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#चलते चलते थक जाना नहीं
writerss-blog · 1 year
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चलते चलते थक जाना नहीं
चलते चलते थक जाना नहीं मंजिल दूर है मुसाफिर, अपने पांव के छालों पर नजर मत डालो अभी चलना है बाकी । जब कोई पेड़ की छाया मिले कुछ पल रुक जाना, याद करना अपने मंजिल को फिर चलते जाना । तेरी किस्मत तेरे कर्मों की गवाह बनेगी जब तेरी मंजिल तेरी खुशियों की सौगात बनेगी ।।
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livenews24x7hindi · 2 months
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मानसून में यहां जमीन पर उतर आते हैं बादल... पहाड़ों की रानी के नाम से मशहूर है ये जगह, खूबसूरती देख दंग रह जाएंगे आप
अगर आप दिल्ली की गर्मी से थक चुके हैं और ठंडी हवा का मजा लेना चाहते हैं, तो आपको उत्तराखंड के इस खूबसूरत हिल स्टेशन पर जरूर जाना चाहिए। आइए जानते हैं कि इस मानसून सीजन में बादलों को देखने के लिए मसूरी में कहां जाएं? बारिश के मौसम में घूमने का अपना एक अलग ही मजा है, चारों तरफ हरियाली ही हरियाली नजर आती है। हालांकि दिल्ली नोएडा में अभी भी बारिश नहीं हो रही है, जिसके चलते लोगों को चिपचिपी गर्मी का…
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fluttercorner · 3 years
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Best 350+ Best Shayari on Life,Shayari on Life in Hindi
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Hello Guys! how are you all? We hope all of you are fine तो आज हम आपके लिए लाये है एक new article जिसका नाम है shayari on life, best shayari on life, shayari on life in hindi, hindi shayari on life, zindagi shayari तो अगर आप ये आर्टिकल का नाम google पे search करते है तो आपको हमारा ये article का big collection देखने मिलेगा।  तो आप इस  पोस्ट को अपने friends,realetives को share कर सकते है। तो आपको हमारा ये article पसंद आए तो इस article के सब thoughts पढियेगा और इस thoughts को facebook पर भी share करियेगा। तो चलिए अब बिना time waste किये शरू करते है हमारा ये article.
Shayari on Life
जिंदगी में क्यों भरोसा करते हो गैरों 😏 पर, जब चलना है अपने ही पैरों 👣 पर।
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Shayari on Life in Hindi
‪‎शतरंज‬ खेल रही है मेरी ‪जिंदगी‬ कुछ इस तरह, कभी तेरी मोहब्बत मात देती है कभी मेरी ‪किस्मत‬।
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Best Shayari on Life
जो पढ़ा है उसे जीना ही नहीं है मुमकिन, ज़िंदगी को मैं किताबों से अलग रखता हूँ।
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Hindi Shayari on Life
जिंदगी की हकीकत को बस हमने इतना ही जाना है, दर्द में अकेले हैं और खुशियों में सारा जमाना है।
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Shayari on Life in Hindi
जो लम्हा साथ है उसे जी भर के जी लेना, ये कम्बख्त जिंदगी भरोसे के काबिल नहीं है।
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Zindagi Shayari
कभी ख़िरद कभी दीवानगी ने लूट लिया, तरह तरह से हमें ज़िंदगी ने लूट लिया।
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Hindi Shayari on Life
ज़िन्दगी में सफलता वही पाता है, जिसे मुश्किलों से लड़ना आता है, और रूठो को मनाना आता है.
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Shayari on Life
मुझ से नाराज़ है तो छोड़ दे तन्हा मुझको, ऐ ज़िंदगी, मुझे रोज-रोज तमाशा न बनाया कर।
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Zindagi Shayari
ख़्वाबों पर इख़्तियार न यादों पे ज़ोर है, कब ज़िंदगी गुज़ारी है अपने हिसाब में।
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Best Shayari on Life
खूबसूरती को कभी किसी चेहरे में मत ढूंढना, खूबशूरती को हमेशा लोगो के दिलो में ढूंढना।
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Shayari on Life
फुर्सत मिले जब भी तो रंजिशे भुला देना, कौन जाने साँसों की मोहलतें कहाँ तक हैं।
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Shayari on Life in Hindi
हजारों उलझनें राहों में और कोशिशें बेहिसाब, इसी का नाम है ज़िन्दगी चलते रहिये जनाब।
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Best Shayari on Life
झूठ भी क्या गजब की चीज़ है, अगर खुद बोलो तो मीठा लगता है, और कोई दूसरा बोले तो कड़वा लगता है।
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Hindi Shayari on Life
ज़िंदगी भी तवायफ की तरह होती है, कभी मजबूरी में नाचती है कभी मशहूरी में।
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Shayari on Life in Hindi
धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो, ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो। Zindagi Shayari कभी जो जिंदगी में थक 😩 जाओ, तो किसी को कानो कान खबर 👂 भी न होने देना, क्योंकि लोग टूटी हुई इमारतों 🏚️ की ईंट तक उठा कर ले जाते हैं।
Hindi Shayari on Life
ज़िन्दगी एक हसीन ख़्वाब है, जिसमें जीने की चाहत होनी चाहिये, ग़म खुद ही ख़ुशी में बदल जायेंगे, सिर्फ मुस्कुराने की आदत होनी चाहिये। Shayari on Life जिंदगी बहुत खूबसूरत है, जिंदगी से प्यार करो, अगर हो रात तो, सुबह का इंतजार करो, वो पल भी आएगा जिसका तुझे इंतेज़ार है, बस उस खुदा पर भरोसा और वक्त पर ऐतवार करो।
Zindagi Shayari
न बदली वक्त 🕰️ की गर्दिश न जमाना बदला, जब सूख गई पेड़ की डाली 🍂 तो परिंदों ने ठिकाना 🕊️ बदला। Best Shayari on Life हो के मायूस न यूं शाम से ढलते रहिये, ज़िन्दगी भोर है सूरज सा निकलते रहिये, एक ही पाँव पे ठहरोगे तो थक जाओगे, धीरे-धीरे ही सही राह पे चलते रहिये।
Shayari on Life
ए ज़िन्दगी तू मुझे उड़ना सिखा दे, मुझे हालातों से लड़ना सिखा दे, हर हाल में खुश रहना सिखा दे, और हर हार से तू मुझे जीतना सिखा दे। Shayari on Life in Hindi ज्यादा नादान इंसान ही जिंदगी का मज़ा ले सकता है, वरना ज्यादा होशियार इंसान तो अपनी जिंदगी में ही उलझा 😕 रहता है।
Best Shayari on Life
थक गया हूँ तेरी नौकरी से ऐ जिन्दगी, मुनासिब होगा मेरा हिसाब कर दे। Zindagi Shayari ज़िन्दगी... बहुत खूबसूरत है, कभी हंसाती है, तो कभी रुलाती है, लेकिन जो ज़िन्दगी की भीड़ में खुश रहता है, ज़िन्दगी उसी के आगे सिर झुकाती है।
Shayari on Life in Hindi
अगर जिंदगी में भरोसा खुद पर हो तो ताकत ✊ बन जाती है, और वही भरोसा दूसरो पर हो तो कमज़ोरी 👇 बन जाती है। Zindagi Shayari ग़ैरों से पूछती है तरीका निज़ात का अपनों की साजिशों से परेशान ज़िंदगी।
Hindi Shayari on Life
जिंदगी में छांव है तो कभी धूप है, ऐ जिंदगी न जाने तेरे कितने रूप हैं, जिंदगी में हालात जो भी हों, लेकिन जिंदगी में मुस्कुराना नही भूला करते हैं। Shayari on Life जिंदगी में कभी भी अपने हुनर पर घमण्ड मत करना 😒, क्योंकि जब पत्थर पानी 💦 में गिरता है तो अपने ही वजन ⚖️ में डूब जाता है।
Zindagi Shayari
बड़े ही अजीब हैं ये ज़िन्दगी के रास्ते, अनजाने मोड़ पर कुछ लोग अपने बन जाते हैं, मिलने की खुशी दें या न दें, मगर बिछड़ने का गम ज़रूर दे जाते हैं। Best Shayari on Life इस दुनिया में कोई खुशियों की चाह में रोता है, कोई गमो की पनाह में रोता है, अजीब ज़िन्दगी का सिलसिला है, कोई भरोसे के लिए रोता है, कोई भरोसा करके रोता है।
Zindagi Shayari
एक अजीब सी दौड़ 🏃 है ये जिंदगी, अगर जीत ✌️ जाओ तो अपने पीछे छूट 🔙 जाते हैं, और अगर हार 📿 जाओ तो अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं। Shayari on Life in Hindi अजीब तरह से गुजर गयी मेरी भी ज़िन्दगी, सोचा कुछ, किया कुछ, हुआ कुछ, मिला कुछ।
Best Shayari on Life
मैंने जिन्दगी से पूछा.. सबको इतना दर्द क्यों देती हो? जिन्दगी ने हंसकर जवाब दिया, मैं तो सबको ख़ुशी ही देती हूँ, पर एक की ख़ुशी दुसरे का दर्द बन जाती है। Zindagi Shayari रिश्तो के बाजार में रिश्तो को कुछ इस तरह सजाया जाता है, ऊपर से तो बहुत अच्छा दिखाया जाता है, पर अंदर न जाने क्या क्या मिलाया जाता है।
Shayari on Life in Hindi
जीने का हौसला कभी मरने की आरज़ू, दिन यूँ ही धूप-छाँव में अपने भी कट गए। Zindagi Shayari ज़िंदगी है थोड़ा आहिस्ता चल, कट ही जाएगा सफ़र आहिस्ता चल, एक अंधी दौड़ है किस को ख़बर, कौन है किस राह पर आहिस्ता चल! ?
Hindi Shayari on Life
जिंदगी में कभी धुप तो कभी छाव आया करती है, पर जिंदगी हर पल नया नया सिखाया करती है, जिंदगी कभी छोटी छोटी बाते सिखाया करती है, तो कभी कभी बड़े बड़े सबक सिखाया करती है। Shayari on Life ज़िन्दगी सिर्फ मोहब्बत नहीं कुछ और भी है, ज़ुल्फ़-ओ-रुखसार की जन्नत नहीं कुछ और भी है, भूख और प्यास की मारी हुई इस दुनिया में, इश्क ही इक हकीकत नहीं कुछ और भी है।
Zindagi Shayari
मुस्कुराओ क्या गम है, जिंदगी में टेंशन किसको कम है, अच्छा या बुरा तो केवल भ्रम है, जिंदगी का नाम ही.. कभी खुशी कभी गम है!! ?✍ Best Shayari on Life   ज़िन्दगी में कभी किसी की मज़ाक मत बनाना, क्योंकि जब समय मौका देता है, फिर उसी तरह से धोखा भी देता है।
Shayari on Life
ज़िन्दगी उस अजनबी मोड़ पर ले आई है, तुम चुप हो मुझसे और मैं चुप हूँ सबसे। Zindagi Shayari कोई खुशियों की चाह में रोया, कोई दुखों की पनाह में रोया, अजीब सिलसिला हैं ये “ज़िंदगी” का.. कोई भरोसे के लिए रोया, कोई भरोसा कर के रोया!! ??
Best Shayari on Life
ज़िन्दगी में सफलता वही पाता है, जिसे मुश्किलों से लड़ना आता है, और रूठो को मनाना आता है. Hindi Shayari on Life सरे-आम ​मुझे ​ये शिकायत है ज़िन्दगी से​,​ क्यूँ मिलता नहीं मिजाज़ मेरा किसी से।
Zindagi Shayari
ज़िन्दगी का अनुभव थोड़ा कच्चा है, जितना समय गुज़र गया.. अच्छा है, अपना घरौंदा ख़ुशी से चहके सदा, हम बड़े हो गए पर दिल तो बच्चा है। Zindagi Shayari कुछ लोग रिश्ते मतलब से बनाते है, लेकिन उसमे लोग कुछ नही पाते है, पर जो लोग रिश्ते दिल से बनाते है, वो कुछ न पाकर भी सब कुछ पाते है।
Hindi Shayari on Life
जुगनुओं की रोशनी से तीरगी हटती नहीं, आइने की सादगी से झूठ की पटती नहीं, ज़िन्दगी में गम नहीं फिर इसमें क्या मजा, सिर्फ खुशियों के सहारे ज़िन्दगी कटती नहीं। Shayari on Life जिंदगी के राज है तो राज रहने दो, अगर हैं कोई एतराज तो रहने दो, पर जब दिल करे हमें याद करने को, तो ��से ये मत कहना के आज रहने दो! ?
Zindagi Shayari
किसी ने क्या खूब कहा है, ज़िन्दगी के सिर्फ दो दिन है, एक दिन आपके हक में होती है, और एक दिन आपके खिलाफ होती है, जिस दिन आपके हक में हो तो कभी अभिमान मत करना, और जिस दिन आपके खिलाफ हो तो थोड़ा सब्र करना। Best Shayari on Life जाने कब आ के दबे पाँव गुजर जाती है, मेरी हर साँस मेरा जिस्म पुराना करके।
Zindagi Shayari
अपनी ही तरह से परेशान है हर कोई, इस तपती धूंप के लिए कोई दरख़्त नहीं है, किसी के पास खाने के लिये रोटी नहीं है, और किसी के पास रोटी खाने का वक़्त नहीं है! Shayari on Life in Hindi किस्मत के मौको को देखो, वक्त के घेरों को देखो, कल का आप इंतज़ार न करो, जो आज है आप बस उसी को देखो।
Best Shayari on Life
पहचानूं कैसे तुझको मेरी ज़िन्दगी बता, गुजरी है तू करीब से लेकिन नकाब में। Zindagi Shayari कल खो दिया आज के लिये, आज खो दिया कल के लिये, कभी जी ना सके हम आज आज के लिये, बीत रही है जिदंगी.. कल आज और कल के लिये! ??
Shayari on Life in Hindi
झूठ भी क्या गजब की चीज़ है, अगर खुद बोलो तो मीठा लगता है, और कोई दूसरा बोले तो कड़वा लगता है। Zindagi Shayari फुरसत अगर मिले तो मुझे पढ़ना जरूर, नाकाम ज़िंदगी की मुकम्मल किताब हूँ मैं।
Hindi Shayari on Life
सब के दिलों का एहसास अलग होता है, इस दुनिया में सब का व्यवहार अलग होता है, आँखें तो सब की एक जैसी ही होती है, पर सब का देखने का अंदाज़ अलग होता है! ✍ Shayari on Life जब भी इस जिंदगी को देखती हूँ हर पल नई नज़र आती है हमे, जब भी पीछे मुड कर देखते है सोचते है ये जिंदगी कहां ले आई हमे, कभी खुशियाँ ��भी गम आते है जिन्दगी में हमारी, जब आगे जिंदगी में देखने की कोशिश करते है एक नया रिश्ता दिखाई देता है हमे।
Zindagi Shayari
रोज़ दिल में हसरतों को जलता देखकर, थक चुका हूँ ज़िन्दगी का ये रवैया देखकर। Zindagi Shayari मशहूर होना लेकिन कभी मगरूर मत होना, छू लो कदम कामयाबी के लेकिन कभी अपनों से दूर मत होना, जिंदगी में खूब मिल जायेगी दौलत और शोहरत पर, अपने ही आखिर अपने होते हैं ये बात कभी भूल मत जाना! ✍?
Shayari on Life
जब मुझमें सांस थी तब हम अकेले चला करते थे, और जब सांस न रही तब सब साथ में चला करते थे। Shayari on Life in Hindi थोड़ी मस्ती थोड़ा सा ईमान बचा पाया हूँ, ये क्या कम है अपनी पहचान बचा पाया हूँ, कुछ उम्मीदें, कुछ सपने, कुछ महकती यादें, जीने का मैं ��तना ही सामान बचा पाया हूँ।
Best Shayari on Life
एक खूबसूरत सोच अगर कोई पूछे जिंदगी में क्या खोया और क्या पाया, तो कहना जो कुछ खोया वो मेरी नादानी थी और.. जो भी पाया वो प्रभू की मेहेरबानी थी, खुबसूरत रिश्ता है मेरा और भगवान के बीच में, ज्यादा मैं मांगता नहीं और कम वो देता नहीं! ? ✍ Zindagi Shayari हम तो अक्सर इंसान के मुँह सुना करते थे की वक्त बदलता है, पर जब खुद आजमाइस की तो पता चला यहाँ वक्त के साथ इंसान भी बदलता है।
Shayari on Life in Hindi
कितना और बदलूं खुद को ज़िन्दगी जीने के लिए, ऐ ज़िन्दगी, मुझको थोड़ा सा मुझमें बाकी रहने दे। Zindagi Shayari मायने ज़िन्दगी के बदल गये अब तो, कई अपने मेरे बदल गये अब तो, करते थे बात आँधियों में साथ देने की.. हवा चली और सब मुकर गये अब तो। ? Read the full article
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kaminimohan · 3 years
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काव्य 771
" निगल न सका "
निगल न सका पेड़ सब काला धुआँ,
और देह हो गया है जैसे गहरा अंधा 'नर्क' का कुआँ।
विकल्‍प नहीं कोई दूसरा,
फेफड़े हैं सूखते।
जिधर भी चाहूँ जाना,
शिकायत हैं करते।
ग्रीन हाउस में देर तक समाया हुआ,
काँपता श्वास का काला धुआँ।
देखो, ले जाऊँगा कहीं और
फेंक दूँगा सब धुआँ।
मैं देख रहा हूँ:
कोई नहीं है जिसे है हरे पेड़ों की जरुरत,
चाहिए सबको कंक्रीट के रंगीन पेड़ की मूरत।
जिससे न झड़ते हो पत्ते,
न पक्षी बनाते हो घोंसले।
भारी भरकम प्रदूषित मेरा प्रेम,
लटका है अब भी तुम्हारे पत्तों से।
चलते-चलते थक कर रुक जाने की सोचते।
कठिनाई से वायु को बाहर और भीतर भेजते।
मुझे करना था केवल तुमसे ही प्यार,
मेरे भीतर बसी प्रकृति तुम थी अपार।
तुम्‍हारे सिवा-
कोई और नहीं चलती सांसों को संबल देने के लिए,
मालूम नहीं प्रकृति तुम रूठ कर कहां चली गई किसके लिए।
तुम कहाँ हो!
और कैसे फिर वापस आओगी,
मिली है जो यंत्रणा कवि को,
देखो, सिसकती कविता के आँसू ,
कैसे पोंछ पाओगी?
एक भी अक्षर नहीं है मधुर
तुम्‍हारे नाम के सिवा यहाँ।
स्वहत्‍या कर रहे सभी प्रेमी,
अनजान वायरस से यहाँ।
तुम्‍हारे ऊपर जो चले ख़॔जर,
उसे क्यों नहीं देख सकी कोई नज़र?
काट डाला,
जला डाला
तुम्हारे प्रेम को यहाँ।
वह पुस्तक जो तुम्हारे ही अंग से बना,
तुम आकर खिड़की से,
उसके पन्ने बिखेर देती थीं,
जाते हुए उसे सहला कर गहरी साँस लेती थीं।
सच कहता हूँ :
सजावटी काग़ज़ के फूल नहीं देंते ख़ुशबू
सूखे पन्ने नहीं लेते साँसे।
क्‍या ठीक से साँस ले न सकेंगे मेरे शब्द जो तुम्हारे दिए काग़ज़ पर छपे।
जैसे जला डाला तुमक���
हम सब जल रहे।
लौट आओ ताकि फिर से
साँस चलती रहे।
सारे अक्षर जो तुमने दिए,
उन्हें बिछा सकूं तुम्हारी छाया के नीचे,
तुम सहलाना अपने कोमल हाथों से,
रखना उन्हें हरदम अपने पाँव नीचे।
-© कामिनी मोहन पाण्डेय
-काव्यस्यात्मा
#kaminimohan
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abhay121996-blog · 4 years
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12 कारण जो बनाते हैं #MonsterReloaded सैमसंग गलैक्सी M12 को आम जनता के बजट का फोन Divya Sandesh
#Divyasandesh
12 कारण जो बनाते हैं #MonsterReloaded सैमसंग गलैक्सी M12 को आम जनता के बजट का फोन
अब तक हम Samsung Galaxy M12 के बारे में बात करना बंद नहीं कर पाए हैं! Samsung ने जब से 12 सिलेब्रिटीज को इसकी #MonsterReloaded बैटरी को खत्म करने की चुनौती दी है तभी से यह स्मार्टफोन काफी चर्चा में है। 11 मार्च को इस ग्लैमरस लॉन्च के रनअप में Sarah Jane, Anga Bedi, Sayani Gupta जैसे कुछ सितारों ने पूरे दमखम के साथ इस चैलेंज को स्वीकार किया। सभी एक के बाद चैलेंज को पूरा करने में जुट गए ताकि Team M12 इस रेस को जीत सके। #MonsterReloaded को उसके खेल में हराने के बाद अगले लेवल के लिए बैटन को Varun Sood, Shriya Pilgaonkar और Sumeet Vyas के हवाले किया गया। गर्मी काफी बढ़ गई थी और इन सिलेब्स को इस मॉन्स्टर डिवाइस की बैटरी को ड्रेन करने के लिए अलग-अलग तरीके आजमाते देखा गया। सभी ने 48 MP True Resolution Camera, 8nm Exynos Processor, 90 Hz Refresh Rate और 6000mAh बैटरी को इस्तेमाल करते हुए ! इन्होंने कई फोटो क्लिक किए, बैकग्राउंट में ढेर सारे ऐप चलाए, म्यूजिक सुना, नैविगेशन को यूज किया और दौड़ के दौरान अपने फेवरिट शो भी देखे लेकिन फोन पर इसका भी कोई असर नहीं हुआ। रेस में अगली बारी- मॉडल Asim Riyaz, Sayan Bakshi, Aahana Kumra, Eesha Rabba की थी और इन सबको भी अपना बेस्ट परफॉर्मेंस देना था, लेकिन #MonsterReloaded M12 को हराने के लिए यह काफी नहीं था।
आखिरकार अमित साध पर्दा उठा और Samsung Galaxy M12 की दमदार बैटरी का लोहा माना।
183 km और 32 से ज्यादा घंटों के बाद, 12 सिलेब्रिटीज 1 मॉन्स्टर से हार गए। ये सभी बुरी तरह थक चुके थे, लेकिन M12 में इतने बड़े टास्क के बाद भी 8% की सम्मानजनक बैटरी बची थी।
अगर आपके मन में अभी भी इस फोन को ट्राई करने को लेकर कोई शक है, तो हम आपको 12 ऐसी वजह बता रहे हैं कि क्यों यह फोन सभी मिलेनियल्स के लिए ही है। इसमें:
1. सबसे अच्छा प्रोसेसर
मिलेनियल्स The Best से कम में विश्वास नहीं करते। Samsung Galaxy M12 के साथ भी ऐसा ही है। यह आपका फोन है क्योंकि इसमें 8nm Exynos 850 SoC लगा है। शुरुआती रिसर्च आपको बताएगी कि यह प्रोसेसर अब तक केवल प्रीमियम सेगमेंट के स्मार्टफोन्स में ही देखने को मिलता है। यह कम पावर यूज करता है और बैटरी परफॉर्मेंस को बेहद काबिलियत से मैनेज करता है। यह पहली बार है जब किसी बजट फोन में BEST प्रोसेसर की एंट्री हुई है। यही वजह है कि #MonsterReloaded आपका Best बेट है।
2. तगड़ा रिफ्रेश रेट 12 हजार से कम में आने वाले आजकल के ज्यादातर फोन 60Hz तक का ही रिफ्रेश रेट ऑफर कर पाते हैं, जो यूजर को काफी निराशाजनक ग्लिची एक्सपीरियंस देता है। Samsung Galaxy M12 के साथ, फास्ट 90Hz रिफ्रेश रेट वाला HD पैनल अभूतपूर्व स्मार्टफोन एक्सपीरियंस दे पाता है। ऐसा परफॉर्मेंस की मिलेनियल्स को हमेशा से चाहत थी! Samsung कहता है कि आप यह DESERVE करते हैं। यही वजह है कि यहां 12 हजार से कम में एक हाई क्वालिटी, यूजर-फ्रेंडली और फास्ट स्मार्टफोन है जिसे आप बिना रुके ब्राउजिंग, बिंज-वॉच, गेम खेलने, मल्टीपल ऐप को यूज करने के अलावा कई दूसरी चीजों के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं और वह भी बिना हैंग हुए!
हमारा यकीन नहीं कर रहे? यहां Sarah Jane हैं जो M12 के सुपर स्मूद डिस्प्ले पर खुद को स्क्रॉल करने औप सर्फ करने से रोक नहीं पा रही हैं।
3. बड़ी 6000mAh की बैटरी
हम अपने फोन्स का इस्तेमाल कई सारी चीजों के लिए करते हैं! रेगुलर कॉल्स, टेक्सटिंग, ब्राउजिंग, बिंज-वॉचिंग, सोशल मीडिया का इस्तेमाल, काम से जुड़े skype कॉल्स, प्रेजेंटेशन, डॉक्युमेंट/एक्सेल शीट को चलते-फिरते एडिट करना और न जाने क्या-क्या। अब जरा सोचिए- काम में एक थकाने वाले दिन के बाद, आप अपने दोस्त की पार्टी में जाना चाहते हैं। उन्हें आपकी प्लेलिस्ट पसंद है और वे चाहते हैं ति आप उस रात के DJ बने। लेकिन सोचिए अगर! आपके पहुंचते ही फोन की बैटरी खत्म हो जाए। बेहद अजीब सिचुएशन होगी।
लेकिन यह 12 रुपये से कम में आने वाले रेगुलर डिवाइसेज की आम समस्या है, जो वादों में बड़े होते हैं लेकिन जब आपको उनकी जरूरत होती है, वे डिलिवर करने में फेल हो जाते हैं। M12 के साथ, आपको पूरे दिन चार्जर लेकर घूमने की जरूरत नहीं पडे़गी! Samsung ने Galaxy M12 में विशालकाय, भरोसेमंद और देर-तक चलने वाली बैटरी दी है जो 15 वॉट के फास्ट चार्जिंग सपॉर्ट के साथ आती है। इसे जितना मन करे उतना इस्तेमाल करें, और यह हेवी यूसेज क�� बाद भी दो दिन तक चल जाएगी! इसने हमारे होश उड़ा दिए। यहां तक की Sayano Gupta भी इसकी फैन हैं!
4. खूबसूरत डिस्प्ले
लो-स्टैंडर्ड वाला डिस्प्ले किसी का भी मूड-ऑफ ���र सकता है। 12 हजार से कम में या तो आपको बड़ी स्कीन मिलेगी जिसमें शानदार व्यूइंग एक्सपीरियंस के लिए वैसी टेक्नॉलजी नहीं होगी या फिर किसी में टेक्नॉलजी तो होगी लेकिम उसमें बड़ी स्क्रीन की कमी होगी। मिलेनियल्स के लिए अच्छा फोन वह है जो बेहतरीन डिजाइन, कंफर्टेबल व्यूइंग के लिए शानादर और चौड़ा डिस्प्ले और जबर्दस्त टेक्नॉलजी के साथ मिलकर स्मूद और बेहतरीन एक्सपीरियंस दे। Samsung Galaxy M12 में परफेक्ट 6.4 इंच का HD+ डिस्प्ले दिया गया है जो 90Hz के रिफ्रेश रेट सपॉर्ट, 20:9 के आस्पेक्ट रेशियो और 720×1600 रेजॉलूशन के साथ आता है। रिजल्ट यह है कि #MonsterReloaded डिस्प्ले घंटो बिना रुकावट इस्तेमाल किए जाने के लिए बेस्ट क्वॉलिटी स्क्रीन ऑफर करता है। यहां देखिए Shriya Pilgaonkar इससे कितना इंप्रेस हुईं!
5. M12 के कैमरा से हो जाएगा प्यार
अब! हम जानते हैं कि मिलेनियल्स को ग्राम और Facebook के लिए पिक्चर और सेल्फी क्लिक करना कितना पसंद है! ऑटोमैटिकली, फोन खरीदते वक्त पिक्चर रेजॉलूशन और क्वॉलिटी सबसे जरूरी चीज बन जाते हैं। आपको मार्केट में मौजूद 12 हजार रुपये से कम के स्मार्टफोन्स के साथ अजस्ट नहीं करना चाहिए क्योंकि उनमें ग्रेनी पिक्चर, ऑटो-फोकस की कमी, अलग-अलग लाइटिंग कंडिशन और चलते-फिरते फोटो क्लिक करने में परेशानी जैसे दिक्कतें आती हैं। ब्लर विजन और पिक्सलेटेड मेमरीज का जमाना जा चुका है!
Samsung Galaxy M12 के रियर साइड में TRUE 48 MP के क्वॉड कैमरा सेटअप दिय गया है, जसमें 48MP प्राइमरी लेंस, पोर्ट्रेट शॉट्स के लिए 5 मेगापिक्सल का Ultra Wide लेंस, 2MP का डेप्थ सेंसर और एक 2MP का मैक्रो सेंसर दिया गया है। सामने की तरफ फोन में क्रिस्टल-क्लियर शॉट्स के लिए 8MP सेंसर दिया गया है। M12 नैचरल और शानदार कलर्स के साथ जबर्दस्त डीटेल वाली पिक्चर्स कैप्चर करता है, ताकि यह पक्का हो सके कि आपको सोशल मीडिया पर पूरा अटेंशन मिले-जिसके आप हकदार हैं।
6. स्टोरेज कैपेसिटी ऐसे फोन का क्या करना जो हमारी जरूरत के अनुसार सब कुछ स्टोर न कर सके- फाइल्स, डाक्यूमेंट्स, वीडियोज आदि। फोन में स्टोरेज की चाह रखना गलत नहीं है। जब आप बाहर जाएं तो आपको बॉस या क्लाइंट के लिए फाइल ढूंढने के लिए लैपटॉप खोलने की जरूरत नहीं है। यही वो कम्फर्ट है जो M12 आपको देता है। इसमें 8nm Exynos 850 SoC के साथ 4GB/ 6GB रैम और 64GB/128GB इंटरनल स्टोरेज (माइक्रोएसडी कार्ड से 512GB तक एक्सपेंडेबल) मिलती है ताकि आप सभी जरूरी चीजों को अपने साथ लेकर चल सके, जहां भी आप जाएं।
7. डिजाइन है शानदार
फोन का फर्स्ट इम्प्रैशन हमेशा डिजाइन ही होता है। अगर किसी फोन का डिजाइन अच्छा नहीं तो अधिकतर वो हमारी लिस्ट से बाहर ही हो जाता है। 6.5-इंच के इंफिनिटी-V एचडी डिस्प्ले के साथ इसमें 720 x 1600 पिक्सेल्स (एचडी+), 90Hz का रिफ्रेश रेट, डीव ड्रॉप नॉच और गोरिल्ला ग्लास 3 प्रोटेक्शन के साथ पॉलीकार्बोनेट बैक, चौकोर मॉड्यूल के साथ रियर कैमरा सेटअप दिया गया है। इन सभी के साथ फोन का डिजाइन काफी क्लासी लगता है। इतना ही नहीं, इसका माप 164.0 x 75.9 x 9.7mm है और इसका वजन 221 ग्राम है। यह तीन कलर्स- ब्लैक, व्हाइट और ब्लू में आता है। इसके साइड में फिंगरप्रिंट सेंसर, 3.5mm हेडफोन जैक और यूएसबी टाइप-सी पोर्ट है। ओवरऑल, इस फोन का डिजाइन बेहद खूबसूरत है।
8. किलर सॉफ्टवेयर हमें यह अच्छे से पता है की आजकल के लोगों को हर चीज के बारे में सब कुछ जानना है और समय से आगे चलकर हर जानकारी से अपडेटेड रहना है। ऐसे में M12, ड्यूल सिम फोन वन यूआई 3.0 कोर पर आधारित है और एंड्राइड 11 के लेटेस्ट वर्जन पर चलता है। इस फोन के साथ आप हमेशा अपडेटेड रहेंगे क्योंकि इसमें सुपरफास्ट अनुभव के लिए LPDDR4x रैम मौजूद है। है ना सुपर कूल!
9. तगड़ी सुरक्षा और सिक्योरिटी हमें सरक्षित रहना बेहद जरूरी है। सुरक्षा के मद्देनजर, यह फोन सुपर-फास्ट फेस अनलॉक के साथ-साथ फिंगरप्रिंट स्कैनर के साथ भी आता है। इससे आप हर समय सुरक्षित रहते हुए डिवाइस को बहुत आसानी और फास्ट इस्तेमाल कर सकते हैं।
10. अन्य आकर्षक फीचर्स
इस फोन में जरूरी सेंसर्स और पोर्ट्स जैसे कई फीचर्स मौजूद हैं जो बजट स्मार्टफोन में मिलना बहुत मुश्किल है। इस स्मार्टफोन में एक्सेलेरोमीटर, ग्रिप सेंसर, एम्बिएंट लाइट सेंसर और प्रोक्सिमिटी सेंसर दिया गया है। इतना ही है, इसमें आपको मिलेगा डॉल्बी अट्मॉस, जिसका अनुभव आप हेडफोन के साथ ले सकते हैं। M12 के साथ जितना चाहे उतना OTT प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट देखें क्योंकि इसके साथ आता है वाइडवाइन L1 सर्टिफिकेशन जिससे आप जितना चाहे उतना HD कंटेंट स्ट्रीम कर सकते हैं।
हैरान कर देने वाली कीमत 90Hz रिफ्रेश रेट HD+ इंफिनिटी-V डिस्प्ले, 8nm Exynos 850 प्रोसेसर, ट्रू 48MP कैमरा और 6000mAh की बड़ी बैटरी के साथ आपको 4GB+64GB वैरिएंट के लिए मात्र Rs 10999 की कीमत अदा करनी है। अगर आपको 6GB+128GB वैरिएंट खरीदना है तो आपको Rs 13499 देने होंगे। अब पता चला क्यों बॉलीवुड के सितारे M12 पर फिदा हो गए थे?
बेहतरीन ऑफर्स सैमसंग को यह पता है की आप बहुत स्मार्ट हैं और हमेशा आगे रहना चाहते हैं। इसलिए M12 को इससे भी कम कीमत पर खरीदने का मौका दिया गया है। सैमसंग इस फोन को इंट्रोडक्टरी लॉन्च ऑफर के तहत और भी सस्ते में खरीदने का मौका दे रही है। इस फोन को ICICI क्रेडिट कार्ड के साथ खरीदने पर आपको Rs 1000 का इंस्टेंट कैशबैक मिलेगा। यह कैशबैक ईएमआई और नॉन-ईएमआई दोनों ही ट्रांजैक्शंस पर मिलेगा। अगर आप ICICI डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं तो आपको Rs 1000 का ईएमआई ट्रांजैक्शंस पर इंस्टेंट कैशबैक मिलेगा। इसका मतलब Galaxy M12 4GB रैम+64GB इंटरनल स्टोरेज वैरिएंट आपको Rs 9999 और 6GB+128GB वैरिएंट आपको मात्र Rs 12499 का पड़ेगा।
तो अब इंतजार किस बात का? इस फोन को खरीदने के लिए , और नजदीकी रिटेल आउटलेट्स पर जाएं और इस #MonsterReloaded को 18 मार्च 2021 को सेल के दिन ही खरीदें।
डिस्क्लेमर: यह एक ब्रांड पोस्ट है और इसे नवभारत टाइम्स की स्पॉटलाइट टीम द्वारा लिखा गया है।
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kisansatta · 4 years
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घुटनो के दर्द को कहे अलविदा हमेशा के लिए
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बढ़ती उम्र में घुटनों में दर्द होना एक आम समस्या है, आमतौर पर घुटनों का दर्द गठिया या आर्थराइटिस बीमारी के कारण ही होता है। शरीर के जोड़ों में सूजन उत्पन्न होने पर गठिया रोग होता है या जोड़ों में उपास्थि (कोमल हड्डी) भंग हो जाती है। शरीर के जोड़ ऐसे स्थल होते हैं जहां दो या दो से अधिक हड्डियाँ एक-दूसरे से मिलती है जैसे कि कूल्हे या घुटने। उपास्थि जोड़ों में गद्दे की तरह होती है जो दबाव से उनकी रक्षा करती है और क्रियाकलाप को सहज बनाती है। जब किसी जोड़ में उपास्थि भंग हो जाती है तो आपकी हड्डियाँ एक-दूसरे के साथ रगड़ खाती हैं, इससे दर्द, सूजन और ऐंठन उत्पन्न होती है और यही घुटनों में दर्द का कारण बन जाता है।
घुटनों में दर्द के लक्षण –
घुटनों या जोड़ों में दर्द होने की समस्या को आप इन लक्षणों से पहचान सकते हैं :
चलने, खड़े होने, हिलने-डुलने और यहां तक कि आराम करते समय भी दर्द।
सूजन और क्रेपिटस
चलते समय जोड़ों का लॉक हो जाना
जोड़ों का कड़ापन, खासकर सुबह में या यह पूरे दिन रह सकता है।
मरोड़।
वेस्टिंग और फेसिकुलेशन
शरीर में अकड़न।
घुटनों और जोड़ों में दर्द होना।
घुटनों के दर्द से बचने के उपाय-
रात के समय चना, भिंडी, अरबी, आलू, खीरा, मूली, दही, राजमा इत्यादि का सेवन भूलकर भी नहीं करें।
दही, चावल, ड्राई फ्रूट्स, दाल और पालक बंद कर दें। इनमें प्रोटीन बहुत ज्यादा होता है।
रात को सोते समय दूध या दाल का सेवन करना हानिकारक है। इससे शरीर में ज्यादा मात्रा में यूरिक एसिड जमा होने लगता है। छिलके वाली दालों से पूरी तरह परहेज करें।
नॉन वेज खाने के शौकीन है तो मीट, अंण्डा, मछली का सेवन तुरन्त बंद करें। इसे खाने से यूरिक एसिड तेजी से बढ़ता है।
बेकरी फूड जैसे कि पेस्ट्री, केक, पैनकेक, क्रीम बिस्कुट इत्यादि ना खाएं। ट्रांस फैट से भरपूर खाना यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ाता है।
पानी पीने के नियम भी जरूर फॉलो करना चाहिए। खाना खाते समय पानी न पीएं। पानी, खाने से डेढ़ घण्टे पहले या बाद में ही पीना चाहिए।
यूरिक एसिड की परेशानी से बचने के लिए सोया मिल्क, जंक फूड, चटपटे खाद्य पदार्थ, ठण्डा पेय, तली-भूनी चीजें न खाएं।
गठिया के रोगी को अधिक तापमान पर पकी चीजों का सेवन करने से भी बचना चाहिए। माइक्रोवेव या ग्रिलर में बना खाना जोड़ों को नुकसान पहुंचाता है।
अधिक मात्रा में मीठी चीजें जैसे- चॉकलेट, केक, सॉफ्ट ड्रिंक और मैदे से बनी चीजों को खाने से शरीर में यूरिक एसिड बढ़ जाता है जो गठिया रोग बढ़ने का कारण बन जाता है।
जंक फूड का भी पीठ दर्द से गहरा नाता होता है। अधिकांश जंक फूड शरीर को पर्याप्त पोषण प्रदान नहीं करते। इनके कारण मांसपेशियां जल्दी थक जाती हैं। दूसरी ओर, साबुत अनाज, प्रोटीन युक्त दही और सब्जियों के रूप मांसपेशियों पर सकारात्मक असर डालते हैं।
घुटनों के दर्द से छुटकारा पाने का घरेलू इलाज –
 हल्दी-चूने का लेप लगाए: हल्दी और चूना दर्द को दूर करने में अधिक लाभदायक साबित होते हैं। हल्दी और चुना को मिलाकर सरसों के तेल में थोड़ी देर तक गर्म करे फिर उस लेप को घुटने में लगाकर रखने से घुटनों का दर्द कम होता है!
हल्दी दूध का सेवन घुटनों के दर्द में फायदेमंद: एक ग्लास दूध में एक चम्मच हल्दी के पाउडर को मिलाकर सुबह-शाम कम से कम दो बार पीने से घुटनों के दर्द में लाभ मिलता है। यह जोड़ों का दर्द दूर करने का सबसे कारगर घरेलू इलाज है।
घुटनोँ का दर्द दूर करने में सहायक हैं अदरक:गर्म प्रकृति होने के कारण यह सर्दी जनित दर्द में फायदेमंद है। सांस संबंधी तकलीफ, घुटनों में दर्द, ऐंठन और सूजन होने पर अदरक का सेवन करना लाभकारी होता है।
एलोवेरा से करें घुटनों के दर्द का घरेलू उपचार : जोड़ों के दर्द, चोट लगने, सूजन, घाव एवं त्वचा संबंधी समस्याओं से होने वाले दर्द में ऐलोवेरा का गूदा, हल्दी के साथ हल्का गर्म करके बांधने पर लाभ होता है। घुटनों में दर्द होने पर भी आप इस घरेलू उपाय को आजमा सकते हैं!
अश्वगन्धा एवं सोंठ पाउडर से करें घुटनों के दर्द का उपाय: इसके लिये 40 ग्राम नागौरी अश्वगंध पाउडर, 20 ग्राम सोंठ चूर्ण तथा 40 ग्राम की मात्रा में खाण्ड पाउडर लें। तीनों को अच्छी तरह से मिला लें। जोड़ों एवं घुटनों के दर्द में इस चूर्ण को 3-3 ग्राम मात्रा में सुबह शाम गर्म दूध के साथ लेने से जोड़ों के दर्द में और सूजन में बहुत अच्छा आराम मिलता है। गठिया के घरेलू इलाज के रूप में यह नुस्खा काफी प्रचलित है, कई लोग इसे घुटनों के दर्द की आयुर्वेदिक दवा के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
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merisahelimagazine · 4 years
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कहानी- पराई ज़मीन पर उगे पेड़ (Short Story- Parai Zamin Par Uge Ped)
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“तुम जानते हो तुम्हारा व्यक्तित्व, बोलचाल का तरीक़ा, हर एक के साथ तुम्हारी ज़रूरत से ज़्यादा इंटीमेसी दिखाना सामनेवाले को हर बार ग़लतफ़हमी में डाल देता है. तुम्हारे व्यवहार के धोखे में आकर सामनेवाला अपने आप को तुम्हारी ज़िंदगी में बहुत ज़्यादा इंपॉर्टेंट समझने लगता है. इससे हमारा रिश्ता प्रभावित होता है.” स्वाति बार-बार उसे कहती. “ऐसा कुछ नहीं है. मैं जानता हूं तुम मेरे लिए क्या हो, मेरे मन में तुम्हारी जगह कोई नहीं ले सकता.” अमृत सपाट स्वर में कहता.
"कुछ पेड़ अचानक ही ज़मीन पर अपने आप उग आते हैं और ज़मीन में बड़ी गहराई तक अपनी जड़ें जमा लेते हैं. इसमें किसका कसूर है, ज़मीन का या फिर पेड़ों का?” “न ज़मीन का और न ही पेड़ों का.” अमृत ने अनमने स्वर में उत्तर दिया था. “ज़मीन तो अपनी जगह पड़ी रहती है, हवा में उड़ते बीज आकर उस पर गिर जाते हैं. भावनाओं की बारिश में बीज कब अंकुरित हो जाते हैं, ज़मीन को पता ही नहीं चलता.” अमृत के जवाब पर सामनेवाले ने फिर से सवाल किया, “तो कसूर हवा का है, जो बीजों को उड़ाकर ज़मीन पर गिरा देती है, ये भी नहीं देखती कि किस पेड़ के बीज हैं और किसकी ज़मीन है.” “कसूर हवा का भी नहीं है. उसे तो पता ही नहीं होता कि वह क्या उड़ाकर ले जा रही है और किसकी ज़मीन पर कौन-सा बीज गिरा रही है.” अमृत ने बीयर का खाली मग नीचे रखा और सवाल करनेवाले से विदा लेकर बार से बाहर आ गया. लौटकर ऑफ़िस जाना है. रास्ते में पान मसाले का एक पाउच ख़रीदकर मुंह में डाला. ऑफ़िस पहुंचते ही शैली से दिनभर के कॉल्स के बारे पूछ-बताकर अमृत अपने केबिन में जाकर बैठ गया. फ़ाइलें देखते हुए, फ़ोन अटेंड करते हुए, वह देख रहा था कि शैली का पूरा ध्यान उसी की ओर था. बहुत दिनों से वह गौर कर रहा था कि शैली के कपड़े दिन-ब-दिन चटकीले होते जा रहे हैं, चेहरे पर मेकअप की परतें बढ़ती जा रही हैं, हाव-भाव बदल रहे हैं. अमृत जब तक ऑफ़िस में होता है, शैली किसी-न-किसी बहाने से उसके आसपास मंडराती रहती है. केबिन के शीशे के दरवाज़े के ठीक उस पार बैठी शैली की आंखें दरवाज़े के इस पार बैठे अमृत पर ही टिकी रहती हैं. “मे आइ कम इन?” शैली ने पूछा और बिना जवाब का इंतज़ार किए ही जाकर अमृत की सीट के पास खड़ी हो गई और झुककर फाइल दिखाने लगी. डियो और परफ्यूम की मिली-जुली तेज़ गंध अमृत की सांस में भर गई. फाइल के पन्ने पलटते हुए शैली की कोहनी कई बार अमृत के कंधे से छू गई. पहले शैली दूर खड़ी होती थी. एक-एक इंच पास खिसकते हुए कब अमृत के कंधे तक पहुंच गई, उसे पता ही नहीं चला. पहले वह अपनी कोहनी अमृत के कंधे से छू जाने पर झिझक जाती थी, फिर झिझकना छूट गया. अब शैली जान-बूझकर अमृत के कंधे, उंगलियों को छूती रहती है. क्या पाना चाहती है शैली अमृत के कंधे को छूकर? शैली कॉफी के बारे में पूछ रही थी... अमृत ने घड़ी देखी. बीयर पीकर काफ़ी व़क़्त बीत चुका था, उसने हां कह दिया. शैली दो कप कॉफी बना लाई. कॉफी पीते हुए शैली अपने परिवार की द़िक़्क़तों के बारे में बताती रहती थी. अमृत दिलचस्पी से सुनता था. पुरुष दूसरी औरतों के दुख और आंसू नहीं देख सकता, ये उसकी कमज़ोरी है. अमृत में यह कमज़ोरी कुछ ज़्यादा है.
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शैली अमृत की यह कमज़ोरी भांप गई है, तभी वह समय मिलते ही अमृत के सामने अपनी परेशानियों का रोना रोने बैठ जाती है. शैली शिद्दत से चाहती है अमृत की उंगलियां उसके आंसू पोंछें और आंसू पोंछते हुए वे गालों से होती हुई शैली के कानों की लटों तक पहुंच जाएं. अमृत की उंगलियों को अपने गालों से कानों तक का सफ़र करवाने के लिए शैली आजकल हर संभव प्रयास कर रही है. दराज़ों को खोलने के बहाने कुर्सी की पीठ की बजाय अमृत के कंधे पर हाथ रख देती है या अमृत की बगल में झूल जाती है. कॉफी ख़त्म हो चुकी थी. अमृत ने कप नीचे रखा और अपने काम निपटाने चल दिया. वो जानता था शैली यहीं चिपकी रहेगी. न ख़ुद काम करेगी न उसे करने देगी. शैली को आगे के काम के बारे में समझाकर वह निकल गया. शैली का चेहरा उतर गया... रात में अमृत गैलरी में आकर बेंत की कुर्सी पर बैठ गया. स्वाति को चांद की रोशनी में गैलरी में बैठना बहुत पसंद था. चाहे जितनी रात गहरा जाए, वह दस मिनट तो यहां बैठने का समय निकाल ही लेती थी. अमृत तब जाकर कमरे में सो जाता था, जब स्वाति यहां बैठती थी. अब जब स्वाति नहीं है, तो अमृत रोज़ यहां आकर बैठता है. जब स्वाति थोड़ी देर गैलरी में बैठने की ज़िद करती थी, तब अमृत खीझ जाता था. लेकिन जब से स्वाति गई है, अमृत रोज़ गैलरी में आकर बैठता है. जाने कितनी देर तक बैठा रहता है, फिर भी नींद नहीं आती, रात नहीं ढलती. लगता है समय जैसे रुक गया है. अजीब बात है, स्वाति की ओर पीठ करके अमृत कितनी चैन से सोता था, सीधे सुबह ही आंख खुलती थी. लेकिन जब से स्वाति गई है, अमृत को नींद नहीं आती. रातभर पीठ की ओर पलंग पर एक खालीपन-सा चुभता रहता है, तब अमृत स्वाति की ओढ़ी हुई चादर अपने ऊपर कसकर लपेट लेता. अमृत ने एक सिगरेट सुलगाई और एक लंबा कश लिया. दिन में पूछा गया सवाल अचानक ही अमृत के सामने आकर खड़ा हो गया, ज़मीन पर पेड़ों के बारे में. शैली के अंदर की ज़मीन पर भी कुछ उग रहा है, वह महसूस कर रहा था. पिछले कई महीनों से ख़ासतौर पर जब से स्वाति गई है, शैली ही अपनी ज़मीन को बहुत ज़्यादा फैलाव दे रही है, एक के बाद एक पेड़ उगाती चली जा रही है... “तुम जानते हो तुम्हारा व्यक्तित्व, बोलचाल का तरीक़ा, हर एक के साथ तुम्हारी ज़रूरत से ज़्यादा इंटीमेसी दिखाना सामनेवाले को हर बार ग़लतफ़हमी में डाल देता है. तुम्हारे व्यवहार के धोखे में आकर सामनेवाला अपने आप को तुम्हारी ज़िंदगी में बहुत ज़्यादा इंपॉर्टेंट समझने लगता है. इससे हमारा रिश्ता प्रभावित होता है.” स्वाति बार-बार उसे कहती. “ऐसा कुछ नहीं है. मैं जानता हूं तुम मेरे लिए क्या हो, मेरे मन में तुम्हारी जगह कोई नहीं ले सकता.” अमृत सपाट स्वर में कहता. “कभी मार्क किया है तुमने, शैली मुझे कैसी नज़र से देखती है? ऐसा लगता है जैसे मुझ पर हंस रही है कि तुम हो ही क्या? तुम्हारे पति के लिए तुम मायने ही क्या रखती हो? उसमें तुम्हें लेकर अपने आप पर इतना ज़्यादा कॉन्फ़िडेंस कैसे डेवलप हो गया अमृत?” स्वाति अब बिफरने लगी थी. “ऐसा कुछ भी नहीं है. ये सिर्फ तुम्हारी ग़लत सोच है, जिसे मैं बदल नहीं सकता.” अमृत के पास कहने को कुछ नहीं होता, तो वह स्वाति की सोच को ग़लत बताकर बात वहीं ख़त्म कर देता.
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“तुम ग़लत कर रहे हो अमृत. तुम स़िर्फ हमारे रिलेशनशिप के साथ ही धोखा नहीं कर रहे, बल्कि उस लड़की को बढ़ावा देकर उसकी भावनाओं से भी खेल रहे हो.” स्वाति कहने से अपने आप को रोक नहीं पाई.
“मैं किसी के भी साथ ऐसा नहीं करता. तुम्हें तो आदत हो गई है हर एक के साथ मेरा नाम जोड़ने की.” “मेरी हर एक के साथ तुम्हारा नाम जोड़ने की आदत नहीं है, तुम्हारी आदत है हर किसी के साथ ऐसा रिलेशन डेवलप कर लेने की.” स्वाति कहना चाहती थी, लेकिन तब तक अमृत कमरे से बाहर जा चुका होता था. स्वाति ने पास ही के शहर में नौकरी करने का निर्णय कर लिया था. उसने किराए का मकान भी ले लिया था. पहले स्वाति हर आठ दिन में अपने घर आ जाती थी, फिर धीरे-धीरे उसने आना कम कर दिया. जब भी आती, अमृत के उगाए हुए पेड़ों के जंगल उसके सामने आ जाते और उसका दम घुटने लगता... अमृत की ज़मीन पर उगे आर्या के पेड़ों को वह अपना नसीब मानकर बैठी रहे या ऋषि की ज़मीन पर अपना नया बगीचा बनाए. क्या ऋषि उम्रभर ऋषि ही रहेगा? या कुछ समय बाद वह अमृत बन जाएगा. अमृत की भीतरी ज़मीन पर पराए पेड़ों का घना जंगल था. अमृत के साथ रहते-रहते स्वाति को समय-समय पर उन जंगलों के बारे में पता चला है. दूसरों के अंदर पनपते उन पेड़ों के बारे में भी पता चला, जिनके बीज अमृत के व्यवहार से पनपे थे. पहले अमृत के अंदर स्वाति के मनचाहे पेड़ों का बगीचा था, जिसके सारे पेड़ स्वाति की पसंद के थे. लेकिन एक दिन अचानक आर्या ने स्वाति का भ्रम तोड़ दिया. स्वाति के लिए बगीचा तैयार करने के बहुत पहले से ही अमृत की ज़मीन पर आर्या ने अपने बीज बो दिए थे. उन पेड़ों की जड़ें इतनी अधिक गहरी और मज़बूत थीं कि स्वाति का कोमल बगीचा उखड़ने लगा. अब तो जब भी स्वाति अमृत की ज़मीन पर उतरती, अपने आप को आर्या के पेड़ों के बीच पाती. आर्या, फिर स्नेहा, फिर शैली... अमृत ने अपने अंदर न जाने कितने जंगल बना रखे थे. अमृत की ज़मीन के उन कंटीले जंगलों में भटकते-भटकते स्वाति थक गई थी. उनके कांटों से छलनी हो गई थी, इसलिए वह दूर चली आई थी. अमृत से दूर, ताकि ताज़ी हवा में खुलकर सांस ले सके. श्रीकांत को क्या कभी आर्या की ज़मीन पर पराए पेड़ों के जंगल दिखाई नहीं दिए होंगे? क्यों और कैसे श्रीकांत उन जंगलों को इतनी आसानी से सह लेता है? या फिर आर्या श्रीकांत के पहुंचने तक अमृत के जंगलों का रास्ता चतुराई से बंद कर देती है या आर्या ने अपने जंगलों को दो अलग-अलग हिस्सों में सफ़ाई से बांट रखा है. जब मौक़ा हो अमृत के जंगल में, जब मन हो श्रीकांत के साथ उसकी ज़मीन पर. कोई इतनी सफलतापूर्वक अपने दो हिस्से कैसे कर सकता है? पर कुछ लोग कर लेते हैं, जैसे अमृत. उसने तो न जाने अपने आप को कितने हिस्सों में बांट दिया है. स्वाति अपने आप को कभी भी अलग-अलग हिस्सों में बांट नहीं पाई. यदि दूसरे पेड़ उगाने हों, तो उसे पहला जंगल पूरा साफ़ करके ज़मीन खाली करनी होगी... “आ गया सामान?” ऋषि ने अंदर आते हुए पूछा, “सॉरी ज़रा काम से चला गया था, पर तुम तो रुक सकती थीं. शाम को साथ ही में चलते.” चाय, फिर साथ में डिनर बनाना, बीच-बीच में नोक-झोंक और बातें... फिर रात में गैलरी में चांद की रोशनी में बैठकर कॉफी. स्वाति का दिन अच्छा गुज़रा. आजकल ऋषि के साथ ज़िंदगी वैसी ही हल्की-फुल्की और ख़ुशनुमा हो गई है, जैसी शुरुआती दिनों में अमृत के साथ थी. हंसते-खेलते साथ में घर के काम करना, बातें करना... ठंडी-ठंडी छांव के बीच से झरती कच्ची-पक्की गुनगुनी धूप जैसे. क्या करे स्वाति? अमृत की ज़मीन पर उगे आर्या के पेड़ों को वह अपना नसीब मानकर बैठी रहे या ऋषि की ज़मीन पर अपना नया बगीचा बनाए. क्या ऋषि उम्रभर ऋषि ही रहेगा? या कुछ समय बाद वह अमृत बन जाएगा. अमृत भी पहले-पहले ऋषि जैसा ही था, पर धीरे-धीरे... क्या समय बीतने पर ऋषि भी अमृत बन जाएगा?... “ये क्या है शैली? हर काम में ग़लती. तुम्हारा ध्यान कहां रहता है आजकल?” अमृत ने बिल शैली के सामने फेंकते हुए कहा, “जाओ, फिर से बनाकर लाओ.” शैली ग़ुस्से से मुंह फुलाकर अमृत के केबिन से बाहर चली गई. अमृत भुनभुनाता हुआ वापस अपनी कुर्सी पर बैठ गया. “जब देखो तब बस बैठे-बैठे शीशे के उस पार से यहीं देखती रहती है या फिर केबिन में बैठे रहने के बहाने ढूंढ़ती रहती है. काम में कौड़ी का ध्यान नहीं है. कल इसके आने के पहले इसका टेबल दरवाज़े के सामने से साइड में शिफ्ट करवाना पड़ेगा.” अमृत के मोबाइल की रिंग बजी. आर्या का फोन था. झल्लाकर अमृत ने फोन काट दिया. दो मिनट बाद रिंग फिर बजी. उसके दो मिनट बाद फिर, अमृत बुरी तरह से चिढ़ गया. फोन रिसीव करके बोला, “मीटिंग में हूं. घर पहुंचकर बात करूंगा.”... अब तक अमृत अपने बीज पराई ज़मीनों पर उगाता आया था. इसी में उसे अपना पुरुषार्थ सार्थक होते दिखता था. आज तक कोई भी अमृत के उगाए पेड़ों को काटने का दुस्साहस नहीं कर पाया, लेकिन स्वाति ऐसा दुस्साहस कर सकती है. उसकी ज़मीन में अमृत के बीजों को भस्म करने का तेज है और अगर ऐसा हुआ, तो अमृत हार जाएगा और अपनी हार अमृत बर्दाश्त नहीं कर सकता. पिछले कई महीनों से अमृत देख रहा था स्वाति का व्यवहार बदल रहा है. पहले स्वाति हर आठ-दस दिनों में घर आ जाती थी. दो दिन भी रहती तो अपने बच्चे की तरह घर को दुलारती, अमृत का बिखरा सामान सहेजती, घर आकर अमृत से मिलकर उसके चेहरे पर एक आंतरिक ख़ुशी छलकती रहती थी. लेकिन अब उन कामों में उसका पहले-सा मन नहीं रहा. दो दिनों के लिए ही आती है और उसमें भी न जाने किससे बात करती रहती है फोन पर. अमृत के पूछने पर टाल जाती है. गैलरी या बरामदे में अमृत से दूर खड़ी होकर किसी से बात करते हुए स्वाति के चेहरे पर वही ख़ुशी छलकती है, वही भाव रहते हैं, जो आर्या से बात करते हुए अमृत के चेहरे पर रहते हैं. पिछले तीन महीनों से स्वाति घर नहीं आई. फोन भी हमेशा अमृत ही करता है और उसके कान महसूस करने लगे हैं, स्वाति के स्वर में धीरे-धीरे गहराती हुई तटस्थता को, उभरती हुई औपचारिकता को... घर आक�� अमृत सीधे गैलरी में जाकर बैठ गया. स्वाति को किसी भी तरह से घर वापस लाना होगा. अमृत जानता है, स्वाति अमृत नहीं है. उसकी ज़मीन पर एक साथ कई पेड़ नहीं उग सकते. अगर वह किसी और के बीजों को उगाने के लिए ज़मीन तैयार कर रही होगी, तो वह पहले अमृत के पेड़ों को जड़-मूल से साफ़ करके ही दूसरे के लिए ज़मीन तैयार करेगी. इसीलिए अमृत स्वाति से मन ही मन घबराता है, चाहे ऊपर से यह बात कभी भी उसने प्रकट नहीं की हो. और आजकल अमृत साफ़-साफ़ समझ रहा है, देख रहा है- स्वाति के अंदर कुछ तो उग रहा है. शायद उन बीजों का स्रोत अमृत को पता है. एक-दो बार स्वाति के यहां देखा था. तब ज़्यादा देर तक सामना नहीं हुआ था, पर शायद वही होगा. अमृत उस रात बिना खाए ही सो गया, स्वाति की चादर ओढ़कर. दूसरे दिन शैली ऑफिस पहुंची, तो देखा उसका टेबल अमृत के केबिन के सामने से शिफ्ट हो चुका है. शैली को समझ में नहीं आ रहा था कि उसने आख़िर ऐसा क्या गुनाह कर दिया है, जो अमृत अचानक ही उससे इतना नाराज़ रहने लग गया. पहले भी शैली काम में ग़लतियां करती थी, लेकिन अमृत ख़ुद ही करेक्शन कर लेता था. शैली को कुछ नहीं कहता था. जब भी अमृत ऑफिस में होता, किसी न किसी बहाने से शैली को अपने केबिन में बुलवाता और घंटों बातें करता रहता. घंटों की इन्हीं बातचीत और अमृत के स्पेशल अटेंशन ने शैली के मन में उसके लिए भावनाएं जगा दीं, तो इसमें शैली का क्या दोष? क्यों आज तक अमृत अपने व्यवहार से हर समय शैली के मन में यह एहसास जगाता आया है कि वह उसके लिए कुछ ख़ास जगह रखती है और अब जब शैली अमृत के इतने क़रीब आ गई है, तो अमृत क़दम-दर-क़दम उससे दूर चला जा रहा है. अमृत जब ऑफिस पहुंचा, तब शैली नीता के पास बैठकर अपना रोना रो रही थी. अमृत भुनभुनाते हुए अपने केबिन में आकर बैठ गया. “ये लड़कियां भी अजीब होती हैं. ज़रा-सा हंस-बोल लो, तो मान बैठती हैं कि सामनेवाले को इनसे प्यार हो गया है. जैसे कि आदमियों को और कोई काम ही नहीं है. किसी से हंसना-बोलना भी गुनाह हो गया है. हंसने-बोलने का लोग ग़लत ही मतलब निकालकर बैठ जाते हैं. चाहे आर्या हो, शैली हो या स्नेहा...” आर्या को पक्का विश्‍वास है कि अमृत के जीवन में आर्या से अधिक कोई महत्व नहीं रखता, स्वाति भी नहीं. परिस्थितिवश आर्या की शादी पहले हो गई, नहीं तो अगर वह अमृत को पहले मिली होती तो अमृत उसी से शादी करता. इस बात से अमृत भी इनकार नहीं कर सकता कि यदि वह श्रीकांत से पहले आर्या से मिला होता, तो वह उससे शादी कर लेता. यही वजह है कि वह कई बार बुरी तरह से चिढ़ जाने के बाद भी आर्या को छोड़ नहीं पा रहा. शायद कभी छोड़ भी नहीं पाएगा.
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आर्या अमृत की इस कमज़ोर नस को पहचान चुकी है. तभी वह अमृत द्वारा झिड़क दिए जाने के बाद भी उसका पीछा नहीं छोड़ती है. लेकिन इन सभी सच के ऊपर एक और सच है, जो अमृत बहुत अच्छे से जानता है और मानता है. आर्या से वह कभी भी शादी नहीं कर सकता और आर्या स्वाति नहीं है. आर्या ही क्या, कोई भी स्वाति की जगह नहीं ले सकता. आर्या अमृत के साथ से ख़ुश है, क्योंकि पति के अलावा भी एक और पुरुष का उसे अटेंशन मिल रहा है. लेकिन आर्या अगर उसकी पत्नी होती, तो अमृत के ऐसे रिश्ते को वह कभी भी सहन नहीं करती. वह अपने अधिकार की ज़मीन पर किसी दूसरे के पेड़ों को उगते नहीं देख पाती. जैसे स्वाति की ज़मीन पर किसी और के पेड़ों के उगने की आशंका अमृत के जीवन में एक तिलमिलाहट पैदा करती जा रही है. आदमी की फ़ितरत भी अजीब होती है. अब तक अमृत अपने बीज पराई ज़मीनों पर उगाता आया था. इसी में उसे अपना पुरुषार्थ सार्थक होते दिखता था. आज तक कोई भी अमृत के उगाए पेड़ों को काटने का दुस्साहस नहीं कर पाया, लेकिन स्वाति ऐसा दुस्साहस कर सकती है. उसकी ज़मीन में अमृत के बीजों को भस्म करने का तेज है और अगर ऐसा हुआ, तो अमृत हार जाएगा और अपनी हार अमृत बर्दाश्त नहीं कर सकता. रात में अमृत गैलरी में बैठ गया. स्वाति से बहुत देर तक बातें करके अभी-अभी उसने फ़ोन रखा था. इन दिनों वह रोज़ ही रात में देर तक स्वाति से बातें करता है. उसे एहसास दिलाता रहता है कि वह उसे कितना चाहता है, उसे स्वाति की कितनी ज़रूरत है. आख़िरकार अमृत ने एक फैसला किया. वो ज़िम्मेदारी अपने सिर पर लेने का, जिससे वह आज तक बचता आया है. वो ज़िम्मेदारी, जिसके लिए स्वाति अब तक तरस रही थी और अमृत उसका बोझ नहीं चाहता था. अब स्वाति टाल रही है, पर अमृत के पास और कोई चारा नहीं है. वो ज़िम्मेदारी ही स्वाति को हमेशा के लिए, हर परिस्थिति में अमृत के साथ बांधकर रख सकती है. शैली या आर्या तो बहुत आती-जाती रहेंगी, पर स्वाति उसे दोबारा नहीं मिलेगी. अमृत जानता था, इसलिए वह उसे खो नहीं सकता. एक नए बंधन में जकड़कर उसे दोबारा इस घर और अमृत के साथ उसकी ज़मीन पर लाकर बसाना ही होगा. अमृत कल सुबह-सुबह ही स्वाति के पास पहुंच जाएगा. अमृत अंदर जाकर स्वाति की चादर लपेटकर सो गया. अमृत के अंदर की ज़मीन पर स्वाति के पेड़ लहलहा रहे थे.
डॉ. विनीता राहुरीकर
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writerss-blog · 11 days
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सफर एक रास्ता
सौजन्य गूगल एक रास्ता है जिंदगी चलना संभल संभल के मंजिल पर नजर रखना कहीं गिर ना जाओ फिसल के । सफर बहुत है लंबा बाधाएं भी बहुत है कहीं कांटे ही कांटे पथ में कहीं फूल भी नही होंगे चलते ही जाना सबको कभी सफर कम ना होंगे । रुक जाना नहीं चलते ही रहना पांव थक जाए तो भी मंजिल पर बढ़ते रहना ।।
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amazingsubahu · 5 years
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सचेतन जीवन
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प्यारे दोस्तो,  कुछ  बेहद जरूरी बातें भी है, जिसे मैं सभी के साथ बांटना चाहता हूं, यदि यह आपको रुचिकर लगे एवं  लगन हो इसे सुनने, समझने और ग्रहण करने की और इससे लाभ प्राप्त करने की तो यह बेहतर बात होगी। मै एक स्वतंत्र, एकाकी और प्रयोगधर्मी व्यक्ति हूं, जीवन को उसके पूरे रूप मे जीना ही मेरे जीवन का मूल उद्देश्य रहा है, और यही आज तक मैंने किया है और करता रहूंगा जीवन पर्यंत। हम सब में कमजोरियां है, गलत आदतों, सोचों की गुलामी है, हम सभी की असफलताओ की कहानियां है, मेरा अपना जीवन सतत विकास का प्रयोग रहा है, और मैने निरंतर हर दिन अपने आप को बेहतर और सार्थक होने की ओर अग्रसर किया है। सदा अपनी गलतियों और असफलताओं से सीखा है, मैंने हमेशा अपनी हर कमज़ोरी, असफलता और खराबी को गौर से देखा है और उसे संवारा है, उसे अपनी शक्ति और प्रतिभा में बदला है, यही स्वयं के प्रति सही सलूक है एवं खुद के प्रति जिम्मेदारी और सहयोग। यह सभी के लिये सदा सम्भव है, चाहे आप कैसे भी हालात, शारिरिक, मानसिक स्थिति मे हों, यदि आप अपने जीवन, शरीर और मन के प्रति सजग और रचनात्मक है, प्रेमपूर्ण हैं और सभी आवश्यक परिवर्तनों के लिये प्रस्तुत है। यही अपने प्रति धर्म है, तो निश्चय ही आप जीवन के सभी लाभों और उपहारों के अधिकारी हो सकेंगे, वरना वे सदा ख्वाब ही रहेंगे।
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जीवन का उद्देश्य और हमारी जवाबदारी  इस दुनिया में हमारे जीवन और उप्लब्धियों से सम्बन्धित सब कुछ हम से ही शुरू होता है और हम पर ही खत्म होता है, इसलिये खुद को हर तरह से स्वस्थ और सक्षम बनाना हमारा एक मात्र कार्य है। तभी हम जो कुछ भी हमे मिला है, और मिल सकता है, उसका सही और रचनात्मक उपयोग अपने और सभी के लिये कर सकेंगे और उसमें वृद्धि भी कर सकेंगे, वरना हम अपना और अपने से जुड़ी हर बात का सत्यानाश का इंतज़ाम कर रहे है, करते रहेंगे, और इसे हम ही बदल सकते है, कभी भी। और आज और अभी से अच्छा समय कोई नही है, क्यूंकि अभी नहीं तो कभी नहीं, जो जरुरी बातों को कल पे टालता है उसका कोई कल कभी नही हुआ और ना कभी होगा, हां उसकी जिन्दगी मे हर किस्म की किलकिल जरूर होगी…..हा हा हा, यकीन ना हो तो खुद ही देख लो। हमारी असली परीक्षा अपनी कमजोरियों, और आदतो की गुलामी से मुक्ति प्राप्त करना है, व अपनी शक्ति और क्षमता का सही बातों और कार्यों मे उपयोग करने में है। यही एक बात हमें जीवन के रूपांतरण की शक्ति व उसमे सफलता प्राप्त करने योग्य बनाती है। इसके लिये जरूरी है, स्वयं के प्रति जागरूकता एवं अगाध प्रेम और निष्ठा। मेरे देखे जो अपना भला नहीं कर सकता वो किसी का भला कभी नहीं कर सकेगा, जो अपना नही हुआ, वो किसी का भी नहीं हो सकेगा। हमें सब कुछ सिखाया और बताया जाता है, सिवाय एक बात के कि – जीवन क्या है, और इसे कैसे और सही तरह से जिया जाये? हम जीवन भर अन्धों की तरह सब कुछ करते रह्ते हैं। धर्म, परिवार, समाज, रूग्ण परम्पराओं, रिवाजों, अवास्तविक आदर्शों, मूढ़तापूर्ण अवैज्ञानिक जीवन शैली, मान्यताओं और आदतों को अपनाकर, और उनमें उलझे रहकर। इनमें से अधिकांश की व्यर्थता के प्रति अपनी अनभिज्ञता के चलते हम सब, बिना कुछ सोचे समझे और जाने, की यह सब क्या है, और हमें कहां ले जा रहा है। हम बस हल मे बन्धे बैलों की तरह इन सब बातों का बोझ ढोते – ढोते, जिसे परिवार, परम्परा और समाज ने हमारे बिना चाहे हम पर जन्म से थोप दिया है, हम चुपचाप इन्हें अंगीकार कर लेते है। इनसे मिलने वाले लाभों और सुरक्षा के भ्रम मे भटके हुए, उन सभी अर्थहीन बातो को दोहराते जीवन का अंत कर लेते हैं, और बिना विकसित हुए वैसे ही अन्धे और असहाय मृत्यु को प्राप्त होते हैं। यह हम सब की कहानी है, लेकिन इसे हम ही बदल सकते हैं, जीवन को जान कर, समझ कर और सही तरीके से जी कर। इसे और गुणात्मकता और रचनात्माकता आधारित बनाकर, यही जीवन का परम लक्ष्य है। हम सभी इस बात से उदासीन एवं बेहोश हालत में पूरा जीवन बिता देते हैं, और इस तरह हमारा जीवन व्यर्थता में और हमारी जीवन शक्ति गैर रचनात्मक बातों और लक्ष्यों को प्राप्त करने के अनावश्यक संघर्ष में हर बार नष्ट हो जाती है। और हम खाली हाथ आते है और खाली हाथ इस दुनिया से विदा हो जाते हैं, बिना किसी विकास एवं बोध के। फिर यह चक्र अनंत बार चलता रह्ता है और हम हर बार इस अवसर जिसे जीवन कहते है, व्यर्थ की ��ातों का पीछा करते-करते खो देते हैं।
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जीवन को सार्थक कैसे बनाये ?  - करने योग्य कार्य करके  निश्चय ही हमें यह बहुमूल्य जीवन इस तरह कोल्हू के बैल की तरह जीने और बोझ ढोते मर जाने के लिये नहीं मिला है। सर्वप्रथम, इन बातों को जानना एवं इसको समझना- कि हम क्या हैं (वर्तमान शारीरिक – मानसिक स्थिति) और क्या करना चाहते हैं? (लक्ष्य-जीवन उद्देश्य) क्यूं करना चाहते हैं (प्रेरक तत्व), और कैसे करना चाहते है (दिशा एव विधि) ? इस सब से क्या उपलब्ध होगा, उसकी सार्थकता और उपयोग क्या है? यह सब जीवन के मूल प्रश्न हैं, और हमें इनके सम्बन्ध में कुछ नही सिखाया और समझाया जाता, ना ही इन सवालो के जवाब हमें कोई और दे सकता है। यह हमारे अस्तित्व से जुड़े प्रश्न हैं, और इनका जवाब हमें खुद ढूंढना होता है, लेकिन इसके लिये चाहिये साहस, नये और अंजान मे उतरने का, खोजने का, अनुसन्धान करने का, क्या हम इस सब के लिये तैयार है? सोचिये, हम सब कि हालत उस व्यक्ति जैसी है, जिसे खज़ाना मिला हो लेकिन पता ना हो की उसके साथ करना क्या है? यह जीवन जो हमें मिला हुआ है, अनंत सम्भावनाओं का द्वार है, लेकिन इसे खोलना और इसके खजाने में से मूल्यवान को धारण करना, श्रमसाध्य है एवं अदम्य साहस एवं धैर्य की मांग करता है, करोड़ों में से कुछ लोग ही इसमें उतर पाने कि योग्यता और पात्रता पूरी कर पाते हैं। लेकिन यह अवसर हम सभी को समान रूप से मिला हुआ है, लिंग, जाति, समाज, धर्म, आर्थिक-सामाजिक स्थिति और समस्त भेदों से परे, क्यूंकि अस्तित्व हमारी तरह कृपण और तंग दिल नहीं है। उसने अपने खज़ाने सभी के लिये खोल रखे है। लेकिन, सिर्फ आंखों वाले ही उसे देख पाते हैं, और उसमें प्रवेश कर पाये है, और कभी भी कर सकेंगे। लेकिन दुर्भाग्य से हम मे से अधिकांश लोग इसे मूर्खतापूर्ण बातों और कामों मे नष्ट कर देते है। कभी भी होश में नहीं आते और इस मूल्यवान अवसर जिसे जीवन कहते है, गंवा देते है, यह हम सब की कहानी है। अब यह सब आपको दार्शनिक बातें लग सकती है, और यह है भी, क्यूंकि सिर्फ मनुष्य ही है समस्त प्राणी जगत में, जो विचार करने में सक्षम है, और सिर्फ वो ही देख और समझ पाने की योग्यता अर्जित कर सकता है।
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हमारी सम्भावना जिसे हमें यथार्थ मे बदलना है  हम सब के साथ अनंत सम्भावनायें है, लेकिन उसे वास्तविकता में बदलने के लिये, गहरी समझ और निरीक्षण की जरूरत होती है। इसके लिये जरूरत होती है, स्वयं के सतत परीक्षण एवं निरीक्षण की। हम में से बहुत से लोग इस सम्बन्ध में ना कभी कुछ सोचते हैं ना ही कुछ करते है। यह सब बातें सिर्फ उन्ही व्यक्तियों के लिये उपयोगी और रूचिकर हो सकती है, जो जागरुक एवं चेतस जीवन जीने के आकांक्षी है। और मै यहां सिर्फ उन्हीं से सम्बोधित होना चाह्ता हूं और, उन्हे ही इससे लाभ प्राप्त हो सकता है। मेरे लिये जीवन एक महान अवसर है, मेरे शरीर, मन के महत्तम विकास का और अपनी आत्मा के करीब होने का। उसे प्रकट करने का, इस जगत के सौन्दर्य को देखने का, उसे पीने का, उसमें उतरने का। और उसमें सजगता पूर्वक हर सम्भव मानवीय तरीके से, अपनी रचनात्माकता अपनी क्रियाशीलता से, उसे और सुन्दर, बेहतर और विकसित बनाने का। “मेरे लिये चारों और अभिव्यक्त जीवन ही जीवंत परमात्मा है”, ऐसा सदगुरु ओशो ने कहा है, और मै इस बात से सहमत हूं। और जीवन पथ पर अग्रसर हूं, रूग्ण, रूढ़िगत और अप्रचलन को उपलब्ध बातों, कामों, विश्वासों और तरीकों से मुक्त होने के लिये, नये आयामों मे प्रविष्ट होने के लिये, नये प्रयोग करने के लिये, नयी बातें सीखने, नये लोगो से संबंधित होने के लिये, नयी ऊंचाइयो को छूने के लिये। जो हूं उससे और बेहतर और व्यापक होने के लिये, नये प्रतिमान गढ़ने के लिये, मैं सदैव खुला और तत्पर हूं। अपने आप का हर सम्भव आयाम मे विकास एवं विस्तार करना ही मेरे जीवन का उद्देश्य है।
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हम ही अपने जीवन के निर्माता और सर्जक है  जीवन एक सतत प्रक्रिया है, इसका कोई अंत नही, इसका कोई लक्ष्य नहीं, यह स्वयं एक पूर्णता है। इसके समस्त आयामों में प्रचुरता, और आधिक्य को उपलब्ध करना ही मेरा लक्ष्य है। और जो कुछ भी आज तक किसी भी आयाम में जाना, सीखा, और अर्जित किया है उसको अपने और अपने से जुड़ी हर बात और व्यक्ति के विकास एवं समृद्धि के लिये प्रस्तुत और उपयोग करना ही मेरा पूर्णकालिक कार्य है। यही मेरा धर्म है, कर्म है, इस जीवन के प्रति, इस जगत के प्रति, जिसने मुझे प्रतिपल अनगिनत सांसे और लाभ बिना मांगे दिये हैं, और बिना कुछ किये जन्म से लेकर मृत्यु तक मिलते रहेंगे। मुझे जो कुछ भी यहां से मिला है, मिल रहा है, सभी रूपों में उस सब के लिये मैं समस्त अस्तित्व एवं उन सभी प्रकट-अप्रकट, जाने-अंजाने व्यक्तियों और शक्तियों का तहेदिल से कृतज्ञ हूं और सदा रहूंगा। जिन्होंने मेरे आंतरिक एवं बाह्य जीवन को छुआ और प्रभावित किया है और मुझे एक ज्यादा परिपक्व, जिम्मेदार, विचारशील, सम्वेदनशील, गहन, और एक शानदार, शक्तिशाली, और बेहद प्रेमपूर्ण व्यक्ति और मनुष्य के रूप मे विकसित होने में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर मदद की है। हा हा हा , मेरे ख्याल से अपनी इतनी तारिफ़ काफ़ी है, बचपन से ही स्वावलम्बी रहना मुझे पसन्द है, इसिलिये यह काम भी खुद ही कर लेता हूं, लेकिन मैं इस सब से भी बहुत ज्यादा हूं, जिसे शब्दों में नहीं कहा जा सकता । और यह हम सब की खासियत है, लेकिन सिर्फ कुछ लोग इसे पहचान पाते हैं, इसकी कद्र कर पाते हैं, और इसे और बेहतर तल पर ले जाते है। मुझसे गहराई से जुड़ने वाला प्रत्येक व्यक्ति इस बात को अच्छी तरह से जानता है। हम सब में कुछ खास है, इसकी खोज और उसकी परवरिश ही असली काम है, इसिलिये मै खुद को “अमेज़िंगसुबाहू ” कहता हूं, मेरे ब्लाॅग का टाईटल ही इस बात का उद्घोष है की हम सब “अमेज़िंग” हैं, चाहे हम कितने भी साधारण या असाधारण हालात, स्थितियों और परिवेश कि उपज हो। कितने ही सक्षम या असक्षम महसूस करते हो, इसे हमें ही खोजना है, लेकिन हम इस बात पर विश्वास नहीं करते, ना ही कभी इसकी खोज करने में रूचि लेते है। और जीवन एक व्यर्थता का गहन गम्भीर बोझ बनकर हमारी हर सांस पे सवार रहता है और हम इसे मृत्यु पर्यंत गधे की तरह थक कर टूटकर ढोते- ढोते मर जाते हैं। लेकिन हम इस तरह नष्ट होने के लिये जन्म नही लिये हैं, यह जानना और समझना सबसे जरूरी बात है।
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मेरा प्रयास और संकल्प  इस तरह मेरा ब्लॅाग सभी चेतन, विकासशील एवं नवीनता के गहन अभिलाषी और प्रयोगधर्मी व्यक्तियों के लिये है, जो जीवन को पूरी तरह स्वस्थ और रचनात्मक तरीके से जीने और हर सम्भव आयाम में विकसित करने में रूचि रखते हैं। यही मेरे ब्लाॅग की मूलधारा है, और मेरे सारे लेख, अभिव्यक्तियां, प्रयोग और संवाद साथ ही अन्य उपलब्ध जानकारियां, लिंक, सुझाव् जीवन को बेहतर बनाने, सभी सकारात्मक परिवर्तनों को जीवन में कार्यरूप मे परिणित करने और सजगता पूर्वक जीने से सम्बन्धित रहेंगे। इसमे समाहित है, हमारे, विचार, आदतों, काम-काज़ के तरीके, जीवन की समस्त आवश्यक बातों और गतिविधियों के प्रति हमारे दृषि्टकोण और क्रियाकलाप, और उनमें पूरी तरह सकारात्मक एव रचनात्मक परिवर्तन करने की विधियां, प्रयोग, एवं अनुभव। यहां वास्ताविक एवं पूर्णतया व्यव्हारिक बातों पर आधारित लेख व सामग्री उपलब्ध रहेगी जिसे आप स्वयं प्रयोग एवं व्यव्हार कर हमेशा जांच सकेंगे की वो आपके लिये उपयोगी और लाभदायक है या नहीं। लेकिन जो भी यहां पढ़ें, देखें, समझें या प्रयोग करें बिना किसी पूर्वाग्रह के तथा पूरी तैयारी के साथ ईमानदारी पूर्वक करें और बिना वास्तविक अनुभव के ना उन्हें स्वीकार करें ना अस्वीकार, प्रयोग करके ही निर्णय लें। यदि अपेक्षित परिणाम मिले तो शेयर कीजिये सभी मित्रों के साथ यही निवेदन है और आवश्यक भी। मै यहां ऐसी किसी भी बात का उल्लेख नहीं करुंगा जो मेरे जीवन का अनुभव नहीं है, या जिसका व्यक्तिगत तौर पे उपयोग, परीक्षण, अवलोकन और रिसर्च नहीं किया है। आप भी, किसी भी लेख में प्रस्तुत सामग्री को इंटरनेट पर उपलब्ध अनेक संसाधनों पर सर्च करके देख सकते है, तभी उसके सम्बन्ध में कोई धारणा बनाये या उपयोग करे, बिना जाने-समझे कोई भी प्रयोग ना करें या सही तरीके से उपयोग किये बगैर कोई कमेंट या निष्कर्ष प्रस्तुत ना करे। यहां सिर्फ बातचीत या सुझावों के आदान प्रदान की प्रक्रिया नहीं वरन् जीवन रूपांतरण में रूची रखने के लिये प्रस्तुत व्यक्तियों को ही लाभ प्राप्त हो सकेगा, उम्मीद है, आप सभी इन बातों से लाभ ले सकने में सक्षम रहेंगे। यदि आपको पसन्द आये तो, वास्तविकता यह है की हमारे मन को ऐसी हर बात से अरूचि होती है, जो उसके बीमार निहित स्वार्थो, रूग्ण आदतो, कायर रवैयो और सीमितता के खिलाफ हो, वो ऐसी हर बात से बचना चाहता है जो नयी हो,जीवंत हो, गैर परम्परागत हो। इसलिये जो लोग अपने मन और आदतो के गुलाम है, व जिनमे आवश्यक परिवर्तनो के लिये गहरी इच्छा शक्ति ना उन्हे इन बातो से अरूचि ही रहेगी, और उन लोगो मे और मुर्दो मे कोई भी फर्क नही है, और मै यहाँ सिर्फ जिन्दा लोगों के लिए हूँ I जो इतने कमज़ोर और मजबूर है, उनका वैसे भी कुछ नही हो सकता, जब तक वो अपनी मानसिक गुलामी, और कूपमन्डूक मानसिकता से मुक्त नही हो जाते।
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परमात्मा भी ऐसे लोगो के लिये कुछ नही कर सकता जिनकी खुद के कल्याण मे रुचि ना हो, जो खुद के भले कि फिक्र ना करे उसकी फिक्र कोई क्यूँ करेगा। ऐसे ही लोग भाग्य और परमात्मा को कोसते रहते है, खुद की नालायकी का जिम्मा किसी और को कैसे दिया जा सकता है। मेरी हर सम्भव कोशिश रहेगी कि आप को श्रेष्ठ एवं पूर्णतया उपयोगी सामग्री उपलब्ध होती रहे, और आप सभी उससे लाभांवित हो सके। तीन सूत्र – जागरूकता, ध्यानपूर्वक, समग्रता से उपयोग या अंगीकार, इतना करना बेहद जरूरी है। इसके बिना किसी भी बात कि सत्यता या प्रभावशीलता का परीक्षण नही किया जा सकता है, और ना कभी किया जा सकेगा। तो तैयार रहें स्वयं के सर्वांगीण विकास, नव निर्माण और खोज की चुनैाती भरी विस्मयकारी यात्रा के लिये मेरे ख्याल से इस पेज पर काफी बातें हो गयी हैं, और भी बेहतर और मज़ेदार बातें हम आगे भी करते रहेंगे। यह तो सिर्फ शुरूआत है, मेरे लेखो में अभिव्यक्त बात पसन्द आये या जो भी आपके विचार हो, कमेंट बॅाक्स में लिखिये, कोई सवाल हो तो कीजिये, मेरे पास कोई सही और उचित जवाब होगा तो जरूर आपको उत्तर दूंगा ….. मेरे ब्लाॅग को विज़िट करने के लिये शुक्रिया….. आपका अपना अमेजिंगसुबाहू   Read the full article
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gyanyognet-blog · 5 years
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विज्ञान भैरव तंत्र विधि–104 (ओशो)
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विज्ञान भैरव तंत्र विधि–104 (ओशो)
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तीसरी विधि:
‘हे शक्‍ति, प्रत्‍येक आभास सीमित है, सर्वशक्‍तिमान में विलीन हो रहा है।’
जो कुछ भी हम देखते है सीमित है, जो कुछ भी हम अनुभव करते है सीमित है। सभी आभास सीमित है। लेकिन यदि तुम जाग जाओ तो हर सीमित चीज असीम में विलीन हो रही है। आकाश की और देखो। तुम केवल उसका सीमित भाग देख पाओगे। इसलिए नहीं कि आकाश सीमित है, बल्‍कि इसलिए कि तुम्‍हारी आंखें सीमित है। तुम्‍हारा अवधान सीमित है। लेकिन यदि तुम पहचान सको कि यह सीमा अवधान के कारण है, आंखों के कारण है, आकाश के सीमित होने के कारण नहीं है तो फिर तुम देखोगें कि सीमाएं असीम में विलीन हो रही है। जो कुछ भी हम देखते है वह हमारी दृष्‍टि के कारण ही सीमित हो जाता है। वरना तो अस्‍तित्‍व असीम है। वरना तो सब चीजें एक दूसरे में विलीन हो रही है। हर चीज अपनी सीमाएं खो रही है। हर क्षण लहरें महासागर में विलीन हो रही है। और न किसी को कोई अंत है, न आदि। सभी कुछ शेष सब कुछ भी है।
सीमा हमारे द्वारा आरोपित की गई है। यह हमारे कारण है, क्‍योंकि हम अनंत को देख नहीं पाते, इसलिए उसको विभाजित कर देते है। ऐसा हमने हर चीज ��े साथ किया है। तुम अपने घर के आस-पास बाड़ लगा लेते हो। और कहते हो कि ‘यह जमीन मेरी है, और दूसरी और किसी और की जमीन है।’ लेकिन गहरे में तुम्‍हारी और तुम्‍हारे पड़ोसी की जमीन एक ही है। वह बाड़ केवल तुम्‍हारे ही कारण है। जमीन बंटी हुई नहीं है। पड़ोसी और तुम बंटे हुए हो अपने-अपने मन के कारण।
देश बंटे हुए है तुम्‍हारे मन के कारण। कहीं भारत समाप्‍त होता है और पाकिस्‍तान शुरू होता है। लेकिन जहां अब पाकिस्‍तान है कुछ वर्ष पहले वहां भारत था। उस समय भारत पाकिस्‍तान की आज की सीमाओं तक फैला हुआ था। लेकिन अब पाकिस्‍तान बंट गया, सीमा आ गई लेकिन जमीन वही है।
मैंने एक कहानी सुनी है जो तब घटी जब भारत और पाकिस्‍तान में बंटवारा हुआ। भारत और पाकिस्‍तान की सीमा पर ही एक पागलखाना था। राजनीतिज्ञों को कोई बहुत चिंता नहीं थी कि पागलखाना कहां जाए। भारत में कि पाकिस्‍तान में। लेकिन सुपरिनटैंडैंट को चिंता थी। तो उसने पूछा कि पागलखाना कहां रहेगा। भारत में या पाकिस्‍तान में। दिल्‍ली से किसी ने उसे सूचना भेजी कि वह वहां रहने वाले पागलों से ही पूछ ले और मतदान ले-ले कि वे कहां जाना चाहते है।
सुपरिन्‍टेंड़ेंट अकेला आदमी था जो पागल नहीं था और उसने उनको समझाने की कोशिश कि। उसने सब पागलों को इकट्ठा किया और उन्‍हें कहां, ‘अब यह तुम्‍हारे ऊपर है, यदि तुम पाकिस्‍तान में जाना चाहते हो तो पाकिस्‍तान में जा सकते हो।’
लेकिन पागलों ने कहां, ‘हम यही रहना चाहते है। हम कहीं भी नहीं जाना चाहते।’ उसने उन्‍हें समझाने की बहुत कोशिश की। उसने कहां, ‘तुम यहीं रहोगे। उसकी चिंता मत करो। तुम यहीं रहोगे लेकिन तुम जाना कहां चाहते हो।’ वे पागल बोले, ‘लोग कहते है कि हम पागल है, पर तुम तो और भी पागल लगते हो। तुम कहते हो कि तुम भी यहीं रहोगे और हम भी यहीं रहेंगे। कहीं जाने की चिता नहीं है।’
सुपरिन्‍टेंड़ेंट तो मुश्‍किल में पड़ गया कि इन्‍हें पूरी बात किस तरह समझाई जाए। एक ही उपाय था। उसने एक दीवार खड़ी कर दी और पागल खाने के दो बराबर हिस्‍सों में बांट दिया। एक हिस्‍सा पाकिस्‍तान हो गया एक हिस्‍सा भारत बन गया। और कहते है कि कई बार पाकिस्‍तान वाले पागल खाने के कुछ पागल दीवार पर चढ़ आते है। और भारत वाले पागल भी दीवार कूद जाते है और वे अभी भी हैरान है कि क्‍या हो गया है। हम है उसी जगह पर और तुम पाकिस्‍तान चले गए हो हम भारत चले गए है। और गया कोई कहीं भी नहीं।
वे पागल समझ ही नहीं सकते, वे कभी भी नहीं समझ पाएंगे, क्‍योंकि दिल्‍ली और कराची में और भी बड़े पागल है।
हम बांटते चले जाते है। जीवन अस्‍तित्‍व बंटा हुआ नहीं है। सभी सीमाएं मनुष्‍य की बनाई हुई है। वे उपयोगी है यदि तुम उसके पीछे पागल न हो जाओ और यदि तुम्‍हें पता हो कि वे बस कामचलाऊ है, मनुष्‍य की बनाई हुई है। मात्र उपयोगिता के लिए है; असली नहीं है, यथार्थ नहीं है, बस मान्‍यता मात्र है, कि वे उपयोगी तो है, लेकिन उसमें कोई सच्‍चाई नहीं है।
‘हे शक्‍ति, प्रत्‍येक आभास सीमित है, सर्वशक्‍तिमान में विलीन हो रहा है।’
तो तुम जब भी कुछ सीमित देखो तो हमेशा याद रखो कि सीमा के पार वह विलीन हो रहा है, सीमा तिरोहित हो रही है। हमेशा पार और पार देखो।
इसे तुम एक ध्‍यान बना सकते हो। किसी वृक्ष के नीचे बैठ जाओ और देखो, और जो भी तुम्‍हारी दृष्‍टि में आए, उसके पार जाओ, पार जाओ, कहीं भी रूको मत। बस यह खोजों कि यह वृक्ष कहां समाप्‍त हो रहा है। यह वृक्ष तुम्‍हारे बग़ीचे में यह छोटा सा वृक्ष पूरा अस्‍तित्‍व अपने में समाहित किए हुए है। हर क्षण यह अस्‍तित्‍व में विलीन हो रहा है।
यदि कल सूर्य न निकले तो यह वृक्ष मर जाएगा। क्‍योंकि इस वृक्ष का जीवन सूर्य के जीवन के साथ जुड़ा हुआ है। उनके बीच दूरी बड़ी है। सूर्य की किरणें पृथ्‍वी तक पहुंचने में समय लगता है। दस मिनट लगते है। दस मिनट बहुत लंबा समय है। क्‍योंकि प्रकाश बहुत तेज गति से चलता है। प्रकाश एक सेकेंड में एक लाख छियासी हजार मील चलता है। और सूर्य से इस वृक्ष तक प्रकाश पहुंचने में दस मिनट लगते है। दूरी बड़ी है, विशाल है। लेकिन यदि सूर्य न रहे तो वृक्ष तत्‍क्षण मर जायेगा। वे दोनों एक साथ है। वृक्ष हर क्षण सूर्य में विलीन हो रहा है। और सूर्य हर क्षण वृक्ष में विलीन हो रहा है। हर क्षण सूर्य वृक्ष में प्रवेश कर रहा है। उसे जीवंत कर रहा है।
दूसरी बात, जो अभी विज्ञान को ज्ञान नहीं है, लेकिन धर्म कहता है कि एक और घटना घट रही है। क्‍योंकि प्रति संवेदन के बिना जीवन में कुछ भी नहीं रह सकता। जीवन में सदा एक प्रति संवेदन होता है। और ऊर्जा बराबर हो जाती है। वृक्ष भी सूर्य को जीवन दे रहा होगा। वे एक ही है। फिर वृक्ष समाप्‍त हो जाता है सीमा समाप्‍त हो जाती है।
जहां भी तुम देखो, उसके पार देखो, और कहीं भी रूको मत। देखते जाओ। देखते जाओ, जब तक कि तुम्‍हारा मन न खो जाए। जब तक तुम अपने सारे सीमित आकार न खो बैठो। अचानक तुम प्रकाशमान हो जाओगे।
पूरा अस्‍तित्‍व एक है, वह एकता ही लक्ष्‍य है। और अचानक मन आकार से सीमा से परिधि से थक जाता है। और जैसे-जैसे तुम पार जाने के प्रयत्‍न में लगे रहते हो, पार और पार जाते चले जाते हो। मन छूट जाता है। अचानक मन गिर जाता है। और तुम अस्‍तित्‍व को विराट अद्वैत की तरह देखते हो। सब कुछ एक दूसरे में समाहित हो रहा है। सब कुछ एक दूसरे में परिवर्तित हो रहा है।
‘हे शक्‍ति, प्रत्‍येक आभास सीमित है, सर्वशक्‍तिमान में विलीन हो रहा है।’
इसे तुम एक ध्‍यान बना ले सकते हो। एक घंटे के लिए बैठ जाओ और इसे करके देखो। कहीं कोई सीमा मत बनाओ। जो भी सीमा हो उसके पार खोजने का प्रयास करो और चले जाओ। जल्‍दी ही मन थक जाता है। क्‍योंकि मन असीम के साथ नहीं चल सकता। मन केवल सीमित से ही जुड़ सकता है। असीम के साथ मन नहीं जुड़ सकता; मन ऊब जाता है। थक जाता है। कहता है, ‘बहुत हुआ,अब बस करो।’ लेकिन रूको मत, चलते जाओ। एक क्षण आएगा जब मन पीछे छूट जाता है। और केवल चेतना ही बचती है। उस क्षण में तुम्‍हें अखंडता का अद्वैत का ज्ञान होगा। यही लक्ष्‍य है। यह चेतना का सर्वोच्‍च शिखर है। और मनुष्‍य के मन के लिए यह परम आनंद है, गहनत्‍म समाधि है।
ओशो
विज्ञान भैरव तंत्र, भाग—पांच,
प्रवचन-75
साभार:-(oshosatsang.org)
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manishajain001 · 4 years
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मैं पूरी तरह ठीक हूं। अफवाह थी कि मुझे भी कोरोना संक्रमण हुआ है। अमित जी को संक्रमण कैसे हुआ है यह तो मुझे नहीं मालूम। पर उनको माइल्ड स्टेज का है। मुझे पूरा यकीन है कि वह इससे उबर कर यकीनन बाहर आएंगे। फाइटर इंसान हैं वह। बहुत अलग-अलग दिक्कतें उनको रही हैं। अपनी जिंदगी में कई बार वो हॉस्पिटलाइज होते रहें, मगर हमेशा हर बार फाइट बैक कर वापस आते रहे हैं। हम सब उनके लिए प्रार्थना कर रहे हैं। वह यकीनन हेल एंड हार्टी यानी पूरी तरह तंदुरुस्त हो जाएंगे। वह भी और अभिषेक भी।
हेमा को काम करने के लिए प्रेरित करते थे बिग बी
हम लोग हमेशा एक दूसरे का कुशलक्षेम लेते रहते हैं। इस बार भी वह बिल्कुल ठीक हो जाएंगे। इसमें कोई दो राय है ही नहीं। दरअसल शारीरिक से ज्यादा वह मानसिक तौर पर मजबूत रहे हैं। मुझे हमेशा कहते भी रहे हैं कि कभी भी खाली मत बैठना हेमा जी। कुछ ना कुछ करते रहना। उससे शरीर और मन दोनों तंदुरुस्त रहेंगे। एनर्जी महसूस होती रहेगी। दिमाग को कभी भी सुस्त होने ही मत दीजिएगा। खाली तो कतई मत बैठने दीजिएगा उसको। कुछ ना कुछ करते रहेंगे तो ब्रेन एक्टिव रहेगा ही। कभी कोई बहाना नहीं बनाने का। कि अभी तो लॉकडाउन हो गया। अभी तोबरसात है। काम कैसे करें? बिल्कुल नहीं।
यही वजह है कि मैं अब भी डांस प्रैक्टिस करती ही रहती हूं। बावजूद इसके कि उम्र के इस मोड़ पर इसकी कोई जरूरत नहीं। मगर मैं भरतनाट्यम की लगातार कोई न कोई विधा सीखती ही रहती हूं। इसके चलते आपकी याददाश्त तो बरकरार रहती ही है साथ हीआप फोकस भी कर पाते हैं। आपका शरीर और मन दोनों लगातार काम कर रहा होता है। बाकी योगा तो करती रहती हूं मैं।
एहतियात के साथ शूटिंग शुरू करनी चाहिए
रहा सवाल 65 से ज्यादा उम्रवाले कलाकारों को काम पर जाने का, तो यह जो अमित जी को हुआ है, यकीनन सब को डर तो लग रहा होगा। मगर मेरा कहना है कि अगर आप में गट्स है तो आपको जरूर शूटिंग करना चाहिए। एहतियात बरतें मगर हां डोंट बी फूलिश। यह कतई ना सोचें कि मुझे तो कुछहोगा ही नहीं। काम पर येसोचकर निकलें कि कुछ भी हो सकता है। उसे ध्यान में रखते हुए एहतियात बरतें और सतर्क रहें। एक अजीब तरह की महामारी है यह। यहां काम पर भी जाना है और बचकर भी रहना है। भगवान से तो यही प्रार्थना करूंगी कि सब को जल्द से जल्द ठीक कर दे।
ये सब काफी डरावना है
कलाकार बिरादरी के लोग बैठ बैठ कर थक तो चुके हैं। कई लोगों ने काम शुरू कर दिया है। हालांकि बड़ी अजीब सी स्थिति तो है अब भी। घर से बाहर निकलने पर ही अगर ऐसा संक्रमण हो रहा है तो यह डरावना है ना। लिहाजा अभी तो इसका जवाब सामने नहीं आ पा रहा है कि कब से ��ुल फ्लेज्डमें काम शुरू हो जाएगा? क्योंकि यह किसी को भी हो सकता है। लिहाजा किसी को भी फूलिशली बोल्ड नहीं होना चाहिए।
धर्मेंद्र फार्महाउस में सुरक्षित हैं
धरम जी बहुत अच्छे हैं। फार्म हाउस पर हैं। उधर पूरी तरह से सिक्योर्ड माहौल है। शहरों में ज्यादा प्रॉब्लम है। वहां वह फार्मिंग भी कर रहे हैं। मैं वहां नहीं जा पा रही हूं, क्योंकि मैं दोनों बेटियों और ग्रैंडचिल्ड्रन में बिजी हूं। इनको भी छोड़ कर कहीं जाओ तो टेंशन लगी रहती है। मेरी बेटियां तो और भी मुझे कहीं बाहर नहीं निकलने दे रहीं हैं। अब ऐसा समय आ गया है कि वह मेरा ख्याल रख रही हैं।
भाईयों को देती हूं अमित जी का उदाहरण
बच्चन साहब की एक और खूबी मुझे याद आ रही है कि कुली के बाद भी जब हमने साथ में काम किया तो कभी उनके चेहरे पर शिकन नहीं देखीकि इतनी मेजर सर्जरी से बाहर निकलें। एल्डरली पीपल को तो उनसे सीख लेनी चाहिए। मैं तो अपने भाइयों को भी बोलती रहती हूं कि देखो- अमित जी से सीखो। एक्टिव रहो उनकी तरह।
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Hema Malini gives the example of Amitabh Bachchan to her brothers, said- 'he is mentally stronger than physical'
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kisansatta · 4 years
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कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार की चिन्ता
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कोरोना महामारी के प्रकोप से निपटने की चुनौतियां लगातार बढ़ रही हैं हर दिन संक्रमण और संक्रमण से होने वाली मौतों के आंकड़े नई ऊंचाई छू रहे हैं। भारत में कोरोना मामलों का रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ना जारी है। दुनिया में सबसे तेजी से कोरोना संक्रमण अपने देश में ही बढ़ रहा है। देश में बुधवार को रिकॉर्ड 95,735 नये संक्रमण के एवं 1172 मौत के मामले सामने आए हैं। इस सप्ताह में संक्रमण के लगभग हर दिन नब्बे हजार मामले एवं हर दिन एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो रही है।
कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 44 लाख पार पहुंच गई है। दुनिया में अभी संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले अमेरिका में है। लेकिन हम अमेरिका, ब्राजील जैसे उन देशों को भी पीछे छोड़ कर आगे बढ़ गए हैं, जहां दुनिया में अभी तक सबसे अधिक मामले दर्ज हो रहे थे। यह निस्संदेह केंद्र और राज्य सरकारों के लिए चिंता का विषय होना चाहिए। कहा जा रहा है कि जांच में तेजी आने के कारण संक्रमितों की पहचान भी तेजी से हो रही है, इसलिए आंकड़े कुछ बढ़े हुए दर्ज हो रहे हैं। पर कुछ लोगों को शिकायत है कि जांच में अपेक्षित गति नहीं आ पा रही है। पुख्ता जांच एवं वैक्सीन का आश्वासन, उजाले का भरोसा सुनते-सुनते लोग थक गए हैं। अब तो कोरोना मुक्ति का उजाला एवं उपचार हमारे सामने होना चाहिए। इस अभूतपूर्व संकट के लिए अभूतपूर्व समाधान खोजना ही होगा। प्रारंभिक दौर में सरकार एवं शासकों ने जिस तरह की सक्रियता, कोरोना पर विजय पाने का संकल्प एवं अपेक्षित प्रयत्नों का कर्म एवं मनोवैज्ञानिक प्रभाव देखने को मिला, अब वैसा वातावरण न बनना लोगों को अधिक निराश कर रहा है।
भारतीय जीवन में कोरोना महामारी इतनी तेजी से फैल रही है कि उसे थामकर रोक पाना किसी एक व्यक्ति के लिए सम्भव नहीं है। अभी अनिश्चितताएं एवं आशंकाएं बनी हुई है कि अगर सामान्य जनजीवन पर लगी बंदिशें इसी तरह कम की जाती रही तो कोरोना के बेकाबू होकर घर-घर पहुंच जाने का खतरा बढ़ने की संभावनाएं अधिक है। कोरोना संक्रमण के वास्तविक तथ्यों की बात करें तो हालात पहले से ज्यादा चुनौतीपूर्ण एवं जटिल हुए हैं, अभी अंधेरा घना है। खुद केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने भी असंतोष व्यक्त किया है कि कुछ राज्यों ने जांच के मामले में मुस्तैदी नहीं दिखाई, जिसके चलते वहां संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े। जब जांच में तेजी नहीं आ पा रही तब कोरोना के मामले दुनिया के अन्य देशों की तुलना में हमारे यहां चिंताजनक रफ्तार से बढ़ रहे हैं, तो इसमें और तेजी आने पर क्या स्थिति सामने आएगी, अंदाजा लगाया जा सकता है।
कोरोना महामारी को नियंत्रित करने के लिये लाॅकडाउन, बंदी और सामाजिक दूरी के पालन को लेकर सख्ती आदि उपाय आजमाए जा चुकने के बाद भी संक्रमण तेजी से फैल रहा है, तो इस पर काबू पाने के लिए कोई नई, प्रभावी और व्यावहारिक रणनीति बनाने पर विचार होना चाहिए। यह सही है कि जांच में तेजी आएगी तो संक्रमितों की पहचान भी जल्दी हो सकेगी और उन्हें समय पर उपचार उपलब्ध कराया जा सकेगा। मगर जांच के मामले में राज्य सरकारों का रवैया कुछ ढीला-ढाला एवं उदासीनताभरा ही नजर आ रहा है।
दिल्ली सरकार ने जरूर इजाजत दे दी है कि अब बिना डाॅक्टर की पर्ची के भी लोग खुद जांच करा सकते हैं। दिल्ली में जांच एवं उपचार की सुविधाएं दूरदराज के गावों से अधिक हैं, उन गांवों के लोगों की परेशानियों का अंदाज लगाया जा सकता है, जो इस वक्त बाढ़ की विभीषिका झेल रहे या फिर जिन गावांे तक सड़क भी नहीं पहुंची है और लोगों को मरीज को चारपाई पर ढोकर अस्पताल ले जाना पड़ता है। वे तो इसी उजाले की बाट जोह रहे हैं कि सरकारी सहायता मिले और उनकी मुफ्त जांच हो सके। राज्यांे के पास ऐसा नेतृत्व नहीं है, जो कोरोना महाव्याधि का सर्वमान्य हल दे सके एवं सब कसौटियों पर खरा उतरता हो, तो क्या नेतृत्व उदासीन हो जाये? ऐसा दवा या वैक्सीन नहीं, जो कोरोना के घाव भर सके, तो क्या उपचार के प्रयास ही न हो?
दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में संक्रमितों के स्वस्थ होने की रफ्तार अधिक और मौतों का आंकड़ा बेशक हमारे यहां कम हो, पर इस आधार पर लापरवाही बरतने का मौका नहीं मिल सकता। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और कंेद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि आरटीपीसीआर जांच सबसे बेहतर है। आरटीपीसीआर जांच करना जरूरी है। मगर राज्य सरकारें इसे गंभीरता से नहीं ले रहीं हैं। देश में बेहतर जांच की सुविधाएं तक हम नहीं जुटा पा रहे हैं, कई राज्य सरकारों इस महामारी से पार पाने के लिए आर्थिक संसाधनों पर्याप्त न होने का रोना रो रही है। ऐसे में यह ठीक है कि स्वास्थ्य के मोर्चे पर राज्य सरकारों को ही अगली कतार में लड़ना है, पर उन्हें जरूरी संसाधन और सहयोग उपलब्ध कराने के मामले में केंद्र को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।
भारत सहित समूची दुनिया को कोरोना के उपचार की वैक्सीन का सबसे ज्यादा इंतजार है, लेकिन उसके मार्ग में नई-नई बाधाएं आना अफसोस की बात है, बहुराष्ट्रीय एस्ट्राजेनेका कंपनी से संसार भर के लोग खुशखबरी की उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन कंपनी ने अपने अंतिम चरण के वैक्सीन परीक्षण को इसलिये रोक दिया है कि परीक्षण में शामिल एक व्यक्ति बीमार पड़ गया। संभव है यदि परीक्षण में शामिल उस व्यक्ति के बीमार पड़ने का कोई अन्य कारण सामने आया, तो फिर वैक्सीन के प्रयोग को आगे बढ़ाया जाएगा। दुनिया भर में अभी 100 ज्यादा जगह कोरोना के वैक्सीन या दवा की तलाश जारी है। कहीं भी कोई कामयाबी या नाकामी सामने आए, तो उसे कम से कम वैज्ञानिकों के बीच साझा करना न केवल यथोचित, बल्कि मानवीयता भी है��
आज दुनिया जिस निर्णायक मोड़ पर है, वहां हर देश चीन की तरह गोपनीय एवं मतलबी नहीं हो सकता। चीन वुहान में कोरोना को नियंत्रित करने के बाद स्वयं को महिमामंडित करने में जुटा है, लेकिन उसने दुनिया को यह नहीं बताया कि उसके यहां कोरोना की वास्तविक स्थिति क्या है? आखिर वुहान में सामान्य जन-जीवन की वापसी कैसे हुई? वह दुनिया को बीमारी देने के बाद खुद को कोरोना चिंता से मुक्त और मस्त दिखाने की अमानवीय कृत करने में जुटा है, जबकि विशेष रूप अमेरिका, यूरोप, भारत, ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिक कोरोना वैक्सीन बनाने में दिन-रात एक किए हुए हैं। अभी तक ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर दवा विकसित करने में जुटी एस्ट्राजेनेका को सबसे आगे माना जा रहा था, लेकिन अब इंतजार का समय और लंबा हो गया है, लेकिन निराश कतई नहीं होना चाहिए।
भारत में भी कोरोना मुक्ति की दवा पर प्रयत्न हो रहे है, यहां प्लाज्मा थेरेपी को रामबाण माना जा रहा था, दिल्ली, मुंबई और कुछ अन्य शहरों में प्लाज्मा बैंक भी बन गए थे, लेकिन आईसीएमआर ने इस थेरेपी को बहुत कारगर नहीं माना है। देश के 39 अस्पतालों में किए गए अध्ययन से यह बात सामने आई है कि यह थेरेपी सभी में समान रूप से काम नहीं कर रही है। यह थेरेपी करीब 13.6 प्रतिशत लोगों की जान नहीं बचा पाई है, इसलिए इसे पुख्ता नहीं माना जा सकता।
इन नतीजों को भी नाकामी नहीं कहा जा सकता, हो सकता है, प्लाज्मा थेरेपी पर भी अलग ढंग से काम करने की जरूरत हो। बहरहाल, वैज्ञानिकों और डॉक्टरों के साथ-साथ सरकारों एवं आम जनता को कतई निराश नहीं होना चाहिए। हम कठिन समय को भी खुशनुमा बना सकते हैं। हम जमीन पर धूल में सने होने के बाद भी खड़े हो सकते हैं। हम वास्तव में जो चाहते हैं, उसे प्राप्त कर खुद को हैरान कर सकते हैं। ये कल्पनाएं सुखद तभी है जब हम कोविड-19 के साथ जीते हुए सभी एहतियात का पालन करें, सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन करने और सार्वजनिक स्थानों के लिये जब भी निकले मास्क का प्रयोग जरूरी करें एवं अपना चेहरा ढके रखे। कुल मिलाकर सर्वश्रेष्ठ इस्तेमाल की स्थिति एवं अधिक से अधिक लंबा खींचने के उपाय से ही हम कोरोना से युद्ध को कम से कम नुकसानदायी बना सकते हैं। आज देश ही नहीं समूची दुनिया पंजों के बल खड़ा कोरोना मुक्ति की प्रतीक्षा कर रहा है। कब होगा वह सूर्योदय जिस दिन घर के दरवाजों पर कोरोना संक्रमण को रोकने के लिये बंदिशें नहीं लगाने पड़ेंगी?
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wishestatus · 5 years
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Moral Stories in Hindi
पढ़ाई में कमजोर राजू
 दोस्तों ये kahani एक बच्चे के ऊपर आधारित है जो की मेहनत करके सब कुछ हासिल कर लेता है जो की उसे चाहिए। तो चलिए चलते है अपने कहानी की ओर और आपको पूर्ण रूप से बताते है।
एक छोटे से गांव का एक लड़का जिसका नाम राजू है और वो पढ़ाई में बहुत कमजोर था , उसके माता पिता चाहते थे की वो भी पढ़ लिख कर अपने परिवार और अपने गांव का नाम रोशन करे और एक बड़ा अफसर बने।
लेकिन राजू को खेलना बहुत पसंद था और उसका मन पढ़ाई में ज्यादा नहीं लगता था। एक दिन उसके पिता ने गांव से कुछ कोस दूर एक विद्यालय में उसका दाखिला करा दिया और उसे पढाई के लिए भेज दिया। विद्यालय बहुत दूर होने के कारण राजू का रोज आने और जाने में बहुत समय बर्बाद होता था और विद्यालय दूर होने के कारण राजू थक भी जाता था जिससे की उसका मन पढ़ाई में और भी नहीं लगता था।
ये देख उसके माता पिता को बहुत चिंता होती थी की उनका बच्चा इतना दूर जाता है वो भी पैदल आसान भाषा में कहे तो चल कर विद्यालय जाता है तो उसके पिता ने सोचा की एक साइकिल खरीद देते है जिससे की उसको चल कर नहीं जाना होगा और समय भी बचेगा और थकान भी नहीं होगी।राजू के पिता ने कुछ दीन बाद राजू को एक साइकिल खरीद कर दे दी अब क्या राजू को तो साइकिल चलने आता नहीं था तो उसने उसे रोज चलना सुरु कर दिया कुछ दिन तक उसने प्रयाश किया मगर वो अशफल रहा।
तो अब उसने साइकिल चलना ही छोड़ दिया , ऐसे ही कुछ दिन तक चलता रहा। राजू जिस रस्ते से अपने विद्यालय जाता था उस रास्ते में एक कुआ पड़ता था जहा से वो पानी पीकर अपने विद्यालय की ओर निकल जाता था। एक दिन जब वो कुए से पानी निकाल रहा था तो उसकी नजर एक पत्थर पर गयी उसने देखा की एक रस्सी जो घिसते घिसते एक मजबूत पत्थर को काट सकता है तो क्या वो एक साइकिल नहीं सिख सकता।
अब उसने फैसला कर लिया की अब वो किसी भी हालत में साइकिल सीखकर रहेगा। वो प्रतिदिन साइकिल को लेकर अपने विद्यालय जाता और विद्यालय से छूटते समय वो उस साइकिल को चलता पर वो चला नहीं पाता और ये सब देख कर उसके दोस्त उसका मजाक उड़ाते थे। कुछ दिन तक ऐसे ही चला और फिर क्या राजू ने आखिर कर वो साइकिल चलाना सिख गया। अब उसके दोस्त उसका मजाक नहीं बनाते थे।
for full story visit wishestatusdotcom
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writerss-blog · 2 months
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एक रास्ता
एक रास्ता है जिंदगी चलना संभल संभल के मंजिल पर नजर रखना कहीं गिर ना जाओ फिसल के । सफर बहुत है लंबा बाधाएं भी बहुत है कहीं कांटे ही कांटे पथ में कहीं फूल भी नही होंगे चलते ही जाना सबको कभी सफर कम ना होंगे । रुक जाना नहीं चलते ही रहना पांव थक जाए तो भी मंजिल पर बढ़ते रहना ।।
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ajitnehrano0haryana · 5 years
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कोटा।। प्राइवेट सेक्टर में जॉब करने वाला हर इंसान इस दर्द को समझता है कि आखिर काम का दबाव होता क्या है! टाइम लाइन में बंधकर काम करना, डेडलाइन के भीतर परफॉर्म करना और बेहतर से बेहतर रिजल्ट देने की कोशिश का तनाव होना… चलिए आपके जख्मों को और अधिक नहीं कुरेदते हैं… यहां बात करते हैं इस मुद्दे पर कि कैसे आपको ऑफिस में हर दिन 9 घंटे काम करना बीमार बना सकता है? साथ ही यह भी कि आखिर इस समस्या का समाधान क्या है…
बुरा मत मानिए लेकिन सच तो सच है! हमारा मकसद आपको डराना या हर्ट करना बिल्कुल नहीं है। हम बस बीमारी के रूप में आनेवाले उन खतरों को लेकर आपको आगाह करना चाहते हैं, जो हर दिन 9 घंटे काम करने के चलते आपको अपनी गिरफ्त में ले सकते हैं। इनका नाम है, हाइपरटेंशन, हार्ट अटैक, ऐंग्जाइटी, स्ट्रोक, डिप्रेशन, मसल्स पेन, बैक पेन, स्लिप डिस्क, सर्वाइकल पेन आदि।
बढ़ती है लोनलीनेस की समस्या सीनियर मनोचिकित्सक एमएल अग्रवाल का कहना है कि जो लोग 8 घंटे से अधिक लंबी शिफ्ट में लगातार काम करते हैं, उन लोगों में कुछ समय बाद अकेलेपन की भावना घर करने लगती है। इसका मुख्य कारण होता है कम्यूनिकेशन का अभाव और फैमिली तथा फ्रेंड्स के साथ वक्त ना बिता पाना। इस कारण ये लोग अपनी सोसायटी से कट जाते हैं। अक्सर ऐसे केसेज हमारे पास आते हैं कि एक छत के नीचे रहते हुए भी लोग थकान के कारण एक-दूसरे को वक्त नहीं दे पाते हैं, जिससे एक-दूसरे से दूरी बनने लगती है और फिर यहीं से अकेलापन घर करने लगता है।
काम का हद से ज्यादा तनाव आइडियली एक इंसान को दिन में कितने घंटे काम करना चाहिए? इस मुद्दे पर एक ऑर्गेनाइजेशन द्वारा कराई गई रिसर्च में सामने आया कि भारतीय युवा काम के लिए निर्धारित 8 घंटों से कहीं अधिक समय ऑफिस में रुकते हैं और लंबी शिफ्ट्स में काम करते हैं। यही वजह है कि युवाओं में तनाव का प्रतिशत तेजी से बढ़ रहा है। अगर जापान जैसे विकसित देश की बात करें तो वहां के युवा सामान्य तौर पर सप्ताह में केवल 46 घंटे ऑफिस में बिताते हैं। जबकि भारत के युवाओं का यह समय 52 घंटे है।
युवा बन रहे हैं चिड़चिड़े युवाओं के व्यवहार में तेजी से बढ़ती नकारात्मकता का बड़ा कारण यह है कि वे मेंटली तो बहुत अधिक थक रहे हैं और फिजिकली ऐक्टिव रहने का उनके पास ना तो वक्त है और ना ही ऑफिस के बाद उनमें इतनी एनर्जी बचती है। ऐसे में वे धीरे-धीरे अपने-आपमें सिमटने लगते हैं। जब मन की बातें और दिमाग की परेशानी वे किसी से शेयर नहीं कर पाते तो उनके अंदर इरिटेशन बढ़ने लगता है और वे बात-बात पर चिड़चिड़ाने लगते हैं। जो उनके तनाव को और अधिक बढ़ाने का काम करता है।
क्षमताओं से अधिक काम खासतौर पर प्राइवेट सेक्टर में काम करनेवाले युवाओं पर करियर में ग्रोथ और खुद को प्रूव करने का इतना दबाव रहता है कि वे चाहकर भी अपने इंट्रस्ट और हॉबीज के लिए वक्त नहीं निकाल पाते हैं। हर समय खुद को जज किया जाना और कदम-कदम को खुद पर द बेस्ट प्रूव करना उन्हें निर्धारित समय से अधिक काम करने को मजबूर कर रहा है।
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source https://lendennews.com/archives/68241 https://ift.tt/2EE5E5w
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shayariya · 5 years
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जब थक जाता था में जिन्दगी के बोझ से तब याद आ जाती थी उनकीवो यादे जो आंखो को नम और हिम्मत को दुगना कर देती थीजब वोह चलते ते साथ मेरे तोह हर फासले छोटे से लगते थेबचपन में जब काप्ते थे हाथ मेरे तो हाथ थाम लिखना सिखाया था उन्होंनेसवारी भी कराई थी उन्होंने अपनो कंधो पे बैठ केऔर दिखाई थी वोह दुनिया जो अहंकारो से भरी हुई थी। बहूत कुछ सीखना अभी भी बाकी है चाहत तो रहती है आपकी हर एक कोशिश को समझूऔर लगता है कि कुछ कुछ बा���े समझ रहा हूंतब सारी बाते एक दम से ओझल हो जाती हैऔर समझ से कही परे हो जाते है।गलत संगत से भी मुझे बचाया हैपापा की डाट ने हमेशा मुझे कुछ ना कुछ सिखाया है। आपकी अधूरी ख्वाइशो को पूरा करना चाहता हु ग़म की लकीरों को दूर करना चाहता हूंसेवा कर सकू में आपकी वृद्धावस्था में भी और आपके ही पेरो में फिर सोना चाहता हू पापा। #wahshayar वो पापा हि होते हैं जोजिन्दगी को जनत बना देता था। उस खुटी के नीचे बड़े चुकून की नींद आती हैजिस पर हर शाम पापा की कमीज़ टागी जाती है। एक रात जागकर उन्होंने हाल मेरा पूछा था,मेरे पिता का कद छत से कही उच्चा था। गलती होने पे ताने देते है सभीसिर पर हात फेर के अभी कोई मनाने नहीं आता है। जिन्दगी में अभी बहुत जादा लगने लगी कमी पापा आपकी। नन्हे ख़्वाब यू ही तकिये पे सिर रखके सो गयेपापा आज फिर दफ्तर से देर से घर लौटे होगे। मेरे लिए वो हर मुश्किल उठा रहे हैन जाने कितनी दफा घबरा रहे है। बेटी हू न,अन्मोल हू ना उनके लिए। हा! वोह पापा है मेरेजो मेरी खामोशीयो पे भी मुस्कुरा रहे है। भागते भागते चप्पले घिस गई, जिंदगी फिर भी अपनाती ही नहीं ,फटी चप्पले  पापा की कैसे हस्ती थी,मेरी तो मुस्कुराती भी नहीं। जिन्दगी रोज़ मजदूरी करा ले जा,लेकिन रात में मा की रोटियां,और पापा की थपकियां,दिहाड़ी में जरूर दे जाना। सितारे कितने भी झिलमिलाए पर चांद के बिना आसमान की रोनक अधूरी हैठीक वैसे ही पापा के प्यार और साथ के बिना जिंदगी अधूरी है। बड़ा हो गया हूं अब खटकता है सुपरमैन आंखो मेंछोटा था ना तब समझता था पापा को सुपरमैन
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