#जब चाहें तब करें बात
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मौसम आज का और कल का आपके शहर और गाँव का
मौसम वेब एप्लीकेशन का प्रयोग का तरीका:
हमारी मौसम वेब एप्लीकेशन को प्रयोग कीजिये और जानिए मौसम का हाल आपके अपने शहर और गांव का. आप चाहें तो सर्च बटन से अपने शहर के अलावा किसी और शहर का मौसम भी जान सकते हैं.
जब भी आप हमारी मौसम एप्लीकेशन पे आएंगे, आप जानेंगे न केवल दिन का तापमान बल्कि इस समय की हवा में आद्रता, हवा की गति और भी बहुत कुछ. आप चाहें तो आप आज का मौसम के अलावा आने वाले कल का और बीते हुए कल का मौसम भी देख सकते हैं देश के किसी भी शहर का आपकी अपनी भाषा में.
मौसम का हाल जानने के फायदे:
वर्तमान मौसम का अनुमान और आने वाले दिनों के मौसम का पूर्वानुमान या फिर बीते दिनों के मौसम की जानकारी का लाभ हर किसी को मिलता है.
यदि हम अपने देश की बात करें तो कृषि कार्य और किसानो के लिए मौसम का हल जानना और पूर्वानुमान जानना बेहद जरूरी है, वहीँ सरकार के विभिन्न विभाग, एयरलाइन्स, निर्माण कार्य, समुंद्री ट्रांसपोर्ट, सड़क परिवहन, ट्रैवेलिंग और लगभग हर कार्य के लिए मौसम का हाल जानना नित्यंत आवयशक है और इसीलिए हम लाएं हैं आपके शहर और गाँव के मौसम का हल आप ही भाषा में.
आइये जानते हैं मौसम का हाल जानना विभिन्न प्रकार के लोगों के लिए कैसे लाभदायक है.
1. कृषि कार्य और किसान भाई
भारत जैसे कृषि प्रधान देश में किसान भाईओं की निर्भरता सटीक मौसम की जानकारी पर बहुत ज्यादा है. मौसम के सटीक आकलन और पूर्वानुमान से किसान अपनी फसलों और खेती की उत्पादकता बढ़ा सकता है और नुकसान से बचने के लिए पहले ही योजना बना सकता है. मौसम के सटीक अनुमान के हिसाब से किसान बुवाई, सिंचाई और कटाई को बेह्तरीक तरीके से योजनाबद्ध तरीके से कर सकता है.
यह जानना के कब वर्षा होने वाली है और कितनी, या कब सूखा आ सकता है या कब ओला वृष्टि हो सकती है महत्वपूर्ण है ताकि इसके आधार पे किसान अपनी फसलों की रक्षा के प्रबंध कर सके. यह मौसम एप्लीकेशन हमारे सभी किसान भाईओं को एकदम सटीक जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए प्रयासरत और प्रतिबद्ध रहती है.
यह जानना के कब वर्षा होने वाली है और कितनी, या कब सूखा आ सकता है या कब ओला वृष्टि हो सकती है महत्वपूर्ण है ताकि इसके आधार पे किसान अपनी फसलों की रक्षा के प्रबंध कर सके. यह मौसम एप्लीकेशन हमारे सभी किसान भाईओं को एकदम सटीक जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए प्रयासरत और प्रतिबद्ध रहती है.
2. परिवहन और यात्रा
पुराने समय से ही जब लोग पैदल भी चलते थे तब भी मौसम की जानकारी का अनुमान लगते थे. आज के आधुनिक युग में जब परिवहन के सांसधन जल, आकाश, सड़क और अब तो समुन्द्र के अंदर भी से चलते हैं तो मौसम जानना सबसे ज्यादा आवश्यक हो गया है.
सड़क मार्ग - चाहे सड़क मार्ग से माल ढुलाई का कार्य हो या फिर जनसामान्य सवाई का, सभी परिवहन निगम अपने मार्ग में आने वाले मौसम की जानकारी पहले से प्राप्त करते हैं. वर्षा की संभावना या ओला वृष्टि की, या बर्फ़बारी की या आंधी तूफ़ान का अनुमान परिवहन चलने वालो को बेहतर योजना बनाने की जानकारी देता है. खासतौर पे पहाड़ी या बर्फीले इलाको पे तो बिना मौसम के पूर्वानुमान के एक छोटी यात्रा का आयोजन भी नहीं किया जाता। यह मौसम एप्लीकेशन ऐसे सभी परिवहन करने वाले लोगों को सटीक जानकारी उपलब्ध करवाती है.
हवाई मार्गहवाई यात्रा के लिए तो मौसम, हवा का दबाव, वर्षा, अंधी तूफ़ान, बर्फ़बारी, ऊंचाई का टेम्प्रेचर यह सब जानना अति महत्व्यपूर्ण शर्तें हैं. सभी हवाई अड्डों पर एक Automated Weather Observing System (AWOS) लगा होता है जिसके द्वारा मौसम के सभी प्रकार के पूर्वानुमान और वर्तमान आकलन किये जाते हैं. वह इतना जरूरी है के बिना उसके एक भी फ्लाइट उड़ने की कल्पना भी नहीं की जा सकती.
Wind direction and velocity meter - हवा की दिशा और गति मापने वाला मीटर: यह उपकरण हवा की गति और दिशा को दिखाता है।
Weather Surveillance Radar - मौसम निगरानी रडार: यह रडार वर्षा, ओले या बर्फ जैसी वर्षण को ढूंढने और उसकी गंभीरता को दिखाने में मदद करता है।
घिरा हुआ मौसम विज्ञान बगीचा: इसमें सभी मौसम-मापने वाले उपकरण रखे जाते हैं।
मौसम को मापने का एक संक्षिप्त इतिहास:
जबसे मानव सभ्यता विकसित हुई है तभी से मनुष्य मौसम के बारे में जानने का प्रयास करता रहा है. बहुत पुरानी बात की जाये तो पुराने यूनान और भारत में 400--500 इसा पूर्व में वर्षा को मापने और दर्ज करने के लिए Rain gauges (वर्षा मापक यन्त्र) का भी जिक्र आता है जो कालांतर में व्याकानिको के द्वारा सन्न 1441 में standardized किया गया. इसको कोरिया में Cheugugi कहा गया है.
सन् 1593 में महान गैलेलिओ गलीली ने पानी में अलग अलग भार के glass bulbs डाल कर पहला थर्मामीटर बनाया, फिर उन्ही के शिष्य Evangelista Torricelli ने सन् 1644 में अनुसन्धान करके पहला बैरोमीटर बनाया जिसे के एटमोस्फियरिक प्रेशर नापना शुरू हुआ जो की मौसम के वर्तमान और पूर्वानुमान लगाने के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ.
मॉडर्न ज़माने में फिर अमेरिका के Utah Agricultural College में दुनिया का बीसवां मौसम स्टेशन स्थापित किया गया जहाँ अधिकतम और न्यूनतम तापमान और मौसम मापने की प्रक्रिया शुरू हुई.
और अब इक्कीसवें सदी में यूएसयू में एक सौर ऊर्जा संचालित पर्यावरणीय वेधशाला स्थापित की गई और यह वेधशाला सभी मानक मौसम स्थितियों, सौर विकिरण के पांच घटकों, हवा में कार्बन डाइऑक्साइड, और भूमिगत सात स्थितियों को मापती है और आपको एक रियल टाइम डाटा उपलब्ध करवाती है।
Source: https://www.maussam.com/
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आज दिनांक - 4 अप्रैल 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग
दिन - गुरुवार विक्रम संवत् - 2080 अयन - उत्तरायण ऋतु - वसंत मास - चैत्र पक्ष - कृष्ण तिथि - दशमी शाम 04:14 तक तत्पश्चात एकादशी नक्षत्र - श्रवण रात्रि 08:12 तक तत्पश्चात घनिष्ठा योग - सिद्ध दोपहर 01:16 तक तत्पश्चात साध्य राहु काल - दोपहर 02:14 से दोपहर 03:47 तक सूर्योदय - 06:31 सूर्यास्त - 06:53 दिशा शूल - दक्षिण दिशा में ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:57 से 05:43 तक निशिता मुहूर्त- रात्रि 00.18 अप्रैल 05 से रात्रि 01.04 अप्रैल 05 तक व्रत पर्व विवरण- साँई श्री लीलाशाहजी महाराज प्राकट्य दिवस विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है। पापमोचनी एकादशी एकादशी ४ अप्रैल शाम 04:14 से 5 अप्रैल दोपहर 01:28 तक है । विशेष : व्रत उपवास 5 अप्रैल शुक्रवार को रखा जायेगा । एकादशी व्रत के लाभ एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है । जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है । जो पुण्य गौ-दान, सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है । एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है । धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है । कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है । परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है । पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ । भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है । धर्म के 10 लक्षण
धैर्य -मनुष्य का जो पहला धर्म है, वह अपने धैर्य को कायम रखना है । किसी भी हालत में अपना धैर्य नहीं खोना चाहिए ।
क्षमा : धर्म का दूसरा लक्षण है क्षमा । क्षमा समर्थ पुरुष के भीतर रहती है । किसीने गलती की और हम सोचने लगें कि इसका क्या करें ? तो यह हमारी मजबूरी है । दण्ड देने का सामथ्र्य अपने अन्दर रहने पर भी हम चाहें तो उसको क्षमा कर सकते हैं ।
दम : धर्म का तीसरा लक्षण है दम, अर्थ यही कि उत्तेजना का प्रसंग आने पर भी उत्तेजित नहीं होना । हमें उत्तेजित करनेवाले लोग तो बहुत मिलते हैं, लेकिन हमारे साथ वास्तविक सहृदयता प्रकट करनेवाले बहुत कम हैं ।
अस्तेय : चोरी न करना ।
शौच अर्थात् पवित्रता : हम जब प्रातःकाल उठते हैं । उस समय यदि नित्यकर्म आवश्यक हो, लघुशंका-शौच जाना आवश्यक हो तब तो जायें और न जाना हो तो थोड़ी देर बैठकर उस ब्राह्ममुहूर्त का सदुपयोग करें । सूर्योदय से पहले उठें और उठकर पवित्र चिन्तन करें ।
इन्द्रियनिग्रह : धर्म की छठी भूमिका है इन्द्रियनिग्रह, इन्द्रियों में पर संयम चाहिए । जैसे घोड़े की बागडोर अपने हाथ में रखते हैं, वैसे ही इन्द्रियों की बागडोर हमारे हाथ में होनी चाहिए ।
बुद्धि : धर्म का सातवाँ लक्षण है बुद्धि । एक मनुष्य के लिए यह आवश्यक है कि वह अपनी बुद्धि को छोड़े नहीं ।
विद्या : धर्म का आठवाँ लक्षण है विद्या । बुद्धि ऐसी चीज है जिसको हम लोगों सीख लेते हैं किंतु विद्या बुद्धि से अलग है । जो बात हम अपनी बुद्धि से नहीं जान पाते, उसका ज्ञान देने के लिए विद्या होती है ।
सत्य : धर्म का नौवाँ लक्षण है सत्य । सत्य बोलने में हमारा एक शाश्वत संबंध निहित रहता है ।
अक्रोध : धर्म का १०वाँ लक्षण है अक्रोध अर्थात् क्रोध न करना । हम हमेशा क्रोध में ही रहेंगे यह नियम कोई नहीं ले सकता परंतु अहिंसा का नियम ले तो वह शाश्वत हो सकता है ।
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Fashion की field में हैं Opportunity के कई looks
Fashion, ये word सुनते ही आपके दिमाग में क्या आता है ? सुई, धागा, designing, sketching, etc. और अगर हम बात करें fashion sector की, तब? Almost similar चीज़े, कपड़े design करना और उनको सिलना, बस | लेकिन अगर मैं आप से ये कहूँ कि fashion sector designing और tailoring से कहीं ज्यादा है, तो ? Fashion sector में आप कई ऐसी job roles पाएंगे जिनके लिए आप आसानी से apply कर सकते हैं | इसमें content writing jobs से लेकर teaching तक की jobs आप देख सकते
हैं | Infact, part time jobs के लिए तो companies hire freshers also, तो अगर आप student हैं या fresher हैं तो भी आप इस sector में available job roles के लिए apply कर सकते हैं |
Designer
सबसे पहले सबसे popular role की बात करते हैं, designing, जब हम designing कहते है, तो इसमें हम सिर्फ clothes की ही बात नही कर रहें हैं | इसमें textile (carpet, scarves, drape, towels, dress materials, etc. ), jewellery, footwear, etc. सब की designing शामिल है | एक designer का काम सिर्फ कपड़ो की designing तक नही रहता है, आप और भी चीज़े design करके as a designer अपना career इस field में बना सकते है |
Tailor
अब designing के बाद next हमारे दिमाग में एक ही चीज़ आती है, उसको सिलना और सुन्दर product में बदलना | Tailoring में हम design के according ही dress तैयार करते है, इस process में भी कई अलग अलग चीज़े जैसे material select करना, knitting, sewing, cutting, embroidering etc. शामिल होती है |
Fashion Journalist
Magazines और newspapers में fashion से जुड़ी news और articles तो हम सबने पढ़ा है, लेकिन क्या आपको पता है कि ये भी एक type का journalism है, जिसे हम fashion jaournalism कहते हैं | As a fashion journalist आपका काम fashion industry में हो रहे changes और new trends की reporting करना होता है | Companies इस job role के लिए experience holder और freshers दोनों की ही hiring करतीं हैं |
Teacher
अगर आप fashion sector की अच्छी knowledge रखते हैं, तो ये एक option भी आपके लिए है, इसमें आप private या Government दोनों ही type के colleges में पढ़ा सकते हैं | Fashion technology जैसा subject students के बीच धीरे धीरे और भी popular हो रहा है |
Photographer
Photography हमेशा से fashion industry का एक important part रहा है, ये एक ऐसा medium बना है, जिससे designers अपना design ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पंहुचा पायें हैं | ये photos अलग अलग newspapers और magazines में छपती हैं | अगर आप भी photography की knowledge रखते हैं तो आप starting में freelance photographer की तरह work कर सकते हैं, इस profession में project based work ज्यादा मिलता है, लेकिन हाँ कई बड़ी magazines अपने यहाँ permanent photographers भी hire करती हैं |
Stylist
एक stylist का काम होता है, एक पूरे look को create करना, which means कि dress के साथ कौन सी accessories और footwear जाएगी और model पर वो look अच्छा लग रहा है या नहीं, इसका ध्यान रखना | Fashion houses stylists hire करते हैं so that जो भी photoshoot हो उसमे model का look perfect हो और target audience उस design कि ओर attract हों | कई celebrities भी अपने लिए personal stylists hire करते हैं,जो उनके everyday look style करते हैं |
Content Writer
Content writing कई तरह की होती है, जिसमे से fashion content writing भी एक है, इसमें आप fashion और lifestyle पर articles और blogs लिखते हैं | अगर आप student हैं तो ये एक perfect part time job role हो सकता है | कई magazines content writers को hire करते है, जो fashion और lifestyle पर articles लिख सकें | Content writer और fashion journalist में difference होता है, content writer के work में field visits required नहीं होती हैं, लेकिन एक journalist के लिए field visits जरूरी होती है, जिसमे वो fashion shows की reporting और designers के interview लेता है | वैसे अगर आप चाहें तो इसे work from home job में भी change कर सकते है, आप अपना blog start कर सकते हैं, जिस पर आप fashion related articles लिख सकते हैं |
Retail Sales Person
जैसा कि नाम से ही पता चलता है, कि इसमें products की selling की जाती है | ये work आप किसी brand के showroom में as a sales employee कर सकते हैं | Retail के अन्दर सिर्फ कपड़े ही नहीं, कई चीज़े शामिल होती है और हर product के लिए brands के target set होते हैं |
Fashion industry के साथ ये धारणा जुड़ी हुई है, कि इसमें सिर्फ लडकियों का ही career बन सकता है लेकिन ऐसा नहीं है, ये sector बाकी sectors की तरह gender neutral है और इसमें लड़के और लड़कियां दोनों ही अपना career बना सकते हैं | जरूरत है तो skills, knowledge, और passion की |
और हाँ, Meeत है ना आपके साथ |
#career#jobsearch#uttar pradesh#employment#jobs#lucknow#work#workplace#job search#jobopportunity#companieshiringfreshers
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नमस्ते, Tumblr. मैं Tumblr हूँ. हम Tumblr पर लाइव स्ट्रीमिंग लॉन्च कर रहे हैं और हमने इसका नाम रखा है...Tumblr लाइव.
Tumblr लाइव स्ट्रीमिंग को सीधे डैशबोर्ड पर ले आता है, मतलब कि आपके Tumblr दर्शक और आपके स्ट्रीमिंग दर्शक एक जगह पर मिल सकते हैं. अब आप पूछेंगे कि ये क्या है? तालमेल? वाह.
शुरू में हम अपने Android और iOS ऐप्स के ज़रिये सिर्फ़ US के लिए Tumblr लाइव पेश करने वाले थे. लेकिन अब वह समय आ गया है. इस हफ़्ते हम सभी प्लैटफ़ॉर्म पर (Android, iOS और Web) Tumblr Live को ला रहे हैं.
इसका मतलब है कि अगर आप नीचे दिए किसी भी देश या क्षेत्र में हैं, तो आप स्ट्रीम देख सकेंगे, अपने खुद के Minecraft एडवेंचर स्ट्रीम कर सकेंगे, अपनी मॉर्निंग वॉक, अपने कस्टमाइज़ेशन रिचुअल—या, जो भी कुछ आप स्ट्रीम करना चाहें और दुनिया को बताना चाहें.
ये रही उन देशों की लिस्ट: – ब्राज़ील – कनाडा – यूरोपियन यूनियन – जापान – मलेशिया – मेक्सिको – साउथ कोरिया – तुर्की – यूनाइटेड किंगडम
ये इस तरह काम करता है:
आपके मोबाइल ऐप में आपके डैशबोर्ड के सबसे नीचे ये छोटा सा 🎥 आपको एक Tumblr लाइव टैब पर ले जाएगा, जहाँ आप उन स्ट्रीम को स्क्रोल कर सकेंगे जो उस समय लाइव होंगी—आप अपने डैशबोर्ड में सबसे ऊपर, जहाँ "लाइव" लिखा है, वहाँ भी कुछ लाइव स्ट्रीम देख सकते हैं.
जब तक आप इसे साफ़ रखेंगे, तब तक आप "लाइव हो जाएँ!" बटन को टैप करके अपनी पसंद का कुछ भी स्ट्रीम कर सकते हैं—जैसे कि पार्क में घूम रही बत्तखें, आपका बनाया हुआ अजीब स्नोमैन, आपका शापित क्रॉस स्टिच, वगैरह.
स्ट्रीमिंग फ़्रंट और बैक दोनों कैमरों के साथ काम करती है, इसलिए अगर आप कैमरे पर आने से शर्माते हैं, तो अपना चेहरा दिखाए बिना भी स्ट्रीम कर सकते हैं.
आप अपने सबसे भरोसेमंद और वफ़ादार दर्शकों को बाउंसर स्टेटस दे सकते हैं, जिसका मतलब है कि जिस दौरान आप लाइव हैं उस समय वो किसी भी शैतान के लिए आपको आपकी स्ट्रीम मॉडरेट करने में मदद कर सकते हैं.
आप उनकी स्ट्रीम में कूद पड़ने के लिए किसी भी लाइव अवतार को टैप कर सकते हैं—भले ही आप उस ब्लॉग को फ़ॉलो करते हों या नहीं.
आप स्ट्रीमर को उसकी स्ट्रीम के दौरान छोटे-छोटे गिफ़्ट भेज ��कते हैं अगर आपको उनका काम पसंद आ रहा हो.
आप बाद के लिए एक ख़ास ��ैब में अपने पसंदीदा स्ट्रीमर्स को जमा कर सकते हैं.
अभी के लिए बस इतना ही. ज़रा सोचिए! गेमिंग लाइव स्ट्रीम! बुक क्लब! लाइव फफूँद फ़ीड! D’n’D कैम्पेन! कलाकारों की लाइव चित्रकारी! शार्क से जुड़े तथ्य! GRWMs! कॉसप्ले और कॉन कास्ट! बुनाई का समय! फ़ोटोग्राफ़ी ट्युटोरियल! स्टोरीटाइम! पौधों की देखभाल से जुड़े सुझाव! लिविंग रूम कॉन्सर्ट! Furby वर्कशॉप! म्यूज़ियम की सैर! क्रैब! (सिर्फ़ क्रैब!)
ये पूरा का पूरा एक नया खेल का मैदान है. हम ये देखने के लिए बेक़रार हैं कि आप क्या आइडिया लेकर आते हैं.
तो अब देर किस बात की. शुरू करें अपना अनोखा सफ़र! 💖
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Refrigerator service से करें फ्रिज के शोर को दूर
रेफिजरेटर से शोर आना एक ऐसी समस्या है जो कभी न कभी उन सभी लोगों के सामने आई होगी जो फ्रिज रखते हैं लेकिन refrigerator service सही मिलना आसान नहीं है क्योंकि दिल्ली में आसानी से refrigerator service मिल जाती है लेकिन नोएडा और इससे जुड़े इलाकों refrigerator service in noida में refrigerator service technician का मिलना मुश्किल होता है और जो मिलते हैं उनके चार्ज बहुत होते हैं, ऐसे में हर कोई एक ऐसा refrigerator service expert ढूंढ़ता है जो बजट में फ्रिज की इस समस्या का समाधान कर दे । इसी समस्या को सुलझाने के लिए पूरे नोएडा में एक्टिव हो चुकी है - numberdekho app
इस ऐप का एक ही मकसद है - नोएडा में रह रहे लोगों का जीवन आसान किया जाए क्योंकि आप चाहें नोएडा की किसी भी लोकेशन पर रहते हों, numberdekho ऐप आपकी हर समस्या का समाधान करता है । ये ऐप आपको refrigerator service professional आपकी लोकेशन पर प्रदान करता है । इतना ही नहीं, numberdekho पूरी पारदर्शिता दिखाता है और आपकी समस्या का समाधान करता है । आइए जानते हैं numberdekho ऐप लोगों के लिए क���से काम करता है -
सबसे पहले अपने मोबाइल पर प्लेस्टोर से Numberdekho ऐप डाउनलोड कर लें ।
इसके बाद आपको स��इन-इन का विकल्प दिखेगा, उसे क्लिक करें ।
इसके बाद आपसे आपका मोबाइल नंबर पूछा जाएगा, जैसे ही आप मोबाइल नंबर डालते हैं, आपके फोन में एक OTP आ जाएगा ।
उस OTP को आप फोन में डाल दीजिए, आप numberdekho ऐप पर साइन-इन हो जाएंगे ।
आपके सामने हर सर्विस के लिए अलग-अलग सर्विस विकल्प आ जाएंगे ।
आपको फ्रिज सर्विस के विकल्प पर क्लिक करना है, जैसे ही आप क्लिक करते हैं आपके सामने बहुत सारे refrigerator service provider के फोन नंबर, लोकेशन उनकी फोटो के साथ आ जाएंगे ।
Numberdekho आपके सामने सबसे पहले केवल उन refrigerator service professional को दिखाता है जो आपके सबसे नज़दीक nearest refrigerator service मौजूद होते हैं ।
इसके द्वारा आप refrigerator service expert को अपनी लोकेशन बता सकते हैं, जिससे आप दूरी का चार्ज और विजिट चार्ज कम करवा सकते हैं क्योंकि आपके पास उसकी लोकेशन होती है, आपको पता है वो कहां से आ रहा है ।
इसके अलावा आप पहले 2 या 3 refrigerator service technician से बात करके सर्विस रेट का पता भी लगा सकते हैं, इससे आपको ये पता चल जाता है कि फिलहाल फ्रिज सर्विस का मार्केट में क्या रेट चल रहा है ।
Numberdekho से फ्रिज सर्विस बुक करने का एक फायदा आपको ये भी मिलता है कि इसमें फ्रिज सर्विस वालों का दाम पहले से तय नहीं होता और न ही बीच में कोई बिचौलिया होता है । आप fridge repair expert को फोन करके सीधा अपने हिसाब से मोल-भाव कर सकते हैं ।
Numberdekho ऐप से ये फायदा भी होता है कि आप अपने तय किए दिन, वक्त और अपनी सुविधा के अनुसार fridge service को बुला सकते हैं, वो आपके तय किए गए समय पर ही आएगा ।
आइए अब जानते हैं कि फ्रिज में शोर या आवाज़ आने की वजह को कैसे दूर करें -
वॉल्टेज न मिल पाना
वॉल्टेज की कमी इसका एक बड़ा कारण हो सकती है । अगर आपके फ्रिज को सही वॉल्टेज नहीं मिलता है तो वो शोर या आवाज़ करता ही है । इससे रेफ्रिजरेटर को नुकसान भी होता है क्योंकि वो अपनी क्षमता अनुसार कूलिंग नहीं कर पाता क्योंकि रेफ्रीजरेटर का कंप्रैसर ऑन ही नहीं हो पाता । इसके लिए आपको numberdekho के refrigerator expert की ज़रूरत है, जो फ्रिज और बिजली के बीच तालमेल बैठा सके और आपको फ्रिज के लिए सही वॉल्टेज दिला सके ।
लोड शेडिंग होना
जब बिजली रूक-रूक कर आती है या चालू-बंद होती है, तो उसे लोड शेडिंग कहा जाता है । ऐसे में रेफ्रीजरेटर की कूलिंग प्रभावित होती है और एक ��क्त के बाद वो आवाज़ करने लगता है । ये एक गंभीर समस्या है, इसके लिए numberdekho ऐप से refrigerator professional को बुक करें ।
लूज़ कनेक्शन
रेफ्रीजरेटर में कभी-कभी कनेक्शन लूज़ हो जाता है और जिसकी वजह से फ्रीज आवाज़ करने लगता है क्योंकि कनेक्शन ढीला होने से फ्रीज के ओवरलोड प्रोटेक्टर को भारी नुकसान हो जाता है । इसलिए अपका कनेक्शन एक बार refrigerator technician से चैक करवाइए ।
कूलिंग कॉयल में ज़्यादा बर्फ का जमा होना
ये भी ध्यान रखिए कि जब कूलिंग कॉयल में ज़्यादा बर्फ जमा हो जाती है, तब भी फ्रिज में शोर या आवाज़ आना शुरू हो जाती है । इसलिए इस बात का ध्यान रहे कि फ्रिज का तापमान मौसम के अनुकूल सेट हो । इस समस्या के समाधान के लिए अपने नज़दीकी refrigerator professional से इसकी जांच करवाएं ।
कंप्रैसर की गलत फीटिंग होना
अगर रेफ्रीजरेटर में कंप्रैसर की फीटिंग गलत है या ठीक से सेट नहीं है, तब भी फ्रिज आवाज़ करता है । इसलिए numberdekho से nearby refrigerator provider बुक करें और कंप्रैसर की फीटिंग की जांच करवाएं ।
रबर मैट के ऊपर रखें फ्रिज
आपको शायद ये सुनकर हैरानी होगी लेकिन कईं लोग ये गलती करते हैं । लोग फ्रिज को अक्सर लाकर ज़मीन पर ही रख देते हैं, थोड़े ही समय बाद उसमें से आवाज़ आने लगती है इसलिए अपने फ्रिज को हमेशा एक रबर मैट के ऊपर रखें, जिससे ये समस्या न हो ।
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सतगुरु देव की जय हो बंदीछोड़ सतगुरु रामपाल जी की जय हो प्रभु सत्गुरु रूप में मिले जीवन धन्य हुआ
जिन भाईयों को हमारा नंबर चाहिए है वो सभी भाई कमेंट में बात करने का कारण लिखकर कमेंट में अपना नंबर छोड़ दें कारण स्पष्ट हुआ तो हम खुद फोन पर बात कर लेंगे अन्यथा सुमिरन करते रहे सब अपने आप ज्ञात हो जाता है जो जानना चाहते हैं सुमिरन सब बताता है क्योंकि नाम रूप में परमात्मा ही आपके साथ रहते हैं जब चाहें परमात्मा को याद करो और अपने सवालों के जवाब शरीर के अंदर चल रहे इंटरनेट रूपी परमात्मा से बस सुमिरन की आईडी संतसंग का पासवर्ड डालो और प्राप्त करें । अभ्यास से यही सब फिर बाहर घटित होता है, अंदर बाहर एक ही स्थिति बनी रहती है विचलन समाप्त हो जाती है जितना मजबूत ध्यान होगा जैसे मोबाइल में इंटरनेट पर लगता है मजबूती से और परमात्मा के वचनों को ढूंढ लेते हैं ठीक उसी तरह मनुष्य रूप मोबाइल में इंटरनेट हमेशा आन रहता है उसके लिए आइडी नाम मंत्र की पासवर्ड तत्वज्ञान संतसंग की जरूरत पड़ती है अपने अंत:करण में स्थित परमात्मा रूपी इंटरनेट से हर सवाल का जवाब मिलता है प्रयोग करें और चमत्कार देखें
क्योंकि परमात्मा कहते हैं ये दुनिया हम ही है आप तो बस उसमें स्थित हो कर अपनी इच्छा पूरी करते हैं और हमें भूल कर इच्छा रूपी काल में चलें जातें और वो एक चक्र है जिसे समय भी कहते हैं फिर वहां से आप कभी नहीं निकल पाते हैं तब हमें स्वयं आना पड़ता आपको निकालने जो निकलने के लिए जो तैयार हो जाता है उसे हम अपना आइडी नाम मंत्र देते हैं पासवर्ड संतसंग बनाते हैं और आपको देते हैं जो आइडी पासवर्ड का इस्तेमाल करके यहां से निकल जाते हैं आप क्या कर रहे आप अच्छे से जानते हैं अगर आपको यहां काल चक्र से निकलने का रास्त��� नहीं मिला है तो एक बार संत रामपाल जी महाराज का आइडी पासवर्ड इस्तेमाल करके अवश्य देखें मार्ग भी मिलेगा और निकलेंगे भी मेरा अनुभव जीवन का जीवन ज्ञान #जीवन_शिक्षा #मेरे_गुरू_जी #SpiritualSaintRampalJi #facebookpost #saintrampalji_truesaint #SpiritualLeaderSaintRampalJi #sanewschannel
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कोरोना वायरस: प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों ने कहा- मैं हर समय उपलब्ध, जब चाहें तब करें बात
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कोरोना वायरस: प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों ने कहा- मैं हर समय उपलब्ध, जब चाहें तब करें बात
नई दिल्ली. भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus) संकट से निपटने के लिये जारी कोशिशों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने शनिवार को राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये चर्चा की. प्रधानमंत्री इस दौरान मुख्य रूप से मुख्यमंत्रियों से उनकी राय ले रहे थे कि संक्रमण को रोकने के लिये 21 दिनों के देशव्यापी ��ॉकडाउन को 14 अप्रैल से आगे बढ़ाया जाए या नहीं.
बैठक की प्रारंभिक तस्वीरों में प्रधानमंत्री मोदी संवाद के दौरान सफेद मास्क पहन कर मुख्यमंत्रियों के साथ चर्चा करते नजर आ रहे थे. संवाद में शामिल मुख्यमंत्रियों में पंजाब के कैप्टन अमरिंदर सिंह, पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी, महाराष्ट्र के उद्धव ठाकरे, उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ, हरियाणा के मनोहर लाल, तेलंगाना के के. चंद्रशेखर राव, बिहार के नीतीश कुमार आदि थे.
इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैं 24×7 उपलब्ध हूं. कोई भी मुख्यमंत्री मुझसे बात कर सकता है और सुझाव दे सकता है (COVID-19 पर) कभी भी. हमें कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होना चाहिए.’ समझा जाता है कि केंद्र सरकार ने इस महामारी को फैलने से रोकने के प्रयासों में शामिल सभी पक्षकारों और संबंधित एजेंसियों के विचार प्राप्त कर लिये हैं. प्रधानमंत्री के साथ राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक सुबह 11 बजे शुरू हुई. ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि केंद्र सरकार कुछ छूट के साथ देशव्यापी लॉकडाउन को बढ़ा सकती है. पंजाब और ओडिशा ने पहले ही 14 अप्रैल के बाद लॉकडाउन को आगे बढ़ाने का फैसला किया है.
पंजाब,छत्तीसगढ़, दिल्ली के सीएम ने दिये यह सुझावइस दौरान पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री की बातचीत में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की अवधि बढ़ाए जाने का सुझाव दिया. बैठक में सिंह ने मोदी को बंद को बढ़ाने का सुझाव दिया साथ ही साथ पंजाब के लोगों के लिए स्वास्थ्य और राहत संबंधी कई उपाय भी सुझाए. उन्होंने कहा कि संक्रमण के मामलों की दर अभी अनिश्चि��� है और देश को इससे पार पाने के लिए लंबी लड़ाई लड़नी है. चीन और कई यूरोपीय देशों की हालत को देखते हुए बंद बढ़ाने की जरूरत है. उन्होंने बैठक में बताया कि पंजाब सरकार ने एक मई तक कर्फ्यू लगाने अथवा पूरी तरह बंद लागू करने का पहले ही निर्णय ले लिया है. सभी शिक्षण संस्थान 30 जून तक बंद रहेंगे. उन्होंने बताया कि राज्य की बोर्ड परीक्षाएं भी अगले आदेश तक के लिए टाल दी गईं हैं.
वहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया है कि राज्य की सीमा के भीतर आर्थिक गतिविधियां संचालित करने की अनुमति दी जाए. इसके साथ ही दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुख्यमंत्रियों के साथ बातचीत में शनिवार को सुझाव दिया कि देशभर में लागू किए गए लॉकडाउन की अवधि 30 अप्रैल तक बढ़ाई जानी चाहिए. सूत्रों ��े बताया कि केजरीवाल का मानना है कि 14 अप्रैल तक के लिए लागू 21 दिवसीय बंद की अवधि केवल दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे देश में बढ़ाई जानी चाहिए. सूत्रों ने बताया कि केजरीवाल ने प्रधानमंत्री के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत में कहा, ‘केवल दिल्ली में बंद की अवधि बढ़ाने से कोई फायदा नहीं होगा.’
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों से विभिन्न आयामों को लेकर विचार मांगे हैं जिसमें यह पूछा गया है कि क्या कुछ अन्य श्रेणियों के लोगों और सेवाओं को छूट दिये जाने की जरूरत है. वर्तमान लॉकडाउन में केवल आवश्यक सेवाओं को छूट दी गई है. लॉकडाउन लागू होने के बाद यह दूसरा अवसर है जब प्रधानमंत्री इस विषय पर मुख्यमंत्रियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये संवाद कर रहे हैं.
इससे पहले 2 अप्रैल को मुख्यमंत्रियों के साथ संवाद के दौरान मोदी ने उनसे लॉकडाउन से ‘क्रमवार’ तरीके से बाहर आने बारे में सुझाव मांगा था. विभिन्न राज्यों के रिपोर्ट के आधार पर पीटीआई के आंकड़ों के अनुसार, गुरूवार को रात 9.30 बजे देशभर में कोरोना वायरस से 7510 लोग संक्रमित हुए हैं जबकि इसके कारण 251 लोगों की मौत हो चुकी है और 700 लोगों को उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई है.
हर व्यक्ति के जीवन को बचाना सरकार की प्राथमिक स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, कोरोना वायरस के संक्रमण के 7447 मामले सामने आए हैं और इसके कारण 239 लोगों की मौत हो चुकी है. मोदी ने बुधवार को लोकसभा एवं राज्यसभा में विपक्ष समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से कहा था कि कोरोना वायरस के कारण लागू देशव्यापी लॉकडाउन एक बार में नहीं हटाया जायेगा. उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि हर व्यक्ति के जीवन को बचाना उनकी सरकार की प्राथमिकता है.
अधिकारिक बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री ने कहा था कि कई राज्य, जिला प्रशासन और विशेषज्ञों ने वायरस को फैलने से रोकने के लिये लॉकडाउन को बढ़ाने का सुझाव दिया है. उन्होंने कहा था कि देश में स्थिति ‘सामाजिक आपातकाल’ जैसी है और कड़े निर्णय लेने की जरूरत है.
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#Today may be decison on lockdown part two Due to coronavirus PM narendra Modi will communicate with states CM | कोरोना वायरस: प्रधानमंत्री न#जब चाहें तब करें बात#News
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Premature ejaculation, Sheeghrapatan, Sexologist Doctor Vinod Raina
अवलोकन (Overview)
शीघ्रपतन (Premature ejaculation) तब होता है जब एक पुरुष संभोग के दौरान जल्द ही स्खलन करता है, जबकि वह या उसका साथी चाहेंगे। शीघ्रपतन एक आम यौन शिकायत है। अनुमान अलग-अलग होते हैं, लेकिन 3 में से 1 पुरुष कहते हैं कि वे कुछ समय में इस समस्या का अनुभव करते हैं।
जब तक यह बार-बार होता है, यह चिंता का कारण नहीं है। हालाँकि, यदि आपको समय से पहले स्खलन हुआ है, तो आपको इसका निदान किया जा सकता है:
• प्रवेश के एक मिनट के भीतर हमेशा या लगभग हमेशा स्खलन
• संभोग के दौरान या लगभग सभी समय स्खलन में देरी करने में असमर्थ हैं
• व्यथित और निराश महसूस करें, और परिणामस्वरूप यौन अंतरंगता से बचें
मनोवैज्ञानिक और जैविक दोनों कारक शीघ्रपतन (Premature ejaculation) में भूमिका निभा सकते हैं। हालांकि कई पुरुषों को इसके बारे में बात करने में शर्मिंदगी महसूस होती है, लेकिन शीघ्रपतन (Premature ejaculation) ��क सामान्य और उपचार योग्य स्थिति है। दवाएं, परामर्श और यौन तकनीकें जो स्खलन में देरी करती हैं - या इनमें से एक संयोजन - आपके और आपके साथी के लिए सेक्स को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।
लक्षण (Symptoms)
समय से पहले स्खलन का मुख्य लक्षण पैठ के बाद एक मिनट से अधिक समय तक स्खलन में देरी करने में असमर्थता है। हालाँकि, समस्या सभी यौन स्थितियों में हो सकती है, हस्तमैथुन के दौरान भी।
शीघ्रपतन (Premature ejaculation) को इस प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है:
• आजीवन (प्राथमिक)। आजीवन समय से पहले स्खलन आपके पहले यौन मुठभेड़ों के साथ शुरू होने वाले सभी या लगभग सभी समय होता है।
• अधिग्रहित (द्वितीयक)। आपके द्वारा पूर्व यौन समस्याओं के बिना पिछले यौन अनुभव होने के बाद, शीघ्रपतन का विकास होता है।
कई पुरुषों को लगता है कि उनके पास शीघ्रपतन के लक्षण हैं, लेकिन लक्षण शीघ्रपतन (Premature ejaculation) के लिए नैदानिक मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं। इसके बजाय इन पुरुषों में प्राकृतिक चर शीघ्रपतन हो सकता है, जिसमें तेजी से स्खलन के साथ-साथ सामान्य स्खलन की अवधि भी शामिल है।
डॉक्टर को कब देखना है (Whether to see a Physician)
अपने डॉक्टर के साथ बात करें यदि आप सबसे यौन मुठभेड़ों के दौरान जितनी जल्दी चाहें, उतनी ही शीघ्रता से स्खलन करें। पुरुषों के लिए यौन स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं पर चर्चा करने में शर्मिंदगी महसूस करना आम है, लेकिन ऐसा न हो कि आप अपने डॉक्टर से बात करते रहें। शीघ्रपतन एक आम और उपचार योग्य समस्या है।
कुछ पुरुषों के लिए, डॉक्टर के साथ बातचीत से शीघ्रपतन (Premature ejaculation) के बारे में चिंताओं को कम करने में मदद मिल सकती है। उदाहरण के लिए, यह सुनने के लिए आश्वस्त हो सकता है कि कभी-कभी शीघ्रपतन (Premature ejaculation) सामान्य है और यह कि संभोग की शुरुआत से लेकर स्खलन तक का औसत समय लगभग पांच मिनट है।
कारण (Causes)
शीघ्रपतन (Premature ejaculation) का सही कारण ज्ञात नहीं है। हालांकि यह एक बार केवल मनोवैज्ञानिक होने के लिए सोचा गया था, अब डॉक्टरों को पता है कि शीघ्रपतन (Premature ejaculation) मनोवैज्ञानिक और जैविक कारकों की एक जटिल बातचीत शामिल है।
मनोवैज्ञानिक कारण (Psychological factors )
भूमिका निभाने वाले मनोवैज्ञानिक कारकों में शामिल हैं:
• शुरुआती यौन अनुभव
• यौन शोषण
• खराब शरीर की छवि
• डिप्रेशन
• शीघ्रपतन के बारे में चिंता करना
• दोषी भावनाएँ जो यौन मुठभेड़ों के माध्यम से आपकी प्रवृत्ति को बढ़ाती हैं
भूमिका निभाने वाले अन्य कारकों में शामिल हैं:
• नपुंसकता। (erectile dysfunction) जो पुरुष संभोग के दौरान इरेक्शन प्राप्त करने या बनाए रखने के बारे में चिंतित हैं, वे स्खलन के लिए जल्दबाजी का एक पैटर्न बना सकते हैं, जिसे बदलना मुश्किल हो सकता है।
• चिंता। शीघ्रपतन वाले कई पुरुषों में भी चिंता की समस्या होती है - या तो विशेष रूप से यौन प्रदर्शन के बारे में या अन्य मुद्दों से संबंधित।
• रिश्ते की समस्याएं। यदि आपने अन्य ��ागीदारों के साथ यौन संबंधों को संतुष्ट किया है, जिसमें समय से पहले स्खलन पूरी तरह से हुआ है या बिल्कुल नहीं हुआ है, तो संभव है कि आपके और आपके वर्तमान साथी के बीच पारस्परिक समस्या समस्या में योगदान दे रही हो।
जैविक कारण (Traditional Causes)
कई जैविक कारक शीघ्रपतन में योगदान कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
• असामान्य हार्मोन का स्तर
• मस्तिष्क रसायनों के असामान्य स्तर को न्यूरोट्रांसमीटर कहा जाता है
• प्रोस्टेट या मूत्रमार्ग की सूजन और संक्रमण
• विरासत के लक्षण
जोखिम (Danger factors)
विभिन्न कारक शीघ्रपतन के आपके जोखिम को बढ़ा सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
• नपुंसकता। (erectile dysfunction) यदि आपको कभी-कभी या लगातार इरेक्शन होने या बनाए रखने में परेशानी होती है, तो आपको शीघ्रपतन का खतरा बढ़ सकता है। अपने इरेक्शन को खोने के डर से आप संभोग या अनजाने में यौन मुठभेड़ों के माध्यम से जल्दी कर सकते हैं।
• तनाव। आपके जीवन के किसी भी क्षेत्र में भावनात्मक या मानसिक तनाव यौन स्खलन के दौरान आराम करने और ध्यान केंद्रित करने की आपकी क्षमता को सीमित करते हुए, शीघ्रपतन में भूमिका निभा सकता है।
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Gunjan Saxena Movie Download 720p Hd 480pHd
Gunjan Saxena
Quality : WEB-DL
Resolution : 1080p, 720p, 480p
IMDb : / 10
Release Date :
Directors : N/A
Genres : Action, Biography | Drama| Netflix Exclusive
Stars :
Language : Hindi

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Gunjan Saxena: The Kargil Girl 2020 की एक Indian Hindi-language biographical film है जिसे की direct किया गया है Sharan Sharma जी के द्वारा और वहीँ इसे produce किया गया है Dharma Productions और Zee Studios के अंतर्गत.
इस film के stars में शमिल हैं Janhvi Kapoor वो भी Indian Air Force pilot Gunjan Saxena के भूमिका में, जो की भारत की पहली Indian female air-force pilot भी हैं combat में, वहीँ उनका साथ दिया है Pankaj Tripathi और Angad Bedi ने supporting roles में.
इस film को announce किया गया था 26 December 2018 को जिसमें की Jhanvi ने अपनी first look share किया था. Principal photography commenced को बाद में October के महीने में शुरू किया गया. फिल्म को ज्यादातर Lucknow में ही shoot किया गया है. Netflix ने इसकी distribution rights को खरीद लिया था और इसे दुनिभर में stream करने वाला है. Gunjan Saxena को Netflix के platform में 12 August 2020 को stream किया जायेगा.
अनुक्रम छुपाएँ
1. Gunjan Saxena Movie Download Filmyzilla Leaked Online in HD Quality
2. Gunjan Saxena Netflix Trailer
3. Gunjan Saxena Movie Release Date and Time
4. Gunjan Saxena Story
5. Gunjan Saxena Film Cast
Gunjan Saxena Movie Download Filmyzilla Leaked Online in HD Quality

Gunjan Saxena Download : गुंजन सक्सेना – द कारगिल गर्��, एक नेटफ्लिक्स मूल फिल्म है, जो दंगल के सह-लेखक निखिल मेहरोत्रा द्वारा निर्देशित है और पहली फिल्म शरण शर्मा द्वारा निर्देशित है, निश्चित रूप से अतिरिक्त-प्रधान बॉलीवुड से उभरने के लिए बेहतर सच्ची कहानियों में से एक है.
इसके टेक ऑफ सुचारू हैं और इसकी लैंडिंग स्थिर है. यह अपने हाथ को ओवरप्ले करने के लिए औसत करता है क्योंकि यह नायक के जीवन में बड़े और छोटे संघर्षों को चित्रित करता है. यह भावनात्मक रूप से सच है.
गुंजन सक्सेना – द कारगिल गर्ल सभी ड्रामा को डिस्टर्ब कर देती है कि यह एक करियर से बाहर हो सकता है कि वास्तव में एक श्रमसाध्य पीस था. गुंजन सक्सेना (जान्हवी कपूर) सभी दशकों के पूर्वाग्रह के सामने उड़ने और नई जमीन तोड़ने के बाद थी.
Gunjan Saxena Netflix Trailer
यहाँ पर आप Gunjan Saxena Download Worldfree4u की Trailer को online देख सकते हैं.

कुछ लोकप्रिय फिल्म्स जैसे की Detective Byomkesh Bakshy, Sonchiriya, Dil Bechara, Pareeksha, Shakuntala Devi, Bandish Bandits, Yaara, Lootcase इत्यादि भी इसके सिकार हो चुके है.
Gunjan Saxena Movie Release Date and Time
Gunjan Saxena को 12 August 2020 at 09:00 am IST को release कर दिया है worldwide में. वहीँ यदि आपके पास Netflix की Subscription मेह्जुद हैं तब आप इसे Online Stream कर देख सकते हैं. वहीँ इसे आप चाहें तो Download भी कर सकते हैं अपने Mobile या Computer में.
Gunjan Saxena Story
Gunjan Saxena की कहानी की बात करें तब, जान्हवी कपूर ने गुंजन सक्सेना: परम कारगिल गर्ल, भारतीय वायु सेना की पहली महिला लड़ाकू पायलट की बायोपिक में बुधवार को नेटफ्लिक्स पर काम किया. यह उड़ी के रूप में उतने ही चालाक नहीं है: सर्जिकल स्ट्राइक, लेकिन ताज़ा तौर पर, न तो इसकी राजनीति समस्याग्रस्त है.
गुंजन सक्सेना उस अति-राष्ट्रवाद की सदस्यता नहीं लेते हैं, जो हाल ही में भारतीय युद्ध फिल्मों ने इतने गर्व से अपने सीने पर पहना है. इसके बजाय, निर्देशक शरण शर्मा ने पूरी तरह से अलग, लेकिन समान रूप से कांटेदार विषय का पता लगाने के लिए चुना है: नारीवाद.
Gunjan Saxena Film Cast
चलिए अब जानते हैं Gunjan Saxena Web Movie की पूरी Cast क्या हैं.
MovieGunjan SaxenaArtistsJanhvi Kapoor | Pankaj Tripathi | Angad BediDirectorSharan SharmaMovie TypeBiographical | Inspirational | Drama
गुंजन अपनी ���्पष्ट प्रतिभाओं के बावजूद कष्ट सहती है, लेकिन वह अपने कौशल को धैर्यपूर्वक विकसित करती है, जब तक कि उसे युद्ध में अपनी शक्तियों को प्राप्त करने के लिए नहीं बुलाया जाता है. गुंजन को किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में लिखकर, जिसका पहला प्यार उनके देश की सेवा नहीं है, लेकिन उड़ान, शर्मा उबेर-देशभक्ति युद्ध फिल्मों पर एक नया दृष्टिकोण प्रदान करता है.
यह गति का एक स्वागत योग्य परिवर्तन है, विशेष रूप से भारत में, जहां युद्ध फिल्मों के लिए बेंचमार्क जेपी दत्ता की फिल्मोग्राफी द्वारा निर्धारित किया जाता है.
बॉलीवुड बायोपिक्स में ज़्यादा गरम फिक्शन में बदलने की प्रवृत्ति है. यह ने नहीं है. इसका कारण फिल्म के पाठ में विनीत रूप से लिखा गया है. एक प्रमुख दृश्य में, गुंजन ने स्वीकार किया कि वह केवल वायु सेना में शामिल हो रही है क्योंकि उसे उड़ना पसंद है और देशभक्ति के आग्रह के कारण नहीं.
“मुझे आशा है कि मैं अपने सपने को पूरा करने की कोशिश में गद्दार नहीं बन रही हूँ,” वह अपने पिता से पूछती है. वायु सेना, लेफ्टिनेंट कर्नल ने जवाब दिया, ऐसे कैडेट्स की जरूरत नहीं है जो भारत माता की जय के नारे लगाते हैं लेकिन जोशीले कार्मिक हैं जो ईमानदारी के साथ अपना काम करते हैं.
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लेखक - डॉ शंकर शरण जी , प्राध्यापक राजनीति शास्त्र
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नाथूराम गोडसे के नाम, और उनके एक काम, के अतिरिक्त लोग उन के बारे में कुछ नहीं जानते। एक लोकतांत्रिक देश में यह कुछ रहस्यमय बात है। रहस्य का आरंभ 8 नवंबर 1948 को ही हो गया था, जब गाँधी��ी की हत्या के लिए चले मुकदमे में गोडसे द्वारा दिए गए बयान को प्रकाशित करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। गोडसे का बयान लोग जानें, इस पर प्रतिबंध क्यों लगा?
इस का कुछ अनुमान जस्टिस जी. डी. खोसला, जो गोडसे मुकदमे की सुनवाई के एक जज थे, की टिप्पणी से मिल सकता है। अदालत में गोडसे ने अपनी बात पाँच घंटे लंबे वक्तव्य के रूप में रखी थी, जो 90 पृष्ठों का था। जब गोडसे ने बोलना समाप्त किया तब का दृश्य जस्टिस खोसला के शब्दों में,
“सुनने वाले स्तब्ध और विचलित थे। एक गहरा सन्नाटा था, जब उसने बोलना बंद किया। महिलाओं की आँखों में आँसू थे और पुरुष भी खाँसते हुए रुमाल ढूँढ रहे थे।…
मुझे कोई संदेह नहीं है, कि यदि उस दिन अदालत में उपस्थित लोगों की जूरी बनाई जाती और गोडसे पर फैसला देने कहा जाता तो उन्होंने भारी बहुमत से गोडसे के ‘निर्दोष’ होने का फैसला दिया होता।”
( द मर्डर ऑफ महात्मा एन्ड अदर केसेज फ्रॉम ए जजेज नोटबुक , पृ. 305-06)
यही नहीं, तब देश के कानून मंत्री डॉ. अंबेडकर थे। उन्होंने गोडसे के वकील को संदेश भेजा कि यदि गोडसे चाहें तो वे उन की सजा आजीवन कारावास में बदलवा सकते हैं। गाँधीजी वाली अहिंसा दलील के सहारे यह करवाना सरल था।
किंतु गोडसे ने आग्रह पूर्वक मना कर, उलटे डॉ. अंबेदकर को लौटती संदेश यह दिया,
“कृपया सुनिश्चित करें कि मुझ पर कोई दया न की जाए। मैं अपने माध्यम से यह दिखाना चाहता हूँ कि गाँधी की अहिंसा को फाँसी पर लटकाया जा रहा है।”
गोडसे का यह कथन कितना लोमहर्षक सच साबित हुआ, यह भी यहाँ इतने निकट इतिहास का एक छिपाया गया तथ्य है!
गाँधीजी की हत्या के बाद गाँधी समर्थकों ने बड़े पैमाने पर गोडसे की जाति-समुदाय की हत्याएं की। गाँधी पर लिखी, छपी सैकड़ों जीवनियों में कहीं यह तथ्य नहीं मिलता कि कितने चितपावन ब्राह्मणों को गाँधीवीदियों ने मार डाला था।
31 दिसंबर 1948 के न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित समाचार के अनुसार, केवल बंबई में गाँधीजी की हत्या वाले एक दिन में ही 15 लोगों को मार डाला गया था। पुणे के स्थानीय लोग आज भी जानते हैं कि वहाँ उस दिन कम से कम 50 लोगों को मार डाला गया था। कई जगह हिंदू महासभा के दफ्तरों को आग लगाई गई। चितपावन ब्राह्मणों पर शोध करने वाली अमेरिकी अध्येता मौरीन पैटरसन ने ��िखा है कि सबसे अधिक हिंसा बंबई, पुणे, नागपुर आदि नहीं, बल्कि सतारा, बेलगाम और कोल्हापुर में हुई। तब भी सामुदायिक हिंसा की रिपोर्टिंग पर कड़ा नियंत्रण था। अतः, मौरीन के अनुसार, उन हत्याओं के दशकों बीत जाने बाद भी उन्हें उन पुलिस फाइलों को देखने नहीं दिया गया, जो 30 जनवरी 1948 के बाद चितपावन ब्राह्मणों की हत्याओं से संबंधित थीं।
इस प्रकार, उस ‘गाँधीवादी हिंसा’ का कोई हिसाब अब तक सामने नहीं आने दिया गया है, जिस में असंख्य निर्दोष चितपावन ब्राह्मणों को इसलिए मार डाला गया था क्योंकि गोडसे उसी जाति के थे। निस्संदेह, राजनीतिक जीवन में गाँधीजी के कथित अहिंसा सिद्धांत के भोंडेपन का यह एक व्यंग्यात्मक प्रमाण था! चाहे, कांग्रेसी शासन और वामपंथी बौद्धिकों ने इन तथ्यों को छिपाकर अपना राजनीतिक उल्लू सीधा किया।
कडवा सच तो यह है कि गोडसे ने गाँधीजी की हत्या करके उन्हें वह महानता प्रदान करने में केंद्रीय भूमिका निभाई, जो सामान्य मृत्यु से उन्हें मिलने वाली नहीं थी। स्वतंत्रता से ठीक पूर्व और बाद देश में गाँधी का आदर कितना कम हो गया था, यह 1946-48 के अखबारों के पन्नों को पलट कर सरलता से देख सकते हैं। नोआखली में गाँधी के रास्ते में पर लोगों ने टूटे काँच बिछा दिए थे। ऐसी वितृष्णा अकारण न थी। देश विभाजन रोकने के लिए गाँधी ने अनशन नहीं किया, और अपना वचन (‘विभाजन मेरी लाश पर होगा’) तोड़ा, यह तो केवल एक बात थी।
पश्चिमी पंजाब से आने वाले हजारों हिंदू-सिखों को उलटे जली-कटी सुनाकर गाँधी उनके घावों पर नमक छिड़कते रहते थे। दिल्ली की दैनिक प्रार्थना-सभा में गाँधी उन अभागों को ताने देते थे, कि वे जान बचाकर यहाँ क्यों चले आये, वहीं रहकर मर जाते तो अहिंसा की विजय होती, आदि। फिर, विभाजन रोकने या पाकिस्तान में हिंदू-सिखों की जान को तो गाँधीजी ने अनशन नहीं किया; किन्तु भारत पाकिस्तान को 55 करोड़ रूपये दे, इसके लिए गाँधीजी ने जनवरी 1948 में अनशन किया था! तब कश्मीर पर पाकिस्तानी हमला जारी था, और गाँधीजी के अनशन से झुककर भारत सरकार ने वह रकम पाकिस्तान को दी। यह विश्व-इतिहास में पहली घटना थी जब किसी आक्रमित देश ने आक्रमणकारी को, यानी अपने ही विरुद्ध युद्ध को वित्तीय सहायता दी!
गोडसे द्वारा गाँधीजी को दंड देने के निश्चय में उस अनशन ने निर्णायक भूमिका अदा की। तब देश में लाखों लोग गाँधीजी को नित्य कोस रहे थे। पाकिस्तान से जान बचाकर भागे हिन्दू-सिख गाँधी से घृणा करते थे। वही स्थिति कश्मीरी और बंगाली हिन्दुओं की थी। ‘हिंद पॉकेट बुक्स’ के य��स्वी संस्थापक दीनानाथ मल्होत्रा ने अपनी संस्मरण पुस्तक ‘भूली नहीं जो यादें’ (पृ. 168) में उल्लेख किया है कि जब गाँधीजी की हत्या की पहली खबर आई, तो सब ने स्वतः मान लिया कि किसी पंजाबी ने ही उन्हें मारा।
फिर, उन लाखों बेघरों, शरणार्थियों के सिवा पाकिस्तान में हिन्दुओ का जो कत्लेआम हुआ, और जबरन धर्मांतरण कराए गए, उस पर भारत में दुःख, आक्रोश और सहज सहानुभूति थी। यह सब गाँधीजी के प्रति क्षोभ में भी व्यक्त होता था। विशेषकर तब, जब वे पंजाबी हिन्दुओं, सिखों को सामूहिक रूप से मर जाने का उपदेश देते हुए यहाँ मुसलमानों (जो वैसे भी असंगठित, अरक्षित, भयाक्रांत नहीं थे जैसे पाकिस्तान में हिन्दू थे। नहीं तो वे यहीं रह न सके होते) और उनकी संपत्ति की रक्षा के लिए सरकार पर कठोर दबाव बनाए हुए थे।
इस तरह, दुर्बल को अपने हाल पर छोड़ कर गाँधी सबल की रक्षा में व्यस्त थे! यह पूरे देश के सामने तब आइने की तरह स्पष्ट था।
अतः उस समय की संपूर्ण परिस्थिति का अवलोकन करते हुए यह बात वृथा नहीं कि, यदि गाँधीजी प्राकृतिक मृत्यु पाते, तो आज उन का स्थान भारतीय लोकस्मृति में बालगंगाधार तिलक, जयप्रकाश नारायण, आदि महापुरुषों जैसा ही कुछ रहा होता। तीन दशक तक गाँधी की भारतीय राजनीति में अनगिनत बड़ी-बड़ी विफलताएं जमा हो चुकी थीं। खलीफत-समर्थन से लेकर देश-विभाजन तक, मुस्लिमों को ‘ब्लैंक चेक’ देने जैसे नियमित सामुदायिक पक्षपात और अपने सत्य-अहिंसा-ब्रह्मचर्य सिद्धांतों के विचित्र, हैरत भरे, यहाँ तक कि अनेक निकट जनों को धक्का पहुँचाने वाले कार्यान्वयन से बड़ी संख्या में लोग गाँधीजी से वितृष्ण हो चुके थे।
लेकिन गोडसे की गोली ने सब कुछ बदल कर रख दिया। इसलिए भक्त गाँधीवादियों को तो गोडसे का धन्यवाद करते हुए, बतर्ज अनिल बर्वे, “थैंक यू, मिस्टर गोडसे!” जैसी भावना रखनी चाहिए।
गोडसे ने चाहे गाँधी को दंड देने का लिए गोली मारी, लेकिन वस्तुतः उसी नाटकीय अवसान से गाँधीजी को वह महानता मिल सकी, जो वैसे संभवतः न मिली होती।
भारत में नेहरूवादी और मार्क्सवादी इतिहासकारों द्वारा घोर इतिहास-मिथ्याकरण का एक अध्याय यह भी है कि लोग गोडसे के बारे में कुछ नहीं जानते! यहाँ तक कि गाँधी-आलोचकों की लिस्ट में भी गोडसे का उल्लेख नहीं होता। इसी विषय पर लिखी इतिहासकार बी. आर. नंदा की ��ुस्तक, गाँधी एन्ड हिज क्रिटिक्स (1985) में भी गोडसे का नाम नहीं। जबकि गोडसे का 90 पृष्ठों का वक्तव्य, जो 1977 के बाद पुस्तिका के रूप में प्रकाशित होता रहा है, गाँधीजी के सिद्धांतों और कार्यों की एक सधी आलोचना है।
लेकिन 67 वर्ष बीत गए, गोडसे की उस आलोचना का किसी भारतीय ने उत्तर नहीं दिया। न उस की कोई समीक्षा की गई। यदि गोडसे की बातें प्रलाप, मूर्खतापूर्ण, अनर्गल, आदि होतीं, तो उन्हें प्रकाशित करने पर प्रतिबंध नहीं लगा होता! लोग उसे स्वयं देखते, समझते कि गाँधीजी की हत्या करने वाला कितना मूढ़, जुनूनी या सांप्रदायिक था। पर स्थिति यह है कि विगत 38 वर्ष से गोडसे का वक्तव्य उपलब्ध रहने पर भी एक यूरोपीय विद्वान (कोएनराड एल्स्ट, गांधी एंड गोडसेः ए रिव्यू एंड ए क्रिटीक , 2001) के अतिरिक्त किसी भारतीय ने उस की समीक्षा नहीं की है। क्यों?
संभवतः इसीलिए, क्योंकि उसे उपेक्षित तहखाने में दबे रहना ही प्रभावी राजनीति के लिए सुविधाजनक था। गोडसे की अनेक बातें संपूर्ण समकालीन सेक्यूलर भारतीय राजनीति की भी आलोचना हो जाती है। इस अर्थ में वह आज भी प्रासंगिक है। यह भी कारण है कि यहाँ राजनीतिक रूप से प्रभावी इतिहासकारों, बुद्धिजीवियों ने उसे मौन की सेंसरशिप से अस्तित्वहीन-सा बनाए रखा है। अन्यथा कोई कारण नहीं कि एक ऐतिहासिक दस्तावेज का कहीं उल्लेख न हो। न इतिहास, न राजनीति में उस का अध्ययन, विश्लेषण किया जाए। यह चुप्पी सहज नहीं है। यह न्याय नहीं है।
इस सायास चुप्पी का कारण यही प्रतीत होता है कि किसी भी बहाने यदि गोडसे के वक्तव्य को नई पीढ़ी पढ़े, और परखे, तो आज भी भारी बहुमत से लोगों का निर्णय वही होगा, जो जस्टिस खोसला ने तब अदालत में उपस्थित नर-नारियों का पाया था। तब गोडसे को ‘हिन्दू सांप्रदायिक’ या ‘जुनूनी हत्यारा’ कहना संभव नहीं रह जाएगा।
वस्तुतः नाथूराम गोडसे के जीवन, चरित्र और विचारों का समग्र मूल्यांकन करने से उन का स्थान भगत सिंह और ऊधम सिंह की पंक्ति में चला जाएगा।
तीनों देश-भक्त थे। तीनों को राजनीतिक हत्याओं के लिए फाँसी हुई। तीनों ने अपने-अपने शिकारों को करनी का ‘दंड’ दिया, जिस से सहमति रखना जरूरी नहीं। मगर तीनों की दृष्टि में एक समानता तो है ही। भगत सिंह ने पुलिस की लाठी से लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला लेने के लिए 17 दिसंबर 1928 को अंग्रेज पुलिस अधीक्षक जॉन साउंडर्स की हत्या की। ऊधम सिंह ने जलियाँवाला नरसंहार करने वाले कर्नल माइकल डायर को 13 मार्च 1940 को गोली मार दी। उसी तरह, नाथूराम गोडसे ने भी गाँधी को देश का वि��ाजन, लाखों हिन्दुओं-सिखों के साथ विश्वासघात, उन के संहार व विध्वंस तथा हानिकारक सामुदायिक राजनीति करने का कारण मानकर उन्हें 30 जनवरी 1948 को गोली मारी थी।
आगे की तुलना में भी, जैसे अंग्रेज सरकार ने भगत सिंह और ऊधम सिंह को हत्या का दोषी मानकर उन्हें फाँसी दी, उसी तरह भारत सरकार ने भी नाथूराम गोडसे को फाँसी दी। तीनों के कर्म, तीनों की भावनाएं, तीनों का जीवन-चरित्र मूलतः एक जैसा है। इस सचाई को छिपाया नहीं जाना चाहिए।
उक्त निष्कर्ष डॉ. लोहिया के विचारों से भी पुष्ट होता है। देश का विभाजन होने पर लाखों लोग मरेंगे, यह गाँधीजी जानते थे, फिर भी उन्होंने उसे नहीं रोका। बल्कि नेहरू की मदद करने के लिए खुद कांग्रेस कार्य-समिति को विभाजन स्वीकार करने पर विवश किया जो उस के लिए तैयार नहीं थी। इसे लोहिया ने गाँधी का ‘अक्षम्य’ अपराध माना है। तब इस अपराध का क्या दंड होता?
संभवतः सब से अच्छा दंड गाँधी
को सामाजिक, राजनीतिक रूप से उपेक्षित करना, और अपनी सहज मृत्यु पाने देना होता। पर, अफसोस!
डॉ. लोहिया के शब्दों पर गंभीरता से विचार करें – विभाजन से दंगे होंगे, ऐसा तो गाँधीजी ने समझ लिया था, लेकिन “जिस जबर्दस्त पैमाने पर दंगे वास्तव में हुए, उस का उन्हें अनुमान न था, इस में मुझे शक है। अगर ऐसा था, तब तो उन का दोष अक्षम्य हो जाता है। दरअसल उन का दोष अभी भी अक्षम्य है। अगर बँटवारे के फलस्वरूप हुए हत्याकांड के विशाल पैमाने का अन्दाज उन्हें सचमुच था, तब तो उन के आचरण के लिए
कुछ अन्य शब्दों का इस्तेमाल करना पड़ेगा। ”
( ‘ गाँधीजी के दोष’ )
ध्यान दें, सौजन्यवश लोहिया ने गाँधी के प्रति उन शब्दों का प्रयोग नहीं किया जो उन के मन में आए होंगे। किंतु वह शब्द छल, अज्ञान, हिन्दुओं के प्रति विश्वासघात, बुद्धि का दिवालियापन, जैसे ही कुछ हो सकते हैं। इसलिए, जिस भावनावश गोडसे ने गाँधीजी को दंडित किया, वह उसी श्रेणी का है जो भगत सिंह और ऊधम सिंह का था।
इस कड़वे सत्य को भी लोहिया के सहारे वहीं देख सकते हैं। लोहिया के अनुसार, “देश का विभाजन और गाँधीजी की हत्या एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। एक पहलू की जाँच किए बिना दूसरे की जाँच करना समय की मूर्खतापूर्ण बर्बादी है।” यह कथन क्या दर्शाता है?
यही, कि वैसा न करके क्षुद्र राजनीतिक चतुराई की गई। तभी तो जिस किसी को ‘गाँधी के हत्यारे’ कहकर निंदित किया जाता है, जबकि विभाजन की विभीषिका से उस हत्या के संबंध की कभी जाँच नहीं होती। क्योंकि जैसे ही यह जाँच होगी, जिसे लोहिया ने जरूरी माना था, वैसे ही गोडसे का वही रूप सामने होगा जो उन्हें भगत सिंह और ऊधम सिंह के सिवा और किसी श्रेणी में रखने नहीं देगा। इस निष्कर्ष से गाँधी-नेहरूवादी तथा दूसरे भी मतभेद रख सकते हैं। ठीक वैसे ही, जैसे असंख्य ��ंग्रेज लोग भगत सिंह और ऊधम सिंह से रखते ही रहे हैं। आखिर वे तो हमारे भगत सिंह और ऊधम सिंह को पूज्य नहीं मानते! लेकिन वे दोनों ही भारतवासियों के लिए पूज्य हैं। ठीक उसी तरह, यदि हिंदू महासभा या कोई भी हिन्दू नाथूराम गोडसे को सम्मान से देखता है, और उन्हें सम्मानित करना चाहता है, तो इसे सहजता से लेना चाहिए।
आखिर, भगत सिंह या ऊधम सिंह के प्रति भी हमारा सम्मान उन के द्वारा की गई अदद हत्याओं का सम्मान नहीं है। वह एक भावना का सम्मान है, जो सम्मानजनक थी। अतः नाथूराम गोडसे के प्रति किसी का आदर भी देश-भक्ति, राष्ट्रीय आत्मसम्मान और न्याय भावना का ही आदर भी हो सकता है। जिन्हें इस संभावना पर संदेह हो, वे गोडसे का वक्तव्य एक बार आद्योपांत पढ़ने का कष्ट करें।
- हेमंत यादव
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विचार करें, विभीषण को गले से लगाया गया, सूर्पनखा को दृष्टि तक नहीं मिली। यहाँ तक की जब सुग्रीव ने पूछा कि भगवान आपने विभीषण को लंकापति बना दिया, यदि कल रावण भी शरण में आ गया तो उसे क्या देंगे? राम जी ने कहा कि मैं भरत को वन में बुला लूंगा, रावण को अयोध्या दे दूंगा। पूछा गया कि तब सूर्पनखा ने ही ऐसा कौन सा अपराध कर दिया, आप स्वीकार न करते, कम से कम एक बार नजर तो डाल देते। और भी देखें, उधर कृष्णलीला में, भगवान ने पूतना के आने पर आँखों को बंद कर लिया, जबकि कुब्जा को स्वीकार कर लिया। देखें, भगवान के दो नियम हैं। एक तो यह कि भगवान को कपट स्वीकार नहीं। विभीषण और कुब्जा कपटरूप बना कर नहीं आए, जैसे हैं वैसे ही आ गए। जबकि सूर्पनखा और पूतना कपटवेष बनाकर आई हैं। दूसरे, भगवान तन नहीं देखते, मन देखते हैं। मन की दो ही धाराएँ हैं, भक्ति य�� आसक्ति। और इस देह रूपी पंचवटी में दो में से एक ही होगी। सीता जी भक्ति हैं, सूर्पनखा आसक्ति है। भगवान की दृष्टि भक्ति पर से कभी हटती नहीं है, आसक्ति पर कभी पड़ती नहीं है। अब आप झांककर देखें, आपके अन्त:करण में कौन है? यदि वहाँ भक्ति है, तो आप धन्य हैं, आपके भीतर सीता जी बैठी हैं, आपको पुकारना भी नहीं पड़ेगा, भगवान की दृष्टि आप पर टिकी है, टिकी रहेगी। लेकिन यदि वहाँ आसक्ति का डेरा है, तो आपके भीतर सूर्पनखा का राज चल रहा है, आप लाख चिल्लाओ, भगवान चाहें तो भी आप पर कृपा दृष्टि डाल नहीं सकते। भगवान की दृष्टि में मन का सौंदर्य ही सौंदर्य है। इसीलिए भगवान के लिए जीर्ण शीर्ण बूढ़ी शबरी सुंदर है, सूर्पनखा नहीं। जहाँ भक्ति है, वहीं सौंदर्य है, तन का सौंदर्य तो दो कौड़ी का है। चमड़ी की सुंदरता पर जो रीझ जाए, वह तो मूर्ख है, अंधा है। मन सुंदर हो, तब कुछ बात है। अब विडियो देखें- सूर्पनखा से सावधानी https://youtu.be/tWh1W3ApIio http://shashwatatripti.wordpress.com #ramrajyamission #ramcharitmanas https://www.instagram.com/p/CXKxajEBL7Q/?utm_medium=tumblr
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हमने ये पोस्ट खास आपके लिए बनाई है. आपने दोस्तों को बता दें. या मत बताएँ. आपकी मर्ज़ी, हम कुछ नहीं कहेंगे.
हेलो!
झटपट: मोबाइल ऐप्स में पोस्टिंग को एक नया तड़का देने के लिए हमने कुछ छोटे-मोटे बदलाव किए हैं.
आपके मिनी मीडिया पिकर में अब सबसे पहला बटन, सब कुछ करने वाले कैमरे का होगा, जिससे आप नए फ़ोटो, वीडियो या GIF डाल सकेंगे. GIF की बात निकल आई है तो बताते चलें कि आप "GIF" टैप करके, कैमरा रोल के किसी भी वीडियो का ��स्तेमाल करके अपना खुद का GIF बना सकते हैं. अपने वीडियो के कोई भी 3 सेकेंड चुनें, उसकी स्पीड बढ़ा दें, या घटा दें, या फिर चाहें तो उन 3 सेकेंड को उल्टा प्ले कर दें. यह बहुत ही आसान है और बहुत ही काम का भी.
जब आप पब्लिश करने के लिए तैयार हों तो "पोस्ट" बटन पर टैप करें या इसे तब तक दबाए रखें जब तक कि इससे ढेर सारे रंगों में निकलते ऑप्शन न दिखने लगें. ये ऑप्शन आपसे पूछेंगे कि पोस्ट को कतार में जोड़ें, शेड्यूल करें, ड्राफ़्ट की तरह सेव करें या फिर आपके एक राज़ की तरह प्राइवेट रखते हुए पोस्ट कर दें.
हैप्पी पोस्टिंग, दोस्त.
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*धीरे-धीरे एक एक शब्द पढियेगा, हर एक वाक्य में कितना दम है ।*
*"आंसू" जता देते है, "दर्द" कैसा है?*
*"बेरूखी" बता देती है, "हमदर्द" कैसा है?*
*"घमण्ड" बता देता है, "पैसा" कितना है?*
*"संस्कार" बता देते है, "परिवार" कैसा है?*
*"बोली" बता देती है, "इंसान" कैसा है?*
*"बहस" बता देती है, "ज्ञान" कैसा है?*
*"ठोकर" बता देती है, "ध्यान" कैसा है?*
*"नजरें" बता देती है, "सूरत" कैसी है?*
*"स्पर्श" बता देता है, "नी���त" कैसी है?*
*और "वक़्त" बता देता है, "रिश्ता" कैसा समाज में बदलाव क्यों नहीं आता क्योंकि गरीब मैं हिम्मत नहीं मध्यम को फुर्सत नहीं और अमीर को जरूरत नहीं
*सुबह की "चाय" और बड़ों की "राय"*
समय-समय पर लेते रहना चाहिए.....
*पानी के बिना, नदी बेकार है*
अतिथि के बिना, आँगन बेकार है।*
*प्रेम न हो तो, सगे-सम्बन्धी बेकार है।*
पैसा न हो तो, पाकेट बेकार है।
*और जीवन में गुरु न हो*
तो जीवन बेकार है।
इसलिए जीवन ��ें
*"गुरु"जरुरी है।*
*"गुरुर" नही"*
*जीवन में किसी को रुलाकर*
*हवन भी करवाओगे तो*
*कोई फायदा नहीं*
🌼🌿🌼🌿🌼🌿🌼
*और अगर रोज किसी एक*
*आदमी को भी हँसा दिया तो*
*मेरे दोस्त*
*आपको अगरबत्ती भी*
*जलाने की जरुरत नहीं*
🌿🌸🌿🌸🌿🌸🌿🌸
*कर्म ही असली भाग्य है*
धीरे धीरे पढिये पसंद आएगा...
1👌मुसीबत में अगर मदद मांगो तो सोच कर मागना क्योंकि मुसीबत थोड़ी देर की होती है और एहसान जिंदगी भर का.....
2👌कल एक इन्सान रोटी मांगकर ले गया और करोड़ों कि दुआयें दे गया, पता ही नहीँ चला की, गरीब वो था की मैं....
3👌जिस घाव से खून नहीं निकलता, समझ लेना वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है..
4👌बचपन भी कमाल का था खेलते खेलते चाहें छत पर सोयें या ज़मीन पर, आँख बिस्तर पर ही खुलती थी...
5👌खोए हुए हम खुद हैं, और ढूंढते भगवान को हैं...
6👌अहंकार दिखा के किसी रिश्ते को तोड़ने से अच्छा है कि माफ़ी मांगकर वो रिश्ता निभाया जाये....
7👌जिन्दगी तेरी भी अजब परिभाषा है.. सँवर गई तो जन्नत, नहीं तो सिर्फ तमाशा है...
8👌खुशीयाँ तकदीर में होनी चाहिये, तस्वीर मे तो हर कोई मुस्कुराता है...
9👌ज़िंदगी भी वीडियो गेम सी हो गयी है एक लेवल क्रॉस करो तो अगला लेवल और मुश्किल आ जाता हैं.....
10👌इतनी चाहत तो लाखों रुपये पाने की भी नही होती, जितनी बचपन की तस्वीर देखकर बचपन में जाने की होती है.......
11👌हमेशा छोटी छोटी गलतियों से बचने की कोशिश किया करो, क्योंकि इन्सान पहाड़ो से नहीं पत्थरों से ठोकर खाता है..
मनुष्य का अपना क्या है ?
जन्म :- दुसरो ने दिया
नाम :- दुसरो ने रखा
शिक्षा :- दुसरो ने दी
रोजगार :- दुसरो ने दिया और
शमशान :- दुसरे ले जाएंगे
तो व्यर्थ में घमंड किस बात पर करते है लोग 👏
दिल को छुआ हो अपने best friend को जरुर शेयर करे मे हू तो मुझे भी शेयर करे😊
🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸
अनमोल वचन:
रिश्तों को अति मजबूत बनाने के लिए केवल एक दूसरे पर विश्वास करना सीखिये...शक तो सारी दुनिया करती है...!
🇲🇰 ओम शान्ति 🇲🇰
🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸
*"परिवार"का हाथ पकड़ कर चलिये; लोगों के "पैर" पकड़ने की नौबत नहीं आएगी;*
*परिवार के ��्रति जब तक मन में"खोंट" और दिल में "पाप" है; तब तक सारे"मंत्र" और "जाप" बेकार है;।*
*जीवन एक यात्रा है; रो कर जीने से बहुत लम्बी लगेगी; और हंस कर जीने पर कब पूरी हो जाएगी; पता भी नहीं चलेगा;।*
*"ईश्वर" से शिकायत क्यों है; ईश्वर ने पेट भरने की जिम्मेदारी ली है; पेटियां भरने की नहीं;*
*ह्रदय कैसे चल रहा है;, यह डाक्टर बता देंगे; परन्तु ह्रदय में क्या चल रहा है; यह तो स्वयं को ही देखना है;...!!*
🌹🌹🌹🙏🏻🙏🏻🌹🌹🌹
*एक ही घड़ी मुहूर्त में जन्म लेने पर भी सबके कर्म और भाग्य अलग अलग क्यों**
एक प्रेरक कथा ...
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👇 इस कथा से बोध अवश्य लेवे❗⬇
एक बार एक राजा ने विद्वान ज्योतिषियों की सभा बुलाकर प्रश्न किया-
**मेरी जन्म पत्रिका के अनुसार मेरा राजा बनने का योग था मैं राजा बना, किन्तु उसी घड़ी मुहूर्त में अनेक जातकों ने जन्म लिया होगा जो राजा नहीं बन सके क्यों ..?**
इसका क्या कारण है ?
राजा के इस प्रश्न से सब निरुत्तर हो गये ..
अचानक एक वृद्ध खड़े हुये बोले - महाराज आपको यहाँ से कुछ दूर घने जंगल में एक महात्मा मिलेंगे उनसे आपको उत्तर मिल सकता है..
☝राजा ने घोर जंगल में जाकर देखा कि एक महात्मा आग के ढेर के पास बैठ कर अंगार ( गरमा गरम कोयला ) खाने में व्यस्त हैं..
राजा ने महात्मा से जैसे ही प्रश्न पूछा महात्मा ने क्रोधित होकर कहा “तेरे प्रश्न का उत्तर आगे पहाड़ियों के बीच एक और महात्मा हैं ,वे दे सकते हैं ।”
*राजा की जिज्ञासा और बढ़ गयी, पहाड़ी मार्ग पार कर बड़ी कठिनाइयों से राजा दूसरे महात्मा के पास पहुंचा..*
राजा हक्का बक्का रह गया ,दृश्य ही कुछ ऐसा था, वे महात्मा अपना ही माँस चिमटे से नोच नोच कर खा रहे थे..
*राजा को महात्मा ने भी डांटते हुए कहा ” मैं भूख से बेचैन हूँ मेरे पास समय नहीं है...*
आगे आदिवासी गाँव में एक बालक जन्म लेने वाला है ,जो कुछ ही देर तक जिन्दा रहेगा..
वह बालक तेरे प्रश्न का उत्तर दे सकता है..
*राजा बड़ा बेचैन हुआ, बड़ी अजब पहेली बन गया मेरा प्रश्न..*
उत्सुकता प्रबल थी..
राजा पुनः कठिन मार्ग पार कर उस गाँव में पहुंचा..
गाँव में उस दंपति के घर पहुंचकर सारी बात कही..
*जैसे ही बच्चा पैदा हुआ दम्पत्ति ने नाल सहित बालक राजा के सम्मुख उपस्थित किया..*
राजा को देखते ही बालक हँसते हुए बोलने लगा ..
राजन् ! मेरे पास भी समय नहीं है ,किन्तु अपना उत्तर सुन लो –
तुम,मैं और दोनों महात्मा सात जन्म पहले चारों भाई राजकुमार थे..
*एक बार शिकार खेलते खेलते हम जंगल में तीन दिन तक भूखे प्यासे भटकते रहे ।*
अचानक हम चारों भाइयों को आटे की एक पोटली मिली ।हमने उसकी चार बाटी सेंकी..
अपनी अपनी बाटी लेकर खाने बैठे ही थे कि भूख प्यास से तड़पते हुए एक महात्मा वहां आ गये..
अंगार खाने वाले भइया से उन्होंने कहा –
*“बेटा ,मैं दस दिन से भूखा हूँ ,अपनी बाटी में से मुझे भी कुछ दे दो , मुझ पर दया करो , जिससे मेरा भी जीवन बच जाय ...*
इतना सुनते ही भइया गुस्से से भड़क उठे और बोले..
**तुम्हें दे दूंगा तो मैं क्या खाऊंगा आग ...? चलो भागो यहां से ….।**
वे महात्मा फिर मांस खाने वाले भइया के निकट आये उनसे भी अपनी बात कही..
किन्तु उन भईया ने भी महात्मा से गुस्से में आकर कहा कि..
**बड़ी मुश्किल से प्राप्त ये बाटी तुम्हें दे दूंगा तो क्या मैं अपना मांस नोचकर खाऊंगा ?**
भूख से लाचार वे महात्मा मेरे पास भी आये..
मुझसे भी बाटी मांगी…
किन्तु मैंने भी भूख में धैर्य खोकर कह दिया कि
**चलो आगे बढ़ो मैं क्या भूखा मरुँ …?**
अंतिम आशा लिये वो महात्मा , हे राजन !..
आपके पास भी आये,दया की याचना की..
दया करते हुये ख़ुशी से आपने अपनी बाटी में से आधी बाटी आदर सहित उन महात्मा को दे दी ।
बाटी पाकर महात्मा बड़े खुश हुए और बोले..
**तुम्हारा भविष्य तुम्हारे कर्म और व्यवहार से फलेगा ।**
बालक ने कहा “इस प्रकार उस घटना के आधार पर हम अपना अपना भोग, भोग रहे हैं...
और वो बालक मर गया
**धरती पर एक समय में अनेकों फल-फूल खिलते हैं,किन्तु सबके रूप, गुण,आकार-प्रकार,स्वाद भिन्न होते हैं ..।**
राजा ने माना कि शास्त्र भी तीन प्रकार के हॆ--
**ज्योतिष शास्त्र, कर्तव्य शास्त्र और व्यवहार शास्त्र**
जातक सब अपना
**किया, दिया, लिया**
ही पाते हैं..
यही है जीवन...
"गलत पासवर्ड से एक छोटा सा मोबाइल नही खुलता..
तो सोचिये ..
**गलत कर्मो से जन्नत के दरवाजे कैसे खुलेंगे**
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भारत का टीकाकरण कार्यक्रम दुनिया के लिए एक केस स्टडी हो सकता है : मन की बात के दौरान पीएम मोदी.
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मेरे प्यारे देशवासियो,नमस्कार! अक्सर‘मन की बात’ में, आपकेप्रश्नों की बौछार रहती है | इस बार मैंने सोचा कि कुछ अलग किया जाए, मैं आपसे प्रश्न करूँ |तो, ध्यान से सुनिए मेरे सवाल |
....Olympic में Individual Gold जीतने वाला पहला भारतीय कौन था?
....Olympic के कौन से खेल में भारत ने अब तक सबसे ज्यादा medal जीते हैं?
...Olympic में किस खिलाड़ी ने सबसे ज्यादा पदक जीते हैं?
साथियो, आप मुझे जवाब भेजेंन भेजें, पर MyGov में Olympics परजो quiz है, उसमें प्रश्नों के उत्तर देंगे तो कई सारे इनाम जीतेंगे | ऐसे बहुत सारे प्रश्न MyGovके ‘Road to Tokyo Quiz’ में हैं | आप ‘Road to Tokyo Quiz’ में भाग लें | भारत ने पहले कैसा perform किया है ? हमारी Tokyo Olympics के लिए अब क्या तैयारी है ?- ये सब ख़ुद जानें और दूसरों को भी बताएं | मैं आप सब से आग्रह करना चाहता हूँ कि आप इस quiz competition में ज़रुर हिस्सा लीजिये |
साथियो, जब बात Tokyo Olympics की हो रही हो, तो भला मिल्खा सिंह जी जैसे legendary athlete को कौन भूल सकता है !कुछ दिन पहले ही कोरो��ा ने उन्हें हमसे छीन लिया | जब वे अस्पताल में थे, तो मुझे उनसे बात करने का अवसर मिला था |
बात करते हुए मैंने उनसे आग्रह किया था | मैंने कहा था कि आपने तो 1964 में Tokyo Olympics में भारत का प्रतिनिधित्व किया था, इसलिए इस बार, जब हमारे खिलाड़ी,Olympics के लिए Tokyo जा रहे हैं, तोआपको हमारे athletes का मनोबल बढ़ाना है, उन्हें अपने संदेश से प्रेरित करना है | वो खेल को लेकर इतना समर्पित और भावुक थे कि बीमारी में भी उन्होंने तुरंत ही इसके लिए हामी भर दी लेकिन, दुर्भाग्य से नियति को कुछ और मंजूर था | मुझे आज भी याद है 2014 में वो सूरत आए थे | हम लोगों ने एक Night Marathon का उद्घाटन किया था | उस समय उनसे जो गपशप हुई, खेलों के बारे में जो बात हुई, उससे मुझे भी बहुत प्रेरणा मिली थी | हम सब जानते हैं कि मिल्खा सिंह जी का पूरा परिवार sports को समर्पित रहा है, भारत का गौरव बढ़ाता रहा है |
साथियो, जब Talent, Dedication, Determination और Sportsman Spirit एक साथ मिलते हैं, तब जाकर कोई champion बनता है |हमारे देश में तो अधिकांश खिलाड़ी छोटे-छोटे शहरों, कस्बों, गाँवों से निकल करके आते हैं |Tokyo जा रहे हमारे Olympic दल में भी कई ऐसे खिलाड़ी शामिल हैं, जिनका जीवन बहुत प्रेरित करता है | हमारे प्रवीण जाधव जी के बारे में आप सुनेंगे, तो, आपको भी लगेगा कि कितने कठिन संघर्षों से गुजरते हुए प्रवीण जी यहाँ पहुंचे हैं | प्रवीण जाधव जी, महाराष्ट्र के सतारा ज़िले के एक गाँव के रहने वाले हैं | वो Archery के बेहतरीन खिलाड़ी हैं | उनके माता-पिता मज़दूरी कर परिवार चलाते हैं, और अब उनका बेटा, अपना पहला,Olympics खेलने Tokyo जा रहा है | ये सिर्फ़ उनके माता-पिता ही नहीं, हम सभी के लिए कितने गौरव की बात है | ऐसे ही, एक और खिलाड़ी हैं, हमारी नेहा गोयल जी | नेहा,Tokyoजा रही महिला हॉकी टीम की सदस्य हैं | उनकी माँ और बहनें, साईकिल की factory में काम करके परिवार का ख़र्च जुटाती हैं | नेहा की तरह ही दीपिका कुमारी जी के जीवन का सफ़र भी उतार-चढ़ाव भरा रहा है | दीपिका के पिता ऑटो-रिक्शा चलाते हैं और उनकी माँ नर्स हैं, और अब देखिए, दीपिका, अब Tokyo Olympics में भारत की तरफ से एकमात्र महिला तीरंदाज़ हैं | कभी विश्व की नंबर एक तीरंदाज़ रहीं दीपिका के साथ हम सबकी शुभकामनाएँ हैं |
साथियो, जीवन में हम जहां भी पहुँचते हैं, जितनी भी ऊंचाई प्राप्त करते हैं, जमीन से ये जुड़ाव, हमेशा, हमें अपनी जड़ों से बांधे रखता है | संघर्ष के दिनों के बाद मिली सफलता का आनंद भी कुछ और ही होता है |Tokyo जा रहे हमारे खिलाड़ियों ने बचपन में साधनों-संसाधनों की हर कमी का सामना किया, लेकिन वो डटे रहे, जुटे रहे | उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर की प्रियंका गोस्वामी जी का जीवन भी बहुत सीख देता है | प्रियंका के पिता बस कंडक्टर हैं | बचपन में प्रियंका को वो बैग बहुत पसंद था, जो medal पाने वाले खिलाड़ियों को मिलता है | इसी आकर्षण में उन्होंने पहली बार Race-Walking प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था | अब, आज वो इसकी बड़ी champion हैं |
Javelin Throw में भाग लेने वाले शिवपाल सिंह जी, बनारस के रहने वाले हैं | शिवपाल जी का तो पूरा परिवार ही इस खेल से जुड़ा हुआ है | इनके पिता, चाचा और भाई, सभी भाला फेंकने में expert हैं | परिवार की यही परंपरा उनके लिए Tokyo Olympics में काम आने वाली है |Tokyo Olympic के लिए जा रहे चिराग शेट्टी और उनके partner सात्विक साईराज का हौसला भी प्रेरित करने वाला है | हाल ही में चिर���ग के नाना जी का कोरोना से निधन हो गया था | सात्विक भी खुद पिछले साल कोरोना पॉज़िटिव हो गए थे | लेकिन, इन मुश्किलों के बाद भी ये दोनों Men’s Double Shuttle Competition में अपना सर्वश्रेष्ठ देने की तैयारी में जुटे हैं |
एक और खिलाड़ी से मैं आपका परिचय कराना चाहूँगा, ये हैं, हरियाणा के भिवानी के मनीष कौशिक जी | मनीष जी खेती-किसानी वाले परिवार से आते हैं | बचपन में खेतों में काम करते-करते मनीष को boxing का शौक हो गया था | आज ये शौक उन्हें टोक्यो ले जा रहा है | एक और खिलाड़ी हैं, सी.ए. भवानी देवी जी | नाम भवानी है और ये तलवारबाजी में expert हैं | चेन्नई की रहने वाली भवानी पहली भारतीय Fencer हैं, जिन्होंने Olympic में qualify किया है | मैं कहीं पढ़ रहा था कि भवानी जी की training जारी रहे, इसके लिए उनकी माँ ने अपने गहने तक गिरवी रख दिये थे |
साथियो, ऐसे तो अनगिनत नाम हैं लेकिन ‘मन की बात’ में, मैं, आज कुछ ही नामों का जिक्र कर पाया हूँ | टोक्यो जा रहे हर खिलाड़ी का अपना संघर्ष रहा है, बरसों की मेहनत रही है | वो सिर्फ़ अपने लिए ही नहीं जा रहें बल्कि देश के लिए जा रहे हैं | इन खिलाड़ियों को भारत का गौरव भी बढ़ाना है और लोगों का दिल भी जीतना है और इसलिए मेरे देशवासियों मैं आपको भी सलाह देना चाहता हूँ, हमें जाने-अनजाने में भी हमारे इन खिलाड़ियों पर दबाव नहीं बनाना है, बल्कि खुले मन से, इनका साथ देना है, हर खिलाड़ी का उत्साह बढ़ाना है |
Social Media पर आप #Cheer4India के साथ अपने इन खिलाड़ियों को शुभकामनाएँ दे सकते हैं | आप कुछ और भी innovative करना चाहें, तो वो भी ज़रूर करें | अगर आपको कोई ऐसा idea आता है जो हमारे खिलाड़ियों के लिए देश को मिलकर करना चाहिए, तो वो आप मुझे ज़रुर भेजिएगा | हम सब मिलकर टोक्यो जाने वाले अपने खिलाड़ियों को support करेंगे - Cheer4India!!!Cheer4India!!!Cheer4India!!!
मेरे प्यारे देशवासियो, कोरोना के खिलाफ़ हम देशवासियों की लड़ाई जारी है,लेकिन इस लड़ाई में हम सब साथ मिलकर कई असाधारण मुकाम भी हासिल कर रहे हैं | अभी कुछ दिन पहले ही हमारे देश ने एक अभूतपूर्व काम किया है | 21 जून को vaccine अभियान के अगले चरण की शुरुआत हुई और उसी दिन देश ने 86 लाख से ज्यादा लोगों को मुफ़्त vaccine लगाने का record भी बना दिया और वो भी एक दिन में ! इतनी बड़ी संख्या में भारत सरकार की तरफ से मुफ़्त vaccination और वो भी एक दिन में ! स्वाभाविक है, इसकी चर्चा भी खूब हुई है |
साथियो, एक साल पहले सबके सामने सवाल था कि vaccine कब आएगी ? आज हम एक दिन में लाखों लोगों को‘ Made in India’ vaccine मुफ़्त में लगा रहे हैं और यही तो नए भारत की ताक़त है |
साथियो,vaccine की safety देश के हर नागरिक को मिले, हमें लगातार प्रयास करते रहना है |कई जगहों पर vaccine hesitancy को खत्म करने के लिए कई संगठन, civil society के लोग आगे आये हैं और सब मिलकर के बहुत अच्छा काम कर रहे हैं | चलिये, हम भी, आज, एक गाँव में चलते हैं, और,उन्हीं लोगों से बात करते हैं vaccine के बारे में मध्य प्रदेश के बैतूल ज़िले के डुलारिया गाँव चलते हैं |
प्रधानमंत्री : हलो !
राजेश : नमस्कार !
प्रधानमंत्री : नमस्ते जी |
राजेश : मेरा नाम राजेश हिरावे, ग्राम पंचायत डुलारिया, भीमपुर ब्लॉक|
प्रधानमंत्री : राजेश जी, मैंने फ़ोन इसलिए किया कि मैं जानना चाहता था कि अभी आपके गाँव में, अब कोरोना की क्या स्थिति है ?
राजेश : सर, यहाँ पे कोरोना की स्थिति तो अभी ऐसा कुछ नहीं है यहाँ I
प्रधानमंत्री : अभी लोग बीमार नहीं हैं ?
राजेश : जी |
प्रधानमंत्री : गाँव की जनसँख्या कितनी है? कितने लोग हैं गाँव में ?
राजेश : गाँव में 462 पुरुष हैं और 332 महिला हैं,सर |
प्रधानमंत्री : अच्छा! राजेश जी, आपने vaccine ले ली क्या ?
राजेश : नहीं सर, अभी नहीं लिए हैं |
प्रधानमंत्री : अरे ! क्यों नहीं लिया ?
राजेश : सर जी, यहाँ पर कुछ लोगों ने, कुछ WhatsApp पर ऐसा भ्रम डाल दिया गया कि उससे लोग भ्रमित हो गए सर जी |
प्रधानमंत्री : तो क्या आपके मन में भी डर है ?
राजेश : जी सर, पूरे गाँव में ऐसा भ्रम फैला दिया था सर |
प्रधानमंत्री : अरे रे रे, यह क्या बात की आपने ? देखिये राजेश जी...
राजेश : जी |
प्रधानमंत्री : मेरा आपको भी और मेरे सभी गाँव के भाई-बहनों को यही कहना है कि डर है तो निकाल दीजिये |
राजेश : जी |
प्रधानमंत्री : हमारे पूरे देश में 31 करोड़ से भी ज्यादा लोगों ने वैक्सीन का टीका लगवा लिया है |
राजेश : जी |
प्रधानमंत्री : आपको पता है न, मैंने खुद ने भी दोनों dose लगवा लिए हैं |
राजेश : जी सर |
प्रधानमंत्री : अरे मेरी माँ तो क़रीब-क़रीब 100 साल की हैं, उन्होंने भी दोनों dose लगवा लिए हैं I कभी-कभी किसी को इससे बुखार वगैरह आता है, पर वो बहुत मामूली होता है, कुछ घंटो के लिए ही होता है |देखिए vaccine नहीं लेना बहुत ख़तरनाक हो सकता है |
राजेश : जी |
प्रधानमंत्री : इससे आप ख़ुद को तो ख़तरे मे�� डालते ही हैं, साथ ही में परिवार और गाँव को भी ख़तरे में डाल सकते हैं |
राजेश : जी |
प्रधानमंत्री : और राजेश जी इसलिए जितना जल्दी हो सके vaccine लगवा लीजिये और गाँव में सबको बताइये कि भारत सरकार की तरफ से मुफ़्त vaccine दी जा रही है और 18 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों के लिए यह मुफ़्त vaccination है |
राजेश : जी... जी...
प्रधानमंत्री : तो ये आप भी लोगों को गाँव में बताइये और गाँव में ये डर का तो माहौल का कोई कारण ही नहीं है |
राजेश : कारण यही सर, कुछ लोग ने ऐसी गलत अफ़वाह फैला दी जिससे लोग बहुत ही भयभीत हो गए उसका उदाहरण जैसे, जैसा उस vaccine को लगाने से बुखार आना, बुखार से और बीमारी फ़ैल जाना मतलब आदमी की मौत हो जाना यहाँ तक की अफ़वाह फैलाई |
प्रधानमंत्री : ओहोहो... देखिये आज तो इतने रेडियो, इतने टी.वी., इतनी सारी खबरें मिलती हैं और इसलिए लोगों को समझाना बहुत सरल हो जाता है और देखिये मैं आपको बताऊँ भारत के अनेक गाँव ऐसे हैं जहाँ सभी लोग vaccine लगवा चुके है यानी गाँव के शत प्रतिशत लोग | जैसे मैं आपको एक उदाहरण देता हूँ...
राजेश : जी |
प्रधानमंत्री : कश्मीर में बांदीपुरा ज़िला है, इस बांदीपुरा ज़िले में एक व्यवन(Weyan)गाँव के लोगों ने मिलकर 100%, शत प्रतिशत vaccine का लक्ष्य बनाया और उसे पूरा भी कर दिया | आज कश्मीर के इस गाँव के 18 साल से ऊपर के सभी लोग टीका लगवा चुके हैं | नागालैंड के भी तीन गाँवों के बारे में मुझे पता चला कि वहाँ भी सभी लोगों ने 100%, शत प्रतिशत टीका लगवा लिया है |
राजेश : जी... जी...
प्रधानमंत्री : राजेश जी, आपको भी अपने गाँव, अपने आस-पास के गाँव में ये बात पहुँचानी चाहिये और आप भी जैसे कहते हैं ये भ्रम है, बस ये भ्रम ही है |
राजेश : जी... जी...
प्रधानमंत्री : तो भ्रम का जवाब यही है कि आपको ख़ुद को टीका लगा कर के समझाना पड़ेगा सबको | करेंगे न आप ?
राजेश : जी सर |
प्रधानमंत्री : पक्का करेंगे ?
राजेश : जी सर, जी सर | आपसे बात करने से मुझे ऐसा लगा कि मैं ख़ुद भी टीका लगाऊंगा और लोगों को इसके बारे में आगे बढ़ाऊँ |
प्रधानमंत्री : अच्छा, गाँव में और भी कोई है जिनसे मैं बात कर सकता हूँ ?
राजेश : जी है सर |
प्रधानमंत्री : कौन बात करेगा ?
किशोरीलाल : हेल्लो सर... नमस्कार !
प्रधानमंत्री : नमस्ते जी, कौन बोल रहे हैं ?
किशोरीलाल : सर, मेरा नाम है किशोरीलाल दूर्वे |
प्रधानमंत्री : तो किशोरीलाल जी, अभी राजेश जी से बात हो रही थी |
किशोरीलाल : जी सर |
प्रधानमंत्री : और वो तो बड़े दुखी हो करके बता रहे थे कि vaccine को लेकर लोग अलग-अलग बातें करते हैं |
किशोरीलाल : जी |
प्रधानमंत्री : आपने भी ऐसा सुना है क्या ?
किशोरीलाल : हाँ... सुना तो हूँ सर वैसा...
प्रधानमंत्री : क्या सुना है ?
किशोरीलाल : क्योंकि ये है सर ये पास में महाराष्ट्र है उधर से कुछ रिश्तेदारी से जुड़े लोग मतलब कुछ अफ़वाह फैलाते कि vaccine लगाने से लोग सब मर रहा है, कोई बीमार हो रहा है कि सर लोगों के पास ज्यादा भ्रम है सर, इसलिए नहीं ले रहे हैं |
प्रधानमंत्री :नहीं.. कहते क्या है ? अब कोरोना चला गया, ऐसा कहते है ?
किशोरीलाल : जी |
प्रधानमंत्री : कोरोना से कुछ नहीं होता है ऐसा कहते है ?
किशोरीलाल : नहीं, कोरोना चला गया नहीं बोलते सर, कोरोना तो है बोलते लेकिन vaccine जो लेते उससे मतलब बीमारी हो रहा है, सब मर रहे है | ये स्थिति बताते सर वो |
प्रधानमंत्री : अच्छा vaccine के कारण मर रहे हैं ?
किशोरीलाल : अपना क्षेत्र आदिवासी-क्षेत्र है सर, ऐसे भी लोग इसमें जल्दी डरते हैं .. जो भ्रम फैला देते कारण से लोग नहीं ले रहे सर vaccine |
प्रधानमंत्री :देखिये किशोरीलाल जी...
किशोरीलाल : जी हाँ सर...
प्रधानमंत्री : ये अफ़वाहें फैलाने वाले लोग तो अफ़वाहें फैलाते रहेंगे |
किशोरीलाल : जी |
प्रधानमंत्री : हमें तो ज़िन्दगी बचानी है, अपने गाँव वालों को बचाना है, अपने देशवासियों को बचाना है | और ये अगर कोई कहता है कि कोरोना चला गया तो ये भ्रम में मत रहिए |
किशोरीलाल : जी |
प्रधानमंत्री : ये बीमारी ऐसी है, ये बहुरूपिये वाली है |
किशोरीलाल : जी सर |
प्रधानमंत्री : वो रूप बदलती है... नए-नए रंग-रूप कर के पहुँच जाती है |
किशोरीलाल : जी |
प्रधानमंत्री : और उसमें बचने के लिए हमारे पास दो रास्ते हैं | एक तो कोरोना के लिए जो protocol बनाया, मास्क पहनना, साबुन से बार-बार हाथ धोना, दूरी बनाए रखना और दूसरा रास्ता है इसके साथ-साथ vaccine का टीका लगवाना, वो भी एक अच्छा सुरक्षा कवच है तो उसकी चिंता करिए |
किशोरीलाल : जी |
प्रधानमंत्री : अच्छा किशोरीलाल जी ये बताइये |
किशोरीलाल : जी सर
प्रधानमंत्री : जब लोग आपसे बातें करते है तो आप कैसे समझाते है लोगों को ? आप समझाने का काम करते है कि आप भी अफ़वाह में आ जाते हैं ?
किशोरीलाल : समझाएं क्या, वो लोग ज्यादा हो जाते तो सर हम भी भयभीत में आ जाते न सर |
प्रधानमंत्री : देखिये किशोरीलाल जी, मेरी आपसे बात हुई है आज, आप मेरे साथी हैं|
किशोरीलाल : जी सर
प्रधानमंत्री : आपको डरना नहीं है और लोगों के डर को भी निकालना है | निकालोगे ?
किशोरीलाल : जी सर | निकालेंगे सर, लोगों के डर को भी निकालेंगे सर | मैं स्वयं भी ख़ुद लगाऊंगा |
प्रधानमंत्री : देखिये, अफ़वाहों पर बिल्कुल ध्यान न दें |
किशोरीलाल : जी
प्रधानमंत्री : आप जानते है, हमारे वैज्ञानिकों ने कितनी मेहनत करके ये vaccine बनाई है |
किशोरीलाल : जी सर |
प्रधानमंत्री : साल भर, रात-दिन इतने बड़े-बड़े वैज्ञानिकों ने काम किया है और इसलिए हमें विज्ञान पर भरोसा करना चाहिये, वैज्ञानिकों पर भरोसा करना चाहिये | और ये झूठ फैलाने वाले लोगों को बार-बार समझाना चाहिये कि देखिये भई ऐसा नहीं होता है, इतने लोगों ने vaccine ले लिया है कुछ नहीं होता है |
किशोरीलाल : जी
प्रधानमंत्री : और अफ़वाहों से बहुत बच करके रहना चाहिये, गाँव को भी बचाना चाहिये |
किशोरीलाल : जी
प्रधानमंत्री : और राजेश जी, किशोरीलाल जी, आप जैसे साथियों को तो मैं कहूँगा कि आप अपने ही गाँव में नहीं, और गाँवों में भी इन अफ़वाहों को रोकने का काम कीजिये और लोगों को बताइये मेरे से बात हुई है |
किशोरीलाल : जी सर |
प्रधानमंत्री : बता दीजिये, मेरा नाम बता दीजिये |
किशोरीलाल : बताएँगे सर और समझायेंगे लोगों को और स्वयं भी लेंगे |
प्रधानमंत्री : देखिये, आपके पूरे गाँव को मेरी तरफ से शुभकामनाएं दीजिये |
किशोरीलाल : जी सर |
प्रधानमंत्री : और सभी से कहिये कि जब भी अपना नंबर आये...
किशोरीलाल : जी...
प्रधानमंत्री : vaccine जरुर लगवाएं |
किशोरीलाल : ठीक है सर |
प्रधानमंत्री : मैं चाहूँगा कि गाँव की महिलाओं को, हमारी माताओं-बहनों को...
किशोरीलाल : जी सर
प्रधानमंत्री : इस काम में ज्यादा से ज्यादा जोड़िये और सक्रियता के साथ उनको साथ रखिये |
किशोरीलाल : जी
प्रधानमंत्री : कभी-कभी माताएँ-बहनें बात कहती है न लोग जल्दी मान जाते हैं |
किशोरीलाल : जी
प्रधानमंत्री : आपके गाँव में जब टीकाकरण पूरा हो जाए तो मुझे बताएँगे आप ?
किशोरीलाल : हाँ, बताएँगे सर |
प्रधानमंत्री : पक्का बताएँगे ?
किशोरीलाल : जी
प्रधानमंत्री : देखिये, मैं इंतज़ार करूँगा आपकी चिट्ठी का |
किशोरीलाल : जी सर
प्रधानमंत्री : चलिये, राजेश जी, किशोर जी बहुत-बहुत धन्यवाद | आपसे बात करने का मौक़ा मिला |
किशोरीलाल : धन्यवाद सर, आपने हमसे बात किया है | बहुत-बहुत धन्यवाद आपको भी |
साथियो, कभी-ना-कभी, ये विश्व के लिए case study का विषय बनेगा कि भारत के गाँव के लोगों ने, हमारे वनवासी-आदिवासी भाई-बहनों ने, इस कोरोना काल में, किस तरह, अपने सामर्थ्य और सूझबूझ का परिचय दिया | गाँव के लोगों ने quarantine centreबनाए, स्थानीय ज़रूरतों को देखते हुए COVID protocol बनाए | गाँव के लोगों ने किसी को भूखा नहीं सोने दिया, खेती का काम भी रुकने नहीं दिया | नजदीक के शहरों में दूध-सब्जियाँ, ये सब हर रोज पहुंचता रहे, ये भी, गाँवों ने सुनिश्चित कियायानी ख़ुद को संभाला, औरों को भी संभाला | ऐसे ही हमें vaccination अभियान में भी करते रहना है | हमें जागरूक रहना भी है,और जागरूक करना भी है | गांवों में हर एक व्यक्ति को vaccine लग जाए,यह हर गाँव का लक्ष्य होना चाहिए | याद रखिए,और मैं तो आपको ख़ास रूप से कहना चाहता हूँ | आप एक सवाल अपने मन में पूछिये - हर कोई सफल होना चाहता है लेकिन निर्णायक सफलता का मंत्र क्या है ? निर्णायक सफलता का मंत्र है -निरंतरता |इसलिए हमें सुस्त नहीं पड़ना है, किसी भ्रांति में नहीं रहना है | हमें सतत प्रयास करते रहना है, कोरोना पर जीत हासिल करनी है |
मेरे प्यारे देशवासियों, हमारे देश में अब मानसून का सीजन भी आ गया है | बादल जब बरसते हैं तो केवल हमारे लिए ही नहीं बरसते, बल्कि बादल आने वाली पीढ़ियों के लिए भी बरसते हैं | बारिश का पानी जमीन में जाकर इकठ्ठा भी होता है, जमीन के जलस्तर को भी सुधारता है | और इसलिए मैं जल संरक्षण को देश सेवा का ही एक रूप मानता हूँ | आपने भी देखा होगा, हम में से कई लोग इस पुण्य को अपनी ज़िम्मेदारी मानकर लगे रहे हैं | ऐसे ही एक शख्स हैं उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के सच्चिदानंद भारती जी | भारती जी एक शिक्षक हैं और उन्होंने अपने कार्यों से भी लोगों को बहुत अच्छी शिक्षा दी है | आज उनकी मेहनत से ही पौड़ी गढ़वाल के उफरैंखाल क्षेत्र में पानी का बड़ा संकट समाप्त हो गया है | जहाँ लोग पानी के लिए तरसते थे, वहाँ आज साल-भर जल की आपूर्ति हो रही है |
साथियों, पहाड़ों में जल संरक्षण का एक पारंपरिक तरीक़ा रहा है जिसे ‘चालखाल’ भी कहा जाता है , यानि पानी जमा करने के लिए बड़ा सा गड्ढा खोदना | इस परंपरा में भारती जी ने कुछ नए तौर –तरीकों को भी जोड़ दिया | उन्होंने लगातार छोटे-बड़े तालाब बनवाये | इससे न सिर्फ उफरैंखाल की पहाड़ी हरी-भरी हुई, बल्कि लोगों की पेयजल की दिक्कत भी दूर हो गई | आप ये जानकर हैरान रह जायेंगे कि भारती जी ऐसी 30 हजार से अधिक जल-तलैया बनवा चुके हैं | 30 हजार ! उनका ये भागीरथ कार्य आज ��ी जारी है और अनेक लोगों को प्रेरणा दे रहे हैं |
साथियों, इसी तरह यूपी के बाँदा ज़िले में अन्धाव गाँव के लोगों ने भी एक अलग ही तरह का प्रयास किया है | उन्होंने अपने अभियान को बड़ा ही दिलचस्प नाम दिया है – ‘खेत का पानी खेत में, गाँव का पानी गाँव में’ | इस अभियान के तहत गाँव के कई सौ बीघे खेतों में ऊँची-ऊँची मेड़ बनाई गई है | इससे बारिश का पानी खेत में इकठ्ठा होने लगा, और जमीन में जाने लगा | अब ये सब लोग खेतों की मेड़ पर पेड़ लगाने की भी योजना बना रहे हैं | यानि अब किसानों को पानी, पेड़ और पैसा, तीनों मिलेगा | अपने अच्छे कार्यों से, पहचान तो उनके गाँव की दूर-दूर तक वैसे भी हो रही है |
साथियों, इन सभी से प्रेरणा लेते हुए हम अपने आस-पास जिस भी तरह से पानी बचा सकते हैं, हमें बचाना चाहिए | मानसून के इस महत्वपूर्ण समय को हमें गंवाना नहीं है |
मेरे प्यारे देशवासियों, हमारे शास्त्रों में कहा गया है –
“नास्ति मूलम् अनौषधम्” ||
अर्थात, पृथ्वी पर ऐसी कोई वनस्पति ही नहीं है जिसमें कोई न कोई औषधीय गुण न हो! हमारे आस-पास ऐसे कितने ही पेड़ पौधे होते हैं जिनमें अद्भुत गुण होते हैं, लेकिन कई बार हमें उनके बारे में पता ही नहीं होता! मुझे नैनीताल से एक साथी, भाई परितोष ने इसी विषय पर एक पत्र भी भेजा है | उन्होंने लिखा है कि, उन्हें गिलोय और दूसरी कई वनस्पतियों के इतने चमत्कारी मेडिकल गुणों के बारे में कोरोना आने के बाद ही पता चला ! परितोष ने मुझे आग्रह भी किया है कि, मैं ‘मन की बात’ के सभी श्रोताओं से कहूँ कि आप अपने आसपास की वनस्पतियों के बारे में जानिए, और दूसरों को भी बताइये | वास्तव में, ये तो हमारी सदियों पुरानी विरासत है, जिसे हमें ही संजोना है | इसी दिशा में मध्य प्रदेश के सतना के एक साथी हैं श्रीमान रामलोटन कुशवाहा जी, उन्होंने बहुत ही सराहनीय काम किया है | रामलोटन जी ने अपने खेत में एक देशी म्यूज़ियम बनाया है | इस म्यूज़ियम में उन्होंने सैकड़ों औषधीय पौधों और बीजों का संग्रह किया है | इन्हें वो दूर–सुदूर क्षेत्रों से यहाँ लेकर आए है | इसके अलावा वो हर साल कई तरह की भारतीय सब्जियाँ भी उगाते हैं | रामलोटन जी की इस बगिया, इस देशी म्यूज़ियम को लोग देखने भी आते हैं, और उससे बहुत कुछ सीखते भी हैं | वाकई, ये एक बहुत अच्छा प्रयोग है जिसे देश के अलग–अलग क्षेत्रों में दोहराया जा सकता है | मैं चाहूँगा आपमें से जो लोग इस तरह का प्रयास कर सकते हैं, वो ज़रूर करें | इससे आपकी आय के नए साधन भी खुल सकते हैं | एक लाभ ये भी होगा कि स्थानीय वनस्पतियों के माध्यम से आपके क्षेत्र की पहचान भी बढ़ेगी |
मेरे प्यारे देशवासियों, अब से कुछ दिनों बाद 1 जुलाई को हम National Doctors’ Day मनाएंगे | ये दिन देश के महान चिकित्सक और Statesman, डॉक्टर बीसी राय की जन्म-जयंती को समर्पित है | कोरोना-काल में doctors के योगदान के हम सब आभारी हैं | हमारे डॉक्टर्स ने अपनी जान की परवाह न करते हुए हमारी सेवा की है | इसलिए, इस बार National Doctors’ Day और भी ख़ास हो जाता है |
साथियों, मेडिसिन की दुनिया के सबसे सम्मानित लोगों में से एक Hippocrates ने कहा था :
“Wherever the art of Medicine is loved, there is also a love of Humanity.”
यानि ‘जहाँ Art of Medicine के लिए प्रेम होता है, वहाँ मानवता के लिए भी प्रेम होता है’ | डॉक्टर्स, इसी प्रेम की शक्ति से ही हमारी सेवा कर पाते हैं इसलिए, हमारा ये दायित्व है कि हम उतने ही प्रेम से उनका धन्यवाद करें, उनका हौसला बढ़ाएँ | वैसे हमारे देश में कई लोग ऐसे भी हैं जो डॉक्टर्स की मदद के लिए आगे बढ़कर काम करते हैं | श्रीनगर से एक ऐसे ही प्रयास के बारे में मुझे पता चला | यहाँ डल झील में एक Boat Ambulance Service की शुरुआत की गई | इस सेवा को श्रीनगर के Tariq Ahmad Patloo जी ने शुरू किया, जो एक Houseboat Owner हैं | उन्होंने खुद भी COVID-19 से जंग लड़ी है और इसी से उन्हें Ambulance Service शुरू करने के लिए प्रेरित किया | उनकी इस Ambulance से लोगों को जागरूक करने का अभियान भी चल रहा है वो लगातार Ambulance से Announcement भी कर रहे हैं | कोशिश यही है कि लोग मास्क पहनने से लेकर दूसरी हर ज़रूरी सावधानी बरतें |
साथियों, Doctors’ Day के साथ ही एक जुलाई को Chartered Accountants Day भी मनाया जाता है | मैंने कुछ वर्ष पहले देश के Chartered Accountants से, ग्लोबल लेवल की भारतीय ऑडिट फर्म्स का उपहार माँगा था | आज मैं उन्हें इसकी याद दिलाना चाहता हूँ | अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता लाने के लिए Chartered Accountants बहुत अच्छी और सकारात्मक भूमिका निभा सकते हैं | मैं सभी Chartered Accountants, उनके परिवार के सदस्यों को अपनी शुभकामनाएं देता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियों, कोरोना के खिलाफ़ भारत की लड़ाई की एक बड़ी विशेषता है | इस लड़ाई में देश के हर व्यक्ति ने अपनी भूमिका निभाई है | मैंने “मन की बात” में अक्सर इसका ज़िक्र किया है | लेकिन कुछ लोगों को शिकायत भी रहती है कि उनके बारे में उतनी बात नहीं हो पाती है | अनेक लोग चाहे बैंक स्टाफ हो, टीचर्स हों, छोटे व्यापारी या दुकानदार हों, दुकानों में काम करने वाले लोग हों, रेहड़ी-पटरी वाले भाई-बहन हों, Security Watchmen, या फिर Postmen और Post Office के कर्मचारी- दरअसल यह लिस्ट बहुत ही लंबी है और हर किसी ने अपनी भूमिका निभाई है | शासन प्रशासन में भी कितने ही लोग अलग-अलग स्तर पर जुटे रहे हैं |
साथियों, आपने संभवतः भारत सरकार में सचिव रहे गुरु प्रसाद महापात्रा जी का नाम सुना होगा | मैं आज “मन की बात” में, उनका ज़िक्र भी करना चाहता हूँ | गुरुप्रसाद जी को कोरोना हो गया था, वो अस्पताल में भर्ती थे, और अपना कर्त्तव्य भी निभा रहे थे | देश में ऑक्सीजन का उत्पादन बढे, दूर-सुदूर इलाकों तक ऑक्सीजन पहुंचे इसके लिए उन्होंने दिन-रात काम किया | एक तरफ कोर्ट कचहरी का चक्कर, Media का Pressure - एक साथ कई मोर्चों पर वो लड़ते रहे, बीमारी के दौरान उन्होंने काम क��ना बंद नहीं किया | मना करने के बाद भी वो ज़िद करके ऑक्सीजन पर होने वाली वीडियों कॉन्फ्रेंस में भी शामिल हो जाते थे | देशवासियों की इतनी चिंता थी उन्हें | वो अस्पताल के Bed पर खुद की परवाह किए बिना, देश के लोगों तक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए इंतजाम में जुटे रहे | हम सबके लिए दुखद है कि इस कर्मयोगी को भी देश ने खो दिया है , कोरोना ने उन्हें हमसे छीन लिया है | ऐसे अनगिनत लोग हैं जिनकी चर्चा कभी हो नहीं पाई | ऐसे हर व्यक्ति को हमारी श्रद्धांजलि यही होगी कि हम कोविड प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन करें, वैक्सीन ज़रुर लगवाएं |
मेरे प्यारे देशवासियों, “मन की बात’ की सबसे अच्छी बात ये है कि इसमें मुझसे ज्यादा आप सबका योगदान रहता है | अभी मैंने MyGov में एक पोस्ट देखी, जो चेन्नई के थिरु आर.गुरुप्रसाद जी की है | उन्होंने जो लिखा है, वो जानकर आपको भी अच्छा लगेगा | उन्होंने लिखा है कि वो “मन की बात” programme के regular listener हैं | गुरुप्रसाद जी की पोस्ट से अब मैं कुछ पंक्तियाँ Quote कर रहा हूँ | उन्होंने लिखा है,
जब भी आप तमिलनाडु के बारे में बात करते हैं, तो मेरा Interest और भी बढ़ जाता है |
आपने तमिल भाषा और तमिल संस्कृति की महानता, तमिल त्योहारों और तमिलनाडु के प्रमुख स्थानों की चर्चा की है |
गुरु प्रसाद जी आगे लिखते हैं कि – “मन की बात” में मैंने तमिलनाडु के लोगों की उपलब्धियों के बारे में भी कई बार बताया है | तिरुक्कुरल के प्रति आपके प्यार और तिरुवल्लुवर जी के प्रति आपके आदर का तो कहना ही क्या ! इसलिए मैंने ‘मन की बात’ में आपने जो कुछ भी तमिलनाडु के बारे में बोला है, उन सबको संकलित कर एक E-Book तैयार की है | क्या आप इस E-book को लेकर कुछ बोलेंगे और इसे NamoApp पर भी release करेंगे ? धन्यवाद |
‘ये मैं गुरुप्रसाद जी का पत्र आप के सामने पढ़ रहा था |’
गुरुप्रसाद जी, आपकी ये पोस्ट पढ़कर बहुत आनंद आया | अब आप अपनी E-Book में एक और पेज जोड़ दीजिये |
..’नान तमिलकला चाराक्तिन पेरिये अभिमानी |
नान उलगतलये पलमायां तमिल मोलियन पेरिये अभिमानी |..’
उच्चारण का दोष अवश्य होगा लेकिन मेरा प्रयास और मेरा प्रेम कभी भी कम नहीं होगा | जो तमिल-भाषी नहीं हैं, उन्हें मैं बताना चाहता हूँ गुरुप्रसाद जी को मैंने कहा है –
मैं तमिल संस्कृति का बहुत बड़ा प्रशंसक हूँ |
मैं दुनिया की सबसे पुरानी भाषा तमिल का बड़ा प्रशंसक हूँ |
साथियों, हर हिन्दुस्तानी को, विश्व क�� सबसे पुरातन भाषा हमारे देश की है, इसका गुणगान करना ही चाहिए, उस पर गर्व महसूस करना चाहिए | मैं भी तमिल को लेकर बहुत गर्व करता हूँ | गुरु प्रसाद जी, आपका ये प्रयास मेरे लिए नई दृष्टि देने वाला है | क्योंकि मैं ‘मन की बात’ करता हूँ तो सहज-सरल तरीक़े से अपनी बात रखता हूँ | मुझे नहीं मालूम था कि इसका ये भी एक element था | आपने जब पुरानी सारी बातों को इकठ्ठा किया, तो मैंने भी उसे एक बार नहीं बल्कि दो बार पढ़ा | गुरुप्रसाद जी आपकी इस book को मैं NamoApp पर जरुर upload करवाऊंगा | भविष्य के प्रयासों के लिए आपको बहुत-बहुत शुभकामनायें |
मेरे प्यारे देशवासियों,आज हमने कोरोना की कठिनाइयों और सावधानियों पर बात की, देश और देशवासियों की कई उपलब्धियों पर भी चर्चा की |अब एक और बड़ा अवसर भी हमारे सामने है |15 अगस्त भी आने वाला है |आज़ादी के 75 वर्ष का अमृत-महोत्सव हमारे लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है |हम देश के लिए जीना सीखें |आज़ादी की जंग- देश के लिए मरने वालों की कथा है | आज़ादी के बाद के इस समय को हमें देश के लिए जीने वालों की कथा बनाना है |हमारा मंत्र होना चाहिए –India First. हमारे हर फ़ैसले , हर निर्णय का आधार होना चाहिए - India First |
साथियों, अमृत-महोत्सव में देश ने कई सामूहिक लक्ष्य भी तय किए हैं |जैसे, हमें अपने स्वाधीनता सेनानियों को याद करते हुए उनसे जुड़े इतिहास को पुनर्जीवित करना है |आपको याद होगा कि ‘मन की बात’ में, मैंने युवाओं से स्वाधीनता संग्राम पर इतिहास लेखन करके, शोध करने, इसकी अपील की थी |मक़सद यह था कि युवा प्रतिभाएं आगे आए, युवा-सोच, युवा-विचार सामने आए, युवा- कलम नई ऊर्जा के साथ लेखन करे |मुझे ये देखकर बहुत अच्छा लगा कि बहुत ही कम समय में ढाई हज़ार से ज्यादा युवा इस काम को करने के लिए आगे आए हैं | साथियों, दिलचस्प बात ये है 19वीं- 20 वीं शताब्दी की जंग की बात तो आमतौर पर होती रहती है लेकिन ख़ुशी इस बात की है कि 21वीं सदी में जो युवक पैदा हुए हैं, 21वीं सदी में जिनका जन्म हुआ है, ऐसे मेरे नौजवान साथियों ने 19वीं और 20वीं शताब्दी की आज़ादी की जंग को लोगों के सामने रखने का मोर्चा संभाला है |इन सभी लोगों ने MyGov पर इसका पूरा ब्यौरा भेजा है |ये लोग हिंदी – इंग्लिश, तमिल, कन्नड़ा, बांग्ला, तेलुगू, मराठी – मलयालम, गुजराती, ऐसी देश की अलग-अलग भाषाओँ में स्वाधीनता संग्राम पर लिखेंगें |कोई स्वाधीनता संग्राम से जुड़े रहे, अपने आस-पास के स्थानों की जानकारी जुटा रहा है, तो कोई, आदिवासी स्वाधीनता सेनानियों पर किताब लिख रहा है |एक अच्छी शुरुआत है |मेरा आप सभी से अनुरोध है कि अमृत-महोत्सव से जैसे भी जुड़ सकते हैं, ज़रुर जुड़े |ये हमारा सौभाग्य है कि हम आज़ादी के 75 वर्ष के पर्व का साक्षी बन रहे हैं |इसलिए अगली बार जब हम ‘मन की बात’ में मिलेंगे, तो अमृत-महोत्सव की और तैयारियों पर भी बात करेंगे |आप सब स्वस्थ रहिए, कोरोना से जुड़े नियमों का पालन करते हुए आगे बढ़िए, अपने नए-नए प्रयासों से देश को ऐसे ही गति देते रहिए |इन्हीं शुभकामनाओं के साथ, बहुत बहुत धन्यवाद |
मेरे प्यारे देशवासियो,नमस्कार! अक्सर‘मन की बात’ में, आपकेप्रश्नों की बौछार रहती है | इस बार मैंने सोचा कि कुछ अलग किया जाए, मैं आपसे प्रश्न करूँ |तो, ध्यान से सुनिए मेरे सवाल |
....Olympic में Individual Gold जीतने वाला पहला भारतीय कौन था?
....Olympic के कौन से खेल में भारत ने अब तक सबसे ज्यादा medal जीते हैं?
...Olympic में किस खिलाड़ी ने सबसे ज्यादा पदक जीते हैं?
साथियो, आप मुझे जवाब भेजेंन भेजें, पर MyGov में Olympics परजो quiz है, उसमें प्रश्नों के उत्तर देंगे तो कई सारे इनाम जीतेंगे | ऐसे बहुत सारे प्रश्न MyGovके ‘Road to Tokyo Quiz’ में हैं | आप ‘Road to Tokyo Quiz’ में भाग लें | भारत ने पहले कैसा perform किया है ? हमारी Tokyo Olympics के लिए अब क्या तैयारी है ?- ये सब ख़ुद जानें और दूसरों को भी बताएं | मैं आप सब से आग्रह करना चाहता हूँ कि आप इस quiz competition में ज़रुर हिस्सा लीजिये |
साथियो, जब बात Tokyo Olympics की हो रही हो, तो भला मिल्खा सिंह जी जैसे legendary athlete को कौन भूल सकता है !कुछ दिन पहले ही कोरोना ने उन्हें हमसे छीन लिया | जब वे अस्पताल में थे, तो मुझे उनसे बात करने का अवसर मिला था |
बात करते हुए मैंने उनसे आग्रह किया था | मैंने कहा था कि आपने तो 1964 में Tokyo Olympics में भारत का प्रतिनिधित्व किया था, इसलिए इस बार, जब हमारे खिलाड़ी,Olympics के लिए Tokyo जा रहे हैं, तोआपको हमारे athletes का मनोबल बढ़ाना है, उन्हें अपने संदेश से प्रेरित करना है | वो खेल को लेकर इतना समर्पित और भावुक थे कि बीमारी में भी उन्होंने तुरंत ही इसके लिए हामी भर दी लेकिन, दुर्भाग्य से नियति को कुछ और मंजूर था | मुझे आज भी याद है 2014 में वो सूरत आए थे | हम लोगों ने एक Night Marathon का उद्घाटन किया था | उस समय उनसे जो गपशप हुई, खेलों के बारे में जो बात हुई, उससे मुझे भी बहुत प्रेरणा मिली थी | हम सब जानते हैं कि मिल्खा सिंह जी का पूरा परिवार sports को समर्पित रहा है, भारत का गौरव बढ़ाता रहा है |
साथियो, जब Talent, Dedication, Determination और Sportsman Spirit एक साथ मिलते हैं, तब जाकर कोई champion बनता है |हमारे देश में तो अधिकांश खिलाड़ी छोटे-छोटे शहरों, कस्बों, गाँवों से निकल करके आते हैं |Tokyo जा रहे हमारे Olympic दल में भी कई ऐसे खिलाड़ी शामिल हैं, जिनका जीवन बहुत प्रेरित करता है | हमारे प्रवीण जाधव जी के बारे में आप सुनेंगे, तो, आपको भी लगेगा कि कितने कठिन संघर्षों से गुजरते हुए प्रवीण जी यहाँ पहुंचे हैं | प्रवीण जाधव जी, महाराष्ट्र के सतारा ज़िले के एक गाँव के रहने वाले हैं | वो Archery के बेहतरीन खिलाड़ी हैं | उनके माता-पिता मज़दूरी कर परिवार चलाते हैं, और अब उनका बेटा, अपना पहला,Olympics खेलने Tokyo जा रहा है | ये सिर्फ़ उनके माता-पिता ही नहीं, हम सभी के लिए कितने गौरव की बात है | ऐसे ही, एक और खिलाड़ी हैं, हमारी नेहा गोयल जी | नेहा,Tokyoजा रही महिला हॉकी टीम की सदस्य हैं | उनकी माँ और बहनें, साईकिल की factory में काम करके परिवार का ख़र्च जुटाती हैं | नेहा की तरह ही दीपिका कुमारी जी के जीवन का सफ़र भी उतार-चढ़ाव भरा रहा है | दीपिका के पिता ऑटो-रिक्शा चलाते हैं और उनकी माँ नर्स हैं, और अब देखिए, दीपिका, अब Tokyo Olympics में भारत की तरफ से एकमात्र महिला तीरंदाज़ हैं | कभी विश्व की नंबर एक तीरंदाज़ रहीं दीपिका के साथ हम सबकी शुभकामनाएँ हैं |
साथियो, जीवन में हम जहां भी पहुँचते हैं, जितनी भी ऊंचाई प्राप्त करते हैं, जमीन से ये जुड़ाव, हमेशा, हमें अपनी जड़ों से बांधे रखता है | संघर्ष के दिनों के बाद मिली सफलता का आनंद भी कुछ और ही होता है |Tokyo जा रहे हमारे खिलाड़ियों ने बचपन में साधनों-संसाधनों की हर कमी का सामना किया, लेकिन वो डटे रहे, जुटे रहे | उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर की प्रियंका गोस्वामी जी का जीवन भी बहुत सीख देता है | प्रियंका के पिता बस कंडक्टर हैं | बचपन में प्रियंका को वो बैग बहुत पसंद था, जो medal पाने वाले खिलाड़ियों को मिलता है | इसी आकर्षण में उन्होंने पहली बार Race-Walking प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था | अब, आज वो इसकी बड़ी champion हैं |
Javelin Throw में भाग लेने वाले शिवपाल सिंह जी, बनारस के रहने वाले हैं | शिवपाल जी का तो पूरा परिवार ही इस खेल से जुड़ा हुआ है | इनके पिता, चाचा और भाई, सभी भाला फेंकने में expert हैं | परिवार की यही परंपरा उनके लिए Tokyo Olympics में काम आने वाली है |Tokyo Olympic के लिए जा रहे चिराग शेट्टी और उनके partner सात्विक साईराज का हौसला भी प्रेरित करने वाला है | हाल ही में चिराग के नाना जी का कोरोना से निधन हो गया था | सात्विक भी खुद पिछले साल कोरोना पॉज़िटिव हो गए थे | लेकिन, इन मुश्किलों के बाद भी ये दोनों Men’s Double Shuttle Competition में अपना सर्वश्रेष्ठ देने की तैयारी में जुटे हैं |
एक और खिलाड़ी से मैं आपका परिचय कराना चाहूँगा, ये हैं, हरियाणा के भिवानी के मनीष कौशिक जी | मनीष जी खेती-किसानी वाले परिवार से आते हैं | बचपन में खेतों में काम करते-करते मनीष को boxing का शौक हो गया था | आज ये शौक उन्हें टोक्यो ले जा रहा है | एक और खिलाड़ी हैं, सी.ए. भवानी देवी जी | नाम भवानी है और ये तलवारबाजी में expert हैं | चेन्नई की रहने वाली भवानी पहली भारतीय Fencer हैं, जिन्होंने Olympic में qualify किया है | मैं कहीं पढ़ रहा था कि भवानी जी की training जारी रहे, इसके लिए उनकी माँ ने अपने गहने तक गिरवी रख दिये थे |
साथियो, ऐसे तो अनगिनत नाम हैं लेकिन ‘मन की बात’ में, मैं, आज कुछ ही नामों का जिक्र कर पाया हूँ | टोक्यो जा रहे हर खिलाड़ी का अपना संघर्ष रहा है, बरसों की मेहनत रही है | वो सिर्फ़ अपने लिए ही नहीं जा रहें बल्कि देश के लिए जा रहे हैं | इन खिलाड़ियों को भारत का गौरव भी बढ़ाना है और लोगों का दिल भी जीतना है और इसलिए मेरे देशवासियों मैं आपको भी सलाह देना चाहता हूँ, हमें जाने-अनजाने में भी हमारे इन खिलाड़ियों पर दबाव नहीं बनाना है, बल्कि खुले मन से, इनका साथ देना है, हर खिलाड़ी का उत्साह बढ़ाना है |
Social Media पर आप #Cheer4India के साथ अपने इन खिलाड़ियों को शुभकामनाएँ दे सकते हैं | आप कुछ और भी innovative करना चाहें, तो वो भी ज़रूर करें | अगर आपको कोई ऐसा idea आता है जो हमारे खिलाड़ियों के लिए देश को मिलकर करना चाहिए, तो वो आप मुझे ज़रुर भेजिएगा | हम सब मिलकर टोक्यो जाने वाले अपने खिलाड़ियों को support करेंगे - Cheer4India!!!Cheer4India!!!Cheer4India!!!
मेरे प्यारे देशवासियो, कोरोना के खिलाफ़ हम देशवासियों की लड़ाई जारी है,लेकिन इस लड़ाई में हम सब साथ मिलकर कई असाधारण मुकाम भी हासिल कर रहे हैं | अभी कुछ दिन पहले ही हमारे देश ने एक अभूतपूर्व काम किया है | 21 जून को vaccine अभियान के अगले चरण की शुरुआत हुई और उसी दिन देश ने 86 लाख से ज्यादा लोगों को मुफ़्त vaccine लगाने का record भी बना दिया और वो भी एक दिन में ! इतनी बड़ी संख्या में भारत सरकार की तरफ से मुफ़्त vaccination और वो भी एक दिन में ! स्वाभाविक है, इसकी चर्चा भी खूब हुई है |
साथियो, एक साल पहले सबके सामने सवाल था कि vaccine कब आएगी ? आज हम एक दिन में लाखों लोगों को‘ Made in India’ vaccine मुफ़्त में लगा रहे हैं और यही तो नए भारत की ताक़त है |
साथियो,vaccine की safety देश के हर नागरिक को मिले, हमें लगातार प्रयास करते रहना है |कई जगहों पर vaccine hesitancy को खत्म करने के लिए कई संगठन, civil society के लोग आगे आये हैं और सब मिलकर के बहुत अच्छा काम कर रहे हैं | चलिये, हम भी, आज, एक गाँव में चलते हैं, और,उन्हीं लोगों से बात करते हैं vaccine के बारे में मध्य प्रदेश के बैतूल ज़िले के डुलारिया गाँव चलते हैं |
प्रधानमंत्री : हलो !
राजेश : नमस्कार !
प्रधानमंत्री : नमस्ते जी |
राजेश : मेरा नाम राजेश हिरावे, ग्राम पंचायत डुलारिया, भीमपुर ब्लॉक|
प्रधानमंत्री : राजेश जी, मैंने फ़ोन इसलिए किया कि मैं जानना चाहता था कि अभी आपके गाँव में, अब कोरोना की क्या स्थिति है ?
राजेश : सर, यहाँ पे कोरोना की स्थिति तो अभी ऐसा कुछ नहीं है यहाँ I
प्रधानमंत्री : अभी लोग बीमार नहीं हैं ?
राजेश : जी |
प्रधानमंत्री : गाँव की जनसँख्या कितनी है? कितने लोग हैं गाँव में ?
राजेश : गाँव में 462 पुरुष हैं और 332 महिला हैं,सर |
प्रधानमंत्री : अच्छा! राजेश जी, आपने vaccine ले ली क्या ?
राजेश : नहीं सर, अभी नहीं लिए हैं |
प्रधानमंत्री : अरे ! क्यों नहीं लिया ?
राजेश : सर जी, यहाँ पर कुछ लोगों ने, कुछ WhatsApp पर ऐसा भ्रम डाल दिया गया कि उससे लोग भ्रमित हो गए सर जी |
प्रधानमंत्री : तो क्या आपके मन में भी डर है ?
राजेश : जी सर, पूरे गाँव में ऐसा भ्रम फैला दिया था सर |
प्रधानमंत्री : अरे रे रे, यह क्या बात की आपने ? देखिये राजेश जी...
राजेश : ��ी |
प्रधानमंत्री : मेरा आपको भी और मेरे सभी गाँव के भाई-बहनों को यही कहना है कि डर है तो निकाल दीजिये |
राजेश : जी |
प्रधानमंत्री : हमारे पूरे देश में 31 करोड़ से भी ज्यादा लोगों ने वैक्सीन का टीका लगवा लिया है |
राजेश : जी |
प्रधानमंत्री : आपको पता है न, मैंने खुद ने भी दोनों dose लगवा लिए हैं |
राजेश : जी सर |
प्रधानमंत्री : अरे मेरी माँ तो क़रीब-क़रीब 100 साल की हैं, उन्होंने भी दोनों dose लगवा लिए हैं I कभी-कभी किसी को इससे बुखार वगैरह आता है, पर वो बहुत मामूली होता है, कुछ घंटो के लिए ही होता है |देखिए vaccine नहीं लेना बहुत ख़तरनाक हो सकता है |
राजेश : जी |
प्रधानमंत्री : इससे आप ख़ुद को तो ख़तरे में डालते ही हैं, साथ ही में परिवार और गाँव को भी ख़तरे में डाल सकते हैं |
राजेश : जी |
प्रधानमंत्री : और राजेश जी इसलिए जितना जल्दी हो सके vaccine लगवा लीजिये और गाँव में सबको बताइये कि भारत सरकार की तरफ से मुफ़्त vaccine दी जा रही है और 18 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों के लिए यह मुफ़्त vaccination है |
राजेश : जी... जी...
प्रधानमंत्री : तो ये आप भी लोगों को गाँव में बताइये और गाँव में ये डर का तो माहौल का कोई कारण ही नहीं है |
राजेश : कारण यही सर, कुछ लोग ने ऐसी गलत अफ़वाह फैला दी जिससे लोग बहुत ही भयभीत हो गए उसका उदाहरण जैसे, जैसा उस vaccine को लगाने से बुखार आना, बुखार से और बीमारी फ़ैल जाना मतलब आदमी की मौत हो जाना यहाँ तक की अफ़वाह फैलाई |
प्रधानमंत्री : ओहोहो... देखिये आज तो इतने रेडियो, इतने टी.वी., इतनी सारी खबरें मिलती हैं और इसलिए लोगों को समझाना बहुत सरल हो जाता है और देखिये मैं आपको बताऊँ भारत के अनेक गाँव ऐसे हैं जहाँ सभी लोग vaccine लगवा चुके है यानी गाँव के शत प्रतिशत लोग | जैसे मैं आपको एक उदाहरण देता हूँ...
राजेश : जी |
प्रधानमंत्री : कश्मीर में बांदीपुरा ज़िला है, इस बांदीपुरा ज़िले में एक व्यवन(Weyan)गाँव के लोगों ने मिलकर 100%, शत प्रतिशत vaccine का लक्ष्य बनाया और उसे पूरा भी कर दिया | आज कश्मीर के इस गाँव के 18 साल से ऊपर के सभी लोग टीका लगवा चुके हैं | नागालैंड के भी तीन गाँवों के बारे में मुझे पता चला कि वहाँ भी सभी लोगों ने 100%, शत प्रतिशत टीका लगवा लिया है |
राजेश : जी... जी...
प्रधानमंत्री : राजेश जी, आपको भी अपने गाँव, अपने आस-पास के गाँव में ये बात पहुँचानी चाहिये और आप भी जैसे कहते हैं ये भ्रम है, बस ये भ्रम ही है |
राजेश : जी... जी...
प्रधानमंत्री : तो भ्रम का जवाब यही है कि आपको ख़ुद को टीका लगा कर के समझाना पड़ेगा सबको | करेंगे न आप ?
राजेश : जी सर |
प्रधानमंत्री : पक्का करेंगे ?
राजेश : जी सर, जी सर | आपसे बात करने से मुझे ऐसा लगा कि मैं ख़ुद भी टीका लगाऊंगा और लोगों को इसके बारे में आगे बढ़ाऊँ |
प्रधानमंत्री : अच्छा, गाँव में और भी कोई है जिनसे मैं बात कर सकता हूँ ?
राजेश : जी है सर |
प्रधानमंत्री : कौन बात करेगा ?
किशोरीलाल : हेल्लो सर... नमस्कार !
प्रधानमंत्री : नमस्ते जी, कौन बोल रहे हैं ?
किशोरीलाल : सर, मेरा नाम है किशोरीलाल दूर्वे |
प्रधानमंत्री : तो किशोरीलाल जी, अभी राजेश जी से बात हो रही थी |
किशोरीलाल : जी सर |
प्रधानमंत्री : और वो तो बड़े दुखी हो करके बता रहे थे कि vaccine को लेकर लोग अलग-अलग बातें करते हैं |
किशोरीलाल : जी |
प्रधानमंत्री : आपने भी ऐसा सुना है क्या ?
किशोरीलाल : हाँ... सुना तो हूँ सर वैसा...
प्रधानमंत्री : क्या सुना है ?
किशोरीलाल : क्योंकि ये है सर ये पास में महाराष्ट्र है उधर से कुछ रिश्तेदारी से जुड़े लोग मतलब कुछ अफ़वाह फैलाते कि vaccine लगाने से लोग सब मर रहा है, कोई बीमार हो रहा है कि सर लोगों के पास ज्यादा भ्रम है सर, इसलिए नहीं ले रहे हैं |
प्रधानमंत्री :नहीं.. कहते क्या है ? अब कोरोना चला गया, ऐसा कहते है ?
किशोरीलाल : जी |
प्रधानमंत्री : कोरोना से कुछ नहीं होता है ऐसा कहते है ?
किशोरीलाल : नहीं, कोरोना चला गया नहीं बोलते सर, कोरोना तो है बोलते लेकिन vaccine जो लेते उससे मतलब बीमारी हो रहा है, सब मर रहे है | ये स्थिति बताते सर वो |
प्रधानमंत्री : अच्छा vaccine के कारण मर रहे हैं ?
किशोरीलाल : अपना क्षेत्र आदिवासी-क्षेत्र है सर, ऐसे भी लोग इसमें जल्दी डरते हैं .. जो भ्रम फैला देते कारण से लोग नहीं ले रहे सर vaccine |
प्रधानमंत्री :देखिये किशोरीलाल जी...
किशोरीलाल : जी हाँ सर...
प्रधानमंत्री : ये अफ़वाहें फैलाने वाले लोग तो अफ़वाहें फैलाते रहेंगे |
किशोरीलाल : जी |
प्रधानमंत्री : हमें तो ज़िन्दगी बचानी है, अपने गाँव वालों को बचाना है, अपने देशवासियों को बचाना है | और ये अगर कोई कहता है कि कोरोना चला गया तो ये भ्रम में मत रहिए |
किशोरीलाल : जी |
प्रधानमंत्री : ये बीमारी ऐसी है, ये बहुरूपिये वाली है |
किशोरीलाल : जी सर |
प्रधानमंत्री : वो रूप बदलती है... नए-नए रंग-रूप कर के पहुँच जाती है |
किशोरीलाल : जी |
प्रधानमंत्री : और उसमें बचने के लिए हमारे पास दो रास्ते हैं | एक तो कोरोना के लिए जो protocol बनाया, मास्क पहनना, साबुन से बार-बार हाथ धोना, दूरी बनाए रखना और दूसरा रास्ता है इसके साथ-साथ vaccine का टीका लगवाना, वो भी एक अच्छा सुरक्षा कवच है तो उसकी चिंता करिए |
किशोरीलाल : जी |
प्रधानमंत्री : अच्छा किशोरीलाल जी ये बताइये |
किशोरीलाल : जी सर
प्रधानमंत्री : जब लोग आपसे बातें करते है तो आप कैसे समझाते है लोगों को ? आप समझाने का काम करते है कि आप भी अफ़वाह में आ जाते हैं ?
किशोरीलाल : समझाएं क्या, वो लोग ज्यादा हो जाते तो सर हम भी भयभीत में आ जाते न सर |
प्रधानमंत्री : देखिये किशोरीलाल जी, मेरी आपसे बात हुई है आज, आप मेरे साथी हैं|
किशोरीलाल : जी सर
प्रधानमंत्री : आपको डरना नहीं है और लोगों के डर को भी निकालना है | निकालोगे ?
किशोरीलाल : जी सर | निकालेंगे सर, लोगों के डर को भी निकालेंगे सर | मैं स्वयं भी ख़ुद लगाऊंगा |
प्रधानमंत्री : देखिये, अफ़वाहों पर बिल्कुल ध्यान न दें |
किशोरीलाल : जी
प्रधानमंत्री : आप जानते है, हमारे वैज्ञानिकों ने कितनी मेहनत करके ये vaccine बनाई है |
किशोरीलाल : जी सर |
प्रधानमंत्री : साल भर, रात-दिन इतने बड़े-बड़े वैज्ञानिकों ने काम किया है और इसलिए हमें विज्ञान पर भरोसा करना चाहिये, वैज्ञानिकों पर भरोसा करना चाहिये | और ये झूठ फैलाने वाले लोगों को बार-बार समझाना चाहिये कि देखिये भई ऐसा नहीं होता है, इतने लोगों ने vaccine ले लिया है कुछ नहीं होता है |
किशोरीलाल : जी
प्रधानमंत्री : और अफ़वाहों से बहुत बच करके रहना चाहिये, गाँव को भी बचाना चाहिये |
किशोरीलाल : जी
प्रधानमंत्री : और राजेश जी, किशोरीलाल जी, आप जैसे साथियों को तो मैं कहूँगा कि आप अपने ही गाँव में नहीं, और गाँवों में भी इन अफ़वाहों को रोकने का काम कीजिये और लोगों को बताइये मेरे से बात हुई है |
किशोरीलाल : जी सर |
प्रधानमंत्री : बता दीजिये, मेरा नाम बता दीजिये |
किशोरीलाल : बताएँगे सर और समझायेंगे लोगों को और स्वयं भी लेंगे |
प्रधानमंत्री : देखिये, आपके पूरे गाँव को मेरी तरफ से शुभकामनाएं दीजिये |
किशोरीलाल : जी सर |
प्रधानमंत्री : और सभी से कहिये कि जब भी अपना नंबर आये...
किशोरीलाल : जी...
प्रधानमंत्री : vaccine जरुर लगवाएं |
किशोरीलाल : ठीक है सर |
प्रधानमंत्री : मैं चाहूँगा कि गाँव की महिलाओं को, हमारी माताओं-बहनों को...
किशोरीलाल : जी सर
प्रधानमंत्री : इस काम में ज्यादा से ज्यादा जोड़िये और सक्रियता के साथ उनको साथ रखिये |
किशोरीलाल : जी
प्रधानमंत्री : कभी-कभी माताएँ-बहनें बात कहती है न लोग जल्दी मान जाते हैं |
किशोरीलाल : जी
प्रधानमंत्री : आपके गाँव में जब टीकाकरण पूरा हो जाए तो मुझे बताएँगे आप ?
किशोरीलाल : हाँ, बताएँगे सर |
प्रधानमंत्री : पक्का बताएँगे ?
किशोरीलाल : जी
प्रधानमंत्री : देखिये, मैं इंतज़ार करूँगा आपकी चिट्ठी का |
किशोरीलाल : जी सर
प्रधानमंत्री : चलिये, राजेश जी, किशोर जी बहुत-बहुत धन्यवाद | आपसे बात करने का मौक़ा मिला |
किशोरीलाल : धन्यवाद सर, आपने हमसे बात किया है | बहुत-बहुत धन्यवाद आपको भी |
साथियो, कभी-ना-कभी, ये विश्व के लिए case study का विषय बनेगा कि भारत के गाँव के लोगों ने, हमारे वनवासी-आदिवासी भाई-बहनों ने, इस कोरोना काल में, किस तरह, अपने सामर्थ्य और सूझबूझ का परिचय दिया | गाँव के लोगों ने quarantine centreबनाए, स्थानीय ज़रूरतों को देखते हुए COVID protocol बनाए | गाँव के लोगों ने किसी को भूखा नहीं सोने दिया, खेती का काम भी रुकने नहीं दिया | नजदीक के शहरों में दूध-सब्जियाँ, ये सब हर रोज पहुंचता रहे, ये भी, गाँवों ने सुनिश्चित कियायानी ख़ुद को संभाला, औरों को भी संभाला | ऐसे ही हमें vaccination अभियान में भी करते रहना है | हमें जागरूक रहना भी है,और जागरूक करना भी है | गांवों में हर एक व्यक्ति को vaccine लग जाए,यह हर गाँव का लक्ष्य होना चाहिए | याद रखिए,और मैं तो आपको ख़ास रूप से कहना चाहता हूँ | आप एक सवाल अपने मन में पूछिये - हर कोई सफल होना चाहता है लेकिन निर्णायक सफलता का मंत्र क्या है ? निर्णायक सफलता का मंत्र है -निरंतरता |इसलिए हमें सुस्त नहीं पड़ना है, किसी भ्रांति में नहीं रहना है | हमें सतत प्रयास करते रहना है, कोरोना पर जीत हासिल करनी है |
मेरे प्यारे देशवासियों, हमारे देश में अब मानसून का सीजन भी आ गया है | बादल जब बरसते हैं तो केवल हमारे लिए ही नहीं बरसते, बल्कि बादल आने वाली पीढ़ियों के लिए भी बरसते हैं | बारिश का पानी जमीन में जाकर इकठ्ठा भी होता है, जमीन के जलस्तर को भी सुधारता है | और इसलिए मैं जल संरक्षण को देश सेवा का ही एक रूप मानता हूँ | आपने भी देखा होगा, हम में से कई लोग इस पुण्य को अपनी ज़िम्मेदारी मानकर लगे रहे हैं | ऐसे ही एक शख्स हैं उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के सच्चिदानंद भारती जी | भारती जी एक शिक्षक हैं और उन्होंने अपने कार्यों से भी लोगों को बहुत अच्छी शिक्षा दी है | आज उनकी मेहनत से ही पौड़ी गढ़वाल के उफरैंखाल क्षेत्र में पानी का बड़ा संकट समाप्त हो गया है | जहाँ लोग पानी के लिए तरसते थे, वहाँ आज साल-भर जल की आपूर्ति हो रही है |
साथियों, पहाड़ों में जल संरक्षण का एक पारंपरिक तरीक़ा रहा है जिसे ‘चालखाल’ भी कहा जाता है , यानि पानी जमा करने के लिए बड़ा सा गड्ढा खोदना | इस परंपरा में भारती जी ने कुछ नए तौर –तरीकों को भी जोड़ दिया | उन्होंने लगातार छोटे-बड़े तालाब बनवाये | इससे न सिर्फ उफरैंखाल की पहाड़ी हरी-भरी हुई, बल्कि लोगों की पेयजल की दिक्कत भी दूर हो गई | आप ये जानकर हैरान रह जायेंगे कि भारती जी ऐसी 30 हजार से अधिक जल-तलैया बनवा चुके हैं | 30 हजार ! उनका ये भागीरथ कार्य आज भी जारी है और अनेक लोगों को प्रेरणा दे रहे हैं |
साथियों, इसी तरह यूपी के बाँदा ज़िले में अन्धाव गाँव के लोगों ने भी एक अलग ही तरह का प्रयास किया है | उन्होंने अपने अभियान को बड़ा ही दिलचस्प नाम दिया है – ‘खेत का पानी खेत में, गाँव का पानी गाँव में’ | इस अभियान के तहत गाँव के कई सौ बीघे खेतों में ऊँची-ऊँची मेड़ बनाई गई है | इससे बारिश का पानी खेत में इकठ्ठा होने लगा, और जमीन में जाने लगा | अब ये सब लोग खेतों की मेड़ पर पेड़ लगाने की भी योजना बना रहे हैं | यानि अब किसानों को पानी, पेड़ और पैसा, तीनों मिलेगा | अपने अच्छे कार्यों से, पहचान तो उनके गाँव की दूर-दूर तक वैसे भी हो रही है |
साथियों, इन सभी से प्रेरणा लेते हुए हम अपने आस-पास जिस भी तरह से पानी बचा सकते हैं, हमें बचाना चाहिए | मानसून के इस महत्वपूर्ण समय को हमें गंवाना नहीं है |
मेरे प्यारे देशवासियों, हमारे शास्त्रों में कहा गया है –
“नास्ति मूलम् अनौषधम्” ||
अर्थात, पृथ्वी पर ऐसी कोई वनस्पति ही नहीं है जिसमें कोई न कोई औषधीय गुण न हो! हमारे आस-पास ऐसे कितने ही पेड़ पौधे होते हैं जिनमें अद्भुत गुण होते हैं, लेकिन कई बार हमें उनके बारे में पता ही नहीं होता! मुझे नैनीताल से एक साथी, भाई परितोष ने इसी विषय पर एक पत्र भी भेजा है | उन्होंने लिखा है कि, उन्हें गिलोय और दूसरी कई वनस्पतियों के इतने चमत्कारी मेडिकल गुणों के बारे में कोरोना आने के बाद ही पता चला ! परितोष ने मुझे आग्रह भी किया है कि, मैं ‘मन की बात’ के सभी श्रोताओं से कहूँ कि आप अपने आसपास की वनस्पतियों के बारे में जानिए, और दूसरों को भी बताइये | वास्तव में, ये तो हमारी सदियों पुरानी विरासत है, जिसे हमें ही संजोना है | इसी दिशा में मध्य प्रदेश के सतना के एक साथी हैं श्रीमान रामलोटन कुशवाहा जी, उन्होंने बहुत ही सराहनीय काम किया है | रामलोटन जी ने अपने खेत में एक देशी म्यूज़ियम बनाया है | इस म्यूज़ियम में उन्होंने सैकड़ों औषधीय पौधों और बीजों का संग्रह किया है | इन्हें वो दूर–सुदूर क्षेत्रों से यहाँ लेकर आए है | इसके अलावा वो हर साल कई तरह की भारतीय सब्जियाँ भी उगाते हैं | रामलोटन जी की इस बगिया, इस देशी म्यूज़ियम को लोग देखने भी आते हैं, और उससे बहुत कुछ सीखते भी हैं | वाकई, ये एक बहुत अच्छा प्रयोग है जिसे देश के अलग–अलग क्षेत्रों में दोहराया जा सकता है | मैं चाहूँगा आपमें से जो लोग इस तरह का प्रयास कर सकते हैं, वो ज़रूर करें | इससे आपकी आय के नए साधन भी खुल सकते हैं | एक लाभ ये भी होगा कि स्थानीय वनस्पतियों के माध्यम से आपके क्षेत्र की पहचान भी बढ़ेगी |
मेरे प्यारे देशवासियों, अब से कुछ दिनों बाद 1 जुलाई को हम National Doctors’ Day मनाएंगे | ये दिन देश के महान चिकित्सक और Statesman, डॉक्टर बीसी राय की जन्म-जयंती को समर्पित है | कोरोना-काल में doctors के योगदान के हम सब आभारी हैं | हमारे डॉक्टर्स ने अपनी जान की परवाह न करते हुए हमारी सेवा की है | इसलिए, इस बार National Doctors’ Day और भी ख़ास हो जाता है |
साथियों, मेडिसिन की दुनिया के सबसे सम्मानित लोगों में से एक Hippocrates ने कहा था :
“Wherever the art of Medicine is loved, there is also a love of Humanity.”
यानि ‘जहाँ Art of Medicine के लिए प्रेम होता है, वहाँ मानवता के लिए भी प्रेम होता है’ | डॉक्टर्स, इसी प्रेम की शक्ति से ही हमारी सेवा कर पाते हैं इसलिए, हमारा ये दायित्व है कि हम उतने ही प्रेम से उनका धन्यवाद करें, उनका हौसला बढ़ाएँ | वैसे हमारे देश में कई लोग ऐसे भी हैं जो डॉक्टर्स की मदद के लिए आगे बढ़कर काम करते हैं | श्रीनगर से एक ऐसे ही प्रयास के बारे में मुझे पता चला | यहाँ डल झील में एक Boat Ambulance Service की शुरुआत की गई | इस सेवा को श्रीनगर के Tariq Ahmad Patloo जी ने शुरू किया, जो एक Houseboat Owner हैं | उन्होंने खुद भी COVID-19 से जंग लड़ी है और इसी से उन्हें Ambulance Service शुरू करने के लिए प्रेरित किया | उनकी इस Ambulance से लोगों को जागरूक करने का अभियान भी चल रहा है वो लगातार Ambulance से Announcement भी कर रहे हैं | कोशिश यही है कि लोग मास्क पहनने से लेकर दूसरी हर ज़रूरी सावधानी बरतें |
साथियों, Doctors’ Day के साथ ही एक जुलाई को Chartered Accountants Day भी मनाया जाता है | मैंने कुछ वर्ष पहले देश के Chartered Accountants से, ग्लोबल लेवल की भारतीय ऑडिट फर्म्स का उपहार माँगा था | आज मैं उन्हें इसकी याद दिलाना चाहता हूँ | अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता लाने के लिए Chartered Accountants बहुत अच्छी और सकारात्मक भूमिका निभा सकते हैं | मैं सभी Chartered Accountants, उनके परिवार के सदस्यों को अपनी शुभकामनाएं देता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियों, कोरोना के खिलाफ़ भारत की लड़ाई की एक बड़ी विशेषता है | इस लड़ाई में देश के हर व्यक्ति ने अपनी भूमिका निभाई है | मैंने “मन की बात” में अक्सर इसका ज़िक्र किया है | लेकिन कुछ लोगों को शिकायत भी रहती है कि उनके बारे में उतनी बात नहीं हो पाती है | अनेक लोग चाहे बैंक स्टाफ हो, टीचर्स हों, छोटे व्यापारी या दुकानदार हों, दुकानों में काम करने वाले लोग हों, रेहड़ी-पटरी वाले भाई-बहन हों, Security Watchmen, या फिर Postmen और Post Office के कर्मचारी- दरअसल यह लिस्ट बहुत ही लंबी है और हर किसी ने अपनी भूमिका निभाई है | शासन प्रशासन में भी कितने ही लोग अलग-अलग स्तर पर जुटे रहे हैं |
साथियों, आपने संभवतः भारत सरकार में सचिव रहे गुरु प्रसाद महापात्रा जी का नाम सुना होगा | मैं आज “मन की बात” में, उनका ज़िक्र भी करना चाहता हूँ | गुरुप्रसाद जी को कोरोना हो गया था, वो अस्पताल में भर्ती थे, और अपना कर्त्तव्य भी निभा रहे थे | देश में ऑक्सीजन का उत्पादन बढे, दूर-सुदूर इलाकों तक ऑक्सीजन पहुंचे इसके लिए उन्होंने दिन-रात काम किया | एक तरफ कोर्ट कचहरी का चक्कर, Media का Pressure - एक साथ कई मोर्चों पर वो लड़ते रहे, बीमारी के दौरान उन्होंने काम करना बंद नहीं किया | मना करने के बाद भी वो ज़िद करके ऑक्सीजन पर होने वाली वीडियों कॉन्फ्रेंस में भी शामिल हो जाते थे | देशवासियों की इतनी चिंता थी उन्हें | वो अस्पताल के Bed पर खुद की परवाह किए बिना, देश के लोगों तक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए इंतजाम में जुटे रहे | हम सबके लिए दुखद है कि इस कर्मयोगी को भी देश ने खो दिया है , कोरोना ने उन्हें हमसे छीन लिया है | ऐसे अनगिनत लोग हैं जिनकी चर्चा कभी हो नहीं पाई | ऐसे हर व्यक्ति को हमारी श्रद्धांजलि यही होगी कि हम कोविड प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन करें, वैक्सीन ज़रुर लगवाएं |
मेरे प्यारे देशवासियों, “मन की बात’ की सबसे अच्छी बात ये है कि इसमें मुझसे ज्यादा आप सबका योगदान रहता है | अभी मैंने MyGov में एक पोस्ट देखी, जो चेन्नई के थिरु आर.गुरुप्रसाद जी की है | उन्होंने जो लिखा है, वो जानकर आपको भी अच्छा लगेगा | उन्होंने लिखा है कि वो “मन की बात” programme के regular listener हैं | गुरुप्रसाद जी की पोस्ट से अब मैं कुछ पंक्तियाँ Quote कर रहा हूँ | उन्होंने लिखा है,
जब भी आप तमिलनाडु के बारे में बात करते हैं, तो मेरा Interest और भी बढ़ जाता है |
आपने तमिल भाषा और तमिल संस्कृति की महानता, तमिल त्योहारों और तमिलनाडु के प्रमुख स्थानों की चर्चा की है |
गुरु प्रसाद जी आगे लिखते हैं कि – “मन की बात” में मैंने तमिलनाडु के लोगों की उपलब्धियों के बारे में भी कई बार बताया है | तिरुक्कुरल के प्रति आपके प्यार और तिरुवल्लुवर जी के प्रति आपके आदर का तो कहना ही क्या ! इसलिए मैंने ‘मन की बात’ में आपने जो कुछ भी तमिलनाडु के बारे में बोला है, उन सबको संकलित कर एक E-Book तैयार की है | क्या आप इस E-book को लेकर कुछ बोलेंगे और इसे NamoApp पर भी release करेंगे ? धन्यवाद |
‘ये मैं गुरुप्रसाद जी का पत्र आप के सामने पढ़ रहा था |’
गुरुप्रसाद जी, आपकी ये पोस्ट पढ़कर बहुत आनंद आया | अब आप अपनी E-Book में एक और पेज जोड़ दीजिये |
..’नान तमिलकला चाराक्तिन पेरिये अभिमानी |
ना��� उलगतलये पलमायां तमिल मोलियन पेरिये अभिमानी |..’
उच्चारण का दोष अवश्य होगा लेकिन मेरा प्रयास और मेरा प्रेम कभी भी कम नहीं होगा | जो तमिल-भाषी नहीं हैं, उन्हें मैं बताना चाहता हूँ गुरुप्रसाद जी को मैंने कहा है –
मैं तमिल संस्कृति का बहुत बड़ा प्रशंसक हूँ |
मैं दुनिया की सबसे पुरानी भाषा तमिल का बड़ा प्रशंसक हूँ |
साथियों, हर हिन्दुस्तानी को, विश्व की सबसे पुरातन भाषा हमारे देश की है, इसका गुणगान करना ही चाहिए, उस पर गर्व महसूस करना चाहिए | मैं भी तमिल को लेकर बहुत गर्व करता हूँ | गुरु प्रसाद जी, आपका ये प्रयास मेरे लिए नई दृष्टि देने वाला है | क्योंकि मैं ‘मन की बात’ करता हूँ तो सहज-सरल तरीक़े से अपनी बात रखता हूँ | मुझे नहीं मालूम था कि इसका ये भी एक element था | आपने जब पुरानी सारी बातों को इकठ्ठा किया, तो मैंने भी उसे एक बार नहीं बल्कि दो बार पढ़ा | गुरुप्रसाद जी आपकी इस book को मैं NamoApp पर जरुर upload करवाऊंगा | भविष्य के प्रयासों के लिए आपको बहुत-बहुत शुभकामनायें |
मेरे प्यारे देशवासियों,आज हमने कोरोना की कठिनाइयों और सावधानियों पर बात की, देश और देशवासियों की कई उपलब्धियों पर भी चर्चा की |अब एक और बड़ा अवसर भी हमारे सामने है |15 अगस्त भी आने वाला है |आज़ादी के 75 वर्ष का अमृत-महोत्सव हमारे लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है |हम देश के लिए जीना सीखें |आज़ादी की जंग- देश के लिए मरने वालों की कथा है | आज़ादी के बाद के इस समय को हमें देश के लिए जीने वालों की कथा बनाना है |हमारा मंत्र होना चाहिए –India First. हमारे हर फ़ैसले , हर निर्णय का आधार होना चाहिए - India First |
साथियों, अमृत-महोत्सव में देश ने कई सामूहिक लक्ष्य भी तय किए हैं |जैसे, हमें अपने स्वाधीनता सेनानियों को याद करते हुए उनसे जुड़े इतिहास को पुनर्जीवित करना है |आपको याद होगा कि ‘मन की बात’ में, मैंने युवाओं से स्वाधीनता संग्राम पर इतिहास लेखन करके, शोध करने, इसकी अपील की थी |मक़सद यह था कि युवा प्रतिभाएं आगे आए, युवा-सोच, युवा-विचार सामने आए, युवा- कलम नई ऊर्जा के साथ लेखन करे |मुझे ये देखकर बहुत अच्छा लगा कि बहुत ही कम समय में ढाई हज़ार से ज्यादा युवा इस काम को करने के लिए आगे आए हैं | साथियों, दिलचस्प बात ये है 19वीं- 20 वीं शताब्दी की जंग की बात तो आमतौर पर होती रहती है लेकिन ख़ुशी इस बात की है कि 21वीं सदी में जो युवक पैदा हुए हैं, 21वीं सदी में जिनका जन्म हुआ है, ऐसे मेरे नौजवान साथियों ने 19वीं और 20वीं शताब्दी की आज़ादी की जंग को लोगों के सामने रखने का मोर्चा संभाला है |इन सभी लोगों ने MyGov पर इसका पूरा ब्यौरा भेजा है |ये लोग हिंदी – इंग्लिश, तमिल, कन्नड़ा, बांग्ला, तेलुगू, मराठी – मलयालम, गुजराती, ऐसी देश की अलग-अलग भाषाओँ में स्वाधीनता संग्राम पर लिखेंगें |कोई स्वाधीनता संग्राम से जुड़े रहे, अपने आस-पास के स्थानों की जानकारी जुटा रहा है, तो कोई, आदिवासी स्वाधीनता सेनानियों पर किताब लिख रहा है |एक अच्छी शुरुआत है |मेरा आप सभी से अनुरोध है कि अमृत-महोत्सव से जैसे भी जुड़ सकते हैं, ज़रुर जुड़े |ये हमारा सौभाग्य है कि हम आज़ादी के 75 वर्ष के पर्व का साक्षी बन रहे हैं |इसलिए अगली बार जब हम ‘मन की बात’ में मिलेंगे, तो अमृत-महोत्सव की और तैयारियों पर भी बात करेंगे |आप सब स्वस्थ रहिए, कोरोना से जुड़े नियमों का पालन करते हुए आगे बढ़िए, अपने नए-नए प्रयासों से देश को ऐसे ही गति देते रहिए |इन्हीं शुभकामनाओं के साथ, बहुत बहुत धन्यवाद |
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डॉ विवेक बिंद्रा जी के इन गोल्डन रूल्स से हमेशा खुद को रखें मोटिवेटिड
हर व्यक्ति का सपना होता है कि वो अपने जीवन में सफलता हासिल करें। इसके लिए वो दिन-रात मेहनत करता है ताकि अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सके लेकिन कभी-कभी विपरीत परिस्थितियों के कारण फेल होने पर वो इतना निराश हो जाता है कि आगे बढ़ने के लिए कोशिश करना ही छोड़ देता है। एक निराश व्यक्ति जीवन में कभी अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाता। वहीं दूसरी ओर जिस व्यक्ति के अंदर मोटिवेशन होता है, काम करने की चाहत होती है वो कठिन से कठिन लक्ष्य को भी आसानी से प्राप्त कर लेता है। यही बात किसी भी कंपनी या संस्थान पर भी लागू होती है। यदि किसी कंपनी के कर्मचारी मोटिवेटिड होते हैं तो वो कंपनी दिन-रात तरक्की करती है लेकिन इसके विपरीत यदि एम्पलॉयी के अंदर काम करने की चाहत नहीं है तो इसका असर कंपनी की ग्रोथ पर भी पड़ता है। इसलिए किसी भी कंपनी को चाहिए कि अपने एम्प्लॉईज़ को बीच-बीच में मोटिवेट करते रहें। यदि व्यक्ति मोटिवेटिड होगा तो वो अपने हर लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। आज के इस लेख में हम आपको मोटिवेशनल स्पीकर (Motivational Speaker) डॉ. विवेक बिंद्रा के द्वारा बताए गए गोल्डन रूल्स के बारे में बताएंगे। जिनकी मदद से आप जीवन में बड़ी सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
1. उड़ना है तो आसमान ढूंढों, भीड़ से अलग अपनी पहचान ढूंढों
अक्सर देखा गया है कि जिन्होंने भी अपने जीवन में बड़ी सफलता प्राप्त की है, अपनी एक खास पहचान बनाई है उन्होंने अकेले ही मेहनत की और आगे बढ़ें हैं। चाहे वो प्रसिद्ध बिज़नेसमैन रतन टाटा हो, या पूर्व भारतीय क्रिकेटर एमएस धोनी। जिन्होंने भी अपनी प्रतिभा को पहचान कर अपने लक्ष्य पर निशाना साधा है उन्हें सफलता अवश्य मिली है। इसलिए अगर आपको अपनी सफलता की उड़ान भरनी है तो आपको अपना आसमान खुद ढूंढना पड़ेगा। भीड़ में चलने वाले लोग अपनी पहचान नहीं बनाते। जो व्यक्ति अकेला चलता है वही सही मायने में सफलता को प्राप्त करता है। यही नहीं आपका व्यवहार और पहनावा देख कर लोग आपके बारे में धारणाएं बनाते हैं। अगर आप खुशमिजाज हैं और आपकी ड्रेसिंग भी स्मार्ट दिखाई देती है तो इससे वर्ग विशेष के बीच आपकी छवि अच्छी बनती है। इसलिए अपने दम पर आगे बढ़िए और सफलता को प्राप्त करें।
2. जो लक्ष्य में खो गया, समझो वही सफल हो गया
मोटिवेशनल स्पीकर डॉ. विवेक बिंद्रा के द्वारा कहा गया यह गोल्डन स्टेटमेंट आपको आपके लक्ष्य तक पहुंचा सकती है। आपने देखा भी होगा कि जिस व्यक्ति के जीवन में कोई लक्ष्य होता है वो दिन-रात उसी में लगा रहता है। फिर वो चाहे यूपीएएसी की परीक्षा देने वाले छात्र -छात्राएं हों जिनके लिए एकमात्र लक्ष्य IAS, IPS बनना होता है या फिर कोई उद्योगपति जिसका लक्ष्य अपने बिज़नेस (Business) को बड़ी से बड़ी सफलता दिलाना होता है। जो व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दिन-रात एक कर देता है, जिसे उठते-बैठते, खाते-पीते जिसे सिर्फ अपने लक्ष्य का ख्याल होता है वो सफलता के शिखर को ज़रूर छूता है। हर सफल व्यक्ति अपने लक्ष्य में पूरी तरह से रम जाता है। बड़े-बड़े आविष्कार को करने वाले वैज्ञानिक भी जब तक पूरी तरह से अपने लक्ष्य के लिए काम नहीं करते तब तक वो अपने आविष्कार में सफल नहीं हो पाते हैं। एक बार सफल हो जाने पर दुनिया उन्हें बरसों तक याद रखती है। यदि आप भी अपने लक्ष्य को पाना चाहते हैं तो पूरी तरह से उसमें खो जाइये और उसे प्राप्त करके रहिए।
3. मैदान में हारा हुआ इंसान तो जीत सकता है, लेकिन मन से हारा हुआ इंसान कभी नहीं जीत सकता है।
यह तीसरा गोल्डन रूल आपको निराशा से निकालकर आशा के माहौल में लाने में मदद कर सकता है। आपने देखा होगा कि खेल के मैदान में भी जीत उसी टीम की होती है जिसके हौसले बड़े होते हैं। अगर टीम में सकारात्मकता है, जीत हासिल करने का जज़्बा है तो वो हारा हुआ मैच भी जीत जाती है। लेकिन अगर टीम के अंदर जीतने की ललक ही नहीं है तो वो टीम जीता हुआ मैच भी हार जाती है। यही बात व्यक्तियों के जीवन पर भी लागू होती है। मैदान में हारा हुआ इंसान तो फिर भी एक बार जीत सकता है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति मन से ही हार जाए तो उसे कोई भी जीता नहीं सकता। इसलिए व्यक्ति को निराशा के संमंदर से बाहर निकलना चाहिए। निराश हुए व्यक्ति के आस-पास के लोग भी उससे दूर हो जाते हैं। वहीं जो व्यक्ति हर परिस्थिति में सकारात्मकता देखता है, आगे बढ़ने की सोचता है उसे कोई भी हरा नहीं पाता। इसलिए सफलता प्राप्त करने के लिए अपने मन से निराशा और हताशा को बाहर निकाल दें और सकरात्मक सोच के साथ आगे बढ़ें। इसके लिए आप चाहें तो मोटिवेशनल स्पीकर (Best Motivational Speaker In India) से मदद ले सकते हैं।
सकारात्मक सोच के साथ यदि कोई व्यक्ति काम करता है तो सफलता को जरूर प्राप्त करता है। जीवन में आगे बढ़ने में यह 3 गोल्डन रूल्स आपकी बहुत मदद कर सकते हैं। इनकी मदद से आप अपनी कंपनी को भी बड़ी ग्रोथ दिला सकते हैं और अपने जीवन में भी बड़े लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
लेख के बारे में आप अपनी टिप्पणी को कमेंट सेक्शन में कमेंट करके दर्ज कर�� सकते हैं। इसके अलावा आप अगर एक व्यापारी हैं और अपने व्यापार में कठिन और मुश्किल परेशानियों का सामना कर रहे हैं और चाहते हैं कि स्टार्टअप बिज़नेस को आगे बढ़ाने में आपको एक पर्सनल बिज़नेस कोच का अच्छा मार्गदर्शन मिले तो आपको Business Coaching Program का चुनाव जरूर करना चाहिए जिससे आप अपने बिज़नेस में एक अच्छी हैंडहोल्डिंग पा सकते हैं और अपने बिज़नेस को चार गुना बढ़ा सकते हैं ।
Source: https://hindi.badabusiness.com/motivational/always-keep-yourself-motivated-by-these-golden-rules-of-dr-vivek-bindra-10992.html
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