#दिल के स्वास्थ्य की जांच कैसे करें
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mwsnewshindi · 2 years ago
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युवा लोगों में दिल का दौरा: आपको स्वास्थ्य जांच जल्दी क्यों शुरू करनी चाहिए
युवा लोगों में दिल का दौरा: आपको स्वास्थ्य जांच जल्दी क्यों शुरू करनी चाहिए
दिल दिमाग: युवा लोगों में दिल का दौरा अधिक आम होता जा रहा है, जो देश में चिकित्सा पेशेवरों की चिंता का विषय है। सिद्धार्थ शुक्ला (40), पुनीत राजकुमार (46), गायक केके (53) और अब सोनाली से लेकर कई छोटे सेलेब्स ने दिल का दौरा पड़ने से दम तोड़ दिया। 58 वर्षीय कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव को भी हाल ही में एक जिम में व्यायाम करने के दौरान दिल का दौरा पड़ा और एक अस्पताल में ��नकी हालत नाजुक बनी हुई…
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apollomedicslucknow · 4 years ago
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जानिये फैटी लिवर के बारे में सब कुछ
फैटी लिवर रोग क्या है?
लिवर में अतिरिक्त चिकनाई का बनना फैटी लिवर की बीमारी है।
फैटी लिवर की बीमारी शराब के अत्यधिक सेवन से हो सकती है और यदि व्यक्ति अतिरिक्त शराब पीना जारी रखे तो उससे लिवर को गंभीर क्षति हो सकती है. पिछले 30 वर्षों में, डॉक्टरों को यह लगने लगा है/अहसास हुआ है कि बड़ी संख्या में ऐसे रोगी हैं जो बहुत कम शराब पीते हैं या शराब नहीं पीते हैं, लेकिन फिर भी उनके लिवर में अतिरिक्त चर्बी है. इस विकार को नॉन-एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) के रूप में जाना जाता है। इस प्रकार के फैटी लिवर से लिवर में सूजन (सूजन), लिवर स्कारिंग (सिरोसिस), लिवर कैंसर, लिवर की विफलता और मृत्यु भी हो सकती है। फैटी लिवर एक बेहद सामान्य लिवर की बीमारी है और इससे 5-20 प्रतिशत तक भारतीयों के प्रभावित होने का अनुमान है।
कौन NAFLD से ग्रसित हो सकते है ?
NAFLD पुरुषों, महिलाओं और सभी उम्र के बच्चों को प्रभावित कर सकता है, मगर अधिक वजन वाले लोगों का इससे ग्रसित होना आम है. चिकनाई से भरपूर आहार, कैलोरी और फ्रुक्टोज भी फैटी लिवर रोग का कारण हो सकते हैं. भारत के शहरों में मोटापा एक खतरनाक दर से बढ़ रहा है। वर्तमान में अधिक से अधिक लोगों में मधुमेह का निदान किया जा रहा है। चूंकि मोटापा और मधुमेह फैटी लिवर के लिए प्रमुख खतरा हैं, इसलिए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले 10-20 वर्षों में इन रोगियों के मौत का एक प्रमुख कारण भीषण प्रकार का फैटी लिवर रोग बनने वाला है।
फैटी लिवर रोग के कितने चरण हैं?
फैटी लिवर आमतौर पर निम्नलिखित चरणों के माध्यम से आगे बढ़ता है:
साधारण फैटी लिवर
सूजन के साथ फैटी लिवर (NASH या नॉन-अल्कोहिलक स्टेटोहेपेटाइटिस के रूप में जाना जाता है)
फैटी लिवर जिसमे लिवर की स्कार्रिंग हो या लिवर सख्त हो जा��े (जिसे लिवर सिरोसिस भी कहा जाता है)
यह अनुमान है कि साधारण फैटी लिवर 5-20 प्रतिशत भारतीयों को प्रभावित कर सकता है। अच्छी खबर यह है कि अधिकांश साधारण फैटी लिवर से ग्रसित लोगों को गंभीर लिवर क्षति नहीं होती । फिर भी, कुछ व्यक्तियों, विशेष रूप से कई खतरों वाले कारकों, लिवर सिरोसिस की ओर अग्रसर होंगे। एक बार जब लिवर सिरोसिस विकसित हो जाता है, तो लिवर की विफलता, लिवर कैंसर और मृत्यु का प्रमुख खतरा होता है।
फैटी लिवर के क्या लक्षण हैं ?
फैटी लिवर वाले अधिकांश व्यक्तियों में कोई लक्षण नहीं होते हैं, हालांकि कुछ को लिवर के बढ़ने के कारण पेट के दाहिनी ओर दर्द का अनुभव हो सकता है। अन्य लक्षण सामान्य थकान, मतली और भूख न लगना है। एक बार सिरोसिस विकसित हो जाता है, और लिवर की विफलता की शुरुआत हो जाए, तब आँखों का पीलापन (पीलिया), पेट में पानी भरना (एडिमा), खून की उल्टी, मानसिक भ्रम और पीलिया हो सकता है।
फैटी लिवर रोग का निदान कैसे किया जाता है?
फैटी लिवर आमतौर पर रुटीन चेकअप के दौरान पाया जाता है, जब डॉक्टर को बढ़े हुए लिवर का पता चलता है। अल्ट्रासाउंड स्कैन लिवर में फैट दिखा सकती है , जब लिवर का रक्त परीक्षण सामान्य नहीं हो। कुछ नए परीक्षण "फाइब्रोस्कैन" और "फाइब्रोटेस्ट" के रूप में जाने जाते हैं जो अधिक विश्वसनीय हैं। फैटी लिवर के लिए खतरे के कारकों को पहचानना और अपने चिकित्सक के साथ वार्षिक जांच करना महत्वपूर्ण है ताकि रोग का जल्द पता चल सके।
फैटी लिवर रोग खतरनाक क्यों है?
फैटी लिवर एक मूक रोग ’है। हो सकता है की यह तब तक कोई ���क्षण न दिखाए जब तक कि स्थिति लिवर सिरोसिस और लिवर की विफलता की ओर नहीं बढ़ जाती है। प्रारंभिक चरण में इस बीमारी का पता लगाना महत्वपूर्ण है जब इसकी प्रगति को रोका जा सकता है या धीमा किया जा सकता है।
फैटी लिवर का इलाज कैसे किया जाता है?
वर्तमान में, फैटी लिवर के इलाज के लिए कोई दवा नहीं है। प्रारंभिक फैटी लिवर आमतौर पर आहार परिवर्तन, वजन घटाने, व्यायाम और मधुमेह जैसे खतरे के कारकों के नियंत्रण से आसानी से उलट जाता है। जैसे-जैसे लिवर की क्षति अधिक गंभीर होती जाती है, सिरोसिस और लिवर की विफलता विकसित हो सकती है और इस स्तर पर केवल लिवर प्रत्यारोपण से रोगी के जीवन को बचाया जा सकता है। कुछ रोगी जो मोटे हैं और जिन्हे फैटी लिवर भी है, वे वजन घटाने की (बेरिएट्रिक) सर्जरी से लाभान्वित हो सकते हैं।
फैटी लिवर के रोग को कैसे पलटें और रोकें?
अपनावजन मैनेज करें। वजन कम करें, यदि आप अधिक वजन वाले हैं (तेजी से वजन कम करने से बचें)। डाइट कार्यक्रमों से दूर रहें जो भूखे रहने की सलाह देते हैं।
प्रतिदिनकम से कम 30 मिनट व्यायाम करें।
आहारमें चिकनाई की मात्रा कम करें।
कार्बोहाइड्रेटयुक्त आहार (सफेद चावल, आलू, सफेद ब्रेड) को ना कहें। ये हमारी आंतों से जल्दी से अवशोषित हो जाते हैं/सोख लिए जाते हैं और लिवर फैट में परिवर्तित हो जाते हैं। खाद्य पदार्थ जो धीरे-धीरे अवशोषित हो जाते हैं, जैसे कि अनाज, दालें, नट्स, सेब और संतरे सहित असंसाधित फल फायदेमंद होते हैं।
फ्रुक्टोजसे भरपूर कई जूस और कार्बोनेटेड पेय पीने से बचें। इसके अलावा, बहुत ज़्यादा फल खाने से सावधान रहें।
एंटीऑक्सिडेंटजैसे सिलीमारिन, विटामिन सी और ई के कुछ लाभ हो सकते हैं। इनका उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें।
एंटीऑक्सिडेंटजैसे सिलीमारिन, विटामिन सी और ई के कुछ लाभ हो सकते हैं। इनका उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें।
वार्षिकस्वास्थ्य जांच करें। हर साल अपने लिवर  एंजाइम, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर की जाँच करें।
अगरआपको उच्च रक्तचाप और मधुमेह है, तो इसका प्रभावी उपचार करें।
अगरआप मध्यम या काम मात्रा में  शराब पीने वाले हैं, तब भी शराब का सेवन पूरी तरह से बंद करने की सलाह दी जाती है।
लिवर ट्रांसप्लांट हेल्पलाइन +91-7705002277
निष्कर्ष
फैटी लिवर महामारी का खतरा मूक है लेकिन आम लोगों के स्वास्थ्य के लिए वास्तविक है। मोटापे, मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्रॉल और उच्च रक्तचाप जैसे फैटी लिवर रोगों का खतरा भारत के शहरों में खतरनाक दर से बढ़ रहा हैं। हालाँकि शायद ही कभी इस बारे में बात की जाती है कि लिवर 500 से अधिक कार्य करता है और यह दिल से भी बड़ा काम करता है। इसलिए, लिवर के स्वास्थ्य को बनाए रखना सभी के लिए प्राथमिक चिंता का विषय होना चाहिए। ऐसा न करना मृत्युदंड जैसा है। फैटी लिवर का जल्द से जल्द इलाज कराने में सक्रिय रहें और इलाज शुरू करने के लिए इसके खराब होने का इंतजार न करें, चूँकि तब तक बहुत देर हो सकती है|
Originally Published at - https://lucknow.apollohospitals.com/
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abhay121996-blog · 4 years ago
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एम्स की नई गाइडलाइनः होम आइसोलेशन में कैसे रहे मरीज और घरवाले क्या करें Divya Sandesh
#Divyasandesh
एम्स की नई गाइडलाइनः होम आइसोलेशन में कैसे रहे मरीज और घरवाले क्या करें
देश में कोरोना की दूसरी लहर में रोजाना केस और मौत के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई नजर आ रही है। किसी में कम लक्षण तो किसी में अधिक लक्षण दिखाई दे रहे हैं। कम लक्षण वाले मरीजों को डॉक्टर होम आइसोलेशन की सलाह दी जा रही है। इस बीच नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने कोविड-19 से संबंधित होम आइसोलेशन के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जो इस प्रकार हैं:दिल्ली एम्स ने कोविड मरीजों के इलाज के नई गाइडलाइंस जारी की हैं। इसमें कोविड के मरीजों के इलाज के लिए नए सिरे से दिशा-निर्देश जारी किए हैं और साथ ही होम आइसोलेशन के दौरान किन बातों का ध्यान रखना है यह भी बताया गया है।देश में कोरोना की दूसरी लहर में रोजाना केस और मौत के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई नजर आ रही है। किसी में कम लक्षण तो किसी में अधिक लक्षण दिखाई दे रहे हैं। कम लक्षण वाले मरीजों को डॉक्टर होम आइसोलेशन की सलाह दी जा रही है। इस बीच नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने कोविड-19 से संबंधित होम आइसोलेशन के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जो इस प्रकार हैं:��ोम क्वारंटीन और होम आइसोलेशनहोम क्वारंटीनः क्वारंटीन का मतलब किसी ऐसे व्यक्ति को जो कोविड-19 संक्रमित मरीज के संपर्क में आया हो, उसे अन्य लोगों से दूर/अलग रखना है। ऐसे व्यक्ति को जब घर में रखा जाता है तो इसे होम क्वारंटीन कहते हैं।होम आइसोलेशनः आइसोलेशन का मतलब वायरस से संक्रमित को (जो कोविड-19 से बीमार हैं और वे लोग जिनमें किसी प्रकार का लक्षण नहीं है) स्वस्थ लोगों से अलग करना है। ऐसे व्यक्ति को जब घर में रखा जाता है तो उसे होम आइसोलेशन कहते हैं।होम आइसोलेशन में मरीजों के लिए जरूरी निर्देशकोरोना संक्रमित मरीज की देखभाल करने के लिए 24 घंटे किसी व्यक्ति का होना बहुत जरूरी है। देखभाल करने वाले व अस्पताल के बीच पूरे होम आइसोलेशन के दौरान संपर्क रहना जरूरी है।मरीज को साफ और हवादार अलग कमरे में रखना चाहिए, जिसमें अटैच्ड या अलग टॉइलट की सुविधा हो। यदि घर में अलग टॉइलट की सुविधा नहीं है तो सबों के द्वारा इस्तेमाल करने वाले टॉइलट को मरीज के इस्तेमाल के बाद अच्छी तरह साफ करके ही प्रयोग में लाएं।होम आइसोलेशन के दौरान मरीज अपने कमरे में ही रहे और यह ���मरा परिवार के अन्य लोगों द्वारा इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। मरीज अपने कमरे की खिड़कियां हमेशा खुली रखें, ताकि वह कमरा हमेशा हवादार रहे।होम आइसोलेशन में सफाई का इस तरह रखें पूरा ध्यानमरीज को अपने हाथों को अक्सर अच्छी तरह साबुन व पानी से कम से कम 40 सेकेंड तक धोना चाहिए या हैंड सैनिटाइजर से साफ करना चाहिए।मरीज को हर समय ट्रिपल लेयर सर्जिकल मास्क पहनकर रहना चाहिए। मास्क को हर 8 घंटों के इस्तेमाल के बाद या मास्क गीला या गंदा होने पर इसे फौरन फेंक देना चाहिए।मरीज को अपना नाक व मुंह खांसते व छींकते समय टिशू पेपर से ढकना चाहिए और इसको कूड़ेदान में फेंकना चाहिए।मास्क को 2 प्रतिशत सोडियम हाइपोक्लोराइट सॉल्यूशन या घर में इस्तेमाल होने वाले ब्लीच सॉल्यूशन में 10 मिनट रखकर और उसे किटाणु रहित करने के बाद ही एक बंद कूड़ेदान में फेंकना चाहिए।यदि मरीज के परिवार में कोई महिला गर्भवती हो, कोई सदस्य बुजुर्ग हों या अन्य किसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित हो (जैसे ब्लड प्रेशर, दिल के रोग, डायबिटिज, सांस की बीमारी, किडनी रोग, कैंसर आदि) तो अपने ठीक होने तक उसे इन लोगों से दूर रहना चाहिए।मरीज को आराम करना चाहिए। पानी या अन्य लिक्विड पदार्थ लेना चाहिए। नियमित रूप से 3-4 बार सादा व पौष्टिक खाना खाएं।मरीज घर की अन्य वस्तुओं जैसे पानी के ग्लास, कप, खाने के बर्तन, तौलिया, बिस्तर या अन्य सामान का एक-दूसरे के साथ सामूहिक प्रयोग न करें।ऐसे करें अपने स्वास्थ्य की देखभाल मरीज खुद हर रोज सुबह न रात को या जब कभी उसे बुखार महसूस हो, अपने तापमान की जांच करें या देखभाल करने वाले की मदद लें। यदि मरीज क�� तापमान की जांच देखभाल करने वाला कर रहा है तो उसे पहले हाथ धोकर मास्क व डिस्पोजल ग्लव्स पहनने चाहिए। तापमान जांच के बाद ग्लव्स उतारकर हाथ जरूर धोने चाहिए।प्रतिदिन दो बार मरीज अपने प्लस या नब्ज और सांस लेने की गति की जांच अवश्य करें।यदि मरीज का तापमान 100 डिग्री फारेनहाइट (37.8 डिग्री सेल्सियस) से ज्यादा है और पल्स की धड़कन 100 प्रति मिनट से ज्यादा है, यदि अन्य लक्षण (जैसे खांसी, बुखार या सांस लेने में परेशानी महसूस हो) तो मरीज के बारे में फौरन डॉक्टर से संपर्क करेंहोम आइसोलेशन की अवधि में धूम्रपान व शराब का सेवन न करें।डॉक्टर की ओर से बताई गई दवाइयों का सेवन करें।अपने घर व सामान को इस तरह करें डिसइन्फेक्टसफाई और डिसइन्फेक्ट करने समय डिस्पोजल ग्लव्ज और मास्क का इस्तेमाल करें।डिस्पोजल मास्क को कभी दोबारा इस्तेमाल न करें।वो मास्क जो मरीज, देखभाल करने वाले या नजदीक रहने वाले व्यक्त ने इस्तेमाल किए हैं, उनको घर में इस्तेमाल होने वाले ब्लीच सॉल्यूशन में 10 मिनट भिगोकर रखें, उसके बाद साबुन व पानी से धोएं।होम आइसोलेशन में मरीज की देखभाल करने वालों के लिए निर्देश1. मरीज की देखभाल करने के लिए एक निश्चित व्यक्ति को ही काम पर लगाएं। देखभाल करने वाला व्यक्ति जब बीमार के साथ हो तो उसे ट्रिपल लेयर मास्क सही तरीके से अवश्य पहनना चाहिए। इस्तेमाल के समय मास्क के सामने वाले भाग को छूना नहीं चाहिए। यदि मास्क गीला या गंदा हो जाता है तो उसे फौरन फेंक दें। मास्क को फेंकने के बाद अपने हाथों को साबुन व पानी से धोएं।2. देखभाल करने वाले को अपने चेहरे, नाक व मुंह को छूने से बचना चाहिए।3. मरीज या उसके आसपास की वस्तुओं के संपर्क में आने के बाद हाथों की सफाई सुनिश्चित करें। अपने हाथों को साबुन व पानी से कम से कम 40 सेकेंड तक धोएं।4. यह सुनिश्चित करें कि देखभाल करने वाला सदस्य स्वस्थ हो। वह किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित न हो (जैसे ब्लड प्रेशर, दिल के रोग, डायबिटिज, सांस की बीमारी, कैंसर, किडनी रोग आदि)।5. मरीज के शरीर से निकलने वाले किसी भी तरह के फ्लूड्स खासतौर पर मुंह व सांस संबंधित स्राव जैसे थूक, लार व छींक के सीधे संपर्क में आने से बचें। मरीज की देखभाल करते समय डिस्पोजल ग्लव्स पहनें।6. मरीज द्वारा इस्तेमाल की गई वस्तुओं जैसे ब्रश, बर्तन, बिस्तर, इस्तेमाल किए हुए तौलिये के सीधे संपर्क में आने से बचें।7. होम आइसोलेशन में मरीज के तापमान की जांच, मरीज की देखभाल करने वाले को मास्क और ग्लव्स पहनकर करना चाहिए। मरीज की देखभाल करने वालों और उसके नजदीक रहने वालों को अपने तापमान की जांच व अन्य लक्षण (जैसे खांसी, बुखार, गले में खराश, नाक बहना या सांस लेने में परेशानी) की हर रोज निगरानी करनी चाहिए।इतनी होती है होम आइसोलेशन की अवधि…होम आइसोलेशन किए गए मरीज को लक्षण शुरू होने के 10 दिन बाद और जब 3 दिन तक बुखार न रहा हो, डिस्चार्ज किया जाएगा। उसके बाद मरीज को घर में आइसोलेट होने की सलाह दी जाएगी। अपने स्वास्थ्य की 7 और दिन तक निगरानी करनी होगी। होम आइसोलेशन की अवधि पूरी होने के बाद टेस्ट कराने की आवश्यकता नहीं होगी।
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omthedevinename · 4 years ago
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अपने दांतों का ख्याल कैसे रखना चाहिए, जानें दांतों के स्वास्थ्य से जुड़ी सभी ��ातें विस्तार से
बड़े बुजुर्ग कहते हैं जिंदगी का मजा तभी तक है, जब तक आपके दांत सलामत हैं। इस बात को कहने के पीछे तर्क ये है कि दांत न रहने पर ऐसी बहुत सारे खाने की चीजें हैं, जिनका मजा आप नहीं ले पाते हैं। दांत खाना चबाने में मदद करने के साथ-साथ हमारी खूबसूरती भी बढ़ाते हैं। इन सब बातों को जानने के बाद भी अक्सर लोग दांतों के स्वास्थ्य के प्रति उतने सजग नहीं होते हैं, जितना उन्हें होना चाहिए।
आपको जानकर हैरानी होगी कि दांतों के स्वास्थ्य का सीधा संबंध आपके दिल से भी है। इसलिए कई तरह की रिसर्च में वैज्ञानिकों ने इस बात का दावा किया है कि जो लोग अपने दांतों को गंदे रखते हैं या जिन्हें मसूड़ों से जुड़े रोग होते हैं, उनमें हार्ट अटैक और दूसरी दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
हम सभी को दांतों से जुड़ी कोई न कोई समस्‍या होती ही रहती है। लेकिन, कम लोग ही छोटी-मोटी समस्‍या के लिए दंत विशेषज्ञ के पास जाते हैं। इस अनदेखी के कारण ही कई बार छोटी-छोटी बीमारियां भी गंभीर हो जाती हैं। अगर आप दांतों की सही देखभाल करें और हर छह महीने में अपने दांतों का नियमित चेकअप करवायें तो समस्‍याओं को समय रहते रोका जा सकता है।
दांतों में ठंडा-गरम लगना, कैविटी (कीड़ा लगना), पायरिया, मुंह से बदबू आना और दांतों का बदरंग होना जैसी बीमारियां सबसे सामान्‍य देखी जाती हैं। अधिकतर लोग इनमें से किसी न किसी परेशानी से दो-चार होते रहते हैं। आइये जानते हैं कि इन परेशानियों के कारण क्‍या हैं और इनसे कैसे बचा जा सकता है।  
क्‍यों लगता है ठंडा गरम 
दांत टूटने, नींद में किटकिटाने, दांतों के घिसने के बाद, मसूड़ों की जड़ें नजर और कैविटी के कारण दांतों में ठंडा-गरम लगने लगता है। इसके साथ ही ब्रश करते समय दांतों पर ज्‍यादा जोर डालने से भी दांत घिस जाते हैं और बहुत ज्‍यादा संवेदनशील हो जाते हैं। 
बचाव के लिए क्या करें- ब्रश करते समय दांतों पर ज्‍यादा दबाव न डालें। और साथ ही दांतों को पीसने से बचें। 
क्‍या है इलाज 
इस समय का इलाज इस बात पर तय होता है कि आखिर आपको दांतों में ठंडा गरम लगने ��े पीछे कारण क्‍या है। फिर भी डॉक्‍टर खास टूथपेस्‍ट इस्‍तेमाल करने की सलाह देते हैं। आप डॉक्‍टरी सलाह के बिना भी बाजार में मिलने वाले सें‍सेटिव टूथपेस्‍ट इस्‍तेमाल कर सकते हैं। हालांकि, अगर दो से तीन महीने पेस्‍ट करने के बाद भी आपको आराम न मिले तो आपको डॉक्‍टर को दिखाना चाहिये। 
इसे भी पढ़ें:- ज्यादा टूथपेस्ट भी दांतों के लिए है खतरनाक, जानें कितना और कैसे करना चाहिए टूथपेस्ट का प्रयोग
दांत में कीड़ा लगना 
कई बार दांतों की सही प्रकार से देखभाल नहीं करने पर दांतों में सुराख हो जाता है और इस वजह से यह समस्‍या होती है। इसके साथ ही मुंह में बनने वाला एसिड भी इसके लिए जिम्‍मेदार होता है। हमारे मुंह में बैक्‍टीरिया जरूर होते हैं। और जब खाने के बाद जब हम कुल्‍ला नहीं करते तो ये बैक्‍टीरिया मुंह में ही रह जाते हैं। इन परिस्थितियों में भोजन के कुछ ही देर बाद यह बैक्‍टीरिया मीठे या स्‍टार्च वाली चीजों को स्‍टार्च में बदल देते हैं। बैक्टीरिया युक्‍त यह एसिड और मुंह की लार मिलकर एक चिपचिपा पदार्थ (प्लाक) बनाते हैं। यह चिपचिपा पदार्थ दांतों के साथ चिपककर दांतों और मसूड़ों को नुकसान पहुंचाने लगता है। प्लाक का बैक्टीरिया जब दांतों में सुराख यानी कैविटी कर देता है तो इसे ही कीड़ा लगना अर्थात कैरीज कहते हैं। 
कैसे बचें 
इस समस्‍या से बचने के लिए जरूरी है कि आप रात को जरूर ब्रश करके सोयें। इसके साथ मीठी या स्‍टार्च वाली चीजें कम खायें। इन चीजों के सेवन से आपके दांतों पर बुरा असर पड़ता है। खाने के बाद ब्रश या कुल्‍ला जरूर करें। अपने दांतों की साफ-सफाई का पूरा ध्‍यान रखें। 
कैसे करें पहचान 
क्‍या आपकें दांत अब चमचमाते नहीं हैं। क्‍या आपको दांतों पर भूरे और काले धब्‍बे नजर आने लगे हैं। भोजन आपके दांतों में फंसने लगा है। ठंडा - गरम लगता है, तो यह सब कैविटी के लक्षण हैं। आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिये। अगर आप जल्‍द ही इस समस्‍या की ओर ध्‍यान देंगे तो कैविटी को रोका जा सकता है। 
जल्‍द पायें राहत 
दांतों में दर्द होने पर सामान्‍य दर्द निवारक दवाओं का सेवन किया जा सकता है। आप पैरासिटामोल , एस्प्रिन , इबो - प्रोफिन आदि का सेवन कर सकते हैं। कुदरती इलाज के तौर पर दांतों में लौंग या उसका तेल भी लगाया जा सकता है। इससे मसूड़ों का दर्द कम हो जाता है। हां, दर्द दूर होने के बाद इसे भूल न जाएं। आपको डॉक्‍टर के पास जाकर फिलिंग जरूर करवानी चाहिये। 
फिलिंग है जरूरी 
फिलिंग करवाये बिना दांतों में ठंडा-गरम और खट्टा मीठा लगता रहता है। इसके बाद आपको दांतों में दर्द भी हो सकता है। समस्‍या अधिक हो जाए तो पस भी बन सकती है। और आगे चलकर आपको रूट कनाल करवाना पड़ सकता है। इसलिए फिलिंग करवाने में देरी न करें। 
सांस में बदबू 
मसूड़ों और दांतों की अगर सही प्रकार सफाई न की जाए, तो उनमें सड़��� और बीमारी के कारण सांसों में बदबू हो सकती है। कई बार खराब पेट या मुंह की लार का गाढ़ा होना भी इसकी वजह होती है। प्याज और लहसुन आदि खाने से भी मुंह से बदबू आने लगती है। 
इलाज: लौंग , इलायची चबाने से इससे छुटकारा मिल जाता है। थोड़ी देर तक शुगर - फ्री च्यूइंगगम चबाने से मुंह की बदबू के अलावा दांतों में फंसा कचरा निकल जाता है और मसाज भी हो जाती है। इसके लिए बाजार में माउथवॉश भी मिलते हैं। 
पायरिया 
मुंह से बदबू आने लगे, मसूड़ों में सूजन और खून निकलने लगे और चबाते हुए दर्द होने लगे तो पायरिया हो सकता है। पायरिया होने पर दांत के पीछे सफेद - पीले रंग की परत बन जाती है। कई बार हड्डी गल जाती है और दांत हिलने लगता है।पायरिया की मूल वजह दांतों की ढंग से सफाई न करना है। 
इलाज: पायरिया का सर्जिकल और नॉन सर्जिकल दोनों तरह से इलाज होता है। शुरू में इलाज कराने से सर्जरी की नौबत नहीं आती। क्लीनिंग , डीप क्लीनिंग ( मसूड़ों के नीचे ) और फ्लैप सर्जरी से पायरिया का ट्रीटमंट होता है। 
दांत निकालना कब जरूरी 
दांत अगर पूरा खोखला हो गया हो , भयंकर इन्फेक्शन हो गया हो , मसूड़ों की बीमारी से दांत हिल गए हों या बीमारी दांतों की जड़ तक पहुंच गई हो तो दांत निकालना जरूरी हो जाता है। 
ब्रश करने का सही तरीका 
यों तो हर बार खाने के बाद ब्रश करना चाहिए लेकिन ऐसा हो नहीं पाता। ऐसे में दिन में कम - से - कम दो बार ब्रश जरूर करें और हर बार खाने के बाद कुल्ला करें। दांतों को तीन - चार मिनट ब्रश करना चाहिए। कई लोग दांतों को बर्तन की तरह मांजते हैं , जोकि गलत है। इससे दांत घिस जाते हैं। आमतौर पर लोग जिस तरह दांत साफ करते हैं , उससे 60-70 फीसदी ही सफाई हो पाती है। दांतों को हमेशा सॉफ्ट ब्रश से हल्के दबाव से धीरे - धीरे साफ करें। मुंह में एक तरफ से ब्रशिंग शुरू कर दूसरी तरफ जाएं। बारी - बारी से हर दांत को साफ करें। ऊपर के दांतों को नीचे की ओर और नीचे के दांतों को ऊपर की ओर ब्रश करें। दांतों के बीच में फंसे कणों को फ्लॉस ( प्लास्टिक का धागा ) से निकालें। इसमें 7-8 मिनट लगते हैं और यह अपने देश में ज्यादा कॉमन नहीं है। दांतों और मसूड़ों के जोड़ों की सफाई भी ढंग से करें। उंगली या ब्रश से धीरे - धीरे मसूड़ों की मालिश करने से वे मजबूत हो���े हैं। 
जीभ की सफाई जरूरी: जीभ को टंग क्लीनर और ब्रश , दोनों से साफ किया जा सकता है। टंग क्लीनर का इस्तेमाल इस तरह करें कि खून न निकले। 
कैसा ब्रश सही: ब्रश सॉफ्ट और आगे से पतला होना चाहिए। करीब दो-तीन महीने में या फिर जब ब्रसल्स फैल जाएं , तो ब्रश बदल देना चाहिए। 
टूथपेस्ट की भूमिका 
दांतों की सफाई में टूथपेस्ट की ज्यादा भूमिका नहीं होती। यह एक मीडियम है , जो लुब्रिकेशन , फॉमिंग ��र फ्रेशनिंग का काम करता है। असली एक्शन ब्रश करता है। लेकिन फिर भी अगर टूथपेस्ट का इस्तेमाल करें , तो उसमें फ्लॉराइड होना चाहिए। यह दांतों में कीड़ा लगने से बचाता है। पिपरमिंट वगैरह से ताजगी का अहसास होता है। टूथपेस्ट मटर के दाने जितना लेना काफी होता है। 
इसे भी पढ़ें:- दांतों की सेंसिविटी से छुटकारा पाना है, तो ब्रश करते समय ध्यान रखें ये 5 बातें
पाउडर और मंजन
टूथपाउडर और मंजन के इस्तेमाल से बचें। टूथपाउडर बेशक महीन दिखता है लेकिन काफी खुरदुरा होता है। टूथपाउडर करें तो उंगली से नहीं , बल्कि ब्रश से। मंजन इनेमल को घिस देता है। 
दातुनः नीम के दातुन में बीमारियों से लड़ने की क्षमता होती है लेकिन यह दांतों को पूरी तरह साफ नहीं कर पाता। बेहतर विकल्प ब्रश ही है। दातुन करनी ही हो तो पहले उसे अच्छी तरह चबाते रहें। जब दातुन का अगला हिस्सा नरम हो जाए तो फिर उसमें दांत धीरे - धीरे साफ करें। सख्त दातुन दांतों पर जोर - जोर से रगड़ने से दांत घिस जाते हैं। 
माउथवॉशः मुंह में अच्छी खुशबू का अहसास कराता है। हाइजीन के लिहाज से अच्छा है लेकिन इसका ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। 
नींद में दांत पीसना 
वजह: गुस्सा , तनाव और आदत की वजह से कई लोग नींद में दांत पीसते हैं। इससे आगे जाकर दांत घिस जाते हैं।
बचाव: नाइटगार्ड यूज करना चाहिए। 
स्केलिंग और पॉलिशिंग 
दांतों पर जमा गंदगी को साफ करने के लिए स्केलिंग और फिर पॉलिशिंग की जाती है। यह हाथ और अल्ट्रासाउंड मशीन दोनों तरीकों से की जाती है। चाय - कॉफी , पान और तंबाकू आदि खाने से बदरंग हुए दांतों को सफेद करने के लिए ब्लीचिंग की जाती है। दांतों की सफेदी करीब डेढ़ - दो साल टिकती है और उसके बाद दोबारा ब्लीचिंग की जरूरत पड़ सकती है। 
चेकअप कब कराएं 
अगर कोई परेशानी नहीं है तो कैविटी के लिए अलग से चेकअप कराने की जरूरत नहीं है लेकिन हर छह महीने में एक बार दांतों की पूरी जांच करानी चाहिए। 
मुस्कुराते रहें 
मुस्कराहट और अच्छे व खूबसूरत दांतों के बीच दोतरफा संबंध है। सुंदर दांतों से जहां मुस्कराहट अच्छी होती है , वहीं मुस्कराहट से दांत अच्छे बनते हैं। तनाव दांत पीसने की वजह बनता है , जिससे दांत बिगड़ जाते हैं। तनाव से एसिड भी बनता है , जो दांतों को नुकसान पहुंचाता है। 
* बच्चों के दांतों की देखभाल 
* छोटे बच्चों के मुंह में दूध की बोतल लगाकर न सुलाएं। 
* चॉकलेट और च्यूइंगम न खिलाएं। खाएं भी तो तुरंत कुल्ला करें। 
* बच्चे को अंगूठा न चूसने दें। इससे दांत टेढ़े - मेढ़े हो जाते हैं। 
* डेढ़ साल की उम्र से ही अच्छी तरह ब्रशिंग की आदत डालें। 
* छह साल से कम उम्र के बच्चों को फ्लोराइड वाला टूथपेस्ट न दें। 
साभार
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chaitanyabharatnews · 5 years ago
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देश में हर 10 में से एक व्यक्ति थायरॉइड का शिकार, जानें इसका कारण, लक्षण और बचाव के तरीके
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चैतन्य भारत न्यूज थायरॉइड इन दिनों एक आम बीमारी बन गई है। देश में लगभग एक तिहाई लोगों में थायरॉइड की समस्या देखने को मिलती है। इंडियन थायरॉइड सोसाइटी के मुताबिक, भारत में हर दस में से एक व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित है। आईटीसी की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, 32 फीसदी भारतीयों में थायरॉइड का स्तर सामान्य पाया जाता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में थायरॉइड का खतरा 10 गुना ज्यादा होता है। महिलाओं में ऑटो इम्यून प्रॉब्लम की बढ़ती समस्या इसका मुख्य कारण है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); थायरॉइड गले में तितली के आकार की एक एंडोक्राइन ग्लैंड है जो गले के निचले हिस्से में सामने की ओर मौजूद होता है। यह हमारे शरीर के मेटाबॉलिज्म को संतुलित बनाए रखने में मदद करत है। इस ग्लैंड से निकलने वाले हार्मोन खून के साथ मिलकर हमारे पूरे शरीर पर असर करते हैं। ये हार्मोन हमारे मेटाबॉलिज्म, हार्ट फंक्शन, हड्डी, त्वचा और आंतों के कार्य को सही बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होते हैं। यदि यह ग्लैंड थायरॉइड हार्मोन्स को ठीक से बनाने में सक्षम नहीं रहते हैं, तो यह शरीर के लिए समस्या बन जाती है। इसमें मौजूद हार्मोन टी3, टी4 और टीएसएच का स्तर कम या ज्यादा होने से समस्या होती है। मेटाबॉलिज्म हमारे शरीर के तापमान, कैलोरी की खपत, दिल की धड़कनें आदि को प्रभावित करता है इसलिए इसका सही रूप से काम करना भी बहुत जरूरी है, जो थायरॉइड की समस्या के साथ संभव नहीं है। शुरुआती स्तर पर तो थायरॉइड के कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं और यही कारण है कि धीरे-धीरे यह एक गंभीर समस्या बन जाती है। ये हैं थायरॉइड के लक्षण मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द गर्दन में सूजन बालों और त्वचा की समस्या पेट खराब होना हार्मोनल बदलाव मोटापा थकान, अवसाद या घबराहट बच्चों को थायरॉइड होने का कारण बच्चों में जब थायरॉइड की समस्या होती है तो उसके लिए माता-पिता जिम्मेदार होते हैं। यदि मां को गर्भावस्था के दौरान थायरॉइड है तो बच्चों में थायरॉइड होने की आशंका ज्यादा बढ़ जाती है। इसके अलावा मां के खानपान से भी बच्चों के सारे फंक्शन प्रभावित होते हैं। यदि गर्भावस्था के दौरान मां के डाइट चार्ट में आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों का अभाव है तो इसका असर शिशु पर पड़ता है। वैसे तो बड़ो, किशोर और बच्चों में थायरॉइड के लक्षण सामान्य होते हैं लेकिन अगर बच्चों में यह होता है तो इससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होता है। कैसे होती है थायरॉइड की जांच? थायरॉइड की जांच ब्लड टेस्ट के जरिए की जाती है। शुरुआती चरण में इसकी पहचान होने पर इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है, लेकिन यदि समय पर निदान नहीं किया गया तो मरीज का स्वास्थ्य भी बिगड़ता चला जाता है। थायरॉइड से बचाव नियमित रूप से फल और हरी सब्जियों का सेवन करें। इससे थायरॉइड संतुलित रहता है। टमाटर और हरी मिर्च थायरॉइड को नियंत्रण करने में कारगर है। इसलिए अपने आहार में इन चीजों को जरूर शामिल करें। अदरक भी इस समस्या से निजात दिलाता है। अदरक में मौजूद पोटेशियम और मैग्नीशियम की प्रचुर मात्रा और इसका एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण थायरॉइड को बढ़ने से रोकता है। थायरॉइड का इलाज थायरॉइड को ऐसे उपचार की आवश्यकता है जो थायरॉइड से निकलने वाले हार्मोन को संतुलित रखने में कारगर हो। इसके शुरुआती इलाज के लिए दवाओं का सहारा लिया जाता है। लेकिन यदि यह समस्या गंभीर है तो सर्जरी की मदद से हार्मोन्स को संतुलित रखने की कोशिश की जाती है। थायरॉइड की किसी भी समस्या के शुरू होने पर इसका सही समय पर इलाज शुरू करना बेहद जरूरी है। डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं को समय पर लें। गर्भवती महिलाओं के लिए भी बेहद जरूरी है कि वह समय-समय पर स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह से थायरॉइड की जांच कराती रहें। इन चीजों से करें परहेज यदि आप थायरॉइड के मरीज हैं तो आप अपने आहार में तली-भुनी चीजों को बिल्कुल भी ना शामिल करें। ज्यादा चीनी या मीठी चीजों का सेवन करने से बचें। पत्ता गोभी और ब्रोकली से परहेज करें। ग्लूटेनयुक्त खाद्य पदार्थों से भी परहेज करें, क्योंकि इसमें ऐसे प्रोटीन होते हैं जो इम्यून सिस्टम को कमजोर करते हैं। कैफीन में मौजूद एपिनेफ्रीन और नोरेपिनेफ्रीन थायरॉइड को नियंत्रित करते हैं। ये भी पढ़े... ध्यान न देने पर बढ़ता ही जाता है मोटापा, जानिए इसके प्रमुख कारण टीवी-मोबाइल की ��िरफ्त में 80% बच्चों को मोटापा, हो रहे फैटी लिवर जैसी कई गंभीर बीमारियों के शिकार घी छोड़ने से नहीं बल्कि इसे खाने से कम होता है मोटापा, जानिए इसके फायदे Read the full article
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selfcarehealth · 4 years ago
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Get Healthier With a Mental Reset
स्वस्थ रहने का निर्णय लेने में अक्सर महत्वपूर्ण कदम शामिल होते हैं जैसे कि वजन कम करना और अधिक व्यायाम करना। ये महत्वपूर्ण लक्ष्य और रोजमर्रा की जीवनशैली की आदतें हैं, जिनके लिए आपको प्रतिबद्ध होना चाहिए। लेकिन "मेकओवर" का एक और प्रकार है जो आपको समान रूप से महत्वपूर्ण तरीकों से लाभान्वित कर सकता है।
यह सकारात्मकता को बढ़ाकर जीवन पर आपके सामान्य दृष्टिकोण को बदल रहा है। यह मानसिक ट्विक आपको आपके शारीरिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए दिमाग के बेहतर फ्रेम में डाल देगा। यहाँ कैसे शुरू करने के लिए है।
अपने जीवन में अधिक अर्थ खोजने के तरीकों की तलाश करें। आप अपनी नौकरी बदलने में सक्षम नहीं हो सकते हैं, लेकिन आप काम की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो सकते हैं जो आपको उद्देश्य की एक मजबूत भावना देते हैं। यदि व्यक्तिगत और व्यावसायिक प्रतिबद्धताएँ आपके पास एक लाख दिशाओं में चल रही हैं, जिनमें से कोई भी भावनात्मक रूप से पुरस्कृत नहीं करता है, तो अपने दायित्वों को पुनः निर्धारित करें और जहाँ आप कर सकते हैं उसे वापस करने का आश्वासन दें। उन कार्यों को प्राथमिकता दें जो आपको एक मजबूत उपलब्धि प्रदान करते हैं।
अगला, पहचानें कि आपके लक्ष्यों तक पहुंचने के रास्ते में क्या है। यह जटिल नहीं हो सकता है। हो सकता है कि आप बेहतर खाना चाहते हैं और अधिक व्यायाम करते हैं, लेकिन आप पूरे भोजन को पकाने या जिम जाने का समय नहीं बनाते हैं। फिर से, प्राथमिकता दें और यह सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई करें कि आपके लिए क्या महत्वपूर्ण है। अटकने के बहाने के रूप में बाधाओं का उपयोग न करें।
और क्योंकि लोग तुरंत संतुष्टि चाहते हैं, अपने आप को एक बदलाव देकर बढ़ावा दें जो आप तुरंत प्राप्त कर सकते हैं, बर्कले वेलनेस के विशेषज्ञों का सुझाव दें। विचारों में प्रत्येक दिन कुछ मिनटों का ध्यान करना, अपने कदमों को अपने स्मार्टफोन पर देखना या काम पर हर घंटे 2 मिनट खड़े रहना शामिल है। ये बच्चे के कदम हैं जिनसे आप तनाव कम कर सकते हैं, अधिक सक्रिय हो सकते हैं और अपने स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं।
स्लीप एपनिया मधुमेह नेत्र रोग से जुड़ा हुआ है
गंभीर नींद की बीमारी मधुमेह नेत्र रोग के लिए एक जोखिम कारक है जो दृष्टि हानि और अंधापन का कारण बन सकता है, शोधकर्ताओं की रिपोर्ट।
डायबिटीज के खराब नियंत्रण के परिणामस्वरूप आंख के पीछे ��ोटी रक्त वाहिकाओं को नुकसान हो सकता है, एक स्थिति जिसे डायबिटिक रेटिनोपैथी कहा जाता है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका में अंधेपन का एक प्रमुख कारण है।
कुछ मामलों में, छोटे उभार रक्त वाहिकाओं से फैलते हैं और द्रव और रक्त को रेटिना में रिसाव करते हैं। यह द्रव रेटिना के एक क्षेत्र में सूजन (एडिमा) पैदा कर सकता है जो स्पष्ट दृष्टि को सक्षम करता है और इसे मैक्यूलर एडिमा कहा जाता है।
इस अध्ययन में, ताइवान के शोधकर्ताओं ने ताइपे के चांग गंग मेमोरियल अस्पताल में आठ वर्षों में 51 रोगियों के डेटा की जांच की।
उन्होंने पाया कि डायबिटिक मैक्युलर एडिमा वाले मरीजों में आंखों की स्थिति (45.5%) की तुलना में गंभीर स्लीप एपनिया की उच्च दर (80.6%) थी।
अध्ययन के अनुसार, स्लीप एपनिया जितना खराब होता है, उतनी ही गंभीर मैक्यूलर एडिमा होती है।
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि गंभीर स्लीप एपनिया अधिक आम मरीज थे जिन्हें अपने मैक्यूलर एडिमा को नियंत्रित करने के लिए अधिक उपचार की आवश्यकता होती है। अध्ययन के अनुसार इन रोगियों को कम से कम तीन चिकित्सा या लेजर थेरेपी उपचार की आवश्यकता थी। इसे सोमवार को सैन फ्रांसिस्को में अमेरिकन एकेडमी ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी (AAO) की वार्षिक बैठक में प्रस्तुत किया जाना था।
एएओ समाचार विज्ञप्ति में कहा गया है कि इन परिणामों के आधार पर, हमें उम्मीद है कि अधिक चिकित्सा पेशेवर मधुमेह अपच संबंधी बीमारी के लिए स्लीप एपनिया के जोखिम कारक के रूप में संपर्क करेंगे।
"यह पहले चिकित्सा हस्तक्षेप के लिए अनुमति दे सकता है ताकि मरीज अपनी दृष्टि को अधिक रख सकें और अपने समग्र स्वास्थ्य को यथासंभव सुरक्षित रख सकें," चियांग ने कहा।
स्लीप एपनिया वाले लोग बार-बार रुकते हैं और रात में सांस लेना शुरू कर देते हैं, जिससे उनकी नींद बाधित होती है और रक्त ऑक्सीजन का स्तर गिर जाता है।
रक्त में ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट से शरीर में रक्त वाहिका क्षति हो सकती है, जिससे उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा, स्ट्रोक और टाइप 2 मधुमेह के जोखिम वाले स्लीप एपनिया वाले लोगों में परिवर्तन हो सकता है।
वैज्ञानिक बैठकों में प्रस्तुत निष्कर्ष प्रारंभिक-समीक्षात्मक पत्रिका में प्रकाशित होने तक प्रारंभिक माना जाता है।
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womenscreenings · 4 years ago
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आपके लिए निवारक देखभाल कार्य कैसे करें
आपको फ़्लू शॉट मिल जाता है, इसलिए आपको सर्दियों में सोने की आदत नहीं है। आप यह सुनिश्चित करने के लिए अपने कोलेस्ट्रॉल के स्तर की जाँच करवाएँ कि वे आपके हृदय को प्रभावित नहीं करेंगे। आप कैविटी को रोकने में मदद करने के लिए डेंटिस्ट के पास जाएँ। निवारक देखभाल आपके स्वास्थ्य का प्रबंधन करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चरणों में से एक है।
अपने स्वास्थ्य के शीर्ष पर बने रहने से आप अच्छा महसूस कर सकते हैं, बीमारी से बच सकते हैं और बड़ी समस्या बनने से पहले मुद्दों को पकड़ सकते हैं। जब किसी स्थिति का निदान जल्दी हो जाता है, तो आमतौर पर इसका इलाज आसान होता है। और नियमित जांच से आपको और आपके स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता को उन जीवनशैली परिवर्तनों की पहचान करने में मदद मिल सकती है जो आप कुछ स्थितियों से बचने ��े लिए कर सकते हैं।
दो मुख्य चीजें हैं जो आपकी निवारक देखभाल के साथ मिल सकती हैं: अपने स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता को पसंद नहीं करना और निवारक स्वास्थ्य देखभाल नियुक्तियों के माध्यम से पालन करने के लिए पर्याप्त समय नहीं देना।
आपको अपनी निवारक देखभाल के शीर्ष पर बने रहने के लिए इन चीजों को स्क्वैश करने में मदद करने के लिए, यहाँ पर कुछ मार्गदर्शन है कि आप किस तरह से स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर को प्यार करते हैं और उन्हें देखने का समय कैसे बना सकते हैं।
कैसे एक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर खोजने के लिए जो आपकी आवश्यकताओं को पूरा करता है सही स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर एक सफल निवारक देखभाल दिनचर्या का हिस्सा है। आपको आश्चर्य नहीं होना चाहिए, "क्या यह मेरे लिए सही स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता है?" स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर को देखकर आप सवाल कर रहे हैं कि आपके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। हां, वे एक सफेद कोट और स्टेथोस्कोप पहन सकते हैं, अपनी माँ से प्यारे हो सकते हैं और फैंसी मेडिकल डिग्री पकड़ सकते हैं- लेकिन वे आपके लिए सही नहीं हो सकते हैं।
आप अपने सपने की स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर को खोजने के लिए इसका श्रेय खुद को देते हैं। यह विशेष रूप से सच है जब यह एक व्यवसायी है जिसे आप और आपका परिवार अक्सर देखते हैं, जैसे कि प्रसूति / स्त्री रोग विशेषज्ञ या प्राथमिक देखभाल प्रदाता। यहां कुछ संकेत दिए गए हैं जो आगे बढ़ने और एक नई स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर खोजने का समय है।
कार्यालय गंदा या गंदा है। आप कीटाणुओं को नहीं देख सकते हैं, लेकिन एक कार्यालय जो बिना दिखता है और आपको एक बुरा वाइब देता है इसका मतलब यह हो सकता है कि इसे ठीक से पवित्र नहीं किया जा रहा है।
आपकी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर दूसरी राय का विरोध करती है। एक अच्छी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर को आपके निदान और उपचार योजना को दोबारा जांचने के बारे में खुला और आश्वस्त होना चाहिए। आप दूसरी राय के हकदार हैं।
कार्यालय अब आपके बीमा को स्वीकार नहीं करता है। यदि आप अपने प्रदाता के साथ शुरू करने के बारे में दूसरे विचार कर रहे हैं, तो अब आपके बीमा को स्वीकार करने वाले व्यक्ति को देखने का समय हो सकता है।
यात्राओं से पहले आपके पास अक्सर एक लंबा इंतजार होता है। यदि आप बार-बार महीनों के इंतजार या घंटों इंतजार करते हैं, तो यह आपके रिश्ते को नुकसान प��ुंचा सकता है।
आपका स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर एंटीबायोटिक दवाओं का अधिक सेवन करता है। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका में तीन एंटीबायोटिक नुस्खों में से एक अनावश्यक है। यदि वे अनुचित तरीके से उपयोग किए जाते हैं तो ये जीवनदायी दवाएं अपनी प्रभावशीलता खो सकती हैं।
आपकी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर आपकी बात नहीं सुन रही है। जब वे फ़ाइलों में जानकारी दर्ज कर रहे हों या आपके चार्ट को स्कैन कर रहे हों, तब भी उन्हें अच्छी नज़र, संपर्क बनाए रखना और आपका सामना करना चाहिए।
आपका स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर आदेश भी कई परीक्षण करता है। उन्हें ��ही करना चाहिए जो आपके हित में हो। यदि किसी नए स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर को खोजने का समय है, तो इसके बारे में और जानें।
स्क्रीनिंग शेड्यूल करने का समय कैसे तय करें
खुद का ख्याल रखना स्वार्थी या खुदगर्ज नहीं है। अपने स्वयं के स्वास्थ्य और भलाई पर ध्यान केंद्रित करने से आपका तनाव कम होगा, न कि इससे जोड़ें। आपके स्वास्थ्य और आपके परिवार का प्रबंधन गैर-परक्राम्य है।
एक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर खोजें जो आप दिन-प्रतिदिन की समस्याओं के लिए नियमित रूप से देख सकते हैं और जो ज़रूरत पड़ने पर विशेषज्ञों के साथ आपकी देखभाल के समन्वय में मदद कर सकते हैं। आप अपने बच्चों के साथ एक परिवार के स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता को साझा करने पर विचार कर सकते हैं। यह एक घरेलू वायरस के इलाज के लिए सरल बनाता है या उस दिल की स्थिति पर नज़र रखता है जिसे आपने अपनी बेटी को दिया था। यहां तक ​​कि अगर आप अपने स्वयं के स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर को रखते हैं, तो अपने बच्चों के चेकअप को बुक करते समय अपनी कल्याण परीक्षा का शेड्यूल करें।
स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर का चयन करते समय, कुछ बुनियादी नीतियों की गुंजाइश रखें: चाहे एक ही दिन की यात्रा करना संभव हो, कितने समय तक रोगियों को आमतौर पर एक रूटीन चेकअप के लिए इंतजार करना पड़ता है और क्या आप उन नियुक्तियों को बना सकते हैं और अपने रिकॉर्ड को ऑनलाइन एक्सेस कर सकते हैं। स्क्रीनिंग शेड्यूल करने के लिए समय निकालकर देखें।
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gethealthy18-blog · 5 years ago
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रेड वाइन के 16 फायदे, उपयोग और नुकसान – Red Wine Benefits and Side Effects in Hindi
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रेड वाइन के 16 फायदे, उपयोग और नुकसान – Red Wine Benefits and Side Effects in Hindi
रेड वाइन के 16 फायदे, उपयोग और नुकसान – Red Wine Benefits and Side Effects in Hindi Arpita Biswas
Hyderabd040-395603080 February 17, 2020
स्टाइलक्रेज के इस लेख का विषय शायद आपको चौंकाने वाला लग सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि हम रेड वाइन के फायदे बता रहे हैं। बेशक, रेड वाइन फायदेमंद है, लेकिन सप्लीमेंट के तौर पर सिर्फ सीमित मात्रा में लेने पर ही। इस लेख में आपको न सिर्फ रेड वाइन पीने के फायदे जानने को मिलेंगे, बल्कि यह भी पता चलेगा कि रेड वाइन कैसे बनती है। साथ ही रेड वाइन पीने का तरीका और इसकी मात्रा के बारे में भी जानकारी मिलेगी। रेड वाइन के फायदे जानने के बाद आप गलती से भी इसे ज्यादा मात्रा में सेवन करने की भूल न करें। साथ ही किसी गंभीर बीमारी में डॉक्टरी इलाज को प्राथमिकता देना ही सही है।
नोट : इस लेख में रेड वाइन के फायदे बतौर दवा के रूप में बताए गए हैं। स्टाइलक्रेज किसी भी तरह से अल्कोहल के सेवन को बढ़ावा नहीं देता है। इसलिए, इसके सेवन के बारे में डॉक्टर की सलाह भी जरूरी है।
रेड वाइन के फायदे जानने से पहले यह पता करते हैं कि रेड वाइन कहते किसे हैं।
रेड वाइन क्या है और यह कितने प्रकार की होती है?
रेड वाइन को काले अंगूरों से बनाया जाता है, लेकिन वाइन का रंग अलग-अलग हो सकत�� है। किसी वाइन का रंग बैंगनी, किसी का लाल, तो किसी वाइन का रंग भूरा हो सकता है। आमतौर पर उपयोग की जाने वाली वाइन कोत्सिफली (Kotsifali) और मंडिलारी (Mandilari) दो प्रमुख लाल अंगूर की किस्मों से बनी होती है। कोत्सिफली से बनी वाइन का रंग हल्का होता है लेकिन इसमें अल्कोहल की मात्रा अधिक होती है। वहीं, मंडिलारी से बनी रेड वाइन का रंग गहरा लाल होता है। ऐसा एन्थोसायनिक (anthocyanic content) और टैनिक (tannic content) के कारण होता है। ये दोनों घटक अंगूर के रंगों में भिन्नता का कारण होते हैं (1)।
रेड वाइन कई प्रकार की होती है। एक ही लेख में सभी के बारे में बताना संभव नहीं है। इसलिए, हम यहां कुछ प्रमुख किस्मों के बारे में बता रहे हैं। हर वाइन अपनी अलग खासियत के लिए जानी जाती है (2)।
सिराह (Syrah) – इस रेड वाइन को शिराज भी कहा जाता है। यह किस्म थोड़ी मसालेदार और गहरे लाल रंग की होती है। इसे ज्यादा मात्रा में नहीं बनाया जाता। इसकी कुछ किस्में काफी लंबे समय तक चलने वाली होती हैं और इनका फ्लेवर भी काफी तेज होता है।
मर्लोट (Merlot)– यह रेड वाइन की सॉफ्ट किस्म है, जिसके खास फ्लेवर ने कई शराब पीने वालों को अपनी ओर आकर्षित किया है। जो पहली बार रेड वाइन का सेवन करना चाहते हैं, उनके लिए यह किस्म अच्छा विकल्प है।
केबारनेट सॉविनन (Cabernet)– यह रेड वाइन दुनिया की सबसे अच्छी किस्मों में से एक है, जिसे काफी पसंद किया जाता है।
माल्बेक (Malbec)– यह रेड वाइन फ्रांस में बोर्डो में बनाई जाती है और इसे अक्सर रेड वाइन की कार्बनेट और मर्लोट किस्म के साथ मिलाया जाता है।
पिनोट नोयर (Pinot noir)– इसे सबसे खास रेड वाइन में गिना जाता है, जिसे बनाना काफी मुश्किल होता है।
जिनफैडेल (Zinfandel) – यह दुनिया की सबसे अधिक गुण वाली रेड वाइन है।
संगियोवेस (Sangiovese) – यह इटालियन रेड वाइन है। इसका टेस्ट बेरी जैसा होता है।
बारबेरा (Barbera) – यह कुछ मर्लोट की तरह ही होती है, लेकिन यह ज्यादा लोकप्रिय किस्म नहीं है।
अब सवाल यह उठता है कि रेड वाइन में ऐसा क्या होता है, जो यह स्वास्थ्य के लिए इतनी लाभकारी है। आइए, इस बारे में जानते हैं।
रेड वाइन में ऐसा क्या है, जो यह सेहत के लिए अच्छी है?
रेड वाइन मुख्य रूप से पानी, कार्बोहाइड्रेट, मिनरल व पॉलीफेनोल्स से बनी होती है। वाइन में ऐसे पदार्थ होते हैं, जो हृदय रोगों और कुछ पुरानी बीमारियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं। जैसे कि हमने ऊपर जानकारी दी कि रेड वाइन मुख्य रूप से अंगूर से बनती है और अंगूर कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट से समृद्ध होते हैं। खासतौर पर इसका रेसवेरेट्रॉल (resveratrol) एंटीऑक्सीडेंट हृदय को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है। भोजन और पेय में उनकी उपस्थिति हृदय रोगों, कुछ कैंसर और मधुमेह के जोखिम को कम कर सकती है। इतना ही नहीं रेड वाइन का सेवन उच्च रक्तचाप के रोगियों के रक्तचाप को कम करने में भी मददगार हो सकता है (3) (4)।
रेड वाइन में कई अन्य पोषक तत्व भी होते हैं। ये किन-किन स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचाव कर सकते हैं, इस बारे में विस्तार से आगे पढ़ेंगे।
रेड वाइन के फायदे – Benefits of Red Wine in Hindi
यहां विस्तार से जानें स्वास्थ्य संबंधी रेड वाइन पीने के फायदे।
1. हृदय स्वास्थ्य और कोलेस्ट्रॉल के लिए रेड वाइन के फायदे
कोलेस्ट्रॉल और दिल की बीमारी का खतरा किसी को भी हो सकता है। ऐसे में वक्त रहते इस पर ध्यान देना जरूरी है। आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि रेड वाइन के कुछ घूंट इसमें फायदेमंद हो सकते हैं। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की ओर से प्रकाशित एक शोध में यह पाया गया कि रेड वाइन में रेसवेरेट्रॉल, प्रोएन्थोसायनिडिन व क्वार्सेटिन आदि एंटीऑक्सीडेंट घटक होते हैं। ये घटक जानवरों और मनुष्यों दोनों में ही ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम कर ऐथेरोस्क्लेरोटिक (atherosclerotic- रक्त वाहिकाओं में प्लाक से होने वाली सूजन) की समस्या को कम कर सकते हैं। इससे यह निष्कर्ष निकाला गया कि संतुलित मात्रा में रेड वाइन का सेवन हृदय संबंधी जोखिम कारकों के लिए फायदेमंद हो सकता है (5) (6)।
कुछ अन्य अध्ययनों से यह भी पता चला है कि रेड वाइन कोलेस्ट्रॉल को संतुलित करने में भी मदद कर सकती है। ध्यान रहे कि इसका मतलब यह नहीं कि कोई भी रेड वाइन का सेवन करना शुरू कर दें। अगर कोई शराब का सेवन नहीं करता है या किसी को गंभीर हृदय संबंधी परेशानी है, तो पहली बार रेड वाइन का सेवन करने से पहले डॉक्टरी परामर्श जरूर लें (7)।
2. मधुमेह के लिए रेड वाइन के फायदे
मधुमेह के लिए भी रेड वाइन फायदेमंद हो सकती है। इसकी पुष्टि करने के लिए रेड वाइन पीने वाले और रेड वाइन न पीने वाले लोगों पर रिसर्च किया गया। इस शोध से पता चला कि सीमित मात्रा में रेड वाइन पीने वालों में ग्लूकोज का स्तर कम होता देखा गया। उनमें रेड वाइन न पीने वालों की तुलना में मधुमेह का जोखिम कम पाया गया। इसके अलावा, कई अन्य अध्ययनों में भी यह बात सामने आई कि रेड वाइन टाइप 2 मधुमेह के खतरे को कम करने में मददगार हो सकती है (4)।
3. उच्च रक्तचाप के लिए रेड वाइन के फायदे
उच्च रक्तचाप यानी हाई ब्लड प्रेशर के कारण दिल का दौरा, किडनी की समस्या, आंखों की परेशानी हो सकती है (8)। ऐसे में रेड वाइन का सेवन करके उच्च रक्तचाप के जोखिम को कुछ हद तक कम क��या जा सकता है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की एक रिपोर्ट के अनुसार, नियमित रूप से नॉन-अल्कोहलिक रेड वाइन का सेवन किया जा सकता है। वाइन धमनियाें को क्षतिग्रस्त होने से बचाकर रक्तचाप को नियंत्रित कर सकता है। रेड वाइन में एंटीऑक्सीडेंट जैसे पॉलीफेनोल्स होते हैं। ये पॉलीफेनोल्स तब और लाभकारी हो जाते हैं, जब इसमें अल्कोहल नहीं होता है (9)। इसलिए, डॉक्टर से परामर्श के बाद नॉन-अल्कोहल रेड वाइन का सेवन किया जा सकता है।
4. कैंसर से बचाव के लिए रेड वाइन पीने के फायदे
अक्सर, पढ़ने में यही आता है कि शराब का सेवन कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है। ऐसे में रेड वाइन के सेवन से कैंसर से बचाव चौंकाने वाली बात हो सकती है। यूनिवर्सिटी ऑफ रोचेस्टर मेडिकल सेंटर की एक रिपोर्ट के अनुसार, रेड वाइन में रेसवेरेट्रॉल होता है। यह अग्नाशयी कैंसर (Pancreatic cancer) कोशिकाओं को नष्ट कर सकता है। इससे पैंक्रियाटिक कैंसर का खतरा कम हो सकता है (10)।
जानवरों पर की गई जांच के अनुसार, रेड वाइन एसोफेगल कैंसर (esophageal cancer) से बचाव कर सकता है। इसके पीछे मुख्य कारण रेड वाइन में मौजूद लिगनेन (lignans- एक प्रकार का पोलीफेनोल) हो सकता है। इसके अलावा, रेड वाइन में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण हेलिओबैक्टर पायलोरी (Heliobacter pylori) नामक बैक्टीरिया से बचाव कर अल्सर के जोखिम को कम कर सकता है। साथ ही इसमें मौजूद फ्लेवेनोइड गैस्ट्रिक कैंसर के जोखिम को भी कम कर सकता है (4)। इन सबके अलावा, रेड वाइन में मौजूद रेसवेरेट्रॉल (resveratrol) में एंटीकैंसर गुण भी होते हैं। इन तमाम वैज्ञानिक प्रमाण के बावजूद कैंसर के संबंध में रेड वाइन पर और शोध किए जाने की जरूरत है (11)।
ध्यान रहे कि अगर कोई व्यक्ति कैंसर से पीड़ित है, तो उसे डॉक्टर से अपना इलाज करवाना चाहिए। सिर्फ घरेलू उपचार व रेड वाइन जैसे उपायों की मदद से कैंसर को ठीक नहीं किया जा सकता।
5. लिवर के लिए रेड वाइन के फायदे
एक शोध में इस बात की पुष्टि की गई है कि कम या संतुलित मात्रा में रेड वाइन का सेवन हेपेटोप्रोटेक्टिव प्रभाव (hepatoprotective) यानी लिवर के लिए लाभकारी हो सकता है। ऐसा रेड वाइन में मौजूद रेसवेरेट्रॉल के एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव के कारण हो सकता है। साथ ही ध्यान रहे कि इसका अधिक सेवन लिवर की क्षति का कारण भी बन सकता है (12)। इसलिए, बेहतर है कि एक बार डॉक्टरी से जरूर पूछें कि इसकी प्रतिदिन कितनी मात्रा लेना सही है। वहीं, अगर कोई पहले से ही लिवर संबंधी समस्या से ग्रस्त है, तो उसे रेड वाइन का सेवन नहीं करना चाहिए।
6. मस्तिष्क के लिए रेड वाइन पीने के फायदे
रेड वाइन का फायदा मस्तिष्क के लिए भी हो सकता है। इसका सेवन मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के लिए लाभकारी हो सकता है। मस्तिष्क पर इसका सु��क्षात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसा रेड वाइन में मौजूद रेसवेरेट्रॉल के कारण होता है (4) (13)। काफी हद तक यह रेड वाइन की मात्रा पर भी निर्भर करता है। इसका जरूरत से ज्यादा से���न अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का कारण बन सकता है।
7. डिप्रेशन के लिए रेड वाइन के फायदे
डिप्रेशन से बचाव के लिए भी कम मात्रा में रेड वाइन का सेवन किया जा सकता है। एनसीबीआई में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, कम मात्रा में रेड वाइन का सेवन अवसाद को कम कर सकता है। साथ ही ध्यान रहे कि इसका जरूरत से ज्यादा सेवन डिप्रेशन के जोखिम को बढ़ा भी सकता है (14)। इस बारे में अभी और शोध की आवश्यकता है। इसलिए, बेहतर है कि इस बारे में एक बारे डॉक्टर या विशेषज्ञ की सलाह लेना सही रहेगा।
8. ओमेगा 3 फैटी एसिड को बढ़ाने के लिए
शरीर और मस्तिष्क के सही विकास के लिए ओमेगा 3 फैटी एसिड जरूरी होता है। इतना ही नहीं यह दिल को स्वस्थ रखने के लिए भी जरूरी है। हालांकि, शरीर को कई खाद्य पदार्थों से ओमेगा 3 फैटी एसिड प्राप्त होता है (15), लेकिन इसी के साथ अगर संतुलित मात्रा में वाइन का सेवन किया जाए, तो यह लाभकारी हो सकता है। वैज्ञानिक शोध में दिल की बीमारी के रोगियों द्वारा कम मात्रा में वाइन के सेवन से उनमें उच्च मात्रा में ओमेगा 3 फैटी एसिड पाया गया। यह तुलना उनसे की गई, जिन्होंने वाइन का सेवन नहीं किया। फिल्हाल, इस पर अभी बड़े पैमाने पर और शोध की जरूरत है (16)। अगर कोई इस शोध के आधार पर वाइन का सेवन करना चाहता है, तो एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
9. आंखों के लिए रेड वाइन के फायदे
अगर आंखों के लिए रेड वाइन पीने के फायदे की बात करें, तो यह आंखों के लिए भी लाभकारी हो सकता है। यह हम नहीं, बल्कि वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध कह रहे हैं। चूहों पर किए गए शोध में पाया गया कि रेड वाइन में मौजूद खास तत्व रेसवेरेट्रॉल (Resveratrol) शरीर में ग्लूटाथियोन (glutathione) यानी एक प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट के स्तर को बढ़ाकर दृष्टि संबंधित समस्याओं के जोखिम को कम कर सकता है (17)।
रेसवेरोट्रॉल (Resveratrol) आंखों के लेंस पर भी सुरक्षत्माक प्रभाव डाल सकता है (18)। इसके अलावा, यह डायबिटीज में होने वाली आंखों की समस्या, मोतियाबिंद और अन्य दृष्टि संबंधित परेशानियों से भी बचाव कर सकता है। ये शोध अभी जानवरों पर किए गए हैं। इसलिए, आंखों के संबंध में रेड वाइन इंसानों के लिए कितनी प्रभावकारी है, इस पर अभी और जांच की जरूरत है।
10. इम्युनिटी बढ़ाने के लिए
शरीर को स्वस्थ और संक्रमण से बचाने के लिए इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता का सही होना जरूरी है (19) (20)। अल्कोहल और इम्यून पावर के बीच संबंध को लेकर वैज्ञानिकों में काफी तर्क-वितर्क हुए हैं। वहीं, एनसीबीआई की ओर से प्रकाशित रिसर्च पेपर के अनुसार, पॉलीफेनोल्स से भरपूर पेय पदार्थों में वाइन व बीयर आते हैं। वाइन को कम से मध्यम मात्रा में लेने से वयस्कों की प्रतिरोधक क्षमता बेहतर हो सकती है (21)। इस वैज्ञानिक प्रमाण के बावजूद डॉक्टर कमत नहीं हैं कि प्रतिरोधक क्षमता के लिए वाइन सही है। इनका अधिक सेवन इम्यून पावर पर गलत प्रभाव भी डाल सकता है। यही कारण है कि इस संबंध में अभी और शोध की जरूरत है।
11. अच्छी नींद के लिए
नींद न आना भी एक बड़ी समस्या है, जिसका असर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है। ऐसे में अच्छी नींद के लिए रेड वाइन लाभकारी हो सकती है। जैसा कि आप जान ही चुके हैं कि वाइन अंगूरों से बनाई जाती है और अंगूरों में मेलाटोनिन (melatonin) नामक हार्मोन होता है। यह हार्मोन नींद में सुधार का काम कर सकता है (22)। ऐसे में यह अनुमान लगाया जा सकता है कि वाइन का सेवन अच्छी नींद में सहायक हो सकता है। फिलहाल, इस संबंध में वैज्ञानिक शोध का अभाव है। ऐसे में बेहतर है डॉक्टर की सलाह पर ही इसका प्रयोग करें।
12. हड्डियों के लिए
बढ़ती उम्र के साथ-साथ शरीर कई तरह की बीमारियों का शिकार हो सकता है। इनमें हड्डियों की समस्या भी शामिल है। ऐसे में हड्डियों की देखभाल और सही आहार लेना जरूरी है। हड्डियों को स्वस्थ रखने में वाइन लाभकारी हो सकती है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, कम मात्रा में वाइन का सेवन हड्डियों को फ्रैक्चर या फिर बोन मास लॉस से बचा सकता है। वाइन में प्रचुर मात्रा में फैनोलिक कंपाउंड, फाइटोएस्ट्रोजेन और प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं, जो हड्डियों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं (23)। अभी इस संबंध में और शोध किए जाने की जरूरत है।
13. दांतों के लिए रेड वाइन पीने के फायदे
अगर रेड वाइन के फायदे की बात की जाए, तो यह दांतों के लिए भी लाभकारी है। रेड वाइन दांतों में कैविटी का कारण बनने वाले बैक्टीरिया व स्ट्रेप्टोकोकस को हटाने में फायदेमंद हो सकती है। रेड वाइन में मौजूद रेसवेरेट्रॉल (resveratrol) दांतों की समस्या और बैक्टीरिया के कारकों को बेअसर करने में मदद कर सकता है (24)। इतना ही नहीं रेड वाइन के सेवन से दांतों पर दाग भी जम सकता है। ऐसे में बेहतर है कि दांतों के लिए रेड वाइन का इस्तेमाल करने से पहले अपने दंत चिकित्सक (Dentist) से परामर्श जरूर कर लें।
14. त्वचा के लिए
रेड वाइन सिर्फ स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि त्वचा के लिए भी लाभकारी हो सकती है। रेड वाइन में मौजूद रेसवेरेट्रॉल (Resveratrol) त्वचा को धूप की हानिकारक किरणों से बचा सकता है। साथ ही इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट व एंटीकार्सिनोजेनिक गुण त्वचा के लिए लाभकारी हो सकता है (25)। इतना ही नहीं रेसवेरेट्रॉल एक नहीं बल्कि कई त्वचा संबंधी परेशानियों जैसे – स्किन एजिंग और स्किन कैंसर से भी बचा सकता है। त्वचा पर इसके अन्य प्रभावों के बारे में अभी और शोध जारी है (26)।
15. मुहांसों के लिए रेड वाइन के फायदे
जैसा कि ऊपर हमने बताया कि रेड वाइन के फायदे त्वचा के लिए भी हो सकते हैं। ऐसे में मुंहासे जो भले ही एक सामान्य त्वचा संबंधी परेशानी हो, लेकिन इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है। इसके लिए रेड वाइन लाभकारी हो सकती है। फिलहाल, इस पर शोध बहुत ही सीमित है। दरअसल, रेड वाइन में रेसवेरोट्रॉल (Resveratrol) होता है। यह एंटीऑक्सीडेंट थेरेपी की तरह काम कर मुंहासों से राहत दिला सकता है। इसके अलावा, रेसवेरोट्रॉल मुंहासों ��े बैक्टीरिया के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है (27)। साथ ही रेसवेरोट्रॉल में एंटी-एक्ने गुण भी मौजूद होते हैं, जो मुंहासों को कम करने का कारण बन सकते हैं (28)। फिलहाल, शोध की कमी होने के कारण यह सटीक तरीके से कह पाना मुश्किल है कि रेड वाइन मुंहासों को पूरी तरह ठीक कर पाती है या नहीं।
16. बालों के लिए रेड वाइन
अगर बात करें बालों के लिए रेड वाइन के फायदे की, तो यह लोगों के अनुभव के आधार पर है। लोगों का मानना है कि रेड वाइन के प्रयोग से स्कैल्प में रक्त संचालन बेहतर हो सकता है। इससे बालों से संबंधित समस्याएं कम हो सकती हैं। साथ ही हम आपको यह भी बता दें कि बालों के लिए रेड वाइन के लाभों के लिए कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है। इसलिए, इसके उपयोग के दौरान सावधानी बरतें और हेयर केयर विशेषज्ञ से सलाह लें।
अन्य खाद्य पदार्थों की तरह रेड वाइन में भी कई पौष्टिक तत्व मौजूद हैं, जो इसे इतना गुणकारी बनाते हैं। इसलिए, अब जानते हैं रेड वाइन में मौजूद पौष्टिक तत्वों के बारे में।
रेड वाइन के पौष्टिक तत्व – Red Wine Nutritional Value in Hindi
नीचे हम रेड वाइन में मौजूद पौष्टिक तत्वों की सूची आपके साथ साझा कर रहे हैं (29)।
पौष्टिक तत्व मात्रा प्रति 100 ग्राम पानी 86.49 ग्राम एनर्जी 85 केसीएल प्रोटीन 0.07 ग्राम कार्बोहाइड्रेट 2.61 ग्राम शुगर 0.62  ग्राम कैल्शियम 8 मिलीग्राम आयरन 0.46 मिलीग्राम मैग्नीशियम 12 मिलीग्राम फास्फोरस 23 मिलीग्राम पोटैशियम 127 मिलीग्राम सोडियम 4 मिलीग्राम जिंक 0.14  मिलीग्राम कॉपर 0.011 मिलीग्राम सेलेनियम 0.2 माइक्रोग्राम थियामिन 0.005 मिलीग्राम राइबोफ्लेविन 0.031 मिलीग्राम नियासिन 0.224 मिलीग्राम विटामिन बी-6 0.057  मिलीग्राम फोलेट, टोटल 1 माइक्रोग्राम फोलेट, फूड 1 माइक्रोग्राम फोलेट, डीएफई 1 माइक्रोग्राम कॉलिन, टोटल 5.7 मिलीग्राम कैरोटीन, बीटा 1 माइक्रोग्राम ल्यूटिन+ जियाजैंथिन 6 माइक्रोग्राम विटामिन के 0.4 माइक्रोग्राम अल्कोहल, ऐथल (ethyl) 10.6 ग्राम
अब बारी आती है रेड वाइन कैसे बनती है, यह जानने की। लेख के इस भाग में हम यही जानकारी दे रहे हैं।
रेड वाइन कैसे बनती है?
अगर बात करें रेड वाइन कैसे बनती है, तो इसकी प्रक्रिया काफी दिलचस्प है। इसके बारे में हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं।
रेड वाइन बनाने की प्रक्रिया :
डेस्टेमिंग प्रक्रिया (Destemming Process) : सबसे पहले काले अंगूरों को तोड़कर वाइनरी में ले जाया जाता है। जब अंगूरों को तोड़ा जाता है, तब उनके साथ पत्ते और टहनिया�� भी आ जाती हैं। ये वाइन के टेस्ट को बेकार या अधिक कड़वा कर सकती हैं। ऐसे में डेस्टेमिंग प्रक्रिया (Destemming Process) के दौरान अंगूरों और टहनियों को ��लग कर दिया जाता है।
क्रशिंग (Crushing) : डेस्टेमिंग प्रक्रिया के बाद अंगूरों को कुचला (Crushing) जाता है। अंगूरों को कितना कुचला जाए यह वाइन बनाने वाले पर निर्भर करता है। कुचले गए मिश्रण को पाइप के माध्यम से स्टेनलेस स्टील के बड़े बर्तन में डाला जाता है और फर्मेंटेशन प्रक्रिया के लिए आगे भेज दिया जाता है।
फर्मेंटेशन (Fermentation) प्रक्रिया : फर्मेंटेशन के दौरान तापमान को नियंत्रित किया जाता है, क्योंकि फर्मेंटेशन से बहुत गर्मी निकलती है। अगर इस ताप को नियंत्रित नहीं किया गया, तो वाइन कड़वी भी हो सकती है और स्वाद बिगड़ सकता है। इस प्रक्रिया में ठोस और तरल को अलग किया जाता है यानी फल से रस को अलग किया जाता है। अंगूर से जूस को निकालने की प्रक्रिया माइक्रोबायोलॉजिकल ट्रांसफॉर्मेशन की होती है, जिसे मैलोलेक्टिक फरमेंटेशन भी कहा जाता है। इस प्रक्रिया में बैक्टीरिया के प्रभाव से अंगूरों में मौजूद मैलिक एसिड, लैक्टिक एसिड में बदल जाता है। बाद में रेड वाइन को छानकर दूसरे बर्तन में निकाला जाता है। फिर वाइन को बोतलबंद करने से पहले इसे किसी स्टेनलेस स्टील या लकड़ी से बने कंटेनर में रखा जाता है। यहां स्वाद संबंधी किसी भी खराबी को ठीक किया जाता है।
अंतिम प्रक्रिया (फिलटरेशन) : अंत में वाइन को फिलटरेशन प्रक्रिया से गुजारा जाता है। यहां वाइन में बचे किसी बैक्टीरिया और अनावश्यक सूक्ष्म पदार्थ को बाहर कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद अंत में रेड वाइन को कॉर्क स्टॉपर्स के साथ कांच की बोतलों में भरा जाता है।
अब बारी आती है रेड वाइन को खरीदने और स्टोर करने के बारे में जानने की।
रेड वाइन कैसे खरीदें और कैसे स्टोर करें?
कई पाठकों के मन में यह सवाल आ रहा होगा कि अच्छी रेड वाइन कैसे खरीदें और उसे ज्यादा दिनों तक कैसे स्टोर करें। पाठकों की इसी जिज्ञासा को ध्यान में रखते हुए हम यहां रेड वाइन खरीदने और स्टोर करने के तरीके बता रहे हैं।
टैनिन (एक प्रकार का पोलीफेनोल) – वाइन में टैनिन जितना कम होगा, वो उतना ही स्वाद में हल्का होगा और नशा भी कम होगा। इसलिए, कम टैनिन वाले वाइन का चुनाव करें, खासकर जो पहली बार इसका सेवन करने जा रहे हैं। कम टैनिन वाले वाइन के विकल्प हैं – पिनोट नोयर (Pinot Noir), बारबेरा (Barbera) और संगियोवेस (Sangiovese)। वहीं, उच्च टैनिन वाले वाइन के विकल्प हैं – केबारनेट सॉविनन (Cabernet Sauvignon), सिराह (Syrah) और नेबियोलो (Nebbiolo)।
लेबलिंग – चेक करें की वाइन कौन से अंगूरों से बनी है और किस क्षेत्र से आई है।
ब्रांड – वाइन खरीदते वक्त रेड वाइन के ब्रांड का भी ध्यान रखें। कोशिश करें कि चुनिंदा और जानी-मानी ब्रांड का ही चुनाव करें।
ब्लेंड – आपको बता दें कि अधिकांश रेड वाइन ब्लेंड होती हैं। आपको बस अपनी पसंद की ब्लेंड वाइन का चुनाव करना है।
बॉडी – यहां हमारा मतलब है कि वाइन व्यक्ति के लिए कितनी हल्का या हेवी हो सकती है। वाइन बॉडी को तीन वर्गों में ��ांटा गया है। जिस वाइन में अल्कोहल की मात्रा सबसे कम होती है और आसानी से मुंह में घुल जाए, वो लाइट बॉडी वाइन है। जिसमें थोड़ा ज्यादा अल्कोहल हो, वो मध्यम बॉडी और जिसमें उससे भी ज्यादा अल्कोहल हो वो हेवी बॉडी के वर्ग में आती है।
ओक – रेड वाइन को अक्सर ओक में फरमेंटेड किया जाता है। यह वाइन के खुरदुरे किनारों को गोल कर देता है, इससे वाइन को अच्छा टैक्सचर मिलता है।
विंटेज – वाइन जितनी पुरानी उतनी ही अच्छी। इसलिए, खरीदते वक्त देखें आपकी रेड वाइन कितनी पुरानी है।
मूल्य – वाइन की कीमत का भी ध्यान रखें। ऐसा न हो कि वाइन आपके जेब पर भारी पड़ जाए।
स्टोर कैसे करें :
रेड वाइन की गुणवत्ता और स्वाद को बनाए रखने के लिए इसका उचित स्टोरेज जरूरी है। चूंकि, इसमें अल्कहोल की मात्रा कम होती है, इसलिए इसके खराब होने का डर बना रहता है और अधिक देखभाल की जरूरत होती है।
रेड वाइन की बोतल को हमेशा थोड़ा टेढ़ा रखें, ताकि उसका कॉक नम रहे। बोतल को सीधा रखने से बोतल का कॉर्क सूख सकता और उसमें हवा जा सकती है, जिससे वाइन खराब भी हो सकती है।
आमतौर पर लोग सोचते हैं कि वाइन जितनी पुरानी उतना बेहतर। वाइन का स्वाद उम्र के साथ बेहतर होता जाता है, लेकिन सभी वाइन के मामले में ऐसा नहीं है। अधिकांश रेड वाइन तुरंत उपयोग करने के लिए बनाई जाती हैं। इन्हें ज्यादा समय तक रखे रहने से ये खराब हो सकती हैं। इस प्रकार की वाइन का स्वाद उम्र बढ़ने के साथ बेहतर नहीं होता, लेकिन अच्छे स्टोरेज के साथ इन्हें थोड़े लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है।
रेड वाइन को सूरज की पैराबैंगनी किरणों से दूर रखा जाना चाहिए, क्योंकि इससे वाइन का स्वाद बिगड़ सकता है। वाइन की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए इसे डार्क बोतल में रखा जाना चाहिए। फिर भी ये बोतलें पूरी तरह से वाइन को सुरक्षित नहीं कर सकती हैं।
आप रेड वाइन की बोतल को डिब्बे में रख सकते हैं या किसी कपड़े से लपेट कर रख सकते हैं। शराब को रसायनों, भोजन और अन्य घरेलू चीजों से दूर रखा जाना चाहिए। बोतल के कॉर्क में छोटे-छोटे छेद होते हैं। इसलिए, ये आसानी से किसी भी गंध को अपने में अवशोषित कर सकते हैं। इससे वाइन का स्वाद खराब हो सकता है।
वाइन की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए तापमान काफी मायने रखता है। रेड वाइन को सर्व करने का आदर्श तापमान 50 से 65 डिग्री फारेनहाइट के बीच होना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि गर्म वाइन सर्व करने से अल्कोहल का स्वाद ज्यादा महसूस होता है। वहीं, ज्यादा ठंडी रेड वाइन का स्वाद अधिक कड़वा और कसैला होता है।
वाइन सर्व करने से पहले कुछ समय के लिए बोतल को सीधे रखें, ताकि वाइन में मौजूद बारीक कण नीचे बैठ जाएं।
एक बार बोतल खोलने के बाद उसे दो से तीन दिन में खत्म करने की कोशिश करें, क्योंकि जैसे ही रेड वाइन में ऑक्सीजन घुसना शुरू होती है, वाइन की गुणवत्ता खराब होने लगती है।
आप इसे एक या दो दिन के लिए रेफ्रिजरेटर में स्टोर कर सकते हैं और उपयुक्त तापमान पर आने के लिए बोतल को पहले निका�� लें और बाद में सेवन करें।
रेड वाइन का पूरी तरह से आनंद लेने के लिए इसे हमेशा वाइन गिलास में ही सर्व करें।
अब बारी आती है रेड वाइन के उपयोग के बारे में जानने की। लेख के इस भाग में हम इसी बारे में जानकारी देने की कोशिश कर रहे हैं।
रेड वाइन का उपयोग – How to Use Red Wine in Hindi
रेड वाइन का विभिन्न तरीकों से उपयोग किया जा सकता है। इनके बारे में हम नीचे पढ़ें –
सबसे बेहतर उपयोग आप इसका खाना पकाने में देख सकते हैं। इसका इस्तेमाल कर आप भोजन को और जायकेदार बना सकते हैं। रेड वाइन का प्रयोग आप मेरिनेट, मसाले या फ्लेवर एजेंट के रूप में कर सकते हैं।
रेड वाइन का उपयोग मुख्य रूप से फ्लेवरिंग डेसर्ट के रूप में किया जा सकता है।
रेड वाइन को ऐसे भी पिया जा सकता है।
रेड वाइन से कुछ खास रेसिपी भी बनाई जा सकती हैं।
रेड वाइन से फेसपैक बनाकर उसे चेहरे पर भी लगाया जा सकता है। रेड वाइन के साथ दही और शहद को मिलाकर फेसपैक तैयार कर उपयोग किया जा सकता है। रेड वाइन फेसपैक उपयोग से पहले एक बार पैच टेस्ट जरूर करें।
व्यक्ति चाहे तो रेड वाइन को ऐसे भी चेहरे पर लगा सकता है।
रेड वाइन को बालों पर भी लगाया जा सकता है। बाल धोने के बाद रेड वाइन में थोड़ा कंडीशनर मिलाकर उसे बालों पर लगाएं और कुछ मिनट बाद बाल धो लें।
अब बारी आती है रेड वाइन के नुकसान के बारे में जानने की। कम हो या ज्यादा है तो यह अल्कोहल ही। अगर इसका जरूरत से ज्यादा सेवन किया जाए, तो यह स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दावत दे सकती है।
रेड वाइन के नुकसान – Side Effects of Red Wine in Hindi
रेड वाइन पीने के फायदे हैं, तो अधिक सेवन से नुकसान भी हैं, जिसके बारे में हम नीचे जानकारी दे रहे हैं।
रेड वाइन ज्यादा पीने से इसकी लत भी लग सकती है।
रेड वाइन में अल्कोहल मौजूद होता है। ऐसे में इसका अधिक सेवन लिवर संबंधी बीमारी का कारण बन सकता है (30)।
गर्भवती महिलाएं या स्तनपान कराने वाली महिलाएं वाइन का सेवन करने से बचें। अल्कोहल के सेवन से गर्भ में पल रहे शिशु को कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती है। इसमें फीटल अल्कोहल सिंड्रोम (fetal alcohol syndrome) शामिल है। इसमें शिशु का मानसिक और शारीरिक विकास पर प्रभाव पड़ सकता है (31)।
कैंसर का खतरा हो सकता है (32)।
जीवनशैली में बदलाव हो सकता है, जिसका प्रभाव आपसी संबंधों पर भी पड़ सकता है (32)।
रेड वाइन के उपयोग के साथ-साथ हम रेड वाइन पीने का तरीका और इसकी मात्रा के बारे में भी जानकारी दे रहे हैं।
रेड वाइन पीने का तरीका
सबसे पहले आप अपनी पसंदीदा रेड वाइन का चुनाव करें।
फिर सही वाइन गिलास चुनें।
उसके बाद वाइन की बोतल को सही तरीके से खोलें और वाइन गिलास में डालें।
अब गिलास को हल्का हिलाएं, सूंघे और फिर सेवन करें ।
वाइन के स्वाद का लुत्फ उठाने के लिए इसे ठंडा पियें।
रेड वाइन पीने की मात्रा
अब सवाल यह उठता है कि कितनी रेड वाइन पीना सही है। यहां हम पाठकों को अल्कोहल के बारे में जानकारी दे रहे हैं। वाइन में भी अल्कोहल मौजूद होता है, जिसे ध्यान में रखते हुए हम जानकारी दे रहे हैं। ध्यान रहे कि स्टाइलक्रेज किसी भी तरीके से अल्कोहल के सेवन को बढ़ावा ��हीं देता है। यहां वैज्ञानिक शोध के अनुसार मात्रा बताने से हमारा उद्देश्य सिर्फ जानकारी देना है (6)।
मात्रा :
महिलाएं दिनभर में लगभग आधा कप वाइन का सेवन कर सकती हैं ।
वहीं पुरुष लगभग आधा से एक कप वाइन का सेवन कर सकते हैं ।
नोट : ये मात्रा व्यक्ति के स्वास्थ्य पर भी निर्भर करती है। इसलिए, अब भी हम यही सलाह देंगे कि जो भी व्यक्ति इसका सेवन करना चाहता है, वो पहले डॉक्टर की सलाह जरूर ले। स्टाइलक्रेज शराब के सेवन को बढ़ावा नहीं देता है।
लेख में रेड वाइन के फायदे पढ़ने के बाद कई लोग इसे अपने डाइट में शामिल करना चाह रहे होंगे। उससे पहले हम यह भी स्पष्ट कर दें कि अल्कोहल का सेवन न करने वाले व्यक्ति विशेष रूप से इसे विकल्प के तौर पर न चुनें। रेड वाइन पीने के फायदे हैं, तो नुकसान भी है और इससे स्वास्थ्य पर गलत असर भी पड़ सकता है। इसलिए, पहले व्यक्ति अपने उम्र और स्वास्थ्य के अनुसार विशेषज्ञ से यह राय लें कि रेड वाइन कितना पीना चाहिए। इसके अधिक सेवन से शराब पीने की लत भी लग सकती है। ऐसे में पाठक ऊपर बताए गए रेड वाइन पीने का तरीका भी फॉलो कर सकते हैं। अगर रेड वाइन को संतुलित मात्रा में दवा की तरह लिया जाए, तो यह काफी लाभकारी हो सकती है। हमारा पाठकों से यही अनुरोध है कि रेड वाइन का सही तरीके से सेवन करें और अगर जरूरत न हो, तो सिर्फ मजे के लिए रेड वाइन का सेवन न करें। इसके अल��वा, आपको यह लेख कैसा लगा हमें नीचे दिए कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। आप अपने सवाल भी हमसे पूछ सकते हैं।
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Arpita Biswas
अर्पिता ने पटना विश्वविद्यालय से मास कम्यूनिकेशन में स्नातक किया है। इन्होंने 2014 से अपने लेखन करियर की शुरुआत की थी। इनके अभी तक 1000 से भी ज्यादा आर्टिकल पब्लिश हो चुके हैं। अर्पिता को विभिन्न विषयों पर लिखना पसंद है, लेकिन उनकी विशेष रूचि हेल्थ और घरेलू उपचारों पर लिखना है। उन्हें अपने काम के साथ एक्सपेरिमेंट करना और मल्टी-टास्किंग काम करना पसंद है। इन्हें लेखन के अलावा डांसिंग का भी शौक है। इन्हें खाली समय में मूवी व कार्टून देखना और गाने सुनना पसंद है।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/red-wine-ke-fayde-upyog-aur-nuksan-in-hindi/
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moneycontrolnews · 5 years ago
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जीवन मंत्र डेस्क. 3 जनवरी, सोमवार यानी आज सूर्य और चंद्रमा की स्थिति से ब्रह्मा योग बन रहा है। वहीं कृत्तिका नक्षत्र होने से स्थिर नाम का एक और शुभ योग बन रहा है। सितारों की इस शुभ स्थिति के प्रभाव से कुछ लोगों को जॉब और बिजनेस में किस्मत का साथ मिल सकता है। सोचे हुए काम होंगे और तरक्की के मौके भी मिल सकते हैं। एस्ट्रोलॉजर बेजान दारूवाला के अनुसार आज 12 में से 7 राशियों के लिए दिन खास रहेगा। वहीं अन्य 5 राशियों को पूरे दिन संभलकर रहना होगा। एस्ट्रोलॉजर बेजान दारूवाला के अनुसार आज आपके लिए कुछ ऐसा रहेगा दिन पॉजिटिव - आप नए अनुभव पाने और नए लोगों से बातचीत करने के लिए पर्यावरण में हुए परिवर्तन को प्रयोग कर सकते हैं। आप लोगो से बातचीत करने के इच्छुक हैं क्योंकि दूसरों के साथ बातचीत से आपके विचार स्पष्ट हो सकते हैं। अपने साथी या दोस्तों के साथ समय बिताने के लिए भी यह चरण अच्छा है। नेगेटिव - कोई भी निर्णय लेने से पहले उसके अच्छे और बुरे दोनों पक्षों के बारे में जान लें। आप इस समय हर मुद्दे के फायदे और नुकसान के बारे में सोचेंगे और उसके बाद ही निर्णय लेंगे। अभी अनिश्चितता की संभावना है क्योंकि आपका दृष्टिकोण सबसे अलग है। लव - आपके दिमाग में बहुत सी परेशानियां है और आप उन्हें अपने प्रियजनों से शेयर करना चाहते हैं, खासतौर पर अपने पार्टनर और परिवार से। ऐसे समाजिक सर्किल से बाहर निकले, जिसमे आप तनाव महसूस कर रहे हैं। व्यवसाय - किसी भी बहस में न उलझें। कोशिश करें कि अपना काम सलीके से करें। स्वास्थ्य - स्वास्थ्य के लिहाज से आज का दिन कम अनुकूल है। आज का दिन स्वास्थ्य को लेकर किसी प्रकार की लापरवाही उचित नहीं होगी। भाग्यशाली रंग: नीला, भाग्यशाली अंक: नौ पॉजिटिव - आप मनोरंजन और अपने दोस्तों व ख़ास लोगों के साथ खाली समय बिताना चाहते हैं। माता-पिता की मदद से आप आर्थिक तंगी से बाहर निकलने में क़ामयाब रहेंगे। आपमें से कुछ गहने या घरेलू सामान ख़रीद सकते हैं। नेगेटिव - सभी मौकों का सावधानी से उपयोग करें और अपने साथी या किसी खास के साथ अन्य विकल्पों के बारे में बात करें। उन लोगों के मामलों में हस्तक्षेप न करें जो आपका अच्छा नहीं चाहते इसकी बजाय उन लोगों पर ध्यान दें जो आप पर निर्भर करते हैं। लव - अपने करीबी, प्रेमी या दोस्त से खुल कर दिल की बात करें। आपकी यह बातचीत आपको वो निर्णय लेने में भी मदद करेगी जिसमे आपको परेशानी हो रही है। अगर आप अभी भी अपने अतीत में जी रहे हैं तो आज के सम्बन्ध कैसे निभा पाएंगे? व्यवसाय - इस समय बैठकें आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि अभी किए व्यापारिक समझौते कि संभावना है। यह समय कार्यस्थल में बड़े निर्णय लेने का भी हो सकता है। स्वास्थ्य - व्याधि, दुर्घटना या चोट से बाधा की संभावना है। भाग्यशाली रंग: केसरी, भाग्यशाली अंक: छ पॉजिटिव - दोस्तों और परिवार के साथ भोजन और बातचीत का मज़ा लें। आप अभी पैसे और अपनी सम्पति के साथ साथ व्यक्तिगत मूल्यों पर भी अपना ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। दुसरो को मदद करने से आपको मन की शांति मिलेगी। किसी शांत स्थान, शायद प्रकृति में ब्रेक लें और अच्छा समय बिताऐं। नेगेटिव - अभी आप खुद को अतीत और भविष्य के बीच में फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं। आपके घर का कोई सदस्य आज आपसे प्यार से जुड़ी कोई समस्या शेयर कर सकता है। आपको उन्हें उचित सलाह देनी चाहिए। आपका जीवनसाथी अपने दोस्तों में कुछ ज़्यादा व्यस्त हो सकता है, जिसके चलते आपके उदास होने की संभावना है। लव - आप कड़ी मेहनत कर रहे हैं इसलिए ब्रेक लें या प्रियजनों के साथ शानदार समय बिताए। दिल के मामले इस समय आपके लिए मुख्य हैं। यौन गतिविधियां भी इस क्रम में आपके लिए विशेष हैं। व्यवसाय - आप किसी नए काम की शुरुआत भी कर सकते हैं। हालांकि समझदारी से काम निकालने की आवश्यकता रहेगी। इस समय जल्दबाजी से काम बिल्कुल न लें। स्वास्थ्य - दूसरों के साथ ख़ुशी बांटने से सेहत और खिलेगी। भाग्यशाली रंग: गु��ाबी, भाग्यशाली अंक: दो पॉजिटिव - बड़े पैमाने की ख़रीददारी या एक बड़े व्यापारिक सौदे की संभावना है। स्थान में परिवर्तन या स्थानांतरण भी हो सकता है। इससे आपको नया दृष्टिकोण प्राप्त होगा और अपने सहकर्मियों और अधीनस्थों का सहयोग मिलने की भी उम्मीद है। इन सब के साथ ही आप खुद को भी खोजना चाहते हैं ताकि जीवन में आगे बढ़ सकें । नेगेटिव - कलह से दूर रहने की कोशिश करें और ऑफ़िस की राजनीति और गपशप से दूर रहें। निजी मामलों और विशिष्ट समस्याएं इस समय आपकी प्राथमिकताएं हैं। जीवन की गाड़ी को अच्छे से चलाना चाहते हैं तो आज आपको पैसे की आवाजाही पर विशेष ध्यान देना होगा। लव - पार्टनर या क़रीबी साथी के साथ अपनी योजनाओं के बारे में बात करें। यह समय अपने एक रिश्ते को अगले चरण में ले जाने और किसी कनेक्शन को आधिकारिक बनाने का है। व्यवसाय - यदि आप नौकरी में परिवर्तन करना चाह रहे हैं तो यह समय इस काम में आपके लिए अच्छा मददगार होगा। विदेशियों या सुदूर स्थलों पर रहने वाले लोगों से आपके व्यवसायिक संबंध मजबूत होंगे। स्वास्थ्य - नर्वस ब्रेकडाउन आपकी सोचने की ताक़त और शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को कमज़ोर बना सकता है। भाग्यशाली रंग: आसमानी, भाग्यशाली अंक: सात पॉजिटिव - किसी दूर के रिश्तेदार के यहाँ से मिली आकस्मिक अच्छी ख़बर आपके पूरे परिवार के लिए ख़ुशी के लम्हे लाएगी। खाली वक्त का आज आप सदुपयोग करेंगे और उन कामों को पूरा करने की कोशिश करेंगे जो बीते दिनों पूरे नहीं हो पाए थे। नेगेटिव - आपका सबसे बड़ा सपना हक़ीक़त में बदल सकता है। लेकिन अपने उत्साह को क़ाबू में रखें, क्योंकि ज़्यादा ख़ुशी भी परेशानी का सबब बन सकती है। अपने दोस्तों को पहले ही इत्तला कर दें कि आप आ रहे हैं, नहीं तो काफ़ी वक़्त ख़राब हो सकता है। लव - इस समय आप रोमांटिक मूड में हैं, इसलिए अपनी रचनात्मक साइड दिखाने के लिए तैयार रहें। अपने और अपने साथी के बीच की केमिस्ट्री को महसूस करें। व्यवसाय - कार्यक्षेत्र के लिए यह समय अच्छा रहेगा। यदि आप ऐसा कर पाते हैं तो आप अपने अच्छे कर्मों के कारण कामों में सफल रहेंगे। सफल व्यवसायिक यात्रा भी होंगी। स्वास्थ्य - कभी-कभार कान या बाजुओं में तकलीफ भी हो सकती है। भाग्यशाली रंग: काला, भाग्यशाली अंक: चार पॉजिटिव - बच्चों का स्कूल से जुड़ा काम पूरा करने के लिए मदद देने का वक़्त है। आज खाली वक्त का सही उपयोग करने के लिए आप अपने पुराने मित्रों से मिलने का प्लान बना सकते हैं। रात को आज आप अपने किसी करीबी से कई देर तक फोन पर बात कर सकते हैं और अपने जीवन में चल रही बातों को बता सकते हैं। नेगेटिव - आपके सामने जो भी हैं उसके बारे में सोचने की बजाय आपके पास जो हैं उससे संतुष्ट रहें, इसका परिणाम आपके अनुमान से ज्यादा बड़ा होगा। लव - अभी उन निजी बातों को निजी ही रखें जिन्हे आप किसी से भी बाँटना नहीं चाहते और अपनी असुरक्षा को किसी अन्य के साथ साझा न करें । व्यवसाय - आपको कुछ आवश्यक वित्तीय योजना बनाने की भी आवश्यकता है। व्यवसाय से सम्बन्धित लोगों को कुछ विचार करने की आवश्यकता हो सकती है। स्वास्थ्य - खान-पान पर संयम रखना होगा अन्यथा उदर विकार से परेशानी हो सकती है। भाग्यशाली रंग: नीला, भाग्यशाली अंक: पांच पॉजिटिव - आप अपने रोजाना के कामों और विचारों से बोर हो चुके हैं और इस समय कुछ बड़ा करने के इच्छुक हैं। अब आप अपने जीवन के प्रत्येक कोने से आदर्शों और पहलुओं को देख रहे हैं और इन्हे आपस में जोड़ रहे हैं ताकि जीवन में बेहतरीन संभावनाओं को खोजा जा सके। नेगेटिव - अपने या अपने किसी खास के रिश्तेदारों की समस्याओं के कारण आपको क़ानूनी बैठकों में भाग लेना पड़ेगा। अपने दृष्टिकोण को लेकर आशावादी रहें और अपने भय व चिंताओं के बारे में किसी प्रियजन से बात करें ताकि वो जीवन में आगे बढ़ने में आपकी मदद करे। लव - इस समय आप अपने आसपास के लोगों पर अधिक ध्यान दे रहे हैं और अधिक सहज महसूस कर रहे हैं। याद रखें, खुशियां साँझा करने से भी कम नहीं होती। किसी अन्य को अभी उतना अच्छा महसूस कराएं जितना आप महसूस कर रहे हैं। व्यवसाय - आप नौकरी या धन्धे में कुछ अच्छा करने के प्रयास में रहेंगे। नए उद्यमों या व्यवसायों से जुड़ने का मौका मिलेगा। नौकरी की स्थिति बेहतर होगी। नए परिवर्तन अथवा नए काम की शुरुआत होगी। स्वास्थ्य - स्वास्थ्य के लिहाज से मिश्रित फल देने वाला रह सकता है। हालांकि लेकिन मौसम जनित बीमारियों से कभी कभार स्वास्थ्य नरम-गरम रह सकता है। भाग्यशाली रंग: सफेद, भाग्यशाली अंक: आठ पॉजिटिव - बैठकों में आपका ज्यादा समय बीतेगा क्योंकि आपके लिए क़ानूनी मामले या अनुबंध साइन करना ज़रूरी है। आपको परिवार की मदद करने और मतभेद दूर करने के लिए भी बुलाया जा सकता है। आज आपको किसी अज्ञात स्रोत से पैसा प्राप्त हो सकता है जिससे आपकी कई आर्थिक परेशानियां दूर हो जाएंगी। नेगेटिव - स्थान में बदलाव आपके और किसी खास व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है इसलिए नयी संभावनाओं के लिए घर से बाहर कुछ समय बिताए। आप दूसरों की जरूरतों और इच्छाओं के अनुरूप काम करेंगे। पारिवारिक जटिलताओं के कारण कुछ योजनाएं बाधित होंगी। लव - आपके पति या साथी के पास एक ऐसा रहस्य है, जो वो आपसे शेयर करना चाहता है, यह उनके अतीत से जुड़ा हुआ हो सकता है। उनके भय या अकेलेपन के बारे में सुनने के लिए समय निकालें। व्यवसाय - व्यवसायी कहीं बेहतर जगह पूंजी निवेश कर सकते हैं। आप दैनिक कार्यों में स्फूर्तिवान बने रहेंगे और कार्यक्षेत्र में अच्छा करते रहेंगे। स्वास्थ्य - यदि दवाओं के साथ प्रार्थना पर भी जोर दिया जाएगा तो पुरानी बीमारिया तो दूर होंगी ही कोई नई बीमारी नहीं होगी। भाग्यशाली रंग: नीला, भाग्यशाली अंक: एक पॉजिटिव - आपके भाग्य में बहुत ��ुछ है लेकिन इन्हे आप आसानी से संभाल सकते है; अपनी प्राथमिकताओं को अच्छी तरह से प्रबंधित करें जिससे आपके पास हर किसी के लिए पर्याप्त समय होगा। लम्बे समय से लोन लेने की सोच रहे लोगों का आवेदन जो अभी तक स्वीकार नहीं हुआ था उसे लेकर कोई खुशख़बरी मिल सकती हैं। नेगेटिव - हाल में हुआ कोई नुकसान या बीमारी आपको यह जाँचने में प्रेरित करेंगे कि आप क्या विश्वास करते हैं और किस तरह से जीना चाहते हैं। अपने पार्टनर से अपनी आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि के बारे में स्पष्ट बातचीत करना और साथ में यात्रा करना आप दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। लव - अपने प्यार के रिश्ते को और भी मजबूत ब���ाएं। संचार और वार्तालाप इस समय आपके लिए सकारात्मक और आकर्षक हैं, इसलिए इसका फायदा उठायें। व्यवसाय - नौकरीपेशा लोगों के लिए यह समय बहुत ही अनुकूलता ला सकता है। पदोन्नति या वेतन बृद्धि के योग बन रहे हैं। यदि आप नौकरी की तलाश में हैं तो कोई बेहतर नौकरी मिल सकती है। स्वास्थ्य - यदि आप पिछले दिनों से किसी बीमारी की वजह से परेशान हैं तो उम्मीद है कि छठे भाव में स्थित शनि आपके स्वास्थ्य लाभ में कुछ मददगार हो सकता है। भाग्यशाली रंग: कथ्थई, भाग्यशाली अंक: छ पॉजिटिव - यात्रा की भी संभावना है, जिसमे बॉस या अधिकारी आपके साथ होंगे जिसे आपकी योजनाओं को सुना जाएगा। इस समय खुद पर विश्वास रखें और अपने अंतर्ज्ञान का पालन करें। इस वक्त आप बड़ी चीज़ों, विचारों, सपनों, योजनाओं आदि के बारे में सोच रहे हैं। नेगेटिव - अपने उन प्रियजनों से बात कर के जो सच में आपकी मदद करते हैं, आप समर्थक महसूस करेंगे। एकाग्रता की कमी के कारण आपका काम प्रभावित होगा। कनेक्शन बनाने और बनाए रखने में व्यस्त होने के कारण आप मुख्य मुद्दों से भटक सकते हैं। लव - दोस्ताना रिश्ते, रोमांटिक अफेयर्स और मनोरजंक अभी आपकी प्राथमिकता है। अपने विचारों और दिल की बातों को किसी ऐसे के साथ साँझा करे जो वापसी में आपको यही दे। व्यवसाय - भविष्यफल कहता है कि बड़े निर्णय लेने या विकास की योजनाओं पर अमल करने से पहले पूरी तरह से जांच परख कर लेना जरूरी होगा। कोई सोची हुई यात्रा पूरी करने से बड़ा लाभ होगा। स्वास्थ्य - आपको पुरानी बीमारी से छुटकारा मिल सकता है। लेकिन शनि के छठे भाव में होने के कारण कुछ पुरानी पद्धति के उपचारों का सहारा लेना बेहतर रहेगा। भाग्यशाली रंग: किरमजी, भाग्यशाली अंक: पांच पॉजिटिव - वित्तीय योजना और रणनीति के लिए यह बिलकुल उपयुक्त समय है। इस समय आप अपने ज्ञान का पूरा प्रयोग कर रहे हैं। किसी उद्देश्यपूर्ण मिशन में शामिल होकर वो दुःख या तनाव जिसे आप महसूस कर रहे हैं वो दूर होगा। शोध करें, विशेषज्ञों से बात करें या आध्यात्मिक ज्ञान ग्रहण करें। नेगेटिव - अभी दृश्यों या वातावरण में बदलाव आपको उत्साहित कर रहा है लेकिन यात्रा की समस्याओं के लिए भी तैयार रहें। किसी क़ानूनी मामले या अन्य समस्या के कारण आपको एकदम अधिक ��न खर्च करना पड़ सकता है। धन आपकी मुट्ठियों से आसानी से सरक जाएगा, लेकिन आपके अच्छे सितारे तंगी नहीं आने देंगे। लव - सुनना दिल का दृष्टिकोण और एक दूसरे के साथ रहने की वास्तविक इच्छा है जो दोनों को आकर्षित करती है और सभी घाव भर देती है। अपने साथी या किसी क़रीबी के साथ एक बैठक अभी बेहद ज़रूरी है। व्यवसाय - वित्तीय निवेश की योजना बनाएं, अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ें और धन या रिस्की व्यापार या बुराईयों से दूर रहें और अच्छे से निवेश करें। स्वास्थ्य - स्वास्थ्य की परेशानियों को भी शेयर करना आवश्यक है। भाग्यशाली रंग: बादामी, भाग्यशाली अंक: एक पॉजिटिव - ऐसे विषयों के बारे में बातचीत खोलने का भी यह एक अच्छा समय है जिनके बारे में आप लम्बे समय से बात करना चाहते थे। इस समय आप बड़े पैमाने पर आर्थिक मुद्दों को भी संभालेंगे। अचानक मिली कोई अच्छी ख़बर आपका उत्साह बढ़ा देगी। परिवार के लोगों के साथ इसे बांटना आपको उल्लास से भर देगा। नेगेटिव - अतीत पर न ध्यान न दें। इसकी जगह आने अपनी मंज़िल पर ध्यान दें, क्योंकि इस चरण में करियर में बदलाव हो सकता है। अपनी बुराइयों या गलत निर्णयों के माध्यम से मिली असफलताओं से उबरने के लिए कार्य करें। लव - दोस्त, प्यार या मनोरंजन सब प्यार से ही संभव है लेकिन इन सब से आप खुशियां प्राप्त कर सकते हैं। याद रखें कि खुशी कभी साझा करने से कम नहीं होती इसलिए दूसरों से अपने दिल कि बात करने से पीछे न हटें। व्यवसाय - आपके कार्यक्षेत्र के लिए यह समय अनुकूल रहेगा। इस अवधि में आपका अपने प्रति विश्वास आपको लगातार विजय दिलायेगा। आप सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त करेंगे। स्वास्थ्य - कोई हालिया मृत्यु या बीमारी आपके लिए दुःख या संघर्ष का कारण बन सकती है। भाग्यशाली रंग: गुलाबी, भाग्यशाली अंक: छ Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Aaj Ka Rashifal Dainik Bejan Daruwalla in Hindi 3 February 2020 Rashifal Daily Horoscope
http://www.poojakamahatva.site/2020/02/2.html
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rajatgarg79 · 7 years ago
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हाई बीपी (हाई ब्लड प्रेशर, उच्च रक्तचाप) के लिए योग
हाई बीपी (हाई ब्लड प्रेशर, High blood pressure) को उच्च रक्तचाप (Hypertension) भी कहा जाता है। यह अपने आप में तो एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है ही, और अगर हाई बीपी का इलाज ना किया जाए तो यह अन्य गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है जैसे कि दिल का दौरा। जर्नल ऑफ हाइपरटेन्शन की 2014 की एक रिपोर्ट के अनुसार 29.3% भारतीय उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं। इसका एक ही तरीका है कि आप नियमित रूप से इसकी जांच करवाएं। और अगला तर्कसंगत कदम ये है कि कैसे आप उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करें।
from myUpchar.com के स्वास्थ्य संबंधी लेख via http://www.myupchar.com/disease/blood-pressure-high/yoga
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apollomedicslucknow · 4 years ago
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गुर्दा प्रत्यारोपण (किडनी ट्रांसप्लांट)
गुर्दा प्रत्यारोपण या रीनल ट्रांसप्लांट एक अंत चरण किडनी रोग के मरीज के गुर्दा प्रत्यारोपण करने की एक प्रक्रिया है। किडनी प्रत्यारोपण को दाता के स्रोत के आधार पर जीवित दाता प्रत्यारोपण या मृतक-दाता प्रत्यारोपण के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। लिविंग-डोनर प्रत्यारोपण को आनुवंशिक रूप से संबंधित या असंबंधित प्रत्यारोपण के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जो दाता और प्राप्तकर्ता के बीच जैविक संबंधों पर निर्भर करता है। एक किडनी रिसीवर (प्राप्तकर्ता) को आम तौर पर एक किडनी की आवश्यकता होती है, लेकिन कुछ दुर्लभ मामलों में, मरीज को मृतक दाता से दो किडनी प्राप्त हो सकती हैं। अधिकांश, संक्रमित या रोगग्रस्त किडनी को उसके स्थान पर छोड़ दिया जाता है और पेट के निचले हिस्से में प्रत्यारोपित की जाती है।
किडनी ट्रांसप्लांट हेल्पलाइन +91-8429029838
किडनी कैसे काम करती है?
हमारा शरीर केवल हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन से पोषक तत्व लेता है और उसे ऊर्जा में परिवर्तित करता है। सभी पोषक तत्वों का उपभोग करने के बाद अपशिष्ट उत्पाद रक्त और आँतों में पीछे ही' रह जाते हैं।
किडनी और मूत्र प्रणाली पोटेशियम और सोडियम जैसे रसायनों का उपभोग करते हैं और हमारे शरीर से यूरिया नामक अपशिष्ट उत्पाद को निकालते हैं और अम्ल- आधार संतुलन बनाए रखते हैं।
गुर्दे(किडनी) पसलियों के नीचे स्थित होते हैं और उनके निम्न कार्य हैं:
हमारे रक्त में से तरल अपशिष्ट निकालना
हमारे रक्त में एसिड और बेस का संतुलन बनाये रखना
एरिथ्रोपोइटिन बनाना (एक हार्मोन जो आरबीसी को बनाने में मदद करता है) में  रक्तचाप को नियंत्रित करना
नेफ्रॉन हमारे गुर्दे में रक्त से यूरिया फ़िल्टरिंग (साफ़ करने) की इकाई है। यूरिया और पानी मिलकर मूत्र (पेशाब) बनाते हैं और मूत्र पथ से गुजरते हैं।
किडनी प्रत्यारोपण से पहले की महत्वपूर्ण जांचें
रक्त परीक्षण: दाता सूची पर अपनी प्राथमिकता और अंग स्वीकृती की संभावनाओं को बेहतर बनाने में मदद के लिए।
डायग्नोस्टिक टेस्ट: ये संपूर्ण स्वास्थ्य स्थिति और गुर्दे का आकलन करने के लिए किए जाते हैं। परीक्षणों में शामिल हैं: एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, गुर्दे की बायोप्सी और दंत परीक्षण। महिलाओं को पैप परीक्षण, स्त्री रोग मूल्यांकन और मैमोग्राम से गुजरना पड़ सकता है।
किडनी प्रत्यारोपण से पहले की महत्वपूर्ण जांचें
निम्नलिखित कदम शामिल हैं:
यह प्रक्रिया नेफ्रोलॉजिस्ट (किडनी/ गुर्दा रोग विशेषज्ञ )और किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन के साथ एक स्पष्ट वार्तालाप से शुरू होता है जिसमें वे प्रत्येक पहलू को समझाते हैं और आपके सभी प्रश्नों के स्पष्ट जवाब दिए जाते हैं ।
आपको एक सहमति फॉर्म पर हस्ताक्षर करना होता है जो डॉक्टरों को सर्जरी करने की अनुमति देता है। इसे ध्यान से पढ़ें और अस्पष्ट बातों का स्पष्टीकरण लें ।
यदि आप नियमित डायलिसिस में हैं, तो आपको प्रत्यारोपण से पहले एक और डायलिसिस से ��ुजरना होगा।
यदि आप एक जीवित प्रत्यारोपण के लिए तैयार हैं, तो आपको ऑपरेशन से पहले 8 घंटे के लिए उपवास पर रखना होता है । कैडेवर ट्रांसप्लांट के मामले में, प्राप्तकर्ता को यह सूचना मिलने के बाद कि किडनी उपलब्ध है, उपवास करना पड़ता है।
आपको एक सेडेटिव दिया जा सकता है जिससे कि आपको आराम करने में मदद मिल सके।
आपकी शारीरिक और चिकित्सीय स्थितियों के आधार पर बाकी की तैयारियां की जा सकती है।
प्रक्रिया के दौरान:
किडनी प्रत्यारोपण से पहले आपको एक दिन के लिए अस्पताल में रहना होता है। प्रक्रिया आपके चिकित्सक के प्रैक्टिस पर निर्भर करेगा.
आम तौर पर एक गुर्दा प्रत्यारोपण के दौरान नीचे दिए गए चरणों का पालन किया जाता है:
आपको पहनने के लिए एक अन्य पोशाक दी जाएगी।
आपके बाज़ू या हाथ में एक इंट्रावेनस (IV ) लाइन शुरू की जाएगी। फिर आपके हृदय और नाड़ी की स्थिति को जांचने के लिए आपकी गर्दन और कलाई में एक कैथेटर का प्रत्यारोपित किया जा सकता है, जिससे कि आपका रक्त परीक्षण प्राप्त किया जा सके। अतिरिक्त कैथेटर के लिए विकल्प (SUBSTITUTE) जगहों में सबक्लेवियन (कॉलरबोन के नीचे) क्षेत्र और कमर (GROIN ) शामिल होते हैं।
सर्जिकल क्षेत्र से बाल हटा दिए जाएंगे।
एक कैथेटर आपके मूत्राशय में प्रत्यारोपित किया जाएगा।आप सर्जिकल टेबल पर स्थित अपने पीठ के बल लेटे होंगे ।
जब आप जनरल सेडेटिव के प्रभाव में होंगे , तब  यह प्रक्रिया शुरू की जाएगी। एक ट्यूब आपके मुंह के माध्यम से आपके फेफड़ों में डाली जाएगी और वह एक वेंटिलेटर से जुड़ी होगी जो कि  आपके फेफडों  के सांस सांस लेने में मदद करेगी।
एएनेस्थेटिस्ट ऑपरेशन के दौरान लगातार आपके दिल की दर, नाड़ी, श्वास और रक्त ऑक्सीजन के स्तर की जांच करेगा।
सर्जिकल साइट की चमड़ी को एक एंटीसेप्टिक द्वारा साफ़ किया जाएगा।सर्जन निचले पेट के एक तरफ चीरा लगाएगा।
सर्जन गुर्दा देने वाले के गुर्दे की जांच करेगा।
दाता गुर्दे को पेट में प्रत्यारोपित किया जाएगा। आपके दाएं तरफ प्राप्त गुर्दे को प्रत्यारोपित किया जाएगा; दायाँ दाता गुर्दा आपके बाईं ओर प्रत्यारोपित किया जाएगा जाएगा। यह आपके मूत्राशय के साथ जुड़कर मूत्रवाहिनी की जांच करने में मदद करता है ।
दाता गुर्दे के गुर्दे की धमनी (रीनल आर्टरी) और शिरा (वेन) को बाहरी iliac धमनी और शिरा से सिला जाएगा।
धमनी और शिरा जुड़ने के बाद, इनके माध्यम से होने वाले वाले रक्त प्रवाह का सिले हुए लाइनों पर रक्तस्राव (ब्लीडिंग) की जाँच की जाएगी।
दाता मूत्रवाहिनी (गुर्दे से मूत्र को निकलने वाली ट्यूब) आपके मूत्राशय के साथ जुड़ी होगी।
चीरा स्टेपल या टांकों के द्वारा बंद किया जाएगा।निर्वहन सूजन को कम करने के लिए चीरे वाली जगह से सटा कर प्रत्यारोपित किया जा सकता है।
तत्पष्चात ड्रेसिंग की जायेगी.
प्रक्रिया के बाद
ऑपरेशन के बाद, आपको निगरानी में रखा जाएगा । जब आपका रक्तचाप, नाड़ी, श्वास नियंत्रण में आ जाएगा और स्थिर हो जाएगा तो आपको गहन चिकित्सा इकाई (���ईसीयू) या अस्पताल के वार्ड  में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। किडनी ट्रांसप्लांट के मरीजों को मॉनिटरिंग के लिए  अस्पताल में कई दिन से कई सप्ताह तक रहना पड़ सकता  है।
कैडेवर किडनी प्रत्यारोपण के मामले में, गुर्दा मूत्र का उत्पादन करने में थोड़ा अधिक समय ले सकता है और उसे डायलिसिस की आवश्यकता भी पड़ सकती है, लेकिन जीवित दाता प्रत्यारोपण के मामले में गुर्दे तुरंत मूत्र का उत्पादन शुरू कर देते हैं।
मूत्राशय में मूत्र के निकास के लिए और मूत्र उत्पादन और गुर्दे के कार्य को प्रभावी ढंग से मापने के लिए एक कैथेटरप्रत्यारोपित किया जाता है।
जब तक आप पर्याप्त मात्रा में भोजन लेने में सक्षम नहीं हो जाते तब तक आपको IV(इंट्रावेनस) से तरल पदार्थ दिए जाएंगे ।
अन्य दवाओं के साथ ही इम्मुनोसप्रेसेंट (एंटी-रिजेक्शन दवाएं) भी दी जाएगी और इसे अनुकूलित करने के लिए इसकी बारीकी से निगरानी की जाएगी।
आपके रक्त के नमूने गुर्दे के कार्य की कार्यक्षमता को जांचने के लिए और दूसरे अंगों, जैसे कि लिवर पर इसके प्रभाव पर निगरानी रखने के लिए अक्सर लिए जाएंगे ।
आप प्रक्रिया के अगले ही दिन से दिन में कई बार चल सकते हैं (बिस्तर में ही पड़े रहने की स्थिति नहीं होती है)।
केवल चिकित्सकों द्वारा निर्धारित दर्द निवारक दवाएँ लें।
डायटिशियन, नर्सिंग, भौतिक चिकित्सक और इन जैसे सभी शामिल विभाग निर्देश देंगे कि देखभाल कैसे करें और तेजी से ठीक कैसे हों ।
घर जाने के बाद यदि आपको कोई भी निम्न लक्षण महसूस हो, तो जल्द से जल्द अपने चिकित्सक को सूचित करें:
बुखार - अस्वीकृति या संक्रमण का संकेत हो सकता है।
चीरा क्षेत्र का लाल होना , चीरा क्षेत्र में सूजन, या वहां से खून का बहना ।
चीरा क्षेत्र में या उसके पास अधिक दर्द का होना - अस्वीकृति या संक्रमण का संकेत हो सकता है।
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abhay121996-blog · 4 years ago
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कोरोना से दम तोड़ते अपने, हर तरफ बेबसी... यूपी की हकीकत से रूबरू करा रहीं ये 4 कहानियां Divya Sandesh
#Divyasandesh
कोरोना से दम तोड़ते अपने, हर तरफ बेबसी... यूपी की हकीकत से रूबरू करा रहीं ये 4 कहानियां
लखनऊ/नोएडा यूपी में कोरोना वायरस संक्रमण के साथ-साथ लोगों की बेबसी और लाचारी भी बढ़ती जा रही है। दम तोड़ती स्वास्थ्य व्यवस्था ने कोरोना मरीजों को खुद के ही हवाले छोड़ दिया है। कोविड कंट्रोल रूम में बार-बार कॉल करने पर सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है लेकिन मरीज के लिए कोई मदद नहीं। अस्पताल के बाहर मरीज कहीं ऐंबुलेंस में बैठें कहीं कड़ी धूप में ही इंतजार कर रहे हैं। आंखों के सामने ही किसी अपने की जान जा रही है और कोई कुछ नहीं कर पा रहा है। यूपी में हाल कितने बदहाल हैं ये इन चार कहानियों से समझ सकते हैं-
लखनऊ: फोन पर रोए-गिड़गिडाए, कोई मदद नहीं मिली ‘जीवन और मृत्यु तो ईश्वर के हाथ में है। मुझे अफसोस इस बात का है कि मैं दो ��िन से कोविड कंट्रोल रूम में फोन करता रहा। सीएमओ से लेकर सभी जिम्मेदार अफसरों को फोन करवाया, लेकिन इलाज तो दूर मेडिकल टीम झांकने तक नहीं आई। हर बार एक ही जवाब मिलता रहा, बस पांच मिनट में मेडिकल टीम पहुंच रही है। ऑक्सिजन मेरे आंखों के सामने खत्म होती रही और मैं फोन मिलाने के सिवाय कुछ नहीं कर सका। आखिरकार मेरे सामने ही मधु ने दम तोड़ दिया…’ यह दर्द है गोमतीनगर के विनम्रखंड निवासी 67 वर्षीय रिटायर्ड जज रमेश चंद्रा का।
रमेशा चंद्रा की पत्नी मधु चंद्रा 64 साल की थीं। उन्होंने बताया कि पांच-छह दिन से दोनों की तबीयत खराब थी। दोनों ने एहतियातन वैक्सीन लगवाई और कोविड की जांच भी करवाई। मंगलवार तड़के करीब चार बजे मधु के मोबाइल पर कोविड कंट्रोल रूम से कॉल आई कि वह कोविड पॉजिटिव हैं।
बुधवार को रमेश चंद्रा को भी कोविड पॉजीटिव बताया गया। कोविड पॉजिटिव होने की जानकारी होने के बाद रमेश चंद्रा लगातार कोविड कंट्रोल रूम में फोन करते रहे। ज्यादातर समय नंबर व्यस्त बताता रहा। जितनी बार भी बात हुई तो कॉल रिसीव करने वाले ने आश्वासन दिया कि पांच मिनट में मेडिकल टीम पहुंच रही है, लेकिन कोई टीम नहीं पहुंची।
नोएडा: 48 घंटे तक नहीं मिला बेड, घर में मर गया बुजुर्ग नोएडा में एक बुजुर्ग मरीज को 48 घंटे तक बेड नहीं मिला, आखिरकार उसकी घर पर ही मौत हो गई। विडंबना देखिए, चार घंटे बाद स्वास्थ्य टीम मरीज की खोज-खबर लेने पहुंच रही है। सेक्टर 22 के रहने वाले एक 76 वर्षीय बुजुर्ग ने 48 घंटे तक बेड न मिलने पर होम आइसोलेशन में ही दम तोड़ दिया।
चार दिन पहले बुजुर्ग की आरटीपीसीआर रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। उधर, सेक्टर 20 में एक 70 वर्षीय बुजुर्ग को 3 दिन से बेड नहीं मिल रहा है। इसकी वजह से बुजुर्ग की तबीयत बिगड़ती जा रही है। पड़ोसी लगातार हेल्पलाइन पर सम्पर्क कर रहे हैं, पर आरोप है कि कोई मदद नहीं मिल रही है।
मौत के चार घंटे बाद पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम सेक्टर 22 के रहने वाले दीवान सिंह नेगी ने बताया कि उनके घर के बगल में रहने वाले 76 वर्षीय डीएस रावत 4 दिन पहले कोरोना से संक्रमित हुए थे। घर पर उनका इलाज चल रहा था। 2 दिन पहले तबीयत बिगड़ने पर उन्होंने प्राइवेट कोविड अस्पताल से संपर्क किया, लेकिन उन्हें बेड नहीं मिला। लिहाजा इलाज के अभाव में गुरुवार शाम करीब साढ़े चार बजे बुजुर्ग में दम तोड़ दिया।
दीवान के मुताबिक, साढ़े चार बजे बुजुर्ग की मौत हुई। जान���ारी देने के बाद करीब 8 बजे स्वास्थ्य विभाग की टीम आई और 15 मिनट में चली गई। वहीं बताया जा रहा है कि बुजुर्ग की पत्नी भी कोरोना से संक्रमित हैं। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
हेल्पलाइन नंबर पर नहीं मिल रही मदद, तड़प रहे मरीज सेक्टर 20 निवासी 70 वर्षीय सुरेंद्र कुमार धर और उनकी पत्नी सविता धर कोरोना से संक्रमित हैं। 13 अप्रैल को कैलाश अस्पताल में कोविड जांच से इसकी पुष्टि हुई। पूर्व आरडब्लूए महासचिव जितेंद नागर ने बताया कि 3 दिन से बेड नहीं मिल रहा है। इससे दोनों की तबीयत बिगड़ती जा रही है। उन्होंने बताया कि सरकारी हेल्पलाइन नंबरों पर काल करके सहायता मांगी तो वहां से भी कोई मदद नहीं मिली है। दंपती का बेटा बंगलूरू में रहता है। घर में फिलहाल कोई उनकी देखभाल करने वाला भी नहीं है।
कानपुर: 40 डिग्री तापमान में अस्पताल के बाहर लेटे हैं मरीज कानपुर में कोरोना संक्रमण से लगातार हाल बिगड़ रहे हैं। एलएलआर अस्पताल के बाद अब लेवल-2 कांशीराम ट्रॉमा सेंटर के भी फुल होने के बाद कोविड मरीज अस्पताल परिसर में धूप में तड़प रहे हैं। गुरुवार को ऐसे तीन मरीजों को घंटों इंतजार के बावजूद बेड नहीं मिल सका। गुरुवार को जिले के इकलौते लेवल-3 एलएलआर अस्पताल के बाहर मरीज भर्ती होने के इंतजार में लेटे थे। ऐसे ही तीन मरीज गुरुवार को कांशीराम ट्रॉमा सेंटर में मिले।
वे करीब 40 डिग्री तापमान में बाहर लेटे थे। 115 कोविड बेड के साथ कांशीराम ट्रॉमा सेंटर फुल है। एक तीमारदार के अनुसार, 108 हेल्पलाइन पर सीएमओ दफ्तर से संपर्क करने को कहा जा रहा है, जबकि सीएमओ दफ्तर 108 पर कॉल करने की बात कह रहा है। निजी अस्पताल बिना सीएमओ दफ्तर की चिट्ठी भर्ती करने को तैयार नहीं हैं। कानपुर प्रशासन का दावा है कि शहर में कोविड मरीजों के लिए करीब 1500 बेड उपलब्ध हैं लेकिन करीब 1300 बेड ही संचालित हैं।
मौतें 13 तो दाह संस्कार 33 कैसे मौतों के आंकड़ों को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। सरकारी रिपोर्ट पर भरोसा करें तो बुधवार-गुरुवार को कानपुर में कुल 13 मरीजों की मौत हुई। जबकि नगर निगम संचालित भैंरो और भगवतदास घाट पर कुल 33 शवों का अंतिम संस्कार हुआ। गुरुवार रात तक कुछ और शव पहुंचने की आशंका है। कोई अधिकारी इस बारे में स्पष्टीकरण देने को तैयार नहीं है।
बाराबंकी: मोहल्ले के लोगों का दुखदायी दर्द बाराबंकी में एक परिवार में दो लोगों की मौत के बाद मोहल्ले के लोगों की उपेक्षा उन्हें बेहाल कर रही है। बाराबंकी के सरावगी वॉर्ड में रहने वाली खरे फैमिली में दो भाइयों की मौत हो गई। आलम ये है कि इन्हें रोजमर्रा की चीजें तक मिलने में दिक्कत हो रही है। शहर के सरावगी वॉर्ड में सुनील कुमार खरे पत्नी-बच्चे और छोटे भाई संजीव खरे के साथ संयुक्त रूप से रहते थे।
सुनील खरे की अभी 11 अप्रैल को राजधानी के सर्वोदयनगर के एक निजी अस्पताल में मौत हो गई। बेटे हिमांशु खरे के अनुसार उनके पिता को सांस लेने में दिक्कत थी। लोहिया अस्पताल में भर्ती न होने के बाद वह अपने पिता को सर्वोदयनगर के हर्षित हॉस्पिटल ले गए। वहां पर आरटीपीसीआर का सैंपल लिया गया। उसी रात 12 बजे उनकी मृत्यु हो गई।
कुछ घंटों के इलाज के बदले उनसे एक लाख से ज्यादा वसूल लिए गए। इधर, सुनील कुमार के निधन की बात सुनकर घर पर मौजूद उनके भाई संजीव को दिल का दौरा पड़ा और उनकी भी मौत हो गई। उनका लखनऊ में ही दाह संस्कार किया गया फिर यहां आकर छोटे भाई संजीव का अंतिम संस्कार किया गया।
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chaitanyabharatnews · 5 years ago
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देश में हर 10 में से एक व्यक्ति थायरॉइड का शिकार, जानें इसका कारण, लक्षण और बचाव के तरीके
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चैतन्य भारत न्यूज थायरॉइड इन दिनों एक आम बीमारी बन गई है। देश में लगभग एक तिहाई लोगों में थायरॉइड की समस्या देखने को मिलती है। इंडियन थायरॉइड सोसाइटी के मुताबिक, भारत में हर दस में से एक व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित है। आईटीसी की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, 32 फीसदी भारतीयों में थायरॉइड का स्तर सामान्य पाया जाता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में थायरॉइड का खतरा 10 गुना ज्यादा होता है। महिलाओं में ऑटो इम्यून प्रॉब्लम की बढ़ती समस्या इसका मुख्य कारण है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); थायरॉइड गले में तितली के आकार की एक एंडोक्राइन ग्लैंड है जो गले के निचले हिस्से में सामने की ओर मौजूद होता है। यह हमारे शरीर के मेटाबॉलिज्म को संतुलित बनाए रखने में मदद करत है। इस ग्लैंड से निकलने वाले हार्मोन खून के साथ मिलकर हमारे पूरे शरीर पर असर करते हैं। ये हार्मोन हमारे मेटाबॉलिज्म, हार्ट फंक्शन, हड्डी, त्वचा और आंतों के कार्य को सही बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होते हैं। यदि यह ग्लैंड थायरॉइड हार्मोन्स को ठीक से बनाने में सक्षम नहीं रहते हैं, तो यह शरीर के लिए समस्या बन जाती है। इसमें मौजूद हार्मोन टी3, टी4 और टीएसएच का स्तर कम या ज्यादा होने से समस्या होती है। मेटाबॉलिज्म हमारे शरीर के तापमान, कैलोरी की खपत, दिल की धड़कनें आदि को प्रभावित करता है इसलिए इसका सही रूप से काम करना भी बहुत जरूरी है, जो थायरॉइड की समस्या के साथ संभव नहीं है। शुरुआती स्तर पर तो थायरॉइड के कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं और यही कारण है कि धीरे-धीरे यह एक गंभीर समस्या बन जाती है। ये हैं थायरॉइड के लक्षण मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द गर्दन में सूजन बालों और त्वचा की समस्या पेट खराब होना हार्मोनल बदलाव मोटापा थकान, अवसाद या घबराहट बच्चों को थायरॉइड होने का कारण बच्चों में जब थायरॉइड की समस्या होती है तो उसके लिए माता-पिता जिम्मेदार होते हैं। यदि मां को गर्भावस्था के दौरान थायरॉइड है तो बच्चों में थायरॉइड होने की आशंका ज्यादा बढ़ जाती है। इसके अलावा मां के खानपान से भी बच्चों के सारे फंक्शन प्रभावित होते हैं। यदि गर्भावस्था के दौरान मां के डाइट चार्ट में आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों का अभाव है तो इसका असर शिशु पर पड़ता है। वैसे तो बड़ो, किशोर और बच्चों में थायरॉइड के लक्षण सामान्य होते हैं लेकिन अगर बच्चों में यह होता है तो इससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होता है। कैसे होती है थायरॉइड की जांच? थायरॉइड की जांच ब्लड टेस्ट के जरिए की जाती है। शुरुआती चरण में इसकी पहचान होने पर इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है, लेकिन यदि समय पर निदान नहीं किया गया तो मरीज का स्वास्थ्य भी बिगड़ता चला जाता है। थायरॉइड से बचाव नियमित रूप से फल और हरी सब्जियों का सेवन करें। इससे थायरॉइड संतुलित रहता है। टमाटर और हरी मिर्च थायरॉइड को नियंत्रण करने में कारगर है। इसलिए अपने आहार में इन चीजों को जरूर शामिल करें। अदरक भी इस समस्या से निजात दिलाता है। अदरक में मौजूद पोटेशियम और मैग्नीशियम की प्रचुर मात्रा और इसका एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण थायरॉइड को बढ़ने से रोकता है। थायरॉइड का इलाज थायरॉइड को ऐसे उपचार की आवश्यकता है जो थायरॉइड से निकलने वाले हार्मोन को संतुलित रखने में कारगर हो। इसके शुरुआती इलाज के लिए दवाओं का सहारा लिया जाता है। लेकिन यदि यह समस्या गंभीर है तो सर्जरी की मदद से हार्मोन्स को संतुलित रखने की कोशिश की जाती है। थायरॉइड की किसी भी समस्या के शुरू होने पर इसका सही समय पर इलाज शुरू करना बेहद जरूरी है। डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं को समय पर लें। गर्भवती महिलाओं के लिए भी बेहद जरूरी है कि वह समय-समय पर स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह से थायरॉइड की जांच कराती रहें। इन चीजों से करें परहेज यदि आप थायरॉइड के मरीज हैं तो आप अपने आहार में तली-भुनी चीजों को बिल्कुल भी ना शामिल करें। ज्यादा चीनी या मीठी चीजों का सेवन करने से बचें। पत्ता गोभी और ब्रोकली से परहेज करें। ग्लूटेनयुक्त खाद्य पदार्थों से भी परहेज करें, क्योंकि इसमें ऐसे प्रोटीन होते हैं जो इम्यून सिस्टम को कमजोर करते हैं। कैफीन में मौजूद एपिनेफ्रीन और नोरेपिनेफ्रीन थायरॉइड को नियंत्रित करते हैं। ये भी पढ़े... ध्यान न देने पर बढ़ता ही जाता है मोटापा, जानिए इसके प्रमुख कारण टीवी-मोबाइल की गिरफ्त में 80% बच्चों को मोटापा, हो रहे फैटी लिवर जैसी कई गंभीर बीमारियों के शिकार घी छोड़ने से नहीं बल्कि इसे खाने से कम होता है मोटापा, जानिए इसके फायदे Read the full article
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womenscreenings · 4 years ago
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फेफड़े के कैंसर की जांच अन्य धूम्रपान बीमारियों का पता लगा सकती है
चिकित्सा विशेषज्ञ पहले से अधिक उपचार योग्य चरणों में घातक ट्यूमर का पता लगाने के लिए फेफड़ों के कैंसर की जांच के लिए एक प्रभावी तरीका मानते हैं। अब, नए शोध से पता चलता है कि फेफड़ों के कम खुराक वाले सीटी स्कैन से धूम्रपान से संबंधित अन्य बीमारियों का निदान और उपचार भी बेहतर हो सकता है।
अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ। एलिजाबेथ रेगन ने कहा, "जहां फेफड़े का कैंसर हर साल सैकड़ों धूम्रपान करने वालों को मारता है, वहीं धूम्रपान करने वाले अन्य लोग धूम्रपान से संबंधित बीमारियों, जैसे दिल का दौरा, स्ट्रोक और पुरानी प्रतिरोधी फेफड़े की बीमारी से मर जाते हैं।" वह डेनवर में नेशनल ज्यूइश हेल्थ में मेडिसिन की एसोसिएट प्रोफेसर हैं।
"अपेक्षाकृत कम अतिरिक्त काम के साथ, फेफड़ों के कैंसर की जांच के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कम खुराक वाली सीटी स्कैन पहले से हृदय रोग, वातस्फीति या ऑस्टियोपोरोसिस की पहचान कर सकती है," उसने एक अस्पताल समाचार विज्ञप्ति में कहा।
अध्ययन के लिए, रेगन और उनके सहयोगियों ने 4,000 से अधिक फेफड़ों के कैंसर-स्क्रीनिंग सीटी स्कैन की समीक्षा की। 30 से अधिक वर्ष के धूम्रपान इतिहास के साथ रोगियों की आयु 55 से 80 वर्ष की थी। शोधकर्ताओं ने कोरोनरी धमनी कैल्सीफिकेशन के लिए स्कैन की जाँच की, जो हृदय रोग, वातस्फीति और ऑस्टियोपोरोसिस का प्रमाण है।
कुल मिलाकर, 77% रोगियों में हृदय रोग, वातस्फीति या ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण पाए गए। पहले से अनिर्धारित हृदय रोग 25% में पाया गया था, पहले 7% में अनिर्धारित वातस्फीति और 46% में पहले से अनिर्धारित ऑस्टियोपोरोसिस था।
अध्ययन के लेखकों ने कहा कि उन रोगों के नए निदान वाले रोगियों को निम्नलिखित छह वर्षों में गंभीर समस्याएं होने की संभावना थी।
उदाहरण के लिए, हृदय रोग के एक नए निदान वाले लगभग 7% लोगों को अगले पांच वर्षों में दिल का दौरा या स्ट्रोक का सामना करना पड़ा, बिना हृदय रोग वाले लोगों की तुलना में लगभग 50% अधिक। ऑस्टियोपोरोसिस के एक नए निदान के साथ चार से 10 से अधिक ने आगामी वर्षों में कशेरुकात्मक फ्रैक्चर का सामना किया, जो ऑस्टियोपोरोसिस के बिना लगभग दोगुना था।
रिपोर्ट के अनुसार, नए निदान वाले वातस्फीति वाले लगभग 35% लोगों को अगले वर्षों में फेफड़े के लक्षणों से निमोनिया या एक्ज़ैर्बेशन का सामना करना पड़ा, जो रिपोर्ट के अनुसार वातस्फीति के बिना थोड़ा अधिक है।
अध्ययन के वरिष्ठ लेखक डॉ। जे। फिनिगन ने कहा, "इन बीमारियों का जल्द पता लगाने और उचित उपचार के साथ, हम [परिस्थितियों से संबंधित मौतों] को कम करने, कार्य की गुणवत्ता और जीवन की गुणवत्ता में सुधार, और फ्रैक्चर के जोखिम को कम करने की अपेक्षा कर सकते हैं।" Finigan अस्पताल के फेफड़ों के कैंसर स्क्रीनिंग कार्यक्रम के चिकित्सा निदेशक हैं।
"हम मानते हैं कि इन अन्य धूम्रपान संबंधी बीमारियों के लिए फेफड़े के कैंसर स्क्रीनिंग सीटी स्कैन के विश्लेषण के द्वारा प्राप्त की जाने वाली जबरदस्त क्षमता है।"
आपके स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता के साथ साझा निर्णय
आपकी मदद करने के लिए, आपके स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता को आपको जानना होगा। हमारी सेहत हमारे जीवन में हर चीज से प्रभावित होती है-हमारी नौकरी और काम का शेड्यूल, हमारे परिवार, हमारी मनोवैज्ञानिक भलाई, जिस संस्कृति में हम पले-बढ़े हैं और जिस मोहल्ले में हम रहते हैं, वह सब आपके स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता को आपके साथ काम करने में मदद करता है। एक स्वास्थ्य योजना बनाने के लिए जो आपकी जीवनशैली के लिए सबसे उपयुक्त हो।
आपका स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता भी एक व्यक्तिगत जासूस के रूप में कार्य करता है, जो आपके शरीर में चल रहा है, यह निर्धारित करने के लिए सुराग के माध्यम से मुकाबला करता है - लेकिन आपको सुराग प्रदान करना होगा। सबसे अच्छे तरीकों में से एक स्वास्थ्य पत्रिका को रखना है, जिसमें शामिल हैं:
जब लक्षण शुरू हुए और लक्षणों की अवधि
लक्षण शुरू होने पर परिस्थितियाँ
लक्षणों का दिनांक और समय
1-10 के पैमाने पर लक्षणों की गंभीरता
लक्षणों के समय आपका सामान्य स्वास्थ्य। क्या आप महसूस कर रहे थे कि आप नीचे भाग रहे हैं? उत्तेजित? मिचली? डिजी?
आपने उस दिन क्या खाया-खाना आश्चर्यजनक तरीकों से लक्षणों से जुड़ा हो सकता है
आपकी दवा में कोई बदलाव
अपनी नियुक्ति के लिए अपनी मेडिकल पत्रिका अपने साथ लाएं। इन लक्षणों के सुराग के अलावा, आप किसी भी प्रश्न को जोड़ना चाह सकते हैं, जिसमें ऑनलाइन जानकारी से जुड़े प्रश्न शामिल हैं। लेकिन कृपया इंटरनेट से एकत्रित प्रश्नों को दो या तीन से अधिक नहीं सीमित करें। आप यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि एक उचित परीक्षा करने और अपने उपचार पर चर्चा करने के लिए पर्याप्त समय हो। पत्रिका स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता के साथ आपकी चर्चा के दौरान नोट्स बनाने के लिए एक उत्कृष्ट स्थान भी है, जिसमें किसी भी निर्धारित दवा से क्या उम्मीद की जानी चाहिए।
यदि आप उन लोगों में से हैं जो स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता के कार्यालय में जानकारी साझा करने और इकट्ठा करने के लिए बहुत अभिभूत हैं, तो एक ऐसे साथी को लाने पर विचार करें जो उद्देश्यपूर्ण हो सकता है और आपके लिए नोट्स रखने के लिए सहमत होगा। बस यह सुनिश्चित कर लें कि यह व्यक्ति जानता है कि आपको यात्रा का मुख्य केंद्र होना चाहिए।
कार्यालय की यात्रा के बाद भी स्वास्थ्य सेवा साझेदारी जारी है। क्योंकि साझा निर्णय लेने के लिए संचार इतना महत्वपूर्ण है, अपने स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता से पूछें कि आप कैसे सबसे अच्छा पालन कर सकते हैं। वह जानना चाहेगी कि क्या आप द्वारा बताई गई दवाई के साइड इफेक्ट्स हैं, बेहतर या बदतर महसूस कर रहे हैं या कोई चिंता है। अधिकांश स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं के पास अब ऑनलाइन एक सुरक्षित रोगी पोर्टल है और यह आपके हेल्थकेयर पार्टनर के साथ जानकारी साझा करने का एक शानदार तरीका हो सकता है।
यह आपकी ओर से थोड़ा अतिरिक्त प्रयास कर सकता है, लेकिन साझा निर्णय सभी को लाभ पहुंचाता है।
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gethealthy18-blog · 5 years ago
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स्टैमिना कैसे बढ़ाएं? व्यायाम, डाइट और अन्य उपाय – Tips To Increase Stamina in Hindi
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स्टैमिना कैसे बढ़ाएं? व्यायाम, डाइट और अन्य उपाय – Tips To Increase Stamina in Hindi
Saral Jain Hyderabd040-395603080 September 6, 2019
सोचिए आप जिम में वर्कआउट कर रहे हैं और थोड़ी ही देर में थक जाएं। इतना ही नहीं कुछ दूर दौड़ने पर ही हिम्मत जवाब दे जाएं और सांफ फूलने लगे। साथ ही अगर सामान्य सा शारीरिक काम ज्यादा देर तक नहीं कर पा रहे हैं, तो ये स्टैमिना की कमी के लक्षण हो सकते हैं। अगर आपके अंदर स्टैमिना की कमी है, तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम आपको स्टेमिना बढ़ाने के तरीके और कुछ आसान से उपायों के बारे में बता रहे हैं।
आइए, सबसे पहले जानते हैं कि आखिर स्टैमिना होता क्या है।
विषय सूची
स्टैमिना क्या है? – What is Stamina in Hindi
किसी भी काम को बिना थके लम्बे समय तक करने की शारीरिक क्षमता को स्टैमिना कहते हैं। आसान शब्दों में कहें, तो लंबे समय तक बिना किसी थकावट के शारीरिक गतिविधि, तनाव या बीमारी को सहन करने की ऊर्जा और शक्ति ही स्टैमिना है (1)।
यहां हम जानेंगे कि स्टैमिना को किस प्रकार बढ़ाया जा सकता है।
स्टेमिना बढ़ाने के उपाय और तरीके – Methods of Increasing Stamina in Hindi
स्टेमिना बढ़ाने के तरीके कई हैं, जिनमें कुछ आसान से उपायों से आप अपना स्टैमिना बढ़ा सकते हैं, जैसे:
1. कैफीन के सेवन से
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दुनिया भर में कई पेय और खाद्य पदार्थों में कैफीन का सेवन किया जाता है। कैफीन के कारण लिपोलाइसिस की क्रिया होती है। लिपोलाइसिस एक प्रकार की प्रक्रिया है, जिसमें पानी या फिर एंजाइम की मदद से हमारे शरीर में वसा टूट जाती है। लिपोलाइसिस हमारे शरीर में एडिपोज टिशू में पाए जाते हैं। व्यायाम के दौरान कैफीन का सेवन करने से थकान कम होती है। कैफीन से मांसपेशियों को मजबूती मिलती है, जिससे आपका शरीर ज्यादा देर तक काम करने में सक्षम होता है। शोध से पता चला है कि लगभग 6 मिलीग्राम कैफीन हमारे स्टैमिना को बढ़ाने में कारगर हाे सकती है (2)।
2. नियमित व्यायाम करें
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व्यायाम के दौरान इन चार बातों को ध्यान में रखकर स्टैमिना को बढ़ाया जा सकता है (3) :
एंड्यूरेंस: कुछ शारीरिक गतिविधियां ऐसी होती हैं, जो आपके एंड्यूरेंस यानी सहनशक्ति को बढ़ाती हैं। इनमें तेज चलना, टहलना व डांस करना आदि शामिल हैं। इससे सांस लेने और हृदय गति में सुधार होता है। साथ ही फेफड़े बेहतर तरीके से काम कर पाते हैं।
स्ट्रेंथ: स्ट्रेंथ एक्सरसाइज आपकी मांसपेशियों को मजबूत बनाती हैं। यह एक्सरसाइज आपके स्टैमिना को बढ़ाने में भी मदद करती है। इन एक्सरसाइज में वेट लिफ्टिंग, पुल अप व पुश अप जैसी क्रियाएं भी शामिल हैं।
बैलेंस: यह एक्सरसाइज संतुलन बनाने में मदद करती हैं। निचले शरीर की ताकत वाले कई व्यायाम आपके संतुलन में सुधार कर सकते हैं। संतुलन वाली एक्सरसाइज में एक पैर पर खड़ा होना व हील-टू-टो वॉक शामिल हैं।
फ्लेक्सिबिलिटी: यह एक्सरसाइज मांसपेशियों में खिंचाव और इनमें लचीलापन लाने में मदद करती हैं। इसके लिए आप तैराकी कर सकते हैं।
3. ध्यान और योग
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इससे तनाव को कम करने में मदद मिलती है। यह मानसिक स्टैमिना को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है (4)। स्टैमिना बढ़ाने के लिए आप नौकासन, हनुमानासन, बालासन, कोणासन और सेतुबंधासन कर सकते हैं।
4. संगीत सुनें
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संगीत किसी भी व्यक्ति के मूड को ठीक करने में मदद कर सकता है। स्टैमिना बढ़ाने में भी संगीत की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। एक्सरसाइज के दौरान संगीत सुनने से डिस्पनिया या सांस की तकलीफ कम हो जाती है (5)।
5. अश्वगंधा
अश्वगंधा एक हर्बल सप्लीमेंट है, जो दिल से संबंधित एंड्यूरेंस (सहन-शक्ति) और स्टैमिना में सुधार करने में कारगर हाे सकता है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार करते हुए कई बीमारियों से लड़ने में मदद करता है (6)। अश्वगंधा लेने से पहले चिकित्सक से परामर्श लेना बेहतर होगा।
6. धूम्रपान छोड़ें
धूम्रपान करने से निकोटीन और कार्बन मोनोऑक्साइड शरीर के अंदर जाते हैं। इससे रक्त धमनियां संकीर्ण हो सकती हैं। संकीर्ण धमनियां हृदय, मांसपेशियों और शरीर के अन्य अंगों में रक्त के प्रवाह को कम करती हैं, जिससे एक्सरसाइज करना कठिन हो जाता है।
जब आप धूम्रपान करते हैं, तो आपके शरीर को स्वस्थ रखने के लिए दिल को अतिरिक्त काम करना पड़ता है। इसके अलावा, धूम्रपान आपके फेफड़ों की क्षमता को नुकसान पहुंचाता है। सिगरेट के धुएं में मौजूद टार आपके फेफड़ों को हानि पहुंचा सकता है। धूम्रपान कफ भी पैदा करता है, जो आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है। इन सब कारणों से आपके स्टैमिना पर नकारात्मक असर पड़ता है (7)।
7. अल्कोहल से बचें
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अल्कोहल का सेवन हड्डियों को बुरी तरह प्रभावित करता है। शोध के अनुसार, अल्कोहल का सेवन हड्डियों को कमजोर करता है (7)। हड्डियों की कमजोरी किसी भी प्रकार के व्यायाम में रुकावट डाल सकती है, जिससे स्टैमिना पर बुरा असर पड़ सकता है। इसके अलावा, अल्कोहल की अधिक मात्रा रक्त प्रवाह और प्रोटीन के अवशोषण पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। इन कारणों से स्टैमिना कमजोर हो सकता है (8)।
8. सोडियम का स्तर
एक्सरसाइज के दौरान शरीर से निकलने वाले पसीने से शरीर में पानी की कमी हो सकती है। सोडियम के सेवन से शरीर में पानी का स्तर सामान्य बना रहता है। साथ ही यह मांसपेशियों की कार्यप्रणाली में सुधार करता है, जिससे आप ज्यादा देर तक एक्सरसाइज कर सकते हैं (9)।
9. प्रोटीन
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खाद्य पदार्थों से मिलने वाला प्रोटीन मांसपेशियों के निर्माण, विकास और मजबूती के लिए महत्वपूर्ण है। प्रोटीन को पचने में अधिक समय लगता है, साथ ही यह भरपूर ऊर्जा और स्टैमिना भी प्रदान करता है। प्रोटीन युक्त भोजन का सेवन कर आप दिन भर एक्टिव महसूस करते हैं (10)। इसके अलावा, आप डॉक्टर की सलाह पर प्रोटीन सप्लीमेंट भी ले सकते हैं।
स्टेमिना बढ़ाने के उपाय में आगे जानते हैं कि एक्सरसाइज के साथ किन चीजाें का सेवन कर सकते हैं।
स्टैमिना बढ़ाने के लिए क्या खाएं – Diet To Increase Stamina in Hindi
स्टैमिना बढ़ाने के लिए सिर्फ एक्सरसाइज ही नहीं, बल्कि शरीर को पर्याप्त पोषण के रूप में प्रोटीन, आयरन और कैल्शियम भी जरूरी है। शरीर में पोषण के लिए पौष्टिक खाद्य पदार्थ जरूरी हैं, जो शरीर को भरपूर ऊर्जा देने के साथ स्टेमिना बढ़ाने के लिए जरूरी होते हैं (11)। नीचे जानिए स्टैमिन के लिए कौन-कौन से खाद्य पदार्थों का सेवन करें –
● प्रोटीन: ब्रोकली, पालक, मशरूम, फूलगोभी, केल, जलकुंभी, मटर, ओट्स, बीन्स, कद्दू के बीज, बादाम, चावल, सूरजमुखी के बीज, वीट ब्रेड, तिल के बीज, मूंगफली व काजू आदि।
● कैल्शियम: दूध, केल, टोफू, तिल के बीज, चिया के बीज, किडनी बींस और बादाम।
● आयरन: पालक, शतावरी, स्विस चार्ड, ब्रोकली, टोफू, दाल, कद्दू के बीज, तिल के बीज और सोयाबीन।
इन सब के अलावा, आप स्टैमिना बढ़ाने के लिए फल-सब्जि��ां, दलिया, ब्राउन राइस, वसा रहित या कम वसा वाला दूध व पनीर का सेवन भी कर सकते हैं (12)।
ऊपर दी हुई जानकारी के अलावा यहां हम स्टैमिना के लिए कुछ और टिप्स बता रहे हैं।
स्टैमिना बढ़ाने के लिए कुछ और टिप्स – Other Tips To Increase Stamina in Hindi
स्टेमिना बढ़ाने के लिए आप इन आसान टिप्स का पालन कर सकते हैं :
● पानी
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स्टैमिना बढ़ाने के लिए पानी जरूरी है। यह आपके एंड्यूरेंस (सहनशक्ति) को बढ़ाने में मदद करता है। अगर आपके शरीर में पानी की कमी होती है, तो थकान बनी रह सकती है। इसलिए, पर्याप्त ऊर्जा और थकान से बचने के लिए खूब पानी पिएं (13)।
● आराम
पर्याप्त आराम करने से आप तरोताजा और ऊर्जावान बने रहते हैं। वहीं, दूसरी ओर अपर्याप्त नींद आपको नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती हैं, जैसे – वजन बढ़ना, उच्च रक्तचाप और अन्य बीमारी (14)। इसलिए, रोज रात 7-8 घंटे की नींद लेना जरूरी है। 6 घंटे से कम नींद लेना आमतौर पर सेहत के लिए खराब माना जाता है (15)।
● अपने वजन की नियमित जांच करें:
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वजन की नियमित जांच जरूरी है। कम वजन का होना चिंता का विषय है और इसका संबंध कुपोषण या किसी बीमारी से हो सकता है। इसके अलावा, अधिक वजन चिंता का विषय है, क्योंकि मोटापा हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, टाइप 2 मधुमेह और हड्डी की कमजोरी का कारण बन सकता है। ये सभी कारण आपके स्टैमिना को कमजोर कर सकते हैं (12)।
इस लेख के माध्यम से आपने जाना कि आप अपना स्टैमिना कैसे बढ़ा सकते हैं, जो आपके दैनिक कामकाज के लिए जरूरी है। साथ ही आपने यह भी जाना कि अच्छा भोजन, नियमित व्यायाम और पर्याप्त आराम किस प्रकार स्टैमिना बढ़ाने में सहायक भूमिका निभा सकता है। अगर आप भी स्टैमिना की कमजोरी से गुजर रहे हैं, तो आज से ही लेख में बताए गए उपायों को अपनाना शुरू कर दें। अगर आपके मन में इस विषय से जुड़ा कोई सवाल है, तो नीचे दिए कमेंट बॉक्स की मदद ले सकते हैं।
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Saral Jain
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/stamina-kaise-badhaye-in-hindi/
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gethealthy18-blog · 6 years ago
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सेब के सिरके (एप्पल साइडर विनेगर) के 21 फायदे, उपयोग और नुकसान – Apple Cider Vinegar Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
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सेब के सिरके (एप्पल साइडर विनेगर) के 21 फायदे, उपयोग और नुकसा��� – Apple Cider Vinegar Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
shivani verma May 9, 2019
सेब का सिरका ऐसी चीज है, जिसका इस्तेमाल अधिकतर घरों में किया जाता है। इसमें कई तरह के पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जिस कारण यह बहुत-से लोगों की पसंद ��ना हुआ है। इसे आप सेहत के साथ-साथ बालों और त्वचा के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसे इस्तेमाल करना जितना आसान है, उतनी ही आसानी से यह बाजार में आपको मिल भी जाएगा।
स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम सेब के सिरके के फायदे बताएंगे। साथ ही इसके उपयोग भी नजर डालेंगे। जानेंगे कि सेब के सिरके का किस-किस तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है।
विषय सूची
सेब के सिरके के फायदे – Benefits of Apple Cider Vinegar in Hindi
सेब के सिरके के फायदे जानने के लिए पहले हम सेहत के लिए इसके फायदे जानेंगे। आइए, जानते हैं कि सेब का सिरका किस तरह सेहत के लिए चमत्कारी होता है :
 सेहत के लिए सेब के सिरके के फायदे – Health Benefits of Apple Cider Vinegar in Hindi
1. डायबिटीज और ब्लड शुगर
आज के समय में डायबिटीज की बीमारी कई लोगों को हो रही है। ऐसे में सेब का सिरका डायबिटीज से बचने के लिए मदद कर सकता है। कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि सेब के सिरके में मौजूद एंटी ग्लाइसेमिक गुण ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं (1)।
2. पाचन
सेब का सिरका आपके पाचन के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। यह पेट के अच्छे बैक्टीरिया को विकसित करने में मदद करता है। सेब के सिरके की प्रवृति अम्लीय होती है, जो आपके पाचन को ठीक रखने में मदद करती है।
3. वजन कम करे
सेब का सिरका वजन कम करने में भी मदद करता है। इसमें रक्त शर्करा कम करने के गुण होते हैं, जिससे वजन तेजी से नहीं बढ़ता। इसके अलावा, इसमें मौजूद एसिडिक एसिड भूख को कम करने में मदद करता है, जिससे मोटापा नहीं बढ़ता। एक स्टडी के जरिए सामने आया है कि कुछ लोगों ने रोजाना एक से दो चम्मच सेब के सिरके का सेवन किया। जब तीन महीने बाद जांच की गई, तो उनका वजन कम पाया गया (2)।
4. कोलेस्ट्रॉल के लिए
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सेब का सिरका कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी मदद कता है। इसमें पेक्टिन होता है, जो शरीर के अंदर से खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है (3)। एक स्टडी के जरिए भी इस बात की पुष्टि की गई है।
5. दिल के लिए
सेब का सिरका दिल के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है। जैसा कि हमने ऊपर बताया, यह कोलेस्ट्रॉल स्तर को ठीक रखता है। इसलिए, कोलेस्ट्रॉल ठीक रहने से हृदय का स्वास्थ्य भी बना रहता है (4)।
6. साइनस, कोल्ड और कफ
अगर आपको साइनस या सर्दी-खांसी की समस्या है, तो सेब का सिरका फायदेमंद हो सकता है। सेब के सिरके में एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो साइनस में फायदेमंद होते हैं (5)। इसके अलावा, यह सर्दी और खांसी में भी फायदेमंद होता है (6)।
7. इम्यूनिटी बढ़ाए
अगर किसी की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, तो सेब का सिरका उसके लिए फायदेमंद हो सकता है। इसमें विटामिन-सी पाया जाता है, जो इम्यून सिस्टम को दुरुस्त रखने में मदद करता है (7) (8)।
8. गले में खराश 
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सेब के सिरके में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण इन्फेक्शन को दूर कर गले में होने वाली खराश से राहत दिलाने में मदद करते हैं। अगर आपको गले में खराश की समस्या है, तो एक कप गुनगुने पानी में दो चम्मच सेब का सिरका डालें और थोड़ी-थोड़ी देर में इसे पीते रहें।
9. रक्तचाप
सेब का सिरका रक्तचाप को कम करने में मदद करता है। इसमें मौजूद पोटैशियम बढ़े हुए रक्तचाप को कम करने का काम करता है (9)।
10. डिटॉक्सीफाई
सेब का सिरका आपके शरीर से विषैले पदार्थ बाहर कर शरीर को डिटॉक्स करने का भी काम करता है। सेब के सिरके में एंटीऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं, जो आपके शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करते हैं।
11. पीएच स्तर संतुलित करे
सेब का सिरका आपका पीएच स्तर संतुलित रखने में भी मदद करता है। सेब का सिरका एसिडिक होता है, इसलिए आपके शरीर में पीएच स्तर को संतुलित रखता है। यह उन बैक्टीरिया को मारने में मदद करता है, जो पीएच को असंतुलित करते हैं।
12. मुंह के लिए
मुंह के स्वास्थ्य के लिए भी सेब के सिरके यानी एप्पल साइडर विनेगर के कई लाभ हैं। अगर आपको मुंंह से दुर्गंध आती है, तो यह आपको फायदा पहुंचा सकता है। इसमें सोडियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम, कॉपर, सल्फर और कैल्शियम होता है, जो मुंह के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। जैसा कि हमने बताया एप्पल साइडर विनेगर पाचन को दुरुस्त करता है। अगर आपका पेट खराब हो, तो मुंह से बदबू आने लगती है। ऐसे में सेब का सिरका पेट ठीक रखता है, जिससे मुंह की बदबू की समस्या दूर होती है। यही नहीं, अगर आपके दांत पीले हैं, तो भी सेब का सिरका फायदेमंद हो सकता है।
13. एंटीऑक्सीडेंट
सेब का सिरका कुछ बायोएक्टिव यौगिकों जैसे कि एसिटिक एसिड, कैटेचिन, गैलिक एसिड व कैफिक एसिड आदि से भरपूर होता है। ये सारे तत्व इसे शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट गुण प्रदान करते हैं (10)।
14. पोषक तत्वों का अवशोषण
सेब का सिरका भोजन को पचाने और उनमें मौजूद पोषक तत्वों को शरीर में अवशोषित करने में मदद करता है। वैज्ञानिक तौर पर कहा जाए, तो सेब के सिरके में पेक्टिन होता है (11), जो पाचन तंत्र से विषैले पदार्थों को अवशोषित कर शरीर से बाहर निकालने में सहायता करता है। इसके अलावा, सेब का सिरका मेटाबॉलिज्म को भी मजबूत करता है, जिससे शरीर में पोषक तत्व अवशोषित होते हैं।
15. जोड़ों में दर्द और मांसपेशियों के लिए
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अगर आपको जोड़ों में दर्द की समस्या है, तो सेब का सिरका फायदेमंद हो सकता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो इस दर्द में राहत पहुंचाने का काम करते हैं (12)। इसके अलावा, इसमें ऐसेटाइलकोलिन गुण होते हैं, जो मांसपेशियों को ठीक से काम करने में मदद करते हैं।
16. योनि संक्रमण
अगर किसी को योनी संक्रमण की समस्या है, तो सेब का सिरका फायदेमंद हो सकता है। इसमें एंटीफंगल गुण होते हैं, जो योनी संक्रमण से राहत दिलाने ��ें मदद करते हैं (13)।
 त्वचा के लिए सेब के सिरके के फायदे – Skin Benefits of Apple Cider Vinegar in Hindi 
सेब का सिरका जितना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, उतना ही यह त्वचा के लिए भी फायदेमंद है। इसलिए, नीचे हम त्वचा के लिए सेब के सिरके के फायदे बता रहे हैं :
1. मुंहासों के लिए
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अगर आपके चेहरे पर मुंहासे हैं, तो एप्पल साइडर विनेगर इनसे राहत पहुंचाने में मदद कर सकता है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं (14), जो मुंहासे पैदा करने वाले कीटाणुओं को हटाते हैं और त्वचा से अतिरिक्त तेल दूर करने में भी मदद करते हैं। अतिरिक्त तेल के कारण भी चेहरे पर मुंहासे निकल आते हैं।
कैसे इस्तेमाल करें?
मुंहासों से राहत पाने के लिए आप सेब के सिरके में बराबर मात्रा में पानी मिलाएं और फिर रूई की मदद से इसे चेहरे पर लगाएं। फिर 15 मिनट बाद चेहरा धो लें। ऐसा रोजाना करें, आपको कुछ ही दिनों में फर्क दिखाई देने लगेगा।
2. रंग साफ करे
सेब के सिरके का इस्तेमाल रंग साफ करने के लिए भी किया जा सकता है। इसकी एसिडिक प्रवृति त्वचा के पीएच स्तर को संतुलित रखती है, जिससे आपकी त्वचा में निखार आता है।
कैसे इस्तेमाल करें?
इसे आप एस्ट्रिंजेंट के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। सेब के सिरके को बराबर मात्रा में पानी में मिलाएं फिर रोजाना चेहरे पर लगाएं और 15 मिनट बाद धो लें।
3. फेस क्लींजर
सेब के सिरके का इस्तेमाल आप फेस क्लींजर के रूप में भी कर सकते हैं। इसे फेस क्लींजर के तौर पर इस्तेमाल करने से आपकी त्वचा तरोताजा हो सकती है।
कैसे इस्तेमाल करें?
आप सेब के सिरके में बराबर मात्रा में पीनी मिलाकर रख लें। फिर इसे रूई की मदद से फेस क्लींजर के रूप में इस्तेमाल करें। ध्यान रहे कि यह पानी आपकी आंखों में न जाए, इससे आपको आंखों में जलन हो सकती है।
बालों के लिए सेब के सिरके के फायदे – Hair Benefits of Apple Cider Vinegar in Hindi 
त्वचा के लिए सेब के सिरके के फायदे जानने के बाद अब बारी आती है बालों के लिए एप्पल साइडर विनेगर के फायदे जानने की। नीचे हम इन्हीं के बारे में बताने जा रहे हैं :
1. मुलायम और खूबसूरत बाल
सेब के सिरके से आप मुलायम और खूबसूरत बाल प्राप्त कर सकते हैं। इसमें एसिटिक गुण होता है, जो शैंपू के कारण बालों पर चढ़ी केमिकल परत हटाने में मदद करता है। इससे आपके बाल प्राकृतिक रूप से खूबसूरत और मुलायम बनते हैं।
कैसे इस्तेमाल करें?
इसके लिए आप शैंपू के बाद सेब के सिरके में बराबर मात्रा में पानी मिलाएं और इस पानी से बाल धोएं। ऐसा करने से बाल मुलायम और खूबसूरत बनेंगे।
2. रूसी
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डैंड्रफ से राहत पाने के लिए भी आप सेब के सिरके का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके एसिडिक गुण फंगस से लड़ते हैं, जिससे डैंड्रफ कम होने लगता है।
कैसे इस्तेमाल करें?
डैंड्रफ से राहत पाने के लिए स्प्रे की बोतल में यह सिरका और पानी बराबर मात्रा में मिलाएं और शैंपू करने के बाद इससे बालों पर स्प्रे करें। फिर करीब 15 मिनट बाद पानी से बाल धो लें। सप्ताह में दो से तीन बार ऐसा करें, आपको कुछ ही समय में असर दिखाई देगा।
सेब के सिरके का उपयोग – How to Use Apple Cider Vinegar in Hindi 
आइए, अब जानते हैं कि आप सेब के सिरके का उपयोग और किस-किस तरह से कर सकते हैं। नीचे हम इसी बारे में बता रहे हैं :
आप इस�� टॉनिक के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आप कोई भी विटामिन-सी वाला जूस लें। फिर इसमें दो चम्मच सेब का सिरका डालकर मिलाएं और इसे पी लें।
आप सेब के सिरके को सलाद के ऊपर छिड़कर भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
वहीं, कुछ लोग कॉकटेल के रूप में भी सेब के सिरके का उपयोग करते हैं।
सेब के सिरके के नुकसान – Side Effects of Apple Cider Vinegar in Hindi
आपने सेब के सिरका के फायदे तो जान लिए, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं, जिनके बारे में आपको जानकारी होनी जरूरी है। नीचे हम इन्हीं नुकसान के बारे में बता रहे हैं :
सेब के सिरके का इस्तेमाल ज्यादा नहीं करना चाहिए। इसमें एसिड होता है, इसलिए इसके ज्यादा सेवन से टूथ इनेमल या पेट की समस्याएं हो सकती हैं।
इसे कभी सीधा त्वचा पर नहीं लगाना चाहिए। ऐसा करने से त्वचा पर जलन, रैशेज या खुजली हो सकती है। इसलिए, हमेशा इसे पानी, जूस व शहद आदि के साथ लेने की सलाह दी जाती है।
इसमें एसिड होता है, जिसके चलते रक्त में पोटैशियम का स्तर कम हो सकता है।
अगर आप मुंह के लिए सेब के सिरके का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो इस्तेमाल के बाद तुरंत सादे पानी से कुल्ला करना चाहिए। ऐसा न करने से दांत संवेदनशील हो सकते हैं।
इसका ज्यादा सेवन हड्डियों को नुकसान पहुंचाता है। ऐसे में जिन्हें ऑस्टियोपोरोसिस (रीढ़ की हड्डी का रोग, जिसमें फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है) जैसी समस्या होती है, उन्हें सेब का सिरका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
अंत में हम यही कहेंगे कि अगर आप सेब के सिरके के फायदे उठाना चाहते हैं, तो इसका सही तरीके से इस्तेमाल करें और अपने स्वास्थ्य, बालों व त्वचा को बेहतर बनाएं। यह लेख आपको कैसा लगा नीचे कमेंट सेक्शन में हमें जरूर बताएं। इसके अलावा, अगर आप इसका किसी और तरीके से भी इस्तेमाल करते हैं, तो उस उपाय को हमारे साथ शेयर जरूर करें।
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shivani verma
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/seb-ke-sirke-ke-fayde-upyog-aur-nuksan-in-hindi/
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