#जनता से की ये अपील...
बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने भारत बंद का किया समर्थन, बीजेपी-कांग्रेस पर साधा निशाना, कार्यकर्ताओं से की ये अपील
बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने भारत बंद का समर्थन किया है। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पर निशाना साधा है और कार्यकर्ताओं से बंद में शामिल होने की अपील की है।
लखनऊ: एससी-एसटी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विरोध में बुलाए गए भारत बंद का बहुजन समाज पार्टी ने समर्थन किया है। मायावती ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर बंद के समर्थन का ऐलान किया। उन्होंने बीजेपी और कांग्रेस जैसी…
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वियतनामी गुरिल्ला लड़ाके सैनिकों का गला काट देते, 60 हजार मारे तब अमेरिका ने छोड़ा मैदान, अब बच्ची की मौत पर अमेरिकी छात्रों का आंदोलन
वॉशिंगटन: 6 साल की प्यारी सी फिलिस्तीनी बच्ची हिंद रजब का नाम अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी के एक हॉल पर लिखा हुआ है। यूनिवर्सिटी के ऐतिहासिक हैमिल्टन हॉल का नाम अब हिंद हॉल कर दिया गया है। ये वही यूनिवर्सिटी है, जहां कभी एंटी वियतनाम वॉर मूवमेंट चला था। गाजा पर इजरायली हमले के खिलाफ अमेरिका की कई यूनिवर्सिटी में इन दिनों छात्र सड़कों पर हैं। इस साल जनवरी के आखिर की बात है, जब मासूम बच्ची हिंद रजब जान बचाने के लिए अपने चाचा-चाची के साथ गाजा शहर में कहीं जा रही थी। तभी इजरायली टैंकों ने बमबारी की और उनकी कार के परखच्चे उड़ गए। हमले में हिंद रजब का परिवार मारा गया और वो किसी तरह बच गई। कई दिनों तक वो अपने मारे गए चाचा-चाची के शवों के बीच छिपी रही। उसके पास एक फोन था, जिससे वो मदद के लिए रो-रोकर गुहार लगाती रही। अपील करती रही, मगर कोई नहीं आया। कुछ दिन बाद उसकी लाश सड़ी-गली हालत में मिली। आज उसी रजब के लिए अमेरिका उठ खड़ा हुआ है।इजरायली हमले में अब तक 14 हजार से ज्यादा बच्चे मारे गए7 अक्टूबर को हमास के इजरायल पर हुए हमले के बाद से इजरायल ने पलटवार किया। इजरायल की बमबारी में अब तक 34 हजार से मज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। 14 हजार से ज्यादा बच्चे मारे जा चुके हैं। वहीं, 20 हजार बच्चे अनाथ हो गए।जब एक राष्ट्रपति की सनक ने अमेरिकी फौजियों को जंग में झोंक दिया हिंद रजब की मौत का कनेक्शन आज से करीब 60 साल पहले अमेरिका-वियतनाम युद्ध से जुड़ा हुआ है। जब अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन बी जॉनसन की सनक ने अमेरिकी फौजों को बेवजह वियतनाम के साथ जंग में झोंक दिया। अमेरिका की नेशनल आर्काइव्स के आंकड़ों के अनुसार, करीब 8 साल तक चले इस युद्ध में 58 हजार से ज्यादा अमेरिकी फौजी मारे गए। जॉनसन के बाद जब अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन सत्ता में आए तो उन्होंने अमेरिका की नाक बचाने के लिए वियतनाम के खिलाफ हमले और तेज कर दिए। उनको लगा कि अमेरिका को एक पिद्दी सा देश कैसे मात दे सकता है। हालांकि, वह भी पिछले अमेरिकी राष्ट्रपतियों की तरह ही वियतनाम को आंकने में चूक गए। पूरी दुनिया में अमेरिका की थू-थू होने लगी। अमेरिका को अपने गलत फैसलों का बचाव करना भारी पड़ रहा था। यहां तक कि खुद अमेरिका में ही छात्रों ने बड़े पैमाने पर वियतनाम एंटी वॉर आंदोलन चलाया। हजारों छात्र जेलों में ठूंस दिए गए। सड़कों पर आर्मी की परेड होने लगी। बाद में सत्ता पर काबिज हुए अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने वियतनाम युद्ध से फौजियों को बुलाना शुरू कर दिया।जब रिपब्लिकन प्रत्याशी के बड़बोलेपन ने जॉनसन को दिलाई जीत1964 की बात है, जब अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव हो रहा था। उस वक्त चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार बैरी गोल्डवॉटर का पलड़ा भारी चल रहा था। गोल्डवॉटर का मशहूर नारा था कि आप अपने दिल से पूछें कि वह सही हैं। वहीं जॉनसन खुद को संतुलित रूप में जनता के सामने जा रहे थे। एक दिन अचानक एक रिपोर्टर को दिए इंटरव्यू ने गोल्डवॉटर की लोकप्रियता को जमीन पर ला पटका। उस इंटरव्यू में जॉनसन ने कहा था कि अगर मैं कर सका तो वियतनाम में चीनी सप्लाई लाइनों पर कम क्षमता वाला परमाणु बम गिरा दूंगा। इस बात को जॉनसन ने चुनाव प्रचार के दौरान खूब भुनाया और अमेरिकियों से कहा कि गोल्डवॉटर एक लापरवाह व्यक्ति हैं, जो देश को परमाणु युद्ध की ओर ले जा सकते हैं। यहीं से बाजी पलट गई और चुनाव में जॉनसन ने गोल्डवॉटर को आसानी से हरा दिया। उन्हें 61 फीसदी से ज्यादा पॉपुलर वोट मिले जो, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए अब तक सबसे ज्यादा था। ये वही जॉनसन हैं, जिन्होंने वियतनाम में फ्रांस के उपनिवेश की रक्षा करने के लिए समर्थन किया था और वहां सेना भेजने की गलती की थी।जॉनसन ने जनता को युद्ध के बारे में किया गुमराहअगस्त 1964 की शुरुआत में जब उत्तरी वियतनामी बंदूकधारियों ने कथित तौर पर बिना किसी उकसावे के उत्तरी वियतनाम के तट के पास टोंकिन की खाड़ी में अमेरिकी जंगी जहाजों पर हमला किया तो जॉनसन ने उत्तरी ���ियतनामी नौसैनिक प्रतिष्ठानों पर जवाबी बमबारी का आदेश दिया। हालांकि, खाड़ी में किसने पहले हमला किया और कब किया, इस बारे में जॉनसन ने कभी जनता को नहीं बताया। बाद में वियतनाम में अमेरिकी फौजों में इजाफा न करने के अपने वादे के बाद भी फरवरी 1965 में जॉनसन ने ऑपरेशन रोलिंग थंडर चलाया, जिसमें वियतनामी गुरिल्लाओं पर जमकर बमबारी की गई। जुलाई में 50 हजार अतिरिक्त सैनिक भेजे गए और 1968 में वियतनाम युद्ध के लिए अमेरिकी सैनिकों की तैनाती की संख्या 5,50,000 तक पहुंच गई।वियतनाम युद्ध का नतीजा पूरे अमेरिका में छात्रों का आंदोलनवियतनाम युद्ध का कोई अंत नजर नहीं आ रहा था। 1967 के अंत तक हर हफ्ते करीब 500 अमेरिकी सैनिकों के मारे जाने की खबरें आ रही थीं। वियतनाम के गुरिल्ला लड़ाके अमेरिकी फौजियों पर अचानक हमला करते और उनके गले काट… http://dlvr.it/T6JVHk
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मणिपुर की उन औरतों के लिए बोलिए....
भारत के दर्शको और पाठको,
मुमकिन है आपमें से बहुतों ने मणिपुर का वह वीडियो नहीं देखा होगा, जिसमें बहुत सारे मर्द कुकी महिलाओं को नंगा कर उसके अंगों को दबोच रहे हैं। मर्दों की भीड़ निर्वस्त्र कर दी गईं औरतों को पकड़ कर ले जा रही है। भीड़ के कातिल हाथ उन औरतों के जिस्म से खेल रहे हैं। बेबस औरतें रोती जा रही हैं। मर्दों की भीड़ आनंद ले रही हैं। शालीनता के सामुदायिक नियमों के तहत सोशल मीडिया के साइट्स जल्दी ही इस वीडियो को रोक देंगे, लेकिन जो घटना है वो तो वास्तविक है। उसका ब्यौरा तो यही है जो लिखा है। हम जो नहीं जानते वह यह कि इस वीडियो के बाद उन औरतों के साथ क्या हुआ होगा? भीड़ उन्हें कहां से लेकर आ रही थी, कहां लेकर जा रही थी। उस वीडियो में आरंभ और अंत नहीं है, थोड़ा सा हिस्सा है, वह देखा नहीं गया लेकिन कोई भी उस वीडियो से मुंह नहीं मोड़ सकता है। आज आप चुप नहीं रह सकते हैं।
मर्दों की भीड़ से घिरी उन निर्वस्त्र औरतों के लिए आज बोलना होगा। आप जहां भी हैं, बोलिए। बाज़ार गए हैं तो वहां दुकानदार से बोलिए। रिक्शावाले से बोलिए। ओला-उबर के चालकों से बोलिए। पिता को फोन किया है तो उन्हें सबसे पहले यही बताइये। प्रेमिका का फ़ोन आया है तो सबसे पहले यही बताइये। क्लास रुम में हैं तो वहां खड़े होकर अपने टीचर के सामने बोलिए, किसी रेस्त्रां में दोस्तों के साथ मस्ती कर रहे हैं तो वहां खाना रोककर इन औरतों के लिए बोलिए। बस में हैं, ट्रेन में हैं, एयरपोर्ट पर हैं तो वहां बोलिए कि मणिपुर से एक ऐसा वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें भीड़ औरतों को नंगा कर उनके जिस्म से खेल रही है। यह घटना उस उस देश में हुई है, जो हर दिन यह झूठ दोहराता है कि यहां नारी की पूजा देवी की तरह होती है। फिर अपनी ही गाड़ी के पीछे बेटी बचाओ लिखवाता है ।अगर आज आप उस भीड़ के खिलाफ नहीं बोलेंगे तो उनका शरीर, उनका मन हमेशा हमेशा के लिए निर्वस्त्र हो जाएगा।आपका नहीं बोलना, उसी भीड़ में शामिल करता है। उसी भीड़ की तरह आपको हैवान बनाता है, जो उन औरतों को नंगा कर उनके जिस्म से खेल रही है। इसलिए फोन उठाइये, बोलिए,लिखिए और सबको बताइये कि मणिपुर की औरतों के साथ ऐसा हुआ है।हम इसका विरोध करते हैं। हमारा सर शर्म से झुकता है। आप अपनी मनुष्यता बचा लीजिए। मणिपुर की घटना के खिलाफ बोलिए। कोई नहीं सुन रहा है तो अकेले बंद कमरे में उन औरतों के लिए रो लीजिए।
मैं जानता हूं कि मणिपुर की उन औरतों की बेबसी आप तक नहीं पहुंचेगी क्योंकि आप उनकी पुकार सुनने के लायक नहीं बचे हैं। क्योंकि आप जिस अख़बार को पढ़ते हैं, जिस चैनल को देखते हैं, उसने आपकी संवेदनाओं को मार दिया है। आपके भीतर की अच्छाइयों को ख़त्म कर दिया गया है। मुझे नहीं पता कि गोदी मीडिया में उन औरतों की आवाज़ उठेगी या नहीं, मुझे नहीं पता कि प्रधानमंत्री इस दृश्य को देखकर दहाड़ मार कर रोएंगे या नहीं, मुझे नहीं पता महिला विकास मंत्री स्मृति ईरानी दिखावे के लिए ही सही, रोएँगी या नहीं, मगर मुझे यह पता है कि इस भीड़ को किसने बनाया है, किस तरह की राजनीति ने बनाया है। आपको इस राजनीति ने हैवान बना दिया है। गोदी मीडिया ने अपने दर्शकों और पाठकों को आदमखोर बना दिया है।
जाति, धर्म, भाषा, भूगोल के नाम पर पहचान की राजनीति ने आदमी को ही आदमखोर बना दिया है। मणिपुर की औरतों को घेर कर नाच रही मर्दों की भीड़ आपके आस-पास भी बन गई है। हाउसिंग सोसायटी के अंकिलों से सावधान रहिए। अपने घरों में दिन रात ज़हर बोने वाले रिश्तेदारों से सावधान रहिए। उन सभी को जाकर बताइये कि नफरत और पहचान की राजनीति ने जनता को किस तरह की भीड़ में बदल दिया है। वे औरतें मणिपुर की नहीं हैं। वे कुकी नहीं हैं। वे कुछ और नहीं हैं। वे केवल औरतें हैं। अगर ये घटना आपको बेचैन नहीं करती है, इससे आपकी हड्डियों में सिहरन पैदा नहीं होती है तो आप खुद को मृत घोषित कर दीजिए।
मगर आखिरी सांस लेने से पहले उन औरतों के लिए बोल दीजिए। लिख दीजिए। किसी को बता दीजिए कि ऐसा हुआ है। इस देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ढाई महीने से शांति की अपील नहीं की। वहां जाकर नफरत और हिंसा को रोकने की अपील नहीं की। राज्य ने अपना फर्ज़ नहीं निभाया। उनके जाने या अपील करने से हिंसा रुक जाती, इसकी कोई गारंटी नहीं है मगर इस चुप्पी का क्या मतलब है? क्या यह चुप्पी जायज़ कही जा सकती है? छोड़िए, प्रधानमंत्री की चुप्पी को, आप अपनी चुप्पी को तोड़िए। बोलिए।
आपका,
रवीश कुमार
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रायपुर । छत्तीसगढ़ राज्य की एक मात्र मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय राजनीतिक दल जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अध्यक्ष श्री अमित जोगी (Amit Jogi) आज त्रिपुरा राज्य पहुंचकर त्रिपुरा की क्षेत्रीय पार्टी टिपरा मोथा पार्टी (TIPRA) के पक्ष में जोरदार प्रचार किया चुनावी सभा को संबोधित करते हुए
टीएमटी को जिताने और टिपरा मोथा पार्टी के प्रमुख प्रद्योत माणिक्य देब बर्मा के हाथ में सत्ता सौंपने के लिए नागरिकों से अपील की।
इस दौरान अमित जोगी ने कहा त्रिपुरा में नई समीकरण के साथ नई पार्टी टीएमटी सरकार बनाने जा रही है त्रिपुरा पार्टी के प्रमुख प्रद्योत माणिक्य राज परिवार के वंशज है जिन्होंने पूरे जीवन त्रिपुरा राज्य के सेवा में बिताया है
इस राज्य में विशेषकर आदिवासियों की बहुलता है जो कि सत्ता की कुंजी है जिनके आशीर्वाद से टीएमटी चुनाव जीत दर्ज करेगी और त्रिपुरा में टीएमटी की सरकार बनेगी। उन्होंने कहा मैं अमित जोगी त्रिपुरवासियों को प्रणाम करता हूँ। हमारे प्रद्युत भाई, के लिए इतना ऐतिहासिक समर्थन और प्यार देख के ये विश्वास के साथ कहता हूँ कि :-
बुबागरा से दिल्ली डरा
त्रिपुरा wants टिपरा
बुबागरा से दिल्ली डरा
त्रिपुरा wants टिपरा
मेरे पिता और छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री माननीय अजीत जोगी जी ने आज से 20 साल पहले यानि 2003 में इसी फरवरी माह की 22 तारीख को कहा था कि त्रिपुरा राज्य का विकास और भविष्य तभी संभव है जब त्रिपुरा राज्य के लोगों के हाथों में त्रिपुरा को आगे बढ़ाने की कमान होगी।
मैं त्रिपुरवासियों को केवल इतना कहूँगा कि वो एक बार, केवल एक बार, पीछे मुड़ कर देखें और सोचें कि दिल्ली के हाथों में अपनी किस्मत दे के उन्हें अब तक क्या मिला ? क्या मिला।।।।कुछ नही मिला….मिला केवल धोखा। हाथ ने थप्पड़ मारा, फूल ने fool बनाया और सिकल ने गला कांटा ।।।।सही है कि नही? …क्या फिर अगले पांच साल यही करना है या फिर अपने और त्रिपुरा के भविष्य के बारे में सोचना है।
प्रद्युत भाई जो लड़ाई लड़ रहे हैं वो किसलिये लड़ रहे हैं। मैं आपसे पूछता हूँ, और आप घर जाकर अपने पड़ोसियों से पूछिये और उन्हें बताईये कि "त्रिपुरा के हित का फैसला, त्रिपुरा के लोगों द्वारा ही , त्रिपुरा में लिया जाना चाहिए न कि दिल्ली में" ये सोच गलत है क्या ? मेरे त्रिपुरा के युवा साथी या किसान या मजदूर का फैसला दिल्ली में बैठा नेता लोग नही लेगा। ये मॉडल त्रिपुरा को कभी विकसित नही होने देगा। त्रिपुरा के हित का फैसला, त्रिपुरा में होना चाहिये, त्रिपुरवासियों के द्वारा।
मैं आपसे केवल इतना कहना चाहता हूँ कि 16 फरवरी को जो आप फैसला लेंगे वो आपके 5 साल नही बल्कि आने वाले 50 साल पर असर करेगा। इसलिये एक मौका इस बार अपने टिपरा, अपने मणिकया ,अपने बुबागरा को दीजिये और त्रिपुरा का भविष्य , त्रिपुरा के पास रहने दीजिए।
मेरे साथ जोर से बोलिये
वोट फ़ॉर त्रिपुरा
वोट फ़ॉर टिपरा
वोट फ़ॉर त्रिपुरा
वोट फ़ॉर टिपरा
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दिल्ली की जनता भ्रष्टाचार के खिलाफ निगम चुनावों में वोट डालें: आदेश गुप्ता
दिल्ली की जनता भ्रष्टाचार के खिलाफ निगम चुनावों में वोट डालें: आदेश गुप्ता
नई दिल्ली: दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने दिल्ली के वोटरों से अधिक से अधिक संख्या में मतदान करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि ये निगम का चुनाव नहीं है, बल्कि दिल्ली में पिछले कुछ सालों से जो भ्रष्टाचार हो रहा है, उसको जवाब देने का समय है। (more…)
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"कमल को दिया एक-एक वोट मेरी शक्ति बढ़ाएगा...": हिमाचल में वोटिंग से पहले PM ने लिखा जनता को खत
“कमल को दिया एक-एक वोट मेरी शक्ति बढ़ाएगा…”: हिमाचल में वोटिंग से पहले PM ने लिखा जनता को खत
राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए 12 नवंबर को मतदान होगा.
नई दिल्ली:
हिमाचल प्रदेश की जनता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक खुला पत्र लिखा है. ये पत्र कल के मतदान से ठीक पहले लिखा गया है. इस पत्र के माध्यम से पीएम मोदी ने प्रदेश में फिर से बीजेपी की सरकार लाने की अपील की है. साथ ही डबल इंजन की सरकार के काम का जिक्र किया है. पत्र में पीएम मोदी ने लिखा है कि इस समय जब आप हमारी देवभूमि के भविष्य…
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अभियान: प्रभात फेरी में शामिल हुए सीएम धामी, जनता से की ये अपील...
अभियान: प्रभात फेरी में शामिल हुए सीएम धामी, जनता से की ये अपील…
आजादी के अमृत महोत्सव के तहत हर घर तिरंगा अभियान कार्यक्रम की शुरुआत हो चुकी है। उत्तराखंड में इस महाअभियान को सफल बनाने के लिए सरकार के मुखिया पुष्कर सिंह धामी ने सभी विभागों के साथ स्कूली छात्र-छात्राओं को भी जिम्मेदारी दी है।
वही आज सुबह 7:30 बजे राजधानी देहरादून के गांधी पार्क से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रभात फेरी को हरी झंडी देकर रवाना किया। इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने…
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Almora— थर्टी फर्स्ट को लेकर पुलिस प्रशासन सतर्क, एसएसपी ने जनता से की ये अपील
Almora— थर्टी फर्स्ट को लेकर पुलिस प्रशासन सतर्क, एसएसपी ने जनता से की ये अपील
अल्मोड़ा, 30 दिसंबर 2020थर्टी फर्स्ट और नए साल के जश्न को लेकर जिले की पुलिस और प्रशासन अलर्ट हो गया है। एसएसपी ने सभी थाना, कोतवाली और चौकी प्रभारियों को सुरक्षा में मुस्तैद रहने और हुड़दंगियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं साथ ही सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मो में सर्तक दृष्टि बनाये रखने के निर्देश जारी किये हैं।
एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा ने कहा कि प्रतिवर्ष जनपद में थर्टी…
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मन की बात का 75 वां एपिसोड: पीएम मोदी ने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए लोगों को धन्यवाद दिया.
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। इस बार जब मैं पत्रों, टिप्पणियों से इनकार कर रहा था; मन की बात के लिए अलग-अलग इनपुट्स डालना जारी रखते हैं, कई लोगों ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण बिंदु को याद किया। MyGov पर, आर्यन श्री - बेंगलुरु से अनूप राव, नोएडा से देवेश, ठाणे से सुजीत - इन सभी ने कहा - मोदी जी, इस बार, मन की बात का 75 वां एपिसोड; उसके लिए बधाई। मैं मन की बात को इतनी सूक्ष्मता से मानने के लिए आपका आभार व्यक्त करता हूं; साथ ही जुड़े रहने के लिए। मेरे लिए, यह बहुत गर्व की बात है; यह खुशी की बात है। मेरी तरफ से, यह निश्चित रूप से आपको धन्यवाद; मैं मन की बात के सभी श्रोताओं का भी धन्यवाद व्यक्त करता हूं, क्योंकि यह यात्रा आपके समर्थन के बिना संभव नहीं थी। यह कल की तरह ही लगता है जब हम इस विचार और विचारों की यात्रा पर निकले थे। फिर, 3 अक्टूबर 2014 को, यह विजयदशमी का पवित्र अवसर था; संयोग देखिए - आज यह होलिका दहन है। The एक दीपक एक और प्रकाश, इस प्रकार राष्ट्र को रोशन कर सकता है '- इस भावना के साथ चलना, हमने इस तरह से ट्रैवर्स किया है। हमने देश के हर कोने में लोगों से बात की और उनके असाधारण काम के बारे में सीखा। आपने भी अनुभव किया होगा कि हमारे देश के सबसे दूर के कोने में भी, विशाल, अद्वितीय क्षमता है - असंख्य रत्न पोषित किए जा रहे हैं, जो भारत माता की गोद में हैं। वैसे मेरे लिए, समाज को देखना, समाज के बारे में जानना, उसकी ताकत का एहसास कराना अपने आप में एक अभूतपूर्व अनुभव रहा है। इन 75 प्रकरणों के दौरान, एक व्यक्ति कई विषयों से गुजरा। कई बार, नदियों का संदर्भ था; अन्य समय में हिमालय की चोटियों को छुआ गया था ... कभी-कभी रेगिस्तान से संबंधित मामले; अन्य समय में प्राकृतिक आपदाओं को उठाना ... कभी-कभी मानवता की सेवा पर अनगिनत कहानियों में भिगोना ... कुछ में, प्रौद्योगिकी में आविष्कार; दूसरों में, एक अज्ञात कोने में कुछ उपन्यास करने के अनुभव की कहानी! आप देखें, चाहे वह स्वच्छता के बारे में हो या हमारी विरासत के संरक्षण पर चर्चा हो;और सिर्फ इतना ही नहीं, खिलौने बनाने के संदर्भ में, ऐसा क्या है जो वहां नहीं था? शायद, जिन विषयों पर हमने छुआ है, उनमें से अनगिनत संख्याएँ अनगिनत होंगी! इस सब के दौरान, हमने समय-समय पर उन महान प्रकाशकों को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनका भारत के निर्माण में योगदान अद्वितीय रहा है; हमने उनके बारे में सीखा। हमने कई वैश्विक मामलों पर भी बात की; हमने उनसे प्रेरणा प्राप्त करने का प्रयास किया है। कई बिंदु थे जो आपने मुझे बताए; आपने मुझे कई विचार दिए। एक तरह से, इस har विचार यात्रा ’में, विचार और विचार की यात्रा, आप एक साथ चलते रहे, जुड़ते रहे, कुछ नया जोड़ते रहे। इस 75 वें एपिसोड के दौरान, शुरुआत में, मैं मन की बात के प्रत्येक श्रोता को इसे सफल बनाने, इसे समृद्ध बनाने और जुड़े रहने के लिए दिल से धन्यवाद देता हूं। मेरे प्यारे देशवासियो, आप देखें कि यह कितना बड़ा सुखद संयोग है कि आज मुझे अपने at५ वें मन की बात व्यक्त करने का अवसर मिला! यह वही महीना है जो आजादी के 75 वर्षों के 'अमृत महोत्सव' के आरंभ का प्रतीक है। Day अमृत महोत्सव ’की शुरुआत दांडी यात्रा के दिन से हुई थी और यह 15 अगस्त, 2023 तक जारी रहेगी। अमृत महोत्सव के संबंध में कार्यक्रम पूरे देश में लगातार आयोजित किए जा रहे हैं; लोग कई जगहों से इन कार्यक्रमों की जानकारी और तस्वीरें साझा कर रहे हैं। झारखंड के नवीन ने नमोऐप पर मुझे कुछ ऐसी तस्वीरों के साथ एक संदेश भेजा है। उन्होंने लिखा है कि उन्होंने अमृत महोत्सव पर कार्यक्रम देखे और तय किया कि वह कम से कम दस स्थानों पर स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े लोगों से मिलेंगे। उनकी सूची में पहला नाम भगवान बिरसा मुंडा की जन्मभूमि का है। नवीन ने लिखा है कि वह झारखंड के आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियों को देश के अन्य हिस्सों में प्रसारित करेंगे। भाई नवीन, मैं आपको अपने विचार पर बधाई देता हूं।
दोस्तों, यह एक स्वतंत्रता सेनानी की संघर्ष गाथा हो; यह देश के किसी स्थान या किसी सांस्कृतिक कहानी का इतिहास हो, आप अमृत महोत्सव के दौरान इसे सामने ला सकते हैं; आप देशवासियों को इससे जोड़ने का साधन बन सकते हैं। आप देखेंगे - अमृत महोत्सव, अमृत की ऐसी ही प्रेरक बूंदों से भरा होगा ... और फिर जो अमृत बहेगा, वह हमें भारत की आजादी के सौ साल बाद तक प्रेरित करेगा ... यह देश को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा, देश के लिए कुछ न कुछ करने की उत्कंठा छोड़ना। स्वतंत्रता के लिए संघर्ष में, हमारे सेनानियों ने असंख्य कठिनाइयों को झेला क्योंकि वे देश के लिए बलिदान को अपना कर्तव्य मानते थे। उनके बलिदान की अमर गाथा, 'त्याग' और 'बालिदान' हमें लगातार कर्तव्य पथ पर ले जाने के लिए प्रेरित करते हैं। और जैसा कि भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है, “नित्यम् कुरु कर्म त्वा कर्म कर्मो ह्यकर्माणः | इसी भावना के साथ, हम सभी अपने निर्धारित कर्तव्यों को ईमानदारी से निभा सकते हैं। और हमारी स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव का तात्पर्य है कि हम नए संकल्प करते हैं…। और उन संकल्पों को महसूस करने के लिए, हम पूरी लगन के साथ पूरी ईमानदारी से… भारत के लिए उज्ज्वल भविष्य ... संकल्प ऐसा होना चाहिए जिसमें स्वयं एक जिम्मेदारी या दूसरे को ग्रहण करे ... किसी के अपने कर्तव्य के साथ जुड़ा हो। मेरा मानना है कि हमारे पास गीता को जीने का यह सुनहरा अवसर है।
मेरे प्यारे देशवासियो, पिछले साल मार्च का यह महीना था जब देश ने पहली बार men जनता कर्फ्यू ’शब्द सुना। महान प्रजा के पराक्रम के अनुभव पर एक नजर डालिए, इस महान देश के लोग ... जनता कर्फ्यू पूरी दुनिया के लिए आफत बन गया था। यह अनुशासन का एक अभूतपूर्व उदाहरण था; आने वाली पीढ़ियां निश्चित रूप से उस पर गर्व महसूस करेंगी। इसी तरह, हमारे कोरोना योद्धाओं के लिए सम्मान, सम्मान व्यक्त करते हुए, थालियां बजती हैं, तालियाँ बजाती हैं, दीप जलाती हैं! आप कल्पना नहीं कर सकते कि कोरोना वारियर्स के दिलों को कितना छुआ था ... और यही कारण है कि वे बिना थके, बिना रुके, पूरे साल जमकर थिरके। स्पष्ट रूप से, उन्होंने देश के प्रत्येक नागरिक के जीवन को बचाने के लिए सहन किया। पिछले साल, इस समय के आसपास, जो सवाल उभर रहा था ... कोरोना वैक्सीन कब आएगा! दोस्तों, यह सभी के लिए सम्मान की बात है कि आज, भारत दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम चला रहा है। भुवनेश्वर की पुष्पा शुक्ला जी ने मुझे टीकाकरण कार्यक्रम की तस्वीरों के बारे में लिखा है। वह आग्रह करती है कि मैं मान के बारे में चर्चा करूं कि टीका के बारे में घर के बुजुर्गों में दिखाई देने वाला उत्साह। दोस्तों, यह सही है, साथ ही… हमें देश के कोने-कोने से ऐसी खबरें सुनने को मिल रही हैं; हम ऐसी तस्वीरें देख रहे हैं, जो हमारे दिल को छू जाती हैं। जौनपुर यूपी से 109 साल की बुजुर्ग माँ, राम दुलैया जी ने लिया टीकाकरण; इसी तरह दिल्ली में 107 साल के केवल कृष्ण जी ने वैक्सीन की खुराक ली है। हैदराबाद के 100 वर्षीय जय चौधरी ने वैक्सीन ले ली है और सभी से यह टीका लेने की अपील की है। मैं ट्विटर-फ़ेसबुक पर देख रहा हूं कि कैसे अपने घरों के बुजुर्गों को टीका लगने के बाद लोग उनकी तस्वीरें अपलोड कर रहे हैं। केरल के एक युवा आनंदन नायर ने वास्तव में इसे this वैक्सीन सेवा ’का एक नया शब्द दिया है। इसी तरह के संदेश शिवानी ने दिल्ली से, हिमांशु ने हिमाचल से और कई अन्य युवाओं ने भेजे हैं। मैं आप सभी श्रोताओं के इन विचारों की सराहना करता हूं। इन सब के बीच, कोरोना से लड़ने का मंत्र याद रखें- दवयै भई कदैभि। ऐसा नहीं है कि मुझे सिर्फ कहना है; हमें भी जीना है, बोलना भी है, बताना भी है और लोगों को i दवई भी कडाई है ’के लिए भी प्रतिबद्ध रखना है।
मेरे प्यारे देशवासियो, आज मुझे सौम्या जी को धन्यवाद देना है जो इंदौर में रहती हैं। उसने एक विषय पर मेरा ध्यान आकर्षित किया है और मुझसे i मन की बात ’में इसका उल्लेख करने का आग्रह किया है। यह विषय है - भारतीय क्रिकेटर मिताली राज का नया रिकॉर्ड। हाल ही में मिताली राज जी दस हजार रन बनाने वाली पहली भारतीय महिला क्रिकेटर बन गई हैं। उनकी इस उपलब्धि पर उन्हें बहुत-बहुत बधाई। वह एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में सात हजार रन बनाने वाली एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय महिला खिलाड़ी हैं। महिला क्रिकेट के क्षेत्र में उनका योगदान शानदार है। मिताली राज जी ने दो दशक से अधिक लंबे करियर के दौरान लाखों लोगों को प्रेरित किया है। उनकी दृढ़ता और सफलता की कहानी न केवल महिला क्रिकेटरों के लिए बल्कि पुरुष क्रिकेटरों के लिए भी एक प्रेरणा है। दोस्तों, यह दिलचस्प है ... मार्च के महीने में, जब हम महिला दिवस मना रहे थे, कई महिला खिलाड़ियों ने अपने नाम पर रिकॉर्ड और पदक हासिल किए। भारत ने दिल्ली में आयोजित आईएसएसएफ विश्व कप शूटिंग के दौरान शीर्ष स्थान हासिल किया। भारत ने स्वर्ण पदक तालिका में भी शीर्ष स्थान हासिल किया। भारतीय महिला और पुरुष निशानेबाजों के शानदार प्रदर्शन के कारण यह संभव हो पाया। इस बीच पी वी सिंधु जी ने बीडब्ल्यूएफ स्विस ओपन सुपर 300 टूर्नामेंट में रजत पदक जीता है। आज शिक्षा से लेकर उद्यमिता, सशस्त्र बल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तक, देश की बेटियाँ हर जगह एक अलग मुकाम बना रही हैं। मैं विशेष रूप से खुश हूं कि बेटियां खेलों में अपने लिए एक नई जगह बना रही हैं। पेशेवर विकल्पों में खेल एक पसंदीदा विकल्प के रूप में आ रहा है।
मेरे प्यारे देशवासियो, क्या आपको कुछ समय पहले आयोजित मैरीटाइम इंडिया समिट याद है? क्या आपको याद है कि मैंने इस शिखर सम्मेलन में क्या कहा था? स्वाभाविक रूप से, बहुत सारे कार्यक्रम होते रहते हैं, इसलिए बहुत सी चीजें मिलती हैं, कैसे सभी को याद करता है और एक या तो ध्यान कैसे देता है ... स्वाभाविक रूप से! लेकिन मुझे अच्छा लगा कि गुरु प्रसाद जी ने मेरे एक अनुरोध को दिलचस्पी के साथ आगे बढ़ाया। इस शिखर सम्मेलन में, मैंने देश में लाइट हाउस परिसरों के आसपास पर्यटन सुविधाओं को विकसित करने की बात की थी। गुरु प्रसाद जी ने 2019 में दो लाइट हाउस- चेन्नई लाइट हाउस और महाबलीपुरम लाइट हाउस में अपनी यात्रा के अनुभव साझा किए हैं। उन्होंने बहुत ही रोचक तथ्य साझा किए हैं जो 'मन की बात' के श्रोताओं को भी चकित कर देंगे। उदाहरण के लिए, चेन्नई लाइट हाउस दुनिया के उन चुनिंदा लाइट हाउसों में से एक है, जिनमें लिफ्ट हैं। यही नहीं, यह भारत का एकमात्र लाइट हाउस भी है जो शहर की सीमा के भीतर है। इसमें बिजली के लिए भी सोलर पैनल लगे हैं। गुरु प्रसाद जी ने लाइट हाउस के विरासत संग्रहालय के बारे में भी बात की, जो समुद्री नेविगेशन के इतिहास को सामने लाता है। पुराने समय में तेल के लैंप, मिट्टी के तेल की रोशनी, पेट्रोलियम वाष्प और पुराने समय में इस्तेमाल किए जाने वाले बिजली के लैंप की विशालकाय छतों को संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाता है। गुरु प्रसाद जी ने भारत के सबसे पुराने लाइट हाउस- महाबलीपुरम लाइट हाउस के बारे में भी विस्तार से लिखा है। उनका कहना है कि इस लाइट हाउस के बगल में पल्लव राजा महेंद्रमन फर्स्ट द्वारा सैकड़ों साल पहले बनाया गया ’उलकनेश्वर’ मंदिर है।
दोस्तों, मैंने 'मन की बात' के दौरान कई बार पर्यटन के विभिन्न पहलुओं की बात की है, लेकिन ये लाइट हाउस पर्यटन की दृष्टि से अद्वितीय हैं। उनकी भव्य संरचनाओं के कारण प्रकाश घर हमेशा लोगों के आकर्षण का केंद्र रहे हैं। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारत में 71 प्रकाश घरों की पहचान की गई है। इन सभी प्रकाश घरों में, उनकी क्षमता के आधार पर, संग्रहालय, एम्फी-थिएटर, ओपन एयर थिएटर, कैफेटेरिया, बच्चों के पार्क, पर्यावरण के अनुकूल कॉटेज और भूनिर्माण का निर्माण किया जाएगा। वैसे, जैसा कि हम प्रकाश घरों की बात कर रहे हैं, मैं आपको एक अनोखे प्रकाश घर के बारे में भी बताना चाहूंगा। यह लाइट हाउस गुजरात के सुरेंद्र नगर जिले में जिंझुवाड़ा नामक स्थान पर है। क्या आप जानते हैं कि यह लाइट हाउस क्यों खास है? यह विशेष है, क्योंकि अब समुद्र तट सौ किलोमीटर से अधिक दूर है जहां यह लाइट हाउस है। इस गाँव में आपको ऐसे पत्थर भी देखने को मिलेंगे जो हमें बताते हैं कि अतीत में यहाँ एक व्यस्त बंदरगाह रहा होगा। इसका मतलब है, पहले समुद्र तट जिंझुवाड़ा तक था। समुद्र से इतनी दूर जाना, पीछे हटना, आगे बढ़ना, आगे बढ़ना भी इसकी एक विशेषता है। इस महीने जापान में आई भयानक सुनामी से 10 साल पूरे होने जा रहे हैं। इस सूनामी में हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। 2004 में ऐसी ही एक सुनामी भारत में आई थी। सुनामी के दौरान हमने अपने लाइट हाउस में काम करने वाले हमारे 14 कर्मचारियों को खो दिया था; वे अंडमान निकोबार और तमिलनाडु में प्रकाश घरों में ड्यूटी पर थे। मैं हमारे इन मेहनती प्रकाश रखवालों को सम्मानजनक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और उनके काम के लिए उच्च सम्मान है। प्रिय देशवासियों, नवीनता, आधुनिकीकरण जीवन के सभी क्षेत्रों में आवश्यक है, अन्यथा यह कई बार बोझ बन जाता है। भारतीय कृषि के क्षेत्र में आधुनिकीकरण समय की आवश्यकता है। पहले ही देर हो चुकी है। हमने पहले ही बहुत समय खो दिया है। कृषि क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा करने के लिए पारंपरिक खेती के साथ-साथ नए विकल्प, नए नवाचारों को अपनाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है; किसानों की आय बढ़ाने के लिए। श्वेत क्रांति के दौरान देश ने इसका अनुभव किया है। अब मधुमक्खी पालन एक समान विकल्प के रूप में उभर रहा है। मधुमक्खी पालन देश में एक शहद क्रांति या मीठी क्रांति का आधार बन रहा है। किसान, बड़ी संख्या में, किसानों के साथ जुड़ रहे हैं; नवाचार कर रहा है।
पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग के एक गाँव गुरुदाम के रूप में। वहाँ खड़ी पहाड़ियाँ, भौगोलिक समस्याएं हैं, और फिर भी, यहाँ के लोगों ने मधुमक्खी पालन का काम शुरू कर दिया है, और आज, इस स्थान पर शहद की फसल की भारी मांग है। इससे किसानों की आय भी बढ़ रही है। पश्चिम बंगाल के सुंदरबन इलाकों के प्राकृतिक जैविक शहद की हमारे देश और दुनिया में बहुत मांग है। मुझे गुजरात में भी ऐसा ही एक निजी अनुभव रहा है। वर्ष 2016 में बनासकांठा, गुजरात में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। उस कार्यक्रम में, मैंने लोगों से कहा था कि यहाँ बहुत संभावनाएँ हैं ... क्यों नहीं बनासकांठा और यहाँ के किसान मीठी क्रांति का एक नया अध्याय लिख रहे हैं? आपको यह जानकर खुशी होगी कि इतने कम समय में बनासकांठा शहद उत्पादन का एक प्रमुख केंद्र बन गया है। आज बनासकांठा के किसान शहद के जरिए सालाना लाखों रुपये कमा रहे हैं। कुछ ऐसा ही उदाहरण यमुनानगर, हरियाणा का भी है। यमुना नगर में, किसान सालाना कई सौ टन शहद का उत्पादन कर रहे हैं, मधुमक्खी पालन करके अपनी आय बढ़ा रहे हैं। किसानों की इस मेहनत का नतीजा है कि देश में शहद का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है, और सालाना लगभग 1.25 लाख टन का उत्पादन होता है और इसमें से बड़ी मात्रा में शहद का निर्यात विदेशों में भी किया जा रहा है।
दोस्तों, हनी बी फार्मिंग से केवल शहद से ही आय नहीं होती है, बल्कि मधुमक्खी का मोम भी आय का एक बहुत बड़ा स्रोत है। हर चीज में मधुमक्खी के मोम की मांग है ... दवा, खाद्य, कपड़ा और कॉस्मेटिक उद्योग हमारा देश वर्तमान में मधुमक्खी के मोम का आयात करता है, लेकिन, हमारे किसान अब इस स्थिति को तेजी से बदल रहे हैं ... अर्थात, एक तरह से ir आत्मानिभर भारत के अभियान में योगदान दे रहा है। आज पूरी दुनिया आयुर्वेद और प्राकृतिक स्वास्थ्य उत्पादों को देख रही है। ऐसे में शहद की मांग और भी तेजी से बढ़ रही है। मैं हमारे देश के अधिक से अधिक किसानों को उनकी खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन से जुड़ने की कामना करता हूं। इससे किसानों की आय में भी वृद्धि होगी और उनका जीवन भी मधुर होगा! मेरे प्यारे देशवासियों, विश्व गौरैया दिवस कुछ ही दिन पहले मनाया गया था। गौरैया जिसे गोरैया कहा जाता है, स्थानों पर चकली के नाम से भी जाना जाता है, या इसे चिमनी, या घनचिरिका भी कहा जाता है। इससे पहले, गोराया हमारे घरों की दीवारों या पड़ोसी पेड़ों की सीमाओं पर चहकते हुए पाए जाते थे। लेकिन अब लोग गोरैया को याद करते हुए बताते हैं कि आखिरी बार उन्होंने गोरैया को कई साल पहले देखा था! आज हमें इसे बचाने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है। बनारस से आए मेरे मित्र इंद्रपाल सिंह बत्रा ने इस दिशा में एक उपन्यास प्रयास शुरू किया है मैं मन की बात के श्रोताओं को यह निश्चित रूप से बताना चाहूंगा। बत्रा जी ने गोरैया के लिए अपने घर को अपना घर बना लिया है। उसे अपने घर में लकड़ी के बने ऐसे घोंसले मिलते थे जहाँ गोराई आसानी से रह सकते थे। आज बनारस के कई घर इस अभियान से जुड़ रहे हैं। इससे घरों में एक अद्भुत प्राकृतिक वातावरण पैदा हुआ है। मैं चाहूंगा कि प्रकृति, पर्यावरण, पशु, पक्षी या जिनके लिए हमारे द्वारा छोटे या बड़े प्रयास किए जाएं।
जैसा कि ... एक दोस्त बिजय कुमार काबिजी। ओडिशा के केंद्रपाड़ा से बिजयजी हिल्स। केंद्रपाड़ा समुद्री तट पर है। इसीलिए इस जिले में कई गांव हैं, जो उच्च ज्वार और चक्रवात के खतरों से ग्रस्त हैं। इससे कई बार तबाही भी मचती है। बिजोयजी को लगा कि अगर कुछ भी इस पर्यावरणीय तबाही को रोक सकता है, तो जो चीज इसे रोक सकती है, वह केवल प्रकृति है। यही कारण है कि जब बिजयजी ने बाराकोट ��ाँव से अपना मिशन शुरू किया और 12 साल तक ... दोस्तों, अगले 12 वर्षों तक मेहनत करके उन्होंने गाँव के बाहरी इलाके में 25 एकड़ का मैंग्रोव वन समुद्र की ओर बढ़ाया। आज यह जंगल इस गाँव की रक्षा कर रहा है। एक इंजीनियर अमरेश सामंत जी ने ओडिशा के पारादीप जिले में इसी तरह का काम किया है। अमरेश जी ने सूक्ष्म वन लगाए हैं, जो आज कई गांवों की रक्षा कर रहे हैं। दोस्तों, एंडेवर के इन प्रकारों में, यदि हम समाज को शामिल करते हैं, तो महान परिणाम प्राप्त होते हैं। उदाहरण के लिए, मारीमुथु योगनाथन हैं, जो कोयम्बटूर, तमिलनाडु में बस कंडक्टर के रूप में काम करते हैं। योगानाथन जी अपने बस के यात्रियों को टिकट जारी करते समय एक मुफ्त में एक जलपान भी देते हैं। इस तरह, योगनाथन जी को असंख्य पेड़ लग गए हैं! योगनाथन जी इस काम के लिए अपने वेतन का एक बड़ा हिस्सा खर्च कर रहे हैं। अब इस कहानी को सुनने के बाद, एक नागरिक के रूप में कौन मारीमुथु योगनाथन के काम की सराहना नहीं करेगा? मैं उनके प्रयासों को, उनके प्रेरणादायक कार्यों के लिए दिल से बधाई देता हूं। मेरे प्यारे देशवासियों, हम सभी ने धन में कचरे को परिवर्तित करने के बारे में दूसरों को देखा, सुना और उल्लेख किया है! उसी तरह, अपशिष्ट को मूल्य में परिवर्तित करने के प्रयासों का भी प्रयास किया जा रहा है। ऐसा ही एक उदाहरण केरल के कोच्चि के सेंट टेरेसा कॉलेज का है। मुझे याद है कि 2017 में, मैंने इस कॉलेज के परिसर में पुस्तक पढ़ने पर केंद्रित एक कार्यक्रम में भाग लिया। इस कॉलेज के छात्र पुन: प्रयोज्य खिलौने बना रहे हैं, वह भी बहुत रचनात्मक तरीके से। ये छात्र पुराने कपड़े, लकड़ी के टुकड़े, बैग और बक्से को खिलौने बनाने में परिवर्तित कर रहे हैं। कुछ छात्र एक पहेली बना रहे हैं जबकि दूसरा एक कार बनाते हैं या एक ट्रेन बनाते हैं। यहां, यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान दिया जाता है कि खिलौने सुरक्षित होने के साथ-साथ बच्चे के अनुकूल भी हों। और इस पूरे प्रयास के बारे में एक अच्छी बात यह है कि इन खिलौनों को आंगनवाड़ी बच्चों को उनके साथ खेलने के लिए दिया जाता है। आज, जबकि भारत खिलौनों के निर्माण में बहुत आगे बढ़ रहा है, अपशिष्ट से मूल्य तक के इन अभियानों, इन सरल प्रयोगों का बहुत मतलब है।
आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में प्रोफेसर श्रीनिवास पद्कंडलाजी हैं। वह बहुत दिलचस्प काम कर रहे हैं। उन्होंने ऑटोमोबाइल मेटल स्क्रैप से मूर्तियां बनाई हैं। उनके द्वारा बनाई गई ये विशाल मूर्तियां सार्वजनिक पार्कों में स्थापित की गई हैं और लोग इन्हें बड़े उत्साह के साथ देखते हैं। यह इलेक्ट्रॉनिक और ऑटोमोबाइल अपशिष्ट पुनर्चक्रण के साथ एक अभिनव प्रयोग है। मैं एक बार फिर कोच्चि और विजयवाड़ा के इन प्रयासों की सराहना करता हूं और आशा करता हूं कि इस तरह के प्रयासों में बड़ी संख्या में लोग आगे आएंगे। मेरे प्यारे देशवासियों, जब भारत के लोग दुनिया के किसी भी कोने में जाते हैं, तो वे गर्व से कहते हैं कि वे भारतीय हैं। हमारे पास गर्व करने के लिए बहुत कुछ है ... हमारे योग, आयुर्वेद, दर्शन और क्या नहीं! हम गर्व के साथ बात करते हैं। हमें अपनी स्थानीय भाषा, बोली, पहचान, पहनावे, खान-पान पर गर्व है। हमें नया प्राप्त करना है ... उसके लिए यही जीवन है लेकिन उसी समय हमें अपना अतीत नहीं खोना है! हमें अपने आसपास की अपार सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करने के लिए वास्तव में कड़ी मेहनत करनी होगी, इसके लिए नई पीढ़ी को पारित करना ह��गा। आज असम में रहने वाला सिकरी तिसाऊ बहुत लगन से ऐसा कर रहा है। कार्बी आंगलोंग जिले के सिकरी तिसाऊ जी पिछले 20 वर्षों से करबी भाषा का दस्तावेजीकरण कर रहे हैं। एक बार, दूसरे युग में, 'कार्बी', 'कार्बी आदिवासी' भाइयों और बहनों की भाषा ... अब मुख्यधारा से गायब हो रही है। श्रीमन सिकरी तिसाऊ ने फैसला किया कि वह उनकी पहचान की रक्षा करेगा ... और आज उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप कार्बी भाषा के बारे में अधिक जानकारी के दस्तावेजीकरण हो गए हैं। उन्हें अपने प्रयासों के लिए कई स्थानों पर प्रशंसा भी मिली, और पुरस्कार भी मिले। मैं निश्चित रूप से 'मन की बात' के माध्यम से श्रीमन सिकरी तिसाऊ जी को बधाई देता हूं, लेकिन देश के कई कोनों में इस तरह की पहल में इस तरह के नारे लगाने वाले कई साधक होंगे और मैं उन सभी को भी बधाई देता हूं।
मेरे प्यारे देशवासियो, कोई भी नई शुरुआत हमेशा बहुत खास होती है। नई शुरुआत का मतलब है नई संभावनाएं - नई कोशिशें। और, नए प्रयासों का मतलब है नई ऊर्जा और नया जोश। यही कारण है कि यह विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में और विविधता से भरी हमारी संस्कृति में उत्सव के रूप में किसी भी नई शुरुआत का पालन करने की परंपरा रही है। और यह समय नई शुरुआत और नए त्योहारों के आगमन का है। होली भी बसंत, वसंत को त्योहार के रूप में मनाने की परंपरा है। जब हम रंगों के साथ होली मना रहे होते हैं, उसी समय, यहाँ तक कि वसंत हमारे चारों ओर नए रंग फैला देता है। इस समय, फूल खिलने लगते हैं और प्रकृति जीवंत हो उठती है। जल्द ही देश के विभिन्न क्षेत्रों में नया साल भी मनाया जाएगा। चाहे वह उगादी हो या पुथंडू, गुड़ी पड़वा या बिहू, नवरेह या पोइला, या बोईशाख या बैसाखी - पूरा देश जोश, उत्साह और नई उम्मीदों के रंग में सराबोर हो जाएगा। इसी समय, केरल भी विशु के सुंदर त्योहार मनाता है। इसके बाद जल्द ही चैत्र नवरात्रि का पावन अवसर भी आएगा। चैत्र महीने के नौवें दिन, हमारे पास रामनवमी का त्योहार होता है। इसे भगवान राम की जयंती और न्याय और पराक्रम के नए युग की शुरुआत के रूप में भी मनाया जाता है। इस दौरान चारों ओर धूमधाम के साथ भक्ति का माहौल होता है, जो लोगों को करीब लाता है, उन्हें परिवार और समाज से जोड़ता है, आपसी संबंधों को मजबूत करता है। इन त्योहारों के अवसर पर, मैं सभी देशवासियों को बधाई देता हूं। दोस्तों, इस बार 4 अप्रैल को देश ईस्टर भी मनाएगा। ईस्टर का त्योहार यीशु मसीह के पुनरुत्थान के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। प्रतीकात्मक रूप से, ईस्टर जीवन की नई शुरुआत से जुड़ा है। ईस्टर उम्मीदों के पुनरुत्थान का प्रतीक है। इस पवित्र और शुभ अवसर पर, मैं न केवल भारत में ईसाई समुदाय, बल्कि विश्व स्तर पर ईसाइयों का अभिवादन करता हूं।
मेरे प्यारे देशवासियो, आज 'मन की बात' में हमने 'अमृत महोत्सव' और देश के प्रति अपने कर्तव्यों के बारे में बात की। हमने अन्य त्योहारों और उत्सवों पर भी चर्चा की। इस बीच, एक और त्योहार आ रहा है जो हमें हमारे संवैधानिक अधिकारों और कर्तव्यों की याद दिलाता है। वह 14 अप्रैल है - डॉ। बाबा साहेब अम्बेडकर जी की जयंती। 'अमृत महोत्सव' में इस बार यह अवसर और भी खास हो गया है। मुझे यकीन है कि हम बाबासाहेब की इस जयंती को अपने कर्तव्यों का संकल्प लेकर यादगार बनाएंगे और इस तरह उन्हें श्रद्धांजलि देंगे। इसी विश्वास के साथ, आप सभी को एक बार फिर से त्योहारों की शुभकामनाएँ। आप सभी खुश रहें, स्वस्थ रहें और आनन्दित रहें। इस इच्छा के साथ, मैं आपको याद दिलाता हूं remind दवई भी, कडाई भी ’! आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
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जो बिडेन क्यों मिला प्रेसिडेंटल मैडल -
जो बिडेन को नहीं जानते तो आपको थोड़ा सा उनके बारे में रूबरू कराते चलते है जो बिडेन ट्रम्प के खिलाफ अमेरिकन राष्ट्रपति के डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार है | ये अमेरिका के उप राष्ट्रपति के रूप में 2009 से 2017 तक सेवा भी दे चुके है |ये अमेरिका के 47वे उपराष्ट्रपति थे | 20 नवंबर 1942 में जन्मे जो बिडेन थे |ये पेशे से वकील भी है | इनका पूरा नाम है -जोसफ रोबिनेट्टे बिडेन |बिडेन को अमेरिका का सबसे कम उम्र का सेनेटर बनने का भी तमगा मिल चूका है और तो और अमेरिकन राष्ट्रपति ओबामा ने 2017 में इन्हे प्रेसिडेंटल मैडल ऑफ़ फ्रीडम भी दिया था |
जो बिडेन और जिली बिडेन का जुड़ाव -
बहुत हो गयी बात बिडेन की अब उनकी पत्नी के बारे में बात करते है | जो बिडेन ने दो शादी की |पहली शादी उन्होंने 1966 नाइला हंटर से की जिसे इनके तीन बच्चे भी हुए लेकिन दुर्भाग्य वश इनका साथ ज्यादा दिन न चल सका और वो एक कार दुर्घटना उन्होंने दुनिया से अलविदा कह दिया | ये घटना शादी के 5 साल बाद ही हो गयी | दूसरी पत्नी जिली बिडेन है जिनकी हम अभी बात कर रहे है इनसे जो बिडेन 1975 में मिले थे और 17 जून 1977 इन लोगों ने न्यूयोर्क में शादी कर ली | जिली बिडेन पहले एक टीचर हुआ करती थी |इन दोनों एक बहुत खूबसूरत सी पुत्री भी है |
जिली बिडेन के वोट स्लोगन वाले बूट्स ने मचाया तहलका -
अब जब की जो बिडेन अमेरिकन राष्ट्रपति के उम्मीदवार है तो लोगों की नज़र जिली पे भी रहती है और वो कैसे अपने पति को सपोर्ट कर रही है | ऐसा ही एक वाकया देखने को मिला जब जिली बिडेन ने एक बहुत सूंदर घुटने तक जूता पहन रखा था और जिसपे सिल्वर में कैपिटल लेटर में 'VOTE ' लिखा था |वो अपने अंदाज़ में लोगों से वोट की अपील करती हुई दिखाई दे रही थी |इस बूट को स्टुअर्ट वेटजमैन ने डिज़ाइन किया है और जो भी इसको खरीदेगा इसका पूरा का पूरा लाभ 'I AM VOTER ' जागरूक फ़ैलाने वाले कम्पैन को जायेगा |नवंबर में अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव है और इसलिए भी वोटर और वोट की महत्ता बढ़ गई है इसका साफ़ असर वहाँ जनता और vip पर भी सीधा पड़ रहा है |
मिशेल ओबामा ने भी क्यों पहना था -वोट लिखा गोल्ड नेकलेस -
इससे पहले चुनाव में भी ओबामा की पत्नी मिशेल ओबामा ने भी v -o -t -e नेकलेस जो की गोल्ड का बना हुआ था पहना था |फैशन इंडस्ट्री भी वोट कम्पैन को बढ़ावा दे रही है कई तो ब्रांड वोट लिखा हुआ मास्क भी बाज़ार में उतार दिया है |अमेरिका के कई पोलिटिकल फिगर इस वोट मास्क को बखूबी प्रमोट भी कर रहे है जैसे हिलेरी क्लिंटन ,सैमुअल ल जैक्शन, और ये भी लिख रहे की आपकी आवाज मैटर करती है | अमेरिकन फैशन इंडस्ट्री तो इसको भुनाने में लगी है | और बाजार में कई तरह के एअर रिंग , वोट लिखी टी-शर्ट्स , और हूडी मिल रहे है | उनका अपना कहना है की हमे राष्ट्रपति का चुनाव करना है तो हमे अपना भागीदारी देना जरुरी है | हमे अपने पालिसी में कुछ बदलाव चाहिए या हमे पुरानी ही पालिसी चाहिए तब भी हमे अपना वोट देना होगा | हमे अपने फ्यूचर के लिए वोट देना ही चाहिए |
पाटगोनिया ब्रांड का स्लोगन क्यों हुआ वायरल -
पाटगोनिया ब्रांड ने तो अपने टी-शर्ट्स पे कुछ अलग ही स्लोगन लिखा है जो युथ में बहुत ही पॉपुलर है -स्लोगन ये है -"VOTE THE ASSHOLES OUT " ज्यादातर जो ब्रांड है वो युथ को आकर्षित करने के लिए है ऐसे स्लोगन का प्रयोग कर रहे है | इस तरह के फैशन ड्राइव होने से लोगों के कल्चर में ये आएगा और ये वोट का प्रतिशत भी बढ़ाएगा | वैसे अमेरिका में इस समय अलग ही माहोल बना हुआ है | इस तरह के फैशन से लोगों का मानना है की लोगों का पहुंच मिलेनिएल लोगों तक पहुंचेगी | बिकसित देशों में अमेरिका को वोटिंग का दर सबसे कम है | कोरोना महामारी की व���ह से भी लोगों वास्तविक कम्पैनिंग से बच रहे है वो ज्यादातर चाह रहे की डिजिटली रूप से प्रचार ज्यादा हो | क्योकि कोरोना काल में बहुत ज्यादा नुकसान होने वाले देशों में अमेरिका का नाम सर्वोपरी है |
बड़ी -बड़ी ब्रांड का मानना है इस फैशन इंडस्ट्री में हम कई तरह के मैसेज लोगों के बीच पंहुचा सकते है | और इस समय इसका प्रचलन भी बड़ा है | पुराना इतिहास भी इस बात को झुठलाता नहीं है |कपडे आपके कल्चर के कोर होते है जैसे भाषा और खान पान होते है वो हर तरह से आप पर दूसरों पर प्रभाव डालते है | भारत देश ऐसा है जहा इन चीजें का बहुत ही प्रभाव पड़ता है क्योकि वहाँ बहुत सी बोलिया , वेश -भूषा और खान -पान है |जब भी हम जो किताबों में पड़ते |जो सविधान ने हमे अधिकार दिए है अगर वही अधिकार हमारे कपड़ों में लिखे हुए होते है तो हमारी नज़र उसपर पड़ती है और उसे कई तरह से प्रेणना मिलती है | और इसलिए कई यंग फैशन डिज़ाइनर कपड़ों पे राइट्स लिखने का और लोगों को जागरूक करने का वोटिंग के लिए कई तरह के आयोजन भी करते रहते है |इस तरह के आयोजन करने का लक्ष्य ये होता है की कम से कम 1 मिलियन लोग वोटिंग के लिए अपने को जोड़े |
इस तरह के आयोजन कई लोग फायदे के करते है -
कई लोग इसमें एक स्पेसिफिक पार्टी को भी वोट देने के लिए अपील करते है |जो इसका प्रयोग अपने फायदे के लिए कर रहे है वैसे तो इस तरह का इल्जाम अमेरिका में फेसबुक पे भी लग रहा है इन दिनों और कई सेलेब्रेटी इसका विरोध भी कर रहे अपने फेसबुक ���कॉउंट को 24 घंटे फ्रीज़ करके |बाते ये है की सोशल मीडिया या फैशन इंडस्ट्री लोगों यहाँ पे या तो अपनी बातें शेयर करने आते है या खुद को प्रोमोट करने |लेकिन इन्ही चीजें में कई तरह के धनाढ्य लोग इसमें शामिल हो जाते है और सोशल मीडिया को उसी तरह चलाने की कोशिश करते है जैसा वो चाहते है |क्योकि फेसबुक या कोई भी सोशल साइड है इन्हे वो बहुत बड़े ऐड देते है और इनसे ही इनका धंधा चलते है तो हो सकता है की ये थोड़े बाईसेड हो जाये | असली नीति जो है वो अर्थ की नीति |मैंने बात स्लोगन से शुरुआत की अर्थ (धन ) पे ख़तम की क्योकि मेरी कोशिश बस ये रहती है की आपको समाचार देने के साथ ही उसके अंदर की खबर भी दी जाये |
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नागरिकता कानून की आड़ में संघी एजेंडा लागू करना बंद करो!
देश को हिन्दू राष्ट्र में बदलने कीसाजिश का पुरजोर विरोध करो नागरिकता कानून की आड़ में संघी एजेंडा लागू करना बंद करो!
एक तरफ जब देश भर में विवादित नागरिकता कानून पर लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकार की जन विरोधी कार्यवाही का भुगतभोगी बन रहे हैं, वैसे में सरकार ने अब एक और घोषणा की। 2020 की अप्रैल से सितंबर तक वह राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी नेशनल पापुलेशन रजिस्टर (एन पी आर) को अपडेट करेगी। यह कदम वह तब करने जा रही है, जबकि पहले एन आर सी और फिर कैब के अंतर्गत लाखों लोग भारत की नागरिकता सूची से बाहर हो आज बिना नागरिकता वाले हो चुके हैं। वह भी तब जब एन आर सी अभी केवल उत्तर पूर्व के ही राज्य में शुरू हुआ है। कैब भी एन आर सी
हुआ अधिनियम है, एन आर सी जहां लोगों को भारत की नागरिक होने और ना होने की शिनाख्त करता है, वहीं सी.ए.ए विदेशी नागरिकों को
के दक्षिण एशिया के देशों से आये शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने के लिए लाया कानून है। सी.ए.ए कानून के बन जाने के बाद भारत की नागरिकता का मख्य आधार व्यक्ति का धर्म हो गया है ना की उसकी कोई और बात। यह बिल भाजपा – आरएसएस की लाइन के मुताबिक बनाया गया है, जिन्हें भारत को एक हिन्दू राष्ट्र के तौर पर पेश करना है।आर्थिक मोर्चे पर बुरी तरह से नाकम सरकार ने मेहनतकश, बेरोजगार युवाओं और अन्य देशवासियों को बहकाने के लिए अब अंध-राष्ट्रवाद और हिन्द-आधिपत्यवाद का न्य शगूफा नागरिकता बिल के माध्यम से छेडा है। हिन्द बहुसंख्यकों के हिस्से को धर्म के नाम पर वः भड़का कर पूंजीपतियों के पीछे रखना चाहती है। साथ ही मुस्लिम बहुल इलाकों में विस्थापित विदेश से आये हिन्दुओं को बसा वो अपने राज को मजबूती प्रदान करवाना चाहती है।
मोदी सरकार की यह नीतियां इस बात की भी पुष्टि करती है कि भारत सरकार ने 70 साल बाद दो राष्ट्र सिद्धांत को आखिरकार मान लिया। दो राष्ट्र सिद्धांत या दो क़ौमी सिद्धांत, के मुताबिक हिन्दू और मुसलामन एक राष्ट्र नहीं है बल्कि दो अलग अलग राष्ट्र है, और वे एक साथ नहीं रह सकते। बीएस मुंजे, भाई परमानंद, विनायक दामोदर सावरकर, एमएस गोलवलकर और अन्य हिंदू राष्ट्रवादियों के अनुसार भी दो राष्ट्र सिद्धांत सही था और वे भी हिन्दू मुसलमानों को अपना अलग अलग देश की वकालत कर रहे थे, उन्होंने न केवल इस सिद्धांत की वकालत की बल्कि आक्रामक रूप से यह मांग भी उठाई कि भारत हिन्दू राष्ट्र है जहाँ मुसलमानों का कोई स्थान नहीं है। भारत विभाजन में जितना योगदान लीग का रहा उससे कम आरएसएस और हिन्दू दलों का नहीं था। आज राष्ट्रवाद और अखंड भारत का सर्टिफिकेट बांटने वाले भी देश के बंटवारे में लीग जितना ही शरीक थे, यह बात हमे नहीं भूलनी चाहिए। हिन्द महासभा के संस्थापक राजनारायण बसु ने तो 19वीं शताब्दी में ही हिन्दु राष्ट्र और दो राष्ट्र का सिद्धांत पर अपनी प्रस्थापना रखनी शुरू कर दी थी। हिन्दू राष्ट्र के बारे में उन्होंने कहा था, "सर्वश्रेष्ठ व पराक्रमी हिंदू राष्ट्र नींद से जाग गया है और आध्यात्मिक बल के साथ विकास की ओर बढ़ रहा है। मैं देखता हूं कि फिर से जागृत यह राष्ट्र अपने ज्ञान, आध्यात्मिकता और संस्कृति के आलोक से संसार को दोबारा प्रकाशमान कर रहा है। हिंदू राष्ट्र की प्रभुता एक बार फिर सारे संसार में स्थापित हो रही है।" । बासु के ही साथी नभा गोपाल मित्रा ने राष्ट्रीय हिंदू सोसायटी बनाई और एक अख़बार भी प्रकशित करना शुरू किया था, इसमें उन्होंने लिखा था, “भारत में राष्ट्रीय एकता की बुनियाद ही हिंदू धर्म है। यह हिंदू राष्ट्रवाद स्थानीय स्तर पर व भाषा में अंतर होने के बावजूद भारत के प्रत्येक हिंदू को अपने में समाहित कर लेता है।” दो राष्ट्र का सिद्धांत फिर किस ने दिया इस पर हिंदुत्व कैंप के इतिहासकार कहे जाने वाले आरसी मजुमदार ने लिखा, "नभा गोपाल ने जिन्नाह के दो कौमी नजरिये को आधी सदी से भी पहले प्रस्तुत कर दिया था।" नागरिकता बिल में इस संशोधन से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं के साथ ही सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बगैर वैध दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता हासिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा। भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए देश में 11 साल निवास करने वाले लोग योग्य होते हैं। नागरिकता संशोधन बिल में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थियों के लिए निवास अवधि की
बाध्यता को 11 साल से घटाकर 6 साल करने का प्रावधान है। सरकार का मानना है कि इन देशों में हिन्दुओं पर अत्याचार हो रहे हैं और उनको सरकार द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है, ऐसे में भारत का यह दाइत्व बनता है की हिन्दुओं की रक्षा करे। सरकार इस बात से पूरी तरह बेखबर है की भारत के कई पडोसी राज्यों में मुसलमान अल्पसंख्यक है और उनके साथ भी वहाँ के बहुसंख्यक जमात द्वारा जुल्म की खबर समय समय पर आती रहती है। श्री लंका में तो सिंघली और तमिल (हिन्द) के बीच दशकों से लगातार तनाव बना रहा है। तो क्या सभी तमिल जनता अब भारत आ सकती है? वही हाल बांग्लादेश और म्यांमार के गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों का है, तो क्या इन सभी को भारत अपना नागरिक बनाने के लिए तैयार है? और हाँ, तो फिर इन गैर मुस्लिम शरणार्थी और सताए जा रहे मुस्लिम शरणार्थी जैसे रोहिंग्या, पाकिस्तान में शिया, अहमदिया, अफगानिस्तान के हजारा, उज़बेक इत्यादि के साथ यह सौतेला व्यव्हार क्यों? सरकार को इस पर भी जवाब देना होगा। रोहिंग्या के साथ साथ भारत में म्यांमार ���े चिन शरणार्थी भी बहुसंख्या में भारत में निवास कर रहे हैं, अफगानिस्तान से आये शरणार्थी को भारत ने पनाह दी थी, उस पर सरकार की क्या प्रतिक्रिया होगी? सीएए के लिए आंकडा एन पी आर से आएगा? नेशनल पापुलेशन रजिस्टर की बात कारगिल युद्ध के बाद शुरू हुई। सन 2000 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार द्वारा गठित, कारगिल समीक्षा समिति ने नागरिकों और गैर-नागरिकों के अनिवार्य पंजीकरण की सिफारिश की सिफारिशों को 2001 में स्वीकार किया गया था और 2003 के नागरिकता (पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियम पारित किए गए थे। इससे पहले एनपीआर को 2010 और 2015 में आयोजित किया गया था, 1955 नागरिकता अधिनियम में संशोधन के बाद एनपीआर को पहली बार 2004 में यूपीए सरकार द्वारा अधिकृत किया गया था। संशोधन ने केंद्र को "भारत के प्रत्येक नागरिक को अनिवार्य रूप से पंजीकृत करने और राष्ट्रीय पहचान पत्र" जारी करने की अनुमति दी। 2003 और 2009 के बीच चुनिंदा सीमा क्षेत्रों में एक पायलट परियोजना लागू की गई थी। अगले दो वर्षों (2009-2011) में एनपीआर तटीय क्षेत्रों में भी चलाया गया - इसका उपयोग मुंबई हमलों के बाद सुरक्षा बढ़ाने के लिए किया गया था - और लगभग 66 लाख निवासियों को निवासी पहचान पत्र जारी किए गए थे। इस बार एन पी आर की आंकड़े लेने में सरकार ने कुछ नए कॉलम जोड़ दिए। सरकार द्वारा 24
दिसंबर को घोषित राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में लोगों को पहली बार "माता-पिता की जन्म तिथि और जन्म स्थान" भी बताना पड़ेगा। यह जानकारी, 2010 में एनपीआर के लिए एकत्र नहीं गयी थी। मतलब साफ है, सरकार इस बार ये आंकड़े इसलिए मांग रही है ताकि वो किसी भी व्यक्ति के बारे में तय कर सके कि उसकी नागरिकता प्रामाणिक है या नहीं। फिर उसके ऊपर एनआरसी और सीएए की विभिन्न प्रावधान के तहत कार्यवाही करने में कितना वक्त लगेगा? इस रजिस्टर में दर्ज जानकारी के लिए, सरकार कह रही है कि आपको कोई दस्तावेज़ या प्रमाण नहीं देने की ज़रूरत है। तो फिर सवाल उठता है कि इन जानकारी की ज़रूरत किस लिए है, सरकार इस जानकारी से क्या करने वाली है? अगर वह इसका इस्तेमाल गरीबों की कल्याणकारी योजनाओं के लिए करेगी, तो इसके लिए पहले से ही आधार कार्ड बनवाया गया। सरकार अलग अलग सर्वे करवा योजनाओं की ज़रूरत पर आंकड़े इकट्ठा करती है। किसी की आर्थिक स्थिति जानने के लिए उसके माता पिता का नाम और जन्म स्थान की जानकारी किस लिए चाहिए? इन सवालों पर सरकार मौन है। अगर हम भाजपा के मंत्रियों और प्रधानमंत्री की बातों पर ध्यान दें तो उनके द्वारा झूठा प्रचार किसी खतरनाक साजिश की तरफ इशारा करता है। भाजपा
और सरकार ने लगातार गलत सचना और कत्साप्रचार का सहारा ले रही है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने गह मंत्री अमित शाह के विरोधाभासी का विरोध किया है। भाजपा ने दोनों के साथ अलग किया है आधिकारिक सरकार के रिलीज के पास कोई वास्तविक मूल्य नहीं है। यह सही लग रहा है कि इन झठ
और गलत बयानी के पीछे एक सोची समझी प्लान है, जिसका मकसद जनता के बीच भ्रम फैला कर असली योजना को कार्यान्वित करने का है। एक क्रम में सरकार कानूनों में बदलाव कर रही है। पहले मज़दूर कानूनों को ख़त्म कर पूँजीपतियों के पक्ष कर दिया गया, फिर आया एन आर सी और सी ए ए और अब एन पी आर, साथ ही सरकार कम्प्यूटर के डेटा सुरक्षा कानून भी लेन वाली है, मीडिया में रिपोर्ट के अनुसार इस कानून में सरकार किसी से भी किसी व्यक्ति के बारे में सूचना मांग सकती है। मतलब अब किसी की निजता नहीं रहेगी। मान लीजिये कि आप हस्पताल में भर्ती होते हैं, अस्पताल आपकी बीमारी और शरीर की सभी जानकारी कम्प्यूटर में दर्ज करती है। ये जानकारी आपकी निजी जानकारी होती है, लेकिन अब सरकार इन जानकारी को मांग सकती है। वो भी बिना आपकी इजाज़त के। इन जानकारियों को वो किसी भी तरह से इस्तेमाल करेगी। चाहे किसी दवा कंपनियों को बेच सकती है, या किसी को सामाजिक रूप से बेइज्जत करने के लिए। आज भी हमारे देश मे कई बीमारियों को सामाजिक रूप से शंका की नज़र से देखा जाता है जैसे एड्स, और अन्य गुप्त रोग वाली बीमारियां। सवाल यह है कि सरकार इन सूचना को इकट्ठा क्यो कर रही है और किसलिये, इस पर वह झूठ क्यों कहा रही है? असल मे सरकार पूरे देश को एक बड़े बाड़े में तब्दील करने पर आमादा है। उसने इसके लिए काम शुरू भी कर दिया है। कई जगहों पर डिटेंशन कैम्प बनाए जा रहे है। जहां लोगों को भेजने की तैयारी शुरू हो चुकी है। याद कीजिये हिटलर का यहूदियों और नाज़ी विरोधियों के लिए बनाया कंसन्ट्रेशन कैम्प। इन कैम्पों के कैदियों को केवल मौत के घाट नहीं उतारा गया बल्कि पहले उनसे गुलामों की तरह कमरतोड़ मेहनत करवा जाता था। उस समय तक पूँजीपतियों की कंपनियों में जानवरों की तरह काम करवाया जाता था जब तक उनकी मौत नहीं हो जाती थी। पूँजीपतियों को मुफ्त के मज़दूर मिले रहते थे, जिनके किसी तरह की कानूनी अधिकार नहीं था, मालिक की मर्जी तक वे काम करते थे और जिस दिन वो काम करने लायक नहीं रह जाते उसी दिन उनकी जिंदगी खत्म कर दी जाती थी।
क्या मोदी सरकार, भारत में यही कैम्प बनाने की कवायद शुरू तो नहीं कर रही? अगर ऐसा है तो यह भारत के लिए दुर्दिन की शुरुआत है, मोदी की इन नीतियों की वजह से देश का सामाजिक ताना बाना टूटने वाला है, और फिर क्या हमारे देश की हालत अफ़ग़ानिस्तान, और अन्य देशों की तरह नहीं हो जाएगी जहां लोग एक दूसरे को खत्म करने में लग गए थे। देश गृह युद्ध की तरफ बढ़ जाएगा। इसलिए हम इस हिन्द बहलतावादी सोच और मस्लिम को दसरे दर्जे का नागरिक बनाने का कड़ा विरोध करते हैं. देश को अंधराष्ट्रवाद की जहरीली खाई में धकेलने की इस कार्यवाही के खिलाफ एकजुट होने की अपील भी करते हैं। हम तमाम साथियों से आह्वान करते हैं की इस खरतनाक साजिश के विरुद्ध एक हो कर मोदी सरकार के इस मंसूबे का विरोध करें। दोस्तों, अब समय आ गया है कि हम आम जनता आने वाले काले दिन के खिलाफ एक होकर संघर्ष करें। साथियों फासीवादी सरकार जनता को धर्म के नाम पर बाँट इस देश पर पूरी तरह से फासीवादी शासन लागू करना चाहती है। आज इसने मुसलमानों को अलग करने का काम शुरू किया है, आगे यह दलितों, आदिवासीयों और सभी दबे कुचलों के साथ ऐसा ही व्यवहार करेगी। ब्राह्मणवादी-फासीवादी शासन की तरफ इसने एक क़दम उठा लिया है, अगर इसका विरोध नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में हमारी देश की जनता उस काले काननों और बर्बर शासन व्यवस्था में जीने को मजबूर हो जाएगी। आज समय है की हम एक साथ पूरे जोर से इस शासन को टक्कर दें और उसे बतला दें कि देश की जनता अब उसकी छद्म देशभक्ति के बहकावों में आने वाल�� नहीं है। देश का युवा, मेहनतकश जाग रहा है, इस आन्दोलन को अब नये ऊँचाई पर ले जाने का समय आ गया है, एनआरसी, सीएए, एनपीआर की लड़ाई को लम्बी राजनितिक संघर्ष में बदलने का समय आ गया है, आज एक बार फिर हमे सर्वहारा वर्ग की राजनीति को मध्य में लाना होगा और देश में आमूल परिवर्तन की लडाई को तेज़ करना होगा।
नाम
* तमाम नागरिकता कानून को वापिस लो * देश को धर्म के आधार पर बांटने का पुर जोर विरोध करो * नागरिकता कानून की आड़ में भाषाई, धार्मिक और जातिय आधार पर जनता को बाँटने के खिलाफ संघर्ष तेज़ करो * मोदी साकार द्वारा देश में फ़ासीवाद लाने की कोशिश को जन-एकता से ध्वस्त करो
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'लव जिहाद' के बाद 'वोट जिहाद', चुनाव के बीच चर्चा में आया एक और जिहाद
नई दिल्ली: देश में चुनावी माहौल अपने चरम पर है। दो चरणों के चुनाव हो चुके हैं और तीसरे फेज के लिए प्रचार जोरों शोरों से चल रहा है। सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर खूब शब्दों के बाण छोड़ रहे हैं। चुनावी समर के बीच एक शब्द ने फिर सुर्खियां बंटोरनी शुरू कर दी हैं। नाम है जिहाद। यह ऐसा शब्द है जिसे किसी दूसरे शब्द के पीछे लगाकर उसकी परिभाषा गढ़ी जाती है। आपने अब तक लव जिहाद और लैंड जिहाद तो सुना होगा, लेकिन इस बार एक और शब्द की उत्पत्ति हुई है, नाम है 'वोट जिहाद'। हर बार इस तरह की शब्दावली के लिए भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाए जाते थे, लेकिन इस बार यह शब्द कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद की भतीजी की ओर से उछाला गया है। भतीजी समाजवादी पार्टी में हैं और एक खास समुदाय के लोगों से वोट जिहाद करने की अपील कर रही हैं। उनके इस वीडियो के बाद देश की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। बीजेपी लगातार हमलावर है, विपक्ष ने एक बार फिर सत्तासीन पार्टी को एक मौका दे दिया है। क्या है ये वोट जिहाद वाली अपील और इसका मतलब, सब तफ्शील से समझाते हैं।वोट जिहाद वाला बयान क्या है जिसपर छिड़ा विवाद? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद की भतीजी मारिया आलम खान ने वोट जिहाद की अपील कर राजनीति में नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है। मारिया आलम फर्रुखाबाद लोकसभा सीट के लिए चुनाव प्रचार करने पहुंची थीं। उन्होंने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि संघी सरकार को हटाने के लिए बहुत अक्लमंदी के साथ एकजुट होकर, बहुत खामोशी से वोटों का जिहाद करो, क्योंकि हम सिर्फ वोटों का जिहाद कर सकते हैं। आरोप है कि मारिया ने यह बयान मुसलमानों को लामबंद करने के लिए कहा था। इससे वोटों का ध्रुवीकरण हो रहा है। इस बयान पर समाजवादी पार्टी बचाव कर रही है तो वहीं बीजेपी इसपर हमलावर है। अखिलेश यादव ने किनारा किया तो बीजेपी करने लगी अटैकसमाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से भी मारिया आलम के बयान पर प्रतिक्रिया मांगी गई लेकिन उन्होंने इससे किनारा कर लिया। उन्होंने बयान का बचाव करते हुए कहा कि कभी-कभी चुनाव में मतदाताओं को वोट देने के वास्ते उत्साहित करने के लिए भारी शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। अखिलेश ने आगे कहा कि मुझे लगता है कि मारिया आलम के बयान का मतलब वह नहीं था, जिसके लिए कार्रवाई शुरू की गई। इरादा यह था कि अधिक से अधिक संख्या में वोट पड़ें और सभी लोग मतदान करें। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े ने कहा कि झूठ फैलाने वाले विपक्षी दलों ने अब 'वोट जिहाद' अभियान शुरू कर दिया है। इससे पता चलता है कि वे हताश और निराश हैं। तावड़े ने कहा कि एक तरफ वे ओबीसी का आरक्षण मुसलमानों को दे रहे हैं, दूसरी तरफ वे चुनाव के दौरान 'वोट जिहाद' की बात कर रहे हैं। तावड़े ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी नेता राहुल गांधी से पूछा कि क्या यह अभियान पार्टी आलाकमान के निर्देश पर शुरू किया गया है?बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि पिछले 24 घंटे में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और सलमान खुर्शीद की भतीजी और समाजवादी पार्टी नेता मारिया आलम खान के दो ऐसे सांप्रदायिक बयान आए हैं, जो हमारे देश के कानून के साथ ही मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट का भी उल्लंघन है। इंडी गठबंधन के नेताओं के बयान से साफ हो गया है कि घमंडिया गठबंधन लोकतंत्र के महापर्व के दौरान नफरत और जहर की खेती कर रहा है। ये हिंदुओं के खिलाफ वोट के जिहाद की बात कर रहे हैं। भाटिया ने कहा कि एक तरफ ये कहते हैं कि मुसलमानों एकजुट होकर वोट जिहाद कर दो और दूसरी तरफ कांग्रेस के रिमोट कंट्रोल अध्यक्ष खरगे हिंदुओं को बांटने और भगवान शिव को भगवान राम से लड़ाने की बात कर रहे हैं। SP मुखिया अखिलेश यादव भी वोट जिहाद के बयान की आलोचना नहीं कर रहे हैं। इससे स्पष्ट हो गया है कि उनके पीडीए का मतलब 'प्रहार धर्म और आस्था पर' है। बीजेपी प्रवक्ता ने इसे विचारधारा की लड़ाई बताते हुए कहा कि विपक्षी गठबंधन की सोच ही संविधान विरोधी और तालिबानी है। क्या होता है वोट जिहाद सब समझिएवोट जिहाद को समझने से पहले आपको जिहाद शब्द को समझना होगा। जिहाद का शाब्दिक अर्थ होता है किसी काम को पूरा करने के लिए पूरा जोर लगाना। राजनीति में इसका उपयोग वोटों के ध्रुवीकरण के लिए होता है। मारिया आलम खान के वोट जिहाद का मतलब है कि एक खास समुदाय के लोग जोर लगाकर ऐसी वोटिंग करें जिससे सत्ता में बैठी मोदी सरकार हार जाए। इस शब्द का यह मतलब भी है कि मुसलमान बीजेपी उम्मीदवारों और उनकी जनसभाओं का बहिष्कार करें। उनके इस बयान पर केस भी दर्ज हो गया है। लव जिहाद और लैंड जिहाद भी समझ लीजिए क्या है लव जिहाद: लव जिहाद एक विवादास्पद शब्द है जिसका इस्तेमाल कुछ लोगों की ओर से यह आरोप लगाने के लिए किया जाता है कि मुस्लिम पुरुष हिंदू महिलाओं को प्यार में… http://dlvr.it/T6JVHN
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उत्तराखंड: अफवाह फैलाने और धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने वालों पर होगी NSA की कार्यवाही, पुलिस ने आमजन से की ये अपील..
उत्तराखंड: अफवाह फैलाने और धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने वालों पर होगी NSA की कार्यवाही, पुलिस ने आमजन से की ये अपील..
देहरादून: व्हाट्सएप, फेसबुक समेत तमाम सोशल साइट या किसी अन्य माध्यम से अफवाह फैलाने और धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास करने वाले व्यक्तियों को पुलिस ने सख्त हिदायत दी है. पुलिस ने ऐसे लोगों पर NSA के तहत कार्रवाई की बात की है.
पुलिस उपमहानिरीक्षक (DIG)/ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) देहरादून ने जनता से अपील की है कि, वर्तमान परिदृश्य में शांति एवं धार्मिक सौहार्द बनाए रखें. किसी भी प्रकार की…
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उत्तराखंडः सीएम धामी ने की ‘हर घर तिरंगा’ अभियान की शुरुआत, लोगों से भी की ये अपील...
उत्तराखंडः सीएम धामी ने की ‘हर घर तिरंगा’ अभियान की शुरुआत, लोगों से भी की ये अपील…
Uttarakhand News: भारतीय जनता पार्टी इस बार स्वतंत्रता दिवस का आयोजन पूरे देश भर में व्यापक स्तर पर करने जा रही है। स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर इस बार 13 से 15 अगस्त तक ‘हर घर तिरंगा अभियान’ संचालित किया जा रहा है। इसी कड़ी आज से उत्तराखंड में भाजपा ने ‘हर घर तिरंगा’ अभियान की शुरुआत की है। आज देहरादून स्थित सीएम हाउस में ‘हर घर तिरंगा’ अभियान…
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उत्तराखंड: अफवाह फैलाने और धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने वालों पर होगी NSA की कार्यवाही, ��ुलिस ने आमजन से की ये अपील..
उत्तराखंड: अफवाह फैलाने और धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने वालों पर होगी NSA की कार्यवाही, पुलिस ने आमजन से की ये अपील..
देहरादून: व्हाट्सएप, फेसबुक समेत तमाम सोशल साइट या किसी अन्य माध्यम से अफवाह फैलाने और धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास करने वाले व्यक्तियों को पुलिस ने सख्त हिदायत दी है. पुलिस ने ऐसे लोगों पर NSA के तहत कार्रवाई की बात की है.
पुलिस उपमहानिरीक्षक (DIG)/ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) देहरादून ने जनता से अपील की है कि, वर्तमान परिदृश्य में शांति एवं धार्मिक सौहार्द बनाए रखें. किसी भी प्रकार की…
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🚩10 जून 2022 शुक्रवार को भारत के 14 राज्यों के 90 शहरों में हुई हिंसा का खुलासा । 12 जून 2022
🚩नूपुर शर्मा का बहाना लेकर दुष्ट कट्टरपन्थी पूरे देश को जला रहे हैं, कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं वो भी सत्य कहने के कारण। ऐसे में सभी राष्ट्रप्रेमीयों को अब गम्भीरता से विचार करना होगा और एकजुट होकर देश की रक्षा करने हेतु आगे आना होगा।
🚩केवल सरकार, प्रशासन, पुलिस, सेना चाहकर भी इन्हें राष्ट्रवादियों के सहयोग के बिना रोक नहीं सकती, इसलिए सभी विरोध साइड में रखकर जनता को सरकार और प्रशासन के साथ राष्ट्रहित में खड़ा होना होगा और कट्टरपंथियों के आजीवन पूर्ण बहिष्कार का सन्कल्प भी लेना होगा।
🚩शिवसेना सूर्यवंशी दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष व सनातन धर्म हिंदू सेना के दिल्ली प्रदेश प्रभारी मनीष बम्बानी ने 11 जून 2022 को करोलबाग स्थित कार्यालय पर एक बैठक का आयोजन किया।
🚩 प्रदेश अध्यक्ष मनीष बम्बानी ने स्पष्ट रूप से कहा कि हम नूपुर शर्मा के बयान का पूर्ण रुप से समर्थन करते हैं।
🚩क्योंकि नूपुर शर्मा द्वारा जो बयान और जो बातें कही गई हैं वह कुरान के हिसाब से ही कही गई हैं।
🚩जो बातें कुरान में लिखी हैं उसी के आधार पर नुपर शर्मा ने बयान दिया।
🚩जबकि भगोड़ा जाकिर नाईक ने नुपर शर्मा वाला बयान बहुत पहले ही दे दिया।
🚩जाकिर नाईक पूरी दुनिया को कुरान की बातें बताता है तो किसी को कोई समस्या नही होती तो नूपुर शर्मा के बयान पर इतना बवाल क्यों???
🚩हम भारत के 120 करोड़ हिन्दू पूर्ण रूप से नूपुर शर्मा का समर्थन की घोषणा करते हैं।
🚩वहीं, प्रदेश महामंत्री राजीव खुराना व प्रदेश अध्यक्ष बम्बानी ने घोषणा की है कि पंच नाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी यति नरसिंहानंद गिरि जी महाराज द्वारा जो दिल्ली स्थित जामा मस्जिद पर कुरान शरीफ को लेकर के 17 जून के लिए जो बयान जारी किया गया है। हम उसका खुलकर समर्थन करते हैं।
🚩 हम सभी हिंदूवादी संगठनों से अपील करते हैं कि नूपुर शर्मा व स्वामी यती नरसिंहानंद जी के समर्थन में प्रदेशव्यापी आंदोलन किया जाए ।
🚩साथ ही दिल्ली केजरीवाल सरकार को चेतावनी देते हैं कि जो स्थिति पंजाब में आज बनी हुई है वह दिल्ली में ना बने इसके लिए उचित कार्यवाही करें, नहीं तो दिल्ली सरकार के खिलाफ भी संगठन मोर्चा खोलेगा।
🚩उन्होंने कहा कि आज खुलेआम पंजाब में आप पार्टी की सरकार बनने पर मंदिर तोड़े जा रहे हैं।
🚩आधुनिक हथियारों की मांग की जा रही है। हम पूछना चाहते है कि क्या केजरीवाल हिन्दू नहीं है??? अगर है तो फिर मन्दिर क्यों तोड़ रहें है???
🚩 हिन्दू संगठनो के द्वारा पूर्ण रूप से मुख्यमंत्री केजरीवाल से अपील करते हैं कि आप होश में आइए और पंजाब में जो मन्दिर तोड़े जा रहे है ,उस पर पूर्ण रूप से लगाम लगाने की कार्यवाही की जाए।
🚩बैठक में मुख्य वक्ता प्रदेश अध्यक्ष व प्रभारी मनीष बम्बानी, संयोजक हिमांशु मल्होत्रा, प्रदेश महामंत्री राजीव खुराना, संगठन मंत्री संजय कनौजिया, जिला अध्यक्ष पंकज खन्ना, प्रीति सक्सैना, संजना चंडोक आदि मौजूद थे।
🚩क्या देश की जनता ऐसे ही गद्दार इस्लामियों के आतंक के साये में डर-डर कर जीती रहेगी?
🚩ये इस्लामी देश जला रहे तिरंगे का अपमान कर रहे खुलेआम धमकी दे रहे।
🚩अब इन इस्लामियों पर पूरी ताकत से कड़ी कार्यवाही ना हुई तो भविष्य में इन्हें रोकना असम्भव होगा।
🚩10 जून 2022 शुक्रवार को भारत के 14 राज्यों के 90 शहरों में हुई हिंसा का बदला।
🚩भारत के सभी हिन्दू इन मुसलमानों से आर्थिक व्यवहार बन्द कर ,इनकी दुकानों से सामान लेना बन्द करके, इनके पत्थर बाजी , देशी बम का जवाब इनकी दुकानों से सामान लेना बंद करके दे।
🚩इतना तो हर हिन्दू कर सकता हैं।
🚩अब समय आ गया है जब सभी राष्ट्रवादी हिन्दू संगठन एकजुट होकर कट्टरपन्त के विरुद्ध, सत्य के पक्ष में आगे आएं।
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