#चिकन से बुखार
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क्या आप जानते हैं चिकन खाने से मौत हो सकती हैं!
दोस्तों चिकन खाना कुछ लोगो को बह��त पसंद होता हैं लोग बड़े शौक से मांस-मटन खाते हैं. इन दिनों एक पोस्ट बहुत चर्चा का विषय बना हुआ हैं जिसमें यह दावा किया जा रहा हैं की चिकेन खाने से मौत हो सकती हैं. एक बट आपको बताना चाहूंगी की चिकन खाने से सीधे मौत होना अत्यधिक असंभव है। चिकन एक प्रमुख प्रोटीन स्रोत है और यह लोगों के आहार में आमतौर पर शामिल होता है। चिकन के साथ सम्बंधित खतरात आमतौर पर अन्य कारकों…
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गैस्ट्रोएन्टेराइटिस के लिए सबसे अच्छा उपचार क्या है?
गैस्ट्रोएन्टेराइटिस, जिसे आमतौर पर "स्टमक फ्लू" के रूप में जाना जाता है, एक सामान्य पाचन तंत्र की समस्या है जिसमें पेट और आंतों में सूजन होती है। यह स्थिति अक्सर वायरस, बैक्टीरिया या परजीवियों के संक्रमण के कारण होती है। इसके प्रमुख लक्षणों में दस्त, उल्टी, पेट दर्द, मिचली, बुखार और कमजोरी शामिल हैं। हालांकि गैस्ट्रोएन्टेराइटिस आमतौर पर कुछ दिनों के भीतर ठीक हो जाता है, सही उपचार और देखभाल से जल्द राहत मिल सकती है। यहां पर हम कुछ प्रमुख उपचार और देखभाल के तरीकों की चर्चा करेंगे:
1- तरल पदार्थों का सेवन बढ़ाएं
गैस्ट्रोएन्टेराइटिस का सबसे आम और खतरनाक लक्षण डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण) है, क्योंकि दस्त और उल्टी के कारण शरीर से बहुत सारे तरल पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। इसलिए, यह जरूरी है कि आप शरीर में तरल की कमी न होने दें। इसके लिए:
ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन) का सेवन करें, यह शरीर में खोए हुए इलेक्ट्रोलाइट्स और पानी की पूर्ति करता है।
नारियल पानी और फलों के रस भी फायदेमंद होते हैं।
साफ पानी, सूप या हल्की हर्बल चाय पीने से भी फायदा होता है।
2- हल्का और पोषक भोजन लें
गैस्ट्रोएन्टेराइटिस के दौरान पाचन तंत्र को राहत देने के लिए हल्का और सुपाच्य भोजन करना जरूरी है। कुछ भोजन जो इस स्थिति में उपयोगी होते हैं:
ब्रैट डाइट: इसमें केला (Bananas), चावल (Rice), सेब की चटनी (Applesauce), और टोस्ट (Toast) शामिल होते हैं। यह भोजन हल्का होता है और पाचन के लिए आसान होता है।
दलिया, साबूदाना, और उबले हुए आलू भी खाने में हल्के होते हैं और पाचन तंत्र को आराम देते हैं।
चिकन सूप या वेजिटेबल सूप से शरीर को पोषण मिलता है और यह तरल की कमी को भी पूरा करता है।
3- प्रोबायोटिक्स लें
प्रोबायोटिक्स स्वस्थ बैक्टीरिया होते हैं जो पाचन तंत्र में संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। प्रोबायोटिक्स युक्त खाद्य पदार्थ जैसे:
दही (विशेषकर बिना शक्कर वाला)।
प्रोबायोटिक्स सप्लीमेंट्स लेने से भी पेट के अच्छे बैक्टीरिया का संतुलन बहाल हो सकता है, जिससे तेजी से रिकवरी होती है।
4- दवाएं
यदि गैस्ट्रोएन्टेराइटिस के लक्षण गंभीर हैं, तो डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक होता है। वे आपको उचित दवाएं दे सकते हैं:
5- आराम और विश्राम
गैस्ट्रोएन्टेराइटिस से पीड़ित होने पर शरीर को पूरा आराम देना आवश्यक है। शरीर की ताकत लौटने के लिए पर्याप्त नींद और शारीरिक आराम जरूरी है। अधिक शारीरिक गतिविधि से बचें जब तक कि आप पूरी तरह से स्वस्थ न हो जाएं।
6- संक्रमण से बचाव
गैस्ट्रोएन्टेराइटिस को फैलने से रोकने के लिए सावधानियाँ बरतना आवश्यक है:
अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन और पानी से धोएं।
खाने से पहले और टॉयलेट के बाद हाथ धोना आवश्यक है।
दूषित पानी या अस्वास्थ्यकर भोजन से बचें, खासकर यात्रा के दौरान।
व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क से बचें।
7- डॉक्टर से कब संपर्क करें?
अगर निम्नलिखित लक्षणों में से कोई भी दिखाई दे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें:
लगातार उल्टी या दस्त जो 2-3 दिनों से अधिक समय तक रहे।
गंभीर पेट दर्द।
खून के साथ दस्त।
अत्यधिक कमजोरी या भ्रम की स्थिति।
शरीर में अत्यधिक डिहाइड्रेशन (जैसे सूखी त्वचा, कम पेशाब, चक्कर आना) के लक्षण।
निष्कर्ष
गैस्ट्रोएन्टेराइटिस के लिए सबसे अच्छा उपचार तरल पदार्थों का सही संतुलन, हल्का भोजन, प्रोबायोटिक्स का सेवन और पर्याप्त आराम है। सही समय पर चिकित्सा परामर्श लेना भी आवश्यक है, खासकर जब लक्षण गंभीर हों। यदि आप स्वच्छता का ध्यान रखते हैं और संक्रमण से बचने के लिए आवश्यक सावधानियाँ अपनाते हैं, तो गैस्ट्रोएन्टेराइटिस से बचना संभव है।
स्वास्थ्य का ध्यान रखना और जल्दी उपचार करवाना इस स्थिति से जल्द छुटकारा पाने में मदद करेगा।
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https://www.facebook.com/events/2127926680707452
लखनऊ 10 अप्रैल, 2022 - हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में Post COVID-19 Complication & Care के अंतर्गत "विश्व होम्योपैथी दिवस" के अवसर पर "निःशुल्क होम्योपैथिक परामर्श, निदान एवं दवा वितरण शिविर" का आयोजन ट्रस्ट के इंदिरा नगर सेक्टर - 25 स्थित कार्यालय में हुआ l शिविर का शुभारम्भ ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, शिविर के परामर्शदाता चिकित्सक डॉ० संजय कुमार राणा तथा डॉ० सुमित गुप्ता ने दीपप्रज्वलन करके किया l
ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी को विश्व होम्योपैथी दिवस और श्री राम नवमी की बधाई देते हुए कहा कि, दुनिया भर में 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस के रूप में मनाया जाता है l इस दिवस को मनाने का लक्ष्य है लोगों को होम्योपैथिक के प्रति जागरूक करना है l हाल के वर्षों में होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति तेजी से बढ़ रही है l होम्योपैथी यूनानी शब्द (homeopathy meaning) होमो से आया है जिसका अर्थ है समान और पैथोस जिसका अर्थ है दुःख या बीमारी l होम्योपैथी इलाज इस विश्वास पर आधारित है कि, शरीर खुद को ठीक कर सकता है l होम्योपैथी चिकित्सा की एक प्रणाली है, जो शरीर के अपने उपचार प्रतिक्रियाओं को ट्रिगर करने के सिद्धांत पर आधारित है l होम्योपैथी शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा को तेज करती है l वर्तमान में विश्व के 100 से अधिक देशों में होम्योपैथी से ईलाज हो रहा है l होम्योपैथी दुनिया में सबसे लोकप्रिय वैकल्पिक उपचारों में से एक है l ट्रस्ट द्वारा आयोजित निःशुल्क होम्योपैथिक शिविर का उद्देश्य होम्योपैथी के बारे में जागरूकता पैदा करना, इसकी पहुंच में सुधार करना और चिकित्सा प्रणाली को आधुनिक बनाना है ।
श्री अग्रवाल ने यह भी कहा कि, वर्तमान में होम्योपैथी दवाएं जटिल बीमारियों जैसे स्वाइन फ्लू, डेंगू, खसरा, चिकन पॉक्स, कालरा, दिमागी बुखार, गुर्दे में पथरी आदि बीमारियों से बचाव में कारगर हो रही हैं l दुनियाभर में एलोपैथी के बाद होम्योपैथी सबसे अधिक कारगर और पसंद की जानेवाली तथा प्रयोग में लायी जाने वाली ��िकित्सा पद्धति है l होम्योपैथिक दवा सांस की बीमारी, पेट, त्वचा और मानसिक विकार जैसी पुरानी बीमारियों में भी प्राकृतिक समाधान प्रदान करती है l जो मरीज एलोपैथी और सर्जरी के जरिये जल्दी राहत चाहते हैं, वह केवल अपना आधा जीवन ही जीते हैं, किन्तु इसके विपरीत जो मरीज स्थायी सुधार के लिए होम्योपैथी को अपनाते हैं, वे पूर्ण जीवन का आनंद लेते हैं l
इस अवसर पर डॉ० संजय कुमार राणा ने कहा कि, वर्तमान समय में इंटरनेट का उपयोग बहुत बढ़ गया है और ऐसे में बहुत सारे लोग इंटरनेट पर जाकर होम्योपैथिक चिकित्सा का ज्ञान ले रहे हैं और इंटरनेट पर बहुत सारे लोग होम्योपैथिक चिकित्सा का ज्ञान दे भी रहे हैं l ऐसे में परेशानियां उनके साथ हो रही है जो स्वास्थ्य से पीड़ित है, क्योंकि हर मरीज इंटरनेट पर जाकर दवाई देख रहा है और बिना डॉक्टर की सलाह के दवाइयां खा रहा है l जबकि होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में दवाई एवं दवाइयों कि मात्रा का चुनाव मरीज के विचारों के आधार पर और मरीज की संवेदनशीलता के आधार पर होता है l होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति में दवाइयों का चुनाव भी व्यक्ति के व्यवहार उसकी प्यास, भूख, उसकी प्रकृति (ठंडा- गर्म), उसके तौर-तरीकों को देख कर की जाती है, जो की एक ही बीमारी से पीड़ित दो व्यक्तियों में अलग अलग हो सकती है l जब तक डॉक्टर मरीज को देख कर उसकी हिस्ट्री नहीं ले लेते मेडिसिन नहीं दी जा सकती है । डॉ० राणा ने लोगों से अपील की है कि, सब लोग ध्यान रखें इंटरनेट से जानकारी लेना ठीक है लेकिन इंटरनेट पर देख कर बिना डॉक्टर की सलाह के दवाई खाना अपने ही शरीर के साथ खिलवाड़ करना है ऐसे में शरीर में बहुत सारे बुरे बदलाव भी आ सकते हैं ।
होम्योपैथी शिविर में विभिन्न बीमारियों जैसे कि, सीने में दर्द होना, भूख न लगना, सांस फूलना, ह्रदय व गुर्दे की बीमारी, मधुमेह (Diabetes / Sugar), रक्तचाप (Blood Pressure), उलझन या घबराहट होना, पेट में दर्द होना, गले में दर्द होना, थकावट होना, पीलिया (Jaundice), थाइरोइड (Thyroid), बालों का झड़ना (Hair Fall) आदि से पीड़ित 39 रोगियों का वजन, रक्तचाप (Blood Pressure) तथा मधुमेह (Sugar-Random) की जांच की गयी l डॉ० संजय कुमार राणा तथा डॉ० सुमित गुप्ता ने परामर्श प्रदान किया तथा निःशुल्क होम्योपैथी दवा प्रदान की l महिलाएं, पुरुष, बुजुर्गों तथा बच्चों सभी उम्र के लोगों ने होम्योपैथी परामर्श लिया l ज्यादातर मरीज सांस लेने में तकलीफ और जोड़ों में दर्द की बिमारी से ग्रसित पाए गए l
इस अवसर पर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, ट्रस्ट के स्वयंसेवकों तथा डॉ० संजय कुमार राणा तथा डॉ० सुमित गुप्ता की टीम के सदस्य दिनकर दुबे, विष्णु, रमणसन तथा राहुल राणा ��ी उपस्थिति रही l
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हड्डी की टीबी का प्रकार , लक्षण, उपचार और रोकथाम:
हड्डी के टीबी में गंभीर संक्रामक रोगों का एक समूह होता है, जिनकी वजह से पिछले दो दशकों में इसकी तकलीफ बढ़ी है, खासकर दुनिया के अविकसित देशों में। इसके परिणामस्वरूप, प्रभावित जोड़ों में कठोरता और फोड़े विकसित होते हैं। हड्डी का टीबी कूल्हों और घुटनों के जोड़ों को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। एड्स के रोगियों के लिए भी यह एक अतिरिक्त रोग है। ऑस्टियोआर्टिकुलर अभिव्यक्तियों की तरह विशिष्ट तपेदिक आम है। यह अतिरिक्त रीढ़ की हड्डियों में, ट्रोकेनटरिक क्षेत्र या प्रोस्थेटिक जोड़ों में दर्द का कारण बनता है। संक्रमण अनुकूल महामारी विज्ञान के संदर्भ में आगे बढ़ता है। लंबे समय तक एंटी क्षय रोग कीमोथेरेपी के साथ उनकी सर्जरी भी की जाती है, जो हड्डी की विकृति से भी परेशान रहते हैं। हड्डी की टीबी आमतौर पर हड्डी में पहले से रह रहे रोग-जीवाणु के पुन: सक्रियता से उत्पन्न होती है। माइकोबैक्टीरिया के प्राथमिक संक्रमण के समय, रीढ़ और बड़े जोड़ों पर रोग-जीवाणु का प्रभाव कशेरुकाओं और लंबी हड्डियों के बढ़े हुए प्लेटों की भरपूर मात्र�� में संवहनी आपूर्ति के कारण होता है। ट्यूबरकुलस गठिया या हड्डी की टीबी प्रारंभिक संक्रमण के एक विस्तार से होता है और हड्डी से जोड़ों तक पहुंचता है।
हड्डी के टीबी के प्रकार:
हड्डी टीबी की विभिन्न श्रेणियां होती हैं, और विभिन्न प्रकार की हड्डी की टीबी के लिए अलग-अलग उपचार की विधि उपलब्ध हैं। कुछ वर्ग निम्न प्रकार हैं: -
रीढ़ का क्षय रोग
कूल्हे के जोड़ का क्षय रोग
कोहनी का क्षय रोग
घुटने के जोड़ का क्षय रोग
टखने के जोड़ का क्षय रोग
ऊपरी भाग का क्षय रोग
हड्डी की टीबी के कारण:
हड्डी की टीबी तब होती है जब आप एम. क्षय रोग नामक बैक्टीरिया वाले क्षय रोग से पीड़ित रोगी के संपर्क में आते हैं और वह बैक्टीरिया आपमें आ जाता है। पिछले कुछ दशकों में हड्डी क्षय रोग के बहुत कम मामले हुए हैं क्योंकि उपचार की व्यापकता बहुत बढ़ गई है। हड्डी की टीबी से संक्रमित होने के प्राथमिक कारण निम्न हैं: -
तपेदिक - यह टीबी के लिए एक प्रेरक एजेंट है। जब यह मानव शरीर के अंदर हो जाता है, तो यह हड्डियों सहित लिम्फ नोड्स, थाइमस को नुकसान पहुंचा सकता है।
संचरण - क्षय रोग एक संक्रामक रोग है; इस प्रकार, यह हवा के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में जल्दी से फैलता है।
अनुचित उपचार - यदि फेफड़ों की टीबी या किसी भी टीबी से पीड़ित व्यक्ति पर शुरू से ध्यान नहीं दिया जाता है, तो बैक्टीरिया लंबी हड्डियों की प्रचुर संवहनी आपूर्ति की ओर बढ़ जाएगा और हड्डी की टीबी का कारण बन सकता है।
हड्डी की टीबी से पीड़ित व्यक्ति के सबसे आम लक्षण इस प्रकार हैं: -
जोड़ों में दर्द।
कुट्ट रोग। (रीढ़ की हड्डी की टीबी)
पीठ दर्द।
कार्पल टनल सिंड्रोम।
कशेरुक डिस्क का कुशनिंग।
वक्षीय क्षेत्र में बेचैनी।
कार्पल हड्डी में दर्द। ( कार्पल टनल सिंड्रोम)
कलाई का दर्द। (कशेरुका अस्थि दोष के मामले में)
रीढ़ की हड्डी में कूबड़।
कशेरुकाओं या डिस्क का विनाश।
हड्डियों की अव्यवस्था महसूस करना।
खांसी और बुखार नहीं।
ओस्टियोआर्टिकुलर अभिव्यक्तियाँ।
मस्तिष्क संबंधी विकार।
अंग का छोटा होना।
नरम ऊतक में सूजन होना।
हड्डी संरचनाओं में विकृति होना।
हड्डी की टीबी का उपचार और रोकथाम:
हड्डी की टीबी से कुछ दर्दनाक दुष्प्रभाव पैदा हो सकते हैं, लेकिन नुकसान की पूर्ति हो सकती है जब दवाओं के सही आहार के साथ प्रारंभिक चरण में इसका इलाज अच्छे हड्डी के डॉक्टर द्वारा किया जाता हो।
सर्जरी - मोटे स्थिति में, रीढ़ की हड्डी की सर्जरी आवश्यक है - लैमिनेक्टॉमी का उपचार, जहां कशेरुक का एक हिस्सा, उपचार हेतु हटा दिया जाता है।
दवाएं - दवाएं लेना टीबी के लिए उपचार का पहला चरण है, और उपचार की अवधि 6-18 महीनों तक रह सकती है। इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सबसे आम दवाएं रिफैम्पिसिन, एथमब्युटोल, आइसोनियाज़िड और पाइरेज़िनमाइड हैं।
रोकथाम के उपाय - तम्बाकू, शराब का अत्यधिक सेवन, परिष्कृत उत्पाद, चिकन, चिप्स, प्याज, और अन्य तली हुई चीजें या उच्च संतृप्त वसा वाले खाद्य पदार्थों के सेवन को बंद करना।
एमडीआर-उपचार - इस उपचार में एंटीट्यूबरकुलर दवा का संयोजन शामिल है जिसमें विभिन्न औषधीय क्रियाएं होती हैं। हड्डी की टीबी के लिए एमडीआर उपचार का सबसे उपयुक्त तरीका है।
डॉट्स (Spots) उपचार - डॉट्स या "सीधे तौर पर देखा जाने वाला उपचार शॉर्ट कोर्स" एक ऐसी विधि है जो हड्डी की टीबी के उपचार की सिफारिश करती है, जिसमें एंटीट्यूबरकुलर दवा के वर्गीकरण के तहत आने वाली सभी दवाओं की
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बर्ड फ्लू : चिकन और अण्डे से मानव स्वास्थ्य को खतरा नहीं:डाॅ अवधिया
सतना – मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एके अवधिया ने बताया कि ऐसे लोग सतर्क रहें जो मुर्गी पालन या मुर्गी व्यवसाय के क्षेत्र में कार्यरत हैं या जो पक्षियों के संपर्क में आते हैं, तो ऐसे लोगों को इन्फ्लूएंजा जैसे लक्षण सर्दी, जुखाम, बुखार, सांस लेने में तकलीफ होने पर तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर जांच कराएं।* *प्रदेश के कई जिलों में कौओं में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। प्रदेश…
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हिमाचल प्रदेश में बर्ड फ्लू: 1700 पक्षियों की मौत के बाद सरकार जागी: पर्यटकों के लिए सख्त नियम
हिमाचल प्रदेश में बर्ड फ्लू: 1700 पक्षियों की मौत के बाद सरकार जागी: पर्यटकों के लिए सख्त नियम #HimachalPradeshNews
बर्ड फ्लू ने हिमाचल प्रदेश में चिंता का विषय बना दिया है, जहां कोरोना बुखार अभी तक कम नहीं हुआ है। कांगडा पोंग नदी में बर्ड फ्लू के कारण 1,700 से अधिक प्रवासी पक्षियों की मौत ने पूरे सूबा में अतालता फैला दी है और प्रशासन की नींद उड़ा दी है। हालांकि, तत्काल कार्रवाई करते हुए, जिला प्रशासन ने जलाशय के आसपास चिकन और अंडे सहित पोल्ट्री उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। प्रतिबंधित क्षेत्र,…
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Covid 19 Current Affairs Question in Hindi
कोरोना वायरस से जुड़े 50 महत्वपूर्ण प्रशन हिन्दी में – Covid 19 Current Affairs Question in Hindi
इस वेबसाइट का आशय यह है कि आपको हमेशा वर्तमान जानकारी मिलती रहेगी जिससे आपको आगामी परीक्षा में समर्थन मिलेगा,
यदि आप किसी Government Job की तैयारी कर रहे हैं, तो आपके लिए सबसे ज्यादा ज़रूरी है कि आपको Current Affairs की Knowledge हो, आपको ये जानकारी हो कि आपके राज्य में, देश में या विदेश में क्या हो रहा है, आपकी सरकार कौन से अभियान और योजनायें शुरू कर रही है.
कौन से नियम और कानून बनाये गये हैं, उनमें क्या बदलाव किये जा रहे हैं, देश की अर्थव्यवस्था कैसी चल रही है, राजनीति में क्या हो रहा है, हमारे देश में कौन सी नई New Tecnology आई है, विज्ञान में कौन से नए आविष्कार हो रहे हैं, हमारे देश की सेना में कौन सी Exercise चलाई जा रही हैं, आदि के बारे में जानकारी होना अति आवश्क है,
हम आपको इस वेबसाइट के मा��्यम से आने वाली UPSC, IAS, PCS, Banking, IBPS, Railway, Clerk, PO, UPPSC, RPSC, BPSC, MPPSC, TNPSC, MPSC, KPSC SSC EXAM, EXAM , HSSC EXAM, RSSC EXAM, PSSC EXAM, NDA EXAM, BANK EXAM और अन्य सरकारी प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए हर रोज नई कर्रेंट अफेयर्स and GK की लेटेस्ट अपडेट देंगे जो आपको आने वाली सरकारी नोंकरी में सायता करेगी,
1. कोरोना किस प्रकार से फैलने वाली बीमारी है?
A. जीवाणु द्वारा
B. विषाणु द्वारा
C. दोनों
D. फफूंद द्वारा
Ans. विषाणु द्वारा
2. कोरोना वायरस का पहला केश किस वर्ष मिला था?
A. 2017
B. 2018
C. 2019
D. 2020
Ans. 2019
3. कोरोना वायरस का नाम किस भाषा से लिया गया है?
A. हिन्दी
B. अँग्रेजी
C. लैटिन
D. चीनी
Ans. लैटिन
4. कोरोना वायरस का पहला केश किस देश मे मिला था?
A. अमेरिका
B. रूस
C. इटली
D. चीन
Ans. चीन
5. कोरोना वायरस का पूरा नाम क्या है?
A. 2019 नॉवेल कोरोना
B. 2019-nCoV
C. दोनों
D. क्राउन
Ans. दोनों
6. कोरोनावायरस किस बीमारी का कारण होता है?
A. मर्स
B. सार्स
C. A और B दोनों
D. इनमें से कोई नहीं
Ans. अ और ब दोनों
7. कोविड-19 के लिए कौन- सा वायरस जिम्मेदार है?
A. एन1एच1
B. इबोला
C. सार्स-कोव 2
D. निडोवायरस
Ans. सार्स-कोव 2
8. कोरोनावायरस के लक्षण क्या है?
A. बुखार
B. खांसी
C. सांस लेने में तकलीफ
D. उपर्युक्त सभी
Ans. उपर्युक्त सभी
9. इस वायरस का नाम कोरोनावायरस कैसे पड़ा?
A. क्राउन जैसा स्ट्रचर होने के कारण
B. पत्ती जैसा आकार होने के कारण
C. ईंटों जैसी सतह होने के कारण
D. इनमें से कोई नहीं
Ans. क्राउन जैसा स्ट्रचर होने के कारण
10. WHO के द्वारा कोरोना वायरस को क्या नाम दिया है?
A. क्राउन
B. COVID-19
C. 2019-nCoV
D. सभी
Ans. COVID-19
11. कोरोना से पीड़ित व्यक्ति के शरीर मे क्या-क्या बदलाव आते है?
A. निमोनिया
B. खांसी
C. जुकाम, बुखार
D. सभी
Ans. सभी
12. कोरोना वायरस का सबसे अधिक प्रभाव किस मौसम मे रहता है?
A. सर्दी
B. गर्मी
C. बरसात
D. सभी मौसम मे बराबर
Ans. सर्दी
13. कोरोना किस प्रकार का वायरस है?
A. डीएनए
B. आरएनए
C. दोनों
D. इनमे से कोई नहीं
Ans. आरएनए
14. कोरोना वायरस दो मुख्य वायरस कौन से है?
A. MERS-CoV, SES-CoV
B. SARA-CoV , SES-CoV
C. MERS-CoV, SARA-CoV
D. SES-CoV.MEC-CoV
Ans. MERS-CoV, SARA-CoV
15. अभी तक किस देश मे कोरोना वायरस के कारण सबसे ज्यादा मृत्यु हुई है?
A. चीन
B. ईरान
C. अमेरिका
D. इटली
Ans. अमेरिका
16. कोरोना वायरस से पीड़ित व्यक्ति मे कितने दिनों बाद इसके लक्षण दिखाई देते है?
A. 2 दिन से 14 दिन
B. 7 दिन से 14 दिन
C. 10 दिन से 20 दिन
D. 14 दिन से 18 दिन
Ans. 2 दिन से 14 दिन
17. COVID-1 के नाम से किस वायरस को जाना जाता है?
A. कोरोना
B. SARS
C. MERS
D. सभी को
Ans. SARS
18. कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण किस संस्था द्वारा ग्लोबल इमरजेंसी लागू की गई है?
A. यूनिसेफ
B. डबल्यूएचओ
C. युनेस्को
D. सभी
Ans. डबल्यूएचओ
19. कोरोना वाइरस से लड़ने के लिए डबल्यूएचओ ने कितनी धनराशी दान दी है?
A. 600 मिलियन डॉलर
B. 650 मिलियन डॉलर
C. 675 मिलियन डॉलर
D. 700 मिलियन डॉलर
Ans. 675 मिलियन डॉलर
20. कोरोना वाइरस से लड़ने के लिए ADB (एशियन डेवेलपमेंट बैंक) ने कितनी धनराशी दान दी है?
A. 2 मिलियन डॉलर
B. 60 मिलियन डॉलर
C. 67 मिलियन डॉलर
D. 70 मिलियन डॉलर
Ans. 2 मिलियन डॉलर
21. कोरोना वाइरस से लड़ने के लिए भारत ने कितनी धनराशी दान दी है?
A. 2 मिलियन डॉलर
B. 6 मिलियन डॉलर
C. 1 मिलियन डॉलर
D. 7 मिलियन डॉलर
Ans. 1 मिलियन डॉलर
22. किस राज्य सरकार ने म्यांमार,चीन और दक्षिण पूर्व एशिया देशों से डिब्बा बांध खाद्य पदार्थों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है?
A. उत्तर प्रदेश
B. उत्तराखंड
C. मिजोरम
D. मणिपुर
Ans. मणिपुर
23. कोरोना वायरस के खतरे मे भारत किस स्थान पर है?
A. 10 वें
B. 29 वें
C. 23 वें
D. 20 वें
Ans. 23 वें
24. कोरोना वायरस से निपटने के लिए किस देश ने टास्क फोर्स का गठन किया है?
A. भारत
B. चीन
C. इटली
D. ईरान
Ans. भारत
25. क्या चिकन, मीट, अंडा खाने से कोरोना वायरस का संक्रमण होता है?
Ans. अभी तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं है, जिसमें कहा जाए कि यह नॉनवेज खाने से फैल रहा है।
26. कोरोना वायरस से निपटने के लिए भारत मे जनता क���्फ़्यू किस तिथि को हुआ था?
A. 21 मार्च – 2020
B. 22 मार्च – 2020
C. 23 मार्च – 2020
D. 24 मार्च – 2020
Ans. 22 मार्च – 2020
27. कोरोना वायरस पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने निम्न मे से कौन सी ई-मेल आईडी उपलब्ध कराई है?
Ans. [email protected]
28. गोमूत्र पीने, अदरक, काली मिर्च, लहसुन, गर्म पानी आदि का इस्ते माल करने से कोरोना का वायरस मर जाएगा। इस पर क्या कहेंगे?
Ans. सोशल मीडिया में फैलाई जा रहीं ये सभी जानकारियां महज भ्रांतियां हैं। इन सबसे न तो कोरोना वायरस का संक्रमण रुकेगा और न ही यह ठीक करने की दवा है। अदरक, लहसुन, काली मिर्च से गले में वायरस मर जाएगा, इसका अभी तक कोई प्रमाण नहीं है।
29. कोरोना वाइरस से जुड़ी जानकारी के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने कौन सा नया हेल्पलाइन नंबर जारी किया है?
A. 102
B. 1098
C. 1075
D. 1198
Ans. 1075
30. आस्ट्रेलिया मे कोरोना वायरस की वैक्सीन किस भारतीय वैज्ञानिक की अगुआई मे तैयार की जा रही है?
A. ऋषभ सिंह
B. एसएस वासन
C. के एल कालेकर
D. सभी
Ans. एसएस वासन
31. चाइना के वुहान शहर मे फसे 324 भारतीयों को किस विमा�� से बाहर निकाला गया था
A. एयर इंडिया
B. विस्तारा
C. पवन हंस
D. इंडिगो
Ans. एयर इंडिया
33. कोविड-19 के वैक्सीन के लिए हाल ही में मनुष्यों पर पहला परिक्षण कहां पर शुरू हुआ है,
A. रूस
B. अमेरिका
C. जापान
D. भारत
Ans. अमेरिका
33. अभी हाल ही में कोरोना वायरस ट्रैकर किसने लांच किया है
A. माइक्रोसॉफ्ट
B. मक्रोवेब
C. मक्रोवोर्ल्ड
नेटफ्लेसी
Ans. माइक्रोसॉफ्ट
34. कोरोना वायरस से लड़ने के लिए स्वच्छ हाथों की शक्ति को बढ़ावा देने के लिए सेफहैंड़स चुनौती की शुरूआत किसने की है
A. WHO
B. DWO
C. MON
D. ESRO
Ans. WHO
35. किसने कोविड-19 महामारी से संबंधित जानकारी के लिए एक वेबसाइट लांच की है
A. SAARC आपदा प्रबंधन केंद्र
B. AAWER आपदा प्रबंधन केंद्र
C. WQRST आपदा प्रबंधन केंद्र
D. GHTUO आपदा प्रबंधन केंद्र
Ans. SAARC आपदा प्रबंधन केंद्र
36. मणिपुर विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग ने कोरोना वायरस के मद्देनजर इथाईल अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर की कितनी बोतलें बनाई है,
A. 500
B. 600
C. 400
D. 300
Ans. 500
37. किस बैंक ने IND – COVID इमर्जेंसी क्रेडिट लाइन की घोषणा की है
A.INDIA BANK
B.SBI BANK
C.PNB BANK
D.ICICI BANK
Ans. इंडियन बैंक
38. भारत में कोरोना वायरस से पहले मृत्यु किस राज्य में हुई थी?
A. कर्नाटक
B. हरयाणा
C. पंजाब
D. उतर्पर्देश
Ans. कर्नाटक
39. सूक्ष्मदर्शी (Microscope) द्वारा देखने पर कोरोना वायरस की संरचना किसके समान दिखाई देती है?
A. मुकुट के समान
B. मछर के समान
C. चीटी के समान
D. फुल के समान
Ans. मुकुट के समान
40. हाल ही मे किस देश ने कपड़ों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है?
A. नेपाल
B. भूटान
C. अमेरिका
D. भारत
Ans. भारत
41. कोरोना वायरस क्या है?
A. यह वायरस का एक बड़ा परिवार जैसा है.
B. यह निडोवायरस के परिवार से संबंधित है.
C. A और B दोनों सही हैं
D. केवल Aसही है।
Ans. A और B दोनों सही हैं
16 August 2020 Today Current Affairs in Hindi 16 अगस्त 2020 आज की ताज़ा कर्रेंट अफेयर्स
42. 11 फरवरी, 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस बीमारी के लिए एक आधिकारिक नाम की घोषणा की है जो कि 2019 नॉवेल कोरोना वायरस के प्रकोप का कारण बन रही है? इस बिमारी का नया नाम क्या है?
A. COVID-19
B. COVn-19
C. COnV-20
D. COnVID-19
Ans. COVID -19
43. नॉवेल कोरोनो वायरस के पहले मामले की पहचान कहां हुई थी?
A. ��ीजिंग
B. शंघाई
C. वुहान
D. तिआनजिन
Ans. वुहान
44. कोरोना वायरस निम्नलिखित में से किस बीमारी से संबंधित है?
A. MERS
B. SARS
C. A और B दोनों
D. न तो A और न ही B
Ans. C. A और B दोनों – ( MERS Middle East Respiratory Syndrome और SARS Severe Acute Respiratory Syndrome )
45. कोरोना वायरस का नाम कहां से पड़ा?
A. crown-like projection जैसे अनुमानों के कारण.
B. leaf-like projection जैसे अनुमानों के कारण.
C. ईंटों की उनकी सतह संरचना के कारण.
D. उपरोक्त में से कोई नहीं
Ans. crown-like projection जैसे अनुमानों के कारण
46. कोरोना वायरस से बचने के लिए कौन सी सावधानियां बरतने की जरूरत है?
A. छींक आने पर अपनी नाक और मुंह ढक कर रखें.
B. अपने आहार में अधिक लहसुन शामिल करें.
C. एंटीबायोटिक्स उपचार के लिए अपने डॉक्टर से मिलें.
D. हर घंटे के बाद अपने हाथ धोएं.
Ans. छींक आने पर अपनी नाक और मुंह ढक कर रखें
47. सैनिटाइजर के कई ब्रांड बाज़ार में उपलब्ध हैं। लोगों में भ्रमित हैं कि कौन सा लें कौन सा न लें। इस समस्या का समाधान कैसे हो सकता है?
Ans. उनको पहले देखना चाहिए कि बॉटल पर एल्कोउहल बेस्डं लिखा है या नहीं, क्योंकि एल्को हल बेस्डक सैनिटाइजर वायरस को मार देता है।
48. कोरोना वायरस से बचाव कैसे करें, क्या-क्या सावधानियां बरतें?
Ans. अगर किसी को ज़ुकाम, नज़ला, खांसी है तो वह अपनी खांसी को ढके या फिर अपनी बाज़ू में खांसे। टिश्यूि या रुमाल का प्रयोग करे।
49. गांव में एल्कोहल बेस्ड सैनिटाइजर उपलब्धइ नहीं रहता है। ऐसी सिचुवेशन में किस तरह से हमें हाथ साफ करना चाहिए?
Ans. जरूरी नहीं है कि आपके पास सैनिटाइजर हो। साबुन से अगर अच्छे से हाथ धोएं, वही बहुत है। साबुन से हाथ धोना सेनइटाइजर से बेहतर है।
50. हाथ साफ करने के लिए सैनिटाइजर का इस्तेमाल कब करें?
Ans. अगर आप सफर कर रहे हैं, तो मजबूरी है कि आप सैनिटाइजर का प्रयोग करें, लेकिन अगर आप ऐसी जगह पर हैं, जहां पानी और साबुन उपलब्धक है, तो उसका ही इस्ते,माल करना चाहिए,
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10 साल में 4 अटैक, जानिए- क्या है कोरोना वायरस का क्लाईमेट कनेक्शन
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10 साल में 4 अटैक, जानिए- क्या है कोरोना वायरस का क्लाईमेट कनेक्शन
क्लाइमेट क्राइसिस (पर्यावरणीय संकट) आज के समय की कड़वी सच्चाई है. क्या कोरोना वायरस का इस पर्यावरण संकट से किसी तरह का संबंध है. क्या दुनिया के तापमान में हो रही बढ़ोतरी यानी ग्लोबल वार्मिंग को भी लगातार 10 साल में हुए चार वायरसों के हमले के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. ये वो गूढ़ सवाल हैं जिनके जवाब अभी खोजे जाने हैं. लेकिन, इससे मिलते-जुलते कई सवालों के जवाब पर्यावरण के क्षेत्र में शोध करने वालों ने खोज लिए हैं.
पर्यावरणविद चंद्र भूषण कहते हैं कि अगर आप बीते दशक का लेखा-जोखा देखें तो सार्स, मर्स, जीका और अब कॉबेट 90 ने अटैक किया है. ये वो वायरस हैं जो जानवरों से इंसान में आए. अब ये अंतिम है, ऐसा नहीं है. हमें आगे भी तैयार रहना होगा. इसका बस यही रास्ता है कि हम इसका इलाज खोजें और इसे रोकें ताकि ये स्प्रेड न हों.
चंद्र भूषण कहते हैं कि तमाम रिसर्च बताती हैं कि इंटेसिव मीट प्रोडक्शन, एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस और ग्लोबल वार्मिंग इन तीनों चीजों के कारण दुनिया में नये-नये वायरस और बैक्टीरिया आएंगे, जो पशुओं से इंसान में आएंगे. लेकिन कोरोना वायरस के बारे में अभी तक कोई ऐसी रिसर्च नहीं आई कि जिससे सिद्ध हो कि इस वायरस में क्लाइमेट का कोई रोल है. लेकिन भविष्य के लिए हमें तैयार रहना होगा कि अब इस तरह की स्थिति बन सकती है.
पर्यावरणविद कहते हैं कि कोरोना वायरस के भयंकर होने के पीछे ग्लोबल वार्मिंग का कितना हाथ है, इसके बारे में तो अभी गहन शोध की जरूरत है. वैज्ञानिक लगातार चेताते रहे हैं कि क्लाइमेट क्राइसिस बीमारियों के पैदा होने और उनके फैलने के तरीके में बदलाव ला सकता है. हालांकि, क्लाइमेट क्राइसिस एकमात्र कारक नहीं है. यहां तक कि क्लाइमेट क्राइसिस के बगैर जगंलों को साफ करना, पर्यावास को नष्ट करना, तेजी से हो रहा शहरीकरण, वैश्वीकरण, इंटेसिव मीट प्रोडेक्शन और एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस जैसे कारक वायरस जनित बीमारियों के तेजी से फैलने और उनके भयंकरतम हो जाने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं. यही नहीं इन बीमारियों से लड़ने की हमारी क्षमता भी क्लाइमेट क्राइसिस के चलते प्रभावित हो सकती है.
कैसे ताकतवर हो रहे हैं वायरस
चंद्र भूषण इसे डेंगू-मलेरिया के उदाहरण के साथ कुछ इस तरह समझाते हैं. उनका कहना है कि दुनिया के तापमान में बढ़ोतरी के साथ ही डेंगू-मलेरिया जैसी बीमारियों को फलने-फूलने के लिए ज्यादा उपयुक्त माहौल मिल रहा है. मौसम चक्र में आए परिवर्तन के चलते इन बीमारियों को फैलाने वाले मच्छरों को प्रजनन के लिए ज्यादा समय और उपयुक्त माहौल मिल रहा है.
पर्यावरण में आने वाले बदलाव हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को भी कम असरदार बना रहे हैं. इंसानी शरीर तमाम किस्म की बीमारियों से खुद मुकाबला करने के लिए बना है. बैक्टीरिया और वायरस को मारने के लिए हमारा शरीर ही एंटीबॉडी पैदा करता है. पैथोजेंस को मारने के लिए हमारा शरीर खुद को तेजी से गरम कर लेता है. यहां तक कि कई बार हमारा शरीर खुद को गर्म करके यानी बुखार लाकर ही पैथोजेंस को मारने में सफल रहता है.
लेकिन, तापमान में लगातार हो रही बढ़ोतरी के चलते पैथोजेंस अब ज्यादा गरम वातावरण में पैदा हो रहे हैं. इसके चलते ज्यादा गर्मी में भी अपना अस्तित्व बचा पाने में ये सफल हो रहे हैं. अब मानव शरीर की गर्मी या बुखार उन्हें ज्यादा नुकसान पहुंचाने में सक्षम साबित नहीं हो रही है. मानव शरीर में भी खुद को बचा जाने वाले पैथोजेंस अपने से बेहतर पैथोजेंस पैदा करते हैं जो और भी ज्यादा नुकसानदायक साबित होते हैं. दूसरी तरफ एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस के चलते इन बीमारियों में इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं का असर भी कम हो रहा है.
एंटीबॉडीज रेजिस्टेंस यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता में आ रही कमी
हम लोग तमाम बीमारियों के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल करते हैं. एक ओर सच्चाई ये है कि उत्पादन बढ़ाने के लिए चिकन से लेकर मधुमक्खी तक को एंटीबायोटिक दवाओं का डोज दिया जा रहा है. इसके चलते एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस का खतरा और बढ़ता जा रहा है. एक तरफ तो जहां इंसानों की प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है, वहीं इस प्रकार के सुपरबग पैदा किए जा रहे हैं, जिन पर दवाइयों का असर भी नहीं होता. इस स्थिति के चलते बीमारी ज्यादा विकट हो जाती है.
स्पैनिश फ्लू थी सबसे खतरनाक, ये वायरस बोल चुके हैं हमले
बीते सौ सालों में जिस महामारी ने सबसे ज्यादा लोगों की जान ली उसे स्पैनिश फ्लू के नाम से जाना जाता है. 1918 से 1920 के बीच फैली इस बीमारी ने पूरी दुनिया में पांच करोड़ के लगभग लोगों की जान ली थी. ये बीमारी एच1एन1 एंफ्लूएंजा वायरस के चलते फैली थी. इसकी चपेट में दुनिया की एक चौथाई आबादी आ गई थी. इसी एच1एन1 का एक नया वर्जन या स्ट्रेन वर्ष 2009-2010 में दुनिया पर हमला बोलने आया था. लेकिन, उस समय इस बीमारी से मरने वालों की संख्या 17 हजार के लगभग रही. ये 100 साल पहले की तुलना में तीन हजार गुना तक कम रही. इसके पीछे दुनिया भर में बीमारियों के बारे में जानकारी, उससे निपटने के तरीकों के विकास और दुनिया भर में बीमारियों से निपटने में सहयोग को मुख्य कारण माना जाता है.
क्या है WHO का ��कलन
विश्व स���वास्थ्य संगठन (WHO) का आकलन है कि पर्यावरण परिवर्तन के चलते साल 2030 तक हर वर्ष ढाई लाख से ज्यादा लोगों की मौत होगी. जबकि, अगर समुचित कदम नहीं उठाए गए तो वर्ष 2050 तक ड्रग रेजिस्टेंट डिजीजेस के चलते वर्ष 2050 तक हर साल एक करोड़ तक लोगों की मौत हो सकती है. इसलिए नई पैदा होने वाली और फैलने वाली बीमारियों से निपटने के लिए क्लाइमेट चेंज और एंटी माइक्रोब्रियल रेजिस्टेंस (एएमआर) दोनों से निपटने की जरूरत है. ये एक ऐसा मुद्दा है जहां पर हमारा और धरती का स्वास्थ्य आकर एक जगह पर मिल जाते हैं.
पर्यावरण मामलों के जानकार व लेखक कबीर संजय ने बताया कि पिछले दिनों से जो भी बड़ी घटनाएं हो रही हैं उसमें मौसम चक्र की भी भूमिका रही है. वो चाहे बड़े भूभाग में सारी की सारी फसलें नष्ट करने वाला टिड्डी दलों का हमला हो या स्वास्थ्य संबंधी कोई वायरस का कहर, उसमें कहीं न कहीं क्लाइमेट भी एक वजह रहा है. मौसम चक्र में बदलाव के चलते बैक्टीरिया और वायरस को फलने-फूलने की जगह मिल रही है. जैसे पहाड़ों में पहले जो बैक्टीरिया या वायरस नहीं पनप पाते थे, वो भी वहां पहुंचने लगे हैं. वो कहते हैं कि पहले क्लाइमेट क्राइसिस इतना नहीं था इसीलिए एक मौसम चक्र निर्धारित था. इस चक्र में तय था कि बारिश इतने दिनों होगी, ठंड इतने दिनों होगी. आज प्राकृतिक असंतुलन जैविक असंतुलन को जन्म दे रहा है.
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बारिश के मौसम में सर्दी-जुकाम दूर करने के लिए तुरंत अपनाएं यह घरेलु नुस्खा
चैतन्य भारत न्यूज बारिश का मौसम शुरू हो चुका है और इस मौसम में छोटी-छोटी बिमारी भी पनपने लगती है। मौसम में तापमान के उतार चढ़ाव के कारण सर्दी जुकाम, हल्का बुखार जैसी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। अगर आप भी इन बीमारियों की चपेट में आ गए हैं तो परेशान होने की जरुरत नहीं हैं। क्योंकि आज हम आपको बताने जा रहे हैं घरेलू नुस्खों के बारे में जो इन बीमारियों से राहत दिलाने में मदद करेंगे। औषधीय गुणों से भरपूर चाय
बारिश में भीगने की वजह से सर्दी-जुकाम होने में देर नहीं लगती। ऐसे में आपको गले के दर्द और खांसी जैसी समस्याओं का भी स��मना करना पड़ सकता है। सर्दी जुकाम के कारण होने वाले गले के दर्द और खांसी में औषधीय गुणों वाली चाय बहुत फायदेमंद होती है। अगर आप चाय में अदरक, तुलसी, काली मिर्च, सोंठ, हल्दी, गुड़, जैसी गुणकारी चीजों को मिलाकर पिएंगे तो यह आपके लिए काफी फायदेमंद होगा। ऐसी चाय गले की तकलीफ और सर्दी जुकाम को जल्दी ही ठीक कर देती है। सेहत के लिए फायदेमंद है सूप
बरसात के मौसम में सूप सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। अगर भीगने के बाद गर्मागरम सूप पी लेते हैं तो आप सर्दी जुकाम जैसी बीमारियों से आराम बच जाएंगे। वैसे बरसात हो या सर्दी दोनों ही मौसम में सब्जी या फिर चिकन का सूप बहुत फायदेमंद होता है। चिकन का सूप अस्थमा के मरीजों के लिए भी काफी लाभकारी होता है। इसका सेवन करने और भाप लेने से मरीजों को काफी आराम पहुंचता है। ये भी पढ़े बारिश में भीगने से नहीं बल्कि वायरस के हमले से बिगड़ती है सेहत अगर आपको भी पसंद है बारिश में भीगना, तो पहले रखें इन बातों का ध्यान बारिश में दाद, खाज और खुजली से राहत दिलाएगा ये लाल रंग का फूल, ऐसे करें इस्तेमाल Read the full article
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गिलोय के अनुप्रयोग
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गिलोय के अनुप्रयोग
भिन्न रोगों और मौसम के अनुसार गिलोय के अनुप्रयोग
गिलोय एक रसायन है, यह रक्तशोधक, ओजवर्धक, ह्रुदयरोग नाशक ,शोधनाशक और लीवर टोनिक भी है। यह पीलिया और जीर्ण ज्वर का नाश करती है अग्नि को तीव्र करती है, वातरक्त और आमवात के लिये तो यह महा विनाशक है।
गिलोय के 6″ तने को लेकर कुचल ले उसमे 4 -5 पत्तियां तुलसी की मिला ले इसको एक गिलास पानी में मिला कर उबालकर इसका काढा बनाकर पीजिये। और इसके साथ ही तीन चम्मच एलोवेरा का गुदा पानी में मिला कर नियमित रूप से सेवन करते रहने से जिन्दगी भर कोई भी बीमारी नहीं आती। और इसमें पपीता के 3-4 पत्तो का रस मिला कर लेने दिन में तीन चार लेने से रोगी को प्लेटलेट की मात्रा में तेजी से इजाफा होता है प्लेटलेट बढ़ाने का इस से बढ़िया कोई इलाज नहीं है यह चिकन गुनियां ��ेंगू स्वायन फ्लू और बर्ड फ्लू में रामबाण होता है।
गैस, जोडों का दर्द ,शरीर का टूटना, असमय बुढापा वात असंतुलित होने का लक्षण हैं। गिलोय का एक चम्मच चूर्ण को घी के साथ लेने से वात संतुलित होता है ।
गिलोय का चूर्ण शहद के साथ खाने से कफ और सोंठ के साथ आमवात से सम्बंधित बीमारीयां (गठिया) रोग ठीक होता है।
गिलोय और अश्वगंधा को दूध में पकाकर नियमित खिलाने से बाँझपन से मुक्ति मिलती हैं।
गिलोय का रस और गेहूं के जवारे का रस लेकर थोड़ा सा पानी मिलाकर इस की एक कप की मात्रा खाली पेट सेवन करने से रक्त कैंसर में फायदा होगा।
गिलोय और गेहूं के ज्वारे का रस तुलसी और नीम के 5 – 7 पत्ते पीस कर सेवन करने से कैंसर में भी लाभ होता है।
क्षय (टी .बी .) रोग में गिलोय सत्व, इलायची तथा वंशलोचन को शहद के साथ लेने से लाभ होता है।
गिलोय और पुनर्नवा का काढ़ा बना कर सेवन करने से कुछ दिनों में मिर्गी रोग में फायदा दिखाई देगा।
एक चम्मच गिलोय का चूर्ण खाण्ड या गुड के साथ खाने से पित्त की बिमारियों में सुधार आता है और कब्ज दूर होती है।
गिलोय रस में खाण्ड डालकर पीने से पित्त का बुखार ठीक होता है। और गिलोय का रस शहद में मिलाकर सेवन करने से पित्त का बढ़ना रुकता है।
प्रतिदिन सुबह-शाम गिलोय का रस घी में मिलाकर या शहद गुड़ या मिश्री के साथ गिलोय का रस मिलकर सेवन करने से शरीर में खून की कमी दूर होती है।
गिलोय ज्वर पीडि़तों के लिए अमृत है, गिलोय का सेवन ज्वर के बाद टॉनिक का काम करता है, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। शरीर में खून की कमी (एनीमिया) को दूर करता है।
फटी त्वचा के लिए गिलोय का तेल दूध में मिलाकर गर्म करके ठंडा करें। इस तेल को फटी त्वचा पर लगाए वातरक्त दोष दूर होकर त्वचा कोमल और साफ होती है।
सुबह शाम गिलोय का दो तीन टेबल स्पून शर्बत पानी में मिलाकर पीने से पसीने से आ रही बदबू का आना बंद हो जाता है।
गिलोय के काढ़े को ब्राह्मी के साथ सेवन से दिल मजबूत होता है, उन्माद या पागलपन दूर हो जाता है, गिलोय याददाश्त को भी बढाती है।
गिलोय का रस को नीम के पत्ते एवं आंवला के साथ मिलाकर काढ़ा बना लें। प्रतिदिन 2 से 3 बार सेवन करे इससे हाथ पैरों और शरीर की जलन दूर हो जाती है।
मुंहासे, फोड़े-फुंसियां और झाइयो पर गिलोय के फलों को पीसकर लगाये मुंहासे, फोड़े-फुंसियां और झाइयां दूर हो जाती है।
गिलोय, धनिया, नीम की छाल, पद्याख और लाल चंदन इन सब को समान मात्रा में मिलाकर काढ़ा बना लें। इस को सुबह शाम सेवन करने से सब प्रकार का ज्वर ठीक होता है।
गिलोय, पीपल की जड़, नीम की छाल, सफेद चंदन, पीपल, बड़ी हरड़, लौंग, सौंफ, कुटकी और चिरायता को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण के एक चम्मच को रोगी को तथा आधा चम्मच छोटे बच्च�� को पानी के साथ सेवन करने से ज्वर में लाभ मिलता है।
गिलोय, सोंठ, धनियां, चिरायता और मिश्री को सम अनुपात में मिलाकर पीसकर चूर्ण बना कर रोजाना दिन में तीन बार एक चम्मच भर लेने से बुखार में आराम मिलता है।
गिलोय, कटेरी, सोंठ और अरण्ड की जड़ को समान मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर पीने से वात के ज्वर (बुखार) में लाभ पहुंचाता है।
गिलोय के रस में शहद मिलाकर चाटने से पुराना बुखार ठीक हो जाता है। और गिलोय के काढ़े में शहद मिलाकर सुबह और शाम सेवन करें इससे बारम्बार होने वाला बुखार ठीक होता है।गिलोय के रस में पीपल का चूर्ण और शहद को मिलाकर लेने से जीर्ण-ज्वर तथा खांसी ठीक हो जाती है।
गिलोय, सोंठ, कटेरी, पोहकरमूल और चिरायता को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर सुबह और शाम सेवन करने से वात का ज्वर ठीक हो जाता है।
गिलोय और काली मिर्च का चूर्ण सम मात्रा में मिलाकर गुनगुने पानी से सेवन करने से हृदयशूल में लाभ मिलता है। गिलोय के रस का सेवन करने से दिल की कमजोरी दूर होती है और दिल के रोग ठीक होते हैं।
गिलोय और त्रिफला चूर्ण को सुबह और शाम शहद के साथ चाटने से मोटापा कम होता है और गिलोय, हरड़, बहेड़ा, और आंवला मिला कर काढ़ा बनाइये और इसमें शिलाजीत मिलाकर और पकाइए इस का नियमित सेवन से मोटापा रुक जाता है।
गिलोय और नागरमोथा, हरड को सम मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना कर चूर्ण शहद के साथ दिन में 2 – 3 बार सेवन करने से मोटापा घटने लगता है।
बराबर मात्रा में गिलोय, बड़ा गोखरू और आंवला लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इसका एक चम्मच चूर्ण प्रतिदिन मिश्री और घी के साथ सेवन करने से संभोग शक्ति मजबूत होती है।
अलसी और वशंलोचन समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें, और इसे गिलोय के रस तथा शहद के साथ हफ्ते – दस दिन तक सेवन करे इससे वीर्य गाढ़ा हो जाता है।
लगभग 10 ग्राम गिलोय के रस में शहद और सेंधानमक (एक-एक ग्राम) मिलाकर, इसे खूब उबाले फिर इसे ठण्डा करके आंखो में लगाएं इससे नेत्र विकार ठीक हो जाते हैं।
गिलोय का रस आंवले के रस के साथ लेने से नेत्र रोगों में आराम मिलता है।
गिलोय के रस में त्रिफला को मिलाकर काढ़ा बना लें। इसमें पीपल का चूर्ण और शहद मिलकर सुबह-शाम सेवन करने से आंखों के रोग दूर हो जाते हैं और आँखों की ज्योति बढ़ जाती हैं।
गिलोय के पत्तों को हल्दी के साथ पीसकर खुजली वाले स्थान पर लगाइए और सुबह-शाम गिलोय का रस शहद के साथ मिलाकर पीने से रक्त विकार दूर होकर खुजली से छुटकारा मिलता है।
गिलोय के साथ अरण्डी के तेल का उपयोग करने से पेट की गैस ठीक होती है।
श्वेत प्रदर के लिए गिलोय तथा शतावरी का काढ़ा बनाकर पीने से लाभ होता है।गिलोय के रस में शहद मिलाकर सुबह-शाम चाटने से प्रमेह के रोग में लाभ मिलता है।
गिलोय के रस में मिश्री मिलाकर दिन में दो बार पीने से गर्मी के कारण से आ रही उल्टी रूक जाती है। गिलोय के रस में शहद मिलाकर दिन में दो ��ीन बार सेवन करने से उल्टी बंद हो जाती है।
गिलोय के तने का काढ़ा बनाकर ठण्डा करके पीने से उल्टी बंद हो जाती है।
6 इंच गिलोय का तना लेकर कुट कर काढ़ा बनाकर इसमे काली मिर्च का चुर्ण डालकर गरम गरम पीने से साधारण जुकाम ठीक होगा।
पित्त ज्वर के लिए गिलोय, धनियां, नीम की छाल, चंदन, कुटकी क्वाथ का सेवन लाभकारी है, यह कफ के लिए भी फायदेमंद है।
नजला, जुकाम खांसी, बुखार के लिए गिलोय के पत्तों का रस शहद मे मिलाकर दो तीन बार सेवन करने से लाभ होगा।
1 लीटर उबलते हुये पानी मे एक कप गिलोय का रस और 2 चम्मच अनन्तमूल का चूर्ण मिलाकर ठंडा ��ोने पर छान लें। इसका एक कप प्रतिदिन दिन में तीन बार सेवन करें इससे खून साफ होता हैं और कोढ़ ठीक होने लगता है।
गिलोय का काढ़ा बनाकर दिन में दो बार प्रसूता स्त्री को पिलाने से स्तनों में दूध की कमी होने की शिकायत दूर होती है और बच्चे को स्वस्थ दूध मिलता है।
एक टेबल स्पून गिलोय का काढ़ा प्रतिदिन पीने से घाव भी ठीक होते है।गिलोय के काढ़े में अरण्डी का तेल मिलाकर पीने से चरम रोगों में लाभ मिलता है खून साफ होता है और गठिया रोग भी ठीक हो जाता है।
गिलोय का चूर्ण, दूध के साथ दिन में 2-3 बार सेवन करने से गठिया ठीक हो जाता है।
गिलोय और सोंठ सामान मात्रा में लेकर इसका काढ़ा बनाकर पीने से पुराने गठिया रोगों में लाभ मिलता है।
गिलोय का रस तथा त्रिफला आधा कप पानी में मिलाकर सुबह-शाम भोजन के बाद पीने से घुटने के दर्द में लाभ होता है। गिलोय का रास शहद के साथ मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से पेट का दर्द ठीक होता है।
मट्ठे के साथ गिलोय का 1 चम्मच चूर्ण सुबह शाम लेने से बवासीर में लाभ होता है।गिलोय के रस को सफेद दाग पर दिन में 2-3 बार लगाइए एक-डेढ़ माह बाद असर दिखाई देने लगेगा ।
गिलोय का एक चम्मच चूर्ण या काली मिर्च अथवा त्रिफला का एक चम्मच चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
गिलोय की बेल गले में लपेटने से भी पीलिया में लाभ होता है। गिलोय के काढ़े में शहद मिलाकर दिन में 3-4 बार पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है। गिलोय के पत्तों को पीसकर एक गिलास मट्ठा में मिलाकर सुबह सुबह पीने से पीलिया ठीक हो जाता है।
गिलोय को पानी में घिसकर और गुनगुना करके दोनों कानो में दिन में 2 बार डालने से कान का मैल निकल जाता है। और गिलोय के पत्तों के रस को गुनगुना करके इस रस को कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है।
गिलोय का रस पीने से या गिलोय का रस शहद में मिलाकर सेवन करने से प्रदर रोग खत्म हो जाता है। या गिलोय और शतावरी क��� साथ साथ कूट लें फिर एक गिलास पानी में डालकर इसे पकाएं जब काढ़ा आधा रह जाये इसे सुबह-शाम पीयें प्रदर रोग ठीक हो जाता है।
गिलोय के रस में रोगी बच्चे का कमीज रंगकर सुखा लें और यह कुर्त्ता सूखा रोग से पीड़ित बच्चे को पहनाकर रखें। इससे बच्चे का सूखिया रोग जल्द ठीक होगा।
मात्रा : गिलोय को चूर्ण के रूप में 5-6 ग्राम, सत् के रूप में 2 ग्राम तक क्वाथ के रूप में 50 से 100 मि. ली.की मात्रा लाभकारी व संतुलित होती है।
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हर्बल के पोधे से किया जा सकता है कोरोना का इलाज | hurbal is best medicine of corona virus हर्बल से दूर भागेगा कोरोना? ICAR का दावा- मिल गए वो पौधे जिनका रस कर सकता है कोविड-19 का खात्मा विश्व मोहन, नई दिल्ली भारतीय वैज्ञानिकों ने कुछ हर्बल पौधों में ऐसे कम्पाउंड पाए हैं जिनसे कोरोना वायरस (Coronavirus) का इलाज किया जा सकता है। यह दावा हिसार के नैशनल रिसर्च सेंटर ऑन इक्वॉइन्स (NRCE) के वैज्ञानिकों का है। NRCE इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (ICAR) के तहत आने वाला संस्थान है। ICAR ने शुक्रवार को इस रिसर्च की फाइंडिग्स पर फॉर्मल नोट जारी किया। इससे वैज्ञानिकों के लिए कोविड-19 मरीजों के इलाज का कोई रास्ता निकल सकता है। NRCE के डेप्युटी डायरेक्टर जनरल (एनिमल साइंस) बीएन त्रिपाठी ने हमारे सहयोगी अखबार टीओआई को बताया कि यह ऐसी लीड है जिसने NRCE के साइंटिस्ट्स को कई वायरस के खिलाफ अच्छे नतीजे दिए हैं। हालांकि उन्होंने उन पौधों के बारे में इस वक्त बताने से मना कर दिया। त्रिपाठी ने कहा, 'इस वक्त मैं यही बता सकता हूं कि वे हर्बल प्लांट्स फिलहाल दे�� में कई आयुर्वेदिक दवाएं बनाने में इस्तेमाल हो रहे हैं।' कोरोना वायरस के शुरुआती मॉडल पर बेस्ड है रिसर्च नोट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के समय आपात स्थिति को देखते हुए ICAR-NRCE हिसार के वैज्ञानिकों ने कुछ नैचरल प्रॉडक्ट्स के असर का आंकलन किया। ये प्रॉडक्ट्स इंसानी इस्तेमाल के लिए सुरक्षित हैं और आमतौर पर खांसी-बुखार ठीक करने में यूज होते हैं। साइंटिस्ट्स ने चिकन कोरोना वायरस के इन्फेक्शन मॉडल का स्टडी में इस्तेमाल किया ताकि कुछ हर्बल पौधों के एंटीवायरल इफेक्ट को जांचा जा सके। चिकन कोरोना वायरस वो पहला कोरोना वायरस था जिसे 1930 में पहचाना गया। यह पॉउल्ट्री में गंभीर इन्फेक्शन पैदा करता है। #hurbal #corona_medicine #ayurved #covid19 Official website https://ift.tt/3hhPSPU My blog https://ift.tt/3efREiw
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लखनऊ 10 अप्रैल, 2022 - हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में Post COVID-19 Complication & Care के अंतर्गत "विश्व होम्योपैथी दिवस" के अवसर पर "निःशुल्क होम्योपैथिक परामर्श, निदान एवं दवा वितरण शिविर" का आयोजन ट्रस्ट के इंदिरा नगर सेक्टर - 25 स्थित कार्यालय में हुआ l शिविर का शुभारम्भ ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, शिविर के परामर्शदाता चिकित्सक डॉ० संजय कुमार राणा तथा डॉ० सुमित गुप्ता ने दीपप्रज्वलन करके किया l
ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी को विश्व होम्योपैथी दिवस और श्री राम नवमी की बधाई देते हुए कहा कि, दुनिया भर में 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस के रूप में मनाया जाता है l इस दिवस को मनाने का लक्ष्य है लोगों को होम्योपैथिक के प्रति जागरूक करना है l हाल के वर्षों में होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति तेजी से बढ़ रही है l होम्योपैथी यूनानी शब्द (homeopathy meaning) होमो से आया है जिसका अर्थ है समान और पैथोस जिसका अर्थ है दुःख या बीमारी l होम्योपैथी इलाज इस विश्वास पर आधारित है कि, शरीर खुद को ठीक कर सकता है l होम्योपैथी चिकित्सा की एक प्रणाली है, जो शरीर के अपने उपचार प्रतिक्रियाओं को ट्रिगर करने के सिद्धांत पर आधारित है l होम्योपैथी शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा को तेज करती है l वर्तमान में विश्व के 100 से अधिक देशों में होम्योपैथी से ईलाज हो रहा है l होम्योपैथी दुनिया में सबसे लोकप्रिय वैकल्पिक उपचारों में से एक है l ट्रस्ट द्वारा आयोजित निःशुल्क होम्योपैथिक शिविर का उद्देश्य होम्योपैथी के बारे में जागरूकता पैदा करना, इसकी पहुंच में सुधार करना और चिकित्सा प्रणाली को आधुनिक बनाना है ।
श्री अग्रवाल ने यह भी कहा कि, वर्तमान में होम्योपैथी दवाएं जटिल बीमारियों जैसे स्वाइन फ्लू, डेंगू, खसरा, चिकन पॉक्स, कालरा, दिमागी बुखार, गुर्दे में पथरी आदि बीमारियों से बचाव में कारगर हो रही हैं l दुनियाभर में एलोपैथी के बाद होम्योपैथी सबसे अधिक कारगर और पसंद की जानेवाली तथा प्रयोग में लायी जाने वाली चिकित्सा पद्धति है l होम्योपैथिक दवा सांस की बीमारी, पेट, त्वचा और मानसिक विकार जैसी पुरानी बीमारियों में भी प्राकृतिक समाधान प्रदान करती है l जो मरीज एलोपैथी और सर्जरी के जरिये जल्दी राहत चाहते हैं, वह केवल अपना आधा जीवन ही जीते हैं, किन्तु इसके विपरीत जो मरीज स्थायी सुधार के लिए होम्योपैथी को अपनाते हैं, वे पूर्ण जीवन का आनंद लेते हैं l
इस अवसर पर डॉ० संजय कुमार राणा ने कहा कि, वर्तमान समय में इंटरनेट का उपयोग बहुत बढ़ गया है और ऐसे में बहुत सारे लोग इंटरनेट पर जाकर होम्योपैथिक चिकित्सा का ज्ञान ले रहे हैं और इंटरनेट पर बहुत सारे लोग होम्योपैथिक चिकित्सा का ज्ञान दे भी रहे हैं l ऐसे में परेशानियां उनके साथ हो रही है जो स्वास्थ्य से पीड़ित है, क्योंकि हर मरीज इंटरनेट पर जाकर दवाई देख रहा है और बिना डॉक्टर की सलाह के दवाइयां खा रहा है l जबकि होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में दवाई एवं दवाइयों कि मात्रा का चुनाव मरीज के विचारों के आधार पर और मरीज की संवेदनशीलता के आधार पर होता है l होम्योपैथी चिक���त्सा पद्धति में दवाइयों का चुनाव भी व्यक्ति के व्यवहार उसकी प्यास, भूख, उसकी प्रकृति (ठंडा- गर्म), उसके तौर-तरीकों को देख कर की जाती है, जो की एक ही बीमारी से पीड़ित दो व्यक्तियों में अलग अलग हो सकती है l जब तक डॉक्टर मरीज को देख कर उसकी हिस्ट्री नहीं ले लेते मेडिसिन नहीं दी जा सकती है । डॉ० राणा ने लोगों से अपील की है कि, सब लोग ध्यान रखें इंटरनेट से जानकारी लेना ठीक है लेकिन इंटरनेट पर देख कर बिना डॉक्टर की सलाह के दवाई खाना अपने ही शरीर के साथ खिलवाड़ करना है ऐसे में शरीर में बहुत सारे बुरे बदलाव भी आ सकते हैं ।
होम्योपैथी शिविर में विभिन्न बीमारियों जैसे कि, सीने में दर्द होना, भूख न लगना, सांस फूलना, ह्रदय व गुर्दे की बीमारी, मधुमेह (Diabetes / Sugar), रक्तचाप (Blood Pressure), उलझन या घबराहट होना, पेट में दर्द होना, गले में दर्द होना, थकावट होना, पीलिया (Jaundice), थाइरोइड (Thyroid), बालों का झड़ना (Hair Fall) आदि से पीड़ित 39 रोगियों का वजन, रक्तचाप (Blood Pressure) तथा मधुमेह (Sugar-Random) की जांच की गयी l डॉ० संजय कुमार राणा तथा डॉ० सुमित गुप्ता ने परामर्श प्रदान किया तथा निःशुल्क होम्योपैथी दवा प्रदान की l महिलाएं, पुरुष, बुजुर्गों तथा बच्चों सभी उम्र के लोगों ने होम्योपैथी परामर्श लिया l ज्यादातर मरीज सांस लेने में तकलीफ और जोड़ों में दर्द की बिमारी से ग्रसित पाए गए l
इस अवसर पर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, ट्रस्ट के स्वयंसेवकों तथा डॉ० संजय कुमार राणा तथा डॉ० सुमित गुप्ता की टीम के सदस्य दिनकर दुबे, विष्णु, रमणसन तथा राहुल राणा की उपस्थिति रही l
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गुर्दे में पथरी होने लक्षण ,कारण और उपाय
गुर्दे में पथरी होने लक्षण
गुर्दे में पथरी होने लक्षण
गुर्दे की पथरी को ने खोली थी यह भी कहते हैं जो कि खनिजों और लवण से बनी होती है जिसका निर्माण मुख्य रूप से हमारी किडनी में होता है यह समस्या कई कारणों से हो सकती है और इसमें कई बार समय तक लाइलाज रहने से यह मूत्र तंत्र के उस हिस्से को प्रभावित करती है जो गुर्दे से मूत्राशय की तरफ जुड़ा हुआ होता है गुर्दे की पथरी में अपने ही कुछ विशेष लक्षण होते हैं जो इस समस्या के होने का संकेत दे��े हैं जिसमें की मुख्य है । गुर्दे में पथरी होने के विशेष लक्षण हैं जिसमें से की मुख्य है मूत्र करते समय दर्द का होना बार-बार मूत्र की शिकायत होना उल्टी का आना बुखार का होना मूत्र का रुक रुक कर होना तथा मूत्र में खून का आना भी हमारे गुर्दे में पथरी के संकेत देती है गुर्दे में पथरी होने के बहुत सारे कारण होते हैं जैसे की अधिक मात्रा में प्रोटीन नमक या ग्लूकोस युक्त डाइट का होना। किसी भी व्यक्ति को थायराइड की समस्या का होना उसके गुर्दे में पथरी होने की समस्या को उत्पन्न करती है।
गुर्दे में पथरी होने के कारण
किसी व्यक्ति का थायराइड का होना यदि किसी व्यक्ति को थायराइड की समस्या है तो उसके किडनी में स्टोन होने की समस्या हो सकती है तथा और वजह है वजन का अधिक होना गुर्दे में पथरी का होने के कारण कई बार हमारे व शरीर के वजन का ज्यादा होना भी होता है दूसरा बाईपास सर्जरी का कराना कई बार बाईपास सर्जरी के कराने के पश्चात हमारी किडनी में स्टोन होने की समस्या उत्पन्न हो जाती है। कई बार हमारे शरीर में डिहाइड्रेशन के होने की वजह से भी हमारे पथरी की समस्या पैदा हो सकती है ।
गुर्दे में पथरी के उपाय
हम अपने गुर्दे में पथरी का इलाज किस तरह से कर सकते हैं इसके मुख्य तरीके है पहला तरीका है देसी इलाज द्वारा गुर्दे की पथरी का इलाज करना कई देसी इलाज ओं के द्वारा भी किया जा सकता है इस स्थिति में भरपूर मात्रा में पानी का सेवन 1777 बार-बार पेशाब करने से किडनी स्टोन खुद ही निकल जाता है दूसरा तरीका है घरेलू नुस्खों को द्वारा इसके लिए देसी इलाज के साथ-साथ पथरी का उपचार कुछ घरेलू नुस्खों के द्वारा भी किया जाता है जिसमें नींबू के रस और ऑलिव ऑयल का सेवन किया जाता है इसके साथ में सेब के सिरके का बिल सेवन करके पर किडनी स्टोन को निकाला जाता है दवाई लेना कई बार किडनी स्टोन के उपचार में दवाई की भी सहायता साबित हो सकती है यह दवाइयां शरीर में पथरी को बढ़ने से रोकती हैं।
इसके अलावा और तरीका है थेरेपी करना गुर्दे की पथरी को थेरेपी लेना भी लाभदायक तरीका साबित हो सकता है क्योंकि इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है इसके बावजूद लोग थेरेपी को नहीं करते क्योंकि उन्हें इसकी पूर्ण जानकारी नहीं होती है उसके अलावा हम सर्जरी करने के साथ-साथ भी किडनी स्टोन को निकाल सकते हैं जब पथरी रोग का उपचार किसी भी तरीके से नहीं हो पाता तब डॉक्टर सर्जरी करके हमारे किडनी से स्टोन को सर्जिकल तरीके से निकाल देते हैं यह बहुत ही कारगर होता है|
अगर कोई व्यक्ति निम्नलिखित बातों का पालन करता है तो वह किडनी स्टोन से अपनी रक्षा कर सकता है जिसके लिए उसको भरपूर मात्रा में पानी का सेवन करना चाहिए पानी बहुत ज्यादा जरूरी है इसके लिए व्यक्ति को पानी के कम से कम 10 से 12 गिलास प्रतिदिन पीने चाहिए फ्रूट जूस को पीना चाहिए क्योंकि फ्रूट जूसर आपके शरीर को सरलता को बनाए रखते हैं कम नमक वाला भोजन करना गुर्दे की पथरी अधिक मात्रा में नमक वाला भोजन करने में भी होती है कई बार बहुत ज्यादा नमक वाला भोजन करने से भी गुर्दे में पथरी की समस्या उत्पन्न हो जाती है व्यक्ति को कम नमक वाला भोजन करना चाहिए ताकि उसे समस्या से छुटकारा मिल सके उसके अलावा कैल्शियम से भरपूर आहार का सेवन करना यदि कोई व्यक्ति अपने खाने में कैल्शियम से भरपूर आहार का सेवन करता है|
तो उसके लिए बहुत ज्यादा लाभदायक होता है उसके अलावा विटामिन सी वाले सप्लीमेंट से परहेज करना ऐसे रोगी को इन दवाइयों से परहेज करना चाहिए क्योंकि इससे आपकी गुरुदेव में उपस्थित पथरी की समस्या और ज्यादा बढ़ सकती है साथ ही साथ उच्च फास्फोरस वाले पदार्थों से भी बहुत परेश करना चाहिए इसमें चॉकलेट नेट कार्बोहाइड्रेट ड्रिंक्स दूध पनीर सोया सोया दही पासपोर्ट चिकन मांस आदि से परहेज करना चाहिए क्योंकि इन पदार्थों में बहुत अधिक मात्रा में फैट होता है बहुत ज्यादा मात्रा में प्रोटीन होता है जो कि परेशानी उत्पन्न कर सकता है साथ ही साथ आपको यह कोशिश करनी चाहिए कि आपके शरीर का वजन बहुत ज्यादा ना बड़े क्योंकि जहां पर हमारे भाई शरीर का वजन बढ़ने लगता है वहीं पर साथ ही साथ हमारे गुर्दे में पथरी होने की संभावना बढ़ जाती है । आप बहुत सारी सावधानियों को रखकर करके अब अपने शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं ।
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क्या है नमक के फायदे और नुकसान? – Salt Benefits and Side Effects in Hindi
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क्या है नमक के फायदे और नुकसान? – Salt Benefits and Side Effects in Hindi
क्या है नमक के फायदे और नुकसान? – Salt Benefits and Side Effects in Hindi Saral Jain Hyderabd040-395603080 November 29, 2019
एक चुटकी नमक हमारे भोजन का स्वाद ही बदल देता है या फिर यूं कहें कि बिना नमक के स्वादिष्ट भोजन बन ही नहीं सकता। क्या आप जानते हैं कि नमक की जितनी जरूरत स्वाद के लिए है, उससे कहीं ज्यादा हमारे स्वास्थ्य के लिए भी है। इस आर्टिकल में हम बात करेंगे नमक के फायदे के बारे में साथ ही हम आपको इसकी अधिक मात्रा के कारण होने वाले नमक के नुकसान से जुड़ी जानकारी भी देंगे। बेशक, सीमित मात्रा में नमक का सेवन करने से हम स्वस्थ रह सकते हैं, लेकिन गंभीर बीमारी की अवस्था में सिर्फ इस पर निर्भर रहना उचित नहीं है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूरी है।
आइए, आर्टिकल में सबसे पहले जानते हैं कि नमक कितने प्रकार का होता है।
विषय सूची
नमक कितने प्रकार के होते हैं? – Types of Salt in Hindi
नमक के प्रकार को मुख्य रूप से दो अलग-अलग भागों में बांटा गया है। पहला विभिन्न प्रक्रियाओं के तहत बनाया जाने वाला नमक और दूसरा प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला नमक। इनमें से प्रक्रिया के तहत बनने वाले नमक के प्रकार निम्न हैं (1):
सोलर नमक: सोलर नमक या सौर नमक समुद्री जल के पानी को खुले तालाबों में इकट्ठा करके बनाया जाता है। पानी को सूर्य की रोशनी में भाप बनाकर सुखा दिया जाता है और शेष पदार्थ नमक के रूप में बच जाता है।
शुद्ध नमक: शुद्ध नमक को प्यूरीफायर सॉल्ट भी कहा जाता है। इस नमक को बनाने के लिए एक ट्यूब के अंदर समुद्र के पानी को सुखा दिया जाता है। पानी के सूखने के बाद नमक बचा रह जाता है।
प्रोसीड नमक: इसे टेबल सॉल्ट के नाम से भी जाना जाता है। यह नमक मिनरल से रहित होता है और इसमें अन्य रसायनों को जोड़ा जाता है, जबकि प्राकृतिक नमक में इलेक्ट्रोलाइट जैसे कई मिनरल शामिल होते हैं।
प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले नमक निम्न प्रकार से हैं:
टेबल सॉल्ट
सी सॉल्ट
हिमालयन पिंक सॉल्ट
सेल्टिक सी सॉल्ट
फ्लेवर डी सॉल्ट
काला नमक
फ्लेक सॉल्ट
ब्लैक हवईन सॉल्ट
नमक के प्रकार जानने के बाद अब हम नमक से होने वाले विभिन्न फायदों के बारे में विस्तार से बात करते हैं।
नमक के फायदे – Benefits of Salt in Hindi
नमक को सोडियम क्लोराइड के रूप में जाना जाता है, जिसमें 40% सोडियम और 60% क्लोराइड हाेता है। नमक भाेजन के स्वाद को बढ़ाने के साथ ही उसको जल्दी खराब होने से रोकता है (2)। अगर नमक को सीमित मात्रा में खाया जाए, तो यह सेहत के लिए कई मायनों में फायदेमंद हो सकता है। नमक से होने वाले फायदे कुछ इस प्रकार हैं:
1. डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण) में मददगार नमक के फायदे
डायरिया व हैजा की स्थिति में शरीर डिहाइड्रेट हो जाता है। डिहाइड्रेशन की स्थिति में शरीर में पानी और मिनरल का स्तर कम हो जाता है। अगर इस समस्या को समय रहते दूर न किया जाए, तो किडनी पर असर पड़ सकता है। ऐसे में पानी में नमक और शक्कर को मिलाकर ओआरएस (ओरल रिहाड्रेशन सॉल्यूशन) घोल बनाया जाता है। यह घोल डायरिया की समस्या से राहत दिलाकर शरीर को हाइड्रेट कर सकता है (3)।
2. मसल दर्द (पैरों में दर्द) को दूर करने में कारगर
बुजुर्गों और एथलीटों में अक्सर पैर की मांसप���शियों में ऐंठन की समस्या हो जाती है। यह समस्या व्यायाम, उतार-चढ़ाव, गर्भावस्था, शरीर में इलेक्ट्रोलाइट के असंतुलन और नमक की कमी के कारण हो सकती है (4)।
खिलाड़ी जब खेलते हैं, तो उनके शरीर से अधिक पसीना निकलता है, जिस कारण से शरीर में नमक की मात्रा करीब 4-6 चम्मच के बराबर कम हो सकती है। ऐसे में उन खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए, जिनमें प्राकृतिक रूप से नमक होता है। ऐसे खाद्य पदार्थ ऐंठन की समस्या को कुछ कम कर सकते हैं (5)।
इसलिए, खिलाड़ियों को पानी में चौथाई चम्मच नमक मिलाकर पीने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, टमाटर का रस और अन्य स्पोर्ट्स ड्रिंक भी नमक की पूर्ती के अच्छे विकल्प हो सकते हैं (5)।
3. स्वस्थ दांतों के लिए नमक के फायदे
स्वस्थ मसूढ़े और मजबूत दांत सुंदरता की पहचान होते हैं। नमक का उपयोग कर दांतों को मजबूत और मसूढ़ों को स्वस्थ बनाया जा सकता है। इसमें पाए जाने वाले फ्लोराइड नामक पदार्थ में कैरोस्टेटिक गुण मौजूद होता है, जो कि दांतों को कमजोर होकर टूटने से रोकने में मदद कर सकता है (6)। इसके अलावा, नमक के पानी से कुल्ला करने पर मुंह के संक्रमण काे दूर करने में मदद मिल सकती है। नमक के पानी से कुल्ला करने पर दांतों पर प्लाक का कारण बनने वाले बैक्टीरिया साफ हो जाते हैं। ये प्लाक दांतों की सड़न और मसूड़ों की बीमारी का मुख्य कारण हैं (7)।
4. गले में खराश को दूर करने के लिए नमक के उपाय
गलें में खराश या फिर सूजन की समस्या खाना खाने से लेकर पानी पीने और बात करने में परेशानी पैदा कर सकती है। ऐसे में नमक के पानी से गरारा करना फायदेमंद साबित हो सकता है। दिन में कई बार गुनगुने नमक के पानी (आधा चम्मच नमक और 1 कप पानी) से गरारे इस समस्या को दूर करने में मदद कर सकते हैं। माना जाता है कि नमक में कई ऐसे गुण पाए जाते हैं, जो गले की सूजन को दूर करने के साथ ही गले में होने वाले दर्द से कुछ राहत दिलाने में कारगर हो सकता है (8)।
5. सिस्टिक फाइब्रोसिस (Cystic fibrosis) को दूर करने में कारगर
सिस्टिक फाइब्रोसिस एक वंशानुगत बीमारी है, जो मुख्य रूप से फेफड़ों और पाचन तंत्र में समस्या पैदा करती है। यह बीमारी अक्सर नमक की कमी के कारण होती है या फिर ये कहें कि इसके कारण शरीर से सोडियम क्लोराइड निकल जाता है। नमक और नमकीन पदार्थ जिनमें सोडियम क्लोराइड मौजूद होता है। शरीर में इन दोनों की भरपाई करने में मदद कर सकते हैं और कुछ हद तक इस समस्या के जोखिमों को कम कर सकते हैं, लेकिन इसको पूरी तरह से ठीक करने के लिए चिकित्सक की सलाह और उपचार जरूरी है (9) (10)।
6. साइनस (Sinus) से छुटकारा दिलाने के लिए नमक के उपाय
सिर व चेहरे के अंदरूनी भाग में कुछ खोखले छिद्र (कैविटीज) मौजूद होते हैं, जिन्हें वायुविवर या फिर साइनस कहा जाता है। ये छिद्र सांस लेने में हमारी मदद करते हैं। इन छिद्रों में किसी प्रकार की रुकावट आने पर साइनस (Sinus) की समस्या हो सकती है । इससे बुखार, कमजोरी, थकान व खांसी की समस्या भी हो सकती है (11)। इस समस्या को दूर करने के लिए नमक के पानी का उपयोग कर सकते हैं। इसे सालिन सॉल्यूशन (saline solutions) कहा जाता है। यह इस संक्रमण से होने वाली सूजन को कम करके बलगम को निकलने में मदद कर सकता है, लेकिन नमक का पानी साइनस की समस्या में कितना प्रभावी साबित हो सकता है, इस बारे में अभी और शोध की जरूरत है (12)।
नमक खाने के फायदे को जानने के बाद अब पता करते हैं कि नमक की मात्रा कम या ज्यादा होने पर क्या हो सकता है।
अगर आप कम नमक लेते हैं, तो क्या होता है?
नमक खाने के फायदे तो आपने ऊपर पढ़ ही लिए हैं, लेकिन नमक के कम सेवन से रक्त में हाइपोनेट्रेमिया (सोडियम का निम्न स्तर) की समस्या हो सकती है। इससे सिरदर्द, जी मिचलाना, उल्टी, थकान, ऑस्टियोपोरोसिस, सुस्ती, बेहोशी और ब्रेन डैमेज जैसी परेशानियां हो सकती हैं (13)। गंभीर मामलों में शरीर में नमक के रूप में सोडियम का निम्न स्तर आघात, कोमा और मृत्यु का कारण बन सकता है (14)।
क्या होता है अगर आप बहुत ज्यादा नमक लेते हैं?
नमक के नुकसान तब दिखाई देते हैं, जब इसका सेवन अधिक मात्रा में किया जाता है। इससे हाइपरनेटरमिया नामक समस्या हो जाती है, जिसके चलते शरीर में सोडियम और पानी की अधिकता हो सकती है। सोडियम की सामान्य से मात्रा 158-160 mmol/liter होती है (15)। इससे अधिक मात्रा कई समस्याओं का कारण बन सकती है। इस स्थिति में ह्रदय गति का रुक जाना, गुर्दे की पथरी के साथ गुर्दे की अन्य समस्याओं का होना, आघात, आमाशय (पेट) का कैंसर, हृदय की मांसपेशियों का मोटा होना और हड्डियों की कमजोरी ये आम समस्याएं हैं (14)। नमक के अधिक मात्रा में सेवन से जो जटिल समस्याएं हो सकती हैं, उसके बारे में हम आपको आगे अर्टिकल में विस्तार से बताएंगे।
यहां पर हम आपको बता रहे हैं, अतिरिक्त नमक के सेवन होने वाली कुछ प्रमुख समस्याओं के बारे में।
अतिरिक्त नमक सेवन करने से क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं?
अतिरिक्त नमक के सेवन से स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकतीं हैं। इसकी मात्रा अधिक होने पर होने वाली समस्याएं इस प्रकार हैं :
ऑस्टियोपोरोसिस : ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या हड्डियों की कमजोरी की वजह से होती है। नमक का सेवन अधिक मात्रा में करने से शरीर में कैल्शियम की कम होने लगती है। वहीं, कैल्शियम की कमी होने से हड्डियों के कमजोरी होने की समस्या का सामना करना पड़ता है और ऑस्टियोपोरोसिस का सामना करना पड़ता है (2)। साथ ही ज्यादा नमक के सेवन से हाइपरटेंशन की समस्या हो सकती है और इस कारण से भी ऑस्टियोपोरोसिस का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, भोजन में सोडियम की मात्रा संतुलित रहनी चाहिए (16), (17) ।
किडनी की समस्याएं: माना जाता है कि अधिक नमक के सेवन से उच्च रक्तचाप होता है और इस अवस्था में कैल्शियम के अणु हड्डियों के मिनरल्स से निकलकर धीरे-धीरे किडनी में जमा हो जाते हैं। फिर समय के साथ ये अणु किडनी और मूत्रमार्ग में पथरी का कारण बन जाते हैं (16)।
इसलिए, उच्च रक्तचाप की समस्या से जूझ रहे लोग अक्सर क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) से पीड़ित रहते हैं। यह समस्या शरीर में अतिरिक्त सोडियम की मात्रा को कम नहीं कर पाने के कारण होती है। सीकेडी और अन्य गुर्दे की बीमारियों को दूर करने के लिए दिन में 4 हजार मिलीग्राम से कम सोडियम का सेवन करने के लिए कहा जाता है (17)।
हृदय की समस्या: नमक की अधिक मात्रा लेने से उच्च रक्तचाप का खतरा बढ़ सकता है, जो हृदय रोग के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक माना जाता है (16)। इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिसिन और अन्य शोधकर्ताओं ने शोध में पाया कि सोडियम का कम सेवन रक्तचाप को कम करता है। जापान में हुए एक अध्ययन में भी पाया गया है कि नमक का कम सेवन उच्च रक्तचाप और स्ट्रोक से होने वाली मृत्यु दर को कम कर सकता है (2) (18) (16)। साथ ही अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि नमक के कम सेवन से हृदय रोग का खतरा कम हो सकता है।
पेट का कैंसर: नमक पेट की त्वचा को नुकसान पहुंचाता है और घावों का कारण बन सकता है, जिससे पेट का कैंसर हो सकता है। पेट में सोडियम की अधिक मात्रा गैस्ट्रिक म्यूकोसल कोशिकाओं में सूजन को बढ़ा सकती है। इससे गैस्ट्रिक कैंसर होने की आशंका बढ़ सकती है। इसके अलावा, नमक हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (Helicobacter pylori) नामक बैक्टीरिया के साथ संक्रमण को भी बढ़ा सकता है, जाे पेट की त्वचा को नुकसान पहुंचाता है। इससे पेट के कैंसर के साथ ही गैस्ट्रिक कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है (19) (2)।
नमक की अधिक मात्रा से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में जानने के बाद अब हम कुछ नमकीन खाद्य पदार्थों के बारे में जान लेते हैं।
कौन-कौन से खाद्य पदार्थों में नमक/सोडियम की मात्रा ज्यादा होती है?
नमक या सोडियम की अच्छी मात्रा वाले खाद्य पदार्थों में ब्रेड रोल, पिज्जा, सैंडविच, सूप, चिकन, पनीर और ऑमलेट शामिल है (20)।
दोस्तों, आपने देखा कि भोजन के स्वाद को बढ़ाने वाले नमक की संत��लित मात्रा हमारे लिए किस प्रकार से फायदेमंद हो सकती है। वैसे तो नमक के टोटके कई समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन गंभीर समस्या का इलाज तो चिकित्सक ही कर सकता है। फिर भी नमक के फायदे के बारे में तो आपने ऊपर पढ़ ही लिया कि किस प्रकार से नमक के गुण आपको कई गंभीर परेशानियों में काफी हद तक राहत दिला सकते हैं। अगर आप भोजन में नमक जरूरत से कम या ज्यादा खाते हैं, तो आज से ही इसकी मात्रा को संतुलित कर नमक खाने के फायदे ले सकते हैं। नमक के ऊपर लिखा यह आर्टिकल आपके लिए किस प्रकार से फायदेमंद हुआ, नीचे दिए कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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Saral Jain
सरल जैन ने श्री रामानन्दाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, राजस्थान से संस्कृत और जैन दर्शन में बीए और डॉ. सी. वी. रमन विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ से पत्रकारिता में बीए किया है। सरल को इलेक्ट्रानिक मीडिया का लगभग 8 वर्षों का एवं प्रिंट मीडिया का एक साल का अनुभव है। इन्होंने 3 साल तक टीवी चैनल के कई कार्यक्रमों में एंकर की भूमिका भी निभाई है। इन्हें फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी, एडवंचर व वाइल्ड लाइफ शूट, कैंपिंग व घूमना पसंद है। सरल जैन संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी व कन्नड़ भाषाओं के जानकार हैं।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/namak-ke-fayde-aur-nuksan-in-hindi/
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दिव्यांका और विवेक ने हॉस्पिटल में सेलिब्रेट की अपनी वेडिंग ऐनिवर्सरी, फैमिली ने दिया सरप्राइज!
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दिव्यांका और विवेक ने हॉस्पिटल में सेलिब्रेट की अपनी वेडिंग ऐनिवर्सरी, फैमिली ने दिया सरप्राइज!
टीवी की पॉपुलर एक्ट्रेस दिव्यांका त्रिपाठी पति विवेक दहिया के साथ मकाउ में छुटि्टयां मनाने गई थीं । इस कपल की मकाउ से कुछ तस्वीरें भी सामने आई थीं । दिव्यांका और विवेक टीवी इंडस्ट्री के फेवरेट कपल्स में से एक हैं। बता दे की टीवी एक्ट्रेस दिव्यांका त्रिपाठी और विवेक दहिया 8 जुलाई को अपनी शादी की तीसरी सालगिरह मना रहे हैं। कुछ दिनों पहले ही ये कपल मकाउ में रोमांटिक वेकेशन एंजॉय कर वापिस लौटे हैं। लेकिन वहां से आने के बाद विवेक की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया। हाल ही में अस्पताल में ही दोनों ने अपनी मैरिज एनिवर्सरी सेलिब्रेट की।
बता दे की मकाउ से आने के अगले दिन ही विवेक को बुखार हो गया था। इसके बाद उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया था, जहां उनकी आंतों में इंफेक्शन पाया गया। इसके बाद विवेक को पूरी तरह से बेड रेस्ट की सलाह दी गई थी। हालांकि, अब विवेक की तबीयत में सुधार है, लेकिन हॉस्पिटल से छुट्टी नहीं मिलने की वजह से दोनों ने वहीं अपनी एनिवर्सरी सेलिब्रेट की।
विवेक की फैमिली ने उन्हें सरप्राइज दिया और दोनों के लिए अस्पताल में ही केक लेकर आए। दिव्यांका ने इस सेलिब्रेशन की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की हैं। पहली तस्वीर में दिव्यांका और विवेक हाई-फाइव कर रहे हैं, तो ���हीं दूसरी तस्वीर में कपल फैमिली के साथ नजर आ रहे हैं। तस्वीरें शेयर करते हुए दिव्यांका ने लिखा- ‘यूनिक एनीवर्सरी…जब फैमिली हमें सरप्राइज देने के लिए चुपके से केक लेकर आई। जब विव (विवेक) और मैंने केक की बजाय एक-दूसरे को हाई-फाइव किया।’ दिव्यांका और विवेक जल्द ही डांस रियलिटी शो ‘नच बलिए’ को होस्ट करते नजर आएंगे।
इससे पहले दिव्यांका ‘द वॉइस 3’ को होस्ट करती नजर आई थीं। इसके अलावा वह वेब पर भी डेब्यू कर चुकी हैं। दिव्यांका ने ‘कोल्ड लस्सी और चिकन मसाला’ नाम से एक वेब सीरीज की थी। बता दें कि दिव्यंका और विवेक की शादी 8 जुलाई 2016 को भोपाल में हुई थी। दोनों पहली बार ‘ये हैं मोहब्बतें’ के सेट पर मिले थे। यह इस कपल की तीसरी वेडिंग ऐनिवर्सरी है। दिव्यंका को फिलहाल ‘ये है मोहब्बतें’ में इशिता का रोल निभा रही हैं, जबकि विवेक आखिरी बार ‘क़यामत की रात’ में नज़र आए थे।
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Global Handwashing Day – बहुत जरूरी है हाथों की सफार्इ, वरना खानी पड़ेगी दवार्इ
हर साल 15 अक्टूबर को ग्लोबल हैंडवाशिंग डे मनाया जाता है, इसका उद्देश्य लाेगाें में साबुन से हाथ धोने के स्वास्थ्य लाभाें के प्रति जागरूकता और समझ में वृद्धि करना है। ग्लोबल हैंडवाशिंग पार्टनरशिप द्वारा 2008 में ग्लोबल हैंडवाशिंग डे की शुरूआत कि गर्इ थी। इसके जरिए लाेगाें को रचनात्मक तरीकों से समय-समय पर हाथ धाेने के लिए प्राेत्साहित किया जाता है, जैसे बाथरूम इस्तेमाल करने पर, खाना बनाने से पहले, बनाते समय अाैर बनाने के बाद इत्यादि।
स्वास्थ्य की दृष्टि से हाथाें की सफार्इ रखना हमारे लिए बेहद जरूरी हैं। क्योंकि शरीर में फैलने वाले अधिकतर संक्रमण हाथाें से शरीर में पहुंचते है। आइए तो जानते उन कुछ खास कारणाें के बारे में जो बताते हैं क्यों हाथ धोना है जरूरी …
बीमारियाें का खतरा कम
– नियमित हाथ धाेने से दस्त अाैर निमोनिया सहित कर्इ बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।यूनिसेफ के अनुसार, एक शोध से पता चलता है कि शौचालय का उपयोग करने और खाने से पहले साबुन के साथ अपने हाथ धोने वाले बच्चे दस्त होने का खतरा 40 प्रतिशत से अधिक तक कम कर सकते हैं।
स्वस्थ रहने में मददगार
– रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) का कहना है कि लोगों को हाथ धोने के बारे में सिखाने से उन्हें और उनके समुदायों को स्वस्थ रहने में मदद मिलती है। अच्छी हाथ स्वच्छता एचआईवी वाले लोगों में दस्त से बीमारी को 58 फीसदी तक कम कर सकती है। इसके साथ सर्दी के कारण हाेने वाले बुखार, जुकाम को कम कर सकती है।
रूकता है राेगाणुआें का प्रसार
– जीवाणु और वायरस जैसे रोगाणु सूक्ष्मदर्शी होते हैं और नग्न आंखों से नहीं देखे जा सकते हैं। वे सेल फोन और आपके टूथब्रश जैसी वस्तुओं सहित हर जगह पाए जा सकते हैं, और जब आप उन्हें स्पर्श करते हैं तो उन्हें आपके हाथों में स्थानांतरित किया जा सकता है। लेकिन, आपकी हाथ धाेने की नियमित आदत उन्हें नष्ट कर फैलने से रोक सकती है।
त्वचा संक्रमण पर राेक
– खसरा, चिकन पॉक्स, चकत्ते, एक्जिमा इत्यादि सहित त्वचा संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए हैंडवाशिंग सबसे अच्छा तरीका है। सुनिश्चित करें कि आप खाने से पहले या किसी ऑब्जेक्ट को छूने से पहले साबुन का उपयोग करके अपने हाथों को साफ पानी से धो लें।
सेप्सिस से बचाव
– अच्छी हाथ स्वच्छता सेप्सिस को रोकने में मदद कर सकती है, इसका संक्रमण जानलेवा भी हो सकता है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, सेप्सिस वैश्विक स्तर पर 6 मिलियन मौतों का कारण बन सकता है – जिनमें से अधिकांश रोकथाम योग्य हैं। हाथाें की सफार्इ से इसे काफी हद तक रोका जा सकता है।
हैंडवाशिंग कर्इ तरह संक्रमण अाैर बीमारी को फैलने से रोकने मदद करता है। खासकर खाने-पीने में हाथ की सफार्इ का विशेष ध्यान रखना चाहिए।ताकि अनचाही बीमारियों से बचा जा सके। इसलिए ग्लोबल हैंडवाशिंग दिवस के अवसर पर आप भी अपने आस पास के लाेगाें को हाथाें की सफार्इ रखने के लिए प्राेत्साहित करें।
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