#चट्टान का
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मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं
मै तूफानो मे चलने का आदि हू
तुम मत मेरी मन्जिल आसां करों..
हैंं फूल रोक़ते, काटे मुझें चलाते..
मरुस्थल, पहाड़ चलनें की चाह बढ़ाते..
सच क़हता हू ज़ब मुश्किले ना होती है..
मेरें पग तब चलनें मे भी शर्मांते..
मेरे संग चलनें लगे हवाए ज़िससे..
तुम पथ के क़ण-क़ण को तूफान करों..
मै तूफानो मे चलनें का आदि हू..
तुम मत मेरी मन्जिल आसां करो..
अंगार अधर पे धर मै मुस्क़ाया हू..
मै मर्घंट से जिन्दगी बुला के लाया हू..
हू आंख़-मिचौली ख़ेल चला क़िस्मत से..
सौं बार म्रत्यु के गलें चूम आया हू..
हैं नही स्वीकार दया अपनीं भी..
तुम मत मुझ़पर कोईं अह्सान करो..
मै तूफ़ानो मे चलने का आदि हू..
तुम मत मेरी मन्जिल आसां करो..
शर्मं के ज़ल से राह सदा सिचती हैं..
गति की मशाल आधी मै ही हंसती हैं..
शोलों से ही श्रगार पथिक़ का होता हैं..
मन्जिल की माग लहू से ही सज़ती हैं..
पग मे गति आती हैं, छालें छिलने से..
तुम पग़-पग पर ज़लती चट्टान धरों..
मै तूफ़ानो मे चलने का आदि हू..
तुम मत मेरी मन्जिल आसां करो..
फूलो से ज़ग आसान नही होता हैं..
रुक़ने से पग गतिवान नही होता हैं..
अवरोध नही तो सम्भव नही प्रगति भी..
हैं नाश ज़हां निर्मंम वही होता हैं..
मै बसा सुक़ुन नव-स्वर्गं “धरा” पर ज़िससे..
तुम मेरी हर बस्ती वीरां करो..
मै तूफानों मे चलने का आदि हू..
तुम मत मेरी मन्जिल आसां करो..
मै पथी तूफानों में राह ब़नाता..
मेरा दुनियां से केवल इतना नाता..
वह मुझ़े रोकती हैं अवरोध बिछाक़र..
मै ठोकर उसें लगाक�� बढ़ता ज़ाता..
मै ठुक़रा सकू तुम्हे भी हंसकर ज़िससे..
तुम मेरा मन-मानस पाषाण क़रो..
मै तूफानो मे चलने का आदि हू..
तुम मत मेरीं मन्जिल आसां करो..
~गोपालदास ‘नीरज'
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टिलीलिली / दिनेश कुमार शुक्ल

बंदर चढ़ा है पेड़ पे
करता टिलीलिली
कि ये ले गुल बकावली
कि ले ले गुल बकावली।
मैं रात की पेंदी से
खुरच लाया हूँ सपने
फुटपाथ पर सोये हुए
सब थे मेरे अपने
अपनों की आँख से
मैं उठा लाया हूँ काजल
काजल की बना स्याही
और सपनों की कहानी
लिखता हूँ सुनाता हूँ
वही सबकी कहानी
पी हमने छाछ फूंककर
फिर जीभ क्यों जली।
आयेंगे अभी रात के
वो पीरो पयम्बर
हफ्ता वसूलने को वो
ख्वाबों के सितमगर
सपने न होंगे आँख में
तो क्या वसूलेंगे
गुस्से में बिफर जायेंगे
हो जायेंगे पागल
तब बच के फूट लेंगे
हम पतली कोई गली।
हम अब तक उसी घर में हैं
जो कब का गिर चुका
उस राह गुजरना
तो बुलाना कभी-कभी,
ऐ रात तुझको अपने
अंधेरों की कसम है
हमको भी अपने साथ
सुलाना कभी-कभी
‘दे जिंदगी ले नींद’ - की आवाज लगाता
अत्तार नींद बेचता फिरता गली-गली।
जो सो रहे हैं
रो रहे हैं -
खो रहे हैं लोग,
चुपचाप जो सहते हैं
वो विष बो रहे हैं लोग
कपड़े भी कातिलों के
वही धो रहे हैं लोग
इनकी है आँख बन्द
और है जुबां सिली।
तुमको न ठगे ठग
तो किसे और ठगेगा
तुमने उसे चुना
वो किसे और ठगेगा
ये कैसा शहर है कि
खुद पे तोड़ता कहर
ये कैसा समन्दर कि
लहर तोड़ती लहर
अब चुप भी रहो
कुछ न कहो सो रही है रात
जग जायेगी, टहनी भी अगर
नीम की हिली।
आलू नहीं है प्याज नहीं
राज उन्हीं का
कल जिनका राज था
है राज आज उन्हीं का
राशन खरीदना है और जेब है फटी
घरवाली क्या करे न कहे जो जली कटी,
कश्ती की बात क्या करो
याँ डूबता साहिल
लगती है गरीबी में
ये दुनियाँ सड़ी-गली
लिखता है रिसालों में
वो बातें बड़ी-बड़ी --
चांदी की उसकी खो गई थी
एक तश्तरी
तुम देखते उसने चलाई
किस तरह छड़ी
नौकर की पीठ थी
मगर चट्टान सी कड़ी,
वो तीन सौ की तश्तरी
थी गिफ्ट में मिली।
आते रहे जाते रहे
इस देश में चुनाव
नेता व नेती घूमते
घर-घर व गाँव-गाँव
ये कुछ भी कहें
मुँह से इनके निकले कांव-कांव
कौवों ने सुना जब से
वो नेतों से हैं खफ़ा
नेतों की आँख फोड़ेंगे
उनकी अगर चली।
जैसे प्रगट हों देवता
धरती पे जब कभी
वैसे ही इधर आते हैं
अफसर कभी-कभी
काजू मिठाई चाय का
जब भोग लगाकर
बैठा हुआ था हाकिम
दरबार सजाकर
चौपाल की छत से गिरी
अफ़सर पर छिपकली।
घर जा रहा था हारा थका
खत्म करके काम
सूरज को अँधेरों ने
छुरी मारी सरे शाम,
उसके लहू से लाल ज़मीं
लाल आसमान
क्या अब सुबह न आयेगी
बस रात रहेगी
कुछ दिन बस हमें
रोशनी की याद रहेगी ?
यादें भी डूब जायेंगी
क्या अंधकार में
नस्लें भी बदल जायेंगी
क्या अन्धकार में
उल्लू ही रहेंगे वहाँ
उजड़े दयार में ?
अब खेल खत्म होता है
आई चला चली।
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Free tree speak काव्यस्यात्मा 1419.
एक तितली की तरह
-© कामिनी मोहन।


जो हैं सुशोभित
हैं निकट एक चट्टान के
निकट रहेंगे हमेशा
उज्ज्वल तन संसार के
आनंद की आग में जल जाएँगे
फ़र्क नहीं कि वक़्त निगल कर
किधर ले जाएँगे।
जुनून और पागल कर देने वाली भूख की तरह
रचित पांडुलिपियाँ अथाह शून्य में बिखराएँगे
जैसे एक पेंटिंग बनाने में
लग गए हो कई साल
उन रंग भरे शब्दों के
कविताओं की सूचियाँ बनाएँगे।
कहीं आधे अंधेरे और उजाले के बीच
कहीं आधे और पूरे शब्दों के बीच
कहीं कठोरता और कोमलता के बीच
कहीं आराधना और साधना के बीच
कहीं उदासीनता और प्यार के बीच
काँपता हुआ दिल ठहरेगा
मिलने की निश्चिंतता के बीच
हम एक अवर्णनीय गंध फैलाएँगे।
जैसे आकाश में तारे
अपना रहस्य छिपाते चमकते रहते हैं
हवाएँ समय का ताना-बाना बुनती रहती हैं
लहरें पृथ्वी की उज्ज्वल
अंधेरी भूमि पर घूमती रहती हैं
जब ख़ालीपन हमेशा रहता है
तब प्रेम के प्रभामंडल को पहनकर
हम पूर्णता में हास्य लेकर आएँगे।
भ्रम की भ्रामक दुनिया में
एक तेज़ है
सब उज्ज्वल है
हम जिज्ञासा में
एक तितली की तरह
तैरते जाएँगे
मौत की आशंका और आतंक से भरी हुई
रक्त से सनी धरती पर
उगने वाले फूलों को झड़ने से बचाएँगे।
-© कामिनी मोहन ।
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Badrinath Highway: परेशानी का सबब बने बिरही चट्टान का सुधारीकरण कार्य शुरू, हाईवे पर पड़े हैं बड़े-बड़े बोल्डर
बदरीनाथ हाईवे पर परेशानी का सबब बने बिरही चट्टान का सुधारीकरण कार्य शुरू हो गया है। Source link
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बी हैप्पी मूवी रिव्यू 2025: सपने को पूरा करने की लड़की के संघर्ष और कड़ी मेहनत की कहानी
बी हैप्पी फिल्म में अभिषेक बच्चन और इनायत वर्मा (क्रेडिट/पोस्टर/रेमो डिसूजा एंटरटेनमेंट)
परिचय
14 मार्च 2025 को ओटीटी अमेजॉन प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई बी हैप्पी एक ड्रामा फिल्म है जिसका निर्देशन रेमो डिसूजा ने किया है फिल्म का टोन ड्रामा और थीम संघर्ष और कड़ी मेहनत पर आधारित है यह फिल्म मनोरंजन के साथ-साथ एक संदेश भी देती है कि संघर्ष और कठिनाइयों का सामना चट्टान की तरह करे और हर किसी के अंदर अपने सपने को पूरा करने की जिद हो तो हर किसी का सपना पूरा हो सकता है फिल्म अपनी ट्रेलर के मुताबिक पर्दे पर उस तरह से दिखाई नहीं देती जिस तरह से ट्रेलर में दिखाया गया है| फिल्म की मुख्य भूमिकाओं में अभिषेक बच्चन, नासर, इनायत वर्मा और नोरा फतेही है|
बी हैप्पी ट्रेलर
https://www.youtube.com/watch?v=neApkeqVj4w
बी हैप्पी इन हिंदी
हाँ यह फिल्म हिंदी भाषा में है|
बी हैप्पी का अर्थ
बी हैप्पी का अर्थ खुश रहो होता है|
बी हैप्पी मूवी स्टोरी
बी हैप्पी फिल्म एक ऐसी लड़की की कहानी पर आधारित है जो बिन मां की बेटी है और अपने पिता और दादा के साथ ऊटी में रहती है और एक स्कूल विद्यार्थी के साथ-साथ प्रतिभाशाली डांसर भी है और इंडिया सुपरस्टार डांसर कम्पटीशन को जीतना चाहती है वह अपने सपने को पूरा करने के लिए पिता के साथ ऊटी छोड़कर मुंबई शिफ्ट हो जाती है| क्या वह अपना सपना पूरा कर पाएगी? क्या उसके सपने को पूरा करने में उसके पिता और दादा मदद करेंगे? यह सब जानने के लिए बी हैप्पी मूवी रिव्यू पढ़े|
एक्टिंग एंड कैरक्टर्स
शिव की भूमिका में अभिषेक बच्चन ने अपने चरित्र को समझ कर औसत दर्जे का अभिनय किया है उनके अभिनय में उनके पिता की झलक नजर आती है ऐसा लगता है कि वह अपने पिता की कॉपी कर रहे हो उनकी बॉडी लैंग्वेज, फैसियल एक्सप्रेशन भी अपने पिता की तरह ही लगते है वह चरित्र की गहराई को अच्छे से समझ नहीं पाए पर हां वह एक ही तरह के अभिनय की स्थिरता को बना के रखने में कामयाब रहे| जिस तरह की केमिस्ट्री उनकी बेटी और दादा के बीच रही उनकी उससे पूरी तरह से उलट है|धारा की भूमिका में इनायत वर्मा अपने अभिनय को भावनात्मक रूप से दर्शकों से जोड़ती हुई नज़र आई| उनका अभिनय असल ज़िन्दगी के काफी करी�� नज़र आया| अपने चेहरे के हाव-भाव और डायलॉग डिलीवरी के द्वारा उन्होंने अपने चरित्र के व्यक्तित्व को दर्शाया है, उनकी अपने दादा से केमिस्ट्री भी शानदार रही| उनके अभिनय में एक समानता नजर आई| दादा की भूमिका में नासर के बारे ���ें कुछ कहने की जरूरत ही नहीं है वह दक्षिण भारत सिनेमा में एक प्रतिभाशाली अभिनेताओं में गिने जाते है उन्होंने अपने रोल के मुताबिक अपनी अभिनय क्षमता का बढ़िया प्रदर्शन किया है, कुछ दृश्यों में उनका अभिनय देखा सकता है जैसे अपनी पोती को दर्द में देखने का, उसके सपने को पूरा होते हुए न देख पाने का| मैगी की भूमिका में नोरा फतेही का किरदार पूरी तरह से नृत्य पर ही निर्भर रहा, उनके अभिनय से ज्यादा ध्यान नृत्य पर रहा उनका डायलॉग्स बोलने का लहज़ा, चेहरे से अभिनय करना हो या फिर बॉडी लैंग्वेज बहुत कमजोर ही है, वह एक अच्छी डांसर तो हो सकती है पर अभिनेत्री नहीं| उनके बोलने का एक्सेंट भी इंग्लिश की तरह लगता है| मेहमान भूमिकाओं में जय भानुशाली, पुनीत पाठक, सलमान यूसुफ खान, अल्ली अवररम और सोनाली बेंद्रे हैं
निर्देशन
बी हैप्पी का निर्देशन रेमो डिसूजा ने किया है, वह एक प्रतिभाशाली और लोकप्रिय कोरियोग्राफर भी है जिन्होंने काफी सारी बॉलीवुड फिल्मों में कोरियोग्राफी भी की है वैसे तो उनकी विशेषता एक्शन और डांस वाली फिल्मों को निर्देशित करने की है| जैसे F.A.L.T.U (2011), ABCD Anybody Can Dance (2013), ABCD 2 (2015), A Flying Jatt (2016), Race 3 (2018), और Street Dance 3D (2020) इनमें कुछ फिल्में उनकी सफल रही तो कुछ असफल| वह एक बंगाली फिल्म को भी निर्देशित कर चुके है, जिसमें मिथुन चक्रवर्ती ने अभिनय किया था| इसके अलावा वह प्रोड्यूसर और एक्टर भी है| लेकिन इस फिल्म की कहानी को वह नयेपन से पेश नहीं कर पाए, जो दर्शकों को फिल्म से जोड़ नहीं पाती ना ही तो वह पूरी तरह से भावनात्मक फिल्म बना पाए और ना ही मनोरंजक| कलाकारों से भी वह औसत दर्जे का अभिनय ही निकलवा पाए| हां वह फिल्म के मूड को बरकरार रखने में जरूर कामयाब रहे| वह एक कमजोर पटकथा के साथ कहानी की गति को बरकरार रखने में असफल रहे| वह दर्शकों की उम्मीदों और भावनाओं पर खरे उतरने में नाकामयाब साबित हुए| बी हैप्पी फिल्म में अभिषेक बच्चन और इनायत वर्मा (क्रेडिट/स्क्रीनशॉट/रेमो डिसूजा एंटरटेनमेंट)
कहानी पटकथा संवाद
बी हैप्पी की कहानी-पटकथा-संवाद रेमो डिसूजा, तुषार हीरानंदानी, कनिष्का देव, चिराग गर्ग की एकदम कमजोर है जो दर्शकों को बांधने में असफल रही फिल्म के दृश्यों को कमजोर लिखा गया है जो भावनात्मक रूप से प्रभाव नहीं डालते| संवाद भी ठीक-ठाक लिखे गए हैं कहानी कुछ भी नया ऑफर नहीं करती और पटकथा किरदारों का निर्माण अच्छे से नहीं कर पाई|
सिनेमैटोग्राफी
विजय कुमार अरोड़ा की सिनेमैटोग्राफी औसत दर्जे की है ना तो सेट डिजाइन को अच्छे से दिखाया गया और ना ही दृश्यों को विजुअली प्रभावित बनाया गया| फिल्म के विजुअलस औसत दर्जे के है, जो कहानी को ठीक-ठाक से आगे बढ़ाते है और लाइटनिंग और रंगों का इस्तेमाल अच्छे से किया गया है|
एडिटिंग
बी हैप्पी की एडिटिंग शर्विन बर्नार्ड की गति कमजोर है सेकंड हाफ में ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे एडिटिंग पूरी तरह से पटरी से उतर गई हो| फिल्म को लंबा खींचा गया है| एडिटिंग कसी हुई नहीं है| फिल्म को 20-25 मिनट काटा जा सकता था और सेकंड हाफ में फिल्म बोर करती है|
प्रोडक्शन डिजाइन
बी हैप्पी का प्रोडक्शन डिजाइन तनवी लीना पाटिल का ठीक-ठाक कहा जा सकता है सेट डिजाइन से फिल्म को विजुअली अच्छा बनाया गया है जो दर्शकों को कहानी के अच्छे वातावरण में ले जाते है लोकेशंस भी विश्वसनीय लगती है और डांस स्टेज के सेट्स फिल्म में नेचुरल लगते है|
कॉस्ट्यूम डिजाइन
देनिश हमीरानी की कॉस्टयूम डिजाइनिंग फिल्म के characters के निर्माण, पृष्ठभूमि और व्यक्तित्व को दर्शाते हैं| फिल्म की कहानी को आगे बढ़ाने में सहायक है कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग फिल्म की टोन और थीम से मैच करते है| लोकल मुंबई के कल्चर को और tradition को हाईलाइट किया गया है|
बैकग्राउंड स्कोर
बी हैप्पी का बैकग्राउंड स्कोर हर्ष उपाध्याय ने संवाद, संगीत और साउंड इफैक्ट्स को पूरी तरह से बैलेंस करके बनाया है फिल्म के कुछ दृश्यों में बैकग्राउंड स्कोर इंपैक्टफुल लगता है| फिल्म के थीम के हिसाब से पूरी तरह से मैच करता है कहानी और दृश्यों के मूड को बढ़ाता है
साउंड डिजाइन
संजय मौर्य,ऑलविन रेगो का साउंड डिजाइन नेचुरल और इफेक्टिव है वह फिल्म की थीम और टोन को सपोर्ट करते है| डायलॉग क्लेरिटी और मिक्सिंग भी ठीक-ठाक है| फिल्म के इमोशंस को बढ़ाते है पूरी तरह से विजुअल्स के साथ synchronize है|
कोरियोग्राफी
बी हैप्पी की कोरियोग्राफी राहुल शेट्टी के डांस स्टेप्स काफी प्रभावित डालने वाले है| सबके डांस मूव्स और हाव-भाव इंपैक्टफुल है जो दृश्यों और इमोशंस को दर्शाते है| कोरियोग्राफी फिल्म के गाने और थीम के साथ align है| डांस के स्टाइल, गाने और कहानी के संदर्भ में है| कोरियोग्राफी एन��्जी और वेल एग्जीक्यूटेड है| कोरियोग्राफी कहानी का हिस्सा लगती है कुछ डांस sequences फिल्म को यादगार बना गए हैं जैसे auditions के डांस स्टेप्स और अभिषेक बच्चन के गाने के डांस स्टेप्स|
म्यूजिक
बी हैप्पी फिल्म का संगीत हर्ष उपाध्याय का कमजोर है कोई एक गीत भी थिरकने पर मजबूर नहीं करता है जो याद करने और सुनने योग्य हो| जिस पर डांस किया जा सके| संगीत का इस्तेमाल तो अच्छे से किया गया है पर संगीत मज़ेदार नहीं बन पाया|
लिरिक्स
प्रणव वत्स ने बहुत कमजोर गीत लिखे है और औसत दर्जे के है|
क्लाइमेक्स
वही घिसा पिटा क्लाइमेक्स है जो हम पहले भी कितनी बार फिल्मों में देख चुके है क्लाइमेक्स में कुछ भी नया नहीं है|
ओपिनियन
फिल्म के अच्छे डांस सीक्वेंस, मूव्स और अच्छी कोरियोग्राफी के लिए एक बार देख सकते है|
रेटिंग
4/10
कमियां
लड़की के बार-बार जॉइंट में दर्द होना पहले से ही पता लग जाता है कि कुछ बीमारी या हड्डी से रिलेटेड दिक्कत होगी, वही हुआ जैसे फिल्म देख के समझ में आ रहा था बोन कैंसर दिखाया गया| लड़की के सपने को भी पूरा होते हुए नहीं दिखाया गया जो उसका ड्रीम था| कुछ दृश्य तो पुरानी फिल्मों से लिए हुए लगते है| ऐसी फिल्में पहले भी हम बहुत बार देख चुके हैं कुछ भी नयापन और यूनिक नहीं था| जॉनी लीवर के रोल को फिल्म में बर्बाद किया गया है उनके रोल की वैसे भी कोई जरूरत नहीं बनती थी| फैक्ट: रेमो डिसूजा ने अपनी सभी फिल्मों के नाम इंग्लिश लैंग्वेज में ही ज्यादातर रखे है| फिल्म कास्ट: अभिषेक बच्���न, नासर, इनायत वर्मा और नोरा फतेही (मेहमान भूमिका में जय भानुशाली, पुनीत पाठक, सलमान यूसुफ खान, अल्ली अवररम और सोनाली बेंद्रे) प्रोडूसर: लिज़ेल्ले डिसूजा, डायरेक्टर: रेमो डिसूजा ,साउंड डिज़ाइन: संजय मौर्य,ऑलविन रेगो, कास्टूम डिज़ाइन: डेनिश हमीरानी, म्यूजिक-बैकग्राउंड स्कोर: हर्ष उपाध्याय, लिरिक्स: प्रणव वत्स, प्रोडक्शन डिज़ाइन: तनवी लीना पाटिल, एडिटर: शर्विन बर्नार्ड, सिनेमेटोग्राफी: विजय कुमार अरोड़ा,कोरियोग्राफी: राहुल शेट्टी, डायलॉग्स-स्टोरी-स्क्रीनप्ले: रेमो डिसूजा, तुषार हीरानंदानी, कनिष्का देव, चिराग गर्ग, कास्टिंग डायरेक्टर: मुकेश छाबरा Read the full article
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पहाड़ी से भारी चट्टान धंसने का दिखा खौफनाक मंजर। चम्बा जिला का भारी भूस्...
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Tourist Places to Visit in Mumbai

Tourist Places to Visit in Mumbai | Mumbai mai Ghumane ki Jagah
मुंबई भारत का सबसे बड़ा शहर और संस्कृति, वाणिज्य और मनोरंजन का केंद्र है। इस हलचल भरे महानगर के बारे में कुछ और तथ्य इस प्रकार हैं: मुंबई को “सपनों का शहर” भी कहा जाता है, क्योंकि यह पूरे भारत से उन लोगों को आकर्षित करता है जो अपने सपनों और महत्वाकांक्षाओं का पीछा कर रहे हैं।यह शहर भारत के कुछ सबसे बड़े फिल्म और टेलीविजन स्टूडियो का घर है, और इसे अक्सर दुनिया की “बॉलीवुड राजधानी” के रूप में जाना जाता है। Tourist Places to Visit in Mumbai Gateway of India गेटवे का निर्माण 1924 में ब्रिटिश वास्तुकार जॉर्ज विटेट ने किया था।यह किंग जॉर्ज पंचम और क्वीन मैरी की समुद्री यात्रा की स्मृति में बनाया गया था, लेकिन यह भी भारत में आने वाले पर्यटकों के लिए एक प्रतीकात्मक प्रवेशद्वार था। इंडो-सारसेनिक शैली में निर्मित प्रवेश द्वार में भारतीय और इस्लामी वास्तुकला के तत्व मिले हैं।यह स्थान स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों को बहुत पसंद है, और अक्सर तस्वीरें लेने और दृश्यों का आनंद लेने वाले लोगों की भीड़ लगी रहती है। Marine Drive Mumbai मुंबई के तट के साथ मरीन ड्राइव सड़क का एक आश्चर्यजनक विस्तार है, जिसे रात में चमचमाती रोशनी के कारण “द क्वीन्स नेकलेस” भी कहा जाता है। 20वीं शताब्दी की शुरुआत में, यह सड़क मुंबई के पश्चिमी और दक्षिणी उपनगरों को जोड़ने के लिए बनाई गई थी।यह 3.6 किलोमीटर लंबा है और पैदल चलने, साइकिल चलाने और जॉगिंग करने के लिए लोकप्रिय है। स्ट्रीट वेंडर स्नैक्स से लेकर स्मृति चिन्ह तक, मरीन ड्राइव स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय हैंगआउट स्थान है। Juhu Beach Mumbai जुहू बीच, मुंबई के पश्चिमी उपनगर में स्थ��त है, एक प्रसिद्ध समुद्र तट है। यह सुनहरी रेत के लंबे विस्तार, भीड़ और अद्भुत सूर्यास्त दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है। हर दिन हजारों लोगों को मुंबई के सबसे लोकप्रिय समुद्र तटों में से एक में आकर्ष���त करता है।बॉलीवुड स्टार्स समुद्र तट को पसंद करते हैं, और एक या दो सितारों को रेत पर टहलते हुए देखना आम बात है। Siddhivinayak Temple Mumbai सिद्धिविनायक मंदिर मुंबई का एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है, जो हाथी के सिर वाले भगवान गणेश को समर्पित है। यह भारत में सबसे अधिक देखे जाने वाले मंदिरों में से एक है और अपनी सुंदर वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य: मंदिर का निर्माण 1801 में किया गया था और तब से इसका कई बार जीर्णोद्धार हुआ है।यह मंदिर भगवान गणेश की मूर्ति के लिए जाना जाता है, जो एक ही काले पत्थर से बनाई गई है और बहुत शक्तिशाली मानी जाती है। Haji Ali Dargah Mumbai हाजी अली दरगाह एक आश्चर्यजनक मस्जिद और मकबरा है जो मुंबई के तट से दूर एक द्वीप पर स्थित है, और यह मुसलमानों के लिए एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल है। यहां कुछ रोचक तथ्य दिए गए हैं: यह मकबरा 15वीं शताब्दी में बनाया गया था और यह मुस्लिम संत पीर हाजी अली शाह बुखारी को समर्पित है।मकबरा मुख्य भूमि से एक लंबे रास्ते से जुड़ा हुआ है जो उच्च ज्वार के दौरान डूब जाता है, जिससे केवल कम ज्वार के दौरान ही इस तक पहुंचा जा सकता है।यह मस्जिद अपनी जटिल वास्तुकला और सुंदर सुलेख के लिए जानी जाती है। Sanjay Gandhi National Park Mumbai संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान मुंबई के मध्य में स्थित एक बड़ा शहरी पार्क है, जो 100 वर्ग किलोमीटर से अधिक वन भूमि पर फैला हुआ है। यह प्रकृति प्रेमियों और बाहरी उत्साही लोगों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य है, जो लंबी पैदल यात्रा ट्रेल्स, वन्यजीवन स्पॉटिंग और सुंदर दृश्य पेश करता है। पार्क के कुछ मुख्य आकर्षणों में शामिल हैं: कन्हेरी गुफाएँ, पहली शताब्दी ईसा पूर्व की बौद्ध गुफाओं की एक श्रृंखला है।नेशनल पार्क सफारी, पार्क के जंगली इलाकों में एक वन्यजीव यात्रा है जहाँ आप तेंदुए, हिरण और बंदरों जैसे जानवरों को देख सकते हैं। Elephanta Caves Mumbai एलीफेंटा गुफाएँ चट्टानों को काटकर बनाए गए ये प्राचीन मंदिर मुंबई के बंदरगाह में एलीफेंटा द्वीप पर स्थित हैं और यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल हैं। गुफाएँ अपनी अविश्वसनीय नक्काशी और मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं जो हिंदू देवताओं और पौराणिक दृश्यों को दर्शाती हैं। इन आकर्षक गुफाओं के बारे में कुछ मजेदार तथ्य यहां दिए गए हैं: गुफाओं को 5वीं या 6ठी शताब्दी ईस्वी में ब���साल्ट चट्टान से बनाया गया था।सबसे बड़ी गुफा, ग्रेट गुफा, विनाश और सृजन के हिंदू देवता, भगवान शिव की शानदार मूर्तियों से सुशोभित है। Famous food of Mumbai – मुंबई का मशहूर खाना यहां कुछ सबसे प्रसिद्ध और स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ हैं जिन्हें आपको अवश्य आज़माना चाहिए: वड़ा पाव: एक लोकप्रिय स्ट्रीट फूड, यह एक डीप-फ्राइड आलू फ्रिटर (वड़ा) है जिसे ब्रेड रोल (पाव) में कुछ चटनी और तली हुई हरी मिर्च के साथ परोसा जाता है। पाव भाजी: मुंबई का एक और प्रतिष्ठित स्ट्रीट फूड, यह एक मसालेदार मिश्रित सब्जी करी है जिसे मक्खन लगी टोस्टेड ब्रेड (पाव) के साथ परोसा जाता है। How to reach Mumbai – मुंबई कैसे पहुंचे मुंबई जाने के लिए आपके पास कई विकल्प हैं: By Air – सबसे सुविधाजनक तरीका हवाई मार्ग है। छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा मुंबई का मुख्य हवाई अड्डा है, और यह भारत और दुनिया भर के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। By Train – मुंबई ट्रेन से भी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, शहर के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसटी) रेलवे स्टेशन तक कई लंबी दूरी की ट्रेनें चलती हैं। By Road – मुंबई में उत्कृष्ट सड़क कनेक्टिविटी भी है, और आप भारत के अन्य शहरों से बस या कार द्वारा शहर तक पहुँच सकते हैं। Read the full article
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330 हनुमान जी का साथ
330 हनुमानजी का साथदेखें, बालि बड़ा बलवान है, सुग्रीव बहुत डरपोक है। इतना डरपोक कि जिनके दर्शनमात्र से भवभय भाग जाता है, उन्हीं राम जी को देख कर भय खा रहा है।बालि को मायावी के पीछे गुफा में गए दो मास हो गए, मायावी मारा गया, मायावी का भीषण रक्त प्रवाह बाहर आया। सुग्रीव को लगा कि बालि मारा गया। वह गुफा द्वार पर विशाल चट्टान लगा कर भाग गया।लक्ष्मण जी का मत है कि जो अपने भाई का खून नहीं पहचान पाया,…

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प्यास मैकदों में रोज़ बढ़ती है romantic shayari, फ़र्क़ पड़ता नहीं ग़र्मी की
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प्यास मैकदों में रोज़ बढ़ती है ,
फ़र्क़ पड़ता नहीं ग़र्मी की वहाँ सर्दी है ।
मौसम ए मिजाज़ जहाँ भर का समझ आता नहीं ,
एक बर्फ की चट्टान पिघले तो ग़र्मी में सुकून आये ।
ग़र्मी से ग़र बढ़ती हो प्यास जायज़ है ,
लोग आँखों में समंदर छुपाकर मैकदों का रुख़ करते हैं ।
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बर्फ़ के रास्ते, सितारे और शिखर
अपने आप को एक पहाड़ी पर एक चट्टान के ऊपर कल्पना करें, नीचे सूर्य द्वारा लाल रंग से रंगे भौगोलिक बादलों का एक समुद्र। समुद्र के नीचे से छोटी-छोटी नीली पहाड़ियाँ निकलती हैं, जो हरी-भरी घाटियों से मिलती हैं – जैसे किसी कलाकार द्वारा अधूरी मूर्तिकला को पूरा करने के लिए रखे गए छोटे द्वीप। एक कठफोड़वा और एक बुलबुल अपने पड़ोसी, भूरे सिर वाले थ्रश की डरावनी सीटियों के साथ तालमेल बिठाते हैं। साथ में वे एक…
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चांग'ई-6 मून मिशन द्वारा चंद्रमा से लाई चट्टान से खुला बड़ा रहस्य, जानें क्या है ज्वालामुखी विस्फोट से जुड़ा मामला
China News: चीन के वैज्ञानिकों ने पहली बार चंद्रमा के सुदूर हिस्से के रहस्य को सुलझाने का कारनामा कर दिखाया है। पहली बार चीनी वैज्ञानिक और उनके अमेरिकी सहयोगी चंद्रमा के दूर वाले हिस्से पर ज्वालामुखी विस्फोटों की सटीक उम्र मापने में सक्षम हुए हैं। पहले इसके अंदाजा केवल रिमोट सेंसिंग के आकलनों के माध्यम से किया जाता था। इसी साल जून में चीन का चांग’ई-6 मून मिशन चंद्रमा से चट्टान का सैंपल लेकर…
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70,000 वर्ष पुरानी यह ममी आज तक विज्ञान जगत के लिए चुनौती और हैरानी का सबब बनी हुई है। इसे लगभग 1500 साल पहले एक इंडोनेशियाई खजाना-खोजी ने बर्फ के नीचे से ढूंढा था, जब वह एक खजाने की तलाश में उत्तरी इंडोनेशिया के पहाड़ों में भटक रहा था। अचानक उसे बर्फ की एक बड़ी चट्टान के नीचे बुलबुले से दिखे और उसने खुदाई करनी शुरू कर दी थी।
शोध के बाद वैज्ञानिक दावा कर रहे है कि ये ममी 70000 पहले मानवों की धरती ��र रहने वाली किसी लुप्त मगर उन्नत प्रजाति से जुड़ी है और इसके बदन पर बने टैटू इस ओर इशारा करते हैं कि यह कोई पुजारिन या भविष्यवक्ता रही होगी। इस ममी से जुड़ी एक और रहस्यमय बात ये भी है कि इस ममी के सौ से भी टुकड़े हैं, जिन्हें इतनी सफाई से सिला गया है कि शोधकर्ताओं को भी ये बात 50 साल पहले MRI के दौरान पता चली।
लुप्त सभ्यताओं पर रिसर्च करने वाले शोधकर्ताओं ने सम्भावना व्यक्त की है कि अतीत में इस प्रजाति के ऊपर हुए किसी दूसरी प्रजाति के अकस्मात मगर योजनाबद्ध हमले के दौरान इस पुजारिन के टुकड़े किये गए होंगे। बाद में इस प्रजाति के बचे हुए लोगों ने पुजारिन की लाश को बेहद उन्नत चिकित्सा तकनीक से सिल कर ममी में परिवर्तित कर दिया होगा। लेकिन इस सबसे भी ज्यादा हैरतंगेज और अविश्वसनीय बात ये है कि ये ममी कभी कभी सांस लेती है।
इस जानकारी ने शोधकर्ताओं के होश उड़ा दिये। मजेदार बात ये है कि इसी साल 2024 में इस ममी पर रिसर्च कर रहे एक इजराइली विद्यार्थी ने इस पर ध्यान दिया और इसकी जानकारी रिसर्च टीम के बाकी के मेम्बर्स को दी। जब ममी की लगातार निगरानी की गई तो पता चला यह हर रोज सुबह 4 बजे सांस लेती है और सबसे बड़ा धमाका तो तब हुआ जब पता चला कि ममी सांसों की ध्वनि, असल मे एक संगीतमय कोड ह
काफी प्रयासों और अत्याधुनिक यंत्रो द्वार इस कोड को पिछले महीने यानी अक्टूबर में डिकोड किया जा सका। डिकोड करने पर पता चला यह ध्वनि कोड ममी हज़ारो साल से निकाल रही है, जिसका अर्थ है, 'बंटोगे तो कटोगे।' शोधकर्ताओं का मानना है कि इस ममी की प्रजाति के लोग शायद ये ध्वनि कोड डिकोड नहीं कर पाए होंगे और इसी वजह से यह उन्नत प्रजाति अचानक समाप्त हो गई होगी।
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Jamshedpur rural - गालूडीह के बड़बिल रंकणी डूंगरी में 700 फीट ऊंची पहाड़ी पर पूजीं जाती है मां दुर्गा, विधि-विधान के साथ होती है पूजा अर्चना
गालूडीहः घाटशिला प्रखंड के बड़बिल रंकणी डूंगरी में पिछले कई साल से मां रंकणी का विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की जा रही है. ये मां दुर्गा का एक रूप है. इस मंदिर के बारे में किवंदती है कि मां रंकणी एक चट्टान पर नहाती थीं. एक दिन तत्कालीन गालूडीह के जमींदार डूंगरी के ऊपर महिला नहाती है. जमींदार नदी बाबू को कौतुहल हुआ कि आखिर घने जंगल के बीच बसे डूंगरी में कौन अकेली महिला नहाने की हिम्मत करती है.…
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Lalit Surjan ki Kalam se - Aam Janata Par Internet ki Khuphiya Nigaah
इंटरनेट का आविष्कार और विकास अमेरिका के सैन्य-पूंजी गठजोड़ की हिफाजत और उसके उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए हुआ है। यदि कोई व्यक्ति या समूह इस एजेंडा के दाएं-बाएं जाने की कोशिश करेगा तो उसके बारे में इंटरनेट के माध्यम से संकलित सूचनाओं का उपयोग उसी पर चट्टान पटक देने जैसी कार्रवाई में किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में जिनका इंटरनेट पर नियंत्रण है वे आपके बारे में राई-रत्ती खबर रखते हैं। आपने यदि व्यवस्था का विरोध किया तो एक सीमा तक ही आपकी हरकतें बर्दाश्त की जाएंगी।
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The terrestrial part of the solar system is limited to Mars
The terrestrial part of the solar system is limited to Mars
Terrestrial means actually rocky parts
Is Mars a rocky surface
Yes, Mars has a rocky surface:
Terrestrial planet
Mars is a terrestrial planet, which means it has a compact, rocky surface like Earth.
Formation
Mars formed about 4.5 billion years ago when gravity pulled in swirling gas and dust.
Composition
Mars has a central core, a rocky mantle, and a solid crust.
Appearance
Mars is one of the easiest planets to spot in the night sky, appearing as a bright red point of light.
Moons
Mars' moons are made of carbon-rich rock mixed with ice, and may be captured asteroids.
Frozen caps
Mars has water ice caps that remain frozen year-round, and seasonal caps of frost that appear in the winter.
The planets closest to the Sun—Mars, Earth, Venus, and Mercury—are made mostly of rock. The rocky planets all formed in our inner solar system. Their geological history is preserved on their surfaces. Their landscapes reveal the processes that shaped them: impacts, crustal movements, volcanic activity, and erosion.
Mars: Facts
NASA Science (.gov)
https://science.nasa.gov › mars › facts
Surrounding the core is a rocky mantle between 770 and 1,170 miles (1,240 to 1,880 kilometers) thick, and above that, a crust made of iron, magnesium, aluminum,
Surface
The Red Planet is actually many colors. At the surface, we see colors such as brown, gold, and tan. The reason Mars looks reddish is due to oxidization – or rusting – of iron in the rocks, regolith (Martian “soil”), and dust of Mars. This dust gets kicked up into the atmosphere and from a distance makes the planet appear mostly red.
Interestingly, while Mars is about half the diameter of Earth, its surface has nearly the same area as Earth’s dry land. Its volcanoes, impact craters, crustal movement, and atmospheric conditions such as dust storms have altered the landscape of Mars over many years, creating some of the solar system's most interesting topographical features.
A large canyon system called Valles Marineris is long enough to stretch from California to New York – more than 3,000 miles (4,800 kilometers). This Martian canyon is 200 miles (320 kilometers) at its widest and 4.3 miles (7 kilometers) at its deepest. That's about 10 times the size of Earth's Grand Canyon.
Mars is home to the largest volcano in the solar system, Olympus Mons. It's three times taller than Earth's Mt. Everest with a base the size of the state of New Mexico.
Mars appears to have had a watery past, with ancient river valley networks, deltas, and lakebeds, as well as rocks and minerals on the surface that could only have formed in liquid water. Some features suggest that Mars experienced huge floods about 3.5 billion years ago.
There is water on Mars today, but the Martian atmosphere is too thin for liquid water to exist for long on the surface. Today, water on Mars is found in the form of water-ice just under the surface in the polar regions as well as in briny (salty) water, which seasonally flows down some hillsides and crater walls.
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मंगल ग्रह तक ही है सौरमंडल की टेरेस्ट्रियल अंश
टेरेस्ट्रियल का अर्थ है वास्तव में चट्टान बहुल अंग
क्या मंगल ग्रह चट्टानी समृद्ध सतह है
हाँ, मंगल की सतह चट्टानी है:
स्थलीय ग्रह
मंगल एक स्थलीय ग्रह है, जिसका अर्थ है कि इसकी सतह पृथ्वी की तरह सघन, चट्टानी है।
गठन
मंगल का निर्माण लगभग 4.5 अरब साल पहले ��ुआ था जब गुरुत्वाकर्षण ने घूमती हुई गैस और धूल को अपनी ओर खींचा था।
संरचना
मंगल में एक केंद्रीय कोर, एक चट्टानी आवरण और एक ठोस परत है।
दिखावट
मंगल रात के आकाश में दिखने वाले सबसे आसान ग्रहों में से एक है, जो एक चमकदार लाल प्रकाश बिंदु के रूप में दिखाई देता है।
चंद्रमा
मंगल के चंद्रमा बर्फ के साथ मिश्रित कार्बन युक्त चट्टान से बने हैं, और संभवतः क्षुद्रग्रहों द्वारा पकड़े गए हैं।
जमी हुई टोपियाँ
मंगल पर पानी की बर्फ की टोपियाँ हैं जो साल भर जमी रहती हैं, और सर्दियों में मौसमी ठंढ की टोपियाँ दिखाई देती हैं।
सूर्य के सबसे निकट के ग्रह- मंगल, पृथ्वी, शुक्र और बुध- ज़्यादातर चट्टान से बने हैं। चट्टानी ग्रह सभी हमारे आंतरिक सौर मंडल में बने हैं। उनका भूवैज्ञानिक इतिहास उनकी सतहों पर संरक्षित है। उनके भूदृश्य उन प्रक्रियाओं को प्रकट करते हैं जिन्होंने उन्हें आकार दिया: प्रभाव, क्रस्टल मूवमेंट, ज्वालामुखी गतिविधि और क्षरण।
मंगल: तथ्य
NASA विज्ञान (.gov)
https://science.nasa.gov › mars › तथ्य
कोर के चारों ओर 770 और 1,170 मील (1,240 से 1,880 किलोमीटर) मोटी चट्टानी मेंटल है, और उसके ऊपर, लोहे, मैग्नीशियम, एल्युमिनियम से बनी एक परत है,
सतह
लाल ग्रह वास्तव में कई रंगों का है। सतह पर, हम भूरा, सुनहरा और तन जैसे रंग देखते हैं। मंगल ग्रह के लाल दिखने का कारण चट्टानों, रेगोलिथ (मंगल ग्रह की "मिट्टी") और मंगल की धूल में लोहे के ऑक्सीकरण - या जंग लगने - के कारण है। यह धूल वायुमंडल में चली जाती है और दूर से देखने पर ग्रह ज़्यादातर लाल दिखाई देता है।
दिलचस्प बात यह है कि मंगल ग्रह का व्यास पृथ्वी के व्यास का लगभग आधा है, लेकिन इसकी सतह का क्षेत्रफल पृथ्वी की सूखी भूमि के लगभग बराबर है। इसके ज्वालामुखी, प्रभाव क्रेटर, क्रस्टल मूवमेंट और धूल के तूफान जैसे वायुमंडलीय स्थितियों ने कई वर्षों में मंगल के परिदृश्य को बदल दिया है, जिससे सौर मंडल की कुछ सबसे दिलचस्प स्थलाकृतिक विशेषताएं बन गई हैं। वैलेस मेरिनेरिस नामक एक बड़ी घाटी प्रणाली कैलिफ़ोर्निया से न्यूयॉर्क तक फैलने के लिए पर्याप्त लंबी है - 3,000 मील (4,800 किलोमीटर) से अधिक। यह मार्टियन घाटी अपने सबसे चौड़े स्थान पर 200 मील (320 किलोमीटर) और सबसे गहरे स्थान पर 4.3 मील (7 किलोमीटर) है। यह पृथ्वी के ग्र���ंड कैन्यन के आकार का लगभग 10 गुना है। मंगल ग्रह सौर मंडल के सबसे बड़े ज्वालामुखी, ओलंपस मॉन्स का घर है। यह पृथ्वी के माउंट एवरेस्ट से तीन गुना ऊँचा है और इसका आधार न्यू मैक्सिको राज्य के आकार का है। ऐसा प्रतीत होता है कि मंगल ग्रह का अतीत पानी से भरा रहा है, जिसमें प्राचीन नदी घाटी नेटवर्क, डेल्टा और झील के किनारे हैं, साथ ही सतह पर चट्टानें और खनिज हैं जो केवल तरल पानी में बन सकते हैं। कुछ विशेषताओं से पता चलता है कि मंगल ग्रह पर लगभग 3.5 अरब साल पहले भारी बाढ़ आई थी। आज मंगल ग्रह पर पानी है, लेकिन मंगल ग्रह का वायुमंडल इतना पतला है कि सतह पर लंबे समय तक तरल पानी मौजूद नहीं रह सकता। आज, मंगल ग्रह पर पानी ध्रुवीय क्षेत्रों में सतह के ठीक नीचे पानी-बर्फ के रूप में पाया जाता है और साथ ही खारे (नमकीन) पानी के रूप में भी पाया जाता है, जो मौसमी रूप से कुछ पहाड़ियों और गड्ढों की दीवारों से बहता है।
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"एक ऐसी प्रेम कहानी जिसे भुला दिया गया"
भारत कई अनूठी कहानियों और घटनाओं का साक्षी रहा है. यहां हर मोड़ पर कुछ ना कुछ ऐसा सुनने को जरूर मिल जाता है जो आपको हैरान कर देता है कि क्या वाकई ऐसा हो सकता है.आज हम आपको ऐसे ही एक स्थान के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपनी अमर प्रेम कहानी के लिए जाना जाता है. ऐसी कहानी जो आज कई सदियों बाद भी ना सिर्फ याद की जाती है बल्कि आज के भौतिकवाद से ग्रस्त समाज में जहां प्यार को बस एक खेल की तरह खेला जा रहा है वहां प्यार के उस एहसास से रूबरू करवाती है जिसके लिए कभी लोग अपनी जान तक दे दिया करते थे.
यह कहानी मांडू की रानी रूपमती और बाज बहादुर की है. इतिहास के पन्नों में दर्ज मांडू (मध्य प्रदेश) स्थित रानी रूपमती का महल एक समय पहले तक बेहद खूबसूरत हुआ करता था, इतना कि कोई भी उसे देखकर अपनी आंखों पर विश्वास ना कर पाए कि क्या वाकई कोई इमारत इतनी बेहतरीन हो सकती है. इस महल के ऊपर मंडप बने हुए थे जहां बैठकर पूरा राज्य नजर आता था.
यह महल 365 मीटर ऊंची और सीधी खड़ी चट्टान पर स्थित है जिसका निर्माण बाज बहादुर ने करवाया था. ऐतिहासिक कहानियों के अनुसार रानी रूपमती सुबह-शाम मंडप पर बैठर सामने बहने वाली खूबसूरत नर्मदा नदी को देखा करती थी. महल के नीचे की ओर एक और महल है जिसे बाज बहादुर महल कहा जाता है और इस महल से रानी रूपमती का मंडप बहुत खूबसूरत नजर आता था. ऐसा माना जाता है कि जब रानी मंडप में होती थी, तब बाज बहादुर अपने महल के झरोखे से रूपमती को घंटों निहारा करता था.
सन 1561 की बात है जब मुगल बादशाह अकबर के सेनापति आदम खां ने मांडू पर आक्रमण कर बाजबहादुर को पराजित कर दिया और रानी रूपमती को अगवा कर लिया. रानी रूपमती ने आदम खां के समक्ष समर्पण नहीं किया और अपनी जान दे दी.
इस घटना के बाद रानी रूपमती और बाज बहादुर की प्रेम कहानी अमर हो गई और अकबर ने ही इन दोनों की प्रेम कहानी को लिखित रूप प्रदा�� करवाया.
मांडू में ना सिर्फ रानी रूपमती का महल चर्चा बटोरता है बल्कि यहां कई और भी स्थान हैं जो अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर हैं. मांडू की मस्जिदें भारतीय इस्लामी स्थापत्य कला की बेजोड़ उदाहरण हैं. इसके अलवा दो अन्य महल, जहाज महल और हिंडोला महल भी सौंदर्य के उत्कृष्ट नमूने हैं.
मांडू स्थित अशर्फी महल की कहानी भी अजीब है. होशंगशाह ने सोने की अशर्फियों से इस महल का निर्माण करवाया था, जिसकी वजह से इसे अशर्फी महल का नाम दिया गया. मांडू की इसी भव्यता से प्रभावित होकर मुगल सम्राट जहांगीर यहां कई महीनों तक रहा और चप्पे-चप्पे का विचरण किया. उसने अपने प्रवास के दौरान कई भवनों का ना सिर्फ निर्माण करवाया बल्कि कई पुरानी इमारतों की मरम्मत भी करवाई.
वर्ष 1732 में मल्हार राव के नेतृत्व वाली मराठा सेना ने मांडू के मुगल गवर्नर को पराजित कर इस राज्य पर कब्जा कर लिया, तब से लेकर राजशाही के अंत तक मांडू पर मराठों का ही राज रहा. आजादी के बाद जब मांडू की रियासत पर सरकार का आधिपत्य हुआ तब यहां मालवा पर्यटन रिसॉर्ट बनाया गया. मांडू की खूबसूरती का कोई सानी नहीं है यही वजह है कि आज यहां हर साल देश-विदेश के कई सैलानी आते हैं.
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