#विश्वविद्यालय की परीक्षा
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प्राचार्य डॉ.शशि बाला वर्मा ने की परीक्षा प्रभारी की सराहना
प्राचार्य डॉ.शशि बाला वर्मा ने की परीक्षा प्रभारी की सराहना पोखरी क्वाली: राजकीय महाविद्यालय पोखरी क्वाली में परीक्षा प्रभारी श्रीमती सरिता देवी ने महाविद्यालय के प्राध्यापकों, कर्मचारियों का सहयोग प्राप्त करते हुये श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय की चल रहे परीक्षा कार्यक्रम को सकुशल 4.12.2024 को संपन्न करवा दिया है। इस हेतु प्राचार्य डॉ. शशिबाला वर्मा ने परीक्षा प्रभारी श्रीमती सरिता देवी की सराहना…
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किन 8 क्षेत्रों के लोग सीधे बन सकेंगे प्रोफेसर? UGC गाइडलाइन में क्या तय की गई हैं योग्यताएं
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी (UGC) ने विनियम 2025 ड्राफ्ट जारी किया है, जिसके तहत कई सारे बदलाव किए गए हैं. पहला तो ये कि जो लोग एकेडमिक क्षेत्र से नहीं आते हैं, अब वो भी यूनिवर्सिटी में कुलपति बन सकते हैं यानी यूजीसी ने एकेडमिक क्षेत्र की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है और दूसरा ये है कि अब छात्र यूजीसी नेट की परीक्षा किसी भी विषय से दे सकते हैं. इसके अलावा कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर…
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Baba Saheb Ambedkar: Know 15 Interesting Things About the Creator of the Constitution
Introduction
Bhimrao Ramji Ambedkar: संविधान का प्रारूप तैयार करने में कई प्रबुद्ध लोगों का योगदान था, लेकिन डॉ. भीमराव अंबेडकर को संविधान निर्माता माना जाता है. वह संविधान की ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष थे. यह बात बहुत कम लोगों को पता होगी कि संविधान का प्रारूप तैयार करने की जिम्मेदारी अकेले अंबेडकर पर आ गई थी. यह बात प्रारूप समिति के एक सदस्य टीटी कृष्णामाचारी ने संविधान सभा के सामने स्वीकार भी की थी. टीटी कृष्णामाचारी ने नवंबर, 1948 में संविधान सभा में कबूला था कि मृत्यु, बीमारी और कुछ अन्य वजहों से कमेटी के अधिकतर सदस्यों ने प्रारूप तैयार करने में पर्याप्त योगदान नहीं दिया था. इसके चलते संविधान तैयार करने का बोझ डॉ. अंबेडकर पर आ गया. आखिरकार लंबी जद्दोजहद के बाद 26 जनवरी, 1950 को देश में संविधान ला��ू हुआ. इससे पहले 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा ने भारतीय संविधान को अपन��या था. इसके बाद 26 नवंबर वह तारीख बन गई, जिसे संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है. प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर को संविधान दिवस दरअसल संविधान के मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है. डॉ. भीमराव अंबेडकर को संविधान निर्माता क्यों कहा जाता है? अंबेडकर पर अक्सर राजनीति क्यों शुरू हो जाती है? इस स्टोरी में जानेंगे हर सवाल का जवाब?
Table of Content
सिर्फ 2.3 साल में पूरी की 8 साल की पढ़ाई
कौन-कौन सी डिग्रियां की हासिल
अंबेडकर ने अकेले ही तैयार किया था संविधान का प्रारूप
यूं बदली अंबेडकर की जिंदगी
जानिये बाबा साहेब के बारे में रोचक और सच्ची बातें
सिर्फ 2.3 साल में पूरी की 8 साल की पढ़ाई
कौन-कौन सी डिग्रियां की हासिल
उन्होंने शुरुआती पढ़ाई यानी प्राथमिक शिक्षा एल्फिंस्टन स्कूल से की. उच्च शिक्षा की कड़ी में उन्होंने बॉम्बे विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और राजनीतिज्ञ विज्ञान में डिग्री हासिल की. पढ़ाई की लगन ही उन्हें विदेश यानी अमेरिका और ब्रिटेन तक ले गई. विदेश जाकर उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी से एमए और पीएचडी की. इसके बाद डॉ. अंबेडकर ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से मात्र दो साल तीन महीने में 8 साल की पढ़ाई पूरी कर ‘डॉक्टर ऑफ साइंस’ की डिग्री ली. हैरत की बात है कि यह डिग्री हासिल करने वाले वह दुनिया के प्रथम व्यक्ति थे.
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अंबेडकर ने अकेले ही तैयार किया था संविधान का प्रारूप
यह किसी को सुनने में अजीब लगे लेकिन यह काफी हद तक सच है कि संविधान का प्रारूप तैयार करने की जिम्मेदारी अकेले अंबेडकर पर आ गई थी, लेकिन उन्होंने बिना सकुचाए इस जिम्मेदारी को उठाया. मिली जानकारी के अनुसार, संविधान सभा की प्रारूप समिति में कुल 7 लोगों को रखा गया था. इनमें से एक सदस्य बीमार हो गए. इसी दौरान 2 सदस्य दिल्ली के बाहर थे, जबकि एक विदेश में थे. वहीं, एक सदस्य ने किन्हीं वजहों से बीच में ही इस्तीफा दे दिया. सातवें सदस्य ने तो ज्वाइन ही नहीं किया. ऐसे में नई मुश्किल खड़ी हो गई. जाहिर है ऐसे में 7 सदस्यों वाली कमेटी में केवल अंबेडकर बचे और उनके कंधों पर संविधान का ड्राफ्ट बनाने की पूरी जिम्मेदारी आ गई.
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यूं बदली अंबेडकर की जिंदगी
भीम राव अंबेडकर का जन्म दलित परिवार में हुआ था. ऐसे में उन्हें बचपन से ही बहुत से सामाजिक भेदभाव झेलने पड़े. पढ़ाई में बहुत अच्छा होने के बावजूद दलित वर्ग से होने के कारण उनके साथ बहुत ही बुरा बर्ताव किया जाता था. उन्हें प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक दलित होने के चलते बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा. जब वह छोटे थे तो छुआछूत जैसी शर्मनाक हरकत उनके साथ हुई थी.
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जानिये बाबा साहेब के बारे में रोचक और सच्ची बातें
भीमराव अंबेडकर अपने माता-पिता की 14वीं और अंतिम संतान थे.
पिता सूबेदार रामजी मालोजी सकपाल ब्रिटिश सेना में सूबेदार थे.
बाबासाहेब के पिता संत कबीर दास के अनुयायी थे और एक शिक्षित व्यक्ति थे. इसीलिए उन्होंने भीम राव को शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रेरित भी किया.
भीमराव रामजी अंबेडकर लगभग दो वर्ष के थे तब उनके पिता नौकरी से रिटायर्ड हो गए. वहीं, 6 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपनी मां को भी खो दिया.
स्कूली शिक्षा के दौरान भीम राव अस्पृश्यता के शिकार हुए.
वर्ष 1907 में मैट्रिक की परीक्षा पास होने के बाद उनकी शादी एक बाजार के खुले छप्पर के नीचे हुई.
वर्ष 1913 में डॉ. भीम राव अंबेडकर को हायर एजुकेशन के लिए अमेरिका जाने वाले एक विद्वान के रूप में चुना गया. यह उनके शैक्षिक जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ.
विदेश से पढ़ाई करके ड�� अंबेडकर मुंबई लौटे तो राजनीतिक अर्थव्यवस्था के प्रोफेसर के रूप में सिडेनहैम कॉलेज में अध्यापन करने लगे.
उन्होंने लंदन में अपनी कानून और अर्थशास्त्र की पढ़ाई फिर से शुरू करने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसके लिए कोल्हापुर के महाराजा ने उन्हें आर्थिक मदद दी.
1923 में, उन्होंने डीएससी डिग्री के लिए अपनी थीसिस पूरी की, जिसका नाम था- ‘रुपये की समस्या : इसका उद्भव और समाधान’.
वर्ष 1923 में वकीलों के बार में बुलाया गया.
03 अप्रैल, 1927 को उन्होंने दलित वर्गों की समस्याओं को संबोधित करने के लिए ‘बहिस्कृत भारत’ समाचारपत्र की शुरुआत की. वर्ष 1928 में वह गवर्नमेंट लॉ कॉलेज (बॉम्बे) में प्रोफेसर बने.
01 जून, 1935 को वह उसी कॉलेज के प्रिंसिपल बने. वर्ष 1938 में अपना इस्तीफा देने तक उसी पद पर बने रहे.
वर्ष 1936 में उन्होंने बॉम्बे प्रेसीडेंसी महार सम्मेलन को संबोधित किया और हिंदू धर्म का त्याग करने की वकालत की.
15 अगस्त, 1936 को दलित वर्गों के हितों की रक्षा करने के लिए ‘स्वतंत्र लेबर पार्टी’ का गठन किया.
वर्ष 1938 में कांग्रेस ने अछूतों के नाम में बदलाव करने वाला एक विधेयक प्रस्तुत किया. अंबेडकर ने इसका विरोध किया, क्योंकि उन्हें यह रास्ता ठीक नहीं लगा.
06 दिसंबर, 1956 को उनकी मृत्यु हो गई. डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि को पूरे देश में प्रत्येक वर्ष ‘महापरिनिर्वाण दिवस’ के रूप में मनाया जाता है.
Conclusion
संविधान तैयार करने में भले ही कई प्रबुद्धजनों का योगदान हो, लेकिन इसका श्रेय बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर को ही जाता है. यही वजह है कि उन्हें संविधान निर्माता कहा जाता है. वर्ष 1990 में उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था.
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गैर शिक्षक कर्मचारियों की भर्ती का विज्ञापन जारी कर एचपीयू ने इक्कठा किया 4.32 करोड़, लिखित परीक्षा तक का नहीं हुआ आयोजन
Himachal News: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में गैर शिक्षक कर्मचारियों के 271 पदों की विज्ञापन के जरिए करीब 50000 अभ्यर्थियों से चार करोड़ 32 लाख की राशि एकत्रित की, लेकिन इसकी लिखित परीक्षा का आयोजन हुआ ही नहीं। यह पूर्व सरकार के समय हुआ। विधानसभा में विधायक जनकराज द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में कहा गया है कि इस भर्ती को करना है या नहीं। यह प्रस्ताव सरकार की विचार अधीन है। एक अन्य सवाल के जवाब…
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Kolhan University : CBCS ओल्ड कोर्स परीक्षा फॉर्म जारी, AISF ने सत्याग्रह वापस लिया
AISF : कोल्हान विश्वविद्यालय ने सत्र 2020-23 और 2021-24 के CBCS ओल्ड कोर्स पैटर्न के तहत सेमेस्टर 1, 3, 4, 5 और 6 का परीक्षा फॉर्म जारी कर दिया है। इस घोषणा के बाद ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन (AISF) के जिला सचिव मुकेश रजक ने छात्रों के साथ प्रस्तावित सत्याग्रह को वापस लेने की घोषणा की। AISF के जिला सचिव मुकेश रजक ने कहा कि छात्रों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनकी…
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2 दिसंबर से शुरू हो रही है इग्नू की परीक्षाएं, परीक्षा केंद्रों में हुआ परिवर्तन
न्यूज़ चक्र, कोटपूतली। इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) की परीक्षाएं 2 दिसम्बर 2024 से प्रारम्भ हो रही है। कोटपूतली इग्नू परीक्षा के केन्द्राधीक्षक डॉ. आर.के सिंह ने बताया कि कोटपूतली शहर में आयोजित होने वाली परीक्षाओं के परीक्षा केंद्र में परिवर्तन किया गया है। इग्नू की दिनांक 2.12.2024 एवं 3.12.2024 को होने वाली परीक्षाएं लाल बहादुर शास्त्री राजकीय महाविद्यालय, कोटपूतली के…
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1.शोध प्रस्ताव की तैयारी कैसे करें? (How to Prepare for Research Proposal?),जेआरएफ में शोध प्रस्ताव की तैयारी कैसे करें? (How to Prepare for Research Proposal in Junior Research Fellowship?):
शोध प्रस्ताव की तैयारी कैसे करें? (How to Prepare for Research Proposal?) अर्थात् विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा आयोजित यूजीसी (नेट) परीक्षा के लिए निर्धारित प्रत्येक वैकल्पिक विषय के विषयनिष्ठ प्रश्न-पत्र (परीक्षा के लिए निर्धारित) तृतीय प्रश्न-पत्र में अनिवार्य रूप से पूछे जाने वाले शोध प्रस्ताव से संबंधित प्रश्नों की तैयारी किस तरह की जाए,इस संबंध में परीक्षार्थी प्रायः कठिनाई महसूस करते हैं।
Read More:How to Prepare for Research Proposal?
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Union Bank of India LBO Vacancy 2024: एक शानदार करियर अवसर
Union Bank of India ने इस बार Union Bank of India LBO Vacancy 2024 के तहत कुल 1500 Local Bank Officer (LBO) पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। यह अवसर न केवल उन लोगों के लिए है जो बैंकिंग क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं बल्कि ऐसे उम्मीदवारों के लिए भी जो एक स्थाई और उच्च प्रतिष्ठित नौकरी के इच्छुक हैं। तो चलिए, इस भर्ती से जुड़ी सभी जरूरी जानकारियाँ जानने के लिए पोस्ट को पूरा पढ़े - आवेदन प्रक्रिया, चयन प्रक्रिया, और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी।
Union Bank of India LBO Recruitment 2024: मुख्य विवरण
- कुल पद 1500 - आवेदन तिथियाँ: 24 अक्टूबर, 2024 से 13 नवंबर, 2024 तक - आवेदन लिंक: Union Bank of India की आधिकारिक वेबसाइट यहाँ पर हर राज्य में विभिन्न पदों का आवंटन किया गया है, जिससे हर क्षेत्र से उम्मीदवार आवेदन कर सकते हैं।
राज्यवार पदों का विवरण (Vacancy Breakdown by State)
Union Bank of India ने Local Bank Officer पदों की भर्ती विभिन्न राज्यों में की है। अपने राज्य में उपलब्ध पदों की संख्या देखें: राज्यपदों की संख्याआंध्र प्रदेश200 पदअसम50 पदगुजरात200 पदकर्नाटक300 पदकेरल100 पदमहाराष्ट्र50 पदओडिशा100 पदतमिलनाडु200 पदतेलंगाना200 पदपश्चिम बंगाल100 पद
कैसे करें आवेदन? (Union Bank of India LBO Recruitment 2024 Apply Online)
Union Bank of India LBO Vacancy 2024 के लिए आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन है, जिसे पूरा करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें: सबसे पहले आपको , Union Bank of India recruitment 2024 सर्च करना होगा गूगल पर | -
फिर गूगल पर सर्च करने के बाद आए सबसे पहले लिंक पर करना है | फिर आपको अप्लाई का लिंक दिख जायेगा फिर आपको बस रेजिस्ट्रशन करना होगा और पूरा फॉर्म भरना होगा | आवेदन शुल्क का भुगतान करें: - - GEN/EWS/OBC वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आवेदन शुल्क ₹850/- है। - SC/ST/PwBD वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आवेदन शुल्क ₹175/- है। शुल्क भुगतान विकल्प: डेबिट/क्रेडिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल वॉलेट, UPI जैसे विकल्पों का उपयोग कर ऑनलाइन भुगतान करें।
पात्रता मानदंड (Eligibility Criteria)
- अब बात करते हैं कि इस Union Bank of India LBO Recruitment 2024 में आवेदन करने के लिए आपके पास क्या योग्यताएँ होनी चाहिए: - शैक्षिक योग्यता: उम्मीदवार का किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से किसी भी विषय में स्नातक होना अनिवार्य है। - आयु सीमा: आवेदनकर्ता की आयु 20 से 30 वर्ष के बीच होनी चाहिए (1 अक्टूबर 2024 तक)। यह सुनिश्चित कर लें कि आपके पास यह आवश्यक योग्यताएं हैं।
चयन प्रक्रिया (Selection Process)
अब जानते हैं कि इस भर्ती प्रक्रिया में कैसे चयन किया जाएगा: - ऑनलाइन परीक्षा: सबसे पहले उम्मीदवारों को ऑनलाइन परीक्षा देनी होगी, जिसमें कुल 155 प्रश्न होंगे और 200 अंक होंगे। -नेगेटिव मार्किंग: प्रत्येक गलत उत्तर के लिए 0.25 अंक कटेंगे, इसलिए ध्यान से उत्तर दें। - ग्रुप डिस्कशन: यदि आवश्यक हुआ, तो कुछ उम्मीदवारों के लिए ग्रुप डिस्कशन भी रखा जा सकता है। - पर्सनल इंटरव्यू: अं��िम चरण में सफल उम्मीदवारों का इंटरव्यू होगा।
Union Bank of India LBO Recruitment 2024 से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी
और अधिक जानकारी के लिए आप यूनियन बैंक की ऑफिसियल वेबसाइट पर विजिट कर सकते है https://www.unionbankofindia.co.in/ Detailed Notification Here Direct link to apply here Read the full article
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दून वैली स्कूल की छात्रा अवंतिका भट्ट ने यूजीसी-नेट परीक्षा में AIR 4th रैंक प्राप्त किया
दून वैली स्कूल को अपनी पूर्व छात्रा अवंतिका भट्ट की असाधारण उपलब्धि की घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है, जिन्होंने यूजीसी-नेट (वाणिज्य) (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग – राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा) परीक्षा में प्रतिष्ठित चौथा स्थान प्राप्त किया है। यह उल्लेखनीय उपलब्धि अवंतिका की कड़ी मेहनत, समर्पण और दून वैली स्कूल में अपने समय के दौरान रखी गई ठोस शैक्षणिक नींव को दर्शाती है। प्रधानाचार्य शिवानी पांडे…
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Jamshedpur ajsu hunger strike : कार्यालय बंद होने से एसडीओ से नहीं मिल पाई आजसू छात्र संघ की टीम, 5 अक्टूबर को एक दिवसीय भूख हड़ताल से शुरू होगा संघ का आंदोलन, 14 बेमियादी भूख हड़ताल पर जायेगा संघ
जमशेदपुर : कोल्हान विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक एवं वहां के पदाधिकारियों के खिलाफ आजसू छात्र संघ ने आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है. इसी क्रम में कल 4 अक्टूबर को आजसू यूथ के जिला प्रभारी हेमंत पाठक के नेतृत्व में एसडीओ मैडम से मिलकर मामले की जानकारी और अनशन से संबंधित पेपर जमा करेगा. हेमंत पाठक ने बताया कि विश्वविद्यालय छात्रों के भविष्य से हमेशा खिलवाड़ करता आया है. इसीलिए आजसू छात्र संघ ने आर…
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मेवाड़ यूनिवर्सिटी में दिखता है मिनी इंडियाः कुलपति प्रो. (डॉ.) आलोक मिश्रा
मोटिवेशनल स्पीकर आर. एस. चोयल ने भी पहुंचकर विद्यार्थियों को सफलता के मंत्र बतलाएं
तीन दिवसीय ओरिएंटेशन प्रोग्राम का समापन, वक्ताओं और पूर्व छात्रों ने रखे अपने विचार
चित्तौड़गढ़। जिस प्रकार भारत का अस्तित्व सभी राज्यों के योगदान से बनता है, उसी प्रकार किसी विश्वविद्यालय का अस्तित्व विद्यार्थियों से बनता है। मेवाड़ विश्वविद्यालय भी इसका एक आदर्श उदाहरण है, जहां 28 राज्यों और लगभग 20 देशों के विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करते हैं। इसी कारण विश्वविद्यालय में ‘मिनी इंडिया’ की झलक देखने को मिलती है। यहां पर विविधता में एकता के आदर्श को साकार होते देखा जा सकता है। यह विचार मेवाड़ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) आलोक मिश्रा ने शुक्रवार को नवप्रवेशित विद्यार्थियों के लिए आयोजित तीन दिवसीय ओरिएंटेशन प्रोग्राम के समापन अवसर पर व्यक्त किए।
कुलपति डॉ. मिश्रा ने नवप्रवेशित विद्यार्थियों को स्कूल से कॉलेज के सफर की इस नई पारी को अनुशासन, नैतिक आचरण को कानून के सम्मान से जोड़ते हुए, स्वप्रेरणा, अभिरूचि और परामर्श के महत्व को बखूबी समझाया। साथ ही, उन्होंने नवप्रवेशितों को विश्वविद्यालय के जीवन में जीने के सही तरीके और अध्ययन के प्रति समर्पण का महत्व भी बताया।
कार्यक्रम के दौरान विश्वकर्मा इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड एवं चोयल ग्रुप के कार्यकारी निदेशक और प्रसिद्ध मोटिवेशनल स्पीकर, आर. एस. चोयल ने विद्यार्थियों को आत्मविश्वास, आत्मज्ञान और आत्मसंयम को अपने जीवन में अपनाने पर जोर दिया।
��रीक्षा नियंत्रक डॉं. सी. डी. कुमावत ने नवप्रवेशितों को विश्वविद्यालय की परीक्षा प्रणाली के बारे में विस्तार से जानकारी दी। पूर्व छात्र लवीना सिंधी, तुषार, भीमराज मीना, मंजूर वानी, अंकित कुमार, अक्षय जोशी, हिलाल अहमद, दीपक कुमार आदि ने अपने अनुभव साझा किए।
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UGC NET: किसी भी सब्जेक्ट से दे सकते हैं UGC NET परीक्षा, यूजी-पीजी में एक विषय की अनिवार्यता खत्म
यूजीसी नेट की परीक्षा अब अभ्यर्थी किसी भी सब्जेक्ट से दे सकेंगे. एग्जाम में शामिल होने के लिए यूजी-पीजी में विषय की अनिवार्यता को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने खत्म कर दिया है. इसके लिए यूजीसी ने ड्राफ्ट जारी कर दिया है. वहीं असिस्टेंट प्रोफेसर बनने की योग्यता में भी बदलाव किया गया है. एनईपी 2020 के तहत आयोग ने यह ड्राफ्ट जारी किया है. जारी ड्राफ्ट के अनुसार यूजीसी नेट की परीक्षा कैंडिडेट अब अपने…
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*भार्गव ने विश्वविद्यालय रोजगार सूचना एवं मार्गदर्शन केंद्र में जिला रोजगार अधिकारी का पदभार संभाला*
बीकानेर, 23 सितंबर। राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित राजस्थान राज्य एवं अधीनस्थ सेवाएं (संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा) में चयनित दिशा भार्गव ने स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के रोजगार सूचना एवं मार्गदर्शन केंद्र में जिला रोजगार अधिकारी का पदभार ग्रहण किया। दिशा मूलतः बीकानेर की ही रहने वाली हैं। दिशा के पिता निर्मल भार्गव महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय में सहायक कुल सचिव के पद पर…
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किसी भी विषय में दे सकते हैं सीयूईटी यूजी 2025 प्रवेश परीक्षा, यूजीसी ने किए यह बड़े बदलाव
CUET UG 2025 Entrance Exam: सीयूईटी यूजी 2025 प्रवेश परीक्षा बड़े बदलावों के साथ होगी। अब छात्र किसी भी विषय में सीयूईटी यूजी परीक्षा दे सकेंगे चाहे उन्होंने 12वीं में वह विषय पढ़ा हो या नहीं। इसके अलावा सीयूईटी यूजी केवल कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट मोड (सीबीटी) में आयोजित की जाएगी। यूजीसी के चेयरमैन जगदीश कुमार ने मंगलवार को इन बदलावों की घोषण की। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी)…
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इटारसी की फाल्गुनी मिश्रा को यूनिवर्सिटी टॉप करने पर मिला गोल्ड मैडल
इटारसी। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के दीक्षान्त समारोह में एमएड की परीक्षा में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने पर इटारसी की श्रीमती फाल्गुनी मिश्रा को मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगू भाई पटेल, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया। श्रीमती फाल्गुनी मिश्रा इटारसी पहली लाइन निवासी वल्लभ भवन में पदस्थ दीपक मिश्रा की पत्नी है। श्रीमती फाल्गुनी मिश्रा की इस उपलब्धि पर उनके शुभचिंतकों, सामाजिक…
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पटना /प्रोफेसर श्यामल किशोर नें पटना विश्वविद्यालय मे "परीक्षा नियंत्रक" के पद पर अपना योगदान दिया
प्रियंका भारद्वाज की रिपोर्ट /बिहार के बड़े शिक्षाविद प्रोफेसर श्यामल किशोर नें पटना विश्वविद्यालय मे परीक्षा नियंत्रक के पद पर अपना आज योगदान दिया -प्रोफेसर श्यामल किशोर बिहार के बड़े शिक्षिविद माने जाते हैं.बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर के आदेश से प्रोफेसर श्यामल किशोर का नियुक्ति हुआ हैं . पटना विश्वविद्यालय के कई प्रोफेसर सहित कई गणमान्य लोगों ने प्रोफेसर श्यामल किशोर से मिलकर…
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