संत रामपाल जी महाराज का जीवन संघर्षों और चुनौतियों से भरा रहा है, लेकिन इन संघर्षों ने उन्हें और भी दृढ़ और साहसी बनाया है। उन्होंने हमेशा समाज की भलाई के लिए काम किया और अंधविश्वास, पाखंडवाद, जातिवाद और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ाई लड़ी है। उनके उपदेशों का मुख्य उद्देश्य समाज में आध्यात्मिक के साथ-साथ नैतिकता, मानवता और सद्भावना का प्रसार करना है। वे अपने अनुयायियों को शास्त्रानुसार भक्ति साधना के साथ-साथ धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं, जिससे समाज में सकारात्मक परिवर्तन आ रहा है।
सनातन हितेषी का मुखौटा पहने ये धर्मगुरु कर रहे सनातनी पूजा का बेड़ा गर्क। अवश्य देखिए सनातनी पूजा के पतन की कहानी संत रामपाल जी महाराज की जुबानी भाग - 3 Factful Debates YouTube Channel पर
संत रामपाल जी महाराज ने न केवल आध्यात्मिकता की बात की है, बल्कि समाज सुधार के लिए भी कई कदम उठाए है। उन्होंने दहेज प्रथा, भ्रष्टाचार और नशा के खिलाफ अभियान चलाए। उनके अनुयायियों ने समाज में जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए। उनके प्रवचनों में इन बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई जाती थी, जिससे लोग जागरूक होकर इन कुरीतियों से दूर होने लगे। उनके प्रयासों से समाज में सकारात्मक बदलाव देखने को मिला। आज उनके करोड़ों समर्थक न दहेज़ लेते हैं और न ही देते हैं। साथ ही, उनका कोई भी अनुयायी किसी भी प्रकार की नशीली वस्तु को हाथ तक नहीं लगाता।
काफ़िर उसको जानो जो माता को गाली देता है, चोरी करता है, जारी (व्यभिचार) करता है। माँस खाता है, दान-धर्म नहीं करता। शास्त्रविधि त्यागकर मनमाना आचरण करता है।
पूरी जानकारी के लिए देखें Sant Rampal Ji Maharaj यूट्यूब चैनल।
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सूरः अश शूरा 42 आयत नं. 1, 2 में (कोड वर्ड) सांकेतिक शब्द हैं। उनका ज्ञान किसी मुसलमान को नहीं है जो अहम हैं। आयत नं. 1. :— ''हा. मीम्, अैन. सीन. काफ.
'' ये अक्षर लिखे हैं जो जाप करने का नाम है। नाम जाप के बिना जीव का कल्याण नहीं हो सकता।
श्री रामचंद्र द्वारा रावण वध के बाद माता सीता की अयोध्या वापसी पर जब एक घटनाक्रम के दौरान माता सीता जी ने हनुमान जी का अपमान किया तो हनुमान जी वापिस जंगल में चले गए। तब दुखी हनुमान जी को मुनिंदर रूप में आए परमात्मा कबीर जी ने मोक्ष की राह दिखाई और असली राम की जानकारी दी।
कबीर परमेश्वर जी जिंदा सन्त रूप में जम्भेश्वर जी महाराज (बिश्नोई धर्म प्रवर्तक) को समराथल में आकर मिले थे। अपना तत्वज्ञान समझाया। उन्होंने अपनी वाणी में प्रमाण दिया: -
जो जिन्दो हज काबे जाग्यो, थलसिर(समराथल) जाग्यो सोई।
वह परमात्मा जिन्दा रूप में थल सिर (समराथल) स्थान में आया और मुझे जगाया।
आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज को सन् 1727 में 10 वर्ष की आयु में गांव छुड़ानी के नला नामक स्थान पर कबीर परमेश्वर जिंदा महात्मा के वेश में मिले। तत्वज्ञान से परिचित कराकर सतलोक दर्शन करवाकर साक्षी बनाया।
महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, असम सहित देश के कईराज्यों से आये 1.5 लाख से भी ज्यादा लोग संत रामपाल जी महाराज द्वारा कराए जा रहे भंडारे में पहुंचे। जिन्हें शुद्ध देसी घी से बना पौष्टिक भण्डारा कराया गया। आपको बता दें, यह भण्डारा संत रामपाल जी के सानिध्य में 24 घंटे निरंतर चल रहा है।
🍽️बिना पकाया पक रह्या, उतरे अरस खमीर।
गरीबदास मेला सरू, जय जय होत कबीर।।
काशी भंडारे की तर्ज पर श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में भी कबीर परमेश्वर जी के पूर्ण अवतार संत रामपाल जी महाराज के पावन सानिध्य में ऐतिहासिक भंडारे का आयोजन आरंभ हो चुका है। श्री राम जन्मभूमि अयोध्या में पधारने वाले आगंतुक इस दिव्य भंडारे में सादर आमंत्रित हैं।