#जैविक नियंत्रण
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bestsexologistinindiasblog · 2 months ago
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शीघ्रपतन से निपटने के उपाय: एक संपूर्ण गाइड।
शीघ्रपतन से कैसे बचें? जानें इसके रोकथाम और उपचार के उपाय।
शीघ्रपतन (Premature Ejaculation) एक ऐसी स्थिति है जिसमें पुरुष यौन क्रिया के दौरान उम्मीद से पहले वीर्यपात कर देता है। इसका मतलब यह है कि पुरुष यौन क्रिया शुरू करने के कुछ ही समय बाद या उससे पहले ही स्खलन कर लेता है, जिससे यौन संतुष्टि प्राप्त नहीं होती। यह समस्या शारीरिक और मानसिक दोनों कारणों से हो सकती है, जैसे कि तनाव, चिंता, अवसाद, या शरीर में किसी प्रकार की जैविक समस्या।
शीघ्रपतन (Premature Ejaculation) यौन स्वास्थ्य से जुड़ी एक सामान्य समस्या है, जो कई पुरुषों में पाई जाती है। इसमें पुरुष का स्खलन उस समय हो जाता है जब वह और उसका साथी इसे टालना चाहते हैं, जिससे यौन संतुष्टि पूरी नहीं हो पाती। यह समस्या निम्नलिखित कारणों से हो सकती है:
मनोवैज्ञानिक कारण: तनाव, प्रदर्शन की चिंता, अवसाद, या रिश्तों में समस्या शीघ्रपतन का कारण बन सकते हैं। यौन क्रिया के दौरान अत्यधिक उत्तेजना भी एक कारक हो सकती है।
शारीरिक कारण: न्यूरोट्रांसमीटर असंतुलन, हार्मोनल बदलाव, या तंत्रिका तंत्र में कोई समस्या शीघ्रपतन का कारण हो सकती है। कई मामलों में प्रोस्टेट या मूत्रमार्ग में संक्रमण भी इसे जन्म दे सकते हैं।
अनुभव की कमी: युवावस्था या यौन अनुभव की कमी के कारण यह समस्या शुरुआती यौन अनुभवों में हो सकती है। समय के साथ, इस पर नियंत्रण पाना सीखना संभव होता है। देर ना करे और आज ही दिल्ली का सर्वोत्तम प्रीमच्योर इजैक्युलेशन  उपचार  (Premature Ejaculation Treatment in Delhi)  प्राप्त करें
शीघ्रपतन के प्रकार:
प्राथमिक शीघ्रपतन: यह तब होता है जब पुरुष अपने जीवन में पहली बार यौन क्रिया से ही इस समस्या का सामना करता है।
द्वितीयक शीघ्रपतन: इसमें पहले सामान्य यौन जीवन होता है, लेकिन बाद में किसी कारणवश शीघ्रपतन की समस्या पैदा हो जाती है।
शीघ्रपतन के इलाज:
व्यवहारिक तकनीकें: 'स्टार्ट-स्टॉप' या 'स्क्वीज़ तकनीक' जैसी तकनीकें यौन क्रिया के दौरान स्खलन को नियंत्रित करने में मदद करती हैं।
चिकित्सकीय उपचार: डॉक्टर की सलाह से दी जाने वाली दवाइयाँ, जैसे कि कुछ एंटीडिप्रेसेंट या स्प्रे/क्रीम, स्खलन की प्रक्रिया को धीमा कर सकती हैं।
मनोचिकित्सा: मानसिक तनाव या यौन संबंधी चिंता के कारण होने वाले शीघ्रपतन का इलाज मनोचिकित्सा से किया जा सकता है, जिसमें काउंसलिंग या यौन थेरेपी शामिल होती है।
जीवनशैली में बदलाव: शराब, धूम्रपान, और अत्यधिक तले-भुने भोजन से परहेज करके और नियमित व्यायाम से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है, जो यौन स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है।
दिल्ली के सर्वोत्तम सेक्सोलॉजिस्ट  (Best Sexologist in South Delhi) द्वारा प्रदान किया जा रहा है संपूर्ण यौन स्वास्थ्य देखभाल, जिसमें शीघ्रपतन, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन, और यौन समस्याओं का विशेषज्ञ समाधान शामिल है। अनुभवी सेक्सोलॉजिस्ट के मार्गदर्शन में उपचार प्रभावी और व्यक्तिगत जरूरतों के अनुसार उपलब्ध है।
डॉ. विनोद रैना, सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर
पता: इ-34 एकता अपार्टमेंट साकेत, नई दिल्ली – 110017
फ़ोन नंबर: 9873322916, 9667987682
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kvksagroli · 4 months ago
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विज्ञान अभ्यास दौऱ्याअंतर्गत हायस्कूलच्या विद्यार्थ्यांची जैविक कीड नियंत्रण प्रयोगशाळेस भेट.. इयत्ता नववी व दहावीच्या 80 विद्यार्थ्यांनी कृषी विज्ञान केंद्र सगरोळीच्या वतीने चालविल्या जाणाऱ्या अटकळी येथील जैविक कीड नियंत्रण प्रयोगशाळेस ��ज भेट दिली.जिरेनियम, सिट्रोनिला व लेमन ग्रास या वनस्पती पासून सुगंधी द्रव्य तेल निर्मिती कशी होते याची प्रत्यक्ष माहिती घेतली. सुडोप्लस (सुडोमोनास फ्ल्यूरोसन्स) मायक्रोप्लस, मेटाप्लस, बायोप्लस इत्यादी जैविक औषधे कशी तयार होतात याबद्दलची माहिती जाणून घेतली.या प्रयोग शाळेत जैविक खते तयार केली जातात. शेतीतील उत्पादन क्षमता वाढविण्यासाठी आवश्यक असणारी पोषद्रव्य तसेच कीड नियंत्रण किंवा पिकावरील बुरशीजन्य रोगांचे नियंत्रण करण्यासाठी जैविक खतांचा वापर होतो. इयत्ता दहावीच्या विज्ञान विषयांच्या अभ्यासक्रमामध्ये जैव तंत्रज्ञान हा घटक अभ्यासासाठी आहे.हा घटक विद्यार्थ्यांना प्रयोगशाळेतील प्रत्यक्ष भेटीद्वारे अधिक सुस्पष्ट व्हावा या उद्देशाने प्रशालेतील विज्ञान शिक्षक श्री अशोक फुलेवार व श्री पांडुरंग कदम यांनी या क्षेत्रभेटीचे आयोजन केले होते. सदरील प्रयोगशाळेतील प्रयोगशाळा सहाय्यक श्री जीवन जाधव व श्री मधुसूदन देशमुख यांनी विद्यार्थ्यांना सविस्तर माहिती दिली. #education #Students #savesoil #school #india #EducationCannotWait #EducationMatters #EducationForAll #KrishiVigyanKendra #sagroli #kvksagroli
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snehagoogle · 5 months ago
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After all life itself
After all life itself is precious Actually, life itself is precious. But the living beings which can execute thoughts are very precious in the entire biological environment. Like animals and humans. Even a small plant can think. Even ants and beetles can dream big. But it is impossible for them to execute their thoughts. Because they cannot easily execute their plans by gaining speed or flying in the air like a mouse, cat or Elisa Carson, leaving the world, even if they can lift three times more weight than their own. How is the thought executed?
Individuals who take those ideas and thoughts, no matter how lofty, and turn them into accomplishments. That balance between thinking about a problem, talking about doing something about it and maybe, just maybe, even building a plan. It takes a whole new level of engagement to turn that plan into thought execution.21 Jan 2018
39 Types of Thought Processes
Indeed
https://www.indeed.com › ... › Career development
10 Mar 2023 — Thought is a group of mental processes that helps people form associations among various elements and understand the workings of the world.
Execution of Thoughts
Speakingtree.in
https://www.speakingtree.in › Blogs
5 May 2013
As a normal human being , we can not have control over our thoughts.Lots of thoughts come to our mind within a day & as per the situation we handle them, but some destrucive or negative thoughts also rule over our mindset which are not in our control.Philosophy says that positive thinking can remove our negative thoughts,but in actual fear of that unwanted thoughts temporary hide till flow of positivity thoughts is there.
After come across the motivational books one can try to come out and try to change his/her schedule of life, again we make planning for change , but our old habbit and way of thinking become obstacle to execute it.
So what to do to change the habbit, how to execute the planning which we make for success..how to face the unwanted changes?
Translate Hindi
वैसे जीवन मात्र ही अनमोल ही है
मगर जो जीव सोच को अंजाम दे सकता है वो जीव ही सारे जैविक माहौल में काफी अनमोल होता है
जैसे पशुएं और इंसान
सोचते तो है एक छोटी सी पौधा भी
यहाँ तक की चींटियों से लेकर बीटल तक भी आसमानी ख्वाब देख सकता है
मगर सोच को अंजाम देना उनके लिए असंभव है
क्योंके गति प्राप्त होने से या हवा में उड़ने से ही चुहें बिल्ली या एलिसा कार्सन जैसे दुनिया को त्याग देकर आसानी से परिकल्पना को अंजाम नहीं दे सकता चाहे अपने वजन से भी तीन गुना ज्यादा भार ही क्यों न उठा सकता हो
सोच को अंजाम कैसे दिया जाता है
ऐसे व्यक्ति जो उन विचारों और सोच को, चाहे वे कितने भी ऊंचे क्यों न हों, लेते हैं और उन्हें उपलब्धियों में बदल देते हैं। किसी समस्या के बारे में सोचने, उसके बारे में कुछ करने के बारे में बात करने और शायद, बस शायद, एक योजना बनाने के बीच का वह संतुलन। उस योजना को विचार निष्पादन में बदलने के लिए जुड़ाव के एक नए स्तर की आवश्यकता होती है।21 जनवरी 2018
विचार प्रक्रियाओं के 39 प्रकार
वास्तव में
https://www.indeed.com › ... › कैरियर विकास
10 मार्च 2023 — विचार मानसिक प्रक्रियाओं का एक समूह है जो लोगों को विभिन्न तत्वों के बीच संबंध बनाने और दुनिया के कामकाज को समझने में मदद करता है।
विचारों क�� क्रियान्वयन
Speakingtree.in
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5 मई 2013
एक सामान्य मनुष्य के रूप में, हम अपने विचारों पर नियंत्रण नहीं रख सकते। दिन भर में हमारे मन में बहुत सारे विचार आते हैं और परिस्थिति के अनुसार हम उन्हें संभाल लेते हैं, लेकिन कुछ विनाशकारी या नकारात्मक विचार भी हमारी मानसिकता पर हावी हो जाते हैं जो हमारे नियंत्रण में नहीं होते। दर्शनशास्त्र कहता है कि सकारात्मक सोच हमारे नकारात्मक विचारों को दूर कर सकती है, लेकिन वास्तव में अवांछित विचारों के डर से वे अस्थायी रूप से छिप जाते हैं जब तक कि सकारात्मक विचारों का प्रवाह न हो जाए।
प्रेरक पुस्तकों को पढ़ने के बाद कोई व्यक्ति बाहर आकर अपने जीवन के कार्यक्रम को बदलने की कोशिश कर सकता है, फिर से हम बदलाव की योजना बनाते हैं, लेकिन हमारी पुरानी आदतें और सोचने का तरीका इसे क्रियान्वित करने में बाधा बन जाता है।
तो आदत बदलने के लिए क्या करें, सफलता के लिए जो योजना हम बनाते हैं उसे कैसे क्रियान्वित करें.. अवांछित परिवर्तनों का सामना कैसे करें?
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omshri · 7 months ago
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जैविक खेती ओम श्री राधाकृष्ण बिजनेस डेवलपर्स
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जैविक खेती कृषि की एक पद्धति है जिसका उद्देश्य प्राकृतिक पदार्थों और प्रक्रियाओं का उपयोग करके भोजन का उत्पादन करना है। यह सिंथेटिक कीटनाशकों, उर्वरकों, विकास नियामकों और पशुधन फ़ीड योजकों के उपयोग से बचाता है। इसके बजाय, जैविक खेती मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने और बीमारियों को रोकने के लिए फसल चक्र, खाद और जैविक कीट नियंत्रण जैसी तकनीकों पर निर्भर करती है।
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ravi-123 · 1 year ago
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जैविक खेती क्या है? और कैसे करें।
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Organic Farming in Hindi: जैविक खेती एक स्थायी कृषि दृष्टिकोण है जो प्राकृतिक प्रक्रियाओं पर जोर देती है और सिंथेटिक रसायनों या आनुवंशिक रूप से संशोधित जीवों से परहेज करती है। यह खाद, गोबर और प्राकृतिक कीट नियंत्रण विधियों जैसे जैविक आदानों के उपयोग के इर्द-गिर्द घूमता है। मृदा स्वास्थ्य और जैव विविधता का पोषण करके, जैविक खेती संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र और स्वस्थ उपज को बढ़ावा देती है। जैविक खेती में संलग्न होने के लिए, उपयुक्त फसलों का चयन करके और जैविक बीज प्राप्त करके शुरुआत करें। खाद और फसल चक्र के माध्यम से मिट्टी संवर्धन को प्राथमिकता दें। रासायनिक हस्तक्षेपों के उपयोग को कम करने के लिए एकीकृत कीट प्रबंधन तकनीकों को लागू करें। सफल जैविक खेती के लिए कृषि पारिस्थितिकी तंत्र की नियमित निगरानी और पोषण महत्वपूर्ण है, जिससे अंततः पौष्टिक, रसायन-मुक्त उपज प्राप्त होती है
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enchantingflowerkitty · 1 year ago
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स्वेदन के फायदे
स्वेदन एक प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति है जिसमें शरीर के स्थानिक विसर्जन के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में, रोगी के शरीर को गर्म किया जाता है ताकि शरीर से विषैले पदार्थ, अशुद्धियाँ, और विषाणु संक्रमण बाहर निकल सकें। स्वेदन के लिए विभिन्न उपकरण जैसे स्वेदन पट्टी, स्टीम बॉक्स, और जलकंचना का उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही, औषधियों और जड़ी बूटियों का भी प्रयोग किया जाता है ताकि स्वेदन की प्रक्रिया में उच्चतम लाभ प्राप्त हो सके। स्वेदन शरीर की प्रकृति को स्थानिक विषैले पदार्थों से मुक्त करके स्वास्थ्य को बढ़ावा देने का महत्वपूर्ण तत्व है।
स्वेदन करने के विभिन्न तरीके हैं, जिनमें से कुछ महत्वपूर्ण तरीके निम्नलिखित हैं:
नारियल पानी स्वेदन: गर्म नारियल पानी को एक तौलिया या बाल्टी में भरें और उसे रोगी के शरीर के अंगों के आसपास स्थापित करें। इसे कुछ समय तक रखें और इसके द्वारा शरीर को गर्म करें।
स्टीम बाथ: एक स्टीमर या बाथ टब में गर्म पानी भरें और इसे रोगी के शरीर के निचले हिस्से के पास रखें। ध्यान दें कि ज्यादा गर्म न हो जाए। इसे करीब 10-15 मिनट तक करें।
उपनही स्वेदन: रोगी को गर्म पानी से भरी हुई एक टब या बाल्टी में बैठाएं और फिर उपनही के द्वारा उसके शरीर को धकेलें। यह उपाय खासकर जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द में लाभदायक होता है।
जलकंचना: जलकंचना एक विशेष प्रकार का स्वेदन है जिसमें एक छोटी सी बर्तन में गर्म तेल या जड़ी बूटी का तेल डालकर इसे रोगी के शरीर पर मसाज करते हैं। यह शरीर की ऊर्जा को स्थानिक रूप से बढ़ाता है और शरीर के विषाणुओं को बाहर निकालने में मदद करता है।
बाष्प स्वेदन: इसमें गर्म पानी या औषधीय द्रव्य को उबालकर उसकी बाष्प से शरीर को गर्म किया जाता है। इसे स्नान के दौरान या स्पेशल बाष्प किट के माध्यम से किया जा सकता है।
नदी स्वेदन: इसमें गर्म औषधीय द्रव्यों को शरीर के ऊपर रखकर उनके संपर्क में आने पर उनकी गर्मी से स्वेदित किया जाता है। इसके लिए स्थानिक स्वेदन पट्टी या स्टीम बॉक्स का उपयोग किया जा सकता है।
जलकंचना: इसमें शरीर के विभिन्न भागों पर गर्म पानी वाली पट्टी रखकर उन भागों को स्वेदित किया जाता है। इस तरीके के लिए तापमान नियंत्रण के लिए जलकंचना यंत्र का उपयोग किया जाता है।
तैल स्वेदन: इसमें गर्म औषधीय तेल को शरीर पर लगाकर मालिश की जाती है, जिससे शरीर गर्म होता है और स्वेदन होता है। यह तरीका मुख्य रूप से शारीरिक दर्द और संश्लेषित विकारों के उपचार में उपयोगी होता है।
स्नान: एक गर्म नहाने का स्नान लेने से शरीर स्वेदित होता है। इसके लिए गर्म पानी या हर्बल इंफ्यूजन का उपयोग करें।
स्वेदन पट्टी: एक गर्म स्वेदन पट्टी का उपयोग करके स्वेदन किया जा सकता है। इसमें शुद्ध जल, देसी घी, और औषधियों का मिश्रण होता है। इसे प्रभावित स्थान पर रखें और धीरे-धीरे उष्णता को बढ़ाएं।
स्टीम थेरेपी: स्टीम बॉक्स या वपोराइजर का उपयोग करके शरीर को गर्म बाधा दें। इससे शरीर स्वेदित होता है और विषैले पदार्थ बाहर निकल सकते हैं।
स्वेदन स्नान: विशेष स्वेदन स्नान के लिए जैविक औषधि युक्त पानी का उपयोग करें, जैसे कि नीम या तुलसी के पत्तों का पानी। इसे नियमित रूप से आवश्यक स्थान पर इस्तेमाल करें।
निष्कर्ष
स्वेदन एक प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति है जिसके फायदे अनेक हैं। स्वेदन के माध्यम से शरीर में गर्माहट पैदा होती है और शरीर के विषैले पदार्थ, अशुद्धियाँ, विषाणु संक्रमण आदि को बाहर निकालने में मदद मिलती है। स्वेदन शरीर को शुद्ध करके प्राकृतिक उच्चता और संतुलन को सुधारता है। इसके फायदों में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के सुधार, शारीरिक दुर्बलता का कम होना, नींद की सुधार, शरीर के रोगाणुओं के नाश, त्वचा की सुदृढ़ता और स्वच्छता, अपच, वात विकारों का नियंत्रण, मांसपेशियों के दर्द का शमन आदि शामिल हैं। स्वेदन चिकित्सा अनुभवी चिकित्सकों द्वारा सुरक्षित और प्रभावी तरीके से प्रदान की जानी चाहिए ताकि इसके फायदे सबसे अधिक मिल सकें।
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vaibhavvaidya5233 · 2 years ago
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समस्या प्रदुषणाची " प्रदुषण हा शब्द पंधरा - वीस वर्षापूर्वी आजच्याइतका प्रचलित नव्हता . आज तो सर्वतोमुखी झाला आहे . त्याविषयीची | जागरूकताही निर्माण झाली आहे . विद्यालयांमध्ये व महाविद्यालयामध्ये त्याविषयीचं प्रधान केल जातं आ अभ्यासक्रमही तयार केले जातात . " प्रदुषणा बरोबरच " पर्यावछ । ' हा शब्दाही प्रचलित होत आहे . त्याचाही अभ्यासक्रमात प्राथमिक स्तरापासून समावेश केले जात आहे . ही स्वागतार्ह बाब आहे . " पर्यावरण विज्ञान ' ही आधुनिक विज्ञावशाखाही आज् महाविद्यालयाच्या वयुत्तर अभ्यासक्रमात समाविष्ठ झाली आहे . ' पर्यावरण ' आणि ' प्रदुषण ' यांचा परस्परसंबंध आहे ; त्यामुळ याविषयी समाजजागरण होणं ही काळाची गरज आहे . पूर्वी ' आरोग्यशास्त्र हा विषय अभ्यासक्रमात असे व त्याकडे फारसं लक्ष दिलं जात नसे . खर तर त्यात वैयक्तिक व सार्वजनिक आयग्याविषयीचा किती तरी महत्वाचा विचार मांडला जात होता ; पण त्यावेळी जीवनाच्या समस्या इतक्या जटिल व बिक्रत झाल्या नव्हत्या औद्योगिकीकरण , नागरीकरण वैज्ञानिक शोध व त्यांचा मानव जीवनाशी येणारा घनिष्ठ संबंध नकळत वा हेतुत : होत गेलेली वृक्षतोड व त्यामुळे जंगलांचा व वृक्षांचा होणारा विनाश रासायनिक प्रक्रियांमुळे व वायुनिर्मिती वा वायुगळतीमुळं निर्माण झालेले धोके , ध्वनिपर्धकांमुलं एका बाजुला झालेला फायदा व दुसख्या बाजुला होणारी हानी अशा कितीतरी नवनवीन समस्यांना आपल्या जीवनाशी इतका घनिष्ठ संबंध असेल आणि त्याचे दुगामी परिणाम होतील , याची कल्पना तरी पाचपंचवीस वर्षापूर्वी आपण केली का ? पण आज या सर्व गोष्टींचा आपल्याला लागतो व बारकाईनं विचार करावाच उपाययोजनाही तातडीने करावीच तर आपल्याही वैयक्तिक व सामाजिक जीवनात भयानक उलथापालथ होण्याची शक्यता असते , त्याविषयीची लागते . तो केली नाही
 जलप्रदूषण एक समस्या .. जलप्रदुषण म्हणजे पाण्याच्या स्त्रीतांचे प्रदुषण जलप्रदुषण ही एक मानव निर्मित समस्या आहे . हवा पाणी | अन्न या मानसाच्या तीन गरजांपैकी पानी हिं 51 दुसऱ्या क्रमांकांची गरज आहे . आपल्याला पाणी स्वच्छ आणि शुद्ध 1 मिळणे हे आरोग्याच्या दृष्टिने खूपय महत्वाचे आहे . प्रदूषित पाण्यामुळे पोटाचे विकार आणि बरेचसे रोग होतात पाणी प्रदुषित होण्याची अनेक कारणे आहेत आणि याला सर्वस्वी आपणच जबादार आहोत ही सर्व जगाला भेडसावणारी पर्यावरणीय गंभीर समस्या आहे . जल प्रदुषणामुळे पाण्यात विशिष्ट गुणधमयि पदार्थ अशा प्र��ाणात मिसळले जातात की त्यामुळे पाण्याच्या नैसर्गिक गुणवतरीत बदल होऊन ते वापरण्यास अयोग्य ठसते . जल प्रदुषणामुळे सजीवांच्या आरोग्यावर दुधारणाम होतात किंवा पाण्याची चप बिघडते ते घाठीरडे दिसते . वा दुर्गंधीयुक्त होते . मानवी कृती आणि अन्य कारणामुळे पाण्याच्या नैसर्गिक गुणवत्त प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्षपणे बदल होतात आणि पाणी कोणत्याही कारणासाठी वापरण्यास अयोग्य ठरते . या पाण्यालाच प्रदुषित जल म्हणतात . * बदलल्याने मानव परिणाम करणारी जल पाण्याचे प्राकृतिक , रासायनिक आणि जैविक गुणधर्म जलीय सजीवांवर उपायकारक प्रदूषण ही प्रक्रिया आहे नैसगिक पाण्यात एखादा बाह्य पदार्थ अथवा उठाता यांची भर पडल्यास तो पाणी प्रदुषित होऊन त्याचा मानव , इतर प्राणी आणि जलीय जीव यांना अपाय होतो . जगातील बहुतेक देशांत जल प्रदूषण ही गंभीर आहे . कॅनडा , चीन , भारत इ . देशांत ही समस्या तीव्रतेने समस्या बनली रशिया , अमेरीका जपान , जाणवते .
जल प्रदुषणावरील आययोजना : याची कार माहिती करून योग्य ती उपाययोजना योजली जल प्रदूषण रोखण्यासाठी पाहीजे व या संबची कडक कायदे तयार करावे लागतील १ ९ ७४ मधील Watee Act या कायद्याची अंमलबजावणी होगे आवश्यक आहे . जगामरांतील साधारण २५ टक्के | पाण्याच्या शुद्धीकरणासाठी क्लीरीनचा वापर सर्वाधिक ● लोकसंखेला पिण्याचे शुद्ध पाणी मिळू शकत नाही . केला जातो . पण त्यामुळे पाण्यातील सर्व प्रकारचे जंतु मरत नाहीत त्यामुळे पाणी शुद्धीकरणासाठीओ शुद्धीकरणाच्या अन्य पद्धतींची गरज पडते 1 ) सांडपाणी व मैल पाण्यात सोडण्यापूर्वी विशेष प्रक्रिया करणे . ( 2 ) पिण्याच्या पाण्याचे नियमित परिक्षण करणे 3 ) पि ०० पाण्यातील रोगकारक जीवाणूंच्या संख्येत वाढ होणार नाही , यावर नियंत्रण ठेवणे . 4 ) कवकनाशके , किटकनाशके व किडनाश के यांचा वापर मर्यादीत करने अथवा टाळणे ( 5 ) किरणोत्सारी अपशिष्ट्ये विशिष्ट जागी बंदिस्त करून ठेवण्याचा पद्धतीचा अवलंब करणे 6 ) ओकि जल प्रदुषणामुळे जलाशय किंवा समुद्रातील पाण्याचे तापमान 2 ° से पेक्षा अधिक वाढणार नाही , याची खबरदारी घेगे . 7 ) खनिज तेलामुळे होणाऱ���या जल प्रदुषण समस्येवर उपाययोजना आखगे 8 ) कृत्रिम खतांचा वापर कमी करून सेंद्रिय खतांचा वापर वावी : 4 ) पिण्याच्या पाण्यातील रासायनांच्या प्रमाणाची विशिवत " मयादा असते या सहज मर्यादिपेक्षा अधिक प्रमाणाय रसायनांची वाढ होऊ नये , यासाठी ती दक्षता घेणे
-वैभव वैद्य....
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amhikastkar · 4 years ago
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पिकांमध्ये सेंद्रीय एजंट्सचा उपयोग केल्याने शेतक्यांना फायदा होतो
पिकांमध्ये सेंद्रीय एजंट्सचा उपयोग केल्याने शेतक्यांना फायदा होतो
पिकांमध्ये सेंद्रीय एजंट्सचा उपयोग केल्याने शेतक्यांना फायदा होतो शेतकर्‍याचे उत्पन्न दुप्पट करण्याचे उद्दिष्ट साध्य करण्यासाठी, त्यांच्या पिकांवर रसायने आणि कीटकनाशकांवर होणारा अत्यल्प खर्च कमी करून शेतक benef्यांना फायदा होऊ शकतो. उत्तर प्रदेशात कीटक, रोग आणि तण इत्यादीमुळे पिकाला वर्षाकाठी 7 ते 25 टक्के नुकसान होते. राज्यात तणांमुळे 33 टक्के नुकसान, 26 टक्के रोगांद्वारे, 20 टक्के…
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getmyteaindia · 3 years ago
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भारत में पाए जाने वाले फेमस चाय
क्या आप जानते हैं कि चाय की किस्में क्या क्या हैं ? भारत में कौन कौन सी किस्म की चाय फेसम है? भारत में प्रमुख चाय उत्पादक राज्य हैं: असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, सिक्किम, नागालैंड, उत्तराखंड, मणिपुर, मिज़ोरम, मेघालय, बिहार और उड़ीसा. चाय उत्पादन सुगमता, प्रमाणन, निर्यात, डेटाबेस और भारत में चाय व्यापार के अन्य सभी पहलुओं को भारतीय चाय बोर्ड द्वारा नियंत्रित किया जाता है। सभी प्रकार के चाय के पौधों को कैमेलिया सिनेंसिस नामक एक पौधे के तहत वैज्ञानिक रूप से वर्गीकृत किया गया है। आम बोलचाल में, चाय को मोटे तौर पर 2 श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है -हरा और काला। इस आर्टिकल में, आप भारत में चाय के प्रकारों और चाय की किस्मों के बारे में जानेंगे। ये आर्टिकल पूरी तरह से हमारे देश में उगाई जाने वाली चाय के प्रकारों के बारे में जानकारी देगा। मसाला चाय चाय को केवल एक शब्द द्वारा वर्णित नहीं किया जा सकता है। मसालेदार,कढ़क, उन्मत्त,मटियाली सूची कभी खत्म नहीं होती है। थोड़ी सी इलायची,थोड़ा सा अदरक, थोड़ी सी दालचीनी छिड़कें, अनंत संभावनाएं हैं। वह अनोखी सामग्री जो इस काढ़ा को अतिरिक्त खास और बहुमुखी बनाती है, वह है भारतीय काली चाय। तो अगली बार जब आप मूड में हों, तो भारतीय मसालेदार चाय की एक प्याली का आनंद जरुर लें।
सिक्किम चाय सिक्किम चाय भारत के उत्तर-पूर्व में हिमालय की सुरम्य प्रकृति के बीच सिक्किम राज्य स्थित है। समुद्र के स्तर से 1000-2000  मीटर की ऊंचाई पर इस क्षेत्र के रहस्यवादी चाय बागानों में जैविक दो कोमल पत्ते और एक कली फलती-फूलती है। चाय की पत्तियों को बड़े प्रेम एवं ध्यान से तोड़ा जाता है ताकि आपको एक मनोरम काढ़ा मिलें जोकि हल्का, फूलदार, सुनहरा पीला एवं बोहतरीन स्वाद से भरपूर हो। 1969 में सिक्किम में चाय की खेती अपने पहले चाय बागान टेमी टी एस्टेट की स्थापना के साथ शुरू हुई । वर्ष 2002 में बरमिओक चाय बागान की स्थापना के साथ सिक्किम चाय की तह में एक और बुटीक जोड़ा गया। जनवरी 2016 में सिक्किम राज्य को पूरी तरह से जैविक घोषित किया गया था, एवं टेमी टी एस्टेट में उत्पादित चाय को वर्ष 2008 में 100% जैविक चाय प्रमाणित किया गया था। वसंत के मौसम के दौरान कटाई गई सिक्किम चाय की पहली फ्लश में एक अद्वितीय स्वाद और सुगंध है। परिष्कृत स्वर्ण शराब में एक हल्का पुष्प खत्म होता है और एक मीठा मीठा स्वाद होता है। सिक्किम चाय का दूसरा फ्लश एक टोस्टी काढ़ा है, जोकि बहुत ही मधुर, मादक एवं काफी कड़क है। तीसरा फ्लश या सिक्किम चाय का मानसून फ्लश मधुर स्वाद के साथ एक सम्पूर्ण कप बनाता है। सिक्किम चाय के अंतिम फ्लश या शरद ऋतु फ्लश में बहुत स्वाद होता है एवं गर्म मसालों का हल्का असर भी होता है। यह तृण वर्णक तरल चाय के मौसम के लिए सही अंत है। काली चाय की उपरोक्त किस्मों के अलावा सिक्किम नाजुक सफेद चाय का उत्पादन भी करती है, जो कलियों से निर्मित होती है और नए पत्तों से हरी चाय बनती है  जो अपने फूलों के स्वाद के लिए जानी जाती है और ओलोंग चाय, जोकि फल, मिट्टी से सुगंधित है। दार्जिलिंग चाय दार्जिलिंग चाय अपनी पहाड़ियों की तरह मोहक एवं रहस्यमयी है। इसकी परंपरा इतिहास में डूबी है एवं इसके रहस्य को हर घूंट में महसूस किया जा सकता है। बादलों से घिरे पहाड़ों में चलो और हल्का महसूस करें। सबसे पहले 1800 के दशक में पौधे लगाए गए, दार्जिलिंग चाय की अतुलनीय गुणवत्ता इसकी स्थानीय जलवायु, मिट्टी की स्थिति, ऊंचाई और सावधानीपूर्वक प्रसंस्करण का परिणाम है। हर वर्ष लगभग 10 मिलियन किलोग्राम उत्पादित किया जाता है, 17,500 हेक्टेयर भूमि में फैला हुआ है। चाय की अपनी विशेष सुगंध है, यह दुर्लभ सुगंध इंद्रियों को भर देती है। दार्जिलिंग की चाय को दुनि��ा भर के पारखी लोगों ने पसंद किया है। सभी लक्जरी ब्रांडों की तरह दार्जिलिंग चाय के इच्छुक दुनिया भर में है। इसका अस्तित्व दार्जिलिंग चाय को दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित चाय बनाता हैं। इसे अपनी इंद्रियों पर हावी होने दें। दार्जिलिंग, जहां हिमालय की सौंदर्ता यात्रियों को घेरे रहती हैं और चारों ओर गहरी हरी घाटियां हैं।. दार्जिलिंग वह जगह है जहां दुनिया की सबसे प्रसिद्ध चाय का जन्म हुआ है। एक ऐसी चाय जिसकी हर घूंट में रहस्य और जादू है। दार्जिलिंग भारत के उत्तर पूर्व में, महान हिमालय के बीच, पश्चिम बंगाल राज्य में स्थित है। हर सुबह, जैसे ही पहाड़ों से धुंध निकलती है, महिला अपनी चाय की थैली लेकर दार्जिलिंग की पहाड़ियों के अत्यधिक बेशकीमती काली चाय का उत्पादन करने वाले 87 सक्षम बागानों की ओर निकलती है। बादलों में घिरी भव्य सम्पदाओं पर स्थित, बागानों में वास्तव में वृक्षारोपण हैं, जो कई बार सैकड़ों एकड़ में फैला होता है। लेकिन, ये केवल ‘बागान’है क्योंकि यहाँ उत्पादित सम्पूर्ण चायों पर एस्टेट, या बागान का नाम दिया रहता है। यह माना जाता है कि हिमालय की श्रृंखलाओं पर शंकर महादेव का निवास स्थान है, और यह भगवान की सांस है जो सूर्य से भरी घाटियों के तेज को ठंडा करती है, और धुंध और कोहरे को अद्वितीय गुणवत्ता प्रदान करते हैं। वे कहते हैं इंद्र के राजदंड से वज्र के रूप में दार्जिलिंग का जन्म हुआ । दार्जिलिंग चाय दुनिया में कहीं और नहीं उगाई या निर्मित की जा सकती है। जिस प्रकार फ्रांस के शैम्पेन जिले में शैंपेन का मूल निवास है, उसी प्रकार दार्जिलिंग चाय का मूल निवास दार्जिलिंग है। दार्जिलिंग चाय की क्राफ्टिंग खेत में शुरू होती है। जहां महिला श्रमिक सुबह जल्दी उठ जाती हैं, जब पत्ते भी ओस से ढके होते हैं। महिलाएं टेढ़े- मेड़े रास्तों से होते हुए धीरे –धीरे आगे बढ़ती है,फिर एक रेखा बनाने के लिए प्रकट होती हैं। चाय को हर दिन ताजा चुना जाता है, जितना ताजा कुरकुरा हरे पत्ते उन्हें बना सकते हैं। चाय की झाड़ियाँ पृथ्वी के कैनवास पर रहस्यवादी संदेश हैं। उत्कृष्टता की एक कहानी, कप से कप तक सुगंधित, श्रमिकों द्वारा प्यार से संभाल के बनाई गई चाय है। अपरिवर्तित परंपरा द्वारा अत्याधुनिक पूर्णता से भरी चाय। ऐसी गुणवत्ता जिसे दुनिया भर के लोग सराहते है। दार्जिलिंग में जैसे पृथ्वी गाना गाती है। महिलाएं मुस्कुराती हैं और उनकी खुशी की चमक से, बगीचों में सूरज उगता है। उनके पीछे, रोशन सुबह के आसमान के समक्ष, कंचनजंगा की बर्फ से ढकी पहाड़ियाँ खड़ी है। बगीचें घने बादलों और ठंडी पहाड़ी हवा स�� धोए जाते है और शुद्ध पहाड़ी बारिश से धोया जाता है। वर्षा हरी पत्तियों पर एक गीत गाती है और पृथ्वी अपनी गर्म सांस छोड़ती है। दार्जिलिंग चाय इसी जलवायु में अपनी उच्च मांग वाली सुगंध की पैदावार देती है। और दिन में, जब पक्षी अपने सुबह के गीत गाते हैं, तो सूरज की किरणें पत्तियों पर धुंध के मोती को बदल देती हैं। सूरज इत्मीनान से आकाश में अपनी राह चलता है। अगम्य होने वाले सितारे अचानक स्पर्श के लिए तैयार प्रतीत होते है। निशाचर जीवन की गुनगुनाहट जो पहाड़ों को चित्रित करती है वह एक राग गाती है जिसे सुनने के बजाय महसूस करना पड़ता है।  एक शांत सरसराती हवा भूमि पर नृत्य करती है। पृथ्वी उतनी ही राजसी है जितनी वहां पैदा होने वाली चाय है। यह प्रकृति के दिल की धड़कन के करीब एक रमणीय सत्ता है। यही इस चाय को इतना अनोखा बनाता है। चाय श्रमिक चाय की पत्तियाँ तोड़ते हुए सुंदर गीत गाते है तो उनके काम के साथ हवाँ में गुंजती है। नीले आसमान से घिरी हरियाली की एक धुन और पहाड़ की ओस की चमक। और जीवन के चक्र से बंधी, चाय की झाड़ियाँ हर दिन और हर मौसम खुद को बनाए रखा। एक वृक्षारोपण पर जीवन एक पूरी तरह से प्राकृतिक, ताज़ा स्थिति है। शुद्ध दार्जिलिंग चाय में एक स्वाद एवं गुणवत्ता है, जो इसे अन्य चायों से अलग करता है। परिणामस्वरूप इसने दुनिया भर में एक सदी से भी अधिक समय के लिए समझदार उपभोक्ताओं के संरक्षण और मान्यता को जीत लिया है। दार्जिलिंग चाय जो अपने नाम के योग्य है उसे दुनिया में कहीं और नहीं उगाया या निर्मित किया जा सकता है। दार्जिलिंग सहित भारत के चाय उत्पादक क्षेत्रों में उत्पादित सभी चाय, चाय अधिनियम, 1953 के तहत चाय बोर्ड, भारत द्वारा प्रशासित हैं। अपनी स्थापना के बाद से, टी बोर्ड ने दार्जिलिंग चाय के उत्पादन और निर्यात पर एकमात्र नियंत्रण किया है और इसने दार्जिलिंग चाय को उचित मर्यादा प्रदान की है। टी बोर्ड दुनिया भर में भौगोलिक संकेत के रूप में भारत की सांस्कृतिक विरासत के इस क़ीमती आइकन के संरक्षण लगा हुआ है। दार्जिलिंग चाय के क्षेत्रीय मूल को प्रमाणित करने की अपनी भूमिका में टी बोर्ड की सहायता हेतु एक अनोखा लोगो विकसित किया गया है, जिसे दार्जिलिंग लोगो के रूप में जाना जाता है। कानूनी स्तर पर, टी बोर्ड दार्जिलिंग शब्द और लोगो दोनों के समान कानून में बौद्धिक संपदा अधिकारों का मालिक है  तथा भारत में निम्नलिखित विधियों के प्रावधानों के तहत है। असम चाय असम का अर्थ है जो समान ना हो और यह वास्तव में इसकी चाय के लिए सच है। वे कहते हैं कि ‘यदि आपने असम की चाय नहीं ली है तो आप पूरी तरह से जागे नहीं ’ हैं। ब्रह्मपुत्र नदी जो घाटियों और पहाड़ियों के माध्यम से अपना रास्ता बनात��� है, के द्वारा रोलिंग मैदानों पर उगाई जाने वाली कड़क चाय, अपने स्वादिष्ट स्वाद के लिए प्रसिद्ध है।  इस स्वाद के पीछे दोमट मिट्टी, अद्वितीय जलवायु और भरपूर वर्षा से समृद्ध क्षेत्र ज़िम्मेदार है । असम दुनिया में ना केवल चाय का सबसे बड़ा क्षेत्र है। बल्कि यह एक-सींग वाले गेंडों, लाल-सिर वाले गिद्धों और हूलॉक गिब्बन जैसी लुप्तप्राय प्रजातियों का शरणस्थल है। यह एक ऐसी भूमि है जो रक्षा और संरक्षण करती है।  दुनिया के सबसे पुराने और अपनी तरह का सबसे बड़ा रिसर्च स्टेशन टोकलाई परिक्षण केन्द्र की तरह, क्लोनल प्रचार और निरंतर अनुसंधान करता है ताकि पूर्ण लिकर को बनाए रखा जा सके। सभी यह सुनिश्चित करती है कि चाय की झाड़ियों से उच्च गुणवत्ता वाली चाय मिलती रहे। ऑर्थोडॉक्स और सीटीसी (क्रश / टियर / कर्ल) दोनों प्रकार की चाय का उत्पादन यहां किया जाता है। असम अर्थोडॉक्स चाय एक पंजीकृत भौगोलिक संकेत (जीआई) है। नीलगिरी चाय तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल राज्यों के माध्यम से सुंदर नीलगिरी पर्वत मालाएं, पशुचारण टोडा जनजाति और चाय बागानों का घर हैं जो चाय के सुगंधित कप का निर्माण करते हैं। नीलगिरि चाय में थोड़ी फ्रूटी, मिन्टी फ्लेवर होती है, शायद इसलिए कि इस क्षेत्र में ब्लू गम और नीलगिरी जैसे पेड़ हैं। और शायद चाय बागानों के करीब उत्पादित मसालें अपनी तेजता से मोहित कर देते हैं।   स्वाद और शरीर का संतुलित मिश्रण नीलगिरी चाय को ब्लेंडरों का सपना  बनाता है।  नीलगिरी हिल्स उर्फ ‘ब्लू माउंटेंस’ दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पूर्व मानसून दोनों के प्रभाव में आती है; एक कारण है कि यहां उगने वाली चाय की पत्तियां साल भर पक जाती हैं।  नीलगिरि रूढ़िवादी चाय एक पंजीकृत भौगोलिक संकेत (जीआई) है। इस क्षेत्र में चाय की ऑर्थोडॉक्स और सीटीसी दोनों किस्मों का निर्माण किया जाता है। कांगड़ा चाय कांगड़ा के लिए यह देवताओं की घाटी  की पृष्ठभूमि में राजसी धौलाधार पर्वत श्रृंखला है। और इसकी सुंदरता को चखने के लिए, कांगड़ा चाय से बेहतर कुछ भी नहीं हो सकता है। हिमाचल के प्रसिद्ध कांगड़ा क्षेत्र में जलवायु, विशिष्ट स्थान, मृदा की स्थिति, एवं बर्फ से ढके पहाड़ों की ठंडक; सभी मिलकर चाय की गुणवत्ता से भरपूर चाय की एक अलग कप तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विशेष रूप से सुगंध और स्वाद के साथ पहला फ्लश जिसमें फल का एक अमिश्रित रंग है। कांगड़ा चाय का इतिहास 1849 का है जब बॉटनिकल चाय बागानों के अधीक्षक डॉ.जेम्सन ने इस क्षेत्र को चाय की खेती के लिए आदर्श बताया। भारत के सबसे छोटे चाय क्षेत्रों में से एक होने के नाते कांगड़ा हरी और काली चाय बहुत ही अन���्य है। जहां काली चाय में स्वाद के बाद मीठी सुगंध होती है, वहीं हरी चाय में सुगंधित लकड़ी की सुगंध होती है। कांगड़ा चाय की मांग लगातार बढ़ रही है और इसका अधिकांश हिस्सा मूल निवासियों द्वारा खरीदा जाता है और पेशावर के रास्ते काबुल और मध्य एशिया में निर्यात किया जाता है। कांगड़ा चाय एक पंजीकृत भौगोलिक संकेत (जीआई) है। मुन्नार चाय मुन्नार में आपका स्वागत चाय की झाड़ियों की हरी कालीन से होता है। वह भूमि जहां तीन पहाड़ियां मुद्रापुजा, नल्लथननी और कुंडला मिलती हैं, वह चाय का घर है जो स्वास्थ्य और स्वाद का मिश्रण है। पश्चिमी घाट के अविच्छिन्न पारिस्थितिकी तंत्र में चाय की खेती की जाती है। समुद्र तल से 2200 मीटर की ऊँचाई पर चाय बागानों के साथ, मुन्नार में दुनिया का कुछ उच्च विकसित चाय क्षेत्र हैं। फ्यूल प्लांटेशन और शोलास& से जुड़े चाय के बागान इस क्षेत्र की अनूठी विशेषताओं में से एक हैं। मुन्नार की अर्थोडॉक्स चाय अपनी अनोखी स्वच्छ और मिठे बिस्कुट की मधुर सुगंध के लिए जानी जाती है। नारंगी की गहराई के साथ सुनहरे पीले काढ़ा में शक्ति और तेज का संयोजन है। मुन्नार अपनी चाय के लिए जाना जाता है, लेकिन इसके पास प्रकृति-प्रेमी को आकर्षित करने के लिए पर्याप्त कारण हैं।  इसकी प्राचीन घाटियों, पर्वत, नदियां,वनस्पतियां और जीवों से भरपूर पहाड़ों की सुंदरता आकर्षक है। डुअर्स-तराई चाय दार्जिलिंग के ठीक नीचे, हिमालय की तलहटी में हाथीयों, गैंडों, पर्णपाती जंगलों, प्रवाहित जल धाराओं और चाय के बीच स्थित भूमि है। कूचबिहार जिले के एक छोटे से हिस्से के साथ, पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में चाय उगाने वाले क्षेत्रों को डूवर्स के नाम से जाना जाता है, जो उत्तर-पश्चिम में भूटान और दार्जिलिंग जिले, दक्षिण में बांग्लादेश और कूचबिहार जिले और पूर्व में असम से घिरा है। ।  डूअर्स (बंगाली, असमिया और नेपाली में जिसका अर्थ है दरवाज़ा) उत्तर पूर्व और भूटान का प्रवेश द्वार है। हालांकि डूआर्स में चाय की खेती मुख्य रूप से ब्रिटिश रोपणकर्ताओं बागानों ने अपनी एजेंसी उद्यमों के माध्यम से की थी, लेकिन भारतीय उद्यमियों का महत्वपूर्ण योगदान था, जिन्होंने चरणबद्ध तरीके से भूमि के अनुदान को जारी करने के साथ नए वृक्षारोपण की पर्याप्त संख्या स्थापित की। चाय की विशेषताएँ  डूअर्स-तराई चाय उज्ज्वल, चिकनी और पूर्ण लिकर है, जो असम चाय की तुलना में हल्की होती है।
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healthnewsreview · 2 years ago
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Insulux Capsule
��धुमेह दुनिया में सबसे घातक गैर-संचारी रोगों में से एक है। उनका कहना है कि भारत में मधुमेह की दर दुनिया में सबसे अधिक है। अनुमानित 77 मिलियन अमेरिकियों को वर्तमान में मधुमेह है। दुनिया की मधुमेह आबादी का छठा हिस्सा भारतीयों का है। यह एक घातक बीमारी है जो पैर पर पैर थपथपाकर और फिर मौत की कील पर पैर रखकर सचमुच अपनी मृत्यु की घोषणा करती है। यही कारण है कि लोग इसे "साइलेंट किलर" कहते हैं। इस किलर से बचने के लिए डायबिटीज से निजात पाना जरूरी है। इन्सुलक्स कैप्सूल मधुमेह के लक्षणों को कम करने का एक आसान तरीका है।
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इंसुलक्स कैप्सूल क्या है? , इंसुलक्स कैप्सूल क्या है?
इंसुलक्स कैप्सूल पूरी तरह से जैविक और 100% जोखिम मुक्त भोजन पूरक है। इस कैप्सूल को नियमित रूप से लेने से रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है और शरीर की इंसुलिन का उत्पादन करने की क्षमता में सुधार होता है, जिससे मधुमेह के नकारात्मक दुष्प्रभाव कम होते हैं।
यह मधुमेह के रोगियों के लिए एक प्राकृतिक औषधि है, जिसके प्रयोग से उनकी काया पलटी जा सकती है और मधुमेह के रोगी को सामान्य जीवन का सुख प्राप्त हो सकता है। इंसुलक्स कैप्सूल में रक्त शर्करा को नियंत्रित करने के लिए एक आजमाया हुआ और सही तरीका है।
Insulux कैप्सूल की कार्रवाई का तंत्र क्या है? वैसे भी इस इंसुलक्स कैप्सूल के साथ क्या डील है?
इन्सुलक्स कैप्सूल लेना शुरू करने के बाद किसी व्यक्ति की शारीरिक स्थिति में परिवर्तन स्पष्ट हो जाते हैं। रक्त शर्करा का स्तर सामान्य हो जाता है, और वह अपने समग्र स्वास्थ्य में उल्लेखनीय सुधार का अनुभव करता है।
इस तरह के एक प्राकृतिक सूत्र से मानव शरीर में सामान्य रूप से काम करने में कोई परेशानी नहीं होगी। एक महीने के लगातार उपयोग के बाद, शरीर बहुत ही आशाजनक परिणाम दिखाता है, और मधुमेह से छुटकारा पाना आश्चर्यजनक रूप से सरल प्रतीत होता है।
इन्सुलक्स कैप्सूल के उपयोग के लाभ
इंसुलक्स कैप्सूल एक पूरक है जो अपनी पूरी तरह से प्राकृतिक संरचना के कारण कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।
रक्त शर्करा के स्तर को सामान्य करके मधुमेह के प्रभाव को कम करता है।
हार्मोन का स्तर स्थिर या पुनर्संतुलित होता है।
रक्त वाहिकाओं पर प्रभाव अनुकूल है। नतीजतन दिल की सेहत में सुधार होता है।
इंसुलक्स जटिलताओं को रोकने और सूजन को कम करने में प्रभावी है।
आंतों में पूर्ण ग्लूकोज अवशोषण की सुविधा देता है।
अनायास शारीरिक थकान और मानसिक तनाव या चिंता को कम करता है। आप जो भी फल पसंद करते हैं उसे खाने के लिए आप स्वतंत्र हैं।
अग्न्याशय और यकृत स्वास्थ्य में सुधार होता है।
यह अपशिष्ट उत्पादों या अतिरिक्त तरल पदार्थ के किसी भी हानिकारक निर्माण को हटाकर प्रभावित अंग या ऊतक के सामान्य कार्य को पुनर्स्थापित करता है। ग्लूकोज के स्तर (या ब्लड शुगर) को स्थिर रखता है।
इंसुलक्स कैप्सूल के नैदानिक ​​रूप से प्रासंगिक सामग्री
इंसुलक्स कैप्सूल मधुमेह के लिए एक चमत्कारिक इलाज नहीं हो सकता है, लेकिन उन्हें बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री सुरक्षित और प्रभावी है।
इंसुलक्स नोपल के उपचार गुण सामान्य अग्न्याशय के कार्य की बहाली का समर्थन करते हैं। अतिरिक्त अग्नाशयी निदान की पहचान करत��� है।
बरबेरी खाने से स्टार्च को तोड़ना आसान हो जाता है। धमनियों को अधिक रक्त ले जाने में मदद करता है, इस प्रकार समग्र रक्त प्रवाह में वृद्धि करता है। ग्लूकोज अवशोषण को धीमा करता है और कार्बोहाइड्रेट को चीनी में टूटने से रोकता है।
सिंहपर्णी जड़ का उपयोग रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है। इंसुलिन उत्पादन का समर्थन करता है, और इसका इंसुलिन जैसा घटक रक्त शर्करा को नियंत्रण में रखकर अग्न्याशय को बाहर निकालने में मदद करता है।
Soursop आपके शरीर को अपना बचाव करने में मदद करता है, जिसका अर्थ है कि यह बीमारियों से लड़ने में अधिक सक्षम है।
सौंफ रक्त शर्करा के नियमन में मदद करती है और ग्लूकोज सहिष्णुता में सुधार करती है।
जिम्नेमा शरीर को ईंधन के लिए वसा जलाने में सहायता करता है और भूख को दबाता है।
दूधघड़ी स्थिर रक्त शर्करा के स्तर को बनाए रखते हुए कोलेस्ट्रॉल और अन्य हानिकारक पदार्थों को कम करती है।
लैक्टोबैसिली के रूप में जाना जाने वाला लाभकारी बैक्टीरिया स्वाभाविक रूप से इंसुलिन उत्पादन को बढ़ाकर स्वस्थ रक्त शर्करा के स्तर को बनाए रखने में सहायता करता है।
टीनोस्पोरा की मदद से मधुमेह को नियंत्रित या समाप्त किया जा सकता है। इसके अलावा यह सांस की तकलीफ की समस्या को भी ठीक करता है।
ग्लूकोज टॉलरेंस को बढ़ाता है और ग्लूकोज की स्थिति को बढ़ाता है: मेथी के बीज।
बिफीडोबैक्टीरिया पाचन में सहायता करता है और शरीर की चयापचय दर को भी बढ़ाता है।
क्या इंसुलैक्स कैप्सूल सुरक्षित है, या इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव है? इंसुलक्स कैप्सूल की प्रतिक्रियाएं
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radarhindi · 2 years ago
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Global Warming In Hindi About Global Warming In Hindi
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ग्लोबल वार्मिंग क्या है Global Warming In Hindi About Global Warming In Hindi ग्लोबल वार्मिंग पूर्व-औद्योगिक काल (1850-1900) के बाद से मानव गतिविधि (मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन के जलने) के कारण पृथ्वी की सतह का दीर्घकालिक वार्मिंग है, जिससे पृथ्वी के वायुमंडल में गर्मी-फँसाने वाली ग्रीनहाउस गैसों का स्तर बढ़ जाता है। शब्द "जलवायु परिवर्तन" शब्द के साथ विनिमेय नहीं है। About Global Warming पृथ्वी की सतह के निकट तापमान में क्रमिक वृद्धि है। यह घटना पिछली एक या दो सदी से देखी जा रही है। यह परिवर्तन पृथ्वी के जलवायु पैटर्न को बाधित करता है। हालाँकि, ग्लोबल वार्मिंग की अवधारणा वि��ादास्पद है, लेकिन वैज्ञानिकों ने इस तथ्य का समर्थन करने के लिए प्रासंगिक डेटा प्रदान किया है कि पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है।  Global Warming एक ऐसी घटना है जिसमें ग्रीनहाउस गैसों की संख्या में वृद्धि के कारण पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ जाता है। ग्रीनहाउस गैसें जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, और ओजोन ट्रैप आने वाले सौर विकिरण। यह प्रभाव एक प्राकृतिक "कंबल" बनाता है जो गर्मी को वायुमंडल में वापस जाने से रोकता है। इस प्रभाव को हरित गृह प्रभाव कहते हैं।
About Global Warming In Hindi ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव
Global Warming के कारण पृथ्वी का तापमान खतरनाक रूप से बढ़ रहा है। 1880 के बाद से पृथ्वी के तापमान में लगभग 1 डिग्री की वृद्धि हुई है। इससे ग्लेशियरों के पिघलने में वृद्धि होती है, जो बदले में समुद्र के स्तर में वृद्धि की ओर ले जाती है। इसका तटीय क्षेत्रों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है। जलवायु परिस्थितियों में परिवर्तन ग्लोबल वार्मिंग का परिणाम है। जीवाश्म ईंधन को जलाने, पेड़ों को काटने आदि से पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होगी। उच्च तापमान मौसम के मिजाज को बदल सकता है, जिससे शुष्क क्षेत्र शुष्क और गीले क्षेत्र गीले हो जाते हैं। इससे बाढ़, सूखा आदि आपदाओं की आवृत्ति बढ़ जाती है। वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन ग्लोबल वार्मिंग का एक प्रमुख कारण है। कार्बन उत्सर्जन को उच्च कार्बन मूल्य निर्धारित करके, जैविक कचरे से जैव ईंधन के उत्पादन में वृद्धि, सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके, वनों की रक्षा, और ऊर्जा दक्षता और वाहन ईंधन की खपत में सुधार करके कम किया जा सकता है।
Essay On Global Warming In Hindi In 100 Words
ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसी घटना है जहां ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि के कारण पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ता है। कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और ओजोन जैसी ग्रीनहाउस गैसें सूर्य से आने वाले विकिरण को फंसा लेती हैं। यह प्रभाव एक प्राकृतिक "कंबल" बनाता है, जो गर्मी को वायुमंडल में वापस जाने से रोकता है। इस प्रभाव को हरित गृह प्रभाव कहते हैं। आम धारणा के विपरीत, ग्रीनहाउस गैसें स्वाभाविक रूप से खराब नहीं होती हैं। वास्तव में ग्रीनहाउस प्रभाव पृथ्वी पर जीवन के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इस प्रभाव के बिना, सूर्य का विकिरण वापस वायुमंडल में परावर्तित हो जाएगा, जिससे सतह जम जाएगी और जीवन असंभव हो जाएगा। Essay On Global Warming In Hindi In 100 Words हालाँकि, जब अधिक मात्रा में ग्रीनहाउस गैसें फंस जाती हैं, तो गंभीर परिणाम सामने आने लगते हैं। ध्रुवीय बर्फ की टोपियां पिघलने लगती हैं, जिससे समुद्र का स्तर बढ़ जाता है। इसके अलावा, जब ध्रुवीय बर्फ की टोपी और समुद्री बर्फ पिघलती है तो ग्रीनहाउस प्रभाव तेज हो जाता है। यह इस तथ्य के कारण है कि बर्फ सूर्य की 50% से 70% किरणों को वापस अंतरिक्ष में परावर्तित कर देती है, लेकिन बर्फ के बिना, सौर विकिरण अवशोषित हो जाता है। समुद्री जल सूर्य के विकिरण का केवल 6% अंतरिक्ष में वापस परावर्तित करता है। इससे भी अधिक भयावह तथ्य यह है कि ध्रुवों ��ें बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड बर्फ के भीतर फंसा हुआ है। यदि यह बर्फ पिघलती है, तो यह ग्लोबल वार्मिंग में महत्वपूर्ण योगदान देगी। एक संबंधित परिदृश्य जब यह घटना नियंत्रण से बाहर हो जाती है तो भगोड़ा-ग्रीनहाउस प्रभाव होता है। यह परिदृश्य अनिवार्य रूप से एक सर्वनाश के समान है, लेकिन यह सब बहुत वास्तविक है। हालांकि पृथ्वी के पूरे इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ, लेकिन अनुमान लगाया जाता है कि यह शुक्र ग्रह पर हुआ होगा। लाखों साल पहले, शुक्र को पृथ्वी के समान वातावरण माना जाता था। लेकिन भगोड़े ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण, ग्रह के चारों ओर सतह का तापमान बढ़ने लगा। यदि यह पृथ्वी पर होता है, तो भगोड़ा ग्रीनहाउस प्रभाव कई अप्रिय परिदृश्यों को जन्म देगा - तापमान इतना गर्म हो जाएगा कि महासागरों का वाष्पीकरण हो सके। एक बार जब महासागरों का वाष्पीकरण हो जाएगा, तो चट्टानें गर्मी के तहत उदात्त होने लगेंगी। ऐसे परिदृश्य को रोकने के लिए जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए उचित उपाय करने होंगे।
Global Warming Meaning In Hindi
"ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी के तापमान में क्रमिक वृद्धि है जो आमतौर पर कार्बन डाइऑक्साइड, सीएफ़सी और अन्य प्रदूषकों के बढ़े हुए स्तर के कारण ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण होती है। "
What Is Global Warming In Hindi
ग्लोबल वार्मिंग क��या है? ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी की सतह के निकट तापमान में क्रमिक वृद्धि की घटना है। यह घटना पिछली एक या दो शताब्दियों में देखी गई है। इस परिवर्तन ने पृथ्वी के जलवायु पैटर्न को अस्त-व्यस्त कर दिया है। हालाँकि, ग्लोबल वार्मिंग की अवधारणा काफी विवादास्पद है लेकिन वैज्ञानिकों ने इस तथ्य के समर्थन में प्रासंगिक डेटा प्रदान किया है कि पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग के कई कारण हैं, जिनका मानव, पौधों और जानवरों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ये कारण प्राकृतिक हो सकते हैं या मानवीय गतिविधियों के परिणाम हो सकते हैं। मुद्दों पर अंकुश लगाने के लिए, ग्लोबल वार्मिंग के नकारात्मक प्रभावों को समझना बहुत महत्वपूर्ण है।
Global Warming In Hindi Slogan
Global Warming In Hindi Slogan ग्लोबल वार्मिंग मानव गतिविधि, विशेष रूप से जीवाश्म ईंधन के दहन के कारण पूर्व-व्यावसायिक तकनीक के बाद 1850 और 1900 के बीच खोजे गए पृथ्वी के मौसम गैजेट के गर्म होने की लंबी अवधि की अवधि है, जो पृथ्वी के भीतर ग्रीनहाउस गैसों को फँसाने वाली गर्मी के चरणों को बढ़ाती है। व Global Warming In Hindi Slogan ग्लोबल वार्मिंग पर नारे हैं: - शांत रहें और पृथ्वी को बचाएं - अपने ग्रह के साथ वैसा ही व्यवहार करें जैसा आप चाहते हैं कि आपके साथ व्यवहार किया जाए - अपनी नकारात्मकता को जलाएं न कि हमारी धरती मां - भविष्य चाहते हैं? धरती माँ को बचाओ - पर्यावरण को प्रदूषित करना आपकी जान ले लेगा - क्या आप एक वायरस हैं? क्योंकि धरती को बुखार है - पेड़ों को दुनिया को बचाने ��ें - पेड़ों में निवेश करें और अपना भविष्य बचाएं - बदला लेने वाला बनें और ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए इकट्��ा हों - आइए एक बार अपनी धरती मां के लिए कुछ करें - अत्यधिक जलने से पृथ्वी जल जाएगी। - शांत रहो और पृथ्वी को शीतल रहने दो। - ग्लोब गर्म हो रहा है और इसमें आग लग जाएगी। - धरती माता पीड़ित है। - प्रकृति बचाओ भविष्य बचाओ। - अत्यधिक गर्मी हमें जला देगी। - सुरक्षित जीवन के लिए इसे ठंडा रखें।
Effects Of Global Warming in Hindi
Effects Of Global Warming in Hindiबिजली, जीवाश्म ईंधन, वनों की कटाई, औद्योगीकरण आदि की बढ़ती मानवीय जरूरतों के कारण वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते स्तर के कारण ग्लोबल वार्मिंग के बुरे प्रभाव प्रतिदिन बढ़ रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव तापमान में वृद्धि:- ग्लोबल वार्मिंग के कारण पृथ्वी के तापमान में अविश्वसनीय वृद्धि हुई है। 1880 के बाद से पृथ्वी के तापमान में ~1 डिग्री की वृद्धि हुई है। इसके परिणामस्वरूप ग्लेशियरों के पिघलने में वृद्धि हुई है, जिससे समुद्र के स्तर में वृद्धि हुई है। इसका तटीय क्षेत्रों पर विनाशकारी प्रभाव हो सकता है। ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा:- ग्लोबल वार्मिंग ने प्रवाल भित्तियों को प्रभावित किया है जिससे पौधों और जानवरों के जीवन का नुकसान हो सकता है। वैश्विक तापमान में वृद्धि ने प्रवाल भित्तियों की नाजुकता को और भी बदतर बना दिया है। ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव जलवायु परिवर्तन:- ग्लोबल वार्मिंग के कारण जलवायु परिस्थितियों में बदलाव आया है। कहीं सूखा तो कहीं बाढ़ का प्रकोप है। यह जलवायु असंतुलन ग्लोबल वार्मिंग का परिणाम है। ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव रोगों का फैलाव:- ग्लोबल वार्मिंग से गर्मी और आर्द्रता के पैटर्न में बदलाव होता है। इससे मच्छरों की आवाजाही हुई है जो बीमारियों को ले जाते हैं और फैलाते हैं। ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव उच्च मृत्यु दर:- बाढ़, सुनामी और अन्य प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि के कारण, औसत मृत्यु दर आमतौर पर बढ़ जाती है। साथ ही, इस तरह की घटनाओं से ऐसी बीमारियां फैल सकती हैं जो मानव जीवन में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं। ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव प्राकृतिक आवास का नुकसान:- जलवायु में एक वैश्विक बदलाव से कई पौधों और जानवरों के आवासों का नुकसान होता है। इस मामले में, जानवरों को अपने प्राकृतिक आवास से पलायन करना पड़ता है और उनमें से कई विलुप्त भी हो जाते हैं यह जैव विविधता पर ग्लोबल वार्मिंग का एक और बड़ा प्रभाव है।
Global Warming Ke karan In Hindi ग्लोबल वार्मिंग के कारण
Global Warming Ke karan In Hindi जीवाश्म ईंधन को जलाकर बिजली और गर्मी पैदा करना वैश्विक उत्सर्जन का एक बड़ा हिस्सा है। अधिकांश बिजली अभी भी कोयले, तेल या गैस को जलाने से उत्पन्न होती है, जो कार्बन डाइऑक्साइड और नाइट्रस ऑक्साइड पैदा करती है। ग्लोबल वार्मिंग जलवायु परिवर्तन का एक पहलू है, जो ग्रह के तापमान में दीर्घकालिक वृद्धि की ओर इशारा करता है। यह वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की बढ़ती सांद्रता के कारण होता है, मुख्य रूप से मानव गतिविधियों जैसे कि जीवाश्म ईंधन जलाने और खेती से। ग्लोबल वार्मिंग के कारण ज्वालामुखी:- ज्वालामुखी ग्लोबल वार्मिंग में सबसे बड़े प्राकृतिक योगदानकर्ताओं में से एक हैं। ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान निकलने वाली राख और धुआं वातावरण में चला जाता है और जलवायु को प्रभावित करता है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण जल वाष्प:- जलवाष्प एक प्रकार की ग्रीनहाउस गैस है। पृथ्वी के तापमान में वृद्धि के कारण, जल निकायों से अधिक पानी वाष्पित हो जाता है और वातावरण में रह जाता है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग बढ़ जाती है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण पिघलने पर्माफ्रॉस्ट:- पर्माफ्रॉस्ट जमी हुई मिट्टी है जिसमें कई वर्षों से पर्यावरणीय गैसें फंसी हुई हैं और यह पृथ्वी की सतह के नीचे मौजूद है। यह ग्लेशियरों में मौजूद है। जैसे ही पर्माफ्रॉस्ट पिघलता है, यह गैसों को वापस वायुमंडल में छोड़ता है, जिससे पृथ्वी का तापमान बढ़ जाता है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण वन ब्लेज़:- जंगल की आग या जंगल की आग बड़ी मात्रा में कार्बन युक्त धुएं का उत्सर्जन करती है। इन गैसों को वायुमंडल में छोड़ा जाता है और पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होती है जिसके परिणामस्वरूप ग्लोबल वार्मिंग होती है।
Global Warming Ke Karan In Hindi Burning Fossil Fuels
जब हम अपनी कारों को बिजली या बिजली बनाने के लिए कोयला, और गैस जैसे जीवाश्म ईंधन जलाते हैं, तो हम वातावरण में CO2 प्रदूषण छोड़ते हैं। दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में ऑस्ट्रेलियाई CO2 प्रदूषण के बड़े उत्पादक हैं। प्रति व्यक्ति CO2 प्रदूषण का हमारा स्तर अन्य विकसित देशों के औसत से लगभग दोगुना और विश्व औसत से चार गुना से अधिक है। ऑस्ट्रेलिया में कार्बन प्रदूषण का मुख्य कारण बिजली उत्पादन है क्योंकि हमारी बिजली का 73% कोयले को जलाने से और 13% जलती हुई गैस से आता है। शेष 14% अक्षय ऊर्जा स्रोतों जैसे हाइड्रो, सौर और पवन से आता है, जो कार्बन का उत्सर्जन नहीं करते हैं।
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समाधान: - कोयले और गैस से उत्पन्न बिजली की मात्रा को कम करना - सौर और पवन जैसे स्वच्छ, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से बिजली की मात्रा बढ़ाना - जलवायु परिवर्तन पर कड़ी कार्रवाई के लिए आंदोलन में शामिल हों और प्रमुख ऑस्ट्रेलियाई राजनेताओं से आग्रह करें कि वे हमें अपने पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए ट्रैक पर वापस लाएं।
Global Warming Ke Karan In Hindi Deforestation & Tree - Clearing
पौधे और पेड़ जलवायु को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि वे हवा से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन को वापस उसमें छोड़ते हैं। वन और बुश���ैंड कार्बन सिंक के रूप में कार्य करते हैं और ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बनाए रखने का एक मूल्यवान साधन हैं। लेकिन मनुष्य खेती, शहरी और बुनियादी ढांचे के विकास या लकड़ी और ताड़ के तेल जैसे वृक्ष उत्पादों को बेचने के लिए दुनिया भर में वनस्पति के विशाल क्षेत्रों को साफ करते हैं। जब वनस्पति को हटा दिया जाता है या जला दिया जाता है, तो संग्रहीत कार्बन को CO2 के रूप में वायुमंडल में वापस छोड़ दिया जाता है, जो ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देता है। वैश्विक ग्रीनहाउस गैस प्रदूषण का पांचवां हिस्सा वनों की कटाई और वन क्षरण से आता है।
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समाधान: - वनों की कटाई और पेड़ों की कटाई को रोकें - वनरोपण और वनरोपण के माध्यम से अधिक से अधिक पेड़ लगाएं - अत्यधिक वृक्षों की कटाई को रोकने के लिए हमारे नेताओं से मजबूत कानून लाने का आह्वान करें।
Global Warming Ke Karan In Hindi Agriculture & Farming 
पशु, भेड़ और मवेशी जैसे पशुधन, मीथेन, एक ग्रीनहाउस गैस का उत्पादन करते हैं। जब पशुधन बड़े पैमाने पर चरते हैं, जैसे कि ऑस्ट्रेलिया में, उत्पादित मीथेन की मात्रा ग्लोबल वार्मिंग में एक बड़ा योगदानकर्ता है कुछ जो किसान उपयोग करते हैं, वे नाइट्रस ऑक्साइड भी छोड़ते हैं, जो एक और ग्रीनहाउस गैस है हमारे कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में ऑस्ट्रेलियाई खेती का योगदान 16% है। Global Warming Ke Karan In Hindi
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समाधान - विभिन्न स्टॉक फीड का उपयोग करने से जलवायु परिवर्तन में खेती के योगदान को कम करने में मदद मिल सकती है���
Global Warming In Hindi FAQ 
Q. - 1. भूमंडलीय तापक्रम में वृद्धि क्या है? ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी के औसत तापमान में क्रमिक वृद्धि की घटना है। यह वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, सीएफ़सी आदि जैसी ग्रीनहाउस गैसों के निकलने के कारण होता है। Q. - 2. सीएफ़सी का क्या अर्थ है? ग्लोबल वार्मिंग में सीएफ़सी की क्या भूमिका है? CFC,क्लोरोफ्लोरोकार्बन के लिए खड़ा है। ओजोन परत पृथ्वी की सतह को सूर्य के हानिकारक विकिरण से बचाने के लिए जिम्मेदार है। सीएफ़सी वायुमंडल की ओजोन परत को नष्ट कर देते हैं। यह पराबैंगनी किरणों के पृथ्वी तक पहुंचने का रास्ता बनाता है, जिससे तापमान में वृद्धि होती है जिससे ग्लोबल वार्मिंग होती है। Q. - 3. ग्लोबल वार्मिंग जलवायु परिवर्तन को कैसे प्रभावित करती है? जलवायु परिस्थितियों में परिवर्तन ग्लोबल वार्मिंग का परिणाम है। जीवाश्म ईंधन के जलने, पेड़ों के काटने आदि से पृथ्वी का तापमान बढ़ता है। उच्च तापमान मौसम के पैटर्न को बदल देता है, जिससे शुष्क क्षेत्र सूख जाते हैं और गीले क्षेत्र गीले हो जाते हैं इस प्रकार, बाढ़, सूखा आदि आपदाओं की आवृत्ति में वृद्धि। Q. - 4. हम ग्लोबल वार्मिंग को कैसे नियंत्रित कर सकते हैं? वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों की रिहाई ग्लोबल वार्मिंग का प्रमुख कारण है। कार्बन की उच्च कीमत निर्धारित करके, जैविक कचरे से जैव ईंधन उत्पादन में वृद्धि, सौर और पवन ऊर्जा जैसी नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग, वनों की सुरक्षा, और ऊर्जा दक्षता और वाहन ईंधन अर्थव्यवस्था में सुधार करके इसे कम किया जा सकता है। यह भी पढ़े  - DRDO Previous Year Question Paper Part – 1 - DCA Full Form In Computer – डीसीए का फुल फॉर्म Ms Office Kya Hai ? आपको माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस की आवश्यकता क्यों है? RRC Group D Exam Date 17 August 2022 1st Shift Question Paper RRB Group D Admit Card Download  रेलवे ग्रुप डी के एडमिट कार्ड 300+ सुरक्षा पर स्लोगन Safety Slogan in Hindi How Many Letters Are There In Hindi Varnamala Pad Kise Kahate Hain Pad Parichay – बहुपद किसे कहते हैं पद किसे कहते हैं पद परिचय 10 General Knowledge Questions And Answers in Hindi Bharat Ki Pratham Mahila Rashtrapati – भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति और अन्य प्रथम महिला के पद दोस्तों आपको Global Warming In Hindi About Global Warming In Hindi ये पोस्ट कैसी लगी। हमें comment करके अपने विचार दे। हमें बहुत ख़ुशी होगी और आपका 1 कमेंट हमें लिखने को  प्रोत्साहित करता और हमारा जोश बढ़ाता है। इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ Share ज़रूर करें। जानकारी को ज्यादा से ज्यादा शेयर करना न भूलें। आपके पास कोई लेख है तो आप हमें Send कर सकते है। हमारी id:[email protected] पसंद आने पर हम उ��े आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे।  इसके साथ ही अगर स्वास्थ्य के बारे में अधिक जानने के लिए, कृपया हमारे फ���सबुक पेज पर जाएँ।  facebook page पर फॉलो कर ले और Right Side में जो Bell Show हो रही है उसे Subscribe कर ले ताकि आप को समय समय पर Update मिलता रहे। Thanks For Reading Read the full article
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ravi-123 · 1 year ago
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Organic Farming in Hindi : जैविक या ऑर्गेनिक खेती क्या है ?
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जैविक खेती(Organic Farming in Hindi) एक प्राकृतिक तकनीक है जिसमें उर्वरक, कीटनाशक और कीटप्रबंधन के रूप में नहीं जैविक तत्वों का प्रयोग होता है। यह खेती कार्बन संघटित माटी को बढ़ाती है, जिससे उपजाऊँ क्षेत्रों की वृष्टियों को अच्छा संतुलन और पोषण मिलता है। जैविक खेती में उपयोगी कीट, पौधों की सहायता से कीटों का नियंत्रण और पोषण किया जाता है। यह पर्यावरण को सुरक्षित रखने और उपज को स्वस्थ बनाने में सहायक होती है। जैविक खेती वाणिज्यिक उत्पादों का स्थायित और स्वास्थ्यप्रद विकल्प प्रस्तुत करती है और कृषि समुदाय को सुस्त और स्थिर आय की स��भावना प्रदान करती है।
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merikheti · 2 years ago
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कद्दू उत्पादन की नई विधि हो रही है किसानों के बीच लोकप्रिय, कम समय में तैयार होती है फसल
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सीताफल और काशीफल जैसे लोकप्रिय नाम से प्रचलित कद्दू या कुम्हड़ा (Kaddu, kumharaa or pumpkin) एक ऐसी सब्जी है, जिसे उत्पादन के बाद कोल्ड स्टोरेज में रखने की इतनी आवश्यकता नहीं होती है और लंबे समय तक आसानी से बेचा जा सकता है।
सभी पोषक तत्वों की पूर्ति करने वाली यह फसल कई प्रकार की मिठाइयां ब��ाने के काम में तो आती ही है, साथ ही इसे खाने से उसके बीज में मौजूद विटामिन-सी, आयरन, फास्फोरस, पोटेशियम तथा जिंक जैसे सूक्ष्म तत्वों की कमी को भी दूर किया जा सकता है।
कद्दू की खेती के उपयुक्त जलवायु
वैसे तो कद्दू की खेती के लिए गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है, परंतु फिर भी एक जायद फसल होने के नाते ठंडी और गर्म मिश्रण की जगह पर भी इसे उगाया जा सकता है।
किसान भाइयों को ध्यान रखना होगा कि कद्दू की फसल को ज्यादा ठंड पड़ने पर पाले से बचाना होगा। कद्दू की अच्छी पैदावार के लिए आपको 18 से 25 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच में तापमान को नियंत्रित करना होगा।ये भी पढ़ें:सीजनल सब्जियों के उत्पादन से करें कमाई
कद्दू की खेती के लिए कैसी मिट्टी चाहिये ?
कद्दू की खेती के लिए मुख्यतया भारत के किसान दोमट या बलुई दोमट मिट्टी का इस्तेमाल करते हैं, हालांकि इसकी खेती बलुई मिट्टी में भी की जाती है।
कद्दू की खेती के लिए किसान भाइयों को ध्यान रखना होगा कि आपके खेत में पानी ��िकासी की व्यवस्था अच्छी तरीके से होनी चाहिए।
कद्दू की खेती के लिए खेत की तैयारी व खाद उपचार
किसान भाई यह तो जानते ही होंगे कि कद्दू एक उथली जड़ वाली फसल होती है, इसलिए इसे ज्यादा जुताई की आवश्यकता नहीं होती है। आप एक बार ही कल्टीवेटर से जुताई कर अपने खेत को समतल बनाकर इसके बीजों की बुवाई कर सकते है। खेत के तैयार होने के बाद छोटी-छोटी क्यारियां और नालियां बना कर मेड़ बनानी चाहिए।
कद्दू की फसल के दौरान इस्तेमाल में होने वाले ऑर्गेनिक गोबर की खाद को डाला जा सकता है। इसके अलावा आप अरंडी की फसल से तैयार होने वाले चारे को पीसकर भी अंतिम जुताई से पहले खेत में अच्छी तरह बिखेर सकते है।ये भी पढ़ें:जैविक खेती में किसानों का ज्यादा रुझान : गोबर की भी होगी बुकिंग
यदि बात करें रासायनिक खाद और उर्वरकों की, तो प्रति हेक्टेयर जमीन के अनुसार 70 से 80 किलोग्राम नाइट्रोजन तथा 40 किलोग्राम पोटाश का इस्तेमाल किया जा सकता है। इन उर्वरकों का इस्तेमाल आपको अंतिम जुताई से पहले ही अपने खेत में करना होगा और नाइट्रोजन की कुछ मात्रा कद्दू के फूल के 20 से 25 दिन बड़े होने के बाद इस्तेमाल करनी चाहिए।
किसान भाइयों को ध्यान रखना होगा कि सुबह के समय कद्दू की फसल में कभी भी रसायनिक या जैविक खाद का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
कद्दू की बुवाई में बीज अनुपात व उपचार
कद्दू की फसल को बोने का समय इस बात पर निर्भर करता है कि इसे कहां पर बोया जा रहा है। भारत के मैदानी क्षेत्रों में इसे साल में दो बार उगाया जाता है और पर्वतीय क्षेत्रों में अप्रैल महीने में इसकी बुवाई की जाती है।
किसान भाइयों को ध्यान रखना होगा कि फसल की दो कतारों के बीच में लगभग 200 से 250 सेंटीमीटर की दूरी होनी अनिवार्य है और दो छोटी पौध के बीच में 45 से 50 सेंटीमीटर की दूरी रखनी चाहिए।
बीज को जमीन से 5 से 6 सेंटीमीटर गहराई में बोया जाए तो इसकी कोंपल सही समय पर बाहर निकल आती है।
कद्दू की बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर की दर से 1 किलोग्राम से 2 किलोग्राम बीज पर्याप्त होते है।
बीज बोने से पहले आप अपने बीज का उपचार भी कर सकते है, जिसके तहत बीज को 1 लीटर पानी में मिलाकर उसमें 2 ग्राम ��ेप्टोन का मिश्रण तैयार किया जा सकता है और फिर इसे अच्छी तरह घोला जाता है, कुछ समय बाद बाहर निकाल कर दो से तीन घंटे छाया में सुखाकर बुवाई के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।ये भी पढ़ें:पूसा कृषि वैज्ञानिकों की एडवाइजरी इस हफ्ते जारी : इन फसलों के लिए आवश्यक जानकारी
कद्दू की उन्नत किस्में
पूसा के वैज्ञानिकों के द्वारा कद्दू की फसल की कई उन्नत किस्में भारतीय किसानों के लिए तैयार की गई है, इनमें पूसा-अलंकार, पूसा-विश्वास तथा पूसा-विकास खेतों में इस्तेमाल की जाने वाली उन्नत किस्म है।
कद्दू की फसल में कीट नियंत्रण
किसान भाइयों कद्दू की फसल में लगने वाले रोग जैसे कि लीफ-माइनर और फल-मक्खी से बचाव के लिए घर पर ही कुछ रासायनिक मिश्रण तैयार कर सकते है।इसके लिए आप वर्मी-मैक्स यात्रा की 0.005 प्रतिशत मात्रा को अपने खेत में तीन से चार सप्ताह के अंतराल पर छिड़काव कर सकते है।
फल मक्खी कद्दू की फसल में लगने वाले फल की मुलायम अवस्था में ही उसके अंदर अंडे दे देती है और उसे अंदर से खाना शुरु कर देती है, इसके निवारण के लिए फूल के बड़े होने के बाद रासायनिक दवाओं का इस्तेमाल कम करना चाहिए और नीम की निंबोली का पानी के साथ 5% गोल मिलाकर इस्तेमाल करना चाहिए।
कद्दू के फसल की तुड़ाई
कद्दू की फसल की बुवाई के लगभग 70 से 80 दिनों में यह तैयार हो जाता है और आपके आसपास की मंडी की मांग के अनुसार इसे समय-समय कर तोड़ते रहना चाहिए। भारत के लोगों के द्वारा दोनों समय की सब्जी के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाता है, इसलिए इसकी डिमांड पूरे साल चलती रहती है।
यदि आप उपयुक्त बतायी गयी विधि का इस्तेमाल पूरी सावधानी से करते हैं तो एक हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग 300 से 400 क्विंटल कद्दू की पैदावार कर सकते है।
इसके भंडारण के लिए किसी विशेष शीत-ग्रह की जरूरत नहीं होगी और अपने घर में ही एक कमरे में 20 से 25 दिन तक स्टोर किया जा सकता है, पर ध्यान रहे कि तापमान लगभग 30 डिग्री सेल्सियस से कम ही होना चाहिए।
आशा करते हैं कि हमारे किसान भाइयों को वैज्ञानिकों के द्वारा तैयार की गई कद्दू उत्पादन की यह नई विधि पसंद आई होगी और भविष्य में इसी विधि का इस्तेमाल करके अच्छा उत्पादन कर पाएंगे।
Source कद्दू उत्पादन की नई विधि हो रही है किसानों के बीच लोकप्रिय, कम समय में तैयार होती है फसल
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divyabhashkar · 3 years ago
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रूस पर अमेरिका द्वारा यूक्रेन में जैविक हथियारों पर शोध करने का आरोप लगाया गया है
रूस पर अमेरिका द्वारा यूक्रेन में जैविक हथियारों पर शोध करने का आरोप लगाया गया है
रूस ने गुरुवार को संयुक्त राज्य अमेरिका पर यूक्रेन में जैविक हथियारों के विकास में अनुसंधान के वित्तपोषण का आरोप लगाया, क्योंकि मास्को ने प्रमुख यूक्रेनी शहरों पर नियंत्रण हासिल करने के अपने अभियान को जारी रखा। Source by [author_name]
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athibanhindi · 3 years ago
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China Bio Weapon : US Has Alleged China Is Developing Brain Control Weaponry To Control And Paralyze Opponent Instead Of Killing Them - दुश्मन के दिमाग को कब्जे में करने का हथियार बना रहा चीन, बंदूक के बजाय 'लकवा' से करेगा हमला
China Bio Weapon : US Has Alleged China Is Developing Brain Control Weaponry To Control And Paralyze Opponent Instead Of Killing Them – दुश्मन के दिमाग को कब्जे में करने का हथियार बना रहा चीन, बंदूक के बजाय ‘लकवा’ से करेगा हमला
हाइलाइट्स अमेरिका ने चीनी संस्थानों पर लगाया बैन, कहा- जैविक हथियार बना रहा चीन दुश्मन के शरीर पर हमला करने के बजाय उनके दिमाग को काबू में करेगा चीन अधिकारियों को डर कि चीन इस तकनीक का इस्तेमाल उइगर मुस्लिमों के खिलाफ करेगा वाशिंगटनअमेरिका ने दावा किया है कि चीन उन हथियारों पर काम कर रहा है जिनसे तकनीकी युद्ध को एक नए स्तर पर ले जाया जा सकता है। ये हथियार दुश्मन सैनिकों के दिमाग को ‘नियंत्रण’…
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indianrootz · 4 years ago
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मका आळीवर नियंत्रण करण्यासाठी हे करा. . .
मका आळीवर नियंत्रण करण्यासाठी हे करा. . .
मका आपली आळी उपजीविका पानावर करते सुरुवातीची अवस्था कोवळ्या पानांवर उपजीविका करते त्यानंतर पोंग्यात छिद्रे पडून आज शिरून आतील भागावर उपजीविका करते.
एकात्मिक नियंत्रण प्रादुर्भाव ओळखून अळीच्या वाढीच्या पहिल्या तीन अवस्थांमध्ये योग्य उपाययोजना केल्यास नियंत्रण करणे सोपे होते व नुकसान पातळी कमी ठेवता येते.
जैविक नियंत्रण अंड्यांवर उपजीविका करणाऱ्या ट्रायकोग्रामा पन्नास हजार अंडी दहा दिवसांच्या…
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