#डिजिटल सेफ्टी टिप्स
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sharpbharat · 1 month ago
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cii jharkhand safety talk : सीआइआइ का झारखंड सेफ्टी टॉक में जुटे उद्यमी, चीफ फैक्ट्री इंस्पेक्टर ने दिये टिप्स, कहा - सेफ्टी को अपनी कंपनी में कानून बनाकर नहीं बल्कि कल्चर विकसित कर लागू कराया जा सकता है
जमशेदपुर : भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) की ओर से सेफ्टी टॉक का आयोजन किया गया. करीब दो दिनों के लिए इसका आयोजन किया गया. समान और सतत रणनीतियां, सभी के लिए एक सुरक्षित भविष्य की दिशा में, पर सीआइआइ झारखंड सेफ्टी टॉक का आयोजन किया गया. इस आयोजन में प्रख्यात कारपोरेट लीडरों ने एआइ और एमएल के साथ डिजिटल तकनीकों के माध्यम से सुरक्षा प्रक्रियाओं में क्रांति लाने की संभावनाओं पर चर्चा की. ऊंचाई पर काम…
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sandhyabakshi · 4 years ago
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सीबीएसई और फेसबुक मिलकर छात्रों को पढ़ाएंगे डिजिटल सेफ्टी, 6 जुलाई से पंजीकरण
सीबीएसई और फेसबुक मिलकर छात्रों को पढ़ाएंगे डिजिटल सेफ्टी, 6 जुलाई से पंजीकरण
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सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) ने अपने छात्रों और शिक्षकों को डिजिटल सेप्टी की ट्रेनिंग दिलाने के लिए फेसबुक के साथ करार किया है। जिससे कि छात्रों और शिक्षकों को संभावित संभावित मुश्किलों से बचाया जा सके। ऑफलाइन क्लासेस और ई लर्निंग से छात्र में इंटरनेट का इस्तेमाल और बहुत बढ़ गया है। कोरोनावायरस का यह दौर ऑनलाइन हेरफेरड, फेक न्यूज, भ्रामक सूचना और इंटरनेट के इस्तेमाल की लत…
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shantinewshindi · 4 years ago
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CBSE और फेसबुक मिलकर छात्रों को सिखाएंगे डिजिटल सेफ्टी, 6 जुलाई से रजिस्ट्रेशन
CBSE और फेसबुक मिलकर छात्रों को सिखाएंगे डिजिटल सेफ्टी, 6 जुलाई से रजिस्ट्रेशन
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सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) ने अपने छात्रों और शिक्षकों को डिजिटल सेप्टी की ट्रेनिंग दिलाने के लिए फेसबुक के साथ करार किया है। जिससे कि छात्रों और शिक्षकों ऑनलाइन संभावित मुश्किलों से बचाया जा सके। ऑनलाइन क्लासेस और ई लर्निंग से छात्र में इंटरनेट का इस्तेमाल और ज्यादा बढ़ गया है। कोरोना वायरस का यह दौर ऑनलाइन छेड़छाड़, फेक न्यूज, भ्रामक सूचना और इंटरनेट के इस्तेमाल की लत…
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abhay121996-blog · 4 years ago
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Paytm ने किया आगाह, डेबिट कार्ड मिलने पर करें ये काम, नहीं तो हो सकता है भारी नुकसान Divya Sandesh
#Divyasandesh
Paytm ने किया आगाह, डेबिट कार्ड मिलने पर करें ये काम, नहीं तो हो सकता है भारी नुकसान
आज के समय में ऑनलाइन फ्रॉड काफी ज्यादा बढ़ता जा रहा है। टेक्नोलॉजी ने जैसे-जैसे लोगों के जीवन को आसान बनाया है वैसे-वैसे ही इसकी वजह से काफी फ्रॉड भी हो रहा है। अगर आप भी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करते हैं तो आपको सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि जरा सी चूक से आपकी मेहनत की कमाई पर सेंध लग सकती है। अब देश में फ्रॉड काफी बढ़ रहा है, जिसको लेकर डिजिटल पेमेंट ऐप ने यूजर्स को सावधान रहने के लिए सलाह दी है। कंपनी ने यूजर्स को को लेकर टिप्स जारी किए हैं।
पेटीएम पेमेंट्स बैंक ने अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से ट्वीट कर जानकारी दी है। Paytm Payments Bank ट्वीट में बताया है कि यूजर्स को नया डेबिट कार्ड मिलने के बाद सबसे पहले इसकी सेफ्टी पर ध्यान देना चाहिए। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो आपके साथ फ्रॉड हो सकता है और आपकी मेहनत की कमाई पर धोखेबाजों की नजर पड़ सकती है। जब भी ग्राहक ATM से कैश निकाल रहे हैं तो उस दौरान भी उन्हें काफी सावधानी बरतने की जरूरत है।
इस दौरान यह ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति आपके कार्ड का पिन तो नहीं देख रहा है। वहीं जब आप एटीएम में ट्रांजेक्शन कर रहे हैं तो उस दौरान किसी अन्य अंजान व्यक्ति को नहीं आने देने चाहिए। जब एटीएम से निकासी हो जाए तो उसके बाद ट्रांजेक्शन स्लिप को जरूत साथ ले जाएं। अगर आपको जब भी अपने डेबिट कार्ड का पिन बदलना है तो उसे सिर्फ पेटीएम ऐप से बदलना है।
ट्वीट में Paytm Payments Bank कहा कि यूजर्स को जब डेबिट कार्ड मिलता है तो सबसे पहले मैनेज कार्ड सेक्शन में जाना है। उसके बाद कार्ड ट्रांजेक्शन सेटिंग्स में बदलाव करना है। इसमें आप अपनी ��र्जी के हिसाब से कार्ड पर किस प्रकार के भुगतान की अनुमति देनी है या नहीं देनी है इसका चयन करना है।
कैसे करें सेटिंग्स में बदलाव:
डेबिट कार्ड की सेफ्टी सुनिश्चित करने के लिए सबसे पहले डेबिट कार्ड की ट्रांजेक्शन लिमिट को तय करना है। जब आप डेबिट कार्ड का पिन बना रहे हैं तो सबसे पहले यह ध्यान देना चाहिए कि उस वक्त आपको कोई देख तो नहीं रहा है यानी कि पिन पर किसी की नजर तो नहीं है। जब आप अपने कार्ड का पिन बनाएं तो उसके बाद उसे कहीं लिखें नहीं इसे बस आपको याद रखना है। अगर आपको कभी भी शंका होती है तो आप अपने डेबिट कार्ड के पिन को Paytm ऐप से बहुत सरलता के साथ बदल सकते हैं। जब आपको नया कार्ड मिल जाए तो उसके बाद जल्द से जल्द पुराने कार्ड को खत्म करना है यानी कि उसे तोड़ कर फैंकना है। किसी भी व्यक्ति के साथ पिन, ओटीपी या फिर कार्ड की कोई भी जानकारी किसी के साथ साझा नहीं करनी है। अगर आपको किसी भी संदिग्ध गतिविधि के बारे में पता चले तो तुरंत ही डेबिट कार्ड को अपनी पेटीएम ऐप से ब्लॉक करना है।
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newswave-kota · 4 years ago
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आंखों में छिपी हैं 'उम्मीद की किरणें'
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*होप इन साइट- विश्व दृष्टि दिवस पर उपयोगी स्वास्थ्य मंत्र* न्यूजवेव @ कोटा समूचे विश्व में अक्टूबर के दूसरे गुरुवार को "वर्ल्ड साइट डे" मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है "होप इन साइट" है। विश्व दृष्टि दिवस के अवसर पर दृष्टि की रक्षा करने, आंखों को स्वस्थ व सुरक्षित बनाये खने के लिए *वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ सुरेश कुमार पांडेय एवं डॉ विदुषी पांडेय* बता रहे हैं कुछ उपयोगी टिप्स-
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1. स्वस्थ आंखों के लिए हरी सब्जियों, फलों, ओमेगा थ्री फेटी एसिड युक्त पोष्टिक भोजन का सेवन करें। धूप में जाने पर अल्ट्रा वायलेट फिल्टर चश्मे का उपयोग करें। सात घंटे की नींद लेवें। 10 से 12 गिलास पानी पिएं एवम नियमित योग, एक्सरसाइज करें। 2. कोरोना काल में मोबाइल व लेपटॉप पर स्क्रीन टाईम के बढ़ने से डिजिटल आई स्ट्रेन के रोगी बढ़ें हैं। ड्राई आई एवम् मास्क एसोसिएटेड ड्राई आई (मेड) से बचने के लिए डिजिटल डिवाइस या कंप्यूटर पर काम करने वाले सभी व्यक्ति 20:20:20 रुल का पालन करें। कम्प्यूटर को बीस इन्च दूरी पर रखें। हर 20 मिनट के बाद 20 सेकंड का ब्रेक लेवें एवम् 20 फीट दूर देखें। नेत्र चिकित्सक के परामर्श से लुब्रिकेटिंग आई ड्रॉप का नियमित उपयोग करें। 3. मोतियाबिंद का ऑपरेशन के लिए इसका पूरी तरह से पकना जरूरी नहीं है। ऑपरेशन जब आपको ड्राइविंग या अखबार पढ़ने में परेशानी हो तो आप नेत्र विशेषज्ञ के परामर्श से लें। यदि आप प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने के कारण टेमसुलोसिन आदि दवाओं का उपयोग कर रहे हो तो ऑपरेशन के दौरान फ्लोपी आईरिस होने की संभावना बढ़ जाती है। नेत्र सर्जन को ऑपरेशन के पहले इसकी जानकारी जरूर दे। 4. अनकरेक्टेड रिफ्रेक्टिव एरर (दृष्टि दोष) कम दिखने का सबसे बड़ा कारण है। चश्मे का नंबर हर वर्ष में दो बार नेत्र चिकित्सक से चेक करवाएं एवम् चश्मा लगाने में संकोच/प्रमाद नहीं करें। आंखों का दबाव, पर्दे की जॉच भी कराना भी नहीं भूलें। चालीस वर्ष के दौरान पढ़ने या पास का काम करते समय पास का चश्मा लगने की जरूरत होती है, इसे प्रेस्बायोपिया कहते हैं। 5. 40 वर्ष की उम्र के बाद प्रत्येक 6 माह में ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर चेक एवं अन्य आवश्यक टेस्ट करवाने के साथ साथ आंखों की भी पूरी जांच करवाएं। चश्मे के नंबर, आंखों का दबाव, पर्दे (रेटिना) की दवा डालकर जांच आदि करवाने के लिए समय जरूर निकालें। 6. आंखों में एलर्जी/खुजली होने पर कई लोग स्टेरॉइड आई ड्रॉप का उपयोग बिना नेत्र विशेषज्ञ के परामर्श से करतें हैं। लम्बे समय तक स्टेरॉइड आई ड्रॉप का प्रयोग करने से मोतियाबिंद या ग्लूकोमा जैसे नेत्र रोग हो सकते हैं एवं नेत्र ज्योति हमेशा के लिए कम हो सकती है। अतः स्टेरॉइड आई ड्रॉप का उपयोग हमेशा नेत्र विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार ही करें। 7. आंखों को बार बार जोर से नहीं मसलें। रोजाना आंखों को बार बार मसलने (रबिंग करने) से कॉर्निया में माइक्रो ट्रॉमा होता है जिससे कॉर्निया कमजोर होकर किरेटोकोनस का कारण बन सकता है। 8. छोटे बच्चे यदि टीवी देखते समय टीवी के बहुत पास बैठते हैं तो यह दृष्टि दोष के कारण हो सकता है। बच्चों की एक एक आंख बंद करके दूर के किसी ऑब्जेक्ट को दिखाकर उनकी दोनों आंखों की दृष्टि चेक कर लेवें। यदि दोनों आंखों की दृष्टि में अन्तर हो तो नेत्र विशेषज्ञ से परामर्श लेवें क्यों कि बच्चों में लेजी आई (एंबलायोपिया) का पता नहीं चल पाता है। 9. यदि आपको मध��मेह या हाइपरटेंशन है तो ब्लड शुगर लेवल एवम् ब्लड प्रेशर को फिजिशियन के परामर्श से दवाओं के नियमित सेवन से नियंत्रित रखें। आंखों में चमकती रोशनी या अचानक बहुत से फ्लोटर्स दिखने पर अथवा अचानक नजर कम होने पर तुरंत नेत्र विशेषज्ञ से परामर्श लेवें। हर छः माह में दवा डालकर पर्दे (रेटिना) की जॉच अवश्य करवाए। 10. बच्चों की आंखों को चोट से बचाये दीवाली पर सेफ्टी गोगल का उपयोग करें जिससे आंखों को फटाखे चलाते समय चोट नहीं लगे। जर्दा, तम्बाकू खाने वाले व्यक्ति चूने के पाउच बच्चों से दूर रखें। क्योंकि चूने के पाउच की ट्यूब को बच्चे दबाते हैं और पाउच की ट्यूब का ढक्कन अचानक खुलने से चूना बच्चों की आंख में जाने से हर साल कई बच्चो की आंखें खराब हो जाती हैं। यदि आंखों में चोट लगती है तो तुरंत नजदीकी नेत्र विशेषज्ञ से परामर्श लेवें। 11. नौ माह से पहले जन्मे नवजात शिशुओं की आंखों की दवा डालकर पर्दे (रेटिना) की जांच जन्म के तीन सप्ताह तक जरूर करवाए। छोटे बच्चों में यदि आंख की पुतली का केंद्र भाग सफेद (व्हाइट पुपिलरी रिफ्लेक्स) दिखाई देता है तो इसकी जांच नेत्र विशेषज्ञ से करवाए। यह मोतियाबिंद, रेटिनोपथी ऑफ प्रीमेचुरिटी या आंख के कैंसर (रेटिनोब्लास्टोमा) का लक्षण हो सकता है। 12. यदि माता पिता को ग्लूकोमा है तो आप अपने आंखों के दबाव की जांच जरूर करवाए। सामान्य इंट्रा ओकुलर प्रेशर 10 से 20 मिमी ऑफ मर्करी होता है। यदि आपके आंखों का दबाव 22 मिमी ऑफ मर्करी से अधिक आता है तो इन्वेस्टिगेशन करवाकर, नेत्र विशेषज्ञ की सलाह अनुसार बढ़े दबाव को नियंत्रित करने हेतु एंटी ग्लूकोमा मेडिकेशन का उपयोग करें। एंटी ग्लूकोमा आई ड्रॉप को नियमित रूप से निश्चित समय डालें एवं बिना चिकित्सक के परामर्श के बंद नहीं करें। *नेत्र है तो जहान है*
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जीते जी रक्तदान,मरणोपरांत नेत्रदान नामक सूत्र के अनुसार नेत्रदान का संकल्प लें एवम अपने मित्रों को भी नेत्रदान के लिए प्रेरित करें। - डॉ सुरेश पाण्डेय, डॉ विदुषी पाण्डेय सुवि नेत्र चिकित्सालय, कोटा Read the full article
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