Tumgik
#दिल्ली विश्वविद्यालय मुक्त पुस्तक परीक्षा
sandhyabakshi · 4 years
Photo
Tumblr media
विश्वविद्यालय परीक्षा 2020: ओपन बुक परीक्षा से पहले जुलाई अंत में मॉक टेस्ट करेंगी डीयू दिल्ली विश्वविद्यालय में ओपन बुक परीक्षा को लेकर तैयारी शुरू हो गई है। 15 अगस्त की बजाय अब ओपन बुक परीक्षा 10 अगस्त से होगी। डीयू के डीन एग्जामिनेशन प्रो। विनय गुप्ता ने एक नोटिफिकेशन निकाल कर कहा है ...। Source link
0 notes
bihardastak · 6 years
Text
Tumblr media
 1 लाख रुपये के नोट पर छपी थी सुभाष चंद्र बोस की फोटो
'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा' का नारा देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस का आज जन्मदिन है। आजाद हिंद फौज के संस्थापक और अंग्रेजों से देश को मुक्त कराने में अपना बहुमुल्य योगदान देने वाले नेताजी का जन्म 23 जनवरी साल 1897 में हुआ था। नेताजी का पहला प्रेम भारत की आजादी था, लेकिन बहुत कम लोग ही जानते हैं कि उनका दूसरा प्रेम कारें थी। उनकी एक पसंदीदा कार आज देश की धरोहर के रूप मेें संजो कर रखी हुई। इस कार ने आजादी के सफर में नेताजी का खूब साथ दिया और कई बार उनकी जान भी बचाई।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। कटक में प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने रेवेनशा कॉलिजियेट स्कूल में दाखिला लिया। जिसके बाद उन्होंने कलकत्ता यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। 1919 में बीए की परीक्षा उन्होंने प्रथम श्रेणी से पास की और विश्वविद्यालय में उन्हें दूसरा स्थान मिला था।
...जब महात्मा गांधी से मिले नेताजी
20 जुलाई 1921 में सुभाष चंद्र बोस की मुलाकात पहली बार महात्मा गांधी जी हुई। गांधी जी की सलाह पर वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए काम करने लगे। भारत की आजादी के साथ-साथ उनका जुड़ाव सामाजिक कार्यों में भी बना रहा। बंगाल की भयंकर बाढ़ में घिरे लोगों को उन्होंने भोजन, वस्त्र और सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का साहसपूर्ण काम किया था। समाज सेवा का काम नियमित रूप से चलता रहे इसके लिए उन्होंने 'युवक-दल' की स्थापना की।
यूरोप प्रवास
सन् 1933 से लेकर 1936 तक सुभाष यूरोप में रहे। यूरोप में सुभाष ने अपनी सेहत का ख्याल रखते हुए अपना कार्य बदस्तूर जारी रखा। वहाँ वे इटली के नेता मुसोलिनी से मिले, जिन्होंने उन्हें भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में सहायता करने का वचन दिया। आयरल��ंड के नेता डी वलेरा सुभाष के अच्छे दोस्त बन गये। जिन दिनों सुभाष यूरोप में थे उन्हीं दिनों जवाहरलाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू का ऑस्ट्रिया में निधन हो गया। सुभाष ने वहाँ जाकर जवाहरलाल नेहरू को सान्त्वना दी। बाद में सुभाष यूरोप में विठ्ठल भाई पटेल से मिले। विठ्ठल भाई पटेल के साथ सुभाष ने मन्त्रणा की जिसे पटेल-बोस विश्लेषण के नाम से प्रसिद्धि मिली। इस विश्लेषण में उन दोनों ने गान्धी के नेतृत्व की जमकर निन्दा की। उसके बाद विठ्ठल भाई पटेल जब बीमार हो गये तो सुभाष ने उनकी बहुत सेवा की। मगर विठ्ठल भाई पटेल नहीं बचे, उनका निधन हो गया।
ऑस्ट्रिया में किया था प्रेम विवाह
सन् 1934 में जब सुभाष ऑस्ट्रिया में ठहरे हुए थे, उस समय उन्हें अपनी पुस्तक लिखने हेतु एक अंग्रेजी जानने वाले टाइपिस्ट की आवश्यकता हुई। उनके एक मित्र ने एमिली शेंकल नाम की एक ऑस्ट्रियन महिला से उनकी मुलाकात कराई। एमिली के पिता एक प्रसिद्ध पशु चिकित्सक थे। एमिली ने सुभाष के टाइपिस्ट के तौर पर काम किया। इसी दौरान सुभाष एमिली को दिल दे बैठे। एमिली भी उन्हें बहुत पसंद करती थीं। नाजी जर्मनी के सख्त कानूनों को देखते हुए दोनों ने सन् 1942 में बाड गास्टिन नामक स्थान पर हिंदू रीति-रिवाज से विवाह कर लिया। इसके बाद वियेना में एमिली ने एक पुत्री को जन्म दिया। सुभाष ने उसे पहली बार तब देखा जब वह मुश्किल से चार सप्ताह की थी। उन्होंने उसका नाम अनिता बोस रखा था। अगस्त 1945 में ताइवान में हुई तथाकथित विमान दुर्घटना में जब सुभाष की मौत हुई, अनिता पौने तीन साल की थी। उनका पूरा नाम अनिता बोस फाफ है। अपने पिता के परिवार जनों से मिलने अनिता फाफ कभी-कभी भारत भी आती हैं।
नेताजी को 11 बार कारावास
सार्वजनिक जीवन में नेताजी को कुल 11 बार कारावास की सजा दी गई थी। सबसे पहले उन्हें 16 जुलाई 1921 को छह महीने का कारावास दिया गया था। 1941 में एक मुकदमे के सिलसिले में उन्हें कोलकाता (कलकत्ता) की अदालत में पेश होना था तभी वे अपना घर छोड़कर चले गए और जर्मनी पहुंच गए। जर्मनी में उन्होंने हिटलर से मुलाकात की। अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध के लिए उन्होंने आजाद हिन्द फौज का गठन किया और युवाओं को 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' का नारा भी दिया।
कारों के शौकीन थे नेताजी
नेताजी पर शोध करने वालों का कहना है कि यूं तो नेताजी भवन में कई कारें रखी हुई थीं, लेकिन वांडरर कार छोटी और सस्ती थी और इस कार का आमतौर पर मध्यम आय वर्ग के लोग ही ग्रामीण इलाकों में इस्तेमाल किया करते थे। नेताजी भवन में रखी वांडरर कार का ज्यादा इस्तेमाल नही होता था, इसलिए जल्दी किसी का ध्यान इस पर नहीं जाता था। विलक्षण बुद्धि के मालिक नेताजी भली-भांति जानते थे कि किसी और कार का इस्तेमाल करने पर वे आसानी से ब्रिटिश पुलिस की नजर में आ सकते हैं। अंग्रेजों की आंखों में धूल झोंकने के लिए उन्होंने इस कार को चुना था। 18 जनवरी, 1941 को इस कार से नेताजी, शिशिर के साथ गोमो रेलवे स्टेशन (तब बिहार में, अब झारखंड में) पहुंचे थे और वहां से कालका मेल पकड़कर दिल्ली गए थे।
नेताजी और मौत पर रहस्य
नेताजी की मौत पर रहस्य बरकरार है। 18 अगस्त 1945 को वे हवाई जहाज से मंचूरिया जा रहे थे। इस सफर के दौरान ताइहोकू हवाई अड्डे पर विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। सुभाष चंद्र बोस का निधन भारत के इतिहास का सबसे बड़ा रहस्य है। उनकी रहस्यमयी मौत पर समय-समय पर कई तरह की अटकलें सामने आती रही हैं। भारत सरकार ने आरटीआइ के जवाब में ये बात साफ तौर पर कही है कि उनकी मौत एक विमान हादसे में हुई थी। लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक खुद जापान सरकार ने इस बात की पुष्टि की थी कि 18 अगस्त, 1945 को ताइवान में कोई विमान हादसा नहीं हुआ था। इसलिए आज भी नेताजी की मौत का रहस्य खुल नहीं पाया है।
आजाद हिंद सरकार (Azad Hind Sarkar) में छपा था 1 लाख रुपये का नोट
आजाद हिंद सरकार की अपनी बैंक थी, जिसका नाम आजाद हिंद बैंक था। आजाद हिंद बैंक की स्थापना साल 1943 में हुई थी, इस बैंक के साथ दस देशों का समर्थन था। आजाद हिंद बैंक ने दस रुपये के सिक्के से लेकर एक लाख रुपये का नोट जारी किया था। एक लाख रुपये के नोट पर सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर छपी थी।
Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media
0 notes
sandhyabakshi · 4 years
Photo
Tumblr media
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों ने ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा रद्द करने की मांग की स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए अंतिम वर्ष की 10 जुलाई से निर्धारित ओपन बुक परीक्षाओं को टालने संबंधी दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के फैसले की निंदा करते हुए विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों ने ...। Source link
0 notes