#गुजराती भोजन
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shabdforwriting · 4 months ago
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ज़ायका by Dr Anita Mishra
किताब के बारे में... स्वाद का हर व्यक्ति दिवाना होता है। स्वाद मीठा किसी को पसंद होता है तो किसी को कड़वा तो किसी को चटपटा तो किसी को खट्टा आदि। कोई दक्षिण भारतीय व्यंजनों का दिवाना होता है तो कोई गुजराती ढोकले का। सबका पसंद अलग-अलग होता है लेकिन भोजन बिना हर जीवन बेकार है। कहावत है कि पेट ना होता तो किसी से भेंट ना होता।। पापी पेट के पीछे मैं आपको कुछ सुस्वादु व्यंजन का रसास्वादन कराऊंगी। खा कर बताइएगा कि कैसा है और मुंह में पानी आने पर घर में बनवा कर खाइएगा।।
यदि आप इस पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक से इस पुस्तक को पढ़ें या नीचे दिए गए दूसरे लिंक से हमारी वेबसाइट पर जाएँ!
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vlogrush · 8 months ago
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भारतीय संस्कृति की विशेषताएं: तथा संस्कृति ज्ञान के महत्व
भारत एक विविधताओं से भरा देश है और इसकी संस्कृति इसी विविधता को दर्शाती है। यहां धर्म, भाषा, परिवार, त्योहार, भोजन, कला और रहन-सहन सभी में विविधता देखी जाती है। भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता धार्मिक विविधता है, जहां हिंदू, मुस्लिम, सि��, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी धर्मों के अनुयायी एक साथ रहते हैं। देश की भाषाई विविधता भी उल्लेखनीय है, जहां हिंदी, बंगाली, तेलुगु, मराठी, तमिल, उर्दू, गुजराती…
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dharmarajdas · 2 years ago
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🎯संत गरीबदास जी महाराज का जीवन परिचय एवं आध्यात्मिक यात्रा🎯
संत गरीबदास जी का जन्म हरियाणा के जिला झज्जर, गांव छुड़ानी में सन 1717 में जाटों के एक प्रसिद्ध धनखड़ परिवार में पिता श्री बलरामजी और माता श्रीमती रानीदेवीजी के यहाँ हुआ था।
गरीबदासजी बचपन से ही अन्य ग्वालों के साथ गौ चराने जाते थे। कबलाना गाँव की सीमा से सटे नला खेत में 10 वर्ष के बालक गरीबदासजी जांडी के पेड़ के नीचे प्रातः 10 बजे अन्य ग्वालों के साथ जब भोजन कर रहे थे तभी वहाँ से कुछ दूरी पर सत्यपुरुष कबीर साहब जिंदा महात्मा के रूप में सतलोक से अवतरित हुए और गरीबदास जी महाराज से मिलकर उन्हें तत्वज्ञान समझाया और उन्हें सतलोक का साक्षी बनाया। संत गरीब दास जी महाराज की आत्मा को जब कबीर परमेश्वर सतलोक ले गए तो वे तीन दिन अचेत रहे। तीन दिन बाद जब वे वापिस शरीर में आए तो परमात्मा की महिमा की वाणी सुनाने लगे उससे उनके गाँव के लोग उन्हें बावला कहने लगे ।
तीन वर्ष उपरांत दादू संत मत के दीक्षित संत गोपालदास जो वैश्य परिवार से थे, उस गाँव में आए । गाँव वालों के निवेदन पर संत गरीबदास जी से बात कर 62 वर्षीय गोपालदासजी समझ गए यह विशिष्ट ज्ञानी बालक परमात्मा से मिलकर आया है । गोपालदासजी के यह प्रश्न करने पर कि उन्हे कौन मिले थे और कहाँ लेकर गए थे 13 वर्षीय तत्वदर्शी संत गरीबदासजी ने उत्तर दिया कि जिंदा बाबा मुझे मिले थे और मुझे सतलोक लेकर गए वही स्वयं कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा काल के जाल से छुड़वाते हैं ।
ऐसा बोलकर संत गरीबदास जी वहाँ से चल दिए।गोपालदासजी प���छे पीछे चले और गरीबदासजी से नम्र निवेदन किया कि यह ज्ञान लिपिबद���ध कराएं। पूरा होने तक लिखने की शर्त पर गरीबदासजी लिखवाने के लिए सहमत हो गए। परमात्मा से प्राप्त तत्वज्ञान को गरीबदासजी के बेरी के बाग में एक जांडी के नीचे बैठकर छः माह में लिखवाया गया और इस प्रकार हस्तलिखित ग्रंथ सतग्रंथ साहिब (अमरबोध, अमरग्रन्थ ) की रचना हुई ।
इस ग्रंथ में कबीर सागर के 7000 शब्द सहित कुल 24000 शब्द लिखे हैं। इस महान ग्रंथ में गुजराती, अरबी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के शब्द प्रयुक्त किये गए हैं।
अमर ग्रंथ अन्य आध्यात्मिक ग्रंथों से बिल्कुल अलग है। इसमें सृष्टि रचना से लेकर चारों युगों का विस्तार से वर्णन किया गया है। गरीबदास जी महाराज जो पूर्ण परमात्मा के अवतार हैं उन्होंने इस ग्रंथ के पूर्ण रहस्य को खोला है। इसमें भूतकाल, वर्तमान काल तथा भविष्य काल की घटनाओं को विस्तार से बताया है। इसमें सत्भक्ति मंत्रों की पूर्ण जानकारी दी गई है। जिसकी मर्यादा पूर्वक साधना से पूर्ण मोक्ष को प्राप्त किया जा सकता है। वर्तमान में पूर्ण परमेश्वर के अवतार संत रामपाल जी महाराज ने इस अमर ग्रंथ के रहस्य को जनता के सामने रखा और उन्हें सत्भक्ति दी। महाभारत, रामायण, रामचरित मानस में वास्तविक भक्ति मार्ग नहीं है और ना ही ऐसा गूढ़ ज्ञान है।
गरीबदासजी महाराज ने 61 वर्ष की आयु में सन् 1778 में सतलोक गमन किया । ग्राम छुड़ानी में शरीर का अंतिम संस्कार किया गया वहाँ एक यादगार, छतरी साहेब बनी हुई है। इसके बाद उसी शरीर में प्रकट होकर सहारनपुर उत्तरप्रदेश में 35 वर्ष रहे। वहाँ भी उनके नाम की यादगार छतरी बनी हुई है ।
कबीर चरित्र बोध अध्याय के पृष्ठ 1870 पर स्पष्ट है कि बारहवां पंथ गरीबदास जी का है। कबीर परमेश्वर ने कहा है कि बारहवें पंथ में मेरी महिमा की वाणी प्रकट होगी यानी बारहवें पंथ वाला मेरी महिमा की वाणी बोलेगा। इसी पंथ में संत रामपाल जी महाराज आए हैं जो नाम दीक्षा देने के वास्तविक अधिकारी हैं। 2 से 4 मार्च 2023 को संत गरीब दास जी महाराज के बोध दिवस के अवसर पर 10 सतलोक आश्रमों में गरीब दास जी महाराज की अमर वाणी का तीन दिवसीय अखंड पाठ, देसी घी से निर्मित निःशुल्क विशाल भंडारा, दहेज मुक्त विवाह व रक्तदान शिविर का आयोजन किया जा रहा है। आप सभी सपरिवार सादर आमंत्रित हैं।
#Who_Is_SantGaribdasJiMaharaj
#BodhDiwas_Of_SantGaribdasji
अधिक जानकारी के लिए "Sant Rampal Ji Maharaj" App Play Store से डाउनलोड करें और "Sant Rampal Ji Maharaj" YouTube Channel पर Videos देखें और Subscribe करें।
संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
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kajalkabirpanthi · 2 years ago
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🎯संत गरीबदास जी महाराज का जीवन परिचय एवं आध्यात्मिक यात्रा🎯
संत गरीबदास जी का जन्म हरियाणा के जिला झज्जर, गांव छुड़ानी में सन 1717 में जाटों के एक प्रसिद्ध धनखड़ परिवार में पिता श्री बलरामजी और माता श्रीमती रानीदेवीजी के यहाँ हुआ था।
गरीबदासजी बचपन से ही अन्य ग्वालों के साथ गौ चराने जाते थे। कबलाना गाँव की सीमा से सटे नला खेत में 10 वर्ष के बालक गरीबदासजी जांडी के पेड़ के नीचे प्रातः 10 बजे अन्य ग्वालों के साथ जब भोजन कर रहे थे तभी वहाँ से कुछ दूरी पर सत्यपुरुष कबीर साहब जिंदा महात्मा के रूप में सतलोक से अवतरित हुए और गरीबदास जी महाराज से मिलकर उन्हें तत्वज्ञान समझाया और उन्हें सतलोक का साक्षी बनाया। संत गरीब दास जी महाराज की आत्मा को जब कबीर परमेश्वर सतलोक ले गए तो वे तीन दिन अचेत रहे। तीन दिन बाद जब वे वापिस शरीर में आए तो परमात्मा की महिमा की वाणी सुनाने लगे उससे उनके गाँव के लोग उन्हें बावला कहने लगे ।
तीन वर्ष उपरांत दादू संत मत के दीक्षित संत गोपालदास जो वैश्य परिवार से थे, उस गाँव में आए । गाँव वालों के निवेदन पर संत गरीबदास जी से बात कर 62 वर्षीय गोपालदासजी समझ गए यह विशिष्ट ज्ञानी बालक परमात्मा से मिलकर आया है । गोपालदासजी के यह प्रश्न करने पर कि उन्हे कौन मिले थे और कहाँ लेकर गए थे 13 वर्षीय तत्वदर्शी संत गरीबदासजी ने उत्तर दिया कि जिंदा बाबा मुझे मिले थे और मुझे सतलोक लेकर गए वही स्वयं कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा काल के जाल से छुड़वाते हैं ।
ऐसा बोलकर संत गरीबदास जी वहाँ से चल दिए।गोपालदासजी पीछे पीछे चले और गरीबदासजी से नम्र निवेदन किया कि यह ज्ञान लिपिबद्ध कराएं। पूरा होने तक लिखने की शर्त पर गरीबदासजी लिखवाने के लिए सहमत हो गए। परमात्मा से प्राप्त तत्वज्ञान को गरीबदासजी के बेरी के बाग में एक जांडी के नीचे बैठकर छः माह में लिखवाया गया और इस प्रकार हस्तलिखित ग्रंथ सतग्रंथ साहिब (अमरबोध, अमरग्रन्थ ) की रचना हुई ।
इस ग्रंथ में कबीर सागर के 7000 शब्द सहित कुल 24000 शब्द लिखे हैं। इस महान ग्रंथ में गुजराती, अरबी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के शब्द प्रयुक्त किये गए हैं।
अमर ग्रंथ अन्य आध्यात्मिक ग्रंथों से बिल्कुल अलग है। इसमें सृष्टि रचना से लेकर चारों युगों का विस्तार से वर्णन किया गया है। गरीबदास जी महाराज जो पूर्ण परमात्मा के अवतार हैं उन्होंने इस ग्रंथ के पूर्ण रहस्य को खोला है। इसमें भूतकाल, वर्तमान काल तथा भविष्य काल की घटनाओं को विस्तार से बताया है। इसमें सत्भक्ति मंत्रों की पूर्ण जानकारी दी गई है। जिसकी मर्यादा पूर्वक साधना से पू��्ण मोक्ष को प्राप्त किया जा सकता है। वर्तमान में पूर्ण परमेश्वर के अवतार संत रामपाल जी महाराज ने इस अमर ग्रंथ के रहस्य को जनता के सामने रखा और उन्हें सत्भक्ति दी। महाभारत, रामायण, रामचरित मानस में वास्तविक भक्ति मार्ग नहीं है और ना ही ऐसा गूढ़ ज्ञान है।
गरीबदासजी महाराज ने 61 वर्ष की आयु में सन् 1778 में सतलोक गमन किया । ग्राम छुड़ानी में शरीर का अंतिम संस्कार किया गया वहाँ एक यादगार, छतरी साहेब बनी हुई है। इसके बाद उसी शरीर में प्रकट होकर सहारनपुर उत्तरप्रदेश में 35 वर्ष रहे। वहाँ भी उनके नाम की यादगार छतरी बनी हुई है ।
कबीर चरित्र बोध अध्याय के पृष्ठ 1870 पर स्पष्ट है कि बारहवां पंथ गरीबदास जी का है। कबीर परमेश्वर ने कहा है कि बारहवें पंथ में मेरी महिमा की वाणी प्रकट होगी यानी बारहवें पंथ वाला मेरी महिमा की वाणी बोलेगा। इसी पंथ में संत रामपाल जी महाराज आए हैं जो नाम दीक्षा देने के वास्तविक अधिकारी हैं। 2 से 4 मार्च 2023 को संत गरीब दास जी महाराज के बोध दिवस के अवसर पर 10 सतलोक आश्रमों में गरीब दास जी महाराज की अमर वाणी का तीन दिवसीय अखंड पाठ, देसी घी से निर्मित निःशुल्क विशाल भंडारा, दहेज मुक्त विवाह व रक्तदान शिविर का आयोजन किया जा रहा है। आप सभी सपरिवार सादर आमंत्रित हैं।
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shamlalbgt7 · 2 years ago
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🎯संत गरीबदास जी महाराज का जीवन परिचय एवं आध्यात्मिक यात्रा🎯
संत गरीबदास जी का जन्म हरियाणा के जिला झज्जर, गांव छुड़ानी में सन 1717 में जाटों के एक प्रसिद्ध धनखड़ परिवार में पिता श्री बलरामजी और माता श्रीमती रानीदेवीजी के यहाँ हुआ था।
गरीबदासजी बचपन से ही अन्य ग्वालों के साथ गौ चराने जाते थे। कबलाना गाँव की सीमा से सटे नला खेत में 10 वर्ष के बालक गरीबदासजी जांडी के पेड़ के नीचे प्रातः 10 बजे अन्य ग्वालों के साथ जब भोजन कर रहे थे तभी वहाँ से कुछ दूरी पर सत्यपुरुष कबीर साहब जिंदा महात्मा के रूप में सतलोक से अवतरित हुए और गरीबदास जी महाराज से मिलकर उन्हें तत्वज्ञान समझाया और उन्हें सतलोक का साक्षी बनाया। संत गरीब दास जी महाराज की आत्मा को जब कबीर परमेश्वर सतलोक ले गए तो वे तीन दिन अचेत रहे। तीन दिन बाद जब वे वापिस शरीर में आए तो परमात्मा की महिमा की वाणी सुनाने लगे उससे उनके गाँव के लोग उन्हें बावला कहने लगे ।
तीन वर्ष उपरांत दादू संत मत के दीक्षित संत गोपालदास जो वैश्य परिवार से थे, उस गाँव में आए । गाँव वालों के निवेदन पर संत गरीबदास जी से बात कर 62 वर्षीय गोपालदासजी समझ गए यह विशिष्ट ज्ञानी बालक परमात्मा से मिलकर आया है । गोपालदासजी के यह प्रश्न करने पर कि उन्हे कौन मिले थे और कहाँ लेकर गए थे 13 वर्षीय तत्वदर्शी संत गरीबदासजी ने उत्तर दिया कि जिंदा बाबा मुझे मिले थे और मुझे सतलोक लेकर गए वही स्वयं कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा काल के जाल से छुड़वाते हैं ।
ऐसा बोलकर संत गरीबदास जी वहाँ से चल दिए।गोपालदासजी पीछे पीछे चले और गरीबदासजी से नम्र निवेदन किया कि यह ज्ञान लिपिबद्ध कराएं। पूरा होने तक लिखने की शर्त पर गरीबदासजी लिखवाने के लिए सहमत हो गए। परमात्मा से प्राप्त तत्वज्ञान को गरीबदासजी के बेरी के बाग में एक जांडी के नीचे बैठकर छः माह में लिखवाया गया और इस प्रकार हस्तलिखित ग्रंथ सतग्रंथ साहिब (अमरबोध, अमरग्रन्थ ) की रचना हुई ।
इस ग्रंथ में कबीर सागर के 7000 शब्द सहित कुल 24000 शब्द लिखे हैं। इस महान ग्रंथ में गुजराती, अरबी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के शब्द प्रयुक्त किये गए हैं।
अमर ग्रंथ अन्य आध्यात्मिक ग्रंथों से बिल्कुल अलग है। इसमें सृष्टि रचना से लेकर चारों युगों का विस्तार से वर्णन किया गया है। गरीबदास जी महाराज जो पूर्ण परमात्मा के अवतार हैं उन्होंने इस ग्रंथ के पूर्ण रहस्य को खोला है। इसमें भूतकाल, वर्तमान काल तथा भविष्य काल की घटनाओं को विस्तार से बताया है। इसमें सत्भक्ति मंत्रों की पूर्ण जानकारी दी गई है। जिसकी मर्यादा पूर्वक साधना से पूर्ण मोक्ष को प्राप्त किया जा सकता है। वर्तमान में पूर्ण परमेश्वर के अवतार संत रामपाल जी महाराज ने इस अमर ग्रंथ के रहस्य को जनता के सामने रखा और उन्हें सत्भक्ति दी। महाभारत, रामायण, रामचरित मानस में वास्तविक भक्ति मार्ग नहीं है और ना ही ऐसा गूढ़ ज्ञान है।
गरीबदासजी महाराज ने 61 वर्ष की आयु में सन् 1778 में सतलोक गमन किया । ग्राम छुड़ानी में शरीर का अंतिम संस्कार किया गया वहाँ एक यादगार, छतरी साहेब बनी हुई है। इसके बाद उसी शरीर में प्रकट होकर सहारनपुर उत्तरप्रदेश में 35 वर्ष रहे। वहाँ भी उनके नाम की यादगार छतरी बनी हुई है ।
कबीर चरित्र बोध अध्याय के पृष्ठ 1870 पर स्पष्ट है कि बारहवां पंथ गरीबदास जी का है। कबीर परमेश्वर ने कहा है कि बारहवें पंथ में मेरी महिमा की वाणी प्रकट होगी यानी बारहवें पंथ वाला मेरी महिमा की वाणी बोलेगा। इसी पंथ में संत रामपाल जी महाराज आए हैं जो नाम दीक्षा देने के वास्तविक अधिकारी हैं। 2 से 4 मार्च 2023 को संत गरीब दास जी महाराज के बोध दिवस के अवसर पर 10 सतलोक आश्रमों में गरीब दास जी महाराज की अमर वाणी का तीन दिवसीय अखंड पाठ, देसी घी से निर्मित निःशुल्क विशाल भंडारा, दहेज मुक्त विवाह व रक्तदान शिविर का आयोजन किया जा रहा है। आप सभी सपरिवार सादर आमंत्रित हैं।
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sakshi88 · 2 years ago
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#संत_गरीबदासजी_महाराज
🎯संत गरीबदास जी महाराज का जीवन परिचय एवं आध्यात्मिक यात्रा🎯
संत गरीबदास जी का जन्म हरियाणा के जिला झज्जर, गांव छुड़ानी में सन 1717 में जाटों के एक प्रसिद्ध धनखड़ परिवार में पिता श्री बलरामजी और माता श्रीमती रानीदेवीजी के यहाँ हुआ था।
गरीबदासजी बचपन से ही अन्य ग्वालों के साथ गौ चराने जाते थे। कबलाना गाँव की सीमा से सटे नला खेत में 10 वर्ष के बालक गरीबदासजी जांडी के पेड़ के नीचे प्रातः 10 बजे अन्य ग्वालों के साथ जब भोजन कर रहे थे तभी वहाँ से कुछ दूरी पर सत्यपुरुष कबीर साहब जिंदा महात्मा के रूप में सतलोक से अवतरित हुए और गरीबदास जी महाराज से मिलकर उन्हें तत्वज्ञान समझाया और उन्हें सतलोक का साक्षी बनाया। संत गरीब दास जी महाराज की आत्मा को जब कबीर परमेश्वर सतलोक ले गए तो वे तीन दिन अचेत रहे। तीन दिन बाद जब वे वापिस शरीर में आए तो परमात्मा की महिमा की वाणी सुनाने लगे उससे उनके गाँव के लोग उन्हें बावला कहने लगे ।
तीन वर्ष उपरांत दादू संत मत के दीक्षित संत गोपालदास जो वैश्य परिवार से थे, उस गाँव में आए । गाँव वालों के निवेदन पर संत गरीबदास जी से बात कर 62 वर्षीय गोपालदासजी समझ गए यह विशिष्ट ज्ञानी बालक परमात्मा से मिलकर आया है । गोपालदासजी के यह प्रश्न करने पर कि उन्हे कौन मिले थे और कहाँ लेकर गए थे 13 वर्षीय तत्वदर्शी संत गरीबदासजी ने उत्तर दिया कि जिंदा बाबा मुझे मिले थे और मुझे सतलोक लेकर गए वही स्वयं कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा काल के जाल से छुड़वाते हैं ।
ऐसा बोलकर संत गरीबदास जी वहाँ से चल दिए।गोपालदासजी पीछे पीछे चले और गरीबदासजी से नम्र निवेदन किया कि यह ज्ञान लिपिबद्ध कराएं। पूरा होने तक लिखने की शर्त पर गरीबदासजी लिखवाने के लिए सहमत हो गए। परमात्मा से प्राप्त तत्वज्ञान को गरीबदासजी के बेरी के बाग में एक जांडी के नीचे बैठकर छः माह में लिखवाया गया और इस प्रकार हस्तलिखित ग्रंथ सतग्रंथ साहिब (अमरबोध, अमरग्रन्थ ) की रचना हुई ।
इस ग्रंथ में कबीर सागर के 7000 शब्द सहित कुल 24000 शब्द लिखे हैं। इस महान ग्रंथ में गुजराती, अरबी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के शब्द प्रयुक्त किये गए हैं।
अमर ग्रंथ अन्य आध्यात्मिक ग्रंथों से बिल्कुल अलग है। इसमें सृष्टि रचना से लेकर चारों युगों का विस्तार से वर्णन किया गया है। गरीबदास जी महाराज जो पूर्ण परमात्मा के अवतार हैं उन्होंने इस ग्रंथ के पूर्ण रहस्य को खोला है। इसमें भूतकाल, वर्तमान काल तथा भविष्य काल की घटनाओं को विस्तार से बताया है। इसमें सत्भक्ति मंत्रों की पूर्ण जानकारी दी गई है। जिसकी मर्यादा पूर्वक साधना से पूर्ण मोक्ष को प्राप्त किया जा सकता है। वर्तमान में पूर्ण परमेश्वर के अवतार संत रामपाल जी महाराज ने इस अमर ग्रंथ के रहस्य को जनता के सामने रखा और उन्हें सत्भक्ति दी। महाभारत, रामायण, रामचरित मानस में वास्तविक भक्ति मार्ग नहीं है और ना ही ऐसा गूढ़ ज्ञान है।
गरीबदासजी महाराज ने 61 वर्ष की आयु में सन् 1778 में सतलोक गमन किया । ग्राम छुड़ानी में शरीर का अंतिम संस्कार किया गया वहाँ एक यादगार, छतरी साहेब बनी हुई है। इसके बाद उसी शरीर में प्रकट होकर सहारनपुर उत्तरप्रदेश में 35 वर्ष रहे। वहाँ भी उनके नाम की यादगार छतरी बनी हुई है ।
कबीर चरित्र बोध अध्याय के पृष्ठ 1870 पर स्पष्ट है कि बारहवां पंथ गरीबदास जी का है। कबीर परमेश्वर ने कहा है कि बारहवें पंथ में मेरी महिमा की वाणी प्रकट होगी यानी बारहवें पंथ वाला मेरी महिमा की वाणी बोलेगा। इसी पंथ में संत रामपाल जी महाराज आए हैं जो नाम दीक्षा देने के वास्तविक अधिकारी हैं। 2 से 4 मार्च 2023 को संत गरीब दास जी महाराज के बोध दिवस के अवसर पर 10 सतलोक आश्रमों में गरीब दास जी महाराज की अमर वाणी का तीन दिवसीय अखंड पाठ, देसी घी से निर्मित निःशुल्क विशाल भंडारा, दहेज मुक्त विवाह व रक्तदान शिविर का आयोजन किया जा रहा है। आप सभी सपरिवार सादर आमंत्रित हैं।
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satlok-satsang · 2 years ago
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trendingwatch · 2 years ago
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अहमदाबाद में रीजनल फूड मिस नहीं कर पाए कार्तिक आर्यन
अहमदाबाद में रीजनल फूड मिस नहीं कर पाए कार्तिक आर्यन
कार्तिक आर्यन इन दिनों कियारा आडवाणी के साथ अपनी आने वाली फिल्म ‘सत्य प्रेम की कथा’ की शूटिंग के लिए अहमदाबाद में हैं। और, क्या वह स्वादिष्ट क्षेत्रीय भोजन से चूक सकते हैं? बिलकुल नहीं। अपने व्यस्त शूटिंग शेड्यूल के बीच, कार्तिक ने प्रामाणिक गुजराती व्यंजन खाने के लिए समय निकाला। उन्होंने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरीज पर दो समान भोजन से भरी प्लेटों की एक तस्वीर साझा की। हमें ��कीन है, स्वादिष्ट दिखने…
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newsreporters24 · 3 years ago
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Anita Hassanandani Is Giving Us Gujarati Food Goals. Take A Look
Anita Hassanandani Is Giving Us Gujarati Food Goals. Take A Look
गुजराती भोजन भारत के पाक खजानों में गिना जाता है, क्योंकि इसमें कई प्रकार के व्यंजन हैं जो पोषण पर भी उच्च हैं। यह एक ऐसी चीज है जिसे खाने के शौकीन आसानी से अपना शिकार बना सकते हैं और अभिनेत्री अनीता हसनंदानी कोई अपवाद नहीं हैं। उसने इंस्टाग्राम पर फैले एक गुजराती का एक वीडियो साझा किया और लगता है कि वह भोजन के लिए अपने दोस्तों को धन्यवाद देते हुए अपनी थाली में लगभग झूम रही है। भव्य “दावत” में…
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vlogrush · 8 months ago
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भारतीय संस्कृति की विशेषताएं: तथा संस्कृति ज्ञान के महत्व
भारत एक विविधताओं से भरा देश है और इसकी संस्कृति इसी विविधता को दर्शाती है। यहां धर्म, भाषा, परिवार, त्योहार, भोजन, कला और रहन-सहन सभी में विविधता देखी जाती है। भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता धार्मिक विविधता है, जहां हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी धर्मों के अनुयायी एक साथ रहते हैं। देश की भाषाई विविधता भी उल्लेखनीय है, जहां हिंदी, बंगाली, तेलुगु, मराठी, तमिल, उर्दू, गुजराती…
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hindinewshub · 4 years ago
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Recipe: लंच में चावल के साथ ट्राई करें खट्टी-मीठी गुजराती दाल, बड़े ही नहीं बच्चे भी खाएंगे चाव से लंच ��ो या डिनर, दाल के बिना हम भारतीयों का काम नहीं चलता। अगर आप एक ही तरह की दाल खा-खाकर बोर हो गए हैं, तो अब स्वाद और सेहत से भरपूर खट्टी-मीठी गुजराती दाल बनाकर देखिए। 1-अरहर की पारंपरिक ...। Image Source link
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parichaytimes · 3 years ago
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भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापार सौदे का जश्न मनाने के लिए ऑस्ट्रेलियाई प्रधान मंत्री ने गुजराती खिचड़ी पकाई | द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया.
भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापार सौदे का जश्न मनाने के लिए ऑस्ट्रेलियाई प्रधान मंत्री ने गुजराती खिचड़ी पकाई | द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया.
अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर पोस्ट की गई तस्वीर में मॉरिसन को किचन में खिचड़ी के बर्तन के साथ खुशी से पोज देते हुए देखा जा सकता है। उन्होंने यह भी साझा किया कि कैसे उनकी पत्नी, बेटियों और माँ को भी यह भारतीय व्यंजन बहुत पसंद था। इसके कैप्शन में मॉरिसन ने लिखा, “भारत के साथ अपने नए व्यापार समझौते का जश्न मनाने के लिए, आज रात मैंने जो करी पकाने के लिए चुनी वह सब मेरे प्रिय मित्र प्रधानमंत्री नरेंद्र…
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sakshi88 · 2 years ago
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#संत_गरीबदासजी_महाराज
🎯संत गरीबदास जी महाराज का जीवन परिचय एवं आध्यात्मिक यात्रा🎯
संत गरीबदास जी का जन्म हरियाणा के जिला झज्जर, गांव छुड़ानी में सन 1717 में जाटों के एक प्रसिद्ध धनखड़ परिवार में पिता श्री बलरामजी और माता श्रीमती रानीदेवीजी के यहाँ हुआ था।
गरीबदासजी बचपन से ही अन्य ग्वालों के साथ गौ चराने जाते थे। कबलाना गाँव की सीमा से सटे नला खेत में 10 वर्ष के बालक गरीबदासजी जांडी के पेड़ के नीचे प्रातः 10 बजे अन्य ग्वालों के साथ जब भोजन कर रहे थे तभी वहाँ से कुछ दूरी पर सत्यपुरुष कबीर साहब जिंदा महात्मा के रूप में सतलोक से अवतरित हुए और गरीबदास जी महाराज से मिलकर उन्हें तत्वज्ञान समझाया और उन्हें सतलोक का साक्षी बनाया। संत गरीब दास जी महाराज की आत्मा को जब कबीर परमेश्वर सतलोक ले गए तो वे तीन दिन अचेत रहे। तीन दिन बाद जब वे वापिस शरीर में आए तो परमात्मा की महिमा की वाणी सुनाने लगे उससे उनके गाँव के लोग उन्हें बावला कहने लगे ।
तीन वर्ष उपरांत दादू संत मत के दीक्षित संत गोपालदास जो वैश्य परिवार से थे, उस गाँव में आए । गाँव वालों के निवेदन पर संत गरीबदास जी से बात कर 62 वर्षीय गोपालदासजी समझ गए यह विशिष्ट ज्ञानी बालक परमात्मा से मिलकर आया है । गोपालदासजी के यह प्रश्न करने पर कि उन्हे कौन मिले थे और कहाँ लेकर गए थे 13 वर्षीय तत्वदर्शी संत गरीबदासजी ने उत्तर दिया कि जिंदा बाबा मुझे मिले थे और मुझे सतलोक लेकर गए वही स्वयं कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा काल के जाल से छुड़वाते हैं ।
ऐसा बोलकर संत गरीबदास जी वहाँ से चल दिए।गोपालदासजी पीछे पीछे चले और गरीबदासजी से नम्र निवेदन किया कि यह ज्ञान लिपिबद्ध कराएं। पूरा होने तक लिखने की शर्त पर गरीबदासजी लिखवाने के लिए सहमत हो गए। परमात्मा से प्राप्त तत्वज्ञान को गरीबदासजी के बेरी के बाग में एक जांडी के नीचे बैठकर छः माह में लिखवाया गया और इस प्रकार हस्तलिखित ग्रंथ सतग्रंथ साहिब (अमरबोध, अमरग्रन्थ ) की रचना हुई ।
इस ग्रंथ में कबीर सागर के 7000 शब्द सहित कुल 24000 शब्द लिखे हैं। इस महान ग्रंथ में गुजराती, अरबी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के शब्द प्रयुक्त किये गए हैं।
अमर ग्रंथ अन्य आध्यात्मिक ग्रंथों से बिल्कुल अलग है। इसमें सृष्टि रचना से लेकर चारों युगों का विस्तार से वर्णन किया गया है। गरीबदास जी महाराज जो पूर्ण परमात्मा के अवतार हैं उन्होंने इस ग्रंथ के पूर्ण रहस्य को खोला है। इसमें भूतकाल, वर्तमान काल तथा भविष्य काल की घटनाओं को विस्तार से बताया है। इसमें सत्भक्ति मंत्रों की पूर्ण जानकारी दी गई है। जिसकी मर्यादा पूर्वक साधना से पूर्ण मोक्ष को प्राप्त किया जा सकता है। वर्तमान में पूर्ण परमेश्वर के अवतार संत रामपाल जी महाराज ने इस अमर ग्रंथ के रहस्य को जनता के सामने रखा और उन्हें सत्भक्ति दी। महाभारत, रामायण, रामचरित मानस में वास्तविक भक्ति मार्ग नहीं है और ना ही ऐसा गूढ़ ज्ञान है।
गरीबदासजी महाराज ने 61 वर्ष की आयु में सन् 1778 में सतलोक गमन किया । ग्राम छुड़ानी में शरीर का अंतिम संस्कार किया गया वहाँ एक यादगार, छतरी साहेब बनी हुई है। इसके बाद उसी शरीर में प्रकट होकर सहारनपुर उत्तरप्रदेश में 35 वर्ष रहे। वहाँ भी उनके नाम की यादगार छतरी बनी हुई है ।
कबीर चरित्र बोध अध्याय के पृष्ठ 1870 पर स्पष्ट है कि बारहवां पंथ गरीबदास जी का है। कबीर परमेश्वर ने कहा है कि बारहवें पंथ में मेरी महिमा की वाणी प्रकट होगी यानी बारहवें पंथ वाला मेरी महिमा की वाणी बोलेगा। इसी पंथ में संत रामपाल जी महाराज आए हैं जो नाम दीक्षा देने के वास्तविक अधिकारी हैं। 2 से 4 मार्च 2023 को संत गरीब दास जी महाराज के बोध दिवस के अवसर पर 10 सतलोक आश्रमों में गरीब दास जी महाराज की अमर वाणी का तीन दिवसीय अखंड पाठ, देसी घी से निर्मित निःशुल्क विशाल भंडारा, दहेज मुक्त विवाह व रक्तदान शिविर का आयोजन किया जा रहा है। आप सभी सपरिवार सादर आमंत्रित हैं।
#Who_Is_SantGaribdasJiMaharaj
#BodhDiwas_Of_SantGaribdasji
अधिक जानकारी के लिए "Sant Rampal Ji Maharaj" App Play Store से डाउनलोड करें और "Sant Rampal Ji Maharaj" YouTube Channel पर Videos देखें और Subscribe करें।
संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
⬇️⬇️
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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allgyan · 4 years ago
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भाषा:एक शख्स जो 30 भाषाएँ बोलता है
भाषा और विविधता-
भाषा लोगों के बीच की एक कड़ी होती है लोग कहते है की भावनाओं को व्यक्त करने के लिए लफ़्ज़ों की जरुरत नहीं होती है लेकिन क्या ऐसा है कभी कभी जब आप भावनाओं को लफ़्ज़ों में पिरोकर प्रस्तुत करना भी पड़ता है।हम भारत के लोग है यहाँ तो भाषा इतनी बोली जाती है की गिनती करना भी बड़ा काम है लेकिन आज हम आपको इसी बारे में आपको बताते है। जैसा कि हम सभी जानते है कि हमारा देश इंडिया अनेकता में एकता के लिए जाना जाता है।इसके अलावा भारत अपनी विविधताओं के दुनिया भर में प्रसिद्ध है। जिस प्रकार भारत में विभिन्न धर्म के लोग रहते है उसी तरह यहाँ कई सारी भाषा बोली जाती है। उदाहरण के तौर पर जैसे उत्तर और मध्य भारत में मुख्यता हिन्दी भाषा सुनी जा सकती है। वहीं दक्षिण भारत की मुख्य लैंग्वेज कन्नड़, तेलुगु और तमिल है।पश्चिम में गुजराती, राजस्थानी, पंजाबी और हरयाणवी भाषाओं को सुना जा सकता है। पूर्वी भारत की बात करे तो यहाँ इनकी अपनी अलग भाषा है कुल मिलाकर भारत अनेक भाषा का देश है।
हिज़यानिइस इकोनोमुस जो 30 भाषा बोलता है -
आये जानते है उस शख्स के बारे में जिसका जिक्र हमने टाइटल में किया है। इनका नाम -हिज़यानिइस इकोनोमुस है जिस उम्र में बच्चे खेलना कूदना पसंद करते हैं उस उम्र में ग्रीस के क्रिट द्वीप के रहने वाले हिज़यानिइस इकोनोमुस को एक अलग ही शौक़ चढ़ा। हिज़यानिइस इकोनोमुस जहा रहते है वो  क्रिट द्वीप  है जो एक पर्यटक स्थल है और यहाँ कई देशों के लोग आते रहते है हिज़यानिइस इकोनोमुस से जब ये पर्यटक टकरा जाते थे तो उनको उनकी बातें समझ नहीं आती थी और एक दिन उन्होंने ठाना की वो इन भाषाओं को सीख रहेंगे।सात साल की उम्र में ही उन्हें इन भाषाओं को समझने और बोलने की रुचि जगी।इकोनोमुस ज्यादातर यूरोपीय भाषाएं बोल लेते हैं और उसके अलावा वे मैंडरिन, अरबी, तु्र्की और फ़ारसी समेत 30 भाषाएं जानते हैं और तो और वे यूरोपीय कमीशन में काम भी करते थे।
जब दुश्मन के भाषा को बोलने की इच्छा जाहिर की -
इकोनोमुस के परिवार में लोग केवल ग्रीक्लिश भाषा बोलते हैं जिसमें अंग्रेज़ी ग्रीक लहजे में बोली जाती है साथ ही उन्हें एक निजी स्कूल में अंग्रेज़ी भाषा सीखने के लिए भेजा जाता था ।  जब वो तुर्की भाषा सिखने की इच्छा अपने माता -पिता से जाहिर की थी तो उनके माता -पिता बहुत गुस्सा हो गए थे क्योकि उस ज़माने में तुर्की लोगों को 'दुश्मन' समझा जाता था लेकिन मुझे बचपन से सिखाया गया कि कोई दुश्मन नहीं होता सब दोस्त होते हैं और तुर्की भी तो इंसान ही हैं मेरे माता-पिता यहां हर साल होने वाले विरोध प्रदर्शन में जाते थे जिसमें तुर्की शरणार्थी और नेता भाग लेते थेउन्होंने इस प्रदर्शन में जाकर पूछा कि हमारा बेटा तुर्की सीखना चाहता है एक ग्रीक होने के कारण तुर्की भाषा सीखना विवादस्पद तो था ही उस समय। इकोनोमुस के मुताबिक़ उन्हें भाषाएं सीखने के बाद देशों के लोगों, उनकी परंपराओं और भोजन के बारे में जानने में आसानी हुई है उनके दौर इंटरनेट का चलन नहीं था अब के दौर में तो भाषाओं को सीखना आसान है।
पूरा जानने के लिए -http://bit.ly/3ss2eK8
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trendingwatch · 2 years ago
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मिंडी कलिंग का नवीनतम द्वि घातुमान स्वादिष्ट गुजराती भोजन के बारे में है
मिंडी कलिंग का नवीनतम द्वि घातुमान स्वादिष्ट गुजराती भोजन के बारे में है
मिंडी कलिंग हॉलीवुड में सबसे लोकप्रिय भारतीय-अमेरिकी हस्तियों में से एक है! हिट शो “नेवर हैव आई एवर” बनाने से लेकर प्रतिष्ठित सिचुएशनल कॉमेडी “द ऑफिस” में अभिनय करने तक, मिंडी कलिंग एक दशक से अधिक समय से उद्योग के भीतर भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। जबकि हम उसे उस काम के लिए प्यार करते हैं जो उसने समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए किया है, हम उसे उसके खाने वाले पक्ष के लिए और अधिक…
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newsreporters24 · 3 years ago
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3 Yummy Dabeli Recipes Which Capture Flavours Of Gujarat With A Twist
3 Yummy Dabeli Recipes Which Capture Flavours Of Gujarat With A Twist
दाबेली गुजरात की भूमि का एक स्वादिष्ट नाश्ता है, जो कच्छ में उत्पन्न होता है। गुजरात में स्ट्रीट फूड की एक चौंकाने वाली श्रृंखला है, जो उनके लोकप्रिय से शुरू होती है फाफदाजलेबी कुरकुरे को सेव पुरी. जब हम गुजरात के किसी भी शहर में सड़कों से गुजरते हैं, तो हमें कई स्ट्रीट फूड स्टॉल मिलते हैं, जो दृश्य को देखते हैं। दाबेली वहां के सबसे लोकप्रिय स्ट्रीट फूड में से एक है। हालाँकि इसकी तु��ना अक्सर…
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