#तीन साल की सजा
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मां ने तीन साल तक दराज में बंद रखा नवजात बच्चा, बॉयफ्रेंड ने किया खुलासा; कोर्ट ने सुनाई सात साल जेल की सजा
Crime News: एक मासूम बच्चा, जो जन्म लेते ही महज 2-3 फीट चौड़ी एक दराज में कैद हो गया। ना उसने कभी सूरज की रोशनी देखी और ना खुली हवा में सांस ली। उसे कभी उसके बर्थडे का कोई तोहफा नहीं मिला। किसी ने उसे कभी गोद में लेकर नहीं खिलाया। वक्त बीतता रहा और तीन साल तक वो इसी हालत में रहा। उसकी इस हालत का जिम्मेदार भी कोई और नहीं, बल्कि खुद उसकी मां थी। कोर्ट ने अब इस जालिम मां को साढ़े सात साल जेल की सजा…
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Shaheed Diwas 2023: 23 मार्च को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने स्वतंत्रता के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए
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Shaheed Diwas : 23 मार्च, 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को ब्रिटिश सरकार ने लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी दी थी
हर साल 23 मार्च को भारत शहादत दिवस मनाया जाता है। भारत के तीन वीर सपूतों ने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे । ये तीनों ही युवाओं के लिए आदर्श और प्रेरणा है। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु भारत की आजादी के लिए अपनी जान देने वाले क्रांतिकारियों में से एक थे। 23 मार्च, 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु नाम के तीन युवकों को ब्रिटिश सरकार ने फांसी दे दी थी। वह 23 वर्ष के थे। इसलिए ,शहीदों को श्रद्धांजलि के रूप में, भारत सरकार ने 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में घोषित किया। लेकिन क्या आपको पता है कि इन तीनों शहीदों की मौत भी अंग्रेजी हुकूमत की एक साजिश थी? भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव सभी को 24 मार्च को फाँसी देनी तय हुई थी, लेकिन अंग्रेजों ने एक दिन पहले 23 मार्च को भारत के तीनों वीर पुत्र��� को फांसी पर लटका दिया। आखिर इसकी वजह क्या थी? आखिर भगत सिंह और उनके साथियों ने ऐसा क्या अपराध किया था कि उन्हें फांसी की सजा दी गई। भगत सिंह की पुण्यतिथि पर जानिए उनके जीवन के बारे में कई दिलचस्प बातें।
देश की आजादी के लिए सेंट्रल असेंबली में बम फेंका गया।
8 अप्रैल, 1929 को दो क्रांतिकारियों, भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में बम फेंका और ‘साइमन गो बैक’ नारे में भी संदर्भित किया गया था। जहां कुख्यात आयोग के प्रमुख सर जॉन साइमन मौजूद थे। साइमन कमीशन को भारत में व्यापक विरोध का सामना करना पड़ा था। बम फेंकने के बाद दोनों ने भागने की कोशिश नहीं की और सभा में पर्चे फेंक कर आजादी के नारे लगाते रहे और अपनी गिरफ्तारी दी। जो पर्चे गिराए उनमें पहला शब्द “नोटिस” था। उसके बाद उनमें पहला वाक्य फ्रेंच शहीद अगस्त वैलां का था। लेकिन दोनों क्रांतिकारियों द्वारा दिया गया प्रमुख नारा ‘’इंकलाब जिंदाबाद’’ था । इस दौरान उन्हें करीब दो साल की सजा हुई।
करीब दो साल की मिली कैद
भगत सिंह करीब दो साल तक जेल में रहे। उन्होंने बहुत सारे क्रांतिकारी लेख लिखे, जिनमें से कुछ ब्रिटिश लोगों के बारे में थे, और अन्य पूंजीपतियों के बारे में थे। जिन्हें वह अपना और देश का दुश्मन मानते थे। उन्होंने कहा कि श्रमिकों का शोषण करने वाला कोई भी व्यक्ति उनका दुश्मन है, चाहे वह व्यक्ति भारतीय ��ी क्यों न हो।
जेल में भी जारी रखा विरोध
भगत सिंह बहुत बुद्धिमान थे और कई भाषाएँ जानते थे। वह हिंदी, पंजाबी, उर्दू, बांग्ला और अंग्रेजी आती जानते थे । उन्होंने बटुकेश्वर दत्त से बंगाली भी सीखी थी। भगत सिंह अक्सर अपने लेखों में भारतीय समाज में लिपि, जाति और धर्म के कारण आई लोगों के बीच की दूरी के बारे में चिंता और दुख व्यक्त करते थे।
राजगुरु, भगत सिंह और सुखदेव की फांसी की तारीख तय की गई
दो साल तक कैद में रहने के बाद, राजगुरु और सुखदेव को 24 मार्च, 1931 को फाँसी दी जानी थी। हालाँकि, उनकी फाँसी की ख़बर से देश में बहुत हंगामा हुआ और ब्रिटिश सरकार प्रतिक्रिया से डर गई। वह तीनों सपूतों की फांसी के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। भारतीयों का आक्रोश और विरोध देख अंग्रेज सरकार डर गई थी।
डर गई अंग्रेज सरकार
ब्रिटिश सरकार को इस बात की चिंता थी कि भगत सिंह , सुखदेव और राजगुरु की फाँसी के दिन भारतीयों का गुस्सा उबलने की स्थिति में पहुँच जाएगा, और स्थिति और भी बदतर हो सकती है। इसलिए, उन्होंने उसकी फांसी की तारीख और समय को बदलने क��� फैसला किया।
तय समय से पहले दी भगत सिंह,सुखदेव और राजगुरु को फांसी
ब्रिटिश सरकार ने जनता के विरोध को देखते हुए 24 मार्च जो फांसी का दिन था उसे 11 घंटे पहले 23 मार्च का दिन कर दिया। इसका पता भगत सिंह को नहीं था। 22 मार्च की रात सभी कैदी मैदान में बैठे थे। तभी वार्डन चरत सिंह आए और बंदियों को अपनी-अपनी कोठरियों में जाने को कहा। कुछ ही समय बाद नाई बरकत की बात कैदियों के कानों में पड़ी कि उस रात भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी जाने वाली है।
23 मार्च 1931 को शाम 7.30 बजे फांसी दे दी जायगी । कहते है कि जब भगत सिंह से उनकी आखिरी इच्छा पूछी गई तो उन्होंने कहा कि वह लेनिन (Reminiscences of Leni) की जीवनी पढ़ रहे थे और उन्हें वह पूरी करने का समय दिया जाए। लेकिन जेल के अधिकारियों ने चलने को कहा तो उन्होंने किताब को हवा में उछाला और कहा – ’’ठीक है अब चलो।’’
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 7 बजकर 33 मिनट पर 23 मार्च 1931 को शाम में लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई। शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव एक दूसरे से मिले और उन्होंने एक-दूसरे का हाथ थामे आजादी का गीत गाया।
”मेरा रँग दे बसन्ती चोला, मेरा रँग दे। मेरा रँग दे बसन्ती चोला। माय रँग इे बसन्ती चोला।।’’
साथ ही ’इंक़लाब ज़िन्दाबाद’ और ’हिंदुस्तान आजाद हो’ का नारा लगये ।
उनके नारे सुनते ही जेल के कैदी भी इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाने लगे। कहा जाता है कि फांसी का फंदा पुराना था लेकिन जिसे फांसी दी गई वह काफी तंदुरुस्त था। मसीद जलाद को फाँसी के लिए लाहौर के पास शाहदरा से बुलाया गया था। भगतसिंह बीच में खङे थे और अगल-बगल में राजगुरु और सुखदेव खङे थे। जब मसीद जल्लाद ने पूछा कि, ’सबसे पहले कौन जाएगा?’
तब सुखदेव ने सबसे पहले फांसी पर लटकाने की सहमति दी। मसीद जल्लाद ने सावधानी से एक-एक करके रस्सियों को खींचा और उनके पैरों के नीचे लगे तख्तों को पैर मारकर हटा दिया। लगभग 1 घंटे तक उनके शव तख्तों से लटकते रहे, उसके बाद उन्हें नीचे उतारा गया और लेफ्टिनेंट कर्नल जेजे नेल्सन और लेफ्टिनेंट एनएस सोढ़ी द्वारा उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
तीन क्रांतिकारियों, भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का अंतिम संस्कार
ब्रिटिश सरकार की योजना थी इन सबका अंतिम दाह संस्कार जेल में करने की योजना बनाई थी। हालांकि, अधिकारियों को चिंता हुई कि अगर जेल से दाह संस्कार की प्रक्रिया से निकलने वाले धुएं को देखा तो जनता नाराज हो जाएगी। इसलिए, उन्होंने जेल की दीवार को तोड़ने और कैदियों के शवों को जेल के बाहर ट्रकों पर फेंकने का फैसला किया।
इससे पहले ब्रिटिश सरकार ने ��य किया था कि भगत सिंह राजगुरु सुखदेव का अंतिम संस्कार रावी नदी के तट पर किया जाएगा, लेकिन उस स���य रावी में पानी नहीं था। इसलिए उनके शव को फिरोजपुर के पास सतलुज नदी के किनारे लाया गया। उनके शवों को आग लगाई गई। इसके बारे में जब आस-पास के गाँव के लोगों को पता चल गया, तब ब्रिटिश सैनिक शवों को वहीं छोङकर भाग गये। कहा जाता है कि सारी रात गाँव के लोगों ने उन शवों के चारों ओर पहरा दिया था।
अगले दिन जब तीनों क्रांतिकारियों की मौत की खबर फैली तो उनके सम्मान में तीन मील लंबा जुलूस निकाला था। इसको लेकर लोगों ने ब्रिटिश सरकार का विरोध किया ।
फांसी से पहले भगत सिंह ने अपने साथियों को एक पत्र लिखा था।
साथियों,
स्वाभाविक है कि जीने की इच्छा मुझमें भी होनी चाहिए। मैं इसे छिपाना नहीं चाहता, लेकिन एक शर्त पर जिंदा रह सकता हूँ कि मैं कैद होकर या पाबंद होकर जीना नहीं चाहता।
मेरा नाम हिन्दुस्तानी क्रांति का प्रतीक बन चुका है और क्रांतिकारी दल के आदर्शों और कुर्बानियों ने मुझे बहुत ऊँचा उठा दिया है- इतना ऊँचा कि जीवित रहने की स्थिति में इससे ऊँचा मैं हर्गिज नहीं हो सकता। आज मेरी कमजोरियाँ जनता के सामने नहीं हैं। अगर मैं फाँसी से बच गया तो वे जाहिर हो जाएँगी और क्रांति का प्रतीक चिन्ह मद्धिम पड़ जाएगा या संभवतः मिट ही जाए।
लेकिन दिलेराना ढंग से हँसते-हँसते मेरे फाँसी चढ़ने की सूरत में हिन्दुस्तानी माताएँ अपने बच्चों के भगतसिंह बनने की आरजू किया करेंगी और देश की आजादी के लिए कुर्बानी देने वालों की तादाद इतनी बढ़ जाएगी कि क्रांति को रोकना साम्राज्यवाद या तमाम शैतानी शक्तियों के बूते की बात नहीं रहेगी।
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STF ने NHAI के 200 टोल प्लाजा पर करोड़ों के घोटाले का किया खुला���ा ,STF की बड़ी कार्रवाई?
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AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने NHAI (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) के टोल प्लाजा पर करोड़ों रुपये के घोटाले का पर्दाफाश किया है। मिर्जापुर जिले के ��तरैला शिव गुलाम टोल प्लाजा पर छापा मारकर एसटीएफ ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया। यह गिरोह NHAI के सिस्टम में अपने सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल करके टोल कलेक्शन का पैसा अपने खाते में डाल रहा था। कैसे होता था घोटाला? गिरफ्तार आरोपी आलोक सिंह, जो MCA पास है, ने स्वीकार किया कि उसने टोल प्लाजा मालिकों और आईटी कर्मचारियों के साथ मिलकर एक समानांतर सॉफ्टवेयर तैयार किया। इस सॉफ्टवेयर को NHAI के सिस्टम में इंस्टॉल किया गया, जिससे बिना फास्टैग वाले वाहनों का टोल टैक्स वसूला जाता था। इस फर्जी सिस्टम से इकट्ठा किए गए पैसे को NHAI के खाते में जमा करने की बजाय खुद रख लिया जाता था। मिर्जापुर में हर दिन ₹45,000 का गबन मिर्जापुर के अतरैला टोल प्लाजा पर प्रतिदिन ₹45,000 का गबन हो रहा था। पिछले दो साल में अकेले इस प्लाजा से ही ₹3.28 करोड़ की हेराफेरी की गई। एसटीएफ ने छापेमारी के दौरान दो लैपटॉप, पांच मोबाइल फोन, एक प्रिंटर, एक कार और ₹19,000 नकद बरामद किए। देशभर में फैला नेटवर्क एसटीएफ की जांच में सामने आया कि यह गिरोह देश के 12 राज्यों के 200 से अधिक टोल प्लाजा पर इस तरह का घोटाला कर रहा था। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के टोल प्लाजा इसमें शामिल हैं। NHAI सॉफ्टवेयर में सेंध टोल प्लाजा पर लगे सिस्टम में आरोपियों का बनाया हुआ सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया गया था। इससे बिना फास्टैग वाले वाहनों से दोगुना शुल्क वसूला जाता था और NHAI को मात्र 5% राशि भेजी जाती थी। नियमानुसार, बिना फास्टैग वाले वाहनों से वसूले गए शुल्क का 50% हिस्सा NHAI को मिलना चाहिए था। आरोपियों ने क्या कहा? गिरफ्तार आरोपी आलोक सिंह ने बताया कि वह पहले एक टोल प्लाजा में काम करता था। वहीं से टोल मालिकों और आईटी कर्मचारियों के संपर्क में आया। इसके बाद उन्होंने मिलकर फर्जी सॉफ्टवेयर बनाया। टोल कलेक्शन का पैसा टोल प्लाजा मालिक, आईटी स्टाफ और अन्य कर्मचारियों में बांटा जाता था। एसटीएफ की जांच जारी वाराणसी एसटीएफ के एएसपी विनोद कुमार सिंह ने बताया कि मामले की गहराई से जांच हो रही है। गिरोह के अन्य सदस्यों और अन्य टोल प्लाजा में हो रही गड़बड़ियों का पता लगाया जा रहा है। अहम गिरफ्तारियां और बरामदगी गिरफ्तार आरोपी: आलोक सिंह और दो अन्य बरामदगी: 2 लैपटॉप 5 मोबाइल 1 प्रिंटर 1 कार ₹19,000 नकद सरकारी राजस्व पर बड़ा प्रभाव यह घोटाला न सि��्फ NHAI के राजस्व को प्रभावित कर रहा था, बल्कि फास्टैग प्रणाली की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़ा कर रहा था। STF का बयान एसटीएफ का कहना है कि गिरोह ने देश के 200 टोल प्लाजा पर समानांतर सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया है। मिर्जापुर मामले के बाद अन्य स्थानों पर जांच तेज कर दी गई है। यह घोटाला दिखाता है कि कैसे सरकारी प्रणाली में सेंध लगाकर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा सकता है। एसटीएफ की कार्रवाई सराहनीय है और उम्मीद है कि दोषियों को कड़ी सजा मिलेगी। https://youtu.be/sk6GiXUSAZw?si=TseKtYYgDjYRBhif The Special Task Force (STF) has unearthed a massive fraud involving 200 toll plazas across 12 Indian states. Fraudsters, led by mastermind Alok Singh, installed parallel software on NHAI systems, embezzling Rs 3.28 crore at a single toll plaza in Mirzapur alone. The scam involved bypassing Fastag systems and collecting illegal tolls, affecting the revenue of the National Highways Authority of India (NHAI). With 3 arrests made, the STF continues its investigation into this nationwide nexus. Read the full article
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राजस्थान: कोटा कोर्ट ने वन अधिकारी को थप्पड़ मारने के आरोप में बीजेपी नेता को 3 साल जेल की सजा सुनाई
कोटा की एक विशेष अदालत ने 2022 में एक वन अधिकारी को थप्पड़ मारने के मामले में गुरुवार को भाजपा नेता और राजस्थान के पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत को तीन साल कैद की सजा सुनाई। राजावत के अलावा, उनके सहयोगी महावीर सुमन को भी तीन साल जेल की सजा सुनाई गई है। एससी/एसटी कोर्ट ने दोनों पर 30 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. अदालत ने सजा को निलंबित करने के लिए एक महीने का समय दिया है। फैसले के बाद प्रेस…
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शीर्ष फ्रांसीसी अदालत ने भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी की सजा बरकरार रखी
फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी सोमवार, 5 दिसंबर, 2022 को पेरिस में अपनी अपील की सुनवाई के लिए अदालत कक्ष में पहुंचे। (एपी फाइल फोटो) फ्रांस की सर्वोच्च अदालत, कोर्ट डी कैसेशन ने बुधवार को भ्रष्टाचार और प्रभाव फैलाने के मामले में पूर्व राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी की सजा को बरकरार रखा। सरकोजी ने 2021 के फैसले को चुनौती दी थी जिसमें उन्हें तीन साल जेल की सजा सुनाई गई थी, जिनमें से दो को…
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POSCO एक्ट क्या है?
POSCO अधिनियम (Protection of Children from Sexual Offences Act) भारत में 2012 में लागू किया गया एक कानून है, जिसका उद्देश्य बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों की रोकथाम और सजा सुनिश्चित करना है। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य नाबालिगों को यौन शोषण और अन्य प्रकार के यौन अपराधों से सुरक्षा प्रदान करना है।
POSCO अधिनियम के महत्वपूर्ण बिंदु:
परिभाषा:
अधिनियम के तहत 'बच्चा' की उम्र 18 वर्ष से कम होती है।
यौन अपराध में यौन शोषण, बलात्कार, और यौन उत्पीड़न शामिल है।
यौन अपराधों के प्रकार:
यौन शोषण: जब नाबालिग के साथ किसी प्रकार का यौन अनुबंध या व्यवहार किया जाता है।
बलात्कार: नाबालिग के साथ बलात्कारी ढंग से यौन संबंध स्थापित करना।
पोर्नोग्राफी: बच्चों के साथ यौन गतिविधियों को रिकॉर्ड करना या प्रकट करना भी अपराध है।
कानूनी प्रक्रिया:
पुलिस को त्वरित और त्वरित कार्रवाई करनी होती है। ऐसे मामलों की सुनवाई विशेष अदालतों में की जाती है।
शिकायत के तुरंत बाद जांच की जाती है ताक�� सबूत जल्दी से इकट्ठा किए जा सकें।
सजा का प्रावधान:
अधिनियम के अंतर्गत नाबालिग के साथ यौन शोषण करने वाले को तीन साल से लेकर जीवन तक की सजा हो सकती है। यह अपराध की गंभीरता और स्थिति के आधार पर अलग-अलग हो सकता है।
यदि अपराध बलात्कार का होता है, तो दंड और भी कठोर हो सकता है।
विशेष सुविधाएँ:
यह अधिनियम बच्चों के प्रति संवेदनशीलता और उचित कानूनी प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करता है।
बच्चे की पहचान और गोपनीयता को बनाए रखा जाता है, ताकि उसे और अधिक पीड़ित न बनाया जा सके।
आपराधिक दंड को बढ़ाना:
POSCO अधिनियम में अपराधियों के लिए दंड में वृद्धि की गई है। कई मामलों में त्वरित निर्णय के लिए विशेष न्यायालय स्थापित किए गए हैं।
यह अधिनियम सामाज में बच्चों के प्रति यौन अपराधों को रोकने और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसे लागू करने के लिए पुलिस, न्यायालयों और समाज के सभी हिस्सों की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दें।
Advocate Karan Singh (Kanpur Nagar) [email protected] 8188810555, 7007528025
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कुख्यात गांजा तस्कर अली ईरानी को तीन साल का सश्रम कारावास और अर्थदंड
इटारसी। न्यायालय विशेष न्यायाधीश एनडीपीएस एक्ट, जिला नर्मदापुरम से कुख्यात गांजा तस्कर अली ईरानी को तीन वर्ष का सश्रम कारावास की सजा और पांच हजार रुपए अर्थदंड के आदेश पारित हुए हैं। जुर्माना अदा न करने पर तीन माह कारावास और भोगना होगा। जिला अभियोजन अधिकारी राज कुमार नेमा ने बताया कि 27 अगस्त 2023 को करीब 08 बजे थाना इटारसी के उप निरीक्षक सुनील घावरी को मुखबिर से सूचना प्राप्त हुई थी कि एक…
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jamshedpur murder case judgement : उलीडीह के राजीव मल्लिक हत्याकांड में दो आरोपी को 10 साल का सश्रम कारावास, कोर्ट ने जुर्माना भी लगाया
जमशेदपुर : जमशेदपुर के उलीडीह में राजीव मल्लिक हत्याकांड मामले में सुनवाई कर रहे जमशेदपुर कोर्ट के एडीजे -तीन निशांत कुमार की अदालत ने आरोपी गोविंद चाकी उर्फ जकरू (रिपीट कॉलोनी) एवं मनू महतो उर्फ पूर्णचंद्र महतो (कुईयान बोड़ाम) को गैरइरादतन हत्या के आरोप में 10 साल का सश्रम कारावास और 30-30 हजार रूपए का जुर्माना का सजा सुनाई हैं. इस मामले में कुल सात लोगों की गवाही हुई थी. घटना 18 मई 2015 की…
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40 साल बाद आरोपियों को 'सुप्रीम' राहत; उम्रकैद की सजा को सात साल की जेल में बदला
सुप्रीम कोर्ट ने आम को लेकर हुई बच्चों की लड़ाई के बाद हत्या के 40 साल पुराने मामले में तीन लोगों को बड़ी राहत दी है। शीर्ष कोर्ट ने इस मामले में उम्रकैद की सजा को घटाकर सात साल की जेल की सजा कर दी है। शीर्ष कोर्ट ने कहा है कि ये हत्या सुनियोजित तरीके से जानबूझकर नहीं की गई थी। बल्कि यह गैरइरादतन हत्या थी। गैर इरादतन हत्या जैसे छोटे अपराध के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। बता दें कि शीर्ष कोर्ट…
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नाबालिग लड़की के साथ किया गैंगरेप, फिर उसके समेत तीन लोगों को मार डाला, अदालत ने पांच दोषियों को सुनाई फांसी की सजा
#BreakingNews नाबालिग लड़की के साथ किया गैंगरेप, फिर उसके समेत तीन लोगों को मार डाला, अदालत ने पांच दोषियों को सुनाई फांसी की सजा
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले की एक अदालत ने पहाड़ी कोरवा जनजाति की 16 साल की एक बालिका से गैंगरेप करने और उसके समेत परिवार के तीन सदस्यों की हत्या कर देने के जुर्म में पांच लोगों को फांसी और एक आदमी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। विशेष लोक अभियोजक सुनील कुमार मिश्रा ने बताया कि अपर सत्र न्यायाधीश डॉक्टर ममता भोजवानी की अदालत ने 16 साल की बच्ची से दुष्कर्म और उसकी हत्या तथा लगभग…
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Morning News Brief : कोलकाता रेप-मर्डर केस, संजय रॉय दोषी: AAP का आरोप- केजरीवाल पर पत्थर फेंका; चैंपियंस ट्रॉफी में शमी-बुमराह खेलेंगे, टीम घोषित
नमस्कार, कल की बड़ी खबर कोलकाता रेप-मर्डर केस की रही, अदालत ने 162 दिन बाद आरोपी को दोषी ठहराया। एक खबर दिल्ली ��ुनाव से जुड़ी रही, AAP और BJP ने एक-दूसरे पर प्रचार के दौरान हमला करने का आरोप लगाया। लेकिन कल की बड़ी खबरों से पहले आज के प्रमुख इवेंट्स, जिन पर रहेगी नजर... - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रेडियो पर मन की बात करेंगे। ये 118वां और इस साल का पहला एपिसोड होगा। - इजराइल-हमास के बीच 6 हफ्ते तक चलने वाले सीजफायर का पहला फेज शुरू होगा। हमास, फिलिस्तीनी कैदियों के बदले 33 बंधक रिहा करेगा। अब कल की बड़ी खबरें... कोलकाता रेप-मर्डर केस: संजय रॉय दोषी, सजा का ऐलान 20 जनवरी को
मुख्य बिंदु: - कोलकाता के आरजी कर हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और मर्डर का मामला। - सीसीटीवी फुटेज के आधार पर सिविक वॉलंटियर संजय रॉय को 10 अगस्त को गिरफ्तार किया गया। - CBI जांच के बाद कोर्ट ने संजय को दोषी करार दिया। - 20 जनवरी को सजा का ऐलान, CBI ने फांसी की मांग की। - संजय का दावा – "मुझे फंसाया गया, असली अपराधी बच निकले।" मामले का पूरा विवरण: 8-9 अगस्त की रात आरजी कर हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर का रेप और मर्डर हुआ। 9 अगस्त की सुबह उसका शव सेमिनार हॉल में मिला। 13 अगस्त को केस CBI को सौंपा गया। घटना के बाद कोलकाता समेत पूरे देश में प्र��र्शन हुए और बंगाल की स्वास्थ्य सेवाएं 2 महीने तक ठप रहीं। AAP-BJP विवाद: केजरीवाल की गाड़ी पर हमला या कार्यकर्ताओं पर गाड़ी चढ़ाई?
मुख्य बिंदु: - AAP का आरोप: BJP प्रत्याशी प्रवेश वर्मा के समर्थकों ने केजरीवाल की गाड़ी पर ईंट-पत्थर फेंके। - BJP का पलटवार: वर्मा का दावा – केजरीवाल ने अपनी गाड़ी से BJP कार्यकर्ताओं को टक्कर मारी। - AAP ने वीडियो शेयर किया, BJP ने तीन युवकों के घायल होने का दावा किया। चुनावी वादे: AAP ने क���रायेदारों को फ्री बिजली-पानी देने का वादा किया। दिल्ली में यह सुविधा पहले से लागू है। BJP ने महिलाओं को ₹2500 प्रति माह, गैस सिलेंडर पर ₹500 सब्सिडी, और होली-दीवाली पर एक मुफ्त सिलेंडर देने का ऐलान किया। सैफ अली खान अटैक केस: छत्तीसगढ़ से संदिग्ध गिरफ्तार, 50 से ज्यादा लोगों से पूछताछ
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मुख्य बिंदु: - छत्तीसगढ़ के दुर्ग से एक संदिग्ध हिरासत में, मुंबई पुलिस ने फोटो से पहचान की। - अब तक 50 से ज्यादा लोगों से पूछताछ हो चुकी है। - संदिग्ध की गिरफ्तारी से मामले में बड़ा खुलासा संभव। करीना का बयान: करीना कपूर ने कहा कि हमलावर बहुत आक्रामक था, जिससे वह डर गई थीं और करिश्मा उन्हें अपने घर ले गईं। सैफ ने महिलाओं और बच्चों को बचाने की कोशिश की, जिससे हमलावर जहांगीर तक नहीं पहुंच पाया। उसने घर से कुछ भी नहीं चुराया। चैंपियंस ट्रॉफी के लिए टीम इंडिया का ऐलान, शमी-बुमराह की वापसी
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मुख्य बिंदु: - रोहित शर्मा कप्तान, शुभमन गिल उपकप्तान। - मोहम्मद शमी एक साल बाद टीम में वापसी। - चोट के बाद जसप्रीत बुमराह की भी वापसी। - टीम में 4 ऑलराउंडर्स शामिल। - चैंपियंस ट्रॉफी 19 फरवरी से पाकिस्तान और UAE में। - भारत के सभी मुकाबले दुबई में होंगे। पूरी खबर: BCCI ने इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज और चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के लिए भारतीय टीम घोषित कर दी। अनुभवी गेंदबाज मोहम्मद शमी और जसप्रीत बुमराह की वापसी हुई है। स्क्वॉड में चार ऑलराउंडर शामिल किए गए हैं। भारत के सभी मुकाबले दुबई में खेले जाएंगे। ईरान सुप्रीम कोर्ट में गोलीबारी, दो जजों की हत्या
मुख्य बिंदु: - तेहरान सुप्रीम कोर्ट में गोलीबारी, दो जजों की मौत। - दोनों जज आतंकवाद, जासूसी और नेशनल सिक्योरिटी मामलों की सुनवाई कर रहे थे। - "हैंगमैन" कहलाते थे क्योंकि उन्होंने कई फांसी की सजा सुनाई थी। - हमलावर ने जजों को उनके कमरों में घुसकर मारा, फिर सुसाइड कर लिया। - हमले में एक अन्य जज और बॉडीगार्ड घायल। हत्या की वजह अब तक साफ नहीं हमलावर जस्टिस डिपार्टमेंट का कर्मचारी था। तेहरान कोर्ट हाउस से कई लोग गिरफ्तार हुए हैं। 1988 में जज अली रजिनी पर भी हमला हुआ था, उनकी बाइक में मैग्नेटिक बम लगाया गया था। Read the full article
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1 जुलाई से देशभर में स्वदेशी कानून लागू, ग्वालियर में हुई पहली FIR, अब 3 साल के भीतर मिलेगा न्याय
नई दिल्ली : 30 जून खत्म होते ही देशभर में 1 जुलाई 2024 से तीनों नए कानून लागू हो गए। इसके तहत देश में पहली एफआईआर ग्वालियर में दर्ज की गई। जहां 1.80 लाख रुपये की कीमत की बाइक चोरी के मामले में मुकदमा दर्ज किया गया। अब से जो भी अपराध होगा। वह नए कानून के तहत ही दर्ज किया जाएगा। जबकि 1 जुलाई से पहले हुआ क्राइम पुराने कानून के हिसाब से ही दर्ज किया जाएगा। भले ही उस मामले में एफआईआर 1 जुलाई को या इसके बाद दर्ज की जाए। 15 अगस्त तक केंद्र शासित प्रदेशों में काम नए क्रिमिनल सिस्टम के तहत 15 अगस्त तक तमाम केंद्र शासित प्रदेशों में काम होने लगेगा। अन्य राज्यों में भी तकनीकी स्तर पर कार्य तेजी ��े हो रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री ने बताया कि नए कानूनों के तहत देश में पहली एफआईआर दिल्ली में नहीं बल्कि ग्वालियर में बाइक चोरी की दर्ज की गई है। दिल्ली में वेंडर के खिलाफ जो मामला दर्ज हुआ था। वह पुराने प्रावधान के तहत हुआ था। जिसे पुलिस ने रिव्यू के प्रावधान का उपयोग कर खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि देश के आजाद होने के 77 साल बाद आज भारत की न्याय प्रणाली पूरी तरह से स्वदेशी हो गई है। इसके बड़े फायदे होंगे। अंग्रेजों ने जो कानून बनाए थे। दंड की जगह न्याय देने वाले कानून उन्होंने 1 जुलाई से लागू हुए तीनों नए कानूनों को दंड की जगह न्याय देने वाला बताया। उन्होंने कहा कि कानून बनाने से पहले इसके हर पहलू पर चार सालों तक विस्तार से अलग-अलग स्टेकहोल्डर्स के साथ चर्चा की गई। आजादी के बाद से अब तक किसी भी कानून पर इतनी लंबी चर्चा पहले कभी नहीं हुई। नए कानूनों में पहली प्राथमिकता महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों को दी गई है। इसमें एक नया अध्याय जोड़कर इसे और अधिक संवेदनशील बनाया गया है। यह तीनों नए कानून सबसे आधुनिक न्याय प्रणाली का सृजन करेंगे। इन कानूनों में आधुनिक से आधुनिक तकनीक को ना केवल अपनाया गया है। बल्कि ऐसा प्रावधान किया गया है कि अगले 50 सालों में भी आने वाली तकनीक भी इसमें समाहित हो सकें। 8वीं अनुसूची की सभी भाषाओं में कानून गृह मंत्री ने कहा कि देश के अलग-अलग राज्यों में बोली जाने वाली विभिन्न भाषाओं को देखते हुए तीनों कानून देश की 8वीं अनुसूची की सभी भाषाओं में उपलब्ध होंगे और केस भी उन्हीं भाषाओं में चलेंगे। इसमें केवल हिंदी या इंग्लिश भाषा नहीं रखी गई है। नए कानूनों में आज के समय के हिसाब से धाराएं जोड़ी गई हैं। जिनसे लोगों को परेशानी थी। उन धाराओं को हटा दिया गया है। नए कानूनों में दंड की जगह न्याय को प्राथमिकता मिलेगी। देरी की जगह स्पीडी ट्रायल और जस्टिस मिलेगा। सभी प्रक्रियाओं के पूरा होने की टाइम लिमिट नए कानूनों में सभी प्रक्रियाओं के पूरा होने की टाइम लिमिट भी तय की गई है। इसके पूरी तरह लागू होने के बाद तारीख-पे-तारीख से निजात मिलेगी। किसी भी मामले में एफआईआर दर्ज होने से सुप्रीम कोर्ट तक तीन साल में न्याय मिल सकेगा। नए कानूनों में अंग्रेजों के राजद्रोह कानून को जड़ से समाप्त कर दिया गया है। कुछ लोग ऐसा भ्रम फैला रहे हैं कि नए कानूनों में रिमांड का समय बढ़ा दिया गया है। यह सच नहीं है। नए कानूनों के तहत भी रिमांड का समय पहले की तरह ही 15 दिन का है। उन्होंने कहा कि इन कानूनों में 60 दिनों के अंदर कुल 15 दिनों की रिमांड का प्रावधान किया गया है। 15 दिन की रिमांड की लिमिट को नहीं बढ़ाया गया है। इस बारे में भ्रांति फैलाई जा रही है। 7 साल या अधिक सजा केस में फोरेंसिक जांच अनिवार्य नए कानूनों में सात साल या इससे अधिक की सजा वाले अपराधों में फोरेंसिक जांच अनिवार्य की गई है। इससे न्याय जल्दी मिलेगा और सजा ��िलने की दर को भी 90 फीसदी तक ले जाने में मदद मिलेगी। नए कानूनों पर करीब 22.5 लाख पुलिसकर्मियों की ट्रेनिंग के लिए 12 हजार मास्टर ट्रेनर तैयार किए जा चुके हैं। कई इंस्टीट्यूशंस को इसके लिए अधिकृत किया गया है और 23 हजार से अधिक मास्टर ट्रेनर्स को भी ट्रेंड किया जा चुका है। मॉब लिंचिंग को परिभाषित किया गया पहले कानूनों में केवल पुलिस के अधिकारों की रक्षा की गई थी लेकिन नए कानूनों में अब पीड़ितों और शिकायतकर्ता के अधिकारों की भी रखा करने का प्रावधान रखा गया है। उन्होंने कहा कि मॉब लिंचिंग के अपराध के लिए पहले के कानून में कोई प्रावधान नहीं था, लेकिन इन कानूनों में पहली बार मॉब लिंचिंग को परिभाषित किया गया। उन्होंने कहा कि देशभर के 99.9 फीसदी पुलिस थाने कंप्यूटराइज हो चुके हैं। ई-रिकॉर्ड जनरेट करने की प्रक्रिया भी 2019 से शुरू कर दी गई थी। जीरो एफआईआर, ई-एफआईआर और चार्जशीट सभी डिजिटल होंगे। नए कानूनों में सात साल या इससे अधिक की सजा वाले अपराधों में फोरेंसिक जांच अनिवार्य होगी। ज्यूडिशयरी में भी 21 हजार सबोर्डिनेट ज्यूडिशयरी की ट्रेनिंग हो चुकी है, 20 हजार पब्लिक प्रॉसिक्यूटर को ट्रेंड… http://dlvr.it/T91nWb
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एसआरपीएफ जवान को तीन वर्ष की कैद, ३ लाख २५ हजार रुपए दंड
* पत्नी की पिटाई और मानसिक यातना देने का मामला SRPF Jawan sentenced to three years imprisonment and fine of Rs. 3.25 lakh जालना: जिला और सत्र न्यायाधीश-०२, एसआर तांबोळी ने आरोपी विशाल रंगनाथ वाघ (निवासी सुख शांती नगर, जालना) को अपनी पत्नी की पिटाई क���ने और उसे मानसिक व शारीरिक यातनाएं देने के आरोप में दोषी पाया और तीन साल की सजा सुनाई. साथ ही, फरियादी अंजली वाघ को मुआवजे के रूप में ३ लाख…
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Kanpur: 107 दागी पुलिसकर्मियों की सजा नहीं होगी निरस्त; संयुक्त पुलिस आयुक्त ने खारिज की अपील…जानें मामला
कानपुर कमिश्नरेट में तैनात 141 पुलिसकर्मी लापरवाही, घूसखोरी, धोखाधड़ी, दुष्कर्म, नशेबाजी जैसे मामलों में विभागीय जांच में पूर्व में दोषी पाए गए थे। राजपत्रित अधिकारी की रिपोर्ट के बाद डीसीपी मुख्यालय ने उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करते हुए सर्विस बुक में बैड एंट्री व अर्थदंड से दंडित किया था। दंडात्मक कार्रवाई के चलते इनकी प्रोन्नति और वेतनवृद्धि तीन से पांच साल तक के लिए रुक गई है। विभागीय…
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