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IND vs SL: 'फेरारी की सवारी...', डेल स्टेन ने उमरान मलिक को दिया ये मंत्र
IND vs SL: ‘फेरारी की सवारी…’, डेल स्टेन ने उमरान मलिक को दिया ये मंत्र
नयी दिल्ली: वानखेड़े स्टेडियम में श्रीलंका के खिलाफ पहले टी20 मैच के दौरान उमरान मलिक ने अपनी तूफानी गेंद से सनसनी मचा दी थी. उन्होंने 155 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली गेंद फेंकी जिस पर श्रीलंकाई कप्तान दासुन शनाका आउट हो गए। इस तूफानी गेंद से उमरान मलिक ने जसप्रीत बुमराह का रिकॉर्ड तोड़ दिया। वह जवागल श्रीनाथ के बाद दूसरे सबसे तेज भारतीय गेंदबाज बन गए। फेरारी की सवारी करने के लिए पैदा…
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Sajid Khan: साजिद खान को 'बिग बॉस 16' से नहीं निकालेंगे मेकर्स, डील से हुआ खुलासा
Sajid Khan: साजिद खान को ‘बिग बॉस 16’ से नहीं निकालेंगे मेकर्स, डील से हुआ खुलासा
मेकर्स के साथ साजिद खान की डील: टीवी शो ‘बिग बॉस 16’ में साजिद खान के आने के बाद से ही उन्हें हटाने की मांग उठ रही थी। मी टू मूवमेंट की वजह से उन पर कई तरह के आरोप लगे थे जिसके चलते लोगों को शो में उनका लुक पसंद नहीं आया था। यहां तक कि कई सेलेब्रिटीज ने उन्हें शो से निकालने की मांग की थी, लेकिन इतने विवाद के बाद भी उन्हें शो से नहीं हटाया गया है। इसके पीछे की वजह अब सामने आई है। हाल ही में शो…
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#StoryOfHanumanJi
परमार्थी हनुमान जी को निस्वार्थ दुःखियों की सहायता करने का फल मिला। परमात्मा स्वयं आए, मोक्ष मार्ग बताया। हनुमान जी फिर मानव जीवन प्राप्त करेंगे। तब परमेश्वर कबीर जी उनको शरण में लेकर मुक्त करेंगे। उस आत्मा में सत्य भक्ति बीज डल चुका है।
- संत रामपाल जी महाराज
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#StoryOfHanumanJi
परमार्थी हनुमान जी को निस्वार्थ दुःखियों की सहायता करने का फल मिला। परमात्मा स्वयं आए, मोक्ष मार्ग बताया। हनुमान जी फिर मानव जीवन प्राप्त करेंगे। तब परमेश्वर कबीर जी उनको शरण में लेकर मुक्त करेंगे। उस आत्मा में सत्य भक्ति बीज डल चुका है।
- संत रामपाल जी महाराज
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StoryOfHanumanJi
⚜️ हनुमान जी ने मुनिंद्र ऋषि जी की शरण कैसे ग्रहण की?
कौन थे मुनिंद्र ऋषि, यह जानने के लिए Download करें हमारी Official App
"Sant Rampal Ji Maharaj" या Visit करें Satlok Ashram YouTube Channel
⚜️परमार्थी हनुमान जी को निस्वार्थ दुःखियों की सहायता करने का फल मिला। परमात्मा स्वयं आए, मोक्ष मार्ग बताया। हनुमान जी फिर मानव जीवन प्राप्त करेंगे। तब परमेश्वर कबीर जी उनको शरण में लेकर मुक्त करेंगे। उस आत्मा में सत्य भक्ति बीज डल चुका है।
- संत रामपाल जी महाराज
⚜️कबीर ��रमेश्वर जी ने हनुमान जी को सृष्टि रचना सुनाई। सत्यकथा सुनकर हनुमान जी गदगद हुए। सत्यलोक देखने की प्रार्थना की। हनुमान जी को दिव्य दृष्टि देकर सतलोक दिखाया। ऋषि मुनीन्द्र जी (कबीर परमेश्वर जी) सिंहासन पर बैठे दिखाई ��िए। मुनीन्द्र जी नीचे आए। हनुमान जी को विश्वास हुआ कि ये परमेश्वर हैं। सत्यलोक सुख का स्थान है। परमेश्वर कबीर जी से दीक्षा ली। अपना जीवन धन्य किया। मुक्ति के अधिकारी हुए।
⚜️पवित्र आत्मा परमार्थी स्वभाव हनुमान जी को परमेश्वर कबीर जी ने अपनी शरण में लिया। परमार्थी आत्मा को संसार तथा काल के स्वामी भले ही परोपकार का फल नहीं देते, परंतु परमेश्वर ऐसी आत्माओं को शरण में अवश्य लेते हैं क्योंकि ऐसी आत्मा ही परम भक्त बनकर भक्ति करते हैं और मोक्ष प्राप्त करते हैं।
⚜️हनुमान जी ने अपनी पूजा करने के लिए कभी नहीं कहा। वो तो खुद एक भक्त थे | यह शास्त्र विधि छोड़ कर मनमाना आचरण है जिससे कोई लाभ नहीं है।
⚜️हनुमान जयंती पर जानिए आखिर किस भगवान की शरण में जाने से हनुमान जी को पूर्ण मोक्ष मार्ग मिला।
जानने के लिए Download करें हमारी Official App
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⚜️हनुमान जी राम जी को भगवान मानते थे और हमने हनुमान जी को पूजना शुरू कर दिया।
हनुमान जी जैसे भक्त होना दुर्लभ है पर हनुमान जी के भक्त बनना शास्त्र विरुद्ध है।
⚜️कबीर परमेश्वर जी ने हनुमान जी को सृष्टि रचना सुनाई। दिव्य दृष्टि देकर सतलोक दिखाया। हनुमान जी को विश्वास हुआ कि ये परमेश्वर हैं। सत्यलोक सुख का स्थान है।
⚜️परमार्थी स्वभाव हनुमान जी को परमेश्वर कबीर जी ने अपनी शरण में लिया।
⚜️कबीर परमात्मा मुनीन्द्र ऋषि के रूप में स्वयं आए, हनुमान जी को मोक्ष मार्ग बताया। उनका कल्याण हुआ। हनुमान जी फिर मानव जीवन प्राप्त करेंगे। तब परमेश्वर कबीर जी उनको शरण में लेकर मुक्त करेंगे
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हनुमान जी ने मुनिंद्र ऋषि जी की शरण कैसे ग्रहण की?
कौन थे मुनिंद्र ऋषि, यह जानने के लिए Download करें हमारी Official App
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परमार्थी हनुमान जी को निस्वार्थ दुःखियों की सहायता करने का फल मिला। परमात्मा स्वयं आए, मोक्ष मार्ग बताया। हनुमान जी फिर मानव जीवन प्राप्त करेंगे। तब परमेश्वर कबीर जी उनको शरण में लेकर मुक्त करेंगे। उस आत्मा में सत्य भक्ति बीज डल चुका है।
- संत रामपाल जी महाराज
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Dal Lake Freezes, कश्मीर में पानी के पाइपों में भी जमी बर्फ, कड़ाके की ठंड के बीच Srinagar में हुआ Pheran Fashion Show
जम्मू-कश्मीर में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। हालात यह हैं कि डल झील से लेकर जल आपूर्ति वाली लाइनों में पानी जम गया है। इसके अलावा अन्य कई जलाशयों की सतह पर भी बर्फ की पतली परत जम रही है। हम आपको बता दें कि श्रीनगर में न्यूनतम तापमान शून्य से 4.6 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया जबकि वार्षिक अमरनाथ यात्रा के लिए आधार शिविर के तौर पर प्रसिद्�� दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में न्यूनतम तापमान शून्य से 4.9…
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सर्दियों में त्वचा की देखभाल: इन आसान फेशियल मसाज टिप्स से पाएं ग्लोइंग स्किन
Winter skin care: Get glowing skin with these easy facial massage tips सर्दियों के मौसम में ठंडी हवाओं के कारण त्वचा रूखी और बेजान हो जाती है। त्वचा की नमी कम होने से स्किन डल और अस्वस्थ दिखने लगती है। ऐसे में फेशियल मसाज एक बेहतरीन समा��ान है। यह न केवल त्वचा को पोषण और नमी प्रदान करता है, बल्कि ब्लड सर्कुलेशन को भी बढ़ावा देता है, जिससे त्वचा में प्राकृतिक चमक आती है। यहां सर्दियों में फेशियल…
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सर्दियों में Face Wash से जुड़ी 5 गलतियां बना देती हैं स्किन को डल और ड्राई, जानें क्या है सही तरीका
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लेक मैन ऑफ इंडिया आनंद मल्लीगावड पहुंचे धर्मशाला, डल झील में हो रहे रिसाव के मामले पर करेंगे बैठक
Kangra News: मैकलोडगंज की पवित्र डल झील में रिसाव की समस्या के समाधान के लिए लेक मैन ऑफ इंडिया आनंद मल्लीगावड मंगलवार को अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। बैठक के लिए आनंद मल्लीगावड सोमवार देर शाम धर्मशाला पहुंचे. बैठक में उपायुक्त कांगड़ा के अलावा एसडीएम धर्मशाला, पर्यटन, जल शक्ति विभाग, नगर निगम और अन्य विभागों के अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। इसके अलावा बैठक में अधिकारियों द्वारा डल झील के मौजूदा…
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BBL 2022: क्रिस जॉर्डन ने बुमराह की तरह डाली यॉर्कर, आउट होने के बाद हैरान रह गए बल्लेबाज
BBL 2022: क्रिस जॉर्डन ने बुमराह की तरह डाली यॉर्कर, आउट होने के बाद हैरान रह गए बल्लेबाज
बीबीएल 2022: ऑस्ट्रेलिया में चल रही बिग बैश लीग में आज सिडनी सिक्सर्स बनाम ब्रिस्बेन हीट के बीच मैच खेला जा रहा है। इस मैच में पहले खेलते हुए ब्रिस्बेन हीट ने 13 ओवर में 6 विकेट के नुकसान पर 147 रन बनाए हैं। बारिश के कारण इस मैच को 13-13 ओवर का किया जा रहा है. ब्रिस्बेन हीट के बल्लेबाजों ने जहां चौकों-छक्कों की बरसात की तो वहीं सिडनी सिक्सर्स के गेंदबाजों की जमकर धुनाई हुई. हालांकि, अनुभवी तेज…
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart101 के आगे पढिए.....)
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart102
ऋषि रामानन्द स्वामी को गुरु बना कर शरण में लेना
स्वामी रामानन्द जी अपने समय के सुप्रसिद्ध विद्वान कहे जाते थे। वे द्राविड़ से काशी नगर में वेद व गीता ज्ञान के प्रचार हेतु आए थे। उस समय काशी में अधिकतर ब्राह्मण शास्त्रविरूद्ध भक्तिविधि से जनता को दिशा भ्रष्ट कर रहे थे। भूत-प्रेतों के झाड़े जन्त्र करके वे काशी शहर के ब्राह्मण अपना स्वार्थ सिद्ध कर रहे थे। स्वामी रामानन्द जी ने काशी शहर में वेद ज्ञान व गीता जी तथा पुराणों के ज्ञान को अधिक महत्व दिया तथा वह भूत-प्रेत उतारने वाली पूजा का अन्त किया अपने ज्ञान के प्रचार के लिए चैदह सौ ऋषि बना रखे थे। {स्वामी रामानन्द जी ने कबीर परमेश्वर जी की शरण में आने के पश्चात् चैरासी शिष्य और बनाए थे जिनमें रविदास जी नीरू-नीमा, गीगनौर (राजस्थान) के राजा पीपा ठाकुर आदि थे कुल शिष्यों की संख्या चैदह सौ चैरासी कही जाती है } वे चैदह सौ ऋषि विष्णु पुराण, शिव पुराण तथा देवी पुराण आदि मुख्य-2 पुराणों की कथा करते थे। प्रतिदिन बावन (52) सभाऐं ऋषि जन किया करते थे। काशी के क्षेत्र को विभाजित करके मुख्य वक्ताओं को प्रवचन करने के लिए स्वामी रामानन्द जी ने कह रखा था। स्वयं भी उन सभाओं में प्रवचन करने जाते थे। स्वामी रामानन्द जी का बोल बाला आस-पास के क्षेत्र में भी था। सर्व जनता कहती थी कि वर्तमान में महर्षि रामानन्द स्वामी तुल्य विद्वान वेदों व गीता जी तथा पुराणों का सार ज्ञाता पृथ्वी पर नहीं है। परमेश्वर कबीर जी ने अपने स्वभाव अनुसार अर्थात् नियमानुसार रामानन्द स्वामी को शरण में लेना था। कबीर जी ने सन्त गरीबदास जी को अपना सिद्धान्त बताया है जो सन्त गरीबदास जी (बारहवें पंथ प्रवर्तक, छुड़ानी धाम, हरियाणा वाले) ने अपनी वाणी में लिखा हैः-
गरीब जो हमरी शरण है, उसका हूँ मैं दास।
गेल-गेल लाग्या फिरूं जब तक धरती आकाश।।
गोता मारूं स्वर्ग में जा पैठू पाताल।
गरीबदास ढूढत फिरूं अपने हीरे माणिक लाल।
हरदम संगी बिछुड़त नाहीं है महबूब सल्लौना वो।
एक पलक में साहेब मेरा फिरता चैदह भवना वो।
ज्यों बच्छा गऊ की नजर में यूं साई कूँ सन्त।
भक्तों के पीछे फिरै भक्त वच्छल भगवन्त।
कबीर कमाई आपनी कबहूँ न निष्फल जायें।
सात समुन्दर आढे पड़ैं मिले अगाऊ आय।।
सतयुग में विद्याधर नामक ब्राह्मण के रूप में तथा त्रेतायुग में वेदविज्ञ ऋषि के रूप में जन्में स्वामी रामानन्द जी वाले जीव ने परमेश्वर कबीर जी को बालक रूप में प्राप्त किया था। भक्तमति कमाली वाला जीव उस समय दीपिका नाम की विद्याधर ब्राह्मण की पत्नी थी। वही दीपिका वाली आत्मा वेदविज्ञ ब्राह्मण की पत्नी सूर्या थी। जो कलयुग में कमाली बनी। यही दोनों आत्माऐं त्रेता युग में ऋषि दम्पति (वेदविज्ञ तथा सूर्या) था। उस समय भी परमेश्वर कबीर बन्दी छोड़ जी शिशु रूप में इन्हें मिले थे। इस के पश्चात् भी इन दोनों जीवों को अनेकों जन्म व स्वर्ग प्राप्ति भी हुई थी। वही आत्माऐं कलयुग में परमेश्वर कबीर जी के समकालीन हुई थी। पूर्व जन्म के सन्त सेवा के पुण्य अनुसार परमेश्वर कबीर जी ने उन पुण्यात्माओं को शरण में लेने के लिए लीला की।
स्वामी रामानन्द जी की आयु 104 वर्ष थी उस समय कबीर देव जी के लीलामय शरीर की आयु 5 (पाँच) वर्ष थी। स्वामी रामानन्द जी महाराज का आश्रम गंगा दरिया के आधा किलो मीटर दूर स्थित था। स्वामी रामानन्द जी प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व गंगा नदी के तट पर बने पंचगंगा घाट पर स्नान करने जाते थे। पाँच वर्षीय कबीर देव ने अढ़ाई (दो वर्ष छः महीने) वर्ष के बच्चे का रूप धारण किया तथा पंच गंगा घाट की पौड़ियों (सीढ़ियों) पर लेट गए। स्वामी रामानन्द जी प्रतिदिन की भांति स्नान करने गंगा दरिया के घाट पर गए। अंधेरा होने के कारण स्वामी रामानन्द जी बालक कबीर देव को नहीं देख सके। स्वामी रामानन्द जी के पैर की खड़ाऊ (लकड़ी का जूता) सीढ़ियों पर लेटे बालक कबीर देव के सिर में लगी। बालक कबीर देव लीला करते हुए रोने लगे जैसे बच्चा रोता है। स्वामी रामानन्द जी को ज्ञान हुआ कि उनका पैर किसी बच्चे को लगा है जिस कारण से बच्चा पीड़ा से रोने लगा है। स्वामी जी बालक को उठाने तथा चुप करने के लिए शीघ्रता से झुके तो उनके गले की माला (एक रूद्राक्ष या तुलसी की लकड़ी के एक मनके की कण्ठी यानि माला जो वैष्णव पंथी पहनते हैं) बालक कबीर देव के गले में डल गई। जिसे अंधेरे के कारण स्वामी रामानन्द जी नहीं देख सके। स्वामी रामानन्द जी ने बच्चे को प्यार से कहा बेटा राम-राम बोल राम नाम से सर्व कष्ट दूर हो जाते हैं। ऐसा कह कर बच्चे के सिर को सहलाया। आशीर्वाद देते हुए सिर पर हाथ रखा। बालक कबीर परमेश्वर अपना उद्देश्य पूरा होने पर चुप होकर पौड़ियों पर बैठ गए।
स्वामी रामानन्द जी ने विचार किया कि वह बच्चा रात्रि में रास्ता भूल जाने के कारण यहाँ आकर सो गया होगा। इसे अपने आश्रम में ले जाऊँगा। वहाँ से इसे इनके घर भिजवा दूँगा। ऐसा विचार करके स्नान करने लगे। परमेश्वर कबीर जी वहाँ से अन्तर्धान हुए तथा अपनी झोंपड़ी में आकर सो गए। कबीर परमेश्वर ने इस प्रकार स्वामी रामानन्द जी को गुरु धारण किया।
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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ऋषि रामानन्द स्वामी को गुरु बना कर शरण में लेना
स्वामी रामानन्द जी अपने समय के सुप्रसिद्ध विद्वान कहे जाते थे। वे द्राविड़ से काशी नगर में वेद व गीता ज्ञान के प्रचार हेतु आए थे। उस समय काशी में अधिकतर ब्राह्मण शास्त्रविरूद्ध भक्तिविधि से जनता को दिशा भ्रष्ट कर रहे थे। भूत-प्रेतों के झाड़े जन्त्र करके वे काशी शहर के ब्राह्मण अपना स्वार्थ सिद्ध कर रहे थे। स्वामी रामानन्द जी ने काशी शहर में वेद ज्ञान व गीता जी तथा पुराणों के ज्ञान को अधिक महत्व दिया तथा वह भूत-प्रेत उतारने वाली पूजा का अन्त किया अपने ज्ञान के प्रचार के लिए चैदह सौ ऋषि बना रखे थे। {स्वामी रामानन्द जी ने कबीर परमेश्वर जी की शरण में आने के पश्चात् चैरासी शिष्य और बनाए थे जिनमें रविदास जी नीरू-नीमा, गीगनौर (राजस्थान) के राजा पीपा ठाकुर आदि थे कुल शिष्यों की संख्या चैदह सौ चैरासी कही जाती है } वे चैदह सौ ऋषि विष्णु पुराण, शिव पुराण तथा देवी पुराण आदि मुख्य-2 पुराणों की कथा करते थे। प्रतिदिन बावन (52) सभाऐं ऋषि जन किया करत��� थे। काशी के क्षेत्र को विभाजित करके मुख्य वक्ताओं को प्रवचन करने के लिए स्वामी रामानन्द जी ने कह रखा था। स्वयं भी उन सभाओं में प्रवचन करने जाते थे। स्वामी रामानन्द जी का बोल बाला आस-पास के क्षेत्र में भी था। सर्व जनता कहती थी कि वर्तमान में महर्षि रामानन्द स्वामी तुल्य विद्वान वेदों व गीता जी तथा पुराणों का सार ज्ञाता पृथ्वी पर नहीं है। परमेश्वर कबीर जी ने अपने स्वभाव अनुसार अर्थात् नियमानुसार रामानन्द स्वामी को शरण में लेना था। कबीर जी ने सन्त गरीबदास जी को अपना सिद्धान्त बताया है जो सन्त गरीबदास जी (बारहवें पंथ प्रवर्तक, छुड़ानी धाम, हरियाणा वाले) ने अपनी वाणी में लिखा हैः-
गरीब जो हमरी शरण है, उसका हूँ मैं दास।
गेल-गेल लाग्या फिरूं जब तक धरती आकाश।।
गोता मारूं स्वर्ग में जा पैठू पाताल।
गरीबदास ढूढत फिरूं अपने हीरे माणिक लाल।
हरदम संगी बिछुड़त नाहीं है महबूब सल्लौना वो।
एक पलक में साहेब मेरा फिरता चैदह भवना वो।
ज्यों बच्छा गऊ की नजर में यूं साई कूँ सन्त।
भक्तों के पीछे फिरै भक्त वच्छल भगवन्त।
कबीर कमाई आपनी कबहूँ न निष्फल जायें।
सात समुन्दर आढे पड़ैं मिले अगाऊ आय।।
सतयुग में विद्याधर नामक ब्राह्मण के रूप में तथा त्रेतायुग में वेदविज्ञ ऋषि के रूप में जन्में स्वामी रामानन्द जी वाले जीव ने परमेश्वर कबीर जी को बालक रूप में प्राप्त किया था। भक्तमति कमाली वाला जीव उस समय दीपिका नाम की विद्याधर ब्राह्मण की पत्नी थी। वही दीपिका वाली आत्मा वेदविज्ञ ब्राह्मण की पत्नी सूर्या थी। जो कलयुग में कमाली बनी। यही दोनों आत्माऐं त्रेता युग में ऋषि दम्पति (वेदविज्ञ तथा सूर्या) था। उस समय भी परमेश्वर कबीर बन्दी छोड़ जी शिशु रूप में इन्हें मिले थे। इस के पश्चात् भी इन दोनों जीवों को अनेकों जन्म व स्वर्ग प्राप्ति भी हुई थी। वही आत्माऐं कलयुग में परमेश्वर कबीर जी के समकालीन हुई थी। पूर्व जन्म के सन्त सेवा के पुण्य अनुसार परमेश्वर कबीर जी ने उन पुण्यात्माओं को शरण में लेने के लिए लीला की।
स्वामी रामानन्द जी की आयु 104 वर्ष थी उस समय कबीर देव जी के लीलामय शरीर की आयु 5 (पाँच) वर्ष थी। स्वामी रामानन्द जी महाराज का आश्रम गंगा दरिया के आधा किलो मीटर दूर स्थित था। स्वामी रामानन्द जी प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व गंगा नदी के तट पर बने पंचगंगा घाट पर स्नान करने जाते थे। पाँच वर्षीय कबीर देव ने अढ़ाई (दो वर्ष छः महीने) वर्ष के बच्चे का रूप धारण किया तथा पंच गंगा घाट की पौड़ियों (सीढ़ियों) पर लेट गए। स्वामी रामानन्द जी प्रतिदिन की भांति स्नान करने गंगा दरिया के घाट पर गए। अंधेरा होने के कारण स्वामी रामानन्द जी बालक कबीर देव को नहीं देख सके। स्वामी रामानन्द जी के पैर की खड़ाऊ (लकड़ी का जूता) सीढ़ियों पर लेटे बालक कबीर देव के सिर में लगी। बालक कबीर देव लीला करते हुए रोने लगे जैसे बच्चा रोता है। स्वामी रामानन्द जी को ज्ञान हुआ कि उनका पैर किसी बच्चे को लगा है जिस कारण से बच्चा पीड़ा से रोने लगा है। स्वामी जी बालक को उठाने तथा चुप करने के लिए शीघ्रता से झुके तो उनके गले की माला (एक रूद्राक्ष या तुलसी की लकड़ी के एक मनके की कण्ठी यानि माला जो वैष्णव पंथी पहनते हैं) बालक कबीर देव के गले में डल गई। जिसे अंधेरे के कारण स्वामी रामानन्द जी नहीं देख सके। स्वामी रामानन्द जी ने बच्चे को प्यार से कहा बेटा राम-राम बोल राम नाम से सर्व कष्ट दूर हो जाते हैं। ऐसा कह कर बच्चे के सिर को सहलाया। आशीर्वाद देते हुए सिर पर हाथ रखा। बालक कबीर परमेश्वर अपना उद्देश्य पूरा होने पर चुप होकर पौड़ियों पर बैठ गए।
स्वामी रामानन्द जी ने विचार किया कि वह बच्चा रात्रि में रास्ता भूल जाने के कारण यहाँ आकर सो गया होगा। इसे अपने आश्रम में ले जाऊँगा। वहाँ से इसे इनके घर भिजवा दूँगा। ऐसा विचार करके स्नान करने लगे। परमेश्वर कबीर जी वहाँ से अन्तर्धान हुए तथा अपनी झोंपड़ी में आकर सो गए। कबीर परमेश्वर ने इस प्रकार स्वामी रामानन्द जी को गुरु धारण किया।
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Learn about the Jammu and Kashmir State of INDIA. About its famous assembly constituencies, famous politicians, local political parties, places of interest and ruling politicians of past.
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जम्मू-कश्मीर: बर्फ में तब्दील हुई कश्मीर की डल झील, जानिए क्या बोले पर्यटक?
ठंड की वजह से श्रीनगर की डल झील जम गई है. झील की ऊपरी परत जम गई है और यहां चल रहे शिकारे जमी हुई सतह को चीर रहे हैं. ये पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है. यहां आए पर्यटकों से टीवी9 भारतवर्ष ने खास बातचीत भी की है. उनका कहना है कि भले ही उन्हें ठंड की वजह से कुछ दिक्कतें हो रही हैं, लेकिन वो इस मौसम का पूरा लुत्फ उठा रहे हैं. देखें वीडियो…
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काशी बनारस के सुप्रसिद्ध विद्वान व 1400 शिष्यों के गुरु स्वामी रामानंद जी प्रतिदिन पंचगंगा घाट पर स्नान करने जाते थे।
एक दिन वहां पर पहले से ही 5 वर्षीय कबीर देव जी ने ढाई वर्ष के बच्चे का रूप धारण किया तथा पंचगंगा घाट की सीढ़ियों में लेट गए। अंधेरा होने के कारण रामानंद जी के पैर की खड़ाऊ बालक रूप कबीर देव के सिर में लगी तथा कबीर साहेब जी ने रोने की लीला की।
जब स्वामी रामानंद जी रोते हुए बालक को उठाने के लिए झुके तो उनके गले की माला कबीर देव जी के गले में डल गई और उन्होंने बच्चे को प्यार से कहा बेटा राम राम बोल और आशीर्वाद भरा सिर पर हाथ रखा।
इस तरह कबीर परमेश्वर ने रामानंद जी को गुरु धारण करने की लीला की।
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