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चैत्र नवरात्रि: इस इस शुभ मुहूर्त में करें घट स्थापना, पूरे साल मिलेगा लाभ
चैतन्य भारत न्यूज 13 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि की शुरूआत होने वाली है। चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। इन दिनों पूरा माहौल भक्तिमय हो जाता है। लोग तरह-तरह मां दुर्गा को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। नवरात्रि की शुरूआत कलश स्थापना या घट स्थापना से होती है। घोड़े पर सवार होकर आएंगे मां इस वर्ष चैत्र नवरात्रि पर देवी मां का आगमन घोड़े पर होगा। दशमी में दिन मां का प्रस्थान यानी कि विदाई नर वाहन पर होगी। वैसे तो मां दुर्गा का वाहन सिंह को माना जाता है लेकिन हर साल नवरात्रि के समय तिथि के अनुसार माता अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आगमन ��रती हैं। ज्योतिषशास्त्र और देवीभागवत पुराण के अनुसार मां दुर्गा का ��गमन आने वाले भविष्य की घटनाओं के बारे में संकेत देता है। घट स्थापना का शुभ मुहूर्त नवरात्रि का पहला दिन मंगलवार को है। इस दिन सूर्योदय सुबह 5 बजकर 58 मिनट पर होगा। घट स्थापना का शुभ मुहूर्त इसी समय से शुरू हो जाएगा जो 10 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इस बात का ध्यान रखें माता लक्ष्मी उसी घर में प्रवेश करती हैं जहां साफ-सफाई होती है। घर की सफाई जरूर करे। स्वास्तिक के निशान को किसी भी शुभ कार्य से पहले बनाना अच्छा माना जाता है। ऐसे में नवरात्रि के पहले दिन घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक का निशान बनाएं। चैत्र नवरात्रि 2021: इस बार घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां भवानी, इस वाहन पर होगी विदाई इस दिन से हो रही चैत्र नवरात्रि और हिंदू नववर्ष की शुरुआत, पूजा के दौरान इस बात का रखें खास ध्यान Read the full article
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चैत्र नवरात्रि : नौ दिन मां दुर्गा के इन स्वरूपों की होगी आराधना, पूजा के दौरान करें सिद्ध मंत्रों का जाप
चैतन्य भारत न्यूज हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि व्रत एक पर्व के रूप में मनाया जाता है। नौ दिनों तक चलने वाला यह पर्व देवी शक्ति मां दुर्गा को स��र्पित है। इस साल चैत्र नवरात्र 13 अप्रैल से शुरू होने जा रहे हैं। इस धार्मिक पर्व में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं माता के नौ स्वरूप और उनके विशेष मंत्रों के बारे में… देवी शैलपुत्री देवी शैलपुत्री की आराधना से सभी तरह के सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। माता शैलपुत्री की कृपा पाने के लिए पूजा के दौरान आप इस मंत्र का जाप करें। वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशंस्विनिम।। देवी ब्रह्मचारिणी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से मानव को तप, त्याग, सदाचार और संयम की शक्ति मिलती है। देवी ब्रह्मचारिणी की कृपा पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें। दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।। देवी चंद्रघण्टा देवी चंद्रघण्टा की साधना से सुखों की प्राप्ति के बाद परलोक में मोक्ष मिलता है। पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करें। पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते महयं चंद्रघण्टेति विश्रुता।। देवी कूष्माण्डा देवी कूष्माण्डा की उपासना से मानव को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। माता कूष्माण्डा की विशेष कृपा पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें। सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तुमे।। देवी स्कंदमाता देवी स्कंदमाता की साधना से मानव को समस्त प्रकार की सिद्धि मिलती है। स्कंदमाता की कृपा पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें। सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।। देवी कात्यायनी देवी कात्यायनी की उपासना से मानव को अलौकिक तेज की प्राप्ति होती है। माता कात्यायनी की विशेष कृपा पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें। चंद्रहासोज्ज्वलकरा शाईलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।। देवी कालरात्रि देवी कालरात्रि की आराधना करने से दुष्टों का नाश होता है और कष्टों से मुक्ति मिलती है। माता कालरात्रि की कृपा पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें। एक वेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकणी तैलाभ्यक्तशरीरणी।। वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा। वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयड्करी।। देवी महागौरी देवी महागौरी की उपासना से सभी प्रकार के दुखों का नाश होता है और सुखों की प्राप्ति होती है। महागौरी की कृपा पाने के लिए पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करें। श्वेते वृषे समरूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।। देवी सिद्धिदात्री देवी सिद्धिदात्री की उपासना से मानव को समस्त प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है। देवी सिद्धिदात्री की कृपा पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें। सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यामाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।। Read the full article
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आज से शुरू हुई चैत्र नवरात्रि, जानिए व्रत का महत्व, पूजा-विधि और कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
चैतन्य भारत न्यूज हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का बहुत महत्व है। इस बार चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल से शुरू होकर 22 अप्रैल तक रहेंगे। नवरात्रि के नौ दिन लगातार मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना की जाएगी। आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि व्रत का महत्व और पूजा-विधि और कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
चैत्र नवरात्रि व्रत का महत्व साल में चार बार नवरात्रि आती है। आषाढ़ और माघ में आने वाले नवरात्र गुप्त नवरात्र होते हैं जबकि चैत्र और अश्विन प्रगट नवरात्रि होती हैं। चैत्र के ये नवरात्र पहले प्रगट नवरात्र होते हैं। चैत्र नवरात्र से हिंदू वर्ष की शुरुआत भी होती है। वहीं शारदीय नवरात्र के दौरान दशहरा मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों को बेहद पवित्र माना जाता है। इस दौरान लोग देवी के नौ रूपों की आराधना कर उनसे आशीर्वाद मांगते हैं। मान्यता है कि इन नौ दिनों में जो भी सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा करता है उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
चैत्र नवरात्रि पूजा-विधि चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा की पूजा से पहले साधक को स्नान करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद एक लकड़ी की चौकी पर गंगाजल डालकर उसे शुद्ध करना चाहिए और उस पर लाल रंग का वस्त्र बिछाना चाहिए। इसके बाद चावल का अष्टदल कमल बनाएं और मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। मूर्ति स्थापित करने के बाद अष्टदल कमल पर कलश स्थापित करें और उस पर मौली बांधे। इसके साथ ही कलश पर भी तिलक करें और अखंड दीपक प्रज्वल्लित करें फिर फूल से जल लेकर प्रतिमा और कलश पर जल छिड़कें।
कलश स्थापना शुभ मुहूर्त और पूजा विधि नवरात्रि पूजा में कलश स्थापना और कन्या पूजा का विशेष महत्व होता है। मिट्टी से बनाए गए वेदी पर कलश स्थापना की जाती है। वेदी पर जौ और गेंहू बो दें और उस पर मिट्टी या तांबे का कलश विधिपूर्वक स्थापित कर दें। इसके बाद वहां गणेश जी, नौ ग्रह, आदि को स्थापित करें तथा कलश पर मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद आप श्रीदुर्गासप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ कर सकते हैं। अब आप प्रत्येक दिन के आधार पर मां दुर्गा के नौ स्वरूपों रोज विधि-विधान से पूजा करें। शुभ मुहूर्त कलश की स्थापना चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को की जाती है। इस बार प्रतिपदा तिथि 25 मार्च को है, लेकिन प्रतिपदा सायं 05.26 तक ही है इसलिए कलश की स्थापना सायं 05. 26 के पहले कर ली जाएगी।
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चैत्र नवरात्रि 2021: इस बार घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां भवानी, इस वाहन पर होगी विदाई
चैतन्य भारत न्यूज मां के नौ स्वरूपों की आराधना का महापर्व वासंतिक नवरात्रि 13 अप्रैल से शुरू हो रहा है। 10 ��िनों तक चलने वाला देवी शक्ति को समर्पित ये पर्व देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। इस दौरान व्रत रखकर मां के 9 स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि हर नवरात्रि पर मां नव दुर्गा अलग अलग वाहनों पर सवार होकर आती हैं और विदाई के वक्त मां का वाहन अलग होता है। आइए जानते हैं कि आखिर इस बार शारदीय नवरात्रि पर मां दुर्गा किस वाहन पर सवार होकर विराजने आएंगी और किस वाहन पर होगी मां की विदाई... घोड़े पर सवार होकर आएंगे मां इस वर्ष चैत्र नवरात्रि पर देवी मां का आगमन घोड़े पर होगा। दशमी में दिन मां का प्रस्थान यानी कि विदाई नर वाहन पर होगी। वैसे तो मां दुर्गा का वाहन सिंह को माना जाता है लेकिन हर साल नवरात्रि के समय तिथि के अनुसार माता अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आगमन करती हैं। ज्योतिषशास्त्र और देवीभागवत पुराण के अनुसार मां दुर्गा का आगमन आने वाले भविष्य की घटनाओं के बारे में संकेत देता है। ये है मान्यता देवीभागवत पुराण के अनुसार नवरात्रि की शुरुआत सोमवार या रविवार को होने पर देवी दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। वहीं अगर शनिवार या मंगलवार को नवरात्रि की शुरुआत होती है तो मां घोड़े पर सवार होकर आती हैं। गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्रि आरंभ होने पर माता डोली पर आती हैं और बुधवार के दिन नवरात्रि प्रारंभ होने पर मां नाव की सवारी कर धरती पर आती हैं। माता जिस वाहन से पृथ्वी पर आती हैं उसके अनुसार वर्ष में होने वाली घटनाओं का भी आकलन किया जाता है। Read the full article
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इस दिन से हो रही चैत्र नवरात्रि और हिंदू नववर्ष की शुरुआत, जानें कैसा रहेगा नए साल पर बुध का प्रभाव
चैतन्य भारत न्यूज चैत्र मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि शुरू हो जाएंगे। इस बार चैत्र नवरात्रि 25 मार्च से शुरू होंगे जो 2 अप्रैल तक चलेंगे। इसे वासंतिक नवरात्रि भी कहा जाता है। नवरात्रि में देवी के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-आराधना की जाती है। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
चैत्र नवरात्रि से ही हिंदू नववर्ष आरंभ हो जाता है। चैत्र का महीना हिंदू नववर्ष का पहला महीना माना जाता है। इसी दिन से विक्रम नवसंत्सवर 2077 की शुरुआत होगी। इस बार नववर्ष का राजा बुध रहेगा, क्योंकि बुधवार के दिन से ही नए साल का प्रारंभ होने जा रहा है। इस बार नवरात्रि में भी कई शुभ योग भी पड़ रहे हैं। आइए जानते हैं नवरात्रि में इस बार क्या खास रहेगा। चैत्र नवरात्रि का महत्व सनातन संस्कृति के मुताबिक, चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा का जन्म हुआ था�� देवी दुर्गा के आदेश पर जगत पिता ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसलिए इस शुभ तिथि को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष का प्रारंभ होता है। शास्त्रों के अनुसार भगवान श्रीराम का जन्म चैत्र नवरात्रि की अंतिम तिथि नवमी को हुआ था। इसलिए इस तिथि को राम नवमी के नाम से जाना जाता है।
नव संवत्सर विक्रम संवत 2077 चैत्र मास शुक्ल प्रतिपदा 25 मार्च बुधवार से विक्रम नवसंत्सवर 2077 की शुरुआत होगी। इस बार के नवसंवत्सर का नाम 'प्रमादी' है। इस बार नव संवत्सर पर बुध का प्रभाव रहेगा। मान्यता है कि चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि जिस दिन होती है उसी दिन जो वार होता है वही संवत्सर का राजा माना जाता है। इस बार बुधवार के दिन से ही नए साल का प्रारंभ होने जा रहा है जिसके राजा बुध और मंत्री चंद्र हैं। नववर्ष का आरंभ बुधवार के दिन रेवती नक्षत्र, और मीन राशिगत चंद्रमा के गोचर के समय में हो रहा है अतः देश के लिए यह संयोग अति शुभ रहेगा।
ये भी पढ़े... शुरू हुआ खरमास, जानें इस दौरान क्या करें और क्या न करें होली-चैत्र नवरात्रि समेत मार्च में मनाएंगे जाएंगे ये बड़े तीज- त्योहार, यहां देखें पूरी लिस्ट बेहद खास है नवरात्रि का अंतिम दिन, जानिए महानवमी का महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त Read the full article
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इस दिन से हो रही चैत्र नवरात्रि और हिंदू नववर्ष की शुरुआत, जानें कैसा रहेगा नए साल पर बुध का प्रभाव
चैतन्य भारत न्यूज चैत्र मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि शुरू हो जाएंगे। इस बार चैत्र नवरात्रि 25 मार्च से शुरू होंगे जो 2 अप्रैल तक चलेंगे। इसे वासंतिक नवरात्रि भी कहा जाता है। नवरात्रि में देवी के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-आराधना की जाती है। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
चैत्र नवरात्रि से ही हिंदू नववर्ष आरंभ हो जाता है। चैत्र का महीना हिंदू नववर्ष का पहला महीना माना जाता है। इसी दिन से विक्रम नवसंत्सवर 2077 की शुरुआत होगी। इस बार नववर्ष का राजा बुध रहेगा, क्योंकि बुधवार के दिन से ही नए साल का प्रारंभ होने जा रहा है। इस बार नवरात्रि में भी कई शुभ योग भी पड़ रहे हैं। आइए जानते हैं नवरात्रि में इस बार क्या खास रहेगा। चैत्र नवरात्रि का महत्व सनातन संस्कृति के मुताबिक, चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा का जन्म हुआ था। देवी दुर्गा के आदेश पर जगत पिता ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसलिए इस शुभ तिथि को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष का प्रारंभ होता है। शास्त्रों के अनुसार भगवान श्रीराम का जन्म चैत्र नवरात्रि की अंतिम तिथि नवमी को हुआ था। इसलिए इस तिथि को राम नवमी के नाम से जाना जाता है।
नव संवत्सर विक्रम संवत 2077 चैत्र मास शुक्ल प्रतिपदा 25 मार्च बुधवार से विक्रम नवसंत्सवर 2077 की शुरुआत होगी। इस बार के नवसंवत्सर का नाम 'प्रमादी' है। इस बार नव संवत्सर पर बुध का प्रभाव रहेगा। मान्यता है कि चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि जिस दिन होती है उसी दिन जो वार होता है वही संवत्सर का राजा माना जाता है। इस बार बुधवार के दिन से ही नए साल का प्रारंभ होने जा रहा है जिसके राजा बुध और मंत्री चंद्र हैं। नववर्ष का आरंभ बुधवार के दिन रेवती नक्षत्र, और मीन राशिगत चंद्रमा के गोचर के समय में हो रहा है अतः देश के लिए यह संयोग अति शुभ रहेगा।
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