#डेंगू से बचाव कैसे करें
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drcare4u · 4 months ago
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डेंगू, मलेरिया का बढ़ा प्रकोप, बाबा रामदेव से जानें कैसे करें सीज़नल एलर्जी से अपना बचाव?
Image Source : SOCIAL बाबा रामदेव टिप्स फॉर डेंगू मलेरिया दिल्ली-NCR का मौसम पिछले 2 दिन से बेहद खुशगवार है रिमझिम बारिश हो रही है ठंडी हवा चल रही है आसमान से गिरती बूंदों ने पेड़-पौधों को नया रंग रूप दे दिया है पार्क्स में, balcony में लगे गमलों में, खेतों में हरियाली ही हरियाली है। लेकिन मॉनसून में कुछ सावधानियां बरतना भी ज़रूरी है जैसे अपने आसपास बारिश का पानी इकट्ठा ना होने दें, गमलों के पास,…
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नीम: लाख दुखों की एक दवा
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नीम, जिसे हम सभी ने अपने घरों में देखा है, एक ऐसा पेड़ है जो अपनी अद्भुत औषधीय गुणों के लिए मशहूर है। इसे भारतीय परंपरा में एक वरदान माना जाता है, और यह सदियों से हमारे जीवन का हिस्सा रहा है। आज हम बात करेंगे कि कैसे नीम लाखों बीमारियों के इलाज में सहायक हो सकता है।
नीम का परिचय
नीम एक सदाबहार पेड़ है जो मुख्य रूप से भारत और दक्षिण एशिया में पाया जाता है। इसके पत्ते, बीज, फल, और यहां तक कि छाल भी औषधीय गुणों से भरे हुए होते हैं। नीम को संस्कृत में "अर्जुन" और "अश्वत्थ" जैसे नामों से भी जाना जाता है। इसकी विशेषता यह है कि यह पेड़ 500 से अधिक बीमारियों के इलाज में मददगार है, इसलिए इसे 'लाख दुखों की एक दवा' कहा जाता है।  पुराने समय में, नीम का उपयोग विभिन्न प्रकार के त्वचा रोग, जुखाम, बुखार, और पाचन संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता था। इसके साथ ही, नीम का उपयोग प्राकृतिक कीटनाशक के रूप में भी होता है, जिससे खेती में कीड़ों से बचाव किया जा सकता है। नीम के औषधीय गुण
नीमत्वचा की समस्याओं में लाभकारी: नीम का उपयोग त्वचा की समस्याओं के लिए किया जाता है। इसके पत्तों का पेस्ट बनाकर उसे चेहरे पर लगाने से पिंपल्स, एक्ने, और अन्य त्वचा संबंधित समस्याओं में राहत मिलती है। नीम का तेल भी त्वचा की बीमारियों जैसे एक्जिमा और सोरायसिस में फायदेमंद है।
मुँह और दांतों की देखभाल: नीम की दातून का इस्तेमाल हमारे पूर्वज सदियों से करते आ रहे हैं। यह दांतों की सड़न, मसूड़ों की सूजन, और अन्य मौखिक समस्याओं में मदद करता है। नीम के एंटी-बैक्टीरियल गुण मुँह की दुर्गंध को भी दूर करते हैं।
मधुमेह में सहायक: नीम की पत्तियों का सेवन रक्त में शर्करा स्तर को नियंत्रित करने में सहायक है। मधुमेह के मरीज इसके पत्तियों का रस नियमित रूप से पी सकते हैं, जिससे उनका शुगर लेवल कंट्रोल में रह सकता है।
बालों की देखभाल: नीम का तेल बालों के लिए एक प्राकृतिक कंडीशनर का काम करता है। यह डैंड्रफ और बालों के झड़ने की समस्या को दूर करता है। इसके अलावा, नीम के पत्तों का पेस्ट बालों में लगाने से बाल मजबूत और चमकदार बनते हैं।
इम्यून सिस्टम को मजबूत करना: नीम के सेवन से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। यह शरीर को विभिन्न संक्रमणों से बचाने में मदद करता है। नीम के कड़वे स्वाद के बावजूद, यह हमारे शरीर के लिए एक टॉनिक की तरह काम करता है।
मलेरिया और डेंगू से बचाव: नीम के पत्तों और छाल का इस्तेमाल मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों से बचाव में किया जाता है। इसके पत्तों का रस पीने से मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
पाचन तंत्र को दुरुस्त रखना: नीम का सेवन प���चन तंत्र को दुरुस्त रखने में मदद करता है। यह अपच, गैस, और एसिडिटी जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है। इसके अलावा, नीम का उपयोग पेट के कीड़ों को मारने में भी किया जाता है।
नीम का उपयोग कैसे करें?
नीम की पत्तियों का रस:
नीम की ताजे पत्तियों का रस निकालकर हर रोज सुबह खाली पेट पीने से शरीर को कई बीमारियों से बचाया जा सकता है। हालांकि, इसका स्वाद कड़वा होता है, लेकिन इसके फायदे अमूल्य हैं।
नीम का तेल:
नीम का तेल त्वचा और बालों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसे बालों में लगाने से डैंड्रफ से छुटकारा मिलता है और बाल मजबूत होते हैं। त्वचा पर लगाने से खुजली और फंगल इन्फेक्शन से बचाव होता है।
नीम का पेस्ट:
नीम की पत्तियों का पेस्ट बनाकर उसे चेहरे पर लगाने से त्वचा की चमक बढ़ती है और पिंपल्स जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
नीम की दातून:
नीम की दातून का इस्तेमाल दांतों और मसूड़ों को मजबूत करने में किया जा सकता है। इससे मुँह की दुर्गंध भी दूर होती है।
नीम का पेस्ट:
नीम की सूखी पत्तियों से बनी चाय पीने से शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन होता है और इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। यह मधुमेह के मरीजों के लिए भी फायदेमंद होती है।
नीम का पाउडर:
नीम के सूखे पत्तों का पाउडर त्वचा और बालों के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसे फेस पैक या हेयर मास्क के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। नीम का पाउडर खाने में भी उपयोग किया जा सकता है, जिससे शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और रक्त शुद्ध होता है।
नीम का ध्यान रखने योग्य बातें
नीम के कई फायदे हैं, लेकिन इसका अत्यधिक सेवन भी हानिकारक हो सकता है। नीम का अधिक मात्रा में सेवन करने से पेट दर्द, उल्टी, और कमजोरी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, इसका सेवन हमेशा डॉक्टर या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह पर ही करें।
निष्कर्ष
नीम एक ऐसा पेड़ है जो अपने गुणों से हमें स्वस्थ रखने में मदद करता है। यह प्रकृति का एक उपहार है, जिसे सही तरीके से उपयोग करने पर हम कई बीमारियों से दूर रह सकते हैं। नीम के कड़वे स्वाद के बावजूद, इसके फायदे मीठे हैं, और इसे अपने जीवन में शामिल करके हम स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकते हैं।
याद रखें, नीम का सही मात्रा में और सही तरीके से उपयोग करना जरूरी है। इसका नियमित सेवन हमें बीमारियों से बचाने के साथ-साथ हमारे इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है। तो आज से ही नीम को अपने दैनिक जीवन में शामिल करें और इसके अनगिनत फायदों का आनंद लें।Visit Us: https://prakritivedawellness.com/pain-management-treatment-centre-in-prayagraj/
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coolchaosdream · 1 year ago
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नई दिल्ली। Health Care Tips : 
 
बारिश के मौसम में डेंगू का खतरा बढ़ जाता है। बता दे, डेंगू बुखार मच्छरों से फैलने वाला एक वायरल संक्रमण है। जो मुख्य रूप से एडीज मच्छरों द्वारा फैलता है। ये मच्छर दिन के दौरान सबसे अधिक सक्रिय होते हैं, और उनके काटने से व्यक्ति डेंगू वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। डेंगू कई बार लोगों के लिए जानलेवा साबित हो जा ता है। ऐसे में चलिए जानते हैं डेंगू के लक्षणों और इससे कैसे करें बचाव…
सामान्य लक्षण
तेज़ बुखार
भयंकर सरदर्द
लक्षण
पेट में तेज दर्द
लगातार उल्टी होना
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parichaytimes · 3 years ago
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डेंगू DENV-2 स्ट्रेन: क्या डेंगू DENV-2 स्ट्रेन रीइन्फेक्शन के मामले वास्तव में गंभीर हैं? यहाँ हम क्या जानते हैं
डेंगू DENV-2 स्ट्रेन: क्या डेंगू DENV-2 स्ट्रेन रीइन्फेक्शन के मामले वास्तव में गंभीर हैं? यहाँ हम क्या जानते हैं
जैसा कि ऊपर कहा गया है, उन लोगों के लिए पुन: संक्रमण जोखिम भरा हो सकता है, जिन्होंने पिछले सीरोटाइप से संक्रमण से जूझ रहे हैं, या एक उम्र से अधिक हो गए हैं, या कॉमरेडिडिटी से संबंधित हैं। हालांकि, डेंगू के संक्रमण को रोकने का सबसे अच्छा तरीका मौसम के बढ़ने पर सुरक्षात्मक मानदंडों को लागू करना है। अच्छी प्रतिरक्षा बनाने और जीवनशैली में उचित संशोधनों का पालन करने के अलावा, सुनिश्चित करें कि आप: –…
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dravinashchandra · 5 years ago
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बरसात के मौसम में कैसे रखें सेहत का ख्याल। """"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""'''''"""" गर्मी के मौसम के बाद मानसून की प्रतीक्षा रहती है, लगता है कि बरसात के मौसम की फुहारों से कुछ राहत मिलेगी परन्तु बरसात का सुहाना मौसम अपने साथ अनेक बीमारियां भी लाता है। बरसात के इस मौसम में कालरा, पेचिस, दस्त, गैस्ट्रोइंट्राइटिस, फूड पॉयजनिंग, बदहजमी के साथ मलेरिया, वायरल फीवर, डेंगू, चिकुनगुनिया, कन्जेक्टवाइटिस, पीलिया, टाइफाइड बुखार, जापानी इन्सेफेलाइटिस, फोड़े-फंुसी एवं अन्य रोगों के आक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। कुछ सावधानियाँ अपनाकर बरसात की बीमरियों से बचा जा सकता है। बरसात के मौसम में पानी प्रदूषित हो जाता है। इस मौसम में वैक्टीरिया एवं वायरस तेजी के साथ पनपते हैं। भोजन बहुत जल्दी प्रदूषित हो जाता है। प्रदूषित पानी एवं खाने-पीने की चीजों से कालरा, गस्ट्रोइंट्राइटिस, दस्त, पेचिस आदि गंभीर रोग हो सकते हैं इससे बचाव के लिये साफ पानी पिये, बासी भोजन, खुले एवं कटे फल, खुली चाट-पकौड़ी एवं भोजन आदि का प्रयोग न करें। दस्त आदि होने पर तत्काल ओ0आर0एस0 का घोल लेना प्रारंभ कर दें। बरसात के मौसम में गंदगी एवं जल-भराव के कारण मच्छर तेजी के साथ पनपते हैं जिससे मलेरिया बुखार का खतरा बढ़ जाता है। मलेरिया बुखार से बचने के लिए आस-पास की साफ-सफाई पर ध्यान दें। आस-पास पानी व इकट्ठा होने दें जिससे मच्छर न पनप सकंे तथा मच्छर दानी लगाकर सोना चाहिए। बरसात के मौसम में वायरल फीवर बहुत तेजी के साथ फैलता है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है इसलिए इससे बचने के लिए रोगी व्यक्ति से सम्पर्क नहीं रखना चाहिए। बरसात के मौसम में डेंगू फैलने की सम्भावना ज्यादा रहती है। डेंगू बुखार वायरल बुखार है जो मानसून के दौरान मादा एडिज इजिप्टी नामक मच्छर द्वारा फैलता है। इसमें तेज बुखार सिर दर्द आंखों के पिछले हिस्से में दर्द, जी मिचलाना और उल्टी आना, जोड़ों और मांसपेसियों में एंेठन और अकड़न, त्वचा पर चक्कते उभरना शारीरिक कमजोरी एवं थकान आदि के लक्षण होते है। यह लक्षण पा��े जाने पर तत्काल चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। इससे बचाव के लिये घर के गमलों को अच्छी तरह से साफ करें, घर में पानी न इक्टठा होने दें। जिससे मच्छर न पनप सकें। शरीर पर पूरे कपड़े पहने। इस मौसम में चिकुनगुनिया बुखार भी काफी फैलता है इसका वायरस भी एडिज मच्छर की एक प्रजाति द्वारा फैलता है। इसमें तेज बुखार जोड़ों में अकड़न तेज दर्द, यहां तक की चलना फिरना भी मुश्किल हो जाता है। यह दर्द काफी दिन तक रहता है। इससे बचाव के लिये भी मच (at Dr Avinash Chandra) https://www.instagram.com/p/CCDf1S6FJ0s/?igshid=bh5eauw9y1ca
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lifestylechacha · 3 years ago
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पपीता खाने के फायदे - Benefits of eating papaya in Hindi
Benefits of eating papaya in Hindi : दोस्तो आज हम आपको अपने इस लेख में बताने वाले हैं कि पपीता खाने से आपको क्��ा-क्या फायदे हो सकते है? पपीता एक ऐसा पोषण से भरपूर फल है। जिसमे औषधि वाले गुण भी है। पपीता उन कई फलों में से एक है जिसे खाने की सलाह डॉक्टर भी मरीजों को देते हैं। जो सबसे ज्यादा बीमारियों में मरीजों के लिए फायदेमंद साबित होता है।  खाली पपीता ही नहीं अपितु इसकी पत्तियों भी काफी लाभदायक होती है। पपीता पक्का हो या कच्चा हर तरह का पपीता फायदेमंद ही होता है। फिर चाहे वो पाचन के लिए हो या भूख न लगने की समस्या के लिए या फिर आँखों के लिए हर प्रकार की दृष्टि से पपीता फायदेमंद ही साबित होता है। स्वास्थ्य की दृष्टि के साथ साथ त्वचा के निखार के लिए भी पपीता बहुत ही ज्यादा फायदेमंद है। आइए जानते हैं कैसे ….   * पपीते से मिलने वाले तत्व : पपीते से हमें कई सारे तत्व प्राप्त होते हैं जैसे - विटामिन ए, विटामिन ई, प्रोटीन, फोलेट, पाचन एंजाइम, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, कैलोरी, कैरोटीन, फाइबर, नियासिन, कॉपर और ऐसे कई सारे एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं।
* पक्का पपीता खाने के फायदे
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1. खाली पेट पपीता खाने का फायदा : खाली पेट पपीता खाने से यह हमारे पाचन तंत्र को सुरक्षित रखता है। यह हमारे शरीर के विषाक्त पदार्थ को भी शरीर से बाहर निकलने में मदद करता है। पपीते से प्राप्त होने वाले पाचन एंजाइमों की उपस्थिति से हमारे शरीर के आंत को भी हेल्दी रखने में मदद करता है। यह कई प्रकार की पाचन संबंधी समस्याओं के विकार को भी दूर रखने में सहायक होता है। जैसे - कब्ज, पेट फूलना, पेट खराब होना आदि।   2. पाचन में फायदेमंद : पपीता एक ऐसा फल है जो पाचन तंत्र के लिए काफी लाभदायक होता है क्योंकि पपीते में पपेन, पाचक एंजाइम्स, बीटा कैरोटीन, विटामिन ई, फोलेट और बहुत सारे डायट्री फाइबर्स पाए जाते हैं। जो पाचन तंत्र को उत्तेजि�� करने का काम करते है और पाचन तंत्र को पूरी तरह से सक्रिय रखता है। इससे हम पेट खराब और कब्ज जैसी समस्याओं से दूर रहते हैं।   3. आँखों के लिए फायदेमंद : पपीता खाने से हमारे आँखों को भी काफी लाभ पहुँचता है क्योंकि इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन ए होता है। जो हमारी आंखों की रक्षा करता है नीली रोशनी से क्योंकि इसमें कैरोटिनॉइड प्यूटिन भी पाया जाता है। जो हमारी रेटिना का बचाव तथा मोतियाबिंद की खिलाफ भी लड़ता है।   4. इम्यूनिटी मजबूत करने में फायदेमंद : पपीते का सेवन करने से हमें कई सारी जरूरी पौष्टिक तत्वों की पूर्ति हो जाती है जैसे - प्रोटीन, विटामिन ए, विटामिन ई आदि। पपीता खाने से हमारे शरीर को विटामिन ए की भरपूर मात्रा में प्राप्ति हो जाती हैं। जो हमारे शरीर के सफेद कोशिकाओं के निर्माण में बहुत सहायक साबित होता है।   5. वजन को नियंत्रित करने में फायदेमंद : प्रायः मध्य आकार का पपीते का सेवन करने से भी आप अपने वजन को नियंत्रित कर सकते हैं क्योंकि एक मध्य आकार के पपीते में केवल 120 कैलोरी होती हैं। साथ ही इसमें पाए जाने वाले ओर भी तत्व जैसे प्रोटीन, फोलेट आदि भी लाभकारी होते हैं। इसमें वसा और कोलेस्ट्रॉल तो होता ही नहीं है। जिससे आप अपना वजन नियंत्रित आराम से कर सकते हैं।  
* कच्चे पपीता खाने का फायदा
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1. मजबूत हड्डियों के लिए फायदेमंद : पपीता खाना तो लाभकारी होता ही है साथ ही यदि कच्चा पपीता का सेवन करें तो वह और भी लाभकारी सिद्ध होती है क्योंकि हमारे शरीर की हड्डियों में दर्द और कमजोरी का एक कारण विटामिन की कमी होती हैं। जो कच्चा पपीते का सेवन कर हम प्राप्त कर सकते हैं। इसका सेवन करने से कई प्रकार के विटामिन्स हमें प्राप्त हो जाते हैं।    2. जॉन्डिस के लिए फायदेमंद : कच्चा पपीते का लाभ ज्यादातर जॉन्डिस से ग्रसित मरीजों को होता है क्योंकि जॉन्डिस से ग्रसित व्यक्ति के लिवर पर ज्यादा असर पड़ता है। इसलिए ऐसे समय में कच्चा पपीता जॉन्डिस और लीवर दोनों के लिए लाभदायक सिद्ध होता है। जॉन्डिस से ग्रसित व्यक्ति को कच्चे पपीते का सेवन करना चाहिए और इसका सेवन जरूरी भी है।  
* पपीते के अन्य फायदे
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- पपीता ही नही अपितु, पपीते का पत्ता भी काफी लाभदायक होता है। इसका कड़ा बना कर पीने से डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है।   - पपीते के पत्ते से हम कंडीशनर बनाकर उसका उपयोग कर सकते हैं। जैसे पत्ते का रस बनाकर उसे बालों पर लगाये और धो लें। यह एक कंडीशनर का काम करने में काफी कारगर साबित हुई है। जो आपके बालों को मुलायम बना देगी।   - वैसे तो पपीते में काफी सारे तत्व मौजूद हैं, किन्तु पपीते में जो पपेन नाम का एक एंजाइम जो होता है। वो हमारे बालों को मजबूती प्रदान करने में बहुत ही लाभकारी होता है और इससे हमारे बाल लंबे और खूबसूरत रहते हैं।   - त्वचा के निखार के लिए भी पपीता बहुत ही कारगर सिद्ध हुआ है। यदि पके पपीते को हम चेहरे पर उसका पेस्ट बनाकर लगते हैं तो चेहरे पर निखार आता है। इससे त्वचा के दाग धब्बे हट जाते हैं।   निष्कर्ष पपीता के बहुत लाभ होते हैं इसलिए हम अपनी दिनचर्या में एक समय निश्चित कर पपीते का सेवन रोजाना करना चाहिए। एक छोटा भाग भी पपीते का हमें 60 कैलोरी प्रदान करता है। यह स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद ही साबित होता है। आशा करती हूं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आएगा। तो दोस्तों आपको हमारा ये लेख कैसा लगा। हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बताएं। मैं ज्योति कुमारी, Lifestylechacha.com पर हिंदी ब्लॉग/ लेख लिखती हूँ। मैं दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हूँ और मुझे लिखना बहुत पसंद है।
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(ज्योति कुमारी ) Read the full article
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atscorpsblog · 3 years ago
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मनुष्य के जीवन में दुखों का कारण हैं उसके कर्मों का फल
मनुष्य के जीवन में दुखों का कारण हैं उसके कर्मों का फल
नेचुरल तरीके से वजन कंट्रोल करने के लिए डाइट में शामिल करें सोंठ, ये 6 बीमारियां भी रहेंगी दूर जीका वायरस, डेंगू-चिकनगुनिया से कैसे करें बचाव? स्वामी रामदेव से जानें योग और आयुर्वेदिक उपचार ये लोग ज्यादा ना खाएं केला, जानें क्या हैं इसके साइड इफेक्ट्स भीगे हुए चने का पानी वजन कम करने में असरदार, जानें किस तरह से करें सेवन भिंडी को डाइट में जरूर करें शामिल, एक साथ कई बीमारियों से रखेगी…
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gethealthy18-blog · 5 years ago
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डेंगू के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय – Dengue Symptoms and Home Remedies in Hindi
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डेंगू के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय – Dengue Symptoms and Home Remedies in Hindi
Arpita Biswas Hyderabd040-395603080 July 23, 2019
मच्छर के काटने को लेकर बहुत लोग गंभीर होते हैं, वहीं कुछ लोग इसे सामान्य समझ नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन आपको बता दें कि एक छोटा सा मच्छर इंसान की जान तक ले सकता है। एक मच्छर कई बीमारियों का कारण बन सकता है और डेंगू उन्हीं में से एक है। आए दिन अखबारों और समाचारों में डेंगू बुखार से लोगों की मरने की खबरें आते रहती है। इसलिए ऐसे में जरूरी है कि वक्त रहते डेंगू से बचाव के लिए सावधानी बरती जाए। ऐसे में डेंगू बुखार के घरेलू उपचार आपके लिए मददगार साबित हो सकते हैं।
हमने पहले ही हमारे एक आर्टिकल में मलेरिया के घरेलू इलाज के बारे में जानकारी दी थी, अब इस लेख के जरिए हम आपको न सिर्फ डेंगू बुखार के लक्षण बताएंगे बल्कि डेंगू बुखार के घरेलू उपचार की जानकारी भी देंगे।
विषय सूची
डेंगू क्या है – What is Dengue Fever in Hindi
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डेंगू एक प्रकार का वायरल बुखार है जो एडीज मच्छरों (Aedes) के काटने से होता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। वायरस फैलाने वाले डेंगू के मच्छर दिन के वक्त सक्रीय रहते हैं। आपको यह बात चौंका ��े कि दुनिया की लगभग आधी आबादी को अब इस बीमारी का खतरा है(1),(2)।
लेख के आगे के भाग में हम आपको डेंगू के कारण की जानकारी थोड़े विस्तार से देंगे।
डेंगू के कारण – Causes of Dengue in Hindi
डेंगू बुखार मुख्य रूप से एडीस परिवार से जुड़े मच्छरों की वजह से होता है, जिसमें एडीज एजिप्टी (Aedes aegypti) मच्छर सबसे आम है। जब यह मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो वायरस उस व्यक्ति में चला जाता है। वायरस से संक्रमित व्यक्ति को काटा हुआ मच्छर अगर किसी अन्य व्यक्ति को काट ले तो उसे भी डेंगू होने का खतरा बढ़ जाता है। डेंगू के वायरस चार प्रकार के सिरोटाइप के होते हैं-
डेनवी – 1 (DENV-1)
डेनवी – 2 (DENV-2)
डेनवी – 3 (DENV-3)
डेनवी – 4 (DENV-4)
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अगर किसी को इनमें से किसी भी एक प्रकार के वायरस से संक्रमण हो चुका है तो वो जीवनभर उस प्रकार के डेंगू वायरस के संक्रमण से बच जाता है। हालांकि बाकी के तीन प्रकार के संक्रमण से वो कुछ ही वक्त तक सुरक्षित रहता है और साथ ही साथ उसे अन्य गंभीर समस्याएं भी हो सकती है(3)।
किसी भी बीमारी का तब तक सही ढंग से इलाज नहीं हो सकता जब तक उसके लक्षण पकड़ में न आए। अगर आपको डेंगू बुखार के घरेलू उपचार करने है तो आपको डेंगू बुखार के लक्षण जानने भी जरूरी है। नीचे हम उसी से संबंधित कुछ जानकारियां दे रहे हैं।
डेंगू के लक्षण – Symptoms of Dengue in Hindi
डेंगू ट्रीटमेंट यानी डेंगू का इलाज करने के लिए आपको सिम्पटम्स ऑफ़ डेंगू मतलब डेंगू के लक्षण जानने जरूरी है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सामान्य बुखार और डेंगू बुखार के लक्षण में अंतर करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है क्योंकि डेंगू के लक्षण लगभग सामान्य बुखार जैसे ही होते हैं। फिर भी नीचे हम आपको डेंगू के लक्षण क्या है उस बारे में आपको बता रहे हैं(4), (5)।
मांसपेशियों में दर्द
थकान
त्वचा पर लाल चकत्ते
सर्दी-जुकाम
उल्टी या जी मिचलाना
नाक बंद होना
सिरदर्द
गले में खराश
जोड़ों में दर्द
खांसी
आंखों में दर्द
अब लेख के आगे के भाग में हम उस बारे में जानकारी देंगे जिसपर यह पूरा लेख आधारित है यानी डेंगू के घरेलू उपचार।
डेंगू के घरेलू उपचार – Home Remedies for Dengue in Hindi
नीचे हम आपको डेंगू बुखार के उपचार बताएंगे, हालांकि इनमें से कुछ के बारे में आप पहले से ही जानते होंगे, लेकिन कुछ उपचार आपके लिए नए हो सकते हैं।
1. मेथी के पत्ते
सामग्री
एक चम्मच मेथी के सूखे पत्ते
एक गिलास पानी
बनाने की विधि
��ेथी के पत्तों को पानी में डालकर उबालें।
उबालने के बाद मेथी के पानी छान लें और चाय की तरह सेवन करें।
कितनी बार सेवन करें ?
जब तक आप ठीक न हो जाए तब तक रोजाना दो से तीन बार इस उपाय को करें।
कैसे फायदेमंद है ?
मेथी में मौजूद एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटीपायरेटिक (antipyretic) गुण डेंगू बुखार को कम करने में मदद कर सकते हैं। खासकर मेथी के पत्तों का पानी डेंगु बुखार के लिए फायदेमंद हो सकता है। यह शरीर को अंदर से साफ करने और शरीर को आराम पहुंचाने का काम करता है, जो डेंगू बुखार के दौरान बहुत जरूरी है(4),(5), (6)। आप मेथी के बीज का भी उपयोग कर सकते हैं।
2. पपीते के पत्ते
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सामग्री
एक मुट्ठी पपीते के पत्ते
बनाने की विधि
एक मुट्ठी पपीते के पत्तों को पीस लें।
फिर पपीते के पत्तों का अर्क निकाल लें।
आप इस अर्क को सीधे ले सकते हैं या स्वाद को बेहतर बनाने के लिए इसमें थोड़ा पानी और शहद मिलाकर पी सकते हैं।
कितनी बार सेवन करें ?
डेंगू के दौरान हर रोज तीन से चार बार इसका सेवन करें।
कैसे फायदेमंद है ?
डेंगू बुखार के दौरान पपीते के पत्तों का अर्क सबसे आम और असरदार उपायों में से एक है(5)। पपीते के पत्ते विटामिन सी और एंटीऑक्सिडेंट से समृद्ध होते हैं, जो इम्यून पावर में सुधार करने के साथ-साथ ब्लड प्लेटलेट काउंट को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है, हालांकि इसके लिए और ठोस प्रमाण की जरूरत है (7),(8)।
3. गिलोय के पत्ते
स��मग्री
500 से 1000 मिलीग्राम गिलोय अर्क
एक कप पानी
बनाने की विधि
एक कप गर्म पानी में गिलोय का अर्क मिलाएं।
इसे अच्छी तरह मिलाकर इस मिश्रण का सेवन करें।
आप चाहें तो डॉक्टर की सलाह पर गिलोय की टैबलेट या कैप्सूल का सेवन कर सकते हैं।
कितनी बार सेवन करें ?
ऐसा रोजाना 1 से 2 बार करें।
कैसे फायदेमंद है ?
गिलोय एक पौधा है जो आमतौर पर भारत के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। इसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं जो कई तरह की स्वास्थ्य समस्या से लड़ने में मददगार हो सकता है(9)। इतना ही नहीं गिलोय एंटीपायरेटिक (antipyretic) यानी ज्वरनाशक भी है और इसलिए यह पुराने से पुराने बुखार को कम करने में प्रभावी हो सकता है(10)। यह पौधा रक्त प्लेटलेट काउंट बढ़ाने के लिए भी जाना जाता है। इस प्रकार यह डेंगू बुखार के इलाज के लिए सबसे अच्छे प्राकृतिक विकल्पों में से एक है(6)।
4. तुलसी के पत्ते
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सामग्री
एक मुट्ठी तुलसी के पत्ते
एक चुटकी काली मिर्च
दो कप पानी
शहद (वैकल्पिक)
बनाने की विधि
तुलसी के पत्तों को ��ो कप पानी में उबाल ���ें।
इसमें एक चुटकी काली मिर्च पाउडर डालें।
5 मिनट के लिए उबलने दें फिर छान लें।
मिश्रण को थोड़े देर के लिए ठंडा होने दें फिर इसमें स्वाद के लिए शहद मिलाएं
फिर इस मिश्रण का सेवन करें।
कितनी बार सेवन करें ?
डेंगू के दौरान इस उपाय को रोजान दो से तीन बार करें।
कैसे फायदेमंद है ?
तुलसी न सिर्फ पूजा के लिए बल्कि अपने औषधीय गुणों के लिए भी जानी जाती है। इसकी पत्तियों में कुछ अद्भुत औषधीय गुण होते हैं, जिनका उपयोग विभिन्न संक्रमणों के उपचार में किया जा जाता है। इसके अलावा यह एक प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करता है। इसमें एंटीमाइक्रोबायल (antimicrobial) गुण भी होते हैं जो डेंगू वायरस को खत्म करने में मदद कर सकते हैं(11)।
5. बकरी का दूध
सामग्री
एक कप बकरी का दूध
बनाने की विधि
एक कप बकरी का दूध गर्म करें।
थोड़ी देर दूध को ठंडा होने के लिए रख दें।
पीने योग्य होने पर दूध का सेवन करें।
कितनी बार सेवन करें ?
आपको प्रतिदिन 1 से 2 बार बकरी का दूध पीना चाहिए।
कैसे फायदेमंद है ?
देखा गया है कि डेंगू बुखार के दौरान शरीर में सेलेनियम और रक्त प्लेटलेट की कमी होने लगती है। ऐसे में बकरी का दूध एक प्रभावी इलाज हो सकता है। यह डेंगू बुखार को ठीक करने के साथ-साथ शरीर में सेलेनियम की पूर्ति और रक्त प्लेटलेट काउंट को बढ़ाने का काम करता है(12)।
6. नीम के पत्ते
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सामग्री
थोड़े से नीम के पत्ते
एक कप पानी
एक चम्मच शहद
बनाने की विधि
एक कप पानी में नीम के पत्ते डालकर उबाल लें।
अब नीम के पानी को छान लें और ठंडा होने के लिए छोड़ दें।
जब नीम का पानी गुनगुना हो जाए तो इसमें शहद मिलाकर सेवन करें।
कितनी बार सेवन करें ?
इस उपाय को रोजाना दो से तीन बार करें।
कैसे फायदेमंद है ?
नीम कई सालों से एक प्राकृतिक औषधी के रूप में उपयोग किया जा रहा है। यह अपने एंटीवायरल गुणों के लिए जाना जाता है। नीम का प्रयोग शरीर की कई बीमारियों के इलाज में किया जा सकता है, जिसमें डेंगू बुखार भी शामिल है(13)। इसके अलावा नीम के पत्तों को डेंगू वाइरस के खिलाफ भी बहुत असरदार पाया गया है (14), (15)।
7. बार्ली ग्रास
सामग्री
एक चम्मच बार्ली ग्रास पाउडर
एक से दो कप गर्म पानी
शहद (वैकल्पिक)
बनाने की विधि
एक चम्मच बार्ली ग्रास पाउडर लें और इसे एक गिलास गर्म पानी में मिलाएं।
पीने योग्य होने पर आवश्यकतानुसार थोड़ा शहद मिलाएं।
प्रतिदिन बार्ली ग्रास के घोल का सेवन करें।
कितनी बार सेवन करें ?
अच्छे परिणाम के लिए रोजाना कम से कम दो इस उपाय को करें।
कैसे फायदेमंद है ?
बार्ली ग्रास में एंटीवायरल और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो डेंगू बुखार में मददगार हो सकते हैं। इतना ही नहीं यह ब्लड प्लेटलेट काउंट को बढ़ाने का काम भी कर सकते हैं(16)।
8. गोल्डनसील
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सामग्री
एक चम्मच गोल्डनसील की जड़
एक कप गर्म पानी
शहद आवश्यकतानुसार
बनाने की विधि
एक कप गर्म पानी में एक चम्मच गोल्डनसील की जड़ों को मिलाएं।
जड़ों को 5 से 10 मिनट तक पानी में रहने दें।
अब इसे किसी कप में छान लें और इसमें शहद मिलाकर चाय की ��रह पीएं।
वैकल्पिक रूप से, आप डॉक्टरी परामर्श पर 350-500 मिलीग्राम गोल्डनसील सप्लिमेंट भी ले सकते हैं।
कितनी बार सेवन करें ?
रोजाना दो बार गोल्डनसील चाय का सेवन करें।
कैसे फायदेमंद है ?
गोल्डनसील चाय के कई आश्चर्यजनक लाभ हैं, जिनमें से एक डेंगू का उपचार भी शामिल है। इसके अलावा यह डेंगू से होने वाली अन्य परेशानियां जैसे – उल्टी या जी मिचलाने की समस्या को भी कम कर सकता है(16)।
9. अमरूद के पत्ते
सामग्री
मुट्ठी भर अमरूद के पत्ते
एक गिलास पानी
बनाने की विधि
पानी में अमरूद के पत्तों को उबाल लें।
अब इस पानी को छानकर पिएं।
इसके अलावा आप पके हुए अमरूद का जूस पी सकते हैं या सीधे अमरूद का सेवन कर सकते हैं।
कितनी बार सेवन करें ?
डेंगू बुखार से जल्द निजात पाने के लिए रोजाना इस उपाय को करें।
कैसे फयदेमंद है?
डेंगू के बुखार के दौरान ब्लड प्लेटलेट में तेजी से गिरावट आती है ऐसे में अगर अमरूद के पत्तों या पके हुए अमरूद के जूस का सेवन किया जाए तो ब्लड प्लेटलेट बढ़ सकती हैं(17)।
10. सेब का जूस
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सामग्री
एक कप ताजा सेब का रस
एक चम्मच नींबू का रस
बनाने की विधि
एक कप सेब का रस लें और उसमें एक चम्मच नींबू का रस मिलाएं।
रोजाना इस जूस के मिश्रण का सेवन करें।
कितनी बार सेवन करें ?
इसे रोजाना 2 से 3 बार पिएं।
कैसे फायदेमंद है ?
आपने अंग्रेजी की वो कहावत तो सुनी ही होगी कि ‘एन एप्पल ए डे कीप्स द डॉक्टर अवे’ मतलब अगर डॉक्टर से दूर रहना है तो सेब खाओ। उसी तरह अगर डेंगू से छुटकारा पाना है तो अपनी डाइट में सेब का जूस या सेब को शामिल करें। सेब न सिर्फ शरीर को पोषण देकर कमजोरी दूर करता है बल्कि ये हल्का होता है और आसानी से पच भी जाता है(18)।
11. गुड़ और प्याज
सामग्री
गुड़ का एक छोटा टुकड़ा
दो से तीन छोटे प्याज
बनाने की विधि
गुड़ का एक छोटा टुकड़ा लें और इसे प्याज के साथ कुचल दें।
फिर प्याज-गुड़ के इस मिश्रण का सेवन करें।
कितनी बार सेवन करें ?
इस मिश्रण का सेवन दिनभर में दो बार करें।
कैसे फायदेमंद है ?
डेंगू बुखार के दौरान ब्लड प्लेटलेट की कमी होना एक चिंता का विषय है, ऐसे में गुड़-प्याज का उपाय कारगर साबित हो सकता है। वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार प्याज ब्लड प्लेटलेट को बढ़ाने के साथ-साथ इम्यून पावर में सुधार करता है। वहीं गुड़ डेंगू बुखार से छुटाकारा दिलाने में मददगार साबित हो सकता है(19), (20)।
12. कीवी
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सामग्री
एक कप कीवी का जूस
कैसे सेवन करें ?
एक कप कीवी का जूस पिएं।
आप सीधे कीवी भी खा सकते हैं।
कितनी बार सेवन करें ?
जब तक डेंगू बुखार खत्म न हो जाए रोजाना इस उपाय को दो बार करें।
कैसे फायदेमंद है ?
कीवी पोषक तत्वों का खजाना है, इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं। इतना ही नहीं यह आयरन, विटामिन, मिनरल और अन्य कई पोषक तत्वों से भी भरपूर होता है। इसमें मौजूद विटामिन सी रोग-प्रतिरोधक क्षमता और प्लाज्मा में सुधार करता है और कई गंभीर बीमारियों के जोखिम को कम करने काम भी करते हैं(21),(22)।
13. अनार का रस
सामग्री
एक या दो अनार
छलनी
बनाने की विधि
अनार से दानों को अलग कर लें।
फिर अनार के दानों को छलनी में रखकर चम्मच की मदद से रस निकालें।
अब इस रस का सेवन करें।
आप चाहें तो रस में थोड़ा पानी मिलाकर इसका सेवन कर सकते हैं।
कितनी बार सेवन करें ?
हर रोज एक से दो बार इस जूस का सेवन करें।
कैसे फायदेमंद है ?
अनार पोषक तत्वों से भरपूर होता है जो कमजोरी को दूर करने के साथ-साथ ब्लड प्लेटलेट काउंट को बढ़ाने में मदद करता है। जरूरी नहीं कि आप इसका सेवन सिर्फ डेंगू के दौरान ही करें, आप ऐसे सामान्य दिनों में भी इसका सेवन कर सकते हैं(6)।
14. विटामिन- के
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डेंगू का दूसरा स्टेज होता है डेंगू हेमोरेजिक फीवर (Dengue hemorrhagic fever) जो कि सामान्य डेंगू से ज्यादा गंभीर होता है। यह अक्सर रक्तस्राव के साथ होता है। यहां विटामिन-के एक महत्वपूर्ण विकल्प हो सकता है क्योंकि यह डेंगू हेमोरेजिक फीवर में होने वाले अत्यधिक रक्तस्राव को रोकने का काम करता है(23)।
15. हल्दी
सामग्री
एक चम्मच हल्दी पाउडर
एक गिलास गर्म दूध
शहद (वैकल्पिक)
बनाने की विधि
एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच हल्दी अच्छी तरह मिलाएं।
अब इसमें थोड़ा शहद मिलाएं और दूध को ठंडा करके पिएं।
कितनी बार सेवन करें ?
रोजान रात से में सोने से पहले हल्दी दूध का सेवन करें।
कैसे फायदेमंद है ?
सालों से हल्दी दूध का सेवन एक औषधि के रूप में किया जा रहा है। हल्दी में एंटीवायरल गुण होते है, जो डेंगू से राहत दिलाने में मदद कर सकता है(24)(25)।
16. केकड़े का सूप (Crab Soup)
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सामग्री
एक कटोरा केकड़े का सूप (प्रति भोजन 1 से 2 केकड़े)
कितनी बार सेवन करें ?
आप हर रोज कम से कम दो बार इस सूप का सेवन करें।
कैसे फायदेमंद है ?
केकड़े का सूप पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है। ऐसे में माना जाता है कि केकड़े का सूप डेंगू बुखार के लक्षणों से राहत दिला सकता है(26), हालांकि इस बात की पुष्टि के लिए वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है कि केकड़े में ऐसे कौन से घटक हैं जिसमें एंटी-वायरल गुण मौजूद है(27)।
ये तो थे डेंगू के लक्षण और उपचार, अब नीचे जानिए डेंगू से बचाव के जरूरी टिप्स।
डेंगू से बचाव – Prevention Tips for Dengue in Hindi
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अपने घर और घर के आस-पास सफाई रखें।
मच्छर भगाने वाले लिक्विड का उपयोग करें।
मच्छर भगाने वाली क्रीम लगाएं।
बच्चों को और खुद भी लंबे हाथ वाले फुल कपड़े पहने।
कूलर, फूलदान या किसी भी जगह ज���ां पानी बदलने की जरूरत होती है वहां हर रोज पानी बदलें।
जितना हो सके खिड़की-दरवाजे बंद रखें और हो सके तो खिड़की पर जाली लगवा लें ताकि मच्छर अंदर न आ सके।
डेंगू बुखार कभी भी और किसी को भी हो सकता है, ऐसे में ऊपर बताए गए डेंगू के घरेलू उपचार आपकी मदद कर सकते हैं। लेकिन अगर ऊपर दिए गए डेंगू बुखार के घरेलू उपचार से आपको राहत नहीं मिल रही तो समझ जाएं कि आपको डॉक्टर के पास जाने की जरूरत है। अगर वक्त रहते डेंगू का इलाज नहीं किया गया तो यह जानलेवा भी हो सकता है। इसलिए किसी भी तरह के बुखार को अनदेखा न करते हुए सबसे पहले डॉक्टर से बात कर ब्लड टेस्ट कराएं। अगर आप डेंगू के चपेट में आ चुके हैं तो डेंगू बुखार के घरेलू उपचार करें क्योंकि ऐसे में डेंगू का आयुर्वेदिक इलाज या घरेलू उपचार ही असर कर सकता है। इसके साथ ही अगर आपके पास भी डेंगू के घरेलू उपचार हैं जो इस लेख में नहीं है तो उसे हमारे साथ शेयर करें।
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Arpita Biswas
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/dengue-ke-kaaran-lakshan-gharelu-ilaj-in-hindi/
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jodhpurnews24 · 6 years ago
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चिकनगुनिया में ज्यादा से ज्यादा लिक्विड लें
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इन दिनों डेंगू, चिकनगुनिया व स्क्रब टायफस के मामले सामने आ रहे हैं। इन बीमारियों के लक्षणों, बचाव व उपचार की जानकारी होनी बहुत जरूरी है। साथ ही आयुर्वेदिक उपायों को अपनाकर इन रोगों को काफी हद तक कम किया जा सकता है, जानें कैसे-
डेंगू डेंगू की शुरुआत तेज बुखार व ठंड लगने के साथ होती है। इसके शुरुआती लक्षणों में रोगी को तेज सर्दी लगने के साथ सिरदर्द, कमरदर्द व आंखों में तेज दर्द हो सकता है। लगातार तेज बुखार के अलावा, जोड़ों में दर्द, बेचैनी, उल्टियां और लो ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। इसके उपचार में अगर अधिक देरी हो जाए तो यह डेंगू हेमरेजिक फीवर (डीएचएएफ) का रूप ले लेता है और अधिक भयावह हो सकता है। ऐसी स्थिति की आशंका दस साल से कम उम्र के बच्चों में सबसे ज्यादा होती है। इस बुखार का मरीज करीब 15 दिनों में पूरी तरह ठीक होता है।
मेडिकल ट्रीटमेंट जेके लोन अस्पताल, जयपुर के अधीक्षक डॉ. अशोक गुप्ता के अनुसार लक्षण दिखते ही मरीज को अधिक से अधिक पानी पिलाएं व आराम कराएं। बुखार बढऩे पर पैरासिटामॉल हर ४-६ घंटे में देते रहें, शरीर ढककर रखें, मच्छरों से बचाएं। बीपी या प्लेटलेट्स गिरने पर डॉक्टर से मिलें।
घरेलू उपचार वैद्य कैलाश महारिया के अनुसार लक्षण दिखते ही पपीते के पत्तों का रस व गिलोय बेल का काढ़ा रोगी को ३-४ बार पिलाएं। रोगी यदि उल्टी करे तो सेब के रस में थोड़ा नींबू मिलाकर दें। नीम व तुलसी का काढ़ा 20 से 50 मिलीलीटर पीने से डेंगू में लाभ होता है।
चिकनगुनिया इसके शुरुआती लक्षण डेंगू जैसे ही हैं लेकिन इसमें बुखार 102 से 104 डिग्री से. तक पहुंच जाता है व त्वचा खुश्क हो जाती है। जोड़ों में तेज दर्द रोग का प्रमुख लक्षण है। मरीज को तेज सिरदर्द, मांसपेशियों में खिंचाव व दर्द, चक्कर व उल्टी जैसा महसूस होता है। इससे पीडि़त गर्भवती महिला से होने वाले बच्चे को रोग का जोखिम बना रहता है।
मेडिकल ट्रीटमेंट डॉ. विजयप्रकाश शर्मा कहते हैं कि इस दौरान आराम करें। अधिक तली-भुनी व गरिष्ठ चीजें खाने से परहेज करें। बर्फ तौलिए में लपेटकर जोड़ों पर रखें व हल्के हाथों से दबाएं। रोग से उभरने के बाद मुंह में छालों की समस्या रहती है जिसका कारण दवाओं की गर्मी है। ऐसे में पानी पीते रहें।
घरेलू उपचार वैद्य दिनेश शर्मा कहते हैं कि ऐसे में पपीता व करेले खाएं। करेले का जूस बुखार में लाभ देता है। गिलोय का रस पीना भी फायदेमंद है। तुलसी के पत्तों के साथ काली मिर्च को पानी में उबाल लें और पिएं। गुनगुना पानी व सूप अधिक लें इससे तेजी से फायदा होता है।
स्क्रब टायफस स्क्रब टायफस बुखार न केवल जानलेवा है बल्कि इससे शरीर के कई अंग काम करना बंद कर देते हैं। पिस्सुओं के काटने से रोगी की सुधबुध खोने से लेकर लकवे जैसे विकारों की आशंका बढ़ती है। साथ ही प्लेटलेट्स घटने, 102-103 डिग्री तेज बुखार, सिरदर्द, खांसी, मांसपेशियों में दर्द व कमजोरी जैसी परेशानियां हो सकती हैं।
मेडिकल ट्रीटमेेंट एसएमएस अस्पताल, जयपुर के सहायक आचार्य डॉ. श्रीकांत शर्मा के अनुसार लक्षण पहचानने के बाद तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। घर के आसपास कीटनाशक दवा का छिडक़ाव करें। एलाइजा टैस्ट व इम्युनोफ्लोरेसेंस टैस्ट से स्क्रब टायफस एंटीबॉडीज का पता लगाते हैं। इसके लिए 7-14 दिनों तक दवाओं का कोर्स चलता है।
घरेलू उपचार रोग से बचाव के लिए घर के आसपास उगी घास व झाडिय़ों की नियमित छंटाई करवाएं। साथ ही जिनके घर के आसपास हरियाली ज्यादा हो वे पूरी बाजू के कपड़े पहनकर रहें। घास के बीच चलते वक्त जूतों का इस्तेमाल करें। बुखार होने पर डॉक्टर से चेकअप कराएं व नियमित दवा लें। किसी भी तरह की लापरवाही न ब��ते��।
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parichaytimes · 3 years ago
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COVID-19 के बीच फ्लू और डेंगू के मामले बढ़ रहे हैं: डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया से खुद को सुरक्षित रखने के अचूक उपाय | द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया
COVID-19 के बीच फ्लू और डेंगू के मामले बढ़ रहे हैं: डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया से खुद को सुरक्षित रखने के अचूक उपाय | द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया रोके जा सकने वाले रोग हैं जिन्हें सरल उपायों का पालन करके नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसे समय में जब हम COVID उपायों को नहीं छोड़ सकते हैं, कुछ बुनियादी उपायों को ध्यान में रखने से संक्रमण की संभावना को कम करने में मदद मिलेगी: -जब आप बाहर निकलते हैं, तो ऐसे कपड़े पहनें जो अधिकतम कवरेज प्रदान करें – शरीर के खुले हिस्सों पर मच्छर भगाने वाली…
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gethealthy18-blog · 6 years ago
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मलेरिया के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Malaria Symptoms and Home Remedies in Hindi
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मलेरिया के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Malaria Symptoms and Home Remedies in Hindi
Arpita Biswas May 30, 2019
क्या आपको पता है कि छोटा-सा मच्छर भी आपकी जान का दुश्मन बन सकता है? मच्छर से कई तरह की बीमारियां होती है और मलेरिया उन्हीं में से एक है। मलेरिया के कारण कई हैं, लेकिन गंदगी सबसे बड़ा कारण है। आसपास फैली गंदगी से मच्छर होते हैं और यही मच्छर मलेरिया रोग का कारण बनते हैं। अगर वक्त रहते मलेरिया का इलाज न किया जाए, तो यह जानलेवा भी हो सकता है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम न सिर्फ मलेरिया के लक्षणों के बारे में बताएंगे, बल्कि मलेरिया से बचाव के लिए मलेरिया का इलाज भी बताएंगे। मलेरिया रोग से जुड़ी तमाम जानकारियों के लिए पढ़ें यह आर्टिकल।
विषय सूची
मलेरिया क्या है – What is Malaria in Hindi
अगर लोगों से पूछा जाए कि मलेरिया क्या है, तो कई लोग यही कहते हैं कि मलेरिया एक तरह का बुखार होता है, जो मच्छर के काटने से होता है। इसमें मरीज को ठंड लगती है और तेज बुखार आता है। हालांकि, यह सही है, लेकिन यह पूरी तरह से मलेरिया की परिभाषा नहीं है। इससे पहले कि आप मलेरिया के लक्षणों को जानें, आपका यह जानना जरूरी है कि मलेरिया क्या है? ‘मलेरिया’ इटालियन शब्द ‘माला आरिया’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है खराब हवा, क्योंकि पहले ऐसा माना जाता था कि यह खराब हवा के कारण होता है, लेकिन ऐसा नहीं है।
चिकित्सकीय रूप से मलेरिया एक प्रोटोजोआ परजीवी (जो दूसरे जीवों पर आश्रित होते हैं) के कारण होने वाली संक्रामक बीमारी है। मादा एनोफिलीज मच्छर इस परजीवी के लिए वाहक का काम करते हैं। मादा मच्छर स्थिर पानी में प्रजनन कर, परजीवी को मनुष्य तक फैलाते हैं। जब ये मच्छर किसी व्यक्त�� को काटते हैं, तो परजीवी उसके शरीर में प्रवेश करता है और शुरू में कुछ दिनों के लिए लिवर में बढ़ने लगता है। फिर यह लाल रक्त कोशिकाओं को क्षति पहुंचना शुरू करते हैं। ऐसा ज्यादातर गर्म स्थानों में होता है, जिस कारण गर्म जगहों पर रहने वाले लोग इससे जल्दी प्रभावित हो जाते हैं (1) (2)।
नीचे हम आपको मलेरिया से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
मलेरिया के कुछ रोचक तथ्य
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इससे पहले कि आप मलेरिया के प्रकार और लक्षणों को जानें, आप मलेरिया से जुडी कुछ रोचक बाते जान लें।
हर वर्ष 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है।
विश्व मलेरिया दिवस का उद्देश्य लोगों को मलेरिया जैसी बीमारी से जागरूक कराना है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि मलेरिया मादा मच्छर के काटने होता है।
मादा मच्छर एक बार में 300 या उससे अधिक ��ंडे दे सकती है।
अंडों से निकलने के बाद मच्छर शुरुआत के कुछ दिन पानी में ही बिताते हैं।
संक्रमण फैलाने के लिए एनोफिलीज मच्छर की तीन अलग-अलग प्रजातियों को जिम्मेदार पाया गया है।
जब एक गर्भवती महिला को यह संक्रमण होता है, तो इसके परिणामस्वरूप जन्म के समय बच्चे का वजन कम हो सकता है। यहां तक कि शिशु की जान को खतरा भी हो सकता है।
मलेरिया के प्रकार भी होते हैं, जिसके बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं।
मलेरिया के प्रकार – Types of Malaria in Hindi
कई लोगों को लगता होगा कि मलेरिया बस एक ही बीमारी है, लेकिन इसके कई प्रकार भी होते हैं। नीचे हम आपको मलेरिया के प्रकार के बारे में बता रहा हैं। संक्रमण की गंभीरता के आधार पर, दो प्रकार के मलेरिया होते हैं – अनकॉमप्लिकेटेड मलेरिया और सीवियर मलेरिया।
1. अनकॉमक्लिकेटेड मलेरिया (Uncomplicated Malaria)
इसमें मलेरिया का बुखार तीन तरीके से हो सकता है (3) :
ठंड लग के या कंपकंपी के साथ,
गर्मी लग के बुखार या फिर
पसीने और थकान के साथ बुखार की समस्या हो सकती है।
इस प्रकार के मलेरिया के लक्षण हम नीचे आपके साथ शेयर कर रहे हैं।
बुखार
ठंड लगना
पसीना
सिरदर्द
मतली और उल्टी
थकान
शरीर में दर्द
जोड़ों का दर्द
भूख में कमी
डायरिया
नोट : जिन देशों में मलेरिया के मामले अधिक नहीं होते हैं, वहां इन लक्षणों को इन्फ्लुएंजा, सर्दी या अन्य सामान्य संक्रमणों के तौर पर देखा जाता है।
2. सीवियर मलेरिया
यह मलेरिया का सबसे गंभीर रूप होता है। यह तब होता है जब मलेरिया शरीर के विभिन्न अंगों में फैलकर उन्हें प्रभावित करने लगता है। इसमें कई अंग काम करना बंद कर देते हैं और इससे भी अधिक गंभीर लक्षण हो सकते हैं। इस मलेरिया के कुछ और लक्षण हम आपके साथ शेयर कर रहे हैं (3) :
सेरेब्रल या दिमागी मलेरिया – दौरे आना, कोमा व अन्य न्यूरोलॉजिकल असामान्यताएं
गंभीर एनीमिया
रक्त जमावट की प्रक्रिया में असामान्यताएं
किडनी की समस्या
श्वसन संबंधी समस्याएं
निम्न रक्तचाप
ऐसी ही कई अन्य समस्याएं हो सकती हैं। सीवियर मलेरिया के लिए तुरंत इलाज बहुत जरूरी है।
मलेरिया के कारण – Causes of Malaria Hindi
मलेरिया के प्रकार जानने के बाद आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि मलेरिया के कारण क्या हैं। ज्यादातर लोग मलेरिया के कारण को सरल भाषा में यही कहते हैं कि मच्छरों के कारण मलेरिया होता है। मलेरिया प्रोटोजोआ परजीवी के कारण होता है, जिसे प्लास्मोडियम कहा जाता है। इस परजीवी की पांच प्रमुख प्रजातियां हैं, जो मनुष्यों को संक्रमित करती है। इन प्रजातियों के बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं।
प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम (Plasmodium falciparum) – अफ्रीका में प्रमुख प्लास्मोडियम विवैक्स (Plasmodium vivax) – एशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका ��े कुछ क्षेत्रों में प्रमुख प्लास्मोडियम ओवले (Plasmodium ovale) – पश्चिम अफ्रीका और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में प्रमुख प्लास्मोडियम मलेरिया (Plasmodium malariae) – दुनिया भर में प्रमुख प्लास्मोडियम नॉलेसी (Plasmodium knowlesi) – दक्षिण पूर्व एशिया में प्रमुख (4)
आगे जानिए मलेरिया के लक्षण।
मलेरिया के लक्षण – Symptoms of Malaria in Hindi
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यहां पर हम मलेरिया के सामान्य लक्षणों (सिम्पटम्स ऑफ मलेरिया) के बारे में बता रहे हैं। इनमें से कोई भी लक्षण नजर आने पर आप डॉक्टर से संपर्क करें।
तेज सिरदर्द
उल्टी या जी-मिचलाना
तेज बुखार
ठंड लगकर बुखार आना
बुखार देर तक रहना
बार-बार प्यास लगना
हाथ-पैर में ऐंठन
थकान या कमजोरी महसूस होना
घबराहट या बेचैनी महसूस होना
बहुत ज्यादा ठंड लगना
खून की कमी
बेशक, मलेरिया का नाम लोगों में डर पैदा कर देता है, लेकिन निर्धारित दवाओं और घरेलू उपचार से इसका इलाज संभव है। इसलिए, आगे लेख में हम मलेरिया उपचार के बारे में बात करेंगे।
मलेरिया का घरेलू इलाज – Home Remedies for Malaria in Hindi
इसमें कोई दो राय नहीं है कि अगर वक्त रहते मलेरिया का इलाज न किया जाए, तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। फिर भी मलेरिया का इलाज आसानी से संभव है। आजकल डॉक्टर भी मलेरिया रोग के लिए दवाई के साथ-साथ प्राकृतिक एवं घरेलू उपचार की सलाह देते हैं। यहां हम आपको मलेरिया से बचाव के लिए कुछ घरेलू उपचार बता रहे हैं।
1. अदरक
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अदरक लगभग हर रसोई में पाया जाता है। वर्षों से खाने में स्वाद का तड़का लगाने वाला अदरक न सिर्फ खाने को जायकेदार बनाता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। अदरक का उपयोग आप मलेरिया जैसी गंभीर बीमारी से जल्द छुटकारा पाने के लिए भी कर सकते हैं। नीचे जानिये कैसे –
सामग्री :
एक इंच अदरक का टुकड़ा
एक या डेढ़ कप पानी
बनाने और सेवन करने की विधि :
अदरक को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर पानी में थोड़ी देर के लिए उबाल लें।
फिर इसे छान लें और थोड़ा ठंडा कर पिएं।
स्वाद के लिए आप इसमें शहद भी मिला सकते हैं।
कितनी बार सेवन करें?
आप हर रोज एक से दो कप इस मिश्रण का सेवन कर सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है?
अदरक में मौजूद घटक जैसे – जिन्जेरॉल (gingerol) में एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। इसमें मौजूद ये गुण मलेरिया के दौरान होने वाले दर्द व मितली से राहत दिला सकते हैं। साथ ही पाचन शक्ति को भी बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, अदरक में एंटी-मलेरिया गुण भी होते हैं, जिस कारण मलेरिया से बचाव हो सकता है (5) (6) (7)।
2. तुलसी
भारत में सदियों से तुलसी का उपयोग न सिर्फ पूजा के लिए, बल्कि औषधि के रूप में भी किया जाता आ रहा है। चाहे सर्दी-जुकाम हो या किसी प्रकार का दर्द, इसके लिए तुलसी का ��ाढ़ा, तुलसी की चाय व तुलसी के पत्ते हर तरह से फायदेमंद हैं। ठीक उसी तरह यह मलेरिया में भी कारगर साबित हो सकती है। नीचे जानिए मलेरिया में तुलसी के उपयोग की विधि।
सामग्री :
12 से 15 तुलसी के पत्ते
आधा चम्मच काली मिर्च पाउडर
बनाने और सेवन करने की विधि :
पत्तियों को कुचल लें और फिर इन्हें नीचोड़ कर रस निकाल लें।
इस रस में काली मिर्च पाउडर डालकर अच्छी तरीके से मिलाएं।
कितनी बार सेवन करें?
इस रस को दिन में तीन बार पिएं, खासकर बीमारी के शुरुआती चरणों में।
कैसे फायदेमंद है?
तुलसी के पत्तों को विभिन्न रोगों के लिए हर्बल उपचार माना गया है और मलेरिया उनमें से एक है। इसमें एंटी-मलेरिया गुण होता है। संक्रमण के दौरान नियमित रूप से सेवन करने पर मतली, उल्टी, दस्त व बुखार जैसे लक्षणों से भी राहत मिलती है (8)।
3. पपीता का पत्ता
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पपीता न सिर्फ स्वादिष्ट होता है, बल्कि इसके कई गुण भी हैं। यह पेट से लेकर त्वचा तक के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पत्ते भी लाभकारी होते हैं। डेंगू के वक्त पपीते के पत्ते के रस का सेवन करने के बारे में आपने सुना ही होगा, लेकिन ये मलेरिया में भी बहुत लाभकारी हैं।
सामग्री :
चार से छह ताजे पपीते के पत्ते
शहद (स्वादानुसार)
बनाने और सेवन करने की विधि :
पपीते के पत्तों को अच्छी तरह से धो लें।
धोने के बाद इनको छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें।
फिर पत्तों का रस निकाल लें।
रस निकालते वक्त आप गर्म पानी का उपयोग करें।
उसके बाद आप इसमें स्वाद के लिए शहद मिला सकते हैं।
फिर इसका सेवन करें।
अगर आप एक बार में इसका सेवन नहीं कर सकते हैं, तो एक बोतल में इसे डालकर फ्रिज में रख लें।
जब भी इसका उपयोग करें, उससे पहले बोतल को अच्छी तरह हिला लें।
ध्यान रहे कि इसे ज्यादा दिनों के लिए फ्रिज में स्टोर न करें।
कोशिश करें कि उतना ही बनाए, जितनी जरूरत हो।
कितनी बार सेवन करें?
आप दिनभर में एक से दो बार इस जूस का सेवन करें।
अगर आप जूस का सेवन नहीं करना चाहते, तो आप पपीते के पत्ते की चाय भी बना सकते हैं।
चाय के लिए –
सामग्री :
लगभग चार से छह ताजा पपीते के पत्ते
नींबू (आवश्यकतानुसार)
शहद (स्वादानुसार)
बनाने और सेवन करने की विधि :
इन पत्तों को अच्छी तरह से धोकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें।
15 से 20 मिनट के लिए पत्तियों को उबालें (आप इसमें नींबू के दो से तीन टुकड़े भी मिला सकते हैं) और छान लें।
आप इसमें स्वादानुसार शहद भी मिला सकते हैं।
कितनी बार सेवन करें?
आप दिनभर में दो से तीन बार इसका सेवन कर सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है?
पपीता का पत्ता एंटी-मलेरिया की तरह काम करता है। पश्चिमी कैमरून में पपीते के पत्ते और लेमन ग्रास को मिलाकर एक मिश्रण तैयार किया जाता है, जिसे मरीजे को पीने के लिए दिया जाता था। हालांकि, इस पर अभी और शोधा होना बाकी है। इसके अलावा, पपीता का भी सेवन मलेरिया के दौरान लाभकारी हो सकता है, क्योंकि कई बार मलेरिया में खून की कमी हो जाती है और ऐसे में पपीते का सेवन फायदेमंद हो सकता है (9)।
4. मेथी
मेथी के सेवन से डायबिटीज से लेकर कई अन्य बीमारियों तक से राहत मिल सकती है। मलेरिया भी उन्ही में से एक है। नीचे जानिए मलेरिया में मेथी का सेवन क���से करें –
सामग्री :
थोड़ा मेथी दाना
एक गिलास पानी
बनाने और सेवन करने की विधि :
रातभर मेथी दानों को पानी में भिगोकर रखें।
फिर सुबह खाली पेट इस पानी का सेवन करें।
कितनी बार सेवन करें?
जब तक मलेरिया ठीक न हो जाए, इसका सेवन रोज करें।
कैसे फायदेमंद है?
बुखार के कारण मलेरिया के रोगी अक्सर कमजोरी महसूस करते हैं। इस कमजोरी से निपटने के लिए मेथी के दाने सबसे अच्छा प्राकृतिक उपचार हैं। ये आपकी इम्यून सिस्टम को बढ़ाते हैं और परजीवियों से लड़कर मलेरिया से जल्दी ठीक होने में मदद करते हैं। ये एंटी-प्लाज्मोडियल की तरह काम कर मलेरिया से राहत दिला सकते हैं। इसलिए, मलेरिया के मरीजों को मेथी खाने की सलाह भी दी जाती है (10) (11)।
5. दालचीनी
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खाने का जायका बढ़ाना हो, तो दालचीनी अच्छा मसाला है। साथ ही यह मलेरिया में भी लाभकारी है।
सामग्री :
एक चम्मच द��लचीनी पाउडर
एक चुटकी काली मिर्च पाउडर
एक चम्मच शहद
एक गिलास पानी
बनाने और सेवन करने की विधि :
दालचीनी पाउडर और काली मिर्च पाउडर को कुछ मिनट के लिए पानी में उबालें।
फिर पानी को छानकर उसमें शहद मिला लें।
कितनी बार सेवन करें?
आप इसका दिनभर में एक से दो बार सेवन कर सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है?
मलेरिया के लक्षणों के इलाज के लिए दालचीनी भी प्रभावी घरेलू उपचार है। दालचीनी में मौजूद सिनामाल्डिहाइड (cinnamaldehyde), प्रोसीएनिडिन्स (procyanidins) और कैटेकिन (catechins) में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं। दालचीनी प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम (Plasmodium falciparum) के लिए रूकावट का काम करता है। इसलिए, इसके सेवन से मलेरिया में राहत मिल सकती है (12) (13)।
6. सागर गोटा
सागर गोटा एक जड़ी-बूटी है, जिसका इस्तेमाल भारत और अन्य देशों में उपचार के लिए किया जाता है। यह मलेरिया के उपचार में भी काफी फायदेमंद है।
सामग्री :
तीन ग्राम सागर गोटा के बीज
एक कप पानी
बनाने और सेवन करने की विधि :
इन बीजों को बुखार होने की आशंका होने पर पानी के साथ लें और बुखार होने के एक घंटे बाद भी लें।
कितनी बार सेवन करें?
मलेरिया के कारण होने वाले बुखार से पहले और बाद में लें।
कैसे फायदेमंद है?
सागर गोटा पौधे के बीज मलेरिया के लिए प्रभावी उपाय माने गए हैं। यह एक दुर्लभ पौधा है। यह आपको हर्बल दुकानों में मिल जाएगा। इसमें मौजूद एंटी-मलेरिया और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण मलेरिया से जल्द राहत पाने में मदद मिल सकती है (14)।
7. मौसमी या चकोतरा
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कई बार आपने बड़े नींबू देखे होंगे, जिन्हें चकोतरा या ग्रेपफ्रूट कहते हैं। संतरे और नींबू के प्रजाति का यह फल खट्टा होने के साथ-साथ इसमें हल्की मिठास भी होती है। वजन कम करना हो, थकान दूर करनी हो, पाचन ब��ाना हो या अन्य कोई शारीरिक समस्या दूर करनी हो, यह लाभकारी हो सकता है। उसी तरह यह बुखार और मलेरिया पर भी असर कर सकता है।
सामग्री :
एक चौथाई चकोतरा
पानी
बनाने और सेवन करने की विधि :
चकोतरे को उबाल लें।
फिर इसे छानकर इसका सेवन करें।
कितनी बार सेवन करें?
आप हर दिन इसका सेवन कर सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है?
अगर मलेरिया के दौरान इसका जूस लिया जाए, तो इससे मलेरिया की दवाई- अर्टेमेथर का प्रभाव बढ़ाने में मदद मिल सकती है (15)। हालांकि, इस पर अभी और अध्ययन की जरूरत है, लेकिन अगर आप विटामिन-सी युक्त किसी फल का सेवन करते हैं, तो उससे पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
8. सेब का सिरका
सेब तो फायदेमंद होते ही हैं, लेकिन सेब का सिरका भी लाभकारी होता है। कई घरों में खाना बनाने और अन्य कामों में सेब के सिरके को उपयोग किया जाता रहा है। एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। इसका उपयोग मलेरिया में भी किया जा सकता है, जिसके बारे में हम नीचे बता रहे हैं।
सामग्री :
आधा कप सेब का सिरका
दो से तीन गिलास पानी
दो मुलायम कपड़े या तौलिये
बनाने और सेवन करने की विधि :
सेब के सिरके को अच्छे से पानी में घोल लें।
अब उसमें कपड़े के टुकड़े को भिगो दें।
फिर इसे भीगे कपड़े को पैर के पीछे वाली मांसपेशियों पर रखें, जिसे काफ (calf muscle) कहते हैं।
कितनी बार प्रयोग करें?
मलेरिया के दौरान बुखार होने पर इससे सिकाई करें।
कैसे फायदेमंद है?
सेब के सिरके में एंटीबायोटिक होते हैं, जो कई बीमारियों से बचाव कर सकते हैं और मलेरिया में इसके प्रयोग से आराम मिल सकता है। एंटीबायोटिक और एंटी-मलेरिया दवाइयों से मलेरिया का प्रभाव काफी हद तक कम हो सकता है (16) (17)।
9. नींबू का रस
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वजन घटाना हो, तो नींबू पानी का सेवन किया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि मलेरिया भगाना हो तो भी नींबू पानी का सेवन किया जा सकता है। मलेरिया में नींबू पानी बहुत ही असरदार काम करता है। मलेरिया में किस तरह नींबू पानी का सेवन करें, उसके बारे में हम नीचे बता रहे हैं –
सामग्री :
एक नींबू
एक गिलास गर्म पानी
बनाने और सेवन करने की विधि :
एक गिलास गर्म पानी में नींबू का रस निचोड़कर उसका सेवन करें।
ध्यान रहे पानी ज्यादा गर्म न हो, बल्कि गुनगुना हो।
कितनी बार सेवन करें?
आप बुखार के वक्त एक से दो बार इसका सेवन कर सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है?
हर किसी को पता होगा कि नींबू पानी शरीर के विषैले पदार्थों को निकाल सकता है। ठीक उसी तरह अगर मलेरिया में दवाइयों के साथ नींबू का जूस लिया जाए, तो यह शरीर से मलेरिया के परजीवी को निकालने में ज्यादा तेजी से असर कर सकता है (18)। फिर भी इसे प्रयोग करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लें।
10. फिटकिरी
कटने पर खून बंद करना हो या दांत दर्द ठीक करना हो फिटकिरी का इस्तेमाल कारगर साबित होता है। इसके अलावा, फिटकिरी का प्रयोग मलेरिया के दौरान भी कर सकते हैं, नीचे जानिए कैसे –
सामग्री :
एक इंच फिटकिरी
चीनी
बनाने और सेवन करने की विधि :
पहले फिटकिरी को भ��नकर पाउडर बना लें।
अब इसको दो ग्राम चीनी के साथ मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें।
बुखार आने की आशंका होने पर आधा चम्मच इस मिश्रण का सेवन करें।
इसके अलावा, बुखार होने पर हर दो घंटे में आधा चम्मच लें (19)।
कितनी बार सेवन करें?
लक्षणों से तत्काल राहत के लिए मलेरिया के बुखार के पहले और बाद में इसका सेवन करें।
कैसे फायदेमंद है?
फिटकरी में मॉस्किटो लार्विसाइडल (Mosquito larvicidal) क्षमता होती है, जो मलेरिया फैलाने वाले मच्छर एनोफीलज (Anopheles) को निशाना बनाकर मलेरिया से छुटकारा दिला सकते हैं (20)।
नोट: इसका सेवन और इसकी मात्रा के बारे में एक बार डॉक्टर से जरूर पूछ लें, क्योंकि हर किसी का शरीर और उनकी जरूरत अलग-अलग होती है। इसके अलावा, अगर आपको एलर्जी की परेशानी है, तो भी इसका सेवन विशेषज्ञ की राय के बाद ही करें।
11. ग्रीन टी
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वजन घटाना हो या रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ानी हो, तो ग्रीन-टी ही काम आती है। इतना ही नहीं, मलेरिया का इलाज करना हो, तो भी यह असरदार साबित हो सकती है।
सामग्री :
एक ग्रीन टी बैग
एक इमली का छोटा टुकड़ा
एक कप गर्म पानी
बनाने और सेवन करने की विधि :
गर्म पानी में ग्रीन टी बैग और इमली को भिगोएं।
अब टी बैग को निकालें और चाय को छानें।
फिर इसका सेवन करें।
कितनी बार सेवन करें?
हर रोज दो बार इस हर्बल चाय का सेवन करें।
कैसे फायदेमंद है?
ग्रीन टी में मौजूद एंटी-मलेरिया गुण मलेरिया से राहत दिला सकता है (21)। इसके अलावा, इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण इम्यून सिस्टम को स्वस्थ करता है और अन्य बीमारियों से भी बचाव कर सकता है (22)।
12. कलौंजी या काला जीरा
सरसों के तेल, खासकर के काले सरसों के बीज में एंटी-मलेरियल गतिविधि पाई गई है। इसे खाना पकाने के तेल के रूप में उपयोग करके या इसे एक स्मूदी में मिलाकर अपने दैनिक आहार में शामिल किया जा सकता है। इससे आपके शरीर को संक्रमण से बेहतर तरीके से लड़ने में मदद मिल सकती है। यह तेल आपके डॉक्टर द्वारा निर्धारित मलेरिया दवाओं के लिए एक अद्भुत सप्लीमेंट के रूप में कार्य कर सकता है। यह मलेरिया की दवाई जैसे – क्लोरोक्वीन के असर को बढ़ाने में मदद कर सकता है। साथ ही इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण मलेरिया के प्लाज्मोडियम संक्रमण से भी लड़ सकता है (23) (24)।
13. चिरायता
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संभव है कि आप में से कुछ लोगों ने चिरायता का नाम सुना होगा। चिरायता एक प्रकार की जड़ी-बूटी है। सर्दी-खांसी हो, भूख बढ़ानी हो या अन्य कोई समस्या ठीक करनी हो, चिरायता बहुत फायदा करता है। स्वाद में भले ही यह कड़वा हो, लेकिन यह गुणों का खजाना है और मलेरिया में भी बहुत कारगर काम कर सकता है। नीचे हम चिरायता का ��ाढ़ा बनाना बता रहे हैं।
सामग्री :
15 ग्राम चिरायता
250 मिलीलीटर पानी
दो लौंग
एक चम्मच दालचीनी पाउडर
बनाने और सेवन करने की विधि :
चिरायता को लौंग और दालचीनी के पाउडर के साथ गर्म पानी में डालकर दो से तीन मिनट तक रहने दें।
अब इसे छान लें और तीन चम्मच मिश्रण का सेवन करें।
कितनी बार सेवन करें?
आप दिनभर में चार से छह बार इसका सेवन करें।
कैसे फायदेमंद है?
चिरायता में मौजूद एंटी-मलेरिया गुण मलेरिया को कम करने में मददगार साबित हो सकता है। कई वर्षों से इसे मलेरिया, एनीमिया, लिवर, बुखार और त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए औषधि के रूप में उपयोग किया जाता आ रहा है (25)।
14. नीम
आसानी से पाया जाने वाला नीम, भले ही बहुत सामान्य हो, लेकिन अगर बात करें इसके गुणों की, तो इसकी कोई तुलना नहीं की जा सकती है। नीम को न सिर्फ औषधि की तरह, बल्कि खाने में भी उपयोग किया जाता है। कई लोग नीम को बैंगन के साथ फ्राई करके ��ी खाते हैं। मलेरिया जैसी बीमारी से भी राहत दिलाने में भी नीम मदद कर सकता है। नीचे जानिए मलेरिया के वक्त नीम का सेवन कैसे करें –
सामग्री :
मुट्ठीभर नीम के पत्ते
चार काली मिर्च
पानी
बनाने और सेवन करने की विधि :
नीम के पत्तों को काली मिर्च के साथ पीस लें।
अब इस पाउडर को पानी में मिला लें।
फिर इसे छानकर पिएं।
इसके सेवन से मलेरिया के बुखार से राहत मिल सकती है।
कितनी बार सेवन करें?
आप इसका सेवन मलेरिया में बुखार होने पर कर सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है?
नीम के एंटी-मलेरियल और एंटी-प्लाज्मोडियल गुणों के कारण यह काफी हद तक मलेरिया में बुखार होने पर आराम दे सकता है (26) (27)। इसे लेने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें, क्योंकि यह आपकी दवाइयों पर भी निर्भर करता है कि आपको इसका सेवन करना चाहिए या नहीं।
15. हल्दी
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हल्दी न सिर्फ खाने में रंग और स्वाद भरती है, बल्कि कई बीमारियों का रंग फीका भी कर देती है। भारतीय खाने में अहम भूमिका निभाने वाली हल्दी, वर्षों से औषधि की तरह काम कर हमें स्वस्थ्य भी रख रही है। जब इसमें इतने गुण हैं, तो मलेरिया कौन सी बड़ी चीज है। जानिए मलेरिया में हल्दी का उपयोग –
सामग्री :
एक चम्मच हल्दी पाउडर
एक गिलास गर्म दूध
बनाने और सेवन करने की विधि :
दूध में हल्दी डालकर अच्छी तरह मिलाएं।
सोने से पहले इसका सेवन करें।
कितनी बार सेवन करें?
आप रोज रात को इसका सेवन करें।
कैसे फायदेमंद है?
हल्दी में पा���ा जाने वाला करक्यूमिन मलेरिया के इलाज में उपयोगी हो सकता है। यह मलेरिया परीजीवी को कम या खत्म कर सकता है (28)। साथ ही हल्दी एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-माइक्रोबियल एजेंट है। यह प्लास्मोडियम संक्रमण के कारण पैदा होने वाले विषाक्त पदार्थों को शरीर से साफ कर सकता है और परजीवी को मारने में भी मदद कर सकता है। हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं, जो मलेरिया के लक्षणों को कम कर सकते हैं, जैसे मांसपेशियों में दर्द और जोड़ों में दर्द आदि (29)।
नीचे जानिए मलेरिया के दौरान क्या खाना चाहिए और क्या नहीं।
मलेरिया में क्या खाना चाहिए – Foods to Eat for Malaria in Hindi
मलेरिया ट्रीटमेंट के दौरान सिर्फ घरेलू उपचारा ही नहीं, बल्कि खान-पान का ध्यान रखना भी जरूरी है। मलेरिया रोग में मरीज काफी कमजोर हो जाता है, इसी का ध्यान रखते हुए हम यहां बता रहे हैं कि मरीज को क्या खाना चाहिए :
मलेरिया में ऐसा खाना खाएं, जो जल्दी पचे जैसे – खिचड़ी व दलिया आदि।
खाने में गाजर, चुकंदर व पपीता आदि का सेवन करें।
सादा खाना जैसे दाल-रोटी व हरी सब्जियों का सेवन करें।
जो मांसाहारी हैं, वो अंडे का सेवन कर सकते हैं, लेकिन इस बारे में एक बार डॉक्टर से सलाह लें।
प्रोटीन युक्त आहार लें, जैसे – मछली आदि।
सूप, नारियल पानी व एलेक्ट्रोल पानी पिएं।
विटामिन युक्त आहार का सेवन करें, लेकिन विटामिन-सी युक्त आहार के सेवन से पहले एक बार डॉक्टर से पूछ लें।
सलाद का सेवन भी कर सकते हैं।
मलेरिया में क्या नहीं खाना चाहिए – Foods should avoid during Malaria in Hindi
मलेरिया रोग में क्या नहीं खाना चाहिए, यह जानना भी जरूरी है। नीचे जानिए मलेरिया ट्रीटमेंट के दौरान क्या न खाएं।
तेल-मसाले या फैट वाले खाद्य पदार्थ न खाएं।
बाहरी खाना न खाएं।
मलेरिया में ठंडी चीज या तरल पदार्थ का सेवन न करें।
ठंडी तासीर के फल या खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
चाय व कॉफी का सेवन न करें।
ज्यादा भारी खाना जैसे – मीट व चिकन का सेवन न करें।
सॉस और अचार का सेवन न करें।
केक और पेस्ट्री का सेवन न करें।
नोट : इन सबके अलावा आप मलेरिया के दौरान खाने-पीने के बारे में अपने डॉक्टर से भी जरूर पूछ लें। डॉक्टर मरीज को डाइट चार्ट बनाकर दे सकते हैं, जो उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
मलेरिया से बचाव के बारे में जानना भी जरूरी है, ताकि इसे होने से रोका जा सके।
मलेरिया से बचाव – Prevention Tips for Malaria in Hindi
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मलेरिया के लक्षण व उपचार तो आप जान ही गए हैं, लेकिन मलेरिया से बचाव के बारे में भी जानना जरूरी है। मलेरिया रोग न हो उसके लिए मलेरिया से बचाव के तरीके अगर आप पहले ही जान जाएंगे, तो यह आपके लिए अच्छा होगा। आप मलेरिया रोग के चपेट में आने से बच सकते हैं। नीचे जानिए कि मलेरिया से बचाव कैसे करें –
कहीं भी अपने आसपास के वातावरण में पानी को ज्यादा दिनों तक स्टोर करके न रखें। कई बार गर्मियों में कूलर में कई-कई दिनों तक पानी को बदला नहीं जाता है। इसलिए, हर रोज कूलर का पानी बदलें और पानी को बदलना संभव नहीं है, तो कूलर में थोड़ा-सा मिट्टी का तेल डाल दें। साथ ही बाल्टी व अन्य बर्तनों में पानी अधिक दिन तक स्टोर करके न रखें। ज्यादा दिनों तक स्थिर पानी में ही एनोफिलीज यानी मलेरिया के मच्छर अंडे देते हैं।
अपने आस-पास की जगह व घर में साफ-सफाई रखें और कीटाणुनाशक जैसे – फिनायल आदि से साफ करें।
रात को सोते वक्त मच्छर मारने वाले कोइल को लगाकर सोएं। अगर आपको इन चीजों से एलर्जी है, तो मच्छरदानी लगाकर सोएं।
बाहर जाने से पहले या किसी खुली जगह जैसे – पार्क या रोड पर जाने से पहले मच्छर भगाने वाले क्रीम को अपने �� अपने बच्चों के शरीर पर लगा दें।
कोशिश करें कि कपड़े ऐसे पहनें, जिससे हाथ व पैर पूरी तरह कवर हो जाएं।
साफ पानी पिएं, खासकर तब जब आप बाहर कहीं यात्रा कर रहे हों।
मलेरिया के लक्षणों से घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि मलेरिया बुखार के लक्षण जानकर सही मलेरिया ट्रीटमेंट की जरूरत होती है। उम्मीद है कि घर में ही मलेरिया उपचार करने से जुड़ी सभी जानकारियां आपको मिल गई होंगी। आप चाहें तो मलेरिया का आयुर्वेदिक उपचार भी करा सकते हैं। इसके अलावा, अगर आपके पास भी मलेरिया के लक्षण व उपचार के बारे में कोई जानकारी है, तो उसे आप हमारे साथ शेयर कर सकते हैं। साथ ही अगर आपके मन में सिंप्टम्स ऑफ मलेरिया या मलेरिया रोग से जुड़ा कोई सवाल है, तो वो भी हमसे नीचे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या मलेरिया एक वायरस है?
मलेरिया प्लास्मोडियम नामक परजीवी के कारण होने वाली बीमारी है। यह एक एकल-कोशिका यानि सिंगल सेल वाला जीव है, जो वायरस नहीं है।
मलेरिया से कौन से अंग प्रभावित होते हैं?
प्रारंभिक चरण में यह परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं को ही प्रभावित करता है, लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, यह लिवर को भी प्रभावित करना शुरू कर देता है। गंभीर मामलों में यह मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है और मस्तिष्क संबंधी मलेरिया (cerebral malaria) का कारण बन सकता है।
मलेरिया के अंडों की अवधि क्या है?
यह मलेरिया पैदा करने वाले परजीवी के प्रकार पर निर्भर करती है। पी फाल्सीपेरम के लिए- ऊष्मायन अवधि 9-14 दिन है। पी ऑवले और पी विवैक्स के लिए – यह 12-18 दिन है। पी मलेरी के लिए – यह 18-40 दिन है।(30)
मलेरिया मानव शरीर को कैसे प्रभावित करता है?
शुरू में परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं में निष्क्रिय रहता है। फिर धीरे-धीरे लाल रक्त कोशिकाओं में बढ़ना शुरू कर देता है। हर 48-72 घंटों में कोशिकाएं फटती हैं और उसमें से और ज्यादा परजीवी निकलते हैं। यह वह समय है, जब किसी व्यक्ति को मलेरिया के लक्षण दिखने लगते हैं। इस स्थिति में मरीज को बुखार, ठंड लगना, मतली, उल्टी, सिरदर्द, थकान और आमतौर पर शरीर में दर्द का अनुभव होता है।
क्या मलेरिया गर्भवती महिलाओं में गर्भपात का कारण बन सकता है?
एक गर्भवती महिला में मलेरिया और इसके लक्षण अधिक स्पष्ट हो सकते हैं। प्रारंभिक अवस्था में गर्भपात बहुत कम होता है, लेकिन सही समय पर लक्षण न समझकर इसका सही इलाज न करने पर गर्भपात की आशंका बढ़ जाती है।
क्या मलेरिया के कारण जोड़ों का दर्द हो सकता है?
हां, यह जोड़ों के दर्द का कारण बन सकता है।
क्या मलेरिया संक्रामक है?
मलेरिया व्यक्ति से व्यक्ति में नहीं फैलता है। अगर मलेरिया का मच्छर एक संक्रमित व्यक्ति को काटता है और वही मच्छर अगर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, तो संक्रामक व्यक्ति से परजीवी स्वस्थ व्यक्ति में आ सकता है और उसे भी मलेरिया हो सकता है।
मलेरिया से उबरने में कितना समय लगता है?
आमतौर पर मलेरिया से उबरने में लगभग दो सप्ताह लगते हैं।
मलेरिया से मृत्यु कितने समय में हो सकती है?
मलेरिया के कारण मृत्यु व्यक्तिपरक है। यह ��ोगी की वर्तमान स्थिति पर निर्भर करता है कि वह किस अवस्था में है। इसका कोई निश्चित वक्त नहीं है। हां, अगर मरीज का उपचार न किया जाए, तो मलेरिया एनीमिया, हाइपोग्लाइसीमिया और मस्तिष्क संबंधी मलेरिया का रूप ले सकता है। इस कारण मरीज कोमा में जा सकता है या उसकी मृत्यु हो सकती है।
क्या मलेरिया के लिए कोई वैक्सीन है ? अगर है, तो उसका असर कब तक के लिए रहता है?
मलेरिया के वैक्सीन पर अभी परीक्षण चल रहा है। इसलिए, इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि यह किस अवधि के लिए प्रभावी होगी।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/malaria-ke-karan-lakshan-aur-gharelu-ilaj-in-hindi/
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