#Muslim Women&039;s Marriage Rights Protection Bill- 2018 Pass
Explore tagged Tumblr posts
Photo
लोकसभा में तीन तलाक बिल पास, पक्ष में 245 और विरोध में पड़े 11 वोट लोकसभा में मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक- 2018 गुरुवार को पास हो गया। तलाक-ए-बिद्दत को रोकने के उद्देश्य से लाये गये बिल के कुछ प्रावधानों का कांग्रेस, एआईएडीएमके और समाजवादी पार्टी सहित कई दलों ने विरोध किया। संयुक्त प्रवर समिति में भेजने की मांग की गई। संशोधनों पर वोट पढ़ने से पहले कांग्रेस और एआईएडीएमके ने सदन से वॉकआउट कर दिया, जिसके बाद वोट पड़े तो, तीन तलाक विधेयक के पक्ष में 245 और विरोध में 11 वोट पड़े। तीन तलाक पर वोटिंग का असदुद्दीन ओवैसी द्वारा लाया गया प्रस्ताव गिर गया। प्रस्ताव को सदन से मंजूरी नहीं मिली। ओवैसी के प्रस्ताव के समर्थन में 15 और विरोध में 236 सांसदों ने वोट दिए। विधेयक पर सबसे पहले कांग्रेस की सुष्मिता देव ने चर्चा करते हुए कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक के खिलाफ है, क्योंकि सर��ार की मंशा मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने और उनका सशक्तीकरण करने की नहीं बल्कि, मुस्लिम पुरुषों को दंडित करने की है। उन्होंने पूछा कि गुजरात की ऐसी हिंदू महिला जिसे पति ने छोड़ दिया हो, उसके लिए क्या करेंगे कानून मंत्री, दीवानी मामले को आपराधिक बना कर सरकार ने पीड़ित महिलाओं की अनदेखी की है, इस पर मीनाक्षी लेखी ने कहा कि तो समान नागरिक संहिता क्यों स्वीकार नहीं करती कांग्रेस। शाहबानो प्रकरण में कांग्रेस नेतृत्व की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने कहा कि तब कांग्रेस ने इतिहास बनाने का मौका गंवा दिया था। उन्होंने ने कहा कि यह महिला बनाम पुरुष नहीं बल्कि, मानवाधिकार का मामला है। निकाह पूरे समाज के सामने होता है लेकिन, एक कॉल या मैसेज से शादी खत्म, यह कैसा कानून है? मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सरकार धार्मिक मामलों में दखलंदाजी न करे। तीन तलाक के बिल पर विस्तृत अध्ययन की जरूरत है। रंजीत रंजन ने कहा कि कुरान में तलाक के लिए बेहतरीन तरीके बताए गए हैं। महिलाओं को भी समान अधिकार दिए गए हैं, इसके प्रति समाज को जागरूक नहीं किया गया। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि तीन तलाक सामाजिक कुरीति है, न कि सिर्फ इस्लाम से जुड़ा मामला। सती प्रथा और बाल विवाह को भी इसी तरह खत्म किया गया। सांसद अनवर राजा ने कहा कि सरकार ने पहले के विधेयक में कोई बड़े संशोधन नहीं किए हैं। यह विधेयक सांप्रदायिक सद्भाव और संविधान के खिलाफ है। भाजपा सांसद भैरों प्रसाद मिश्रा ने लोकसभा में एससी, एसटी और ओबीसी आयोग की तरह पर सवर्ण आयोग गठित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में अगड़ी जातियों का शोषण हो रहा है, उनकी समस्याओं को कौन सुलझाएगा? समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेन्द्र यादव ने स्पष्ट रूप से तीन साल के सजा के प्रावधान का खुल कर विरोध किया, उन्होंने दंड के प्रावधान को वापस लेने की बात कहते हुए कहा कि किसी भी धर्म में तलाक पर दंड का प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि दो करोड़ से ज्यादा मुस्लिम महिलाओं ने हस्ताक्षर कर के भेजे हैं कि वे शरीयत के अनुसार ही रहना चाहती हैं। उन्होंने बिल को जेपीसी के समक्ष भेजने की मांग की। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में पेंशन बंद कर दी, सिर्फ वोट की राजनीति के लिए ऐसा बिल लाया जा रहा है। बोले- देश भर की महिलाओं को पेंशन दें। आगरा की संजली और बु��ंदशहर कांड पर उन्होंने सरकार को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि दलितों और पिछड़ों के साथ भी अन्याय हो रहा है। धर्मेन्द्र यादव ने बीच में ही माइक बंद करने से नाराज होकर कागजात फेंक दिए और सदन से वॉक आउट कर गए। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में बताया कि तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट के गैरकानूनी करार दिए जाने के बाद देशभर में 248 मामले सामने आए हैं। उत्तर प्रदेश में तीन तलाक के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। 20 इस्लामिक देशों में तीन तलाक पर प्रतिबंध है। कानून मंत्री ने कहा कि यह विधेयक महिलाओं को उनके अधिकार और न्याय दिलाने के लिए है, न कि किसी धर्म, समुदाय या विचार विशेष के खिलाफ। पीड़िता या, उससे खून का रिश्ता रखने वालों और विवाह से बने उसके रिश्तेदारों द्वारा ही पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करवाने का प्रावधान है। तीन तलाक गैर जमानती अपराध तो है, लेकिन मजिस्ट्रेट पीड़िता का पक्ष सुनकर सुलह करा सकेंगे, जमानत भी दे सकेंगे। पीड़ित महिला मुआवजे की हकदार होगी और दोष सिद्ध होने पर आरोपी पति को तीन साल जेल की सजा दी जा सकेगी। उधर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सरकार को बधाई दी है, वहीं वरिष्ठ सपा नेता आजम खां ने कहा इससे मुसलमानों का कोई लेना देना नहीं है, जो लोग मुसलमान हैं, वो कुरान को मानते हैं, हदीस को मानते हैं, वह जानते हैं कि तलाक का पूरा तरीका कुरान में दिया हुआ है, हमारे लिए कुरान के उस तरीके के अलावा कोई भी कानून मान्य नहीं है। जो कुरान कहता है, अगर उसके तहत कोई तलाक नहीं देता, खुला नहीं देता तो, ना वो तलाक है, ना खुला है, लिहाजा यह बहस की बात नहीं है। सिर्फ कुरान का कानून और कोई कानून नहीं। हिंदुस्तान ही नहीं, पूरी दुनिया के मुसलमानों को कोई कानून मान्य नहीं है, सिर्फ कुरान है। उन्होंने कहा कि पहले लोग उन औरतों को न्याय दें, जिन्हें शौहरों ने स्वीकार नहीं किया, जो सड़कों पर फिर रही हैं, शौहरों का घर ढूंढ़ती फिर रही हैं, उन औरतों को तो न्याय दें। (गौतम संदेश की खबरों से अपडेट रहने के लिए एंड्राइड एप अपने मोबाईल में इन्स्टॉल कर सकते हैं एवं गौतम संदेश को फेसबुक और ट्वीटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं, साथ ही वीडियो देखने के लिए गौतम संदेश चैनल को सबस्क्राइब कर सकते हैं)
#Lok Sabha debate#Muslim Women&039;s Marriage Rights Protection Bill- 2018 Pass#Parliament#MP Dharmendra Yadav
0 notes