#चांदीखरीदनेकीभीप्रथा
Explore tagged Tumblr posts
Link
धनतेरस इस बार दो दिन पड़ रहा है -
धनतेरस इस बार ऐसा सयोग है की दो दिन मनाया जायेगा | 12 नवंबर को शाम से और 13 नवंबर तक मनाया जायेगा |पुराने लोग तो जानते होंगे की ये पर्व क्यों मनाया जाता है और इसकी महत्ता क्या है |लेकिन हो सकता है की नयी पीढ़ी को इसके बारे में ज्यादा मालूम न हो |धनतेरस को 'धन्य तेरस' या 'ध्यान तेरस' भी कहते हैं| भगवान महावीर इस दिन तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिये योग निरोध के लिये चले गये थे। तीन दिन के ध्यान के बाद योग निरोध करते हुये दीपावली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुये। तभी से यह दिन धन्य तेरस के नाम से जाना जाता है |
धनतेरस के दिन चाँदी और बर्तन खरीदने की परम्परा है -
धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है| जिसके सम्भव न हो पाने पर लोग चांदी के बने बर्तन खरीदते हैं। इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में सन्तोष रूपी धन का वास होता है। संतोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है। जिसके पास संतोष है वह स्वस्थ है, सुखी है, और वही सबसे धनवान है। भगवान धन्वन्तरि जो चिकित्सा के देवता भी हैं।
धनतेरस के बारे और भी कहावते है -
धन्वन्तरि देवताओं के चिकित्सक हैं|धन्वन्तरि जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरि चूंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। कहीं कहीं लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है। इस अवसर पर लोग धनिया के बीज खरीद कर भी घर में रखते हैं। दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं|धनतेरस की शाम घर ��े बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है। इस ��्रथा के पीछे एक लोककथा है।
कथा के अनुसार किसी समय में एक राजा थे जिनका नाम हेम था। दैव कृपा से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। ज्योंतिषियों ने जब बालक की कुण्डली बनाई तो पता चला कि बालक का विवाह जिस दिन होगा उसके ठीक चार दिन के बाद वह मृत्यु को प्राप्त होगा। राजा इस बात को जानकर बहुत दुखी हुआ और राजकुमार को ऐसी जगह पर भेज दिया जहां किसी स्त्री की परछाई भी न पड़े। दैवयोग से एक दिन एक राजकुमारी उधर से गुजरी और दोनों एक दूसरे को देखकर मोहित हो गये और उन्होंने गन्धर्व विवाह कर लिया। धनतेरस के दिन दीप जलाकर भगवान धन्वन्तरि की पूजा करें। भगवान धन्वन्तरि से स्वास्थ और सेहतमंद बनाये रखने हेतु प्रार्थना करें। चांदी का कोई बर्तन या लक्ष्मी गणेश अंकित चांदी का सिक्का खरीदें। नया बर्तन खरीदें जिसमें दीपावली की रात भगवान श्री गणेश व देवी लक्ष्मी के लिए भोग चढ़ाएं। कहा जाता है कि समुद्र मन्थन के दौरान भगवान धन्वन्तरि और मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था, यही वजह है कि धनतेरस को भगवान धनवंतरी और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है । धनतेरस दिवाली के दो दिन पहले मनाया जाता है|
#संतोष को सबसे बड़ा धन#12नवंबर#13 नवंबर#dhanteras#dhanteraskyumanatehai#dhanterasparvkimahtta#dhanteras2020#चन्द्रमाकाप्रतीक#चाँदीऔरबर्तन#चांदीखरीदनेकीभीप्रथा#दीपावली#धनतेरस#धनतेरसइसबारदोदिनपड़रहा#धन्यतेरस#ध्यानतेरस#पर्वक्योंमनायाजाता#बर्तनखरीदनेकीपरम्परा#भगवानमहावीर
1 note
·
View note
Photo
धनतेरस इस बार दो दिन पड़ रहा है -
धनतेरस इस बार ऐसा सयोग है की दो दिन मनाया जायेगा | 12 नवंबर को शाम से और 13 नवंबर तक मनाया जायेगा |पुराने लोग तो जानते होंगे की ये पर्व क्यों मनाया जाता है और इसकी महत्ता क्या है |लेकिन हो सकता है की नयी पीढ़ी को इसके बारे में ज्यादा मालूम न हो |धनतेरस को 'धन्य तेरस' या 'ध्यान तेरस' भी कहते हैं| भगवान महावीर इस दिन तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिये योग निरोध के लिये चले गये थे। तीन दिन के ध्यान के बाद योग निरोध करते हुये दीपावली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुये। तभी से यह दिन धन्य तेरस के नाम से जाना जाता है |
धनतेरस के दिन चाँदी और बर्तन खरीदने की परम्परा है -
धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है| जिसके सम्भव न हो पाने पर लोग चांदी के बने बर्तन खरीदते हैं। इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में सन्तोष रूपी धन का वास होता है। संतोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है। जिसके पास संतोष है वह स्वस्थ है, सुखी है, और वही सबसे धनवान है। भगवान धन्वन्तरि जो चिकित्सा के देवता भी हैं।
धनतेरस के बारे और भी कहावते है -
धन्वन्तरि देवताओं के चिकित्सक हैं|धन्वन्तरि जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरि चूंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। कहीं कहीं लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है। इस अवसर पर लोग धनिया के बीज खरीद कर भी घर में रखते हैं। दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं|धनतेरस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है। इस प्रथा के पीछे एक लोककथा है।
कथा के अनुसार किसी समय में एक राजा थे जिनका नाम हेम था। दैव कृपा से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। ज्योंतिषियों ने जब बालक की कुण्डली बनाई तो पता चला कि बालक का विवाह जिस दिन होगा उसके ठीक चार दिन के बाद वह मृत्यु को प्राप्त होगा। राजा इस बात को जानकर बहुत दुखी हुआ और राजकुमार को ऐसी जगह पर भेज दिया जहां किसी स्त्री की परछाई भी न पड़े। दैवयोग से एक दिन एक राजकुमारी उधर से गुजरी और दोनों एक दूसरे को देखकर मोहित हो गये और उन्होंने गन्धर्व विवाह कर लिया। धनतेरस के दिन दीप जलाकर भगवान धन्वन्तरि की पूजा करें। भगवान धन्वन्तरि से स्वास्थ और सेहतमंद बनाये रखने हेतु प्रार्थना करें। चांदी का कोई बर्तन या लक्ष्मी गणेश अंकित चांदी का सिक्का खरीदें। नया बर्तन खरीदें जिसमें दीपावली की रात भगवान श्री गणेश व देवी लक्ष्मी के लिए भोग चढ़ाएं। कहा जाता है कि समुद्र मन्थन के दौरान भगवान धन्वन्तरि और मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था, यही वजह है कि धनतेरस को भगवान धनवंतरी और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है । धनतेरस दिवाली के दो दिन पहले मनाया जाता है|
#संतोषकोसबसेबड़ाधन#भगवानमहावीर#बर्तनखरीदनेकीपरम्परा#पर्वक्योंमनायाजाता#ध्यानतेरस#धन्यतेरस#धनतेरसइसबारदोदिनपड़रहा#धनतेरस#दीपावली#चांदीखरीदनेकीभीप्रथा#चाँदीऔरबर्तन#चन्द्रमाकाप्रतीक#dhanteras2020#dhanterasparvkimahtta#dhanteraskyumanatehai#dhanteras#13 नवंबर#12नवंबर
1 note
·
View note
Text
धनतेरस क्यों मनाते है ?
धनतेरस इस बार दो दिन पड़ रहा है -
धनतेरस इस बार ऐसा सयोग है की दो दिन मनाया जायेगा | 12 नवंबर को शाम से और 13 नवंबर तक मनाया जायेगा |पुराने लोग तो जानते होंगे की ये पर्व क्यों मनाया जाता है और इसकी महत्ता क्या है |लेकिन हो सकता है की नयी पीढ़ी को इसके बारे में ज्यादा मालूम न हो |धनतेरस को 'धन्य तेरस' या 'ध्यान तेरस' भी कहते हैं| भगवान महावीर इस दिन तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिये योग निरोध के लिये चले गये थे। तीन दिन के ध्यान के बाद योग निरोध करते हुये दीपावली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुये। तभी से यह दिन धन्य तेरस के नाम से जाना जाता है |
धनतेरस के दिन चाँदी और बर्तन खरीदने की परम्परा है -
धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है| जिसके सम्भव न हो पाने पर लोग चांदी के बने बर्तन खरीदते हैं। इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में सन्तोष रूपी धन का वास होता है। संतोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है। जिसके पास संतोष है वह स्वस्थ है, सुखी है, और वही सबसे धनवान है। भगवान धन्वन्तरि जो चिकित्सा के देवता भी हैं।
धनतेरस के बारे और भी कहावते है -
धन्वन्तरि देवताओं के चिकित्सक हैं|धन्वन्तरि जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरि चूंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। कहीं कहीं लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है। इस अवसर पर लोग धनिया के बीज खरीद कर भी घर में रखते हैं। दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं|धनतेरस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है। इस प्रथा के पीछे एक लोककथा है।
कथा के अनुसार किसी समय में एक राजा थे जिनका नाम हेम था। दैव कृपा से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। ज्योंतिषियों ने जब बालक की कुण्डली बनाई तो पता चला कि बालक का विवाह जिस दिन होगा उसके ठीक चार दिन के बाद वह मृत्यु को प्राप्त होगा। राजा इस बात को जानकर बहुत दुखी हुआ और राजकुमार को ऐसी जगह पर भेज दिया जहां किसी स्त्री की परछाई भी न पड़े। दैवयोग से एक दिन एक राजकुमारी उधर से गुजरी और दोनों एक दूसरे को देखकर मोहित हो गये और उन्होंने गन्धर्व विवाह कर लिया। धनतेरस के दिन दीप जलाकर भगवान धन्वन्तरि की पूजा करें। भगवान धन्वन्तरि से स्वास्थ और सेहतमंद बनाये रखने हेतु प्रार्थना करें। चांदी का कोई बर्तन या लक्ष्मी गणेश अंकित चांदी का सिक्का खरीदें। नया बर्तन खरीदें जिसमें दीपावली की रात भगवान श्री गणेश व देवी लक्ष्मी के लिए भोग चढ़ाएं। कहा जाता है कि समुद्र मन्थन के दौरान भगवान धन्वन्तरि और मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था, यही वजह है कि धनतेरस को भगवान धनवंतरी और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है । धनतेरस दिवाली के दो दिन पहले मनाया जाता है|
पूरा जानने के लिए -https://bit.ly/2UkIedC
#12नवंबर#13 नवंबर#dhanteras#dhanteraskyumanatehai#dhanterasparvkimahtta#dhanteras2020#चन्द्रमाकाप्रतीक#चाँदीऔरबर्तन#चांदीखरीदनेकीभीप्रथा#दीपावली#धनतेरस#धनतेरसइसबारदोदिनपड़रहा#धन्यतेरस#ध्यानतेरस#पर्वक्योंमनायाजाता#बर्तनखरीदनेकीपरम्परा#भगवानमहावीर#संतोषकोसबसेबड़ाधन
1 note
·
View note