#चीनी सरकार सेंसर कर रही है
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चीनी फुसफुसाते हुए: चीन के खिलाफ असंतुष्टों के मुरमुरे अपने नागरिकों द्वारा सोशल मीडिया | अनन्य
चीनी फुसफुसाते हुए: चीन के खिलाफ असंतुष्टों के मुरमुरे अपने नागरिकों द्वारा सोशल मीडिया | अनन्य
चीनी प्रवासियों के बीच असंतोष की बढ़ती आवाजें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की एक विस्तृत विविधता पर राजनीतिक चर्चा के सामान्य स्वर को बढ़ा रही हैं। जबकि चीनी राज्य-नियंत्रित प्लेटफार्मों पर स्पष्ट स्वर, साथ ही विदेशी आवास वाले चीन के नागरिकों के लिए खुले मंच, भारत विरोधी हैं, चीनी सरकार की प्रथाओं के खिलाफ भी काफी मात्रा में बड़बड़ाहट है। ��न आवाज़ों को गालवान घाटी में भारत के खिलाफ चीन की कार्रवाई से…
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चीन के सबसे सेंसर किए गए सोशल मीडिया दिग्गज पर पर्याप्त सेंसर न करने के लिए जुर्माना लगाया गया है
चीन के सबसे सेंसर किए गए सोशल मीडिया दिग्गज पर पर्याप्त सेंसर न करने के लिए जुर्माना लगाया गया है
लेकिन चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की नज़र में, यह पर्याप्त रूप से सेंसर नहीं कर रही है – और इसकी कीमत चुकानी होगी, सचमुच। यह पहली बार है जब Weibo पर सरकार द्वारा इतना भारी जुर्माना लगाया गया है। इस साल के पहले 11 महीनों में, सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी पर उन अपराधों के लिए 44 बार जुर्माना लगाया गया था, जिनकी कीमत पार्टी के नियंत्रण में एक सरकारी एजेंसी, साइबरस्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ चाइना (CAC) के…
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चीन कोरोनावायरस: सोशल मीडिया की सरकार की कोडित आलोचना
चीनी नागरिक सोशल मीडिया पर सरकार और राष्ट्रपति शी जिनपिंग को दुनिया भर में फैल रहे घातक कोरोनावायरस के प्रकोप के बारे में बताने के तरीके खोज रहे हैं। वायरस, जिसे 2019-nCoV के रूप में जाना जाता है, पहली बार 11 मिलियन लोगों और हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान शहर में खोजा गया था। अब तक, आंकड़े बताते हैं कि दुनिया भर में लगभग 3,000 लोग पीड़ित हैं और 82 लोग - पूरे चीन में - मर चुके हैं। चीन की सरकार का देश के मीडिया और इंटरनेट पर कड़ा नियंत्रण है और अक्सर आलोचनाओं का कोई भी रूप सामने आता है। लेकिन नागरिकों ने कोरोनोवायर विस्फोट की तुलना करके या ट्रम्प के साथ ट्वीट में शी के नाम की जगह बनाकर उन सेंसर को चकमा देने के लिए चालाक तरीके खोजे हैं। चीनी सोशल मीडिया उपयोगकर्ता सेंसर को हटाने का प्रयास कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने कोरियन वायरस के प्रकोप के बारे में उनकी प्रतिक्रिया पर राष्ट्रपति शी को 'ट्रम्प' के रूप में संदर्भित किया है। चित्र: फेस मास्क पहने एक महिला सोमवार को बीजिंग के तियानमेन स्क्वायर में अपने सेलफोन का उपयोग करती है जब पहली बार दिसंबर 2019 में इसका प्रकोप शुरू हुआ, तो अधिकारियों ने जनता को यह विश्वास दिलाया कि यह 'नियंत्रण में' और 'हल्का' है जैसा कि उन्होंने 2002 में SARS प्रकोप के साथ किया था। कुछ ही हफ्तों में, अधिकारियों ने जल्द ही वायरस के तेजी से फैलने की प्रकृति का खुलासा किया, और यह कि यह हल्के से दूर था - वास्तव में, यह घातक था। हालांकि, सरकार ने संकट के इर्द-गिर्द की कहानी को नियंत्रित करने की कोशिश नहीं की है। चीन ग्लोबल टेलीविज़न नेटवर्क जैसे कई राज्य-संचालित मीडिया ऑपरेशनों ने वीडियो साझा किए हैं, जो नाटकीय संगीत पर आधारित हैं, डॉक्टरों और नर्सों की बहादुरी की प्रशंसा करते हुए बीमार रोगियों की देखभाल करते हैं। इसके अलावा, प्रकोप के बारे में अपडेट के साथ कई आधिकारिक सोशल मीडिया पोस्ट को जल्दी से हटा दिया गया है। इसने चीनी नागरिकों को अपना असंतोष व्यक्त करने के लिए रचनात्मक तरीकों से आने के लिए ��जबूर किया है। जिओ, कैलिफोर्निया, बर्कले और चीन डिजिटल टाइम्स के संस्थापक, एक द्विभाषी समाचार वेबसाइट, जो चीन को कवर करती है, के एक शोध वैज्ञानिक जिओ किआंग ने द न्यू यॉर्क टाइम्स को बताया कि सरकार की पारदर्शिता में कमी से चीनी नागरिक चिढ़ते हैं। "चीनी सोशल मीडिया गुस्से से भरा है, इसलिए नहीं कि इस विषय पर कोई सेंसरशिप नहीं थी, लेकिन मजबूत सेंसरशिप के बावजूद," उन्होंने कहा। 'यह अभी भी संभव है कि कथा को नियंत्रित करने के प्रयास के तहत सेंसरशिप अचानक फिर से बढ़ जाएगी।' जैसा कि निदान किए गए गुलाबों की संख्या थी, राष्ट्रपति शी ने संकट को दूर करने के लिए कोई सार्वजनिक टिप्पणी या दिखावे के लिए कुछ नहीं किया। उपयोगकर्ता चीन के ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म वीबो पर ले गए और, क्योंकि शी का नाम सेंसर को ट्रिगर कर सकता है, कई ने पूछा: 'वह व्यक्ति कहां है?' लेकिन यहां तक कि इस तरह की वीभत्स टिप्पणियां गायब हो गईं, इसलिए उपयोगकर्ताओं ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ शी का नाम बदलना शुरू कर दिया। द टाइम्स द्वारा रिपोर्ट किए गए एक उदाहरण में, एक उपयोगकर्ता लिखता है: 'मैं इस वर्ष के एक और मिनट से नहीं जाना चाहता, मेरा दिल दर्द से भर गया है, मुझे उम्मीद है कि ट्रम्प का निधन हो जाएगा।' दूसरे में, लोगों ने चेरनोबिल आपदा के प्रकोप की तुलना करना शुरू कर दिया, एक परमाणु दुर्घटना जो 1986 में यूक्रेन में हुई थी जिसमें तत्कालीन सोवियत सरकार द्वारा कवर अप भी देखा गया था। 'किसी भी युग, किसी भी देश में, यह एक ही है। सब कुछ कवर करें, 'एक सामाजिक मीडिया उपयोगकर्ता ने चेरनोबिल के लिए एक' समीक्षा 'में लिखा, आपदा के बारे में एचबीओ श्रृंखला। वुहान कोरोनोवायरस को हाल ही में एक समुद्री भोजन बाजार में अवैध रूप से कारोबार वाले वन्यजीवों से उभरने की पुष्टि की गई थी, विशेषज्ञों का सुझाव है कि वायरस सांपों या भेड़ियों के शावकों से मनुष्यों को पारित किया गया था। चीन और अमेरिका के अलावा, ऑस्ट्रेलिया, कंबोडिया, कनाडा, फ्रांस, हांगकांग, जापान, मकाऊ, मलेशिया, नेपाल, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका, ताइवान, थाईलैंड और वियतनाम में मामलों की पुष्टि की गई है। मेक्सिको, कोलंबिया, फिलीपींस और यूके में भी मामले संदिग्ध हैं। रविवार को, चीनी स्वास्थ्य मंत्री मा शियाओवेई ने कहा कि वायरस की प्रसार करने की क्षमता मजबूत हो रही है और लोगों को किसी भी लक्षण का प्रदर्शन करने से पहले इसका संक्रमण हो सकता है। इसे रोकने के लिए नए वायरस या वैक्सीन का कोई इलाज नहीं है, और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ का कहना है कि एक वैक्सीन विकसित करने के लिए शोध 'बहुत प्रारंभिक चरणों' में है।
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We depend on Chinese apps for entertainment, data sharing, photo editing; Ticketlock, PubG, UC Browser to Zoom all Chinese | ए��टरटेनमेंट, डेटा शेयरिंग, फोटो एडिटिंग तक के लिए हम चीनी ऐप्स पर निर्भर; टिकटॉक, पबजी, यूसी ब्राउजर से लेकर जूम तक सब चाइनीज ऐप
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We depend on Chinese apps for entertainment, data sharing, photo editing; Ticketlock, PubG, UC Browser to Zoom all Chinese | एंटरटेनमेंट, डेटा शेयरिंग, फोटो एडिटिंग तक के लिए हम चीनी ऐप्स पर निर्भर; टिकटॉक, पबजी, यूसी ब्राउजर से लेकर जूम तक सब चाइनीज ऐप
भारत में टिकटॉक के लगभग 20 करोड़ यूजर्स हैं, यह दुनियाभर के 150 बाजारों में 39 भाषाओं में उपलब्ध
लॉकडाउन के दौरान पबजी गेम काफी खेला गया, मई में ऐप ने दुनियाभर में करीब 1.7 हजार करोड़ रु. का कारोबार किया
दैनिक भास्कर
Jun 29, 2020, 09:29 PM IST
नई दिल्ली. गलवान घाटी पर भारत और चीन के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद सोमवार को केन्द्र सरकार ने चीन पर डिजिटल सर्जिकल स्ट्राइक किया है। सरकार ने टिकटाॅक समेत 59 चाइनीज ऐप पर रोक लगाने का फैसला लिया है। सरकार ने इन ऐप्स से भारत की संप्रभुता और सुरक्षा को खतरा बताया है। बता दें कि इससे पहले भारतीय सुरक्षा एजेंसियों से चाइनीज एप की एक लिस्ट तैयार कर केंद्र सरकार से अपील की थी इनको बैन किया जाए या फिर लोगों को कहा जाए कि इनको तुरंत अपने मोबाइल से हटा दें। इसके पीछे दलील ये दी गई थी कि चीन भारतीय डेटा हैक कर सकता है। बता दें कि भारत में इन ऐप्स का करोड़ों में यूजर्स हैं। आइए जानते हैं भारत में पॉपुलर और अच्छा कारोबार करने वाली चीनी ऐप्स…
टिकटॉक भारत में काफी पॉपुलर है। शायद ही कोई ऐसा होगा जिसने इसका नाम नहीं सुना होगा। यह एक शॉर्ट वीडियो शेयरिंग प्लेटफार्म है, जो एक मिनट तक के वीडियो बनाने और उन्हें लोगों के साथ शेयर करने की अनुमति देता। ऐसे में कई लोग प्रोफेशनली तो कई लोग सिर्फ मनोरंजन के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। इसके चाहने वालों में विराट कोहली, शिल्पा शेट्टी जैसी समेत कई भारतीय सेलिब्रिटी भी शामिल हैं। टिकटॉक की पैरेंट कंपनी बाइट डांस है, जिसकी कई ऐप्स भारत में सक्रिय है। टिकटॉक भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के 150 बाजारों में लगभग 39 भाषाओं में उपलब्ध है। दुनियाभर में इसके करीब 40 करोड़ एक्टिव यूजर्स हैं। जिसमें से करीब 41 फीसदी यूजर्स की उम्र 16 से 24 साल के बीच है।
2. पबजी मोबाइल
पबजी मोबाइल एक पॉपुलर बैटल रॉयल गेम है और इस भारत का सबसे पसंदीदा मोबाइल ��ेम कहना गलत नहीं होगा। इसमें चार लोग टीम बनाकर साथ खेल सकते हैं। इसमें मल्टिपल गेम मोड्स मिलते हैं। लॉकडाउन के दौरान इसे खूब पसंद किया गया क्योंकि इस घर पर रहकर ही दोस्तों के साथ खेला जा सकता है। इस कारण इसकी डिमांड में भी काफी इजाफा हुआ। गूगल प्ले स्टोर पर इसने टॉप 5 गेम्स में अपनी जगह बनाई। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 2020 की पहली तिमाही में पबजी मोबाइल के 60 करोड़ डाउनलोड्स और 5 करोड़ एक्टिव यूजर्स थे। सेंसर टॉवर की रिपोर्ट के मुताबिक, मई में पबजी मोबाइल $226 मिलियन (लगभग 1.7 हजार करोड़ रुपए) रेवेन्यू के साथ दुनिया का सबसे ज्यादा मुनाफा कमाने वाला मोबाइल गेम रहा।
3. UC ब्राउजर
नाम से ही पता चलता है कि यह एक मोबाइल ब्राउजर है। इसे UCWeb ने डेवलप किया है, जिसका चीनी ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा ने अधिग्रहण कर लिया है। गूगल क्रोम के बाद यह भारत का सबसे लोकप्रिय ब्राउजर में से एक है। स्टेटकाउंटर की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के ब्राउजर मार्केट शेयर में इसका 12.59 फीसदी हिस्सा है। 2017 में UC ब्राउजर पर डाटा चोरी का आरोप भी लग चुका है। इसके कारण ऐसे इसे कुछ समय के लिए गूगल प्ले स्टोर से हटा दिया गया था।
हेलो एक सोशल नेटवर्किंग प्लेटफार्म है, जिसे जून 2018 में चीनी स्टार्टअप कंपनी बाइटडांस ने लॉन्च किया था। हेलो ऐप भारत में बनी शेयरचैट ऐप का ही सक्सेसफुल चीनी वर्जन है। इसमें एंटरटेनमेंट, पॉलिटिक्स, पैरेंटिंग और फार्मिंग जैसे टॉपिक्स की जानकारी मिलती है। इसमें हिंदी, तमिल माराठी, गुजराती समेत कई भारतीय भाषाओं का सपोर्ट मिलता है।
यह एक पॉपुलर फाइल शेयरिंग ऐप है, जो दो डिवाइस के बीच आसानी से फाइल शेयरिंग करने की सुविधा देती है। इसे फोन से कम्प्यूटर के बीच फाइल शेयर करने के लिए भी यूज किया जा सकता है। जुलाई 2019 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने भारत में अपना कामकाज 2015 में शुरू किया था। वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, इसका ऑफिस सिंगापुर में स्थित है। 2019 में दुनियाभर में इसके 180 करोड़ यूजर्स हैं जबकि भारत और इंडोनेशिया में 60 करोड़ से ज्यादा यूजर्स हैं। कंपनी अब शॉर्ट वीडियो, मूवी जैसे हाई क्वालिटी कंटेंट भी मुहैया करा रही है।
फोटो, वीडियो, ऐप हो या कोई अन्य डॉक्युमेंट इन्हें एक दूसरे से ट्रांसफर करने के लिए हम अक्सर जे़ंडर ऐप का इस्तेमाल करते हैं। यह भी शेयरइट की तरह ही काम करता है। इसमें यूजर दो से ज्यादा डिवाइस आपस में कनेक्ट कर सकते हैं। कंपनी की स्थापना 2011 में हुई थी और अब दुनियाभर में इसके 70 करोड़ से ज्यादा एक्टिव यूजर्स हैं। इसे फोन और कम्प्यूटर के साथ स्मार्ट टीवी से भी कनेक्ट किया जा सकता है।
7. ब्यूटी प्लस
सोशल मीडिया पर खूबसूरत दिखने की होड में भारतीयों ने धड़ल्लें से ब्यूटी प्लस ऐप का इस्तेमाल किया। इसे चीन के Meitu कंपनी ने डेवलप किया है, जिसकी ब्यूटी प्लस समेत कई फोटो एडिटिंग ऐप्स भारतीय बाजार में सक्रिय है। ब्यूटी प्लस एक फोटो एडिटर और सेल्फी फिल्टर ऐप है। यह यूजर को इमेज एडिट करने, फोटो में इफेक्ट देने और सेल्फी लेते समेत कई तरह के फिल्टर्स इस्तेमाल करने की सुविधा देती है। Meitu की ऑफिशियल वेबसाइट पर दी जानकारी के मुताबिक दिसंबर 2019 तक दुनियाभर के 188 करोड़ डिवाइस में Meitu के प्रोडक्ट एक्टिवेट थे। वहीं भारत समेत 15 ऐसे देश है जहां इसके यूजर्स की संख्या 1 करोड़ से ज्यादा थी। मई 2019 में ब्यूटी प्लस ऐप ने 50 करोड़ यूजर्स का आंकड़ा पार कर लिया था।
8. कैम स्कैनर
यह डॉक्यूमेंट स्कैनिंग ऐप भारत में काफी पॉपुलर हुई। यह इमेज और डॉक्यूमेंट स्कैन कर उस पीडीएफ फाइल में कन्वर्ट करने की सुविधा देता है, जिसे कहीं भी आसानी से भेजा जा सकता है। इसे सीसी इंटेलिजेंस कॉर्पोरेशन ने डेवलप किया है। इसके कैम स्कैनर, कैम कार्ड समेत कई प्रोडक्ट बाजार में मौजूद हैं। कंपनी का कहना है कि दुनियाभर के 10 करोड़ से ज्यादा लोग उसके प्रोडक्ट इस्तेमाल करते हैं। कैमस्कैनर कुछ समय के लिए विवादों में भी रही, जब एक मालवेयर के कारण इसे प्ले स्टोर से हटा दिया ���या था। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कैम स्कैनर के 10 करोड़ यूजर्स हैं। इस ऐप को 200 से ज्यादा देशों में 37 करोड़ डिवाइस में डाउनलोड किया जा चुका है।
यह एक पॉपुलर वीडियो स्टेट्स ऐप है। इसमें यूजर अपनी फोटो और वीडियो से वीडियो स्टेट्स बना सकते हैं, जिसे सोशल मीडिया ऐप जैसे वॉट्सऐप, इंस्टाग्राम और फेसबुक स्टोरीज बनाया जा सकता है। यह यूजर को आसान इंटरफेस प्रदान करता है जिससे वे वीडियो एडिट और क्रिएट कर सकते हैं। इसे KWAI.XYZ STUDIO कंपनी ने तैयार किया है और प्लेस्टोर पर अबतक इसके 5 करोड़ से ज्यादा डाउनलोड्स पूरे हो चुके हैं।
यह एक वीडियो कॉन्फ्रेसिंग ऐप है। इसके फ्री वर्जन में 100 लोग एक साथ वीडियो मीटिंग कर सकते हैं। लॉकडाउन के दौरान ऑफिस मीटिंग हो या दूर बैठे दोस्तों-रिश्तेदारों से बात करना हो। भारतीयों ने इस ऐप को धड़ल्ले से इस्तेमाल किया। ऐप पर डेटा चोरी कर अन्य कंपनियों के साझा करना का आरोप लगा तब यह विवादों में आई। इसके बाद सुरक्षा की दृष्टि से भारत सरकार ने एडवायजरी जारी कर ऐप इस्तेमाल न करने के लिए कहा। एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में जनवरी से लेकर मार्च तक इसके यूजर 1 करोड़ से 20 करोड़ तक पहुंच गए थे। कंपनी ने बताया कि लगभग 200 देशों के 90 हजार से ज्यादा स्कूलों में इसी ऐप के जरिए पढ़ाई हो रही है।
यह भी टिकटॉक की तरह ही शॉर्ट वीडियो शेयरिगं प्लेटफार्म है, जिसे 2017 में लॉन्च किया गया था, हालांकि यह टिकटॉक की तरह पॉपुलर नहीं हो पाया। बावजूद भारत में इसके 5 करोड़ यूजर्स हैं।
वीगो वीडियो
वीगो वीडियो भी भारत में काफी पॉपुलर शॉर्ट वीडियो शेयरिंग प्लेटफार्म है। इसका लाइट वर्जन ही बाजारा में वीगो लाइट नाम से मौजूद है। टिकटॉक की तरह इनकी पैरेंट कंपनी भी बाइटडांस है। हालांकि कंपनी वीगो वीडियो और वीगो लाइट की सर्विस 31 अक्टूबर को भारत में बंद करने जा रही है। कंपनी ने इसके यूजर्स को सारा कं��ेंट टिकटॉक पर शिफ्ट करने के लिए कहा है।
क्लैश ऑफ किंग्स
यह एक पॉपुलर गेमिंग ऐप है, जिसमें मल्टीपल यूजर्स ऑनलाइन गेम खेल सकते हैं। इसे Elex Tech कंपनी ने 2014 में तैयार किया था। गूगल प्ले स्टोर पर इसके 5 करोड़ से ज्यादा डाउनलोड्स हो चुके हैं।
क्लब फैक्ट्री
यह चीनी ई-कॉमर्स ऐप है, जिसने 2016 में भारत में अपना कारोबार शुरू किया। इस पर ज्वैलरी, होम डेकोर, हैंड बैग, ब्यूटी समेत कई कैटेगरी के प्रोडक्ट उपलब्ध हैं। जनवरी 2020 में इसे 10 करोड़ एक्टिव यूजर्स का आंकड़ा पार कर लिया था।
यह चीनी मैसेजिंग और सोशल मीडिया ऐप है। प्ले स्टोर पर दी गई जानकारी के मुताबिक दुनियाभर में इसके 100 करोड़ यूजर्स हैं। इस पर चैट और ग्रुप वीडियो कॉल समेत कई तरह की सुविधा मिलती हैं। कंपनी ने भारत में वीचैट-पे डिजिटल पेमेंट की सुविधा भी शुरू कर चुकी है।
टर्बो VPN एक चीनी VPN प्रोवाइडर टूल है। यह फ्री ऐप है। इस कुछ हद तक सुरक्षित माना जा सकता है क्योंकि इसे इस्तेमाल करने के लिए किसी प्रकार के सब्सक्रिप्शन की जरूरत नहीं पड़ती। कंपनी के मुताबिक दुनियाभर में ऐप के 30 करोड़ यूजर्स हैं।
ऐप लॉक भी भारत में काफी पुराने और लोकप्रिय ऐप है। इस 2012 में लॉन्च किया गया है। कंपनी के मुताबिक 150 देशों में इसे 30 करोड़ से ज्यादा यूजर्स इस्तेमाल करते हैं। यह 32 भाषाओं में उपलब्ध है। इससे किसी भी ऐप को पासवर्ड प्रोटेक्ट किया जा सकता है।
फ्लैश कीबोर्ड
यह चीनी ऐप कीबोर्ड कस्टमाइज करने की सुविधा देती है। इसमें कीबोर्ड के लिए कई तरह की थीम और इमोजी उपलब्ध है। ऐप से किसी फोटो को भी कीबोर्ड बैकग्राउंड बनाया जा सकता है। हालांकि प्ले स्टोर पर इसके 50 हजार से अधिक डाउनलोड्स ही हैं।
टिकटॉक, वीगो ऐप की तरह लाइक भी शॉर्ट वीडियो शेयरिंग ऐप है। इसके ज्यादातर यूजर्स भारत के टियर-2 और टियर-3 शहरों से हैं। इसमें कई सारे स्टीकर्स और म्यूजिक मैजिक फिल्टर्स के जरिए वीडियो बनाने की सुविधा मिलती है।
क्लीन मास्टर
क्लीन मास्टर चीनी ऐप है, जो फोन से जंक फाइल हटाकर डिवाइस की परफॉर्मेंस बेहतर कर स्टोरेज फ्री करता है। कंपनी का दावा है कि इसके प्रीमियम वर्जन से डिलीट हो चुकी फाइल भी वापस लाई जा सकती है। इसे चीनी कंपनी cheetah मोबाइल ने डेवलप किया है।
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चीन में महिलाओं ने यौन उत्पीड़न के विरोध में फिर शुरू किया #MeToo कैंपेन, सरकार कर रही रोकने की कोशिश
चीन में #MeToo अभियान ने एक बार फिर दस्तक दी है। एक सप्ताह के दौरान 10-12 महिलाओं ने सोशल मीडिया पर कई पोस्ट किए। उन्होंने प्रमुख कार्यकर्ताओं और टीवी कलाकारों पर यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया। हालांकि चीनी सरकार उनकी आवाज दबाने की कोशिश में लगी हुई है। वह अब तक सैकड़ों पोस्ट सेंसर कर चुकी है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें from दैनिक भास्कर https://ift.tt/2NRKJyz from Blogger https://ift.tt/2OlPq4Z
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थियानमेन चौक नरसंहार: जब चीन ने निहत्थे छात्रों पर चढ़वा दिया था टैंक, 32वीं बरसी पर दुनिया भावुक Divya Sandesh
#Divyasandesh
थियानमेन चौक नरसंहार: जब चीन ने निहत्थे छात्रों पर चढ़वा दिया था टैंक, 32वीं बरसी पर दुनिया भावुक
चीन ने आज से 32 साल पहले हजारों निहत्थे छात्रों के आंदोलन को कुचलने के लिए उनके ऊपर टैंक चढ़वा दिए थे। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के इशारे पर पीएलए की इस कार्रवाई में 10 हजार से ज्यादा छात्रों की मौत हुई थी। बताया जाता है कि ये छात्र पेइचिंग के थियानमेन चौक पर जून 1989 में लोकतंत्र बहाली के समर्थन में इकट्ठा हुए थे। आज से 3 साल पहले सार्वजनिक हुए ब्रिटिश खुफिया राजनयिक दस्तावे�� में इस घटना के पल-पल का उल्लेख किया गया है। दरअसल चीन में मीडिया के ऊपर लगे कड़े सेंसरशिप के कारण आज भी उस घटना से जुड़े कई अहम जानकारियां उपलब्ध नहीं हैं। चीन की सरकारी मीडिया कम्युनिस्ट पार्टी के आदेश पर केवल वही बातें ही बताती हैं जो उनके अपने फायदे की होती हैं। आज के दिन चीन ही नहीं, बल्कि हॉन्ग कॉन्ग, ताइवान, अमेरिका समेत पूरी दुनिया में शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है।Tiananmen Square Protest: चार जून को चीन में थियानमेन नरसंहार की 32वीं बरसी मनाई जा रही है। चार जून 1989 को थियानमेन स्क्वायर पर जमा हुए लोकतंत्र समर्थकों पर चीन सरकार ने सैन्य कार्रवाई कर खदेड़ा था। इसमें हजारों लोगों की मौत हो गई थी।चीन ने आज से 32 साल पहले हजारों निहत्थे छात्रों के आंदोलन को कुचलने के लिए उनके ऊपर टैंक चढ़वा दिए थे। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के इशारे पर पीएलए की इस कार्रवाई में 10 हजार से ज्यादा छात्रों की मौत हुई थी। बताया जाता है कि ये छात्र पेइचिंग के थियानमेन चौक पर जून 1989 में लोकतंत्र बहाली के समर्थन में इकट्ठा हुए थे। आज से 3 साल पहले सार्वजनिक हुए ब्रिटिश खुफिया राजनयिक दस्तावेज में इस घटना के पल-पल का उल्लेख किया गया है। दरअसल चीन में मीडिया के ऊपर लगे कड़े सेंसरशिप के कारण आज भी उस घटना से जुड़े कई अहम जानकारियां उपलब्ध नहीं हैं। चीन की सरकारी मीडिया कम्युनिस्ट पार्टी के आदेश पर केवल वही बातें ही बताती हैं जो उनके अपने फायदे की होती हैं। आज के दिन चीन ही नहीं, बल्कि हॉन्ग कॉन्ग, ताइवान, अमेरिका समेत पूरी दुनिया में शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है।ब्रिटिश दस्तावेज में मौत के आंकड़ों का खुलासाइस नरसंहार के समय चीन की राजधानी पेइचिंग में तैनात तत्कालीन ब्रिटिश राजदूत एलन डोनाल्ड ने लंदन पत्र भेजकर घटना का पूरा ब्योरा दिया था। पत्र में उन्होंने लिखा था कि इस घटना में कम से कम 10 हजार लोगों की मौत हुई थी। इस पत्र को ब्रिटेन के नेशनल आर्काइव्ज में रखा गया है। चीन में उस समय इस घटना की रिपोर्टिंग को भी चीन से बड़े पैमाने पर सेंसर कर दिया था। इस घटना की रिपोर्टिंग पर चीन में आज भी कड़े प्रतिबंध हैं।We accuse the gov of China of committing crimes against humanity during Jun3-4, 1989 massacre & engaging in a consi… https://t.co/M1tj2qAHl0— CHRD人权捍卫者 (@CHRDnet) 1622722252000क्या थी थियानमेन चौक की पूरी घटनाजून 1989 में पेइचिंग के थियानमेन चौक पर लाखों की संख्या में लोकतंत्र समर्थक आंदोलनकारी इकठ्ठा हुए थे। इसमें बड़ी संख्या में छात्र और मजदूर भी शामिल थे। ये विरोध प्रदर्शन कम्यूनिस्ट पार्टी के पूर्व महासचिव और सुधारवादी हू याओबांग की मौत के बाद शुरू हुए थे। हू याओबांग को चीन की तत्कालीन सरकार ने राजनीतिक और आर्थिक नीतियों में विरोध के कारण पद से हटा दिया था। जिसके बाद उनकी हत्या कर दी गई थी।टैंक और गोलियों से लोगों को बनाया गया था निशानाछह हफ्ते तक चले इस प्रदर्शन को कुचलने के लिए 3-4 जून को चीन की सेना ने शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे निहत्थे नागरिकों पर बंदूकों और टैंकों से कार्रवाई की। इस कार्रवाई में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी मारे गये थे। इस दौरान चीनी सेना के एक टैंक को रोकने की कोशिश करते हुए एक युवक की तस्वीर प्रकाशित होने के बाद यह स्थान पूरी दुनिया में मशहूर हो गया।थियानमेन चौक की कार्रवाई को आज भी सही बताता है चीनचीन आज भी पेइचिंग के ऐतिहासिक थियानमेन चौक नरसंहार को पूरी ��रह से सही करार देता है। साथ ही,वह कई बार कह चुका है कि देश को चलाने के लिए उसका समाजवादी राजनीतिक मॉडल सही चुनाव है। पिछले साल चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने इस प्रदर्शन को एक राजनीतिक व्यवधान करार दिया था। उन्होंने कहा था कि हम चीनी विशेषताओं के साथ समाजवाद को जारी रखने के लिये प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने अमेरिका को वैचारिक पूर्वाग्रह दूर रखने, गलतियों को सुधारने और चीन के घरेलू मामलों में किसी भी तरह से दखलअंदाजी रोकने को कहा था।
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