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#तलाक-ए-बिद्दत
thegandhigiri · 2 years
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Talaq-e-Hasan पर SC का अहम बयान, कहा- महिलाओं को भी...
Talaq-e-Hasan पर SC का अहम बयान, कहा- महिलाओं को भी…
नई दिल्ली: तलाक-ए-हसन (Talaq-e-Hasan) को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा बयान दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि फिलहाल इस मामले को देखने से लगता है कि तलाक-ए-हसन गलत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने ये बड़ी टिप्पणी करते हुए मामले की सुनवाई 29 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी है। सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि प्रथम दृष्टया तलाक-ए-हसन (Talaq-e-Hasan) इतना अनुचित नहीं लगता और…
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laweducation · 1 year
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शायरा बानो बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (ए.आई.आर. 2017 एस.सी. 4609) | तीन तलाक
सायरा बानो बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (ए.आई.आर. 2017 एस. सी. 4609) - सायरा बानो के प्रकरण को तीन तलाक केस के नाम से भी जाना जाता है, इस प्रकरण में न्यायालय द्वारा एक एतिहासिक निर्णय दिया गया जिसमे वर्षो से विवादों में चली आ रही तीन तलाक की प्रथा को पूर्ण रूप से समाप्त करते हुए न्यायालय द्वारा 3:2 के बहुमत से इसे अपने निर्णय दिनांक 22-08-2017 को तीन तलाक अर्थात् तलाक-ए-बिद्दत को अवैध एवं असंवैधानिक मानते हुए अपास्त (Set aside) कर दिया गया। न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन ने इस प्रकरण में कहा कि - तीन तलाक की विवादित प्रथा एक ऐसा उपकरण है जो इसे बचाने के लिए सुलह के प्रयास के बिना पति की सनक पर वैवाहिक बंधन को तोड़ने की अनुमति देता है, इसलिए तलाक का यह रूप अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है और इसे रद्द किया जा सकता है। सायरा बानो बनाम यूनियन ऑफ इंडिया का प्रकरण तीन तलाक यानि तलाक-ए-बिद्दत से सम्बन्धित था जिसमें माननीय न्यायालय के समक्ष मुख्य रूप से निम्न बिन्दु विचारणीय थे - (i) क्या तलाक-ए-बिद्दत मुस्लिम धर्म की स्वतंत्रता का एक आवश्यक अंग है ? (ii) क्या यह कुरान की व्यवस्था के अनुरूप है ? (iii) क्या यह मुस्लिम महिलाओं के मूल अधिकार का अतिलंघन करता है? (iv) क्या यह तत्काल प्रभावी एवं अविखण्डनीय होने से मनमाना अर्थात् स्वेच्छाचारी है ? (v) क्या यह मुस्लिम महिलाओं के लिए विभेदकारी है ? प्रकरण के तथ्य - संक्षेप में प्रकरण के तथ्य इस प्रकार है कि सायरा बानो (पिटिश्नर) की शादी (निकाह) दिनांक 11-04-2001 को इलाहाबाद में रिजवान अहमद के साथ मुस्लिम रीति-रिवाज अनुसार निकाह पढ़ सम्पन्न हुआ था और उनके वैवाहिक सम्बन्धो से दो सन्तान यथा मोहम्मद इरफान एवं उमेरा नाज हुई, जो दोनों संताने सायरा बानो (पिटिशनर) के साथ रह रही थी । सायरा बानो के पति रिजवान अहमद का यह कहना था कि सायरा बानो अक्सर अपने माता-पिता के साथ रहने के लिए चली जाया करती थी और दिनांक 9-04-2015 को सायरा बानो अपने पति को साहचर्य से वंचित कर अपने माता-पिता के पास चली गई। रिजवान अहमद ने उसे वापस आने के लिए कई बार फोन किये तथा वह उसे लेने के लिए सायरा बानो के पीहर (माता पिता) के घर भी गया लेकिन दिनांक 9-08-2015 को सायरा बानो ने अपने पति (रिजवान अहमद) के पास आकर रहने से साफ तौर पर मना कर दिया। उसके बाद पति की ओर से दाम्पत्य अधिकारों की पुनर्स्थापना की याचिका भी पेश की गई, लेकिन बात नहीं बनी। अन्त में दिनांक 10-10-2015 को रिजवान अहमद द्वारा तलाकनामा निष्पादित करते हुए सायरा बानो (पिटिश्नर) को तलाक दे दिया गया। रिजवान अहमद द्वारा पिटिशनर को तीन तलाक देते हुए यह कहा गया कि, "मैं तुम्हें तलाक देता हूँ, तलाक देता हूँ, तलाक देता हूँ। आज से तुम मेरे लिए हराम हो, मैं तुम्हारे लिए हराम हूँ। अब तुम अपना जीवन यापन स्वतंत्रता पूर्वक किसी भी प्रकार कर सकती हो।" Read More -  शायरा बानो बनाम भारत संघ केस सारांश 2017 एस.सी.सी Read the full article
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tekwroldcom · 3 years
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तीन तलाक क्या है
तीन तलाक क्या है
तीन तलाक  क्या है ? भारत में इसका असर क्या हुआ भारत में वर्षों से  तीन तलाक़ ( ट्रिपल तलाक़ ) यानी तलाक ए बिद्दत की कुप्रथा से मुस्लिम महिलाएं पीड़ित रहीं हैं। लेकिन एक लंबे संघर्ष के बाद आख़िरकार मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ मिल ही गया। साल 1970 और 1980 के दशक में शाहबानो ने इसके खिलाफ एक लंबा संघर्ष किया। 1985 में संसद में शाह बानो के केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया गया था। पर मोदी सरकार ने…
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viralnewsofindia · 4 years
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तीन तलाक के मामलों में आयी ऐतिहासिक कमी: डॉ संजय जायसवाल पटना: तीन तलाक कानून के वर्ष पूर्ण होने पर मुस्लिम महिलाओं को हुए फायदों के बारे में बताते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने कहा “ आज से ठीक एक साल पहले देश एक ऐतिहासिक घटना का गवाह बना था, जब प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने कानून बना कर फौरी तीन तलाक या ‘तलाक-ए-बिद्दत’ को अमान्य घोषित कर दिया था.
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तलाक,तलाक,तलाक और सिसक सहम गई मुमताज़
तीन तलाक कुबूल नहीं! कुबूल नही!कुबूल नही!-सुप्रीम कोर्ट
तलाक,तलाक,तलाक और सिसक सहम गई मुमताज़ आशीष रिछारीया
"मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सर्वोच्च मानता हूँ और अगर उन्हें ट्रिपल तलाक़ पर फैसला सुनाना पड़ा इसका मतलब कही न कही उनके पास शिकायतें भी गयी होगी जिसको ध्यान में रखकर ये पाँच सदस्यीय बैठक का चयन हुआ और वो जो भी फैसला लिए है सबके हित में होगा क्योंकि तलाक,तलाक,तलाक और तलाक हो गया ऐसा नही होता है आपको ह्यूमैनिटी ,कल्चर,सोसाइटी को दिमाग में रखना पड़ता है ये महिलाओं के साथ अनफेयर है और पुरुष भी इस पर फेयर नही है।"                                           -यतिन इंग्ले (असिस्टेंट प्रोफेसर)   संचार एवं पत्रिकारिता भवन                                                                                         मुम्बई यूनिवर्सिटी                               
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 3-2 से खारिज़ किया तीन तलाक --बताया असंवैधानिक
पांच जजों की संवैधानिक बैंच के बीच तीन जजों ने तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित कर दिया है। इसके अलावा शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से इस मामले पर कानून बनाने के लिए कहा है। जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस फली नरीमन, जस्टिस जोसेफ कुरियन ने तीन तलाक को असंवैधानिक बताते हुए कहा- इससे मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन होता है।  तीन तलाक के इस बड़े  मामले पर चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कहा कि तीन तलाक धार्मिक प्रक्रिया और भावनाओं से जुड़ा मामला है, इसलिए इसे एकदम से खारिज नहीं किया जा सकता। खेहर ने कहा- केंद्र सरकार को इस पर कानून बनाना चाहिए। खेहर ने कहा कि छह महीने तक के लिए कोर्ट अनुच्छेद 142 के तहत विशेष शक्तियों का प्रयोग करते हुए तीन तलाक पर तत्काल रोक लगाती है।
तलाक पर 'सुप्रीम' फैसले से लोगों में एक तरफ खुशी है वही दूसरी ओर कुछ लोग इसे पर्सनल लॉ में दखलंदाज़ी भी मान रहे है ।चीफ जस्टिस ने सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक के मामले पर अपनी राय रखते हुए कहा कि तलाक ए बिद्दत अनुच्छेद 14,15,21 और 25 का उल्लंघन नहीं है। जस्टिस खेहर ने ये भी कहा कि तलाक-ए-बिद्दत सुन्नी सम्प्रदाय की 1400 साल पुरानी आंतरिक परम्परा है। जस्टिस नरीमन ने ट्रिपल तलाक पर फैसला सुनाते वक्त कहा कि 1934 एक्ट का हिस्सा है जिसे संवैधानिक कसौटी पर कसा जाना चाहिए।जस्टिस कुरियन ने कहा ट्रिपल तलाक इस्लाम का जरूरी हिस्सा नहीं है। इन मामलों में अनुच्छेद 25 का संरक्षण नहीं मिल पाता है।
तीन तलाक मामले में पाँच महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में सबसे पहले अर्ज़ी डाली थी उसमें पहली है 
उत्तराखंड की शायरा बानो-उत्तराखंड की रहने वाली शायरा बानो ने मुस्लिम समुदाय में तीन तलाक, निकाह हलाला और बहु-विवाह के प्रचलन को असंवैधानिक घोषित किए जाने की मांग की थी। शायरा बानों की कहानी त्रासदियों से भरी है। शायरा को उसके पति रिजवान ने तीन तलाक देकर घर से बेदखल कर दिया था। शायरा ने बताया कि उसका छह बार गर्भपात कराया गया। उसके दो बच्चे हैं जिन्हें पति ने अपने पास रख लिया। शायरा का कहना है कि वह अपने बच्चों को साथ रखना चाहती है। शायरा ने मुस्लिम पर्सनल लॉ एप्लीकेशन कानून,1936 की धारा-दो की संवैधानिकता को चुनौती दी थी।
आफरीन रहमान जयपुर की रहने वाली आफरीन भी तीन तलाक का शिकार हुई उन महिलाओं में से हैं जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। आफरीन ने बताया कि इंदौर में रहने वाले उसके पति ने स्पीड पोस्ट के जरिए उसे तलाक का पत्र भेजा था। आफरीन ने बताया कि मेट्रीमोनियल साइट के जरिए उन लोगों का रिश्ता तय हुआ था। शादी के बाद उसे दहेज के लिए तंग किया जाने लगा। जब ससुराल वालों की मांग पूरी नहीं हुई तो स्पीड पोस्ट पर तलाक भेजकर उससे छुटकारा पा लिया गया।
इशरत जहां:पश्चिम बंगाल के हावड़ा की रहने वाली इशरत को उसके पति ने दुबई से फोन पर तलाक दे दिया था। इतना ही नहीं उसके पति ने चारों बच्चों को उससे छीन लिया। इसके बाद पति ने दूसरी शादी कर ली और उसे यूं ही बेसहारा छोड़ दिया। इशरत ने याचिका दायर कर तीन तलाक को असंवैधानिक और मुस्लिम महिलाओं के गौरवपूर्ण जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन है।
आतिया साबरी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की रहने वाली आतिया के पति ने साल 2016 में एक कागज पर तीन तलाक लिखकर उससे रिश्ता तोड़ लिया था। साल 2012 में दोनों की शादी हुई थी। उनकी दो बेटियां हैं। आतिया का आरोप है कि दो बेटी होने से उसके पति और ससुर नाराज थे। ससुरालवाले आतिया को घर से निकालना चाहते थे। उसे जहर खिलाकर मारने की भी कोशिश की गई थी। 
गुलशन परवीन:उत्तर प्रदेश के रामपुर की रहने वाली गुलशन को उसके पति ने नोएडा से दस रुपये के स्टांप पेपर पर लिखकर तलाकनामा भेज दिया था। पति नोएडा में काम करता था। गुलशन की शादी 2013 में हुई थी। गुलशना का आरोप है कि पति शुरू से ही उसे पसंद नहीं करता था, इसीलिए बिना किसी बात के तीन साल बाद अचानक स्टांप पेपर पर तीन तलाक लिखकर भेज दिया।उसका दो साल का बेटा है। इसके साथ देश की कई मुस्लिम महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को उनके हक में कहा और सही बताया।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट करते हुए कहा-"ये एक ऐतिहासिक फैसला है।इससे मुस्लिम महिलाओं को बराबरी का अधिकार मिलेगा।यह नारी शशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है"- मोदी
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jaivendra · 4 years
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ट्रिपल तलाक के रूप में नया कानून बनने के बाद भी मुस्लिम महिलाओं के उत्पीड़न के मामले थम नहीं रहे हैं। यूपी में ही रोजाना उत्पीड़न के चार नए मामले सामने आ रहे हैं। सबसे ज्यादा मामले मेरठ, बरेली और कानपुर से हैं। हालांकि तीन तलाक के रूप में नया कानून बनने के बाद उत्पीड़न का दंश झेल रही मुस्लिम महिलाओं को एक नई जिंदगी मिली है। लेकिन समाज में आज भी ऐसे लोग हैं जो किसी कानून को नहीं मानते। यही वजह है कि महिला उत्पीड़न के मामलों में भले ही कमी आई हो लेकिन मामले खत्म नहीं हुए। यूपी में ही रोजाना मुस्लिम महिला उत्पीड़न के चार नए मामले सामने आ रहे हैं। जबकि महिला उत्पीड़न के खिलाफ सबसे अधिक प्रभावी कार्यवाही यूपी में ही की गई है।
यूपी के आंकड़ों पर गौर करें तो जनवरी 2020 से मई 2020 के बीच पांच महीने के बीच सबसे ज्यादा मेरठ में 214 मामले सामने आए, बरेली में 162, आगरा में 127, लखनऊ में 75, प्रयागराज में 48, कानपुर में 31, वाराणसी में 29, गोरखपुर में 25, लखनऊ कमिश्नरी में 12 और गौतमबुद्ध नगर कमिश्नरी में 1 मामला दर्ज किया गया।
केंद्र सरकार पारित करवा चुकी है तीन तलाक बिल तीन तलाक बिल संसद के दोनों सदनों में तो पहले ही पास हो चुका था। लेकिन मोदी सरकार ने लोकसभा में 25 जुलाई और विधानसभा में 30 जुलाई को पास कराया था। जबकि राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद तीन तलाक के कानून को 19 सितम्बर 2018 से प्रभावी कर दिया गया था। मसलन 19 सितम्बर 2018 के बाद जितने भी मामले तीन तलाक के आए थे सब नए कानून के तहत ही माने जाएंगे।
यूपी में पिछले पांच महीने के तीन तलाक के मामले।
कानून में ये प्रावधान
तीन तलाक को संगीन अपराध माना जाए और पुलिस बिना वारंट गिरफ्तारी कर सके।
तीन साल तक की सजा का प्रावधान
मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है लेकिन जमानत तभी दी जाएगी तब महिला का पक्ष भी सुना जाए
पीड़ित महिला गुजारे भत्ते का दावा कर सकती है लेकिन भत्ता मजिस्ट्रेट तय करेगा।
पीड़ित महिला के अनुरोध पर मजिस्ट्रेट समझौते की अनुमति दे सकता है।
तुरंत तीन तलाक यानी तलाक, ए बिद्दत को रद्द, और गैर कानूनी माना जाए।
इस बीच, उत्तर प्रदेश पुलिस आईजी कानून व्यवस्था ज्योति नारायण का कहना है कि जो भी शिकायतें आ रही उस पर कार्यवाही की जा रही है। ट्रिपल तलाक के मामले की हर शिकायत पर कार्यवाही की जा रही है। फिलहाल आंकड़ों को लेकर मुझे पूरी जानकारी नहीं है।
यूपी में हर रोज औसतन तीन तलाक के चार मामले सामने आ रहे हैं। आंकड़ों की संख्या में पहले की तुलना में कमी तो आई है लेकिन यह अभी पूरी तरह से बंद नहीं हुए हैं।
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indiatv360 · 5 years
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फतेहपुर जिले के बिंदकी क्षेत्र में तलाक-ए-बिद्दत (तीन तलाक) रोधी विधेयक के संसद में पारित होने का जश्न मना रही एक मुस्लिम महिला को उसके शौहर ने कथित रूप से ‘तीन तलाक’ कह कर घर से बाहर निकाल दिया.
फतेहपुर जिले के बिंदकी क्षेत्र में तलाक-ए-बिद्दत (तीन तलाक) रोधी विधेयक के संसद में पारित होने का जश्न मना रही एक मुस्लिम महिला को उसके शौहर ने कथित रूप से ‘तीन तलाक’ कह कर घर से बाहर निकाल दिया.
फतेहपुर जिले के बिंदकी क्षेत्र में तलाक-ए-बिद्दत (तीन तलाक) रोधी विधेयक के संसद में पारित होने का जश्न मना रही एक मुस्लिम महिला को उसके शौहर ने कथित रूप से ‘तीन तलाक’ कह कर घर से बाहर निकाल दिया.
उत्तर प्रदेश के बांदा से सटे फतेहपुर जिले के बिंदकी क्षेत्र में तलाक-ए-बिद्दत (तीन तलाक) रोधी विधेयक के संसद में पारित होने का जश्न मना रही एक मुस्लिम महिला को उसके शौहर ने कथित रूप से ‘तीन तलाक’ कह कर…
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vartha24-blog · 5 years
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तीन तलाक़ बिल को संसद की मंज़ूरी, राज्यसभा से भी पास हुआ बिल
तीन तलाक़ बिल को संसद की मंज़ूरी, राज्यसभा से भी पास हुआ बिल
नारी न्याय और नारी गरिमा के लिए एतिहासिक दिन, तीन तलाक से जुडे विधेयक को संसद की मंजूरी, लोकसभा के बाद राज्यसभा ने दी हरी झंडी, 84 के मुकाबले 99 मतों से पास हुआ बिल, राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद बन जाएगा कानून, एक बार में तीन तलाक होगा अवैध.
मुसलिम महिलाओं को न्याय दिलाने और  मुस्लिम समाज में एक बार में तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत पर रोक लगाने के मकसद से लाया गया  ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार…
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thesandhyadeepme · 5 years
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तीन तलाक को गैर कानूनी बनाने वाला विधेयक पारित
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नयी दिल्ली 30 जुलाई (वार्ता) तीन तलाक को गैरकानूनी बनाने वाले बहुचर्चित मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 पर आज संसद की मुहर लग गयी । राज्यसभा में इस विधेयक को आज मतविभाजन से पारित कर दिया गया जबकि लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है ।
विपक्ष ने मतविभाजन की मांग की । इसके बाद विधेयक को 81 के मुकाबले 99 मतों से पारित कर दिया गया।  इस विधेयक में तीन तलाक को गैर-कानूनी घोषित किया गया है तथा तीन तलाक देने वालों को तीन साल तक की कैद और जुर्माने की सजा का प्रावधान है। साथ ही जिस महिला को तीन तलाक दिया गया है उसके और उसके बच्चों के भरण-पोषण के लिए आरोपी को मासिक गुजारा भत्ता भी देना होगा। मौखिक, इलेक्ट्रॉनिक या किसी भी माध्यम से तलाक-ए-बिद्दत यानी तीन तलाक को गैर-कानूनी बनाया गया है।
यह विधेयक मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) दूसरा अध्यादेश, 2019 का स्थान लेगा जो इस साल 21 फरवरी को प्रभाव में आया था।
पहले सिख यात्री ने करतापुर कॉरिडोर के माध्यम से पाकिस्तान में किया प्रवेश
पिछली लोकसभा में दो बार यह विधेयक अलग-अलग स्वरूपों में पारित किया गया था, लेकिन राज्यसभा में पेश नहीं किया जा सका। नयी लोकसभा के गठन के बाद इसे नये सिरे से सदन में लाना पड़ा।
विधेयक में प्रावधान है कि तीन तलाक देने वाले आरोपी के खिलाफ सिर्फ पीड़िता, उससे खून का रिश्ता रखने वाले और विवाह से बने उसके रिश्तेदार ही प्राथमिकी दर्ज करा पायेंगे। आरोपी पति को मजिस्ट्रेट द्वारा जमानत मिल सकती है। पीड़िता को सुनने के बाद मजिस्ट्रेट को यथोचित शर्तों पर सुलह कराने का भी अधिकार दिया गया है।
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nehakhosla · 5 years
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लोकसभा में मंजूरी मिलने के बाद तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) पर रोक लगाने के उद्देश्य से लाये गए ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक’ को मोदी सरकार आज (मंगलवार को) राज्यसभा में पेश करेगी. सरकार हर हाल मेें इस बिल को पास कराना चाहती है, लिहाजा बीजेपी ने अपने सभी सांसदों को मंगलवार को सदन में पूरे समय मौजूद रहने के निर्देश दिए हैं. इसके लिए पार्टी ने सोमवार को 3 लाईन का व्हिप जारी किया. जारी व्हिप में कहा गया है कि मंगलवार को दोनों सदनों के सदस्य मौजूद रहेंगे और सरकार द्वारा पेश किए गए विधेयकों का समर्थन करेंगे. from Zee News Hindi: India News https://zeenews.india.com/hindi/india/triple-talaq-bill-in-rajya-sabha-test-today-bjp/556886
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swethatym · 5 years
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Roger Federer, West Indies vs New Zealand and Leeds weather are trending today on Google.
ICYMI: Roger Federer, West Indies vs New Zealand and Leeds weather are trending today on Google.India⋅Friday, 21 June 2019 Tennis World Roger Federer20,000+ searchesRoger Federer is the king of tennis, says Berrettini Tennis WorldIn an interview with Ubitennis, Matteo Berrettini shared on how it felt to face Nikoloz Basilashvili in an almost empty Court no. 1 while 11,000 people were attending Roger Federer's opening round match against John Millman on the Central Court. "Federer is ... Firstpost West Indies vs New Zealand10,000+ searchesWest Indies vs New Zealand, ICC Cricket World Cup 2019, Tomorrow 22 June Match: Schedule, Time, Venue FirstpostHolder's side face tough task against New Zealand, who won four out of their five matches with one game resulting in a washout. A win against West Indies will more or less guarantee their spot in the semi-finals. West Indies assistant coach Roddy Estwick has ... Yorkshire Evening Post Leeds weather10,000+ searchesLeeds weather forecast: Bright sunshine but this is when heavy rain and thunder will hit Yorkshire Evening PostWhat is the long-term forecast for Leeds? The Met Office UK outlook for Tuesday 25 June to Thursday 4 July said: "Unsettled, very warm and humid weather is likely to continue for many through Tuesday with showers breaking out, especially in the south. Times Now Hindi 21 june 201910,000+ searchesLatest News Today: आज की ताजा खबर, 21 जून 2019 की बड़ी खबरें और मुख्य समाचार Times Now Hindiनई दिल्ली: आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस है इस अवसर पर देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी योग के कई कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रांची के प्रभात तारा ग्राउंड में योग किया। आईए एक नजर डालते हैं आज शुक्रवार, 21 जून 2019 की मुख्य और ताजा खबरों पर: तीन तलाक का मुद्दा पिछले कुछ समय से देश की राजनीति में सुर्खियों में है। मुस्लिम समाज में एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) की प्रथा पर रोक लगाने के मकसद से जुड़़ा नया विधेयक सरकार शुक्रवार को लोकसभा में पेश कर दिया। AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने इस विधेयक को संविधान का उल्लंघन करने वाला बताया है। See more Daily Search Trends You've subscribed to email notifications from Google Trends.Unsubscribe|View all your subscriptions© 2019 Google Inc. 1600 Amphitheatre Parkway, Mountain View, CA 94043. http://dlvr.it/R74NFP
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morningstorytalk · 5 years
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को तीन तलाक से जुड़े अध्‍यादेश सहित चार अध्यादेशों को मंजूरी दी. राष्ट्रपति भवन की विज्ञप्ति के अनुसार, राष्ट्रपति ने आज मुस्लिम महिला (मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण) दूसरा अध्‍यादेश, भारतीय चिकित्‍सा परिषद (संशोधन) दूसरा अध्‍यादेश, कंपनी (संशोधन) दूसरा अध्‍यादेश और अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध से संबंधित अध्‍यादेश, 2019 को मंजूरी दी. मुस्लिम महिला (मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण) दूसरा अध्‍यादेश, 2019 मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण अध्‍यादेश, 2019 के प्रावधानों को बनाये रखने के लिए लाया गया है. इस अध्‍यादेश के जरिये तीन तलाक को अमान्‍य और गैर-कानूनी करार दिया गया है. इसे एक दंडनीय अपराध माना गया है, जिसके तहत तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है. संसद के हाल में समाप्त बजट सत्र में इससे संबंधित विधेयक पारित नहीं होने के कारण फिर से अध्यादेश लाया गया है. यह अध्यादेश विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा करेगा एवं उन्हें उनके पतियों द्वारा तत्कालिक एवं अपरिवर्तनीय ‘तलाक-ए-बिद्दत‘ के प्रचलन के द्वारा तलाक दिए जाने को रोकेगा. यह तीन तलाक यानी ‘तलाक-ए-बिद्दत‘ की प्रथा को निरुत्साहित करेगा. प्रस्तावित अध्यादेश का प्रख्यापन आजीविका भत्ता, तीन तलाक यानी ‘तलाक-ए-बिद्दत‘ के पीड़ितों के नाबालिग बच्चों का संरक्षण का अधिकार प्रदान करेगा. भारतीय चिकित्‍सा परिषद (संशोधन) दूसरा अध्‍यादेश, 2019 पूर्व में जारी अध्‍यादेश के प्रावधानों के अनुरूप संचालक मंडल द्वारा शुरू किये गये कार्यों को आगे भी जारी रखने के लिए लागू किया गया है. यह अध्‍यादेश यह सुनिश्चित करेगा कि पूर्व अध्यादेश के प्रावधानों के तहत किये गये कार्य को मान्यता प्राप्त है तथा यह आगे भी जारी रहेगी. इसका उद्देश्‍य देश में चिकित्‍सा शिक्षा को ज्‍यादा पारदर्शी, गुणवत्‍ता युक्‍त और जवाबदेह बनाना है. वहीं, देश में कानून का पालन करने वाली कंपनियों को कारोबारी सुगमता का माहौल प्रदान करने के साथ ही कंपनी कानून, 2013 की कॉरपोरेट गवर्नेंस और नियमों के अनुपालन की व्‍यवस्‍था को और सख्‍त बनाने के इरादे से कंपनी (संशोधन) दूसरा अध्‍यादेश 2019 लागू किया गया है. यह कंपनी अधिनियम 2013 के अंतर्गत अपराधों की समीक्षा करने वाली समिति की अनुशंसाओं पर आधारित है ताकि कंपनी अधिनियम 2013 में वर्णित कॉरपोरेट प्रशासन तथा अनुपालन रूपरेखा के महत्‍वपूर्ण अंतरों/कमियों को समाप्‍त किया जा सके और कानून का पालन करने वाले उद्यमों को व्‍यापार में आसानी की सुविधा प्रदान की जा सके. इससे कानून का पालन करने वालों को प्रोत्साहन मिलेगा तथा उल्‍लंघन करने वालों को गंभीर सजा भुगतनी होगी. इसके माध्‍यम से केन्‍द्र सरकार को यह अधिकार दिया जा रहा है कि वह वित्‍तीय कारोबार से जुड़ी कुछ कंपनियों को ट्राइब्‍यूनल द्वारा तय किए गए वित्‍त वर्ष की बजाए विभिन्‍न वित्‍त वर्ष चुनने की अनुमति प्रदान कर सके. सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, इसमें तकनीकी तथा प्रक्रिया संबंधी छोटी गलतियों के लिए सिविल सजा का प्रावधान है. इससे कॉरपोरेट प्रशासन तथा अनुपालन रूपरेखा के अंतर्गत बहुत सारे मामलों की कमियों को दूर किया जाएगा . इससे कॉरपोरेट जगत को कानूनों के अनुपालन में आसानी होगी, विशेष न्‍यायालयों में मामलों की संख्‍या में कमी आएगी, एनसीएलटी पर कार्य का बोझ कम होगा और इसका उचित क्रियान्‍वयन होगा. वर्तमान में कुल 40,000 लंबित मामलों का 60 प्रतिशत प्रक्रि‍यागत त्रुटियों पर आधारित हैं. इन्‍हें विभाग के आंतरिक व्‍यवस्‍था में स्‍थानांतरित किया जाएगा और उद्यमों को कानून अनुपालन के लिए प्रोत्‍साहित किया जाएगा. इन संशोधनों के माध्‍यम से एनसीएलटी के समक्ष लंबित मामलों की संख्‍या में कमी आएगी. अनियमित जमा योजना प्रतिबंध अध्‍यादेश 2019 को देश में अवैध रूप से धनराशि जमा कराने वाली योजनाओं पर नकेल कसने के लिए केन्‍द्र की ओर से सख्‍त काननू लाने के इरादे से लागू किया गया है. अभी तक गैर बैंकिंग वित्‍तीय कंपनियों को आम जनता से विभिन जमा योजनाओ के तहत पैसा जुटाने की सारी गति‍विधियां केन्‍द्र और राज्‍य सरकारों की ओर से बनाए गए विभिन्‍न कानूनों के तहत करने की अनुमति मिली हुयी है जिनमें कोई एकरूपता नहीं है. इसका लाभ फर्जी पो���जी कंपनियों लोगों को उनके जमा पर ज्‍यादा ब्‍याज देने का लालच देकर ठग रही हैं. ऐसे में नए अध्‍यादेश के जरिए ऐसी कंपनियों पर प्रतिबंध की प्रभावी व्‍यवस्‍था की गयी है. इसके जरिए ऐसी योजना पर तुरंत रोक लगाने और इसके लिए आपराधिक दंड का प्रावधान किया गया है. इसमें जमाकर्ताओं के लिए फरेबी कंपनियों की परिसंपत्तियां कुर्क कर जमाकर्ताओं को उनका पैसा तुरंत वापस दिलाने की व्‍यवस्‍था भी है. from Latest News अभी अभी Firstpost Hindi https://ift.tt/2SdoIMw
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electionsinindia · 5 years
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लोकसभा चुनाव से पहले ट्रिपल तलाक पर फिर अध्यादेश लाई मोदी सरकार
लोकसभा चुनाव से पहले ट्रिपल तलाक पर फिर अध्यादेश लाई मोदी सरकार
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार ने ट्रिपल तलाक कानून पर एक बार फिर अध्यादेश लाने का फैसला किया है। 19 फरवरी को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में यह अहम फैसला लिया गया था। सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि, ट्रिपल तलाक पर लाया गया अध्यादेश मुस्लिम महिलाओं के हकों की रक्षा करेगा। ये तलाक-ए-बिद्दत की इस प्रथा को रोकेगा, जिसमें एक ही बार में पुरूष महिलाओं को तलाक दे देते हैं।
विपक्ष के विरोध…
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लोकसभा में तीन तलाक बिल पास, पक्ष में 245 और विरोध में पड़े 11 वोट लोकसभा में मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक- 2018 गुरुवार को पास हो गया। तलाक-ए-बिद्दत को रोकने के उद्देश्य से लाये गये बिल के कुछ प्रावधानों का कांग्रेस, एआईएडीएमके और समाजवादी पार्टी सहित कई दलों ने विरोध किया। संयुक्त प्रवर समिति में भेजने की मांग की गई। संशोधनों पर वोट पढ़ने से पहले कांग्रेस और एआईएडीएमके ने सदन से वॉकआउट कर दिया, जिसके बाद वोट पड़े तो, तीन तलाक विधेयक के पक्ष में 245 और विरोध में 11 वोट पड़े। तीन तलाक पर वोटिंग का असदुद्दीन ओवैसी द्वारा लाया गया प्रस्ताव गिर गया। प्रस्ताव को सदन से मंजूरी नहीं मिली। ओवैसी के प्रस्ताव के समर्थन में 15 और विरोध में 236 सांसदों ने वोट दिए। विधेयक पर सबसे पहले कांग्रेस की सुष्मिता देव ने चर्चा करते हुए कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक के खिलाफ है, क्योंकि सरकार की मंशा मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने और उनका सशक्तीकरण करने की नहीं बल्कि, मुस्लिम पुरुषों को दंडित करने की है। उन्होंने पूछा कि गुजरात की ऐसी हिंदू महिला जिसे पति ने छोड़ दिया हो, उसके लिए क्या करेंगे कानून मंत्री, दीवानी मामले को आपराधिक बना कर सरकार ने पीड़ित महिलाओं की अनदेखी की है, इस पर मीनाक्षी लेखी ने कहा कि तो समान नागरिक संहिता क्यों स्वीकार नहीं करती कांग्रेस। शाहबानो प्रकरण में कांग्रेस नेतृत्व की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने कहा कि तब कांग्रेस ने इतिहास बनाने का मौका गंवा दिया था। उन्होंने ने कहा कि यह महिला बनाम पुरुष नहीं बल्कि, मानवाधिकार का मामला है। निकाह पूरे समाज के सामने होता है लेकिन, एक कॉल या मैसेज से शादी खत्म, यह कैसा कानून है? मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सरकार धार्मिक मामलों में दखलंदाजी न करे। तीन तलाक के बिल पर विस्तृत अध्ययन की जरूरत है। रंजीत रंजन ने कहा कि कुरान में तलाक के लिए बेहतरीन तरीके बताए गए हैं। महिलाओं को भी समान अधिकार दिए गए हैं, इसके प्रति समाज को जागरूक नहीं किया गया। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि तीन तलाक सामाजिक कुरीति है, न कि सिर्फ इस्लाम से जुड़ा मामला। सती प्रथा और बाल विवाह को भी इसी तरह खत्म किया गया। सांसद अनवर राजा ने कहा कि सरकार ने पहले के विधेयक में कोई बड़े संशोधन नहीं किए हैं। यह विधेयक सांप्रदायिक सद्भाव और संविधान के खिलाफ है। भाजपा सांसद भैरों प्रसाद मिश्रा ने लोकसभा में एससी, एसटी और ओबीसी आयोग की तरह पर सवर्ण आयोग गठित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में अगड़ी जातियों का शोषण हो रहा है, उनकी समस्याओं को कौन सुलझाएगा? समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेन्द्र यादव ने स्पष्ट रूप से तीन साल के सजा के प्रावधान का खुल कर विरोध किया, उन्होंने दंड के प्रावधान को वापस लेने की बात कहते हुए कहा कि किसी भी धर्म में तलाक पर दंड का प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि दो करोड़ से ज्यादा मुस्लिम महिलाओं ने हस्ताक्षर कर के भेजे हैं कि वे शरीयत के अनुसार ही रहना चाहती हैं। उन्होंने बिल को जेपीसी के समक्ष भेजने की मांग की। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में पेंशन बंद कर दी, सिर्फ वोट की राजनीति के लिए ऐसा बिल लाया जा रहा है। बोले- देश भर की महिलाओं को पेंशन दें। आगरा की संजली और बुलंदशहर कांड पर उन्होंने सरकार को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि दलितों और पिछड़ों के साथ भी अन्याय हो रहा है। धर्मेन्द्र यादव ने बीच में ही माइक बंद करने से नाराज होकर कागजात फेंक दिए और सदन से वॉक आउट कर गए। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में बताया कि तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट के गैरकानूनी करार दिए जाने के बाद देशभर में 248 मामले सामने आए हैं। उत्तर प्रदेश में तीन तलाक के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। 20 इस्लामिक देशों में तीन तलाक पर प्रतिबंध है। कानून मंत्री ने कहा कि यह विधेयक महिलाओं को उनके अधिकार और न्याय दिलाने के लिए है, न कि किसी धर्म, समुदाय या विचार विशेष के खिलाफ। पीड़िता या, उससे खून का रिश्ता रखने वालों और विवाह से बने उसके रिश्तेदारों द्वारा ही पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करवाने का प्रावधान है। तीन तलाक गैर जमानती अपराध तो है, लेकिन मजिस्ट्रेट पीड़िता का पक्ष सुनकर सुलह करा सकेंगे, जमानत भी दे सकेंगे। पीड़ित महिला मुआवजे की हकदार होगी और दोष सिद्ध होने पर आरोपी पति को तीन साल जेल की सजा दी जा सकेगी। उधर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सरकार को बधाई दी है, वहीं वरिष्ठ सपा नेता आजम खां ने कहा इससे मुसलमानों का कोई लेना देना नहीं है, जो लोग मुसलमान हैं, वो कुरान को मानते हैं, हदीस को मानते हैं, वह जानते हैं कि तलाक का पूरा तरीका कुरान में दिया हुआ है, हमारे लिए कुरान के उस तरीके के अलावा कोई भी कानून मान्य नहीं है। जो कुरान कहता है, अगर उसके तहत कोई तलाक नहीं देता, खुला नहीं देता तो, ना वो तलाक है, ना खुला है, लिहाजा यह बहस की बात नहीं है। सिर्फ कुरान का कानून और कोई कानून नहीं। हिंदुस्तान ही नहीं, पूरी दुनिया के मुसलमानों को कोई कानून मान्य नहीं है, सिर्फ कुरान है। उन्होंने कहा कि पहले लोग उन औरतों को न्याय दें, जिन्हें शौहरों ने स्वीकार नहीं किया, जो सड़कों पर फिर रही हैं, शौहरों का घर ढूंढ़ती फिर रही हैं, उन औरतों को तो न्याय दें। (गौतम संदेश की खबरों से अपडेट रहने के लिए एंड्राइड एप अपने मोबाईल में इन्स्टॉल कर सकते हैं एवं गौतम संदेश को फेसबुक और ट्वीटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं, साथ ही वीडियो देखने के लिए गौतम संदेश चैनल को सबस्क्राइब कर सकते हैं)
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news-trust-india · 6 years
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तीन तलाक बिल पर लोकसभा में बहस तीन तलाक बिल पर लोकसभा में बहस चल रही है। लोकसभा स्पीकर ने सरकार और विपक्ष को इस बिल के संबंध में बहस के लिए 4 घंटे का वक्त दिया है। विपक्ष का कहना है कि इस विधेयक से तीन तलाक को दंडनीय अपराध के दायरे से हटाना चाहिए, जबकि सरकार ने इसे मुस्लिम महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए अहम करार दिया है। 20 इस्लामिक देशों से हटा, भारत में क्यों नहीं: रविशंकर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने डिबेट के दौरान कहा कि तीन तलाक लेने वाले मुस्लिम पुरुषों के लिए सजा का प्रावधान करने वाला यह विधेयक राजनीति नहीं है बल्कि महिलाओं को न्याय दिलाने वाला और उन्हें सशक्त करने वाला है। बिल को राजनीतिक दृष्टि से नहीं देखना चाहिए, यह मानवता और न्याय के लिए है। उन्होंने कहा, '20 इस्लामिक देश इस पर प्रतिबंध लगा चुके हैं। फिर भारत जैसे सेकुलर देश में ऐसा क्यों नहीं हो सकता? मेरा आग्रह है कि आप लोग इस संदेवनशील ��सले को राजनीतिक चश्मे से न देखें।' कांग्रेस और ओवैसी बोले, सेलेक्ट कमिटी पर जाए बिल इस बिल के कई प्रावधान असंवैधानिक हैं। इस बिल को दोनों सदनों की संयुक्त सेलेक्ट कमिटी को रेफर किया जाना चाहिए ताकि इसकी स्क्रूटनी की जानी चाहिए। एआईएडीएमके लीडर पी. वेणुगोपाल, टीएमसी के सुदीप बंदोपाध्याय, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी और एनसीपी की सुप्रिया सुले ने भी ऐसी ही मांग रखी। क्या बोलीं स्पीकर सुमित्रा महाजन ऐसा ही एक विधेयक लोकसभा में चर्चा के बाद पारित हो चुका है। हालांकि सदस्य चर्चा के दौरान मुद्दे को उठा सकते हैं। अचानक इस तरह की मांग नहीं उठाई जा सकती है कि बिल को सेलेक्ट कमिटी के पास भेजा जाए। कांग्रेस सांसद बोलीं, महिलाओं को सिर्फ मुकदमेबाजी मिलेगी कांग्रेस की सांसद सुष्मिता देव ने कहा कि सशक्तिकरण के नाम पर सरकार महिलाओं को सिर्फ मुकदमेबाजी का झंझट दे रही है। इस बिल का उद्देश्य मुस्लिम महिलाओं को सशक्त करने से ज्यादा मुस्लिम पुरुषों को दंडित करना है। लेखी का सवाल, कुरान के किस सूरा में तीन तलाक का जिक्र बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि तीन तलाक का विरोध करने वाले लोगों से मैं यह पूछना चाहती हूं कि कुरान के किस सूरा में तलाक-ए-बिद्दत का जिक्र किया गया है। यह महिला बनाम पुरुष का मसला नहीं है, यह पूरी तरह से मानवाधिकार के उल्लंघन से जुड़ा मामला है। तीन तलाक को दंडनीय अपराध ठहराने वाले विधेयक को 17 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया था। यदि इस विधेयक को मंजूरी मिलती है तो यह सितंबर में लागू किए गए अध्यादेश की जगह लेगा। प्रस्तावित कानून के मुताबिक तीन तलाक लेना अवैध होगा और ऐसा करने का दोषी पाए जाने पर पति को तीन साल तक की जेल की सजा होगी।
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vartha24-blog · 5 years
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लोकसभा में मुस्लिम महिला विधेयक 2019 पर चर्चा शुरू
लोकसभा में मुस्लिम महिला विधेयक 2019 पर चर्चा शुरू
लोकसभा में मुस्लिम महिला विधेयक (विवाह अधिकार संरक्षण) 2019 पर चर्चा शुरू हो चुकी है ये बिल पास होने के बाद तीन बार तलाक बोलकर तलाक देना अपराध की श्रेणी में माना जाएगा। मजिस्ट्रेट को जमानत देने का अधिकार होगा।
लोकसभा में आज का दिन बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। आज सरकार ने तलाक ए बिद्दत जैसी प्रथा खत्म करने के लिए मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 पर चर्चा की शुरुआत कर दी। अब…
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