कभी देखा ही नहीं था, जो खुद कहे कि मैं चोर हूं! और सावधान कर दे। यह तो साधु का लक्षण है। तो रुक गया। हसन ने कहा कि मैं रुकूंगा। तू मुझे लूट ही लेे, तो मुझे खुशी होगी।
सुबह-सुबह चोर वापस लौटा। हसन ने दरवाजा खोला। पूछाः ‘कुछ मिला?’ उसने कहाः ‘आज तो नहीं मिला, लेकिन फिर रात कोशिश करूंगा।’ ऐसा, हसन ने कहा, एक महीने तक मैं उसके घर रुका, और एक महीने तक उसे कभी कुछ न मिला।
वह रोज शाम जाता, उसी उत्साह उसी उमंग से--औैर रोज सुबह जब मैं पूछता--कुछ मिला भाई? तो वह कहता, अभी तो नहीं मिला। लेकिन क्या है, मिलेगा। आज नहीं तो कल नहीं तो परसों। कोशिश जारी रहनी चाहिए।
तो हसन ने कहा कि जब मैं परमात्मा की तलाश में गांव-गांव, जंगल-जंगल भटकता था और रोज हार जाता था, और रोज-रोज सोचता था कि है भी ईश्वर या नहीं, तब मुझे उस चोर की याद आती थी,कि ��ह चोर साधारण संपत्ति चुराने चला था; मैं परमात्मा को चुराने चला हूं। मैं परम संपत्ति का अधिकारी बनने चला हूं। उस चोर के मन में कभी निराशा न आई; मेरे भी निराशा का कोई कारण नहीं है। ऐसे मैं लगा ही रहा। इस चोर ने मुझे बचाया; नहीं तो मैं कई दफा भाग गया होता, छोड़ कर यह सब खोज। तो जिस दिन मुझे परमात्मा मिला, मैंने पहला धन्यवाद अपने उस चोर-गुरु को दिया।
तब तो लोग उत्सुक हो गए। उन्होंने कहा, ‘कुछ और कहो; इसके पहले कि तुम विदा हो जाओ। यह तो बड़ी आश्चर्य की बात तुमने कही; बड़ी सार्थक भी।
उसने कहाः और एक दूसरे गांव में ऐसा हुआ; मैं गांव में प्रवेश किया। एक छोटा सा बच्चा, हाथ में दीया लिए जा रहा था किसी मजार पर चढ़ाने को। मैंने उससे पूछा कि ‘बेटे, दीया तूने ही जलाया? उसने कहा, ‘हां, मैंने ही जलाया।’ तो मैंने उससे कहा कि ‘मुझे यह बता, यह रोशनी कहां से आती है? तूने ही जलाया। तूने यह रोशनी आते देखी? यह कहां से आती हैं?’
मैं सिर्फ मजाक कर रहा था--हसन ने कहा। छोटा बच्चा, प्यारा बच्चा था; मैं उसे थोड़ी पहेली में डालना चाहता था। लेकिन उसने बड़ी झंझट कर दी। उसने फूंक मार कर दीया बुझा दिया, और कहा कि सुनो, तुमने देखा; ज्योति चली गई; कहां चली गई?
मुझे झुक कर उसके पैर छूने पड़े। मैं सोचता था, वह बच्चा है, वह मेरा अहंकार था। मैं सोचता था, मैं उसे उलझा दंूगा, वह मेरा अहंकार था। उसने मुझे उलझा दिया। उसने मेरे सामने एक प्रश्न-चिह्न खड़ा कर दिया।
ऐसे हसन ने अपने गुरुओं की कहानियां कहीं।
तीसरा गुरु हसन ने कहा, एक कुत्ता था। मैं बैठा था एक नदी के किनारे--हसन ने कहा--और एक कुत्ता आया, प्यास से तड़फड़ाता। धूप घनी है, मरुस्थल है। नदी के किनारे तो आया, लेकिन जैसे उसने झांक कर देखा, उसे दूसरा कुत्ता दिखाई पड़ा पानी में, तो वह डर गया। तो वह पीछे हट गया। प्यास खींचे पानी की तरफ; भय खींचे पानी के विपरीत। जब भी जाए, नदी के पास, तो अपनी झलक दिखाई पड़े; घबड़ा जाए। पीछे लौट आए। मगर रुक भी न सके पीछे, क्योंकि प्यास तड़फा रही है। पसीना-पसीना हो रहा है। उसका कंठ दिखाई पड़ रहा है कि सूखा जा रहा है। और मैं बैठा देखता रहा। देखता रहा।
फिर उसने हिम्मत की और एक छलांग लगा दी--आंख बंद करके कूद ही गया पानी में। फिर दिल खोल कर पानी पीया, और दिल खोल कर नहाया। कूदते ही वह जो पानी में तस्वीर बनती थी, मिट गई।
*हसन ने कहा, ऐसी ही हालत मेरी रही। परमात्मा में झांक-झांक कर देखता था, डर-डर जाता था। अपना ही अहंकार वहां दिखाई पड़ता था, वही मुझे डरा देता था। लौट-लौट आता। लेकिन प्यास भी गहर�� थी। उस कुत्ते की याद करता; उस कुत्ते की याद करता; सोचता। एक दिन छलांग मार दी; कूद ही गया; सब मिट गया। मैं भी मिट गया; अहंकार की छाया बनती थी, वह भी मिट गई; खूब दिल भर के पीया। कहै कबीर मैं पूरा पाया...।*
~PPG~
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